Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो जॉकी

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो संहिता

रेडियो श्राव्य माध्यम है। इसलिए श्राव्य माध्यम के अनुकूल संहिता होती है। इसमें शब्दों के साथ ध्वनि संकेत, ठहराव, मौन, अंतराल आदि के संकेत भी होने चाहिए। गीत– संगीत के बीच में चलनेवाली आर.जे. की बातचीत कम शब्दों में रोचक, चटपटी और मिठास भरी होनी चाहिए।

भाषा प्रवाहमयी हो। शब्द सरल हों। संहिता लयात्मकता के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहायक होनी चाहिए। रेडियो संहिता के तीन हिस्से होते हैं। आरंभ, मध्य और अंत। आरंभ जितना आकर्षक, उतना ही अंत भी आकर्षक होना चाहिए। मध्य में विषयवस्तु कार्यक्रम की लंबाई पर निर्भर है।

हिंदी में रेडियो चैनल के लिए जो संहिता होती है, वह बहुत ही सधी हुई होती है। रेडियो की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है – कार्यक्रमों की प्रस्तुति, संयोजन और भाषा का नयापन। संहिता की भाषा गतिशील और अनौपचारिक होनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

कुछ चैनलों पर जिस हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है वह ‘प्रोमो’ हिंदी है। ‘प्रोमो’। अर्थात ‘पोस्ट मॉडर्न’ – उत्तर आधुनिक हिंदी। इस हिंदी भाषा में चुलबुलापन, मसखरापन, मस्ती और लय होती है। इसकी अपनी एक अलग पहचान है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २० : पाठ – भक्ति महिमा – संत दादू दयाल

जो माया–मोह का रस पीते रहे, उनका मक्खन–सा हृदय सूखकर पत्थर हो गया किंतु जिन्होंने भक्ति रस का पान किया, उनका पत्थर हृदय गलकर मक्खन हो गया। उनका हृदय प्रेम से भर गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

अहंकारी व्यक्ति से प्रभु दूर रहता है। जो व्यक्ति प्रभुमय हो जाता है, फिर उसमें अहंकार नहीं होता। मनुष्य का हृदय एक ऐसा सँकरा महल है, जिसमें प्रभु और अहंकार दोनों साथ–साथ नहीं रह सकते। अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

दादू मगन होकर प्रभु का कीर्तन कर रहे हैं। उनकी वाणी ऐसे मुखरित हो रही है जैसे ताल बज रहा हो। यह मन प्रेमोन्माद में नाच रहा है। दादू के सम्मुख दीन–दुखियों पर विशेष कृपा करने वाला प्रभु खड़ा है।

जिन लोगों ने भक्ति के सहारे भवसागर पार कर लिया, उन सभी की एक ही बात है कि भक्ति का संबल लेकर ही सागर को पार किया जा सकता है। सभी संतजन भी यही बात कहते हैं। अन्य मार्गदर्शक, जीवन के उद्धार के लिए जो दूसरे अनेक मार्ग बताते हैं, वे भ्रम में डालने वाले हैं। प्रभु स्मरण के सिवा अन्य सभी मार्ग दुर्गम हैं।

प्रेम की पाती (पत्री) कोई विरला ही पढ़ पाता है। वही पढ़ पाता है, जिसका हृदय प्रेम से भरा हुआ है। यदि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम भाव नहीं है तो वेद–पुराण की पुस्तकें पढ़ने से क्या लाभ ?

कितने ही लोगों ने वेद–पुराणों का गहन अध्ययन किया और उसकी व्याख्या करने में लिख–लिखकर कागज काले कर दिए लेकिन उन्हें जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला। वे भटकते ही रहे, जिसने प्रिय प्रभु का एक अक्षर पढ़ लिया, वह सुजान–पंडित हो गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

मेरा अहंकार – “मैं’ ही मेरा शत्रु निकला, जिसने मुझे मार डाला, जिसने मुझे पराजित कर दिया। मेरा अहंकार ही मुझे मारने वाला निकला, दूसरा कोई और नहीं।

अब मैं स्वयं इस ‘मैं’ (अहंकार) को मारने जा रहा हूँ। इसके मरते ही मैं मरजीवा हो जाऊँगा। मरा हुआ था फिर से जी उठूगा। एक विजेता बन जाऊँगा।

हे सृष्टिकर्ता ! जिनकी रक्षा तू करता है, वे संसार सागर से पार हो जाते हैं।

और जिनका तू हाथ छोड़ देता है, वे भवसागर में डूब जाते हैं। तेरी कृपा सज्जनों पर ही होती है।

रे नासमझ ! तू क्यों किसी को दुख देता है। प्रभु तो सभी के भीतर हैं। क्यों तू अपने स्वामी का अपमान करता है? सब की आत्मा एक है। आत्मा ही परमात्मा है। परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं।

इस संसार में केवल ऐसे दो रत्न हैं, जो अनमोल हैं। एक है सबका स्वामी–प्रभु। दूसरा स्वामी का संकीर्तन करने वाला संतजन, जो जीवन और जगत को सुंदर बनाता है।

इन दो रत्नों का न कोई मोल है, न कोई तोल ! न इनका मूल्यांकन हो सकता है, न इन्हें खरीदा जा सकता है, न तौला जा सकता है।

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २४ : पाठ – बाल लीला – संत सूरदास

1. यशोदा अपने पुत्र को चुप करने के लिए बार–बार समझाती है। वह कहती है – “चंदा आओ ! तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। यह मधु मेवा, पकवान, मिठाई स्वयं खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा। (मेरा लाल) तुम्हें हाथ में रखकर खेलेगा; तुम्हें जरा भी भूमि पर नहीं बिठाएगा।”

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

यशोदा हाथ में पानी का बर्तन उठाकर कहती है – “चंद्रमा ! तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और उसे दिखाने लगी – ‘बेटा देखो ! मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ।’ अब सूरदास के प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कुराते हुए उस पात्र में बार–बार दोनों हाथ डालने लगे।

2. हे श्याम ! उठो, कलेवा (नाश्ता) कर लो। मैं मनमोहन के मुख को देख–देखकर जीती हूँ। हे लाल ! मैं तुम्हारे लिए छुहारा, दाख, खोपरा, खीरा, केला, आम, ईख का रस, शीरा, मधुर श्रीफल और चिरौंजी लाई हूँ। अमरूद, चिउरा, लाल खुबानी, घेवर–फेनी और सादी पूड़ी खोवा के साथ खाओ।

मैं बलिहारी जाऊँ। गुझिया, लड्डू बनाकर और दही लाई हूँ। तुम्हें पूड़ी और अचार बहुत प्रिय हैं। इसके बाद पान बनाकर खिलाऊँगी। सूरदास कहते हैं कि मुझे पानखिलाई मिले।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अंकुर जमाना – प्रारंभ करना।
  • अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना।
  • आँच न आने देना – संकट न आने देना।
  • आँखों में सैलाब उमड़ना – फूट–फूटकर रोना।
  • आँखें फटी रहना – आश्चर्यचकित रह जाना।
  • आईने में मुँह देखना – अपनी योग्यता जाँचना।
  • आसमान के तारे तोड़ना – असंभव कार्य करना।
  • ईंट का जवाब पत्थर से देना – कड़ा जवाब देना
  • उधेड़ बुन में लगना – सोच–विचार करना।
  • एक आँख से देखना – समान रूप से देखना।
  • एक और एक ग्यारह होना – एकता में बल होना।
  • कदम बढ़ाना – प्रगति करना।
  • कमर कसना – प्रगति करना।
  • कमर सीधी करना – आराम करना, सुस्ताना।
  • कलई खुलना – भेद प्रकट होना।
  • कान देना – ध्यान से सुनना।
  • किस्मत खुलना – भाग्य चमकना।
  • गले का हार होना – अत्यंत प्रिय होना।
  • गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कहना।
  • घी के दीये जलाना – खुशी मनाना।
  • चिकना घड़ा होना – निर्लज्ज होना।
  • चुटकी लेना – व्यंग्य करना।
  • जबान देना – वचन देना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • झंडे गाड़ना – पूर्ण रूप से प्रभाव जमाना।
  • डंका पीटना – प्रचार करना।
  • तितर–बितर होना – बिखर जाना।
  • हजारों दीप जल उठना – आनंदित हो उठना।
  • रुपये दाँत से पकड़ना – कंजूसी करना।
  • दूध का दूध, पानी का पानी करना – इनसाफ करना, न्याय करना।
  • नाम कमाना – यश प्राप्त करना।
  • पाँचों उंगलियाँ घी में होना – हर तरफ से लाभ होना।
  • फूला न समाना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • बीड़ा उठाना – किसी काम को करने की ठान लेना।
  • बाँछे खिलना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • मरजीवा होना – कठोर साधना से लक्ष्य तक पहुँचने वाला होना।
  • मल्हार गाना – आनंद मनाना।
  • राई का पहाड़ बनाना – बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना।
  • सफेद झूठ बोलना – पूरी तरह से झूठ बोलना।
  • सिर खपाना – ऐसे काम में समय लगाना जिसमें कोई लाभ नहीं।
  • सिर पर सेहरा बाँधना – अधिक यश प्राप्त करना।
  • सोना उगलना – बहुत अधिक लाभ होना।
  • सौ बात की एक बात – असली बात, निचोड़।
  • हाथ–पैर मारना – बहुत प्रयत्न करना।
  • हौसला बुलंद होना – उत्साह बना रहना।
  • श्रीगणेश करना – कार्य आरंभ करना।
  • दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना।
  • अंधे की लाठी होना – निराधार का सहारा बनना।
  • आग से खेलना – मुसीबत मोल लेना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • इतिश्री होना – समाप्त होना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • उड़ती चिड़िया पहचानना – तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना।
  • हथेली पर सरसों जमाना – कठिन कार्य करना।
  • कंचन बरसना – धन–दौलत से परिपूर्ण होना।
  • कानों कान खबर न होना – बिल्कुल पता न चलना।
  • गाल बजाना – अपनी प्रशंसा आप करना।
  • घड़ों पानी पड़ना – बहुत लज्जित होना।
  • चिकनी–चुपड़ी बातें करना – चापलूसी करना, मीठी-मीठी बातें बोलना।
  • छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
  • तूती बोलना – प्रभाव होना।
  • दो टूक जवाब देना – स्पष्ट बोलना।
  • नुक्ताचीनी करना – आलोचना करना।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

11th Hindi Digest Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्यार्थी जीवन में ई-अध्ययन का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज तक विद्यार्थी केवल हाथ में पुस्तक लेकर ही ज्ञान प्राप्त कर सकते थे परंतु ई-अध्ययन शिक्षा-क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव ला सकता है। आज इंटरनेट पर कई सारी वेबसाइट्स से ज्ञान के दरवाजे खुले हैं। एक बटन दबाते ही ज्ञान का भंडार छात्र के सामने बैठे-बिठाए प्रस्तुत हो जाता है।

कंप्यूटर विद्यार्थी के लिए ज्ञान का स्त्रोत है जिसके सहारे पढ़ाई हो सकती है। दृक्-श्राव्य माध्यम से उसकी पढ़ाई रोचक बन जाती है। मनोरंजन और ज्ञान का सुंदर समन्वय ई-अध्ययन में होता है।

आज का युग प्रतियोगिता का युग है। विद्यार्थियों को कई सारी प्रतियोगिताएँ, परीक्षा की तैयारियाँ करनी होती हैं और इनके लिए ई-अध्ययन एक वरदान है। हर विषय का ज्ञान, सामान्य ज्ञान, खेल-कूद, संगीत, राजनीति आदि की जानकारी भी छात्र ई-अध्ययन द्वारा प्राप्त कर स्वयं को अद्यतन रख सकता है।

समय, श्रम और अर्थिक बचत भी बड़े पैमाने पर होती है। ज्ञान के साथ-साथ करियर का अवसर भी प्राप्त हो सकता है। सचमुच ई-अध्ययन का विद्यार्थी जीवन में बड़ा महत्त्व है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

प्रश्न 2.
ई-ग्रंथालय की जानकारी लिखिए।
उत्तर :
आज इंटरनेट पर ई-ग्रंथालय वेबसाइट उपलब्ध है। यह ग्रंथालय शुल्क सहित तथा नि:शुल्क दोनों तरीके से उपलब्ध है। ऐसे ग्रंथालयों में ई-पुस्तकें, ई-वीडियो, वार्तापट आदि द्वारा ज्ञान उपलब्ध होता है। यह सुविधा हर दिन, हर समय उपलब्ध होती है यानि समय का बंधन नहीं होता।

सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ केवल हमारे देश के लेखकों का ही साहित्य नहीं तो विदेशी लेखकों के साहित्य को पढ़ने का लाभ उठा सकते हैं।

आज कई सारे प्रकाशक पुस्तक बनते ही वेबसाइट पर ई-पुस्तक द्वारा उपलब्ध करवाते हैं। ई-पुस्तक वापस लौटाने की जरूरत नहीं होती। पुस्तक को संभालकर रखने, गुम हो जाने या फट जाने की संभावना भी नहीं होती है।

मनचाहे पुस्तक को अपने कंप्यूटर में, मोबाइल में या टैब में संकलित कर सुरक्षित रख सकते हैं।

प्रश्न 3.
‘आज के विद्यार्थी अध्ययन के लिए कंप्यूटर पर निर्भर हैं –
पाठ के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
वर्तमानकालीन विद्यार्थी मोबाइल, इंटरनेट आदि आधुनिक तकनीक के अधीन हो गए हैं। हर क्षेत्र में तंत्रज्ञान के माध्यम से क्रांति हुई है। सूचना एवं तकनीकी क्रांति से शिक्षा क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है। अध्ययन-अध्यापन में ई-अध्ययन ने नई दृष्टि प्रदान की है।

आज से पहले विद्यार्थी केवल हाथ में पुस्तक लेकर ज्ञान प्राप्त कर सकते थे, परंतु आज एक बटन दबाते ही ज्ञान का भंडार उसके सामने बैठे-बिठाए प्रस्तुत होता है। आज इंटरनेट की कई सारी वेबसाइट्स से ज्ञान के दरवाजे खुले हैं। कंप्यूटर हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है।

आज के विद्यार्थी इस ज्ञान देने वाले कंप्यूटर को ज्ञान के स्त्रोत के रूप में देख रहे हैं। उसके सहारे उनकी बहुत सारी पढ़ाई आसानी से हो जाती है।

कठिन से कठिन जानकारी कंप्यूटर द्वारा विद्यार्थी तक पहुंच रही है। परीक्षा की तैयारी करनी हो या प्रतियोगिता के लिए तैयार होना हो कंप्यूटर पर उपलब्ध ज्ञान विद्यार्थी के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।

समय, श्रम और धन की बड़े पैमाने पर बचत होना भी अन्य लाभ है जो विद्यार्थी बखूबी उठाते हैं इसीलिए अपने अध्ययन के लिए कंप्यूटर पर निर्भर होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

व्यावहारिक प्रयोग

प्रश्न 1.
अपने महाविद्यालय में मनाए गए हिंदी दिवस का वृत्तांत लेख समाचार पत्र के संपादक को मेल कीजिए।
उत्तर :
प्रति : ggnnbt@gmail.com
विषय : हिंदी दिवस वृत्तांत
श्री. संपादक (editor) महोदय, हमारे महाविद्यालय में मनाए गए हिंदी दिवस का वृत्तांत लेख समाचार पत्र में पब्लिश करने हेतु साथ में भेजा है। कृपया आवश्यक कार्रवाई करें और समाचार पत्र में पब्लिश करके हमें उपकृत (obliged) करें।

धन्यवाद !
भवदीय,
अनघा कुलकर्णी।
(विद्यार्थी प्रतिनिधि, युनिक महाविद्यालय, श्रीवर्धन।)
anghakulkarni2000@gmail.com

युनिक महाविद्यालय में हिंदी दिवस धूमधाम से संपन्न
‘हिंदी है जन-जन की भाषा,
हिंदी हमारे हृदय की भाषा,
हिंदी विश्व की सबसे बड़ी भाषा।’

युनिक महाविद्यालय के सभागार में हिंदी दिवस बड़े उत्साह के साथ प्रधानाचार्य श्री. शिवकुमार की अध्यक्षता में मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन 12वीं कक्षा की छात्रा शुभा ने किया। इस कार्यक्रम में हिंदी भाषा के महत्त्व पर अध्यापक तथा छात्रों ने अपने विचार प्रकट किए।

इस अवसर पर दोहों की प्रतियोगिता रखी गई थी जिसकी वजह से कार्यक्रम जोश और उल्लास से सराबोर हो गया। विजेता संघ को सर्टिफिकेट दिए गए। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य जी ने उन छात्रों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और हिंदी को देश को जोड़ने वाली कड़ी के रूप में गौरवान्वित किया।

उनका मानना है कि हिंदी राष्ट्र भाषा की गंगा से विश्व भाषा का महासागर बन रही है। हिंदी अति उदार, समझ में आने जैसी सरल, सहिष्णु (tolerant) है, साथ ही भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका भी है। प्राचार्य जी के इस उद्बोधन (message) पर तालियों की गूंज आसमान तक पहुँची।

अध्यापक वृंद, कर्मचारी वर्ग तथा विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया। इस दिन महाविद्यालय का कामकाज भी हिंदी भाषा में किया गया जिसके कारण महाविद्यालय ‘हिंदीमय’ बन गया था। (विद्यार्थी प्रतिनिधि द्वारा)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

प्रश्न 2.
पर्यावरण दिन’ पर प्रकल्प के लिए नेट से जानकारी प्राप्त करके उसका पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन नई दृष्टि 2

  • पर्यावरण परि + आवरण शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है आस-पास का वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का बड़ा गहरा नाता है। इसे स्वच्छ और सुंदर रखना हमारा कर्तव्य है।
  • हमारा कर्तव्य है कि हम वन, झील, नदी, वन्य जीव, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि का संरक्षण करें।
  • हम अपने आस-पास के वातावरण को जितना सहेजकर रखेंगे हमारा जीवन उतना ही उत्कृष्ट, आनंदमय एवं सुखमय होगा।
  • प्रकृति के विभिन्न अंग नदी, पर्वत, वृक्ष, जीव, प्राणी, भूमि आदि की पूजा हमारी प्राचीन परंपरा रही है।
  • पर्यावरण का अपमान बाढ़, भूकंप, त्सुनामी, अतिवृष्टि या सूखा जैसे अभिशापों को दावत देना है।
  • प्रदूषण के दुष्परिणाम, ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु बदलाव के खतरे लगातार दस्तक दे रहे हैं।
  • बेतहर कल के लिए पर्यावरण संरक्षण एक ही विकल्प है।
  • आओ वन-उपवन विकसित करें और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन नई दृष्टि 3Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन नई दृष्टि 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

ई-अध्ययन : नई दृष्टि Summary in Hindi

ई-अध्ययन : नई दृष्टि पाठ परिचय :

प्रस्तुत पाठ एक आलेख है। जिसमें ई-अध्ययन की संकल्पना, संसाधन, उसके प्रयोग की विधियाँ, प्रयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ आदि के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है। साथ ही भविष्य में ई-अध्ययन की आवश्यकता को भी स्पष्ट किया है।

आज ई-संसाधनों का उपयोग हर-जगह, हर क्षेत्र में हो रहा है। शिक्षा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। इंटरनेट, मोबाइल, टैब, कंप्यूटर आदि का प्रयोग कर विद्यार्थी ज्ञान अर्जित कर रहे हैं और स्मार्ट बन रहे हैं यही बात स्पष्ट करने की कोशिश पाठ में की गई है।

ई-अध्ययन : नई दृष्टि पाठ का सारांश :

हर चीज के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होते हैं। मोबाइल तथा आधुनिक तकनीक भी इससे अछूती नहीं है। विद्यार्थी को उसके सकारात्मक पहलू का सदुपयोग करके ज्ञानार्जन का लाभ उठाना चाहिए। एक बटन दबाते ही ज्ञान का भंडार उसके सामने प्रस्तुत हो जाता है।

आज इंटरनेट की कई सारी वेबसाइट्स से ज्ञान के दरवाजे खुले हैं।

‘कम समय में बहुत सारा काम’ यह कंप्यूटर की विशेषता है। विद्यार्थी को इसे ज्ञान के स्त्रोत के रूप में देखकर पढ़ाई के लिए उपयोग में लाना चाहिए।

इंटरनेट (अंतरजाल) एक ऐसी व्यवस्था है जो सारे संसार के सरकारी, निजी, व्यावसायिक संस्था, विश्वविद्यालय के लाखों कंप्यूटर को व्यक्तिगत कंप्यूटर से जोड़ती है। डाटा और सूचनाओं का आदान-प्रदान तुरंत करती है।

भारत में अनेक राज्य और अनेक भाषाएँ है इसीलिए इंटरनेट संचालन के लिए अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी तथा अन्य प्रादेशिक भाषाओं के सॉफ्टवेअर तैयार किए गए हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ के लिए वाकई में सुखद स्थिति है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

ई-लर्निंग तथा ई-अध्ययन में विद्यार्थी रुचि रखते हैं। दृक्-श्राव्य माध्यम से पढ़ाई रोचक बनती है। मनोरंजन और ज्ञान का सुंदर समन्वय देखने मिलता है। ई-बुक, ई-मैगजिन की सहायता से जहाँ चाहे, जब चाहे वहाँ पढ़ना संभव हो जाता है।

पुस्तक सँभालना नहीं पड़ता, फटने या गुम होने की संभावना नहीं रहती। ई-अध्ययन से शिक्षा की तरफ देखने की नई दृष्टि मिल गई है। आज ई-ग्रंथालय भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं जहाँ नि:शुल्क या शुल्क देकर देश-विदेश के लेखकों का साहित्य पढ़ा जा सकता है।

ई-ग्रंथालयों में ई-पुस्तकें, ई-वीडियो, वार्तापट आदि द्वारा ज्ञान उपलब्ध होता है।

आज का युग प्रतियोगिता का युग है और इसमें टिके रहने के लिए ई-अध्ययन एक वरदान है। हर विषय का ज्ञान, सामान्य ज्ञान, खेल-कूद पर्यावरण आदि की जानकारी ई-अध्ययन से हम ले सकते हैं। ऐसा एक भी क्षेत्र नहीं जिसकी जानकारी हमें ना मिलती हो।

कभी-कभी कुछ वेबसाइट में हमें अकाउंट खोलना पड़ता है और लॉग इन करके अध्ययन करना पड़ता है। ज्ञानमनोरंजन-करियर का त्रिवेणी संगम ई-अध्ययन है जो हमारा ज्ञान अद्यतन रखता है। समय, श्रम और आर्थिक बचत भी बड़े पैमाने पर होती है। बस निम्न सावधानियाँ हमें बरतनी चाहिए :

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन नई दृष्टि 1

ई-अध्ययन : नई दृष्टि शब्दार्थ :

  • तंत्रज्ञान = तकनिकी (technical knowledge),
  • अंतर जाल = (internet),
  • प्रतिष्ठान = संस्था (foundation),
  • दृक-श्राव्य = एक साथ देखा और सुना जा सकने वाला (audio-visual),
  • वार्तापट = बातचीत (chat),
  • विवरण = विस्तृत जानकारी (description),
  • पंजीकरण = शासन या सरकार द्वारा किया जाने वाला प्रमाणीकरण, मान्यीकरण (Registration),
  • अद्यतन = नवीनतम विचारों और मान्यताओं के अनुकूल (up to date),
  • प्रतियोगिता = होड़ (competition), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि
  • पर्यावरण = जैव मंडल, वातावरण (environment),
  • विवादास्पद = विवादग्रस्त (controversial),
  • प्रतिबंधित = जिसपर प्रतिबंध लगा हो (restricted),
  • संबोधन = पुकारना, बोध कराना (exhortation),
  • गौरवान्वित = सम्मानित, महिमायुक्त (glorified),
  • स्त्रोत = उद्गम स्थान, उत्पत्ति स्थान, आगार (source)

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest Bhag 5.4 व्याकरण काळ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

11th Marathi Digest Chapter 5.4 व्याकरण काळ Textbook Questions and Answers

कृती

1. खालील वाक्यांतील रीती काळाचा प्रकार ओळखा.

प्रश्न 1.
नजमा उत्तम कविता लिहीत असे. …………………………………………
उत्तर :
रीती भूतकाळ

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

प्रश्न 2.
मी लोकांना मदत करत राहीन. …………………………………………
उत्तर :
रीती भविष्यकाळ

प्रश्न 3.
अभिजित सतार उत्तम वाजवत असतो. …………………………………………
उत्तर :
रीती वर्तमानकाळ

प्रश्न 4.
शिक्षक जे सांगतात, ते विदयार्थी लक्षपूर्वक ऐकत असतात. …………………………………………
उत्तर :
रीती वर्तमानकाळ

प्रश्न 5.
एका गावात एक उत्तम चित्रकार राहत होता. …………………………………………
उत्तर :
रीती भूतकाळ

प्रश्न 6.
राहल प्रार्थनेला नेहमीच उशिरा येत असतो. …………………………………………
उत्तर :
रीती वर्तमानकाळ

प्रश्न 7.
माधवराव नेहमीच सुगम संगीत ऐकत असत. …………………………………………
उत्तर :
रीती वर्तमानकाळ

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

प्रश्न 8.
दादासाहेब दररोज फिरायला जात असतात. …………………………………………
उत्तर :
रीती वर्तमानकाळ

प्रश्न 9.
तो सदोदित आजारी पडत असतो. …………………………………………
उत्तर :
रीती वर्तमानकाळ

2. खालील वाक्यांतील काळ ओळखून त्यापुढे दिलेल्या कंसातील सूचनेनुसार वाक्यबदल करा.

प्रश्न 1.
मी तबला वाजवतो. (रीती भूतकाळ करा.)
उत्तर :
मी तबला वाजवत असे.

प्रश्न 2.
मुले खो-खो खेळत होती. (पूर्ण भूतकाळ करा.)
उत्तर :
मुले खो-खो खेळली होती.

प्रश्न 3.
रस्त्याच्या डाव्या बाजूने चालावे. (साधा वर्तमानकाळ करा.)
उत्तर :
रस्त्याच्या डाव्या बाजूने चल.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

प्रश्न 4.
तो विदयार्थी अडखळत वाचत असतो. (साधा भूतकाळ करा.)
उत्तर :
तो विदयार्थी अडखळत वाचत होता

प्रश्न 5.
वर्गातील विद्यार्थी लक्षपूर्वक ऐकत होते. (साधा भविष्यकाळ करा.)
उत्तर :
वर्गातील विदयार्थी लक्षपूर्वक ऐकतील / वर्गातील विदयार्थी लक्षपूर्वक ऐकत असतील.

11th Marathi Book Answers Chapter 5.4 व्याकरण काळ Additional Important Questions and Answers

1. खालील कृती सोडवा व काळाचे नाव लिहा. (कंसातील क्रियापदांचे योग्य रूप वापरा)

प्रश्न 1.
या वर्षी मी काश्मीर सहलीला ……………………………. (जाणे)
उत्तर :
या वर्षी मी काश्मीर सहलीला जाईन. [भविष्यकाळ]

प्रश्न 2.
काल झालेल्या निबंध स्पर्धेत मी उत्तम निबंध ……………………………. (लिहिणे)
उत्तर :
काल झालेल्या निबंध स्पर्धेत मी उत्तम निबंध लिहिला. [भूतकाळ]

प्रश्न 3.
हे बघ आनंद, उदया तू सहलीला असल्यामुळे लवकर ……………………………. (जाणे, उठणे)
उत्तर :
हे बघ आनंद, उदया तू सहलीला असल्यामुळे लवकर ऊठ. [वर्तमानकाळ]

प्रश्न 4.
परवा सुरेशने सुरेल गीत ……………………………. (गाणे)
उत्तर :
परवा सुरेशने सुरेल गीत गायले. [भूतकाळ]

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

प्रश्न 5.
काल बाळूने बागेतील आंबे शेजाऱ्यांना ……………………………. (देणे)
उत्तर :
काल बाळूने बागेतील आंबे शेजाऱ्यांना दिले. [भूतकाळ]

प्रश्न 6.
वकिलाने आरोपीला आपली बाजू मांडू ……………………………. (देणे)
उत्तर :
वकिलाने आरोपीला आपली बाजू मांडू दिली. [भूतकाळ]

प्रश्न 7.
भविष्यात मी कधीतरी विमानातून प्रवास ……………………………. (करणे)
उत्तर :
भविष्यात मी कधीतरी विमानातून प्रवास करेन. [भविष्यकाळ]

प्रश्न 8.
हसणे हा मनुष्यस्वभाव ……………………………. असणे.
उत्तर :
हसणे हा मनुष्यस्वभाव आहे. [वर्तमानकाळ]

प्रश्न 9.
काल रात्री सारखा विजांचा गडगडाट ……………………………. (होणे)
उत्तर :
काल रात्री सारखा विजांचा गडगडाट होता. [भूतकाळ]

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

प्रश्न 10.
उदया मी ही मालिका पुन्हा ……………………………. (बघणे)
उत्तर :
उदया मी ही मालिका पुन्हा बघेन. [भविष्यकाळ]

सरावासाठी कृती :

1. खालील वाक्यांतील काळ ओळखा.

प्रश्न 1.
(a) दहा वर्षांपूर्वी मी या शाळेत रुजू झाले.
(b) आणखी वर्षानंतर मामू या शाळेतून सेवानिवृत्त होणार!
(c) माझ्या हाती पुस्तक देताना त्यानं त्यावरून मायेनं हात फिरविला.
(d) या मंडळींनी गेल्या पंचवीस वर्षांत साऱ्या जगाचं एका ‘मॉल’ मध्ये रूपांतर केलं.
(e) या वयातही ठणठणीत प्रकृती आहे माझी.
उत्तर :
(a) भूतकाल
(b) भविष्यत्काल
(c) वर्तमानकाल
(d) भूतकाल
(e) वर्तमानकाल

2. कंसातील सूचनेनुसार वाक्यबदल करा.

प्रश्न 1.
ही शाळा सरकारी आहे. (रीती भविष्यकाळ करा)
उत्तर :
ही शाळा सरकारी असेल.

प्रश्न 2.
सोपानदेवांची आणि माझी वीस-बावीस वर्षांची मैत्री आहे. (पूर्ण भूतकाळ करा)
उत्तर :
सोपानदेवांची आणि माझी वीस-बावीस वर्षांची मैत्री होती.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

प्रश्न 3.
प्रास्ताविकानंतर कार्यक्रमाला सुरुवात झाली. (पूर्ण भविष्यकाळ करा)
उत्तर :
प्रास्ताविकानंतर कार्यक्रमाला सुरुवात होईल.

प्रश्न 4.
एक फळ मात्र मी रोज नेमानं खात असतो. (रीती भूतकाळ करा)
उत्तर :
एक फळ मात्र मी रोज नेमानं खात असे.

प्रश्न 5.
सभागृहात टाचणी पडेल अशी शांतता पसरली. (काळ ओळखा)
उत्तर :
वर्तमानकाळ

3. खालील वाक्यातील रीती काळाचा प्रकार ओळखा.

प्रश्न 1.
a. विदयार्थी मामूचा हात खेचून त्याला आग्रहाने चहाला नेतात.
b. टी.व्ही.ची गाडी रोजच्यासारखी चारला येणार होती.
c. उषा वहिनी नेहमीप्रमाणे पर्स घ्यायला आत जातील.
d. ही आजची भीषण स्थिती असे.
e. पुस्तकांचा अविट सुगंध मनाच्या गाभाऱ्यात दरवळत जाईल.
उत्तर :
a. रीती वर्तमानकाळ
b. रीती भूतकाळ
c. रीती भविष्यकाळ
d. रीती भूतकाळ
e. रीती भविष्यकाळ

काळ प्रास्ताविकः

वाक्याचा अर्थ पूर्ण करणाऱ्या क्रियावाचक शब्दास क्रियापद असे म्हणतात. उदा. विदयार्थ्यांनी नियमित अभ्यास करावा. यातील ‘करावा’ या शब्दातून अभ्यास करण्याची क्रिया दर्शविली जाते. वाक्यात दिलेल्या क्रियापदावरून जसा क्रियेचा बोध होतो. तसाच ती क्रिया कोणत्या वेळी घडत आहे याचा बोध होतो. क्रिया कोणत्या वेळी घडत आहे याचा जो बोध होतो त्यास काळ असे म्हणतात.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ

उदा.

  • माधुरी गीत गाते. (गाण्याची क्रिया सुरू आहे – आता घडत आहे)
  • माधुरीने गीत गाईले/गायले (गाण्याची क्रिया पूर्वी घडत आहे – पूर्वी कधी तरी)
  • माधुरी गीत गाईल. (गाण्याची क्रिया पुढे घडणार आहे – भविष्यात कधी तरी)

यावरून काळाचे तीन मुख्य प्रकार पडतात.

  • वर्तमानकाळ – (क्रिया आता घडली आहे.)
  • भूतकाळ – (क्रिया पूर्वी घडली आहे.)
  • भविष्यकाळ – (क्रिया पुढे कधी तरी घडेल)

काळ व काळाचे प्रकार :
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 काळ 1

‘वाचणे’ ही क्रिया काळाच्या सर्व प्रकारांत खालीलप्रमाणे दर्शविली जाते.

वर्तमानकाळ भूतकाळ भविष्यकाळ
साधा/सामान्य
उदा. मी पुस्तक वाचतो.
(क्रिया सुरू / घडत आहे.)
साधा/सामान्य
उदा. मी पुस्तक वाचले.
(क्रिया पूर्वी घडली आहे.)
साधा/सामान्य
उदा. मी पुस्तक वाचेन.
(क्रिया पुढे घडणार आहे.)
अपूर्ण
उदा. मी पुस्तक वाचत आहे.
(वाचन संपलेले नाही. क्रिया सुरू आहे, परंतु अपूर्ण आहे.)
अपूर्ण
उदा.
मी पुस्तक वाचत होतो.
अपूर्ण
उदा. मी पुस्तक वाचत असेन.
पूर्ण
उदा. मी पुस्तक वाचले आहे.
(पुस्तक वाचन पूर्ण झाले आहे.)
पूर्ण
उदा. मी पुस्तक वाचले होते.
पूर्ण
उदा. मी पुस्तक वाचले असेन.
रीती
उदा. मी पुस्तक वाचत असतो.
(पुस्तक वाचन क्रिया नेहमी घडत असते.)
रीती
उदा. मी पुस्तक वाचत असे.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ
रीती
उदा. मी पुस्तक वाचत जाईन.

लक्षात ठेवा :

  • वाक्यात क्रियापद एकटेच असेल तर तो साधा काळ असतो.
  • क्रिया सुरू आहे म्हणजेच संपलेली नाही तर अपूर्ण आहे हे समजते तो अपूर्ण काळ असतो.
  • क्रिया पूर्ण झाली याचा बोध होतो तेव्हा तो पूर्ण काळ असतो.
  • एखादी क्रिया नेहमी वा सतत घडत असेल तर तो रीती काळ असतो.

रीती काळ :

क्रियापदाच्या स्वरूपावरून त्या विशिष्ट क्रियेची रीत, पद्धत, सवय, वहिवाट समजते तेव्हा तो रीती काळ असतो.
उदा.

  • धावपटू धावण्याचा सतत सराव करत असतात. (रीती वर्तमानकाळ) (धावण्याच्या कृतीचा सराव – रीत)
  • माझ्या एकत्र कुटुंबात आजी उत्तम संस्कार करत असे. (रीती भूतकाळ) (आजीची उत्तम संस्काराची रीत)

हिरव्या पालेभाज्या आवश्यक असल्यामुळे सर्वच व्यक्ती रोजच्या आहारात त्या खात जातील. (रीती भविष्यकाळ) (हिरव्या पालेभाज्यांची आवश्यकता सर्वांना – खात जातील.)

रीती काळाची वैशिष्ट्ये :

वैशिष्ट्ये उदाहरण
1. रीती काळात सामान्यपणे संयुक्त क्रियापदांचा वापर असतो. 1. सुरेखा गीत गात असते. (वर्तमानकाळ) (नेहमी गीत गाण्याची सवय) गात असते संयुक्त क्रियापद
2. संयुक्त क्रियापदावरून क्रियेचे सतत चालणारे रूप समजते. क्रियेची पुनरावृत्ती दिसते. 2. तो वर्गात नेहमी बोलत असे. (भूतकाळ) (पूर्वी त्याला असणारी बोलण्याची सवय)
3. क्रियापदाच्या स्वरूपावरून सतत चालणारी क्रिया कोणत्या काळात घडत आहे हे समजते. Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.4 व्याकरण काळ 3. क्रीडांगणावर मुले खेळत असतील. (भविष्यकाळ) (मुलांची खेळण्याची सवय)
4. धातूला प्रत्यय लावून क्रियापद तयार होते. उदा. खात, बोलत, करत इ. 4. समीर पुस्तक वाचत असे. (भूतकाळ) (वाच पासून वाचत हे धातूसाधित रूप असे – क्रियावाचक शब्द वाचत असे संयुक्त क्रियापद

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण

11th Marathi Digest Chapter 5.2 व्याकरण काव्यगुण Textbook Questions and Answers

कृती

प्रश्न 1.
खालील तक् पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 9
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 4

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण

प्रश्न 2.
खालील उदाहरणांमधील काव्यगुण ओळखा
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 10
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 5

प्रश्न 3.
वाचा. चौकिती काव्गुण वलहा.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 11
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 7

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण

11th Marathi Book Answers Chapter 5.2 व्याकरण काव्यगुण Additional Important Questions and Answers

सरावासाठी कृती

प्रश्न 1.
खालील पदयपंक्तीतील काव्यगुण लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 8

काव्यगुण प्रास्ताविकः

मानवी जीवनात शब्दांचे, वाणीच्या व्यापाराचे महत्त्व अनन्यसाधारण आहे. मानवी मनात कोमलतेपासून कठोरतेपर्यंत अनेकविध भाव निर्माण करण्याचे सामर्थ्य शब्दांत असते.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण

प्रत्येक व्यक्तीत काही समान तर काही विशेष गुण असतात. व्यक्तीप्रमाणेच सर्जनशील लेखनात काही गुण असतात. अशा या गुणांमुळेच ती वाङमयीन रचना उठावदार व प्रभावी होण्यास मदत होते. प्रसाद, माधुर्य व ओज या काव्यगुणांमुळेच अभिव्यक्ती परिणामकारक होते. पदय असो वा गदय वाचकांच्या अंत:करणाला भिडण्याची शक्ती काव्यगुणांमध्ये असते. काव्यात्मक गुणांमुळे साहित्यभाषेला सौंदर्याचा एक अनोखा साज चढतो.

काव्यगुण:

अभिव्यक्तीस पोषक असे योजलेले शब्द असतील तर काव्याची शोभा वाढते. काव्यरचनेतील अनेक काव्यगुणांपैकी प्रसाद, माधुर्य व ओज हे तीन गुण महत्त्वाचे आहेत.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 1

काव्यगुणातील शब्दांची वैशिष्ट्ये:

  • सोपे, सुटसुटीत व उच्चारण्यास सहजसुलभ असे शब्द
  • शब्दांमधील नादमधुरता – कोमल व मृदु वर्णांच्या योजनेत ते शब्द कानाला मधुर, सुखद व नादमाधुर्यामुळे ते गुणागुणावसे वाटतात.
  • शब्दांमधील गेयता व त्या शब्दांच्या अर्थाचा आंतरिक गोडवा.
  • काव्यपंक्तीतून व्यक्त होणारा भाव.

काव्यगुण असणाऱ्या शब्दांमधून काव्याची शोभा वाढते. ती काव्यरचना श्रवणीय ठरते. रसिकांना त्या पंक्ती, विधाने सहजपणे मुखोद्गत होतात कवितेचे रसग्रहण करताना काव्यगुण सांगणे आवश्यक असते.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 व्याकरण काव्यगुण

काव्यगुण प्रकार व त्यांची वैशिष्ट्ये:
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 2
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 5.2 काव्यगुण 3

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

11th Marathi Digest Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं Textbook Questions and Answers

कृती

1. योग्य पर्याय निवडून वाक्ये पूर्ण करा.

प्रश्न अ.
शुक्राच्या तोऱ्यात म्हणजे –
1. शुक्रताऱ्याच्या तेजस्वी प्रकाशात.
2. शुक्रताऱ्याच्या आकाशी आगमनात.
3. शुक्रताऱ्याप्रमाणे उजळणाऱ्या कविमनात.
4. शुक्रताऱ्याच्या अहंकारीपणात.
उत्तर :
शुक्राच्या तोऱ्यात म्हणजे शुक्रताऱ्याप्रमाणे उजळणाऱ्या कविमनात.

प्रश्न आ.
हिरवे धागे म्हणजे –
1. हिरव्या रंगाचे सूत.
2. हिरव्या रंगाचे कापड.
3. हिरव्या रंगाचे गवत.
4. ताजा प्रेमभाव.
उत्तर :
हिरवे धागे म्हणजे ताजा प्रेमभाव.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

प्रश्न इ.
सांग धरावा कैसा पारा! म्हणजे –
1. पाऱ्यासारखा निसटणारा अनुभव.
2. हातातून निसटणारा पारा.
3. पाऱ्यासारखा चकाकणारा.
4. पाऱ्यासारखा पारदर्शक असलेला.
उत्तर :
सांग धरावा कैसा पारा! म्हणजे पाऱ्यासारखा निसटणारा अनुभव.

प्रश्न ई.
अभ्राच्या शोभेत एकदा म्हणजे –
1. आकाशात अल्पकाळ शोभून दिसणाऱ्या ढगांप्रमाणे.
2. काळ्या मेघांप्रमाणे.
3. आकाशात गरजणाऱ्या ढगांप्रमाणे.
4. आकाशात धावणाऱ्या ढगांप्रमाणे.
उत्तर :
अभ्राच्या शोभेत एकदा म्हणजे आकाशात अल्पकाळ शोभून दिसणाऱ्या ढगांप्रमाणे.

2. अ. प्रेयसीच्या दृष्टिभेटीनंतर प्रेयसीविषयी कवींच्या मनात निर्माण झालेले प्रश्न निवडा.

प्रश्न 1.
1. प्रेयसीचे नाव काय?
2. ती वळून पाहणे का विसरली असावी?
3. भूतकाळातील प्रेम विसरली असल्यास आता ओळख कशी दयावी?
4. ती कुठे राहते?
5. तिचे लक्ष नसताना तिचे सौंदर्य कोणता इशारा देत असावे?
6. तिने सुंदर वस्त्र परिधान केले आहे का?
7. तिचे डोळे कोणता इशारा देतात?
8. तळहाताच्या नाजूक रेषांवरून प्रेमाच्या भवितव्याचे भाकीत कोणी करावे?
उत्तर :
1. ती वळून पाहणे का विसरली असावी?
2. भूतकाळातील प्रेम विसरली असल्यास आता ओळख कशी दयावी?
3. तिचे लक्ष नसताना तिचे सौंदर्य कोणता इशारा देत असावे?
4. तिचे डोळे कोणता इशारा देतात?
5. तळहाताच्या नाजूक रेषांवरून प्रेमाच्या भवितव्याचे भाकीत कोणी करावे?

आ. खालील अर्थाच्या ओळी कवितेतून शोधा.

प्रश्न 1.
वर्तमानातील ताज्या आठवणीच जर विरून चालल्या असतील तर अनोळखी झालेल्या गतकाळातील प्रेमाची आता ओळख तरी कशी दयावी?
उत्तर :
अनोळख्याने ओळख कैशी
गतजन्मींची दयावी सांग
कोमल ओल्या आठवणींची
एथल्याच जर बुजली रांग!

प्रश्न 2.
तळहातावरील नाजूक रेषा तरी कुठे वाचता येतात? मग त्यावरून भविष्याकाळातील भेटीचे भाकीत तरी कसे करता येईल?
उत्तर :
तळहाताच्या नाजुक रेषा
कुणिं वाचाव्या, कुणी पुसाव्या;
तांबुस निर्मल नखांवरी अन्
शुभ्र चांदण्या कुणि गोंदाव्या

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

प्रश्न 3.
विरल, सुंदर अभे अरुणोदयाच्या प्रतीक्षेत असताना अशीच एकदा तू आलीस आणि जवळून जाताना आपल्या आठवणींचा गंध मनात पेरीत गेलीस.
उत्तर :
दवांत आलिस भल्या पहार्टी
अभ्रांच्या शोभेत एकदा;
जवळुनि गेलिस पेरित अपुल्या
मंद पावलांमधल्या गंधा

3. अ. सूचनेप्रमाणे सोडवा.

प्रश्न 1.
‘पहाटी’ हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तर :
कवीची प्रेयसी केव्हा आली?

2. एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

प्रश्न अ.
कवीची प्रेयसी केव्हा आली?
उत्तर :
कवीची प्रेयसी भल्या पहाटे आली.

प्रश्न आ.
डोळ्यांना कवीने दिलेली उपमा कोणती?
उत्तर :
डोळ्यांना कवीने डाळिंबांची उपमा दिली आहे.

प्रश्न इ.
कवीला प्रेयसीची जाणवलेली पावलं कशी आहेत?
उत्तर :
कवीला प्रेयसीची जाणवलेली पावलं तरल व मंद आहेत.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

प्रश्न ई.
प्रेयसीच्या आठवणीसाठी कवितेत आलेली दोन विशेषणे कोणती?
उत्तर :
प्रेयसीच्या आठवणीसाठी कवितेत ‘कोमल’ आणि ‘ओल्या’ अशी दोन विशेषणे आली आहेत.

प्रश्न उ.
‘अनोळख्याने’ हा शब्द कोणासाठी वापरला आहे?
उत्तर :
‘अनोळख्याने’ हा शब्द प्रियकर / कवीसाठी वापरला आहे.

आ. खालील चौकटी पूर्ण करा.

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं 1
उत्तर:

कवितेचा विषय कवितेची मध्यवर्ती कल्पना कवितेतील तुम्हाला आवडलेले शब्दसमूह कवितेतील छंद
प्रेम कविता प्रेयसीच्या आगमनाच्या भावरम्य आठवणी शुक्राच्या तोऱ्यांत, हिरवे धागे, शुभ्र चांदण्या, अभ्रांची शोभा, तळहाताच्या नाजूक रेषा मुक्त छंद

4. काव्यसौंदर्य :

प्रश्न अ.
‘डोळ्यांमधल्या डाळिंबांचा सांग धरावा कैसा पारा! ‘ या काव्यपंक्तीचा तुम्हांला समजलेला अर्थ स्पष्ट करा,
उत्तर :
प्रेयसीच्या मनातील स्नेहाची, प्रेमाची भावना कवीला आपल्या नजरेतून टिपता येतेय. तिच्या मनातील प्रेमसुलभ गुलाबी डाळिवी भावना तिच्या नजरेतूनही स्पष्ट दिसत आहेत. पण त्या भावना व्यक्त होत नाहीत, त्या केवळ डोळ्यातूनच जाणता येत आहेत. डाळिंबाचे दाणे जसे पारदर्शी असतात तसंच तिच्या मनातील भावनाही पारदर्शीपणे व्यक्त झाल्या आहेत, त्या प्रियकराला (कवीला) तिच्या डोळ्यांच्या पायाला पकडताही येत नाहीत. पारा जसा अस्थिर असतो तसंच तिच्या डोळ्यातील त्या प्रेमभावना कवीला पकडता येत नाही आहेत.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

प्रश्न आ.
‘जवळुनि गेलिस पेरित अपुल्या मंद पावलांमधल्या गंधा,’ या ओळीमधील भावसौंदर्य तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तर :
प्रेयसी पहाटेच्या प्रहराला कवीच्या मनात प्रकट झाली. तिचे लावण्य शुक्राच्या ताऱ्यासारखे होते. ती लावण्यवती असल्यामुळे तिच्याकडे साहजिकच कवीचे लक्ष गेले, तिच्यावर खिळून राहिले. तिच्या सौंदर्याचा वेध घेत घेत तिच्या डोळ्यांमधील भावही कवी जाणून घेतो. त्या डोळ्यांमधील उत्सुकता, अधीर भाव, ओढ कवी मनातच ठेवतो. ती येते ओळख घेऊन आणि जाताना अनोळखी असल्यासारखं भासवते. पण जाताना ती त्या दोघांच्या आत्मीयतेमध्ये एक मंद गंध पेरून जाते. तो गंध प्रेमाचा असावा.

5. अभिव्यक्ती:

प्रश्न 1.
प्रस्तुत प्रेमकवितेचे तुम्हाला जाणवलेले वेगळेपण स्पष्ट करा.
उत्तर :
बा.सी, मकर लिखित ‘दवांत आलिस भल्या पहार्टी’ या कवितेत प्रेयसीच्या आगमनाच्या आठवणीचे स्वप्नरंजक वर्णन आहे. पहाटेच्या प्रहराला अभ्रांच्या कोषातून जशी शुक्राची चांदणी बाहेर पडते. त्याप्रमाणे कवीच्याही मनी असलेली ती शुक्राची चांदणी आहे. या कवितेतील प्रेयसी प्रत्यक्षात साकार झालेली असेल वा नसेल पण तिची ओढ मात्र कवीला आहे. परिकथेतील राजकुमारा स्वप्नी माझ्या येशील का? या गीतासारखाच भाव या कवितेत आवळतो. तिची आणि त्याची भेट काल्पनिक असावी. ही काल्पनिक भेटही मात्र कवीच्या मनावर राहण्याजोगी आहे.

तिचे सौंदर्य न्याहाळताना कवी तिच्या नजरेतील भाव शोधतो पण तिने ओळख असूनही अनोळखी असल्यासारखे भासवले आहे. ही मनात साकार केलेल्या प्रेयसीबद्दलची भावना कवी प्रत्यक्षात कवितेतून प्रकट करतो. त्या शुक्राच्या चांदणीचे अस्तित्वच नाही पण ती स्वप्नपातळीवर दिसते. तिचे सौंदर्य लोभसवाणे आहे. तिच्या डोळ्यांमधील छटा पाऱ्यासारख्या आहेत. मुळातच न भेटलेल्या प्रेयसीबद्दलचे कल्पनामय चित्रण अनुभव आल्यासारखे कवीने दृश्य चित्रण उभे केले आहे. हेच या कवितेचे अनोखेपण आहे.

6. रसग्रहण.

प्रश्न 1.
‘दवांत आलिस भल्या पहाटी’ या कवितेचे रसग्रहण करा.
उत्तर :
‘दवांत आलिस भल्या पहाटी’ ही बा.सी. मर्डेकर यांची प्रेमाची भावना प्रकट करणारी कविता. पण हे प्रेम भासआभासाच्या रेषेवर असणारे आहे. बा.सी.मर्डेकर यांनी कवितेत नवीनता आणताना अनेक प्रयोग केले. कवितेचे शीर्षकच पाहता ते समजून येते. ‘पहाटे’ असं न म्हणता ‘पहाटी’ असा शब्द उपयोजून एक नवीन शब्द साहित्यात रूढ केला असे म्हणावे लागेल.

‘दवांत आलिस भल्या पहाटी’ या कवितेत एक स्नेहपूर्ण प्रेमभाव आला आहे. त्यातून पुरुषाच्या हळव्या मनातील तरल भावना प्रकट झाल्या आहेत. स्त्रीचे सौंदर्य घायाळ करणारे असते. त्या सौंदर्यावर अनेकांनी काव्ये लिहिलेली आहेत. बा.सी.मर्वेकर यांनी या कवितेत मांडलेली प्रेयसी ही दृश्यमान स्वरूपात वा अदृश्य स्वरूपातील असेल. तिची भेट हा त्याच्यासाठीचा अनमोल क्षण आहे. पण ही भेट प्रत्यक्षातील आहे असं नाही. ती आली तेव्हा अगदी पहाटेच्या प्रहरातील वेळ होती. आकाशात तारकांचे राज्य असलेले दिसत होते.

ती आली तेव्हा अगदी शुक्राच्या चांदणीसारखे तिचे रूप होते. इतर चांदण्यांपेक्षा तिचे रूप निश्चितच लक्षात राहण्याजोगे होते. तिला पाहताच त्याचे मन तिच्या लख्ख प्रकाशाने, सौंदर्याने उजळून गेले. तिच्या चालण्यातील दमदारपणा, तिची नजर यांमुळे कवीचे मन भारावन गेले. चालता चालता तिच्या पावलांच्या खणा कविमनावर अस्पष्टपणे उमलत गेल्या, त्या पेरता पेरता त्या पावलांमधील शोभा त्याच्या मनाने टिपली. तिच्या मनातील तरलता नजरेतूनही दिसत होती.

प्रेयसीच्या चालण्यातच तोरा असं म्हटल्यामुळे ती सौंदर्यवती असल्याचं स्पष्ट होतं, तिच्या मनातील प्रेमभाव कवीच्या मनात पेरताना त्याला जाणवलेली तरलता तो ‘पेरत गेलीस तरल पावलांमधली शोभा’ असे म्हणतो. जाता जाता पुढे जाऊन ती अडली आहे. जराशी हसली, तिने मागे वळून पाहिले पण तिनं नंतर त्याच्याकडे पाहिलेच नाही त्यामुळे कवीला प्रश्न पडला की ती त्याच्याकडे मागे वळून पहायला विसरली की काय? तिच्या आणि आपल्या नजरेतून प्रेमाचे जे हिरवे धागे गुंफिले होते. ते ती विसरून गेली का? अशा प्रश्नांनी त्याचे मन व्याकूळ झाले होते. या कडव्यात कवीने दोन ओळी नंतर एकाच शब्दाची एक ओळ घेऊन त्याच्या मनातील ओढ व्यक्त करण्याचा यत्न केला आहे. तसंच हिरवे धागे या शब्दातून नात्यातील हिरवेपणा स्पष्ट केला आहे. हिरवे हे विशेषण वापरून त्या नात्यातील कोवळीकता, ताजेपणा स्पष्ट केला आहे.

तिच्याकडे पाहताना तिच्यावरून दृष्टी हलत नव्हती. त्या दृष्टीची पिपासाच मनात वाढली. तिच्या नजरेतून मिळालेल्या इशाऱ्यावरून तिच्याजवळ ओळख वाढवण्याची उत्सुकता निर्माण झाली. तिच्या डोळ्यांमधील पारदर्शकता स्पष्ट खुणावत होती. तिच्या बुबुळांपर्यंत त्याची नजर थेट भिडली त्यामधून स्नेहाचा पारा हदयापर्यंत पोहोचत होता. या कडव्यात कवी प्रेयसीच्या डोळ्यातील प्रेमभावना खट्याळपणा दाखवताना त्याला डाळिंबाच्या दाण्यांची उपमा देतो. डाळिंबाचा रंग जसा बी असतो.

हा गुलाबी रंग तिच्या डोळ्यातही दिसतो. तिच्या नजरेतील प्रेमसूचकता पाऱ्यासारखी असल्यामुळे ती त्याला टिपता येत नाही आहे. तिच्याकडे पाहताना एकीकडे ती त्याच्याशी ओळख दाखवून न दाखवल्यासारखी वागते. कवीला वाटते की तिचं आणि आपलं नातं तर गतजन्मीचे आहे. त्या गतजन्मीचं नातं आता कसं बरं सांगू शकतो? कारण त्या नजरेतच ओळख अनोळखीचे भाव आहेत. तिच्याविषयी असलेल्या कोमल आठवणी-भावना याच बुजल्यासारख्या झाल्या आहेत.

आपल्या मनातील भावभावना स्पष्ट करताना कवी त्या आठवणींना कोमल ओल्या आठवणी म्हणतो. त्यातील ओलाया, जिव्हाळा हा कोमल ओल्या या शब्दातन प्रकट होतो. एथल्याच हा बोलीभाषेचा शब्द वापरून कवी आणखी एक नवा प्रयोग करू पाहतोय…कवीला वाटतं की तिचं आपल्यासोबत असणं, नसणं हे अगदी तळहातावरच्या नाजूक रेषेसारखं आहे, त्या ज्यांना वाचता आल्या ते ते आपल्या सोबत राहतात. ज्यांना वाचता आल्या नाहीत त्यांना ते समजणारच नाहीत. तिच्या नखांवर असलेला लाल, गुलाबी रंग हा तिच्या लज्जेमुळे आलेला असावा, प्रीतीच्या शुभ्र चांदण्या हातावर गोंदल्या गेल्या आहेत, ज्या पुसल्या जाणाऱ्या नाहीत.

प्रेयसीच्या मनातील नाजूक भाव अधोरेखित करताना तिच्या नखांवरही ते गुलाबी भाव उमटल्याचे स्पष्ट करतो. आकाशात तर चांदण्या असतातच पण तिच्या हातावरही त्या चांदण्यांचा स्पर्श झालेला आहे. असा भाव व्यक्त करताना शुभ्र चांदण्या (स्नेहाच्या) कुणी गोंदाव्या असे म्हणतो. त्यातून प्रियकराची तरल संवेदना प्रकट होते.

पहाटेच्या दांत भल्या पहाटे ती आली, ज्यामध्ये अभ्रांची शोभा पसरली होती. येताना तिने प्रीतीची दृष्टी आणली होती पण जाताना ती त्यांच्या दोघांमधील प्रीतीचा गंध ठेऊन गेली. प्रीतीची भाषा केवळ दोघांमधील असते. तिथे व्यवहाराची भाषा लागू पडत नाही. असा हा प्रेमभाव दोघांच्या मनातील ज्याची प्रत्यक्षानुभूती घेताच आली नाही.

जो अनुभव घेता आला नाही पण त्याची अनुभूती अप्रत्यक्ष स्वरूपात मिळाली ते प्रकट करताना कवी ती पहाटे आल्याचं म्हणतो. अभ्रांची शोभा ही सुद्धा नवीन कल्पना कवीने मांडलेली आहे. प्रेमाचा रंग, गंध असतो तो तरल संवेदनांच्या लोकांनाच जाणवतो. कवीला तो जाणवतो.’ ते व्यक्त करण्यासाठी कवी ‘मंद पावलांमधल्या गंधा’ असं म्हणतोय. त्या पावलांनांही गंध प्राप्त झाला, त्या वाटेला आणि मनातील प्रीतीलाही ‘गंध’ या शब्दाचे गंधा हे सामान्य रूप वापरून ‘एकदा’ या शब्दाशी लय साधण्याचा यत्न केलेला आढळतो.

विविध भाषिक प्रयोग करण्याचा कवी बा.सी.मर्डेकर यांचा हातखंडा या कवितेतही दिसून येतो.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

11th Marathi Book Answers Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं Additional Important Questions and Answers

आकलन कृती

खालील पठित पदव पंक्तीच्या आधारे सूचनेनुसार कृती करा

आकृती पूर्ण करा.

प्रश्न 1.
कवयित्री पेरित गेली. → [ ]
उत्तर :
कवयित्री पेरित गेली. → तरल पावलांमधील शोभा

खाली दिलेल्या शब्दाला कवितेत आलेले विशेषण लिहा.

प्रश्न 1.
धागे : [ ]
उत्तर :
हिरवे

उपयोजित कृती

खालील अर्थांसाठी कवितेते वापरलेले शब्दः

प्रश्न 1.
1. ध्येय –
2. तहान –
उत्तर :
1. लक्ष्य
2. पिपासा

प्रश्न 2.
सुंदरतेचा’ हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तर :
प्रेयसीने कसला इशारा दिला?

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

अभिव्यक्ती:

प्रश्न 1.
“वळुनि पाहणे विसरलीस का?
विसरलीस का हिरवे धागे ?” या काव्यपंक्तीतील भावसौंदर्य शब्दबद्ध करा.
उत्तर :
कवी बा.सी मेढेकर यांच्या ‘दवांत आलिस भल्या पहाटी’ ही कविता प्रेमानुभव व्यक्त करणारी कविता आहे. प्रियकराच्या मनात रेखलेली एखादी सुंदर स्त्री त्याने कवितेच्या माध्यमातून साकार केली आहे. चित्रकार जसं एखादया सुंदर स्त्रीचे चित्र रेखाटतो तसं कवीने शब्दांच्या माध्यमातून त्याची प्रेयसी रेखाटली आहे. ती आहे-नाही च्या सीमारेषेवर आहे. शुक्राच्या ताऱ्यासारखं तिचं लखलखीत सौंदर्य आहे. ती जाताना तिच्या तोऱ्यांनी प्रियकराचे काळीज वेधून घेते. जाता जाता ती हसते.

त्या हसण्यातूनच तिलाही प्रियकराला साद दयायचीय असा अर्थ सूचित होतो. पण पुन्हा तिचा नखरा, हावभाव बदलतात, ती त्याला दुर्लक्षून पुढेच जाते. तिच्या या वागणुकीवरून त्याचा गोंधळ होतो. त्यामुळे तो गोंधळून विचारतो की तू मागे वळून पहायचे विसरलीस की काय ? आपले एकमेकांशी जे सुंदर नात्याचे धागे जुळलेले आहेत ते कसे काय विसरून गेलीस. त्या धाग्यांना कवी हिरवे धागे म्हणतो. हिरवा रंग उत्तेजित करणारा, प्रेरित करणारा, सुंदरता जपणारा आनंद देणारा तसंच तुझ्या माझ्यातील हिरवं नातं आहे. या नात्याला सुंदर करण्यासाठी कवी आतुर आहे.

दवांत आलिस भल्या पहाटीं Summary in Marathi

प्रस्तावना:

विसाव्या शतकातील भारतीय साहित्यविश्वातील एक सिद्धहस्त कवी म्हणून बा.सी. मर्डेकर प्रसिद्ध आहेत. कवी, कादंबरीकार, समीक्षक, सौंदर्य मीमांसक, असलेल्या मर्नेकरांची कविता भावोत्कट तरीही चिंतनशील, मानवी जीवनातील अंतर्विरोधाच्या जाणिवेने निर्माण झालेली अस्वस्थता व्यक्त करणारी तसेच प्रयोगशील होती, त्यांचे ‘शिशिरागम’ ‘कांही कविता’, ‘आणखी काही कविता’ हे कवितासंग्रह ‘रात्रीचा दिवस’, ‘तांबडी माती’ व ‘पाणी’ या त्यांच्या कादंबऱ्या प्रसिद्ध आहेत, काव्यविषयक त्यांच्या प्रगल्भ जाणिवेने मराठी कवितेचे स्वरूप पूर्णतः पालटून टाकले, काव्यक्षेत्रात केशवसुतांनंतर मेढेकरांनी महत्त्वाचे परिवर्तन घडवून आणले.

कवितेचा आशय :

‘दवांत आलिस भल्या पहाटी’ या कवितेत एक स्नेहपूर्ण प्रेमभाव आला आहे. त्यातून पुरुषाच्या हळव्या मनातील तरल भावना प्रकट झाल्या आहेत. स्त्रीचे सौंदर्य घायाळ करणारे असते. त्या सौंदर्यावर अनेकांनी काव्ये लिहिलेली आहेत.

बा.सी.मर्वेकर यांनी या कवितेत मांडलेली प्रेयसी ही दृश्यमान स्वरूपात वा अदृश्य स्वरूपातील असेल, तिची भेट हा त्याच्यासाठीचा अनमोल क्षण आहे. पण ही भेट ही प्रत्यक्षातील आहे असं नाही. ती आली तेव्हा अगदी पहाटेच्या प्रहरातील वेळ होती. आकाशात तारकांचे राज्य असलेले दिसत होते. ती आली तेव्हा अगदी शुक्राच्या चांदणीसारखे तिचे रूप होते. इतर चांदण्यांपेक्षा तिचे रूप निश्चितच लक्षात राहण्याजोगे होते. तिला पाहताच त्याचे मन तिच्या लख्ख प्रकाशाने, सौंदयनि उजळून गेले. तिच्या चालण्यातील दमदारपणा, तिची नजर यांमुळे कवीचे मन भारावून गेले.

खुणा कविमनावर अस्पष्टपणे उमलत गेल्या. त्या पेरता पेरता त्या पावलांमधील शोभा त्याच्या मनाने टिपली. तिच्या मनातील तरलता नजरेतूनही दिसत होती. जाता जाता पुढे जाऊन ती अडली आहे. जराशी हसली, तिने मागे वळून पाहिले पण तिनं नंतर त्याच्याकडे पाहिलेच नाही त्यामुळे कवीला प्रश्न पडला की ती त्याच्याकडे मागे वळून पहायला विसरली की काय? तिच्या आणि आपल्या नजरेतून प्रेमाचे जे हिरवे धागे गुंफिले होते. ते ती विसरून गेली का? अशा प्रश्नांनी त्याचे मन व्याकूळ झाले होते.

तिच्याकडे पाहताना तिच्यावरून दृष्टी हलत नव्हती. त्या दृष्टीची पिपासाच मनात वाढली. तिच्या नजरेतून मिळालेल्या इशाऱ्यावरून तिच्याजवळ ओळख वाचवण्याची उत्सुकता निर्माण झाली. तिच्या डोळ्यांमधील पारदर्शकता स्पष्ट खुणावत होती. तिच्या बुबुळांपर्यंत त्याची नजर घेट भिडली त्यामधून स्नेहाचा पारा हृदयापर्यंत पोहोचत होता.

तिच्याकडे पाहताना एकीकडे ती त्याच्याशी ओळख दाखवून न दाखवल्यासारखी वागते. कवीला वाटते की तिचं आणि आपलं नातं तर | गतजन्मीचे आहे. त्या गतजन्मीचं नातं आता कसं वरं सांगू शकतो? कारण त्या नजरेतच ओळख अनोळखीचे भाव आहेत. तिच्याविषयी असलेल्या कोमल आठवणी-भावनाच बुजल्यासारख्या झाल्या आहेत.

कवीला वाटतं की तिचं आपल्यासोबत असणं, नसणं हे अगदी तळहातावरच्या नाजूक रेषेसारखं आहे. त्या ज्यांना वाचता आल्या ते ते आपल्या सोबत राहतात. ज्यांना वाचता आल्या नाहीत त्यांना ते समजणारच नाहीत. तिच्या नखांवर असलेला लाल, गुलाबी रंग हा तिच्या लग्नेमुळे आलेला असावा. प्रीतीच्या शुभ्र चांदण्या हातावर गोंदल्या गेल्या आहेत. ज्या पुसल्या जाणाऱ्या नाहीत.

पहाटेच्या दवांत भल्या पहाटे ती आली, ज्यामध्ये अभ्रांची शोभा पसरली होती. येताना तिने प्रीतीची दृष्टी आणली होती पण जाताना ती त्यांच्या दोघांमधील प्रीतीचा गंध ठेऊन गेली, प्रीतीची भाषा केवळ दोघांमधील असते. तिथे व्यवहाराची भाषा लागू पडत नाही. असा हा प्रेमभाव दोघांच्या मनातील ज्याची प्रत्यक्षानुभूती घेताच आली नाही.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 दवांत आलिस भल्या पहाटीं

समानार्थी शब्द / पर्यायी शब्द :

  • पहाट – सकाळ, प्रभात – (morning, dawn).
  • लक्ष्य – ध्येय – (target, aim).
  • पिपासा – तहान – (thirst).
  • तरल – चंचल – (tremulous, quivering).
  • निर्मल – स्वच्छ – (clean, pure).
  • अभ्र – आभाळ, मेघपटल – (cloud, cloudy sky).
  • पारा – एक पातळ खनिज पदार्थ – (mercury).
  • शुभ्र – सफेद – (white, clean).
  • धागा – दोरा – (thread)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

11th Hindi Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
मनोरंजन के क्षेत्र में हिंदी भाषा के माध्यम से रोजगार की संभावनाएँ लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनोरंजन एक उद्योग के रूप में उभरकर आया है। टी. वी. ने असंख्य कलाकारों, संगीतकारों, गायकों के लिए रोजगार का महाद्वार खोला है। इसके अलावा हिंदी रचनाकारों, संवाद-लेखकों, पटकथा-लेखकों और गीतकारों के लिए भी नए-नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

कई प्रसिद्ध धारावाहिकों के अनुवाद में भी रोजगार की संभावनाएँ हैं। कार्टून फिल्मों में भी डबिंग (पार्श्व आवाज) के लिए अनेक संभावनाएँ हैं।

फिल्म क्षेत्र में पटकथा लेखन, संवाद-लेखन, गीत लेखन, कलाकारों के लिए हिंदी का सही उच्चारण सिखाने के लिए प्रशिक्षक के रूप में रोजगार की संभावनाएँ हैं।

रेडियो एक पुराना माध्यम है। रेडियो में रूपक, नाटक, धारावाहिक, समाचार-लेखन, भाषण, वाचन इन क्षेत्रों में अवसर प्राप्त हैं। इसके अलावा रेडियो जॉकी का काम भी आज के जमाने की माँग है।

प्रकाशन क्षेत्र में भी पुस्तकों के लिए मुद्रित शोधन, समाचार पत्रों में संपादक, पत्रकार, अनुवादक, स्तंभ लेखक इन जैसे विविध रोजगार को पाने के लिए हिंदी भाषा पर अधिकार होना जरूरी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

प्रश्न 2.
‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी रोजगार की भाषा बनती जा रही है’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भूमंडलीकरण (globalization) के इस युग में आज दुनिया बिल्कुल नजदीक आ गई है। भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में अनेक विदेशी कंपनियाँ व्यापार के लिए इच्छुक हैं। यही कारण है कि दुनिया के 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है।

इन देशो में हिंदी अध्यापक का कार्य करना एक सुअवसर है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। इसी तरह दुनिया के तमाम देशों के दूतावास हमारे देश में भी हैं। इनमें से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इस विभाग में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक जैसे पद उपलब्ध होते हैं। इन विभागो द्वारा पत्राचार, समाचार, रिपोर्ट हिंदी में भेजने के लिए हिंदी विशेषज्ञों का विशेष महत्त्व है।

अन्य देशों के पर्यटक हमारे देश में आते हैं। बहुभाषी लोगों के लिए ‘टुरिस्ट गाइड’ का काम यह एक नया रोजगार है। विदेशी कंपनियों की वस्तुएँ भारत में बेचने के लिए भी मैनेजर से लेकर विक्रेता तक अनेक प्रकार के पदों पर रोजगार पाना समय की माँग है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर हिंदी में रोजगार की संभावनाओं का वर्गीकरण करते हुए तालिका बनाइए।
(१) मनोरंजन
(२) विज्ञापन
(३) अनुवाद
(४) अंतर्राष्ट्रीय
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 1

व्यावहारिक प्रयोग
प्रश्न 1.
‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ यह विज्ञापन आप रेडियो के लिए नए तरीके से तैयार कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 2

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

प्रश्न 2.
‘उच्च माध्यमिक हिंदी शिक्षक पद’ का विज्ञापन पढ़कर उसे ऑनलाईन भरने की आवश्यक प्रक्रिया की जानकारी लिखिए।
उत्तर :

  • उम्मीदवार विज्ञप्ति के अनुसार अंतिम तारीख से पहले ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर लिंक ओपन करें।
  • लिंक ओपन होने के बाद यूजर आई. डी. पासवर्ड देकर रजिस्ट्रेशन करें।
  • इसके बाद आधिकारिक सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें।
  • फिर ऑनलाइन आवेदन पर क्लिक करें। फिर सभी आवश्यक और महत्त्वपूर्ण विवरण को भरें। (उदा. वैयक्तिक जानकारी, उम्र, शैक्षणिक योग्यता आदि)
  • सभी दस्तावेज, फोटो तथा हस्ताक्षर अपलोड करें।
  • फिर आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
  • इसके बाद ऑनलाइन आवेदन फॉर्म सबमिट करें। (सबमिट करने से पहले जानकारी भरने में गलती न हो इसलिए एक बार जाँच लें।)
  • इसके बाद आवेदन पत्र का प्रिंट आऊट लें, जो आपको भविष्य में काम आएगा।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ लेखक परिचय :

डॉ. दामोदर खड़से जी हिंदी जगत् में एक प्रख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक आदि अनेक रूपो में माहिर है। आपका जन्म 11 नवंबर 1948 को छत्तीसगढ़ के कोरिया में हुआ। आपने बैंकिग तथा तकनीकी शब्दावली का भी निर्माण किया है।

कंप्यूटर एवं बैंकिग प्रशिक्षण को सुगम बनाने के लिए आपने योगदान दिया है। आप तीस वर्षों तक बैंक में सहायक महाप्रबंधक (general manager) (राजभाषा) के रूप में कार्यरत थे।

एक सशक्त लेखक के साथ-साथ आप एक सफल वक्ता भी हैं। आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा अनेक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ रचनाएँ :

काला सूरज, भगदड़, बादल राग (उपन्यास) सन्नाटे में रोशनी, नदी कभी नहीं सूखती आदि (कविता संग्रह) भटकते कोलंबस, पार्टनर, गौरेया को तो गुस्सा नहीं आता (कहानी संग्रह), मराठी से हिंदी में अनुवाद – 21 कृतियाँ

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विधा परिचय :

भाषण एक कला है। अपने विचारों से जनमानस को अवगत करने वाला यह एक सशक्त माध्यम है। भाषण द्वारा श्रोताओं को प्रभावित करना, उन्हें प्रेरित करना आदि उसकी विशेषताएँ हैं। हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ यह पाठ लेखक के एक भाषण का संकलित अंश है।

भारत में स्वामी विवेकानंद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, सरदार पटेल आदि महापुरुषों के भाषण विश्व में प्रसिद्ध हैं।’

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विषय प्रवेश :

‘हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ’ यह पाठ लेखक डॉ. दामोदर खड़से जी के भाषण का संकलित अंश है। इस भाषण से हिंदी के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में विविध प्रकार के रोजगार को प्राप्त करने की संभावनाएं बताई गई हैं। हिंदी भाषा का महत्त्व बढ़ाना यह इस भाषण का हेतु है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ सारांश :

लेखक के मतानुसार हिंदी भाषा के अध्ययन से छात्रों को भविष्य में अनेक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

केंद्र सरकार कार्यालय : भारत संघ की राजभाषा हिंदी होने के कारण मंत्रालय, संसद तथा सरकारी कार्यालयों में हिंदी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य दिया गया है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में अनुवादक, लिपिक, अधिकारी, राजभाषा अधिकारी, निर्देशक (director), उपनिर्देशक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार संभव है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 3

विज्ञानपन क्षेत्र : हिंदी की प्रकृति विज्ञापन के लिए बहुत लाभदायी एवं महत्त्वपूर्ण है। विज्ञापन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रित मिडिया में हिंदी विज्ञापनों की भरमार होती है। इस क्षेत्र में विज्ञापन लेखन, कॉपी रायटर, विज्ञापन का प्रसारण आदि रोजगार के अवसर प्राप्त है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

मनोरंजन : मनोरंजन का क्षेत्र हिंदी के जानकारों के लिए रोजगार का मानो एक महाद्वार है। मनोरंजन के लिए आजकल टी. वी., फिल्म, रेडियो, वेब दुनिया जैसे अनेक क्षेत्र खुले हैं। इन सभी में हिंदी रचनाकार, गीतकार, संगीतकार, गायक, अनुवादक, पटकथा-लेखक, संवाद-लेखक, कलाकार, पार्श्व आवाज (डबिंग), रेडियो जॉकी, रेडियो रूपक, नाटक, भाषण, वाचन तथा प्रकाशन क्षेत्र में मुद्रक, मुद्रित शोधन (proofreading), पत्रकार, अनुवादक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार मौजूद है।

तकनीकी क्षेत्र : आज का युग यंत्रज्ञान का युग है। तकनीकी क्षेत्र में भी आजकल हिंदी ने प्रवेश किया है। अंतरिक्ष (space) विभाग, परमाणु (atom) विभाग, रसायन और उर्वरक (fertilizer) विभाग, जलपोत परिवहन, भारी उद्योग इन सभी क्षेत्रो में हिंदी का प्रयोग हो रहा है।

संगणक के आगमन के साथ प्रयोजनमूलक (purposeful) हिंदी की आवश्यकता बढ़ रही है। इससे आलेखन, टिप्पणी, पत्राचार, अनुवाद, शब्दावली का निर्माण तथा अनुवाद विषयक उपयोगिता बढ़ी है। गूगल में किए गए अनुवाद का उपयोग जनमानस तक पहुँच रहा है।

मोबाइल, टैब, लैपटॉप आदि में हिंदी का प्रयोग, हिंदी माध्यम में तकनीकी विषयों का प्रशिक्षण आज एक बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य बन चुका है।

पारिभाषिक शब्दावली का कार्य, दवाई कंपनियों में दवाई से संबंधित सूचनाओं का हिंदी अनुवाद, रेल, टेलिफोन, बैंक, बीमा, शेयर मार्केट इन सभी के लिए पारिभाषिक शब्दावली, हिंदी अनुवाद का महत्त्व है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार : हिंदी आज दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण भाषा बन गई है। आज 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। अन्य देशों के भी दूतावास (embassy) हमारे देश में हैं।

इन में से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इन विभागों में हिंदी अधिकारी, अनुवादक, हिंदी सहायक, पत्राचार, समाचार, रिपोर्टों का लेखन आदि अनेक प्रकार की नौकरियाँ उपलब्ध हैं।

पर्यटन क्षेत्र : पर्यटन क्षेत्र आज एक प्रमुख व्यवसाय बन रहा है। पर्यटन क्षेत्र में बहुभाषी लोगों को ज्यादा मौका है। पर्यटक स्थानीय भाषा नहीं जानते। उनसे संवाद स्थापित करने के लिए, पर्यटकों को मार्गदर्शन या स्थलों की जानकारी देने के लिए हिंदी का उपयोग होता है। ‘टुरिस्ट गाइड’, यह रोजगार यहाँ उपलब्ध है।

अन्य क्षेत्र : फिल्म, टी. वी. में ‘डाक्यूमेंटरी लेखन’ खेल जगत में कमेंटरी करना, खेल की समालोचना करना आदि भी कुछ क्षेत्र हिंदी भाषा प्रभुओं के लिए उपलब्ध है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ शब्दार्थ :

  • निपुणता = प्रविणता (efficiency),
  • लिपिक = मुंशी (clerk),
  • गठन = निर्माण, संस्थापना (formation),
  • धारावाहिक = मालिका (serial),
  • अन्वेषक = संशोधक (investigator),
  • तकनीक = यंत्रज्ञान (technique),
  • दायित्व = जिम्मेदारी (responsibility),
  • स्नातकोत्तर = पदव्युत्तर (postgraduate).

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

11th Hindi Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Textbook Questions and Answers

विधा पर आधारित

1.
प्रश्न अ.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए –

(a) लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 13

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

(b) नुक्कड़ नाटक के विषय
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 15

(c) नुक्कड़ नाटक के उपयोग
(क) …………………………..
(ख) …………………………..
(ग) …………………………..
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 17

प्रश्न 2.
नुक्कड़ नाटक की विशेषताएँ तथा स्पष्टीकरण

(1) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(2) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(3) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(4) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(5) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(6) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..
उत्तर :
(1) विशेषता : तात्कालिकता
स्पष्टीकरण: यह नाटक किसी भी तात्कालिक समस्या को प्रस्तुत करता है।

(2) विशेषता : गतिशीलता
स्पष्टीकरण : नाटक में पात्र, विषय, दर्शक तेजी से गंतव्य की ओर बढ़ते हैं।

(3) विशेषता : अचूक लक्ष्य
स्पष्टीकरण : यह हथियार की तरह समस्या को खत्म करता है।

(4) विशेषता : संक्षिप्तता
स्पष्टीकरण : नाटक में लंबे संवाद, विषय विस्तार नहीं होता है।

(5) विशेषता : सहज भाषा
स्पष्टीकरण : नाटक की भाषा सहज, स्वाभाविक और रोचक होती है।

(6) विशेषता : व्यंग्य शैली
स्पष्टीकरण : समस्या व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

नाटक पर आधारित
आकलन

प्रश्न आ.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए –
(1) कारण लिखिए

(क) किसान ट्यूबवेल नहीं लगा पाता
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) पानी का स्तर नीचे चला गया है।
(b) बिजली नहीं होती है।

(ख) पूरा शहर स्विमिंग पुल बन जाता है
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक का नालों में अटकना
(b) सीवर की निकासी रुकना।

प्रश्न 2.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 19
(ख) विकास के नाम पर किया गया
(1) प्रकृति का – ………………………………..
(2) जमीन को – ………………………………..
(3) हवा को – ………………………………..
उत्तर :
(1) प्रकृति का – दोहन / शोषण
(2) जमीन को – वंजर
(3) हवा को – दूषित

(ग) ए.सी. से निकलने वाली गैस से यह होता है ………………………………..
उत्तर :
ओजोन की परत में छेद होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए

(क) माँ अपने बेटे के लिए खून नहीं खरीद सकी
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) जो पैसे आते हैं, दवाई में खर्च होते हैं।
(2) जो बचते हैं स्कूल की फीस में खर्च होते हैं।

(ख) संजाल पूर्ण कीजिए
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 4
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 21

अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बंजर होती जा रही खेती को बचाने के उपाय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
आज के जमाने में हर किसान खेती में कीटनाशकों का प्रयोग करता है। खेती में यूरिया, रासायनिक खाद, कीटनाशकों के उपयोग से जमीन की तह तक रसायन के फैलने से जमीन बंजर हो रही है। जमीन के अलावा फल, फसल भी रसायनयुक्त होने से बीमारियाँ फैला रहे हैं।

अगर जमीन को बंजर होने से बचाना है तो जरूरी है कि किसान रासायनिक खाद का नहीं, सेंद्रिय खाद का ही उपयोग करें। बार-बार एक ही फसल ना लें। दो-तीन साल बाद एक नई फसल लेने से जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकता है। इस दृष्टि से किसानो में जागरूकता निर्माण करनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

प्रश्न 2.
‘जल संवर्धन आज की आवश्यकता’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘जल है तो कल है’ यह आज सबको ध्यान रखना चाहिए। लोग कूपनलिका द्वारा जमीन के अंदर का पानी खींचते हैं जिससे भूजल समाप्त हो रहा है। जमीन पर नदी, तालाब या कुआँ इनमें जो पानी का संचय है उसे हमने प्रदूषित किया है। अत: दिन-ब-दिन पानी की समस्या सता रही है।

चेन्नई में पानी की कमी के बारे में हमने पढ़ा है। सारे जग में ही पानी की समस्या इतनी है कि तीसरा महायुद्ध पानी के कारण ही हो सकता है। अत: जरूरत है पानी का संचय तथा संवर्धन करने की। बारिश का पानी बचाने के लिए ‘रेन वॉटर हार्वेस्टिंग’ की सख्ती बरतना जरूरी है।

भूजल को सुरक्षित रखने के लिए पानी खिंचाव टालना चाहिए। पानी का मनुष्यों द्वारा होनेवाला प्रदूषण रोकना यह हमारे बस की बात है। जिसके लिए जागरूकता निर्माण करना आवश्यक है। ‘नदी-जोड़ प्रकल्प’ पर भी गंभीरता से विचार जरूरी है। इसप्रकार अनेक प्रकार के उपायों से हम ‘जल-संवर्धन’ कर सकेंगे।

प्रश्न 3.
‘ब्लड बैंक समय की माँग’ इस विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर :
‘रक्तदान परम दान’ कहा जाता है। अन्न दान, संपत्ति दान करके लोग दुआ प्राप्त करते हैं। किंतु सबसे अधिक दुआएँ तभी मिलेगी जब हम किसी को जीवनदान दे पाएँ। रक्तदान से हम किसी का जीवन बचा सकते हैं। रोज हजारों-लाखों लोगों को रक्तदान की जरूरत होती है।

किसी को दुर्घटना की वजह से, किसी को बीमारी के कारण, किसी को कमजोरी के कारण रक्त की जरूरत पड़ती है। अगर हम अपना खून दान में देते हैं तो उसे ब्लड बैंक में सुरक्षित रखा जाता है और जिसको जिस प्रकार के खून की जरूरत है, उस ब्लड ग्रुप का खून विशिष्ट कीमत लेकर दिया जाता है।

ब्लड बैंक मानो उन लोगों के लिए वरदान साबित होता है। ब्लड बैंक न होने से उनकी-शायद मौत हो जाती। अत: जगह-जगह ब्लड बैंक खुलवाना यही समय की माँग है।

प्रश्न 4.
‘रक्त की कालाबाजारी : एक अभिशाप’ अपना मत लिखिए।
उत्तर :
अनाज, गैस इन जैसी कुछ चीजों की कालाबाजारी का नाम सुना था किंतु रक्त की कालाबाजारी यह नहीं सुना था। दुर्भाग्य से यह सच हैं कि कुछ लोग रक्त की कालाबाजारी करके गरीबों को मृत्यु के मुँह में धकेलते हैं। जिस समाज में किसी की जिंदगी बचाने वाले के लिए बार-बार अपना खून दान देने वाले उदार हृदय लोग हैं, उसी समाज में रक्त की कालाबाजारी करके उसे मुँह माँगे दाम में, अमीरों को बेचने वाले कठोरहृदयी निर्मम लोग भी हैं।

ऐसे लोग खून बेचने का व्यवसाय करते हैं, रैकेट चलाते हैं। इनके एजंट लोग झूठ बोलकर इस रैकेट के लोगों का फायदा करवा देते हैं। जो खून सहजता से नहीं मिलता। उसके लिए गरीबों को उस रक्तगट के रक्त की कमी के नाम पर बहुत इंतजार करना पड़ता है। परंतु पैसा देकर अमीर वर्ग जब चाहे, जैसा चाहे और जितना चाहे खून प्राप्त कर सकता है। यह कालाबाजारी अमीर-गरीब के बीच का फासला बढ़ाती है। सचमुच रक्त की कालाबाजारी एक भयानक अभिशाप है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

लघूत्तरी

प्रश्न 1.
‘मौसम’ नुक्कड़ नाटक में वर्णित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ इस नुक्कड़ नाटक में मानव जीवन से संबंधित विभिन्न सामयिक समस्याओं पर प्रकाश डाला है। मनुष्य भौतिक विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है, इससे ऋतु चक्र में अनियमितता आ गई है। कहीं धुआँधार बारिश तो कहीं बारिश की कमी।

मनुष्य पानी की प्लास्टिक बोतलें, प्लास्टिक थालियाँ, अन्य चीजें रास्ते पर फेंकता है जो नाले में अटक जाती हैं। नाले की निकासी रुकने से जरा-सी भी बारिश के बाद पानी भर जाता है। कारखानों का मैला, दूषित पानी नदी में छोड़ने से पानी दूषित हो जाता है।

नदी में रहने वाले जीव जंतुओं का अस्तित्व भी खतरे में है। कीटकनाशकों के उपयोग से जमीन बरबाद हो रही है। इस प्रकार पानी का प्रदूषण, पानी की कमी, जमीन का प्रदूषण, मौसम की अनियमितता, जीव जंतुओं का विनाश, गरीबों पर होने वाला परिणाम इन अनेक समस्याओं का विविध दृश्यों के माध्यम से वर्णन किया गया है।

प्रश्न 2.
‘विकास का सीधा असर पड़ता है लोगों की जिंदगी पर’, इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आधुनिक युग यंत्र युग कहलाता है। यंत्रयुग में रोज नए यंत्र, मशीन और इन मशीनों को चलाने वाले कारखाने, निर्माण होते हैं। इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को स्कीन कैंसर जैसी अन्य अनेक बीमारियों से जूझना पड़ता है। कारखानों से निकलने वाला मैला रसायनिक पानी नदी में छोड़ा जाता है। इस कारण नदी में रहने वाली मछलियाँ, अन्य जीवजंतु मर जाते हैं। इन मछलियों को पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करने वाले मछुआरों पर मछली न मिलने से भूखा मरने की नौबत आती है।

खेती में कीटकनाशकों के उपयोग से खेती बंजर हो रही है। कीटकनाशकों का उपयोग करके खेती में आई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर भी लोगों को रोज नई बीमारी का सामना करना पड़ता है।

वाहन, कारखाने, घर, ऑफिस में लगाए गए ए.सी., फ्रीज आदि से निकलने वाली गैस ओजोन गैस की परत में छेद करता है। इससे बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से पूरा जग परेशान है।

किसान, मछुवारे, आदिवासी जैसे सामान्य जन जिनकी जिंदगी प्रकृति पर निर्भर है तथा मजदूर जो यंत्रयुग का शिकार है इन सबकी जिंदगी के विकास पर सीधा बुरा असर पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
‘रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व हैं’, नाटक के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित नुक्कड़ नाटक ‘अनमोल जिंदगी’ में रक्तदान का महत्त्व बताया है। रक्तदान न करने के पीछे लोगों के मन में जो गलतफहमियाँ हैं उन्हें दूर करते हुए रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित किया है। समाज में हजारों-लाखों मनुष्यों की मृत्यु सिर्फ उन्हें समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

रास्ते पर वाहन चलाते समय एक्सीडेंट होता है, किसी को गंभीर बीमारी में खून की जरूरत होती है तो कभी किसी नारी को प्रसव के दौरान खून के अति बहाव के कारण रक्त की जरूरत होती है। इन सभी प्रसंगो में समय पर उचित रक्त प्राप्त हो जाए तो इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इनकी जिंदगी को बचाने का परम कल्याण का काम हमारे हाथ से हो सकता है अगर हम रक्तदान करेंगे तो।

अन्य किसी भी दान से यह दान महत्त्वपूर्ण है। रक्तदान ही जीवनदान है, अत: रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व है। हर व्यक्ति अगर रक्तदान करेंगे तो हमें जाने-अनजाने में ही जरूरतमंदों की सेवा का पुण्य मिलेगा। यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम रक्तदान करें। रक्तदान ही मानवता की सेवा है।

प्रश्न 4.
रक्तदान के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता’, नाटक के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं। हर क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। पुराने काल में लोग स्कूल-कॉलेज में नहीं जाते थे। अनपढ़ लोगों के मन में कई अंधविश्वास थे। परंतु आज पढ़े-लिखे लोगों में भी काफी अंधविश्वास मौजूद हैं।

रक्तदान को लेकर भी समाज में काफी गलतफहमियाँ फैली हुई हैं। इन्हें दूर करने के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता है। लोग ऐसा मानते हैं कि रक्तदान करने से कमजोरी बढ़ेगी, हाइट-बॉड़ी कम हो जाएगी।

लड़कियों को तो रक्तदान ही नहीं करना चाहिए। टॅटू निकालने के बाद रक्तदान नहीं करना चाहिए, ये सब गलतफहमियाँ होने से लोग रक्तदान करने से कतराते हैं। कुछ लोगों को अपने खानदान पर इतना गर्व होता है कि वे लोग अपना शाही खून किसी दूसरे को देने का विचार भी नहीं करते।

वास्तविक रूप से खून का शाही खून, सामान्य खून ऐसे कोई प्रकार नहीं होते हैं। खून में कोई खानदान, जातिपाति, धर्म-वंश, देश-विदेश का भेदभाव नहीं होता है। दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी आदमी सिर्फ ब्लड ग्रुप मिलने पर रक्त पाकर जीवनदान पा सकता है।

रक्तदान देने से हमारे शरीर पर कोई भी बुरा असर नहीं होता है। ‘रक्तदान ही मानवता का दूसरा नाम है’ यह जागरूकता लोगों में निर्माण करना यह भी एक बड़ा सामाजिक कार्य है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 5

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : पति : आज भी, एक भी मछली नहीं फँसी। …………………………………… प्रदूषित कर रखा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 71 दृश्य – 7)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 6
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 7

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) मछुआरों के जाल में मछली नहीं फँसी क्योंकि –
(1) ……………………………………………….
(2) ……………………………………………….
उत्तर :
(1) नदी के किनारे वाले प्लांट सारा जहरीला पानी बहा देते हैं उससे मछलियाँ मर गई।
(2) उद्योगों की वजह से मछलियाँ खत्म हो गई हैं।

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूँढकर लिखिए :
उत्तर :
(1) जल – पानी
(2) वृक्ष – पेड़
(3) मीन – मछली
(4) क्षीर – दूध

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

प्रश्न 4.
जल प्रदूषण, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनुष्य विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का विनाश कर रहा है। रोज नए उद्योग या कारखाने निर्माण हो रहे हैं जिनसे निकलता हुआ दूषित पानी बिना किसी प्रक्रिया के नदियों में मिलाया जाता है। इससे होने वाला जल प्रदूषण मनुष्य पर ही नहीं पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं पर भी गंभीर परिणाम कर रहा है।

मनुष्य त्योहारों के बाद मूर्तियाँ पानी में विसर्जित करता है, उससे भी पानी प्रदूषित हो जाता है। लोग पानी में कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की चीजें फेंकते हैं। जानवर, वाहन, कपड़े वे धोकर नदी का पानी प्रदूषित कर देते हैं। जो पानी ‘जीवन’ देने वाला है वही पानी प्रदूषण के कारण मृत्यु’ का कारण बन जाता है। अत: पानी की रक्षा करना, उसका प्रदूषण रोकना हमारी जिम्मेदारी है। ‘जल है तो कल है’ यह सभी को याद रखना चाहिए।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : प्रश्न 1 : मैडम हमें क्यों बदनाम किया जा …………………………………… लोग बीमार पड़ रहे हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 73)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 8
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 9

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि खेत में यूरिया डालने की वजह से सब्जियों में केमिकल आ रहा है।

(ii) जमीन बंजर हो रही है क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
जमीन बंजर हो रही हैं क्योंकि दवा, यूरिया, कीटनाशकों का अच्छी फसल उगाने के लिए धडल्ले से प्रयोग हो रहा है।

प्रश्न 3.
शब्द समूह से मेल न खाने वाले शब्द को ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर :
(i) जहर, विष, अमृत, गरल – अमृत
(ii) हवा, मरूत, समीर, व्योम – व्योम
(iii) पानी, शून्य, तोय, सलिल – शून्य
(iv) आनन, देह, शरीर, गात – आनन

प्रश्न 4.
पर्यावरण की रक्षा हेतु उपाय सुझाइए।
उत्तर :
आज सारी दुनिया प्रदूषण से पीड़ित है। मनुष्य, पेड़, पशु-पक्षी जहरीली हवा में साँस लेने के लिए मजबूर है। हम सबके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगा है। समय रहते हमें प्रदूषण कम करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए और पर्यावरण रक्षा का बेड़ा उठाना चाहिए।

हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और उनका संवर्धन करना चाहिए। अंधाधुंध जंगलों की सफाई (वृक्ष काटने से तात्पर्य है) के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। अत: खेती, वन, जंगलों का रखरखाव उचित तरीके से हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

पर्यावरण सुरक्षा में पशु-पक्षी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज उनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। अत: पशु-पक्षियों के जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। पॉलिथीन से प्रदूषण फैलता है अत: उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पर्यावरण रक्षा में जन-जन का साथ मिलें इसके लिए जन जागृति अभियान चलाने चाहिए। हमारी जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप बना लेना चाहिए। खेती में रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम करना चाहिए।

विषैले और खतरनाक अवशिष्टों (remainings) का उचित विस्तारण करना चाहिए। पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़े ऐसा हमारा आचरण होना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

(आ) अनमोल जिंदगी कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : हमारे देश में ब्लड की रोजाना बहुत जरूरत पड़ती है ………………….. तू कैसे खून दे सकती है? (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 76)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 10
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 11

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) खून न देने के कारण
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
(3) …………………………………..
(4) …………………………………..
उत्तर :
(1) खून देने से बॉडी कम हो जाएगी।
(2) खून देने से भयंकर बीमारी लग सकती है।
(3) किसी ऐरे-गैरे को खून न देने की मानसिकता।
(4) हिमोग्लोबिन की कमी।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

प्रश्न 3.
(i) कृदंत शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) मिलना : मिलावट, मिलनसार, मिलन, मिलाप
(2) बनाना : बनावट, बनाने वाला, बना हुआ, बनकर

(ii) गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनके वचन बदलने पर भी रूप नहीं बदलते :
उत्तर :
(1) देश
(2) मरीज

प्रश्न 4.
‘रक्तदान : श्रेष्ठ दान’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
14 जून यह दिन अंतर्रास्ट्रीय स्तर पर ‘रक्तदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि किसी को कुछ दान देने के लिए अमीर होना बहुत जरूरी होता है। परंतु रक्तदान यह एक ऐसा दान है जो देने के लिए पैसों से आदमी बड़ा नहीं हो तो भी चलेगा लेकिन मन से बड़ा होना जरूरी है। यह दान न जाति-धर्म देखता है, न अमीरी-गरीबी देखता है। यह दान सिर्फ ‘मानवता’ को जगाता है।

हमारे ‘रक्तदान’ से हम किसी को ‘जीवनदान’ दे सकते हैं। ‘रक्तदान’ देने से हमारा कुछ भी नुकसान नहीं होता है। लेकिन लोगों के मन में आज भी ‘रक्तदान’ इस विषय को लेकर काफी गलतफहमियाँ हैं। इन्हें दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता निर्माण करने की जरूरत है। ‘रक्तदानं परम दानं’ इसे अगर हम सब ध्यान में रखे तो हम ‘जीवनदाता’ बन जाएंगे। इसलिए,

‘मौका मिला अगर आपको उसे यूँ न गँवाइए।
देकर दान रक्त का नेकी भी कमाइए।।’

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : ब्लड डोनेशन का मतलब ……………………………….. मदद नहीं करनी चाहिए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 80)

प्रश्न 1.
नाम लिखिए :
उत्तर :
(i) गद्यांश में उल्लेखित वायु का नाम – ऑक्सीजन
(ii) तीन साल की बच्ची को हुई बीमारी का नाम – कैंसर
(iii) पति को हुई बीमारी का नाम – डेंग्यू
(iv) तीन साल की बच्ची को रक्त देने वाला – एक एथलीट

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :
(i) रक्तदान करने से डरना – ………………………………………
(ii) डोनर कार्ड मिलना – ………………………………………
उत्तर :
(i) रक्तदान करने से डरने से यही डर हमारी जिंदगी की उम्मीदों की रीढ़ को तोड़ रहा है।
(ii) डोनर कार्ड मिलने से जरूरत पड़ने पर खून आसानी से मिल जाता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

प्रश्न 3.
(i) निम्न शब्दों में से सही शब्द चुनकर लिखिए :
उत्तर :
(1) शुरुवात / शुरूआत / शुरूवात / शूरुवात – शुरूआत
(2) रक्तदाण / रक्तदान / रक्तदान / रक्तदाण – रक्तदान

(ii) तद्धित शब्दों के मूल रूप लिखिए :
उत्तर :
(1) इनसानियत – इनसान
(2) खुशी – खुश

प्रश्न 4.
‘दूसरों की मदद करके खुशी और सुकून मिलता है’, इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दान देने की परंपरा हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही है। दूसरों को दान देने से आंतरिक खुशी मिलती है। दान केवल धन के रूप में ही नहीं बल्कि रक्त, शरीर के अंग आदि के रूप में भी किया जा सकता है। जरूरतमंदों की मदद करके हमें मानसिक शांति मिलती है।

जब कोई अपना मन, वचन और काया दूसरों की सेवा के लिए उपयोग में लाता है तब उसे एक प्रकार का सुकून मिलता है, आत्मिक सुख मिलता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और उसका सबसे बड़ा कर्तव्य है एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना एवं यथाशक्ति सहायता करना।

तुलसीदास जी ने भी कहा है, ‘परहित सरस धर्म नाहिं भाई’ पुष्प इकट्ठा करने वाले व्यक्ति के हाथ में सुगंध रह जाती है वैसे ही दूसरों की जिंदगी रोशन करने वाले व्यक्ति की जिंदगी खुद रोशन हो ही जाती है।

सड़क पर कराहते व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाना हो या भूखे-प्यासे की आह कम करनी हो, अन्याय, शोषण से पीड़ित की सहायता करनी हो या सर्दी में ठिठुरते व्यक्ति को कंबल ओढ़ाना हो, किसी को किड़नी देने का सुख तो किसी को रक्तदान करके जीवन देने का सुख हो ये इंसान को भीतर तक खुशियों से सराबोर कर देते हैं।

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

मौसम लेखक परिचय :

लेखक अरविंद गौड़ जी ने ‘नुक्कड़ नाटक’ में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। आपका जन्म 2 फरवरी 1963 को शाहदरा (दिल्ली) में हुआ। इंजीनियरिंग पढ़ते समय नाटकों के प्रति आपकी रुचि बढ़ गई। आप पत्रकारिता तथा थिएटर से जुड़ गए।

मजदूर हो या किसान इनके विविध आंदोलनों में आपने एक बुनियादी भूमिका निभाई है। आपके ‘नुक्कड़ नाटकों’ का मंचन देश-विदेश में हो चुका है। आपने निर्देशित (directed) किया हुआ ‘कोर्ट मार्शल’ इस नाटक का पूरे भारत में 450 से भी अधिक बार मंचन हुआ है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

मौसम रचनाएँ :

‘नुक्कड़ पर दस्तक’ (नुक्कड़ नाटक संग्रह), अनटाइटल्ड, आई विल नॉट क्राय, अहसास (एकल नाट्य) तथा कुछ पटकथाएँ।

मौसम विधा परिचय :

‘नुक्कड़ नाटक’ आठवें दशक से लोकप्रिय हुआ। नुक्कड़ माने चौक या चौराहा। इस नाटक का प्रस्तुतीकरण (presentation) किसी चौक में, किसी सड़क पर, मैदान, बस्ती या कहीं भी हो सकता है। इन नाटकों का प्रस्तुतीकरण सामाजिक संदेशों के प्रसारण के लिए किया जाता है।

नुक्कड़ नाटक को प्रेक्षक राहों या चौक में खड़े होकर देखते हैं। इन्हें देर तक रोकना संभव नहीं होता इसलिए ये नाटक बेहद सटीक एवं संक्षिप्त होते हैं। जनता से सीधे संवाद करने वाले इस नाटक के लिए वेशभूषा, नेपथ्य, ध्वनि-संयोजन जैसी साज-सज्जा की आवश्यकता नहीं होती।

जन-जन तक समाज हित की बात सहजता से पहुँचाना इसका उद्देश्य है।

मौसम विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ नामक नुक्कड़ नाटक आधुनिक जीवन की एक प्रखर समस्या को उजागर करता है। पर्यावरण को लेकर एक चेतना निर्माण करने का आपने प्रयास किया है। आज के जमाने में ‘पानी की समस्या’ ने एक विकराल (horrible) रूप धारण किया है।

पानी की कमी, हवा या जमीन का प्रदूषण, लोगों की लापरवाही इन अनेक समस्याओं के प्रति मनुष्य को सचेत बनाने की कोशिश इस नाटक द्वारा हुई है।

मौसम सारांश :
दृश्य – 1 : पानी की कमी : मनुष्य की पानी के प्रति लापरवाही से आज लोगों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जो पानी उपलब्ध है उसे भी हमने दूषित किया है। इस कारण आज-कल मनुष्य पीने या नहाने के लिए पानी खरीद रहा है।

दृश्य – 2 : विकास का परिणाम : आज विकास के नाम पर फैक्ट्रियाँ खोली जाती हैं। इसका कूड़ा-कचरा, दूषित पानी नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषित होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

दृश्य – 3 : पर्यावरण का असंतुलन : आज ऋतुचक्र में नियमितता नहीं रही क्योंकि हमने ही पर्यावरण को असंतुलित किया है। कहीं बाढ़ आती है, तो कहीं बरसात का इंतजार करना पड़ता है। इस असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है।

दृश्य – 4 : वायु प्रदूषण : आज लोग घर में, दफ्तर में हर जगह ए.सी. लगवाते हैं। इस ए.सी. से निकलने वाली गैस से ओजोन परत में छेद हो जाता है।

दृश्य – 5 : लोगों की लापरवाही : लोग खाना खाकर प्लास्टिक की थालियाँ, पानी पीकर प्लास्टिक की बोतल या गिलास रास्ते पर फेंकते हैं। ऐसा विविध प्रकार का सामान कूड़ा-कचरा बनकर नालों में अटक जाता है। बारिश होने पर नाले से पानी की निकासी न होने से पानी रास्ते पर आता है और थोड़ी-सी भी बारिश होने पर रास्ते स्विमिंग पूल बन जाते हैं।

दृश्य – 6 : मृदा का प्रदूषण : आज-कल लोग खेती करते समय कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इसके केमिकल से जमीन दूषित हो जाती है। ऐसी खेती से निकली हुई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारीयाँ हो रही हैं।

दृश्य – 7 : जल – प्रदूषण : लोग नदी के किनारों पर नए-नए कारखाने खड़े करते हैं। इनमें से निकलनेवाला गंदा, रसायन युक्त पानी नदियों में छोड़ा जाता है। परिणाम स्वरूप पानी में रहने वाली मछलियाँ तथा अन्य जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है।

दृश्य – 8 : गरीबों पर परिणाम : फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर बीमारियों से ग्रस्त हैं। अनेकों को स्किन कैंसरं हो रहा है। मछुआरे, आदिवासी इन जैसे प्रकृति पर अवलंबित गरीब लोगों का जीना हराम हो गया है।

दृश्य – 9 : मनुष्य का विनाश : भौतिक विकास के नाम पर मनुष्य आस-पास के प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहा है। जिससे प्राकृतिक संकट मनुष्य का विनाश कर रहे हैं। कभी बाढ़ तो कभी सूखा, कभी तूफान तो कभी भूचाल, ऐसे संकट मनुष्य के स्वार्थी वृत्ति का परिणाम हैं। ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ भी चिंता का विषय है। इनसे मनुष्य सावधान ना हो तो उसका विनाश अटल है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

मौसम शब्दार्थ :

  • सीवर = गंदी नाली (sewer),
  • संसार = दुनिया (world),
  • तबाही = बरबादी (destruction),
  • दोहन = शोषण (exploitation),
  • रेगिस्तान = वालुकामय प्रदेश (desert),
  • जिम्मेदारी = कर्तव्य (responsibility),
  • वफादारी = ईमानदारी (loyalty)

अनमोल जिंदगी अरविंद गौड़ विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ जी ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामयिक समस्याओं को जनता तक पहुँचाने की कोशिश की है। ‘अनमोल जिंदगी’ इस नाटक द्वारा लेखक ‘रक्तदान’ इस विषय पर सामान्य लोगों को जगाने की कोशिश करते हैं। हजारों-लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है। रक्तदान के बारे में लोगों में काफी गलतफहमियाँ भी हैं। इन गलतफहमियों को दूर करते हुए लेखक रक्तदान करने की प्रेरणा देते हैं।

अनमोल जिंदगी सारांश:

दृश्य – 1 : एक्सीडेंट : एक दिन रास्ते पर एक चाचाजी का एक्सीडेंट हुआ। उनको बचाने के लिए ‘ओ निगेटिव’ ब्लड की जरूरत हैं परंतु लोगों की मानसिकता न होने से, उनकी रक्तदान के बारे में गलतफहमियाँ होने के कारण वे तरह-तरह का बहाना बनाकर रक्तदान करना टालते हैं।

दृश्य – 2 : हॉस्पिटल : एक सरकारी अस्पताल में गरीब माँ अपने बच्चे का जीवन बचाना चाहती थी। उसकी कम कमाई के कारण वह रक्त खरीद नहीं सकती। उसे आशा थी कि कोई रक्तदाता मिल जाएगा परंतु यह आशा निराशा में बदलती है और एक माँ अपने बेटे को हमेशा के लिए खो देती है।

दृश्य – 3 : ऑटो : एक बेटा अपनी बीमार माँ को बचाना चाहता था। माँ अस्पताल में थी। बेटा उचित रक्त की तलाश में ‘ऑटो’ से इधर-उधर घूम रहा था। उसकी बेचैनी, उसका प्रयास देखकर एक दयालु ऑटो वाला ही रक्तदान करने के लिए तैयार हो जाता है जिससे एक जिंदगी बचती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

अनमोल जिंदगी शब्दार्थ :

  • खून = रक्त (blood),
  • गड्डी = गाड़ी (car),
  • परिजन = रिश्तेदार (relative),
  • उम्मीद = आशा (hope),
  • साजिश = षडयंत्र (conspiracy),
  • सुकून = शांति, समाधान (relax)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

11th Hindi Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Textbook Questions and Answers

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न अ.
घटनाक्रम के अनुसार लिखिए –
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है।
(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
उत्तर :
कवि दंड पाना चाहता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है
उत्तर :
विधाता का सहारा पाना चाहता है।

(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
कवि मानता है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित असत्य कथनों को कविता के आधार पर सही करके लिखिए –
(a) जो कुछ निद्रित अपलक है, वह तुम्हारा असंवेदन है।
उत्तर :
जो कुछ भी जाग्रत है, अपलक है वह तुम्हारा संवेदन है।

(b) अब यह आत्मा बलवान और सक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को वर्तमान में सताती है।
उत्तर :
अब यह आत्मा कमजोर और अक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को भवितव्यता सताती है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
‘जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा हैं’, इस पंक्ति से कवि का मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि के जीवन में जो कुछ भी है या जो कारण है उसकी सत्ता स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण हैं। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दुःख सफलताअसफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।

प्रश्न आ.
‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है’, इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन-सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में चारों ओर से सिमटकर चला आता है। ऐसा लगता है मानो हृदय में कोई झरना बह रहा है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अपनी जिंदगी को सहर्ष स्वीकारना चाहिए’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जीवन सुख-दुःख का चक्र है। यही जीवन का सत्य है। अनुकूल समय में हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती। जब कभी हमारे समक्ष विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। दुःख के प्रमुख कारण बाहरी परिस्थितियाँ, आसपास के व्यक्तियों का व्यवहार, महत्त्वाकांक्षाएँ एवं कामनाएँ हैं। जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियाँ एवं समस्याओं के लिए कोई दूसरा व्यक्ति या भाग्य दोषी नहीं है।

उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार है, हमारे कर्मों और व्यवहार की वजह से ही परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। हमारी ऊर्जा का उपयोग काम में हो परिणाम में नहीं। जो बदला नहीं जा सकता, उसको सहर्ष स्वीकार करें, यही उपाय है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

प्रश्न आ.
‘जीवन में अत्यधिक मोह से अलग होने की आवश्यकता है, इस वाक्य में व्यक्त भाव प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज अगर दुनिया में किसी भी रिश्ते में मोह है, तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाता। हमें मोह को त्याग देना चाहिए।

जब भी कोई इंसान मोह करता है, तो कहीं ना कहीं उसका ही नुकसान होता है। मोह के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सभी बिगड़ जाते हैं इसलिए हमें मोह को अपनी जिंदगी से बिल्कुल पूरी तरह से निकाल देना चाहिए।

एक इंसान अपनी जिंदगी में अगर मोह करता है तो कुछ समय के लिए ही फायदा होगा, बाद में उसका नुकसान होता है। आज हमारे देश में, परिवार में झगड़े होते हैं इसका सबसे बड़ा कारण मोह है। मोह के कारण एक-दूसरे को धोखा देते हैं और उससे हमारे रिश्ते खराब होते हैं। मोह करने से हमें जो कुछ हासिल होता है, वह हमारे रिश्ते-नातों से कीमती नहीं होता इसलिए लालच (मोह) बुरी बला है।

रसास्वादन

4. प्रस्तुत नई कविता का भाव तथा भाषाई विशेषताओं के आधार पर रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : सहर्ष स्वीकारा है।
(ii) रचनाकार : गजानन माधव मुक्तिबोध’।।
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने जिंदगी में जो कुछ भी (दुख, संघर्ष, गरीबी, अभाव, अवसाद) मिलें उसे सानंद स्वीकार करने की बात कही है। प्रकृति को जो कुछ भी प्यारा है वह उसने हमें सौंपा है। इसीलिए जो कुछ भी मिला है या मिलने की संभावना है उसे सहजता से अपनाना चाहिए।
(iv) रस / अलंकार : मुक्त छंद में लिखी गई इस कविता में गरबीली गरीबी, विचार-वैभव में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(v) प्रतीक विधान : अंधकार, अमावस्या निराशा के प्रतीक है।

(vi) कल्पना : ‘दिल में क्या झरना है?’ पंक्ति में कवि कल्पना करते हैं कि झरने में जैसे चारों तरफ की पहाड़ियों से पानी इकट्ठा होता है और कभी खाली नहीं होता वैसे ही कवि के हृदय में अपनी प्रियतमा के प्रति प्रेम उमड़ता है और बार बार व्यक्त करने पर भी कम नहीं होता।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।’ ये पंक्तियाँ प्रभावी सिद्ध होती हैं क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं उस प्रिय व्यक्ति को जो कुछ भी अच्छा लगता है वह अस्वीकार करना असंभव होता है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता द्वारा हमें जीवन के सुख-दुख, संघर्ष, अवसाद आदि को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है। अपने प्रिय व्यक्ति का प्रभाव अँधेरी गुफाओं में भी सहारा बनता है। उसका स्नेह हमें कभी कमजोर भी बनाता है। भविष्य में अनहोनी हो जाने का डर भी इसीलिए अत्यधिक प्रेम के कारण ही सताता है। कविता के ऐसे भाव दिल को छू जाते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
मुक्तिबोध जी की कविताओं की विशेषताएँ –
…………………………………………………
…………………………………………………
उत्तर :

  • प्रगतिवादी दृष्टिकोण
  • जीवन से जुड़ी कविता के सर्जक
  • शोषितों से गहरा लगाव
  • प्रतीक विधान में नयापन

प्रश्न आ.
मुक्तिबोध जी का साहित्य –
उत्तर :
काव्य कृतियाँ :

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है।
  • भूरी – भूरी खाक धूल

आलोचना :

  • तार सप्तक के कवि
  • कामायनी – एक पुनर्विचार
  • भारतीय इतिहास और संस्कृति
  • नई कविता का आत्मसंघर्ष और अन्य निबंध
  • नए साहित्य का सौंदर्य शास्त्र

कहानी संग्रह :

  • विपात्र
  • सतह से उठता आदमी

6.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित काव्यांश (पंक्तियों) में उद्धृत अलंकार पहचानकर लिखिए –

(a) कूलन में केलिन में, कछारन में, कुंजों में
क्यारियों में, कलि-कलीन में बगरो बसंत है।
उत्तर :
(‘क’ आवृत्ति) – अनुप्रास अलंकार

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

(b) केकी-रख की नुपूर-ध्वनि सुन।
जगती-जगती की मूक प्यास।
उत्तर :
यमक अलंकार – जगती – जगती,
(1) जगती – जागना,
(2) जगती – जगत

प्रश्न आ.
निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए –
(a) वक्रोक्ति
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) मैं सुकमारिनाथ बन जोगू।
(ii) कौं तुम? है घनश्याम हम।

(b) श्लेष
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। – शब्द श्लेष
पानी गए न ऊबरें, मोती मानुष चून।
पानी शब्द का प्रयोग तीन बार लिया गया है। दूसरी पंक्ति में पानी का अर्थ मोती के संदर्भ में चमक या कांति है तो मनुष्य के संदर्भ में इज्जत और ‘चून’ के संदर्भ में जल है।

(ii) जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारे करै, बढे अँधेरा होय – अर्थ श्लेष
बारे का अर्थ – जलाना और बचपन
बढ़े का अर्थ – बुझने पर और बड़े होने पर

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : जिंदगी में जो कुछ है, ………………… खिलता वह चेहरा है ! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 61)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 2

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) गरीबी के लिए प्रयुक्त विशेषण है :
(ii) कवि अपने उस प्रिय के साथ अपने संबंध इस तरह बताता है :
(iii) कवि अपने दिल की तुलना इससे करता है :
(iv) कवि ने अपने प्रिय की तुलना इससे की है :
उत्तर:
(i) गरवीली
(ii) गहरा
(iii) मीठे पानी के झरने से
(iv) चाँद से

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों मे लिखिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, जैसा भी है, उसे मैंने पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया है। वह इस कारण से, कि जो कुछ भी मेरा है, चाहे वह अभाव हो या संघर्ष ही क्यों न हो, वह सब तुम्हें प्यारा है और जो तुम्हे प्रिय लगता है, वही मेरे लिए प्रसन्नता का सबसे बड़ा कारण बन गया है।

कवि के जीवन में ऐसी निर्धनता है, जिस पर गर्व किया जा सके। गर्व इसलिए कि स्वाभिमान के साथ जीने का सुख इस में निहित (include) है। अभावों के चलते मिलने वाले जीवन के जो गंभीर अनुभव है, विचारों की जो संपन्नता है, विचारों की संपन्नता के कारण उससे मिली हुई जो आंतरिक मजबूती है और हृदय में उमड़ने वाली प्रेम की जो अविरल नदी है, ये सभी हमारे अपने निजी है।

हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण में जो सत्य है, हर दिन हमारे साथ जो घटित होता है, लगातार घटता रहता हैं, उन सब में तुम्हारी ही तरल संवेदना बसी हुई है। तुम मेरे हर सुख-दुःख में आत्मा से सहभागिनी हो इसलिए इन सब चीजों को प्रसन्नता के साथ स्वीकारने की चाहत है।

कवि कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा न जाने कैसा रिश्ता नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पर प्रेम का सतत बहने वाला कोई झरना ही है या मीठे और शीतल जल का कोई स्त्रोत ही बसा हुआ है। वह कभी रीता नहीं होता है। इधर मेरे अंदर तो प्रेम का ऐसा अटूट प्रवाह है और उधर आकाश में जैसे चंद्रमा रातभर अपनी चाँदनी बरसाता रहता है, ठीक वैसे ही तुम्हारा चेहरा मुझपर स्नेह की अखंड वर्षा करता रहता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं, …………… आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है !! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 6

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
कवि स्वयं के लिए दंड माँग रहा है क्योंकि
(i) …………………………………….
(ii) …………………………………….
उत्तर :
(i) अपनी प्रियतमा को भूलने का दंड उसे सहर्ष स्वीकार है।
(ii) ममता के भीतर छिपी कोमलता उसे अंदर ही अंदर पीड़ा पहुँचाती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। आप मुझे सजा दीजिए, श्राप दीजिए कि मैं आपको भूल जाऊँ। अनंत अंधकार वाली अमावस्या में डूब जाऊँ। वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है।

ममता रूपी बादलों की कोमलता ही अब उनके लिए दर्द बन गई है। मेरे अंतरमन में चुभने लगी है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है। जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उनके प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना सहन नहीं होता।

कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा। विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते है कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है। मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है। वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है।

अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ …………… वह तुम्हें प्यारा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 8

(ii) लापता होने पर भी कवि को यह आशा है –
उत्तर :
लापता होने पर भी कवि को यह आशा है कि उसकी प्रियतमा का सहारा उसे मिलेगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

प्रश्न 2.
निम्न गलत विधान पद्यांश के आधार पर सही करके लिखिए :
(i) कवि अपनी प्रियतमा को दंड देना चाहता है।
उत्तर :
कवि अपनी प्रियतमा से दंड पाना चाहता है।

(ii) कवि ने जीवन में वही स्वीकारा जो उसे प्रिय था।
उत्तर :
कवि ने जीवन में उसे स्वीकारा जो उसकी प्रियतमा को प्रिय था।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखी कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है। वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा।

विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते हैं कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है, मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है; वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है। अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

सहर्ष स्वीकारा है Summary in Hindi

सहर्ष स्वीकारा है कवि परिचय :

गजानन माधव मुक्तिबोध’ जी का जन्म 13 नवंबर 1917 को शिवपुरी जिला मुरैना ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई। 1938 में बी.ए. पास करने के पश्चात आप उज्जैन के मॉडर्न स्कूल में अध्यापक हो गए।

1954 में एम.ए. करने पर राजनाँद गाँव के दिग्विजय कॉलेज में प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए। यहाँ रहते हुए उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, तथा रुसी उपन्यासों के साथ जासूसी उपन्यासों, वैज्ञानिक उपन्यासों, विभिन्न देशों के इतिहास तथा विज्ञान विषयक साहित्य का गहन अध्ययन किया।

आप नई कविता के सर्वाधिक चर्चित कवि रहे हैं। प्रकृति प्रेम, सौंदर्य, कल्पनाप्रियता के साथ सर्वहारा वर्ग के आक्रोश तथा विद्रोह के विविध रूपों का यथार्थ चित्रण आपके काव्य की विशेषता है। 1962 में उनकी अंतिम रचना ‘भारत : इतिहास और संस्कृति’ प्रकाशित हुई। मुक्तिबोध जी की मृत्यु 1964 में हुई।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

प्रमुख रचनाएँ : कविता संग्रह : ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’, ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ तथा तारसप्तक में प्रकाशित रचनाएँ।
कहानी संग्रह : काठ का सपना, सतह से उठता आदमी
उपन्यास : विपात्र
आलोचना : कामायनी – एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ।
इतिहास : भारत : इतिहास और संस्कृति
रचनावली : मुक्तिबोध रचनावली (सात खंड)

सहर्ष स्वीकारा है काव्य परिचय :

प्रस्तुत नई कविता ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ काव्य-संग्रह से ली गई है। एक होता है – स्वीकारना और दूसरा होता है – सहर्ष स्वीकारना यानी खुशी-खुशी स्वीकार करना। यह कविता जीवन के सब सुख-दु:ख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। कवि को जहाँ से यह प्रेरणा मिली कविता प्रेरणा के उस उत्स (spring) तक भी हमको ले जाती है।

उस विशिष्ट व्यक्ति या सत्ता के इसी ‘सहजता’ के चलते उसको स्वीकार किया था। कुछ इस तरह स्वीकार किया था कि आज तक सामने नहीं भी है तो भी आस-पास उसके होने का एहसास है।

सहर्ष स्वीकारा है सारांश :

कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, उसे मैं खुशी से स्वीकार करता हूँ। इसलिए मेरा जो कुछ भी है, वह उसको (माँ या प्रिया) अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी – ये सब मौलिक हैं तथा नए हैं। इनकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर क्षण जो कुछ घटता है, जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 9

कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा लगता है मानो दिल में कोई झरना बह रहा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

वह स्नेह मीठे पानी के स्रोत के समान है जो मेरे अंतर्मन को तृप्त करता रहता है। इधर मन में प्रेम है और ऊपर से तुम्हारा चाँद जैसा मुस्कराता हुआ सुंदर चेहरा अपने अद्भुत सौंदर्य के प्रकाश से मुझे नहलाता रहता है। यह स्थिति उसी प्रकार की है जिस प्रकार आकाश में मुस्कराता हुआ चंद्रमा पृथ्वी को अपने प्रकाश से नहलाता रहता है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। वह चाहता है कि प्रिय उसे भूलने का दंड दे। वह इस दंड को भी सहर्ष स्वीकार करने के लिए तैयार है। प्रिय को भूलने का अंधकार कवि के लिए दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली छह मास की रात्रि के समान होगा। वह उस अंधकार में लीन हो जाना चाहता है।

वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है। प्रिय की ममता या स्नेह रूपी बादल की कोमलता सदैव मेरे मन को अंदर ही – अंदर पीड़ा पहुँचाती है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है।

जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उसे अपनी प्रियतमा (माँ या प्रिया) के प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना और रह-रहकर अपनापन जताना सहन नहीं होता। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा (सबसे प्यारी स्त्री) के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगो में खो जाए। ऐसी जगहों पर स्वयं का अस्तित्व भी अनुभव नहीं होता या फिर वह धुएँ के बादलों के समान गहन अंधकार में लापता हो जाए जो उसके न होने से बना हो। ऐसी जगहों पर भी उसे अपनी प्रियतमा का ही सहारा है।

उसके जीवन में जो कुछ भी है या जो कुछ उसे अपना-सा लगता है, वह सब उसके कारण है। उसकी सत्ता, स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण है। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दु:ख, सफलता-असफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है।

सहर्ष स्वीकारा है शब्दार्थ :

  • सहर्ष = खुशी – खुशी (readily),
  • स्वीकारा = मन से मानना (accept),
  • गरवीली = स्वाभिमानी (self-respect),
  • गंभीर = गहरा (grave),
  • अनुभव = व्यावहारिक ज्ञान (experience),
  • विचार वैभव = अच्छे विचार, विचारों की संपन्नता (glorious thought),
  • दृढ़ता = मजबूती (solidity),
  • सरिता = नदी (river),
  • अभिनव = नया (new),
  • मौलिक = वास्तविक, मूलभूत (basic),
  • जाग्रत = जागा हुआ (awake),
  • अपलक = निरंतर, एकटक (unwinking),
  • संवेदन = अनुभूति (perception),
  • उँडेलना = बाहर निकालना (to outpour),
  • सोता = झरना (spring), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • दंड = सजा (punishment),
  • दक्षिण ध्रुवी अंधकार = दक्षिण ध्रुव पर ढकने से घिरा हुआ (south pole darkness),
  • आच्छादित = छाया हुआ, ढका हुआ (clad),
  • रमणीय = मनोरम (delightful),
  • उजेला = प्रकाश (light),
  • ममता = अपनापन, स्नेह (motherly love),
  • मँडराती = आसपास घूमना (move around),
  • पिराता = दर्द करना (painful),
  • अक्षम = अशक्त (weak),
  • भवितव्यता = भविष्य में घटने वाली घटनाएँ (future),
  • बहलाती = मन को प्रसन्न करती (recreate),
  • सहलाती = दर्द को कम करती हुई (stroke),
  • पाताली अँधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध, गुहा = गुफा (cave),
  • विवर = बिल, गड्ढा (centesis),
  • लापता = गायब (missing),
  • कारण = मूल प्रेरणा (reason),
  • घेरा = फैलाव (enclosure),
  • वैभव = समृद्ध (splendour)
  • गरबीली = स्वाभिमानी
  • मौलिक = मूलभूत
  • अपलक = एकटक
  • संवेदन = अनुभूति
  • सोता = झरना Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • परिवेष्टित = चारों ओर से घिरा हुआ, ढका हुआ
  • पाताली अंधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध
  • विवर = बिल, गड्ढा