Maharashtra State Board Book Keeping and Accountancy 11th Solutions Digest | 11th Class Accounts Book Solution

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Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण शब्द संपदा Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(1) लिंग : जिस शब्द से संज्ञा के स्त्री या पुरुष होने का बोध होता है, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। लिंग के मुख्यत: दो भेद माने गए हैं :

  • पुल्लिंग
  • स्त्रीलिंग

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

पुल्लिंग : पुल्लिंग संज्ञा के उस रूप को कहते हैं जिससे उसके पुरुष होने का बोध होता है। जैसे – राजेश, राकेश, प्रभाकर, चाँद, सूर्य, बैल, घोड़ा आदि।

स्त्रीलिंग : जिस शब्द से स्त्री होने का बोध होता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – राधा, शीला, घोड़ी, बकरी, मछली, मैना, तितली, कोयल आदि।

लिंग निर्णय : अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत की अपेक्षा हिंदी में लिंग निर्णय की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। जहाँ तक प्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का प्रश्न है उसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जहाँ अप्राणिवाचक संज्ञा शब्दों की बात आती है वहाँ कठिनाई बढ़ जाती है क्योंकि इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है। एक ही शब्द के अलग अर्थ होने से या अलग-अलग शब्दों के एक ही अर्थ होने से भी लिंग बदल जाते हैं। जैसे –

भिन्नार्थक शब्द : अप्राणिवाचक बहुत से शब्दों के समरूपी होने पर लिंग भेद होता है। जैसै :

शब्द अर्थ लिंग
कलम लेखनी स्त्रीलिंग
कलम वृक्ष शाखा का कलम पुल्लिंग
ओर छोर पुल्लिंग
ओर तरफ स्त्रीलिंग
सरकार स्वामी पुल्लिंग
सरकार शासन चलानेवाली स्त्रीलिंग
विधि ब्रहमा पुल्लिंग
विधि प्रणाली स्त्रीलिंग
हार पराजय के अर्थ में स्त्रीलिंग
हार माला के अर्थ में पुल्लिंग
सविता सूर्य पुल्लिंग
सविता किसी लड़की का नाम स्त्रीलिंग
तारा नक्षत्र पुल्लिंग
तारा लड़की का नाम स्त्रीलिंग

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

कुछ प्राणियों में लिंग का निर्णय व्यवहार से होता है। जैसे – बंदर, तीतर, चीता, बैल पुल्लिंग है जबकि – मछली, कोयल, मैना, गौरैया स्त्रीलिंग है।

अप्राणिवाचक में द्रवों के नाम, धातुओं, ग्रहों, वनस्पतियों, अनाजों, रत्नों, दिनों, स्थल भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जब कि – भाववाचक संज्ञा (ट, ट, हट) कृदंत, नदियों के नाम, नक्षत्रों के नाम, तिथियों के नाम, पक्वानों के नाम आदि स्त्रीलिंग होते हैं।

लिंग परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) बेटे ने काका से बातचीत की।
बेटी ने काकी से बातचीत की।

(2) शेर ने बकरे पर आक्रमण किया।
शेरनी ने बकरी पर आक्रमण किया।।

(3) बैल घास चर रहा है।
गाय घास चर रही है।

(4) पंडित का भाई पूजा कर रहा है।
पंडिताइन की बहन पूजा कर रही है।

(5) नायक अभिनय कर रहा है।
नायिका अभिनय कर रही है।

(6) कुत्ता भौंक रहा है।
कुतिया भौंक रही है।

(7) चाचा जी देव जैसे हैं।
चाची जी देवी जैसी हैं।

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(2) वचन : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता हैं, उसे वचन कहते हैं। हिंदी में दो वचन होते हैं।

  1. एकवचन
  2. बहुवचन

एकवचन : संज्ञा के अथवा शब्द के जिस रूप से एक ही व्यक्ति या वस्तु होने का ज्ञान हो उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – बिल्ली, बिजली, लड़का, नदी, पुस्तक, घर आदि.

बहुवचन : संज्ञा अथवा शब्द के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध होता है उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – बिल्लियाँ, लड़कियाँ, लड़के, घोड़े, बहुएँ आदि।

अपवाद : कुछ शब्दों में दोनों रूप समान होते है। जैसे – मामा, नाना, बाबा, पिता, योद्धा, युवा, आत्मा, देवता, जमाता।

सूचनानुसार – परिवर्तन

अधोरेखांकित शब्द का वचन परिवर्तित कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उदा. लड़के विद्यालय जाते हैं।
उत्तर :
लड़का विद्यालय जाता है।

(2) नदी ने फसल को डुवो दिया।
उत्तर :
नदियों ने फसल को डुबो दिया।

(3) आप कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर :
तुम कहाँ जा रहे हो?

(4) बकरी घास चर रही है।
उत्तर :
बकरियाँ घास चर रही हैं।

(5) नदियों ने फसलों को हरा-भरा कर दिया।
उत्तर :
नदी ने फसल को हरा-भरा कर दिया।

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(3) विलोम विरुद्धार्थी शब्द : जो शब्द अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधी होते हैं उन्हें विलोम, विपरीतार्थी या विरुद्धार्थी शब्द कहते हैं।

  • निम्न x उच्च
  • धनी x निर्धन
  • विष x अमृत
  • अर्थ x अनर्थ
  • उदय x अस्त
  • प्रात: x सायं
  • सजीव x निर्जीव
  • सदाचार x दुराचार
  • आय x व्यय
  • आदान x प्रदान
  • स्वर्ग x नरक
  • मान x अपमान
  • सत्य x असत्य
  • सज्जन x दुर्जन
  • गुण x अवगुण
  • शुभ x अशुभ
  • उचित x अनुचित
  • अनुकूल x प्रतिकूल
  • पक्ष x विपक्ष
  • उपस्थित x अनुपस्थित
  • एक x अनेक
  • आस्तिक x नास्तिक
  • आदर x निरादर
  • उन्नति x अवनति
  • सफलता र असफलता
  • सौभाग्य x दुर्भाग्य
  • आदि x अंत
  • नवीन x प्राचीन
  • उदार x अनुदार
  • लौकिक x अलौकिक
  • स्मृति – विस्मृति
  • आयात x निर्यात
  • शिक्षित x अशिक्षित
  • उत्तीर्ण x अनुत्तीर्ण
  • यश x अपयश
  • सुलभ x दुर्लभ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा
  • प्रत्यक्ष x परोक्ष
  • खुशबू x बदबू
  • सार्थक x निरर्थक
  • मुख्य x गौण
  • समर्थन x विरोध
  • उत्थान x पतन
  • पंडित x मूर्ख
  • निर्माण x विनाश
  • संयोग x वियोग
  • उपकार x अपकार
  • साक्षर x निरक्षर
  • सूक्ष्म x स्थूल
  • बंजर x उपजाऊ
  • कृतज्ञ x कृतघ्न
  • आलस्य x उद्यम
  • साकार x निराकार
  • बुराई x भलाई
  • क्रोध x शांति
  • रक्षक x भक्षक
  • स्तुति x निंदा
  • वीर x कायर
  • वरदान – अभिशाप
  • रुग्ण x स्वस्थ
  • मानव x दानव
  • महान x क्षुद्र
  • सम x विषम
  • मधुर x कटु
  • महात्मा x दुरात्मा
  • कनिष्ठ x ज्येष्ठ
  • आकाश x पाताल

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(4) पर्यायवाची शब्द :

  • असभ्य – अशिष्ट, गँवार, उजड्ड
  • कहानी – कथा, अख्यायिका, किस्सा
  • बुद्धि – मति, मेधा, प्रज्ञा, अक्ल
  • बारिश – वर्षा, बरसात, वृष्टि
  • पति – कांत, स्वामी, वर, भर्ता
  • वसंत – मधुऋतु, ऋतुराज, पिकमित्र
  • अनोखा – अनूठा, अनुपम, अलौकिक
  • थोड़ा – अल्प, रंच, कम
  • मृत्यु – निधन, देहांत, मौत
  • सुंदर – चारु, रम्य, ललाम
  • पत्नी – कांता, वधू, भार्या

(5) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द :

  • जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
  • जिसकी उपमा न दी जा सके – अनुपम
  • सब कुछ जाननेवाला – सर्वज्ञ
  • जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
  • जो नियम के अनुसार न हो – अनियमित
  • जिसका कोई अंत न हो – अनंत
  • जो देखने योग्य हो – दर्शनीय
  • जो दूर की सोचता हो – दूरदर्शी
  • जो मीठा बोलता हो – मृदुभाषी
  • अनुकरण करने योग्य – अनुकरणीय
  • किए हुए उपकार को न माननेवाला – कृतघ्न
  • काम में लगा रहने वाला – कर्मठ
  • जिसे कहा न जा सके – अकथनीय
  • जो कम बोलता हो – मितभाषी
  • जिसे पाना कठिन हो – दुर्लभ

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(6) भिन्नार्थक शब्द : कुछ शब्दों के प्रयोग कई अर्थों में होते हैं। उनका अर्थ वाक्य में प्रयोग से ही निश्चित हो सकता है।

  • अंबर – आकाश, कपड़ा
  • अंतर – हृदय, फर्क
  • आदि – आरंभ, इत्यादि
  • अली – सखी, पंक्ति
  • काल – समय, मृत्यु
  • कनक – सोना, धतूरा
  • तीर – बाण, तट
  • पट – कपड़ा, दरवाजा
  • पृष्ठ – (किताब का) पन्ना, पीठ
  • भेद – प्रकार, रहस्य
  • हरि – ईश्वर, सिंह
  • हार – फूलों की माला, हारना
  • गति – दशा, चाल
  • मित्र – साथी, सूर्य
  • हल – खेत जोतने का औजार, समाधान
  • स्नेह – तेल, प्रेम

(7) शब्द-युग्म : शब्दों का वह जोड़ा होता है जो देखने और सुनने में एक जैसे होते हैं अथवा मिलते-जुलते हैं लेकिन वर्तनी में कहीं न कहीं कोई अंतर अवश्य होता है। इस प्रकार वर्तनी की भिन्नता अथवा उसमें थोड़ा-सा परिवर्तन अर्थ में बहुत बड़ा अंतर उत्पन्न कर देते हैं। अत: इन्हें जानना व समझना जरूरी हो जाता है। यहाँ कुछ शब्द-युग्म दिए गए हैं।

अँगना : आँगन।
वाक्य: गाँव के घर में अँगना/आँगन का बहुत महत्त्व हैं।

अंगना : रमणी या सुंदर स्त्री।
वाक्य: अँगना में अंगना के पायल को छम-छम सुनाई दे रही थी।

अन्न : अनाज, खाद्य पदार्थ।।
वाक्यः किसान खेतों में अन्न उपजाते हैं।

अन्य : दूसरा या पराया।
वाक्य: इस काम को कोई अन्य व्यक्ति नहीं करेगा।

अगम : कठिन, दुर्गम।
वाक्यः ईश्वर को संतों ने अगम बताया है।

आगम : प्राप्ति, आय:
वाक्यः उसके पास अब कोई आगम नहीं है।

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अवलंब : आश्रय, सहारा।
वाक्य: उसके पति की मृत्यु के साथ ही उसका अवलंब टूट गया।

अविलंब : तुरंत, शीघ्र।
वाक्यः इस कार्य को अविलंब करना है।

अंत : समाप्ति।
वाक्य: बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मुगल राज्य का अंत हो गया।

अंत्य : अंतिम।
वाक्यः हिंदुओं की अंत्य विधि श्मशान में होती है।

अनल : आग।
वाक्यः अनल सब कुछ जला देता है।

अनिल : हवा।
वाक्य: ऊँचाई पर अनिल का दबाव कम हो जाता है।

अश्व : घोड़ा।
वाक्य: चेतक एक महान अश्व था।

अश्म : पत्थर।
वाक्य: अश्म से ठोकर खाकर वह गिर पड़ा।

अमित : बहुत, असीम।
वाक्य: लैला का मजनू से अमित प्रेम था।

अमीत : अमित्र, शत्रु।
वाक्य: इंसानियत के पुजारी अमीत को भी गले लगाते हैं।

आदि : आरंभ, शुरू या इत्यादि।
वाक्य: आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति संसार में श्रेष्ठ रही है।

आदी : अभ्यस्त।
वाक्य: वह सुबह जल्दी उठने का आदी है।

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आसन : बैठने की छोटी चटाई। वाक्य: यह पिता जी का आसन है।
आसन्न : निकट आया हुआ, तुरंत। वाक्य: उसका परीक्षा-काल आसन्न है।

इति : समाप्ति, अंत।
वाक्य: इसकी यही इति है।

ईति : विपत्ति, बाधा।
वाक्यः बेचारे मोहन के पिता की मौत होते ही उसके ईती का आरंभ हो गया।

उन : ‘उस’ सर्वनाम का बहुवचन।
वाक्य: उन लोगों को शादी में जाना है।

ऊन : भेड़ आदि के बाल।
वाक्य: शीत से बचने के लिए ऊनी वस्त्रों का प्रयोग होता है।

उपकार : भलाई।
वाक्य: यह उपकार का जमाना नहीं है।

अपकार : बुराई।
वाक्यः किसी का अपकार करके तुम्हें क्या मिलने वाला है ?

कंगाल : गरीब।
वाक्यः भूकंप आने से भुज के लोग कंगाल हो गए।

कंकाल : हड्डियों का ढाँचा।
वाक्य: बीमारी से वह कंकाल बन चुका है।

कलि : युग, कलह, झगड़ा।
वाक्यः कलियुग में सब कुछ उल्टा होता है।

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कली : अधखिला फूल।
वाक्यः फूल बनने से पहले कली नहीं मसलनी चाहिए।

कहा : कहना का भूतकाल।। वाक्यः उसने कहा था।
कहाँ : स्थान बोधक अव्यय। वाक्यः आप कहाँ जा रहे हैं?

कुल : वंश, परिवार, पूर्ण।
वाक्यः (अ) दो संख्याओं को जोड़ने पर हमें कुलयोग ज्ञात होता है।
(ब) भगवान राम रघुकुल में जन्में थे।

कूल : तट, किनारा।
वाक्यः श्याम यमुना के कूल पर बंसी बजाते थे।

कुजन : बुरे लोग।
वाक्यः कुजनों के साथ रहने से नुकसान होता है।

कूजन : पक्षियों की मधुर ध्वनि या कलरव।
वाक्यः पक्षियों के कूजन से सवेरा होने का आभास हुआ।

किला : गढ़।
वाक्यः सिंहगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी महाराज ने जीत लिया।

कीला : छूटा, बड़ी कील।
वाक्य: मैंने यह कीला अपनी जमीन में गाड़ा है।

ग्रह : सूर्य, चंद्र आदि।
वाक्य: हमारी संस्कृति में नौ ग्रह पूजे जाते हैं।

गृह : घर।
वाक्य: सोमवार को मेरा गृह प्रवेश हुआ।

कि : समुच्चयबोधक अव्यय।
वाक्यः राम के पिता ने कहा कि वह आलस्य छोड़ दें।

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की : करना क्रिया का भूतकाल। संबंध कारक चिह्न।
वाक्य : मैंने पढ़ाई पूरी की। गाँव की नदियाँ बलखाती हुई बह रही है।

चिर : दीर्घ – बड़ा या हमेशा/शाश्वत।
वाक्यः चिरकाल से चली आई भारतीय संस्कृति महान है।

चीर : वस्त्र / कपड़ा।
वाक्य: द्रौपदी का चीर हरण किया गया था।

तरणी : नौका।
वाक्यः रामजी ने केवट की तरि से गंगा नदी पार की।

तरणि : सूर्य
वाक्य: सब्जियों में तरी ज्यादा होने से स्वाद बिगड़ गया।

तरंग : लहर।
वाक्य: समंदर की तरंगें भयानक होती जा रही थीं।

तुरंग : घोड़ा।
वाक्यः तुरंग पर सवार सैनिक जंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे।

नित : रोज, प्रतिदिन।
वाक्य: नित प्रात:काल उठकर टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

नीत : प्राप्त, लाया हुआ।
वाक्य: हमारे देश में पर्दा प्रथा मुगलों द्वारा नीत है।

नियत : तय, निश्चित।
वाक्य: तुम्हें नियत समय पर ही वहाँ पहुँचना है।

नीयत : इच्छा, इरादा, मंशा।
वाक्यः इस मामले में तुम्हारी नीयत में खोट नजर आ रही है।

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दिन : दिवस।
वाक्यः बुरे दिन में कोई मदद नहीं करता।

दीन : गरीब।
वाक्यः मुझ दीन के रक्षक दीनानाथ हैं।

देव : देवता, सुर।
वाक्य: भारत में अनेक देव पूजे जाते हैं।

दैव : भाग्य, नसीब।
वाक्य: आलसी हमेशा दैव-दैव पुकारता है।

प्रसाद : ईश्वरीय कृपा। वाक्य: मैं भगवान का प्रसाद पाकर धन्य हो गया। प्रासाद : महल।
वाक्यः राजा भव्य प्रासाद में रहता था।

परिणाम : फल, नतीजा।
वाक्यः चोरी का परिणाम हमेशा बुरा होता है।

परिमाण : मात्रा, माप।
वाक्य: यह दवा किस परिमाण में लेनी है?

पुर : नगर, शहर।
वाक्यः रघुवीर जी की बहू सीतापुर गई।

पूर : पूर्णत्व, बाढ़, अधिकता।
वाक्य : मोहन की थोड़ी-सी कमाई से घर-खर्च पूरा नहीं पड़ता था।

प्रणाम : नमस्कार, सलाम।
वाक्य : हमें बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।

प्रमाण : सबूत।
वाक्य : इस समय मेरे पास अपनी बात का कोई प्रमाण नहीं है।

प्रहर : याम, पहर (तीन घंटे का समय)।
वाक्य : रात्रि के तीसरे प्रहर में पूरी तरह सन्नाटा छा जाता है।

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प्रहार : आघात या चोट।
वाक्य: महाराणाप्रताप के प्रहार से मुगल सेना तितर-बितर हो गई।

पर : पंख, परंतु।
वाक्यः मोर के पर रखना शुभकारी होता है।

पार : किनारा, मंजिल तक पहुँचना।
वाक्यः मेरा घर नदी के उस पार है।

फुट : बारह इंच की माप।
वाक्य: इसकी लंबाई छ: फुट है।

फूट : मतभेद, बैर, अलगाव।
वाक्य: इस चुनाव में प्रत्येक दल में फूट पड़ी और बागी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़े।

बलि : बलिदान, नैवेद्य।
वाक्य: बकरी ईद में बकरे की बलि दी जाती है।

बली : बलवान, वीर।
वाक्यः तन के साथ-साथ मन का भी बली होना जरूरी है।

बट : रास्ता।
वाक्यः पत्नी अपने पति की बाट जोह रही थी।

बाँट : भाग, हिस्सा।
वाक्य: मक्खन बाँट में बिल्लियों का नुकसान तय है।

बहु : बहुत, अधिक।
वाक्यः मेरा बहु प्रतीक्षित सपना पूरा हुआ।

बहू : पुत्रवधू, विवाहिता ली।
वाक्यः सास और बहू को टक्कर जगत प्रसिद्ध है।

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भिड़ : ततैया, लड़ना।
वाक्य: दोनों पक्षों के सैनिक आपस में भिड़ गए।

भीड़ : मजमा, जनसमूह।
वाक्य: मेले की भीड़ में खो जाने का अंदेशा रहता है।

बास : गंध।
वाक्य: कचरे के डिब्बे से बहुत ही बास आ रही थी।

बाँस : एक वनस्पती
वाक्य: बाँस बहुत ही उपयोगी वनस्पती है।

भवन : घर, महल।
वाक्य: जयपुर में शानदार भवन है।

भुवन : संसार, जग।
वाक्यः सारे भुवन में महँगाई की मार है।

मूल : जड़, नींव।
वाक्य: दोनों परिवारों के विवाद के मूल में एक-दूसरे के प्रति नफरत है।

मूल्य : कीमत।
वाक्य: यह घड़ी काफी मूल्यवान है।

राज : राज्य, शासन।
वाक्य: महात्मा गांधीजी देश में रामराज लाना चाहते थे।

राज़ : भेद, रहस्य।
वाक्यः इस खंडहर में गहरा राज़ छिपा हुआ है।

शिला : पत्थर, पाषाण।
वाक्य: सम्राट अशोक के जमाने में शिलालेखों का विशेष महत्त्व था।

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शीला : सुशील।
वाक्य: यह बड़ी सुशीला पुत्री है।

सास : पति या पत्नी की माँ।।
वाक्यः सास-बहू में झगड़े होते रहते हैं।

साँस : श्वास।
वाक्य: जब तक साँस चल रही है तब तक हमें संघर्ष करना है।

सुर : देवता, लय।
वाक्यः (अ) सुर में गाना एक साधना है।
(ब) बृहस्पतिजी सुरों के गुरु हैं।

सूर : सूर्य, अंधा।
वाक्यः मोहन सूर है लेकिन उसकी आवाज में जादू है।

सर्ग : काव्य का अध्याय।
वाक्यः कामायनी को सर्गों में विभक्त किया गया है।

स्वर्ग : देवताओं का निवास, जन्नत।
वाक्य : अच्छे लोग मृत्यु के बाद सीधे स्वर्ग जाते हैं।

शुक्ति : सीप।
वाक्यः शुक्ति में मोती बनता है।

सूक्ति : अच्छी उक्ति।
वाक्य: संतों की सूक्ति हमेशा प्रेरक होती है।

सुधि : स्मरण, याद।
वाक्य: परदेश जाने के बाद पति ने पत्नी की सुधि नहीं ली।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

सुधी : विद्वान।
वाक्य: सुधी जनों की संगत में हमेशा सुख मिलता है।

सकल : सब, संपूर्ण।
वाक्य: गेहूँ की सकल उत्पाद का पच्चीस प्रतिशत पंजाब में होता है।

शक्ल : सूरत, चेहरा टुकड़ा।
वाक्य: तेजाब फेंककर उसकी शक्ल को बिगाड़ दिया गया।

शुल्क : फीस, चंदा।
वाक्यः रमा विद्यालय में बच्चे का शुल्क जमा करने गई है।

शुक्ल : उज्ज्वल, शुद्ध पक्ष।
वाक्यः शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा होती है।

(8) उपसर्ग : जो शब्दांश किसी शब्द के प्रारंभ में जुड़कर शब्द के अर्थ को प्रभावित करते हैं उन्हें उपसर्ग कहा जाता है।
उदा. देश – स्वदेश, परदेश, उपदेश

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कुछ, उपसर्ग इस प्रकार है :
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 1
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 2
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 3
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(9) प्रत्यय : कुछ शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
उदा. – जल + ज = जलज, जल + द = जलद
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 5
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 6

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(10) कृदंत : धातु में कृत प्रत्यय लगने से बनने वाला शब्द कृदंत कहलाता है।
जैसे-
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 7

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

तद्धित : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण अथवा अव्यय के अंत में प्रत्यय लगाकर बने शब्द तद्धित शब्द कहलाते हैं।
जैसे –
संज्ञा शब्द – तद्धित शब्द
सोना – सुनार, सुनहरा
मुख – मुखिया, मौखिक …. आदि

सर्वनाम शब्द – तद्धित शब्द
अपना – अपनापन, अपनत्व
निज – निजत्व …. आदि

विशेषण शब्द – तद्धित शब्द
मीठा – मिठाई, मिठास
एक – एकता, इकहरा …… आदि

अव्यय शब्द – तद्धित शब्द
पीछे – पिछला
अवश्य – आवश्यक
बहुत – बहुतायत …… आनि

(11) तत्सम शब्द : जो शब्द हिंदी में संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए है उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहा जाता है।
उदा. : नित्य, विद्वान, प्रात:, शनैः शनैः, ज्ञान, अक्षर, सूर्य, गृह, ग्राम …… आदि।

(12) तद्भव शब्द : समय और परिस्थिति के कारण संस्कृत के शब्दों में परिवर्तन आता गया और आज व्यवहार में प्रयुक्त हैं ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे –

तत्सम शब्द तद्भव शब्द
अंगुली उंगली
अश्रु आँसू
काक कौआ
गृह घर
पुत्र पुत
कोकिल कोयल
हस्ती हाथी
जिह्वा जीभ
दुग्ध दूध
भ्राता भाई
श्राप शाप
मुख पूँह
अग्नि आग
अग्र आगे
गर्दभ गधा
चंद्र चाँद
पितृ पिता
कृष्ण Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा किशन
हस्त हाथ
बिंदु बूंद
भगिनी बहन
क्षेत्र खेत
सप्त सात
मेघ मेह
रात्रि रात
श्वास साँस
शय्या सेज
मूल्य मोल
धैर्य धीरज
कृषक किसान
छिद्र छेद
ज्येष्ठ जेठ
दूर्वा दूब
दु:ख दुख
पद पैर
पीत पीला
पुच्छ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा पूँछ
भिक्षा भीख
भद्र भला
सूत्र सूत
लक्ष्मण लखन
वर्ष बरस
सूर्य सूरज
शर्करा शक्कर
श्वसुर ससुर
श्वश्रू सास
निष्ठ मीठा
रत्न रतन
घट घड़ा
चौत्र चत
तृण तिनका
दीप दीया
पक्षी पंछी
पुष्प फूल
पुष्कर पोखर
मयुर मोर
मृतिका मिट्टी
रक्षा Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा राखी
लौह लोहा
व्याघ्र बाघ
बक बगुला
खीर क्षीर

विदेशी शब्द : अरबी, फारसी, अंग्रेजी या अन्य किसी भी दूसरे देश की भाषा के शब्द जिनका हिंदी में प्रयोग किया जाता है उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।

जैसे : डॉक्टर, राज़, इलाज, रेल्वे, सिग्नल, इशारा, दीदार, आरमान, शक्ल …. आदि।

मानक वर्तनी :

किसी भी भाषा के दो प्रमुख तत्त्व होते हैं।

  • व्याकरण
  • लिपि

लिपि का एक पक्ष है सामान्य और विभिन्न ध्वनियों के पृथक-पृथक, प्रतीक -वर्णों की वृद्धि, उनका परस्पर आकार भेद, लिखावट में सरलता, स्थान लघुता स्वं प्रयत्नलाघव, जिससे भाषा दुरूहता समाप्त होती है। लिपि का दूसरा पक्ष है वर्तनी (Spelling) एक शब्द को प्रकट करने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग वर्तनी को कठिन बना देता है। देवनागरी लिपि में यह दोष सबसे कम है, फिर भी कुछ विशेष कठिनाइयाँ हैं।

इन सभी कठिनाइयों को दूर कर हिंदी की वर्तनी में एकरूपता लाने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1961 में एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी।

समिति ने अप्रैल 1962 में अपनी अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत की, जिन्हें सरकार ने स्वीकृत किया। यह सुधार प्रायः टंकण लिपि और संगणक की सुविधानुसार किया गया। 1967 में “हिंदी वर्तनी मानकीकरण” नामक पुस्तिका में इसकी व्याख्या और उदाहरण विस्तार से प्रकाशित किया गया है।

वर्तनी संबंधी कुछ नियम इस प्रकार है।

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(1) संयुक्त वर्ण

(क) खड़ी पाई वाले व्यंजन:

खड़ी पाई वाले व्यंजनों (म्दहेदहाहू) का संयुक्त रूप खड़ी को हटाकर ही बनाया जाना चाहिए,

जैसे – ख्याति, लग्न, विघ्न, कच्चा, छज्जा, सज्जा, नगण्य उल्लेख, कुत्ता, पथ्य, ध्वनि, प्यास, न्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्य, शय्या, राष्ट्रीय, त्र्यंबक, व्यास, स्वीकृत श्लोक, यक्ष्मा, प्रज्ञा।

(ख) अन्य व्यंजन:

(अ) क और फ के संयुक्ताक्षर : पक्का, दफ्तर, रफ्तार, चक्का आदि की तरह बनाए जाएँ, न कि पक्का, दफ्तर की तरह। इसमें फ और क की बाहों को गोला न कर सीधा कर दिया जाता है। (आ) ङ्, ट, ठ, ड, ढ, द और ह के संयुक्ताक्षर हलंत ( ) चिह्न लगाकर ही बताए जाए। वाङ्मय लट्टू, बुड्ढा, विद्या, चिह्न, ब्रह्मा, ब्राह्मण, उद्यम लट्ठा आदि।

(इ) श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे श के रूप में नहीं लिखा जाएगा। त + र के संयुक्त रूप के लिए त्र और र दोनों रूपों के प्रयोग की छूट हैं। किंतु क्र को कर के रूप में नहीं लिखा जाएगा।

(ई) हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बनने वाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय व्यंजन के साथ इ की मात्रा का प्रयोग संबंधित व्यंजन के तत्काल पूर्व ही किया जाएगा, न कि पूरे युग्म से पूर्व जैसे कुट्टिम द्वितीय, को कुटिम, द्वितीय, बुद्धिमान, चिह्नित आदि को स्वीकारा जाएगा।

(उ) संस्कृत में संयुक्ताक्षर पुरानी शैली में भी लिखे जा सकेंगे, जैसे – संयुक्त, चिह्न, विद्या, विद्वान, वृद्ध, अट्ट, द्वितीय, बुद्धि, शुद्धि आदि।
(नियम 2) क और फ के बाहों की गोलाई अंग को काटकर या हटाकर)
क – मुक्त, पक्का, चक्कर, टक्कर, शक्कर।
फ- मुफ्त, दफ्तर, रफ्तार।
(नियम 3) ट, ड, द, ह को हलंत करके) लट्टू, चट्टान, इकट्ठा, पट्ठा, बुड्ढा, लड्डू, शुद्ध, वृद्ध, बुद्धिमान, उद्योग, गद्य, पद्य, खाद्य, प्रसिद्ध अद्भुत, ब्रह्म, चिह्न, ब्राह्मण।
(नियम 4) संयुक्त वर्णाक्षर के साथ ‘इ’ की मात्रा का प्रयोग हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बननेवाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय वर्ण के तत्काल पूर्व किया जाता है। जैसे – बुद्धि, शुद्धि, चिह्नित, द्वितीय, द्विगुणित, चिट्ठियाँ, छुट्टियाँ, सिद्धि, वृद्धि आदि।
(नियम 5) खड़ी पाई को हटाकरः

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खड़ी पाई वाले व्यंजन के संयुक्ताक्षर :

  • ख : ख्याति
  • ण : नगण्य प : प्यार
  • ल : उल्लेख ग : मग्न
  • त : पत्ता ब : ब्यौरा,
  • ष : राष्ट्र ग : नग्न
  • थ : पथ्य
  • भ : सभ्य स : स्वाद
  • घ : विघ्न ध : ध्यान
  • म : रम्य य : त्र्यंबक
  • च : अच्छा न : न्याय
  • म : गम्य श : श्लोक
  • ज : लज्जान : अन्न
  • य : शय्या क्ष : लक्ष्य

(2) विभक्ति चिह्न : (कारक चिह्न)

(क) हिंदी के विभक्ति चिह्न सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में प्रतिपदिक से पृथक लिखे जाय,
जैसे – राम ने, राम को, राम से, सभी ने, सभी को, सभी से आदि। सर्वनाम शब्दों में विभक्ति चिह्न मिलाकर लिखे जाते हैं।
जैसे -उसने, उसको, उसपर आदि।

(ख) सर्वनामों के साथ यदि दो विभक्ति चिह्न है उसमें पहला मिलाकर और दूसरा अलग से लिखा जाय।
जैसे – उसके लिए- इसमें से, आदि।

(ग) सर्वनाम और विभक्ति ‘ही’ ‘तक’ आदि का प्रयोग हो तो विभक्ति को अलग लिखा जाए।
जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को।

(3) क्रियापद : संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ पृथक लिखी जाएँ। जैसे- पढ़ा करता है, आ सकता है, खेला करेगा, नाचता रहेगा, चढ़ते ही जा रहे हैं, बढ़ते चले आ रहे हैं इत्यादि।

(4) हाइफन (-) हाइफन का विधान स्पष्टता के लिए किया जाता है।

(क) द्वंद्व समास में पदों के बीच हाइफन रखा जाए यथाः
राम-लक्ष्मण, माता-पिता, शिव-पार्वती, देख-रेख, चाल-चलन, हँसी-मजाक, पढ़ना लिखना, खाना-पीना, खेलना-कूदना, स्त्री-पुरुष इत्यादि।

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(ख) ‘सा’ ‘जैसा’ आदि से पूर्व हाइफन रखा जाये। जैसे -तुम-सा, राम-जैसा, चाकू-से तीखे, चलने। जैसे – आदि.

(ग) तत्पुरुष समास में हाइफन का प्रयोग तभी किया जाय जहाँ पर हाइफन के बिना भ्रम होने की संभावना हो। अन्यथा हाइफन का प्रयोग नहीं होगा।
जैसे – भू-तत्व.
सामान्यत: तत्पुरुष समास में हाइफन के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती जैसे – रामराज्य, राजकुमार, गंगाजल, ग्रामवासी, आत्महत्या, राजमाता, आदि। इसी तरह अ-नख (बिना नख का) में हाइफन न लगाने से इसका अर्थ बदल कर क्रोध हो जाएगा। अ-नति (नम्रता की कमी), अनति (थोड़ा) अ-परस (जिसे किसीने छुआ न हो) – अपरस – (एक चर्मरोग), भू-तत्व (पृथ्वी का तत्त्व) भूतत्त्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की स्थिति विशेष होती है जहाँ हाइफन का प्रयोग किया जाता है।
(घ) कठिन संधियों से बचने के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे -द्वि-अक्षर, द्वि-अर्थक आदि।
(च) स्पष्टीकरण के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे – उदाहरणार्थ – यथा-आदि

विशेष अभ्यास हेतु

(क) हाइफन वाले शब्द : उषा-सा, एक-सा, घबराया-सा, छोटा-सा, जरा-सा, थोड़ा-सा, फूल-सा, रात-सा, साधारण-सा, हल्का सा, धक-सा आदि।

(ख) दवदव समास : आठ-दस, इधर-उधर, एक- दूसरा करता-धोती, खान पान, खेल-कद, नाच-गाना, रात-दिन, गोरा-चिट्टा, घर-परिवार, माता-पिता, जेठानी-देवरानी, भाई-बहन, दिन-रात, टूटा-फूटा, नहाना-धोना, बोल-चाल, हाथ-पैर, लाभ -हानि, भैया-भाभी, काका-काकी, रूप -रेखा आदि।

(ग) द्विरुक्त शब्द : आगे-आगे, कच-कच, खी-खी, जगह – जगह, तरह -तरह, धीरे-धीरे, नन्हा-नन्हा, बड़े-बड़े, भिन्न-भिन्न, रोज-रोज, शिव-शिव, सच-सच, हिला -हिला, बीच- बीच , गरम- गरम, छोटी-छोटी, मोटी-मोटी, सर-सर इत्यादी।

(घ) अन्य : जैसे-ही, भू-स्वामित्व, भू-सर्वेक्षण, भू-दान, मन-ही-मन, आदि।

(5) अव्यय : तक, साथ, आदि अव्यय सदा अलग लिखे जाएँ।।

जैसे – आपके साथ, यहाँ तक । हिंदी में आह, ओह ऐ, ही, तो, सो, भी न, जब, कब यहाँ, वहाँ, कहाँ, सदा, क्या, पड़ी, जी, तक, भर, मात्र, केवल, किंतु, परंतु, लेकिन, मगर, चाहे, या अथवा तथा आदि अनेक प्रकार के भावों को बोध करानेवाले अव्यय हैं। कुछ अव्ययों के आगे विभक्ति चिह्न भी आते है।

जैसे – अब से, तब से, यहाँ से, वहाँ से, कहाँ से, सदा से आदि। नियमानुसार अव्यय हमेशा अलग लिखे जाने चाहिए। जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को, आप के साथ, गज भर, रात भर. वह इतना, भर कर दे, मुझे जाने तो दो, काम भी नहीं बना, पचास रुपए मात्र है।

सम्मानार्थक श्री और जी अव्यय भी पृथक लिखे जाए। जैसे – श्री राम, महात्मा जी, माता जी, पिता जी, आदि। समस्त पदों में प्रति, मात्र, यथा, आदि अलग न लिखकर एक साथ लिखना चाहिए। जैसे – प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिशत, मानवमात्र, निमित्तमात्र, यथासमय, यथायोग्य, यथोचित, यथासंभव आदि।

यह नियम है कि समास होने पर समस्त पद एक ही माना जाता है अत: उसे पृथक न लिखकर एक साथ ही लिखा जाना चाहिए।

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(6) श्रुतिमूलक :

(क) श्रुतिमूलक ‘य’ ‘व’ का प्रयोग विकल्प से होता है, वहाँ न किया जाए अर्थात किए – किये, नई – नयी, हुआ-हुवा, आदि में पहले वाले सकारात्मक रूप को ही स्वीकारा जाना चाहिए। यह नियम विशेषण, क्रियाविशेषण अव्यय आदि के सभी रूपों और स्थितियों में लागू माना जाए। जैसे – दिखाए गए, राम के लिए, पुस्तक लिए हुए, नई दिल्ली आदि।

(ख) जहाँ ‘य’ श्रुतिमूलक शब्द का मूल रूप होता है वहाँ वैकल्पिक, श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती । यहाँ व्याकरण के अनुसार परिवर्तन नहीं होना चाहिए। जैसे – स्थायी, अव्ययी भाव, दायित्व आदि को स्थाई, अव्यई भाव, दाइत्व नहीं लिखा जा सकता।

(7) अनुस्वार या अनुनासिकता के चिह्न (चंद्र बिंदु)

अनुस्वार ()और अनुनासिकता चिह्न (*) दोनो प्रचलित रहेंगे।

(क) संयुक्त व्यंजन के लय में जहाँ पंचमाक्षर के बाद सवर्गीय शेष चार वर्ण में से कोई वर्ण हो तो एकरूपता और मुद्रण/ लेखन की सुविधा के लिए अनुस्वार का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – गंगा, चंचल, ठंडा, संपादक आदि में पंचमाक्षर के बाद स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(गड्गा, ठण्डा, सन्ध्या, सम्पादक, नहीं। यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए अथवा वहीं पंचमाक्षर दुबारा आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे – वाड्:मय, अन्न, सम्मेलन, सम्मति, सम्मान, चिन्मय, उन्मुख आदि। अत: वांमय, अंन, संमेलन, संमति, संमान, चिंमय आदि रूप ग्राह्य नहीं हैं। और स्पष्ट करने के लिए भिन्न रूप को देखें।

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एक से चार वर्ण के साथ अनुस्वार (.) का प्रयोग होगा और पाँचवे वर्ण के अनुस्वार आनेपर आधे ड., म, ण, न, म का प्रयोग ( हलंत) होगा।

(ख) चंद्रबिंदु (*) के बिना प्राय: अर्थ से में संदेह की गुंजाइश रहती है। जैसे – हंस-हँस, अंगना-अंगना आदि में। इसलिए, ऐसे संदेह को दूर करने के लिए चंद्रबिंदु (*) का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

लेकिन जहाँ (विशेषकर शिरोरेखा के ऊपर जुड़ने वाली मात्रा के साथ) चंद्रबिंदु (*) के प्रयोग से छपाई आदि में बहुत कठिनाई हो और चंद्रबिंदु के स्थान पर बिंदु (अनुस्वार चिह्न) का प्रयोग किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न न करे, वहाँ उसका प्रयोग यथा स्थान अवश्य करना चाहिए।

इसी प्रकार छोटे बच्चों की प्रवेशिकाओं में जहाँ चंद्रबिंदु का उच्चारण दिखाना अभीष्ट हो, वहाँ उसका यथा स्थान प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – कहाँ, हँसना, अँगना, वहाँ, यहाँ, सँवरना, आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण काल परिवर्तन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

काल परिवर्तन के लिए सबसे पहले क्रिया का जानना अनिवार्य है।
क्रिया : वाक्य में जिस शब्द से किसी कार्य का करना या होना ज्ञात होता है। उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे : पढ़ना, लिखना, बोलना, कहना, सुनना, जानना आदि। क्रिया हमेशा काल से जुड़ी रहती है।
काल : काल क्रिया के उस रूपांतरण को कहते हैं जिससे कार्य का समय और उसके पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो।
जैसे : राम खाता है, राम जाएगा, मोहन ने किताब पढ़ा आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन 1

काल के भेद : क्रिया के मुख्यत: तीन काल है।

  • वर्तमान काल
  • भूतकाल
  • भविष्यत् काल

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

  1. सामान्य वर्तमान काल (Simple Present Tense)
  2. अपूर्ण वर्तमान काल (Present Continuous Tense)
  3. पूर्ण वर्तमान काल (Present Perfect Tense)
  4. सामान्य भूतकाल (Simple Past Tense)
  5. अपूर्ण भूतकाल (Past Continuous Tense)
  6. पूर्ण भूतकाल (Past Perfect Tense)
  7. सामान्य भविष्यत् काल (Simple Future Tense)

विशेष : हिंदी में अपूर्ण और पूर्ण भविष्यत् काल नहीं होता है।

(1) सामान्य वर्तमान काल : सामान्य वर्तमान काल उसे कहते हैं जिसमें क्रिया के होने का बोध होता है। सामान्य वर्तमान काल में कर्ता के लिए ‘ने’ विभक्ति नहीं लगती। क्रिया कर्ता के लिंग-वचन के अनुसार होती है। यदि क्रिया के अंत में ता / ती / ते + है / हैं / हो / हूँ लगा हो तो वह वाक्य सामान्य वर्तमान काल का होता है।
जैसे –

  • मोनिका विद्यालय जाती है।
  • मैं चलता हूँ।
  • तुम बहुत सोते हो।
  • बच्चे खेलते हैं।

कभी-कभी है / हैं / हो / हूँ अपने आप में क्रिया होते हैं जो सामान्य वर्तमान काल में होते हैं। जैसे –

  • वह मेधावी छात्र है।
  • वे राजनीतिज्ञ हैं।
  • तुम बहुत शरारती हो।
  • मैं मूर्ख नहीं हूँ।

(2) अपूर्ण वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से इस बात का बोध होता है कि कार्य वर्तमान में जारी है या हो रहा है वह अपूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं। जब क्रिया के साथ रहा / रही / रहे + है / हैं / हो / हूँ लगा हो तो वह वाक्य अपूर्ण वर्तमान काल का कहलाता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

जैसे –

  • भीड़ जमा हो रही है।
  • लोग मतदान कर रहे हैं।
  • माँ खाना पका रही है।
  • मैं शहर जा रहा हूँ।
  • तुम किसे डाँट रहे हो?

(3) पूर्ण वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में कार्य के पूर्ण होने का ज्ञान होता है वह वाक्य पूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं।
प्राय: सामान्य भूतकाल के वाक्य में आगे है / हैं / हो / हूँ लगाकर पूर्ण वर्तमान काल बनाते हैं। क्रिया के साथ चुका / चुकी / चुके या / यी / ये / + है / हैं / हो / हूँ लगाकर भी पूर्ण वर्तमान काल बनाते हैं।

जैसे –

  • यह गीत लताजी ने गाया है।
  • माँ तीर्थ यात्रा पर गई है।
  • महात्मा गाँधी जी असहयोग आंदोलन का मार्ग सिखा गए हैं।
  • मैं सबकुछ जान चुका हूँ।
  • तुम कहाँ से आए हो?
  • अब सबकुछ खत्म हो चुका है।
  • सभी सदस्य खाना खा चुके हैं।

(4) सामान्य भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने का बोध होता है वह सामान्य भूतकाल कहलाता है। इसमें प्राय: क्रिया का भूतकालिक रूप लगता है। लिंग, वचन के अनुसार क्रिया के मूल रूप में आ / ए / ई / ईं जोड़ने से सामान्य भूतकाल के रूप बनते हैं। जैसे – खाया, पढ़ा, सोया, विचारा, सोए, गाए, निकले, पूछे, नाची, चढ़ी, पाई, सोची आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदाहरणार्थ :

  • रमा कार्यालय गई।
  • बच्चे परीक्षा देने गए।
  • इतने प्रयास पर भी बात नहीं बनी।

विशेष: कभी-कभी था / थी / थे भी जब क्रिया का रूप लेते हैं तो वाक्य सामान्य भूतकाल में होता है।

  • रानी लक्ष्मीबाई बहुत महान थीं।
  • वह एक शरारती छात्र था।
  • जनक जी सीता के पिता थे।

(5) अपूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य भूतकाल में हो रहा था तो वह वाक्य अपूर्ण भूतकाल कहलाता है। इसमें प्राय: क्रिया के साथ रहा / रही / रहे + था / थी / थे लगाकर अपूर्ण भूतकाल बनाते हैं।
जैसे –

  • आजादी की लड़ाई चल रही थी।
  • सारे खिलाड़ी अच्छा खेल रहे थे।.
  • अरुण परीक्षा की तैयारी कर रहा था।

विशेष : यदि क्रिया के अंत में ता / ती / ते के साथ था / थी / थे लगा हो तो वाक्य अपूर्ण भूतकाल में होता है।
जैसे –

  • वह हमेशा पढता था।
  • उसे सबकी सेवा करनी पड़ती थी।
  • वे जंगल में घूमते थे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(6) पूर्ण भूतकाल : जिस वाक्य में क्रिया के बीते हुए समय में पूर्ण होने का आभास हो वह पूर्ण भूतकाल कहलाता है। सामान्य भूतकाल के आगे था / थी / थे लगाकर पूर्ण भूतकाल बनाते हैं। कभी-कभी क्रिया के साथ चुका / चुकी / चुके + या / ई / ए / या / + था / थी / थे लगाकर भी पूर्ण भूतकाल बनाते हैं।
जैसे –

  • मोहन पर्वतारोहण के लिए गया था।
  • माँ ने कई बार बेटे को समझाया था।
  • सारे छात्रों ने कहानी लिखी थी।
  • रमा खाना बना चुकी थी।
  • देव देश के लिए कई बार जेल जा चुका था।
  • पुलिस के जवान मोर्चे पर डॅट चुके थे।

(7) सामान्य भविष्यत्काल : इसमें क्रिया के भविष्य में होने का ज्ञान होता है। क्रिया के अंत में गा / गी / गे जोड़कर सामान्य भविष्यत काल बनाते हैं।
जैसे –

  • माँ तीर्थ यात्रा पर जाएगी।
  • वह खेल प्रतियोगिता में भाग लेगा।
  • इस खबर से सभी चौकन्ने हो जाएँगे।

विशेष : भविष्य में क्रिया की केवल सामान्य, संभाव्य तथा हेतु भविष्यत् अवस्थाएँ होती हैं। इसमें अपूर्ण और पूर्ण की बात नहीं होती है।

प्रश्न 1.
कोष्ठक की सूचना के अनुसार निम्न वाक्यों का काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठते हैं।

(2) दुकानदार ने रद्दी तौलकर किनारे रखी। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
दुकानदार रद्दी तौलकर किनारे रख रहा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(3) वे मुझे योगा के फायदे समझाते हैं। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
उन्होंने मुझे योगा के फायदे समझाए हैं।

(4) मैं मनोरंजन के लिए टी. वी. ऑन करता हूँ। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
मैंने मनोरंजन के लिए टी.वी. ऑन किया।

(5) चिल्ला-चिल्लाकर स्पीकर पर सूचना दी गई। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
चिल्ला-चिल्लाकर स्पीकर पर सूचना दी जा रही थी।

(6) वे सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को प्रमुखता देते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को प्रमुखता दी थी।

(7) वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में वे वास करेंगे।

(8) तुमने यह कैसे जाना कि कोई वन है। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
तुम यह कैसे जानते हो कि कोई वन है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(9) मछुवी रानी बनकर महल में घूम रही है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
मछुवी रानी बनकर महल में घूम रही थी।

(10) मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह गईं। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
मल्लिका देखेगी तो आँखें फटी रह जाएँगी।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धीकरण

वाक्य में लिंग, वचन, कारक तथा मानकवर्तनी की गलतियाँ सही करने हेतु यह प्रश्न पूछा जाता है। वाक्य में गलतियाँ ढूँढ़कर उन्हें सही करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अन्य गलतियाँ न करते हुए शुद्ध वाक्य ही लिखना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :

(1) घर पकवान के खुशबू में तरबतर था।
उत्तर :
घर पकवान की खुशबू से तरबतर था।

(2) बबन के आँखों में खुशी के आँसू छलक आएँ।
उत्तर :
बबन की आँखों में खुशी के आँसू छलक आए

(3) बबलू की नजर उन किताबों पे थी जो रद्दी में बेचा जा रहा था।
उत्तर :
बबलू की नजर उन किताबों पर थी जो रद्दी में बेची जा रही थी

(4) वह ने जगह बताकर मेरा हस्ताक्षर करवा लिया।
उत्तर :
उसने जगह बताकर मेरे हस्ताक्षर करवा लिए

(5) एक लम्बी कतार ने मेरा ध्यान आकर्शित कर लिया।
उत्तर :
एक लंबी कतार ने मेरा ध्यान आकर्षित कर लिया।

(6) व्यस्तता का यह आलम है कि आदमी सड़क पे चलते चलते फोन कर रहा है।
उत्तर :
व्यस्तता का यह आलम है कि आदमी सड़क पर चलते-चलते फोन कर रहा है।

(7) प्रेमचंद किसी अक धारा या वाद से बँध कर नहीं चले।
उत्तर :
प्रेमचंद किसी एक धारा या वाद में बँधकर नहीं चले।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(8) उनका मूल उद्देश समाज के क्रमिक विकास का दर्शन कराना है।
उत्तर :
उनका मूल उद्देश्य समाज के क्रमिक विकास के दर्शन कराना है।

(9) वह भयावने वन को तो मैं ने भी नहीं देखी।
उत्तर :
उस भयावने वन को तो मैंने भी नहीं देखा

(10) गुस्से से कही ग्यान हासिल होता है?
उत्तर :
गुस्से में कहीं ज्ञान हासिल होता है?

(11) दो नए पत्तों का जोड़ी आसमान के तरफ मुस्कराती हुई देख रही थी।
उत्तर :
दो नए पत्तों की जोड़ी आसमान की तरफ मुस्कराती हुई देख रही थी।

(12) तुम रोज उसी एक घाट पे क्यों जाता है?
उत्तर :
तुम रोज उसी एक घाट पर क्यों जाते हो?

(13) इच्चाओं की क्या कुछ सीमा है?
उत्तर :
इच्छाओं की क्या कोई सीमा है?

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(14) वह ने मछुवे को यह क्यों नहीं कहा।
उत्तर :
उसने मछुवे से यह क्यों नहीं कहा।

(15) वेणी प्रसाद भी उसी को जा मिला और स्कूल घर में ही उठवा लाए।
उत्तर :
वेणी प्रसाद भी उसी से जा मिला और स्कूल घर पर ही उठवा लाए।

(16) उन्होंने नारी के उध्दार के लिए अपना स्वर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।
उत्तर :
उन्होंने नारी के उद्धार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

(17) आज भी बच्चों को र्सिफ पाणी पिला कर सुलाना पड़ेगा।
उत्तर :
आज भी बच्चों को सिर्फ पानी पिलाकर सुलाना पड़ेगा।

(18) रेगिस्थान में बर्फ पड़ रहा है।
उत्तर :
रेगिस्तान में बर्फ पड़ रही है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(19) आप तो ठीक-ठाक काम-धंदेवाले लगते हो।
उत्तर :
आप तो ठीक-ठाक काम-धंधे वाले लगते हैं।

(20) हिन्दी में निपुणता प्राप्त व्यक्ति सफल हो सकती है।
उत्तर :
हिंदी में निपुणता प्राप्त व्यक्ति सफल हो सकता है।

(21) इंग्रजी से हिंदी अनुवादक की माँग तेजी से बडी।
उत्तर :
अंग्रेजी से हिंदी अनुवादक की माँग तेजी से बढ़ी

(22) कुछ महत्त्वपूर्ण घटना की जानकारी देने के लिए पर्लेख तैयार किए जाते हैं।
उत्तर :
कोई महत्त्वपूर्ण घटना की जानकारी देने के लिए प्रलेख तैयार किया जाता है।

(23) आज विश्वीकरण के युग में समाचार का बहोत महत्व है।
उत्तर :
आज वैश्वीकरण के युग में समाचार का बहुत महत्त्व है।

(24) मुद्रित शोधण के कई विशिष्ट संकेत होते हैं।
उत्तर :
मुद्रित शोधन के कुछ विशिष्ट संकेत होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(25) यह ध्यान रखे की घोड़दौड़ में खुदका घोड़ा सब के आगे रहे।
उत्तर :
यह ध्यान रखे कि घुडदौड़ में खुद का घोड़ा सबसे आगे रहे।

(26) इस क्शेत्र में रोजगार का विपुल औसर उपलब्द है।
उत्तर :
इस क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसर उपलब्ध हैं।

(27) कम्प्यूटर को तो ज्ञान के श्रोत के रूप में देख रहे हैं।
उत्तर :
कंप्यूटर को तो ज्ञान के स्त्रोत के रूप में देख रहे हैं।

(28) भारत में इंटरनेट का कार्य और महत्त्व निरन्तर वढ़ रहे हैं।
उत्तर :
भारत में इंटरनेट का कार्य और महत्त्व निरंतर बढ़ रहा है।

(29) जवाब में आपको एक ई-मेल आती है जिसमें एक ‘लिंक’ दिया जाता है।
उत्तर :
जवाब में आपको एक ई-मेल आता है जिसमें एक ‘लिंक’ दी जाती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

(30) उज्वल भविष्य के लिए सव को ई-अद्ययन का उपयोग करना चाहिए।
उत्तर :
उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी को ई-अध्ययन का उपयोग करना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार) Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

अलंकार का अर्थ है – आभूषण, गहने, सजावट आदि। सुंदर वस्त्र, आभूषण जैसे मानव शरीर की शोभा बढ़ाते हैं वैसे ही काव्य में अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं। शब्द और अर्थ के माध्यम से अलंकार कविता का आकर्षण बढ़ाते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

अलंकार के भेद : अलंकार के मुख्य भेद तीन हैं।

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार

शब्दालंकार : जहाँ पर काव्य के सौंदर्य में शब्दों के माध्यम से वृद्धि होती है वहाँ शब्दालंकार होता है।
शब्दालंकार के भेद : शब्दालंकार के चार भेद हैं।

  1. अनुप्रास
  2. यमक
  3. श्लेष
  4. वक्रोक्ति

1. अनप्रास : जहाँ काव्य में किसी वर्ण की या अनेक वर्षों की दो या दो से अधिक बार आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदा. :
लाली मेरे लाल की जित देखो तित लाल।
लाली देखन मैं चली मैं भी हो गई लाल।।

– कबीर

मुदित महापति मंदिर आए।
सेवक सचिव सुमंत्रु बोलाए।।

– तुलसीदास

विमल वाणी ने वीणा ली
कमल कोमल कर में सप्रीत।

– जयशंकर प्रसाद

रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम।

– लक्ष्मणाचार्य

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2. यमक : काव्य में किसी शब्द की आवृत्ति हो और हर बार उस शब्द का अर्थ भिन्न हो वहाँ यमक अलंकार होता है। काव्य का सौंदर्य बढ़ाने हेतु यहाँ शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है।
उदा. :
तो पर बारों उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी, हवै उरबसी समान।। – बिहारी

  • उरबसी = अप्सरा
  • उर्वशी उरबसी = हृदय में बसी हुई।

माला फेरत जग मुआ, गया न मन का फेर।
कर का मनका डारि के, मन का मनका फेर।। – कबीर

  • मन का = हृदय से
  • मनका = माला का मोती।

काली घटा का घमंड घटा, नभ मंडल तारक वृंद बुझे

  • घटा = बादलों का समूह,
  • घटा = कम हुआ।

जगती जगती की मूक प्यास
रूपसि, तेरा घन केश पाश। – महादेवी वर्मा

  • जगती = जाग जाती है।
  • जगती = जगत या संसार

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3. श्लेष : श्लेष का शाब्दिक अर्थ है – मिलना अथवा चिपकना। जहाँ अनेकार्थक शब्दों के प्रयोग से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। अर्थात एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं।

उदा. :
मधुबन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ – हरिवंशराय बच्चन

  • कलियाँ = फूल की कलियाँ
  • कलियाँ = यौवन से पहले की अवस्था

चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को ढूँढ़त फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।। – केशवदास

  • सुवरन = अच्छा वर्ण (शब्द) (कवि के लिए)
  • सुबरन = सुंदर रंग (व्यभिचारी के लिए)
  • सुबरन = स्वर्ण (चोर के लिए)

रो-रोकर, सिसक-सिखककर कहता मैं करूण कहानी
तुम सुमन नोचते, सुनते करते जानी अनजानी।

  • सुमन = सुंदर मन
  • सुमन = फूल

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इसको भी पंक्ति को दे दो – अज्ञेय

  • स्नेह = तैल
  • स्नेह = प्रेम

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण अलंकार (शब्दालंकार)

4. वक्रोक्ति : वक्रोक्ति शब्द वक्र + उक्ति से बना है जिसका सहज अर्थ है टेढ़ा कथन। वक्ता के कथन का श्रोता द्वारा अभिप्रेत आशय से भिन्न अर्थ लगाया जाता है। वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदा. :
‘एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है?
कहाँ अपर कैसा? वह उड़ गया सपर है।’

यहाँ अपर का अर्थ दूसरा कबूतर के संबंध में पूछा गया था पर जवाब में अपर का अर्थ बिना पंख वाला लिया गया है।

पर्वतजा ! पशुपाल कहाँ है?
कमला ! जमुना तट ले धेनु।

पार्वती और लक्ष्मी में हास-परिहास हो रहा है। लक्ष्मी जी ने पूछा पशुपाल (पशुओं के स्वामी – शिव) कहाँ है? पार्वती जी ने परिहास करते हुए कहा यमुना नदी के तट पर गायों को चराने गए हैं (विष्णु जी का कृष्णावतार)

आने को मधुमास, न आएँगे प्रियतम !
आने को मधुमास, न आएँगे प्रियतम?

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यहाँ प्रथम पंक्ति में प्रियतम के न आने की बात कही है तो द्वितीय पंक्ति में प्रश्नचिह्न लगाकर प्रियतम के अवश्य आने की (कैसे नहीं आएंगे, अवश्य आएँगे) बात कही है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना वृत्तांत लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना वृत्तांत लेखन

वृत्तांत लेखन : किसी भी सभा, बैठक, कार्यक्रम आदि को लिखित रूप में प्रस्तुत करना ही वृत्तांत लेखन है।

  • वृत्तांत संक्षिप्त होना चाहिए और क्रमबद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • वृत्तांत लेखन में उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम (मैं, हम) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • वृत्तांत में घटना, समय, स्थान आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
  • यह सत्य घटना पर आधारित लेखन होता है।

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1. हिंदी दिवस का वृत्तांत लिखिए।

एक शानदार हिंदी दिवम

15 सितंबर मुंबई : स्वामी विवेकानंद ज्युनियर कॉलेज आफॅ आर्ट्स एंड कॉमर्स के सभागार में दोपहर तीन बजे प्रधानाचार्य महोदय की अध्यक्षता में एक शानदार कार्यक्रम संपन्न हुआ। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. किशोर सिंह ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी तथा बारहवीं कक्षा की छात्रा शिवानी और रुही में हिंदी की आज की स्थिति पर अपने विचार रखे। ग्यारहवी कक्षा के छात्रों ने राष्ट्रभक्ति पर गीत प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर दोहों की प्रतियोगिता रखी गई जिसकी वजह से कार्यक्रम में जान आ गई थी। रमा राणे इस प्रतियोगिता में विजयी हुई जिसे पाँच सौ रुपए का पुरस्कार और सर्टीफिकेट प्रदान किया गया।

प्रधानाचार्य ने इस कार्यक्रम में घोषणा की, कि इस वर्ष हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले ग्यारहवीं तथा बारहवीं के छात्र को एक हजार रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सभी उपस्थित लोगों को अध्यक्ष महोदय ने धन्यवाद दिया और सभा विसर्जित हुई।

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

2. महाविद्यालय में आयोजित वृक्षारोपण समारोह का वृत्तांत लिखीए।

अध्यापक और छात्रों द्वारा वृक्षारोपण

17 जुलाई, दिल्ली: आज 16 जुलाई को विकास महाविद्यालय हरिनगर, दिल्ली के महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण समारोह अत्यंत हर्षोल्लास एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा निदेशक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्हें पुष्पगुच्छ एवं एक पौधा देकर स्वागत किया गया।

इसके पश्चात छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में, ‘नंगी धरती करे पुकार, वृक्ष लगाकर करो शृंगार’ गीत का समूहगान प्रस्तुत किया। अतिथि महोदय ने अपने भाषण में वृक्षों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयं एक पौधा लगाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

फिर प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य तथा अध्यापकों ने वृक्षारोपण किया। छात्रों ने भी वृक्षारोपण करते हुए उनके देखभाल की जिम्मेदारी ली। पौधों के चारों ओर जाली लगाकर इनकी सिंचाई का प्रबंध किया गया ताकि पौधे फलें- फूलें और वृक्ष बन सकें। अंत में छात्रों में मिठाई वितरण करते हुए इस समारोह का समापन किया गया।

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(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

3. समता विद्यालय में पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

पुणे, 12 फरवरी: कल 11 फरवरी, को समता विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता मशहूर अभिनेता शेखर सेन ने की थी।

ईश – स्तवन और गणेश वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ। पाँचवी कक्षा के छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात विद्यालय के निरीक्षक श्री. अशोक कर्वे ने अध्यक्ष महोदय का परिचय और विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया।

अध्यक्ष महोदय के करकमलों से आदर्श विद्यार्थी, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, अभिनेता, नर्तक, गायक आदि पुरस्कार दिए गए। शालांत परीक्षा में विशेष योग्यता दिखलाने वाले मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष महोदय ने अपने मार्गदर्शन पर भाषण में विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की। तत्पश्चात विद्यालय की ज्येष्ठ शिक्षिका श्रीमती चौधरी जी ने धन्यवाद यापन किया और राष्ट्रगीत के साथ समारोह का समापन हुआ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन 1

नासिक, 7 फरवरी : विवेक महाविद्यालय के प्रांगण में बारहवीं कक्षा के छात्रों का बिदाई समारोह 6 फरवरी को संपन्न हुआ। अपने महाविद्यालय से विदा लेते समय विद्यार्थियों की आँखें छलक आईं। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ने की।

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ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने बिदाई समारोह के आयोजन में अहं भूमिका निभाई। ठीक तीन बजे छात्र और शिक्षक प्रांगण में उपस्थित हुए थे। महाविद्यालय को रंगीन कागजों से सजाया गया था। एक छोटा सा वृक्ष का चित्र दीवार पर बना था और छात्र उस पर अपनी भावनाओं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बारहवीं कक्षा के छात्रों ने अपने महाविद्यालय की यादें बताते हुए अपने शिक्षिकों का आभार प्रकट किया।

प्रधानाचार्य और वर्गशिक्षकों तथा ज्येष्ठ शिक्षकों ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन पर दो शब्द कहे। ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने नृत्य एवं नाटिका प्रस्तुत कर सबका मनोरंजन किया। प्रधानाचार्य के करकमलों द्वारा आदर्श छात्र एवं छात्रा को पुरस्कृत किया गया। उसके बाद अल्पाहार दिया गया। छात्र अपने प्रिय शिक्षकों के साथ तस्वीरें लेते हुए देखे गए। बड़ा ही भावपूर्ण प्रसंग था यह, जो शाम सात बजे खत्म हुआ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

रस का शाब्दिक अर्थ है – निचोड़। रस काव्य की आत्मा है। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहा जाता है। विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।

रस के चार अंग या अवयव हैं :

  1. स्थायी भाव
  2. विभाव
  3. अनुभाव
  4. संचारी भाव

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

स्थायी भाव : स्थायी भाव का तात्पर्य है प्रधान भाव। जो भावना स्थिर और सार्वभौम होती है उसे स्थायी भाव कहते हैं। स्थायीं भाव से ही रस का जन्म होता है। स्थायी भाव 11 माने गए हैं और रसों की संख्या भी 11 मानी जाती हैं। वे इस प्रकार हैं :

रसस्थायी भाव
1. शृंगाररति (प्रेम)
2. शांतनिर्वेद
3. करूणशोक
4. हास्यहास
5. वीरउत्साह
6. रौद्रक्रोध
7. भयानकभय
8. बीभत्सघृणा, जुगुप्सा
9. अद्भुतआश्चर्य
10. वात्सल्यममत्व
11. भक्तिअनुराग

विभाव : जो व्यक्ति, वस्तु अन्य व्यक्ति के हृदय में भाव जगाते हैं उन्हें विभाव कहते हैं। इनके आश्रय से ही रस प्रकट होते हैं। ये दो तरह के होते हैं – आलंबन विभाव तथा उद्दीपन विभाव। जिसका सहारा पाकर स्थायी भाव जगते हैं उसे आलंबन विभाव कहते हैं और जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होते हैं उन्हें उद्दीपन विभाव कहते हैं।

अनुभाव : वे गुण और क्रियाएँ जिनसे रस का बोध होता है अनुभाव कहलाते हैं। इनकी संख्या 8 मानी गई हैं – स्तंभ, स्वेद, रोमांच, स्वर भंग, कंप, विवर्णता (रंगहीनता), अश्रु, प्रलय। वाणी और अभिनय द्वारा इनसे अर्थ प्रकट होता है।

संचारी भाव : मन में संचरण करने वाले अर्थात आने-जाने वाले भावों को संचारी भाव कहते हैं। ये भाव पानी के बुलबुलों की तरह उठते और विलीन हो जाते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है। हर्ष, विषाद, भय, लज्जा, ग्लानी, चिंता, शंका, मोह, गर्व, उत्सुकता, उग्रता, निद्रा, स्वप्न, आलस्य, मद, उन्माद आदि।

वात्सल्य रस : जब काव्य में अपनों से छोटों के प्रति स्नेह या ममत्व का भाव अभिव्यक्त होता है, वहाँ वात्सल्य रस का निर्माण होता है। माता का पुत्र के प्रति स्नेह, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम, भाई का भाई के प्रति या बहन का भाई के प्रति स्नेह आदि की परिपुष्टि होकर वात्सल्य रस का निर्माण होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

वात्सल्य रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : ममत्व, वत्सलता।
  • अवलंबन : पुत्र, शिशु, शिष्य आदि।
  • उद्दीपन : बाल लीलाएँ, बाल हठ आदि।
  • अनुभाव : बालक को गोद में लेना, थपथपाना, सिर पर हाथ फेरना आदि।

संचारी भाव : हर्ष, गर्व, मोह, चिंता, आवेश आदि।
उदा. :
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।
मोसो कहत मोल को लीन्हों तू जसुमति कब जायो।।

– सूरदास

मधुरता मय था मृदु बोलना।
अमृत सिंचित सी मुस्कान थी।
समद थी जनमानस मोहती।
कमल लोचन की कमनीयता।।

– अयोध्यासिह उपाध्याय ‘हरिऔध’

वीर रस : किसी पद में वर्णित प्रसंग हमारे हृदय में ओज, उमंग, उत्साह का भाव उत्पन्न करते हैं, तब वीर रस का निर्माण होता है। ये भाव शत्रुओं के प्रति विद्रोह, अधर्म, अत्याचार का विनाश असहायों को कष्ट से मुक्ति दिलाने में व्यंजित होते हैं।

वीर रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : उत्साह।
  • अवलंबन : अत्याचारी शत्रु।
  • उद्दीपन : शत्रु का पराक्रम, शत्रु का अहंकार, रणभेरी, यश की इच्छा आदि।
  • अनुभाव : गर्वपूर्ण उक्ति, प्रहार, रोमांच आदि।
  • संचारी भाव : आवेग, उग्रता, गर्व, चपलता आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदा. :
आजादी की राह चले तुम,
सुख से मुख को मोड़ चले तुम,
“नहीं रहूँ परतंत्र किसी का’
तेरा घोष अति प्रखर है
राजा तेरा नाम अमर है।

– डॉ. जयंत निर्वाण

बुझी राख मत हमें समझना, अंगारों के गोले हैं।
देश आन पर मिटने वाले, हम बारूदी शोले हैं।

– सुरेंद्रनाथ सिंह

करूण रस : किसी प्रियजन या इष्ट के कष्ट, शोक, दुख, मृत्युजनित प्रसंग के कारण अथवा किसी प्रकार की अनिष्ट आशंका के कारण हृदय में पीड़ा या क्षोभ का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ करूण रस की अभिव्यंजना होती है।

करूण रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : शोक।
  • आलंबन : विनष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु आदि।
  • उद्दीपन : आलंबन का दाहकर्म, इष्ट के गुण तथा उससे संबंधित वस्तुओं का वर्णन आदि।
  • अनुभाव : भूमि पर गिरना, नि:श्वास, छाती पीटना, रूदन, प्रलाप, मूर्छा, कंप आदि।
  • संचारी भाव : निर्वेद, मोह, व्याधि, ग्लानि, स्मृति श्रम, विषाद, जड़ता, दैन्य, उन्माद आदि।

उदा. :
हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक,
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

– अज्ञात

मरते कोमल वत्स यहाँ
बचती न जवानी परदेशी!
माया के मोहक वन की
क्या कहूँ कहानी परदेशी?

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

हास्य रस : जब काव्य में किसी की विचित्र वेशभूषा, अटपटी आकृति, क्रिया कलाप, रूप-रंग, वाणी एवं व्यवहार को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में हास्य का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ हास्य रस की निर्मिति होती है। स्वभावत: सबसे अधिक सुखात्मक रस है यह।

हास्य रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : हास
  • आलंबन : विकृत वेशभूषा, आकार एवं चेष्टाएँ
  • उद्दीपन : आलंबन की अनोखी आकृति, बातचीत, चेष्टाएँ आदि।
  • अनुभाव : आश्रय की मुस्कान, नेत्रों का मिचमिचाना, अट्टाहास आदि।
  • संचारी भाव : हर्ष, आलस्य, निद्रा, चपलता, कंपन, उत्सुकता

उदा. :
मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे,
मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान थे।
रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए
हर तरफ चूहे ही चूहे, देखकर घबरा गए।

– हुल्लड़ मुरादाबादी

सुबह से शाम तक पप्पू जप रहा भगवान का नाम।
खा रहा बार-बार बादाम, लगा रहा कोई बाम।।
घर वाले समझ गए कि आ गया है एग्जाम।
आ गया है एग्जाम अत: पप्पू का सिर है जाम।।

– सुरेंद्र रघुवंशी

भयानक रस : जब काव्य में भयानक वस्तुओं या दृश्यों के प्रत्यक्षीकरण के फल स्वरूप हृदय में भय का भाव उत्पन्न होता है, तब भयानक रस की अभिव्यंजना होती है। इसके अंतर्गत कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता आदि भाव उत्पन्न होते हैं।

भयानक रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : भय
  • आलंबन : भयंकर पशु, स्थान, वस्तु के दर्शन आदि।
  • उद्दीपन : भयानक वस्तु का स्वर, भयंकर स्वर, ध्वनि, चेष्टाएँ, डरावना पन आदि।
  • अनुभाव : कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता होना, रोमांच, मूर्छा, पलायन, रूदन आदि।
  • संचारी भाव : दैन्य, सभ्रम, चिंता, सम्मोह आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदा. :
चिंग्घाड भगा भय से हाथी,
लेकर अंकुश पिलावन गिरा।
झटका लग गया, फटी झालर
हौदा गिर गया, निशान गिरा।।

– अज्ञात

आगे पहाड़ को पा धारा रूकी हुई है।
बल-पुंज केसरी की ग्रीवा झुकी हुई है।
अग्निस्फुलिंग रज का बुझ ढेर हो रहा है।
है रो रही जवानी, अंधेर हो रहा है।

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest अपठित काव्यांश Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi अपठित काव्यांश

1. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग निरत नित रहते हैं,

शूलों का मूल नशाने को,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 2

पद्यांश- सच है विपत्ति जब ……………………………………………… पर्वत के जाते पाँव उखड़। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र.111)

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) विपत्ति में ऐसा साहस नहीं
(ii) वीर पुरुष के ताल ठोकने का परिणाम –
उत्तरः
(i) विपत्ति में ऐसा साहस नहीं – वीर पुरुष की राह में अवरोध बनकर खड़ रहने का
(ii) वीर पुरुष के ताल ठोकने का परिणाम – पर्वत का घमंड चकनाचूर हो जाता है

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश राष्ट्रकवि ‘दिनकर’जी की कविता ‘सच्चा वीर’ से लिया गया है। इस पद्यांश में कवि ने सच्चे वीर के लक्षण बताए हैं।

विपत्ति केवल डरपोक व्यक्ति को ही भयभीत करती है। कायर विपत्ति से डरकर अपने पाँव मार्ग से पीछे खींच लेता है। लेकिन वीर पुरुष विपत्ति के सामने डटे रहते हैं। संकट में ही वीर पुरुष के धैर्य की परीक्षा होती है। बड़ा से बड़ा संकट आने पर भी वीर पुरुष घबराते नहीं।

वे अपना धैर्य और संयम बनाए रखते हैं। वे आने वाली विघ्न – बाधाओं के सामने चट्टान की तरह अडिग खड़े रहते हैं। वीर पुरुष विकट परिस्थितियों में भी संकटों से संघर्ष करते हैं और उनसे बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ निकालते हैं। वे संकटों पर विजय हासिल करके ही दम लेते हैं।

वीर पुरुष संकटों से कभी प्रभावित नहीं होते। वे संकटों में न तो कभी ऊफ करते हैं और न ही संकटों के सामने कभी झुकते हैं। मंजिल की राह में आने वाली विघ्न – बाधाओं को जड़ से समाप्त कर उन पर विजय पाने के लिए वे निरंतर प्रयत्न करते रहते हैं।

संसार में ऐसी कोई भी बाधा नहीं है, जो वीर पुरुष की राह में अवरोध बनकर खड़ी होने का साहस कर सके। वीर पुरुष जब ताल ठोंककर साहस से आगे बढ़ते हैं, तो उनके सामने पर्वत भी नहीं ठहर पाते। वे पर्वत के घमंड को चकना चूर कर आगे बढ़ते हैं।

2. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर देखी
पकी-सुनहली फसलों की मुसकाने

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

– बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी भर सुन पाया
ध्यान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान

– बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर सूंघे
मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताज़े-टटके फूल

– बहुत दिनों के बाद

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 4

(ii) पद्यांश में आया फूल का नाम –
उत्तरः
पद्यांश में आया फूल का नाम – मौलसिरी

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

पद्यांश: बहुत दिनों के बाद ………………………………….. ताज़े-टटके फूल। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 115)

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) फसलों की विशेषता –
(ii) फूलों की विशेषता –
उत्तर:
(i) फसलों की विशेषता – पकी-सुनहली
(ii) फूलों की विशेषता – ढेर सारे और ताज़े-टटके

प्रश्न 3.
पद्यांश में वर्णित प्राकृतिक सुषमा का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन की कविता ‘बहुत दिनों के बाद’ कविता से लिया गया है। कवि बहुत दिनों के बाद अपने गाँव लौटा। गाँव की प्राकृतिक सुषमा देखकर कवि का मन झूम उठा। कवि ने गाँव के खेतों में पकी-सुनहली फसलें देखी। गाँव की किशोरियाँ धान कूट रही थीं।

उनके कंठ से निकले मधुर गीत कोकिल के मधुर तान की तरह प्रतीत हो रहे थे। इन मधुर गीतों को सुनकर वह संतुष्ट हो गए। कवि ने अनुभव किया कि शहरी बनावटी जीवन की अपेक्षा प्राकृतिक सुषमा से युक्त इस ग्रामीण जीवन की सादगी कितनी सुकून देती है। गाँव के मौलसिरी के ताजे-ताजे सुगंधित फूलों के ढेर देखकर वह प्रफुल्लित हुआ।

इस प्रकार गाँव में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी हुई थी जो कवि को तृप्ति और आनंद प्रदान कर रही थी।

3. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
ध्येय न हो, पर है मग आगे,
बस धरता चल तू पग आगे,
बैठ न चलने वालों के दल में तू आज तमाशा बनकर!

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
मानव का इतिहास रहेगा
कहीं, पुकार-पुकार कहेगा –
निश्चय था गिर मर जाएगा चलता किंतु रहा जीवन भर!

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
जीवित भी तू आज मरा-सा
पर मेरी तो यह अभिलाषा
चितानिकट भी पहुँच सकूँ अपने पैरों-पैरों चलकर!

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 6

पद्यांशः तू क्यों बैठ गया ………………………………… अपने पैरों-पैरों चलकर! (पाठ्पुस्तक पृष्ठ क्र. 118)

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) कवि द्वारा मनुष्य को पूछा गया सवाल –
(ii) कवि की अभिलाषा –
उत्तरः
(i) कवि द्वारा मनुष्य को पूछा गया सवाल – ‘तू क्यों बैठ गया है पथ पर’
(ii) कवि की अभिलाषा – ‘चलते-चलते अपनी चितानिकट पहुँचने की’

प्रश्न 3.
पद्यांश का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘तू क्यों बैठ गया है पथ पर’ कविता में कवि ने जीवन-पथ पर चलते – चलते हताश और निराश हो बैठ जाने वालों से कहा है कि जीवन में सतत् क्रियाशील बने रहना आवश्यक है। लक्ष्य से विमुख होकर कायरों की तरह निष्क्रिय बैठे रहना अनुचित है। ऐसे व्यक्ति जीवित रहते मृतक के समान हैं।

समाज में उपहास के पात्र बने ऐसे लोग निरर्थक जीवन जीते हैं। इसके विपरीत उत्साही व्यक्ति दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादे के साथ निरंतर आगे बढ़ता है और अपना लक्ष्य प्राप्त करता है। उसे न तो मृत्यु का भय होता है, न ही पथ से गिरने की चिंता।

ऐसे शूरवीर और साहसी का गुणगान इतिहास भी करता है। वे सदा के लिए इतिहास में अमर हो जाते हैं। उनके आदर्श हमेशा जीवित रहते हैं। आने वाली पीढ़ी उनका अनुसरण करती है।

इस तरह प्रस्तुत कविता के द्वारा कवि ने मनुष्य को हताशा और निराशा त्यागकर लक्ष्य के प्रति आस्थावान बने रहने और जीवन पथ की चुनौतियों से संघर्ष करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

4. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

हो-हो भैया पानी दो,
पानी दो गड़धानी दो;
जलती है धरती पानी दो
मरती है धरती पानी दो

हो मेरे भैया..!!

अंकुर फूटे रेत में
सोना उपजे खेत में,
बैल पियासा, भूखी है गैया,
नीचे न अंगना में सोन-चिरैया,
फसल-बुवैया की उठे मुडैया,
मिट्टी को चूनर धानी दो

हो मेरे भैया…!!

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 7
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 8

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) पानी बरसने का धरती पर परिणाम –
(ii) पानी बरसने पर मिट्टी को मिलेगी –
उत्तर:
(i) पानी बरसने का धरती पर परिणाम – तपती धरती को राहत मिलेगी, फसलें उगेंगी।
(ii) पानी बरसने पर मिट्टी को मिलेगी – धानी चूनर

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश, गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ जी की कविता ‘पानी दो’ से लिया गया है। कवि बादल भैया से पानी की माँग कर रहे है।

नीरज जी बादल भैया से कह रहे हैं, ‘हे बादल भैया, तुम धरती पर जल बरसाओ, धरतीवासियों को गुड़धानी दो। पानी के अभाव में सबकुछ सूना है। तुम जल बरसाकर तपती धरती और सूखती वनस्पतियों को जीवनदान दो। तुम्हारे जल बरसाने से रेत में अंकुर फूटेंगे, खेतों में हरियाली छा जाएगी।

खेतों में फसलें लहलहा उठेगी। हे बादल भैया, पानी के बिना किसान का बैल प्यासा है और गाय भूखी है। किसान का आँगन सूना हो चुका है। अब उसमें सोन-चिरैया फुदकने नहीं आती। हे बादल, जल बरसाओ, जिससे किसान के घर में खुशहाली आए। उसकी टूटी-फूटी मडैया पर छाजन पड़ सके। हे बादल, पानी बरसाकर तुम धरती को हरी-भरी कर दो, मिट्टी को हरी चुनरिया पहना दो।

5. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख,
घर अँधेरा देख तू, आकाश के तारे न देख!

एक दरिया है यहाँ पर, दूर तक फैला हुआ,
आज अपने बाजुओं को देख, पतवारें न देख।

अब यकीनन ठोस है धरती, हकीक़त की तरह,
यह हकीकत देख, लेकिन खौफ़ के मारे न देख।

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए –
कवि ने देखने के लिए कहा है – कवि ने न देखने के लिए कहा है
(1) ………………………………. – (1) ……………………………….
(2) ………………………………. – (2) ……………………………….
(3) ………………………………. – (3) ……………………………….
उत्तरः
कवि ने देखने के लिए कहा है। – कवि ने न देखने के लिए कहा है
(1) घर के अँधेरे को – (1) आकाश के तारे
(2) अपनी बाजुओं को – (2) सड़कों पर लिखे नारे
(3) हकीकत को – (3) पतवार

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प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) आकाश के तारे’ देखने से कवि का तात्पर्य –
(ii) धरती के बारे में कवि की राय –
उत्तरः
(i) ‘आकाश के तारे’ देखने से कवि का तात्पर्य है सच्चाई से दूर भागना।
(ii) धरती के बारे में कवि की राय है कि धरती ठोस है।

प्रश्न 3.
पद्यांश द्वारा मिलने वाली प्रेरणा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि दुष्यंत कुमार जी की लिखी गजल ‘दीवारें न देख’ से लिया गया है। कवि मनुष्य के जीवन की हताशा, निराशा को समाप्त कर उसे एक नई दृष्टि देना चाहता है। आम तौर पर मनुष्य का झुकाव चमक-दमक की ओर अधिक होता है। उसमें जीवन के यथार्थ से टकराने की हिम्मत नहीं होती।

अपने घर के अँधेरे को वह नजरअंदाज कर देता है। स्वयं को शक्तिहीन मानकर अपनी जीवन नौका पतवार के भरोसे छोड़ देता है।

कवि कहते हैं इस जीवन रूपी समुंदर में मुसीबतों के तूफान तो आते रहते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी बाजुओं के बल पर, स्वयं पर भरोसा रखकर जीवन सागर को पार करें। मनुष्य अपनी बाजुओं को देखें और पतवार की बैसाखी के सहारे चलना छोड़ दे।

जीवन का यथार्थ धरती की तरह ठोस है। इस वास्तविकता से जुड़े रहकर ही जीवन – संग्राम लड़ा जा सकता है। जीवन की सच्चाई को जानते हुए खौफ में क्यों जीए मनुष्य? उसे एक योद्धा की तरह यथार्थ से लड़कर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा कवि ने दी है।