Class 10 Hindi Chapter 6 Aisa Bhi Hota Hai Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 6 Aisa Bhi Hota Hai Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 ऐसा भी होता है Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokvani 10th Digest Chapter 6 ऐसा भी होता है Questions And Answers

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 6 ऐसा भी होता है Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 ऐसा भी होता है 1
उत्तर:
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2. उचित शब्द लिखिए। 

प्रश्न 1.
उचित शब्द लिखिए।

  1. सहमकर काँपने वाली –
  2. घोंसला उजड़ने पर रोने वाला –
  3. सुख-दुख बाँटने वाला –
  4. वृद्धाश्रम से चिट्ठी भेजने वाली –

उत्तर :

  1. कच्ची दीवार
  2. पखेरू या पंछी
  3. डाकिया
  4. बूढी माँ

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3. किरण शब्द की विशेषताएँ : 

प्रश्न 1.
किरण शब्द की विशेषताएँ :
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उत्तर :
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भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
आकृति में दिए गए वाक्य का काल पहचानकर निर्देशानुसार काल परिवर्तन कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 ऐसा भी होता है 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 ऐसा भी होता है 6.1

उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
‘मेरा प्रिय त्योहार’ विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए।
उत्तरः
मेरा प्रिय त्योहार हमारा भारत देश त्योहारों का देश है। भारत में दीपावली, होली, नवरात्रि, गणेशचतुर्थी आदि तरह-तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। प्रत्येक त्योहार की अपनी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विशेषता होती है। इस प्रकार प्रत्येक त्योहार का अपना महत्त्व होता है। सभी को त्योहार अच्छे लगते हैं। मैं भी इसका अपवाद नहीं हूँ। मेरा प्रिय त्योहार दीपावली है। इसे दीवाली भी कहते हैं। दीपावली दीपों का त्योहार है।

यह त्योहार पाँच दिनों तक मनाया जाता है। धन त्रयोदशी, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैयादूज ये पाँच पर्व पाँच दिन मनाए जाते है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग दीपों से जममगाने लगती है। यह दृश्य बहुत ही मनोरम व अद्भुत होता है। इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस पधारे थे। इसी कारण लोगों ने खुश होकर अपने घरों के द्वार पर भगवान के स्वागत हेतु दीप जलाए थे।

तब से यह शुभ दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दीपावली की शाम को लोग देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं। बच्चे पटाखे छोड़ते हैं। इस दिन लोग अपने परिवार वालों के पास जाकर उनसे मिलते हैं और खुशियाँ बाँटते हैं, एकदूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं। यह त्योहार शांति, भाईचारा व एकता का संदेश देता है। हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम से रहना और एक-दूसरे के जीवन में खुशियाँ निर्माण करने का संदेश दीपावली से मिलता है। इसलिए हर्षित होकर मैं कहता हूँ –

“त्योहार है दीपावली का
सुख-समृद्धि और खुशहाली का।
बुराई के राक्षस को मन से भगाएँ
हृदय में शांति का दीपक जलाएँ।”

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 6 ऐसा भी होता है Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
उचित शब्द लिखिए।
i. थकी हारी
उत्तर :
i. सूरज की किरण

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
i. कच्ची दीवार सहमी क्योंकि –
उत्तरः
मेघ गरजने लगे।

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ii. किरण ने धरती की गोद का सहारा लिया क्योंकि –
उत्तर:
सुबह से शाम तक प्रकाश देने की कार्य करने के बाद शाम को वह थक गई।

कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ पद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. बादल
  2. सूर्य
  3. पवित्र
  4. धरती

उत्तर :

  1. मेघ
  2. रवि
  3. निर्मल
  4. धरा

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
i. कच्ची × …….
ii. निर्मल × …….
उत्तर:
i. पक्की
i. मलिन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. गोद
उत्तर:
i. पहलू, आँचल

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के वचन बदलिए।
i. दीवार
ii. किरण
उत्तर:
i. दीवारें
ii. किरणें

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. काँपी
उत्तर:
i. कॉपी

कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान और उनकी प्रगति हेतु आप क्या कर सकते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान और उनकी प्रगति हेतु हम विशिष्ट अभियान चला सकते हैं। उस अभियान के अंतर्गत हम दुर्बल घटकों में जागरूकता निर्माण करने का प्रयास करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी संख्या अधिक होती है। अत: ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करने हेतु हम अभियान चलाएंगे; ताकि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करने हेतु ठोस कदम उठाए। आज हमारे समाज में वंचित वर्गों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। अत: उन्हें शिक्षा मिले इसके लिए हम प्रशासन का ध्यान उनकी ओर आकर्षित करने हेतु अभियान चलाएँगे। समाज में सामाजिक न्याय प्रस्थापित हो इसलिए व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर हम आपसी प्रेम, भाईचारा, मानवता आदि नौतियों का पालन करेंगे।

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(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए।
i. खुली आँखों ने जीवन भर देखे –
(अ) खुले सपने
(आ) बंद सपने
(इ) मनचाहे सपने
उत्तर:
(आ) बंद सपने

ii.बच्चों की जीवनरूपी पतंग माँ-बाप ने थाम ली इसलिए –
(अ) उन्होंने आसमान को छू लिया।
(आ) उन्होंने स्वर्ग को छू लिया।
(इ) उन्होंने अंतरिक्ष को छू लिया।
उत्तर:
(अ) उन्होंने आसमान को छू लिया।

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
i. वृक्षों के कटने का परिणाम –
उत्तर:
पंछियों का आशियाना उजड़ गया और वे रोने लगे।

प्रश्न 3.
उचित जोड़ियाँ लगाइए।

‘अ’‘ब’
1. तन(क) बंद
2. कद(ख) माटी
3. आशियाना(ग) काठी
4. सपने(घ) उजड़ा

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1. तन(ख) माटी
2. कद(ग) काठी
3. आशियाना(घ) उजड़ा
4. सपने(क) बंद

प्रश्न 4.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 5.
उचित शब्द लिखिए।
i. स्वयं पर गुमान करने वाला –
उत्तर:
i. इंसान

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कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।

  1. पतंग
  2. जीवन
  3. गुमान

उत्तर:

  1. फतिका, सूर्य
  2. पानी, जिंदगी
  3. अभिमान, अनुमान

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तद्भव शब्द का तत्सम शब्द लिखिए।
i. माटी
ii. सपना
उत्तर:
i. मृदा
ii. स्वप्न

प्रश्न 3.
उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर शब्द लिखिए।
i. जीवन
उत्तरः
उपसर्गयुक्त शब्द – आजीवन, प्रत्यय
युक्त शब्द – जीवनभर

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प्रश्न 4.
पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. पखेरू
  2. तन
  3. आशियाना
  4. डोर

उत्तर:

  1. पक्षी
  2. शरीर
  3. घोंसला
  4. रस्सी

कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
वक्षों के कटने के दुष्परिणाम अपने शब्दों बताइए।
उत्तरः
आजकल शहरों को बसाने के लिए बड़े स्तर पर वृक्षों की कटाई हो रही है। इसके कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। अंधाधुंध पेड़ काटे जाने के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है तथा हवा प्रदूषित होती जा रही है। शहरों में वायु-प्रदूषण की समस्या सबसे ज्यादा बढ़ गई है। लोगों को अस्थमा जैसी साँस लेने की समस्या, हृदय रोग आदि हो रहे हैं। पेड़ों की कटाई करने के कारण वन्यजीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं और कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं।

पेड़ों की कटाई का प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव पड़ रहा है। जिस कारण ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। तापमान में वृद्धि हो रही है। पेड़ों की कटाई की वजह से भूमि का क्षरण हो रहा है। इंसान हरी-भरी जिंदगी से वंचित हो गया है। उसका जीवन परेशानी से भर रहा है।

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(इ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
उचित शब्द लिखिए –
i. ठसा-सा रहने वाला –
ii. आसमान में उड़ने वाला –
उत्तर:
i.तरू
ii. पखेरू

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए –
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. वृद्धाश्रम
ii. संस्कारों
उत्तर:
i. मैया कहाँ रहती है?
ii. तिजोरी किससे भरी थी?

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कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
पद्यांश में से देशज शब्द ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:
i. देशज शब्द : मैया, पखेरू, चिट्ठी
ii. तत्सम शब्द : तरू, वृद्ध

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित तद्भव शब्द का तत्सम रूप लिखिए।
i. दुख
उत्तर:
i. दुःख

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
i. चिट्ठी
i. झोला
उत्तर:
i. खत
ii. थैला

प्रश्न 4.
पद्यांश में से विलोम शब्द की जोड़ी ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:
i. सुख × दुख

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कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बढ़ती संस्कारहीनता’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार होती है। परिवार में बच्चों को अच्छे संस्कार में डालकर सभ्य मनुष्य बनाया जाता है और इसी से सभ्य समाज का निर्माण होता है; परंतु संस्काररहित व्यक्तियों के कारण समाज में कई दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। संस्कारहीनता के प्रभाव से परिवार भी एक-दूसरे से अलग हो रहे है। एकाकी परिवार में बच्चे अपना समय कंप्यूटर या टी. वी. के साथ बिताते हैं।

टेलीविजन व वीडियो गेम ने पाश्चात्य संस्कृति को जन्म दिया है; जो सिर्फ उपभोक्तावाद को बढ़ावा दे रही है। इस कारण आज की पीढ़ी का जीवन मूल्यहीन हो गया है। आज की पीढ़ी धीरे-धीरे स्वार्थ के दलदल में फंसती जा रही है। कुछ लोग बुड़े माता-पिता को बोझ मानकर उन्हें वृद्धाश्रम भेज देते हैं। उन्हें उपेक्षित किया जाता हैं। आज व्यक्तिगत और सामाजिक सरोकार अलग-अलग हो गए है। समाज में चोरी, डकैती, लूटमार, दंगे-फसाद आदि कुरीतियों का बोलबाला है। संस्कारहीनता के कारण समाज की दुर्गति होती जा रही है। समाज में अनुशासनहीनता व अराजकता बढ़ रही है।’

ऐसा भी होता है Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : अभिषेक जैन जी आधुनिक साहित्यकार के रूप में हिंदी जगत में प्रसिद्ध हैं। कविता, कहानी, निबंध आदि विधाओं में इन्होंने लेखन किया है। जीवन के अनुभवों पर आधारित इनकी विविध रचनाएँ हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इन्होंने हाइकु काव्य विधा में भी लेखन किया है। इनकी हाइकु रचनाएँ जीवन के समृद्ध अनुभवों का भंडार है।
प्रमुख कृतियाँ : अभिषेक जैन जी ने कविता, कहानी, निबंध आदि विविध विधाओं में लेखन किया है। अनुभवों पर आधारित इनकी रचनाएँ विविध पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती हैं।

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पद्य-परिचय :

हाइकु काव्य : हाइकु एक जापानी काव्य विधा है। हाइकु यानी तीन पंक्तियों की कविता। यह विश्व की एक सबसे लघु कविता कही जाती है। हाइकु कविता 5 + 7 + 5 = 17 वर्ण के ढाँचे में लिखी जाती है। यह कविता आज भारत में सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि मराठी, गुजराती, बंगाली, मलयालम आदि भाषाओं में भी लिखी जाती है।
प्रस्तावना : ‘ऐस भी होता है’ इस हाइकु में कवि अभिषेक जैन जी ने समाज में सबल घटकों द्वारा दुर्बलों पर होने वाले अत्याचार, गरीबी, थकान, वृक्षों के कटने के दुष्परिणाम, अनावश्यक अहं, वृद्धाश्रम के दर्द, संस्कारहीनता आदि विविध विषयों पर प्रकाश डाला है।

सारांश :

‘ऐसा भी होता है’ यह हाइकु काव्य है। कवि ने इस हाइकु के द्वारा विविध विषयों को अभिव्यक्त करने की कोशिश की है। समाज के सबल वर्ग दुर्बलों पर अपना रोब या अधिकार जमाते रहते हैं। उनके द्वारा किए गए अन्याय एवं शोषण से समाज के दुर्बल घटक सहम जाते हैं। सूरज प्रतिदिन अपने निर्मल किरणों से धरती को प्रकाशित करता रहता है। इसके बदले में वह धरती से किसी भी चीज की अपेक्षा नहीं करता।

ठीक उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति दीन-दुखी लोगों के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। दिनभर सभी को रोशनी देने वाली किरण शाम होते ही थक जाती है और वह धरा की गोद में आकर विश्राम करती है। गरीब व्यक्ति की आशा-आकांक्षाएँ कभी भी पूर्ण नहीं होती। वह जीवनभर सपने देखते रहता है; फिर भी उसके सपने पूर्ण नहीं होते। वृक्षों को काटने से पंछियों का आशियाना यानी घोसला उजड़ जाता है। उनके आशियाने उजड़ने पर पक्षी रोने लगते हैं। माँ-बाप के अथक परिश्रम और सुसंस्कारों के कारण ही बच्चे आसमान को छूते हैं। व्यक्ति को अपने जीवन से अभिमान का त्याग कर अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहिए।

संस्कारहीनता के कारण कई बच्चे बड़े हो जाने के बाद अपने माता-पिता को छोड़कर दूर जाकर अपने लिए अलग से बसेरा बना लेते हैं। डाकिए की तरह सभी को जीवन में आने वाली सुख-दुख की भावनाओं से प्रभावित न होकर अपना कार्य करते रहना चाहिए। अनेक तिरस्कारों के बावजूद माँ की ममता अपने बच्चों के लिए कम नहीं होती। संस्कारहीनता के कारण सामाजिक पतन हो रहा है। जिस कारण चारों ओर लूटमार और भगदड़ मची हुई है।

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भावार्थ :

गरजे मेघ ………………………………………. कच्ची दीवार।
प्रस्तुत हाइकु में कवि ने बताया है कि आसमान में मेघों के गरजने पर एक कच्ची दीवार सहमकर काँपने लगी; वह बहुत डर गई। यहाँ गरजने वाले मेघ समाज के सबल वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और कच्ची दीवार समाज के दुर्बल वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। इसका अर्थ यह है कि समाज के सबल वर्ग दुर्बल वर्गों पर अपना रोब या अधिकार जमाते रहते हैं। उनके द्वारा किए गए अन्याय एवं शोषण से समाज के दुर्बल घटक सहम जाते हैं।

रवि चढ़ाए ………………………………………. धरा को अर्ध्व !
प्रस्तुत हाइकु में रवि यानी सूरज एक सज्जन व्यक्ति का प्रतीक है। सूरज प्रतिदिन अपने निर्मल किरणों से धरती को प्रकाशित करता है। बदले में वह धरती से किसी भी चीज की अपेक्षा नहीं करता। उसका कार्य निःस्वार्थ एवं मानवता के लिए होता है। ठीक उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति दीन-दुखियों के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। इसके बदले में वे किसी भी प्रकार की चाह नहीं रखते हैं।

आ के पसरी ………………………………………. धरा की गोद।
प्रस्तुत हाइकु में बताया गया है कि दिनभर सभी को रोशनी देने वाली किरण शाम होते ही थक जाती है और वह धरा की गोद में आकर । विश्राम करती है। प्रकृति का यही नियम है। जो श्रम करता है; वह दिन ढलने के उपरांत थक जाता है। व्यक्ति दिनभर मेहनत करता है और फिर शाम होते ही वह थककर अपने घर आकर आराम करने लगता है।

खुली आँखो ने ………………………………………. बंद सपने।
प्रस्तुत हाइकु द्वारा समाज में व्याप्त गरीबों की स्थिति का चित्रण किया गया है। गरीब व्यक्ति की आशा-आकांक्षाएँ कभी भी पूर्ण नहीं । होती। वह जीवनभर सपने देखते रहता है; परंतु उसके सपने कभी भी पूर्ण नहीं होते।

कटते तरु ………………………………………. रोए पखेरू।
प्रस्तुत हाइकु में वृक्षों के कटने के दुष्परिणाम दिखाए गए हैं। वृक्षों को काटने से पंछियों का आशियाना यानी घोंसला उजड़ जाता है। वे । बेघर हो जाते हैं; जिस कारण वे दुखी होकर रोने लगते हैं।

बच्चे पतंग ………………………………………. छ्ते गगन।
बच्चों के जीवनरूपी पतंग की डोर माँ-बाप के हाथ में होती है। वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देकर उनका जीवन संवारने की कोशिश करते हैं। माँ-बाप के अथक परिश्रम और सुसंस्कारों के कारण ही बच्चे आसमान को छूते हैं यानी जीवन में ऊँचा उठकर सफलता की मंजिल हासिल करते हैं।

तन माटी का ………………………………………. कद काठी का।
प्रस्तुत हाइकु में कवि अनावश्यक अहं पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। व्यक्ति का शरीर मिट्टी से बना है; जो एक दिन नष्ट होने वाला है। फिर भी व्यक्ति को अपनी इस छोटी-सी जिंदगी पर बहुत बड़ा अभिमान होता है। मनुष्य को अपने जीवन से अभिमान का त्याग कर अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहिए। उसे अनावश्यक अहं नहीं करना चाहिए।

उड़ा पखेरू ………………………………………. ठगा-सा तम्।
प्रस्तुत हाइकु मनुष्य की कृतघ्नता पर करारा व्यंग्य करती है। पक्षी का बच्चा जब तक छोटा होता है यानी उसके पंखों में जब तक उड़ने की शक्ति नहीं आती है, तब तक वह वृक्ष पर ही रहता है। लेकिन जब उसके पंखों में उड़ने की शक्ति आ जाती है; तब वह उस वृक्ष को छोड़कर अनंत आकाश में विचरण करने के लिए उड़ जाता है। उसे जाते देखकर पेड़ विस्मित, सा रह जाता है। उसी प्रकार संस्कारहीनता के कारण कई बच्चे बड़े हो जाने के बाद अपने माता-पिता को छोड़कर दूर जाकर अपने लिए अलग बसेरा बना लेते हैं। इससे माता-पिता किंकर्तव्यविमूढ हो जाते हैं।

हाकिया चला ………………………………………. भर के झोला।
प्रस्तुत हायक में लोगों के आने वाले खत बाँटने वाला डाकिया के बारे में है। कुछ पत्रों से खशी झलकती है तो कछ पत्र दुखद गहराई का अहसास दिलाते हैं। फिर भी किसी की भी भावना से सरोकार न रखते हुए डाकिया अपनी झोली भरकर पत्र बाँटने का काम करता रहता है। डाकिए की तरह हमें भी जीवन में आने वाले सुख-दुख की भावनाओं से प्रभावित न होकर अपना कार्य करते रहना चाहिए।

मैया की आई ………………………………………. कैसे हो बेटा।
माता-पिता अपनी संतान पर अपना सर्वस्व लुटाकर उसका लालन-पोषण करके उसे कामयाब इंसान बनाते हैं। वही संतान बाद में अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेज देते हैं। फिर भी उसकी इस निर्दयता को माँ भूल जाती है और वह उसे वृद्धाश्रम से खत लिखकर उसका हाल जानना चाहती है। माँ आखिर माँ ही होती है। वह अपने बेटे द्वारा किए गए अत्याचारों को भूलकर मन ही मन में याद करती रहती है।

हो गई चोरी ………………………………………. लुट गया मैं।
प्रस्तुत हाइकु में बताया गया है कि आज हमारे समाज में संस्कारों का अभाव है। समाज से जीवन-मूल्यों का पतन हो रहा है। संस्काररूपी तिजोरी का समाज से हनन हो गया है। आज समाज में संस्कारों का धीरे-धीरे लोप होता आ रहा है। इस कारण समाज में समस्याएँ उभरकर सामने आ रही हैं। संस्कारहीनता के कारण सामाजिक पतन हो रहा है। जिस कारण चारों ओर लूटमार और भगदड़ मची हुई है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 ऐसा भी होता है

शब्दार्थ :

  1. डाकिया – चिट्ठी बाँटनेवाला
  2. तरू – वृक्ष, पेड़
  3. पखेरू – पंछी, पक्षी
  4. गुमान – अभिमान, गर्व, घमंड
  5. कद – काठी, शरीर की बनावट
  6. रवि – सूर्य
  7. निर्मल – पवित्र
  8. धरा – धरती
  9. तन – शरीर
  10. आशियाना – घोंसला
  11. डोर – रस्सी
  12. चिट्ठी – खत
  13. झोला – थैला

मुहावरे :

ठगा-सा रह जाना – किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाना या विस्मित हो जाना।

ऐसा भी होता है Summary in Hindi

ऐसा भी होता है कवि-परिचय

जीवन-परिचय : अभिषेक जैन जी आधुनिक साहित्यकार के रूप में हिंदी जगत में प्रसिद्ध हैं। कविता, कहानी, निबंध आदि विधाओं में इन्होंने लेखन किया है। जीवन के अनुभवों पर आधारित इनकी विविध रचनाएँ हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इन्होंने हाइकु काव्य विधा में भी लेखन किया है। इनकी हाइकु रचनाएँ जीवन के समृद्ध अनुभवों का भंडार है।

प्रमुख कृतियाँ : अभिषेक जैन जी ने कविता, कहानी, निबंध आदि विविध विधाओं में लेखन किया है। अनुभवों पर आधारित इनकी रचनाएँ विविध पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती हैं।

ऐसा भी होता है पद्य-परिचय

हाइकु काव्य : हाइकु एक जापानी काव्य विधा है। हाइकु यानी तीन पंक्तियों की कविता। यह विश्व की एक सबसे लघु कविता कही जाती है। हाइकु कविता ५ + ७ + ५ = १७ वर्ण के ढाँचे में लिखी जाती है। यह कविता आज भारत में सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि मराठी, गुजराती, बंगाली, मलयालम आदि भाषाओं में भी लिखी जाती है।

प्रस्तावना : ‘ऐस भी होता है’ इस हाइकु में कवि अभिषेक जैन जी ने समाज में सबल घटकों द्वारा दुर्बलों पर होने वाले अत्याचार, गरीबी, थकान, वृक्षों के कटने के दुष्परिणाम, अनावश्यक अहं, वृद्धाश्रम के दर्द, संस्कारहीनता आदि विविध विषयों पर प्रकाश डाला है।

ऐसा भी होता है सारांश

‘ऐसा भी होता है’ यह हाइकु काव्य है। कवि ने इस हाइकु के द्वारा विविध विषयों को अभिव्यक्त करने की कोशिश की है। समाज के सबल वर्ग दुर्बलों पर अपना रोब या अधिकार जमाते रहते हैं। उनके द्वारा किए गए अन्याय एवं शोषण से समाज के दुर्बल घटक सहम जाते हैं। सूरज प्रतिदिन अपने निर्मल किरणों से धरती को प्रकाशित करता रहता है। इसके बदले में वह धरती से किसी भी चीज की अपेक्षा नहीं करता।

ठीक उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति दीन-दुखी लोगों के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। दिनभर सभी को रोशनी देने वाली किरण शाम होते ही थक जाती है और वह धरा की गोद में आकर विश्राम करती है। गरीब व्यक्ति की आशा-आकांक्षाएँ कभी भी पूर्ण नहीं होती। वह जीवनभर सपने देखते रहता है; फिर भी उसके सपने पूर्ण नहीं होते। वृक्षों को काटने से पंछियों का आशियाना यानी घोसला उजड़ जाता है।

उनके आशियाने उजड़ने पर पक्षी रोने लगते हैं। माँ-बाप के अथक परिश्रम और सुसंस्कारों के कारण ही बच्चे आसमान को छूते हैं। व्यक्ति को अपने जीवन से अभिमान का त्याग कर अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहिए। संस्कारहीनता के कारण कई बच्चे बड़े हो जाने के बाद अपने माता-पिता को छोड़कर दूर जाकर अपने लिए अलग से बसेरा बना लेते हैं।

डाकिए की तरह सभी को जीवन में आने वाली सुख-दुख की भावनाओं से प्रभावित न होकर अपना कार्य करते रहना चाहिए। अनेक तिरस्कारों के बावजूद माँ की ममता अपने बच्चों के लिए कम नहीं होती। संस्कारहीनता के कारण सामाजिक पतन हो रहा है। जिस कारण चारों ओर लूटमार और भगदड़ मची हुई है।

ऐसा भी होता है शब्दार्थ

  • डाकिया – चिट्ठी बाँटनेवाला
  • तरू – वृक्ष, पेड़
  • पखेरू – पंछी, पक्षी
  • गुमान – अभिमान, गर्व, घमंड
  • कद – काठी, शरीर की बनावट
  • निर्मल – पवित्र
  • धरा – धरती
  • तन – शरीर
  • आशियाना – घोंसला
  • डोर – रस्सी
  • चिट्ठी – खत
  • झोला – थैला

ऐसा भी होता है मुहावरे

  • ठगा-सा रह जाना – किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाना या विस्मित हो जाना।

ऐसा भी होता है भावार्थ

गरजे मेघ ……………………. कच्ची दीवार।

प्रस्तुत हाइकु में कवि ने बताया है कि आसमान में मेघों के गरजने पर एक कच्ची दीवार सहमकर काँपने लगीं; वह बहुत डर गई। यहाँ । गरजने वाले मेघ समाज के सबल वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और कच्ची दीवार समाज के दुर्बल वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। इसका अर्थ यह है कि समाज के सबल वर्ग दुर्बल वर्गों पर अपना रोब या अधिकार जमाते रहते हैं। उनके द्वारा किए गए अन्याय एवं शोषण से समाज के दुर्बल घटक सहम जाते हैं।

रवि चढ़ाए ……………………. धरा को अर्य।

प्रस्तुत हाइकु में रवि यानी सूरज एक सज्जन व्यक्ति का प्रतीक है। सूरज प्रतिदिन अपने निर्मल किरणों से धरती को प्रकाशित करता है। बदले में वह धरती से किसी भी चीज की अपेक्षा नहीं करता। उसका कार्य निःस्वार्थ एवं मानवता के लिए होता है। ठीक उसी प्रकार सज्जन। व्यक्ति दीन-दुखियों के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। इसके बदले में वे किसी भी प्रकार की चाह नहीं रखते हैं।

आ के पसरी ……………………. धरा की गोद।

प्रस्तुत हाइकु में बताया गया है कि दिनभर सभी को रोशनी देने वाली किरण शाम होते ही थक जाती है और वह धरा की गोद में आकर। विश्राम करती है। प्रकृति का यही नियम है। जो श्रम करता है; वह दिन ढलने के उपरांत थक जाता है। व्यक्ति दिनभर मेहनत करता है और फिर शाम होते ही वह थककर अपने घर आकर आराम करने लगता है।

खुली आँखो ने ……………………. बंद सपने।

प्रस्तुत हाइकु द्वारा समाज में व्याप्त गरीबों की स्थिति का चित्रण किया गया है। गरीब व्यक्ति की आशा-आकांक्षाएँ कभी भी पूर्ण नहीं। होती। वह जीवनभर सपने देखते रहता है; परंतु उसके सपने कभी भी पूर्ण नहीं होते।

कटते तरु ……………………. रोए पखेरू।

प्रस्तुत हाइकु में वृक्षों के कटने के दुष्परिणाम दिखाए गए हैं। वृक्षों को काटने से पंछियों का आशियाना यानी घोंसला उजड़ जाता है। वे बेघर हो जाते हैं; जिस कारण वे दुखी होकर रोने लगते हैं।

बच्चे पतंग ……………………. छूते गगन।

बच्चों के जीवनरूपी पतंग की डोर माँ-बाप के हाथ में होती है। वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देकर उनका जीवन सँवारने की कोशिश करते हैं। माँ-बाप के अथक परिश्रम और सुसंस्कारों के कारण ही बच्चे आसमान को छूते हैं यानी जीवन में ऊँचा उठकर सफलता की मंजिल हासिल करते हैं।

तन माटी का ……………………. कद काठी का।

प्रस्तुत हाइकु में कवि अनावश्यक अहं पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। व्यक्ति का शरीर मिट्टी से बना है; जो एक दिन नष्ट होने । वाला है। फिर भी व्यक्ति को अपनी इस छोटी-सी जिंदगी पर बहुत बड़ा अभिमान होता है। मनुष्य को अपने जीवन से अभिमान का त्याग कर अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहिए। उसे अनावश्यक अहं नहीं करना चाहिए।

उड़ा पखेरू ……………………. ठगा – सा तरू

प्रस्तुत हाइकु मनुष्य की कृतघ्नता पर करारा व्यंग्य करती है। पक्षी का बच्चा जब तक छोटा होता है यानी उसके पंखों में जब तक उड़ने की शक्ति नहीं आती है, तब तक वह वृक्ष पर ही रहता है। लेकिन जब उसके पंखों में उड़ने की शक्ति आ जाती है; तब वह उस वृक्ष को छोड़कर अनंत आकाश में विचरण करने के लिए उड़ जाता है। उसे जाते देखकर पेड़ विस्मित, सा रह जाता है। उसी प्रकार संस्कारहीनता के कारण कई बच्चे बड़े हो जाने के बाद अपने माता-पिता को छोड़कर दूर जाकर अपने लिए अलग बसेरा बना लेते हैं। इससे माता-पिता किंकर्तव्यविमूढ हो जाते हैं।

डाकिया चला ……………………. भर के झोला।

प्रस्तुत हायकु में लोगों के आने वाले खत बाँटने वाला डाकिया के बारे में है। कुछ पत्रों से खुशी झलकती है तो कुछ पत्र दुखद गहराई । का अहसास दिलाते हैं। फिर भी किसी की भी भावना से सरोकार न रखते हुए डाकिया अपनी झोली भरकर पत्र बॉटने का काम करता रहता है। डाकिए की तरह हमें भी जीवन में आने वाले सुख-दुख की भावनाओं से प्रभावित न होकर अपना कार्य करते रहना चाहिए।

मैया की आई ……………………. कैसे हो बेटा।

माता-पिता अपनी संतान पर अपना सर्वस्व लुटाकर उसका लालन-पोषण करके उसे कामयाब इंसान बनाते हैं; वही संतान बाद में अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेज देते हैं। फिर भी उसकी इस निर्दयता को माँ भूल जाती है और वह उसे वृद्धाश्रम से खत लिखकर उसका हाल जानना चाहती है। माँ आखिर माँ ही होती है। वह अपने बेटे द्वारा किए गए अत्याचारों को भूलकर मन ही मन में याद करती रहती है।

हो गई चोरी ……………………. लुट गया मैं।

प्रस्तुत हाइकु में बताया गया है कि आज हमारे समाज में संस्कारों का अभाव है। समाज से जीवन-मूल्यों का पतन हो रहा है। संस्काररूपी तिजोरी का समाज से हनन हो गया है। आज समाज में संस्कारों का धीरे-धीरे लोप होता जा रहा है। इस कारण समाज में समस्याएँ उभरकर सामने आ रही हैं। संस्कारहीनता के कारण सामाजिक पतन हो रहा है; जिस कारण चारों ओर लूटमार और भगदड़ मची हुई है।

Class 10 Hindi Lokvani Textbook Solutions

Class 10 Hindi Chapter 5 Char Hath Chandna Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 5 Char Hath Chandna Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 5 चार हाथ चाँदना Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokvani 10th Digest Chapter 5 चार हाथ चाँदना Questions And Answers

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 5 चार हाथ चाँदना Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. विधानों के सामने सही अथवा गलत लिखिए :

प्रश्न 1.
विधानों के सामने सही अथवा गलत लिखिए :

  1. शोभा सिंह ने ‘सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्’ का क्रम बदला है। [ ]
  2. प्रश्नकर्ता के अनुसार हमारी धरती का यथार्थ बहुत भयानक नहीं है। [ ]
  3. कलाकार की शक्ति उसके चिंतन में है। [ ]
  4. शोभा सिंह कलाकार का कर्म एक छोटी-सी जलती हुई मोमबत्ती नहीं समझते । [ ]

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य

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2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 2

3. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1. चित्रकार(क) अमृता प्रीतम
2. लेखिका(ख) शोभा सिंह
3. जीनियस(ग) कलाकार
4. ईश्वर(घ) माँ

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1. चित्रकार(ख) शोभा सिंह
2. लेखिका(क) अमृता प्रीतम
3. जीनियस(घ) माँ
4. ईश्वर(ग) कलाकार

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4. उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

  1. सुंदरता के लिए ………………….. सबसे पहली अवस्था है। (नजर, दृष्टि, नजरिया)
  2. हमारी धरती का ……………… बहुत भयानक है। (सत्य, यथार्थ, वास्तव)
  3. कलाकार की शक्ति उसके …………….. में है। (चिंतन, मनन, साधना)
  4. मैं रचनात्मक ……………. के संबंध में कह रहा हूँ। (युक्ति, कृति, शक्ति)

उत्तर:

  1. नजरिया
  2. यथार्थ
  3. चिंतन
  4. शक्ति

5. पाठ में प्रयुक्त ऐसे शब्द ढूँढकर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता।
जैसे : वृक्ष – वक्ष

प्रश्न 1.
पाठ में प्रयुक्त ऐसे शब्द ढूँढकर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता।
जैसे : वृक्ष – वक्ष
उत्तर:

कलाकाररंगचित्रकारघर
दीमकगुलाबफूलदर्शक

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अभिव्यक्ति :

प्रश्न 1.
‘कला जीवन को आनंदित करने का साधन है।’ विषय पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कला के माध्यम से मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है। कला जीवन की अनुकृति है। कला जीवन को आनंदित करने का साधन है। कला में ऐसी शक्ति होती है जो कलाकार को संकीर्ण सीमाओं से उठाकर सफलता की मंजिल पर बिठा देता है। कला के कारण मानव मन में संवेदनाएँ एवं अभिरूचि निर्माण होती है। कला जीवन को सत्यम्, शिवम् और सुंदरम् से समन्वित करती है। कला उस क्षितिज की भाँति है जिसका कोई छोर नहीं है।

रसात्मकता कला का प्राण होता है। व्यक्ति को जो कला अच्छी लगती है, उसमें वह मग्न हो जाता है। अपनी मनपसंद कला के साथ एकाकार होने से उसका मन हर्ष से भर जाता है। मनपसंद कला उसके जीवन को प्रभावित करती है और उसे आनंद की अनुभूति दिलाती है। जो व्यक्ति अपने जीवन से निराश एवं उदास हो जाता है, वह यदि कला के सान्निध्य चला जाए तो उसके मन से उदासी की भावना सदा के लिए खत्म हो जाती है और वह चिर-आनंद का अनुभव करने लगता है।

भाषाबिंदु :

प्रश्न 1.
वर्तनी के नियमों के अनुसार शुद्ध शब्द छाँटकर लिखिए। |

  1. मुश्कील/मुशकील/मुश्किल/मुष्कील = …………….
  2. परसिद्ध/प्रसिद्ध/प्रसीध्द/प्रसिध्ध =…………….
  3. मिट्टी/मिट्यी/मिट्टी/मीट्ठी = …………….
  4. रूतूएँ/ऋतुएँ/ऋतूए/ऋतू = …………….

उत्तर:

  1. मुश्किल
  2. प्रसिद्ध
  3. मिट्टी
  4. ऋतुएँ

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उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
‘पुस्तक मेल में दो घंटे’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए।
उत्तरः
पुस्तक मेल में दो घंटे पुस्तकों का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वे एक मित्र के समान हमारी सहायक एवं मार्गदर्शक होती हैं। वे अपना ज्ञानरूपी अमृत कोष सदा हम पर न्योछावर करती रहती हैं। अतः पुस्तकों का वाचन सभी को करना चाहिए। पुस्तकों का भी अपना एक मेला होता है। पुस्तक मेले में तरह-तरह की पुस्तकें होती हैं। वहाँ पर लेखक एवं कवि आते हैं और स्वयं अपनी पुस्तकों के बारे में पाठकों को परिचित कराते हैं। मैं भी सरस्वती भवन द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में गया था।

मेरे साथ मेरे मित्र भी थे। जैसे ही हमने पुस्तक मेले में प्रवेश किया वैसे ही पुस्तक मेले के प्रवेशद्वार पर एक व्यक्ति पुस्तक का मुखौटा पहनकर पुस्तकों के महत्त्व से हमें परिचित कराने लगा हमें बहुत ही अच्छा लगा। जैसे ही हम भीतर गए वैसे ही हमने चारों ओर नजर डाली।

तब हमने देखा कि चारों ओर पुस्तक खरीदने के लिए लोगों की भीड़ एकत्रित हुई है। कई दुकानों पर लोगों का तांता लगा हुआ था। भारतीय भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ एवं महापुरूषों की जीवनी सर्वत्र विक्री हेतु उपलब्ध थी। अंग्रेजी किताबें भी थीं। हिंदी साहित्य की पुस्तकों के बारे में क्या कहना? प्रत्येक दुकान में पंत जी, निराला जी, बच्चन जी, गुप्त जी, सुभद्रा जी, महादेवी जी, अज्ञेय जी, मन्नू भंडारी जी, भारती जी आदि पुस्तक रूप में विराजमान थे।

इन श्रेष्ठ साहित्यकारों के अनुपम ग्रंथ देखकर मैं आनंदविभोर हो गया। इतने में मेरे एक मित्र ने तपाक से कहा, “अरे देखो, हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ वर्तमान साहित्यकार श्री. राम जी तिवारी बच्चों के साथ वार्तालाप कर रहे हैं।”

हम तुरंत उस स्थान पर पहुंच गए जहाँ पर श्री तिवारी जी बच्चों से तन्मयता और सहदयता से बात कर रहे थे। उनके विचार सुनकर हम सब गद्गद हो गए। उन्होंने ‘कितावें करती हैं बातें…’ इस कविता को हमारे सामने अभिव्यक्त करके पुस्तकों के वाचन हेतु जो संस्कार किया, उसका वर्णन करना मेरे लिए कठिन है।

पुस्तक मेले में घूमते-घूमते हमें कई ऐसी किताबों के बारे में पता चला, जिनके नाम भी हमने पहले कभी सुने नहीं थे। पुस्तक मेले में भ्रमण करते समय दो घंटे कब खत्म हुए, इसका पता भी नहीं चला। मनचाही पुस्तकें खरीद कर एवं प्राप्त ज्ञान को मस्तिष्क में संग्रहित कर हम खुशी-खुशी घर की ओर लौट पड़े।

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना Additional Important Questions and Answers

(अ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए। –
i. श्री शोभा सिंह प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
उत्तर:
i. असत्य

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 5

प्रश्न 4.
उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
i. सुंदरता की …………………………. अवस्था सत्य है। (पहली, दूसरी, तीसरी)
उत्तर:
i. पहली

कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. रूहानी
  2. तकनीकी
  3. अवस्था
  4. गहराई

उत्तर:

  1. आत्मिक
  2. प्रविधिक
  3. हालत
  4. गहनता

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए।
i. कल्पना
ii. लकीर
उत्तर:
i. कल्पनाएँ
ii. लकीरें

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. अवस्था
ii. कल्पना
उत्तर:
i. हालत, देहादि की कालकृत स्थिति जैसे बचपन, जवानी, बुढ़ापा, उम्र, स्थिति
ii. नई बात, सोचना, मन की उपज

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
i. सत्य
उत्तर:
i. सच

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प्रश्न 5.
गद्यांश में प्रयुक्त अन्य भाषाओं के शब्द ढूँडकर लिखिए।
उत्तर:
i. रूहानी
ii. कैनवस

कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘रंगों का जीवन में बड़ा महत्व है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
रंगों का व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। रंग चेतन जीव पर गहराई तक असर डालते हैं। रंग व्यक्ति को सिर्फ खुशी ही नहीं देते बल्कि उसके शारीरिक एवं मानसिक विकारों को भी दूर भगाते हैं। रंग व्यक्ति के जीवन में दोहरी भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के तौर पर रंग हमें उत्तेजित करते हैं और हमें शांत भी करते हैं। इसलिए जीवन में रंगों का ज्योतिषीय महत्त्व है। रंगों के बिना व्यक्ति का जीवन नीरस होता है।

इंद्रधनुष के सात रंगों को रंगों का रचयिता माना जाता है। हरा रंग संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। श्वेत रंग शांति का प्रतीक माना जाता है। पीला रंग प्रकाश का प्रतीक माना जाता है, तो गुलाबी रंग कोमलता व सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। नीला रंग एकता व ठंडक का प्रतीक माना जाता है। रंग हमारे विचारों को प्रभावित करते हैं। इसलिए हमारे जीवन में रंगों का विशेष महत्त्व है।

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(आ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
i.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 6

ii.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 7

प्रश्न 2.
प्रस्तुत गद्यांश को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. परछत्ती
ii. तस्वीरें
उत्तर:
i. आँगन में क्या बनी हुई थी?
ii. बचपन में शोभा सिंह जी घर की दीवारें सजाने के लिए क्या बनाने लगे?

कृति आ (3) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. जन्म × ……………
ii. निचली × ……………
उत्तर:
i. मरण
ii. ऊपरी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. घास-फूस का बना छप्पर –
  2. कागज़, चमड़े आदि से मड़ी हुई दफ़्ती या पुस्तक की प्रति –
  3. लकड़ी और किताबों को खानेवाला कीट –

उत्तर:

  1. परछत्ती
  2. जिल्द
  3. दीमक

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प्रश्न 3.
नीचे लिखे शब्दों में से उपसर्ग छाँटिए और संबंधित उपसर्ग से दो अन्य शब्द बनाइए।
i. परछत्ती
उत्तर:
i. परछत्ती : उपसर्ग : पर अन्य शब्द : परदादा, परदादी

प्रश्न 4.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
i. धो-पोंछकर
ii. इर्द-गिर्द

(इ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों
i. रचनात्मक
ii. चाँदना
उत्तर:
i. गद्यांश में किस शक्ति की बात हो रही है?
ii. जलती हुई मोमबत्ती धरती को क्या दे सकती है?

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
i. औरत सब कुछ छोड़कर एक नई और ऊपरी धरती पर चली जाती है।
ii. दो-दो, चार-चार हाथ चाँदना पूरी संस्कृति को प्रभावित कर सकता है।
उत्तर:
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. माँ-बाप
  2. भाई-बहन
  3. दो-दो, चार-चार
  4. ईद-गिर्द

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
i. शक्ति
ii. मोमबत्ती
उत्तर:
i. शक्तियाँ
ii. मोमबत्तियाँ

प्रश्न 3.
‘कलाकार’ इस शब्द में निहित प्रत्यय को पहचानकर संबंधित उपसर्ग लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तरः
कलाकारः प्रत्यय : कार नए शब्द : शिल्पकार, चित्रकार

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प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. किसी लक्ष्य को पाने के लिए किया गया अभ्यास –
  2. रचना से संबंधित –
  3. सभ्य होने का भाव –

उत्तर :

  1. साधना
  2. रचनात्मक
  3. सभ्यता

कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘कला अभिव्यक्ति का माध्यम है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
मन के अंत:करण की सुंदर प्रस्तुति कला होती है। कला में मानसिक व शारीरिक कौशलों का प्रयोग होता है। कला का अर्थ है – रचना करना। चित्रकला, संगीत, काव्य, नृत्य, स्थापत्यकला, रंगमंच आदि कला के विविध रूप हैं। कला के द्वारा मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है। कला मानव, प्राणियों में अमृत भर देती हैं। फिर वह कला संगीत कला हो या चित्रकला। वह अभिव्यक्ति का कुशल साधन बनकर मनुष्य के हृदय पर सकारात्मक प्रभाव निर्माण करती है। कला के द्वारा मनुष्य अपनी संवेदनाएं व अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता रखता है। कला मानवीय मन को सम्मोहित करती है।

कला की अभिव्यक्ति जितनी कुशल होती है। उतनी वह मानव मन पर अपनी छाप छोड़ने में सक्षम होती है। ताजमहल देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों लोग आते हैं। लोग चार मिनार की सैर करते हैं। ये सारी कला ही तो हैं जो अपने अभिव्यक्ति के सशक्त पहिए पर खड़ी हैं। अत: कहा जाता है : अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति कला होती है। वह अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होती है।

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(ई) गद्यांश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।

  1. यहाँ पर चित्रित होकर पड़ा है धरती का यथार्थ –
  2. धरती के यथार्थ –
  3. ये लोप होती जा रही हैं –
  4. गद्यांश में इस अंग्रेजी कवि का नाम आया है –
  5. कवि ब्लेक का कथन –

उत्तर:

  1. जगह-जगह पर व सड़कों की पटरियों पर
  2. भयानक गरीबी और अंतहीन दुखों का इतिहास
  3. जिंदगी की खूबसूरती व जिंदगी की अच्छाई
  4. कवि विलियम ब्लेक
  5. सुंदर ईश्वर को एक गुलाब का फूल बनाने में पचास हजार बरस लगे थे।

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प्रश्न 2.
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।

  1. शोभा सिंह गुरुओं के चित्र बनाते हैं क्योंकि
  2. कला का तब तक कोई प्रभाव नहीं होता जब तक
  3. चित्रकार जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई को चित्रित करना चाहता है क्योंकि

उत्तर:

  1. शोभा सिंह गुरुओं के चित्र बनाते हैं क्योंकि उनके ‘स्वयं’ महान थे।
  2. कला का तब तक कोई प्रभाव नहीं होता जब तक वह कला के लिए होती है।
  3. चित्रकार जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई को चित्रित करना चाहता है क्योंकि वह दिनोंदिन लोप होती जा रही है।

कृति ई (3) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. शोभा सिंह ने कहा कलाकार का कर्म भी एक व्यक्तित्व बनना है तभी कला में उसका प्रभाव आ सकता है।
उत्तर:
शोभा सिंह ने कहा, “कलाकार का कर्म भी एक व्यक्तित्व बनना है, तभी कला में उसका प्रभाव आ सकता है।”

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प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. कलाकार
i. गुरु
उत्तर:
i. कलावती
ii. गुरुआइन

प्रश्न 3.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. खूबसूरती : प्रत्यय : ई
ii. अच्छाई : प्रत्यय : ई

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
i. कल्पना
ii. इतिहास
उत्तर:
i. कल्पना + इक = काल्पनिक
ii. इतिहास + इक = ऐतिहासिक

प्रश्न 5.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. यर्थाथ × ………………..
  2. खूबसूरत × ………………..
  3. फूल × ………………..
  4. महान × …………………

उत्तर:

  1. कल्पित
  2. बदसूरत
  3. काँटा
  4. साधारण

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कृति ई (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘क्या जिंदगी की खूबसूरती व अच्छाई सचमुच लोप होती जा रही है ?’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जिंदगी खूबसूरती व अच्छाई का नाम है। जिंदगी में जो कुछ प्राकृतिक है, वह सब ईश्वर निर्मित है। इंसान की जिंदगी में उसके कर्म बहुत ही मायने रखते हैं। वह जो कुछ करता है उसी के आधार पर उसकी जिंदगी भविष्य के रास्ते बनाती है। इंसान का अच्छा कर्म उसे अच्छाई की ओर ले जाता है। इंसान को जो यह अनमोल जीवन मिला है वह बहुत ही खूबसूरत है। इंसान का यह कर्तव्य है कि वह इस सुंदर जीवन को और खूबसूरत बनाए।

लता दीदी अपनी सुमधुर आवाज के लिए विश्व भर में पहचानी जाती हैं। सचिन क्रिकेट खेल जगत का भगवान बन गया है। अमिताभ बच्चन जी अपनी उत्कृष्ट अदाकारी के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। अत: मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि आज जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई लोप होती जा रही है। अपनी जिंदगी को खूबसूरत एवं अच्छा रखना प्रत्येक मनुष्य के हाथ में ही है।

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति छ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों पूर्ति किजिए।
i. क्या प्रसाद सिर्फ …….. होता है? (बूंदी, लड्डू, पेड़ा)
उत्तर:
i. बूंदी

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना 8

कृति उ (3) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. अमौर
  2. प्रसाद
  3. दर्शक

उत्तर:

  1. रईस
  2. अनुग्रह
  3. देखनेवाला

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द के लिए अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. प्रसाद
उत्तर:
i. कृपा, भगवान को चढ़ाई गई वस्तु, अनुग्रह

प्रश्न 3.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. कला का प्रदर्शन करने वाला –
उत्तरः
कलाकार

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. दर्शक
ii. अमल
उत्तर:
i. दशक
ii. कमल

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कृति ङ (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘कलाकार की शक्ति उसके चिंतन में है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
कलाकार वह होता है जो अपनी अद्भुत कला से सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है और सभी के हृदय पर छाप छोड़ देता है। फिर वह कलाकार चित्रकार हो या कवि। कलाकार के पास अद्भुत शक्तियाँ होती हैं। नित्य साधना, चिंतन व मनन के जरिए कलाकार को कलात्मक शक्तियों की प्राप्ति होती है। भारत के महान गायक मोहम्मद रफी साहब के स्वरों में जो जादू था, वह उन्हें एक दिन में नहीं प्राप्त हुई। उसके लिए उन्होंने बचपन से रियाज़ करना शुरू कर दिया था।

दिन के दस-दस घंटे तक वे संगीत का अभ्यास करते थे। अपनी कड़ी तपस्या के कारण ही वे महान गायक बने थे। चिंतन के बिना कलाकार की प्रतिभा खिल नहीं सकती। चिंतन-रूपी तपस्या के बाद ही कलाकार की प्रतिभा पर दिव्य फल लगना शुरू होता है। कवि भी कविता लिखने के पहले चिंतन करता है। महर्षि वाल्मीकी की जीवनी से कौन परिचित नहीं है? उन्होंने भी ‘रामायण’ लिखने से पहले कड़ी साधना एवं चिंतन किया था। तब जाकर वे ‘रामायण’ जैसे महाकाव्य की रचना कर सकें। अत: कलाकार के लिए चितन करना बेहद जरूरी होता है।

चार हाथ चाँदना Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : अमृता प्रीतम जी का जन्म सन 1919 में पंजाब के गुजरांवाला में हुआ। ये पंजाबी एवं हिंदी भाषा की प्रतिभाशाली साहित्यकार थीं। इन्होंने अपनी प्रतिभा से साहित्य के सभी विधाओं जैसे उपन्यास, कविता, कहानी, संस्मरण, आत्मकथा आदि को समृद्ध किया है। इन्हें ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी एवं पद्म विभूषण आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को झझकोरने का प्रयास किया है।
प्रमुख कृतियाँ : “पिंजर’, ‘कोरे कागज’, ‘सागर और सीपियाँ’ (उपन्यास), ‘रसीदी टिकट’ (आत्मकथा), ‘कच्चा आँगन’, ‘एक थी सारा’ (संस्मरण), ‘हीरे दी कनी’, ‘इक शहर दी मौत’, ‘तीसरी औरत’ (कहानी संग्रह) आदि हिंदी में अनूदित।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

गद्य-परिचय :

साक्षात्कार : दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच किसी विशेष उद्देश्य से प्रत्यक्ष बातचीत एवं विचारों का आदान-प्रदान साक्षात्कार कहलाता है। इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से प्रश्न पूछता है और दूसरा व्यक्ति प्रश्नों के उत्तर देता है।
प्रस्तावना : ‘चार हाथ चाँदना’ इस साक्षात्कार में लेखिका अमृता प्रीतम जी ने पंजाब के प्रसिद्ध चित्रकार श्री शोभा सिंह जी से उनके अनुभव एवं चित्रकला विषय से संबंधित प्रश्न पूछे हैं। श्री शोभा सिंह ने भी उनके प्रश्न के उत्तर विस्तारपूर्वक दिए हैं।

सारांश :

‘चार हाथ चाँदना’ यह साक्षात्कार है। पंजाब की सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृता प्रीतम जी ने चित्रकार श्री शोभा सिंह जी का साक्षात्कार लिया है। अमृता जी ने श्री शोभा सिंह से कलाकार के कर्म की व्याख्या, चित्रकला चुनने का कारण, माँ का महत्त्व, धरती का भयानक यथार्थ व कलाकार की चिंतन शक्ति आदि मुद्दों पर प्रश्न पूछे हैं। श्री शोभा सिंह ने भी सभी प्रश्नों के विस्तार के साथ उत्तर दिए हैं। उनके अनुसार ‘सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्’ के क्रम में बदलाव की जरूरत है। वह ‘सुंदरम्, शिवम्, सत्यम्’ इस प्रकार होना चाहिए। शोभा जी को चित्रकारी का शौक बचपन से था। वे जब आठ साल के थे तब उन्होंने खयाली घर की दीवारें सजाने के लिए तस्वीरें बनाई थीं।

वे औरत को माँ के तौर पर महत्त्व देते हैं। वे कहते हैं कि माँ के पास रचनात्मक शक्ति होती है। उसके पास साधना, दैवी शक्ति, कला एवं ज्ञान का भंडार होता है। अत: वह ‘जीनियस’ होता है। उनके अनुसार सच्चे कलाकार का कर्म एक छोटी सी जलती हुई मोमबत्ती की भाँति होता है जो अपने आस-पास की धरती को प्रकाशित करता है। श्री शोभा सिंह धरती के यथार्थ को चित्रों में स्थान नहीं देना चाहते।

वे जिंदगी की खूबसूरती एवं अच्छाई को कागज पर चित्रित करते हैं क्योंकि वह दिनोंदिन लोप होती जा रही है। उनका मानना है कि कलाकार का कर्म एक व्यक्तित्व बनना है, तब कला में उसका प्रभाव आ सकता है। कलाकार की शक्ति उसके चिंतन में होती है और कलाकार दर्शक को एक अच्छी सोच व सूझ दे सकने का कार्य करता है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 चार हाथ चाँदना

शब्दार्थ :

  1. चाँदना – प्रकाश
  2. परछत्ती – घास-फूस का बना छप्पर
  3. रूहानी – आत्मिक
  4. तकनीकी – प्राविधिक
  5. अवस्था – हालत
  6. गहराई – गहनता
  7. दर्शक – देखनेवाला
  8. यर्थाथ – सत्य
  9. अंतहीन – कभी न खत्म होनेवाला

मुहावरे :

भुलावा हो जाना – भ्रम हो जाना।

Class 10 Hindi Lokvani Textbook Solutions

Class 10 Hindi Chapter 6 Ati Sohat Shyam Ju Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 6 Ati Sohat Shyam Ju Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokvani 10th Digest Chapter 6 अति सोहत स्याम जू  Questions And Answers

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Textbook Questions and Answers

सुचना के अनुसर क्रुतिया कीजिए।

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 2

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 4

3. कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –

प्रश्न 1.
कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –
उत्तर:
(अ) गोकुल में ग्वाला बनकर रहना चाहते हैं।
(आ) गोकुल के बने में पशु बनकर चरना चाहते हैं।
(इ) गोकुल में स्थित गिरिधर पर्वत का पत्थर बनकर रहना चाहते हैं।
(ई) यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ पर पक्षी बनकर रहना चाहते हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

प्रश्न 4.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 6

प्रश्न 5.
पद्य में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।

  1. शोभा देता है
  2. ग्वाल-बालाएँ
  3. गोरस देने वाली
  4. शुक मुनि

उत्तरः

  1. सोहत
  2. अहीर की छोहरियाँ
  3. धेनु
  4. सुक

6. निम्न शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:
image 7

प्रश्न 2.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए:

  1. जिसके कोई खंड नहीं होते – …..
  2. छाछ रखने का छोटा पात्र – ………
  3. जिसका कोई अंत नहीं होता – ……
  4. जो सदैव चलता रहता है – ……….

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

7. कृदंत व तद्धित शब्दों के मूल शब्द पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
कृदंत व तद्धित शब्दों के मूल शब्द पहचानकर लिखिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 8
उत्तरः
झगड़ालू, मुस्कान, सांस्कृतिक, रसीला,
खिलाड़ी, कहानी, जगमगाहट, सुखी।

कृदंत शब्दतद्धित शब्द
1. जगमगाना1. रस
2. मुस्कुराना2. झगड़ा
3. कहना3. संस्कृति
4. खेलना4. सुख

8. किसी एक पद का सरल अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
किसी एक पद का सरल अर्थ लिखिए।
सेस, गनेस ……………
…………… नाच नचावें।
उत्तरः
कवि रसखान कहते हैं कि कृष्ण तो प्रेमरूपी भक्ति के प्यासे हैं। शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य एवं इंद्र जिसके गुणों की हमेशा प्रशंसा करते हैं; जिन्हें अनादि, अनंत, अखंड, अछेद, अभेद और सुवेद बनाते हैं, ब्रह्म ऋषि नारद, शुकदेव व महाकवि व्यास जैसे तपस्वी जिनके नाम की निरंतर रट लगाते रहते हैं और प्रयत्न करने के बावजूद भी उनका पार नहीं पा सकें, ऐसे कृष्ण को अहीर कन्याएँ (ग्वालिने) कटोरे भर छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –
उत्तर:
(अ) गोकुल में ग्वाला बनकर रहना चाहते हैं।
(आ) गोकुल के बने में पशु बनकर चरना चाहते हैं।
(इ) गोकुल में स्थित गिरिधर पर्वत का पत्थर बनकर रहना चाहते हैं।
(ई) यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ पर पक्षी बनकर रहना चाहते हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 9

कृति अ (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. मानुष
  2. कालिंदी
  3. गिरि
  4. धेनु
  5. पाहन

उत्तर:

  1. मानव
  2. यमुना
  3. पर्वत
  4. गाय
  5. पत्थर

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
1. बसेरा
2. डाल
उत्तर:
1. बसेरे
2. डालें

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

प्रश्न 3.
पद्यांश में प्रयुक्त तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. धेनु
  2. गिरि
  3. खग
  4. नित

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
1. गाँव
2. गोकुल
उत्तर:
1. गाँववासी
2. गोकुलवासी

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने आराध्य की जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आराध्य वह होता है जिसकी हम आराधना करते हैं। आराध्य के बिना जीवन का अर्थ प्राप्त नहीं हो सकता। अतः प्रत्येक व्यक्ति के अपने-अपने आराध्य होते हैं। अपने आराध्य की जन्मभूमि से लगाव होना, स्वाभाविक है। प्रति वर्ष हजारों-लाखों लोग अयोध्या, मथुरा-ब्रज आदि देवस्थान और अपने आराध्य देव के देवस्थलों की यात्रा करते हैं।

अपने आराध्य की जन्मभूमि को भेंट देकर लोग इसमें अपनी धन्यता समझते हैं। वहाँ पर जाकर उन्हें दिव्य आनंद की अनुभूति होती है। साधकों को ऐसा लगता है मानो वे स्वर्ग में ही आ पहुँचे हैं। आराध्य की जन्मभूमि भक्तों के लिए तीर्थस्थल होती है। ऐसे तीर्थस्थलों पर जाकर भक्त मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। अत: अपने आराध्य की जन्मभूमि सभी को प्रिय होती है।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 10

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 11

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्न अर्थ लिखिए।
1. चोटी
2. निधि
उत्तर:
1. स्त्री के सिर के गूंथे हुए बाल, पर्वत शिखा
2. संपत्ति, आश्रयस्थान

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तद्भव शब्द का तत्सम रूप लिखिए।
काग
उत्तर:
काक

प्रश्न 3.
उचित प्रत्यय लगाकर नया शब्द लिखिए।
1. कला
2. सुंदर
उत्तर:
1. कलापूर्ण
2. सुंदरता

प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. चोटी
2. कला
उत्तर:
1. चोटियाँ
2. कलाएँ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1.धूरि
2. निधि
उत्तर:
1. धूल
2. संपत्ति

कृति आ (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बाल कृष्ण का मनोहारी वर्णन करते हुए कवि ने कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति समर्पित कर दी है।’ कथन का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तरः
कवि रसखान कृष्ण के असाधारण भक्त थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी भक्ति को कृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया था। भगवान कृष्ण की लीलाओं से सभी परिचित है। उन्होंने गोकुल में जन्म लिया था और वे जन्म से ही अपने भक्तों का उद्धार करते रहे। अत: उनकी बालसुलभ क्रियाएँ एवं उनकी बचपन की लीलाओं का मनोहारी वर्णन कर सभी पाठकों को कृष्ण भक्ति में एकाकार करना कृष्ण प्रेमी कवियों का प्रमुख लक्ष्य रहा और साथ ही अपने इष्ट का वर्णन करते हुए उसके साथ एकाकार होना यह भी प्रमुख उद्देश्य रहा। कवि रसखान इससे अपवाद नहीं हैं। उन्होंने बड़ी ही तन्मयता से कृष्ण के बालरूप का मनोहारी वर्णन करके अपनी भक्ति को कृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 12

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. ग्वाले
2. कृष्ण
उत्तरः
1. कौन पुकार कर हँस रहे थे?
2. कवि की आँखों में किसकी छबि बस गई है?

3. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि रसखान की आँखें बौरा हो गई हैं।
उत्तरः
कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखें बौरा हो गई हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।
1. वनमाला
2. मूर्ति
उत्तरः
1. वनमालाएँ
2. मूर्तियाँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. पाग
  2. भाल
  3. हिय
  4. नैन

उत्तरः

  1. पगड़ी
  2. मस्तक
  3. हृदय
  4. आँखें

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बाल कृष्ण की छबि देखकर अपने मन में आए विचारों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तरः
बाल कृष्ण भगवान कृष्ण का बचपन का रूप था, जो मोहक एवं सभी को अपनी ओर आकर्षित करता था। मैंने कई बार बाल कृष्ण की छबि देखी है। इतना ही नहीं, मैंने दूरदर्शन पर कई धारावाहिक भी देखे हैं; जिसमें कृष्ण के बालरूप को बड़े ही मनोहारी एवं आकर्षक रूप में दर्शाया गया है। बाल कृष्ण के सुंदर व मुग्ध रूप को देखकर मैं आनंदविभोर हो गया हूँ। कोमल, श्यामल रंग, हाथ में बाँसुरी लिए हुए वे बहुत आकर्षक लगते है। उनकी छबि दिव्य और बड़ी ही मोहक है।

(ई) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू 13

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1. अहीर
2. दिनेश
उत्तरः
1. ग्वाला
2. सूर्य

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

प्रश्न 2.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।
1. जिसके कोई खंड नहीं होते –
2. जिसका कोई अंत नहीं होता –
3.  छाछ रखने का छोटा पात्र –
4.  जो सदैव चलता रहता है –
उत्तरः
1. अखंड
2. अनंत
3. छछिया
4. निरंतर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाइए।
खंड:
उत्तरः
उपसर्गयुक्त शब्द : अखंड
प्रत्यययुक्त शब्द : अखंडता

प्रश्न 4.
पद्यांश में से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः

  1. अनंत
  2. अभेद
  3. अखंड
  4. अनादि

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के भिन्न अर्थ लिखिए।
व्यास
उत्तरः
महर्षि व्यास, कथावाचक, ज्यामिति

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘ईश्वर सच्चे और निष्कपट भक्ति का प्यासा होता है।’ कथन विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
ईश्वर सच्चे प्रेम का भूखा होता है। वह सच्चे मन से की गई भक्ति पर प्रसन्न होता है और अपने भक्तों को स्वयं के दर्शन कराता है। उसे पाने के लिए हमें दिन-रात उसके नाम का जप करने की जरूरत नहीं होती। उसका दिन-रात भजन करना भी आवश्यक नहीं होता। उसे तो सच्चा भक्त कभी भी सच्चे हृदय से पुकार सकता है।

जब अंतर्मन से निकलने वाली पुकार में सच्चे मन की भक्ति की एकाग्रता हो, तो वह स्वयं अपने भक्तों की पुकार पर सहायता के लिए आ जाता है। गोकुल में रहने वाली ग्वालिने कृष्ण से सच्चे हृदय से प्रेम करती थीं। अत: वे उनके साथ नाचते-गाते थे और उनसे माखन पाने के लिए हठ करते थे। संत कबीर ने भी अपनी रचनाओं के द्वारा यही समझाया है कि ईश्वर को पाने के लिए हमें धार्मिक आडंबरों की जरूरत नहीं होती। उसे तो सच्चे हृदय से प्राप्त किया जा सकता है।

अति सोहत स्याम जू Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: रसखान जी का जन्म सन १५९० में उत्तर प्रदेश के पिहानी, मथुरा में हुआ। इनका मूलनाम सैयद इब्राहिम था। ये भगवान श्रीकृष्ण के अनन्यसाधारण भक्त थे। हिंदी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में इनका प्रमुख स्थान है। इनकी अधिकांश रचनाएँ भगवान कृष्ण के लिए समर्पित हैं। इनकी रचनाओं में भक्ति एवं श्रृंगार रस की प्रधानता है। इन्होंने श्रीकृष्ण के सगुण रूप को बड़े ही मनोहारी ढंग से अभिव्यक्त किया है।

प्रमुख कृतियाँ: ‘प्रेमवाटिका’ (दोहे), ‘सुजान रसखान’ (कवित्त, सवैया) आदि।

पद्य-परिचय:

सवैया: सवैया मात्रिक छंद का एक प्रकार है। इसमें चार चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में २२ से २६ वर्ण होते हैं। रीतिकाल में ।
विभिन्न प्रकार के सवैया प्रचलित रहे हैं।

प्रस्तावना: ‘अति सोहत स्याम जू’ इस रचना में कवि रसखान ने श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति लगाव, बालकृष्ण का मनोहारी वर्णन ।
एवं उसे पाने के लिए हृदय में सच्ची भक्ति की आवश्यकता जैसे बिंदुओं का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

सारांश:

कवि रसखान भगवान श्रीकृष्ण के अनन्यसाधारण भक्त थे। उन्हें श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति बेहद लगाव है। वे कृष्ण-भक्ति में एकाकार हो गए हैं। वे श्रीकृष्ण से अलग होना नहीं चाहते हैं। वे सदैव उनका सानिध्य चाहते हैं। इसलिए वे अगले जन्म में किसी भी योनी में जन्म लें फिर भी वे गोकुल से अलग होना नहीं चाहते। वे गोकुल में उपस्थित किसी भी प्राकृतिक अंश में बस जाना चाहते हैं। कवि रसखान ने बालकृष्ण का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है।

कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखे उन्मुक्त हो गई हैं। श्रीकृष्ण सच्ची भक्ति के द्वारा तुरंत मिल सकते हैं। उन्हें पाने के लिए भक्त को सच्चे हृदय से उन्हें पुकारने की आवश्यकता होती है। श्रीकृष्ण सच्ची भक्ति के प्यासे हैं। उनके दर्शन के लिए निरंतर जाप की आवश्यकता नहीं होती। श्रीकृष्ण भी सच्चे भक्त की पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए तत्पर हो जाते हैं। इस प्रकार प्रस्तुत रचना के माध्यम से कवि रसखान ने अपनी भक्ति श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दी है।

भावार्थ:

1. मानुष …………………….. कूल कंदब की डारन।।

कवि रसखान कृष्णभक्त थे। उन्हें श्रीकृष्ण के जन्मभूमि के प्रति बेहद लगाव है। वे प्रत्येक स्थिति में श्रीकृष्ण का सानिध्य चाहते हैं। वे । भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए कहते हैं कि यदि अगले जन्म में मनुष्य बनूँ, तो गोकुल के ग्वालों और गायों के बीच रहना पसंद करूँगा। ,
यदि मैं पशु की योनि में जन्म लेता हूँ, तो हमेशा नंद की गायों के साथ चरना चाहूँगा। यदि मैं पत्थर बनूँ, तो उसी पर्वत का पत्थर बनूँ जिसे । इंद्र के कारण भगवान कृष्ण ने अपनी उँगली पर धारण कर लिया था। यदि पक्षी बनूँ, तो यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ की । डाल पर अपना बसेरा निर्माण करूँ।

2. धूरि भरे अति ……………….. माखन रोटी।

कवि रसखान ने प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से बालकृष्ण का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है। बालकृष्ण धूल से सने हुए अत्यंत मोहक लग रहे हैं। उनके सिर पर चोटी शोभायमान हो रही है। उन्होंने कमर में पीली धोती पहनी हुई है तथा पैरों में पैजनियाँ बज रही है। वे पूरे आँगन में खाते-खेलते घूम रहे हैं। रसखान कहते हैं कि उनकी छवि देखकर कामदेव अपनी करोड़ों कलाओं की निधि निछावर करते हैं। सचमुच । वह कौआ बहुत ही भाग्यशाली है जो बालकृष्ण के हाथ से माखन रोटी को छीन कर ले उड़ा है।

3. सोहत हे चॅदवा ………………………. माँझ बसी है।

कवि रसखान कृष्ण के बालरूप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उनके सिर पर मोर मुकुट शोभायमान है। उन्होंने अपने सिर पर बड़ी । सुंदर पगड़ी बाँध रखी है। उनके मस्तक पर गायों के पैरों से उड़नेवाली धूल वैसे ही शोभा दे रही है जैसे हृदय पर वनमाला शोभित हो रही है। कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखे मारे खुशी के पागल हो गई हैं। उनकी बंद आँखों को देखकर ग्वाले उन्हें पुकारकर हँस रहे हैं, मानो वे उन्हें अपनी आँखा से पलकों के घूघट खोलने के लिए कह रहे हैं। किंतु कवि रसखान के सामने समस्या यह है कि वे अपनी पलकें नहीं खोल सकते क्योंकि कृष्ण की छवि उनकी आँखों में बस गई है।

4. सेस, गनेस ………………… नाच नचावें।

कवि रसखान कहते हैं कि कृष्ण तो प्रेमरूपी भक्ति के प्यासे हैं। शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य एवं इंद्र जिनके गुणों की हमेशा प्रशंसा करते हैं; जिन्हें अनादि, अनंत, अखंड अछेद, अभेद और सुवेद बताते हैं। ब्रह्म ऋषि नारद, शुकदेव व महाकवि व्यास जैसे तपस्वी जिनके नाम को निरंतर रटते रहते हैं और प्रयत्न करने के बावजूद भी उनका पार नहीं पा सके, ऐसे कृष्ण को अहीर कन्याएँ (ग्वालिने) कटोरे भर । छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

शब्दार्थ:

  1. मानुष – मानव
  2. धूरि – धूल
  3. हिय – हृदय
  4. गिरि – पर्वत
  5. पाग – पगड़ी
  6. अहीर – ग्वाला, आभीर
  7. धेनु – गाय
  8. भाल – मस्तक
  9. पाहन – पत्थर
  10. दिनेश – सूर्य
  11. छाछिया – छाछ रखने का छोटा पात्र
  12. वारत – निछावर करना
  13. लसी – सुशोभित होना
  14. बिलोकत – देखना
  15. पचिहारे – हार जाना
  16. जू – जी
  17. पीरी – पीले रंग की
  18. कछोटी – कमर में लपेटी जानेवाली धोती
  19. दृग – आँख
  20. कूल – तट, किनारा
  21. काग – कौआ

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सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

(१) संजाल पूर्ण कीजिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 1
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 4

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

(२) कृति में जानकारी लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 3
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 2

(३) उत्तर लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 5
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 6

(४) निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय और मूलशब्द अलग करके लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 7
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 8

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

(५) उपसर्ग तथा प्रत्यययुक्त शब्द बनाकर लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 9
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 19
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 11

अभिव्यक्ति

‘सादा जीवन, उच्च विचार’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
सादा जीवन यानी सादगी से भरा जीवन। सादे जीवन में सौंदर्य होता है। ऐसा जीवन तन को ही नहीं मन को भी सुंदर बना देता है। सुंदर शरीर और शांत मन ही उच्च विचार को प्रेरित करता है। यदि व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होना है, तो उसे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए। जीवन का सच्चा लाभ आराम का जीवन बिताने में नहीं, बल्कि महान बनने में है।

सफल महापुरुषों के जीवन में प्रकाश डालने से हमें पता चलता है कि उन्होंने ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ को अपने जीवन में उतारा है। जीवन में सादगी लाना बहुत ही बड़ा महान गुण है। इसे स्वीकार करने से व्यक्ति तुच्छ विचारों को अपने हृदय से दूर कर देता है। सादगी से भरा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति के पास गहरी संवेदना होती हैं जो व्यक्तित्व को गरिमा प्रदान करती है। इसलिए व्यक्ति को ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ इस सिद्धांत को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

भाषा बिंदु

(१) निम्नलिखित संधि विच्छेद की संधि कीजिए और भेद लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 12
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 13

(२) निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए और भेद लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 14
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 15

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

(३) निम्नलिखित शब्दों का विच्छेद कीजिए और संधि भेद लिखिए:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 16
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 17

(४) पाठों में आए संधि शब्द छाँटकर उनका विच्छेद कीजिए और संधि का भेद लिखिए।

Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 18

उपयोजित लेखन

‘यदि मैं शिक्षा मंत्री होता —–‘ विषय पर लगभग सौ शब्दों में निबंध उपयोजित लेखन लिखिए।
Answer:
यदि मैं शिक्षा मंत्री होता….. जीवन में शिक्षा का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा के द्वारा व्यक्ति का मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक व आर्थिक विकास होता है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश के पाठ्यक्रम एवं शिक्षा प्रणाली पर ध्यान रखा जाता है। शिक्षा मंत्री शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख होते हैं। देश में शिक्षा प्रणाली सुचारू रूप से कार्यान्वित हो रही है या नहीं, इस पर ध्यान एवं नियंत्रण रखने का कार्य शिक्षा मंत्री करते हैं। सचमुच शिक्षा मंत्री एक बहुत बड़ा महत्त्वपूर्ण पद है। मैं भी भविष्य में बड़ा होकर देश का शिक्षा मंत्री बनना चाहता हूँ।

जब मैं शिक्षा मंत्री बनूँगा; तब मैं संपूर्ण देश में शिक्षा का कार्य सुचारू रूप से हो रहा है या नहीं इस पर ध्यान रखूगा। देश की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में एकरूपता लाने हेतु में सभी शिक्षा मंडलों का एकीकरण करूँगा; जिससे देश में एक ही प्रकार की शिक्षा प्रणाली सभी के लिए उपलब्ध हो सके। आज कई स्कूल एवं महाविद्यालयों की हालत बहुत ही दयनीय है। कई स्कूलों में संसाधनों की कमी है। कई स्कूलों में छात्रों को बैठने के लिए कुर्सियाँ तथा पर्याप्त शैक्षणिक साधन भी नहीं है। कई स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इन सारी समस्याओं को तुरंत सुलझाने के लिए मैं शिक्षा मंत्री होने के नाते एक समिति की स्थापना करूँगा। इससे किसी भी नगर या गाँव का छात्र शिक्षा के मूलभूत अधिकारों से वंचित नहीं रह पाएगा।

संपूर्ण देश के पाठ्यक्रम में मैं समयानुसार परिवर्तन करने हेतु विद्वान सदस्यों की एक समिति गठित करूँगा; ताकि भूमंडलीकरण एवं विज्ञान-तकनीकी के इस युग में भारतीय छात्र आगे ही आगे बढ़ सकें। आज हमारे देश में शिक्षकों को दिया जाने वाला वेतन बहुत ही कम है। इसके लिए मैं शिक्षकों के लिए एक नए वेतनमान प्रणाली की शुरुआत करूँगा, जिससे अच्छे से अच्छे उम्मीदवार शिक्षा क्षेत्र से जुड़कर ज्ञान के प्रचार-प्रसार का पवित्र कार्य करने के लिए आगे आ सकें। अब तो बस, यही मेरा ध्येय है। इसे साकार करने के लिए सर्वप्रथम मुझे मन लगाकर पढ़ना होगा। फिर मैं अपने विचारों को वास्तविक रूप में परिवर्तित कर सकता हूँ।

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति Additional Important Questions and Answers

निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (१): आकलन कृति

कृति पूर्ण कीजिए।

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Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 21

समझकर लिखिए।

Question 1.
सच्चे व्यक्तित्व की विशेषता
Answer:
सच्चे व्यक्तित्व में कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं है।

निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।

Question 1.
लेखिका ने राजेंद्र बाबू को सर्वप्रथम गद्यात्मक वातावरण में देखा।
Answer:
सत्य

Question 2.
सत्य में से जोड़ना या घटाना असंभव नहीं रहता।
Answer:
असत्य

कृति अ (२) : शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. नजर
  2. प्रणाम
  3. पक्षी
  4. याद

Answer:

  1. दृष्टि
  2. अभिवादन
  3. विहंगम
  4. स्मृति

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निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
व्यक्ति की विशेषता या गुण
Answer:
व्यक्तित्व

Question 2.
शीत ऋतु में होनेवाली छुट्टियाँ
Answer:
शीतावकाश

निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।

Question 1.
विहंगम
Answer:
पक्षी, नभ यात्री, सम्यक

Question 2.
गद्यांश में प्रयुक्त एक विलोम शब्द की जोड़ी लिखिए।
Answer:
जोड़ना x घटाना

निम्नलिखित शब्द के उपसर्गयुक्त व प्रत्यययुक्त शब्द बनाइए।

Question 1.
सत्य
Answer:
उपसर्गयुक्त शब्द – असत्य, प्रत्यययुक्त शब्द – सत्यवादी

Question 2.
संभव
Answer:
उपसर्गयुक्त शब्द – असंभव, प्रत्यययुक्त शब्द – संभावित

लिंग बदलिए।

  1. बाबू
  2. भाई

Answer:

  1. बबुआइन
  2. बहन

कृति अ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
सच्चे व्यक्तित्व की पहचान का आधार बताइए।
Answer:
सच्चा व्यक्तित्व हर समय वास्तविक होता है। सच्चे व्यक्ति का चरित्र प्रकाश की तरह दिव्य व पावन होता है। उसके चरित्र बल के आलोक से लोगों को प्रेरणा मिलती है। उसके विचार आदर्शवादी होते हैं। वह अपने विचारों से ही स्वयं के चरित्र का निर्माण करता है। वह दूसरों की भावनाओं को समझता है। उसके पास दया, प्रेम, करुणा, क्षमा आदि मानवीय गुण होते हैं। वह सदैव दूसरों के हित के बारे में ही सोचता रहता है।

वह कभी भी स्वयं के स्वार्थ का विचार नहीं करता है। उसका जीवन सादा होता है। ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ ही उसके जीवन का मूलमंत्र होता है। सच्चे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति दूसरों की परेशानियों को अपने हृदय के भीतर महसूस करता है और दूसरों को पीड़ा से मुक्ति दिलाने हेतु प्रयास करता है। वह स्वयं तकलीफों में रहकर दूसरों के जीवन में खुशियाँ निर्माण करता है। प्रश्न २ (आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 23
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 22

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कृति आ (२): शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. रोमिल
  2. भृकुटी
  3. ठुड्डी
  4. वेशभूषा

Answer:

  1. रोयेंदार
  2. भौंह
  3. ठोढ़ी
  4. पहनावा

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
स्वच्छंद रहने के भाव
Answer:
स्वच्छंदतावाद

विलोम शब्द लिखिए।

  1. ग्रामीण x ….
  2. आवरण x …..

Answer:

  1. ग्रामीण x शहरी
  2. आवरण x अनावरण

Question 1.
गद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:

  • दाहिना x बाँया
  • ऊपर x नीचे

निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए।

  1. फेंटा
  2. धोती
  3. टोपी
  4. भृकुटी

Answer:

  1. फेंटे
  2. धोतियाँ
  3. टोपियाँ
  4. भृकुटियाँ

निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।

  1. शरीर
  2. दृष्टी

Answer:

  1. शारीरिक
  2. दृष्टिहीन

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निम्नलिखित वाक्यों में विराम चिह्न का उचित प्रयोग कीजिए।

Question 1.
क्या गांधी टोपी की स्थिति और भी विचित्र नहीं थी
Answer:
क्या गांधी टोपी की स्थिति और भी विचित्र नहीं थी?

कृति आ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘व्यक्तित्व का आईना होती है वेशभूषा।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
व्यक्ति का पहनावा या उसकी वेशभूषा उसके व्यक्तित्व का आईना होती है। वह मानव के संपूर्ण जीवन को प्रभावित करती है। यदि आप किसी औपचारिक मीटिंग या कार्यालय में जा रहे हैं तो आप रंग-बिरंगी टी-शर्ट और शॉर्टस् पहनकर जाते हैं तो आप हँसी के पात्र बन सकते हैं या आपके व्यक्तित्व पर इसका गलत असर पड़ सकता है।

यदि आप अनौपचारिक समारोह या पार्टी में सुट पहन कर जाएंगे, तो भी आप बचकाने लगेंगे। यदि व्यक्ति पदवी या पद में बड़ा है; तो उसकी वेशभूषा उसके अनुसार या उससे अधिक फॉर्मल होनी चाहिए। व्यक्ति को स्वच्छ एवं साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। कपड़े अच्छी तरह से प्रेस होने चाहिए। वेशभूषा सादगी से युक्त होनी चाहिए। स्वामी विवेकानंद धोती, कुर्ता व पगड़ी पहनकर विदेश में गए थे। व्यक्ति को अपनी संस्कृति की वेशभूषा में रहना अधिक उचित और श्रेयस्कर है।

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति इ (१): आकलन

ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हो

Question 1.
भारतीय कृषक
Answer:
राजेंद्र बाबू अपने स्वभाव एवं रहन-सहन में किसका प्रतिनिधित्व करते थे ?

Question 2.
राजेंद्र बाबू
Answer:
लेखिका को किसकी मुखाकृति देखकर ऐसा लगता था मानो उन्हें पहले कहीं देखा है?

सही विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।

Question 1.
राजेंद्र बाबू को देखने वालों को कोई-न-कोई आकृति या व्यक्ति स्मरण हो आता था क्योंकि …..
(अ) उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक असामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी।
(आ) उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी।
(इ) उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक महापुरुष की आकृति और गठन की छाया थी।
Answer:
राजेंद्र बाबू को देखने वालों को कोई-न-कोई आकृति या व्यक्ति स्मरण हो आता था क्योंकि उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी।

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समझकर लिखिए।

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Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 24

कृति इ (२) : शब्द संपदा

Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:

  • साथ – साथ
  • रहन – सहन

वचन बदलिए।

  1. आकृति
  2. अनुभूति
  3. संवेदना

Answer:

  1. आकृतियाँ
  2. अनुभूतियाँ
  3. संवेदनाएँ

Question 1.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
Answer:
प्रत्यययुक्त शब्द : व्यापकता, सामान्यता, विशिष्टता प्रत्यययुक्त शब्द : गहराई

Question 2.
‘अनुभव’ इस शब्द में निहित उपसर्ग से अन्य दो शब्द बनाकर लिखिए।
Answer:
अनुभव – उपसर्ग : अनु ।
नए शब्द –
अनुकरण
अनुसरण

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निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

  1. समान x ……..
  2. सामान्य x ….

Answer:

  1. समान x असमान
  2. सामान्य x असामान्य

नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।

  1. समान
  2. प्रतिभा
  3. उपरांत

Answer:

  1. सामान
  2. प्रतिमा
  3. अपरांत

कृति इ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘सादा जीवन उच्च विचार’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
सादा जीवन यानी सादगी से भरा जीवन। सादे जीवन में सौंदर्य होता है। ऐसा जीवन तन को ही नहीं मन को भी सुंदर बना देता है। सुंदर शरीर और शांत मन ही उच्च विचार को प्रेरित करता है। यदि व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होना है, तो उसे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए। जीवन का सच्चा लाभ आराम का जीवन बिताने में नहीं, बल्कि महान बनने में है।

सफल महापुरुषों के जीवन में प्रकाश डालने से हमें पता चलता है कि उन्होंने ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ को अपने जीवन में उतारा है। जीवन में सादगी लाना बहुत ही बड़ा महान गुण है। इसे स्वीकार करने से व्यक्ति तुच्छ विचारों को अपने हृदय से दूर कर देता है। सादगी से भरा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति के पास गहरी संवेदना होती हैं जो व्यक्तित्व को गरिमा प्रदान करती है। इसलिए व्यक्ति को ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ इस सिद्धांत को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ई (१) : आकलन कृति
कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 27
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 30

निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।

Question 1.
राजेंद्र बाबू चक्रधर जी के निजी सचिव थे।
Answer:
चक्रधर जी राजेंद्र बाबू के निजी सचिव थे।

Question 2.
राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र बाबू महिला विद्यापीठ का शिलान्यास करने प्रयाग आए।
Answer:
काँग्रेस के अध्यक्ष के रूप में राजेंद्र बाबू महिला विद्यापीठ का शिलान्यास करने प्रयाग आए।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हाँ

Question 1.
सन १९३७
Answer:
महिला विद्यापीठ का शिलान्यास करने राजेंद्र बाबू प्रयाग कब आए थे?

Question 2.
पंद्रह-सोलह
Answer:
राजेंद्र बाबू के संयुक्त परिवार में कितनी पौत्रियाँ थी?

संजाल पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 34
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 32

कारण लिखिए।

Question 1.
राजेंद्र बाबू की पत्नी प्रयाग आती थीं।
Answer:
उनकी पौत्रियाँ प्रयाग में महिला विद्यापीठ के छात्रावास में रहकर पढ़ाई करती थीं। अत: उन्हें मिलने के लिए राजेंद्र बाबू की पत्नी प्रयाग आती थीं।

कृति ई (२) : शब्द संपदा
निम्नलिखित वाक्य में विरामचिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।

Question 1.
राजेंद्र बाबू के पुराने परिधान से अपने आपको प्रसाधित कर कितना कृतार्थता का अनुभव किया था चक्रधर जी ने
Answer:
राजेंद्र बाबू के पुराने परिधान से अपने आपको प्रसाधित कर कितना कृतार्थता का अनुभव किया था चक्रधर जी ने !

लिंग बदलिए।

  1. अध्यक्ष
  2. पौत्री
  3. स्वामी
  4. दादा

Answer:

  1. अध्यक्षा
  2. पौत्र
  3. स्वामिनी
  4. दादी

Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:

  • ताने – बाने
  • पंद्रह – सोलह
  • अस्त – व्यस्तता
  • गुरु – शिष्य
  • स्वामी – सेवक
  • कभी – कभी

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

निम्नलिखित शब्द के लिए समश्रुतभिन्नार्थक शब्द लिखिए।

  1. सज्जा
  2. सहेज

Answer:

  1. सजा
  2. सहज

Question 1.
‘ममतालु’ इस शब्द में से प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द बनाइए।
Answer:
ममतालु : शब्द : ममता प्रत्यय : आलु ।
अन्य शब्द :

  • कृपालु
  • श्रद्धालु

कृति ई (३) : अभिव्यक्ति

Question 1.
‘नारी जीवन में शिक्षा का अनन्यसाधारण महत्त्व है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
जिस प्रकार पुरुष समाज का अहम् हिस्सा है ठीक उसी प्रकार नारी भी समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है। समाज की उन्नति के लिए स्वी का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। अत: समाज में नारी शिक्षा को महत्त्व दिया जाता है। स्वतंत्रता के समय हमारे देश में स्त्रियों की शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं थी। धीरे-धीरे स्थिति में बदलाव होना शुरू हुआ।

आज भारत में लड़कियों के लिए अलग स्कूल, महाविद्यालय एवं विश्व विद्यालय खोले जा रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वे शिक्षा ग्रहण कर सकें। शिक्षा के कारण नारी अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति सजग हो गई है। वह धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। एक पढ़ी-लिखी स्त्री अपने परिवार को ठीक से चला सकती है। वह नौकरी करके अपने परिवार को आर्थिक सहयोग देती है। इस प्रकार अनेक दृष्टियों से नारी जीवन में शिक्षा का अनन्यसाधारण महत्व है।

गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति उ (१): आकलन कृति

कारण लिखिए।

Question 1.
राजेंद्र बाबू की पत्नी की रीढ़ की हड्डी झुक गई थी।
Answer:
क्योंकि उन्हें जमींदार परिवार की परंपरा के अनुसार घंटों तक सिर नीचा करके एकासन बैठना पड़ता था।

कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 36
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 35

निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।

Question 1.
कर्तव्य विलास नहीं कर्मनिष्ठा है।
Answer:
सत्य

Question 2.
राजेंद्र बाबू अपनी पौत्रियों को अहंकार से दूर नही रखना चाहते थे।
Answer:
असत्य

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 33
Answer:
i – ग
ii – घ
iii – ख
iv – क

किसने, किससे कहा?

Question 1.
“महादेवी बहन दिल्ली मेरी नहीं है।”
Answer:
राजेंद्र बाबू ने महादेवी वर्मा से कहा।

कृति उ (२) : शब्द संपदा

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. निर्देश
  2. अहंकार
  3. स्वतंत्र

Answer:

  1. सूचना
  2. घमंड
  3. आजाद

निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थियों के रहने की जगह
Answer:
छात्रावास

Question 2.
वह स्थान जहाँ छात्र पढ़ाई करते हैं
Answer:
विद्यालय

Question 3.
जहाँ पहुँचना हो
Answer:
गंतव्य

नीचे दिए हुए शब्द के विलोम शब्द लिखिए।

  1. अहंकार x ……..
  2. स्वतंत्र x ……

Answer:

  1. अहंकार x नम्रता
  2. स्वतंत्र x परतंत्र

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Question 1.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूंढकर लिखिए।
Answer:
योग्यता
कर्मनिष्ठा

नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसमभिन्नार्थक लिखिए।

  1. चिंता
  2. जेल

Answer:

  1. चिता
  2. जल

कृति उ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘कर्तव्य विलास नहीं कर्मनिष्ठा है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
कर्तव्य शब्द का अभिप्राय उन कार्यों से होता है जिन्हें करने के लिए व्यक्ति नैतिक रूप से प्रतिबद्ध होता है। व्यक्ति को अपने कर्तव्य के प्रति सदैव जाग्रत रहना चाहिए। अंत:करण की प्रेरणा या उचित कार्य की प्रवृत्ति से कर्तव्य का संबंध होता है। यदि व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं करता है तो उसका अंत:करण उसे धिक्कारता है। कर्तव्य को प्राथमिकता देकर व्यक्ति को अपना कार्य करते रहना चाहिए। उसे अपने कर्म में लीन होना चाहिए। व्यक्ति को हर काम को पूरे मन से करने पर ही आनंद का अनुभव होता है। प्रश्न ६ (क) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ऊ (१): आकलन कृति

ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –

Question 1.
रसोईघर
Answer:
राजेंद्र बाबू की पत्नी के कमरे से संलग्न क्या बन गया था?

Question 2.
दिल्ली
Answer:
बालिकाओं की दादी ने लेखिका को कहाँ आने का विशेष निमंत्रण दिया था?

कृति पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 29
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 28

संजाल पूर्ण कीजिए।

Question 1.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 31
Answer:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति 30

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

कारण लिखिए।

Question 1.
राष्ट्रपति भवन के हर द्वार पर सलाम ठोंकने वाले सिपाहियों की आँखें विस्मय से खुली रह गई। .
Answer:
क्योंकि लेखिका राष्ट्रपति भवन में एक दरजन सूप लेकर गई थीं। ऐसी भेंट लेकर कोई अतिथि न कभी वहाँ पहुँचा था, न पहुँचेगा।

कृति ऊ (२) : शब्द संपदा

Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
फटकने-पछोरने

नीचे दिए हुए शब्द के विलोम लिखिए।

  1. विशेष x ………
  2. आदेश x …….

Answer:

  1. विशेष x साधारण
  2. आदेश x प्रार्थना

Question 1.
गद्यांश में से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते।
Answer:
सूप
आदेश

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
वह भवन जिसमें राष्ट्रपति रहते हैं
Answer:
राष्ट्रपति भवन

Question 2.
अतिथि का सत्कार व उनकी देखभाल
Answer:
आतिथ्य

निम्नलिखित शब्दों के अनेकार्थी शब्द लिखिए।

  1. ग्रहण
  2. अंक

Answer:

  1. पकड़ने की क्रिया, लेने की क्रिया, खाने की क्रिया, मुसीबत
  2. संख्या, गोद

कृति ऊ (३): स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘सहधर्मिणी अपने पति के आदर्श एवं सिद्धांत का पालन करती है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
सहधर्मिणी वही कहलाती है जो अपने पति का जीवन के प्रत्येक मोड़ पर साथ देती है। वह अपने पति के आदर्श एवं सिद्धांतों का पालन करती है। यदि उसका पति सादा जीवन उच्च विचार रखता है, तो वह भी उसका अनुसरण करती है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का जीवन सादगी से भरा हुआ था। उसीप्रकार उनकी पत्नी ने भी उनके इस सिद्धांत को अपने जीवन में उतारा।

उनके पति कितने भी बड़े पद पर क्यों न हों, फिर भी वे घर के काम-काज को संभालने से पीछे नहीं हटीं। सबके लिए भोजन बनाना एवं सभी के खाने के उपरांत स्वयं खाना खाना, आदि संस्कारों का उन्होंने भलीभांति निर्वाह किया। घर के सभी सदस्य एवं घर पर आने वाले अतिथियों के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी। इस प्रकार वह अपने पति के पचिह्नों पर चलकर सभी का दिल जीत लेती है।

गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ए (१): आकलन कृति

गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।

Question 1.
लेखिका राष्ट्रपति भवन उस दिन पहुँची जिस दिन ….
Answer:
राजेंद्र बाबू और उनकी सहधर्मिणी का उपवास था।

कारण लिखिए।

Question 1.
लेखिका ने निरन्न भोजन की इच्छा प्रकट की।
Answer:
क्योंकि उपवास के दिन वह अतिथेय का साथ देना उचित समझती थीं।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।

Question 1.
जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण राजेंद्र बाबू को पद्मश्री की उपाधि मिली।
Answer:
जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण राजेंद्र बाबू को देशरल की उपाधि मिली।

Question 2.
राष्ट्रपति भवन में लेखिका ने मेवे व मिष्ठान्न खाया।
Answer:
राष्ट्रपति भवन में लेखिका ने उबले आलू खाए।

गद्यांश: ७ पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. १९ . राजेंद्र बाबू तथा उनकी चरित्र ढलते थे?

कृति ए (२) : शब्द संपदा

निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।

Question 1.
लेखिका ने कहा आज वह साँचा टूट गया है जिसमें कठिन कोमल चरित्र ढलते थे
Answer:
लेखिका ने कहा, “आज वह साँचा टूट गया है, जिसमें कठिन कोमल चरित्र बलते थे।”

Question 2.
दिए गए गद्यांश में से देशज शब्द ढूँढकर लिखिए।
Answer:

  • उबले
  • आलू
  • छलक
  • ढलते

निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।

Question 1.
संतोष
Answer:
उपसर्गयुक्त शब्द : असंतोष, प्रत्यय युक्त शब्द : संतोषप्रद

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

Question 1.
जिसका कोई शत्रु ही न हो
Answer:
अजातशत्रु

Question 2.
भोजन ग्रहण न करने का निश्चय
Answer:
उपवास

पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. निरन्न
  2. अजातशत्रु

Answer:

  1. अन्नरहित
  2. शत्रुहीन

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति

कृति ए (३) : स्वमत अभिव्यक्ति

Question 1.
‘व्यक्ति के जीवन-मूल्यों का बड़ा महत्व होता है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
जीवन-मूल्य मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक होते हैं। जीवन मूल्यों का व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। व्यक्ति इन्हीं के आधार पर अच्छा-बुरा या सही-गलत की परखा करता है। हमेशा नम्र रहना, सबका आदर करना, सादगी से जीवन बिताना आदि जीवन-मूल्य हैं। सुखद व सफल जीवन व्यतीत करने के लिए व्यक्ति को जीवन-मूल्यों को स्वीकार करना पड़ता है। जीवन-मूल्यों के बिनी व्यक्ति अपने जीवन को अनुशासित नहीं कर सकता और न ही अपने मन को स्वयं के नियंत्रण में रख सकता है। जीवन में अपने व्यक्तित्व को निखारने और सफल बनाने के लिए जीवन-मूल्य अनिवार्य है।

अनोखे राष्ट्रपति Summary in Hindi

अनोखे राष्ट्रपति लेखिका – परिचय
जीवन – परिचय : महादेवी वर्मा जी का जन्म सन १९०७ में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ। ये एक उच्चकोटि की लेखिका एवं प्रतिभावान कवयित्री थीं। छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इनके साहित्य में पीड़ा, करुणा, वेदना आदि पाई जाती है। इन्हें हिंदी साहित्य में आधुनिक युग की मीरा’ कहा जाता है। इनका साहित्य समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है तथा प्रत्येक वर्ग को प्रभावित और प्रेरित करता है।

प्रमुख कृतियाँ : ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘सांध्यगीत’ (कविता संग्रह), ‘संकल्पिता’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’, (निबंध), ‘पथ के साथी’, ‘मेरा परिवार’, ‘अतीत के चलचित्र’। (रेखाचित्र)

अनोखे राष्ट्रपति गद्य – परिचय
संस्मरण : संस्मरण साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। स्मृति के आधार पर किसी विषय पर या किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यह केवल अतीत की घटनाओं पर आधारित होता है। संस्मरण में चारित्रिक गुणों से युक्त किसी व्यक्ति को याद करते हुए उसके परिवेश के साथ उसका प्रभावशाली वर्णन किया जाता है।

प्रस्तावना : ‘अनोखे राष्ट्रपति’ इस संस्मरण में लेखिका महादेवी वर्मा जी ने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के ‘सादा जीवन–उच्च विचार’ गुण से परिचित कराया है। जीवन में सादगी, सहजता व सरल स्वभाव अपनाने से व्यक्ति का व्यक्तित्व ऊँचा उठ सकता है, लेखिका ने इस विचार से सभी को अवगत कराया है।

अनोखे राष्ट्रपति सारांश

‘अनोखे राष्ट्रपति’ यह एक संस्मरण है। इस संस्मरण में लेखिका महादेवी वर्मा जी ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के जीवन मूल्यों से पाठकों को परिचित कराया है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की वेशभूषा में अत्यंत सादगी थी। स्वतंत्रता पूर्व से ही लेखिका डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को अच्छी तरह से जानती थीं। सन १९३७ में प्रयाग में महिला विद्यापीठ का शिलान्यास डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के करकमलों द्वारा हुआ था। तब उन्होंने लेखिका से निवेदन करते हुए कहा था कि वे अपनी पंद्रह–सोलह पौत्रियों की शिक्षा को लेकर चिंतित हैं। इसलिए उन्हें वे प्रयाग के महिला विद्यापीठ में भर्ती करवाना चाहते हैं।

लेखिका ने भी उनकी पौत्रियों को अपने संरक्षण में ले लिया। इस प्रकार उनकी पौत्रियाँ विद्यापीठ के छात्रावास में रहने लगीं। कभी–कभी डॉ. राजेंद्र प्रसाद और उनकी पत्नी सामान्य भारतीय गृहिणी के समान पति, परिवार तथा परिजनों को खिलाने के उपरांत स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। राष्ट्रपति बनने के पश्चात भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को अहंकार ने कभी नहीं छुआ। वे अपनी पौत्रियों को अहंकार से दूर रखना चाहते थे। इसलिए साफ शब्दों में उन्होंने लेखिका से कहा था दिल्ली व राष्ट्रपति भवन उनका नहीं है। उनकी पौत्रियाँ जैसी रहती आई हैं; वैसी ही रहेंगी।

एक बार उनकी पत्नी के द्वारा निमंत्रण मिलने पर लेखिका स्वयं राष्ट्रपति भवन जाती हैं। वहाँ पर भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को उपवास के उपरांत उबले हुए आलू खाते हुए देखती हैं। उनके सादगी एवं संयम से भरे जीवन को देखकर लेखिका नतमस्तक हो जाती हैं। जीवन–मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि राजेंद्र बाबू जी के पास थी। उनके पास मन की स्वच्छता थी। उनका कोई शत्रु नहीं था। इसी कारण उन्हें भारतरल की उपाधि मिली थी। ऐसे अनोखे राष्ट्रपति की संगति में लेखिका स्वयं को धन्य समझती हैं।

अनोखे राष्ट्रपति शब्दार्थ

  • भृकुटी – भौंह
  • ठुड्डी – ठोढ़ी
  • रोमिल – रोयेंदार
  • निर्देश – सूचना
  • सिरकी – सरकंडे या सरई
  • पछोरना – अनाज सूप में रखकर फटककर साफ करना
  • निरन्न – निराहार, अन्नरहित
  • दृष्टि – नजर
  • अभिवादन – प्रणाम
  • विहंगम – पक्षी
  • स्मृति – याद
  • वेशभूषा – पहनावा
  • निर्देश – सूचना
  • अहंकार – घमंड
  • कर्तव्य – कार्य
  • स्वतंत्र – आजाद
  • अजातशत्रु – शत्रुहीन
  • भेंट – उपहार

Class 10 Hindi Lokvani Textbook Solutions

Chitrakavyam Class 10 Sanskrit Chapter 10 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Sanskrit Anand Chapter 10 चित्रकाव्यम् Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Sanskrit Solutions Anand Chapter 10 चित्रकाव्यम् Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Sanskrit Chapter 10 Question Answer

Sanskrit Anand Std 10 Digest Chapter 10 चित्रकाव्यम् Textbook Questions and Answers

भाषाभ्यास:

श्लोकः 1

1. पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न अ.
कृष्णः कं जघान?
उत्तरम् :
कृष्ण: कंसं जघान।

प्रश्न आ.
दारपोषणे के रताः?
उत्तरम् :
केदारपोषणरता: दारपोषणे रताः।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

प्रश्न इ.
कं शीतं न बाधते?
उत्तरम् :
कम्बलवन्तं शीतं न बाधते।

2. समानार्थकं शब्द लिखत ।

प्रश्न 1.
समानार्थकं शब्द लिखत ।
कृष्णः, गङ्गा, रतः, बलवान् ।
उत्तरम् :

  • कृष्णः – माधवः, केशवः, मुरारिः, दामोदरः।
  • गङ्गा – विष्णुपदी, जहुतनया, सुरनिम्नगा, जाह्नवी, भागीरथी।
  • रतः – लीनः, मग्नः ।
  • बलवान् – शक्तिशाली।

3. ‘गङ्गा’ इति पदस्य विशेषणम् अन्विष्यत लिखत च ।

प्रश्न 1.
‘गङ्गा’ इति पदस्य विशेषणम् अन्विष्यत लिखत च ।
उत्तरम् :

विशेषणम्विशेष्यम्
शीतलवाहिनीगङ्गा

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

4. ‘कं संजघान’ इति श्लोकं माध्यमभाषया स्पष्टीकुरुत ।

प्रश्न 1.
‘कं संजघान’ इति श्लोकं माध्यमभाषया स्पष्टीकुरुत ।
उत्तरम् :
चित्रकाव्यम् हे काल्पनिक काव्य आहे. असे काव्य कवीची अफाट बुद्धिमत्ता तर दर्शवितात, त्याच बरोबर मनोरंजन व आनंदही निर्माण करतात. ‘के संजघान’ हे त्याचे उत्तम उदाहरण आहे. हे अन्तरालापाचे उदाहरण आहे.

येथे श्लोकात विचारलेल्या चार प्रश्नांची उत्तरेही तिथेच दडली आहेत. शब्दालंकारावर आधारित असा हा श्लोक आहे. काही अक्षरे जोडल्यास अथवा विभाजित केल्यास विचारलेल्या प्रश्नांची उत्तरे मिळू शकतात.

ज्याप्रमाणे (1) कं संजघान कृष्ण म्हणजे, कृष्णाने कोणाला ठार मारले? येथे, प्रथम चरणातील पहिली दोन अक्षरे जोडल्यास कंस असे योग्य उत्तर मिळते. (2) का शीतलवाहिनी गंगा? शीतल वाहणारी गंगा नदी कोणती? दुसऱ्या चरणातील पहिली दोन अक्षरे जोडल्यास काशी म्हणजे काशीक्षेत्र असे उत्तर मिळते. याचा अर्थ, काशीक्षेत्रात वाहणारी गङ्गा.

(3) कुटुंबाचे पोषण करण्यात कोण मग्न असतात? तिसऱ्या चरणातील पहिली दोन अक्षरे जोडल्यास केदारपोषणरताः (शेतकरी) असे उत्तर मिळते. (4) कोणत्या बलवानास थंडी बाधत नाही? येथेही, चौथ्या चरणातील तीन अक्षरे जोडल्यास कंबलवन्तं असा शब्द म्हणजेच उत्तर मिळते, त्याचा अर्थ, कांबळे धारण करणाऱ्या बलवानास थंडी वाजत नाही.

चित्रकाव्यम् is image poetry. Such poems show the prodigious intellect of the poets as well as arouse amusement and pleasure.

This श्लोक is the example of अन्तरालाप, Here are four different questions along with their answers within. It is based on शब्दालङ्कार. One can obtain the answer of given question either by joining or dividing letters. Just as, (1) कं संजधान कृष्णः means, whom did कृष्ण kill? The answer the can be obtained by joining first two letters together.

(2) का शीतलवाहिनी गङ्गा? Which is cool river गङ्गा? Answer (काशी) तलवाहिनी is obtained by joining the first two letters. (3)Who is engrossed in looking after wife? के दारपोषणरता: The answer केदारपोषणरताः (They who are engaged in taking care of fields – farmers), can be found by joining first three letters.

(4) कं बलवन्तं न बाधते शीतम्? which strong man is not affected by the cold? the one who has alc, means blanket. This is obtained by joining first three letters.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

श्लोक: 2.

1. पूर्णवाक्येन उत्तरत ।

प्रश्न अ.
कवि: कं नमति?
उत्तरम् :
कविः वैद्यराजं नमति।

प्रश्न आ.
को प्राणान् हरतः?
उत्तरम् :
वैद्यराज तथा यमराज: प्राणान् हरतः।

प्रश्न इ.
वैद्यः किं किं हरति?
उत्तरम् :
वैद्यः प्राणान् धनानि च हरति।

2. सम्बोधनान्तपदद्वयम् अन्विष्य लिखत ।

प्रश्न 1.
सम्बोधनान्तपदद्वयम् अन्विष्य लिखत ।
उत्तरम् :
1. वैद्यराज
2. यमराजसहोदर

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

3. समानार्थकशब्द लिखत ।

प्रश्न 1.
समानार्थकशब्द लिखत
यमः, वैद्यः, सहोदरः, धनम्
उत्तरम् :

  • यमः – त्रिदशेश्वरः, अन्तकः, दण्डी।
  • वैद्यः – भिषक्, चिकित्सकः।
  • सहोदरः – भ्राता, बन्धुः।
  • धनम् – द्रव्यम्, वित्तम्, स्थापतेयम्, रिक्यम्, ऋक्यम्, वसुः।

4. ‘वैद्यराज नमस्तुभ्यम्’ अस्य श्लोकस्य स्पष्टीकरण माध्यमभाषया लिखत।

प्रश्न 1.
‘वैद्यराज नमस्तुभ्यम्’ अस्य श्लोकस्य स्पष्टीकरण माध्यमभाषया लिखत।
उत्तरम् :
चित्रकाव्यम् हे काल्पनिक काव्य आहे. असे काव्य कवीची अफाट बुद्धिमत्ता तर दर्शवितात, त्याच बरोबर मनोरंजन व आनंदही निर्माण करतात. ‘वैद्यराज नमस्तुभ्यम्’ हा उपहास त्याचे उत्तम उदाहरण आहे. या श्लोकात कवी वैद्यराजास उपरोधात्मक वृत्तीने नमस्कार सांगतो.

खरे तर वैद्यराज म्हणजे जो वैद्यकशास्त्राचा अवलंब करून आजारी लोकांना बरे करतो व त्याबदल्यात धन घेतो. पण येथे कवी वैद्यराजास मानवातील प्राणतत्व घेऊन जाणाऱ्या यमराजाचा भाऊ म्हणतो.

कवीच्या मते, जे कार्य यम करतो, ते वैद्यही करतो. वैद्य तर पैसे घेतोच त्याच बरोबर यमासारखे माणसांचे प्राणही हरण करतो. मुख्यत: अपरिपक्व अशा वैद्यांना उद्देशून हा श्लोक कवीने लिहिला आहे.

चित्रकाव्यम् is an image poetry. Such poems show the prodigious intellect of the poets as well as arouse amusement and pleasure.

वैद्यराज नमस्तुभ्यम् – This satire is the appropriate example of it. Here, a poet sarcastically offers his salutations to वैद्यराज, that means a person who practises medicine, treats sick pepole and charges fee in return of money.

However, the poet terms वैद्यराज, as a real brother of यम, who is the god assigned to the job of taking life force out of person.

The poet further explains वैद्यराज too does the same that यम does, वैद्यराज along with the money takes even life of a person. This is intended for an incompetent doctor, who just takes money from people, without curing them.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

5. जालरेखाचित्रं पूरयत ।

प्रश्न 1.
जालरेखाचित्रं पूरयत ।
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् 1
उत्तरम् :
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् 2

श्लोक: 3.

1. पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न अ.
कः धनं याचते?
उत्तरम् :
याचक: / निर्धनः / लोकयानवाहक: धनं याचते।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

प्रश्न आ.
‘अयं न भक्तो’ इति प्रहेलिकाया: उत्तरं किम्?
उत्तरम् :
‘अयं न भक्तो’ इति प्रहेलिकाया: उत्तरं “लोकयानवाहकः ।

2. रेखाचित्रं पूरयत ।

प्रश्न 1.
रेखाचित्रं पूरयत ।
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् 3
उत्तरम् :
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् 4

3. सन्धिविग्रहं कुरुत।

प्रश्न अ.
याचतेऽयम् = याचते + ……..
उत्तरम् :
याचतेऽयम् – याचते + अयम्।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

प्रश्न आ.
याचको वा = ………. + वा।
उत्तरम् :
याचको वा = याचकः + वा।

श्लोक: 4.

1. पूर्णवाक्येन उत्तरत ।

प्रश्न अ.
कः शब्दं करोति?
उत्तरम् :
हेमघट: शब्दं करोति।

प्रश्न आ.
कस्याः हस्तात् सुवर्णघटः पतितः?
उत्तरम् :
युवत्याः हस्तात् सुवर्णघटः पतितः।

2. समानार्थकशब्दं लिखत ।

प्रश्न 1.
समानार्थकशब्दं लिखत ।
हेम, जलम्, शब्दः ।
उत्तरम् :

  • हेम .- कनकम, स्वर्णम्, सुवर्णम्, हिरण्यम्, हाटकम्।
  • जलम् – पयः, कौलालम्, अमृतम्, जीवनम, भुवनम्।
  • शब्दः – पदम्।

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3. ‘रामाभिषेके’ अस्य श्लोकस्य स्पष्टीकरण माध्यमभाषया लिखत ।

प्रश्न 1.
‘रामाभिषेके’ अस्य श्लोकस्य स्पष्टीकरण माध्यमभाषया लिखत ।
उत्तरम् :
चित्रकाव्यम् हे काल्पनिक काव्य आहे. असे काव्य कवीची अफाट बुद्धिमत्ता तर दर्शवितात, त्याच बरोबर मनोरंजन व आनंदही निर्माण करतात. ‘रामाभिषेके’ ही समस्यापूर्ती याचे उत्तम उदाहरण आहे.

समस्यापूर्ति या काव्यप्रकारात शेवटचा चरण दिलेला असतो. हा चरण बहुदा विचित्र असतो. उरलेल्या तीन चरणांसहित अर्थपूर्ण श्लोक/ काव्य तयार करणे हे कवीचे आव्हान असते.

या श्लोकात, ‘ठंठं ठठं ठं ठठ ठं ठठं ठ’, हा चरण दिलेला होता व कवीने चातुर्याने उरलेले तीन चरण त्यास जोडून अर्थपूर्ण श्लोक तयार करणे अपेक्षित होते. कवीने हे चातुर्य पुढीलप्रमाणे दाखविले. रामाच्या राज्याभिषेकासमयी एक युवती पाणी आणण्याकारिता सोन्याचा घडा घेऊन जात असताना, तो घडा तिच्या हातातून निसटतो व जिन्यावरून आवाज करत जातो. तो आवाज म्हणजेच ठंठं ठठं ठं ठठ ठं ठठंठ।

चित्रकाव्यम् is an image poetry, such poems show the prodigious intellect of the poets as well as arouse amusement and pleasure. ‘रामाभिषेके’ is the best example of समस्यापूर्ती. In समस्यापूर्ती, last चरण is stated but it is often absurd. The poet’s challenge is to create a meaningful poetry /etc.

In this श्लोक, चरण ‘ठठं ठठं ठं ठठ ठ ठठं ठः’ is already given. The poet wisely composes remaining three us to make meaningful श्लोक. The poet composes it as – at the time of राम’s coronation, certain young lady having gold pot in her hand, went to bring water.

While going, the gold pot was fallen from her hands. At that time, the sound that was generated is ठंठं ठठं ठं ठठ ठं ठठं ठः। Thus, he completes the समस्या.

उपक्रम:

1. ‘समस्यापूर्ति’-श्लोकानां सङ्ग्रहं कुरुत । 

प्रश्न अ.
मृगात् सिंहः पलायते ।

प्रश्न आ.
शतचन्द्रं नभस्तलम् ।

2. अन्योक्तिश्लोकानां सङ्ग्रहं कुरुत ।

3. कामपि अन्याम् एका प्रहेलिकां लिखत ।

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Sanskrit Anand Class 10 Textbook Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् Additional Important Questions and Answers

अवबोधनम्

पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न 1.
शीतलवाहिनी का?
उत्तरम् :
गङ्गा शीतलवाहिनी।

प्रश्न 2.
जलदा: काभि: वसुधाम् आर्द्रयन्ति?
उत्तरम् :
जलदाः वृष्टिभि: वसुधाम् आर्द्रयन्ति।

प्रश्न 3.
कः यमराजसहोदरः?
उत्तरम् :
वैद्यराज: यमराजसहोदरः।

विभक्त्यन्तरूपाणि।

प्रश्न 1.
श्लोकात् प्रथमान्तपदानि चित्वा लिखत।
उत्तरम् :
कृष्णः, शीतलवाहिनी, गङ्गा, दारपोषणरताः,शीतम्।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

प्रश्न 2.
श्लोकात् द्वितीयान्तपदे चित्वा लिखत।
उत्तरम् :
कं, बलवन्तम्।

प्रश्न 3.
श्लोकात् तृतीयाविभक्त्यन्तपदे चित्वा लिखत।
उत्तरम् :
सावधानमनसा, वृष्टिभिः।।

प्रश्न 4.
श्लोकात् सम्बोधनविभक्त्यन्तपदे चित्वा लिखत।
उत्तरम् :
चातक, मित्र।

प्रश्न 5.
लोकयानवाहक: किं नादयते?
उत्तरम् :
लोकयानवाहक: घण्टां नादयते।

सन्थिविग्रहः

  1. बहवोऽपि – बहवः + अपि।
  2. सर्वेऽपि – सर्वे + अपि।
  3. केचिद् वृष्टिभिरार्द्रयन्ति – केचित् + वृष्टिभिः + आर्द्रयन्ति।
  4. केचिद् वृथा – केचित् + ‘वृथा।
  5. पुरतो मा – पुरतः + मा।
  6. नमस्तुभ्यम् – नमः + तुभ्यम्।
  7. यमस्तु – यमः + तु।
  8. यो जानाति – यः + जानाति।
  9. स पण्डितः – सः + पण्डितः।
  10. भक्तो न – भक्तः + न।
  11. पूजको वा – पूजक:+ वा।
  12. तथापि – तथा + अपि।
  13. निर्धनो वा – निर्धनः + वा।
  14. जलमाहरन्त्या – जलम् + आहरन्त्या।
  15. सृतो हेमघटो युवत्याः – सूतः + हेमघट: + युवत्याः ।
  16. क्वास्ति – क्व + अस्ति।
  17. बलेर्मखे – बले: + मखे।
  18. नास्त्यसौ – न + अस्ति + असौ।
  19. तस्योपरि – तस्य + उपरि।
  20. विषादमाशु – विषादम् + आशु।
  21. नाहम् – न+ अहम्।
  22. चेत्थम् – च + इत्थम्।

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अमरकोषात् योग्यं समानार्थक शब्दं योजयित्वा वाक्यं पुनर्लिखत।

प्रश्न 1.
गङ्गा शीतलवाहिनी अस्ति।
उत्तरम् :
विष्णुपदी / जहुतनया / सुरनिम्नगा शीतलवाहिनी अस्ति।

भाषाभ्यास:

समानार्थकशब्दाः

  1. मित्र – वयस्यः, सखा।
  2. अम्भोदः – मेषः, धाराधरः, जलधरः, तडित्वान्, वारिदः, अम्बुभृत, जलदः, वारिवाहः।
  3. बहवः – भूरयः, विपुलाः ।
  4. गगनम् – व्योम, आकाशम् ।
  5. वृष्टिः – पर्जन्यः।
  6. वसुधा – पृथ्वी, धरा, वसुन्धरा।
  7. पुरतः – पुरस्तात्।
  8. गुप्तम् – प्रच्छन्नम् ।
  9. किल – ननु, खलु।
  10. निर्धनः – धनहीनः ।
  11. आशु – सत्वरम्, त्वरितम्।

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विरुद्धार्थकशब्दाः

  1. शीतम् × उष्णम्।
  2. पुरतः × पृष्ठतः।
  3. बहवः × अल्पाः।
  4. आशु × शनैः शनैः।
  5. पण्डित: × मूढः, मूर्खः ।
  6. निर्धनः × धनिकः ।
  7. चला × स्थिरा।

पृथक्करणम्

जालरेखाचित्रं पूरयत।

1.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् 5

2.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम् 6

त्वं स्थाने भवान् / भवती अथवा भवान् / भवती स्थाने त्वं योजयत।

प्रश्न 1.
त्वं प्राणान् धनानि च हरसि।
उत्तरम् :
भवान् प्राणान् धनानि च हरति।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

प्रश्न 2.
त्वं आशु विषादं मुञ्च।
उत्तरम् :
भवान्/भवती आशु विषादं मुञ्चतु।

वचनं परिवर्तयत ।

प्रश्न 1.
भिक्षुः क्व अस्ति? (बहुवचने परिवर्तयत।)
उत्तरम् :
भिक्षवः क्व सन्ति?

समासा:

समस्तपदम्अर्थसमासविग्रहःसमासनाम
1. गिरिजासमुद्रसुतयोःof गिरिजा and समुद्रसुतागिरिजा च समुद्रसुता च, तयोः।इतरेतर-द्वन्द्वः समासः।
2. दारपोषणरता:engaged in looking after wifeदारपोषणे रताः।सप्तमी-तत्पुरुषः समासः।
3. यमराजसहोदरःbrother of यमयमराजस्य सहोदरः।षष्ठी-तत्पुरुषः समासः।
4. रामाभिषेक:coronation of रामरामस्य अभिषेकः।षष्ठी-तत्पुरुषः समासः।
5. हेमघट:pot of goldहेम्न: घटः।षष्ठी-तत्पुरुषः समासः।
6. पशुपतिःlord of animalsपशूनां पतिः।षष्ठी-तत्पुरुषः समासः।
7. समुद्रसुताdaughter of an oceanसमुद्रस्य सुता।षष्ठी-तत्पुरुषः समासः।
8. पन्नगभूषण:one whose ornament is a snakeपन्नगः भूषणं यस्य सः ।बहुव्रीहिः समासः।
9. अम्भोदा:water givingअम्भः ददति इति।उपपद-तत्पुरुषः समासः।
10. सावधानमनःattentive mindसावधानं मनः।कर्मधारयः समासः।

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चित्रकाव्यम् Summary in Marathi and English

प्रस्तावना :

संस्कृत भाषा विविध वैशिष्ट्यपूर्ण सुभाषितांनी अलंकृत झाली आहे. “चित्रकाव्यम्’ हे यातीलच एक. ‘बुद्धिविकासकानि सुभाषितानि नाम चित्रकाव्यानि’ याचा अर्थ बुद्धीचा विकास करणारी सुभाषिते म्हणजे चित्रकाव्ये. काही विशिष्ट वृत्तांच्या बांधणीने व नावीन्यपूर्ण काव्यात्मक रचनेद्वारा चमत्कृतीकाव्य तयार करणे हा चित्रकाव्यांचा हेतू आहे. यातून मनोरंजन व आनंदही प्राप्त होतो.

चित्रकाव्यम् हे ‘काल्पनिक काव्य’ आहे. असे काव्य कवीची अफाट बुद्धिमत्ता व त्यांचे भाषेवरील प्रभुत्व दर्शविते. प्रस्तुत ‘चित्रकाव्यम्’ काव्यामध्ये, अन्तरालाप, अन्योक्ति, हास्योक्ति, कर्तृगुप्ता प्रहेलिका, समस्यापूर्ति, वाकोवाक्यम् इ. काव्याच्या विविध प्रकारांचा अंतर्भाव झाला आहे.

Sanskrit language is adorned with curious peculiar सुभाषितs. चित्रकाव्य is one of them. ‘बुद्धिविकासकानि सुभाषितानि नाम चित्रकाव्यानि’ that means, सुभाषितs developing/ provoking the intelligence is चित्रकाव्य, Aim of चित्रकाव्य is to generate a sense of wonder by resorting to unusual management of certain meters and innovative poetic structures. It also arouses amusement and pleasure.

चित्रकाव्य is an image poetry. Such poems show the prodigious intellect of the poets and their command over language. The given foc poetry consists of varied types of poetry such as अन्तरालाप, अन्योक्ति, हास्योक्ति, कर्तृगुप्ता प्रहेलिका, समस्यापूर्ति, वाकोवाक्यम् etc.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

श्लोकः 1

के संजघान कृष्ण का शीतलवाहिनी गङ्गा।
के दारपोषणरता: कं बलवन्तं न बाधते शीतम्।।1।। (अन्तरालाप:)

अनुवादः

कृष्णाने कोणाला मारले? (कंस), शीतल वाहणारी गंगा कोणती आहे? (काशीक्षेत्रात वाहणारी). बायकोचे पोषण करण्यात कोण मग्न असतात? (केदारपोषणरत) कोणत्या बलवानाला थंडी बाधत नाही ? (कंबलवंत-कांबळे धारण करणाऱ्याला) स्पष्टीकरण – हे अन्तरालापाचे उदाहरण आहे.

येथे श्लोकात विचारलेल्या चार प्रश्नांची उत्तरेही तिथेच दडली आहेत. शब्दालंकारावर आधारित असा हा श्लोक आहे. काही अक्षरांना जोडल्यास अथवा विभाजित केल्यास विचारलेल्या प्रश्नांची उत्तरे मिळू शकतात, ज्याप्रमाणे

1. के संजघान’ कृष्ण म्हणजे, कृष्णाने कोणाला ठार मारले? येथे, प्रथम चरणातील पहिली दोन अक्षरे जोडल्यास ‘कंस’ असे योग्य उत्तर मिळते. 2. ‘का शीतलवाहिनी गंगा?’ शीतल वाहणारी गंगा नदी कोणती? दुसऱ्या चरणातील पहिली दोन अक्षरे जोडल्यास काशी म्हणजे काशीक्षेत्र असे उत्तर मिळते. याचा अर्थ, काशी क्षेत्रात वाहणारी गंगा शीतल आहे.

3. बायकोचे पोषण करण्यात कोण मग्न असतात? तिसऱ्या चरणातील पहिली दोन अक्षरे जोडल्यास केदार (शेत) असे उत्तर मिळते. येथे केदारपोषणरत याचा अर्थ शेतकरी असा होतो. 4. कोणत्या बलवानास थंडी बाधत नाही? येथेही, चौथ्या चरणातील तीन अक्षरे जोडल्यास कम्बलवन्त असा शब्द म्हणजेच उत्तर मिळते, त्याचा अर्थ, कांबळे धारण करणाऱ्या बलवानास थंडी वाजत नाही.

Whom did कृष्ण kill? (कंस). Which is cool flowing river गङ्गा? (in काशी). Who is engrossed in looking after the wife?

(केदारपोषणरत – the one who is engrossed in taking care of the field) Which strong man is not affected by the cold? (chade the one who has a means blanket) Explanation – This श्लोक is the example of अन्तरालाप. Here are four different questions along with their answers within. It is based on शब्दालङ्कार.

One can obtain the answer of a given question either by joining or dividing letters. Just as, (1) कसजधानकृष्णmeans, who did कृष्ण kill? The answer ‘कंसं’ is obtained by joining the first two letters. (2) का शीतलवाहिनी गङ्गा? Which is cool river गङ्गा? The answer is flowing in काशी. (3) Who is engrossed in looking after a wife? The answer is केदारपोषणरता.

which means the ones who are engrossed in taking care of the field (4) कंबलवन्तं न बाधते शीतम्? Which strong man is not affected by the cold? The answer is कंबलवन्तं This is obtained by joining the first three letters.

श्लोक: 2

रे रे चातक सावधानमनसा मित्र क्षणं श्रूयताम्
अम्भोदा बहवोऽपि सन्ति गगने सर्वेऽपि नैतादृशाः।
केचिद् वृष्टिभिरार्द्रयन्ति वसुधां गर्जन्ति केचिद् वृथा .
यं यं पश्यसि तस्य तस्य पुरतो मा ब्रूहि दीनं वचः ।।2।। (अन्योक्तिः ) (वृत्तम् – शार्दूलविक्रीडितम्)

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

अनुवादः

रे रे चातक मित्रा, क्षणभर लक्ष देऊन (सावधानपूर्वक) ऐक, आकाशात असंख्य (पुष्कळ) ढग असतात (परंतु) सगळेच सारखे नसतात. काही ढग पावसाच्या वर्षावांनी पृथ्वी जलमय करतात, तर काही व्यर्थ (विना कारण) गर्जना करतात. (म्हणून) तुला जो जो ढग दिसेल त्याच्यापुढे दीनवाणीने बोलू नकोस.

स्पष्टीकरण – हे ‘अन्योक्ती’ – ‘दुसऱ्याला उद्देशून बोलणे’ या काव्यप्रकारचे उदाहरण आहे. येथे, चातक पक्षी वर्षाकाळाचा अग्रदूत (सूचक) मानला आहे व तो पावसाचे पाणी पिऊन तहान भागवतो असे समजतात. येथे दोन प्रकाराच्या ढगांच्या गुणवैशिष्ट्यांना दर्शवत कवीने त्यांच्यातील फरक स्पष्ट केला आहे. काही ढग केवळ गर्जना करतात, तर काही खरोखरच पाणी देतात.

कवी चातकास केवळ गर्जना करणाऱ्या ढगांकडे पाणी न मागण्याचा सल्ला देतो. कवीला दीनजनांना उद्देशून सांगायचे आहे की सर्वच धनी माणसे उदार नसतात. चातकाला उद्देशून दीन लोकांना सल्ला देणारी ही अन्योक्ती आहे.

O चातक, my friend, please listen carefully for a moment. There are innumerable clouds in the sky but all are not alike. Few humidify the earth by showering rain. (However) Few just roars in vain, (therefore) Do not speak pitiable words in front of whichever cloud you see.

Explanation – This is the example of a poetic form named अन्योक्ति- ‘speech directed to other’. Here, the Ellah bird is a harbinger of monsoon and it is assumed to drink water directly from the cloud.

Some clouds are best givers of water but some mere roar. So, the poet suggests चातक not to ask for water to the roaring clouds. In a way, the poet wants to indicate poor people, not to beg to all people are not generous.

श्लोक: 3

वैद्यराज नमस्तुभ्यं यमराजसहोदर।
यमस्तु हरति प्राणान् त्वं तु प्राणान् धनानि च ।।3।। (हास्योक्तिः ) (वृत्तम् – अनुष्टुप्)

अनुवादः

हे वैद्यराजा, यमराजाच्या सख्ख्या भावा, तुला नमस्कार असो! यम (केवळ) प्राणच हरतो, पण तू प्राण व धनही दोन्ही हरतोस. स्पष्टीकरण – हा श्लोक हास्योक्तीचे उदाहरण असून, येथे अपरिपक्व आणि लोभी वैद्याची निंदा विनोदी पद्धतीने केली आहे.

O great doctor, salutation to you as a real brother of यमराज while यमराज takes away only the life (of people) but you fetch both life as well as wealth. Explanation – This is an example of a satire about an incompetent and greedy doctor, in a humorous way.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

श्लोकः 4

राक्षसेभ्य: सुतां हत्वा जनकस्य पुरीं ययौ।
अत्र कर्तृपदं गुप्तं यो जानाति स पण्डितः ।।4।। (कर्तृगुप्ता प्रहेलिका) (वृत्तम् – अनुष्टुप)

अनुवादः

(कोणी एक जण) राक्षसांकडून कन्येचे हरण करून जनकाच्या नगरीस गेला किंवा (कोणी एक जण ) जनकाच्या मुलीचे हरण करून नगरीस गेला. येथे कर्ता गुप्त आहे. जो जाणतो तो खरा विद्वान.

स्पष्टीकरण – वरील श्लोक हा चित्रकाव्याचा वेगळा प्रकार आहे. ही कर्तृगुप्त- प्रहेलिका आहे. येथे ‘राक्षसेभ्यः’ या शब्दात कर्ता गुप्त आहे. या शब्दाचे दोन भाग केले असता, राक्षस व इभ्यः असे दोन शब्द मिळतात.

‘इभ्यः’ चा अर्थ राजा असा होतो. याचाच अर्थ राक्षसांचा राजा. राक्षसानाम् इभ्यः म्हणजे रावण. या रीतीने, एक अर्थपूर्ण वाक्य तयार होते. राक्षसांचा राजा रावण जनकाच्या कन्येचे हरण करून नगरीस गेला.

(Someone) had gone to He’s city abducting the daughter from the demons or (Someone) had gone to the city abducting जनक’s daughter. The subject (कर्तृपदम्) is hidden here. The one who knows is the scholar.

Explanation – The above ce is a different kind of चित्रकाव्य. It is कर्तृगुप्त-प्रहेलिका, The subject is hidden in the word राक्षसेभ्यः, If we split the word, we get two words राक्षस and इभ्यः. इभ्यः means ‘aking’. It means राक्षसानाम् इभ्य: a king of demons that is रावण. Thus, we get a meaningful sentence, ‘A king of demons’, रावण abducting जनक’s daughter (सीता), had gone to the city.

श्लोक: 5

अयं न भक्तो न च पूजको वा
घण्टां स्वयं नादयते तथापि।
धनं जनेभ्यः किल याचतेऽयं
न याचको वा न च निर्धनो वा ।।5।। (प्रहेलिका) (वृत्तम् – उपजाति:)

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अनुवादः

हा भक्त नाही व पूजकहीं नाही तरीही स्वत:हून घंटा वाजवितो. खरोखर याचक व धनहीन नसतानाही. हा लोकांकडून पैसे घेतो. (तर मग सांगा कोण बरे आहे हा?)

स्पष्टीकरण – श्री सदाशिव त्र्यंबक रहातेकर लिखित हा श्लोक काव्यप्रवाह या काव्यसंग्रहातून घेण्यात आला आहे. हे अपहनुति अलंकाराचे उदाहरण आहे. या श्लोकाचे उत्तर ‘क:हवानयाकलो’ असे आहे. उलट दिशेने वाचले असता आपल्याला योग्य उत्तर मिळते ते असे, लोकयानवाहक:- याचा अर्थ बस-कंडक्टर अथवा बस-वाहक,

This is neither the devotee nor a worshipper. Yet rings the bell on its own. Indeed this one asks for money from people, but is not beggar or poor. (Then who is this?) Explanation – This श्लोक is taken from काव्यप्रवाह, composed by श्री सदाशिव त्र्यंबक रहातेकर, It is the example ofअपहनुति अलङ्कार.

The answer to this श्लोक is’क:हवानयाकलो,’ reading it in the inverse order, one gets the correct answer that is, लोकयानवाहकः means a bus-conductor because we hear a bell-sound in a bus, though it is not necessarily done by any devotee or a worshipper.)

श्लोकः 6

रामाभिषेके जलमाहरन्त्या हस्तात् मृतो हेमघटो युवत्याः।
सोपानमार्गेण करोति शब्दं ठंठं ठठं ठं ठठठं ठठं ठः।।6।। (समस्यापूर्तिः) (वृत्तम् – इन्द्रवज्रा)

अनुवादः

रामाच्या राज्याभिषेकासमयी युवतीच्या हतातून पाण्याने भरलेला सोन्याचा घडा निसटला, तो जिन्यावरुन आवाज करत गेला. ठंठ ठठं ठं ठठठं ठठं ठः.

At the time of राम’s coronation, the golden pot filled with water was skipped from the hands of a young lady. It made the voice from the stairs ठंठं ठठं ठंठठठं ठठंठ:.

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श्लोक : 7

भिक्षुः क्वास्ति बलेर्मखे पशुपति: किं नास्त्यसौ गोकुले
मुग्धे पन्नगभूषण: सखि सदा शेते च तस्योपरि।
आर्ये मुज्ञ विषादमाशु कमले नाहं प्रकृत्या चला
चेत्यं वै गिरिजासमुद्रसुतयोः सम्भाषणं पातु वः ।।7।। (वाकोवाक्यम्) (वृत्तम् – शार्दूलविक्रीडितम्)

अनुवादः

(लक्ष्मी विचारते) तो भिक्षुक कोठे आहे ? (पार्वती उत्तर देते) बळीच्या यज्ञात. पशूपती कोठे आहेत? ते गोकुळात नाहीत का? प्रिये, ज्याचा अलंकारच साप आहे तो कोठे आहे? सखि, तो त्यावरच नेहमी निद्रासुख घेतो.

आर्ये, दु:ख (विष खाणाऱ्याला) सोडून दे. अगं लक्ष्मी, मी तुझ्यासारखी चंचल नाही. अशा रितीने पार्वती (पर्वताची कन्या) व लक्ष्मी (समुद्राची कन्या) यातील हे संभाषण आपले रक्षण करो.

(वरील संवादात, लक्ष्मी पार्वतीला विचित्र विशेषणांचा प्रयोग करून शंकराबद्दल विचारते. याला चोख प्रत्युतर देण्याच्या हेतूने, पार्वती देखील तीच विशेषणे विष्णूकरिता वापरून तिचे चातुर्य दर्शविते.)

Where is the mendicant? He is in the sacrifice performed by बलि. Where is the lord of animals? Is he not in Gokul? O dear one where is the one whose ornament is a snake? O friend, he sleeps on the same always.

O noble one, leave disappointment (the one who consumes poison) at once! O Laxmi I am not fickle minded like you. In this way, this conversation between पार्वती (daughter of mountain) and लक्ष्मी (daughter of an ocean) may protect us.

(In the above dialogue, लक्ष्मी asks about lord शंकर by using strange adjectives. Witty पार्वती reverts to लक्ष्मी using the same adjectives intended for लक्ष्मी’s husband i.e. Lord विष्णु.)

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 10 चित्रकाव्यम्

शब्दार्थाः

  1. संजधान – had killed – मारले
  2. कंसं जघान – had killed – कंसाला मारले
  3. शीतलवाहिनी – cool flowing – थंड वाहणारी
  4. दारपोषणरताः – engrossed in – बायकोचे पोषण
  5. nurturing wife – करण्यात मग्न
  6. केदार – field – शेत
  7. कं बलवन्तम् – to which strong man – कोणत्या बलवान माणसाला
  8. न बाधते – does not affect – बाधत नाही
  9. कंबलवन्तम् – one who has a blanket – ज्याच्याकडे कांबळे आहे त्याला
  10. चातक – a bird named चातक – चातक पक्षी
  11. सावधानमनसा – with attentive mind – सावधानपूर्वक
  12. श्रूयताम् – may listen – कृपया ऐकावे
  13. अम्भोदा: – clouds – ढग
  14. वृष्टिभिः – by rain shower – पावसाच्या वर्षावाने
  15. आर्द्रयन्ति – humidify – जलमय करतात
  16. वृथा गन्ति – roar in vain – व्यर्थ गर्जना करतात
  17. तस्य पुरतः – in front of him – त्याच्या समोर
  18. मा ब्रूहि – do not speak – बोलू नकोस
  19. दीनं वचः – pitiable words – दीनवाणी
  20. यमराजसहोदर – Othe real brother of यमराज – यमराजाच्या हे सख्ख्या भावा
  21. वैद्यराज – O great doctor – वैद्यराज
  22. सुता – daughter – कन्या
  23. पूरी – city – नगरी
  24. ययो – had gone – गेला
  25. स्वयं नादयते – makes sound on its own – स्वतःहून वाजवते
  26. किल – indeed – खरोखर
  27. याचकः – beggar – याचक
  28. निर्धनः – poor – धनहीन
  29. रामाभिषेके – at the time of – रामाच्या
  30. राम’s coronation – राज्याभिषेकासमयी
  31. आहरन्त्या – taking – घेऊन जाणाऱ्या
  32. सूतः – escaped/skipped – निसटलेला
  33. हेमघट: – golden pot – सोन्याचा घडा
  34. युवत्याः – from a young lady – तरुणीकडून
  35. सोपानमार्गेण – from stairs – जिन्यावरून
  36. क्व – where – कुठे
  37. बलेमखे – in the sacrifice of बली – बळीच्या यज्ञात
  38. पशुपतिः – lord of animals – शंकर
  39. पनगभूषण: – whose ornament – ज्याचा अलंकार
  40. is a snake – सर्प आहे तो
  41. शेते – sleeps – झोपलेला आहे
  42. मुञ्च विषादम् – leave the disappointment – दु:ख सोडून दे
  43. कमले – o goddess Laxmi – लक्ष्मी
  44. गिरिजा – Goddess Parvati – पार्वती
  45. समुद्रसुता – daughter of an ocean – समुद्राची कन्या
  46. पातु वः – may protect us – आपले संरक्षण करो

Anand Sanskrit Composite Digest Pdf Std 10

Aakashi Zep Ghe Re Class 10 Marathi Chapter 16 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Marathi Kumarbharti Chapter 16 आकाशी झेप घे रे (कविता) Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Kumarbharti Chapter 16 आकाशी झेप घे रे (कविता) Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Marathi Chapter 16 Question Answer

Marathi Kumarbharti Std 10 Digest Chapter 16 आकाशी झेप घे रे Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
योग्य पर्याय ओळखा.
(अ) सुखलोलुप झाली काया म्हणजे …………………………………
(१) सुखाचा तिरस्कार वाटतो.
(२) सुखाबद्दल प्रेम वाटते.
(३) सुखाचे आकर्षण वाटते.
(४) सुख उपभोगण्याची सवय लागते.
उत्तर:
सुखलोलुप झाली काया म्हणजे – सुख उपभोगण्याची सवय लागते.

(आ) पिंजरा सोडून झेप घेतल्याने …………………………………
(१) काया सुखलोलुप होते.
(२) पाखराला आनंद होतो.
(३) आपल्याला स्वसामर्थ्याची जाणीव होते.
(४) आकाशाची प्राप्ती होते.
उत्तर:
पिंजरा सोडून झेप घेतल्याने – आपल्याला स्व-सामर्थ्याची जाणीव होते.

प्रश्न 2.
तुलना करा.
पिंजऱ्यातील पोपट – पिंजऱ्याबाहेरील पोपट पिंजरा
उत्तर:
पिंजऱ्यातील पोपट – पिंजऱ्याबाहेरील पोपट
(i) पारतंत्र्यात राहतो – स्वातंत्र्य उपभोगतो
(ii) लौकिक सुखात रमतो – स्वबळाने संचार करतो
(iii) कष्टाविण राहतो – कष्टात आनंद घेतो
(iv) जीव कावराबावरा होतो – सुंदर जीवन जगतो।
(v) मनात खंत करतो – मन प्रफुल्लित होते

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे

प्रश्न 3.
पाखराला स्वसामर्थ्याची ओळख करून देणाऱ्या कवितेतील ओळी शोधून लिहा.
उत्तर:
तुज पंख दिले देवाने कर विहार सामर्थ्याने

प्रश्न 4.
कवीने यशप्राप्तीच्या संदर्भात सांगितलेली सुवचने लिहा.
उत्तर:
(i) तुला देवाने पंख दिले आहेत. सामर्थ्याने विहार कर.
(ii) कष्टाविण फळ मिळत नाही.

प्रश्न 5.
काव्यसौंदर्य.
(अ) खालील ओळींचे रसग्रहण करा.
‘घामातुन मोती फुलले
श्रमदेव घरी अवतरले’

(आ) ‘आकाशी झेप घे रे पाखरा सोडी सोन्याचा पिंजरा’, या ओळीतील मथितार्थ स्पष्ट करा.
उत्तर:
‘आकाशी झेप घे रे’ या कवितेमध्ये कवी जगदीश खेबुडकर यांनी पारतंत्र्यात खितपत पडलेल्या पाखराला म्हणजेच माणसांच्या परावलंबी मनाला मोलाचा उपदेश केला आहे व स्वातंत्र्याचे मोल समजावून सांगितले आहे.

प्रस्तुत ओळीतील मथितार्थ असा की यामध्ये पाखराला आकाशात भरारी घेण्याचे आवाहन केले आहे. वैभव, सत्ता, संपत्ती हा लौकिकातील सोन्याचा पिंजरा आहे. त्यात अडकलेल्या जिवाची गती खुंटते. त्याच्या जीवनाची प्रगती होत नाही. सुखसोईमुळे कर्तृत्व थांबते, म्हणून हा सोन्याचा पिंजरा सोडून ध्येयाच्या मोकळ्या व उंच आकाशात तू झेप घे. अशा प्रकारची आत्मिक शिकवण या ओळींतून प्रत्ययाला येते.

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(इ) ‘स्वसामर्थ्याची जाणीव’ हा उत्तम व्यक्तिमत्त्व विकासाचा पाया आहे. हे विधान स्पष्ट करा.
उत्तर:
जीवन जगत असताना माणसाला अनेक अडचणींना तोंड दयावे लागते. समस्यांचा सामना करता करता कधी माणूस हतबल होऊन जातो. मग तो देवावर हवाला ठेवू लागतो. नशिबाला दोष देतो. पण हे असे वागणे अगदी नकारात्मक आहे. परिस्थिती बदलण्याचा माणसाने निकराने प्रयत्न करायला हवा. ‘प्रयत्ने वाळूचे कण रगडिता तेलही गळे।’ अशी समर्थ रामदासांची उक्ती आहे. त्याप्रमाणे आत्मबळ एकवटणे महत्त्वाचे ठरते. स्वत:च्या सामर्थ्यावर भरवसा ठेवता आला पाहिजे. कर्मवीर भाऊराव पाटील यांनी स्वत:च्या पोटाला चिमटा घेऊन गोरगरिबांच्या शिक्षणाची सोय केली. ‘रयत शिक्षण संस्था’ निर्माण केली. आज त्याचा महावृक्ष झाला आहे. यावरून असे स्पष्ट होते की ‘स्वसामर्थ्याची जाणीव’ हा उत्तम व्यक्तिमत्त्व विकासाचा पाया आहे.

(ई) ‘घर प्रसन्नतेने नटले’, याची प्रचिती देणारा तुमचा अनुभव लिहा.
उत्तर:
कवी जगदीश खेबुडकर यांनी ‘आकाशी झेप घे रे’ या कवितेमध्ये माणसाला उपदेश करताना घर प्रसन्नतेने नटायचे असेल तर श्रमदेवाची पूजा करावी लागेल व घामातून मोती फुलवावे लागतील हे समजावून सांगितले आहे. कोणतीही गोष्ट घरबसल्या मिळत नाही. ‘दे रे हरी। खाटल्यावरी।’ असा चमत्कार होणे शक्य नसते. घर प्रसन्नतेने कसे नटते याची प्रचिती देणारा माझा स्वत:चा अनुभव सांगतो – ‘मला माझ्या आईसाठी थंडीमध्ये स्वेटर विणायचे होते. मी अभ्यासाची व शाळेची वेळ सांभाळून फावल्या थोड्या वेळात दररोज एक तास काढून कष्टाने स्वेटर विणले. ते आईला देताना तिच्या डोळ्यांत जे आनंदाश्रू चमकले, तेच माझ्या कष्टाचे फळ होते. आईचा तो आनंद पाहून मला ‘घर प्रसन्नतेने नटल्याचा व घामातुन मोती फुलले’ या विधानाचा अर्थ कळला.

Marathi Kumarbharti Class 10 Textbook Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे Additional Important Questions and Answers

कृति

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न २ (अ) साठी…
प्रश्न. पुढील कवितेच्या आधारे दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा:

कृती १: (आकलन)

प्रश्न 1.
(i) देवाने पंख दिल्यामुळे – …………………………..
(१) हृदयात व्यथा जळते.
(२) जीव बिचारा होतो.
(३) सोन्याचा पिंजरा मिळतो.
(४) शक्तीने संचार करता येतो.
उत्तर:
देवाने पंख दिल्यामुळे – शक्तीने संचार करता येतो.

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प्रश्न 2.
पुढील क्रियापदांपुढे कोठे, कोण, काय ते लिहा:
(i) झेप घे – …………………………..
(ii) सोडून दे – …………………………..
(iii) जळते – …………………………..
(iv) अवतरले – …………………………..
(v) नटले – …………………………..
(vi) खायला मिळते – …………………………..
उत्तर:
(i) झेप घे – आकाशात
(ii) सोडून दे – सोन्याचा पिंजरा
(iii) जळते – हृदयात व्यथा
(iv) अवतरले – श्रमदेव घरात
(v) नटले – प्रसन्नतेने घर
(vi) खायला मिळते – रसाळ फळ.

प्रश्न 3.
(i) एका किंवा दोन शब्दांत उत्तर लिहा: (सराव कृतिपत्रिका-३)
(अ) पोपटाचे राहण्याचे ठिकाण – …………………………..
(आ) पोपटाचे खादय – …………………………..
उत्तर:
(i) (अ) पोपटाचे राहण्याचे ठिकाण – पिंजरा (सोन्याचा)
(आ) पोपटाचे खादय – फळे

(ii) पुढील शब्दसमूहाचा अर्थ स्पष्ट करा: (सराव कृतिपत्रिका-३)
‘तुज कळते परि ना वळते’
आकाशी झेप घे रे पाखरा Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे
सोडी सोन्याचा पिंजरा
तुजभवती वैभव, माया
फळ रसाळ मिळते खाया
सुखलोलुप झाली काया
हा कुठवर वेड्या घेसी आसरा
तुज पंख दिले देवाने
कर विहार सामर्थ्याने
दरि-डोंगर, हिरवी राने
जा ओलांडुनी या सरिता-सागरा
कष्टाविण फळ ना मिळते
तुज कळते परि ना वळते
हृदयात व्यथा ही जळते
का जीव बिचारा होई बावरा
घामातुन मोती फुलले
श्रमदेव घरी अवतरले
घर प्रसन्नतेने नटले
हा योग जीवनी आला साजिरा
उत्तर:
‘तुज कळते परि ना वळते’ – एखादी गोष्ट कशी करायची हे समजते परंतु कृती करता येत नाही.

कृती २: (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा: (सराव कृतिपत्रिका-३)
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे 2

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे

प्रश्न 2.
पुढील गोष्टींचे परिणाम लिहा:
(i) काया होते – …………………………..
(ii) कष्ट केल्यावर – …………………………..
(iii) जीवनात येतो – …………………………..
(iv) कळते पण – …………………………..
(v) बिचारा जीव होतो – …………………………..
उत्तर:
(i) काया होते. – सुखलोलुप
(ii) कष्ट केल्यावर – फळ मिळते
(iii) जीवनात येतो – सुंदर योग
(iv) कळते पण – वळत नाही
(v) बिचारा जीव होतो – बावरा

कृती ३: (काव्यसौंदर्य)

प्रश्न 3.
“सुखलोलुप झाली काया हा कुठवर वेड्या घेसी आसरा” या काव्यपंक्तीतील विचारसौंदर्य स्पष्ट करा. (सराव कृतिपत्रिका-३)

उत्तर:
कवी जगदीश खेबुडकर यांनी ‘आकाशी झेप घे रे’ या कवितेमध्ये लौकिक गोष्टींमध्ये व नाशिवंत गोष्टींमध्ये रस घेणाऱ्या सुखलोलुप माणसांना मोलाचा उपदेश केला आहे. कवी म्हणतात-मोह माया, पैसा, संपत्ती यांच्या लोभात माणूस गुरफटला की त्याची फसगत होते. प्रगती खुंटते. तात्पुरते हे फळ रसाळ वाटते, पण ते सुख नाशिवंत आहे. हे सुख फार काळ टिकणारे नाही. या सुखाला शरीर चटावते म्हणून यातून जागृत हो. या लौकिक सुखाचा आश्रय घेऊ नको. हा सोन्याचा पिंजरा सोडून भरारी घे, अशा प्रकारे या ओळीतून कवींनी सुखाला लालचावलेल्या माणसांना मौलिक संदेश दिला आहे.

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न २ (आ) साठी…

प्रश्न.
पुढील कवितेसंबंधी त्याखाली दिलेल्या मुद्दयांच्या आधारे कृती सोडवा: कविता-आकाशी झेप घे रे.
उत्तर:
(१) प्रस्तुत कवितेचे कवी: जगदीश खेबुडकर.
(२) कवितेचा रचनाप्रकार: गीतरचना.
(३) कवितेचा काव्यसंग्रह: (एक चित्रपटगीत).
(४) कवितेचा विषय: स्वसामर्थ्य व स्वातंत्र्य मोलाचे असते.

(५) कवितेतून व्यक्त होणारा (स्थायी) भाव: स्वसामर्थ्यावर विश्वास ठेवून स्वातंत्र्याचे मोल जाणत जगण्याची प्रेरणा देणारा भाव.

(६) कवितेच्या कवींची लेखनवैशिष्ट्ये: ध्रुपद व कडवी अशी या गीताची सुटसुटीत रचना आहे. रसाळ शब्दकळा व नेमके मर्म सांगणारी भाषा हे या कवितेचे प्रमुख वैशिष्ट्य आहे. पिंजरा हे पारतंत्र्याचे प्रतीक, तर पंख हे मुक्तपणे आकाशात विहार करण्याचे प्रतीक, दऱ्या-डोंगर, सरिता-सागर ही सर्व अडचणींची प्रतीके. सर्वसामान्य लोकांना सहज कळतील, आशय थेट मनाला भिडेल, अशी ही सोपी, साधी प्रतीके कवींनी वापरली आहेत. ‘फळ रसाळ मिळते’ याप्रमाणे अनुप्रासांचा सुंदर उपयोग केलेला आहे. एकूण, ही कविता रसाळ, प्रासादिक बनली आहे.

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(७) कवितेची मध्यवर्ती कल्पना: स्वत:च्या क्षमतेवर, स्वत:च्या सामर्थ्यावर अढळ विश्वास ठेवावा आणि त्या बळावर यशाच्या दिशेने दमदार पावले टाकीत पुढे जावे. ध्येयाकडे आपण पोहोचणारच याची मनोमन खात्री बाळगावी. तात्कालिक मोहाच्या गोष्टींमध्ये गुंतून पडू नये. स्वत:च्या मनाला मुक्त, स्वतंत्र ठेवावे. सुखलोलुपतेमध्ये मनाला अडकू देऊ नये. स्वातंत्र्याचे महत्त्व ओळखले पाहिजे, अशी या कवितेची मध्यवर्ती कल्पना आहे.

(८) कवितेतून व्यक्त होणारा विचार: माणसे अनेकदा दैवाच्या आहारी जातात. नशिबावर भरवसा ठेवतात. नशिबात असेल, तेच मिळेल; अधिक काहीही मिळणे शक्य नाही, अशी त्यांची ठाम समजूत असते. कवी जगदीश खेबुडकर ही समजूत दूर करायला सांगतात. त्यांच्या मते, माणसाने स्वत:चे सामर्थ्य ओळखले पाहिजे आणि कठोर परिश्रमांना सिद्ध झाले पाहिजे. कठोर परिश्रम केले, तर यश नक्कीच मिळते. प्रयत्नवाद हाच खरा विचार आहे.

(९) कवितेतील आवडलेली ओळ:
कष्टाविण फळ ना मिळते तुज कळते परि ना वळते हृदयात व्यथा ही जळते का जीव बिचारा होई बावरा

(१०) कविता आवडण्याची वा न आवडण्याची कारणे: ही कविता म्हणजे एक गाजलेले चित्रपट गीत आहे. त्याची चाल, संगीत चांगले आहे. गीत ऐकत राहावे असे वाटते. गीत दमदारपणे गायलेले आहे. ते लक्षातही राहते. मात्र एका ठिकाणी मन अडकते. अवतीभवती मोहाचा पसारा आहे; मन त्यात सहजपणे अडकते. हे सांगताना कवी म्हणतात, “तुजभवती वैभव माया/फळ रसाळ मिळते खाया.” पुढे, कष्ट केल्याशिवाय, खस्ता खाल्ल्याशिवाय फळ मिळत नाही. हे सांगताना कवी म्हणतात, “कष्टाविण फळ ना मिळते,” असे म्हटले आहे. यात काहीसा विरोध जाणवतो. हे थोडेसे खटकते.

(११) कवितेतून मिळणारा संदेश: माणसाने कष्टावर, प्रयत्नावर विश्वास ठेवला पाहिजे, ‘असेल हरी, तर देईल खाटल्यावरी’ असे मानू नये. नशिबाने काहीही मिळत नाही. प्रयत्नाने आपण आपले नशीब घडवत असतो. तसेच, केवळ देहाला तृप्त करणारी सुखे महत्त्वाची नसतात, ती तात्कालिक असतात. ती चिरकाल टिकत नाहीत. आपल्या प्रयत्नाने गगनात भरारी मारली पाहिजे. त्यातच खरे सुख असते; असा संदेश ही कविता देते.

रसग्रहण
कृतिपत्रिकेतील प्रश्न २ (इ) साठी…

प्रश्न.
पुढील ओळींचे रसग्रहण तुमच्या शब्दांत लिहा: ‘घामातुन मोती फुलले श्रमदेव घरी अवतरले.’
उत्तर:
आशयसौंदर्य: सुप्रसिद्ध मराठी गीतकार जगदीश खेबुडकर यांची ‘आकाशी झेप घे रे’ ही मराठी चित्रपटातील एक गीतरचना आहे. स्वसामर्थ्यावर अदम्य विश्वास ठेवून कर्तृत्वाचे मोकळे आकाश ओळखावे आणि ध्येयाकडे उंच भरारी घ्यावी, परावलंबित्व सोडून स्वावलंबी व्हावे, ही या कवितेची मध्यवर्ती कल्पना आहे. स्वकर्तृत्वाने यशाचे शिखर गाठावे व उच्च ध्येयाकडे झेप घ्यावी. पारतंत्र्याचा त्याग करून स्वातंत्र्याचे मोल जाणावे, हा अमूल्य संदेश ही कविता देते.

काव्यसौंदर्य: वरील ओळींमध्ये कवींनी श्रमाचे महत्त्व सांगितले आहे. कष्ट केल्याशिवाय फळ मिळत नाही, अविरत प्रयत्न व काबाडकष्ट करून जेव्हा शेतकरी शेतामध्ये खपतो, तेव्हा त्याला मोत्यांसारखे पीक मिळते. त्याच्या घामातून मोती फुलतात. ते धनधान्य त्याच्या घरी येते, तेव्हा त्याच्या श्रमाचे सार्थक होते. जणू श्रमदेव त्याच्या घरी अवतरतात.

भाषिक वैशिष्ट्ये: ध्रुपद व कडवी अशी या गीताची सुटसुटीत रचना आहे. रसाळ शब्दकळा व नेमके मर्म सांगणारी भाषा हे या कवितेचे प्रमुख वैशिष्ट्य आहे. ‘पिंजरा’ हे सुखलोलुपतेचे प्रतीक वापरले आहे व त्यात कैद झालेल्या मानवी मनाला ‘पक्षी’ म्हटले आहे. साध्या शब्दांत गहन आशय मांडला आहे. यमकप्रधान गेय रूपामुळे कविता मनात ठसते.

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व्याकरण व भाषाभ्यास

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न ४ (अ) आणि (आ) यांसाठी…
व्याकरण घटकांवर आधारित कृती:

कर्मधारय समास

  • कर्मधारय समास हा तत्पुरुष समासाचा एक प्रकार आहे.
  • कर्मधारय समासाची वैशिष्ट्ये:

(i) कधी पहिले पद विशेषण असते.
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(ii) कधी दूसरी पद विशेषण असते.
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(iii) कधी दोन्ही पदे विशेषण असतात.
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(iv) कधी पहिले पद उपमान असते.
उदा., कमलनयन → कमलासारखे डोळे

(v) कधी दुसरे पद उपमान असते.
उदा., बरसिंह → सिंहासारखा नर

(vi) कधी दोन्ही पदे एकरूप असतात.
उदा., विदयाधन → विदया हेच धन

१. समास:
(पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. ६२)

प्रश्न 1.
पुढील वाक्ये वाचून त्यांतील सामासिक शब्द ओळखा व त्यांचा विग्रह करा:
उदा., तलावातील नीलकमल किती शोभून दिसते आहे.
नीलकमल → नील असे कमल
(i) महाराष्ट्र राज्य समृद्ध आहे.
(ii) या पुस्तकाचे भाषांतर चांगले झाले आहे. –
(iii) आकाशात पांढराशुभ्र ढग तरंगत आहे.
उत्तर:
(i) महाराष्ट्र → महान असे राष्ट्र
(ii) भाषांतर → अन्य अशी भाषा (अंतर = अन्य)
(iii) पांढराशुभ्र → शुभ्र असा पांढरा
(पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. ६३)

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प्रश्न 2.
पुढील सामासिक शब्दांचा विग्रह करा:
(i) रक्तचंदन → ………………………….
(ii) घनश्याम → ………………………….
(iii) काव्यामृत → ………………………….
(iv) पुरुषोत्तम → ………………………….
उत्तर:
(i) रक्तचंदन → रक्तासारखे चंदन
(ii) घनश्याम → घनासारखा श्यामल
(ii) काव्यामृत → काव्य हेच अमृत
(iv) पुरुषोत्तम → उत्तम असा पुरुष
(पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. ६३)

प्रश्न 3.
पुढील वाक्ये वाचून त्यातील सामासिक शब्द ओळखा
व विग्रह करा: उदा., नेत्रांच्या पंचारतीनी सैनिकांना ओवाळले.
पंचारती → पाच आरत्यांचा समूह.
(i) असा माणूस त्रिभुवन शोधले तरी सापडायचा नाही.
(ii) नवरात्रात ठिकठिकाणी गरबा नृत्य चालते.
(iii) शाळेत आता हिंदी सप्ताह चालू आहे.
उत्तर:
(i) त्रिभुवन → तीन भुवनांचा समूह.
(ii) नवरात्र → नऊ रात्रींचा समूह.
(iii) सप्ताह → सात दिवसांचा समूह (आह = दिवस).
(पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. ६३)

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प्रश्न 4.
पुढील सामासिक शब्दांचा विग्रह करा:
(i) अष्टाध्यायी → ………………………….
(ii) पंचपाळे → ………………………….
(iii) द्विदल → ………………………….
(iv) बारभाई → ………………………….
(v) त्रैलोक्य → ………………………….
उत्तर:
(i) अष्टाध्यायी → आठ अध्यायांचा समूह.
(ii) पंचपाळे → पाच पाळ्यांचा समूह.
(iii) द्विदल → दोन दलांचा समूह. (दल = पान)
(iv) बारभाई → बारा भाईंचा समूह.
(v) त्रैलोक्य → तीन लोकांचा समूह.

२. अलंकार:

कृती करा: शिवप्रभू म्हणजे साक्षात तळपती तलवार होय.
उपमेय → [ ] उपमान → [ ]
अलंकार → [ ] अलंकाराचे वैशिष्ट्य → [ ]
उत्तर:
उपमेय → [शिवप्रभू]
उपमान → [तळपती तलवार]
अलंकार → [रूपक]
अलंकाराचे वैशिष्ट्य → [उपमेय व उपमान यांत अभेद आहे]

३. वृत्त:

‘मालिनी’ या वृत्ताची लक्षणे सांगून उदाहरण दया.
उत्तर:
लक्षणे – हे एक अक्षरगण वृत्त आहे. चार चरण, प्रत्येक चरणात १५ अक्षरे. गण – न न म य य यति -८व्या अक्षरावर उदाहरण: तदितर खग भेणे वेगळाले पळाले
उपवन जल केली जे कराया मिळाले स्वजन गवसला तो त्याजपाशी नसे तो कठिण समय येता कोण कामास येतो.

४. शब्दसिद्धी:

प्रश्न 1.
पुढील शब्दांना आळ’ हा प्रत्यय लावून शब्द तयार करा:
(i) रस – ………………………….
(ii) मध – ………………………….
उत्तर:
(i) रस – रसाळ
(ii) मध – मधाळ.

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प्रश्न 2.
‘प्रति’ हा उपसर्ग असलेले चार शब्द लिहा:
(i) ……………………………….
(ii) ……………………………….
(ii) ……………………………….
(iv) ……………………………….
उत्तर:
(i) प्रतिबिंब
(ii) प्रतिदिन
(iii) प्रतिध्वनी
(iv) प्रतिकूल.

५. सामान्यरूप:

तक्ता पूर्ण करा:
शब्द – सामान्यरूप
(i) सामर्थ्याने – …………………….
(ii) कष्टाविण – …………………….
(iii) हृदयात – …………………….
(iv) प्रसन्नतेने – …………………….
उत्तर:
शब्द – सामान्यरूप
(i) सामथ्याने – सामर्थ्या
(ii) कष्टाविण – कष्टा
(iii) हृदयात – हृदया
(iv) प्रसन्नतेने – प्रसन्नते

६. वाक्प्रचार:
योग्य अर्थाची निवड करा:
(i) फळ मिळणे –
(अ) कार्य यशस्वी होणे
(आ) खायला मिळणे.

(ii) विहार करणे –
(अ) संचार करणे
(आ) फिरून येणे.
उत्तर:
(i) फळ मिळणे – कार्य यशस्वी होणे.
(ii) विहार करणे – संचार करणे,

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आ (भाषिक घटकांवर आधारित कृती:
१. शब्दसंपत्ती:
(१) प्रत्येकी दोन समानार्थी शब्द लिहा:
(i) काया =
(ii) आकाश =
(iii) कष्ट =
(iv) देव =
उत्तर:
(i) काया = शरीर – देह
(ii) आकाश = आभाळ – गगन
(iii) कष्ट = श्रम – मेहनत
(iv) देव = ईश्वर – ईश

(२) पुढील शब्दांच्या अक्षरांपासून चार अर्थपूर्ण शब्द बनवा:
(i) तुजभवती –
(ii) जीवनात –
उत्तर:
(i) तुजभवती → तुज – भवती – भव – भज
(ii) जीवनात → जीव – जीना – जीत – वनात

(३) गटात न बसणारा शब्द लिहा:
(i) डोंगर, गिरी, अचल, टेकडी, पर्वत.
(ii) सागर, घागर, समुद्र, सिंधू, रत्नाकर.
(iii) रान, जंगल, झाडे, कानन, विपीन,
(iv) घर, गृह, सहवास, निवास, आलय.
उत्तर:
(i) टेकडी
(ii) घागर
(iii) झाडे
(iv) सहवास.

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(४) पुढील शब्दांचे भिन्न अर्थ लिहा:
[ ] ← परी → [ ]
[ ] ← माया → [ ]
उत्तर:
परंतु ← परी → पंख असलेली देवता
पैसा ← माया → जिव्हाळा

२. लेखननियम:
अचूक शब्द निवडा:
(i) सर्वोच्च/सर्वोच/सरवोच्च/सर्वोच्य,
(ii) स्फूर्ती/स्फूर्ति/स्फुर्ती/स्फुर्ति.
(iii) सयूक्तिक/सयुक्तीक/सयुक्तिक/संयुक्तीक.
(iv) पश्चाताप/पश्चात्ताप/प्रश्याताप/पश्चत्ताप.
उत्तर:
(i) सर्वोच्च
(ii) स्फूर्ती
(iii) सयुक्तिक
(iv) पश्चात्ताप:

३. विरामचिन्हे:
पुढील ओळीतील विरामचिन्हे ओळखा:
दरि-डोंगर, हिरवी राने
उत्तर:
[ – ] संयोगचिन्ह
[ , ] स्वल्पविराम

४. पारिभाषिक शब्द:
पुढील इंग्रजी पारिभाषिक शब्दांसाठी योग्य पर्याय निवडा:

(i) Category – ……………………………………
(१) अवर्ग
(२) प्रवर्ग
(३) निवडक
(४) सूचक.

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(ii) Documentary – ……………………………………
(१) बोलपट
(२) चित्रपट
(३) माहितीपट
(४) रंगपट.

(iii) Honourable – …………………………………… (मार्च ‘१९)
(१) वंदनीय
(२) पूजनीय
(३) श्रवणीय
(४) माननीय.

(iv) Verbal – ……………………………………
(१) आर्थिक
(२) शाब्दिक
(३) आंतरिक
(४) सामाजिक.
उत्तर:
(i) प्रवर्ग
(ii) माहितीपट
(iii) माननीय
(iv) शाब्दिक.

५. अकारविल्हे / भाषिक खेळ:

प्रश्न 1.
पुढील शब्द अकारविल्हेनुसार लिहा:
पिंजरा → पक्षी → जायबंदी → सुटका.
उत्तर:
जायबंदी → पक्षी → पिंजरा → सुटका.

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प्रश्न 2.
कृती करा:
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उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 16 आकाशी झेप घे रे 7

आकाशी झेप घे रे Summary in Marathi

आकाशी झेप घे रे कवितेचा भावार्थ

लौकिक विनाशी गोष्टीत गुंतलेल्या मनाला मोलाचा उपदेश करताना कवी म्हणतात –

हे पाखरा (हे माणसाच्या चंचल मना), तू ध्येयपूर्तीसाठी आकाशात उंच भरारी मार, सत्ता, संपत्ती याने वेढलेल्या सोन्याच्या या पिंजऱ्याचा मोह तू सोडून दे. हा सोन्याचा पिंजरा तुझ्या इच्छांच्या सफलतेला घातक आहे. या पिंजऱ्याचा त्याग करून तू यशाच्या शिखराकडे झेप घे. पारतंत्र्याचा त्याग करून स्वातंत्र्याचा आनंद घे.

आता तू मोहमाया, पैसा, संपत्ती यांच्या गराड्यात घेरलेला आहेस. तुला सुखाचे फळ खायला मिळते आहे. तुझे शरीर या लौकिक सुखाला लालचावलेले आहे. या सुखात तू लोळतो आहेस. पण हे सुख किती काळ टिकेल? या सुखाचा आश्रय लवकरच संपेल. हे वेड्या मना, तू जागृत हो आणि लौकिक तात्पुरत्या सुखाचा त्याग कर.

हे पाखरा (मनपाखरा), ईश्वराने तुला उडण्यासाठी पंख दिले आहेत. पंखांतील बळाने तू आकाशात मुक्तपणे संचार कर. जमिनीलगत असणारे डोंगर–दऱ्या, हिरवी राने, नया व समुद्र सारे (अडथळे) ओलांडून दिशांच्या पार जा.

कष्ट केल्याशिवाय फळ मिळत नाही. आयते कोणतेही सुख मिळत नाही. त्यासाठी अपार मेहनत करावी लागते; हे तुला समजते पण कृतीमध्ये, आचरणात, वागणुकीत येत नाही. त्यामुळे तुझे मनातले दुःख मनातल्या मनात जळत राहते, धुमसत राहते, स्वातंत्र्याची ओढ तर आहे; पण त्याची पूर्तता होत नाही. त्यामुळे तुझा बिचारा जीव कावराबावरा होतो, कासावीस होतो.

घाम गाळला की शेतात मोती पिकतात. पिके बहरतात. हा श्रमरुपी ईश्वराचा चमत्कार आहे. कष्ट करून घरात येणारे धान्य म्हणजेच श्रमदेवाचे घरात होणारे आगमन होय, त्या वेळी घरात समृद्धी व प्रसन्नता होते. कष्ट केल्याने असा सुखाचा गोड, सुंदर प्रसंग आयुष्यात येतो, हे जाणून घे व स्वातंत्र्याचे मोल जाण.

आकाशी झेप घे रे शब्दार्थ

  • तुजभवती – तुझ्या भोवताली, आजूबाजूला.
  • वैभव – समृद्धी.
  • माया – पैसा, संपत्ती.
  • रसाळ – रसपूर्ण, मधुर, गोड.
  • सुखलोलुप – सुखाची आसक्ती, सुखाने घेरलेली.
  • काया – शरीर.
  • आसरा – आश्रय, निवारा.
  • विहार – संचार,
  • सामर्थ्याने – शक्तीने, बळाने.
  • सरिता – नदी.
  • सागर – समुद्र.
  • कष्टाविण – मेहनतीशिवाय,
  • परि – पण, परंतु.
  • व्यथा – दुःख, वेदना.
  • बिचारा – गरीब.
  • बावरा – गोंधळलेला, बावरलेला.
  • श्रमदेव – कष्टाचा ईश्वर.
  • अवतरले – प्रकटले, आले.
  • प्रसन्नता – टवटवीतपणा, उल्हसित.
  • नटले – शोभले.
  • योग – घटना, प्रसंग.
  • साजिरा – सुंदर, सुरेख.

आकाशी झेप घे रे वाक्प्रचार व त्यांचे अर्थ

  • आकाशी झेप घेणे : मन ध्येयाकडे उंच झेपावणे.
  • विहार करणे : विहरणे, संचार करणे.
  • फळ मिळणे : कार्य यशस्वी होणे.
  • जीव बिचारा होणे : गोंधळून जाणे, गडबडून जाणे.
  • घामातून मोती फुलणे : कष्टातून फळ (यश) मिळणे.
  • जीवनात योग येणे : आयुष्यात सुखकारी घटना घडणे.

आकाशी झेप घे रे म्हण व तिचा अर्थ

कळते पण वळत नाही – एखादी गोष्ट किंवा तत्त्व समजते, परंतु त्याप्रमाणे आचरण होत नाही, कृती होत नाही.

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कृति

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न १ (अ) आणि (आ) यांसाठी…

प्रश्न 1.
खालील आकृती पूर्ण करा.
(i) Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 12

(ii) Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 11

प्रश्न 2.
कारणे लिहा.
(अ) हॉटेल मालकाने चार रोबो खरेदी केले, कारण ……………………………”
(आ) हॉटेल मालकाची द्विधा मन:स्थिती संपली, कारण ……………………………
उत्तर:
(अ) हॉटेलच्या मालकाने चार रोबो खरेदी केले; कारण त्याला वेटरचा प्रश्न कायमचा निकालात काढायचा होता.
(आ) हॉटेल मालकांची द्विधा मन:स्थिती संपली, कारण रोबो वेटरपेक्षा मानवी वेटर ठेवणेच श्रेयस्कर आहे, हे मालकांना पटले.

प्रश्न 3.
रोबर्बोना कामे करण्यासाठी सज्ज करण्याच्या कृतींच्या घटनाक्रमाचा ओघतक्ता तयार करा.
(अ) चार्जिंग सुरू करणे.
(आ) ↓
________________
(इ) ↓
________________
(ई) ↓
________________
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 17

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 4.
खालील शब्दसमूहांचा अर्थ तुमच्या शब्दांत लिहा.
(अ) वाळवंटातील हिरवळ ________________
(आ) कासवगती ________________
(इ) अचंबित नजर ________________
(ई) द्विधा मन:स्थिती ________________
उत्तर:

प्रश्न 5.
खालील वाक्प्रचारांचा योग्य अर्थ शोधा व लिहा.
(अ) आनंद गगनात न मावणे
(१) आनंद हद्दपार होणे.
(२) आकाश हातात न मावणे.
(३) खूप आनंद होणे.
(४) आकाशाशी नाते जडणे.
उत्तर:
आनंद गगनात न मावणे – खूप आनंद होणे.

(आ) काडीचाही त्रास न होणे
(१) प्रचंड त्रास होणे.
(२) काडीमोड होणे.
(३) अजिबात त्रास न होणे.
(४) खूप त्रास न होणे.
उत्तर:
काडीचाही त्रास न होणे – अजिबात त्रास न होणे.

प्रश्न 6.
शब्दसमूहाबद्दल एक शब्द लिहा.
(अ) अपेक्षा नसताना [ ]
(आ) ज्याचे आकलन होत नाही असे [ ]
(इ) कुठलीही अपेक्षा न ठेवता [ ]
उत्तर:
(अ) अपेक्षा नसताना – अनपेक्षित
(आ) ज्याचे आकलन होत नाही असा – अनाकलनीय
(इ) कुठलीही अपेक्षा न ठेवता – निरपेक्षतेने

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 7.
स्वमत.
(अ) रोबो व माणूस यांच्या वागण्यातील ठळक फरक पाठाच्या आधारे स्पष्ट करा.
उत्तर :
हॉटेल हेरिटेजमध्ये काम करणारे चार रोबो वेटर हे यंत्र होते. अचानक एके दिवशी त्यांच्यात बिघाड झाला आणि विचित्र पद्घतीने वागून त्यांनी मोठा गोंधळ उडवून दिला. तिथे माणसे असती तर वेगळे चित्र दिसले असते. मानवी वेटरांनी परिस्थिती बघून स्वत:हून कामात योग्य ते बदल केले असते. रोबोंसारखी विचित्र कृती नक्कीच केली नसती. दुसऱ्या प्रसंगी तर झोपलेली बाई आणि बेशुद्ध पडलेली बाई यांच्यातला फरक रोबोंना कळलाच नाही. ती बाई बेशुद्ध पडलेली आहे, हे मनोजला कळले. म्हणून योग्य ती उपाययोजना तातडीने केली गेली आणि त्या बाईचा प्राण वाचला. रोबोला स्वत:ची बुद्धी नसल्यामुळे तो स्वतंत्रपणे विचार करू शकला नाही. जिथे जिथे यंत्रमानव आहेत तिथे तिथे हेच घडणार.

(आ) तंत्रज्ञान हे माणसाला पूरक आहे, पर्याय नाही’, या विधानाबाबत तुमचे विचार लिहा.
उत्तर :
आपण करीत असलेले काम योग्य की अयोग्य, चांगले की वाईट, हे यंत्राला ठरवता येत नाही. ते माणूसच ठरवू शकतो. कारण माणसाकडे मन, बुद्धी व भावना या गोष्टी असतात. यंत्राकडे मात्र या गोष्टी नसतात, माणूस स्वत:च्या बुद्धीने, स्वत:च्या अंत:करणाने काम करतो. यंत्र हे.सांगकाम्या नोकर असते. त्याला सज्जन-दुर्जन, पापीपुण्यवान हे काहीही कळत नाही. म्हणून यंत्र कधीच मानवाची जागा घेऊ शकत नाही. कामे त्वरेने, अचूक व सफाईदारपणे करण्यासाठी यंत्र मदत करते; म्हणजे ते माणसाला पूरक आहे. ते माणसाला पर्याय ठरू शकत नाही.

(इ) ‘माणसुकीमुळेच माणूस श्रेष्ठ ठरतो’, या विधानाचा अर्थ स्पष्ट करा.
उत्तर :
हॉटेल हेरिटेजमध्ये घडलेल्या प्रसंगातून आपल्याला खूप मोलाचा संदेश मिळतो. या हॉटेलमध्ये रोबो वेटर ठेवल्यामुळे खूप फायदा झाला, वेटरसंबंधातल्या समस्या दूर करता आल्या, यात शंका नाही, पण कोणत्याही मानवी व्यवहारांमध्ये एवढे पुरेसे नसते. माणसांशी माणसासारखे वागण्याला खूप महत्त्व असते. असे वागता येण्यासाठी प्रथम आपल्या मनात माणुसकी असावी लागते. रोबो यांत्रिकपणे निर्णय घेतात. एक गोष्ट येथे लक्षात घेतली पाहिजे की, कोणत्याही घटनेने माणसांच्या जीवनात भावनिक व वैचारिक वादळे निर्माण होतात. हा परिणाम प्रत्येकाला ओळखता आला पाहिजे. हे फक्त मानवी मनालाच शक्य आहे. माणसाकडेच माणुसकी असते. सर्व प्राण्यांमध्ये माणूस श्रेष्ठ ठरला, याचे कारण माणसाकडे असलेली माणुसकी होय.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

उपक्रम : ‘यंत्रमानवाचा रिमोट माणसाच्या हातात’, या विधानाबाबत वर्गात चर्चा करा व चर्चेतील मुद्द्यांचा अहवाल लिहा.

भाषाभ्यास

खालील कृती सोडवा.
(अ) आला हा दारि उभा वसंत फेरीवाला पोते खांदयावरि सौदयाचे, देईल ज्याचे त्याला
(१) वरील उदाहरणातील अलंकार-
(२) त्या अलंकाराची वैशिष्ट्ये- (i) [     ]
(ii) [     ]
उत्तर:
(१) निर्जीव वस्तूवर सजीव मानवी भावनांचे आरोपण करणे.
(२) वसंत ऋतूला फेरीवाला असे संबोधिले आहे.

(आ) लहानपण देगा देवा। मुंगी साखरेचा रवा।
ऐरावत रत्न थोर। त्यासि अंकुशाचा मार।
(१) संत तुकाराम महाराजांनी वरील अभंगात ज्या दोन गोष्टींची तुलना केली आहे त्या गोष्टी
उत्तर:
[मुंगी]

(२) वरील उदाहरणातील अलंकार
उत्तर:
अलंकार – हा दृष्टान्त अलंकार आहे.

(३) या अलंकाराची वैशिष्ट्ये- (i) ………………………………
(ii) ………………………………
उत्तर:
(१) नम्रता या गुणाची महती सांगितली आहे.
(२) एखादा विचार पटवून देताना त्याच अर्थाची समर्पक उदाहरणे दिली आहेत.

(इ) संसार सागरी विहरे जीवन नौका
(१) वरील उदाहरणातील उपमेये – [ ] [ ]
(२) वरील उदाहरणातील उपमाने – [ ] [ ]
(३) वरील उदाहरणातील अलंकार – [ ]
उत्तर:
(i) उपमेय → (१) [संसार] [जीवन]
(i) उपमाने → (२) [सागर नौका]
(iii) अलंकार → [रूपक]

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

(ई) खालील ओळी वाचून रिकाम्या जागा भरा.
सावळा ग रामचंद्र। रत्नमंचकी झोपतो।
त्याला पाहता लाजून। चंद्र आभाळी लोपतो।।

उपमेय उपमान अलंकाराचे नाव अलंकाराची वैशिष्ट्ये

उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 25

मैत्री तंत्रज्ञानाशी

आई : तुषार, अरे तुषार आवर लवकर. आपल्याला किराणा सामान खरेदी करायला जायचं आहे. थोडे कपडेही खरेदी करायचे आहेत, चल आवर लवकर.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 3

तुषार : आई, आज नको गं. मला खूपच कंटाळा आला आहे. आज मला सुट्टी आहे. खरेदीला गेलो, तर मला खेळायलाही मिळणार नाही.

आई : अरे, असं काय करतोस. आपण लवकर परत येऊ.

वडील : (तुषारच्या आईस) अगं, तुझा आणि तुषारचा वेळ खरेदीसाठी कशाला घालवतेस. आजकाल सर्व वस्तूंची खरेदी घरबसल्या करता येते. ऑनलाइन खरेदी करशील, तर तूही नक्कीच शिकशील. कशी करायची ते मी तुला शिकवतो. यामुळे तुझा वेळ आणि श्रमही वाचतील. प्रयत्न

आई : अहो, तुमचेही बरोबर आहे. घरबसल्या ऑनलाइन खरेदी केल्याने कितीतरी कामे सोपी होत आहेत. मला माझ्या कामाच्या पद्धतीत बदल केलाच पाहिजे. आजपासून मीही ऑनलाइन खरेदी करण्याचा नक्कीच प्रयत्न करणार आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

वडील : बरोबर आहे. काळानुरूप प्रत्येकानेच नवनवीन बदल स्वीकारले पाहिजेत.

Marathi Kumarbharti Class 10 Textbook Solutions Chapter 18 निर्णय Additional Important Questions and Answers

प्रश्न. पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा :

कृती १ : (आकलन)

आकृत्या पूर्ण करा :

(i) Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 4
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 9

(ii) Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 5
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 10

(iii) Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 8
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 13

कृती २ : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृत्या पूर्ण करा :
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 14
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 16

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
कारणे लिहा :
(i) रोबोंमुळे कमाई दुप्पट होण्याची शक्यता होती; कारण –
उत्तर:
रोबोंमुळे कमाई दुप्पट होण्याची शक्यता होती; कारण रोबो वेटर हे मानवी वेटरच्या दुप्पट काम करतात,

प्रश्न 3.
दोन-तीन महिन्यांत परिणाम घडवून आणणाऱ्या बाबी :
(i) ……………………………………
(ii) ……………………………………
(iii) ……………………………………
उत्तर:
(i) स्वच्छता
(ii) टापटीप
(iii) विनम्र व तत्पर सेवा.

कृती ३ : (व्याकरण)

प्रश्न 1.
पुढील वाक्यातील एकवचनी शब्दांचे अनेकवचनी रूप योजून वाक्य पुन्हा लिहा :
शहराच्या बाजारपेठेत असणारे आमचे हॉटेल चांगले प्रशस्त आहे.
उत्तर:
शहरांच्या बाजारपेठांमध्ये असणारी आमची हॉटेले चांगली प्रशस्त आहेत.

प्रश्न 2.
‘खाणेपिणे’ यासारखे आणखी चार जोडशब्द लिहा.
उत्तर:
(i) येणेजाणे
(ii) उठणेबसणे
(ii) करणेसवरणे
(iv) रडणेभेकणे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 3.
पुढील शब्दांना मराठी प्रतिशब्द लिहा :
(i) एजंट
(ii) स्वीपर
(iii) रोबो
(iv) वेटर
(v) हेरिटेज
(vi) सर्व्हिस
(vii) सर्व्हिसिंग
(viii) मेमरी कार्ड
(ix) पॉवर स्वीच,
उत्तर:
(i) एजंट – दलाल, प्रतिनिधी.
(ii) स्वीपर – सफाई कामगार.
(iii) रोबो – यंत्रमानव.
(iv) वेटर – वाढपी.
(v) हेरिटेज – वारसा.
(vi) सर्व्हिस – सेवा.
(vii) सर्व्हिसिंग – सुस्थितीकरण.
(viii) मेमरी कार्ड – स्मरणकोश.
(ix) पॉवर स्वीच – वीजबटण.

उतारा क्र. २
प्रश्न. पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा :

कृती १: (आकलन)

प्रश्न 1.
कारणे लिहा :
(i) वीस हजार रुपये वाचवल्याचा मला आनंद झाला होता; कारण –
(ii) पण वीस हजार वाचवल्याचा आनंद फार काळ टिकला नाही; कारण –
उत्तर:
(i) वीस हजार रुपये वाचवल्याचा मला आनंद झाला होता, कारण हॉटेलच्या मालकांनी स्वत:च चारही रोबोंचे सर्व्हिसिंग केल्याने सर्व्हिसिंगचा वीस हजार रुपये हा खर्च वाचला होता.
(ii) पण वीस हजार वाचवल्याचा आनंद फार काळ टिकला नाही, कारण मालकांनी स्वत:च सर्व्हिसिंग केलेले रोबो विचित्र वागू लागले आणि हॉटेलची अब्रू जायची वेळ आली.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
शामूच्या विचित्रपणाच्या कृती लिहा.
उत्तर:
(i) कोणालाही विपरीत वाटावे इतक्या सावकाशीने शामू हालचाली करीत होता.
(ii) मध्येच भराभर ताटे उचलू लागला आणि ती मांडू लागला. ही कृती पुन्हा पुन्हा करू लागला. त्याच्या अनाकलनीय हालचालींमुळे सर्व ग्राहक आश्चर्याने थक्क होऊन एकमेकांकडे, तर कधी शामूकडे पाहत होते.

प्रश्न 3.
सर्व्हिसिंगचे शुल्क दुप्पट झाल्याचा परिणाम लिहा.
उत्तर:
(i) दुप्पट शुल्कवाढ हॉटेल मालकांना पटलीच नाही.
(ii) सर्व्हिसिंगचे काम त्या कंपनीला देण्याऐवजी आपणच करावे; सर्व्हिस इंजिनियर जे जे करतो ते ते आपण करावे, असे मालकांना वाटले.
(iii) शहरात रोबो मेकॅनिक खूप झाले असल्याने दुरुस्तीसंबंधात फार अडचण होणार नाही, असेही मालकांना वाटले.
(iv) मालकांनी त्या रोबो कंपनीशी सर्व्हिसिंगचा करार केला नाही.

प्रश्न 4.
ग्राहकांनी केलेल्या तक्रारी सांगा,
उत्तर:
(i) शामू कासवाप्रमाणे खूपच सावकाश काम करतो.
(ii) राजू पंधरा मिनिटांपूर्वी विलक्षण त्वरेने कामे करीत होता. आता अवसान गळल्याप्रमाणे मंदगतीने काम करीत होता.
(iii) एका बाईने स्वत:च्या लहानग्या बाळासाठी एक कप दूध आणायला सांगितले. पण तास उलटून गेला तरी अजून दूध आणलेले नाही. पोरगे झोपले म्हणून बरे झाले.
(iv) शामू तर भराभर ताटे उचलत होता आणि मांडत होता. हीच कृती तो पुन्हा पुन्हा करीत होता.

कृती २ : (आकलन)

प्रश्न 1.
ग्राहकांच्या तक्रारींचे निवारण करताना मालकांनी केलेल्या कृती लिहा.
उत्तर:
(i) मालकांनी ताबडतोब मनोजला लंच विभागाकडे लक्ष दयायला सांगितले.
(ii) शामूला घेऊन ते स्वयंपाकघराकडे गेले.
(iii) शामूच्या बॅटरीतला विदयुतसाठा कमी झाल्यामुळे तो मंद गतीने काम करीत असावा अशी शंका त्यांना आली. म्हणून बॅटरीमध्ये अधिक  दयुतसाठा भरण्यासाठी त्यांनी शामूच्या पोटावरील ‘एनर्जी’ हे बटण चारपाच वेळा दाबले.
(iv) शामू पूर्वीसारखा त्वरेने, तत्परतेने काम करू लागल्याने मालकांना खूप आनंद झाला.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
मालकांनी शामूच्या पोटावरील ‘एनर्जी’ हे बटण दाबल्याने घडून आलेले परिणाम सांगा,
उत्तर:
(i) शामू पूर्वीसारखा नीट काम करू लागला.
(ii) शामूमध्ये झालेला बदल पाहून मालक आनंदित झाले.
(iii) पण थोड्याच अवधीत शामू अचानक अधिक चपळ झाला. त्याच्या कामाचा वेग प्रचंड वाढला.
(iv) तो अचानक भराभर ताटे उचलू लागला आणि लागलीच मांडू लागला. हीच गोष्ट तो पुन्हा पुन्हा करू लागला.

प्रश्न 3.
पुढील तक्ता पूर्ण करा :
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 18
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 19

प्रश्न 4.
रोबो कंपनीने तयार केलेल्या नवीन रोबोंची माहिती लिहा.
उत्तर:
रोबो कंपनीच्या नवीन रोबो वेटरांचा दर्जा खूपच चांगला आहे. रिमोट सिस्टिममुळे लांबूनही त्यांच्यावर नियंत्रण ठेवणे शक्य आहे. कंपनीची देखभाल सेवा स्वीकारल्यावर तर काडीचाही त्रास होणार नाही, अशी रोबो कंपनीचे प्रतिनिधी हॉटेलच्या मालकांना खात्री देत होते.

कृती ३ : (व्याकरण)

प्रश्न 1.
रिकाम्या चौकटी भरा :
अनाकलनीय : प्रत्यय – [      ]
हा प्रत्यय असलेले अन्य शब्द – [      ]
उत्तर:
अनाकलनीय : प्रत्यय – [ईय]
हा प्रत्यय असलेले अन्य दोन शब्द – {भारतीय कुटुंबीय]

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
पुढील शब्दांना प्रमाण मराठीतील प्रतिशब्द द्या :
(i) मेकॅनिक
(ii) लंच सेक्शन
(ii) चार्जिग
(iv) एनर्जी
(v) किचन
(vi) क्वालिटी
(vii) रिमोट कंट्रोल सिस्टिम,
उत्तर:
(i) मेकॅनिक – यंत्रज्ञ
(ii) लंच सेक्शन – भोजनकक्ष, भोजनघर
(iii) चार्जिंग – वीज साठवण
(iv) एनर्जी – ऊर्जा
(v) किचन – स्वयंपाकघर
(vi) क्वालिटी – गुणवत्ता
(vii) रिमोट कंट्रोल सिस्टिम – दूरनियंत्रण व्यवस्था,

प्रश्न 3.
‘हालचाल’ यासारखे अन्य चार शब्द लिहा.
उत्तर:
कपडालत्ता, कागदपत्र, अक्कलहुशारी, बाजारहाट,

उतारा क्र. ३
प्रश्न, पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा :

कृती १: (आकलन)

प्रश्न 1.
कारणे लिहा :
(i) हॉटेल मालक द्विधा मन:स्थितीत होते; कारण –
(ii) हॉटेलमध्ये गि-हाईक जेमतेम येत होतं; कारण –
उत्तर :
(i) हॉटेल मालक द्विधा मन:स्थितीत होते, कारण इंजिनियरचे बोलणे आठवले की रोबो वेटर घेण्याची इच्छा होई आणि रोबो वेटरांमुळे झालेली फजिती आठवली की रोबो वेटर न घेतलेले बरे, असे वाटू लागे.
(ii) हॉटेलमध्ये गिहाईक जेमतेम येत होतं, कारण रोबो वेटरांनी घातलेल्या गोंधळामुळे हॉटेलची बरीच बदनामी झाली होती.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
शनिवारी हॉटेलात आलेल्या स्त्री-ग्राहकासंबंधीचा प्रसंग लिहा.
उत्तर :
एक साधारणपणे पस्तीस वर्षांची स्त्री स्वत:च्या कारमधून उतरली. तिच्यासोबत तिची दोन मुले होती. ती मुलांसोबत एसी रूममध्ये गेली. त्या खोलीची जबाबदारी रोबो रामूकडे होती. तो तत्परतेने आत गेला. एसी चालू केला. खादयपदार्थांची मागणी नोंदवून घेतली. ते पदार्थ त्यांना आणून दिले आणि मग तो दुसऱ्या कामाला लागला.

प्रश्न 3.
एसी रूममधील काळजी वाटायला लावणारी घटना लिहा.
उत्तर :
सुमारे दहाएक मिनिटांनंतर एसी खोलीतून लहान मुलाचा रडण्याचा आवाज ऐकू येऊ लागला. काही वेळातच तो आवाज वाढला. थोड्याच वेळात दोन मुलांच्या रडण्याचा आवाज ऐकू आला. ही मालकांना काळजी करायला लावणारी घटना होती.

प्रश्न 4.
एसी रूममधील मुले रडण्याच्या घटनेचे –
(i) रोबो वेटरने केलेले निरीक्षण :
(ii) मनोजने केलेले निरीक्षण :
उत्तर :
एसी खोलीतल्या मुलांच्या रडण्याच्या घटनेचे –
(i) रोबो वेटरने केलेले निरीक्षण : रोबो वेटरला वाटले की, ती बाई झोपली आहे आणि आई झोपली म्हणून मुले रडत आहेत.
(ii) मनोजने केलेले निरीक्षण : दृश्य पाहून मनोज घाबरला. ती बाई चक्कर आल्यामुळे बेशुद्ध होऊन खाली पडली. या अनपेक्षित प्रसंगाने मुले घाबरली आणि रडू लागली.

कृती २ : (आकलन)

प्रश्न 1.
डॉक्टरांनी बाईच्या आजारपणाबाबतचे केलेले निदान व त्यांनी दिलेला सल्ला सांगा.
उत्तर :
डॉक्टरांचे निदान असे होते : त्या बाईचा रक्तदाब अचानक कमी झाला, रक्तदाब कमी झाला की माणूस बेशुद्ध होऊन खाली कोसळतो. त्या बाईच्या बाबतीत तसेच झाले. अशा वेळी ताबडतोब वैदयकीय उपचार सुरू केले पाहिजेत. हॉटेल मालकांनी त्वरित हालचाली करून तिला हॉस्पिटलमध्ये नेले. ही त्वरा झाली नसती, तर त्या बाईच्या जिवाला धोका निर्माण झाला असता. आता तसा धोका नव्हता. डॉक्टरांनी तिला विश्रांती घ्यायला सांगितले.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
स्त्री-ग्राहक बेशुद्ध होऊन पडण्याच्या प्रसंगानंतर मालकांच्या मनात आलेला विचार लिहा.
उत्तर :
रात्री झोपताना मालकांच्या मनात विचार आला की, मनोजला त्या एसी खोलीत निरीक्षण करण्यासाठी पाठवले म्हणून बरे झाले. ते रोबो वेटरवर विसंबून राहिले असते तर त्या स्त्रीचा मृत्यू ओढवला असता. हॉटेलमध्ये मृत्यूघडल्यामुळे मालकांवर निष्काळजीपणाचा ठपका आला असता. प्रचंड गहजब झाला असता, नाचक्की झाली असती आणि हॉटेल बंद करावे लागले असते. मालकांना केवळ कल्पनेनेच हादरवून टाकणारा हा प्रसंग होता.

प्रश्न 3.
फरक लिहा :
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 20
उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 21

प्रश्न 4.
हॉटेलमध्ये एक बाई आजारी पडण्याच्या प्रसंगानंतर मालकांना झालेली जाणीव स्पष्ट करा.
उत्तर:
मालकांना तीव्रपणे एका वस्तुस्थितीची जाणीव झाली. रोबो हा अत्यंत यांत्रिकपणे, कोरडेपणाने निरीक्षण करतो. त्याला मन, बुद्धी व भावना नसल्याने तो यांत्रिकपणे घटनेकडे पाहतो. मनोजचे तसे नाही. ती स्त्री झोपलेली नसून बेशुद्ध पडली आहे, हे त्याला तत्काळ जाणवले. त्याच्या या निरीक्षणामुळे पुढील हालचाली होऊन तिचा जीव वाचला. हॉटेल व्यवसायाचा माणसाच्या जिवाशी निकटचा संबंध असतो. त्यामुळे तिथे मानवी जाण असणे, माणुसकी असणे अत्यंत गरजेचे असते. ही माणुसकी रोबोमध्ये असणे शक्य नाही. त्यामुळे मालक आपोआपच रोबो वेटर न नेमण्याच्या निर्णयाला आले.

कृती ३ : (व्याकरण)

प्रश्न 1.
कंसांतील सूचनांनुसार उत्तरे लिहा :
(i) शनिवारी दुपारी साडेबाराची वेळ होती. (भविष्यकाळ करा.)
(ii) एका कृतीने बदनामीचा कलंक धुतला गेला. (भविष्यकाळ करा.)
(iii) तिच्या सर्वांगाला घाम सुटला होता. (वर्तमानकाळ करा.)
उत्तर:
(i) शनिवारी दुपारी साडेबाराची वेळ असेल.
(ii) एका कृतीने बदनामीचा कलंक धुतला जाईल.
(iii) तिच्या सर्वांगाला घाम सुटला आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

प्रश्न 2.
पुढील नामांचे अनेकवचन लिहा :
(i) अंथरूण
(ii) पाठ
(iii) धोका
(iv) रीत.
उत्तर:
(i) अंथरूण – अंधरुणे
(ii) पाठ – पाठी
(iii) धोका – धोके
(iv) रीत – रिती,

प्रश्न 3.
अधोरेखित शब्दांच्या जागी अनेकवचनी रूपे योजून वाक्य पुन्हा लिहा :
रात्री अंथरुणावर पाठ टेकल्यावर माझ्या मनात सहज विचार आला.
उत्तर:
रात्री अंथरुणांवर पाठी टेकल्यावर आमच्या मनांत सहज विचार आले.

व्याकरण व भाषाभ्यास

कृतिपत्रिकेतील प्रश्न ४ (अ) आणि (आ) यांसाठी….)
(व्याकरण घटकांवर आधारित कृती:

१. समास :
(१) तक्ता पूर्ण करा : (ठळक अक्षरांत उत्तरे दिली आहेत.)
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 22

(२) पुढील वाक्यांतील सामासिक शब्द ओळखा व त्या शब्दाच्या समासाचेनावलिहा : (सराव कृतिपत्रिका-२)
(i) राजू स्वत:च्या मालाची जाहिरात करण्यास घरोघर फिरला.
(ii) या सप्ताहात शरदरावांची फारच घावपळ झाली.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 23

२. अलंकार :
पुढील कृती सोडवा :
उत्तर:
[चेतनगुणोक्ती]

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

३. वृत्त :
पुढील ओळींचे गण पाडून वृत्त ओळखा :
‘दे दान गुप्त उपकार, करी न बोले
मानी प्रमोद जरि मान्य घरासी आले.’
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 26
वृत्त : हे वसंततिलका अक्षरगण वृत्त आहे.

४. शब्दसिद्धी :
(१) बाजूच्या आकृतीतील शब्दांचे वर्गीकरण करा : (सराव कृतिपत्रिका-२)
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 27

(२) ‘आड’ हा उपसर्ग लावून चार शब्द लिहा.
उत्तर :
(i) आडवाट
(ii) आडनाव
(iii) आडकाठी
(iv) आडवळण,

(३) ‘आळू’ हा प्रत्यय लावून चार शब्द लिहा.
उत्तर :
(i) लाजाळू
(ii) झोपाळू
(iii) मायाळू
(iv) विसराळू,

(४) ‘खळखळ सारखे चार अभ्यस्त शब्द लिहा.
उत्तर :
(i) हळहळ
(ii) कळकळ
(iii) मळमळ
(iv) सळसळ,

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

५. सामान्यरूप.
पुढील शब्दांचे सामान्यरूप ओळखा :
(i) आम्हांला – …………………………………..
(ii) कामांचा – …………………………………..
(iii) रामूला – …………………………………..
(iv) आवाजात – …………………………………..
उत्तर:
(i) आम्हां
(ii) कामां
(iii) रामू
(iv) आवाजा.

भाषिक घटकांवर आधारित कृती:

१. शब्दसंपत्ती :
(१) शब्दसमूहांबद्दल एक शब्द लिहा :
(i) अपेक्षा नसताना
(ii) ज्याचे आकलन होत नाही असे
(iii) कुठलीही अपेक्षा न ठेवता
(iv) एक आठवड्यातून प्रसिद्ध होणारे – (सराव कृतिपत्रिका-२)
(v) दोन आठवड्यातून एकदा प्रसिद्ध होणारे –
उत्तर:
(i) अनपेक्षित
(ii) अनाकलनीय
(iii) निरपेक्ष
(iv) साप्ताहिक
(v) पाक्षिक.

(२) विरुद्धार्थी शब्द लिहा :
(i) कडक x ……………………………
(ii) स्वच्छता x ……………………………
(iii) विनम्र x ……………………………
(iv) सावकाश x ……………………………
उत्तर:
(i) कडक x नरम
(ii) स्वच्छता x अस्वच्छता
(iii) विनम्र x उद्घट
(iv) सावकाश x जलद

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(३) पुढील शब्दांचे भिन्न अर्थ लिहा :
(i) [  ] ← [कळ] → [  ]
(ii) [  ] ← [तट] → [  ]
उत्तर:
(i) [ वेदना ] ← [कळ] → [ बटन ]
(ii) [ काठ ] ← [तट] → [ कडा ]

(४) पुढील शब्दांतील अक्षरांपासून चार अर्थपूर्ण शब्द लिहा
(i) सोमनाथ → [     ] [     ] [     ] [     ]
(ii) हाताबाहेर → [     ] [     ] [     ] [     ]
उत्तर:
(i) सोमनाथ → [सोम] [नाम] [नाथ] [मना]
(ii) हाताबाहेर → [हात] [हार] [हेर] [बाहेर]

(५) ‘आकलनकृती’ या शब्दातील आकलन व कृती हे दोन शब्द सोडून इतर दोन शब्द लिहा : (सराव कृतिपत्रिका-२)
उत्तर:
[कल] – [आकृती]

२. लेखननियम :
(१) अचूक शब्द निवडा:
(i) तत्त्वज्ञान/तत्वज्ञान/तत्त्वन्यान/तात्त्वज्ञान,
(ii) पुनरर्चना/पुनर्रचना/पूनर्रचना/पूनरर्चना.
(iii) अभीव्यक्ती/अभिवक्ति/अभिव्यक्ती/अभीव्यक्ति.
(iv) पुर्नविचार/पुनरविचार/पूनर्विचार/पुनर्विचार. (सराव कृतिपत्रिका २)
उत्तर:
(i) तत्त्वज्ञान
(ii) पुनर्रचना
(iii) अभिव्यक्ती
(iv) पुनर्विचार.

(२) पुढील वाक्ये लेखननियमांनुसार लिहा :
(i) तूम्हांला काडिचाही त्रास होणार नाही.
(ii) पतीनिधनाचे असीम दुःख बाजुला ठेवले. (सराव कृतिपत्रिका-२)
उत्तर:
(i) तुम्हांला काडीचाही त्रास होणार नाही.
(ii) पतिनिधनाचे असीम दुःख बाजूला ठेवले.

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३. विरामचिन्हे :
(१) पुढील वाक्यांतील विरामचिन्हे ओळखून लिहा :
(i) काय आश्चर्य! शामू पूर्वीसारखा काम करू लागला, हे पाहून मला खूप आनंद झाला.
(ii) कंपनीने आम्हांला सांगितलं, “यापुढे एका वेटरच्या सर्व्हिसिंगला अडीचऐवजी पाच हजार रुपये पडतील.”
उत्तर:
(i) [ ! ] उद्गारचिन्ह [ , ] स्वल्पविराम [ . ] पूर्णविराम.
(ii) [ , ] स्वल्पविराम [ ” ” ] दुहेरी अवतरणचिन्ह [ . ] पूर्णविराम.

(२) उदया कोकिळेचं ‘कुह’ ऐकू येईल का? बघू है। वरील वाक्यातील विरामचिन्हे खाली लिहून नावे लिहा : (सराव कृतिपत्रिका-२)
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 28
.
४. पारिभाषिक शब्द :
पुढील इंग्रजी पारिभाषिक शब्दांना मराठी प्रतिशब्द लिहा :
उत्तर:
(i) Therapy – उपचारपद्धती
(ii) Reservation – आरक्षण
(iii) Refreshment – अल्पोपाहार
(iv) workshop – कार्यशाळा

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय

५. अकारविल्हे/भाषिक खेळ :
कृती करा :
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 29
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 18 निर्णय 30

निर्णय Summary in Marathi

निर्णय कथेचा गोषवारा

न्यू एज रोबो कंपनी हॉटेल व्यवसायासाठी रोबो तयार करते. त्या कंपनीचा प्रतिनिधी हॉटेल हेरिटेजच्या मालकांना रोबो वेटरची माहिती देत होता. रोबो वेटर मानवी वेटरपेक्षा कुशलतेने काम करतात. त्यांच्यासाठी अन्य कोणताही खर्च येत नाही. माणसांप्रमाणे त्यांचा त्रास होत नाही. हे सर्व तो प्रतिनिधी हॉटेलच्या मालकांना समजावून सांगत होता.

हॉटेलचे मालक वेटरच्या समस्यांनी त्रासलेले होतेच. ते चार रोबो वेटरची खरेदी करतात. वर्षभर रोबोंनी छान काम केले. कमाई दुप्पट झाली. एका वर्षानंतर रोबो बिघडले. नवीन रोबो खरेदी करण्याची वेळ आली.

दरम्यान, एक भयंकर प्रसंग घडला. एक बाई रक्तदाब कमी झाल्यामुळे बेशुद्ध होऊन पडली. परंतु रोबोला ती झोपली आहे, असे वाटले. त्यांनी दुर्लक्ष केले. त्याच स्थितीत आणखी वेळ गेला असता तर ती बाई मरण पावली असती. परंतु मनोज या मानवी वेटरने खरी परिस्थिती ओळखली. त्या बाईवर वैदयकीय उपचार करता आले. तिचे प्राण वाचले.

यावरून हे लक्षात येते की, यंत्रमानव यांत्रिक बुद्धीने काम करतात. त्यांना स्वतंत्र बुद्धिमत्ता नसते. माणसांचे व्यवहार, त्यांच्या भावभावना यंत्रमानवाला ओळखता येत नाहीत. फक्त माणूसच त्या जाणू शकतो. म्हणून यंत्रमानव कधीही माणसाची जागा घेऊ शकत नाही.

निर्णय शब्दार्थ

  • हुबेहूब – तंतोतंत,
  • मेकॅनिक – यंत्रज्ञ, यंत्रांची दुरुस्ती-देखभाल करणारा.
  • अवसान – शक्ती.
  • बेणं – बियाणे (येथे एखादया कुटुंबातील व्यक्ती),
  • द्विधा – गोंधळलेली स्थिती.
  • सर्व्हिसिंग इंजिनियर – देखभाल अभियंता.
  • काडीचाही – अत्यल्पसुद्धा.
  • निकामी – निरुपयोगी.

निर्णय वाक्प्रचार व त्यांचे अर्थ

  • निकालात काढणे : निर्णय करून टाकणे.
  • आनंद गगनात न मावणे : खूप आनंद होणे.
  • नाचक्की होणे : बदनामी होणे.
  • दैव बलवत्तर असणे : केवळ दैवामुळेच वाचणे.
  • प्रसंगाला तोंड देणे : प्रसंगात धीराने वागणे.
  • द्विधा मन:स्थितीत असणे : गोंधळलेल्या मन:स्थितीत असणे.

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Class 10 Hindi Chapter 1 Mathrubhumi Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 1 Mathrubhumi Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 मातृभूमि Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokvani 10th Digest Chapter 1 मातृभूमि Questions And Answers

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 1 मातृभूमि Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
फूलों की विशेषताएँ
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 2
प्रश्न 2.
जन्मभूमि की विशेषताएँ
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 4

2. इन शब्द – शब्द समूहों के लिए कविता में प्रयुक्त शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
इन शब्द – शब्द समूहों के लिए कविता में प्रयुक्त शब्द लिखिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 5
उत्तर:

शब्द समूहशब्द
पक्षियों के समूहखग वंद
शेषनाग के फनसिंहासन
समुद्ररत्नाकर
सूरज और चाँदयुग मुकुट

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि

3. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 6
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 7

4. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 8
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 9

5. एक शब्द के लिए शब्द समूह लिखिए।

प्रश्न 1.
एक शब्द के लिए शब्द समूह लिखिए।
i. विश्वपालिनी = ……………………
ii. भयनिवारिणी = ………………….
उत्तर:
i. विश्व का पालन करने वाली
ii. भय का निवारण करने वाली

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6. चौखट में प्रयुक्त शब्दों को सूचना के अनुसार परिवर्तन करके लिखिए। 

प्रश्न 1.
चौखट में प्रयुक्त शब्दों को सूचना के अनुसार परिवर्तन करके लिखिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 10
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 11

6. ‘हे शरणदायिनी देवी तू, करती सबका त्राण है।’ पंक्ति से प्रकट होने वाला भाव लिखिए। 

प्रश्न 2.
‘हे शरणदायिनी देवी तू, करती सबका त्राण है।’ पंक्ति से प्रकट होने वाला भाव लिखिए।
उत्तरः
इस पंक्ति से कृतज्ञता का भाव व्यक्त होता है। मातृभूमि ने हमें सब कुछ दिया है। इसके बदले में उसने हमसे कुछ भी नहीं लिया है। अत: उसके अनंत उपकारों के प्रति कृतज्ञ होकर कवि ने उसकी प्रार्थना करते हुए कहा है कि वह शरणदायिनी देवी है और जो उसकी शरण में आता है; वह उसकी रक्षा करती है।

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उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
‘मैं पंछी बोल रहा हूँ…’ इस विषय पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
“मैं हूँ एक पंछी… प्रकृति का एक अंश…। इस धरती पर चारों ओर स्वच्छंद विचरण करने का अधिकार ईश्वर ने मुझे भी प्रदान किया है। अब तो बूढ़ा हो गया हूँ। मुझे आज भी याद है, मेरा जन्म आम के पेड़ पर बने घोंसले में हुआ था। जब मेरा जन्म हुआ था; तब मेरे माता-पिता बहुत खुश थे। मेरे साथ मेरे और दो भाई भी थे, लेकिन अब वे जीवित नहीं है। वे काल के गाल में समा गए हैं। आहिस्ता-आहिस्ता मैं बड़ा हुआ। बड़ा होने के बाद मेरे पंखों में शक्ति आ गई और मैं स्वच्छंद होकर खुले आसमान में उड़ने लगा।

समुद्र के ऊपरी हिस्से पर उड़ते समय मुझे बहुत खुशी होती थी। समुद्र से ऊपर उड़ने वाली लहरों के साथ मैं भी नर्तन करता था। कितना अच्छा लगता था मुझे उस समय! मैंने अन्य पक्षियों के साथ आम के पेड़ पर अपना घोंसला बनाया व बड़े ही प्यार से वहाँ पर रहने लगा। पेड़ की सुखद हरियाली में मुझे बेहद मजा आता था। अन्य पक्षियों के साथ मौज-मस्ती करते समय मैं फूला न समाता था। मेरी यह खुशी अधिक दिन तक नहीं रही। भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।

एक दिन सरकारी अधिकारी आम के पेड़ के पास छान-बीन करने आए। न जाने उनकी आपस में क्या बातें हुई? उनके चले जाने के चार-पाँच दिन के बाद आम के पेड़ की कटाई करने के लिए कर्मचारी आए। उन्होंने बड़ी ही निर्दयता से पेड़ को जड़ से अलग कर दिया। इस कारण आम के पेड़ पर रहने वाले मेरे जैसे कई पक्षी बेघर हो गए। हम सब पंछी निराश एवं दुखी हो गए। कई पक्षियों ने घोंसले में शिशुओं को जन्म दिया था। पेड़ के गिरने के साथ उन्होंने भी इस संसार से विदा लिया।

अपने दोस्त एवं परिजनों की बुरी अवस्था देखकर मैं भी व्यथित हो गया हूँ। अब मैं अपने जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा हूँ। मेरे जैसे कई खग-बूंद काल के गाल में समा गए हैं। हमारी कई प्रजातियाँ नामशेष रह गई हैं। इंसान को प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा ही होता रहा, तो एक दिन पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा और समस्त जीवन खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक मानव का कर्तव्य होना चाहिए। यही मेरा सबके लिए संदेश है।”

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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 1 मातृभूमि Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के का अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 12

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 13
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 14

प्रश्न 3.
पद्यांश में प्रयुक्त प्राकृतिक घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अंबर, सूर्य, चंद्र, रत्नाकर, नदियाँ, फूल, तारे, खग, पयोद

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कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. अंबर
  2. हरित
  3. मेखला
  4. सर्वेश
  5. मुकुट

उत्तर:

  1. आसमान
  2. हरा
  3. करधनी
  4. ईश्वर
  5. ताज

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प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. प्रेम ×………….
  2. सगुण × ………..
  3. सत्य × ………..

उत्तर:

  1. द्वेष
  2. निर्गुण
  3. असत्य

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. धागे आदि की करधनी
  2. जिसमें मूल्यवान रत्नों का संचय है –
  3. राजा के सिंहासनारोहण का अनुष्ठान –

उत्तर:

  1. मेखला
  2. रत्नाकर
  3. अभिषेक

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव शब्द लिखिए।
i. हरित
ii. काम
उत्तर:
i. हरा
ii. कार्य

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. फन
ii. शेष
उत्तर:
i. फन: साँप का फन, हुनर
ii. शेष : बचा हुआ, छोड़ा हुआ

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कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
हम अपने देश को ‘मातृभूमि’ कहते हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हम भारतवासी संस्कृति से जुड़े लोग हैं। हम अपने देश को माता कहकर पुकारते हैं। हमारी मातृभूमि हमें जीवन देती है। वह हमें प्राकृतिक संसाधनों का भंडार उपलब्ध कराती है। सबकुछ देने वाली मातृभूमि हमारी जननी है। वहीं हमारी माता है। आमतौर पर एक बच्चे को अपने पिता की अपेक्षा माता से अधिक लगाव होता है। उसी प्रकार का लगाव हमें अपनी धरती से होता है। उसमें हम अपनापन एवं ममत्व ढूँढ़ते हैं। हमारा अपनी देश की धरती से अटूट नाता होता है। हमारे वेदों में भी ‘नमो मातृ भूम्यै’ ऐसा कहा गया है। अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हुए भगवान कृष्ण ने भी कहा है: ‘ऊधौ मोहिं ब्रज विसरत नाहिं।’

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(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 15

प्रश्न 2.
गलत विधान सही करके लिखिए।
i. मातृभूमि पर प्रकृति के एक के बाद एक अदभुत दृश्य देखने को मिलते हैं।
उत्तरः
मातृभूमि पर छ: ऋतुओं के एक-के-बाद एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं।

ii. मातृभूमि का धरातल बंजर है। जो किसी रोएँदार मखमल के कपड़े से कम नहीं है।
उत्तर:
मातृभूमि का धरातल हरियाली से भरा है; जो किसी रोएँदार मखमल के कपड़े से कम नहीं है।

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कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
कविता में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।

  1. शुद्ध
  2. पानी
  3. श्रेष्ठ
  4. हवा
  5. अंधकार
  6. सूर्य

उत्तर:

  1. निर्मल
  2. नीर
  3. उत्तम
  4. पवन
  5. तम
  6. तरणि

प्रश्न 2.
उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. गंध
उत्तर:
उपसर्गयुक्त शब्द : सुगंध
प्रत्यययुक्त शब्द : सुगंधित

प्रश्न 3.
पाश में से ऐसे दो शब्द ढूँढकर लिखिए कि जिनके वचन में परिवर्तन नहीं होता हो ।
उत्तर:
i. दिन
ii. पवन

प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. शीतल × ………
ii. सुगंध × ……….
उत्तर:
i. उष्ण
ii. दुर्गध

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प्रश्न 5.
पद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्दों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर :
i. दिन × रात
i. तम × प्रकाश

प्रश्न 6.
नीचे दिए हुए शब्द का श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. कम
ii. दिन
उत्तर:
i. क्रम
ii. दीन

कति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘छ: ऋतुओं ने भारत भूमि अर्थात हमारी मातृभूमि के सौंदर्य में चार चाँद लगा दिए हैं।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
भारत भूमि पर प्रकृति की विशेष कृपा है। विश्व में हमारी ही मातृभूमि ऐसी है जहाँ पर छः ऋतुओं का नियमित रूप से आगमन होता है। सभी ऋतुओं में अनोखी छटा देखने को मिलती है। वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर इन छ: ऋतुओं के एक-के-बाद एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं। वसंत में फूलों का खिलना व पौधों का हरा-भरा होना आदि दृश्यों से मातृभूमि की शोभा देखने लायक होती है। ग्रीष्म ऋतु में फल व मेवे पकते हैं। बागों में आमों के फल लगते हैं।

वर्षा ऋतु में बारिश होती है। फसलों के लिए पानी मिलता है। पेड़ पौधे खुश और हरे-भरे हो जाते हैं। शरद ऋतु में कास के फूलों से धरती सज उठती है। मौसम सुहावना हो जाता है। हेमंत में बीज अंकुरित होते हैं। ओस की बूंदें गिरने लगती हैं। शिशिर में कड़ाके की ठंड पड़ती है। घना कोहरा छा जाता है। इस प्रकार मातृभूमि पर छ: ऋतुएँ सदैव अपना-अपना सौंदर्य बिखेरती रहती हैं।

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(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. औषधियाँ
ii. वसुधा-धरा
उत्तर:
i. एक-से-एक निराली क्या प्राप्त हैं?
ii. पद्यांश में मातृभूमि के लिए प्रयुक्त नाम लिखिए।

प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. मनुष्य को आवश्यक सभी पदार्थ मातृभूमि से मिलते हैं।
ii. भारत भूमि में धातुओं की खानें नहीं हैं।
उत्तर:
i. सत्य
i. असत्य

कृति इ. (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
पद्यांश में से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. सुखद
  2. सुमन
  3. सरस

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. सुमन
  2. सरस
  3. वसुधा
  4. धातु

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. खान
  2. निराली
  3. सुरभित

उत्तर:

  1. खदान
  2. अनोखी
  3. सुगंधित

प्रश्न 4.
नीचे दिए हुए शब्दों के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. खान
ii. फल
उत्तर:
i. खान : खदान, खजाना
ii. फल : परिणाम, आम या अन्य फल

प्रश्न 5.
विलोम शब्द लिखिए।
i. आवश्यक × ………
i. सरस × ……
उत्तर:
i. अनावश्यक
ii. नीरस

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प्रश्न 6.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. सुख देने वाला –
ii. सब कुछ धारण करने वाली –
उत्तर:
i. सुखद
ii. धरा

कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘धरती पर उपलब्ध संसाधनों का हमें उचित ध्यान रखना चाहिए।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
प्रकृति से प्राप्त संसाधनों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। हवा, पानी, खनिज, लकड़ी, मिट्टी, तेल, वनस्पति, जीवाश्म ईंधन व ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधनों के उदाहरण है। हमें प्राकृतिक का इस्तेमाल सोच-समझकर ही करना चाहिए। उन्हें व्यर्थ में बरबाद करने से आगे चलकर मनुष्य जीवन ही खतरे में पड़ सकता है। सभ्यता के इस युग में लोगों ने अपनी आँखे बंद करके प्राकृतिक संसाधनों का अमर्यादित दोहन करना शुरू कर दिया है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। पेड़ों की कटाई के विपरीत प्रभाव के कारण प्रदूषण एवं वर्षा की कमी हो रही है। इसलिए जीवन को संभव बनाना है, तो हमें धरती पर उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग करना होगा।

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(ई) पद्यांश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि 16

कृति ई (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. विभव
  2. जननी
  3. विश्व
  4. प्रेम

उत्तर:

  1. संपन्न
  2. माता
  3. संसार
  4. प्यार

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
i. भय × …………
ii. दया ×……
उत्तर:
i. साहस
ii. निर्दयता

प्रश्न 3.
एक शब्द के लिए शब्द समूह लिखिए।
i. क्षमामयी
ii. शांतिकारिणी
उत्तर:
i. क्षमा करने वाली
ii. शांति निर्माण करने वाली

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. क्षेम
उत्तर:
i. क्षेम : कुशल मंगल, सुख

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कृति ई (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हमारी मातृभूमि के प्रति जिम्मेदारी है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
मातृभूमि हमारी सर्वस्व है। उस पर सब कुछ अर्पण करने की भावना हमारे पास होनी चाहिए। मातृभूमि के प्रति प्रेम व सम्मान की भावना होनी चाहिए। हमें मन, वचन व कर्म से राष्ट्रहित के लिए कार्य करते रहना चाहिए। मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए। यदि कोई हमारी मातृभूमि की ओर आँख उठाकर देखने की कोशिश करें, तो हमें सजग होकर उसका प्रतिकार करना चाहिए।

जब हम मातृभूमि के प्रति दायित्व एवं जिम्मेदारियों को ध्यान में रखेंगे, तो शीघ्र ही हमारा देश प्रगति के पथ पर बढ़ेगा और विश्व में हमारी मातृभूमि की कीर्ती फैलेगी। हमें अपने कर्तव्य पालन के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी मातृभूमि के प्रति कर्तव्यनिष्ठ एवं जिम्मेदार बनाने हेतु प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार मातृभूमि की शान बढ़ाने हेतु हमें उसके प्रति जिम्मेदार होना चाहिए।

मातृभूमि Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म झाँसी जिले के चिरगाँव में हुआ था। गुप्त जी खड़ी बोली हिंदी में काव्य रचना करने वाले, प्रथम कवि थे। अपने साहित्य में उपेक्षित नारी जीवन की व्यथा एवं वेदना को अभिव्यक्त करने का महान कार्य इन्होंने किया। यह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य थे। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना, भारत का गौरवशाली इतिहास व संस्कृति प्रतिबिंबित होती हैं। महात्मा गांधी द्वारा इन्हें राष्ट्रकवि’ की पदवी से सम्मानित किया गया है।

प्रमुख कृतियाँ : ‘साकेत’ (महाकाव्य), ‘यशोधरा’, ‘जयद्रथ वध’, ‘पंचवटी’, ‘भारत-भारती’, (खंडकाव्य), ‘रंग में भंग’, ‘राजा प्रजा’ (नाटक) आदि।

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पद्य-परिचय :

खड़ी बोली। ब्रज भाषा के स्थान पर खड़ी बोली को अपनी कविताओं की काव्य भाषा बनाकर कवियों ने उसकी क्षमता से सभी को परिचित कराने का कार्य किया। देशभक्ति, राष्ट्रीयता, बंधुत्व भावना, गांधीवाद, मानवता आदि मूल्यों को अभिव्यक्त करने का कार्य खड़ी बोली काव्य ने किया। प्रस्तावना । ‘मातृभूमि’ इस कविता में राष्ट्रकवि गुप्त जी ने भारतभूमि का गौरवगान किया है। हम भारतीय भारतभूमि को ‘मातृभूमि’ कहकर संबोधित करते हैं। हमें मातृभूमि के प्रति कृतज्ञ भाव रखकर उस पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने का संदेश कविता के माध्यम से दिया गया है।

सारांश :

‘मातृभूमि’ कविता के द्वारा भारत की धरती का सुंदर और मनोहारी चित्रण करते हुए गुणगान किया गया है। भारत की भूमि हरियाली, नदियों, सागरों, फूलों और फलों, सुगंधित व शीतल पवन, चाँदनी के प्रकाश आदि से सुशोभित है। मातृभूमि सत्य का स्वरूप है और वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की सगुण मूर्ति है। मातृभूमि पर उपलब्ध प्राकृतिक स्रोतों से जो जल मिल रहा है; वह अमृत के समान उत्तम है। यहाँ पर छ: अतुओं के एक के बाद एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं।

भारत की भूमि विविध खाद्ययान्नों, धन-धान्य व प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। इसलिए मातृभूमि का ‘वसुधा’ एवं ‘धरा’ कहा जाता है। मातृभूमि क्षमामयी, दयामयी व सुखदायिनी है। वह अमृत, वात्सल्य व प्रेम की मूर्ति स्वरूप है। वह सबका दुख हरने वाली है। वह सबके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती है। इस प्रकार मातृभूमि के हम पर अनंत उपकार हैं। वह हमारी जननी है और हम उसकी संतान हैं।

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भावार्थ :

नीलांबर परिधान …………………………………… मूर्ति सर्वेश की।
मातृभूमि भारतमाता के सुंदर रूप का वर्णन करते हुए राष्ट्रकवि गुप्त जी कहते हैं, “मात्रभूमि ने हरे रंग का परिधान धारण किया है और उनके सिर पर नीला अंबर शोभायमान है। आसमान में उदित होने वाले सूर्य व चंद्र उसके युग मुकुट है व सागर करधनी के रूप में उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रेम रूपी प्रवाह के साथ नदियाँ बह रही हैं और चारों और सुंदर फूल खिले हैं; आसमान में रात्रि के समय प्रकाशित होने वाले तारों से मातृभूमि का सुंदर रूप और भी खिल रहा है।

मातृभूमि की महिमा का गुणगान कलरव के रूप में तरह-तरह के पक्षी कर रहे हैं। मातृभूमि का सिंहासन शेषनाग का फन है। बारिश के रूप में बादल इस मातृभूमि का अभिषेक कर रहे हैं। ऐसी भारतभूमि पर हमारा सब कुछ न्योछावर है। सचमुच, ऐसी गौरवमयी मातृभूमि सत्य का स्वरूप है और वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की सगुण मूर्ति है।

ति निर्मल तेरा ……………………………… तम का नाश है।
मातृभूमि पर उपलब्ध प्राकृतिक स्रोतों से तो जल मिल रहा है। वह अमृत के समान उत्तम है। इस मातृभूमि पर बहने वाली शीतल-मंद व सुंगधित पवन मनुष्य के सारे कष्टों को दूर भगाती है। वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर इन छ: अतुओं के एक के बाद एक अदभुत दृश्य देखने को मिलते हैं। मातृभूमि का धरातल हरियाली से भरा हुआ है; जो किसी रोएँदार मखमल के कपड़े से कम नहीं है। रात में चंद्र का प्रकाश मातृभूमि को पवित्र ओस रूपी जलकणों से सींचता रहता है और दिन में सूर्य उदय होकर अंधकार को मिटा देता है।

सुरभित, सुंदर ………………………………………. नाम यथार्थ हैं।
मातृभूमि पर सुगंधित, सुंदर व सुखद सुमन खिलते हैं और अलग-अलग प्रकार के रसीले व अमृत के समान मीठे फल उगते हैं। यहाँ पर एक से एक निराली व अदभुत औषधियाँ उपलब्ध हैं। मातृभूमि पर धातु एवं श्रेष्ठ रत्नों की खानें हैं। सभी भारतवासियों को जिन-जिन पदार्थों एवं वस्तुओं की आवश्यकता होती है वे सारे पदार्थ एवं वस्तुएँ यहाँ पर विपुल मात्रा में उपलब्ध हैं। इसलिए मातृभूमि को वंसुधा-धरा’ कहा गया है। ये नाम उसके लिए पूरी तरह से उपयुक्त और सत्य भी है।

क्षमामयी …………………………………. तू प्राण है।
मातृभूमि क्षमामयी, दयामयी व सुखदायिनी है। वह अमृत, वात्सल्य व प्रेम से भरी हुई है। वह ऐश्वर्य देने वाली शक्ति हैं; वह विश्व का पालन करने वाली देवी है और सबका दुख हरने वाली दुखहर्ती है। वह भय का निवारण करती है शांति निर्माण करती है और सबके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती है। मातृभूमि शरणदायिनी देवी है अर्थात वह सभी को शरण देती है। वह सबको संकटों से मुक्ति दिलाती है सबकी रक्षा करने वाली हैं। हम सब इस मातृभूमि की संतान है। यह हम सबकी जननी है; यह हमारी नवचेतना है; यह हमारा प्राण है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 मातृभूमि

शब्दार्थ :

  1. अंबर – आसमान
  2. हरित – हरा
  3. पट – वस्व
  4. निशा मेखला – करधनी
  5. सगुण – गुणयुक्त
  6. सर्वेश – ईश्वरी
  7. मुकुट – ताज
  8. निर्मल – पवित्र, शुद्ध
  9. खग – पक्षी
  10. परिधान – वस्त्र, कपड़ा
  11. रत्नाकर – सागर
  12. पयोद – बादल, मेघ
  13. सुचि – पवित्र, शुद्ध
  14. सुधा शक – अमृत, जल
  15. नीर – पानी
  16. उत्तम – श्रेष्ठ
  17. पवन – हवा
  18. फर्श – धरातल
  19. तम – अंधकार, अंधेरा
  20. तरणि – सूर्य
  21. खान – खदान
  22. निराली – अनोखी
  23. सुरभित – सुगंधित, सौरभित
  24. वैभव – संपन्नता, बहुतायत
  25. जननी – माता
  26. विश्व – संसार

Class 10 Hindi Lokvani Textbook Solutions

Nadi Suktam Class 10 Sanskrit Chapter 8 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Sanskrit Anand Chapter 8 नदीसूक्तम् Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Sanskrit Solutions Anand Chapter 8 नदीसूक्तम् Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Sanskrit Chapter 8 Question Answer

Sanskrit Anand Std 10 Digest Chapter 8 नदीसूक्तम् Textbook Questions and Answers

भाषाभ्यास:

1. माध्यमभाषया उत्तरत ।

प्रश्न अ.
विश्वामित्र: नद्यौ किं प्रार्थयते ?
उत्तरम् :
विश्वामित्र – नदी संवाद, हे संवादसूक्त ऋग्वेदाच्या तिसऱ्या मंडलात आढळते. यामध्ये, विश्वामित्र ऋषी नदीला मातेसमान मानून तिची पूजा करतात आणि तिला जपण्याचे व तिची सेवा करण्याचे वचन देतात.

विश्वामित्र ऋषी बियास व सतलज नद्यांच्या संगमाजवळ पोहोचले. तेव्हा त्यांनी नद्यांना आदरयुक्त शुभेच्छा दिल्या. त्यांनी नद्यांना ‘माता’ असे संबोधून त्यांना उथळ होण्याची विनंती केली. याचप्रमाणे विश्वामित्रांनी नद्यांना त्यांचे प्रवाह कमी करण्यासाठी प्रार्थना केली.

विश्वामित्र – नदी संवाद is one of the dialogue-hymns found in third मण्डल of ऋग्वेद. Herein the sage विश्वामित्र worships river asa mother and pleases her with the assurance to take care of her and serve her.

विश्वामित्र, reached the union of Bias and Sutlej river. Then he greeted the rivers with respect. He termed rivers as mother and requested them to become shallow. He requested them to moderate the flow.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 8 नदीसूक्तम्

प्रश्न आ.
मानवानां जीवनं नदीनां साहाय्येन कथं समृद्धं जातम् ?
उत्तरम् :
विश्वामित्र – नदी संवाद, हे संवादसूक्त ऋग्वेदाच्या तिसऱ्या मंडलात आढळते. यामध्ये, विश्वामित्र ऋषी नदीला मातेसमान मानून तिची पूजा करतात आणि तिला जपण्याचे व तिची सेवा करण्याचे वचन देतात.

संपूर्ण पृथ्वीवर नदीजल हा पाण्याचा उपयुक्त स्रोत आहे. पुष्कळ वर्षांपासून नद्या या शेतीमध्ये शेतकऱ्यांना उपयुक्त ठरतात. केवल शेतांचीच नव्हे तर संपूर्ण पृथ्वीची पाण्यामुळे भरभराट झाली. पाण्याचा योग्य प्रकारे संचय करुन वीजनिर्मितीकरता जनित्र (जनरेटर) सुद्धा लावले गेले व मानवाचे जीवन पाण्यामुळे प्रकाशमान झाले. या प्रकारे नद्यांच्या साहाय्याने मानवी जीवन समृद्ध झाले.

विश्वामित्र – नदी संवाद is one of the dialogue-hymns found in third मण्डल of ऋग्वेद. Herein the sage विश्वामित्र worships river as a mother and pleases her with the assurance to take care of her and serve her.

River water is a useful source. Since many years, rivers are helpful to the farmers in agriculture. Not only the fields but the earth is prospered due to rivers. River water was well-restored. Even the generator was placed for creating electricity, thus water illuminated lives of.people. In this way human lives were flourished with the assistance of rivers.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 8 नदीसूक्तम्

नदीसूक्तम् Summary in Marathi and English

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 8 नदीसूक्तम् 1

प्रस्तावना :

ऋग्वेद संस्कृत साहित्यातील अतिशय प्राचीन वेद मानला जातो. पौराणिक प्रसंग, काव्य, प्रार्थना यांनी युक्त अशा दहा मंडलांनी तो समृद्ध आहे. ऋग्वेदाच्या विविध सूक्तांतून देव, देवता व नैसर्गिक शक्ती यांचे स्तवन केलेले दिसून येते.

विश्वामित्र – नदी संवाद, हे संवादसूक्त ऋग्वेदाच्या तिसऱ्या मंडलात आढळते. यामध्ये, विश्वामित्र ऋषी नदीला मातेसमान मानून तिची पूजा करतात आणि तिला जपण्याचे व तिची सेवा करण्याचे वचन देतात.

पाण्याचा उत्तम स्रोत असलेल्या नद्यांच्या तीरावर मानवी संस्कृती विकसित होत गेली. पाण्याच्या प्राणवाहक तत्त्वामुळे, धार्मिक कार्यातील त्याच्या विनियोगामुळे व स्वच्छतेवर दिला गेलेला भर, यामुळे भारतीय संस्कृतीमध्ये पाण्याला विशेष महत्त्व प्राप्त झाले आहे. यास्तव, आपण सर्वांनी नद्यांचे रक्षण करावयास हवे.

नेमका हाच विचार महोदया डॉ. मंजूषा गोखले यांनी ऋग्वेदातील नदीसूक्तावर आधारित संवादपाठात मांडला आहे.

ऋग्वेद is considered to be the most ancient perhaps the foremost literature in Sanskrit. It is comprised of ten HUSE is filled with liturgical material as well as mythological accounts, poetry and prayers.

Gods, goddesses, natural elements are praised through hymns of in a poetic form. विश्वामित्र – नदी संवाद, is one of the dialogue-hymns found in third मण्डल of ऋग्वेद. Herein the sage विश्वामित्र worships नदी (river) as a mother and pleases her with the assurance to care and serve her.

Human civilisation expanded on the banks of the river. Indeed, water is of special significance in Indian culture for its life-sustaining properties as well as its use in rituals and because of the stress given to cleanliness.

Hence, we should take care of the rivers. This thought is appropriately brought out through the dialogue based on नदीसूक्तम् from ऋग्वेद written by respectable Dr. Manjusha Gokhale.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 8 नदीसूक्तम्

अनुवादः

व्यासपीठावर – कीर्तनकार कीर्तन करत आहे, श्रोतृगण ऐकण्यात तल्लीन झाला आहे.)

गंगे, यमुने, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदे, सिंधु, कावेरी (सर्व नद्यांनो) पृथ्वीवर (तुमचा) संगम होवो. (हिंदू पंचांगाप्रमाणे) ज्येष्ठ महिन्यात, शुक्लपक्षातील दशमीला गंगादशहरा उत्सवाचा प्रारंभ होतो. या उत्सवामध्ये नदीची पूजा करावी.

(टीप : पवित्र असणाऱ्या गंगानदीचे स्वर्गातून पृथ्वीवर याच दिवशी अवतरण झाले, असे मानतात. म्हणून हा दिवस गङ्गादशहरा किंवा गङ्गावतरणम् या नावाने साजरा केला जातो.) श्रोतृगण – नदीचे पूजन? नदीचे पूजन कशासाठी (करायचे)?

कीर्तनकार – खरोखर, नदी जीवन देणारी आहे. म्हणून या प्रसंगी, कृतज्ञता दर्शविण्यासाठी लोक पाण्यामध्ये दीपदान करतात. द्रोणामध्ये दिवे लावून नदीच्या पाण्यामध्ये अर्पण करतात. (पाण्यात सोडतात).

पिण्यासाठी पाणी (उपयोगात येते.) शेतीची वाढ होण्यासाठी (पाण्याचा उपयोग होतो.) वीज निर्माण करण्यासाठी (पाणी वापरले जाते.) (खरोखरच), पाणी जीवन जगण्यासाठी (महत्त्वाचे ठरते.) सजीवांसाठी नदी देवीतुल्य आहे. नदी ही मातृतुल्य आहे. यास्तव, आज सर्व प्रकारे नदीसूक्त ऐकण्याजोगे व स्मरणीय आहे.

श्रोतृगण – अहो पुराणिकवर्य, नदी आपली माता कशी म्हणता येईल? नदीचे (आपल्यावर) उपकार कसे काय?

कीर्तनकार – सज्जनहो ऐका. ही कथा फार जुनी आहे. कुशिकांचे पुत्र विश्वामित्र नावाचे एक श्रेष्ठ मुनी होते. कुटुंबासहित व गोधनासहित ते दूरवरुन आले होते. मार्ग चालत चालत ते बियास व शुतुद्री (सतलज) या नद्यांच्या संगमाजवळ पोहोचले.
(त्यानंतर विश्वामित्र प्रवेश करतो. नदीला प्रणाम करुन / नमस्कार करुन)

विश्वामित्र – मी नदीचा प्रवाह कसा पार करू? गोधनाचे कसे रक्षण करू? (दुसऱ्या तीरापर्यंत) ओलांडून जाण्यासाठी मार्गाची याचना कशी करू? नद्यांकरिता शुभेच्छांची प्रार्थना कशी करू?

नदी (बियास) – हा माणूस कोण आहे? हा कशासाठी आपल्याला वंदन करत आहे व (आपली) प्रशंसा करत आहे? आर्य, (आपले) तुमचे नाव काय आहे? आम्हांला कोवून बोलावत आहेस?

विश्वामित्र – माते, मी विश्वामित्र आहे. मी रथ व गाड्यांसहीत दूरवरून आलो आहे. आम्ही सर्व दुसऱ्या तीरावर जाण्यासाठी उत्सुक आहोत.

नदी (सतजल) – हे ब्राह्मणश्रेष्ठा, तुझी वाणी खरोखर गोड आहे. (ती)
आम्हाला आनंदित करत आहे. (आम्हांला) सांग, आम्ही तुला कसे साहाय्य करू?

विश्वामित्र – माते, माझी विनंती ऐक तू माझ्यासाठी उथळ होशील का? कृपया पाण्याचा ओघ कमी कर. ज्यामुळे आम्ही सर्व दुसऱ्या तीरावर सहज जाऊ शकतो.

नदी (बियास) – खरचं, इंद्रदेवाने मला. हा मार्ग दिला आहे. वृत्रासुराला मारुन इंद्राने(च) नदीचा प्रवाह मोकळा करुन दिला आहे. मी त्याची अवज्ञा करू शकत नाही, (अन्यथा) इंद्रदेव माझ्यावर रुष्ट होतील / रागावतील (म्हणून) हे विश्वामित्रा, मला क्षमा कर. (मी) कधीही विराम घेऊ शकत नाही.

दोन्ही नद्या – हे विश्वमित्रा, आम्ही तुझ्यासाठी थांबू शकत नाही. इंद्रदेवाच्या कार्यात अधिक्षेपही करू शकत नाही.

विश्वामित्र – हे माते, इंद्रदेवाची अवज्ञा (अपमान) नको (च) करू, आम्ही केवळ दुसऱ्या तीरावर जाण्याची इच्छा करतो. माते, कृपा कर, आम्ही सर्व तुझीच मुले आहोत. / तुझेच पुत्र आहोत. तुझे उपकार आम्ही कधीही विसरणार नाही. आम्ही असे काही करणार नाही ज्याने तुझा अवमान होईल. ही माझी प्रतिज्ञा आहे.

नदी (बियास) – काय? हा माणूस मला माते असे संबोधत आहे?

नदी (सतजल) – आई स्वत:च्या पुत्राला मदत कशी नाही करणार? हे मानवश्रेष्ठा, फारच छान. पण, तुझे वंशज जर हे वचन विसरले तर?

विश्वामित्र – नाही माते, हे शक्य नाही. (असे होणार नाही) सगळ्या नद्या सुखाने वाहू देत. सर्व लोक सुखी असू देत. (विश्वामित्र जातात).

कीर्तनकार – अशा रितीने, नद्यांना आनंदित करुन विश्वामित्र दुसऱ्या तीरावर गेला, श्रोत्यांनो, अशा प्रकारे, नद्यांनी व लोकांनी परस्परांना संतुष्ट करुन संस्कृतीचे संवर्धन केले. नदी वाहत आहे.

संस्कृती विकसित झाली आहे (आणि) नदीच्या कृपेने मानव आनंदित झाले आहेत.

शेतकरी आनंदित झाले आहेत, पृथ्वी आनंदली आहे. (ही) पृथ्वी, अन्नदात्री असून समृद्ध झाली आहे. नद्यांचे पाणी नियंत्रित केले आहे. व सेतूंनी (योग्यपणे) रोखले आहे. येथे जनित्र चालविण्यात आले आहे. (एकंदरीतच) आयुष्य प्रकाशित झाले
आहे.

श्रोत्यांनो, या रितीने नद्यांच्या साहाय्याने मानवी जीवन नद्यांच्या काठावर समृद्ध झाले आहे. आता सांगा, विश्वामित्राचे वंशज असलेले आपण सर्व मानव, आजही त्याचे वचन पाळतो का?

(On the stage, कीर्तनकार, a person is singing कीर्तन (spiritual teaching through story telling), audience is engrossed in listening to it.) 0 गङ्गा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु (Indus), कावेरी. May (you all) unite on the earth.

The festival of TSTARTET commences on the tenth day of the waxing moon, in the month of ज्येष्ठ (according to Hindu calendar).

The river should be worshipped on this festival. (Note: It is believed that the holy river गङ्गा descended from the heaven on the earth on this day. Thus, this day is celebrated as गङ्गावतरणम्)

Audience – Worshipping the river? Why we should worship the river?

कीर्तनकार – Indeed, the river gives (us) life. Therefore, On this occasion, people release lamps in the river to express gratitude. By lighting the small lamp in a leaf-bowl, people offer it to the river -water.

Water (can be used) for drinking. (it is used) to prosper the agriculture (It is used) to create the electricity (Indeed) the water is for (sustaining) life. The river is like goddess for living beings. The river is like mother. Hence, today by all means नदीसूक्त is worth-listening and remembering.

Audience – O great पुराणिक, How the river can be considered as our mother? How has she favoured us?

कीर्तनकार – O noble people, please listen.

Indeed this story is very old. There was a great sage named विश्वामित्र, the son of कुशिक, He had come from afar with his family and cows. Following the way, he reached the union of bias and Sutlej river. (Then enters विश्वामित्र. Saluting the river.)

विश्वामित्र – How to cross the river-flow? How to save cows? How shall I ask them a path for crossing? How shall I pray for well-being of rivers.

River (Bias) – Who is this man? Why does he salute and praise us? O noble one, What is the name of the respected one? From where are you calling us?

विश्वामित्र – Omother, I am विश्वामित्र. I have come from a far along with chariots and carts. We all are eager to go to the other bank.

River (Sutlaj) – O great brahmin, your speech is really sweet. It pleases us. Please tell, how shall we assist you?

विश्वामित्र – O mother, please listen to my request. Will you please become shallow for me? Please attenuate (moderate) the water force by which we can go to the other bank easily.

River (Bias) – Indeed, the Lord इंद्र has given me the path having killed the demon, released the flow of the river. I should not insult it, (or else) the Lord will be displeased / angry with us. (Hence), O विश्वामित्र, forgive me. There can’t be cessation ever.

Both rivers – O विश्वामित्र, We can’t stop for you. We can’t interfere in the Lord’s task.

विश्वामित्र – O mother, please do not disregard the Lord Indra’s words. We just wish to go to the other bank. O mother, please favour me. We all are your sons. We shall never forget your favour. We will not behave (wrong) due to which you will be discredited. This (indeed) is my pledge.

River (Bias) – What? Does this man call me mother?

River (Sutlej) – How would a mother not help her child? O, great man, very good. But what if your descendants forget this promise?

विश्वामित्र – No mother. This is not possible. (This won’t happen) may all rivers flow happily? May all people be happy. (विश्वामित्र exits).

कीर्तनकार – In this way, विश्वामित्र, pleasing both rivers went to the other bank. O listeners, In this way, rivers and people having gratified each other, expanded the culture. The river flows, The culture is developed and People are risen up (advanced) due to favour of the river.

Farmers are happy, The earth is delighted. The earth is independent in terms of food grains (because of fertility) and bountiful. The river water is obstructed and controlled by bridges. The generator is placed here (and) the life is gleaned.

O listeners, In this way, with the help of rivers itself, human life has prospered. Now tell (me), Do we all, the descendants of (विश्वामित्र) keep his promise even today?

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Anand Solutions Chapter 8 नदीसूक्तम्

शब्दार्थाः

  • श्रोतृवृन्दः – audience – श्रोतृगण
  • सङ्गमः – union – संगम
  • जलौघः – water flow – पाण्याचा ओघ
  • वज्रहस्त: – Lord Indra – इंद्रदेव
  • विराम: – stop/halt – थांबा
  • मर्त्यः – man – मनुष्य
  • लङ्घनीयः – fit to cross – ओलांडण्यायोग्य
  • याचितव्यः – worthy to be asked for – याचना करण्यायोग्य
  • प्रदत्तवान् – has given – दिला आहे
  • विमुक्तवान् – released – मुक्त केला आहे
  • आक्रामन् – crossing – ओलांडून जाणारा
  • अभ्यर्थना – request – विनंती
  • गाधा – shallow – उथळ
  • अवज्ञा – disregard – अपमान
  • प्रफुल्लिता – shines – सुंदर दिसत आहे
  • कृतज्ञता – gratitude – कृतज्ञता
  • जीवनदायिनी – giver of life – जीवन देणारी
  • जनित्रम् – generator – जनित्र
  • श्रवणीयम् – worth listening – ऐकण्याजोगे
  • आर्या: – good people – सृजन
  • वंशजा: – descendants – वंशज
  • अधिक्षेपम् – insult – अवमान
  • शकटैः – with carts – गाड्यांसहित
  • रङ्गमछे – on the stage – रंगमंचावर
  • पर्वणि – on the festival – उत्सवसमयी
  • विप्रवर – O great brahmin – हे ब्राह्मणश्रेष्ठा
  • स्तौति – praises – स्तुती करतो
  • आह्वयति – approaches – बोलावतो
  • रजयति – pleases – आनंदित करतो/ते
  • स्वल्पीभवतु – may attenuate – कमी होवो
  • प्रसीद – please do favour – कृपा करा
  • हत्वा – having killed – मारून
  • प्रीणयित्वा – gratifying – संतुष्ट करुन
  • इत्थम् – in this manner – अशा रितीने
  • प्राशनार्थम् – for drinking – पिण्यासाठी
  • विद्युनिर्माणथम् – for generating electricity – वीज निर्माण करण्यासाठी
  • सन्निधिं कुरु – may unite – संगम होवो
  • अपि वचनम् – do we keep a – आपण वचन
  • अनुसरामः – promise? – पाळतो का?

Anand Sanskrit Composite Digest Pdf Std 10

Jay Jay He Bharat Desha Class 10 Marathi Chapter 1 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Marathi Kumarbharti Chapter 1 जय जय हे भारत देशा Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Kumarbharti Chapter 1 जय जय हे भारत देशा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Marathi Chapter 1 Question Answer

शब्दार्थ

तपोवन – तपस्व्यांचे वास्तव्य असणारे वन. उजळली – प्रकाशमय झाली. उपनिषदे – वेदांचे सार. नररत्ने – वीरपुरुष, देशभक्त. खाण – भांडार. युग – काही शतकांचा कालखंड. धैर्य – धाडस, हिंमत. छळ – जुलूम. नच – नाहीच. वाकल्या माना – शरणागत. कापरे – भीती. अभिमान – सार्थ गर्व. आत्मशक्ती – स्वबळ, मनाची शक्ती. त्याग – सोडणे. श्रम – कष्ट, मेहनत. धुंद – आनंदाने बेभान. हरित क्रांती – धनधान्याची विपुलता. विश्वशांती – जगामध्ये शांतता नांदणे. कंगाल – दरिद्री. थरारल्या – शहारल्या. झळकत – प्रकाशत. मशाल – मोठी ज्योत. लोकशक्ती – लोकांची एकजूट, एकता. दलितमुक्ती – पीडितांची शोषणापासून सुटका.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Solutions Chapter 1 जय जय हे भारत देशा

कवितेचा (गीताचा) भावार्थ

हे माझ्या प्रिय भारत देशा, तुझा जयजयकार असो! तू नवीन जगाची आशा आहेस.

तपोवनातून उपनिषदांतील तत्त्वज्ञानाची भाषा प्रकाशमय झाली. तुझ्या मातृभूमीत शूरवीर पुरुषांच्या खाणी जन्माला आल्या; उदयाला आल्या. युगानुयुगे तू जगाला धैर्याची शिकवण दिली आहेस. तू नवीन सूर्याचा तेजस्वी देश आहेस. तू नवीन जगाची प्रेरणा आहेस. तुझा जयजयकार असो.

जुलूम-जबरदस्तीपुढे, मारक शक्तीपुढे आणि छळ करणाऱ्या व्यवस्थेपुढे तू कधी वाकला नाहीस, शरण आला नाहीस. तुझा शूर पराक्रमी स्वाभिमान पाहून अन्यायालाही भीतीचे कापरे भरते. अन्यायाला धडकी भरते. हे आत्मबळाच्या देशा, हे त्यागाच्या नि भक्तीच्या देशा, तुझा विजय असो. तू नवीन जगाची आस आहेस, तुझा जयजयकार असो.

घाम गाळून, कष्ट करून पिकलेली शेते आनंदाने बेहोश होऊन डोलत आहेत. घामाच्या थेंबांतून शेतकऱ्याच्या हृदयातील आनंद ओसंडतो आहे. तू हरितक्रांतीचा देश आहेस, तू विश्वामध्ये शांती नांदवणारा देश आहेस, तुझा विजय असो. तू नवीन जगाची आशा आहेस. हे भारत देशा, तुझा जयजयकार असो.

दैन्य-दारिद्र्याच्या घोर अन्यायाला जाळणाऱ्या मशाली आता पेटून झळाळत आहेत. त्यामुळे भोवताली भुकेकंगालांच्या झोपड्या आनंदाने शहारत आहेत. जनतेची एकजूट असलेल्या, हे लोकशक्तीच्या देशा, तुझा विजय असो. सर्व शोषित-पीडित जनांच्या मुक्तीचा तू देश आहेस. तू नव्या जगाची एकमेव आशा आहेस. हे भारत देशा, तुझा बुलंद जयजयकार असो.

Marathi Kumarbharti Std 10 Digest