Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 1

2. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
i. कवि ने इसे पार करने के लिए कहा है – (नदी, पर्वत, सागर)
ii. कवि ने इसे अपनाने के लिए कहा है – (अंधेरे, उजाला, सबेरा)
उत्तर:
i. कवि ने पर्वत को पार करने के लिए कहा है।
ii. कवि ने अंधेरे को अपनाने के लिए कहा है।

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3. ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

  1. जीत का आनंद मिलेगा
  2. बहार
  3. गुरु

उत्तर:

  1. हार की पौड़ा सहने पर क्या मिलेगा?
  2. पतझड़ के बाद कौन मजा देती है?
  3. कवि के अनुसार हार मनुष्य के लिए क्या है?

4. अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। 

प्रश्न 1.
अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि करते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हर आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। हार आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए हार जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

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5. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
पाठ्येतर किसी कविता की उचित आरोह-अवरोह के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति कीजिए।
उत्तर :
मेरा माझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।

पर जो बार-बार बाधा बन कर आएँ
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।

जान-बूझ कर मेरे पथ में आती हैं
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें।

मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ
उतना ही मिलती हैं ये ग्रीवा ताने।

रख अपनी पतवार, कुदाली लेकर मैं
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव बढ़ाए जाता हूँ।

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

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6. भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
“निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए।
उत्तर:

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
1. वृक्षों का छाया से रहे परे। 1. वृक्षों की छाया से रहो परे।
2. पतक्षड़ के बाद मजा देता है 2. पतझड़ के बाद मजा देती है बार।
3. फूल के रास्ते को मत अपनाओ। 3. फूलों के रास्तों को मत अपनाओ।
4. किनारों से पहले मिला मझधार। 4. किनारों से पहले मिले मझधार।
5. बरसाओं मेहनत का बूंदों की फुहार। 5. बरसाओ मेहनत की बूंदों का फुहार।
6. जिसने जीवन का दिया संवार। 6. जिसने जीवन को दिया सँवार।

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7. रचनात्मकता की ओर कल्पना पल्लवन

प्रश्न 1.
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ इस विषय पर भाषाई सौंदर्यवाले वाक्यों, सुवचन, दोहे आदि का उपयोग करके निबंध/ कहानी लिखिए।
उत्तर:
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।।
हिंदी के रीतिकालीन प्रसिद्ध कवि वृंद की यह प्रसिद्ध पंक्ति हमें कर्म के प्रति प्रेरित करती है। कवि ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपना मत प्रकट करते हुए कहा है कि कोमल रस्सी के बार-बार आने-जाने से सिल अर्थात पत्थर भी घिस जाता है। उसी प्रकार निरंतर अभ्यास करते रहने के कारण जड़-बुद्धि व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है, वह अपने मंजिल को प्राप्त कर लेता है। निरंतर परिश्रम एवं अभ्यास से असंभव कार्य भी संभव हो जाया करते हैं। असफलता भी सफलता बन जाती है।

एक साधक और योगी निरंतर योग का अभ्यास करके परम तत्त्व का दर्शन कर लेता है। अतः एव लगनपूर्वक निरंतर अभ्यास करने वाला सामान्य व्यक्ति भी सफलता के दर्शन कर लेता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि निरंतर अभ्यास करने वाले ही सफलता के उन शिखरों पर पहुंच सके हैं, जो अत्यंत विषम एवं कठिन थे। इसी कारण उनके सम्मुख आज भी दुनिया नतमस्तक हो रही है।

अभ्यास करना एक साधना है और सच्चे मन से की गई साधना कभी व्यर्थ नहीं होती है। निराशा को कभी भी मन में नहीं आने देना चाहिए। अभ्यास ही सौढ़ी-दर-सीढ़ी उस शिखर तक ले जाता है जिसकी सुंदर चौटियाँ बार-बार मन को आकर्षित करके वहाँ तक चले आने के लिए आमंत्रित करती हैं। निश्चित मंजिल तक पक्के निश्चय के साथ बढ़ते ही जाना है। रुकने का अर्थ है अंत, जो कि मृत्यु का प्रतीक है और जीवन का अर्थ है ‘चरैवेतिचरैवेति’ अर्थात निरंतर चलते रहना, गतिशील रहना। इसके लिए आवश्यक है सतत अभ्यास तथा आलस्य और प्रमाद का त्याग।

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8. पाठ के आँगन में

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
‘हर बार कुछ सिखा कर ही गई, सबसे बड़ी गुरु है हार इस पंक्ति द्वारा आपने जाना……………
उत्तर :
इस पंक्ति द्वारा हमने यह जाना कि जब-जब हार हुई उस हार ने अपने पीछे कुछ-न-कुछ सीख जरूर छोड़ी। वह हार क्यों और किन कारणों से हुई, इसे जानने और समझने का मौका मिला। उस झर से प्रेरित होकर ही आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसलिए हार सबसे बड़ी गुरु है।

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प्रश्न 3.
कविता के दूसरे चरण का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हर भी गए तो कोई बात नहीं जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
ऐसे प्रश्न नैवार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द
i. फूलों के रास्ते
ii. वृक्षों को छाया
उत्तर :
i. कवि किस रास्ते को अपनाने के लिए मना कर रहे है?
ii. कवि किससे परे रहने का संदेश दे रहे हैं?

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प्रश्न 3.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति क (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
फूलों के रास्तों को मत अपनाओ,
और वृक्षों की छाया से रहो परे।
रास्ते काँटों के बनाएंगे निडर
और तपती धूपी लाएगी निखार।।
जिंदगी की बड़ी जरूरत है हर….!
उत्तर:
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते है कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की अया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं। जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

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(ख) पद्यांश घड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हरे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सौख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन परिचय : श्री महकी जी का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ। ये इंजीनियरिंग कॉलेज में सहप्राध्यापक हैं। हिंदी और मराठी भाषा के प्रति इनका गहरा लगाव है।
प्रमुख कृतियाँ : गीत और कविताएँ, शोध निबंध आदि।

पद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानीः ‘नवनीत’ हिंदी काव्य-धारा की यह एक नवीन विधा है। ‘नवगीत’ एक यौगिक शब्द है जिसमें नव (नई कविता) और गीत (गीत विधा) का समावेश होता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता ‘जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार के माध्यम से कवि महकी जी ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि जीवन में कभी भी हार एवं असफलता से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हर से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

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सारांश :

कवि कहते हैं कि हमें हार से कभी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। ये हार हमें और उन्नत बना देती है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सतत संघर्ष करते रहना चाहिए। जिंदगी में मुसीबतों से गुजरना पड़ता है, काँटो भरी राह पर चलना पड़ता है, ऊँचेऊँचे पर्वतों को पार करना पड़ता है। इनका सामना करते समय कभी-कभी हम हार भी जाते हैं तो कोई बात नहीं। हमें दुबारा फिर प्रयास करना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहिए। हर हमारी सबसे बड़ी गुरु है। उसका आभार प्रकट करना चाहिए क्योंकि ये हर हमारे जीवन का संवार देती है।

सरल अर्थ :

रुला तो …………………………… जरूरत है हार…!
कवि कहते हैं कि जीवन में किसी भी घर से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हटकर उसका सामना करना चाहिए। हर हमें हमेशा रुलाती तो है परंतु अंदर से उन्नत बना देती है अर्थात अमली जीत के लिए और अधिक सतर्क और तैयार कर देती है। किनारा मिलने से पहले हमें मझधार की तेज लहरों का सामना करना चाहिए यानी जीवन की कठिनाइयों एवं मुश्किलों से संघर्ष कर मंजिल हसिल करनी चाहिए। यदि मंजिल प्राप्त करते समय हर हो जाए तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी के लिए बार भी बहुत जरूरी है।

फूलों के …………………………. जरूरत है हार …!
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहे अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएंगे और तपती हुई धूप तुममें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं । जीतने के लिए जिंदगी में झरना भी बहुत जरूरी है।

सरल राह…………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हारे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सीख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

उजालों की ………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर व्यक्ति अपने जीवन में उजाला चाहता है। जीवन में उजाले की उम्मीद करना भी उचित ही है परंतु एक बार अंधेरे को भी तो अपनाओ। उपजाऊ जमीन हो और पानी की उचित व्यवस्था हो तो फसल आसानी से उगाई जा सकती है। परंतु एक बार बिना पानी के बंजर जमीन पर परिश्रम करके अपने पसीने की फुहारें (द) बरसा कर तो देखो। यदि फसल नहीं उगी तो कोई बात नहीं। जिंदगी में हारना भी जरूरी है। इस हार के बाद नए तजुर्बे और उमंग के बल पर तुम पुन: नई फसल उगा लोगे।

जीत का…………………………….. जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर जीत का आनंद भी तभी मिलेगा जब तुम हार के अपार दुखों को सहे रहोगे क्योंकि हर आँसू और दुख के बाद आने वाली मुस्कान चारों तरफ फैल जाती है और पतझड़ के बाद आने वाली वसंत आनंद दाई होती है। इसलिए जिंदगी में हार बहुत जरूरी है क्योंकि हार के बाद मिलने वाली जीत बहुत ही आनंद देने वाली होती है।

आभार प्रकट …………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हार आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। घर आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए सर जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

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शब्दार्थ :

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. मझधार – धारा के बीच में
  3. परे – दूर
  4. निडर – निर्भय
  5. निखार – चमक
  6. हौसला – उत्कंठा, उत्साह
  7. तकदीर – भाग्य
  8. जायज – उचित
  9. बंजर – ऊसर, अनुपजाऊ
  10. फुहार – हल्की बौछार, वर्षा
  11. अपार – असीमित
  12. मज़ा – आनंद
  13. बहार – बसंत
  14. आभार – एहसान
  15. संवारना – सजाना