Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 छोटा जादूगर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 छोटा जादूगर Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण लिखिए 

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण लिखिए
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 1

2. छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः

प्रश्न 1.
छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 2.

3. ‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।
उत्तर :
i. अभिनेता
ii. बरतन

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4. विधान को सही करके लिखिए। 

प्रश्न 1.
विधान को सही करके लिखिए।
i. ताश के सब पत्ते पीले हो गए।
ii. खेल हो जाने पर चीजें बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।
उत्तर :
i. ताश के सब पत्ते लाल हो गए।
ii. खेल हो जाने पर पैसा बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।

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5. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ।

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति अव्यय शब्दों से कीजिए और नया वाक्य बनाइए।
उत्तर:
i. जहाँ एक लड़का चुपचाप देख रहा था।
वाक्य:
मोहन नदी की लहरों को चुपचाप देख रहा था।

ii. मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ।
वाक्य:
हिंसक शेर मेरी ओर चला आ रहा था।

iii. हाँ! मैं सच कहता हूँ बाबू जी।
वाक्य :
हाँ! मैं छोटा जादूगर हूँ।

iv. अकस्मात किसी ने ऊपर के हिंडोले से पुकारा।
वाक्य :
अकस्मात रमेश छत के ऊपर से कूद गया।

v. मैं बिना बुलाए भी कहीं जा पहुँचता हूँ।
वाक्य:
मैं बिना पढ़े परीक्षा नहीं देता हूँ।

vi. लेखकों और वक्ताओं की न जाने क्या दुर्दशा होती।
वाक्य :
मोहन और गणेश एक अच्छे मित्र हैं।

vii. वाह ! क्या बात।
वाक्य:
वाह ! आप मैच जीत गए।

viii. वह बाजार गया क्योंकि उसे किताब खरीदनी थी।
वाक्य :
मै प्रतिदिन पड़ता हूँ क्योंकि मुझे परीक्षा में अच्छे अंक लाने हैं।

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6. रचनात्मकता की ओर संभाषणीय

प्रश्न 1.
माँ के लिए छोटे जादूगर के किए हुए प्रयास समावण बताइए।
उत्तर:
छोटा जादूगर अपनी माँ की दवा के लिए कार्निवाल के मैदान में जाता है, जहाँ पर उसकी मुलाकात लेखक से होती है। वह उन्हें अपनी माँ और पिता जी के बारे में बताता है। लेखक द्वारा शरबत पिलाने के बाद वह उनसे कहता है कि यदि आप मुझे शरबत न पिलाकर मेरा खेल देखकर कुछ पैसे दे देते तो माँ के लिए मैं पथ्य ले लेता। लेखक जब उसे निशानेबाजी के लिए ले गए तो उसने सभी बारह खिलौने जीत लिए।

लेखक फिर उससे कोलकाता के बोटेनिकल उद्यान में मिले जहाँ पर वह खिलौनों को लेकर तमाशा दिखाकर अपनी माँ के लिए एक सूती कंबल खरीदने की इच्छा लिए था। एक दिन लेखक जब मोटर से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें एक झोंपड़ी के पास खड़ा मिला। उसने लेखक को बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। जब लेखक झोपड़ी के अंदर गए तो उन्होंने देखा कि छोटा जादूगर अपनी माँ के शरीर पर कंबल डाले उससे लिपट कर निरीह भाव से उसे निहार रहा है।

एक दिन छोटा जादूगर निर्मल धूप में सड़क के किनारे अपना तमाशा दिखा रहा था किंतु उसकी वाणी में प्रसन्नता न थी। लेखक द्वारा पूछने पर उसने बताया कि उसकी माँ का समय समीप है और उसने मुझे जल्दी घर बुलाया है। फिर वह पैसा बटोरकर लेखक के साथ अपने घर को चल दिया किंतु घर पहुँचकर पता चला कि उसकी माँ अब नहीं रही।

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7. मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘माँ’ विषय पर स्वरचित कविता प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
है साथ मेरे हरदम, बनकर एक साया,
उसने ही मेरा जीवन महकाया।

तकलीफ में भी मुस्काती है,
हर गम खुशी से सह जाती है।

मेरी राहों पर फूल बिछाती वो,
खुद काँटों पर सो जाती है।

ममता की सूरत है माँ,
भगवान की छवि कहलाती माँ ।

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8. आसपास :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय के किसी समारोह का सूत्र संचालन कीजिए।
उत्तर:
सूत्र-संचालन (गणतंत्र दिवस)
आज के इस आज़ादी के जश्न में, मैं रामकुमार विद्यालय में पधारे हमारे अपने सभी खासो-ओ-आम का बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ-जय हिंद कहता हूँ। मैं अपने सभी विशिष्ट अतिथियों, समाजसेवियों, हमारे गुरुजनों, सभी पधारे हुए आज़ादी के दीवानों और हमारे साथियों को हमारे विद्यालय की तरफ से गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँबधाइयाँ देता हूँ। शुभकामनाएँ इसलिए कि हमने लगभग 200 साल की परतंत्रता सहन करने के बाद यह अनमोल आज़ादी की फ़िज़ा पाई है।

और यह आज़ादी, यह अपनी पसंद से जीने का अधिकार हमें सदा प्राप्त हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ मैं रामकुमार हमारे विद्यालय की तरफ से आप सब देशभक्तों का इस आज़ादी के जश्न में स्वागत करता हूँ-वंदे मातरम कहता हूँ। वतन पर मर-मिटने के ज़माने गुज़र गए, मज़ा तो अब इसके लिए जीने में है। अपनी आज़ादी अपनी संप्रभुता के लिए एक बार जोरदार तालियाँ बजा दीजिए।

धन्यवाद! जी हाँ साथियों, ये जो हमारे अमर शहीदों ने बलिदानों के बीज इस मातृभूमि पर रोपे थे, आज उनकी टहनियों पर महकते फूल खिल आए हैं। इन फूलों की महक इस देश में ही नहीं, सारे संसार में फैले, इस कामना के साथ आइए आज के इस महोत्सव का शुभारंभ करते हैं।

इक चमक ताब इक मदहोशी, हर आलम चंगा होता है, इक हूक चमकती आँखों में, हर कतरा गंगा होता है। दिल में मतवाली मौज पले, मन सात आसमाँ छूता है, जब-जब अपने इन हाथों में, लहराता तिरंगा होता है। तो आइए, मित्रों ! सर्वप्रथम हम अपनी आन-बान-शान के प्रतीक हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का ध्वज वंदन करें।

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9. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
सियारामशरण गुप्त जी द्वारा लिखित ‘काकी’ पाठ के भावपूर्ण प्रसंग को शब्दांकित कीजिए।
उत्तर :
‘काकी’ शीर्षक कहानी में एक बच्चे के मन के भावों का वर्णन किया गया है। एक दिन श्यामू ने देखा कि उसकी माँ सिर से लेकर पैर तक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि पर लेटी हुई है । घर के लोग उसे घेरे हुए रो रहे हैं, पर श्यामू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? लोग जब उसकी माँ के मृत शरीर को उठाकर ले जाने लगे, तब उसने रो-रोकर तमाशा कर दिया। उसे बहुत समझाया गया फिर भी वह रोता रहा। कुछ दिन पश्चात् उसके मित्रों द्वारा पता चला कि उसकी माँ ऊपर राम के घर चली गई।

एक दिन श्यामू ने आकाश में पतंग उड़ते देखा। उसने सोचा,क्यों न वह एक पतंग आकाश में उड़ा दे और उसकी माँ पतंग के सहारे राम के घर से नीचे उतर आएगी। उसने पिता (काका) से पतंग दिलाने के लिए कहा, पर पिता ने पतंग नहीं दिलाई। एक दिन श्यामू ने अपने पिता की जेब से एक चवन्नी चुराई और अपने मित्र भोला से पतंग मँगवा ली। श्यामू ने सोचा पतंग पर ‘काकी’ लिखकर उड़ा देंगे और काकी इसे पकड़कर नीचे आ जाएगी।

भोला, श्यामू से अधिक समझदार था। उसने श्यामू को समझाया कि पतंग की डोर पतली है, काकी का भार सम्भाल नहीं पाएगी और टूट जाएगी। दूसरे दिन श्यामू ने अपने पिता की कोट से एक रूपया चुराया और मोटी रस्सी मँगवाई। जब श्यामू और भोला पतंग में रस्सी बाँध रहे थे, तभी श्यामू के पिता आ धमके और जब उन्हें पता चला कि श्याम ने उनकी जेब से पैसा निकाला है, तो उनको बहुत गुस्सा आया।

उन्होंने श्यामू को मारा और पतंग फाड़ दी। उनके डाँटने पर डर के कारण भोला ने बताया कि वह पतंग के सहारे अपनी काकी (माँ) को नीचे उतारना चाहता था। विश्वेश्वर ने जब भोला की बात सुनी तो उन्हें बहुत दुख हुआ। पतंग पर चिपके कागज पर ‘काकी’ लिखा देखकर वे हैरान रह गए। इस पाठ में बाल मन के निश्छल, निष्कपट प्रेम की मार्मिक अभिव्यक्ति की गई है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कश्चन सत्य है या असत्य लिखिए।

  1. लड़के की जेब में पेड़ के कुछ पत्ते थे।
  2. दोनों शरबत पीकर निशाना लगाने चले।
  3. लड़के के स्वभाव में संपूर्णता थी।

उत्तर :

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. दुख
ii. कारागार
उत्तर :
i. विषाद
ii. जेल

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. गरम × ……….
ii. बीमार × ………..
उत्तर :
i. ठंडा
ii. स्वस्थ

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
अपने नगर में आयोजित किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘जीवन में जिस प्रकार खेलकूद और मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के साधन उपलब्ध हैं, उन्हीं में से एक है जादू का तमाशा। एक दिन हमारे शहर में भी जादू के तमाशे का समाचार अखबार में छपा। अगले ही दिन पिता जी हमें जादू का खेल दिखाने ले गए। हमने टिकटें खरीदी और अंदर गए। थोड़ी देर बाद जादूगर स्टेज पर आया। उसने जैसे ही सबको अभिवादन किया ऊपर से फूल बरसने लगे।

फिर उसने अपनी टोपी उतारकर दिखाई जो एकदम खाली थी लेकिन उसने उसमें हाथ डाला तो खरगोश बाहर निकला और भाग गया। उसने दोबारा हाथ डाला तो तितलियाँ निकलकर उड़ने लगीं। हम सब यह देखकर हैरान हो गए। इसके बाद अगले खेल में उसने अलग-अलग रंगों के कपड़ों की तीन-चार छोटी-छोटी पट्टियाँ मुँह में रख ली और हवा में हाथ घुमाया। फिर मुंह से पट्टियाँ बाहर निकाली तो रंग-बिरंगे रूमाल निकलते चले गए। ऐसा जादू हमने कभी नहीं देखा था और अंत में, हम सब आपस में चर्चा करते हुए खुशी-खुशी घर लौटे।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
i. छोटा जादूगर को तब अधिक प्रसन्नता होती जब –
ii. देखने वाले इसलिए दंग रह गए क्योंकि –
उत्तर :
i. लेखक उसे शरबत न पिलाकर उसका खेल देखकर कुछ पैसे दे दिया होता।
ii. छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज निकला। उसकी कोई गेंद खाली नहीं गई।

कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए।
i. बीमार
ii. तमाशा
उत्तर :
i. बीमार + ई = बीमारी
ii. तमाशा + ई = तमाशाई

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प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. झूठ × ……………
ii. नीचे × …………..
उत्तर :
i. सच
ii. ऊपर

कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
जो व्यक्ति जीवन में अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, वे बचपन से ही सपने देखा करते हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
लक्ष्य को पाने के लिए व्यक्ति को बचपन से ही प्रयास करना पड़ता है। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होते हैं, वे बचपन से ही सपने देखते हैं। कल्पना चावला, न्यूटन, डॉ. अब्दुल कलाम आदि महापुरुषों ने बचपन से ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने का सपना देखा था और उस दिशा में कोशिश एवं अथक परिश्रम करना शुरू कर दिया था। इसी कारण वे अपने लक्ष्य तक पहुँच सके थे।

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(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 5

कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. गुड़िया – ………….
ii. जादूगर – …………
उत्तर :
i. गुड्डा
ii. जादूगरनी

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में माँ का महत्त्व’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में माँ का बहुत महत्त्व होता है। एक बालक का संपूर्ण संसार माँ ही होती है। माँ जीवन की प्रथम गुरु होती है। वह हमें चलना, बोलना और पढ़ना सिखाती है। उसके दिए संस्कारों से ही मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण करता है। वह हमारे लिए पढ़ाई-लिखाई, भोजन, कपड़े आदि का इंतजाम करती है। सचमुच, माँ सेह, ममता, सद्भावना और कर्तव्य-पालन की जीवंत मूर्ति होती है।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 6

प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुट गई।
ii. लेखक इडेन गार्डेन देखने के लिए चले।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने झोपड़ी में यह देखा –
उत्तर:
एक स्त्री चिथड़ो में लदी हुई काँप रही थी।

कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. श्रीमती
ii. स्त्री
उत्तर :
i. श्रीमान
ii. पुरुष

प्रश्न 2.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँडकर लिखिए।
उत्तर :
i. टुकड़े-टुकड़े
ii. धीरे-धीरे

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने बचपन में नन्हें कलाकारों को अपना तमाशा दिखाते हुए देखा होगा…’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैंने अपने बचपन में अनेक नन्हें कलाकारों को तमाशा दिखाते हुए देखा है। वे बाल कलाकार तमाशा दिखाते और उनके बदले कुछ पैसे या अनाज लेकर अपना पेट पालते हैं। यद्यपि उनके अंदर अनेक गुण होते हैं किंतु विषम परिस्थिति होने के कारण उनका वह गुण संपूर्ण दुनिया के सामने नहीं आ पाता है और वह जीवन पर्यंत सिर्फ अपना पेट ही पालते रह जाते हैं। सरकार और समाज को चाहिए कि वह इस प्रकार के बच्चों के लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था करें तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन और अवसर प्रदान करें; जिससे ये बच्चे भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना सकें।

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ङ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
i. लेखक का मन यहाँ से ऊब गया था –
ii. लेखक ने सड़क के किनारे यह देखा –
उत्तर :
i. कोलकाता से
ii. छोटे जादूगर का रंगमंच सजा हुआ।

प्रश्न 2.
विधानों को सही करके लिखिए।
i. तब भी तुम जादू दिखाने चले आए।
उत्तर :
i. तब भी तुम खेल दिखाने चले आए।

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कृति ङ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए।
i. समय
ii. परिचित
उत्तर:
i. अ + समय = असमय
ii. अ+ परिचित – अपरिचित

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. छुट्टी
ii. चेष्टा
उत्तर :
i. अवकाश
ii. प्रयत्न

प्रश्न 3.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. चलते-चलते
ii. सुख-दुख

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कृति छ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘माँ की ममता’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण इंसान ‘माँ’ होती है। वह हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है। ढेर सारे दुख और पीड़ा सहकर वह हमें अपनी कोख में रखती है। वह अपने वास्तविक जीवन में हमेशा हमारे बारे में सोचकर खुश हो जाती है। एक माँ अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वह हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक नि:स्वार्थ आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है।

छोटा जादूगर Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय :

जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सरायगोवर्धन में हुआ था। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी में क्वींस कालेज में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ संस्कृत, हिंदी, उर्दू तथा फारसी का अध्ययन इन्होंने किया। प्रसाद जी हिंदी साहित्य के छायावादी कवियों के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ये हिंदी साहित्य में कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं।

प्रमुख कृतियाँ :

  • काव्य – ‘झरना’ , ‘आँसू’, ‘लहर’, आदि।
  • महाकाव्य – ‘कामायनी’
  • ऐतिहासिक नाटक – ‘स्कंदगुप्त’,’चंद्रगुप्त’, ‘धुवस्वामिनी।
  • कहानी संग्रह – ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘इंद्रजाल’ आदि।
  • उपन्यास – ‘कंकाल’, ‘तितली,’ ‘इरावती’।

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गद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानी: किसी विशेष घटना की रोचक एवं आकर्षक ढंग से संवाद के रूप में प्रस्तुति ‘संवादात्मक कहानी’ कहलाती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष, बीमार माँ की देखभाल और उसके चातुर्यपूर्ण साहस को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। मानवीय संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना ‘छोटे जादूगर’ के माध्यम से की गई है।

सारांश :

प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष को उजागर किया है। इस कहानी में जयशंकर प्रसाद खुद एक पात्र हैं; जो एक लड़के के मन को पढ़ने का प्रयत्ल कर रहे हैं। उस समय के वातावरण का वर्णन करते हुऐ प्रसाद जी लिखते हैं कि कार्निवाल के मैदान में बिजली के जगमगाहट, हँसी और विनोद के कलनाद के बीच वे उस लड़के की तरफ आकर्षित हुए जिसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी सूत की रस्सी पड़ी थी और उसके जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।

लेखक उसे खेल दिखाने ले गए। रास्ते में बातचीत के दौरान लेखक को पता चला कि लड़के के घर में उसके माँ और पिताजी भी हैं। उसके पिता जी देश के लिए जेल में बंद हैं और माँ बीमार है। लड़के ने लेखक को बताया कि उसकी माँ बीमार है और उसके दवा के लिए वह तमाशा दिखाकर कुछ पैसे इकट्ठा करना चाहता है। माँ के प्रति ममता देखकर लेखक उसे निशाना लगाने की जगह ले गए। जहाँ लड़के ने बारह खिलौने जीते और वहाँ से नौ-दो ग्यारह हो गया।

एक बार फिर लेखक को वह छोटा जादूगर कोलकाता के सुरम्य बोटेनिकल उद्यान में दिखाई दिया जहाँ लेखक अपनी मित्र मंडली के साथ जलपान कर रहे थे। लेखक के मना करने के बावजूद उनकी श्रीमती ने उस लड़के को तमाशा दिखाने के लिए कहा। लड़के ने अपना तमाशा दिखाया जिसे देखकर सब लोग प्रसन्न हुए और लेखक सोचता रहा कि ‘बालक को आवश्यकता ने कितना शीघ्र चतुर बना दिया है। यही तो संसार है।

एक दिन शाम के समय लेखक अपनी गाड़ी से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें झोपड़ी के पास मिला और उनको बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। लेखक ने अंदर जाकर देखा तो उसकी माँ झोंपड़ी में चिथड़ों से लिपटी हुई पड़ी थी।

लेखक की जेहन में वह छोटा जादूगर घर कर गया। वह सोचता है कि छोटा जादूगर कितना निश्छल, कितना परिश्रमी, बाल-सुलभ चेष्टाएँ और बीमार माँ की जिम्मेदारी किस तरह वहन करता है।

एक दिन लेखक जब जा रहे थे तो उन्होंने छोटे जादूगर को तमाशा दिखाते हुए देखा किंतु उस जादूगर की वाणी में वह प्रसन्नता न देखकर उन्होंने कारण पूछा तो लड़के ने बताया कि उसकी माँ बहुत बीमार है और घर जल्दी आने को बोली है। लेखक उसे लेकर उसके घर पहुँचे तो उसकी बीमार माँ के मुख से सिर्फ ‘बे …’ शब्द निकलकर ही रह गया। जादूगर अपनी माँ से लिपटकर रोने लगा।

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शब्दार्थ :

  1. विषाद – दुख
  2. हिंडोले – झूला
  3. जलपान – नाश्ता
  4. घुड़कना – डॉटना
  5. वाचालता – अधिक बोलना
  6. जीविका – रोजी-रोटी
  7. ईर्ष्या – जलना, दवेष
  8. चिथड़ा – फटा पुराना कपड़ा
  9. बेष्टा – प्रयत्न
  10. समीप – पास, निकट, नजदीक
  11. अनुपात – प्रमाण, तुलनात्मक
  12. समग्न – संपूर्ण
  13. जगमगाना – चमकना
  14. कलनाद – मधुर ध्वनि
  15. गंभीर – गहरा, भारी
  16. सहमत – एकमत, राजी
  17. पथ्य – रोगी को दिया जाने वाला भोजन
  18. सुरम्य – बहुत सुंदर, रमणीय
  19. कमलिनी – छोटा कमल
  20. सयाना – बुद्धिमान
  21. बटोरना – समेटना, इकट्ठा करना
  22. अस्ताचलगामी सूर्य – पश्चिम दिशा में भागता हुआ सूरज
  23. स्मरण – स्मृति, याद
  24. स्फूर्तिमान – सक्रिय
  25. अविचल – स्थिर
  26. स्तब्ध – संज्ञाहीन, स्थिर
  27. विनोद – प्रसन्नता, खेल-कूद
  28. फुहारा – फव्वारा
  29. धैर्य – शांति
  30. निकम्मा – जो कोई काम न करता हो
  31. तिरस्कार – अपमान
  32. व्यग्र – व्याकुल
  33. उद्यान – बगीचा, फुलवारी
  34. अभिनय – भावाभिव्यक्ति

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मुहावरे :

  • दंग रहना – चकित होना
  • मन ऊब जाना – उकता जाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 सागर और मेघ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers

1. स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (क) सागर
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (ख) मेघ भरने वाला।
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (ग) मनुष्य
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (क) सागर

3. समानार्थी शब्द बताइए।

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 1

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।

हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 2

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।

इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

आसपास:

प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।

आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।

वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’ ‘ब’
1.  दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला (क) वाड़व
2. सागर को नित्य जलाने वाला (ख) मेघ
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’ ‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला (ख) मेघ
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे (ग) मनुष्य

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 3

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)

प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।

सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 4

प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

कृति ग (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 5

सागर और मेघ Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।

प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

गद्य-परिचय:

संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।

सारांश:

सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।

फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।

सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।

मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

शब्दार्थ:

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. वारि – जल
  3. धरोहर – विरासत
  4. निरंतरता – अविरामता
  5. कायम रहना – बने रहना
  6. विकार – गंदगी
  7. तृप्त – संतुष्ट
  8. करतूत – कार्य
  9. हठात – हठपूर्वक
  10. वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
  11. मर्यादा. – सीमा
  12. आयास – विस्तार (आयाम)
  13. उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
  14. रसा – पृथ्वी
  15. वंध्या – बंजर
  16. निपात – गिरना
  17. आततायियों – अत्याचारियों
  18. चेत जाना – सावधान होना
  19. शास्ता – राजा, शासक
  20. आतुरता – उत्सुकता

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई

Marathi Aksharbharati Std 9 Digest Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

1. चौकटी पूर्ण करा.

प्रश्न 1.
चौकटी पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 1.1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 2

2. कंसातील उत्तरांच्या आधाराने संकल्पना स्पष्ट करा.

‘प्रश्न 1.
कंसातील उत्तरांच्या आधाराने संकल्पना स्पष्ट करा.
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 3
(परिसर प्रचाराने व्यापक केला, वैभवापर्यंत पोहोचवला, वारकरी संप्रदायाची स्थापना, संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले.)
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 4

3. भावार्थाधारित. 

प्रश्न 1.
‘तुका झालासे कळस । भजन करा सावकाश।।’ या ओळीचा भावार्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
भक्तीची अंतिम अवस्था म्हणजेच संत तुकाराम. ज्ञानेश्वरांनी ज्ञानाच्या साहाय्याने निर्मिती केलेल्या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने तुकारामांनी परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत पोहोचवली. तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग सर्वांना सांगितला.

प्रश्न 2.
‘ज्ञानदेवे रचिला पाया। उभारिलें देवालया ।।’ या ओळीचा भावार्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचिला. आपल्या ज्ञान व भक्ती यांच्या जोरावर ‘ज्ञानेश्वरी’ या इमारतीचा पाया निर्माण केला. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे.

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई

उपक्रम :

‘भक्तिगंगेच्या वाटेवर’ या हे. वि. इनामदार यांच्या पुस्तकाचे वर्गात सामूहिक वाचन करा.

भाषाभ्यास :

अलंकाराच्या संदर्भातील महत्त्वाचे शब्द पुढीलप्रमाणे असतात.

  1. उपमेय – ज्याची तुलना करायची ते उपमेय.
    उदा., आंबा साखरेसारखा गोड आहे. या उदाहरणात आंबा हे उपमेय आहे.
  2. उपमान – ज्याच्याबरोबर तुलना करावयाची ते उपमान.
    उदा., इथे साखर हे उपमान.
  3. समान धर्म – दोन वस्तूंत असलेला सारखेपणा किंवा दोन वस्तूतील समान गुणधर्म.
    उदा., गोडपणा.
  4. साम्यवाचक शब्द – वरील सारखेपणा दाखवण्यासाठी वापरलेला शब्द. उदा., सारखा.

खालील उदाहरणातील उपमेय, उपमान, साधर्म्यदर्शक शब्द व समान गुण ओळखा.
(अ) आईचे प्रेम सागरासारखे असते.
(आ) आमच्या गावचे सरपंच कर्णासारखे दानशूर आहेत.
(इ) राधाचा आवाज कोकिळेसारखा मधुर आहे.

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Marathi Akshar Bharati Class 9 Textbook Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Additional Important Questions and Answers

पुढील पक्ष्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा:

कृती 1 : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 5

प्रश्न 2.
उत्तर लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 6

प्रश्न 3.
खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.
i. वारकरी संप्रदायावर कोणाची कृपा झाली असे अभंगात म्हटले आहे?
उत्तर:
वारकरी संप्रदायावर संतांची कृपा झाली असे अभंगात म्हटले आहे.

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ii. वारकरी संप्रदायाचा किंकर कोणास म्हटले आहे?
उत्तर:
वारकरी संप्रदायाचा किंकर संत नामदेव यांना म्हटले आहे.

iii. संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी वारकरी संप्रदायाला काय दिले?
उत्तर:
संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी वारकरी संप्रदायाला भागवत संप्रदायरूपी खांब दिला.

iv. संत बहिणाबाईंनी स्वीकारलेले कार्य कोणते?
उत्तर:
वारकरी संप्रदायाचा ध्वज सतत फडकत ठेवणे, हे संत बहिणाबाईंनी स्वीकारलेले कार्य आहे.

v. संत बहिणाबाईंनी भजन कसे करण्यास सांगितले आहे?
उत्तर:
संत बहिणाबाईनी भजन सावकाश करण्यास सांगितले आहे.

vi. संत बहिणाबाईंनी वारकरी संप्रदायाच्या प्रचारासाठी स्वीकारलेला मार्ग कोणता?
उत्तर:
संत बहिणाबाईंनी वारकरी संप्रदायाच्या प्रचारासाठी स्वीकारलेला मार्ग निरूपणाचा आहे.

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प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा,

  1. संतकृपा झाली । इमारत …………….. आली ।। (मुळा, कळा, फळा, माळा)
  2. रचिला पाया । उभारिलें देवालया ।। (जनार्दनें, नामा, ज्ञानदेवें, एकनाथ)
  3. नामा तयाचा ………….”। तेणें रचिलें तें आवार ।। (दास, किंकर, सेवक, खांब)
  4. तुका झालासे ………… भजन करा सावकाश ।। (शिखर, माथा, कळस, गाभा)
  5. बहिणी म्हणे फडकती …………. निरूपणा केलें बोजा। (पताका, ध्वजा, झेंडा, निशाण)

उत्तर:

  1. फळा
  2. ज्ञानदेवेंवें
  3. किंकर
  4. कळस
  5. ध्वजा

कृती 2 : आकलन कृती

प्रश्न 1.
समान अर्थाच्या काव्यपंक्ती शोधून लिहा.
i. (अ) संत नामदेवांनी वारकरी संप्रदायाचा दास बनून संप्रदायाचा विस्तार केला.
(ब) संतांची कृपा झाल्यामुळे वारकरी संप्रदायाची निर्मिती झाली.
उत्तर:
(अ) नामा तयाचा किंकर । तेणें रचिलें तें आवार ।।
(ब) संतकृपा झाली । इमारत फळा आली ।।

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ii. (अ) संत तुकाराम भक्तीच्या जोरावर वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा कळस झाले.
(ब) संतांनी वारकरी संप्रदायाला भागवत धर्माची जोड दिली.
उत्तर:
(अ) तुका झालासे कळस ।
(ब) जनार्दन एकनाथ । खांब दिधला भागवत।।

प्रश्न 2.
जोड्या जुळवा.

i.

‘अ’ गट ‘ब’ गट
1. संतकृपा (अ) आवार
2. ज्ञानदेवें (ब) किंकर
3. नामा (क) पाया
4. रचिलें (ड) इमारत फळा

उत्तर:

‘अ’ गट ‘ब’ गट
1. संतकृपा (ड) इमारत फळा
2. ज्ञानदेवें (क) पाया
3. नामा (ब) किंकर
4. रचिलें (अ) आवार

ii.

‘अ’ गट ‘ब’ गट
1. संत जनार्दन, संत एकनाथ (अ) फडकती ध्वजा
2. तुका झालासे (ब) खांब
(क) कळस

उत्तर:

‘अ’ गट ‘ब’ गट
1. संत जनार्दन, संत एकनाथ (ब) खांब
2. तुका झालासे (क) कळस

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प्रश्न 3.
काव्यपंक्तींचा योग्य क्रम लावा.
i. (अ) तेणें रचिलें तें आवार।।
(ब) इमारत फळा आली।।
(क) उभारिलें देवालया।।
(ड) नामा तयाचा किंकर।।
उत्तर:
(अ) इमारत फळा आली।।
(ब) उभारिलें देवालया।।
(क) नामा तयाचा किंकर।।
(ड) तेणें रचिलें तें आवार।।

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ii. (अ) तुका झालासे कळस।
(ब) निरूपणा केलें बोजा।
(क) खांब दिधला भागवत।
(ड) भजन करा सावकाश।
उत्तर:
(अ) खांब दिधला भागवत।
(ब) तुका झालासे कळस ।
(क)भजन करा सावकाश।
(ड) निरूपणा केलें बोजा।

प्रश्न 4.
काव्यपंक्तींवरून शब्दांचा योग्य क्रम लावा.
i. (अ) पाया, इमारत, फळा, आवार
(ब) नामा, संतकृपा, ज्ञानदेवें, देवालया
उत्तर:
(अ) इमारत, फळा, पाया, आवार
(ब) संतकृपा, ज्ञानदेवें, देवालया, नामा

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ii. (अ) बोजा, खांब, भजन, सावकाश
(ब) तुकाराम, एकनाथ, बहिणी, जनार्दन
उत्तर:
(अ) खांब, भजन, सावकाश, बोजा
(ब) जनार्दन, एकनाथ, तुकाराम, बहिणी

प्रश्न 5.
कोण ते लिहा.
उत्तर:
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प्रश्न 6.
सहसंबंध लिहा.
i. सावकाश : भजन :: फडकती :
ii. एकनाथ : खांब :: तुकाराम :
उत्तर:
i. ध्वजा
ii. कळस

कृती 3 : काव्यसौंदर्य

प्रश्न 1.
पुढील ओळींचा अर्थ स्पष्ट करा.
i. जनार्दन एकनाथ। खांब दिधला भागवत ।।
उत्तरः
संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी भागवत संप्रदायाची निर्मिती करून वारकरी संप्रदायाला त्याची जोड दिली. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप देण्याचा आटोकाट प्रयत्न या दोन्ही
संतांनी केला. संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले.

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ii. तुका झालासे कळस । भजन करा सावकाश ।।
उत्तरः
भक्तीची अंतिम अवस्था म्हणजेच संत तुकाराम महाराज होय. ज्ञानेश्वरांनी ज्ञानाच्या साहाय्याने निर्मिती केलेल्या या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीवर आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने तुकारामांनी वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत पोहोचवली. तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग त्यांनी सर्वांना सांगितला.

iii. बहिणी म्हणे फडकती ध्वजा। निरूपणा केलें बोजा ।।
उत्तरः
संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीची
ध्वजा सतत फडकत ठेवण्याचे कार्य, त्याची धुरा सांभाळण्याचे काम मी माझ्या खांद्यावर घेतले आहे. ती एक प्रकारची जबाबदारी माझ्यावर आहे. निरूपणाच्या माध्यमातून मी वारकरी धर्माचा प्रचार व प्रसार करत आहे. निरूपणातून मी ही जबाबदारी पार पाडत आहे.

प्रश्न 2.
खालील काव्यपंक्तीतील आशयसौंदर्य स्पष्ट करा,
i. संतकृपा झाली । इमारत फळा आली ।।1।।
उत्तरः
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी म्हणून प्रसिद्ध आहे. या संतांनी आपल्या अलौकिक विचारांनी महाराष्ट्रात विठ्ठल भक्तीच्या वारकरी संप्रदायाची निर्मिती केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला संतांनी आपल्या विचारांनी, भक्तीच्या जोरावर मूर्तिमंत रूप दिले. जणूकाही संतांनी त्यावर कृपाच केली,

ii. ज्ञानदेवे रचिला पाया । उभारिलें देवालया ।।2।।
उत्तरः
या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचला. आपल्या ज्ञान व भक्ती यांच्या जोरावर ‘ज्ञानेश्वरांनी’ या इमारतीचा पाया उभा केला. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे.

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ii. नामा तयाचा किंकर । तेणें रचिलें तें आवार ।।3।।
उत्तरः
संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायाचा दास बनण्याचे महान कार्य संत नामदेव यांनी केले. त्यांनी वारकरी संप्रदायाचा प्रसार संपूर्ण भारतभर केला. वारकरी संप्रदायाचा दास बनून जीवनाच्या अंतिम क्षणापर्यंत वारकरी संप्रदायाचे संवर्धन व संगोपन केले, वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप प्राप्त करून दिले.

प्रश्न 3.
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी आहे, यावर तुमचे मत स्पष्ट करा.
उत्तरः
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी आहे. संत ज्ञानेश्वरांपासून ते संत तुकारामांपर्यंत अशा अनेक संतांचा जन्म महाराष्ट्रात झालेला आहे. सर्व संतांनी जरी पंढरीच्या विठ्ठलाची भक्ती केलेली असली, तरीही समाजसेवेचे अनमोल कार्य करून त्यांनी लोकांना दया, क्षमा, प्रेम, भक्ती, शांती इत्यादी मूल्यांची ओळख करून दिलेली आहे. महाराष्ट्रातील संतांचे अजून एक वैशिष्ट्य म्हणजे त्यांनी अभंग रचना करून मराठी भाषेचा गोडवा वाढविलेला आहे. वारीला जाताना आजही लोक ज्ञानबा तुकाराम’ यांच्या नावाचा जयघोष करतात.

प्रश्न 4.
संतांचे कार्य नेहमी मार्गदर्शकच ठरते, याविषयी तुमचे मत सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तरः
संत प्रकाशस्तंभाप्रमाणे असतात. ते भक्ताला अंधारातून बाहेर काढून ज्ञानज्योतीच्या दिव्य प्रकाशात नेत असतात. संत आपल्या आचरणातून इतरांना शिकवण देतात, म्हटलेच आहे की ‘आधी केले मग सांगितले’. संत ज्ञानेश्वरांनी स्वत:च्या आचरणातून लोकांना दया, क्षमा, शांती, परोपकार, अहिंसा अशा अनेक मूल्यांचे महत्त्व पटवून दिलेले आहे. नम्रपणा हा व्यक्तीचा सर्वात मोठा अलंकार आहे. हे पटवून देताना त्यांनी चांगदेवाचे केलेले गर्वहरण आपण कसे विसरू बरे.

समाजाचे भले करताना कितीही यातना झाल्या तरी त्या सोसाव्यात असे तुकोबा सांगतात, म्हणूनच संत जनाबाई म्हणतात, ‘संत जेणे व्हावे तेणे जगबोलणे सोसावे.’ अशाप्रकारे संतांचे कार्य हे आपणास नेहमी प्रेरणा देणारे असते. जीवनात येत असलेल्या संकटांना सामोरे जाण्याची शक्ती संतांच्या कार्यातूनच आपल्याला मिळते. म्हणून संतांचे कार्य नेहमी मार्गदर्शकच ठरते.

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दिलेल्या मुद्द्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृती सोडवा.

1. कवी/कवयित्रीचे नाव – संत बहिणाबाई
2. संदर्भ- ‘संतकृपा झाली’ हा अभंग संत बहिणाबाई यांनी लिहिला आहे. हा अभंग ‘सकलसंतगाथा खंड दुसरा: संत बहिणाबाईचे अभंग’ या पुस्तकातून घेतला आहे.
3. प्रस्तावना – ‘संतकृपा झाली’ हा अभंग ‘संत बहिणाबाई’ यांनी लिहिला आहे. महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे सुंदर वर्णन या अभंगामध्ये ‘संत बहिणाबाई यांनी केले आहे.
4. वाङ्मयप्रकार – ‘संतकृपा झाली’ ही कविता एक अभंग आहे.
5. कवितेचा विषय – महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायाच्या उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा आहे हे, दर्शविणारा संत बहिणाबाईंचा ‘संतकृपा झाली’ हा अभंग एक उत्कृष्ट भक्तिगीत आहे.

6. कवितेतील आवडलेली ओळ –
ज्ञानदेवे रचिला पाया।
उभारिलें देवालया।।

7. मध्यवर्ती कल्पना – महाराष्ट्र ही संतांची भूमी मानली आहे. या भूमीत अनेक संत जन्माला आले. या सगळ्या संतांनी तन, मन, धन अर्पण करून पंढरीच्या विठ्ठलाची भक्ती केली. त्याच्या भक्तीत सदैव दंग असलेल्या वारकरी संप्रदायाची उभारणी या संतांनी केली. त्यामध्ये संतांनी केलेल्या सहकार्याचे वर्णन ‘संतकृपा झाली’ या अभंगामध्ये केलेले आढळते.

8. कवितेतून मिळणारा संदेश –
महाराष्ट्राच्या पवित्र भूमीत अनेक संतांनी जन्म घेतला आहे. या साऱ्या संतांनी सर्वस्व अर्पण करून पंढरपूरच्या विठ्ठलाची भक्ती केली. त्याचे नामस्मरण केले. शिवाय सर्वसामान्य लोकांना भक्तिमार्गाकडे वळवले. त्यासाठी वारकरी संप्रदायाची उभारणी या महाराष्ट्रात केली. त्या संतांच्या कार्याचे महत्त्व अभ्यासून, आपणसुद्धा भक्तिमार्गाचा स्वीकार करावा, हाच संदेश ‘संतकृपा झाली’ या अभंगातून आपणास मिळतो.

9. कविता आवडण्याची वा न आवडण्याची कारणे –
‘संतकृपा झाली’ ह्य संत बहिणाबाई यांचा अभंग मला खूप आवडला आहे. त्याचे मुख्य कारण म्हणजे आपल्या महाराष्ट्रामध्ये वारकरी संप्रदायाची उभारणी संतांनी केली आहे. त्यांचे मोलाचे सहकार्य त्यासाठी लाभले आहे. या सर्वांचे भक्तिपूर्ण वर्णन करताना संत बहिणाबाईंनी या वारकरी संप्रदायाला देवालयाच्या इमारतीचे प्रतीक मानले आहे. इमारतीचा पाया, त्याचा किंकर, खांब, कळस, फडकणारी ध्वजा या प्रतिमांचा अगदी योग्य वापर संत बहिणाबाईंनी केलेला दिसतो.

10. भाषिक वैशिष्ट्ये –
संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. शिवाय त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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खालील काव्यपंक्तीचे रसग्रहण करा.

प्रश्न 1.
संतकृपा झाली। इमारत फळा आली।।
ज्ञानदेवे रचिला पाया। उभारिलें देवालया।।
उत्तर:
संत बहिणाबाई यांच्या ‘संतकृपा झाली’ या कवितेतून वरील काव्यपंक्ती घेतली आहे. संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केले आहे.

माराष्ट्र ही संतांची भूमी म्हणून प्रसिद्ध आहे. या संतांनी आपल्या अलौकिक विचारांनी महाराष्ट्रात विठ्ठलभक्तीच्या वारकरी संप्रदायाची निर्मिती केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला संतांनी आपल्या विचारांनी, भक्तीच्या जोरावर मूर्तिमंत रूप दिले. जणूकाही संतांनी त्यावर कृपाच केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचला.

‘ज्ञान’ व ‘भक्ती’ यांच्या जोरावर ज्ञानेश्वरांनी या इमारतीची पायाभरणी केली. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे. संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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प्रश्न 2.
नामा तयाचा किंकर । तेणे रचिलें तें आवार।।
जनार्दन एकनाथ। खांब दिधला भागवत।।
उत्तर:
संत बहिणाबाई यांच्या ‘संतकृपा झाली’ या कवितेतून वरील काव्यपंक्ती घेतली आहे. संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केले आहे. संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायाचा दास बनण्याचे महान कार्य संत नामदेव यांनी केले. त्यांनी वारकरी संप्रदायाचा प्रसार संपूर्ण भारतभर केला.

वारकरी संप्रदायाचा दास बनून जीवनाच्या अंतिम क्षणापर्यंत वारकरी संप्रदायाचे संवर्धन व संगोपन केले. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप प्राप्त करून दिले. संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी भागवत संप्रदायाची निर्मिती करून वारकरी संप्रदायाला त्याची जोड दिली. त्याला व्यापक स्वरूप देण्याचा आटोकाट प्रयत्न या दोन्ही संतांनी केला.

त्यांनी आपल्या या वारकरी संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले. संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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प्रश्न 3.
तुका झालासे कळस। भजन करा सावकाश।।
बहिणी म्हणे फडकती ध्वजा। निरूपणा केलें बोजा।।
उत्तर:
संत बहिणाबाई यांच्या ‘संतकृपा झाली’ या कवितेतून वरील काव्यपंक्ती घेतली आहे. संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केले आहे.

ज्ञानेश्वरांनी निर्मिती केलेल्या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीवर तुकारामांनी आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत ही इमारत त्यांनी पोहोचवली, तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग त्यांनी सर्वाना सांगितला.

संत बहिणाबाई सांगतात, अशा या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीची ध्वजा सतत फडकत ठेवण्याचे कार्य, त्याची धुरा सांभाळण्याचे काम मी माझ्या खांद्यावर घेतले आहे. ती एक प्रकारची जबाबदारी माझ्यावर आहे. निरूपणाच्या माध्यमातून मी वारकरी धर्माचा प्रचार व प्रसार करत आहे. निरूपणातून ती जबाबदारी मी पार पाडत आहे.

संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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अभिव्यक्ती.

प्रश्न 1.
संतांचे कार्य नेहमीच मार्गदर्शक ठरते, याविषयी तुमचे मत सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तरः
संतांनी नेहमीच दया, क्षमा, शांती यांची शिकवण समाजाला दिली. आपल्या ज्ञानाच्या व भक्तीच्या जोरावरच त्यांनी समाजातील अज्ञान, अत्याचार, जातिभेद दूर करण्याचा प्रयत्न केला. मुक्या प्राणिमात्रांवर प्रेम करा, भूतदया हा सर्वात मोलाचा संदेश संतांनी समाजाला दिला. म्हणूनच की काय संत एकनाथांनी चंद्रभागेच्या त्या कडक उन्हाच्या वाळवंटात तहानेने तडफडत असलेल्या गाढवाला पाणी पाजले. त्याच वाळवंटात उन्हाने चटके बसल्यामुळे धाय मोकलून रडणाऱ्या मुलाला उचलून घेतले. म्हणजे नुसता उपदेश न देता आपल्या कृतीतून देखील पटवून दिले.

संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Summary in Marathi

कवयित्रीचा :

परिचय नाव : संत बहिणाबाई
कालावधी : 1668 – 1700
वारकरी संप्रदायातील संतकवयित्री. संत तुकाराम यांच्या शिष्या. ओव्या, श्लोक, आरत्या इत्यादी रचना प्रसिद्ध. संत तुकाराम यांच्या काव्यरचनेचा आणि व्यक्तिमत्त्वाचा बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर प्रभाव जाणवतो. भक्तिभावनेचा उत्कट आविष्कार हा त्यांच्या अभंगरचनेचा विशेष.

प्रस्तावना :

‘संतकृपा झाली’ हा अभंग संत बहिणाबाई यांनी लिहिला आहे. या अभंगात संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केलेले आहे.

Poetess Saint Bahinabai has written the Abhanga called “Santkrupa zali’. Maharashtra’s creed of Varkari’ and their establishment of religious doctrine has been taken care by saints who play important role in this establishment.

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भावार्थ :

संतकृपा झाली । इमारत फळा आली ।।1।।
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी म्हणून प्रसिद्ध आहे. या संतांनी आपल्या अलौकिक विचारांनी महाराष्ट्रात विठ्ठल भक्तीच्या वारकरी संप्रदायाची निर्मिती केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला संतांनी आपल्या विचारांनी, भक्तीच्या जोरावर मूर्तिमंत रूप दिले. जणूकाही संतांनी त्यावर कृपाच केली.

ज्ञानदेवे रचिला पाया । उभारिलें देवालया ।।2।।
या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचिला. आपले ज्ञान व भक्ती यांच्या जोरावर ‘ज्ञानेश्वरांनी या इमारतीचा पाया उभा केला. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे.

नामा तयाचा किंकर । तेणें रचिलें तें आवार ।।3।।
संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायाचा दास बनण्याचे महान कार्य संत नामदेव यांनी केले. त्यांनी वारकरी संप्रदायाचा प्रसार संपूर्ण भारतभर केला. वारकरी संप्रदायाचा दास बनून जीवनाच्या अंतिम क्षणापर्यंत वारकरी संप्रदायाचे संवर्धन व संगोपन केले. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप प्राप्त करून दिले.

जनार्दन एकनाथ । खांब दिधला भागवत ।।4।।
संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी भागवत संप्रदायाची निर्मिती करून वारकरी संप्रदायाला त्याची जोड दिली. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप देण्याचा आटोकाट प्रयत्न या दोन्ही संतांनी केला. संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले.

तुका झालासे कळस । भजन करा सावकाश ।।5।।
भक्तीची अंतिम अवस्था म्हणजेच संत तुकाराम महराज होत. ज्ञानेश्वरांनी ज्ञानाच्या साहाय्याने निर्मिती केलेल्या या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीवर तुकारामांनी आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत ही इमारत त्यांनी पोहोचवली. तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग तुकाराम महाराजांनी सर्वांना सांगितला.

बहिणी म्हणे फडकती ध्वजा । निरूपणा केलें बोजा ।।6।।
संत बहिणबाई सांगतात, अशा या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीची ध्वजा सतत फडकत ठेवण्याचे कार्य, त्याची धुरा सांभाळण्याचे काम मी माझ्या खांद्यावर घेतले आहे. ती एकप्रकारची जबाबदारी माझ्यावर आहे. निरूपणाच्या माध्यमातून मी वारकरी धर्माचा प्रचार व प्रसार करत आहे. निरूपणातून ती जबाबदारी मी पार पाडत आहे.

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शब्दार्थ :

  1. संत – सत्पुरुष, सज्जन (a saint)
  2. कृपा – दया, करुणा (mercy, kindness)
  3. वारकरी – यात्रेकरू (विशेषत: पंढरीला जाणारा) (a pilgrim)
  4. संप्रदाय – मार्ग, पंथ (a system of religious doctrine, religious community)
  5. शिष्या – विक्ष्यार्थिनी (adisciple, a pupil)
  6. मोलाचा : महत्वाचा (valuable, precious)
  7. वाटा – भाग, हिस्सा (a share, a portion)
  8. इमारत – (येथे अर्थ) वारकरी संप्रदायातील विचार, तत्त्व ज्ञान (religious doctrine)
  9. ज्ञानदेवें – संत ज्ञानेश्वर रचिला – रचला (arranged, constructed)
  10. पाया – तळ बांधताना केलेले भक्कम काम (foundation, base)
  11. उभारिले – उभारले (raised)
  12. देवालय – मंदिर, देऊळ (a temple)
  13. नामा – संत नामदेव तयाचा – त्याचा (his)
  14. किंकर – सेवक (a servant)
  15. आवार – अंगण, प्रांगण (a courtyard)
  16. एकनाथ – संत एकनाथ खांब – स्तंभ (a pillar, a column)
  17. दिधला – दिला (gave)
  18. भागवत – विष्णभक्तांचा पंथ (a sect of worshipers of Lord Vishnu)
  19. तुका – संत तुकाराम कळस – शिखर, घुमट (the apex, top)
  20. भजन – देवाचे स्तुति गीत (devotional song)
  21. सावकाश – संथपणे, हळूहळू (slowly, gently)
  22. बहिणी – (येथे अर्थ) बहिणाबाई
  23. फडकती – वाऱ्यावर फडफड असा आवाज येतो (flutters)
  24. ध्वज – झेंडा, निशाण (a flag)
  25. निरूपण – विवेचन, व्याख्यान (explanation)
  26. बोजा – जबाबदारी (a burden, a load)

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टिपा :

  1. संत ज्ञानेश्वर – (जन्म : इ.स. 1275 – समाधी : इ.स.1296) 13 व्या शतकातील प्रसिद्ध मराठी संत आणि कवी, भावार्थदीपिका (ज्ञानेश्वरी), अमृतानुभव, चांगदेवपासष्टी व हरिपाठाचे अभंग ही त्यांची काव्यरचना.
  2. संत नामदेव – (इ.स. 1270 – इ.स. 1350). हे महाराष्ट्रातील वारकरी संतकवी होते. शिखांच्या गुरुग्रंथसाहिबात त्यांच्या बासष्ट काव्यरचना समाविष्ट आहेत. भागवत धर्म पंजाबपर्यंत नेणारे हे आक्ष्य प्रचारक होते.
  3. संत जनार्दन – हे संत एकनाथ यांचे गुरु होते. ते दौलताबादच्या किल्ल्यावर वास्तव्यास होते. हे दौलताबाद (देवगिरी) येथे यवन दरबारी अधिपती होते व महान दत्तोपासक होते.
  4. संत एकनाथ – वारकरी संप्रदायातील एक सुप्रसिद्ध संत. यांनी भारूड, जोगवा, गवळणी यांच्या साहाय्याने जनजागृती केली. ‘एकनाथी भागवत’ ह्य लोकप्रिय ग्रंथ रचला.
  5. संत तुकाराम – (इ.स. 1608 – इ.स. 1650), यांचा जन्मपुण्यानजीक असलेल्यादेहूगावात झाला. अभंग हे तुकाराम महाराजांचे वैशिष्ट्य होते.

वाक्प्रचार :

  1. फळा येणे – बहरणे, वाढ होणे
  2. पाया रचणे – आरंभ करणे, बैठक तयार करणे
  3. कळस होणे – उच्चस्थान प्राप्त करणे, परिपूर्णता आणणे
  4. निरूपण करणे – भाष्य करणे, वर्णन करणे, विवेचन करणे

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 8 उड़ान Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 8 उड़ान Textbook Questions and Answers

पठनीय:

प्रश्न 1.
‘दहेज’ जैसी सामाजिक समस्याओं को समझते हुए इसके संदर्भ में जनजागृति करने हेतु घोषवाक्यों का वाचन कीजिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

श्रवणीय:

प्रश्न 1.
हिंदी-मराठी भाषा के प्रमुख गजलकारों की गजल रचना सुनिए और सुनाइए।

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘मैं चिड़िया बोल रही हूँ इस विषय पर स्वयंप्रेरणा से लेखन कीजिए।

आसपास:

प्रश्न 1.
अंतरजाल की सहायता लेकर कोई कविता पढ़िए और निम्न मुद्दों के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 1

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न 1.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
परों में शक्ति हो तो ………..
उत्तर:
(क) उपलब्ध नभ को नापना है।
(ख) उपलब्ध जल को नापना है।
(ग) भू को नापना है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

प्रश्न 2.
सुलगते आप, बाहर से …………
(क) तपन नहीं माँगा करते।
(ख) अगन नहीं माँगा करते।
(ग) बुझन नहीं माँगा करते।
उत्तर:
1. परों में शक्ति हो तो उपलब्ध नभ को नापना है।
2. सुलगते आप, बाहर से अगन नहीं माँगा करते।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का सरल भावार्थ लिखिए। अँधेरे के इलाके में ………….. नमन माँगा नहीं करते।
भावार्थ:
प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाएँ; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं मांगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का बन होता है; वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।”

“जो व्यक्ति सचमुच आदर का अधिकारी है उसके सामने दुसरे लोगों के मस्तक अपने आप झुक जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को किसी से नमन या आदर मांगने की जरूरत नहीं होती बल्कि उसे तो अपने आप आदर मिल जाता है। व्यक्ति के पास विनम्रता होनी चाहिए।”

प्रश्न 4.
कविता द्वारा दिया गया संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने व्यक्ति को मानवीय गुणों को स्वीकार करने के लिए कहा है। स्वाभिमान, विनम्रता, दूरदृष्टि, बुलंद हौसले आदि गुणों को स्वीकार करने से व्यक्ति प्रगति की ऊंची उड़ान भर सकता है। फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा। जिस व्यक्ति के पास मानवीय गुण होते हैं उन्हें किसी के भी पास हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे लोगों को समाज में मान-सम्मान कीर्ति व यश अपने आप मिल जाता है। अत: व्यक्ति के पास मानवीय गुणों का होना जरूरी होता है।

प्रश्न 5.
कविता में प्रयुक्त विरामचिह्नों के नाम लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः
(,) – अल्पविराम
बाक्य: राम ने दुकान से शक्कर, मिठाई व खजूर लाए।
(|) – पूर्णविराम
वाक्य: अजय शहर गया है।

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प्रश्न 6.
संजाल
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 2
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 3

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
“”मैं चिड़िया बोल रही हूँ।” इस विषय पर स्वयंप्रेरणा से लेखन कीजिए।
उत्तरः
“पंछी बनू उड़ती फिरूं मस्त गगन में
आज मैं आजाद हूँ दुनिया के चमन में।”

मुझे आज भी याद है पुरानी फिल्म का यह गीत । सचमुच पंछी बनकर खुले आसमान में विचरण करना सभी को अच्छा लगेगा। किसी की कुछ भी रोक-टोक नहीं और नहीं किसी-का कुछ झंझट । बस सिर्फ आसमान में स्वच्छंद होकर उड़ना। बताओ किसे अच्छा नहीं लगेगा? संध्या समय पीपल के नीचे बैठकर मेरे मन में ये विचार आ ही रहे थे तभी अचानक पीपल के पेड़ पर बैठी एक चिड़िया ने ची-चीं करते हुए मुझे आवाज दी और वह मेरे समक्ष आकर बैठ गई। फिर अपने बारे में कहने लगी।

“मैं हूँ नन्ही-सी, प्यारी-सी चिड़िया। इस पेड़ पर ही मेरा निवास है। देख रही हो वह घोंसला? कितने प्यार से मैंने बनाया है! उसका निर्माण करने के लिए मुझे तकरीबन एक महीना लगा है। न जाने मैंने कहाँ-कहाँ से उसे तैयार करने के लिए सामग्री इकट्ठा की है? बस ईश्वर ही इस बात का साक्षी है। मैंने अपनी चोंच में तिनका-तिनका लाकर स्वयं के लिए सुंदर भवन का निर्माण किया है। उस घोंसले में मेरे दो अंडे हैं। अब जल्द ही दो नन्हे-मुन्ने बच्चे मेरे घर आएँगे। अब मैं उन्हीं का इंतजार कर रही हूँ।

पीपल के इस पेड़ पर पहले मेरे कई भाई-बहन रहा करते थे। तोता, मैना आदि मेरे भाई बहन मनुष्य द्वारा निर्मित प्रदूषण के शिकार हो गए। अब न इस पेड़ पर कोई तोता आकर बैठता है और न कोई मैना। कौओं की भी काँव-काँव अब पहले जैसे सुनाई नहीं दे रही है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की। इसका परिणाम यह हुआ कि पक्षियों की संख्या कम होती गई। अब तो शहरों से पक्षी नदारद हो गए हैं।

मैंने सुना है कि कुछ संस्थाएँ पक्षी-दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं और कर्नाला पक्षी अभयारण्य जैसे स्थलों पर जाती रहती है। लेकिन मेरी प्यारी बहना, सच कहूँ तो वहाँ पर भी अब पहले जैसे पंछी नहीं रहें। पहले जैसे पंछियों का कलरव अब सुनाई नहीं देता है। इसके लिए इंसान ही जिम्मेदार है। यह सब उसी के कार्य का परिणाम है। यदि इंसान अपने किए कराए से बाज नहीं आएगा; तो भविष्य में अपने लिए गड्ढा स्वयं ही खोद लेगा।

हम ही इस सुंदर धरती का अंश हैं। हमें भी जीवन जीने का अधिकार है। आखिर हम भी एक जीव हैं। इंसान को कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे अधिकार को छीन लें। उसे प्राकृतिक संतुलन के बारे में सोचना चाहिए। जब इंसान “जिओ और जीने दो” इस सूत्र को अपनाएगा तब उसका जीवन भी खुशहाल हो जाएगा और यह प्यारी धरती फिर से ‘सुजलाम् सुफलाम्’ बन जाएगी।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 8 उड़ान Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 4

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 5

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। परों में शक्ति …………….. गगन माँगा नहीं करते।
भावार्थः
प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “जिनके पंखों में शक्ति होती है वे संपूर्ण आसमान को नाप लेते हैं। यानी जिनके पास साहस व वीरता होती है या जिनके हौसले बुलंद होते हैं; वे असंभव कार्य को संभव करते हैं। जैसे कि आसमान में विचरण करना या उड़ना तो पंछियों का काम होता है और वे तो गगन में नित्य संचार करते रहते हैं। उन्हें उड़ने के लिए किसी से गगन माँगने की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात जहाँ चाह, वहाँ राह अपने आप निर्माण हो जाती है।’

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(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
व्यक्ति को इसके सपने अपने आप आते हैं ……………
उत्तर:
(क) जिससे वह मन व प्राण से प्यार करता है।
(ख) जिससे वह नफरत करता है।
(ग) जिससे वह सहायता की अपेक्षा करता है।

प्रश्न 2.
ये अग्नि की माँग नहीं करते हैं …….
(क) जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना स्वीकार किया है।
(ख) जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना अस्वीकार किया है।
(ग) जन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में दूसरों को जलाना तय किया
उत्तर:
1. व्यक्ति को इसके सपने अपने आप आते हैं जिससे वह मन व प्राण से प्यार करता है।
2. ये अग्नि की माँग नहीं करते हैं जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना स्वीकार किया है।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
पद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर
निम्न शब्द हों।
1. निमंत्रण
2. पश्चात्ताप
उत्तर:
1. किसके बिना सपने अपने आप आते हैं?
2. पद्यांश में किस अग्नि में जलने की बात हो रही है?

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कृति (4) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। जिसे मन प्राण …………….. माँगा नहीं करते।
भावार्थ:
जिन लोगों ने अपने आप को पश्चात्ताप की आग में जलना स्वीकार कर लिया है, उन्हें कैसे कोई रोक सकता है? ऐसे लोग पश्चात्ताप की अग्नि में अंदर से सुलगते रहते हैं; लेकिन वे बाहर से अग्नि की माँग नहीं करते हैं। पश्चात्ताप की अग्नि से बढ़कर कोई दूसरी अग्नि नहीं हो सकती।

(ग) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 6

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 7

कृति (3): भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। खुशबू देती है …………….. धूपदान होती है।
भावार्थ:
प्रस्तुत पंक्ति ‘उड़ान’ इस गजल से ली गई है और इसके कवि चंद्रसेन विराट जी हैं। धूप जब जलता है; तब वह सभी को खुशबू देता है। शायर की जिंदगी भी धूपदान की तरह होती है। वह अपनी शायरी से लोगों के जीवन में खुशबू भर देता है।”

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पद्य-विश्लेषण:

  • कविता का नाम – उड़ान
  • कविता की विधा – गजल
  • पसंदीदा पंक्ति – एक बहरे को एक गूंगा दे, जिंदगी वो बयान होती है।
  • पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें एकदूसरे की सहायता करने से जिंदगी बड़े आराम से कटती है।
  • कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति को स्वाभिमानी व विनम्र होना चाहिए। उसके हौसले बुलंद होने चाहिए। उसे मानवीय गुणों को अपनाकर स्वयं का जीवन सुंदर बनाना चाहिए।

उड़ान Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि चंद्रसेन विराट जी हिंदी साहित्य के आधुनिक रचनाकारों में से एक हैं। इनका जन्म ३ दिसंबर १९३६ को इंदौर मध्य
प्रदेश में हुआ। ये हिंदी साहित्य जगत में गजलकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने अपनी गजलों में आम आदमी के जीवन
को अभिव्यक्त करने का सफल प्रयास किया है। इन्होंने गजल के साथ-साथ गीतों का भी लेखन किया है।

प्रमुख कृतियाँ: गीत संग्रह – ‘मेंहदी रची हथेली’, ‘स्वर के सोपान’, ‘मिट्टी मेरे देश की’, ‘धार के विपरीत’ आदि; गजल संग्रह – ‘आस्था
के अमलतास’, ‘कचनार की टहनी’, ‘न्याय कर मेरे समय’ आदि; मुक्तक संग्रह – कुछ पलाश कुछ पाटल, ‘कुछ सपने’, ‘कुछ सच’ आदि।

पदय-परिचय:

गजल: गजल काव्य विधा का एक प्रकार है। एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों के समूह को ‘गजल’ कहते हैं। गजल
के पहले शेर को ‘मतला’ और अंतिम शेर को ‘मकता’ कहते हैं।

प्रस्तावना: ‘उड़ान’ इस गजल में गजलकार चंद्रसेन विराट जी ने मानवीय मूल्यों के दर्शन करवाए हैं। व्यक्ति के पास स्वाभिमान, विनम्रता, दूरदृष्टि व बुलंद हौसले होने चाहिए। इन गुणों से ही जीवन में व्यक्ति ऊँचा उठता है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता गजल विधा में लिखी गई है। व्यक्ति के पास मानवीय गुणों का होना बहुत जरूरी होता है। मानवीय गुणों के कारण व्यक्ति का व्यक्तित्व विकसित होता है। व्यक्ति के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। स्वाभिमान के कारण व्यक्ति ऊँचा उठता है। जिसके पास विनम्रता होती है; उसे समाज में आदर अपने आप मिलता है। जिनके हौसले बुलंद होते हैं; उनके लिए असंभव कुछ भी नहीं होता। जीवन में व्यक्ति को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए। जीवन में सभी को खुशी देने का प्रयास करना चाहिए। आखिर चार दिन की जिंदगी होती है। उसी में स्वयं खुश रहकर दूसरों के भी जीवन में खुशियाँ भर देनी चाहिए।

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शब्दार्थ:

  1. अगन – अग्नि, आग
  2. सायबान – छाया देने वाला
  3. बयान – वक्तव्य
  4. तीर – बाण
  5. कमान – धनुष
  6. इलाका – क्षेत्र
  7. कंटक – काँटा
  8. आदर – सम्मान
  9. पर – पंख
  10. थकान – थकावट
  11. शायर – शायरी लिखने वाला

भावार्थ:

अँधेरे के इलाके में ………………. सुमन माँगा नहीं करते।

प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाए; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं माँगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का वन होता है वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 3 इनाम Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 3 इनाम Textbook Questions and Answers

मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
“प्राकृतिक संसाधन मानव के लिए वरदान।’ इस विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तरः
सच ही कहा गया है कि प्राकृतिक संसाधन मानव के लिए वरदान होता है। सूर्य की रोशनी, हवा, मिट्टी, पानी, लकड़ी, तेल, कोयला, जीवश्म, ईधन, खनिज, वनस्पति और अन्य पदार्थ प्राकृतिक संसाधन होते हैं क्योंकि ये सन्न प्रकृति द्वारा इसान को उपहार के रूप में मिले हैं। ये प्रकृति में प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं। इन्हें मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं किया जा सकता। मानव सभ्यता, शहरीकरण, तकनीकीकरण, औद्योगिकीकरण के लिए इन संसाधनों का इस्तेमाल करता है।

इंसान की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का कार्य प्राकृतिक संसाधन करते हैं। इनके कारण ही आज मनुष्य प्रगति कर सका है। इंसान के जीवन को खुशहाल एवं समृद्ध करने में प्राकृतिक संसाधन सहायता करते हैं। इनके कारण ही इस धरती पर जीवन संभव हुआ है। अत: प्राकृतिक संसाधन मानव के लिए वरदान हैं।

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आसपास :

प्रश्न 1.
आपके गाँव-शहर को जहाँ से बिजली आपूर्ति होती है, उस केंद्र के बारे में जानकारी प्राप्त करके टिप्पणी तैयार कीजिए।

संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘ईधन की बचत, समय की माँग है।’ इस विषय पर अपना मत व्यक्त कीजिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 1
उत्तरः
सचमुच आज के इस तकनीकी युग में ईधन की बचत समय की माँग हो गई है। यदि हमने आने वाले समय में ईंधन की बचत नहीं की तो हमें बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा। हमारे देश में ईंधन की सौमित मात्रा ही उपलब्ध है। अत: मानव का दायित्व है कि वह उसकी बचत करे। ईंधन की बचत करने के लिए हमें पब्लिक बस या रेल से सफर करना चाहिए। अपनी गाड़ियों को व्यर्थ में चालू करके नहीं छोड़ना चाहिए। हमें छोटी दूरी के लिए साइकिल का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम ईंधन की बचत करेंगे; तो वह आगे आने वाले पीढ़ी को उपलब्ध हो सकेगा। ईधन की बचत करने से हम पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा सकते हैं।

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लेखनीय :

प्रश्न 1.
समुद्री लहरों से विद्युत निर्मिति के बारे में टिप्पणी तैयार कीजिए। संदर्भ यू ट्यूब से लीजिए।
उत्तरः
समुद्री लहरों से विद्युत की निर्मिति की जाती है। इसे ‘जलविद्युत ऊर्जा’ कहते हैं। समुद्र की लहरें ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। इसी कारण सतह के पानी व गहरे समुद्र के बीच तापमान में लगातार भिन्नता रहती है। इसका फायदा ऊर्जा निर्माण करने के लिए किया जाता है। समुद्री धाराओं में बड़े पैमाने पर फ्लोटिंग विलवणीकरण संयंत्र का कार्यान्वयन किया जा रहा है जिस कारण जलविद्युत ऊर्जा की निर्मिती हो रही है।

पठनीय :

प्रश्न 1.
दैनंदिन जीवन में उपयोग में लाए जाने वाले विविध उपकरणों के आविष्कारकों और उनके कार्यो की जानकारी प्राप्त करके पढ़िए ।

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पाठ के आँगन में :

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न क.
पाठ में आए और हिंदी में प्रयुक्त होने वाले पाँच-पाँच विदेशी एवं संकर शब्दों की सूची।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 2
उत्तर:

विदेशी शब्द संकर शब्द
1. रेफ्रीजरेटर मोहल्लेदार
2. टेलीफोन छायादार
3. एक्सपर्ट लाठीचार्ज
4. क्यूब वर्षगाँठ
5. आइसक्रीम रेलगाडी

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प्रश्न ख.
वाक्य में कि, की के स्थान को स्पष्ट कीजिए।
‘माँ ने कहा कि बच्चों ने आम की आईसक्रीम तैयार की।’
उत्तर:
कि – समुच्चयबोधक अव्यय
की – संबंधकारक
की – क्रिया

प्रश्न ग.
रेफ्रीजरेटर आने के पूर्व घरवालों के विचार।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 3

प्रश्न घ.
रेफ्रीजरेटर आने के बाद घर की स्थिति।
उत्तरः
कृति ग (1) का आकलन देखिए।

पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
प्रशंसापत्र/पुरस्कार/इनाम के प्रसंग का कक्षा में वर्णन कीजिए।

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भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
दिए गए आकृति के अनुसार रचना की दृष्टि से सरल, संयुक्त, मिश्र अन्य वाक्य पाठ से खोजकर तालिका पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 4
उत्तरः
छात्र स्वयं पाठ में से सरल, संयुक्त एवं मिश्र वाक्य ढूँढ़कर लिखेंगे।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 3 इनाम Additional Important Questions and Answers

(क) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 5

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 6

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 7

प्रश्न 2.
किसने, किससे कहा?
i. “तुम तो खयाली पुलाव पका रहे हो।”
उत्तर:
लेखक ने अपनी पत्नी से कहा।

ii. “हमारे टेलीफोन तो तुम ही हो।”
उत्तरः
लेखक की पत्नी ने लेखक से कहा।

प्रश्न 3.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. लेखक की पत्नी के अनुसार जिसका उत्तर सबसे अच्छा होगा, उसे इनाम मिलेगा।
ii. रेफ्रीजरेटर के लिए घरेलू पावर की जरूरत होती है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।
i. प्रतियोगिता
ii. जुगाड़
iii. पत्नी
iv. रात
उत्तर :
i. स्पर्धा
ii. व्यवस्था
iii. भार्या
iv. निशा

प्रश्न 2.
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।
i. दिन × …
ii. देसी × …..
उत्तरः
i. रात
ii. विदेशी

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प्रश्न 3.
वचन बदलिए।
i. लॉटरी
ii. दाम
उत्तर:
i. लॉटरियाँ
ii. दाम

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय पहचानिए।
i. प्रतियोगिता
ii. विदेशी
उत्तर:
i. ‘ता’ प्रत्यय
ii. ‘ई’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. अच्छा
ii. भारत
उत्तर:
i. अच्छा + आई – अच्छाई
ii. भारत + ईय – भारतीय

प्रश्न 6.
‘कल्पना में खोए रहना।’ इस अर्थ का गद्यांश में प्रयुक्तं मुहावरा है।
उत्तरः
खयाली पुलाव पकाना।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या खयाली पुलाव पकाना अच्छी बात होती है ? इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
‘खयाली पुलाव पकाना’ यानी कल्पना में खोए रहना। कल्पना में खोए रहना उचित बात नहीं होती है। कल्पना के सहारे जीने से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं होता है। इंसान को कल्पना जरूर करनी चाहिए पर उस कल्पना को यथार्थ में लाने का निश्चय भी करना चाहिए। सिर्फ कल्पना करके खयाली पुलाव पकाना यानी कि जीवन की सच्चाई से दूर भागना होता है। अत: स्पष्ट है कि खयाली पुलाव पकाना अच्छी बात नहीं होती है।

(ख) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 8

प्रश्न 2.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
अमिता खिलखिलाई क्योंकि ……………………।
(क) वह रेफ्रीजरेटर में बर्फ जमाएगी।
(ख) वह रेफ्रीजरेटर में रोजाना आइसक्रीम जमाएगी।
(ग) वह रेफ्रीजरेटर से रोजाना ठंडा पानी पीएगी।
उत्तर:
अमिता खिलखिलाई क्योंकि वह रेफ्रीजरेटर में रोजाना आइसक्रीम जमाएगी।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 9

प्रश्न 2.
सहसंबंध लिखिए।
पहले आने वालों के लिए : शिंकजी :: शौकीनों के लिए :
उत्तरः
चाय

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 10

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।

  1. ताली
  2. बोतलें
  3. पत्नी
  4. बहू

उतर:

  1. तालियाँ
  2. बोतल
  3. पत्नियाँ
  4. बहुएँ

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. पड़ोसी
ii. बहू
उत्तर:
i. पड़ोसन
ii. बेटा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. शक
ii. नम
उत्तर:
i. बे + शक – बेशक
ii. वि + नम् = विनम्

प्रश्न 4.
प्रत्यय पहचानिए।
i. खिलखिलाई
ii. रोजाना
iii. भाग्यवान
उत्तर:
i. आई
ii. आना
iii. वान

प्रश्न 5.
समानार्थी शब्द लिखिए।
i. किस्मत
ii. शक
उत्तर:
i. भाग्य
ii. संशय

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

प्रश्न 6.
मानक वर्तनी के अनुसार शब्द लिखिए।
i. परबंध
ii. ठण्डा
उत्तर:
i. प्रबंध
ii. ठंडा

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘यदि रेफ्रीजरेटर न होते …..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
रेफ्रीजरेटर खाद्य पदार्थों को ठंडा बनाए रखता है एवं उन्हें खराब होने से बचाता है। यदि रेफ्रीजरेटर नहीं होते, तो खाद्य पदार्थों को ठंडा बनाए रखने में समस्या निर्माण हो जाती और फिर वे खराब हो जाते। रेफ्रीजरेटर के न होने से इंसान को ठंडा पानी भी पीने के लिए उपलब्ध नहीं होता। आज बाजार में आइसक्रीम के जो फैमिली पैक मिल रहे हैं। वे उपलब्ध नहीं होते। रेफ्रीजरेटर के न होने से आइसक्रीम भी तैयार नहीं हो सकती थी। गर्मियों के दिनों में इंसान की हालत बिगड़ जाती। शरबत व फलों के जूस बहुत दिनों तक नहीं रहते। इस प्रकार रेफ्रीजरेटर नहीं होते, तो इंसानों को बहुत तकलीफ होती थी।

(ग) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 11

प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. हेमंत के अनुसार देवी की मानता का आशीर्वाद था रेफ्रीजरेटर।
ii. अरुण का रिश्तेदार रेफ्रीजरेटर कंपनी में नौकरी करता है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
किसने, किससे कहा?
i. “मैंने फिर दुबारा दिमाग पर जोर नहीं डाला।”
उत्तरः
कुढ़मगज ने लेखक से कहा।

ii. “हमें भी बता दें।”
उत्तर:
पड़ोस की एक महिला ने लेखक से कहा।

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 12

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. अरुण
ii. तिरछा
उत्तर:
i. लाल, सूर्य
ii. टेढा, वक्र, बाँका

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प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. बिजली
  2. बेटा
  3. हाथी

उत्तर:

  1. विदयुत
  2. पुत्र
  3. गज, हस्ती

प्रश्न 3.
प्रत्यय पहचानिए।
i. रिश्तेदार
ii. पूलकर
उत्तर:
i. ‘दार’ प्रत्यय
ii. ‘कर’ प्रत्यय

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प्रश्न 4.
‘अनु’ उपसर्ग से निर्मित दो शब्द लिखिए।
उत्तर:
i. अनुबंध
ii. अनुचित

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ लिखकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
i. जली-कटी सुनाना
उत्तर:
अर्थ : खरी-खोटी सुनाना।
वाक्यः रामू से गलती क्या हो गई, सभी उसे जली-कटी सुनाने लगे।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्द मानक वर्तनी के अनुसार लिखिए।

  1. शककी
  2. इन्क
  3. मुफ्त
  4. काण्टा

उत्तर:

  1. शक्की
  2. इंक
  3. मुफ्त
  4. काँटा

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘पड़ोसियों की आदत होती है, निंदा करने की!’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
संकट की घड़ी में पड़ोसी अपने रिश्तेदारों की अपेक्षा तुरंत सहायता के लिए उपस्थित हो जाते हैं। भले ही यह बात सच हो लेकिन अपने पास में रहने वालों की निंदा करने से भी वे कभी बाज नहीं आते। आप कितनी भी अच्छी तरह से उनके साथ रहें या उनके साथ अच्छा व्यवहार करें; फिर भी वे आपकी निंदा करना नहीं छोड़ेंगे। निंदा करना उनकी आदत होती है।

अपने पड़ोस में रहने वाले किसी व्यक्ति ने नई गाड़ी खरीदी हो या कुछ अन्य नई वस्तु घर पर लाई हो; तो वे जल-भूनकर राख हो जाते हैं और उस व्यक्ति के बारे में भला-बुरा कहने लगते हैं। इसलिए उपर्युक्त वाक्य से मैं सहमत हूँ। (विद्यार्थी अपने व्यक्तिगत विचार स्वतंत्र रूप से भी लिख सकते हैं।)

(घ) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
सहसंबंध लिखिए।
i. शांति बुआ : आटा :: लाला दीनदयाल : ……………
उत्तर:
मिठाई का बोइया

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कृति घ (2): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
i. लाला जी ने आइस्क्रीम नहीं खाई क्योंकि ………….।
(क) उन्हें सर्दी हो जाती है।
(ख) उन्हें बुखार चढ़ जाता है।
(ग) उनके दाँत चीसने लगते हैं।
उत्तर:
(ग) उनके दाँत चीसने लगते हैं।

ii. पत्नी का दिल बाग-बाग हो गया क्योंकि ………….।
(क) शांति बुआ आटे का कटोरा रेफ्रीजरेटर में रखना चाहती थी।
(ख) शांति बुआ बिना बुलाए लेखक के घर आई थी।
(ग) शांति बुआ रेफ्रीजरेटर का ठंडा पानी पीना चाहती थी।
उत्तर:
(क) शांति बुआ आटे का कटोरा रेफ्रीजरेटर में रखना चाहती थी।

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँढकर लिखिए।

  1. प्रसन्नता
  2. संध्या
  3. दया

उत्तर:

  1. खुशी
  2. शाम
  3. कृपा

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प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. भगवान
ii. लाला
उत्तर:
i. भगवती
ii. ललाइन

प्रश्न 3.
बचन बदलिए।
i. चिंता
ii. तश्तरी
उत्तर:
i. चिंताएँ
ii. तश्तरियाँ

प्रश्न 4.
प्रत्यय पहचानिए।
i. जल्दबाज
उत्तर:
‘बाज’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
उपसर्ग लगाकर नए शब्द लिखिए।
i. कृपा
ii. दुआ
उत्तर:
i. अवकृपा
ii. बदुआ

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प्रश्न 6.
मुहावरे का अर्थ लिखकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
i. मिसरी घोलकर बोलना
उत्तरः
अर्थः मीठी-मीठी बातें करना।
वाक्यः रामलाल अपने स्वार्थ हेतु सभी से मिसरी घोलकर बोलते हैं।

(छ) परिच्छेद पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 16

प्रश्न 2.
सहसंबंध लिखिए।
i. लखनऊ : चमनलाल :: कोलकाता : ….
उत्तर:
बनर्जी

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश के आधार पर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हो।
i. सिंधी आलू
ii. स्कूल
उत्तर:
i. कैलाश को क्या अच्छे लगते हैं?
ii. हेमंत-अमिता कहाँ गए थे?

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प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. सिल्वर क्रीम बनर्जी बाबू ने खाई।
ii. सिंधी आलू लेखक की पत्नी ने बनवाए थे।
उत्तर:
i. असत्य
ii. असत्य

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग बदलिए।
i. भाभी
ii. पत्ति
उत्तर:
i. भैया
ii. पत्नी

प्रश्न 2.
प्रत्यय पहचानिए।
i. मूर्खता
ii. बिगड़कर
उत्तर:
i. ‘ता’ प्रत्यय
ii. ‘कर’ प्रत्यय

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए।
i. वास्तव × ……….
ii. फायदा × …………
उत्तरः
i. काल्पनिक
ii. नुकसान

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प्रश्न 4.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. स्कूल
  2. निराश
  3.  आँख
  4. लाचारी

उत्तर:

  1. विद्यालय
  2. उदास
  3. नयन
  4. बेबसी

प्रश्न 5.
गोश में ‘महत्त्वहीन’ इस अर्थ से संबंधित कहावत है।
उत्तरः
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘आधुनिक युग में समाचार उड़ती बीमारी से भी तेज फैलते हैं।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आधुनिक युग विज्ञान व तकनीकी का युग है। आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है। इस युग में संचार माध्यमों का अत्यधिक प्रचार-प्रसार हुआ है। संचार माध्यमों ने विश्व की दूरियों को समेटकर बहुत छोटा कर दिया है। जितनी जल्दी से कोई भी संक्रामक बीमारी नहीं फैल सकती है; उतनी जल्दी से समाचार देश के कोने-कोने में फैलते हैं। दूरदर्शन के विविध चैनल, समाचार पत्र, मोबाइल फोन, एस. एम. एस., ट्विटर, ई-मेल आदि के जरिए समाचार तुरंत पलभर में संपूर्ण देश में फैल जाते हैं। आज हम अपने देश में बैठे हुए भी दूसरे देशों में होने वाली घटनाओं से तुरंत अवगत हो जाते हैं।

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(च) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ) (ब)
1. रमा (क) मिठाई
2. रामानुज (ख) पराठे
3. शांति बुआ (ग) साग
4. चक्रवर्ती (घ) पनीर

उत्तरः

(अ) (ब)
1. रमा (ख) पराठे
2. रामानुज (क) मिठाई
3. शांति बुआ (घ) पनीर
4. चक्रवर्ती (ग) साग

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
घटनाक्रमानुसार वाक्य लिखिए।

  1. अब लेखक के घर के पास भी कोई नहीं फटकता है।
  2. लेखक ने पनीर फेंक दिया था।
  3. लेखक की पत्नी ने पराठे साधु को दिए थे।
  4. लेखक ने मिठाई घर पर पधारे अपने मित्रों को दे दी।

उत्तर:

  1. लेखक ने पनीर फेंक दिया था।
  2. लेखक ने मिठाई घर पर पधारे अपने मित्रों को दे दी।
  3. लेखक की पत्नी ने पराठे साधु को दिए थे।
  4. अब लेखक के घर के पास भी कोई नहीं फटकता है।

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँड़कर लिखिए।

  1. आशीर्वाद
  2. वर्षा
  3. परेशान
  4. वस्तु

उत्तर:

  1. आशीष
  2. बारिश
  3. तंग
  4. चीज

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प्रश्न 2.
बिलोम लिखिए।
i. कल x ………….
ii. विश्वास x …………
उत्तर:
i. आज
ii. अविश्वास

प्रश्न 3.
वचन बदलिए।
i. बीमारी
i. शंका
उत्तर:
i. बीमारियाँ
ii. शंकाएँ

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प्रश्न 4.
प्रत्यय पहचानिए।
i. बीमारी
ii. लाचारी
उत्तर:
i. ‘ई’ प्रत्यय
ii. ‘ई’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
लिंग बदलिए।

  1. साधु
  2. चाचा
  3. बुआ

उत्तर:

  1. साध्वी
  2. चाची
  3. फूफा

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जैसे के साथ तैसा व्यवहार करना चाहिए।’ इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘जैसे के साथ तैसा’ यह एक कहावत है। इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति आपके साथ जिस प्रकार का व्यवहार करता हो, ठीक उसी प्रकार आपको भी उसके साथ व्यवहार करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति आपसे आत्मीयता एवं सादगी से पेश आता है, तो आपको भी उसके साथ आत्मीयता एवं सादगी से पेश आना चाहिए। यदि कोई आपको सभी के सामने भला बुरा कहे और आपका अपमान करें, तो आपको भी उसके साथ उसी प्रकार का व्यवहार करना चाहिए और सभी के समक्ष उसे खरी-खोटी सुनानी चाहिए। जब आप ऐसा करेंगे; तब वह व्यक्ति दुबारा आपके साथ दुर्व्यवहार करने की नहीं सोचेगा। कभी-कभी हमें दूसरों की अक्ल ठिकाने लाने के लिए उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना पड़ता है।

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

प्रश्न 1.
अव्ययों का अपने बाक्यों में प्रयोग कीजिए।
i. कि
ii. अब
उत्तर:
i. मैंने कहा कि तुम अपना काम करो।
ii. अब तो मुझे चलना चाहिए।

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प्रश्न 2.
काल परिवर्तन कीजिए।

  1. भारत में धूम मच गई है। (अपूर्ण भूतकाल)
  2. तुम तो खयाली पुलाव पका रहे हो। (सामान्य भूतकाल)
  3. तुम्हारे पराठे दे दिए। (सामान्य भविष्यकाल)
  4. अब मेरे घर के पास भी कोई नहीं फटक रहा था। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
  5. चिंता ने चेतन की चिता सजा दी। (पूर्ण वर्तमानकाल)
  6. मैं जगह कर लूँगा। (पूर्ण भूतकाल)
  7. साधु आशीष देकर चला गया। (संयुक्त वाक्य)
  8. सबेरे एक साधु आ गए। (मिश्र वाक्य)

उत्तर:

  1. भारत में धूम मच रही थी।
  2. तुमने तो खयाली पुलाव पकाया।
  3. तुम्हारे पराठे दे दूंगा।
  4. अब मेरे घर के पास भी कोई नहीं फटक रहा है।
  5. चिंता ने चेतन की चिता सजा दी है।
  6. मैंने जगह कर ली थी।
  7. साधु ने आशीष दिया और चला गया।
  8. जैसे ही सबेरा हुआ वैसे ही एक साधु आ गए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों के रचना की दृष्टि से भेद लिखिए।

  1. जैसे ही एक जाता था; वैसे ही दो आते थे।
  2. यह सब लॉटरी का प्रताप था।
  3. “सुना है तुम्हारा रेफ्रीजरेटर आ गया है?”
  4. मुझसे नहीं खाई जाएगी।

उत्तर :

  1. मिश्र वाक्य
  2. साधारण वाक्य
  3. प्रश्नार्थक वाक्य
  4. निषेधार्थक वाक्य

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के भेद पहचानिए।
i. मैं बर्फ के क्यूब चूसूंगा।
ii. कुछ शौकीनों के लिए चाय बनी।
उत्तर:
i. मैं – सर्वनाम; बर्फ – द्रव्यवाचक संज्ञा
ii. कुछ – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण;
बनी – सकर्मक क्रिया

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प्रश्न 5.
अव्यय पहचानिए।
i. जरा इधर तो सुन।
ii. कटोरा ले लिया गया और रेफ्रीजरेटर में रख दिया गया।
उत्तर:
i. इधर – क्रियाविशेषण अव्यय
ii. और – समुच्चयबोधक अव्यय

इनाम Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : अरुण जी का जन्म 3 जनवरी 1928 को मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। आधुनिक हिंदी लेखकों में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिंदी साहित्य में आधुनिक कहानीकार एवं उपन्यासकार के रूप में श्रीमान अरुण जी का नाम उल्लेखनीय है। कहानियाँ एवं उपन्यास लिखना आपका शौक है। आपके समग्र साहित्य की 14 पुस्तकों का संकलन प्रकाशित हो चुका है। आपकी कलम ने साहित्य के विविध विधाओं को अनुग्रहित किया है।
प्रमुख कृतियाँ : एकांकी संकलन – ‘मेरे नवरस’; कहानी संग्रह – ‘बृहद हास्य संकलन’।

गद्य-परिचय :

हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध : ‘हास्य-व्यंग्य’ का अर्थ ही है उपहास करना। अत: इस प्रकार के निबंध में उपहास को प्रधानता दी जाती है। इसमें किसी विषय का तार्किक एवं बौद्धिक विवेचनापूर्ण लेखन किया जाता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी ‘इनाम’ के माध्यम से लेखक अरुण जी ने रेफ्रीजरेटर को माध्यम बनाकर लोगों के आचरण एवं व्यवहार पर करारा व्यंग्य किया है।

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सारांश :

प्रस्तुत पाठ एक हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध है। भारतीय समाज में तरह-तरह की विसंगतियाँ पाई जाती हैं। इस पाठ के द्वारा लेखक ने रेफ्रीजरेटर का आधार लेकर समाज में पाई जाने वाली विसंगतियों पर हास्य के माध्यम से करारा व्यंग्य किया है। एक भारतीय कंपनी रेफ्रीजरेटर की प्रसिद्धि के लिए विदेशी विज्ञापन पद्धति का सहारा लेती है। इसके लिए प्रतियोगिता का आयोजन करती है। लेखक भी इसमें सम्मिलित होते हैं और वे जीत जाते हैं। इसी कारण उन्हें एक रेफ्रीजरेटर मुफ़्त में मिल जाता है।

मुफ़्त में मिले रेफ्रीजरेटर को देखने के लिए उनके घर में पास-पड़ोस एवं सगे-संबंधियों का तांता लग जाता है। घर आए लोगों की आव-भगत एवं उन्हें रेफ्रीजरेटर का ठंडा पानी पिलाते-पिलाते लेखक का परिवार तंग आ जाता है। इतना ही नहीं, आस-पास रहने वाले लोग उनके फ्रीज में ढेर सारी चीजें रखते हैं। अंत में लेखक को एक तरकीब सूझती है और वे लोगों द्वारा रखी गई चीज़ों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। इस कारण अब लोग उनकी फ्रीज में अपनी चीजें रखना बंद कर देते हैं।

शब्दार्थ :

  1. जुगाड़ – व्यवस्था, प्रबंध
  2. दरख्वास्त – अर्ज, अरजी
  3. भंभड़ – शोरशराबा
  4. अमानत – धरोहर
  5. प्रतियोगिता – स्पर्धा
  6. प्रतियोगी – प्रतिस्पर्धी
  7. बिजली – विद्युत
  8. लाचारी – बेबसी

मुहावरे :

  • जली-कटी सुनाना – खरी-खोटी सुनाना।
  • मिसरी घोलकर बोलना – मीठी-मीठी बातें करना।
  • खयाली पुलाव पकाना – कल्पना में खोए रहना, स्वप्नरंजन करना।

कहावत :

ऐरे गैरे नत्थू खैरे – महत्त्वहीन

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Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 6 निसर्ग वैभव Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव (पूरक पठन)

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 6 निसर्ग वैभव Textbook Questions and Answers

पठनीय :

प्रश्न 1.
निम्न शब्द पढ़िए। शब्द पढ़ने के बाद जो भाव आपके मन में आते हैं वे कक्षा में सुनाइए।

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कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
किसी कार्यालय में नौकरी पाने हेतु साक्षात्कार देने वाले और लेने वाले व्यक्तियों के बीच होने वाला संवाद लिखिए।
उत्तर:

  • उम्मीदवार – नमस्ते श्रीमान।
  • अधिकारी – नमस्ते। आइए बैठिए।
  • उम्मीदवार – जो शुक्रिया।
  • अधिकारी – आपका नाम?
  • उम्मीदवार – श्री राजेश तिवारी
  • अधिकारी – आप अपने कार्य अनुभव के बारे में बताइए।
  • उम्मीदवार – इस समय मैं वेद कंपनी में क्लर्क के पद पर काम कर रह्य हूँ। इस पद पर काम करते हुए मुझे तीन वर्ष पूर्ण हो गए हैं। इस प्रकार मेरे पास तीन वर्ष का अनुभव है।
  • अधिकारी – क्या आप बता सकते हैं कि एक आदर्श कर्मचारी की कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
  • उम्मीदवार – एक आदर्श कर्मचारी के पास अपने काम के प्रति निष्ठा लगन एवं मेहनत से काम करने का जज्बा होता है।
  • अधिकारी – यदि हम आपको कंपनी में क्लर्क के पद पर नियुक्त करेंगे तो आप किस प्रकार स्वयं को अन्य कर्मचारियों से श्रेष्ठ साबित कर सकेंगे?
  • उम्मीदवार – मैं अपनी पूरी लगन एवं ईमानदारी से अपने कार्य को पूर्ण करूंगा। कंपनी के प्रत्येक कार्य को मैं बड़े चाव के साथ पूरा करने का प्रयास करूंगा। इस प्रकार मैं अपनी मेहनत से अपने आप को अन्य कर्मचारियों से श्रेष्ठ साबित करने का प्रयास करूंगा।
  • अधिकारी – ठीक है। धन्यवाद!
  • उम्मीदवार – धन्यबाद ! श्रीमान महोदय।

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पाठ के आँगन में :

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न क.
संजाल
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उत्तर:
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प्रश्न ख.
कविता की पंक्तियों को उचित क्रमानुसार लिखकर प्रवाह तत्जा पूर्ण कीजिए।
1. परिचित मरकत आँगन में
2. अभिशापित हो उसका जीवन?
3. अनिल स्पर्श से पुलकित तृणदल
4. निश्चल तरंग-सी स्तंभित
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उत्तर:

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 4

2. कविता द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए। 

प्रश्न 1.
कविता द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य के हृदय में प्रकृति प्रेम उत्पन्न करने का प्रयास किया है। प्रकृति में चारों ओर सौंदर्य भरा पड़ा है और उस सौंदर्य की अनुभूति कराने के लिए मनुष्य को प्रकृति की ओर जाना चाहिए। मनुष्य को प्रकृति से हमेशा खुश एवं प्रसन्न रहने की प्रेरणा लेनी चाहिए। मनुष्य को एक-दूसरे से नफरत नहीं करनी चाहिए। उसे अपने मन से क्षुद्र भावों को त्यागकर प्रकृति की भाँति विशाल हृदय रखना चाहिए। मानव के मन से वैश्विक प्रेम व परोपकार की भावना साकार करना ही इस कविता का उद्देश्य है।

3. कविता के तृतीय चरण का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए। 

प्रश्न 1.
कविता के तृतीय चरण का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए।
उत्तर:
पर्वत जीवन पर बिखरी हुई प्राकृतिक सुषमा का आनंद लूटते समय कवि को सहज ही एक बात याद आ जाती है। वह यह कि जड़ जीवन में यानी प्रकृति में अपार सौंदर्य भरा पड़ा है पर मानव जीवन में दुख का भाव क्यों है? उसका मन विषण्णता से भरा क्यों पड़ा है? अत: कवि मनुष्य को कहता है कि, उसे प्रकृति से सीख लेनी चाहिए। उसे मानव प्रकृति का पुन: संश्लेषण-विश्लेषण करना चाहिए। देखा जाए तो मनुज ईश्वर का प्रतिनिधि है फिर भी उसका जीवन अभिशापित है। शायद इसलिए कि उसे क्षुद्र अहंकार रूपी भावना ने दिन-रात घेरा हुआ है। इसी कारण वह विश्व चेतना से दूर चला गया है और वह अकेला पड़ गया है।

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श्रवणीय :

प्रश्न 1.
नीरज जी द्वारा लिखित कोई कविता यू ट्यूब पर सुनिए और उसके केंद्रीय भाव पर चर्चा कीजिए।

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरे या कहावतों में से अनुपयुक्त शब्द काटकर उपयुक्त शब्द लिखिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 5
उत्तर:

  1. टोपी पहनाना।
  2. नजर बंद करना।
  3. आटा गीला होना।
  4. आँख की किरकिरी होना।
  5. आसमान सर पर उठाना।
  6. आग-पानी का बैर।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 6 निसर्ग वैभव Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 7
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 8

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 9

प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 10

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘आपका देखा हुआ प्राकृतिक स्थल’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
प्राकृतिक स्थल पर घूमने जाने का मला ही कुछ और है। मैंने कौसानी की यात्रा की थी। कौसानी उत्तराखंड में स्थित एक प्राकृतिक स्थल है। चारों ओर हरियाली व सघन वृक्षों को देखकर मानव मन प्रफुल्लित हो जाता है। रंग-बिरंगे फूल और आस-पास मैंडराने वाले भौरे देखकर बहुत प्रसन्नता होती है। कोहरा हट जाने पर कौसानी से हिमालय के दर्शन होते हैं। श्वेत बर्फ की राशि देखकर मानव मन बाग-बाग हो जाता है। सचमुच धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो बस वह कौसानी में ही है।

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(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 11

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 12

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि
जिनके उत्तर निम्न शब्द हों
i. साँझ
ii. नीले
उत्तर:
i. पर्वतों की घाटियों में कौन छिप जाती है?
ii. छाया कौन-से रंग की है?

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कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘प्रकृति अपने अनंत हाथों से मनुष्य पर उपार करती आ रही है।’ इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
प्रकृति साक्षात ईश्वर का दूसरा रूप है। प्रकृति मानव पर उपकार करती आ रही है। नदी, तालाब, सागर, पेड, फूल-फल, जंगल, पहाड़, पवन, सूर्य की किरण ये सब प्रकृति के अंश हैं। इनके माध्यम से प्रकृति ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है और दे रही है। मनुष्य को जीवन जीने के लिए अन्न, पानी एवं अन्य मूलभूत वस्तुएँ प्रकृति से ही मिलती है। मनुष्य को साँस लेने के लिए जिस प्राणवायु की जरूरत होती है वह भी प्रकृति से ही प्राप्त होती है। आयुर्वेदिक दवाएँ प्रकृति से मिलती हैं। अतः प्रकृति अपने अनंत ह्यथों से मनुष्य पर उपकार करती आ रही है। यह विधान पूर्णत: सत्य है।

(ग) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 13

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 14

प्रश्न 3.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. पक्षी फल चखना शुरू कर देते हैं।
ii. गिलहरियाँ फूलों को कुतरना शुरू कर देती है।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘पर्वतीय जीवन में अनोखा व अद्भुत आनंद भरा होता है।’ इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
पर्वतीय प्रदेश सभी को अच्छे लगते हैं। सभी पर्वतीय प्रदेशों की यात्रा करना पसंद करते हैं। पर्वतीय प्रदेशों का आरोह व अवरोहण करना सभी को भाता है। पर्वतीय प्रदेश में चारों ओर हरियाली होती है। बड़े-बड़े वृक्ष एवं उन पर कलरव करने वाले पक्षियों को देखकर हमारे आँखों की तृप्ति हो जाती है। पर्वतीय प्रदेशों में बहने वाली हवा शीतल होती है। वह मानव के मन में अद्भुत प्रेरणा निर्माण करती है। पर्वतीय प्रदेश मानव हृदय को उमंग, ताजगी व उल्लास से भर देते हैं। अत: पर्वतीय जीवन में अनोखा व अदभुत आनंद भरा होता है।

(घ) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 15

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 16

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 17
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव 18

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मानव प्रकृति से दूर चला जा रहा है।’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जी हाँ, आज मानव प्रकृति से दूर चला जा रहा है। विज्ञान एवं तकनीकी के इस युग में मानव ने भले ही आसमान को छू लिया है। फिर भी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर उसने धरती को सौदर्यहीन कर दिया है। मानव ईया, दवेष, जलन, नफरत एवं अहंकार के कारण इतना स्वार्थी हो गया है कि वह प्रकृति के एहसान को भी भूल गया है। अपना स्वार्थ पूर्ण करने के लिए मानव एक-दूसरे का लहू बहाने से भी पीछे नहीं हटता है। अपनी इच्छाएं पूर्ण न होने के कारण वह हृदय से विषण्ण एवं दुखी हो जाता है। प्रकृति में सर्वत्र सौदर्य बिखरा हुआ है। इस तथ्य को भी वह भूल जाता है। अत: स्पष्ट है कि मानव प्रकृति से दूर चला जा रहा है।

निसर्ग वैभव Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : सुमित्रानंदन पंत का जन्म २0 मई 1900 को कौसानी उत्तराखंड में हुआ था। आप प्रकृति के सुकुमार कवि थे। आप छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। आपको प्रकृति ने ही कविता लिखने की प्रेरणा दी थी। आपको साहित्य के सर्वश्रेष्ठ ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
प्रमुख कृतियाँ : काव्य संग्रह – ‘वीणा’, ‘गुंजन’, ‘पल्लव’, ‘ग्राम्या’, ‘चिदंबरा’, ‘कला और बूढ़ा चाँद’ आदि, उपन्यास – ‘हार’.
आत्मकथात्मक संस्मरण – ‘साठ वर्ष : एक रेखांकन’

पद्य-परिचय :

कविता : भावों का आविष्कार कराने वाली, हृदय में आनंद की अनुभूति निर्माण कराने वाली एवं रस का साक्षात्कार कराने वाली साहित्य की विधा ‘कविता’ कहलाती है। कविता मनुष्य के भावों की सहज अभिव्यक्ति है।

प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता में महाकवि पंत जी ने प्राकृतिक सुषमा का बड़ा ही मनोहारी एवं अद्भुत वर्णन किया है। प्रकृति के प्रत्येक अंश में सौंदर्य भरा पड़ा है। उस अनुभूति का एहसास मनुष्य को तभी होगा जब वह प्रकृति की ओर आकर्षित होगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 6 निसर्ग वैभव

सारांश :

प्रस्तुत कविता प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति मनुष्य के मन में आकर्षण निर्माण करती है। प्रकृति में ही ईश्वर का अंश विराजमान है, इस तथ्य को साकार करने वाली यह रचना है। महाकवि पंत जी प्रकृति के पुजारी थे। उन्होंने इस कविता के द्वारा प्रकृतिरम्य अनुभूति का साक्षात्कार तो करवाया ही है साथ में प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते समय आध्यात्मिकता की ओर पाठकों का ध्यान खींचकर उन्हें दुख, दर्द, व्यथा, नैराश्य एवं विषण्णता आदि पर विचार करने के लिए भी विवश कर दिया है।

प्रकृति के कण-कण में अपार सौंदर्य भरा पड़ा है। देखा जाए तो प्रकृति जड जग का अंश है और मानव जीवन तो चेतन जग का रूप है। फिर भी मानव जीवन में सर्वत्र विषण्णता छायी हुई है। ऐसा क्यों? मनुज को ही स्वयं इसका उत्तर ढूँढ़ने के लिए कवि ने विवश कर दिया है। इसीलिए यह कविता छायावाद का एक अनुपम उदाहरण है।

भावार्थ :

कितनी सुंदरता बिखरी ………………. वन प्रिय कोयल!
पंत जी प्रकृति के सुकुमार कवि थे। वे जानते हैं कि प्रकृति जगत में सौंदर्य बिखेरने वाला ईश्वर ही है। अतः कवि ईश्वर को संबोधित करते हुए कहते हैं, “हे ईश्वर ! प्राकृतिक जगत में सुंदरता बिखरी हुई है। पहाड़ों की चोटियों पर फैली सूरज की धूप घाटी की ओर लोट रही है और उसके डाँव में स्वयं को चुपचाप लिपटाए हुई है। धूप और छाँव का मानो मिलन हो रहा है। “हवा सर्वत्र बह रही है। उसके स्पर्श से हरी घास पुलकित यानी रोमांचित हो गई है। नदी मधुर संगीत का गान करती हुई स्वच्छंद बह रही है। प्रतिदिन प्रकृति की अनुपम शोभा का आनंद वन-भू उठा रही है।”

“चारों ओर लाल रंग के फूल खिले हुए हैं। फूलों का लाल रंग ज्वालाओं का निर्माण कर रहा है। उन्हें देखकर मनुष्य के आँखों की तृप्ति होती है यानी मनुष्य के आँखों को ठंडक मिलती है। भौरे भी अपने दल के साथ आकर गुंजन कर रहे हैं। वे फूलों की कलियों पर बैठकर अपने होंठों से मधु पान कर रहे हैं। लाल रंग के फूलों ने तितलियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। वे भी फूलों पर मंडरा रही हैं। ऐसे में दूर किसी पेड़ की पत्तियों की छाँव में बैठकर वन प्रिय कोयल रुक-रुककर अपना गीत गा रही है।”

लेटी नीली ………………. कर संध्यावंदन!
कवि पंत प्रकृति की सुषमा का वर्णन करते हुए कहते हैं, “आसमान में सर्वत्र नीले रंग के बादल दिखाई दे रहे हैं। इसी कारण नीले रंग की छाया दिखलाई पड़ती है। इस नीले रंग की छाया ने सूर्य के किरणों को अपने आप में समा लिया है। सूर्य के किरणों का सुनहरा रंग नीली छाया के साथ एकाकार हो गया है। इस विहंगम दृश्य को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि नीले व सुनहरे रंग का आवरण निश्चल तरंग की तरह आसमान में निर्माण हुआ है।

ऐसे में सवेरा होने से पहले सर्वप्रथम सुनहरी किरण सर्वत्र छा जाती है। मानो उसका अभिनंदन करने के लिए ऊषा तैयार हो जाती है। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए साँझ भी उत्सुक रहती है। इसीलिए वह वहीं आकर छिप जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि ऊषा निर्जन वन में संध्या को भी वंदन करती है।”

अपलक तारापथ ………………. मरकत आँगन में!
कवि पंत कहते हैं, “संध्या के बाद रात्रि का समय शुरू हो जाता है। आसमान में बिना पलक झपकाए असंख्य तारे दिखाई देने लगते हैं। उनके साथ चंद्रमा भी आसमान में आ जाता है। उस पूर्ण रूप में आसमान में बहुत की सुंदर तारे दिखलाई देने लगते हैं। ऐसा लगता है मानो वह एक दर्पण ही हो जिसमें असंख्य तारे अपने आप को निहार रहे हों। रात्रि के समय पर्वतों पर बहने वाली हवा भी पर्वतों के कंधों पर सो जाती है। पर्वतों पर दिखाई देने वाली यह प्राकृतिक सुषमा सभी को सम्मोहित कर देती है।

सचमुच पर्वत जीवन में अद्भुत एवं अनोखा विस्मय भरा पड़ा हुआ है। रात्रि के पश्चात फिर से सवेरा हो जाता है। पक्षी फल चखना शुरू कर देते हैं। गिलहरियाँ नए पत्तों को कुतरना शुरू कर देती हैं। धरती रूपी रत्न पर सभी वन-पशु प्रसन्न दिखाई देने लगते हैं।”

स्वाभाविक ………………. मानव मन निश्चित!
पर्वत जीवन पर बिखरी हुई प्राकृतिक सुषमा का आनंद लुटते समय कवि को सहज ही एक बात याद आ जाती है। वह यह कि जड़ जीवन में यानी प्रकृति में अपार सौंदर्य भरा पड़ा है पर मानव जीवन में दुख का भाव क्यों है? उसका मन विषण्णता से भरा क्यों पड़ा है? अतः कवि मनुष्य से कहते हैं कि उसे प्रकृति से सीख लेनी चाहिए। मनुष्य को प्रकृति का संश्लेषण-विश्लेषण करना चाहिए। देखा जाए तो मनुष्य ईश्वर का प्रतिनिधि है फिर भी उसका जीवन अभिशापित है। शायद इसलिए कि उसे क्षुद्र अहंकार रूपी भावना ने दिन-रात घेरा हुआ है। इसी कारण वह विश्व चेतना से दूर चला गया है और वह अकेला पड़ गया है।

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शब्दार्थ :

  1. श्लक्ष्ण – मधुर
  2. अनिल – पवन
  3. अहरह – प्रतिदिन
  4. मुकुल – कली
  5. मँझधार – बीचोबीच, लहरों के बीच
  6. शैल – पर्वत
  7. समीरण – पवन
  8. मरकत – पन्ना (एक रत्न)
  9. निर्जन – वीरान
  10. अपलक – बिना पलक झपकाए
  11. वैचित्र्य – अनोखापन
  12. गिरि शिखर – पहाड़ों की चोटियाँ
  13. वन-भू – जंगल या कानन
  14. शीतल – ठंड
  15. ऊषा – सुबह होने से पूर्व आसमान में सूर्य की लाल आभा फैल जाती है वह समय
  16. खग – पक्षी
  17. जड़ जग – सृष्टि
  18. चेतन जग – संसार
  19. विषण्ण – व्यथित या निराश

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 निज भाषा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 3 निज भाषा Textbook Questions and Answers

1. भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
शब्द-युग्म पूरे करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः

  • घर-घर – स्वतंत्रता सेनानी घर-घर जाकर लोगों को देश के प्रति जागरूक करते थे।
  • ज्ञान-विज्ञान – हमें अपनी भाषा में ज्ञान-विज्ञान का प्रचार करनाचाहिए।
  • भला-बुरा – इतनी-सी बात के लिए किसी को भला बुरा कहना ठीक नहीं।
  • प्रचार-प्रसार – हमें अपनी भाषा का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
  • भूख-प्यास – लंबी यात्रा में यात्री भूख-प्यास से परेशान
  • भोला-भाला – मोहन भोला-भाला व्यक्ति है।

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2. मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’ इस कश्चन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
i. निज भाषा ……………………….. हिय को सूल।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा अर्थात मातृभाषा की उन्नति के द्वारा ही प्रगति संभव है, क्योंकि सारी उन्नतियों का आधार यही है। अपनी भाषा के ज्ञान बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं हैं।

ii. अंग्रेजी पढ़ि………………….. हीन के हीन।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यद्यपि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति सभी गुणों में कुशल हो जाता है। परंतु मातृभाषा के ज्ञान के बिना उसकी अज्ञानता नहीं मिट पाती और वह हीन ही रह जाता

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3. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
हिंदी दिवस’ समारोह के अवसर पर अपने वक्तृत्व में हिंदी भाषा का महत्त्व प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
मानवीय सभापति महोदय, प्रधानाचार्य जी, मंच उपस्थित अतिथि गण, गुरुजन व मेरे प्यारे साथियों, आज हम सभी यहाँ हिंदी समारोह मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इस शुभ अवसर पर मैं हिंदी भाषा के महत्त्व के विषय में कुछ कहना चाहूँगा। हिंदी हमारी राजभाषा है। स्वतंत्र भारत के संविधान में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। हिंदी बहुत पहले से देश की संपर्क भाषा रही है। प्रत्येक राष्ट्र अपनी राष्ट्रभाषा के विषय में सजग, सतर्क और संवेदनशील होते हैं, क्योंकि राष्ट्रभाषा देश की एकता, अखंडता उसकी संस्कृति की पहचान होती है।

देश की आजादी की लड़ाई में हिंदी भी एक हथियार बन गई थी। देश के नेता हिंदी में भाषण देते थे और लोगों में अद्भुत जागृति पैदा करते थे। महात्मा गांधी देश के गाँव-गाँव में जाकर हिंदी में ही जनता को संबोधित करते थे। आज देश के हर भाग में हिंदी बोली जाती है। हिंदी अखबार और पत्र-पत्रिकाओं का भी देश में चारों तरफ बहुत प्रचार-प्रसार है। हिंदी एक समृद्ध भाषा है। इस भाषा में देश की मिट्टी की महक है। इसका साहित्य बहुत ऊँचे दर्जे का है।

हिंदी आज विश्व के लगभग ७५ देशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। हिंदी को विश्व में सर्वाधिक फिल्में बनती हैं। सैटलाईट के विदेशी चैनल भी हिंदी माध्यम को अनवरत अपनाते चले जा रहे हैं। हमारे अहिंदी भाषी प्रांतों में भी हिंदी द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाई जा रही है। प्रथम भाषा के रूप में जब उसे संपूर्ण देश में मान्यता प्राप्त होगी, तभी हमारी हिंदी के प्रति सच्ची श्रद्धा मानी जाएगी।

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4. लेखनीय :

प्रश्न 1.
‘अपने विद्यालय में मनाए गए ‘बाल दिवस’ का वर्णन लिखिए।
उत्तर:
चाचा नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाने वाला ‘बाल-दिवस’ समारोह आज प्रात: ठीक 9 बजे हमारे विद्यालय में मनाया गया। इस समारोह में कक्षा 10 तक के छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अध्यक्ष थे, सुप्रसिद्ध भजन गायक ‘अनूप जलोटाजी’। उनके आते ही विद्यार्थियों की करतल ध्वनि से सारा हाल गूंज उठा। अध्यक्ष ने मंच पर आते ही सरस्वती जी के फोटो को हार पहनाया व तत्पश्चात पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा को हार पहनाया।

विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. विजय-प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथी का स्वागत किया एवं उपस्थित लोगों से उनका परिचय कराया। छात्र-छात्राओं ने इस शुभ अवसर पर चाचा नेहरू के जीवन की प्रमुख घटनाओं पर एक लघु नाटक प्रस्तुत किया। बाद में मुख्य अतिथि का भाषण हुआ। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने विद्यार्थियों को उच्च लक्ष्य की ओर प्रेरित किया। अंततोगत्वा प्रधानाचार्य डॉ. विजय-प्रताप सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगीत के समूहगान के साथ ही सगरोह की समाप्ति हुई।

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Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 3 निज भाषा Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 1

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 2

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
i. निज भाषा “अहै, सब उन्नति को मूल।
ii. पै निज भाषा ….बिन, रहत हीन के हीन ।।
उत्तर:
i. उन्नति
ii. ज्ञान

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(ख) पद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 3 Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 4

प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर विधान पूर्ण कीजिए।
i. लाख उपाय अनेक यो,
ii. इक भाषा हक जीव, इक मति
उत्तर:
i. लाख उपाय अनेक यों, भले करे किन कोय।
ii. इक भाषा इक जीव, इक मति सब घर के लोग।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. उन्नति पूरी है ………….. मूढ़ सब कोय।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि किसी देश या समाज की संपूर्ण प्रगति तभी होती जब उसके घर की प्रगति होती है अर्थात घर की भाषा (मातृभाषा) की उन्नति होती है। सिर्फ अपने शरीर की अर्थात स्वयं की उन्नति करने से सब लोग अज्ञानी ही बने रहते हैं।

ii. निज भाषा ………………… करे किन कोय।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा की उन्नति के बिना कभी भी उन्नति नहीं हो सकती। भले ही कोई लाख उपाय करें अथवा अनेकों प्रकार से प्रयास करें लेकिन उसकी प्रगति संभव नहीं है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 5

प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर विधान पूर्ण कीजिए।
i. निजभाषा में कीजिए,
ii. यह गुन भाषा और मह, ……….
उत्तर:
i. निजभाषा में कीजिए, जो विद्या की बात।
ii. यह गुन भाषा और मह, कबहूँ नाहीं होय।

कृति ग (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. और एक ………………………. कबहूँ नाहीं होय ।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यदि ज्ञान की बात अपनी भाषा में करते हैं तो एक और भी लाभ स्पष्ट दिखाई देता है जो भी कोई अपनी भाषा की बात को सुनता है, वह लाभान्वित होता है। यह गुण अर्थात यह विशेषता किसी अन्य भाषा में कभी भी नहीं हो सकती। अन्य भाषा में की गई बात को हम पूरी तरह नहीं समझ पाते इसलिए उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा 6

प्रश्न 2.
उचित पर्याय चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. विविध कला शिक्षा अमित
(क) भाषा विविध लखात
(ख) ज्ञान अनेक प्रकार
उत्तर :
(ख) ज्ञान अनेक प्रकार

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

ii. भारत में सब भिन्न अति ………..
(क) भाषा माँहि प्रचार
(ख) ताही सों उत्पात
उत्तर :
(ख) ताही सों उत्पात

कृति घ (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. विविध कला …………………… भाषा माँहि प्रचार।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अनेक प्रकार की कलाएं, असीमित शिक्षा तथा विभिन्न प्रकार का ज्ञान सभी देशों से अवश्य लेना चाहिए। लेकिन उस कला, शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार-प्रसार अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके फलस्वरूप अधिक से-अधिक लोग इन विषयों द्वारा लाभ उठा सकेंगे।

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ii. भारत में सब ……………….. भाषा विविध लखात।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि भारत के सभी लोगों में विविधतापूर्ण भिन्नता है यहाँ अनेक देश, अनेक विचार और अनेक भाषाएँ दिखाई देती हैं। जिसके कारण यहाँ उपद्रव भी अधिक होते हैं और समाज में शांति नहीं रह पाती है। अर्थात कवि इस कविता से यह संदेश देते हैं कि अपनी मातृ भाषा की उन्नति करो जिससे देश में एकता स्थापित हो और देश उन्नति करें।

निज भाषा Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : भारतेंदु हरिश्चंद्र साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्हें ‘खड़ी बोली का जनक’ कहा जाता है। इन्होंने कविता, नाटक, निबंध, व्याख्यान आदि का लेखन किया।
प्रमुख कृतियाँ : काव्य संग्रहः ‘भारत वीरत्व’, “विजय वैजयंती’, ‘सुमनांजलि’, ‘मधुमकुल’, ‘वर्षा-विनोद’, ‘राग-संग्रह’, हास्य काव्य कतियाँ : ‘बंदर-सभा’, ‘बकरी का विलाप’, हास्य-व्यंग्यप्रधान नाटक ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’

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पद्य-परिचय :

गीत : यह अर्थ सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते है। सम चरणों के अंत में एक गुरू और एक लघु मात्रा होती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता निज भाषा के माध्यम से कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपनी भाषा के प्रति गौरव अनुभव करने, उससे प्रेम करने तथा मिल-जुलकर उन्नति करने का संदेश दिया है।

सारांश :

कवि कहते है कि अपनी भाषा की उन्नति से ही सभी प्रकार की उन्नति संभव है। अपनी भाषा के संपूर्ण ज्ञान के अभाव में व्यक्ति हीन हो जाता है। अपनी भाषा के उन्नति के बिना लाख उपाय करने पर भी व्यक्ति उन्नति नहीं कर पाता। जिस घर में सबकी भाषा एक हो, सबके विचार एक हो तथा आपस में कोई भेदभाव न हो उस घर से दुःख हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। हमें विभिन्न देशों से उनकी कला, शिक्षा तथा ज्ञान अवश्य लेना चाहिए परंतु उसका प्रचार-प्रसार अपनी भाषा में करना चाहिए। क्योंकि इससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। देश में भाषा की भिन्नता के कारण ही आपसी दंगे-फसाद होते हैं। अतः हमें अपनी भाषा की उन्नति करनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

सरल अर्थ :

निज भाषा …………………. हिय को सूल।।
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा अर्थात मातृभाषा की उन्नति के द्वारा ही प्रगति संभव है, क्योंकि सारी उन्नतियों का आधार यही है। अपनी भाषा के ज्ञान बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं हैं।

अंग्रेजी पढ़ि ………………………हीन के हीन।।
कवि कहते है कि यद्यपि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति सभी गुणों में कुशल हो जाता है। परंतु मातृभाषा के ज्ञान के बिना उसकी अज्ञानता नहीं मिट पाती और वह हीन ही रह जाता है।

उन्नति पूरी है ……………………….. मूढ सब कोय।।
कवि कहते हैं कि किसी देश या समाज की संपूर्ण प्रगति तभी होती जब उसके घर की प्रगति होती है अर्थात पर की भाषा (मातृभाषा) की उन्नति होती है। सिर्फ अपने शरीर की अर्थात स्वयं की उन्नति करने से सब लोग अज्ञानी ही बने रहते हैं।

निज भाषा …………………………… करे किन कोय।।।
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा की उन्नति के बिना कभी भी उन्नति नहीं हो सकती। भले ही कोई लाख उपाय करें अथवा अनेक प्रकार से प्रयास करें लेकिन उसकी प्रगति संभव नहीं है।

इक भाषा ………………………… मूड़ता सोग।।
कवि कहते है कि जब घर में सबकी भाषा एक हो, सब एक भाषा में बातचीत करते हों, सब एक प्राण हों यानि कोई किसी से भेदभाव न करता हो तथा सब एक मत हो अर्थात सभी के विचार एक जैसे हो तभी उस घर में सभी लोगों की एक दूसरे से बनती है तथा आपसी संबंध मधुर होते हैं। ऐसे घर से अज्ञानता और दुख हमेशा के लिए मिट जाता है।

और एक …………………………….. कबहूँ नाहीं होय।।
कवि कहते है कि यदि ज्ञान की बात अपनी भाषा में करते हैं तो एक और भी लाभ स्पष्ट दिखाई देता है जो भी कोई अपनी भाषा की बात को सुनता है, वह लाभान्वित होता है। यह गुण अर्थात यह विशेषता किसी अन्य भाषा में कभी भी नहीं हो सकती। अन्य भाषा में की गई बात को हम पूरी तरह नहीं समझ पाते इसलिए उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।

विविध कला …………………………… भाषा माहि प्रचार।।
कवि कहते हैं कि अनेक प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा विभिन्न प्रकार का ज्ञान सभी देशों से अवश्य लेना चाहिए। लेकिन उस कला, शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार-प्रसार अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके फलस्वरूप अधिक-से-अधिक लोग इन विषयों द्वारा लाभ उठा सकेंगे।

भारत में सब ………………….. भाषा विविध लखात।।
कवि कहते हैं कि भारत के सभी लोगों में विविधतापूर्ण भिन्नता है यहाँ अनेक देश, अनेक विचार और अनेक भाषाएं दिखाई देती है। जिसके कारण यहाँ उपद्रव भी अधिक होते हैं और समाज में शांति नहीं रह पाती है। अर्थात कवि इस कविता से यह संदेश देते हैं कि अपनी मातृभाषा की उन्नति करो जिससे देश में एकता स्थापित हे और देश उन्नति करें।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 निज भाषा

शब्दार्थ :

  1. निज – अपनी
  2. अहै – है
  3. मूल – जड़ (आधार)
  4. मिटत न – नहीं मिटती
  5. सूल – शूल (पीड़ा)
  6. जदपि – यद्यपि
  7. प्रवीन – कुशल
  8. पै – परंतु
  9. बिन – बिना
  10. हीन – तुच्छ
  11. उन्नति – प्रगति
  12. पूरी – संपूर्ण
  13. मूढ़ – मूर्ख
  14. कोय – कोई
  15. सोय – वह (उन्नति)
  16. इक – एक
  17. जीव – प्राण/आत्मा
  18. इक मति – एक बुद्धि
  19. तबै – तभी
  20. सबन सौ – सबके साथ
  21. मूढ़ता – अज्ञानता
  22. सोग – दुख
  23. प्रगट – स्पष्ट
  24. लखात – विद्या
  25. तेहि – उसे
  26. सुनी – सुनकर
  27. पावे – पाता है
  28. जो कोय – जो कोई
  29. और – दूसरे
  30. कबहूँ – कभी-भी
  31. होय – होता है
  32. विविध – अनेक
  33. अमित – असीमित
  34. देसन – देश
  35. लै – लेकर
  36. करहू – कीजिए
  37. दिखाई – अनेक
  38. माँहि – में
  39. विविध – अनेक
  40. देस – देश
  41. मतहू – विचार

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 9 मेरे पिता जी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी (पूरक पठन)

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 9 मेरे पिता जी Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कारण लिखिए।

प्रश्न (क)
विमान के प्रति लेखक का आकर्षित होना-
उत्तर:
दो विमान लेखक को अपनी ओर बार-बार खींच रहे थे। मानो वे उसे सीमाओं के परे मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी दे रहे थे और मानो वे उसके सपनों को पंख लगा रहे थे।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी

प्रश्न (ख)
लेखक का एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुनना –
उत्तर:
लेखक का एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुनना क्योंकि उड़ान भरने के प्रति वे आकर्षित थे।

पहली बार मैंने एम. आई. टी. में निकट से विमान देखा था, जहाँ विद्यार्थियों को विभिन्न सब- सिस्टम दिखाने के लिए दो विमान रखे थे। उनके प्रति मेरे मन में विशेष आकर्षण था। वे मुझे बार – बार अपनी ओर खींचते थे। मुझे वे सीमाओं से परे मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी देते थे तथा मेरे सपनों को पंख लगाते थे। मैंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुना क्योंकि उड़ान भरने के प्रति मैं आकर्षित था। वर्षों से उड़ने की अभिलाषा मेरे मन में पलती रही। मेरा सबसे प्यारा सपना यही था कि सुदूर आकाश में ऊँची और ऊँची उड़ान भरती मशीन को हैंडल किया जाए।

2. स्वमत –

3. ‘मेरी अभिलाषा’ विषय पर छह से आठ पंक्तियाँ लिखिए।

प्रश्न 1.
‘मेरी अभिलाषा’ विषय पर छह से आठ पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
जिंदगी सिर्फ चार दिन की होती है। छोटी-सी इस जिंदगी में सभी को आसमान में उड़ाने की चाह होती है। यानी सभी को अपनी-अपनी अभिलाषा होती है। मेरी भी अपनी एक अभिलाषा है। वह है वैज्ञानिक बनने की। मैं वैज्ञानिक बनकर भारत में अनुसंधान का कार्य करना चाहता हूँ। विज्ञान के क्षेत्र में भारत का नाम गर्व से ऊँचा करना चाहता हूँ।

नए-नए अन्वेषण करके मैं सभी का जीवन सुखकर करना चाहता हूँ। वैज्ञानिक बनकर सभी बच्चों के मन में विज्ञान के प्रति प्रेम-आकर्षण निर्माण करना चाहता हूँ। वैज्ञानिक बनकर मानवता के लिए कार्य करने के लिए मैं सदैव तत्पर हूँ। मैं मेरी यह अभिलाषा पूर्ण करने के लिए अथक प्रयास व परिश्रम कर रहा हूँ। मुझे आशा है कि मेरी यह अभिलाषा जरूर पूरी हो जाएगी।

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए

प्रश्न 1.
संजाल:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 2

2. ‘अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है।’ इस पर अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
‘अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है।’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
भाषा विचारों के आदान-प्रदान का साधन है। भाषा से ही व्यक्ति का विकास होता है। बिना भाषिक ज्ञान से व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता है। बहुभाषी होना तो सोने पे सुहागा जैसी ही बात है। अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होने से व्यक्ति के ज्ञान की कक्षाएँ फैल जाती हैं। वह एक भाषा के साथ दूसरी भाषा के भाव व विचार संकलित करता है।

अन्य भाषाओं का ज्ञान होने से व्यक्ति को अन्य प्रांतों में भी सम्मान की भावना मिल जाती है। अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होने से व्यक्ति की विचार करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। ऐसा व्यक्ति भाषण या लेखन करते समय अन्य भाषाओं में प्रचलित संदर्भ या उदाहरणों को आसानी से प्रयोग कर सकता है। इसीलिए अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है।

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पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर उनके लिए पाठ में प्रयुक्त विशेषताएँ लिखिए।

  1. जूता
  2. पाजामा
  3. अचकन
  4. टोपी

उत्तरः

  1. काला
  2. ढीला
  3. लंबी व इकहरी
  4. दुपल्ली

प्रश्न (ख)
‘संयुक्त परिवार’ संबंधी अपने विचार लगभग छह से आठ पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरः
संयुक्त परिवार प्रणाली भारतीय संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। आज के इस परिवर्तनशील युग में संयुक्त परिवार प्रणाली विभक्त होती जा रही है। संयुक्त प्रणाली में सभी मिल-जुलकर रहते थे। संयुक्त परिवार प्रणाली व्यापक एवं विशाल स्वरूप की थी। उसका दृष्टिकोण भी व्यापक था। सदस्यों की संख्या भी अधिक होती थी।

परिवार का मुखिया परिवार का संचालन करता था। चाचा-चाची, माँ-बाप, दादादादी, चचेरे भाई-बहन सभी संयुक्त परिवार में मेल-मिलाप से रहते थे। आज भले ही संयुक्त प्रणाली की जगह विभक्त परिवार प्रणाली आ गई है; फिर भी आज कई परिवार ऐसे हैं जो संयुक्त परिवार में रहना पसंद करते हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली प्रेम व सहयोग से एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहना सिखाती है।

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भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
विरामचिह्न पढ़िए, समझिए।
उत्तर:
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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 9 मेरे पिता जी Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 5

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर उनके लिए पाठ में प्रयुक्त विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 6

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. गुलूबंद
2. लाठी
उत्तर:
1. जाड़ों में लेखक के पिता के गले में क्या पड़ा रहता था?
2. लेखक के पिता ने किसकी तालीम ली थी?

प्रश्न 5.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. लेखक के गाँव में किसी कारण हिंदू-मुस्लिम दंगा हो गया था।
2. लेखक के पिता दफ्तर से बाहर निकलते समय धोती पर बंद गले का कोट पहनते थे।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

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प्रश्न 6.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 7

कृति (2): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
सभी का प्रिय बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए? अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
सभी का प्रिय बनने के लिए हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अपनी वाणी एवं अपने कर्म से सभी को अपनी ओर आकर्षित करना चाहिए। हमें संकट की घड़ी में दूसरों की मदद करनी चाहिए। अपने अच्छे व्यवहार से सभी का दिल जीत लेना चाहिए। हमें मानवीय गुणों का पालन करना चाहिए और अपने प्रत्येक कार्य से दूसरों को प्रेरणा देनी चाहिए।

(ख) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1):आकलन कृति

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पिता जी हाथ में डंडा लिए थे।
उत्तर:
आत्मरक्षा के लिए पिता जी हाथ में डंडा रखते थे।

प्रश्न 2.
हिंदू-मुसलमान को मेल से रहना चाहिए।
उत्तरः
साथ में भाईचारे से रहने के उद्देश्य से हिंदू-मुसलमान को मेल से रहना चाहिए।

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कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
हिंदू-मुसलमानों के कटने मरने से…………….
उत्तर:
(क) न हिंदुत्व समाप्त होगा न इस्लाम खत्म होगा।
(ख) न बंधुत्व समाप्त होगा न भाईचारा खत्म होगा।
(ग) न प्रेम समाप्त होगा न अमन खत्म होगा।

प्रश्न 2.
लेखक के पिता जी का लोगों पर असर हुआ और
(क) उनके मुहल्ले में अशांति बनी रही।
(ख) उनके मुहल्ले में वैमनस्य बढ़ने लगा।
(ग) उनके मुहल्ले में शांति बनी रही।
उत्तर:
1. हिंदू-मुसलमानों के कटने मरने से न हिंदुत्व समाप्त होगा न इस्लाम खत्म होगा।
2. लेखक के पिता जी का लोगों पर असर हुआ और उनके मुहल्ले में शांति बनी रही।

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कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘इंसान मेल से रहने के लिए बना है।’ इस कथन से संबंधित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
इंसान ईश्वर की सबसे सुंदर कृति है। इंसानियत इंसान का सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म से बढ़कर अन्य धर्म नहीं है। अतः धर्म के नाम पर एक-दूसरे के साथ लड़ना-झगड़ना उचित नहीं है। मानव जीवन अत्यंत मूल्यवान है। अत: इस जीवन में हमें एक-दूसरे के साथ अच्छे संबंध निर्माण करने चाहिए। जब व्यक्ति एक-दूसरे के साथ मेल से रहेगा तब समाज में शांति, प्रेमभाव, अमन का राज्य निर्माण हो जाएगा। चार दिन की इस जिंदगी में खुश रहने के लिए व्यक्ति को एक-दूसरे के साथ मेल से रहना चाहिए।

(ग) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य गद्यांश के क्रम के अनुसार लिखिए।

  1. पैदल आते।
  2. साथ में एक सुराही गंगाजल भी लाते।
  3. वे सवेरे तीन बजे उठते।
  4. वे ठीक साढ़े छह बजे नहाकर लौटते।

उत्तर:

  1. वे सवेरे तीन बजे उठते।
  2. पैदल आते।
  3. वे ठीक साढ़े छह बजे नहाकर लौटते।
  4. साथ में एक सुराही गंगाजल भी लाते।

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 9

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. मूर्ति
2. मानस
उत्तर:
1. पूजा की कोठरी में क्या नहीं थी?
2. लेखक के पिता किसका नवाहिक पाठ करते थे?

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कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘छात्र का दैनिक जीवन किस प्रकार का होना चाहिए?’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
छात्र का दैनिक जीवन सुव्यवस्थित होना चाहिए ताकि वह संपूर्ण दिन में अपना प्रत्येक कार्य सुचारू रूप से कर सकें। छात्र को सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर ईश्वर चिंतन में थोड़ा समय देना चाहिए। पश्चात स्कूल में समय पर पहुँचना चाहिए। स्कूल की पढ़ाई-लिखाई में पूरा ध्यान देकर गृहकार्य भी समय पर करना चाहिए। स्कूल से घर आने के पश्चात कुछ समय खेलकूद के लिए भी देना चाहिए। अपने परिवार एवं मित्र के साथ टहलने के लिए भी समय देना चाहिए। साथ ही अपने निजी शौक के लिए भी छात्र को समय देना चाहिए। रात में सोते समय ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. लेखक के पिता का स्वर साफ, सप्राण व लयपूर्ण था।
2. लेखक के पिता की आवाज सुरीली थी।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 11

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
परिवार के अन्य लोग लेखक के पूर्व जन्म के धार्मिक संस्कार की कल्पना करते थे।
उत्तरः
बचपन में लेखक जब रोने लगते थे तब उन्हें खटोले सहित पूजा की कोठरी के सामने रख दिया जाता। वहाँ आने के बाद लेखक का रोना बंद हो जाता था। इसलिए परिवार के अन्य लोग लेखक के पूर्व जन्म के धार्मिक संस्कार की कल्पना करते थे।

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कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘घर व परिवार संस्कार के प्रमुख केंद्र होते हैं।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
संस्कार पढ़ाए नहीं जाते हैं। वे अपने आप आ जाते हैं। घर व परिवार ही एक ऐसा माहौल है; जिसमें बच्चों का संस्कार निर्माण होता है। यदि घर व परिवार में धार्मिक माहौल है तो बच्चों पर अपने आप धार्मिक संस्कार का निर्माण हो जाता हैं। कोई भी पाठशाला संस्कार नहीं प्रदान कर सकती। वह सिर्फ शिक्षा दे सकती है। सिर्फ घर-परिवार में अच्छा माहौल हो, तो बच्चों में नैतिक संस्कार एवं मानवीय गुण अपने आप आ जाते हैं। बच्चे जन्म से अपने परिवार के संग होते हैं। घर पर मिलने वाली शिक्षादीक्षा एवं घर-परिवार के लोगों के अच्छे आचरण का बच्चों पर प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों में संस्कार पनपने लगते हैं।

(ङ) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 12

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
लेखक के पिता जी मौन रहकर गीता पढ़ते थे।
उत्तरः
लेखक के पिता जी गीता पर चिंतन करना चाहते थे। इसलिए वे मौन रहकर गीता पढ़ते थे।

प्रश्न 2.
लेखक के पिता को संस्कृत उच्चारण से सुख न मिलता था।
उत्तर:
लेखक के पिता को संस्कृत उच्चारण से सुख न मिलता था। क्योंकि उन्हें संस्कृत का साधारण ज्ञान था।

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 13

(च) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को गद्यांश के अनुसार सही क्रम में लिखिए।

  1. भोजन समय पर तैयार न होने पर पिता जी को बहुत गुस्सा आता था।
  2. पिता जी नौ बजते-बजते दफ्तर के लिए रवाना हो जाते।
  3. पिता जी के गुस्सा हो जाने पर माँ काँपने लगती थी।
  4. पिता जी रसोई में बैठकर भोजन करते।

उत्तर:

  1. पिता जी रसोई में बैठकर भोजन करते।
  2. पिता जी नौ बजते-बजते दफ्तर के लिए रवाना हो जाते।
  3. भोजन समय पर तैयार न होने पर पिता जी को बहुत गुस्सा आता था।
  4. पिता जी के गुस्सा हो जाने पर माँ काँपने लगती थी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. पैंतीस
2. पूरियाँ
उत्तर:
1. लेखक के पिता जी ने कितने वर्षों तक नौकरी की?
2. लेखक की माँ जल्दी-जल्दी क्या बनाती?

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कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
घर की तीनों बूढ़ियाँ लेखक की माँ पर चिल्लाती थीं –
उत्तरः
लेखक के पिता के लिए भोजन ले जाने के लिए कोई आदमी न मिलने पर उन्हें दफ्तर में पूरा दिन उपवास करना पड़ता था।
अत: घर की तीनों बूढ़ियाँ लेखक की माँ पर चिल्लाती थीं।

प्रश्न 2.
घर की तीनों बूढ़ियों को भूखा रहना पड़ता था –
उत्तर:
लेखक के पिता को पूरा दिन भूखा रहने के कारण लेखक की माँ भी भूखी ही रह जाती थी। अत: माँ के भूखे रहने के कारण घर की तीनों बूढ़ियाँ भी भूखी ही रह जाती थीं।

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हमें समय का पालन करना चाहिए।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
समय का पालन करना, समय के अनुसार काम करना एवं समय पर चलना जीवन में अत्यावश्यक है। यदि हम अपने जीवन में समय का पालन करेंगे तो हमारा सारा काम समय पर पूरा हो जाएगा। समय का पालन करने से हम अपने गंतव्य स्थान पर ठीक समय से पहुँच जाएँगे। हमें देरी नहीं होगी। समय का पालन करने से हमारे अंदर अनुशासन बढ़ेगा। समाज में हमें अपने आप प्रतिष्ठा एवं सम्मान प्राप्त हो जाएगा। समय का पालन करने से व्यक्ति स्वावलंबी बनेगा। इसीलिए हमें समय का पालन करना चाहिए।

(छ) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. पिता जी का दफ्तर से लौटने का कोई निश्चित समय नहीं था।
2. पिता जी पूरे दिन में लगभग चालीस मील चला करते थे।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. तीन
2. गंगा
उत्तर:
1. लेखक के पिता जी सुबह कितने बजे उठते थे?
2. लेखक के पिता सुबह स्नान करने के लिए कहाँ जाते थे?

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प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 14

कृति (2): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘गंगा नदी भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का भंडार है।’ इस कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
गंगा नदी भारत की प्रमुख एवं पुरातन नदी है। इस नदी से भारतीयों की श्रद्धा एवं आस्था जुड़ी हुई है। पुराणों में गंगा नदी का वर्णन आया हुआ है। भगीरथ ने अथक परिश्रम कर गंगा को धरती पर लाया था। लोगों के पापों का नाश करने वाली व सभी के दुखों का हरण करने वाली गंगा नदी भारतीय संस्कृति की शान है। हमारी धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्थाएँ गंगा नदी से जुड़ी हुई हैं। गंगा नदी के किनारे कई संस्कृतियाँ विकसित हुई हैं। इसीलिए गंगा नदी भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का भंडार है।

(ज) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 15

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पिता जी ने आराम घड़ी खरीदी।
उत्तरः
घर के लोगों को सेंस ऑफ टाइम वक्त का अंदाज देने के लिए पिता जी ने आराम घड़ी खरीदी।

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प्रश्न 2.
लेखक की बड़ी बहन का लड़का घड़ी अपने घर ले गया।
उत्तरः
वह घड़ी उसके नाना लाए थे। इसीलिए नाना की एक निशानी के रूप में वह घड़ी अपने घर ले गया।

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 9 मेरे पिता जी 16

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप अपने पिता जी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेरे पिता मेरे लिए आदर्श हैं। उनमें वे सारी योग्यताएँ मौजूद हैं जो एक आदर्श पिता के पास होती हैं। पिता जी हमें अनुशासन के प्रति सचेत करते हैं। क्या सही और क्या बुरा इसके बारे में भी सचेत करते हैं। मेरे लिए मेरे पिता जी एक सच्चे दोस्त की तरह हैं। वे प्रेम, दया एवं सहनशीलता के भंडार हैं। उनके पास ज्ञान का अनमोल भंडार है। उनकी बोली में माधुर्य टपकता है। जीवन में आने वाली परिस्थितियों का सामना करने की प्रेरणा मुझे उनसे ही प्राप्त हुई है। जीवन में हर पल यानी सुख-दुख में हमेशा खुश रहना चाहिए यह भी मैंने उनसे ही सीखा है।

मेरे पिता जी (पूरक पठन) Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: हरिवंशराय बच्चन जी का जन्म 27 अगस्त 1907 प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। बच्चन जी हालावाद के प्रवर्तक थे। ये मूलत: कवि के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने आत्मकथा के माध्यम से गद्य की जो एक नई धारा निर्माण की वह प्रशंसनीय है। ‘मधुशाला’ इनकी प्रसिद्ध रचना है जो हर एक आम आदमी के हृदय में विराजमान है।

प्रमुख कृतियाँ: कविता संग्रह – ‘मधुशाला’, ‘मधुकलश’, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अंतर’, ‘खादी के फूल’, ‘हलाहल’, ‘धार के इधर उधर’; आत्मकथा के चार खंड – ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’, ‘नीड़ का निर्माण फिर फिर’, ‘बसेरे से दूर’, ‘दशद्वार से सोपान तक’।

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गद्य-परिचय:

आत्मकथा: आत्मकथा हिंदी साहित्य में गद्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। इसमें व्यक्ति अपने जीवन काल में घटी घटनाओं और अपनी
कथा स्मृतियों का वर्णन करता है। आत्मकथा सामान्यत: व्यक्ति अपने जीवन के उत्तर काल में लिखता है। इसमें रोचकता व निष्पक्षता होती है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत आत्मकथा के अंश में लेखक बच्चन जी ने अपने पिता के व्यक्तित्व एवं चरित्र का वर्णन किया है। इसके साथ ही देश काल की परिस्थितियों का भी जिक्र किया है।

सारांश:

प्रस्तुत पाठ ‘मेरे पिता जी’ आत्मकथा का एक अंश है। प्रस्तुत पाठ में लेखक हरिवंशराय बच्चन जी ने अपने पिता का चित्रण किया है और साथ में यह भी बताया है कि पिता जी द्वारा किए गए संस्कारों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। लेखक के पिता जी समय के बड़े पाबंद थे। अपनी पैंतीस वर्ष की नौकरी में वे कभी भी दफ्तर देरी से नहीं गए थे। जब लेखक की माँ उनके लिए भोजन देरी से बनाती थीं तो वे गुस्सा हो जाते थे। लेखक की माँ आस-पास में रहने वाले किसी भी आदमी के हाथों से उनके लिए भोजन दफ्तर में भेज देती थीं। जिस दिन भोजन ले जाने के लिए कोई भी नहीं मिलता; उस दिन लेखक के पिता भूखे रह जाते थे।

इसी कारण लेखक की माँ भी भूखी रहती थीं। लेखक के पिता जी को धर्म के नाम पर दंगा फसाद करने वालों के खिलाफ बहुत नफरत थी। उनका कहना था कि इंसान मेल से रहने के लिए बना है। हिंदू या मुसलमानों के मरने से; न हिंदुत्व समाप्त होगा न इस्लाम। लेखक के पिता बहुत धार्मिक थे। वे सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करने जाते थे। पूजा-पाठ में विश्वास रखते थे और मानस का नवाहिक पाठ करते थे। लेखक पर अपने पिता जी के रहन-सहन, व्यक्तित्त्व एवं उनके गुणों का बहुत असर हुआ। उन्हीं के आदर्श विचारों के कारण लेखक के व्यक्तित्व को एक नया आयाम प्राप्त हुआ। इसीलिए लेखक ने अपनी आत्मकथा के इस अंश में अपने पिता जी की खूबियों को दर्शाया है।

शब्दार्थ:

  1. नैमित्तिक – निमित्यसंबंधी
  2. विलायत – विदेश
  3. वाकचातुर्य – वाकपटुता, बोलने में चतुराई
  4. अचेतन – चेतनारहित
  5. चलास – चलने का शौक
  6. सहकर्मी – दफ्तर में साथ में काम करने वाला
  7. आत्मरक्षा – स्वयं की रक्षा
  8. सिरफिरा – पागल
  9. वारदात – घटना
  10. नियमबद्ध – नियम के अनुसार
  11. अचरज – आश्चर्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

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Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 5 अतीत के पत्र Textbook Questions and Answers

पठनीय :

प्रश्न 1.
गांधीजी द्वारा लिखित ‘मेरे सत्य के प्रयोग’ (आत्मकथा)पुस्तक का कोई अंश पढ़िए।

संभाषणीय :

प्रश्न 1.
किसी महान विभूति के जीवन संबंधी कोई प्रेरक प्रसंग बताइए।
उत्तर:
(अध्यापक निर्देश : अध्यापक कक्षा में छात्रों को किसी महान विभूति के जीवन संबंधी प्रेरक प्रसंग बताने के लिए छात्रों को प्रेरित करते हैं।)
एक छात्र: मैं बाल गंगाधर तिलक के जीवन से संबंधित एक प्रेरक प्रसंग बताना चाहता हूँ।

अध्यापक: जरूर बताओ। हम सभी सुनने के लिए आतुर हैं।

छात्र: सभी जानते हैं कि बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। बात उन दिनों की है जब वे स्कूल जाया करते थे। एक दिन की बात है। मध्याह्न खत्म होने के बाद बाल गंगाधर तिलक के शिक्षक कक्षा में आए। उन्होंने कक्षा में देखा कि सर्वत्र मँगफलियों के छिलके फैले हुए हैं। वे विद्यार्थियों पर नाराज हो गए। उनके पूछने पर भी किसी ने भी किसी का नाम नहीं बताया। पश्चात उनका क्रोध बढ़ गया।

उन्होंने सभी विद्यार्थियों को खड़ा कर दिया और सभी को हाथ पर बेत की लकड़ी से मारना शुरू कर दिया। जैसे ही वे बाल के पास आए तब उन्होंने बाल से हाथ आगे करने के लिए कहा। लेकिन बाल ने हाथ आगे नहीं किया। उसने बड़े स्वाभिमान से कहा कि उसने मूंगफलियाँ नहीं खाई हैं। इसलिए वह मार भी नहीं खाएगा। ऐसा कहकर वे कक्षा के बाहर चले गए। ऐसे थे बाल गंगाधर तिलक। अन्याय सहन करना उनके स्वभाव में नहीं था।

अध्यापक: बहुत बढ़िया। बच्चों स्वाभिमान का होना बहुत बड़ी बात है। हमें अपने स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए।

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लेखनीय :

प्रश्न 1.
गांधी जयंती के अवसर पर एक आकर्षक कार्यक्रम पत्रिका तैयार कीजिए।
उत्तर:
सर्वोदय विद्यालय द्वारा आयोजित

गांधी जयंती

तिथि: 2 अक्टूबर 2017
कार्यक्रम स्थल: सर्वोदय विद्यालय सभागार

कार्यक्रम – सूची

प्रात: 8.00 बजे प्रार्थना
प्रात : 8.30 बजे भाषण : गांधी और आज का भारत
प्रात : 9.00 बजे संगीत गीत गांधी जी के प्रिय भजन
प्रात: 10.00 बजे सूतकताई
प्रात : 11.00 बजे प्रदर्शनी : खादी के वस्त्र एवं स्वदेशी वस्तुएँ
दोपहर: 12.00 बजे स्कूल के छात्रों द्वारा गांधी जी के निकाले गए चित्रों की प्रदर्शनी
दोपहर 12.30 बजे राष्ट्रगान

आशा है कि आप सभी सपरिवार एवं मित्र जनों के साथ कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।

आपका विश्वासी,
रामरतन कुमार
(कार्यक्रम प्रमुख)

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मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘मेरे सपनों का भारत’ विषय पर अपने विचार सृजन लिखिए।
उत्तर:
जिस देश में मानवीय गुणों का भंडार है, जिस देश में संस्कृति की पूजा की जाती है; वह है भारत। ऐसे भारत में जन्म लेना किसी भाग्यवान के ही नसीब में होता है। मैं भारतीय हूँ। भारत देश की सेवा एवं उसकी हिफाजत करना मेरा परम कर्तव्य है। साथ ही भारत को प्रगति की ओर ले जाना भी मेरा कर्तव्य है। मैं बड़ा होकर भारत की सेवा करूँगा एवं उसकी प्रगति के लिए भगीरथ प्रयास भी करूंगा। मैंने भारत की प्रगति का सपना देखा है। ऐसे भारत का जिसमें सिर्फ मानवता, दया, प्रेम, शांति, करुणा, वीरता, देशप्रेम ऐसे मानवीय गुणों का खजाना हो। सचमुच मेरे सपनों का भारत आदर्शबादी होगा।

वह सत्य व अहिंसा का पूर्णतः पालन करेगा। मेरे सपनों के देश में सभी ईमानदार होंगे। सर्वत्र शिक्षा का बोलबाला होगा। सभी को समान न्याय एवं अधिकार प्राप्त होगा। मेरे सपनों के भारत में सभी शिक्षा प्राप्त कर भारत के विकास के लिए जुटेंगे। कोई भी अधिक धन पाने हेतु विलायत नहीं जाएगा। मेरे सपनों के भारत में सभी खुशहाल एवं संपन्न होंगे। किसी पर कोई भी अन्याय नहीं करेगा। स्त्रियों को पुरूषों के समान अधिकार मिलेगा। बाल शोषण, स्त्री अत्याचार आदि सभी समस्याएँ नहीं होगी।

मेरे सपनों के भारत में न्याय, समता व बंधुत्व की भावना प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क पर विराजमान होगी। मेरे सपनों का भारत आर्थिक विकास में स्वयंपूर्ण होगा। सभी को रोजगार मिलेगा। मेरे सपनों का भारत भ्रष्टाचार मुक्त होगा। काले धन का नामोनिशान मिट जाएगा। मेरे सपनों के भारत में महंगाई नहीं होगी और आबादी पर नियंत्रण रखने के लिए लोगों की मानसिकता भी तैयार हो जाएगी।

सचमुच मेरे सपनों का भारत महात्मा गांधी जी के द्वारा बताए गए सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलकर विश्व में अपनी पहचान बनाएगा।

मैं हूँ यहाँ :

1 https://hi.wikipedia.org/wiki/ विनोबा भावे
2 https://hi.wikipedia.org/wiki/ महात्मा गांधी

आसपास :

प्रश्न 1.
हमारी ऐतिहासिक स्मृतियाँ जगाने वाले स्थलों की जानकारी प्राप्त कीजिए और उनपर टिप्पणी बनाइए। जैसे – आगाखान पैलेस, पुणे।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

पाठ के आँगन में :

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न क.
कार्य
स्वास्थ्य सुधार के लिए विनोबा जी द्वारा किए गए कार्य
उत्तरः
कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. छह
ii. पचास
उत्तर:
i. विनोबा जी ने कितने विद्यार्थियों को अर्थसहित गीता सिखाई?
ii. आज तक विनोबा जी ने गीता पर कितने प्रवचन किए?

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 6

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 7

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. विनोबा जी ने अंग्रेजी दो विद्यार्थियों को सिखाई।
ii. शुरू-शुरू से ही विनोबा जी का हिंदी पर अधिकार था।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 8

प्रश्न ख.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ) (ब)
1. विद्यार्थी मंडल (क) योजना
2. राष्ट्रीय शिक्षा (ख) व्रत
3. विनोबा जी का साध्य (ग) संस्था
4. ब्रह्मचर्य (ङ) आश्रम
(च) सत्याग्रह

उत्तरः

(अ) (ब)
1. विद्यार्थी मंडल (ग) संस्था
2. राष्ट्रीय शिक्षा (क) योजना
3. विनोबा जी का साध्य (ङ) आश्रम
4. ब्रह्मचर्य (ख) व्रत

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प्रश्न ग.
अर्थ लिखिए।
i. ‘अपरिग्रह’ शब्द से तात्पर्य है कि …………
ii. ‘रमता राम’ शब्द से तात्पर्य है कि ……….
उत्तर:
i. संग्रह न करना।
ii. एक स्थान पर न टिकने वाला व्यक्ति।

2. ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। इस पर स्वमत लिखिए।

प्रश्न 1.
प्रत्यय पहचानिए।
i. पारिश्रमिक
ii. ज्ञानेश्वरी
उत्तरः
i. ‘इक’ प्रत्यय
ii. ‘ई’ प्रत्यय

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।
i. व्रत
ii. दूध
उत्तर:
i. संकल्प
ii. क्षौर, दुग्ध

प्रश्न 3.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. पूर्ण दिवस काम करने के बाद पैसों के रूप में मिलने वाला मुआवजा –
ii. आध्यात्मिक विषय पर व्याख्यान –
उत्तर:
i. पारिश्रामिक
ii. प्रवचन

प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
प्रवचन, प्रवास, प्रयोग

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

प्रश्न 5.
शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
i. पहुंचूंगा
ii. नीम्बू
उत्तर:
i. पहुँचूँगा
ii. नींबू

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
अर्थ की दृष्टि से वाक्य परिवर्तित करके लिखिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 2.1

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 5 अतीत के पत्र Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 3

प्रश्न 2.
गद्यांश में प्रयुक्त एक स्थान
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 4

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. विनोबा जी आश्रम से बाहर गए थे क्योंकि
(क) उन्हें घूमने का शौक था।
(ख) वे नौकरी करते थे।
(ग) उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था।
उत्तरः
(ग) उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. विनोबा जी ने स्वयं फ्रेंच भाषा का चयन किया था।
ii. हाईस्कूल में पढ़ते समय विनोबा जी को भागवत गीता के अध्ययन का शौक लगा था।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

प्रश्न 3.
कारण लिखिए।
विनोबा जी ने खुद-ब-खुद संस्कृत का अभ्यास शुरू कर दिया था
उत्तरः
विनोबा जी को गीता से अत्यधिक प्रेम था इसलिए उन्होंने खुद ब-खुद संस्कृत का अभ्यास शुरू कर दिया था।

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. घर
ii. पत्र
उत्तर:
i. ठिकाना, घराना, मकान, गृहस्थी
ii. शंख, पत्ता, चिट्ठी, पक्षी के पर

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. विद्वान
ii. पूज्य
उत्तर:
i. विदुषी
ii. पूज्य

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए।
i. आज्ञा × ………..
ii. खास × ………..
उत्तर:
i. अवज्ञा
ii. साधारण

प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. जीवन भर
ii. ऋषियों के रहने का स्थान
उत्तर:
i. आजन्म
ii. आश्रम

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प्रश्न 5.
उपसर्ग पहचानिए।
i. उपनिषद
ii. अस्वास्थ्य
उत्तर:
i. ‘उप’ उपसर्ग
ii. ‘अ’ उपसर्ग

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘वेदांत, उपनिषद व गीता भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं।’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
वेदांत, उपनिषद व गीता भारत के प्राचीन एवं धार्मिक ग्रंथ हैं। ये संस्कृत में लिखे गए हैं। ये हिंदू धर्म के सर्वोच्च व सर्वोपरि ग्रंथ हैं। इनमें सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है। जिनमें ज्योतिष, गणित, विज्ञान, धर्म, औषधि, प्रकृति, खगोलशास्त्र आदि से संबंधित ज्ञान का भंडार भरा हुआ है। इनमें परमेश्वर, परमात्मा, ब्रह्म व आत्मा से संबंधित वर्णन है। ये ग्रंथ आध्यात्मिक चिंतन से परिपूर्ण हैं। दरअसल ये ग्रंथ हमारी संस्कृति की रीढ़ हैं। इनके बिना भारतीय संस्कृति की व्याख्या नहीं की जा सकती। इसलिए वेदांत, उपनिषद व गीता भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. छह
ii. पचास
उत्तर:
i. विनोबा जी ने कितने विद्यार्थियों को अर्थसहित गीता सिखाई?
ii. आज तक विनोबा जी ने गीता पर कितने प्रवचन किए?

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 6

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 7

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. विनोबा जी ने अंग्रेजी दो विद्यार्थियों को सिखाई।
ii. शुरू-शुरू से ही विनोबा जी का हिंदी पर अधिकार था।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 8

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
सच ही कहा गया है कि स्वास्थ्य ही संपत्ति है। यदि शरीर स्वस्थ होगा, तो व्यक्ति का मन भी स्वस्थ रहेगा। तन और मन में गहरा संबंध होता है। आखिर स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। शरीर के स्वस्थ रहने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार की बीमारी छूती नहीं है। जिस कारण उसे किसी भी प्रकार का कष्ट भी नहीं पहुंचता है। वह हमेशा प्रसन्न रहता है। इस कारण उसका मन भी प्रसन्न रहता है। ऐसे व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक क्रियाएँ संतुलित रहती हैं और वह अपने शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं को भी अपने वश में रखता है। स्वस्थ शरीर के माध्यम से ही मानसिक विचार एवं भावनाओं में संतुलन निर्माण किया जा सकता है।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 9

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. विनोबा जी ने अपने मित्रों के साथ बड़ौदा में मातृभाषा के प्रसार के लिए एक संस्था स्थापित की।
ii. विनोबा जी ने बंडी, कोट, टोपी वगैरह पहनने का व्रत लिया।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 10

प्रश्न 2.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
i. सत्य-अहिंसा-ब्रह्मचर्य
ii. धोती
उत्तर:
i. विनोबा जी ने किस व्रत का पालन किया?
ii. विनोबा जी शरीर पर क्या ओढ़ लेते थे?

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए।
i. महीना
ii. प्रयास
उत्तर:
i. मास
ii. प्रयत्न

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प्रश्न 2.
वचन बदलिए।

  1. कटोरी
  2. थाली
  3. कपड़ा
  4. पुस्तकें

उत्तर:

  1. कटोरियाँ
  2. थालियाँ
  3. कपड़े
  4. पुस्तक

प्रश्न 3.
गद्यांश से प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
स्वदेशी × परदेशी

प्रश्न 4.
भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. वर्ग
उत्तरः
श्रेणी, अध्याय, जाति

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘सत्य व अहिंसा की महिमा अपार है।’ अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
सत्य व अहिंसा जीवन के तत्त्व हैं। सत्य व अहिंसा की धार तलवार की धार से भी अधिक तेज होती है। सत्य भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन है। जहाँ सत्य होता है वहीं पर ज्ञान होता है और जहाँ पर अहिंसा होती है; वहाँ पर शांति का साम्राज्य होता है। सत्य सर्वशक्तिमान होता है और अहिंसा अजेय शक्ति होती है।

महात्मा गांधी स्वयं सत्य व अहिंसा के पुजारी थे। उन्होंने सत्य व अहिंसा के माध्यम से ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ एवं ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ किए। इन्हीं तत्त्वों को आधार बनाकर उन्होंने मानव को नव निर्माण की नई राह दिखाई। भारत को आजाद कराने के लिए उन्होंने इन्हीं तत्त्वों की सहायता ली थी। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि सत्य व अहिंसा की महिमा अपार है।

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(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 11

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ) (ब)
1. आश्रम (क) सत्याग्रह
2. राष्ट्रीय शिक्षा (ख) साध्य
3. रेल (ग) योजना

उत्तर:

(अ) (ब)
1. आश्रम (ख) साध्य
2. राष्ट्रीय शिक्षा (ग) योजना
3. रेल (क) सत्याग्रह

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
i. आश्रम
ii. भाकरी
उत्तरः
i. विनोबा जी का साध्य क्या था?
ii. विनोबा जी प्रवास में क्या नहीं बना सकते थे?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. विनोबा जी गांधी जी को पितृतुल्य मानते थे।
ii. विनोबा जी अन्य किसी सत्याग्रह में सम्मिलित होना नहीं चाहते थे।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग पहचानिए।
i. परिवर्तन
i. आचरण
उत्तर:
i. परि’ उपसर्ग
ii. ‘आ’ उपसर्ग

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. सत्याग्रह
ii. शिक्षा
उत्तर:
i. सत्याग्रह + ई = सत्याग्रही
ii. शिक्षा + इक = शैक्षिक

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प्रश्न 3.
विरामचिह्न का उचित प्रयोग कीजिए।
i. मेरी इच्छा है आप मुझे पत्र लिखिए
उत्तरः
मेरी इच्छा है, ‘आप, मुझे पत्र लिखिए।’

प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. साध्य × …………….
ii. सवाल × ………….
उत्तर:
i. असाध्य
ii. जबाब

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख आधार था।’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सत्याग्रह’ का अर्थ है- सत्य के लिए आग्रह यानी सत्य को सदैव पकड़े रहना या उसके मार्ग पर चलना। हिंसा के बदले में अहिंसा से पेश आना। अन्यायी के प्रति बैर भाव न रखना या कभी क्रोध नहीं करना-ये सत्याग्रह के प्रमुख तत्त्व हैं। सत्याग्रह एक अहिंसक प्रतिकार है परंतु वह निष्क्रिय नहीं। इसी सत्याग्रह को गांधी जी ने अपनाया था।

उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए समस्त भारतवासियों को सत्याग्रह का मार्ग बतलाया। सभी भारतीयों ने सत्याग्रह का पालन कर स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया। सत्याग्रह ने सभी लोगों में जोश, देशप्रेम, उमंग, उत्साह व उल्लास का वातावरण निर्माण किया था। सत्याग्रह करने वाले सत्याग्रहियों के सामने अंग्रेजों की एक न चली। आखिर उन्हें हार माननी पड़ी।

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(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 12

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 13

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 14

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 15

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. गांधी जी को पिता का पद प्रेमपूर्वक भेंट के रूप में दिया था।
ii. गांधी जी ने स्वयं को ‘भीम’ कहा है।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. पद
ii. भेंट
उत्तर:
i. ओहदा, पैर, शब्द, कविता का चरण
ii. उपहार, मिलन

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।
i. मुंह
ii. उद्गार
उत्तर:
i. मुख
ii. कथन

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प्रश्न 3.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. जो सत्य के मार्ग पर चलता है –
ii. जो चरित्र से पूर्ण हो –
उत्तर:
i. सत्यवादी
ii. चरित्रवान

प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त उपसर्ग व प्रत्यय युक्त शब्द पहचानकर लिखिए।
उत्तरः
उपसर्ग युक्त शब्द – असमर्थ
प्रत्यय युक्त शब्द – चरित्रवान, विशेषता, मान्यता

प्रश्न 5.
‘अपमान करना’ इसके लिए परिच्छेद में प्रयुक्त मुहावरा है।
उत्तर:
निरादार करना।

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘सच्चा पुत्र वह है; जो पिता ने जो कुछ किया है उसमें वृद्धि करें।’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जी हाँ, मै उपर्युक्त कथन से सहमत है। सच्चे पुत्र के पास धैर्य, सहनशीलता, प्रेम, मेहनत करने की लगन आदि मानवीय गुण होते हैं। सच्चा पुत्र अपने पिता से प्राप्त विरासत एवं संपत्ति में वृद्धि करता है। वह अपने कर्तव्य से उसमें चार चाँद लगा देता है। दरअसल उसे स्वयं से कमाए हुए नाम, शोहरत, यश, प्रसिद्धि एवं कीर्ति पर नाज होता है। जैसे कि हरिवंशराय बच्चन जी ने साहित्य के द्वारा संपूर्ण देश में नाम कमाया। लेकिन उनके पुत्र अभिताभ जी ने अपने पिता द्वारा अर्जित श्रेय में वृद्धि कर दिखाई। उन्होंने अपने अभिनय के बल पर संपूर्ण विश्व को आकर्षित कर दिया। आखिर वही सच्चा पुत्र होता है जो पिता के नाम, शोहरत, यश एवं सम्मान को आगे तक बढ़ाएँ।

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(च ) गद्यांश पड़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न बनाइए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
i. दिल्ली
ii. खेड़ा
उत्तर:
i. दो-एक दिन में गांधी जी कहाँ जाने वाले थे?
ii. गांधी जी के अनुसार कौन-से जिले में सत्याग्रह शुरू करने की आवश्यकता पड़ सकती है।

प्रश्न 2.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 16

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र 17

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. गांधी जी ने मामा फड़के को दूध पीने की सलाह दी।
ii. गांधी जी के अनुसार विनोबा ‘बहुत बड़े मनुष्य’ थे।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
विरामचिह्न का उचित प्रयोग कीजिए।
i. बहुत बड़ा मनुष्य है वह
ii. ईश्वर तुम्हें दीर्घायु करें जीवन में तुम्हारी प्रगति हो और तुम्हारा उपयोग हिंद की उन्नति के लिए हो यही मेरी कामना है
उत्तर:
i. “बहुत बड़ा मनुष्य है वह!”
ii. ईश्वर तुम्हें दीर्घायु करें। जीवन में तुम्हारी प्रगति हो और तुम्हारा उपयोग हिंद की उन्नति के लिए हो, यही मेरी कामना है।

प्रश्न 2.
उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. उत्सुक
ii. उपयोग
उत्तर:
i. उत्सुकता
ii. उपयोगी

प्रश्न 3.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. एक स्थान पर न टिकने वाला –
उत्तर :
रमता राम

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बापू सभी भारवासियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
बापू स्वयं एक संस्कृति थे। वे दया, प्रेम, करूणा, मानवता, शांति, सत्य, अहिंसा, सहनशीलता, शालीनता आदि गुणों के भंडार थे। ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ यही उनकी जीवन प्रणाली थी। बापू नव संस्कृति के दूत थे। धरती पर मानवीय गुणों की स्थापना करने हेतु ही वे यहाँ पधारे थे। उन्हीं के विचारों एवं कार्यों को अपनाकर समस्त भारतवासियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। वे बापू ही थे जिनकी एक आवाज पर लाखों लोग सत्याग्रह करने के लिए निकल पड़ते थे। उन्हीं के मार्ग का अवलंबन करते हुए आज भारत प्रगति कर रहा है। आज भी बापू द्वारा बताए गए मार्ग पर भारत चल रहा है। सचमुच आज भी बापू सभी भारतवासियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु :

प्रश्न 2.
काल परिवर्तन कीजिए।
i. उस समय मुझे भागवत गीता के अध्ययन का शौक लगा। (पूर्ण भूतकाल)
ii. मैने देशसेवा करने का व्रत लिया था। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर:
i. उस समय मुझे भागवत गीता के अध्ययन का शौक लगा था।
ii. मैं देशसेवा करने का व्रत लेता हूँ।

प्रश्न 3.
अधोरेखित शब्दों के भेद पहचानिए।
i. विनोबा जी ने परम पूज्य बापू जी को पत्र लिखा।
ii. वैसे मामा को मैंने एक-दो पत्र लिखे थे।
उत्तर:
i. परम पूज्य – विशेषण – गुणवाचक
ii. मैंने – सर्वनाम – उत्तम पुरुषवाचक

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प्रश्न 4.
संधि-विच्छेद कीजिए।

  1. नमस्कार
  2. विद्यार्थी
  3. सत्याग्रह
  4. वाचनालय
  5. वार्षिकोत्सव
  6. निरादार
  7. दीर्घायु

उत्तर:

  1. नमः + कार
  2. विद्या + अर्थी
  3. सत्य + आग्रह
  4. वाचन + आलय
  5. वार्षिक + उत्सव
  6. निः + आदर
  7. दीर्ध + आयु

प्रश्न 5.
अव्यय पहचानिए।
i. आज तक ऐसे कोई पचास प्रवचन किए।
ii. एक महीना केले, दूध और नींबू पर बिताया।
उत्तर :
i. आज तक – क्रियाविशेषण अव्यय
ii. और – समुच्चयबोधक अव्यय

प्रश्न 6.
रचना की दृष्टि से वाक्यों के प्रकार पहचानिए।

  1. अंग्रेजी दो विद्यार्थियों को सिखाई और ज्ञानेश्वरी चार विद्यार्थियों को सिखाई।
  2. फिर भी अगर इसे छोड़ा जा सकता हो तो छोड़ देने की मेरी इच्छा है।
  3. राष्ट्रीय शिक्षा की योजना क्या है?
  4. मैं आश्रम का ही हूँ।
  5. जब आप मुझे पत्र लिखेंगे तब मुझे बेहद खुशी होगी।

उत्तर:

  1. संयुक्त वाक्य
  2. मिश्र वाक्य
  3. प्रश्नार्थक वाक्य
  4. विधानार्थक वाक्य
  5. संदेशसूचक वाक्य

प्रश्न 7.
काल के प्रकार पहचानिए।
i. मैं तुरंत ही पहुँच जाऊँगा।
ii. आश्रम के नियमों के अनुसार मैं अपना आचरण रखता हूँ।
उत्तर:
i. सामान्य भविष्यकाल
ii. सामान्य वर्तमानकाल

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प्रश्न 8.
अव्ययों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।

  1. पास
  2. कि
  3. वाह

उत्तर:

  1. उसके पास मेरे सौ रूपए हैं।
  2. मैंने कहा कि वे अपने घर चले गए।
  3. वाह! क्या बात है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित बाक्य में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद पहचानिए।
i. दो-एक दिन में मैं दिल्ली जाऊँगा।
ii. अब मुझे आप लोगों से सत्याग्रह करवाना पड़ेगा।
उत्तर:
i. जाऊँगा – अकर्मक क्रिया
ii. करवाना – प्रेरणार्थक क्रिया

अतीत के पत्र Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : विनोबा भावे (1895 – 1982)
विनोबा भावे का पूरा नाम विनायक नरहरी भावे है। आप गांधी जी के सहयोगी थे। गांधीवादी विचारधारा को समाज में मान्यता दिलवाने के लिए आपने अथक प्रयास किया। विनोबा जी मराठी व हिंदी भाषा के ज्ञाता थे। इन्होंने गीता का मराठी में अनुवाद किया। इन्हें भारत का राष्ट्रीय अध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी समझा जाता है। प्रमुख कृतियाँ : गीताई (गीता का मराठी में अनुवाद) गीता पर वार्ता, शिक्षा पर विचार आदि कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं।

जीवन-परिचय : महात्मा गांधी (1869 – 1948)
गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख प्रेरणा थे। गांधी जी एक दार्शनिक, विचारक, शिक्षाशास्त्री एवं लेखक थे। भारत देश को आजाद कराने के लिए इन्होंने भगीरथ प्रयत्न किए थे।
प्रमख कतियाँ : ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ (आत्मकथा), ‘हिंद स्वराज्य या इंडियन होमरूल’ इनके अतिरिक्त लगभग प्रत्येक दिन अनेक व्यक्तियों और समाचार पत्रों के लिए लेखन करते थे।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

गद्य-परिचय :

पत्र : पत्र गद्य विधा का एक प्रकार है। पत्र के माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपने विचार, अपनी भावना, अपना जीवनविषयक दृष्टिकोण एवं अपने मूल्यों को पहुँचाने का कार्य करता है।

प्रस्तावना : ‘अतीत के पत्र’ में विनोबा जी एवं गांधी जी के पत्रों को समाहित किया गया है। इन पत्रों के माध्यम से पाठकों को देशसेवा व्रत, अनुशासन, दृढ़ निश्चय, विश्वास, समर्पण एवं श्रद्धा जैसे मानवीय गुणों के दर्शन होते हैं।

सारांश :

हिंदी साहित्य में पत्र लेखन’ गद्य की विधा है। प्रस्तुत पाठ पत्र गद्य विधा का एक प्रकार है। इसमें दो पत्र हैं। पहला पत्र आचार्य विनोबा भावे जी ने गांधी जी को लिखा है, जिसमें प्रकृति, स्वास्थ्य, ब्रह्मचर्य व्रत, देशसेवा व्रत, गीता अध्ययन, संस्कृत भाषा के प्रति रूचि, उपनिषदों का अध्ययन, परिश्रम, अनुशासन, सत्याग्रहाश्रम के तत्त्वों का प्रचार, मातृभाषा प्रसार कार्य, सत्य-अहिंसा व गांधी जी के प्रति समर्पण व श्रद्धा आदि बिंदुओं का वर्णन किया गया है। दूसरा पत्र महात्मा गांधी जी ने आचार्य विनोबा भावे जी को लिखा है। वास्तव में विनोबा जी का पत्र पढ़कर गांधी जी फूले नहीं समाए थे और विनोबा जी का वर्णन करते हुए ‘भीम है भीम’ यह उद्गार निकाले थे।

गांधी जी के लिए विनोबा उनके पुत्र से भी बढ़कर थे। इसीलिए गांधी जी ने पत्र में ‘सच्चा पुत्र वह है; जो पिता ने जो कुछ किया है उसमें वृद्धि करें। वे विनोबा जी द्वारा दिया गया पिता का पद बड़े आनंद से स्वीकार करते हैं। इस प्रकार प्रस्तुत दोनों पत्र उच्चतम मानवीय गुणों के अनमोल उपहार हैं। इनका पठन एवं मनन मानवीय गुणों को अपनाने के समान है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 5 अतीत के पत्र

शब्दार्थ :

  1. अस्वादव्रत – फीका भोजन करने का व्रत
  2. अपरिग्रह – संग्रह न करना
  3. करघा – कपड़ा बुनने का यंत्र
  4. रमता राम – फक्कड़, एक स्थान पर न टिकनेवाला
  5. वाकचातुर्य – बोलने में चतुर
  6. अचेतन – चेतनारहित
  7. ब्रह्मचारी – संन्यासी
  8. वेदांत व उपनिषद – भारतीय प्राचीन धार्मिक ग्रंथ
  9. सत्याग्रह – सत्य का आग्रह
  10. गोरख व मछंदर – नवनाथों में से दो नाथ। एक गोरखनाथ व दूसरे मछिंदर नाथ।
  11. सत्यवादी – सत्य की राह पर चलने वाला।

मुहावरे :

  • हाथ लगना – प्राप्त होना।
  • हृदय में स्थान बनाना – किसी का प्रिय बनना।
  • निरादर करना – अपमान करना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 1

2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर लिखिए।
1. किताबी
2. पढ़ाकू
उत्तर:
1. प्रत्यय – ई
2. प्रत्यय – आकू

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3. गद्यांश पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए।

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर प्राप्त होने वाली प्रेरणा लिखिए।
उत्तर:
इस गद्यांश को पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने समय का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। हमें कभी-भी अपना समय पुस्तकें पढ़ने एवं अपने आवश्यक कार्य करने में ही व्यतीत करने चाहिए। समय का दुरुपयोग कभी नहीं करना चाहिए। समय के सदुपयोग से ही व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है तथा अपने जीवन में विकास कर सकता है। समय का सदुपयोग न करने से व्यक्ति का कार्य भी नहीं हो पाता और वह अन्य परेशानियों में फँस जाता है। अत: हमें पाठ के विश्वकर्मा सर से प्रेरणा लेते हुए ऐसा करना चाहिए कि हम भी अपना अमूल्य समय बर्बाद न होने दें।

4. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पुस्तकों की ढेरियाँ बना रखी थी क्योंकि
उत्तर:
पुस्तकों की ढेरियाँ बना रखी थी क्योंकि कमरे में आलमारी नहीं थी।

प्रश्न 2.
मित्रों द्वारा मूर्ख समझे जाने पर भी लेखक महोदय खुश थे क्योंकि
उत्तर:
मित्रों द्वारा मूर्ख समझे जाने पर भी लेखक महोदय खुश थे क्योंकि लेखक जानते थे कि मूर्ख कौन है।

5. ‘अध्यापक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता’ विषय पर स्वमत लिखिए।

प्रश्न 1.
‘अध्यापक के साथ विद्यार्थी का रिश्ता’ विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से गुरु-शिष्य का संबंध बड़ा ही गहरा और पवित्र रहा है। गुरु अपने शिष्य का सबसे बड़ा मार्गदर्शक होता है। उसके द्वारा दिए जाने वाला हर ज्ञान, शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु शिष्य पर आने वाली हर मुसीबत में उसका साथ देता है। इसलिए कहा गया है – गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दुआ अजान। गुरु बिन इंद्रिय न सधै, गुरु बिन बढ़े न शान। शिष्य भी अपने गुरु को भगवान स्वरूप मानता है। वह गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश समझता है। गुरु के कहे हर शब्द को वह आदेश मानकर उसका पालन करता है। प्रश्न ४ (घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

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भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
रचना की दृष्टि से वाक्य पहचानकर अन्य एक वाक्य लिखिए।
उत्तर:
जब पाठ्यपुस्तक पढ़ते-पढ़ते
ऊब जाओ, तब झट कोई बाहरी
रुचिकर पुस्तक पढ़ा करो।

प्रश्न 2.
जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।
उत्तर:
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लेखनीय:

प्रश्न 1.
‘कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता’ इस पर एक प्रसंग लिखकर उसे कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने कहा था कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। बल्कि इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए। इस वाक्य पर एक प्रसंग मुझे याद आया जो इस प्रकार है: सतीश एक बहुत ही अच्छा मकैनिक था, जो अपने काम के आगे सभी लोगों के काम को छोटा समझता था। उसको लगता था कि जो काम वह कर रहा है वही सबसे अच्छा काम है बाकी सब लोगों का काम बेकार है। एक दिन एक डॉक्टर साहब अपनी कार लेकर उसके पास आए और बोले भाई इसको देखना क्या हो गया।

वह डॉक्टर एक सर्जन थे और बड़े ही अच्छे स्वभाव के थे। सतीश भी बड़े लोगों की गाड़ियों को देखकर बहुत ही खुश होता था। गाड़ी सही करते वक्त वह डॉक्टर साहब से बोला- आप का और मेरा काम तो एक समान है, फिर भी आप मुझसे ज्यादा पैसा क्यों कमाते हैं? आप देखो न, जैसे मैं गाड़ी का इंजन खोलता हूँ उसी तरह आप भी ऑपरेशन करते हैं।

डॉक्टर साहब बहुत ही विनम्र होकर बोले, आप जो काम करते हो वे जिंदा लोगों पर नहीं करते हो, आप के काम में कुछ देर हो जाए तो आप कल कर सकते है, लेकिन मेरा काम जिंदा लोगों पर ही होता है, जिसमें आप बिलकुल भी देर नहीं कर सकते है। यह बात सुनकर सतीश को समझ में आ गया कि कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। बस इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए।

रचनात्मकता की ओर:

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘नम्रता होती है जिनके पास, उनका ही होता मौलिक सृजन दिल में वास।’ इस विषय पर अन्य सुवचन तैयार कीजिए।
उत्तर:

  1. आत्मसम्मान की भावना ही नम्रता की औषधि है।
  2. नम्रता की ऊँचाई नापने के लिए ब्रह्मांड का कोई भी मापक यंत्र सक्षम नहीं।
  3. किसी महान व्यक्ति की प्रथम परीक्षा उसकी नम्रता से लेनी चाहिए।
  4. नम्रता के पीछे स्वार्थ हो, तो वह ढोंग है।
  5. जिसमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते।
  6. नम्रता से वे कार्य भी बन जाते हैं जो कठोरता से नहीं बन पाते।
  7. नम्रता स्वर्ग के रास्ते की कुंजी है।

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आसपास:

प्रश्न 1.
दूसरे शहर-गाँव में रहने वाले अपने मित्र को आसपास विद्यालय के अनुभव सुनाइए।
उत्तरः
मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने ननिहाल (मामा के घर) गया। मेरे मामा का लड़का राकेश भी नौवीं में पढ़ता था। उसने मुझसे मेरे विद्यालय के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि मेरा विद्यालय शहर के बीचों बीच है। मेरे विद्यालय में पुस्तकालय और खेल का मैदान भी है। मेरे विद्यालय में बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। सभी अध्यापक और अध्यापिकाएँ समय पर कक्षा में आते हैं तथा अपना विषय अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। यदि हमें कुछ प्रश्न या सवाल समझ में नहीं आता है तो वे हमें बार-बार समझाते और अतिरिक्त कक्षा में भी पढ़ाते हैं। मेरे विद्यालय में बहुत कड़ा अनुशासन है। कोई भी अनुशासन को नहीं भंग करता है। सभी लड़के और लड़कियाँ एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं और एक दूसरे की सहायता भी करते हैं। मेरे विद्यालय में समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं इसमें सभी लड़के और लड़कियाँ भाग लेते हैं। मेरे विद्यालय में हमेशा खेल-कूद का भी आयोजन होता है तथा अनेक विद्यार्थी खेलों में भी प्रथम स्थान पाते हैं। मेरे विद्यालय का अनुशासन शिक्षा व्यवस्था तथा शिष्टाचार बहुत ही अच्छा है।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘स्वयं अनुशासन’ पर कक्षा में चर्चा कीजिए तथा इससे संबंधित तक्तियाँ बनाइए।
उत्तर:

  • मोहन – अनुशासन क्या है?
  • श्याम – अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित करके रखता है। यह व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और सफल बनाता है।
  • राकेश – इसकी जरूरत क्यों होती है?।
  • रमेश – जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरूरत पड़ती है। अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निरर्थक हो जाता है।
  • मोहन – अनुशासन कितने प्रकार का होता है?
  • श्याम – अनुशासन दो प्रकार का होता है, एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर स्वयं उत्पन्न होता है।
  • राकेश – स्वयं अनुशासन का क्या अर्थ होता है?
  • रमेश – स्वयं अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिए इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिए गए कार्य को पूरा करना।
  • सतीश – स्वयं अनुशासन की जरूरत क्यों है?
  • श्याम – हर व्यक्ति में स्व-अनुशासन की बहुत जरूरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिए प्रेरित करने का समय नहीं है।
  • राकेश – क्या अभिभावक को भी स्वयं अनुशासन की जरूरत होती है।
  • रमेश – अभिभावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरूरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को भी अनुशासन की शिक्षा दे सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जरूरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें।

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विद्यालय में अनुशासन से संबंधित कुछ बातें:

  1. कम बोलें, धीमा बोलें तथा मीठा बोलें।
  2. सदाचार का पालन करें।
  3. अपने गुरुजन का सम्मान करें।
  4. हमेशा शिष्टता का व्यवहार करें।
  5. अपना गृहकार्य अवश्य पूरा करें।
  6. विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें।
  7. समय पर विद्यालय आएँ।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. दादी
2. पिता
उत्तर:
1. दादा
2. माता

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
1. डर × ………….
2. विद्वान × …………..
उत्तर:
1. निडर
2. मूर्ख

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
शिक्षा का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा वह है, जो मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ उसके हृदय एवं आत्मा का विकास करती है। शिक्षा हमारी समृद्धि में आभूषण, विपत्ति में शरण स्थान और समस्त कालों में आनंद देने वाली होती है। जीवन लक्ष्य की पूर्ति के लिए शिक्षा आवश्यक है। शिक्षा हमें स्वयं के विकास के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के विकास के लिए भी प्रेरित करती है। शिक्षा ही मनुष्य को जीवन की विविध परिस्थितियों से समायोजन करना सीखाती है।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 3

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
विश्वकर्मा सर को इसका शौक था।
उत्तर:
पढ़ने का

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कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. अध्यापकगण
2. पुस्तक
उत्तर:
1. अध्यापक
2. पुस्तकें

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।
1. शौक
2. गजब
उत्तर:
1. रुचि
2. अद्भुत

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 मैं बरतन माँगूँगा 4

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. विश्वकर्मा सर का कमरा बरतनों से भरा हुआ था।
2. विषय बदलने से दिमाग में ताजगी आ जाती है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

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प्रश्न 3.
कारण लिखिए।
लेखक के साथी उनको चिढ़ाते थे क्योंकि
उत्तर:
लेखक के साथी उनको चिढ़ाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लेखक इधर-उधर की पुस्तकों से समय बरबाद करते हैं।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द-युग्म शब्दों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर:
1. मंद – मंद
2. एक – एक

प्रश्न 2.
गद्यांश से विरुद्धार्थी शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. खाली × …………….
2. मोटी × ……………
उत्तर:
1 भरा
2. पतली

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. विश्वकर्मा सर का यह क्रम ज्यों-का-त्यों बना रहा –
2. भोजन बनाने में इतना समय लगता है –
उत्तर:
1. बरतन धोने का
2. करीब दो घंटे

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए।
विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन धोते थे क्योंकि
उत्तर:
विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन धोते थे क्योंकि खाना बनाने में पूरे दो घंटे लगते हैं और बरतन धोने में सिर्फ दस मिनट।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।
1. समय
2. खुश
उत्तर:
1. वक्त
2. प्रसन्न

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. मित्र × ………….
2. मूर्ख × …………
उत्तर:
1. शत्रु
2. विद्वान

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘आदर्श शिक्षक’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
शिक्षक एक विशाल इमारत की नींव की तरह होते हैं। जिस इमारत की नींव ही कमजोर हो, तो उस इमारत का कोई भविष्य नहीं होता है। उसी तरह आदर्श शिक्षक न हो तो विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित नहीं होता । शिक्षक अनुशासन प्रिय होते हैं । अपने विषय को वे इस तरह समझाने का प्रयत्न करते हैं, जिसे सामान्य से सामान्य विद्यार्थी भी समझ सकें। वे अपने विद्यार्थियों में संयम, सेवा, त्याग, सहयोग और देशभक्ति के बीज बोते हैं।

मैं बरतन माँगूँगा Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

हमराज भट्ट हिंदी के आधुनिक साहित्यकारों में से एक है। हमराज भट्ट की बालसुलभ रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियाँ, निबंध, संस्मरण विविध पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं।

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गद्य-परिचय:

आत्मकथात्मक कहानी: आत्मकथा हिंदी साहित्य में गद्य की एक विधा है। इसमें स्वयं या कहानी का कोई पात्र ‘मैं’ के माध्यम से पूरी कहानी का आत्मचित्रण करता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत पाठ ‘मैं बरतन माँगूंगा’ में लेखक हमराज भट्ट जी ने समय की बचत, समय का उचित उपयोग एवं
अध्ययनशीलता जैसे गुणों को दर्शाया है।

सारांश:

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बचपन के एक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा है कि उन्हें बचपन में विषय के अतिरिक्त दूसरी पुस्तक पढ़ने की आदत नहीं थी। वह अपने गुरु जी के डर से पाठ्यक्रम की कविताएँ ही रट लिया करते थे। उनके पिता जी कभी पत्रिका लाते थे तो वह लेखक को पढ़ने के लिए नहीं मिलता था।

आठवीं पास करने के बाद नौवीं में पढ़ने के लिए उनके घरवालों ने उन्हें अच्छी नसीहत देकर शहर भेज दिया। उनके साथ गाँव के दो साथी और थे। तीनों एक साथ कमरा लेकर उसमें रहने लगे।

वह जिस कमरे में रहते थे उसके सामने उनके तीन अध्यापक भी रहते थे पुरोहित जी, खान साहब और विश्वकर्मा जी। तीनों अध्यापक साथ-साथ बनाते खाते थे; उनमें कोई भेदभाव नहीं था। लेखक और उनके साथियों ने गौर किया कि विश्वकर्मा सर हमेशा बरतन माँजते थे जबकि पुरोहित और खान साहब कभी बरतन नहीं माँजते थे। विश्वकर्मा सर को पढ़ने का भी शौक था। वह हर वक्त किताबों में ही डूबे रहते। उन्हें देखकर लेखक भी उनसे पुस्तकें लेकर पढ़ना चाहता था। एक दिन किसी बहाने से वह उनके कमरे में गया तो वहाँ अनेक पुस्तकों को देखा। आलमारी ना होने के कारण पुस्तकें जमीन पर ही पड़ी थी । विश्वकर्मा सर ने लेखक को देख लिया और उन्हें कुछ पुस्तकें भी पढ़ने को दी। धीरे-धीरे लेखक और विश्वकर्मा सर में खूब जमने लगी।

एक दिन लेखक ने उनसे रोज सुबह-शाम बरतन माँजने का कारण पूछा। विश्वकर्मा सर ने विस्तार से बताया, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। बर्तन माँजने में दस मिनट का समय लगता है जबकि खाना बनाने में दो घंटे का समय लगता है तथा धुएँ और शोर को भी सहना पड़ता है। अत: वह बरतन माँजने का काम करके १ घंटा ५० मिनट बचा लेते हैं, जिसमें वह पढ़ाई करते हैं। विश्वकर्मा सर के इस तर्क को सुनकर लेखक बहुत प्रभावित हुए और वह भी उस दिन अपने साथियों को बोले कि अब दोनों समय का बरतन मैं ही माँगूंगा और तुम दोनों खाना बनाया करो। उनके साथी उनको मूर्ख समझने लगे जबकि लेखक जानते थे कि मूर्ख कौन है।

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शब्दार्थ:

  1. पलटना – बदलना
  2. एहसास – आभास
  3. नसीहत – उपदेश, सीख
  4. चर्चा – बातचीत
  5. शौक – रुचि
  6. पढ़ाकू – पढ़नेवाला
  7. ढेरियाँ – समूह
  8. मंद – धीमा
  9. तत्काल – तुरंत
  10. रुचिकर – मनपसंद
  11. पठनीय – पढ़ने योग्य
  12. नि:संकोच – बिना संकोच के
  13. पारावार – सीमा
  14. आह्लादित – आनंदित
  15. हिदायत – निर्देश, सूचना
  16. कौर – ग्रास, निवाला
  17. गजब – अद्भुत
  18. ठाट – शान
  19. करीने – क्रम से
  20. इत्मीनान – संतोष
  21. प्रोत्साहित – उत्साहित
  22. ताजगी – नयापन
  23. स्वाध्याय – स्वयं किया गया अध्ययन

मुहावरे:

1. किताबी कीड़ा होना – केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
2. घुड़क देना – जोर से बोलकर डराना, डाँटना।