Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

11th Hindi Digest Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
टेलीविजन के लिए समाचार वाचन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
टेलीविजन के लिए समाचार वाचन की विशेषताएँ : टेलीविजन दृश्य मिडिया है। समाचार वाचक के लिए टेलीप्राम्प्टर की सुविधा होती है। इसीलिए हमें ऐसा आभास होता है कि समाचार वाचक हमसे बातचीत कर रहा है। समाचार को प्रस्तुति में प्रोड्यूसर, इंजीनियर, कैमरामैन, फ्लोर मैनेजर, वीडियो संपादक, ग्राफिक आर्टिस्ट, मेकअप आर्टिस्ट आदि टीम की तरह मिलकर काम करते हैं।

समाचार वाचक समाचार वाचन करते समय ऐंकर की भूमिका भी निभाता है, किसी का साक्षात्कार भी लेता है, चैनल की परिचर्चा में सवाल भी करता है। इसके बीच में वह तत्काल घटी घटनाओं को ‘बेक्रींग न्यूज’ के रूप में शामिल कर लेता है।

समाचार वाचन में समाचार वाचक के प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ सुयोग्य आवाज, उच्चारण की शुद्धता, भाषा का ज्ञान, शब्दों का उतार-चढ़ाव एवं भाषा का प्रवाहमयी होना भी जरूरी है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के पद की गरिमा का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। ऐसी कोई बात न पढ़ी जाए जो किसी धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचाए।

समाचार वाचन राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होना चाहिए।

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प्रश्न 2.
रेडियो और टेलीविजन के लिए समाचार प्राप्त करने के साधन लिखिए।
उत्तर :
रेडियो और टेलीविजन के लिए समाचार प्राप्त करने के साधन : समाचार एजेंसियाँ, संवाददाता, प्रेस विज्ञप्तियाँ, भेंटवार्ताएँ, साक्षात्कार, क्षेत्रीय जनसंपर्क अधिकारी, राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता, मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई जानकारी आदि साधनों द्वारा समाचार प्राप्त होते हैं।

सारे विश्व में समाचारों का संकलन और प्रेषित करने का काम मुख्यत: समाचार एजेंसियाँ करती हैं। समाचार एजेंसियाँ के क्षेत्रीय ब्यूरो समाचार को टेलीप्रिंटर द्वारा कार्यालय तक पहुंचाते हैं। उन्हें पुनर्संपादित कर समाचार रेडियो और टेलीविजन कक्ष में टेलीप्रिंटर द्वारा भेजते हैं।

भारत में मुख्यत: विदेशी और भारतीय समाचार एजेंसियों में रायटर, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पी.टी.आई), यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यू.एन.आई), यूनिवार्ता एजेंसियाँ समाचार उपलब्ध कराती हैं। केंद्र सरकार की खबरें, पत्र, सूचना कार्यालय द्वारा और राज्य सरकार की खबरों की सूचनाएँ जन संपर्क विभाग की प्रेस विज्ञप्तियों से मिलती हैं।

इनके अलावा सार्वजनिक प्रतिष्ठान, शोध और निजी संस्थानों के जनसंपर्क अधिकारी और प्रेस के संवाददाता भी समाचार उपलब्ध कराते हैं।

प्रश्न 3.
समाचार के महत्त्वपूर्ण पक्ष स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार के महत्त्वपूर्ण पक्ष : समाचार की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए। समाचार के वाक्य छोटे-छोटे हों। प्रदेश और क्षेत्र की भाषा की गरिमा के अनुकूल वाक्य हों। समाचार में ऐसी बात न हो जिससे धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचे। समाचार की प्रस्तुति राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होनी चाहिए।

समाचार के क्षेत्र में जनहित एक मशाल है और पत्रकार उसकी किरण जिसके सहारे राष्ट्रीय एकता, अखंडता, सद्भाव और भाइचारे को प्रकाशमान करना चाहिए। समाचार का दायरा बहुत बड़ा है। राजनीतिक, संसद, खेल, विकास, व्यापार, विज्ञान, कृषि, रोजगार, स्वास्थ्य आदि से संबंधित समाचार प्रस्तुत होते हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के पदों की गरिमा को ध्यान में रखकर ही समाचार प्रस्तुत करने चाहिए।

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व्यावहारिक प्रयोग

निम्नलिखित विषयों पर आकाशवाणी/दूरदर्शन/समाचारपत्र के लिए समाचार लेखन कीजिए।

प्रश्न 1.
अकाल से उपजी गंभीर स्थितियाँ।
उत्तर :
बिहार में अकाल की छाया :
सूखने लगे है जलाशय, बारिश नहीं होने से स्थिति गंभीर होती जा रही है। राज्य के 23 जलाशयों में से 10 तो पूरी तरह से सूख गए हैं। 15 जलाशयों में पिछले वर्ष से भी कम पानी बचा है और उनमें से दो जलाशयों में तो 11 से 12 फिसदी ही पानी बचा है। केवल दो जलाशय ऐसे हैं जिनमें 50 फिसदी पानी बचा है।

जलाशयों के सूखने का सबसे प्रतिकूल प्रभाव नहरों पर पड़ा है। दूर के खेतों की कौन कहे, नजदीक के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यदि शीघ्र बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। सिंचाई के लिए पानी लगातार कम पड़ रहा है। निकट भविष्य में पेय जल की भी समस्या होने की संभावना को झुठला नहीं सकते।

जालकुंड, अमृति, श्रीखंडी, कैलाशघाटी, कोहिरा, फुलवरिया, पुरैनी, ताराकोल जलाशय सूख गए हैं। सिर्फ चंदन, औढ़नी, बदुआ जलाशयों में पानी शेष है। इसकी वजह से मुंगेर, लखीसराय, जमुई नवादा, औरंगाबाद में स्थिति अधिक खराब देखी गई हैं।

प्रश्न 2.
विश्वभर में बढ़ती हुई खादी की माँग।
उत्तर :
खादी बिक्री में जबरदस्त उछाल :
खादी फॉर नेशन और खादी फॉर फॅशन के बाद खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन बन रहा है। 13 फरवरी 2019 को खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ने अमेजॉन इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन कर हस्ताक्षर किए। इसके तहत अमेजॉन इंडिया ग्रामीण खादी बुनकरों के उत्पाद देश-विदेश में उपलब्ध कराएगी।

पिछले कुछ वर्षों में ग्राहकों के बीच खादी की बढ़ती माँग की एक लहर सी देखी गई है। अमेजॉन इंडिया के कारण खादी की डिजिटल यात्रा आरंभ हो गई है। फाइन खादी अब तेजी से अमीरों का परिधान बन रही है। खादी वस्त्रों की एक विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठंडा और सर्दी में गरम रखते हैं।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महात्मा गांधी जी ने खादी का आरंभ किया। वही खादी आज भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी पैठ बना रही है। खादी का रिश्ता हमारे इतिहास और परंपरा से है जो आज विदेशों में भारत की पहचान बनाने के लिए उभर आया है।

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समाचार लेखन के सोपान

  • समग्र तथ्यों को एकत्रित करना।
  • समाचार लेखन का प्रारूप तैयार करना।
  • दिनांक, स्थान तथा वृत्तसंस्था का उल्लेख करना।
  • परिच्छेदों का निर्धारण करते हुए समाचार लेखन करना।
  • शीर्षक तैयार करना।

समाचार लेखन के लिए आवश्यक गुण

  • लेखन कौशल
  • भाषाई ज्ञान
  • मानक वर्तनी
  • व्याकरण

समाचार लेखन के मुख्य अंग

  • शीर्षक – शीर्षक में समाचार का मूलभाव होना चाहिए। शीर्षक छोटा और आकर्षक होना चाहिए।
  • आमुख – समाचार के मुख्य तत्त्वों को सरल, स्पष्ट रूप से लिखा जाए। घटना के संदर्भ में कब, कहाँ, कैसे, कौन, क्यों आदि जानकारी हो।

समाचार के कुछ विषय

प्रश्न 1.
अपने कनिष्ठ महाविद्यालय में मनाए गए विज्ञान दिवस’ का समाचार लेखन कीजिए।
उत्तर :
28 फरवरी, 2019 को अगस्ती कनिष्ठ महाविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने प्रा. वाकडे और प्रा. शर्माजी के मार्गदर्शन से विज्ञान और गणित के मॉडलों की, एक प्रदर्शनी भी लगाई थी। इनमें प्रकाश का परावर्तन, कंकाल तंत्र, मानव शरीर के आंतरिक भाग, सूर्यग्रहण, चंद्रगहण आदि के मॉडेल सबकी प्रशंसा के पात्र बने।

प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री.शेटे जी के करकमलों से हुआ। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और विद्यार्थियों की सराहना की। इस अवसर पर चित्रकला और निबंध लेखन प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की गई थी। विजेता विद्यार्थियों को श्री. शेटे जी के हाथों पुरस्कृत किया गया।

उन्होंने अपने भाषण में विज्ञान के निरंतर उन्नति के लिए विद्यार्थियों का आह्वान किया और विज्ञान के विकास द्वारा लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने का संदेश दिया। धन्यवाद यापन के बाद राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।

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प्रश्न 2.
‘शिक्षा के क्षेत्र में ई-तकनीक का प्रयोग’ का समाचार लेखन कीजिए।
उत्तर :
इक्कीसवीं सदी में ई-शिक्षा : एक क्रांति :
डिजिटल साक्षरता आज समय की माँग है। ई-शिक्षा सेवाओं का विकास उस समय हुआ जब पहली बार शिक्षा में कंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया। आज के इस निजीकरण के युग में शिक्षा का भी निजीकरण हो गया है और इंटरनेट ने पूरी दुनिया का ज्ञान सबके लिए खुला करके शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाई है।

यह नई शिक्षा प्रणाली ई-लर्निंग के नाम से जानी जाती है। इसने शिक्षा को रुचिकर बना दिया है। कम खर्च में ई-शिक्षा द्वारा प्रभावशाली और आकर्षक शिक्षा दी जाती है। इस से विद्यार्थी बिना किसी स्ट्रेस के स्वयं ही आसानी से विषय समझ लेता है।

इंटरनेट पर जानकारियों का खजाना है जो पलक झपकते ही हमारे सामने आ जाता है। जरूरत के मुताबिक विद्यार्थी वहाँ से अपनी जानकारी जुटा सकता है। डिजिटल इंडिया के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की योजना है।

सभी माध्यमिक, उच्चमाध्यमिक स्कूलों में मुक्त वाई-फाई प्रदान किया जाएगा। डिजिटल साक्षरता पर एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम लाया जाएगा। ई-शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर ऑनलाइन ओपन पाठ्यक्रम का विकास किया जाएगा। इससे सीखना और सिखाना दोनों आसान हो जाएगा। जन-जन तक ज्ञान का प्रकाश फैलाने और धन और समय की बचत करने में ई-तकनीक उपयोगी सिद्ध होगी।

प्रश्न 3.
‘पर्यावरण संवर्धन में युवाओं का योगदान’ का समाचार लेखन कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण संवर्धन में युवाओं का योगदान :
आज दुनियाभर में जिस तरह प्रदूषण बढ़ता जा रहा है उसपर नियंत्रण पाने के लिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय भागीदारी निभाना बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए हर उम्र व हर क्षेत्र के लोगों का आगे आना जरूरी है। इस में कोई दोराय नहीं कि इस में युवाओं की भूमिका बेहद अहम है।

अगस्ती विद्यालय के कुछ छात्र और अध्यापक वैद्य का योगदान इस दृष्टि से प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। इन्होंने पर्यावरण और मिट्टी की महक को पहचाना और पर्यावरण संरक्षण की पहल की। पेड़-पौधों के संरक्षण का बीड़ा उठाया।

अपने हमउम्र छात्रों को कागजों की खपत पर अंकुश लगाने के लिए मनाया क्योंकि कागज बनाने के लिए पेड़ों की कटाई होती है। इसके पर्याय में डिजिटल कार्यप्रणाली को अपनाने का आह्वान किया।

‘वन समृद्धि, जन समृद्धि’ योजना आरंभ की और पेड़-पौधों को संरक्षण दिया। पौंधों को लगाकर उनके रख-रखाव का भी पूर्ण ध्यान रखने की जिम्मेदारी ली।

इन छात्रों ने प्रण लिया कि ‘वृक्ष लगाएँगे और ताउम्र उनकी रक्षा करेंगे।’ साथ ही पॉलिथीन के इस्तेमाल को भी प्रतिबंधित करने का बीड़ा उठाया। इन युवाओं का यह कार्य सराहनीय है। आज इनकी इस मुहिम में अन्य छात्र भी जुड़ रहे हैं। कुछ छात्र पथनाट्य द्वारा जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

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लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर हो रहे हैं अर्थात उनके इस कार्य में सौ प्रतिशत सफलता जन भागिदारी पर निर्भर है।

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक Additional Important Questions and Answers

समाचार : जन से जनहित तक लेखक परिचय :

मीडिया में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त डॉ. अमरनाथ ‘अमर’ लेखक, कवि, आलोचक एवं दूरदर्शन के सैकड़ों सफल कार्यक्रमों के निर्माता, निर्देशक हैं। स्पंदित प्रतिबिंब (काव्य संग्रह), वक्त की परछाइयाँ (निबंध संग्रह), पुष्पगंधा (कहानी संग्रह) इलेक्ट्रानिक मीडिया : बदलते आयाम आदि रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

समाचार : जन से जनहित तक पाठ परिचय :

प्रस्तुत पाठ ‘समाचार : जन से जनहित तक’ एक लेख है। अनेक अनुच्छेदों में विभाजित करके लेखक ने विषय से संबंधित जानकारी को रोचक ढंग से समझाने का प्रयास किया है। आज के युग में जनसंपर्क माध्यमों में ‘समाचार’ की अहं भूमिका है।

ये समाचार पाठ्य माध्यम से, रेडियो द्वारा श्राव्य माध्यम से तो दूरदर्शन द्वारा दृक-श्राव्य माध्यम से दिए जाते हैं। इस कार्य में सहज, सरल एवं प्रवाहमयी भाषा की आवश्यकता होती है। प्रस्तुत लेख ने समाचार की आवश्यकता, महत्ता और भविष्य की विविध संभावनाओं को दर्शाया है।

समाचार : जन से जनहित तक पाठ का सारांश :

आज सैटेलाइट के माध्यम से विश्व में घटित घटनाएँ संचार माध्यम की सहायता से हम देख पढ़ या सुन लेते है। तीनों माध्यम मनोरंजन, ज्ञानवर्धन और सूचना प्रसारण करते हैं। इसी सूचना के अंतर्गत समाचार आते हैं।

समाचार पत्र को प्रिंट मिडिया कहा जाता है। इसमें विविध समाचार एजंसियाँ तथा रिपोर्टर समाचार प्राप्त करते हैं। उप संपादक प्राप्त समाचारों का लेखन करता है, मुद्रित सामग्री की त्रुटियाँ मुद्रित शोधक दूर करता है और उसे शुद्ध, समुचित, मानक साहित्यिक भाषाई रूप प्रदान करता है। उसके बाद प्रधान संपादक की ओर से हरी झंडी मिलने पर छपाई शुरू होती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार जन से जनहित तक 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक

दूरदर्शन/टी.वी चैनल्स (विजुअल) दृश्य मीडिया है। इस माध्यम द्वारा समाचार प्रस्तुत करने में प्रोड्युसर इंजीनियर, कैमरामैन, फ्लोर मैनेजर, वीडियो संपादक, ग्राफिक आर्टिस्ट आदि कई लोग शामिल होते हैं। समाचार लेखन, वाचन और प्रसारण का काम पूरी टीम करती है।

समाचार वाचक के लिए टेलीपॉप्टर की सुविधा होती है। समाचार वाचक के लिए प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ सुयोग्य आवाज, शुद्ध उच्चारण, भाषा का ज्ञान आदि आवश्यक है।

समाचार प्राप्त करने के अनेक साधन हैं समाचार एजेंसियाँ, प्रेस विज्ञप्तियाँ (press release), भेट वार्ताएँ (interview), राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता, मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई कोई जानकारी आदि। समाचार का स्वरूप भी बहुत विस्तृत है। राजनीतिक, खेल, व्यापार, रोजगार, विज्ञान, बजट, चुनाव, कृषि, स्वास्थ्य आदि से संबंधित समाचार प्रसारित होते हैं। समाचार की भाषा सरल और सहज होनी चाहिए।

समाचार में ऐसी बात न हो जिससे किसी धर्म, जाति या वर्ग की भावना को चोट पहुँचे। समाचार प्रस्तुति राष्ट्रहित, एकता और अखंडता को ध्यान में रखकर होनी चाहिए।

आज इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। यू.पी.एस.सी. की परीक्षाएँ देकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

समाचार : जन से जनहित तक शब्दार्थ :

  • वैश्वीकरण = globalization,
  • सैटेलाइट = उपग्रह (satellite),
  • प्रस्तुति = निष्पत्ति (presentation),
  • प्रतिबद्धता = संकल्पबद्धता, वचनबद्धता (commitment),
  • संलग्न = जुड़ा हुआ (attached),
  • ललक = उत्कंठा, चाहत (desire),
  • मुद्रित = छपा हुआ (printed),
  • त्रुटियाँ = भूल-चूक (error), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 15 समाचार : जन से जनहित तक
  • संकेत = निशान, चिह्न (sign),
  • साक्षात्कार = मुलाकात, भेंट वार्ता (interview),
  • प्रवक्ता = अधिकारिक रूप से बोलने वाला व्यक्ति (representative),
  • स्त्रोत = उद्गम स्थान, भंडार (source),
  • परिचर्चा = संगोष्टी, गुफ्तगू (discussion),
  • स्वर = आवाज (voice, vocal)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 8 तत्सत Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

11th Hindi Digest Chapter 8 तत्सत Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
बड़ दादा के अनुसार आदमी ऐसे होते हैं –
(a) ……………………………………
(b) ……………………………………
(c) ……………………………………
उत्तर:
(a) इन्हे पत्ते नहीं होते।
(b) इनमें जड़ें नहीं होती।
(c) अपने तने की दो शाखाओं पर ही वे चलते चले जाते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

प्रश्न आ.
वन के बारे में इसने यह कहा –
(a) बड़ दादा ने –
(b) घास ने
(c) शेर ने
उत्तर :
(a) बड़ दादा ने – वन नामक जानवर को मैंने अब तक नहीं देखा।
(b) घास ने – वन को मैंने अलग करके कभी नहीं पहचाना।
(c) शेर ने – वन कोई नहीं है कहीं नहीं है।

प्रश्न इ.
घास की विशेषताएँ –
………………………………………………..
………………………………………………..
………………………………………………..
उत्तर :
(a) घास बुद्धिमती है।
(b) घास से किसी को शिकायत नहीं होती।
(c) उसे सबका परिचय पद तल के स्पर्श से मिलता है।

शब्द संपदा

2.
प्रश्न अ.
पर्यायवाची शब्दों की संख्या लिखिए :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट
उत्तर :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज ( 3 )
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर ( 3 )
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा ( 2 )
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन ( 4 )
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट ( 3 )

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प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द तैयार कर उपसर्ग के अनुसार उनका वर्गीकरण कीजिए –
कामयाब – न्याय – मान
सत्य – मंजूर
मेल – यश – संग
उत्तर :

उपसर्ग मूल शब्द शब्द
उदा. – गैर
ना

अप

अव
ना
बे
अप
कु
जिम्मेदार
कामयाब
न्याय
मान
सत्य
गुण
मंजूर
मेल
यश
संग
गैर जिम्मेदार
नाकामयाब
अन्याय
अपमान
असत्य
अवगुण
नामंजूर
बेमेल
अपयश
कुसंग

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अभयारण्यों की आवश्यकता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
कुछ दिन पहले अखबार में एक खबर आई थी कि मुंबई के ठाणे विभाग की मानवी बस्ती में एक बाघ आया था। इस खबर से लोगों में काफी सनसनी फैली थी। जंगली जानवरों का मानवी बस्ती में आगमन बढ़ रहा है, जिससे मनुष्यों का खतरा बढ़ रहा है। इस बात पर चर्चा होने लगी।

वास्तव में देखा जाए तो जंगली जानवरों के लिए हम खतरा बन रहे हैं। भौतिक विकास के नाम पर जंगलों को खत्म करने से बेचारे जानवरों का जीना हराम हुआ है। जंगलों में रहने वाले अनेक छोटे-छोटे जीव-जंतु अस्तित्वहीन हो रहे हैं। उनका निवास हमने छीन लिया है। इसलिए बेचारों को मानवी बस्ती में घुसना पड़ रहा है। इस कारण अभयारण्यों की आवश्यकता तीव्रता से महसूस हो रही है।

प्रश्न आ.
‘पर्यावरण और हम’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

4.
प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए –
(1) बड़ दादा
(2) सिंह
(3) बाँस
उत्तर :
(1) वड़ दादा : ‘तत्सत’ इस कहानी में एक घना जंगल है। इस जंगल में एक बड़ा पुराना बड़ का पेड़ है। उसे सब ‘बड़ दादा’ कहकर पुकारते हैं। बड़ दादा अंत्यंत शांत और संयमी है। वह सबसे स्नेह करता है। एक दिन बड़ दादा की छाँव में बैठे दो आदमियों ने कहा कि यह वन अत्यंत भयानक और घना है।

आदमी किस वन के बारे में बात कर रहे थे, यह जंगल वासी समझ नहीं पाए। वन किसे कहते है? वह कहाँ है? इसे जानने के लिए सब बेचैन थे। अनेक पेड़, प्राणियों के साथ बड़ दादा की चर्चा हुई। किसी को भी ‘वन’ के बारे में जानकारी नहीं थी। कुछ दिन बाद वही आदमी फिर दिखाई दिए।

बड़ ने उन्हें ‘वन’ के बारे में पूछा। आदमी ने बड़ के पेड़ पर चढ़कर ऊपरी हिस्से में खिले हुए नए पत्तों को आस-पास की दुनिया दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ दादा को उस वक्त पता चला कि ‘वन’ माने कोई जानवर या पेड़-पौधे नहीं बल्कि उन सबसे वन बना है। वन हम में है और हम वन में हैं इस परम सत्य का उसे पता चला। आखिर वही ‘तत्सत’ था।

(2) सिंह : इस कहानी का सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। सिंह पराक्रमी है। वन का राजा है। उसे अपनी शक्ति पर गर्व है। जब बड़ दादा तथा अन्य उसे ‘वन’ के बारे में पूछते हैं तब उसे पता चलता है कि ‘वन’ नामक कोई है? उस ‘वन’ को उसने कभी नहीं देखा था। सिंह उस वन को चुनौती देना चाहता है।

अगर उसका ‘वन’ से मुकाबला हो जाए तो उसे फाड़कर नष्ट करना चाहता है। ‘वन’ को नष्ट करने की भाषा के पीछे उसका अज्ञान है। वन के अस्तित्व पर उसे भरोसा नहीं है। खुद की शक्ति पर अहंकार करने वाले सिंह के शब्द और कृति से उसका बल दिखाई देता है। शक्ति, वीरता, बल और अहंकार का प्रतीक ‘सिंह’ है।

(3) वाँस : ‘तत्सत’ कहानी में गहन वन है जहाँ के पेड़-पौधों को तथा पशुओं को ‘वन’ नामक जानवर के बारे में पता नहीं है। परंतु सबको उसका डर था क्योंकि शिकारियों ने ‘भयानक वन’ की बात आपस में की थी। वन के सभी ‘वन’ नामक भयानक जानवर के बारे में चर्चा कर रहे थे।

तब बाँस भी उस चर्चा में सम्मिलित हुआ। वह थोड़ी सी हवा आते ही खड़खड़ करने लगता था। वह पोला था परंतु बहुत कुछ जानता था। वह घना नहीं था, सीधा ही सीधा था। इसीलिए झुकना नहीं जानता था। उसे लगता था कि हवा उसके भीतर के रिक्त में वन-वन-वन-वन कहती हुई घूमती रहती है।

वाग्मी वंश बाबू अर्थात् बाँस ‘वन’ नामक भयानक प्राणी के बारे में अधिक बता न सके।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

प्रश्न आ.
‘तत्सत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘तत्सत’ यह कहानी प्रतीकात्मक है। यहाँ वन ईश्वर का प्रतीक है और वन में रहने वाले सभी प्राणी, पशु-पक्षी, पेड़ पौधे उसके अंश है। ‘वन’ के अस्तित्व को लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, इनसान में चर्चा छिड़ जाती है। आदमी का कहना है कि, ‘हम सब जहाँ है वहीं वन है। लेकिन पेड़-पौधे और पशु-पक्षी उसकी बात मानने को तैयार नहीं है। बड़ दादा की आदमी के साथ देर तक चर्चा होती है।

आखिर बड़ दादा को साक्षात्कार होता है और वह वन रूपी ईश्वर के अस्तित्व को मानने के लिए तैयार हो जाता है। बड़ दादा से मनुष्य ने जो कुछ कहा, मंत्र रूपी संदेश दिया तब मानो उसमें चैतन्य भर आया। उन्होंने खंड को कुल में देख लिया। उन्हें अपने चरमशीर्ष से कोई अनुभूति प्राप्त हुई।

सृष्टि के अंतिम सत्य को उन्होंने जान लिया। हम आज हैं कल नहीं परंतु ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। ईश्वर के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल को जंगल वासी और आदमियों के संवाद द्वारा लेखक ने साकार किया है।

हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है परंतु अंत में उस परम शक्तिशाली का अस्तित्व हमें स्वीकार करना ही पड़ता है। यही सत्य है। इसीलिए कहानी का शीर्षक सार्थक है। ‘तत्सत’ का शब्दश: अर्थ है वही सत्य है अर्थात ईश्वर सत्य है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियों की विशेषताएँ –
उत्तर :
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियाँ किसी ना किसी मूल विचार तत्व को जगाती है। रोजमर्रा के जीवन की समस्याएँ आपकी कहानियों में उजागर होती हैं। मनोविश्लेषण (psychoanalysis) और मानवीय संवेदना यह आपकी कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न आ.
अन्य कहानीकारों के नाम –
उत्तर :
हिंदी साहित्य में जैनेंद्र कुमार जी के अलावा प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, यशपाल, मन्नू भंडारी, शेखर जोशी, भीष्म साहनी, फणीश्वरनाथ रेणु, मार्कण्डेय आदि अनेक कहानीकारों को श्रेष्ठ कहानीकार माना जाता है।

6. निम्नलिखित रसों के उदाहरण लिखिए :

(a) हास्य
……………………………………………………..
(b) वात्सल्य
……………………………………………………..
उत्तर :
(a) हास्य रस :
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय?
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

(b) वात्सल्य रस :
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मोसौ कहत मोल को लीन्हौं,
तू जसुमति कब जायौ?

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 8 तत्सत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : शीशम ने कहा, “ये लोग इतने ही ……………………………………………. वह चीतों से बढ़कर होगा।” (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 39-40)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 2

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते …………………………………………….
उत्तर :
आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते क्योंकि इनमें पेड़ों की तरह जड़ें नहीं होती।

(ii) वन चीतों से बढ़कर होगा …………………………………………….
उत्तर :
वन चीतों से बढ़कर होगा क्योंकि आदमी वन को भयानवा बताते थे।

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों में अलग अर्थ वाला शब्द छाँटकर लिखिए :
उत्तर :

  • समीर, अनिल, मारुति, हवा – मारुति
  • दिन, तिथि, वार, वेद – वेद
  • प्रीति, स्नेह, प्यार, चाह – चाह
  • नारी, मनुष्य, आदमी, मानव – नारी

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

प्रश्न 4.
प्रकृति द्वारा निर्मित पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का महत्त्व लिखिए।
उत्तर :
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का पर्यावरण संतुलन में अपना अलग महत्त्व है। पेड़-पौधे हो या पशु-पक्षी सभी को जीवित रहने के लिए आक्सीजन आवश्यक है और आक्सीजन बनाने में पेड़-पौधे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुद्ध हवा के साथ-साथ फल-फूल, पानी, छाया, आसरा आदि के लिए पेड़ आवश्यक हैं।

पेड़ अपनी हजारों मशीनों (पत्तियों) द्वारा हवा शुद्ध करने के काम में। लगा है। पशु-पक्षी पेड़ के फल खाते हैं और फलों के बीज इधर-उधर डालकर नए वृक्ष उगाने में सहायक सिद्ध होते हैं। उनके मल-मूत्र से पेड़-पौधों को खाद मिल जाती है और वे भी फलते-फूलते हैं।

मनुष्य द्वारा फैलाए गए प्रदूषण को कम करने में इस तरह पेड़-पौधे और पशु-पक्षी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। ये इस धरती का शृंगार है जो हमें जीवन प्रदान करने में मददगार सिद्ध हुए हैं। अत: इनकी अहमियत समझकर इन्हें संरक्षण देना हम सबका कर्तव्य है।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : तब सबने घास से पूछा ……………………………………………………………………………………………………………. कैसे जाना जाए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 41)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
उत्तर :

  • घास की विशेषता → बुद्धिमती
  • वंश बाबू की विशेषता = वाग्मी
  • भयानक जंतु का नाम → वन
  • घास की इससे बनती है → दुख

प्रश्न 2.
लिखिए : घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) ……………………………………..
(ii) ……………………………………..
उत्तर :
घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) पद तल की चोट अधिक मात्रा में देने वाला ताकतवर
(ii) धीमे कदम से चलने वाला दुखियारा

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) कठिनाई x ……………………………….
(2) धीमा x ……………………………….
उत्तर :
(1) कठिनाई x आसानी
(2) धीमा x तेज

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) जानने की इच्छा रखने वाला – जिज्ञासु
(2) दुःख में फँसा हुआ – दुखियारा

प्रश्न 4.
‘जंगल बचाओ’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दो साल पहले हम लोग कोंकण में गए थे। समुद्र के साथ-साथ वहाँ हम एक घने जंगल को भी देखने गए थे। उस घने जंगल को देखकर हम लोग सचमुच हैरान हो गए। बड़े-बड़े, विशाल वृक्ष, हजारों तरह के पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के छोटे-छोटे जीव-जंतु देखने का मौका हमें मिला।

पेड़ की शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थी। पेड़ के नीचे फल-फूल बिखरे हुए थे। अलगअलग पछियों की चहचहाट से मन पुलकित हो रहा था। एक अनोखा सुकून, महसूस हो रहा था। तब से मुझे हमेशा लगता है कि ‘जंगल’ बचाना बहुत जरूरी है।

सिर्फ हमारी अंदरूनी सुकून के लिए नहीं बल्कि उन सारे जीव-जंतुओं के लिए भी जिनकी जिंदगी जंगल पर निर्भर है। आज हम अपने स्वार्थ के लिए जंगल बरबाद कर रहे हैं। हमारी भौतिक जिंदगी आबाद हो रही है। जंगल की लकड़ियाँ तोड़कर हम तो एक से एक बड़ी इमारतें खड़ी कर रहे हैं किंतु जानवरों का निवास नष्ट हो रहा है। आजकल शेर, हाथी, बंदरों का मानवी बस्ती में घुसना आम बात हो गई है। इन सबको बचाना हमारा कर्तव्य है।

अत: ‘जंगल बचाओ’ यह अभियान चलाने की जरूरत है।

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(ई) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : उन दोनों आदमियों में से प्रमुख ने विस्मय से …………………………………………………………………………. ‘तो क्या मरोगे?’ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 43)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 4

प्रश्न 2.
निम्न उद्गार कहने वालों का नाम लिखिए :
उत्तर :

  • “बको मत – बबूल
  • “यह सब कुछ ही वन है।” – प्रमुख पुरुष
  • “ठीक बताओ, नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं है।” – कई जानवर
  • “तो क्या मरोगे?’ – आदमी

प्रश्न 3.
विशेषण-विशेष्य की उचित जोड़ियाँ गद्यांश के आधार पर मिलाइए : (आदमी, बोली, पुरुष, सिंह, प्रमुख, वनराज, बेचारे, मानवी)
उत्तर :

  • आदमी बेचारे
  • वोली मानवी
  • पुरुष – प्रमुख
  • सिंह – वनराज

प्रश्न 4.
‘पर्यावरण और हम’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न :

प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए।
उत्तर :
(1) साँप : इस कहानी का सर्पराज अर्थात साँप वन का वासी है। वह हमेशा धरती से चिपककर रहता है। चमकीला देह और टेढ़ामेढ़ापन यह उसकी शारीरिक विशेषता है। जहाँ भी छिद्र हो वहाँ उसका प्रवेश हो सकता है। धरती के सारे गर्त को वह जानता है। धरती से पाताल तक उसका वास रहता है।

लेकिन इतना होने पर भी उसे ‘वन’ के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है। साँप के मतानुसार ‘वन’ फर्जी है। धरती के गर्त में ज्ञान की खान है। जहाँ सिर्फ साँप पहुँचता है इसलिए साँप इस कहानी में ‘ज्ञान’ का प्रतीक माना गया है। उसे धरती के अनेक रहस्यों का ज्ञान है। परंतु ‘वन’ के बारे में उसे कुछ पता नहीं है।

(2) घास : ‘तत्सत’ कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के अनेक पात्र किसी विशेष गुणों का प्रतीक है। कहानी की ‘घास’ एक सर्वव्यापी वनस्पति है। वह हर जगह व्याप्त है। वह ऐसी बिछी रहती है कि किसी को उससे शिकायत नहीं होती। लोगों की जड़ों को वह जानती है।

पद-तल के स्पर्श से घास सबको पहचानती है। जब उसके सिर पर किसी का स्पर्श इतना जोरदार होता है कि उसे चोट पहुंचे तो वह पहचानती है कि वह ताकतवर है। धीमे कदमों से अगर कोई घास पर से चलता है तो वह जान लेती है कि कोई दुखियारा जा रहा है। दुख से घास का अपनेपन का रिश्ता है।

इस कहानी में ‘घास’ ‘बुद्धिमती’ है, अर्थात बुद्धि का प्रतीक है।

तत्सत Summary in Hindi

तत्सत लेखक परिचय :

प्रेमचंदोत्तर उपन्यास (novel) में लेखक जैनेंद्र कुमार जी का एक विशिष्ट स्थान है। आपका जन्म 2 जनवरी 1905 को अलीगढ़ में हुआ। मनोविज्ञान और दर्शन आपके साहित्य का आधार है। हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक (promoter) के रूप में आप प्रसिद्ध है। पद्मभूषण से आप सम्मानित हैं। आपका देहांत 24 दिसंबर 1988 को हुआ।

तत्सत रचनाएँ :

परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी (उपन्यास) फाँसी, नीलम, एक रात, दो चिड़ियाँ, जैनेंद्र की कहानियाँ (सात भाग), (कहानी संग्रह) सोच-विचार, जड़ की बात, पूर्वोदय, काम, प्रेम और परिवार (निबंध) प्रेम में भगवान, पाप और प्रकाश (नाटक)

तत्सत विधा-परिचय :

गद्य साहित्य की सबसे प्रिय तथा रोचक विधा ‘कहानी’ को माना जाता है। जीवन का यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी में होता है। मनोरंजन के साथ-साथ, जीवन में व्याप्त कुप्रथा, गलत रूढ़ियाँ तथा आडंबरों (ostentatious) का पर्दाफाश करते हुए एक नए समाज की स्थापना करना यह उसका हेतु है।

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तत्सत विषय प्रवेश :

‘तत्सत’ यह कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के घने जंगल में रहने वाले पेड़-पशु-पंछी, जीव-जंतु विशिष्ट प्रवृत्तियों के प्रतीक है। ‘बुद्धि’, ‘शक्ति’, ‘ज्ञान’ के अहंकार में चूर मनुष्य स्वयं को सबसे श्रेष्ठ समझता है।

प्रस्तुत कहानी में लेखक कहना चाहते हैं कि सभी का अस्तित्व, अपनी-अपनी जगह महत्त्वपूर्ण है। हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है।

परंतु अंत में उस परम शक्तिमान का अस्तित्व भी स्वीकार करना पड़ता है। जंगल में होने वाली उथल-पुथल भरी घटना का आधार लेकर लेखक यह अंतिम सत्य अर्थात ‘तत्सत’ हम तक पहुँचाना चाहते हैं।

तत्सत सारांश :

एक घना जंगल था। एक दिन उस जंगल में दो शिकारी, शिकार की टोह में आए थे। शिकारी आपस में बोलने लगे कि इतना घना और भयानक जंगल इसके पहले उन्होंने कभी नहीं देखा था। एक बड़े बड़ के पेड़ के नीचे कुछ देर आराम करके वे आगे निकले।

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शिकारी लोगों के जाने के बाद बड़ के पेड़ के नीचे बैठे उन प्राणियों के बारे में सब पेड़-पौधों में चर्चा होने लगी। बड़ दादा से अन्य पेड़ों को पता चला कि बिना जड़ वाला सिर्फ दो शाखाओं पर चलने वाला यह प्राणी मतलब आदमी। उन आदमियों ने जिस ‘वन’ का जिक्र किया था वह ‘वन’ मतलब क्या है, कैसा है? उसे किसने देखा है? इस विषय पर चर्चा होने लगी।

जंगल में अनेक पेड़, प्राणी, जीव-जंतु थे। उन सब में उथल-पुथल मच गई थी कि आखिर ‘यह वन कौन है?’ जिसे किसी ने भी देखा नहीं था।

जंगल का राजा सिंह को जब वन के बारे में पूछा गया तो वह जोर से दहाड़ते हुए वन को चुनौती देने की भाषा करने लगा। वनराज सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। हर जगह फैलने वाली घास भी ‘वन’ के बारे में नहीं जानती थी। पद-तल के स्पर्श से व्यक्ति की भावनाओं को पहचानने वाली घास ‘बुद्धिमत्ता’ का प्रतीक है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

धरती के सारे गर्त को जानने वाला साँप ‘ज्ञान’ का प्रतीक है। वह भी वन से बेखबर था। ऊँचा बातूनी बाँस अंदर से पोला था, जो ‘पोले’ आदमियों का प्रतिनिधित्व करता है। कहानी का ‘बड़’ संयमी, सहनशील, सबसे प्रेम करने वाला है। वह ज्ञान की लालसा रखता है। सारे वन्यजन ‘वन’ में रहकर भी ‘वन’ के अस्तित्व के बारे में अज्ञानी थे।

‘तत्सत’ का ज्ञान : जंगल के जीव-जंतु परेशान थे। इतने में वहाँ वे आदमी फिर आए। सब उन आदमियों से पूछने लगे कि ‘वन कहाँ है? वन मतलब कौन है? कैसा है?’ आदमी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे कि आप से ही वन है। वन्य जीव आदमी की बातें समझ नहीं पा रहे थे।

पशु चिढ़कर आदमी पर हमला करने की सोच रहे थे, आदमी भी सुरक्षा के लिए उनपर बंदूक चलाना चाहता था। परंतु बड़ दादा ने सभी को शांत किया।

अंत में आदमी बड़ के पेड़ पर चढ़ा। पेड़ के ऊपरी हिस्से पर खिलते नए पत्तों की जोड़ी को उसने आस-पास का दृश्य दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ को मानो समाधि लग गई। एक नई अनुभूति (sensation) उसे मिली और ‘तत्सत’ का ज्ञान हुआ कि वन में ही हम हैं और हम से ही वन है।

इस कहानी से लेखक कहना चाहते हैं कि सृष्टि की परम शक्ति जिसके अस्तित्व का अज्ञान हम में है। अंतिम सत्य यही है कि ईश्वर या परम शक्ति का अस्तित्व हम में ही है। हम से ही ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। इस कहानी की यही प्रतीकात्मकता है। जंगलवासी और आदमियों के संवाद मानो ‘परम शक्तिमान’ के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल है। यह कहानी रोचक तथा प्रभावकारी है।

तत्सत शब्दार्थ :

  • तत्सत = वही सत्य है
  • सेमर = शाल्मली
  • सिरस = शिरीष वृक्ष
  • वाग्मी = बातूनी, बहुत बोलने वाला
  • तुमुल = घमासान
  • मंथर = धीरे-धीरे
  • झक्की = सनकी
  • गर्त = गड्ढा, खड्ड
  • उद्ग्रीव = जिसकी गरदन ऊँची उठी हुई हो
  • चरमशीर्ष = उच्चतम
  • तत्सत = वही सत्य है (similarly),
  • छाँह = छाया (shadow),
  • वन = जंगल (forest),
  • घना = गर्द (dense), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत
  • रोह = खोज (search),
  • गर्त = गड्ढा, उदग्रीव = जिसकी गर्दन उँची उठी हुई हो (raised neck),
  • अधीर = उतावली (impatient),
  • निर्धम = भ्रम रहित, आशंका रहित (non-fiction),
  • वाग्मी = बातूनी (talkative),
  • तुमुल = घमासान (boisterous),

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

Balbharti Yuvakbharati English 11th Digest Chapter 3.5 Film Review Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

11th English Digest Chapter 3.5 Film Review Textbook Questions and Answers

1. Read the following conversation and complete the activities given below.

  • Minnie: Exams are over. I feel so relaxed ! Let us plan something interesting.
  • Ritu: What about a movie?
  • Paddy: Great! Let’s go for “Aladdin”!
  • Minnie: Oh, no! I have seen it. It has only a ‘one star’ rating.
  • Ritu: How about that new release ummm….yes, “Harry Potter?
  • Della: It is boring. I have read the review this morning. I don’t want to waste my time.
  • Paddy: Wait, friends. I will check. Let’s decide later.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

Question (i)
Choose the correct alternative from the following. From one star given to the movie we conclude that –
(a) The movie is very short.
(b) The movie is not worth watching.
(c) The movie is serious.
(d) The movie is in black and white.
Answer:
(b) The movie is not worth watching.

Question (ii)
Discuss how/why are ‘stars’ given to a movie.
Answer:
A star is a symbol of movie rating .It was in 1928 that a newspaper film critic Irene Thiner initiated the grading system on a scale of zero to three status. Star are given to a movie to know how good, bad or average a movie is.

Question (iii)
The word ‘Review’ is different from summarizing and appeal writing. Choose the correct statements of the following.
(a) Film review is an expression of your personal views towards a particular film, documentary or movie.
(b) A film review gives you an opportunity to express opinions about the movie, including its characters, plot and background.
(c) A film review gives appealing sentences that make your reader curious or anxious about the film.
(d) A review means explanation of each and every event of the film.
Answer:
(a) Film review is an expression of your personal views towards a particular film, documentary or movie,
(b) A film review gives you an opportunity to express opinions about the movie, including its characters, plot and background.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

(A1)

Question (i)
Every movie is worth critiquing. Describe in detail each point related with the film review with the help of the following web.
Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review 1
Answer:
Film Review : Dangal

Genre: Dangal is the most inspiring and entertaining movie. The film also makes strong feminist statement showing girls at par with boys.

Script Writer: Script of the movie ‘Dangal’ is written by Nitesh Tiwari who has been successful in creating the interest of the audience not only in the story of the film but also in the sport of wrestling.

Direction: The direction is also done by Nitesh Tiwari. He won the Filmfare award for the Best Director, 2017 for Dangal.

Producer : The film is produced by the renowned actor Amir Khan. Kiran Rao and Siddharth Roy Kapoor.

Acting : Amir Khan played the role of Mahavir Singh Phogat and Sakshi Tanwar played the role of the wife of Mahavir Singh Phogat. Zaira Wasim and Fatima played the role of Geeta and Sanya Malhotra and – Suhani Bhatnagar played the role of Babita Phogat. Aparshakti Khurrana and Rutvik Sahora played the role of Omkar, the nephew of Mahavir Singh Phogat. A negative role is played by Girish Kulkarni, the coach of Geeta Phogat and Babita Phogat.

It is wonderful to see Amir Khan as Mahavir Singh Phogat on a big screen. His appearance as the father of his daughters, their coach, guide and strong supporter till the end touches the audience emotionally.

Music and Sound: Music director Pritam and lyricist Amitabh Bhattacharya smartly themed their music. Some of the songs evoke the innocence of every viewer.

Cinematography: The cinematographer of the movie is Sethu Sriram. (Satyajit Anand). He presented a senario of an authentic and real wrestling matches that kept the audience spell bound till Geeta Phogat the daughter of Mahavir Singh Phogat bags gold medal for the Nation.

Plot Analysis: The film Dangal focuses on the continuous efforts of Mahavir Singh Phogat and his daughters to realize the dream. Struggle of the daughters Geeta and Babita and their hard work are the main stroyline of the movie. Mahavir Singh Phogat the wrestling champion was forced to give up wrestling for better employment. He was highly discouraged because he wanted to win a Gold for the nation. He thought that his unborn son would do it. However, Mahavir Singh due to the birth of his daughters, loses hope of bagging gold medal yet, keeps his decision of training the daughters in wrestling.

Continuous and regular training make the daughters wrestlers. After defeating the boys in the village, Mahavir decides to admit the daughters in National Sports Academy. Discouraged due to different techniques taught there, Mahavir decides to train daughters personally. The coach decides to ban the daughters from playing wrestling but Mahavir Singh manages and the daughters continue to receive training in the academy. Inspite of many problems Mahavir provides training to his girls by watching videos of the matches played by the daughters.

The jealous coach locks Mahavir Singh in a room during the final match played by his daughter. Frustrated Mahavir stands up joyfully to hear the Indian National Anthem. Finally, the daughters bring smile on the face of Mahavir Singh Phogat. The cooperation of the daughters during their hard training, sacrificing small joys of life, overcoming every obstacle in the way is presented in a perfect manner.

Message: “Believe in Yourself’ and “Work hard till you achieve your Goal”. The film also arouses social cause of treating girls and boys equally.

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Question (ii)
Discuss and explain the movie ‘The Jungle Book’ with the help of the following points.
(a) Classic elements
(b) Fantasy
(c) Photorealism
(d) Blending of emotions
Answer:
Rudyard Kipling, created an intense world with a description of the jungle and creatures living in it using his concept, Disney made the classic tale of Mowgli into film, wherein, Mowgli became the central character. It is interesting to watch the story of a boy after his fathers death is discovered by Bagheera, the black panther. A pack of wolves and Raksha are the boy’s caretakers. Mowgli’s jump, swinging from tree to tree, other live animals, running scenes are perfectly presented to make the audience believe about Mowgli’s inclination towards behaving like animals.

Sher Khan’s unsympathetic behaviour towards Mowgli and Mowgli’s decision to search human beings like him brings about acceptable twist in the story. Blood curdling incident of Kaa’s hypnotising attack on Mowgli is presented in a wonderful manner. Thus the movie ‘The Jungle Book’ takes the audience into a world of fantasy. There is a perfect blend of emotions which is brought by presenting Mowgli’s relation with the fatherfigure Bagheera, motherly Raksha, friendly pack of wolves. The film is also an incredible visual treat – with only one human character, introduction of various species of animals. The movie is interesting to watch and is highly recommended.

Question (iii)
‘It all builds on the charm of the 1967 film, which by itself is a must watch for any child.’
Explain the sentence in the context of the movie, focusing on the two given phrases ‘Charm of the 1967 film’ and a ‘must watch’.
Answer:
The year 1967 is considered to be very crucial in the film industry. It is the time when many revolutionary films were produced. New themes were introduced and very different stories were brought about. ‘An Introduction of the World of Fantasy’ is one them.

The Jungle Book is a perfect movie which easily takes the audience into the world of fantasy in a unique way. Though the mind does not believe on the story of Mowgli, him being handled safely by the wild animals, heart is made to believe the same. This is perfectly brought about by Jon Favreau in ‘The Jungle book.’ Thus the movie is really a charm of 1967 which is a must watch for all generations to come.

(A2)

Question (i)
Complete the following sentences.
Answer:
The factors that have made ‘The Jungle Book’ a great movie are –
(a) It is a fantasy world of wonder.
(b) The effective animation and presentation of the wildlife make the movie interesting.
(c) The story of the movie is unique.
(d) The film is a perfect blend of human emotions and a journey in the world of fantasy.

Question (ii)
The present review concludes with two words ‘Heartwarming and Enjoyable’. Write your opinion in about 100 to 150 words.
Answer:
The Jungle Book is a unique combination of Rudyard Kipling’s story and Favreau’s direction. It is an awesome experience to watch the same on the big screen. Presence of the orphan boy Mowgli in the forest, his interaction with wild animals, their love and care towards him, emotionally keeps the audience glued to the screen. The perfect landscaping and setting delves the audience into the world of the jungle throughout the movie. Mowgli’s behaviour following the laws of the Jungle, the supersized orangutan, dangerous python, Mowgli’s learning of practical wisdom from Bagheera the father figure, make it a wonderful experience to watch. Thus the movie is heartwarming and enjoyable.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

(A3)

Question (i)
‘Narnia’ (Part 1, 2, 3, 4) is a film about four children who find a path to Narnia. Discuss the special effects and direction. Write a review with the help of the following points in about 100-150 words.
(a) Storyline
(b) Producer
(c) Director
(d) Music Director
(e) Characters / Casting
(d) Setting / Location
(f) Conflict
(g) Message
(i) Significance of the title
Answer:
‘Narnia’ potrays the history of Narnia, an imaginary world of fantasy and magic from its creation to its destruction. The movies, directed by Andrew Adamson (first two parts), Michael Apted (third partjand Joe Johnstaone (fourth parts) is based on C. S. Lewis’s series of novel. ‘The Chronicles of Narnia’.The movie revolves around the adventures of Pevensie siblings, Peter, Susan, Edmund and Lucy who are sent away to a safe place during the world war.

While playing hide and seek, they discover the magical wardrobe which on opening, takes them to the enchanted island of Narnia. The beautiful cinematography and performance of the children, world of fantasy and magic, speaking animals is an awesome experience to watch. The separation of the children from their mother, death of some animals, witches yelling,etc., are presented in a perfect way that brings tears rolling down from the audience’s eyes.

The basic conflict of the movies is the conflict between good and evil. Each part of the movie has slight different representation. Yet, they potray a single message of triumph of good over evil. The real success of the him is not only touching the heart of the audience but also making them believe in the world of imagination and fantasy. The cinematography and animation are so skillful that the animals look real. The him enlightens the audience by opening the doors of a new world of imagination. The movie teaches the audience beautiful special effects and sound, adventure, unity and sacrihce for each other.

(A4)

Question (i)
Form groups and try to write a script for a short him or documentary on any topic of your choice. The script must develop properly. You can take help of the following points.

  • choose a topic
  • central theme
  • the beginning, the middle and the end
  • the message

Answer:
[Students are expected to attempt this question on their own.]

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

Question (ii)
Form groups and use the ICT lab of your Junior College to make a shorthlm on the script that you have prepared. There are several soft-wares that can be used for editing. You can take professional help. One can upload his/her him on mediums like Youtube and submit the link to the subject teacher.
Answer:
[Students are expected to attempt this question on their own.]

Question (iii)
There are ample career opportunities in him making and producing hlms.
The following professions require different professional skills,write them accordingly.
table
‘The story of the movie decides it’s success’. Comment.
Answer:
The story is the heart of a play/film. The music, direction, cinematography, special effects are made to relate to the story. It is the story of the movie which makes the audience spellbound. The story always has a message to the audience. It is the story that helps the audience specially the youngsters, to imagine, to learn, to create interest in the world around, to get inspired and to think. Cinematography, music, animation, etc., give a wonderful experience to watch any movie on the big screen. All these revolve round the central theme ‘the story’ of the movie.

Question 5.
You must have heard about Film and Television Institute of India (FTII), Pune. It is India’s top media Institute. It plays an important role in providing talent to commercial cinema, TV and web serials. Browse the internet and find information about other institutes in India and abroad.
Answer:
[Students are expected to attempt this question on their own.]

Yuvakbharati English 11th Digest Chapter 3.5 Film Review Additional Important Questions and Answers

Question 1.
What are the steps and stages in review writing?
Answer:
A film critic is an article containing analysis and evaluation of a film, While writing a review about a film, a writer has to consider various things. A film critic should write about the relevance of the title, storyline and producer. He should write about the type of film, its director and the cast.

A film critic should write about various events, cinematography, set design, music, plot, characters and message given through the film. He/She should write about the sequence of the events according to its importance. Lastly, he/she should suggest to edit or add the title or content according to its necessity.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

Question 2.
What are the aspect of the review?
Answer:
Film review is an analysis or evaluation of a film from the viewer’s point. Various aspect of review are the genre, plot analysis, characterization, cinematography, music, production and direction, plot, message given in the film (moral), sound, set designs and location.

Question 3.
What are the precautions to be taken while writing a film?
Answer:
Film review is an analysis or evaluation of a film from the viewer’s point. Precausions should be taken while writing a review of a film. A review should create curiosity about the movie but not discourage the reader. While commenting on the film dealing with social issues, the writer should not hurt the feelings of people. Critic should express opinion about the film.

A personal attack on any actor, producer, director should be avoided. A review writer should have knowledge of various aspect of editing and cinematography. He should avoid commenting on religious beliefs. While penning down the thoughts, a review writer should be careful about religious sentiments.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.5 Film Review

Glossary:

  1. photorealism – detail description of
  2. resourcefulness – ability to overcome difficulties
  3. relevance – appropriate
  4. genre – style or category of art/music/literature
  5. cinematography – the art of photography and camera work in film-making
  6. characterization – the creation of a fictional character
  7. plot – the main events of a play/novel/film.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview

Balbharti Yuvakbharati English 11th Digest Chapter 3.4 Interview Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview

11th English Digest Chapter 3.4 Interview Textbook Questions and Answers

Question 1
Complete the following web diagram
Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview 1Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview 1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview 2

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Question 2.
Given below are the prerequisites of an interview. Fill up the boxes with suitable actions to be undertaken with reference to the given points.
Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview 3
Answer:
Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview 4

(A1)

Question (i)
Complete the following statements with the help of the text.
Answer:
To learn about meditation you have to see how vour mind is working.
Watch your thinking. Do not correct vour thoughts. Do not supress vour thinking.
Begin to learn, to observe. Just watch thoughts. Do not move vour eyeballs.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview

(ii) Identify the incorrect statement from the following and correct them.

Question (a)
One wants others to change
Answer:
Correct

Question (b)
One can get rid of being ordinary
Answer:
Incorrect
Corrected Statement: One can get rid of being ordinary; not being ordinary.

Question (c)
Understanding the nature of greed does not ensure freedom from greed.
Answer:
Incorrect
Corrected Statement: Understanding the nature of greed ensures freedom from greed.

Question (d)
Learning is a finite process.
Answer:
Incorrect
Corrected Statement: Learning is an infinite process.

(A2)

Question (i)
Is an educated person the same as a degree holder? Make a list of the behaviours in educated people that you find unacceptable.
Answer:

  1. Throwing garbage along the roadside.
  2. Careless use of water, electricity and other natural resources.
  3. Waste of food.
  4. Careless use of public ammenities.
  5. Not following traffic rules.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview

(ii) Suggest what would you do in the following situations:

Question (i)
Your close friend has been using a fake social media account to play prank on others and is not ready to stop in spite of several attempts by you.
Answer:
I would tell him the consequences of his behaviour. I would divert his mind towards some creative activities. I would tell him to focus on his hobby or any other creative work.

Question (ii)
You are going through a crisis that is making you short tempered and impatient, due to which you end up causing harm to your family and friends. They have started complaining about it quite often.
Answer:
I would try to solve my own problems and in case it is not possible I would take someone’s (my family members or near and dear one’s) help to solve it. I would control my anger and would meditate daily. I would focus on the positive things near me and try to learn time management and develop perseverance. This would help to repair my relation with my near and dear ones.

Question (iii)
One particular friend of yours is always late for college, social functions, movies etc, and delays everyone.
Answer:
I would tell him that time is precious, and all of us have time constraints. I would also tell him the benefits of doing things in time.

Question (iv)
You realise that you no longer want to pursue your studies in the stream you have selected.
Answer:
At first I would focus on the interesting areas in the same stream and try to get acquainted with it. I would explore in the same stream again. In spite of the efforts I have taken, if it does not work, I would go for the other stream with the help of an expert’s advice.

(A3)

Question (i)
Consult the thesaurus and note down synonyms for ordinary. Use the words in your own sentences.
Answer:
Ordinary – Banal, normal, common
(a) Ordinary – Her gown was too ordinary for the ceremony.
(b) Banal – He finds geometric problems very banal.
(c) Normal – I expected to be home at my normal time.
(d) Common – Maaz and Raj do not talk much as they do not share a common language.

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Question (ii)
Find the meanings of the following words and use them in your own sentences.
Answer:
(a) Trite – meaning: lacking originality
sentence: Sometimes we do come across many trite sayings/poems, but they are still quite interesting,
(b) Routine – meaning: regular, usual
sentence: That was my mother’s routine check-up.
(c) Cliched – meaning: a remark that is made often
sentence: This may round cliched, hut this is the truth you have to bear with,
(d) Regular – meaning: everyday
sentence: Exercise should be practised on a regular basis.

Question (iii)
Complete the table.
Answer:

The world around you what we should aim to be
Callous caring for people, environment, and life
Violent calm, unagressive behaviour, serene
Greedy helpful by nature, charitable and generous
Corrupt Honest in behaviour, ethical and virtuous

Question (iv)
Note down ways in which you can make your life less ordinary in terms of –
Answer:
(a) Utilisation of time: Everyone is alloted the same time of 24 hrs in a day. I will set small goals and achieve the same in a particular time. I will utilize the saved time for my (own development)/personality development and for any social coause. In this way I will utilize my time to the fullest.

(b) Pursuing goals other than the material goals: Pursuing good and healthy life or any spiritual goal is more important than material goal. I would set goals for pursuing it. For my spiritual growth I would learn and practice yoga and meditation. For pursuing healthy life I will practise healthy lifestyle, regular exercise, maintenance of hygiene.

(c) Nurturing relationships : I have good relation with my family members, neighbours and relatives. I will not only maintain but also develop it. I will always spend some time with them, respect their thoughts, feelings and take their care. I would always help them in their need.

(d) Being a better human being: In order to be a better human being I will develop the habit of helping others, honesty, open mindedness, positive attitude, punctuality and many other. At the same time I will keep myself always away from bad company, laziness, hatred, greed. I will always help the poor and the needy, respect my parents and teachers, elderly relatives and neighbours. I will use natural resources, water, electricity, public amenities judiciously. By planting trees, I would also contribute in reducing global warming.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview

(A4)

Question 1.
Place the given areas of question from the list in the appropriate columns.

  • Future plans
  • Inspiration
  • Overcoming hurdles/ struggle
  • Coach/ mentor/ guide/ teacher
  • Message for the youngsters
  • Family support
  • Alternate career choice
  • First or maiden award / achievement / success / setbacks
  • Turning point in life / success formula / technique

Answer:

Section of the Interview Aspects to be covered
1. Introduction Welcoming / Greeting, Introduction of the guest/occasion.
2. Opening questions Inspiration
3. Main body Coach, guide, mentor, teacher Overcoming hurdles, struggle Family support

First award, achievement, success, setbacks Alternate career choice [memorable incident] Turning point, success formula, technique

4. Concluding Message for the youngsters and future plans
5. Summing up Concluding statement, Expressing gratitude.

Question (ii)
‘Once you begin to learn there is no end to learning’. Write your views on this statement.
Answer:
A person is a student throughout his life. When a child is born he learns to crawl, walk, run. In the school he learns various subjects along with sportsmanship, helping others nature, caring and sharing. He practises all of it in his life. There are many life skills too which man learns. It being a need of time throughout his life, one actually goes on learning various new things knowingly or unknowingly. Knowledge has no end.

Question (iii)
You are a class representive and you are assigned by the Principal of your college, to conduct an interview of a leading personality in a particular field. You have to conduct the interview
with the help of the points in the table provided above.
Answer:
Interview of Sachin Tendulkar.
[Sachin Tendulkar was invited as a Chief Guest for the prize distribution ceremony in our college. I was privileged to interview him.]

Student: Good morning sir. I welcome you in our college. It’s my privilege to interview a great youth icon like you. First I would like to ask you about your career.
When did you begin to play?
Sachin: Actually I started in my early childhood, when I was just 5 years. Then I started playing in my society. Following regular practice, a day came when I was selected in the Indian Cricket Team.
Student: Who inspired you to play cricket ?
Sachin: Initially my father was my inspiration. He was the one who inspired me to play cricket for our nation. At that moment I made a promise to myself that I will play for my nation. My elder brothers also inspired me. while playing and learning Cricket. Sunil Gavaskar, Kapil Dev and many others inspired me a lot. I did study many techniques and learnt a lot from them.
Student: What role did your coach play in your life?
Sachin: He actually shaped my life. It is because of his inspiration and guidance I could succeed. He is my guru in real sense.
Student: Can you share a memorable incident from your life?
Sachin: Actually there are many. The first is my selection in the Indian Cricket Team and the day. I got Bharatratna are the two most cherished moments of my life.
Student: How did your family members support you in this colourful journey?
Sachin: I owe a lot to my family. My parents, my brothers have always been a source of inspiration in my journey till today. I remember the days when I was too young to travel alone and the cricket ground was far away from my house. My Father would accompany me. He would wait for me till my practice got over. Not only that, even today they all are my strong support. Sometimes certain incidents would make me nervous. My brothers would encourage me. My mother always taught me to look at the positive side of life. I could overcome every obstacle in my life only because of their strong support.
Student: How did you become successful in this field?
Sachin: Hard work is the only keynote to success. I strongly believe that you can achieve anything in your life if you work hard. Sincerity an a whole hearted devotion is must. For me satisfaction matters more than success. I did not play cricket to become a hero. I played because it gave me immense joy and satisfaction. These is no short cut to success. If you follow the path of sincerity, honesty, hard work, devotion and focus towards achieving your goal. Success automatically follows you.

Student: What message would you like to give to the strugglers who wish to make career in cricket? Sachin: Now-a-days, I see many children who wish to make career in Cricket. I would suggest them to follow their heart. Practise regularly in such a way that it should be your passion. Ultimately what you give will come back a thousand times.

Set a goal which should be high and run after it till you achieve it. This is not just for Cricket but anything that you wish to achieve Swami Vivekanand said “Awake, arise and stop not till you achieve your dream”. Follow this from your heart and see that your dreams come true.
Student: What are your future plans?
Sachin: Actually I have taken formal retirement from Cricket. But this does not mean that I have stopped playing Cricket. I do play almost daily. I am planing to guide the freshers. Cricket as you know is my passion and I will never stop playing it.
Student: Sir, the youngsters, specially the Cricket aspirant will surely follow your advice. I thank you very much for your valuable guidance and for sparing your time for us.

Maharashtra Board Class 11 English Yuvakbharati Solutions Chapter 3.4 Interview

(A5)

Question (i)
‘Live as if you were to die tomorrow, learn as if you were to live forever’ Mahatma Gandhi. Collect some quotes on education by famous thinkers.
Answer:
An investment in knowledge pays the best investment’ – Benjamin Franklin
Education is the passport to the future for tomorrow belongs to those who prepare for it today- Malcolm X. Education is the most powerful weapon which you can use to change the would. Nelson Mandela Education is the ability to meet life’s situation – Dr John G Hibbenad

Yuvakbharati English 11th Digest Chapter 3.4 Interview Additional Important Questions and Answers

Question 1.
Prepare a list of questions to be asked while interviewing a jawan from Indian Army.
Answer:

  1. When did you join Indian Army?
  2. How did you prepare yourself for selection in Indian Army?
  3. Where were you posted while in Indian Army?
  4. How do you protect yourself while doing duty where there is an extreme weather ?
  5. How do you prepare yourself while going on a mission ?
  6. How did your family members support you when you joined Army?
  7. Can you share any memorable incident from your life?
  8. What message would you like to give the youngsters struggling to get selected in Indian Army?
  9. what message would you give to the countrymen?

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati निबंध लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest निबंध लेखन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati निबंध लेखन

1. अबला! नव्हे सबला!

समाजात पुरुष व महिला यांची निर्मिती निसर्गानेच केली. केवळ मानवी समाजातच नव्हे तर सर्व पशू व पक्ष्यांच्या अनेक जातींमध्येही ती व्यवस्था आहे. निसर्गनियमाप्रमाणे दोघेही समान हवेत. पण प्रत्यक्षात निसर्गाने मादीवर, स्त्रीवर पुनरुत्पत्तीची महत्त्वाची जबाबदारी सोपवली. असे असल्यामुळे खरे तर तिचे स्थान अधिक महत्त्वाचे हवे, पण प्रत्यक्षात जगातील विविध खंड, देश, प्रांत, धर्म, जाती, वर्ण या सर्व व्यवस्थांमध्ये महिलेचे स्थान बहुधा दुय्यम राहिले.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

खरे तर या शतकभरात सर्वच क्षेत्रांत स्त्रियांनी उत्तुंग झेप घेतली आहे. अगदी खास पुरुषांसाठी राखीव असलेल्या क्षेत्रांतही आपल्या बुद्धीच्या जोरावर त्या शिरल्या आहेत. अन्यायाला प्रतिकार करण्याचे सामर्थ्य तिला प्राप्त होत आहे. लोकसंख्याशिक्षणाच्या प्रसारामुळे कुटुंब मर्यादित राखण्याची वृत्ती बळावत आहे. त्यामुळे स्त्रीवरील कौटुंबिक कामाचा ताण कमी होत आहे. विज्ञानजनित साधनांच्या वापरामुळे हा दैनंदिन कामाचा ताण सुसह्य होतो आहे. प्रसारमाध्यमांद्वारे ज्ञानविज्ञानात स्त्रीची गती वाढत आहे. अनेक क्षेत्रांत स्त्री-प्रतिमा उजळून निघाली आहे.

आजच्या स्त्रीमध्ये आत्मविश्वास, धडाडी आहे. तिच्या कर्तृत्वाची क्षितिजे विस्तारलेली आहेत. जीवनातील प्रत्येक संधी टिपण्यास ती उत्सुक असते. अतिशय हुशार आणि हिशेबी अशी आजच्या स्त्रियांची ओळख आहे. आजच्या स्पर्धेत त्या संसार, नोकरी आणि करिअर अशा तिन्ही क्षेत्रांमध्ये आघाडीवर आहेत. मागील पिढीच्या तुलनेत प्रचंड महत्त्वाकांक्षी असलेल्या आजच्या मुली जीवनाचा सर्वार्थाने आस्वाद घेण्यास उत्सुक असतात.

या मुलींमध्ये लोकसेवेची जाण अधिक आहे. म्हणूनच मेधा पाटकर, किरण बेदी, मंदा आमटे, राणी बंग या सामाजिक क्षेत्रांत झोकून देणाऱ्या महिलांचे कर्तृत्व ठळकपणे जाणवते. आपल्यावर अन्याय झाल्यानंतर घर सोडून हजारो अनाथ मुलांची आई होणाऱ्या सिंधुताई सपकाळ यांना अबला कोण म्हणेल?

अशक्यप्राय गोष्टीही प्रतिकूल परिस्थितीत जिद्द आणि प्रामाणिक प्रयत्नांनी करता येऊ शकतात. हे आजच्या स्त्रीने सिद्ध करून दाखविले आहे. मग ती शिखरे सर करणारी कृष्णा पाटील असो किंवा दोन्ही ध्रुवांवर पॅराजंपिग करणारी शीतल महाजन असो.

प्रस्थापित राजकारणाच्या चौकटीतही स्त्रियांचा सहभाग वाढतच आहे. राष्ट्रपती या सर्वोच्च घटनापदी प्रतिभा पाटील आहेत. तर लोकसभेत विरोधी पक्षनेत्या सुषमा स्वराज आहेत. लोकसभेचे अध्यक्षपदही मीराकुमारीच भूषवित आहेत. पंतप्रधानपदी श्रीमती इंदिरा गांधी यांनी गाजवलेल्या कर्तृत्वाची आठवण आजही समाज काढत आहे. राजकारणात स्त्रियांसाठी ५० टक्के जागा राखीव ठेवल्या आहेत. आजच्या स्त्रीने घर आणि काम दोन्ही गोष्टी नजाकतीने पेलायची शक्ती आणलीय.

अर्थार्जनाच्या क्षेत्रात स्त्री रुळू लागली आहे. पाळण्याची दोरी हाती धरणाऱ्या स्त्रीच्या अंगी जगाचा उद्धार करण्याचे सामर्थ्य आले आहे. भारतासह इंग्लंड, कॅनडा, आखाती देश, हाँगकाँग, सिंगापूर या देशांमधल्या आर्थिक बाजारातले आय. सी. आय. सी. आय. बँकचे सर्व प्रकारचे व्यवहार हाताळणारी शिल्पा शिरगावकर असो किंवा वैमानिक सौदामिनी देशमुख असो किंवा मोटारवुमन सुरेखा नाहीतर अंतराळवीर कल्पना चावला असो.

या साऱ्याजणी आता अबला नव्हे सबला असल्याचे दाखवून देत आहेत. आजची स्त्री वाऱ्याच्या वेगाने, कात टाकून सर्वार्थाने नव्या जगण्याकडे निघाली आहे.

2. माझा आवडता संत

महाराष्ट्र ही संतांची पावन-भूमी आहे. अनंत काळापासून या संतांनी समाजाला सन्मार्ग आणि सत्कर्माची दिशा दाखवली आहे. अज्ञानाच्या अंधारातून ज्ञानाच्या प्रकाशाकडे वाटचाल करण्यासाठी योग्य मार्गदर्शन करण्याचे महान कार्य या संत-महंतांनी केले आहे. संत कबीर, संत तुलसीदास, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत नामदेव, संत रामदास, संत तुकडोजी महाराज, संत गाडगेबाबा अशा असंख्य संतांनी या भूमीची माती पवित्र केली. या असंख्य संतांपैकी माझा आवडता संत म्हणजे ज्ञानियाचा राजा – संत ज्ञानेश्वर.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

१२७५ मध्ये संत ज्ञानदेवांचा जन्म झाला. महाराष्ट्रात ज्ञानाचा उदय झाला. विठ्ठलपंत आणि रुक्मिणी यांच्या पोटी या रत्नाने जन्म घेतला. . निवत्ती, ज्ञानदेव, सोपान आणि मक्ताबाई या चार भावंडांना त्या काळातील समाजाकडून त्रास सहन करावा लागला. समाजाने उपेक्षा केली तरी जन्मजात विद्वान आणि ज्ञानी असणाऱ्या संत ज्ञानदेवांची प्रतिभा बहरू लागली. बालपणातच ते विठ्ठल भक्तीत रमून गेले. वारकरी पंथाचे (संप्रदाय) त्यांनी पुनरुज्जीवन केले. म्हणूनच ‘ज्ञानदेवे रचिला पाया’ असे म्हटले जाते. महाराष्ट्रातील असंख्य भाविकांची माऊली म्हणजे संत ज्ञानेश्वर.

संत ज्ञानदेव योगी, तत्त्वज्ञ, आणि प्रतिभासंपन्न कवी होते. साऱ्या जगाला तत्त्वज्ञान आणि काव्य यांचे सुंदर दर्शन घडविणारा ‘ज्ञानेश्वरी’ हा ग्रंथ त्यांनी लिहिला. ‘अमृतानुभव’, ‘चांगदेव पासष्टी’, ‘हरिपाठाचे व इतर अभंग’ ही त्यांची साहित्यसंपदा. सुंदर कल्पना, आलंकारिक पण ओघवती व प्रासादिक भाषा हे त्यांच्या लेखनाचे विशेष होते. संत ज्ञानेश्वरांनी समाजजागृती केली. अथक परिश्रम केल्यानंतर ते अवघ्या महाराष्ट्राचे ‘ज्ञानमाऊली’ झाले.

संत ज्ञानदेवांनी पसायदान मागितले.
दुरितांचे तिमिर जावो, विश्व स्वधर्मेसूर्ये पाहो।
जो जे वांच्छिल तो ते लाहो प्राणिजात।।

‘या जगातून दुष्कर्माचा अंधार नाहीसा होवो, ज्याला जे जे हवे ते ते मिळो’ अशी विश्वकल्याणाची प्रार्थना त्यांनी केली.

ही प्रार्थना सगळ्या जगासाठी आहे. चराचरासाठी आहे. ‘भूतां परस्परें जडो मैत्र जीवांचे’ ही तळमळ त्यामागे आहे. ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ ही अवघे विश्व कवटाळणारी कल्पना संत ज्ञानेश्वरांनी तेराव्या शतकात केली होती.

‘ज्ञानेश्वर माऊली, ज्ञानराज माऊली तुकाराम’ अशा जयघोषामध्ये आज संपूर्ण महाराष्ट्रात वारकरी तल्लीन होऊन जातात. घराघरात संत ज्ञानेश्वरांचे अभंग गायले जातात. महाराष्ट्रातील सामान्य जनतेच्या हृदयात अढळ स्थान प्राप्त करणाऱ्या ज्ञानेश्वरांनी वयाच्या २१व्या वर्षी आळंदी येथे संजीवन समाधी घेतली. असा हा माझा आगळा-वेगळा आवडता संत तुम्हा सर्वांनाही आवडेलच.

3. नाट्यशिबिरातील आनंददायी क्षण

उन्हाळ्याची सुट्टी लागली होती. यावर्षी कुठेही बाहेर फिरायला जायचे नव्हते. दहावीचा क्लास सुरू होणार होता. त्यामुळे वाचन, अभ्यास यात दोन महिने जाणार होते. पण त्या व्यतिरिक्त काहीतरी आपण वेगळं शिकायला हवे असे मला सतत वाटायचे. योगा, पोहणे वा नाटक असं काहीतरी. पण ही संधी अगदी घरी चालून आल्यासारखी झाली. आमच्या कॉलनीतील हॉलमध्ये ८ दिवसांचे एक नाट्यशिबिर आयोजित करण्यात आले होते.

सकाळी ८ ते १० वेळ असल्यामुळे माझ्या अभ्यासाचा खोळंबा होणार नव्हता. त्यामुळे मी लगेचच या शिबिरासाठी प्रवेश घेतला.

चार दिवसांनी शिबिर सुरू झाले. अगदी पहिल्याच दिवशी आमच्या ताईंनी आम्हा सर्वांची ओळख करून घेतली. शिबिरासाठी विविध वयाची साधारण ३०-३५ मुले मुली आम्ही होतो. ताईने नाटक म्हणजे काय? नाटकं करणं म्हणजे काय, अभिनय म्हणजे काय या गोष्टी अगदी गप्पा गोष्टी करत समजावून सांगितल्या. दुसऱ्या दिवसापासून तिने पॅक्टिकली या गोष्टी समजावून सांगणार असे सांगितले आणि तिने पुस्तकातील एक नाट्यउतारा पाठ करून यायला सांगितले होते.

दुसऱ्या दिवशी ताईसोबत दोन दादाही आले होते. आमचे ५ ग्रुप करण्यात आले आणि ताईने आम्हाला बोलण्याचे काही खेळ शिकविले. केवळ ‘ळ’, ‘क’, ‘च’, ‘ठ’ या अक्षरांचा वापर करून त्याच्या गमतीजमती शिकता शिकता हसून हसून पुरेवाट लागली. या शाब्दिक खेळानंतर आम्हाला ताईने आरोह-अवरोह शिकवले. वाक्यातील कोणत्या शब्दावर जोर दिला की वाक्याचा कसा अर्थ बदलतो याचे प्रात्यक्षिक तिने आमच्याकडून करून घेतले.

हे करत असताना श्वासाचा कसा वापर करायचा हे तिने समजावून सांगितले. तिने एकाग्रतेसाठी श्वास रोखणे, जप करणे, योगा करणे किती महत्त्वाचे आहे हे तिच्या बोलण्यातून जाणवले.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

या शिबिरात केवळ नाटकाचे संवादच नाही तर कवितेचेही अभिवाचन कसे करावे, कथा कशी वाचावी याचे मार्गदर्शन केले. मी नेहमी एकसूरी वाचणारी होते पण ताईदादांनी सांगितल्याप्रमाणे मी प्रकट वाचन करू लागले आणि माझ्या वाचनात कमालीचा बदल झाला. अभिनय करताना कसे उभे रहावे, कोणता कोन ठेवावा, प्रेक्षकांकडे दृष्टी कशी ठेवावी, केवळ आवाजावर भर न देता, चेहऱ्यावरील हावभाव, आवाजातील कंपनं, हंकार, श्वास यांचा मार्मिक वापरही आवश्यक असतो हे शिकायला मिळाले. केवळ कुणाचे तरी अनुकरण न करता त्यात आपली काही वैशिष्ट्ये घालून तो अभिनय परिपूर्ण करता येऊ शकतो.

आमच्या ५ ग्रुपला ताईने वेगवेगळे विषय दिले आणि त्यावर आम्हांला एक नाटुकलं लिहायला सांगितले. कोणत्याही विषयाकडे पाहताना तो विषय किती सखोल विचार करून लिहिता येतो ते दादांनी शिकविले. संवाद लिहिताना पल्लेदार व विशेषणांनी युक्त वाक्य लिहिण्यापेक्षा साध्या वाक्यरचनेतही संवाद लिहिता येतो याची जाणीव झाली. त्यात आणखी एक नवउपक्रम हाती घेतला तो म्हणजे चित्र काढण्याचा, त्या क्षणी जे मनात आहे ते उतरवणं काम होते पण त्यामधून प्रत्येकाच्या मनात धावणाऱ्या विविध भावभावनांचा वेध कसा घेता येतो याची परिपक्वता आली.

या सगळ्याबरोबर काही खेळही आम्ही खेळलो. ज्यात सतत आव्हाने होती. जीवनातही अनेक आव्हाने पेलण्याचे सामर्थ्य आपल्यांत असते. त्यासाठी हवा असतो तो आत्मविश्वास. आपल्या समोरची परिस्थिती कायमस्वरूपी नसते, त्यामध्ये चढउतार असणारच पण स्वत:वर विश्वास ठेवून त्या त्या परिस्थितीला सामोरे जायचे असते ही शिकवण या खेळांतून मिळाली.

शेवटच्या दोन दिवसात आम्ही तयारी करून एक छोटंसं नाटुकलं करून दाखवलं. त्या दोन दिवसांत आम्ही अगदी रंगभूमी वरचढ असल्याचा आवेश होता. घरीही तशाच पद्धतीने आम्ही बोलत होतो, घरीही सगळी गम्मत वाटत होती.

शेवटी ताईने पालकांसोबत आमचं एक गेट टुगेदर ठेवलं. आम्ही आमची नाटुकली पालकांसमोर सादर केली आणि त्यानंतर खाणं पिणं झाले. पालकांची मते मांडून झाल्यावर ताईने आमच्यापैकी ४-५ जणांना आपला अनुभव व्यक्त करायला सांगितला. वर्गात कधीही न उत्तर देणारी मी त्या दिवशी भरभरून बोलले. या शिबिरातून केवळ नाटकच नव्हे तर अभ्यास करतानाही काही क्लृप्त्या कशा वापराव्या, आयुष्यातही कसे वागावे याचा परिपाठ शिकायला मिळाला होता. असे हे नाट्यशिबिर माझ्या आयुष्याला कलाटणी देणारे ठरले खरे.

4. वाचाल, तर वाचाल

वाचन आणि त्यातून मिळालेलं ज्ञान किती मोलाचं असतं याबाबत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सांगतात की, ‘वाचाल, तर वाचाल’. हाच विचार मनात घेऊन प्रत्येकाने आपल्या मनाला वाचनाची सवय लावली पाहिजे. ‘दिसामाजी काहीतरी लिहावे। प्रसंगी अखंडित वाचित जावे’ असा लेखन व वाचनाचा मंत्र समर्थ रामदास स्वामींनी सांगितला आहे. तुम्ही कोणत्याही ज्ञानशाखेचे विदयार्थी असू दया. आपल्या ज्ञानाला अदययावत ठेवण्यासाठी सतत वाचन हाच पर्याय आहे. जीवनातील कोणत्याही क्षेत्रात तुम्हाला यशस्वी व्हायचे असेल तर त्या क्षेत्रातील नवे नवे ज्ञान व माहिती आत्मसात करावी लागते. त्यासाठी का होईना प्रत्येकाने वाचलेच पाहिजे.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

नानाविध पुस्तकांचे जो वाचन करतो, त्यांतील विचार समजून घेतो तो जीवनप्रवासात नेहमीच इतरांच्या पुढे जातो. वाचनामुळेच आपले व्यक्तिमत्त्व समृद्ध बनते. वाचनामुळेच आपली वैचारिक श्रीमंती वाढते. नवनवीन विचारांना स्फुरण मिळते. कल्पनाशक्ती तरल बनते. बहुश्रुत होण्यासाठी आपण सतत वाचलेच पाहिजे. ‘वाचनानंद’ हा एक वेगळाच अनुभव आहे. आपण वाचलेली माहिती केव्हा व कोठे उपयोगी पडेल ते सांगता येत नाही.

वाचलेल्या माहितीचे आदान-प्रदान केल्यास बऱ्याचदा नवीन मुद्देही मिळतात. विदयार्थी दशेत समजून घेऊन वाचनाची सवय मनाला लावली तर कोणताही अभ्यासविषय नक्कीच सुलभ वाटू लागतो. मन लावून अभ्यास केला तर यश नक्कीच मिळते. केवळ वरवरचे उथळ असे वाचन काहीही कामाचे नाही.

विदयार्थी दशेतच अभ्यासाबरोबरच अवांतर वाचनाची सवय मनाला लावल्यास आपले विचार प्रगल्भ होतात. प्रगल्भ विचारांमुळे भविष्यातील जीवनवाटचाल सुकर व यशस्वी होते.

माहिती तंत्रज्ञानाच्या युगात वेगवेगळ्या वेबसाईट्स्वर एका क्लिक् सरशी जगभरातल्या लेखकांची पुस्तके हव्या त्या भाषेत उपलब्ध होतात. अनेकजण ती आवडीने वाचतात. नवनवीन साईट्स्वर जाऊन माहिती मिळवतात. मिळवलेली माहिती ब्लॉग वा इतर सोशल मिडीयाद्वारे शेअरही करतात. म्हणूनच वाचनसंस्कृती लोप पावली नाही तर बदलत्या कालमान परिस्थितीनुसार वाचन संस्कृतीनेही आपली कूस बदलली असे वाटते. वाचनाची माध्यमे बदलली.

पूर्वीच्या पुस्तकांची जागा ई-बुक्सनी घेतली. छोट्या घरात पुस्तके ठेवायला जागा नाही हा अनेकांचा प्रश्न डिजिटल क्रांतीने, अनेक पुस्तकांच्या ऑनलाईन आवृत्त्यांनी खरोखरच सोडवला. संस्कृतात ‘वचने किम् दरिद्रता’ असे एक वचन आहे. बोलण्यात कंजुषी कशाला करावी असा त्याचा अर्थ आहे. ‘वचने’ या शब्दात (एक काना, एक मात्रेचा) बदल करून वाचन करण्यात कसली आली आहे कंजुषी असे म्हणायला हरकत नाही.

जे उपलब्ध होईल ते व्यक्तीने वाचून समजून घ्यावे. चौफेर अशा वाचनामुळेच तुमच्यात चतुरस्रता निर्माण होणार आहे. जीवनात यशस्वी होण्यासाठी प्रत्येकाने वाचन केलेच पाहिजे. विविधांगी व विधांगी वाचनामुळेच लेखनाची प्रवृत्ती प्रबळ होते. रसिकता वाढीस लागते. सहृदयता म्हणजेच दुसऱ्याच्या दुःखांची जाणीव असणाऱ्या संवेदनक्षम मनास खतपाणी मिळते.

5. झाड बोलू लागले तर…..

नमस्कार ! मी तुमचा मित्र, झाड बोलत आहे. पण तुम्ही खरेच माझे मित्र आहात का? तुम्हाला वाटेल मी असे का बोलत आहे? पण मी आज जे अनुभवत आहे ते तुम्हांला सांगावसे वाटले म्हणून हा प्रयत्न.

तुम्ही म्हणता ना झाडे मानवाचा मित्र आहेत. परंतु तुम्ही माझ्याबरोबर मित्रासारखे वागता का?

मी तुमच्या खूप उपयोगी पडतो. मी प्रत्येक सजीवाला नि:स्वार्थवृत्तीने काही ना काही देतच असतो. माझ्या सुगंधी फुलांनी तुमचे मन प्रफुल्लित होते. माझी गोड फळे चाखून तुम्ही किती खुश होता. मी इंधनासाठी, घरे बांधण्यासाठी लाकूड देतो. थकल्या भागल्या वाटसरूला शीतल छाया देतो. पक्ष्यांना माझ्यामुळे आश्रय मिळतो. प्राणी माझ्या सावलीत विश्रांती घेतात.

तुमच्या रोजच्या जीवनात उपयोगी पडणाऱ्या कागद, रबर, ब्रश, गोंद कितीतरी वस्तू माझ्यामुळे तुम्हाला उपलब्ध होतात. मध, औषधे तयार केली जातात. माझा प्रत्येक अवयव तुमच्या उपयोगी पडतो.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

माझ्या मुळांमुळे जमिनीची धूप थांबते. माझी वाढ झाली तर पाऊस पडतो. पृथ्वीवर पर्जन्यवृष्टी झाल्याने सर्व सजीव तृप्त होतात. दुष्काळ आणि पूर दोन्ही आटोक्यात येतात. सर्व सजीवसृष्टीला जगण्यासाठी मी प्राणवायूचा पुरवठा करतो आणि मानवाला अपायकारक असणारा कार्बनडाय ऑ क्साइड वायू शोषून घेतो.

परंतु आता माझे महत्त्व तुम्ही विसरत चालले आहात. ‘वृक्षवल्ली आम्हा सोयरी वनचरी’ या ओळी आता फक्त पुस्तकातच राहिल्या आहेत. आजच्या गतिमान वैज्ञानिक युगात माझ्यावर तुम्ही आक्रमण करू लागला आहात. सिमेंट, काँक्रीटच्या इमारती उभारण्यासाठी, रस्ते दुरुस्ती करण्यासाठी, विकासाच्या नावाखाली तुम्ही मोठ्या प्रमाणात वृक्षतोड करत आहात. तुम्ही माझ्यावर कु-हाड चालवता तेव्हा मला खूप दुःख होते रे!

माझा संहार करू लागल्याने पावसाचे प्रमाण कमी झाले आहे. वातावरणात बदल होऊन उष्णतेचे प्रमाण वाढले आहे. जंगलातील प्राणी-पक्ष्यांची संख्या कमी होत चालली आहे. नदया कोरड्या झाल्या आहेत. शेतकऱ्यांचे आत्महत्यांचे प्रमाण वाढले आहे.

म्हणून मी तुम्हाला मन:पूर्वक विनंती करतो की मी नसलो तर तुमचे संपूर्ण जीवन रुक्ष होईल. सर्व सजीवसृष्टी संपुष्टात येईल. याचे दुष्परिणाम भावी पिढीला भोगावे लागतील. अनेक संकटांना सामोरे जावे लागेल.

पर्यावरणाचा हास थांबवण्यासाठी तुम्ही जेव्हा प्रयत्न करता, वृक्षारोपणाचे महत्त्व पटवून देता तेव्हा मला खूप आनंद होतो. निसर्गाबाबत तुमची स्वार्थी वृत्ती पाहून मला खंतही वाटते आणि तुमची काळजीही. पर्यावरणाची काळजी घ्या. निसर्ग संवर्धन करा. ती काळाची गरज आहे. आजूबाजूच्या परिसरात खूप झाडे लावा. त्यांची जोपासना करा. कारण मला रुजायला, फुलायला, वाढायला खूप काळ लागतो. बदलणारे निसर्गाचे चक्र पूर्ववत करण्याची जबाबदारी तुमच्यासारख्या सुजाण नागरिकांचीच आहे. मला जगवाल तर तुम्ही जगाल याचा विचार करण्याची वेळ आली आहे. माझ्या सहवासात राहून आनंदी, निरोगी रहा आणि दीर्घायुषी व्हा.

6. ‘मायबोलीचे मनोगत

‘झाडावरून प्राजक्त ओघळतो
त्याचा आवाज होत नाही
याचा अर्थ असा होत नाही
त्याला वेदना होत नाही’

मी मायबोली राजभाषा मराठी! तुम्हाला दिसतोय तो राजभाषेचा सोनेरी मुकुट, पण माझ्या मनीचे दुःख मात्र तुम्हाला दिसत नाही. माझ्या दयनीय अवस्थेचे रडगाणे सर्वचजण गातात. पण माझी स्थिती सुधारण्याचे उपाय मात्र योजले जात नाहीत.

तेराव्या शतकात देवी शारदेच्या दरबारातील एक मानकरी – माझा सुपुत्र – संत ज्ञानेश्वरांनी माझा पाया रचला. केवढा अभिमान वाटत असे त्यांना माझा! ‘माझा मराठाचि बोलु कौतुके, परि अमृतातेही पैजा जिंके’ या शब्दांत त्यांनी माझा गौरव केला. माझी कूस धन्य झाली.

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खरे तर माझी जन्मदात्री गीर्वाण भाषा संस्कृत. तिच्याच उदरी माझा जन्म झाला. देवाने माझ्यासाठी महाराष्ट्राचा पाळणा केला. त्याला सहयाद्री व सातपुड्याची खेळणी लावली. कृष्णा-गोदेचा गोफ विणून पाळणा हलवायला दोरी बनवली. देवी रेणुकामाता व देवी तुळजाभवानी यांनी माझ्यासाठी पाळणा म्हटला. पुढे संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत एकनाथ, संत तुकाराम, संत रामदास या संतांनी तर वामन पंडित, मुक्तेश्वर, मोरोपंत या पंडितांनी तसेच त्यानंतर शाहीर अमरशेख, शाहीर होनाजीबाळा यांनी मला समृद्ध केले.

मी जशी संत ज्ञानेश्वरांची, संत तुकारामांची तशी छत्रपती शिवरायांची आणि पेशव्यांच्या बाजीरावांची! जशी ज्योतीबा फुल्यांची तशी चाफेकर बंधूंची! मी लोकमान्य टिळक – गोपाळ गणेश आगरकरांची तशी बाबासाहेब आंबेडकरांची! जशी परक्या सत्तेविरुद्ध बंड पुकारणारी तशी क्रांतीच्या जयजयकाराला ज्ञानपीठावर गौरवित करणारी!

काळाबरोबर मी अनेक भाषाभगिनींना माझ्यात सामावून घेत गेले. दिसामासांनी मी वाढत होते. वि. स. खांडेकर, आचार्य अत्रे, केशवसुत, कुसुमाग्रज, पु. ल. देशपांडे, विंदा करंदीकर यांच्या बाळगुटीने मी बाळसे धरू लागले होते. म्हणूनच राजभाषेचा मानही मला मिळाला. किती आनंद झाला मला त्या दिवशी! पण हा आनंद अळवावरच्या पाण्यासारखाच निघाला.

माझ्याच सुपुत्रांनी मला दरिद्री केले. माझी अवस्था दयनीय झाली असे रडगाणे गात त्यांनी माझा अपप्रचारच केला. माझा वापर करणे त्यांना कमीपणाचे वाटते. आपल्या मुलांना मराठी शाळेत घालणे त्यांना मागासलेपणाचे लक्षण वाटते. मराठीच्या प्रचाराच्या गोष्टी करणारे हे महाभाग स्वत:च्या मुलांना व नातवांना मात्र इंग्रजी माध्यमाच्या शाळेत शिकायला पाठवतात. माझ्या विकासासाठी कसलेही प्रयत्न होताना दिसत नाहीत.

ज्या माझ्या सुपुत्रांनी मला वैभवशिखरावर पोहोचवले होते, त्याच सुपुत्रांच्या आजच्या राजकारणी वारसदारांनी मात्र मला देशोधडीला लावण्याचेच काम केले. आज माझ्यात दर्जेदार साहित्यनिर्मिती होत नाही, अशी ओरड होऊ लागली आहे. माझ्या माध्यमाच्या शाळा ओस पडून बंद पडू लागल्या आहेत. मी संपेन की काय अशी भीती व्यक्त केली जात आहे.

या सर्वांना मी ठणकावून सांगू इच्छिते की मी अशी-तशी संपणार नाही. ज्ञानदेवाने जिचा पाया इतका मजबूत रचला आहे ती मी अशी सहजा सहजी ढासळणार नाही. अर्थात माझं गतवैभव परत मिळवायला मला तुम्हा सर्वांच्या मदतीची गरज आहे. आज सारे ज्ञान-विज्ञान इंग्रजी भाषेत निर्माण होत आहे, संगणकाची भाषासुद्धा इंग्रजी आहे. तुम्हा सर्वांना माझी विनंती आहे की तुम्ही प्रत्येकाने परकीय भाषांतील ज्ञान-विज्ञान माझ्यात निर्माण करा.

रटाळ, लांबलचक माहिती लिहिलेली पुस्तके लिहिण्यापेक्षा रंगीत चित्रांनी युक्त मोजक्या शब्दांत माहिती लिहिलेली आकर्षक पुस्तके निर्माण करा. काळाप्रमाणे बदलायला शिका. नवीन नवीन बदल स्वीकारा. ‘जुने ते सर्वच चांगले व नवीन ते सर्वच वाईट’ असे समजू नका. संगणकात माझ्या भाषेत माहिती निर्माण करा. त्या दृष्टीने तंत्रज्ञान विकसित करा. मराठीतून बोलण्याची, शिकण्याची लाज बाळगू नका. मुख्य म्हणजे माझा अपप्रचार थांबवा.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

मग बघा मला पुन्हा माझे गतवैभव प्राप्त होते की नाही?

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना विज्ञापन लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना विज्ञापन लेखन

विज्ञापन का सामान्य अर्थ है सूचना या विशिष्ट ज्ञापन वास्तव में आज की उपभोक्तावादी संस्कृति में यह विशेष महत्त्वपूर्ण है। इसका प्रभाव उपभोक्ता, विक्रेता तथा समाज के सभी वर्गों पर गहरा पड़ता है।

विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य है –

  • उत्पाद की बिक्री बढ़ाना।
  • सामाजिक अथवा राजनीतिक अभियान को गति देना।
  • विद्यालयों / महाविद्यालयों में प्रवेश हेतु आवेदन-पत्र की जानकारी प्राप्त करना।
  • नाटक, संवाद, कहानी, सिनेमा आदि की जानकारी देना।
  • नौकरी देने / लेने हेतु जानकारी देना।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

विज्ञापन के नमूने :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
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उत्तर:
“घर किराए पर देना है”
500 वर्गफीट, वन बी-एच्.के का फ्लैट गोरेगाँव रेल स्थानक से पाँच मिनट की दूरी पर उपलब्ध है। स्कूल और अस्पताल निकट। जॉगर्स पार्क के बगल/पास में। 24 घंटे पानी की सुविधा।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 2
संपर्क : अभय पांडेय।
मोबाईल : 98xxxxxxx
समय : सुबह 11 से शाम 6
पता : 203 / गजानन कॉलनी, गोरेगाँव (प.), मुंबई।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
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उत्तर:
आवश्यकता है

रामानंद विद्यालय, चेंबूर नाका, चेंबूर, मुंबई 71 के लिए खुले प्रवर्ग के लिए एक हिंदी-मराठी विषय के शिक्षक सेवक की आवश्यकता है। प्रार्थी का प्रशिक्षित एवं हिंदी-मराठी विषय में स्नातक होना अनिवार्य है। अपने शैक्षणिक अनुभव एवं प्रमाणपत्रों की प्रतियों के साथ प्रधानाचार्य से मिले।

दिनांक : 7 और 8 अक्टूबर 2017.
समय : सुबह 10.00 से 3.00 बजे तक
भ्रमणध्वनि : 98xxxxx

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
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उत्तर :
आवश्यकता है ….
सोसायटी के बगीचे की देखभाल करने हेतु अनुभवी माली की आवश्यकता है।

  • पेड़- पौधों की जानकारी आवश्यक
  • सोसायटी कंपाऊंड में रहने की व्यवस्था
  • 10000 से 15000 प्रतिमाह तनख्वाह
  • निर्व्यसनी, ईमानदार माली अपने दो फोटो और आधार कार्ड के साथ संपर्क करें।

सेक्रेटरी.
हरगोविंद सोसायटी
रामनगर, वरली।
भ्रमणध्वनि: 90xxxxxx
केवल इतवार के दिन शाम 4 से 7 के बीच ही संपर्क कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
स्वास्थ्यवर्धक पेय के विक्री हेतु विज्ञापन तैयार कीजिए।
खुशखबर! खुशखबर!! खुशखबर!!!
रोजाना नाश्ते के साथ सेवन करें
स्वास्थ्य की हर समस्या से निजात पाएँ

  • शुगर फ्री, मोटापा घटाए
  • कोई साईड इफेक्ट नहीं
  • त्वचा रखे सदाबहार
  • दाम भी कम

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

पेय एक लाभ अनेक
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Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना पत्र लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना पत्र लेखन

पत्रलेखन एक कला है आजकल इसका साहित्यिक महत्त्व भी स्वीकारा जाने लगा है। एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ होती हैं।

  1. सरल भाषा शैली।
  2. विचारों की सुस्पष्टता।
  3. संक्षेप एवं संपूर्णता।
  4. प्रभावान्विति।
  5. बाहरी सजावट।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

पत्र लिखते समय निम्नलिखित वातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. जहाँ तक संभव हो, पत्र में स्वाभाविकता का निर्वाह होना चाहिए। पत्र में कहीं बनावटीपन नहीं होना चाहिए।
  2. साधारण संबंधियों या अधिकारी या अपरिचित व्यक्तियों को लिखे पत्रों में कहीं भी अनावश्यक विस्तार या भावुकता नहीं होनी चाहिए।
  3. सरकारी और कामकाजी पत्रों में कहीं अनावश्यक विस्तार या भावुकता नहीं होनी चाहिए।
  4. निकट संबंधियों के लिखे पत्रों में पूर्ण आत्मीयता और स्वाभाविकता होनी चाहिए।
  5. पत्र को उपयुक्त परिच्छेदों में विभाजित करके लिखना चाहिए।
  6. पत्र की भाषा शुद्ध, सरल व प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए। वर्तनी (Spelling) एवं विराम चिह्नों का समुचित प्रयोग होना चाहिए।
  7. पत्र संक्षिप्त, सुव्यवस्थित, सुस्पष्ट एवं हेतुपूर्ण होना चाहिए। अनावश्यक बातों के लिए पत्र में कोई जगह नहीं होती।

पत्र के प्रकार:

  1. व्यक्तिगत या पारिवारिक पत्र
  2. सामाजिक पत्र
  3. व्यावसायिक अथवा व्यापारिक पत्र
  4. कार्यालयीन पत्र

मुख्य रूप से औपचारिक और अनौपचारिक दो तरह के पत्र माने गए है।

औपचारिक पत्र : इस पत्र में संदेश, कथ्य, अपरिचित व्यक्ति एवं अधिकारी को लिखा जाता है इसमें प्राय: कार्यालयीन पत्र, सरकारी पत्र, व्यावसायिक व व्यासपीठ पत्र तथा शिकायती पत्र आते हैं। अनौपचारिक पत्र : इसमें व्यक्तिगत; सगे संबंधियों के पत्र, घरेलू या पारिवारिक पत्र आते हैं। अनौपचारिक पत्रों में पत्र लेखक और जिसे पत्र लिखा जाता है, उसके संबंध के अनुसार अभिवादन या अभिनिवेदन में भिन्नता होती। है निम्नलिखित तालिका में सारी बातें स्पष्ट की गई हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन 1

विशेष : जो संबंध छोटे-बड़े नहीं हैं या जिन संबंधो में व्यक्तिगत पत्रों जैसी नितांत आत्मीयता नहीं है बल्कि मात्र व्यावहारिकता है वहाँ ‘प्रणाम’ या ‘शुभाशीष’ जैसे किसी अभिवादन की आवश्यकता नहीं होती हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

पत्र का प्रारूप

अनौपचारिक पत्र

दिनांक : ………………………………..
संबोधन : ………………………………..
अभिवादन : ………………………………..
प्रारंभ : ………………………………..विषय विवेचन : ……………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..तुम्हारा / तुम्हारी : ………………………………..
नाम : ………………………………..
पता : ………………………………..
ई-मेल आईडी : ………………………………..

औपचारिक पत्र

दिनांक : ………………………………..
प्रति,
………………………………..
………………………………..विषय : ………………………………..
संदर्भ : ………………………………..
महोदय : ………………………………..
विषय विवेचन : ……………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..भवदीय/भवदीया,
हस्ताक्षर : ………………………………..
नाम : ………………………………..
पता : ………………………………..
ई-मेल आईडी : ………………………………..

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पत्र के नमूने

1. व्यक्ति गत / अनौपचारिक पत्र

दिनांक : 7 सितंबर, 2019.
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम।आपको यह जानकर खुशी होगी कि मैं यहाँ आनंद से हूँ। मैं अपने महाविद्यालय में कई सहपाठियों को मित्र बना चुका हूँ, जो अच्छे . स्वभाव के, परिश्रमी और अध्ययनशील है। मैं यहाँ अभी नया हूँ फिर भी सब का स्नेह प्राप्त है। यहाँ के प्राचार्य और प्राध्यापक सभी अच्छे हैं। उनका हम पर पूरा ध्यान रहता है। मैं विज्ञान परिषद का मंत्री चुना गया हूँ।यहाँ जीवन अत्यंत व्यस्त है। हर क्षण कीमती है। सब में एक तरह की प्रतियोगिता है। सभी एक-दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं। मैं आप को विश्वास दिलाता हूँ कि जीतोड़ परिश्रम करके मैं परीक्षा में अच्छे अंक लाऊँगा। शेष कुशल है। पूजनीय माता जी को प्रणाम व प्रिया को आशीर्वाद।आपका स्नेहाकांक्षी,
शरद
नाम : शरद देशमुख
पता : बी- 212, साई कृपा,
महात्मा गांधी रोड,
विलेपार्ले (पूर्व), मुंबई – 400 057
ई-मेल आईडी : sharad2000@gmail.com

2. वधाई पत्र :

दिनांक. 15 जून, 2017
प्रिय सविता
सप्रेम नमस्ते।यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम बारहवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई हो और तुम्हें 86 प्रतिशत अंक मिले हैं तुम्हारी इस सफलता पर मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देती हूँ। आशा करती हूँ कि तुम्हें आगे की परीक्षा में भी ऐसी ही सफलता मिलती रहे।वैद्यकीय या अभियांत्रिकी शिक्षा में तुम अपनी रुचि के अनुसार ही प्रवेश लो, तुम्हें अवश्य सफलता मिलेगी। तुम्हारे माता-पिता को प्रणाम।तुम्हारी कुशलता की कामना के साथ।
तुम्हारी सहेली,
प्रभा
नाम : प्रभा शर्मा
पता : डी, 107, साकेत,
नवघर रोड, ठाणे (पू.)
ई-मेल आईडी : psharma.2017@gmail.com

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3. निमंत्रण पत्र:

दिनांक : 15 अप्रैल, 2019,
प्रिय भाई भावेश,
सप्रेम नमस्ते।आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अगामी 5 मई, 2019, रविवार के दिन मेरे नए घर का गृहप्रवेश है! इस शुभ अवसर पर सपरिवार उपस्थित होकर हमे कृतार्थ करें।आशा है कि आप हमें अनुग्रहित करेंगे।आपका शुभाकांक्षी,
अनिल कुमार।
नाम : अनिल कुमार पाठक
पता : 70/क, कलासागर,
खार (प.), मंबई-400 052.
ई-मेल आईडी : anilpathale@yahoo.com

4. भावी योजना हेतु मित्र को पत्र

दिनांक : 20 मार्च, 2019.
प्रिय मित्र अशोक,
नमस्ते।तुम्हारा पत्र मिला। समाचार पाकर प्रसन्नता हुई। पिछले हप्ते ही मेरी परीक्षा समाप्त हुई है। अगले हप्ते सी इ टी की परीक्षा भी है, जिसकी तैयारी कर रहा हूँ। मेरे प्रश्न पत्र अच्छे गए हैं। बारहवीं में 85% अंक पाने की उम्मीद है।माता जी और पिता जी चाहते हैं कि मैं अभियंता (इंजीनियर) बनू किंतु मेरी रुचि डॉक्टरी में है। बचपन से ही एक सपना देखा है। डॉक्टरी में अर्थलाभ के साथ मानव-सेवा का सुअवसर भी प्राप्त होगा। यह किसी अन्य व्यवसाय में संभव नहीं है।यदि तुम्हारी सलाह भी मुझे शीघ्र मिले तो बेहतर होगा। चाचा और चाची को मेरा प्रणाम। शेष कुशल है।तुम्हारा मित्र,
सतीश
नाम :- सतीश ठाकुर,
पता : 105, कलाकुंज,
शनिवार पेठ, पुणे – 7.
ई-मेल आई.डी. : satish.thakur@gmail.com

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(5) कार्यालयीन पत्र :

दिनांक : 20 अक्टूबर, 2019
प्रति,
श्री.पुलिस इंस्पेक्टर, शहर पुलिस थाना, वर्धा। विषय : पटाखे असमय फोडने पर प्रतिबंध लगाने हेतु अनुरोधन-पत्रमान्यवर महोदय,
दीवाली के इस शुभ अवसर पर रंग में भंग डालने की मेरी कोई मनिषा नहीं है। पर्व त्योहार मनाने की स्वतंत्रता में मैं बाधा नहीं डालना| चाहता हूँ। परंतु दीवाली के पटाखों से मुहल्ले में दिन-रात शोर-शराबा चलता है। घर में बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी होते हैं। उनपर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।ऊपर से प्रदूषण भी बढ़ता है। मैं सुरेश भोसले आपको विनम्र अनुरोध करता हूँ कि आप इन पटाखों के फोड़ने पर कुछ-कुछ प्रतिबंध लगाएँ। एक निश्चित समय पर ही फोड़ने की इजाजत दें। ज्यादा आवाज करनेवाले पटाखों पर प्रतिबंध डाल दें। इस से ध्वनि प्रदूषण कम होगा और सबकी परेशानी मिटेगी।उम्मीद करता हूँ कि आप हमारी परेशानी को गंभीरता से लेंगे और अपने अधिकारों का उपयोग कर ठोस कदम उठाएँगे। तसदी के लिए माफी चाहता हूँ।भवदीय,
सुरेश भोसले।
नाम : सुरेश भोसले,
पता : 50, सेवा सदन,
गोखले नगर, वर्धा।
ई-मेल आई.डी : sureshb1978@gmail.com

(6)

दिनांक : 30 मई, 2019.
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक,
वैद्यनाथ विद्यालय,
परली।
विषय : पाँचवी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए प्रार्थना पत्रमान्यवर महोदय,
वैद्यनाथ विद्यालय परली में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के सबसे अच्छे विद्यालयों में से एक है। मैं चाहती हूँ कि मेरा छोटा भाई कमलेश आगे की पढ़ाई आपके विद्यालय में करे। पिछले वर्ष चौथी कक्षा में उसे अस्सी प्रतिशत अंक आए हैं। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अच्छा है।दौड़ प्रतियोगिता में उसने राज्यस्तर पर कांस्य पदक प्राप्त किया है। नृत्य और अभिनय जैसी कलाओं में भी निपुण है। उसके इन सभी गुणों का आपके विद्यालय में और विकास होगा। उम्मीद करती हूँ कि आप मना नहीं करेंगे।इस पत्र के साथ मैं चौथी के अंक-पत्र की प्रतिलिपि भेज रही हूँ। आपसे नम्र निवेदन है कि आप मेरे भाई को पाँचवी कक्षा में प्रवेश देने की कृपा करें।धन्यवाद।
प्रार्थी,
शैलजा पाठक।
नाम : शैलजा पाठक,
पता : 460, आसरा,
नेताजी मार्ग, परली।
ई-मेल आई.डी.: shaila.pathale@gmail.com

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

7. व्यावसायिक पत्र :

दिनांक : 16 जून, 2019
सेवा में,
मा. व्यवस्थापक,
क्वालिटी स्पोर्टस्
अप्पा बळवंत चौक, पुणे।
विषय : खेल सामग्री की माँग
संदर्भ : अखबार में छपा विज्ञापनमान्यवर महोदय,
जन-जागरण में प्रकाशित आपके विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि आपके यहाँ सभी प्रकार की खेल सामग्री उपलब्ध है। मैं माधव बाग के क्रीड़ा-मंडल का अध्यक्ष होने के नाते आपको यह पत्र लिख रहा हूँ। जल्द ही हमारे यहाँ वार्षिक खेल उत्सव शुरू होगा। इसके लिए मुझे निम्नलिखित खेल-सामग्री की आवश्यकता है।

अनु. क्र.  1.  2.  3.  4.
सामग्री  फुटबॉल  बास्केटबॉल  हॉकी स्टिक्स  नेट
नग  10  10  08  02

नियमानुसार पाँच सौ रुपए का पोस्टल आर्डर आपको भेज रहा हूँ। शेष रकम वी.पी.पी. छुड़ाते समय अदा की जाएगी। उचित कमीशन देने की कृपा करें। खेल सामग्री जल्द से जल्द ऊपर लिखे पते पर भेजने की कोशिश करें।

धन्यवाद,
भवदीय,
अरूण पाटील।
पता : माधव बाग,
सांगली।
ई-मेल आई.डी.: arunp-2898@gmail.com

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8. सामाजिक पत्र :

दिनांक : 20 जून, 2019
सेवा में,
मा. स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर परिषद, कोल्हापुर।विषय : मुहल्ले की अस्वच्छता दूर कराने के लिए निवेदनमहोदय,मैं कोल्हापुर की नागरिक हूँ और शिवनेरी, खासबाग मैदान के पास रहती हूँ। मैं मुहल्ले के नागरिकों के प्रतिनिधि के रूप में आपका ध्यान एक महत्त्वपूर्ण समस्या की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ।पिछले कई दिनों से मुहल्ले की सफाई ठीक से नहीं हुई है। जगह-जगह गंदगी फैली हुई है।

कचरे की पेटियाँ बहुत छोटी हैं और उनकी संख्या भी पर्याप्त नहीं है। उचित मात्रा में कीटनाशक औषधियों का छिड़काव भी नहीं किया जाता। भयंकर बदबू के कारण आने-जाने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुहल्ले में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ा है।

इसके कारण संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका उत्पन्न हो गई है।आकस्मिक रूप से हुई भारी वर्षा ने जनता के कष्ट और भी बढ़ा दिए हैं।अत: आप से विनम्र निवेदन है कि तत्काल सफाई का उचित प्रबंध किया जाए। नई कचरा पेटियाँ रखी जाएँ और कीटनाशक दवाएँ छिड़की जाएँ।आशा है, इस दिशा में तत्काल उचित कार्रवाई करेंगे।

तसदी के लिए क्षमस्व,
भवदीया,
संगीता कोटणीस।
नाम : सांगीत कोटणीस
पता : 46, शिवनेरी, शाहू नगर,
खासबाग मैदान, कोल्हापुर।
ई-मेल आई.डी.: sangeeta-2010@gmail.com

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना निबंध लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना निबंध लेखन

निबंध लेखन :

गद्य लिखना अगर कवियों की कसौटी है तो निबंध लिखना गद्यकारों की कसौटी है। निबंध शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है नि-बंध। बंध का अर्थ है बाँधना या बंधा हुआ इसमें लगे ‘नि’ उपसर्ग का अर्थ होता है अच्छी तरह से। अत: निबंध का तात्पर्य उस रचना से है जिसे अच्छी तरह बाँधा गया हो।

किसी भी विषय पर अपने भाव, विचार, अनुभव जानकारी इत्यादि को अपनी शैली में क्रमबद्ध कर अभिव्यक्त करना ही निंबध है। निबंध कैसे लिखा जाय? यह महत्त्वपूर्ण है। भाषा शैली का इसमें विशेष महत्त्व है।

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निबंध लेखन में महत्त्वपूर्ण बातें

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन 1

उपर्युक्त क्रम से अंकित एक से बारह तत्त्वों को अनुच्छेद के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है। इसी रूप में निबंध को विस्तार दिया जाता है। यदि इसको संक्षिप्त करना है तो दो तत्त्वों को एक अनुच्छेद में समाहित कर अभिव्यक्त किया जा सकता है।

विषय को भली प्रकार से समझ बूझकर उसकी भूमिका बाँधनी चाहिए और विषय प्रवेश के साथ उसके महत्त्व को उजागर करना चाहिए। विस्तार में विषय के प्रकार, शिक्षा विकास, सामाजिक महत्त्व आदि दिखाना चाहिए। विचार स्पष्ट, तर्कपूर्ण एवं सुलझा हुआ होना चाहिए। निबंध में विषयांतर एवं पुनरुक्ति दोष से बचना आवश्यक होता है।

निबंध के संपादन के साथ-समापन भी आकर्षक होना चाहिए। इसमें लेखक का अपना विचार होना आवश्यक होता है। निबंध की भाषा सरल, प्रभावी व व्याकरणनिष्ठ होनी चाहिए। वाक्य जितने छोटे व स्पष्ट होंगे, निबंध उतना ही प्रभावशाली होगा।

निबंध को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रसिद्ध काव्य पंक्तियों, उक्तियों, मुहावरों, सटीक लोकोक्तियों व घटनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। वर्तनी की शुद्धता के साथ विराम चिह्नों का प्रयोग कुशलता पूर्वक करना चाहिए।

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निबंध के प्रकार : निबंध पाँच प्रकार के होते हैं :

  1. वर्णनात्मक निबंध
  2. कथात्मक या विवरणात्मक निबंध
  3. कल्पनात्मक निबंध
  4. आत्मकथात्मक निबंध
  5. विचारात्मक निबंध।

(1) वर्णनात्मक निबंध : इस निबंध में वर्णन की प्रधानता रहती है। वर्णन में कभी-कभी निजी अनुभूति एवं कल्पना का रंग भी भरना पड़ता है। वस्तु, स्थान, घटना, प्रसंग, यात्रा, अनुभव आदि का रोचक वर्णन किया जाता है। प्राकृतिक दृश्य, त्योहार, उत्सव में एक घंटा आदि निबंध इसी प्रकार के अंतर्गत आते हैं। ‘वर्षा का एक दिन’ निबंध भी इसी के अंतर्गत आता है।

(2) कथात्मक या विवरणात्मक निबंध : किसी घटना अथवा कथा का विवरण, किसी प्रसंग का चित्रण या निरूपण, किसी की जीवन कथा, या आत्मकथा आदि का समावेश इस प्रकार के निबंधों में होता है। निर्जीव वस्तु की आत्मकथा भी यथार्थ का भ्रम करा सके, ऐसी शैली में लिखना चाहिए। जैसे – महात्मा गांधीजी, रेल दुर्घटना, बाढ़ का प्रकोप आदि निबंध।

(3) कल्पनात्मक निबंध : जिन निबंधों में कल्पना तत्त्व की प्रधानता होती है, उसे कल्पना प्रधान निबंध कहते हैं। इसके अंतर्गत जो बात नहीं होती, उसकी कल्पना की जाती है, कभी असंभव – सी बातों को संभव माना जाता है। लेखक कल्पना की ऊँची उड़ान ले सकता है। इस प्रकार के निबंधों के अंतर्गत यदि – होता, अगर …… न होता, मेरी अभिलाषा आदि विषय हैं। जैसे – यदि परीक्षा न होती, अगर मैं बंदी होता, अगर मैं प्रधानमंत्री होता आदि।

(4) आत्मकथात्मक निबंध : इसमें किसी वस्तु, प्राणी या व्यक्ति की आत्मकथा होती है। विद्यार्थी अपने आपको वह वस्तु, प्राणी या व्यक्ति मानकर निबंध लिखता है। इसमें लेखक कल्पना की उड़ान भर सकता है। इसमें जीवित व निर्जीव दोनों तरह की घटना का आरंभ उत्तम पुरुष से होता है। इसमें किसी के दुःख-सुख के साथ लेखक अपने विचारों को भी प्रस्तुत करता है। जैसे – कुर्सी की आत्मकथा, फूल की आत्मकथा, फटे पुस्तक की आत्मकथा आदि।

(5) विचारात्मक निबंध : ऐसे निबंधों में विचार प्रमुख होता है इसमें कल्पना का पुट न के बराबर होता है। इसका आधार तर्क या प्रमाण होता है। किसी के पक्ष या विपक्ष में सकारात्मक तथा नकारात्मक तथ्यों का संपादन बड़ी कुशलता से किया जाता है। समीक्षा व आकलन इस निबंध का आधार होता है।

गरीबी एक अभिशाप, माँ की ममता, वृक्ष लगाओ देश बचाओ, विविधता में एकता, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे, जीवन का लक्ष्य, आदर्श मित्र, आदर्श विदयार्थी, सदाचार का महत्त्व, समय का सदुपयोग, परोपकार, राष्ट्रभाषा की समस्या, समाचार पत्र, विज्ञान-वरदान या अभिशाप, स्त्री भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार उन्मूलन आदि विषय इसके अंतर्गत आते हैं।

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Maharashtra Board Class 11 Hindi निबंध

1. होली का त्यौहार

हमारे यहाँ त्योहारों का सिलसिला वर्षभर चलता है। इसीलिए हमारे देश को त्योहारों का देश कहते हैं। ईद, बकरी ईद, ओणम, पोंगल, बैसाखी, रक्षा बंधन, होली, दशहरा, दीपावली, इत्यादि प्रमुख त्योहार हैं। होली रंगों का त्यौहार है।

होली का त्योहार मनाने के पीछे धार्मिक कारण है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक शैतान, प्रहलाद जैसे ईश्वर भक्त बेटे का पिता था, जो घमंड के कारण अपने आप को ईश्वर समझता था। उसकी एक बहन होलिका थी जिसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी।

होलिका अपने भाई की मदद के लिए प्रहलाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गई। नारायण की कृपा से प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई। तभी से होलिका दहन किया जाने लगा। यह असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। जिसके दूसरे दिन लोग रंगों से एक दूसरे का स्वागत करते हैं।

हमारा देश किसानों का देश है। यह उनकी फसलों का भी त्योहार है। फसल का रसास्वादन होली की खुशी लेकर आता है। लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर नाचते-गाते हैं। इस दिन शैतान को कबीरा सुनाकर ताना भी मारा जाता है। होली के गीत अत्यंत मनोरंजक व आकर्षक होते हैं।

भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होली खेलते थे। बरसाने और ब्रज की लठमार होली आज भी उसी उमंग से मनाई जाती है। लोग मिठाई बाँटते हैं, ठंडाई पीते हैं। अपने गिले-शिकवे मिटाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। सभी होली के रंग में घुल-मिल जाते हैं।

कुछ गलत परंपराएँ चल पड़ी हैं जिसे रोकना अनिवार्य है। जैसे – गंदा पानी, कीचड़, गोबर, पेंट, शराब व भाँग का प्रचलन। नशे की हालत में किया गया व्यवहार इस सुंदर पर्व को बदरंग कर देता है, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ आपसी दुश्मनी को बढ़ावा मिलता है। घातक रंगों के प्रयोग से आँखों की रोशनी पर भी कुप्रभाव पड़ता है।

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होली के स्नेह सम्मेलन एक – दूसरे को आपस में जोड़ते हैं-

होली के दिन दिल मिल जाते हैं
रंगों में रंग मिल जाते हैं।
गिले-शिकवे सभी भूल कर
दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।

यदि गंदगी फूहड़ता तथा नशे पर रोक लगाई जा सके, तो इससे उत्तम पर्व कोई भी नहीं हो सकता।

2. राष्ट्रभाषा हिंदी

राष्ट्रभाषा हमारे विचारों की संवाहक होती है। इसके माध्यम से हम अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। प्रत्येक देश की भाषा उसकी अपनी पहचान होती है। उसका संपूर्ण कार्य उसी भाषा में होता है। राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र के उद्गार का माध्यम होती है। फ्रांस, चीन, जर्मनी, जपान, रूस अपनी भाषा की बदौलत आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए हैं और महाशक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

हमारे देश की सर्वाधिक जनता हिंदी भाषा का प्रयोग करती है, इसी कारण महात्मा गांधीजी ने कहा था कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा बनने योग्य हैं। इसीलिए 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रस्तावित किया गया। पूरे देश को हिंदी सीखने के लिए 15 वर्ष का समय दिया गया। इसे 14 सिंतबर 1964 से कार्यान्वित करने का भी प्रस्ताव था किंतु राजनैतिक कारणों से हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में आज भी संसद में पारित नहीं किया गया है।

जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं, वह देश या राष्ट्र गूंगा है।

भूतपूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा तो बना दिया किंतु राष्ट्रभाषा हिंदी संसद की भाषा नहीं बन सकी। मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद, सूरीनाम, गुयाना, कनाडा, इंग्लैण्ड, नेपाल आदि देशों में हिंदी की अपनी एक अलग पहचान है। भारत में यह षडयंत्र की शिकार है।

14 सिंतबर को हर वर्ष ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। जब तक हम व्यावहारिक रूप में राष्ट्रभाषा को स्वीकार नहीं करते तब तक भारत के संपूर्ण विकास पर प्रश्न चिह्न लगा रहेगा।

राष्ट्रभाषा हिंदी ही है, जो पूरे-देश को एक सूत्र में बाँधने की क्षमता रखती है। इसे शिक्षा का माध्यम बनाने से हमारे देश में अत्यधिक बहुमुखी प्रतिभाएँ निकल कर आगे आएँगी। महात्मा गांधीजी ने भी स्वीकार किया था कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए; उच्च व तकनीकी शिक्षा भी हिंदी माध्यम से दी जा सकती है।

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3. भ्रष्टाचार :

एक राष्ट्रीय अभिशाप । एक समय था जब चुनाव से पहले हर राजनैतिक दल इस देश से भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया करते थे। देश में चुनाव होते गए और राजनैतिक दल अदल-बदल कर सत्तारूढ़ होते गए। जैसे-जैसे दिन बीतता गया इस देश में भ्रष्टाचार बढ़ता गया, अब तो आकंठ डूबे भ्रष्टाचार और राजनेता एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं। अब कोई भी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार मिटाने की बात नहीं करता। सभी इस विशालकाय दैत्य के सामने नतमस्तक हैं।

भ्रष्टाचार का अर्थ है दूषित आचरण या बेईमानी। आज भ्रष्टाचार की काली छाया संपूर्ण देश में अमावस्या की तरह व्याप्त हो गई है और सत्तासीन लोग भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। अब भ्रष्टाचार के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने की बजाय इसे अंगीकार कर लिया गया है।

आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार से कोसों दूर हैं किंतु वे भ्रष्टाचारियों का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। दुःस्साहस करनेवाले मुँह की खाते हैं उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाती है।

वैसे तो भ्रष्टाचार कमोबेश पूरे विश्व में व्याप्त है किंतु हमारे देश में यह सिंहासनारूढ़ है। इसका कारण है हमारे देश की चुनाव पद्धति। जिसे जीतने के लिए प्रत्याशी पानी की तरह पैसा बहाते हैं। अपनी सेवानिष्ठा ईमानदारी, योग्यता के बल पर न ही कोई चुनाव लड़ता है और न ही जीत पाता है। चुनाव में सफल होने पर वह हर हाल में अपना खर्च किया हुआ पैसा ब्याज के साथ वसूलता है। पैसे की प्राप्ति की अधीरता ही उसे भ्रष्टाचारी बनने को मजबूर करती है।

इसका दूसरा कारण है भौतिकवादी सभ्यता का प्रसार और पाश्चात्य देशों का अंधानुकरण। लोग सारे नियम कानून को ताक पर रखकर पैसा कमाने के चक्कर में भ्रष्टाचारी बन जाते हैं। चारों तरफ धन बटोरने की अफरा-तफरी मची हुई है। लोग विदेशी बैंकों में पैसे जमा करते जा रहे हैं।

आज का प्रत्यक्ष आकड़ा बताता है कि भारतीय भ्रष्टाचारियों का चौदह हजार लाख करोड़ रुपया विदेशी बैंकों की शोभा बढ़ा रहा है जो निश्चित रूप से काला धन है। सबने इसे अपनी जीवन पद्धति में शामिल कर लिया है।

नशीले पदार्थो का व्यापार कानून व्यवस्था के रखवालों के हाथ की कठपुतली बन चुका है। देश का युवावर्ग भ्रष्टाचारियों को आदर्श मानकर उसी रास्ते पर चल रहा है। उनके मन से राष्ट्राभिमान और राष्ट्र-प्रेम लुप्त होता जा रहा है। तकनीकी और प्राथमिक शिक्षण व्यवसाय बन चुका है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

बाबा रामदेव, अन्ना हजारे जैसे लोग इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। यदि हम राष्ट्र को विश्व की प्रथम पंक्ति में बिठाना चाहते है तो भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन आवश्यक है। समाज सेवकों की मेहनत रंग लाएगी। सत्तासीनों की पोल खुलेगी, जनता जगेगी, निश्चित रूप से काला धन वापस आएगा।

देश का युवावर्ग जिस दिन जगेगा भ्रष्टाचार के रावण का अंत होगा और ध्वंस होगा भ्रष्टाचार का साम्राज्य। नए राष्ट्र का उदय होगा और तब साकार होगा। ‘मेरा भारत महान’ का स्वप्न।

4. मैं मोवाईल वोल रहा हूँ

आज विज्ञान प्रदत्त सुविधाओं को हम नकार नहीं सकते। दूरदर्शन, दूरध्वनि, ट्रांजिस्टर ,संगणक, विमान, राकेट, आदि की खोज ने मानव जीवन को एक नई दिशा दी है। कुछ दिन पहले ही पेजर आया बाद में लोगों को पता चला कि फोन भी आ रहा है। अब जब से मेरा आगमन हुआ है मैनें लोगों की दुनिया में क्रांति ला दी है।

जब मेरा बड़ा भाई टेलिफोन इस दुनिया में आया तो उसने पत्रलेखन की कमी को दूर कर लोगों के आपसी संबंध को जोड़ने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही मैंने इस दुनिया में कदम रखा बड़े भाई की परेशानी दूर कर दी। लोगों ने मुझे अपनी जेब में रखना शुरू किया।

मैंने भी लोगों की हर सुविधा का ध्यान रखा। फोटोग्राफी, खेल, सिनेमा, धारावाहिक, एफ एम रेडियो से लेकर हर सुविधा जो दृश्य – श्रव्य साधनों द्वारा प्राप्त होती है, मैंने दी। हाँ! आया, ठीक सुना आपने मैं मोबाइल बोल रहा हूँ। जब से मैंने इस दुनिया में कदम रखा है, तब से सारे संसार में एक क्रांति आ गई है।

विज्ञान ने जो कुछ भी दिया मैं भी उसी की एक कड़ी हूँ। मैं आप लोगों की दिन – रात सेवा कर रहा हूँ। मैंने ऐसी मुहब्बत दी है कि मुझे एक पल के लिए भी आप अपने से अलग नहीं कर पाते।

आपको मैंने सुविधा दी और आप ने भी अपनी जेब से मुझे निकाल कर हाथ की बजाय एक तार से जोड़कर अपने कान में लगा लिया और घंटों बातें करते रहते हैं।

मेरे दोस्तों मुझे दुःख है कि लोगों ने मेरा दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। पता नहीं लोग इतना झूठ क्यों बोलते हैं। मेरी मोहब्बत में अंधे होकर अपनी जान क्यों दे रहे हैं? लोगों का मुझ पर आरोप है कि मैं लोगों का समय बरबाद कर रहा हूँ।

मैंने लोगों को झूठ बोलना सिखाया है। मैंने माहौल को गंदा किया है। आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ाने में भी मेरा उपयोग हो रहा है। परीक्षा के समय भी छात्र मेरा उपयोग नकल करने में करते हैं। लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है।

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मैं सबकी मदद करता हूँ। लोगों के दुःख, दर्द को दूर करता हूँ। लोगों के आपसी संबंधों में मधुरता लाता हूँ। इंटरनेट पर होनेवाली, घटनाओं की जानकारी देता हूँ। लोग मेरा सदुपयोग करने की बजाए दुरुपयोग करें, तो इसमें मेरी क्या गलती? मेरी दीवानगी में यदि आप अपना काम छोड़कर निष्क्रिय बन रहे हैं तो मैं क्या करूँ? मेरे दोस्तों मेरा सही प्रयोग करके मुझे बदनामी से आप ही बचा सकते हैं।

यदि मेरा सदुपयोग करेंगे तो मैं कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। मैं सूचना पहुँचाने का माध्यम हूँ। मनोरंजन का साधन हूँ। ज्ञान का भंडार हूँ। आपकी हर समस्या का समाधान हूँ। मुझे वही बने रहने दीजिए। मैं तो हमेशा आपकी सेवा में संलग्न रहना चाहता हूँ।

5. दीपावली के पटाखे

पिछले पंद्रह दिनों से लगातार पटाखों के शोर ने मेरी नींद उड़ा दी है। मैं तंग आ गया हूँ घर में बीमार पत्नी कराह रही थी। मैंने नीचे जाकर लोगों से मिन्नतें की लेकिन त्योहार के नाम पर शोर मचानेवालों ने परंपरा की बात कहकर मेरा मजाक उड़ाया। नियम से दस बजे तक ही पटाखे फोड़ने चाहिए लेकिन पूरी रात तक इसका क्रम चलता रहा। दिवाली के दिन तो हद हो गई।

जिसने मुझे चिढ़ाया था, परंपरा की दुहाई दी थी, संस्कृति और पर्व के नाम पर भाषण सुनाया था, पटाखे के धमाके से उसके पिता को दिल का दौरा पड़ा। आधी रात को हम लोग उन्हें अस्पताल ले गए पर दुर्भाग्य कि अब वे एक जिंदा लाश बनकर रह गए हैं।

ध्वनि प्रदूषण का कुप्रभाव सारी खुशियों पर पानी फेर गया। मैंने सुबह सारे कचरे को इकट्ठा करवाकर जलाया, सफाई करवाई, युवकों, बड़ों व बच्चों को बुलाकर समझाया कि जितना पैसा पटाखों में खर्च किया जाता है, उतने पैसों से हम बगीचा बनवा सकते हैं, जो हमें प्रदूषण से राहत देगा।

फिर किसी को जिंदा लाश नहीं बनना पड़ेगा। त्योहार खुशियाँ बाँटने के लिए होते हैं, दर्द देने के लिए नहीं। थोड़े लोगों में सहमति बनी। आज हमारी सोसायटी का बगीचा अन्य लोगों के लिए आदर्श बन चुका है। सबने पटाखे न फोड़ने का संकल्प तो नहीं किया किंतु नियमानुसार फोड़कर पर्व को मनाने का निर्णय अवश्य लिया।

व्यक्ति संस्कारों से सँवरता है, निखरता है। उसके व्यक्तित्व को गढ़ने का कार्य भी संस्कार ही करते हैं। किशोरावस्था और कुमारावस्था में छात्रों के लिए संस्कारगत मूल्यों की शिक्षा अनिवार्य है। इसका मानव जीवन के आचरण पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।

कुछ नीतिपरक मूल्य मनुष्य को आदर्श नागरिक बनाने में सहायक होते हैं। इस संदर्भ में किसी महान मानव के चरित्र के ऊपर भी कुछ लिखा जा सकता है।

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उदाहरणार्थ कुछ संकेत निम्नलिखित हैं।

  • जनमत का आदर करनेवाला मानव वास्तविक नायक बन जाता है। संसार के महान पुरुषों के चरित्र को आधार बनाकर इस कथन को अभिव्यक्ति दी जा सकती है।
  • आज शहरी जीवन में स्वार्थांधता इतनी बढ़ गई है कि अपनत्व का भाव लुप्त होता जा रहा है। संवेदना धुंधली होती जा रही है, मानवता कहीं न कहीं लुप्त होती जा रही हैं।

6. अब्राहम लिंकन

अमेरिका के एक गरीब परिवार में जन्म लेनेवाला बालक अब्राहम लिंकन जिसने बचपन में अत्यंत अभावपूर्ण परिस्थिति में परवरिश पायी। घर की टूटी खिड़कियाँ और टूटी हुई छत, ऊपर से बिजली का अभाव, बचपन में पिता के साथ मजदूरी करने को मजबूर भरपेट भोजन का अभाव उसे घेरे रहता था।

कहते हैं “जहाँ चाह वहाँ राह” कुशाग्र बुद्धि, बहादुर, हँसी मजाक करने वाला बालक मित्रों से पुस्तकें माँगकर पढ़ उसे लौटा देता। बुद्धि इतनी तीव्र कि पुस्तक का एक-एक शब्द उसकी याददाश्त का हिस्सा बन जाते।

बिजली के अभाव में सड़क के खंभे से आते प्रकाश को पढ़ने के लिए प्रयोग करते देख एक अमीर ने उसको पढ़ने के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराई। उसकी लगन, मेहनत और प्रतिभा ने उसे महान वकील बना दिया।

अमेरिका का कलंक वहाँ की दास प्रथा थी। उससे मुक्ति दिलाने का काम अब्राहम लिंकन ने किया। इसी दृढ संकल्प शक्ति से वे एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। यदि हमारे अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति है तो सृजनात्मक मूल्य अपने आप विकसित होते हैं और हमें ऊँचाई प्रदान करते है।

हमारे बीच ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि गरीबी की कोख से पले- बढ़े, संघर्षरत, दृढ़ इच्छा शक्ति वाले गाँव के एक किसान बालक लालबहादुर शास्त्री ने भारत का प्रधान मंत्री बनकर देश को “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।

संत महात्माओं, साहित्यकारों, मनीषियों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त कर जो अमृत संदेश दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी प्रसिद्ध उक्तियाँ ही सूक्तियाँ कहलाती हैं। उन उक्तियों या सूक्तियों को आधार मान कर आप अपने विचार अभिव्यक्त कर सकते हैं। कुछ उदाहरण निम्न हैं।

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  1. “ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  2. है अंधेरी रात पर दीया जलाना कब मना है?
  3. “तभी समर्थ भाव है कि तारता हुए तरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’
  4. “नाश के दुःख से कभी, दबता नहीं निर्माण का सुख”
  5. “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।”

इन कहावतों में मानव जीवन का महान सत्य प्रस्तुत किया गया है। मानव जीवन में उसका मन ही उसकी सारी गतिविधियों का संचालन करता है। जीवन में अनुकूल -प्रतिकूल परिस्थितियों का आना – जाना लगा रहता है। यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में हम अपना धैर्य बनाए रखें, तो हम उस पर विजय पाने में सफल रहते हैं। इसके विपरीत यदि हम में निराशा और अधीरता घर कर जाए तो साधन संपन्न रहने पर भी पराजय ही हमारे हाथ लगती है।

सच्ची तंदुरुस्ती और आत्मनिर्भरता हमारे विजय का मार्ग प्रशस्त करती है। खेल में कभी हार तो कभी जीत मिलती है लेकिन हार में यदि हम निराश हो जाएँ तो सब कुछ बिखर जाएगा। हमें हर परिस्थिति में यह मानकर चलना है।

“क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संघर्ष-पथ पर जो मिले, यह भी सही वह भी सही “हार मानूँगा नहीं, वरदान माँगूगा नहीं” इस सूत्र को जीवन का आधार बनाकर एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से आदिलशाही सुलतानों, पुर्तगालियों, मुगलों से लोहा लिया और विजय पाई। समाज के तमाम विरोध के बावजूद महात्मा ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र में स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार का महान कार्य किया।

7. 26 जुलाई

वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर! ऐसी ताकत हिम्मत और हौसले को प्रणाम करता हूँ वरना हिम्मत, हौसला और दृढ इच्छाशक्ति के बिना उस परिस्थिति से उबर पाना आसान न था। क्या छोटा क्या बड़ा? क्या अमीर क्या गरीब। एकता की एक श्रृखंला बन गई। दुनिया के सामने एक मिसाल – लोग कह उठे वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर!

जब से मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारंभ की तथा उसका दोहन प्रारंभ किया, तभी से वह प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया। वह भूल गया कि मूक दिखाई देने वाली प्रकृति की वक्रदृष्टि सर्वनाश का कारण बन सकती है। 26 जुलाई की विभिषिणा ने हम मुंबई वासियों को आगाह किया है।

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हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आज हमारे परिवेश में पर्यावरण का संरक्षण निहायत जरूरी है। प्लास्टीक की। थैलिया हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक हैं क्योंकि 60 फीसदी प्लास्टीक ही रिसाइकिल हो पाती है।

प्लास्टीक का यह कचरा ज्यादातर नालियों और सीवेज को ठप्प कर देता है, शेष समुद्र पर होने वाले अतिक्रमण और वृक्षों की कटाई ने भी अपनी भूमिका अदा की है। जिसके कारण ही वर्षा का जल समुद्र की खाड़ी में नहीं जा पाता और जल जमाव से लोग त्रस्त होते हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा से ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। वन रोपण तथा वृक्ष लगाने से यह समस्या कम हो सकती है। जनसंख्या वृद्धि पर भी हमें अंकुश लगाना होगा। कंक्रीट के जंगल की सीमा बांधनी होगी। समुद्र के अतिक्रमण को रोकना होगा। वरना सुख देने वाली यह प्रकृति हमें गटक जाएगी।

26 जुलाई 2005 की वह कहर भरी शाम। समुद्री तूफान और बरसात का सिलसिला जो आरंभ हुआ, पूरी रात चलता रहा। हर गली पानी से भर गई। पहली मंजिल तक पानी पहुंचा, रेलवे प्लेट फार्म डूब गए, सड़कों पर पानी, गाड़ियों के ऊपर से पानी बह रहा था। सब तरफ अफरा-तफरी का माहौल।

सबकी सोच, कि अब क्या होगा? कैसे निपटा जाय। इस मुसीबत से लोगों ने हिम्मत नहीं हारी, पूरी रात कौन कहाँ रहा पता नहीं? मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों के दरवाजे खुल गए। लोगों ने शरण ली। सबने जिसकी जितनी ताकत थी एक – दूसरे को सँभाला, हिम्मत बँधाए रखा। करोड़ों का नुकसान हुआ।

रेलवे, बस सबकी सेवाएं ठप्प हो गईं। वाह रे! हिम्मत चौबीस घंटे बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा। हालात को सामान्य बनाने में सबका योगदान रहा। यह थी हमारी एकता वर्गगत, जातिगत, धर्मगत, दलगत, विचारों से ऊपर। सर्वधर्म समभाव का ऐसा उदाहरण जिसे हम आज भी नमन करते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण शब्द संपदा Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(1) लिंग : जिस शब्द से संज्ञा के स्त्री या पुरुष होने का बोध होता है, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। लिंग के मुख्यत: दो भेद माने गए हैं :

  • पुल्लिंग
  • स्त्रीलिंग

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पुल्लिंग : पुल्लिंग संज्ञा के उस रूप को कहते हैं जिससे उसके पुरुष होने का बोध होता है। जैसे – राजेश, राकेश, प्रभाकर, चाँद, सूर्य, बैल, घोड़ा आदि।

स्त्रीलिंग : जिस शब्द से स्त्री होने का बोध होता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – राधा, शीला, घोड़ी, बकरी, मछली, मैना, तितली, कोयल आदि।

लिंग निर्णय : अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत की अपेक्षा हिंदी में लिंग निर्णय की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। जहाँ तक प्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का प्रश्न है उसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जहाँ अप्राणिवाचक संज्ञा शब्दों की बात आती है वहाँ कठिनाई बढ़ जाती है क्योंकि इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है। एक ही शब्द के अलग अर्थ होने से या अलग-अलग शब्दों के एक ही अर्थ होने से भी लिंग बदल जाते हैं। जैसे –

भिन्नार्थक शब्द : अप्राणिवाचक बहुत से शब्दों के समरूपी होने पर लिंग भेद होता है। जैसै :

शब्द  अर्थ  लिंग
कलम  लेखनी  स्त्रीलिंग
कलम  वृक्ष शाखा का कलम  पुल्लिंग
ओर  छोर  पुल्लिंग
ओर  तरफ  स्त्रीलिंग
सरकार  स्वामी  पुल्लिंग
सरकार  शासन चलानेवाली  स्त्रीलिंग
विधि  ब्रहमा  पुल्लिंग
विधि  प्रणाली  स्त्रीलिंग
हार  पराजय के अर्थ में  स्त्रीलिंग
हार  माला के अर्थ में  पुल्लिंग
सविता  सूर्य  पुल्लिंग
सविता  किसी लड़की का नाम  स्त्रीलिंग
तारा  नक्षत्र  पुल्लिंग
तारा  लड़की का नाम  स्त्रीलिंग

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कुछ प्राणियों में लिंग का निर्णय व्यवहार से होता है। जैसे – बंदर, तीतर, चीता, बैल पुल्लिंग है जबकि – मछली, कोयल, मैना, गौरैया स्त्रीलिंग है।

अप्राणिवाचक में द्रवों के नाम, धातुओं, ग्रहों, वनस्पतियों, अनाजों, रत्नों, दिनों, स्थल भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जब कि – भाववाचक संज्ञा (ट, ट, हट) कृदंत, नदियों के नाम, नक्षत्रों के नाम, तिथियों के नाम, पक्वानों के नाम आदि स्त्रीलिंग होते हैं।

लिंग परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) बेटे ने काका से बातचीत की।
बेटी ने काकी से बातचीत की।

(2) शेर ने बकरे पर आक्रमण किया।
शेरनी ने बकरी पर आक्रमण किया।।

(3) बैल घास चर रहा है।
गाय घास चर रही है।

(4) पंडित का भाई पूजा कर रहा है।
पंडिताइन की बहन पूजा कर रही है।

(5) नायक अभिनय कर रहा है।
नायिका अभिनय कर रही है।

(6) कुत्ता भौंक रहा है।
कुतिया भौंक रही है।

(7) चाचा जी देव जैसे हैं।
चाची जी देवी जैसी हैं।

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(2) वचन : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता हैं, उसे वचन कहते हैं। हिंदी में दो वचन होते हैं।

  1. एकवचन
  2. बहुवचन

एकवचन : संज्ञा के अथवा शब्द के जिस रूप से एक ही व्यक्ति या वस्तु होने का ज्ञान हो उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – बिल्ली, बिजली, लड़का, नदी, पुस्तक, घर आदि.

बहुवचन : संज्ञा अथवा शब्द के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध होता है उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – बिल्लियाँ, लड़कियाँ, लड़के, घोड़े, बहुएँ आदि।

अपवाद : कुछ शब्दों में दोनों रूप समान होते है। जैसे – मामा, नाना, बाबा, पिता, योद्धा, युवा, आत्मा, देवता, जमाता।

सूचनानुसार – परिवर्तन

अधोरेखांकित शब्द का वचन परिवर्तित कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उदा. लड़के विद्यालय जाते हैं।
उत्तर :
लड़का विद्यालय जाता है।

(2) नदी ने फसल को डुवो दिया।
उत्तर :
नदियों ने फसल को डुबो दिया।

(3) आप कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर :
तुम कहाँ जा रहे हो?

(4) बकरी घास चर रही है।
उत्तर :
बकरियाँ घास चर रही हैं।

(5) नदियों ने फसलों को हरा-भरा कर दिया।
उत्तर :
नदी ने फसल को हरा-भरा कर दिया।

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(3) विलोम विरुद्धार्थी शब्द : जो शब्द अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधी होते हैं उन्हें विलोम, विपरीतार्थी या विरुद्धार्थी शब्द कहते हैं।

  • निम्न x उच्च
  • धनी x निर्धन
  • विष x अमृत
  • अर्थ x अनर्थ
  • उदय x अस्त
  • प्रात: x सायं
  • सजीव x निर्जीव
  • सदाचार x दुराचार
  • आय x व्यय
  • आदान x प्रदान
  • स्वर्ग x नरक
  • मान x अपमान
  • सत्य x असत्य
  • सज्जन x दुर्जन
  • गुण x अवगुण
  • शुभ x अशुभ
  • उचित x अनुचित
  • अनुकूल x प्रतिकूल
  • पक्ष x विपक्ष
  • उपस्थित x अनुपस्थित
  • एक x अनेक
  • आस्तिक x नास्तिक
  • आदर x निरादर
  • उन्नति x अवनति
  • सफलता र असफलता
  • सौभाग्य x दुर्भाग्य
  • आदि x अंत
  • नवीन x प्राचीन
  • उदार x अनुदार
  • लौकिक x अलौकिक
  • स्मृति – विस्मृति
  • आयात x निर्यात
  • शिक्षित x अशिक्षित
  • उत्तीर्ण x अनुत्तीर्ण
  • यश x अपयश
  • सुलभ x दुर्लभ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा
  • प्रत्यक्ष x परोक्ष
  • खुशबू x बदबू
  • सार्थक x निरर्थक
  • मुख्य x गौण
  • समर्थन x विरोध
  • उत्थान x पतन
  • पंडित x मूर्ख
  • निर्माण x विनाश
  • संयोग x वियोग
  • उपकार x अपकार
  • साक्षर x निरक्षर
  • सूक्ष्म x स्थूल
  • बंजर x उपजाऊ
  • कृतज्ञ x कृतघ्न
  • आलस्य x उद्यम
  • साकार x निराकार
  • बुराई x भलाई
  • क्रोध x शांति
  • रक्षक x भक्षक
  • स्तुति x निंदा
  • वीर x कायर
  • वरदान – अभिशाप
  • रुग्ण x स्वस्थ
  • मानव x दानव
  • महान x क्षुद्र
  • सम x विषम
  • मधुर x कटु
  • महात्मा x दुरात्मा
  • कनिष्ठ x ज्येष्ठ
  • आकाश x पाताल

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(4) पर्यायवाची शब्द :

  • असभ्य – अशिष्ट, गँवार, उजड्ड
  • कहानी – कथा, अख्यायिका, किस्सा
  • बुद्धि – मति, मेधा, प्रज्ञा, अक्ल
  • बारिश – वर्षा, बरसात, वृष्टि
  • पति – कांत, स्वामी, वर, भर्ता
  • वसंत – मधुऋतु, ऋतुराज, पिकमित्र
  • अनोखा – अनूठा, अनुपम, अलौकिक
  • थोड़ा – अल्प, रंच, कम
  • मृत्यु – निधन, देहांत, मौत
  • सुंदर – चारु, रम्य, ललाम
  • पत्नी – कांता, वधू, भार्या

(5) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द :

  • जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
  • जिसकी उपमा न दी जा सके – अनुपम
  • सब कुछ जाननेवाला – सर्वज्ञ
  • जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
  • जो नियम के अनुसार न हो – अनियमित
  • जिसका कोई अंत न हो – अनंत
  • जो देखने योग्य हो – दर्शनीय
  • जो दूर की सोचता हो – दूरदर्शी
  • जो मीठा बोलता हो – मृदुभाषी
  • अनुकरण करने योग्य – अनुकरणीय
  • किए हुए उपकार को न माननेवाला – कृतघ्न
  • काम में लगा रहने वाला – कर्मठ
  • जिसे कहा न जा सके – अकथनीय
  • जो कम बोलता हो – मितभाषी
  • जिसे पाना कठिन हो – दुर्लभ

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(6) भिन्नार्थक शब्द : कुछ शब्दों के प्रयोग कई अर्थों में होते हैं। उनका अर्थ वाक्य में प्रयोग से ही निश्चित हो सकता है।

  • अंबर – आकाश, कपड़ा
  • अंतर – हृदय, फर्क
  • आदि – आरंभ, इत्यादि
  • अली – सखी, पंक्ति
  • काल – समय, मृत्यु
  • कनक – सोना, धतूरा
  • तीर – बाण, तट
  • पट – कपड़ा, दरवाजा
  • पृष्ठ – (किताब का) पन्ना, पीठ
  • भेद – प्रकार, रहस्य
  • हरि – ईश्वर, सिंह
  • हार – फूलों की माला, हारना
  • गति – दशा, चाल
  • मित्र – साथी, सूर्य
  • हल – खेत जोतने का औजार, समाधान
  • स्नेह – तेल, प्रेम

(7) शब्द-युग्म : शब्दों का वह जोड़ा होता है जो देखने और सुनने में एक जैसे होते हैं अथवा मिलते-जुलते हैं लेकिन वर्तनी में कहीं न कहीं कोई अंतर अवश्य होता है। इस प्रकार वर्तनी की भिन्नता अथवा उसमें थोड़ा-सा परिवर्तन अर्थ में बहुत बड़ा अंतर उत्पन्न कर देते हैं। अत: इन्हें जानना व समझना जरूरी हो जाता है। यहाँ कुछ शब्द-युग्म दिए गए हैं।

अँगना : आँगन।
वाक्य: गाँव के घर में अँगना/आँगन का बहुत महत्त्व हैं।

अंगना : रमणी या सुंदर स्त्री।
वाक्य: अँगना में अंगना के पायल को छम-छम सुनाई दे रही थी।

अन्न : अनाज, खाद्य पदार्थ।।
वाक्यः किसान खेतों में अन्न उपजाते हैं।

अन्य : दूसरा या पराया।
वाक्य: इस काम को कोई अन्य व्यक्ति नहीं करेगा।

अगम : कठिन, दुर्गम।
वाक्यः ईश्वर को संतों ने अगम बताया है।

आगम : प्राप्ति, आय:
वाक्यः उसके पास अब कोई आगम नहीं है।

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अवलंब : आश्रय, सहारा।
वाक्य: उसके पति की मृत्यु के साथ ही उसका अवलंब टूट गया।

अविलंब : तुरंत, शीघ्र।
वाक्यः इस कार्य को अविलंब करना है।

अंत : समाप्ति।
वाक्य: बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मुगल राज्य का अंत हो गया।

अंत्य : अंतिम।
वाक्यः हिंदुओं की अंत्य विधि श्मशान में होती है।

अनल : आग।
वाक्यः अनल सब कुछ जला देता है।

अनिल : हवा।
वाक्य: ऊँचाई पर अनिल का दबाव कम हो जाता है।

अश्व : घोड़ा।
वाक्य: चेतक एक महान अश्व था।

अश्म : पत्थर।
वाक्य: अश्म से ठोकर खाकर वह गिर पड़ा।

अमित : बहुत, असीम।
वाक्य: लैला का मजनू से अमित प्रेम था।

अमीत : अमित्र, शत्रु।
वाक्य: इंसानियत के पुजारी अमीत को भी गले लगाते हैं।

आदि : आरंभ, शुरू या इत्यादि।
वाक्य: आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति संसार में श्रेष्ठ रही है।

आदी : अभ्यस्त।
वाक्य: वह सुबह जल्दी उठने का आदी है।

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आसन : बैठने की छोटी चटाई। वाक्य: यह पिता जी का आसन है।
आसन्न : निकट आया हुआ, तुरंत। वाक्य: उसका परीक्षा-काल आसन्न है।

इति : समाप्ति, अंत।
वाक्य: इसकी यही इति है।

ईति : विपत्ति, बाधा।
वाक्यः बेचारे मोहन के पिता की मौत होते ही उसके ईती का आरंभ हो गया।

उन : ‘उस’ सर्वनाम का बहुवचन।
वाक्य: उन लोगों को शादी में जाना है।

ऊन : भेड़ आदि के बाल।
वाक्य: शीत से बचने के लिए ऊनी वस्त्रों का प्रयोग होता है।

उपकार : भलाई।
वाक्य: यह उपकार का जमाना नहीं है।

अपकार : बुराई।
वाक्यः किसी का अपकार करके तुम्हें क्या मिलने वाला है ?

कंगाल : गरीब।
वाक्यः भूकंप आने से भुज के लोग कंगाल हो गए।

कंकाल : हड्डियों का ढाँचा।
वाक्य: बीमारी से वह कंकाल बन चुका है।

कलि : युग, कलह, झगड़ा।
वाक्यः कलियुग में सब कुछ उल्टा होता है।

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कली : अधखिला फूल।
वाक्यः फूल बनने से पहले कली नहीं मसलनी चाहिए।

कहा : कहना का भूतकाल।। वाक्यः उसने कहा था।
कहाँ : स्थान बोधक अव्यय। वाक्यः आप कहाँ जा रहे हैं?

कुल : वंश, परिवार, पूर्ण।
वाक्यः (अ) दो संख्याओं को जोड़ने पर हमें कुलयोग ज्ञात होता है।
(ब) भगवान राम रघुकुल में जन्में थे।

कूल : तट, किनारा।
वाक्यः श्याम यमुना के कूल पर बंसी बजाते थे।

कुजन : बुरे लोग।
वाक्यः कुजनों के साथ रहने से नुकसान होता है।

कूजन : पक्षियों की मधुर ध्वनि या कलरव।
वाक्यः पक्षियों के कूजन से सवेरा होने का आभास हुआ।

किला : गढ़।
वाक्यः सिंहगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी महाराज ने जीत लिया।

कीला : छूटा, बड़ी कील।
वाक्य: मैंने यह कीला अपनी जमीन में गाड़ा है।

ग्रह : सूर्य, चंद्र आदि।
वाक्य: हमारी संस्कृति में नौ ग्रह पूजे जाते हैं।

गृह : घर।
वाक्य: सोमवार को मेरा गृह प्रवेश हुआ।

कि : समुच्चयबोधक अव्यय।
वाक्यः राम के पिता ने कहा कि वह आलस्य छोड़ दें।

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की : करना क्रिया का भूतकाल। संबंध कारक चिह्न।
वाक्य : मैंने पढ़ाई पूरी की। गाँव की नदियाँ बलखाती हुई बह रही है।

चिर : दीर्घ – बड़ा या हमेशा/शाश्वत।
वाक्यः चिरकाल से चली आई भारतीय संस्कृति महान है।

चीर : वस्त्र / कपड़ा।
वाक्य: द्रौपदी का चीर हरण किया गया था।

तरणी : नौका।
वाक्यः रामजी ने केवट की तरि से गंगा नदी पार की।

तरणि : सूर्य
वाक्य: सब्जियों में तरी ज्यादा होने से स्वाद बिगड़ गया।

तरंग : लहर।
वाक्य: समंदर की तरंगें भयानक होती जा रही थीं।

तुरंग : घोड़ा।
वाक्यः तुरंग पर सवार सैनिक जंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे।

नित : रोज, प्रतिदिन।
वाक्य: नित प्रात:काल उठकर टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

नीत : प्राप्त, लाया हुआ।
वाक्य: हमारे देश में पर्दा प्रथा मुगलों द्वारा नीत है।

नियत : तय, निश्चित।
वाक्य: तुम्हें नियत समय पर ही वहाँ पहुँचना है।

नीयत : इच्छा, इरादा, मंशा।
वाक्यः इस मामले में तुम्हारी नीयत में खोट नजर आ रही है।

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दिन : दिवस।
वाक्यः बुरे दिन में कोई मदद नहीं करता।

दीन : गरीब।
वाक्यः मुझ दीन के रक्षक दीनानाथ हैं।

देव : देवता, सुर।
वाक्य: भारत में अनेक देव पूजे जाते हैं।

दैव : भाग्य, नसीब।
वाक्य: आलसी हमेशा दैव-दैव पुकारता है।

प्रसाद : ईश्वरीय कृपा। वाक्य: मैं भगवान का प्रसाद पाकर धन्य हो गया। प्रासाद : महल।
वाक्यः राजा भव्य प्रासाद में रहता था।

परिणाम : फल, नतीजा।
वाक्यः चोरी का परिणाम हमेशा बुरा होता है।

परिमाण : मात्रा, माप।
वाक्य: यह दवा किस परिमाण में लेनी है?

पुर : नगर, शहर।
वाक्यः रघुवीर जी की बहू सीतापुर गई।

पूर : पूर्णत्व, बाढ़, अधिकता।
वाक्य : मोहन की थोड़ी-सी कमाई से घर-खर्च पूरा नहीं पड़ता था।

प्रणाम : नमस्कार, सलाम।
वाक्य : हमें बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।

प्रमाण : सबूत।
वाक्य : इस समय मेरे पास अपनी बात का कोई प्रमाण नहीं है।

प्रहर : याम, पहर (तीन घंटे का समय)।
वाक्य : रात्रि के तीसरे प्रहर में पूरी तरह सन्नाटा छा जाता है।

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प्रहार : आघात या चोट।
वाक्य: महाराणाप्रताप के प्रहार से मुगल सेना तितर-बितर हो गई।

पर : पंख, परंतु।
वाक्यः मोर के पर रखना शुभकारी होता है।

पार : किनारा, मंजिल तक पहुँचना।
वाक्यः मेरा घर नदी के उस पार है।

फुट : बारह इंच की माप।
वाक्य: इसकी लंबाई छ: फुट है।

फूट : मतभेद, बैर, अलगाव।
वाक्य: इस चुनाव में प्रत्येक दल में फूट पड़ी और बागी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़े।

बलि : बलिदान, नैवेद्य।
वाक्य: बकरी ईद में बकरे की बलि दी जाती है।

बली : बलवान, वीर।
वाक्यः तन के साथ-साथ मन का भी बली होना जरूरी है।

बट : रास्ता।
वाक्यः पत्नी अपने पति की बाट जोह रही थी।

बाँट : भाग, हिस्सा।
वाक्य: मक्खन बाँट में बिल्लियों का नुकसान तय है।

बहु : बहुत, अधिक।
वाक्यः मेरा बहु प्रतीक्षित सपना पूरा हुआ।

बहू : पुत्रवधू, विवाहिता ली।
वाक्यः सास और बहू को टक्कर जगत प्रसिद्ध है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

भिड़ : ततैया, लड़ना।
वाक्य: दोनों पक्षों के सैनिक आपस में भिड़ गए।

भीड़ : मजमा, जनसमूह।
वाक्य: मेले की भीड़ में खो जाने का अंदेशा रहता है।

बास : गंध।
वाक्य: कचरे के डिब्बे से बहुत ही बास आ रही थी।

बाँस : एक वनस्पती
वाक्य: बाँस बहुत ही उपयोगी वनस्पती है।

भवन : घर, महल।
वाक्य: जयपुर में शानदार भवन है।

भुवन : संसार, जग।
वाक्यः सारे भुवन में महँगाई की मार है।

मूल : जड़, नींव।
वाक्य: दोनों परिवारों के विवाद के मूल में एक-दूसरे के प्रति नफरत है।

मूल्य : कीमत।
वाक्य: यह घड़ी काफी मूल्यवान है।

राज : राज्य, शासन।
वाक्य: महात्मा गांधीजी देश में रामराज लाना चाहते थे।

राज़ : भेद, रहस्य।
वाक्यः इस खंडहर में गहरा राज़ छिपा हुआ है।

शिला : पत्थर, पाषाण।
वाक्य: सम्राट अशोक के जमाने में शिलालेखों का विशेष महत्त्व था।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

शीला : सुशील।
वाक्य: यह बड़ी सुशीला पुत्री है।

सास : पति या पत्नी की माँ।।
वाक्यः सास-बहू में झगड़े होते रहते हैं।

साँस : श्वास।
वाक्य: जब तक साँस चल रही है तब तक हमें संघर्ष करना है।

सुर : देवता, लय।
वाक्यः (अ) सुर में गाना एक साधना है।
(ब) बृहस्पतिजी सुरों के गुरु हैं।

सूर : सूर्य, अंधा।
वाक्यः मोहन सूर है लेकिन उसकी आवाज में जादू है।

सर्ग : काव्य का अध्याय।
वाक्यः कामायनी को सर्गों में विभक्त किया गया है।

स्वर्ग : देवताओं का निवास, जन्नत।
वाक्य : अच्छे लोग मृत्यु के बाद सीधे स्वर्ग जाते हैं।

शुक्ति : सीप।
वाक्यः शुक्ति में मोती बनता है।

सूक्ति : अच्छी उक्ति।
वाक्य: संतों की सूक्ति हमेशा प्रेरक होती है।

सुधि : स्मरण, याद।
वाक्य: परदेश जाने के बाद पति ने पत्नी की सुधि नहीं ली।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

सुधी : विद्वान।
वाक्य: सुधी जनों की संगत में हमेशा सुख मिलता है।

सकल : सब, संपूर्ण।
वाक्य: गेहूँ की सकल उत्पाद का पच्चीस प्रतिशत पंजाब में होता है।

शक्ल : सूरत, चेहरा टुकड़ा।
वाक्य: तेजाब फेंककर उसकी शक्ल को बिगाड़ दिया गया।

शुल्क : फीस, चंदा।
वाक्यः रमा विद्यालय में बच्चे का शुल्क जमा करने गई है।

शुक्ल : उज्ज्वल, शुद्ध पक्ष।
वाक्यः शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा होती है।

(8) उपसर्ग : जो शब्दांश किसी शब्द के प्रारंभ में जुड़कर शब्द के अर्थ को प्रभावित करते हैं उन्हें उपसर्ग कहा जाता है।
उदा. देश – स्वदेश, परदेश, उपदेश

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कुछ, उपसर्ग इस प्रकार है :
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 1
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 2
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 3
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(9) प्रत्यय : कुछ शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
उदा. – जल + ज = जलज, जल + द = जलद
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 5
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 6

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(10) कृदंत : धातु में कृत प्रत्यय लगने से बनने वाला शब्द कृदंत कहलाता है।
जैसे-
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 7

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

तद्धित : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण अथवा अव्यय के अंत में प्रत्यय लगाकर बने शब्द तद्धित शब्द कहलाते हैं।
जैसे –
संज्ञा शब्द – तद्धित शब्द
सोना – सुनार, सुनहरा
मुख – मुखिया, मौखिक …. आदि

सर्वनाम शब्द – तद्धित शब्द
अपना – अपनापन, अपनत्व
निज – निजत्व …. आदि

विशेषण शब्द – तद्धित शब्द
मीठा – मिठाई, मिठास
एक – एकता, इकहरा …… आदि

अव्यय शब्द – तद्धित शब्द
पीछे – पिछला
अवश्य – आवश्यक
बहुत – बहुतायत …… आनि

(11) तत्सम शब्द : जो शब्द हिंदी में संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए है उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहा जाता है।
उदा. : नित्य, विद्वान, प्रात:, शनैः शनैः, ज्ञान, अक्षर, सूर्य, गृह, ग्राम …… आदि।

(12) तद्भव शब्द : समय और परिस्थिति के कारण संस्कृत के शब्दों में परिवर्तन आता गया और आज व्यवहार में प्रयुक्त हैं ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे –

तत्सम शब्द  तद्भव शब्द
अंगुली  उंगली
अश्रु  आँसू
काक  कौआ
गृह  घर
पुत्र  पुत
कोकिल  कोयल
हस्ती  हाथी
जिह्वा  जीभ
दुग्ध  दूध
भ्राता  भाई
श्राप  शाप
मुख  पूँह
अग्नि  आग
अग्र  आगे
गर्दभ  गधा
चंद्र  चाँद
पितृ  पिता
कृष्ण Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  किशन
हस्त  हाथ
बिंदु  बूंद
भगिनी  बहन
क्षेत्र  खेत
सप्त  सात
मेघ  मेह
रात्रि  रात
श्वास  साँस
शय्या  सेज
मूल्य  मोल
धैर्य  धीरज
कृषक  किसान
छिद्र  छेद
ज्येष्ठ  जेठ
दूर्वा  दूब
दु:ख  दुख
पद  पैर
पीत  पीला
पुच्छ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  पूँछ
भिक्षा  भीख
भद्र  भला
सूत्र  सूत
लक्ष्मण  लखन
वर्ष  बरस
सूर्य  सूरज
शर्करा  शक्कर
श्वसुर  ससुर
श्वश्रू  सास
निष्ठ  मीठा
रत्न  रतन
घट  घड़ा
चौत्र  चत
तृण  तिनका
दीप  दीया
पक्षी  पंछी
पुष्प  फूल
पुष्कर  पोखर
मयुर  मोर
मृतिका  मिट्टी
रक्षा Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  राखी
लौह  लोहा
व्याघ्र  बाघ
बक  बगुला
खीर  क्षीर

विदेशी शब्द : अरबी, फारसी, अंग्रेजी या अन्य किसी भी दूसरे देश की भाषा के शब्द जिनका हिंदी में प्रयोग किया जाता है उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।

जैसे : डॉक्टर, राज़, इलाज, रेल्वे, सिग्नल, इशारा, दीदार, आरमान, शक्ल …. आदि।

मानक वर्तनी :

किसी भी भाषा के दो प्रमुख तत्त्व होते हैं।

  • व्याकरण
  • लिपि

लिपि का एक पक्ष है सामान्य और विभिन्न ध्वनियों के पृथक-पृथक, प्रतीक -वर्णों की वृद्धि, उनका परस्पर आकार भेद, लिखावट में सरलता, स्थान लघुता स्वं प्रयत्नलाघव, जिससे भाषा दुरूहता समाप्त होती है। लिपि का दूसरा पक्ष है वर्तनी (Spelling) एक शब्द को प्रकट करने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग वर्तनी को कठिन बना देता है। देवनागरी लिपि में यह दोष सबसे कम है, फिर भी कुछ विशेष कठिनाइयाँ हैं।

इन सभी कठिनाइयों को दूर कर हिंदी की वर्तनी में एकरूपता लाने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1961 में एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी।

समिति ने अप्रैल 1962 में अपनी अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत की, जिन्हें सरकार ने स्वीकृत किया। यह सुधार प्रायः टंकण लिपि और संगणक की सुविधानुसार किया गया। 1967 में “हिंदी वर्तनी मानकीकरण” नामक पुस्तिका में इसकी व्याख्या और उदाहरण विस्तार से प्रकाशित किया गया है।

वर्तनी संबंधी कुछ नियम इस प्रकार है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(1) संयुक्त वर्ण

(क) खड़ी पाई वाले व्यंजन:

खड़ी पाई वाले व्यंजनों (म्दहेदहाहू) का संयुक्त रूप खड़ी को हटाकर ही बनाया जाना चाहिए,

जैसे – ख्याति, लग्न, विघ्न, कच्चा, छज्जा, सज्जा, नगण्य उल्लेख, कुत्ता, पथ्य, ध्वनि, प्यास, न्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्य, शय्या, राष्ट्रीय, त्र्यंबक, व्यास, स्वीकृत श्लोक, यक्ष्मा, प्रज्ञा।

(ख) अन्य व्यंजन:

(अ) क और फ के संयुक्ताक्षर : पक्का, दफ्तर, रफ्तार, चक्का आदि की तरह बनाए जाएँ, न कि पक्का, दफ्तर की तरह। इसमें फ और क की बाहों को गोला न कर सीधा कर दिया जाता है। (आ) ङ्, ट, ठ, ड, ढ, द और ह के संयुक्ताक्षर हलंत ( ) चिह्न लगाकर ही बताए जाए। वाङ्मय लट्टू, बुड्ढा, विद्या, चिह्न, ब्रह्मा, ब्राह्मण, उद्यम लट्ठा आदि।

(इ) श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे श के रूप में नहीं लिखा जाएगा। त + र के संयुक्त रूप के लिए त्र और र दोनों रूपों के प्रयोग की छूट हैं। किंतु क्र को कर के रूप में नहीं लिखा जाएगा।

(ई) हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बनने वाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय व्यंजन के साथ इ की मात्रा का प्रयोग संबंधित व्यंजन के तत्काल पूर्व ही किया जाएगा, न कि पूरे युग्म से पूर्व जैसे कुट्टिम द्वितीय, को कुटिम, द्वितीय, बुद्धिमान, चिह्नित आदि को स्वीकारा जाएगा।

(उ) संस्कृत में संयुक्ताक्षर पुरानी शैली में भी लिखे जा सकेंगे, जैसे – संयुक्त, चिह्न, विद्या, विद्वान, वृद्ध, अट्ट, द्वितीय, बुद्धि, शुद्धि आदि।
(नियम 2) क और फ के बाहों की गोलाई अंग को काटकर या हटाकर)
क – मुक्त, पक्का, चक्कर, टक्कर, शक्कर।
फ- मुफ्त, दफ्तर, रफ्तार।
(नियम 3) ट, ड, द, ह को हलंत करके) लट्टू, चट्टान, इकट्ठा, पट्ठा, बुड्ढा, लड्डू, शुद्ध, वृद्ध, बुद्धिमान, उद्योग, गद्य, पद्य, खाद्य, प्रसिद्ध अद्भुत, ब्रह्म, चिह्न, ब्राह्मण।
(नियम 4) संयुक्त वर्णाक्षर के साथ ‘इ’ की मात्रा का प्रयोग हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बननेवाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय वर्ण के तत्काल पूर्व किया जाता है। जैसे – बुद्धि, शुद्धि, चिह्नित, द्वितीय, द्विगुणित, चिट्ठियाँ, छुट्टियाँ, सिद्धि, वृद्धि आदि।
(नियम 5) खड़ी पाई को हटाकरः

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

खड़ी पाई वाले व्यंजन के संयुक्ताक्षर :

  • ख : ख्याति
  • ण : नगण्य प : प्यार
  • ल : उल्लेख ग : मग्न
  • त : पत्ता ब : ब्यौरा,
  • ष : राष्ट्र ग : नग्न
  • थ : पथ्य
  • भ : सभ्य स : स्वाद
  • घ : विघ्न ध : ध्यान
  • म : रम्य य : त्र्यंबक
  • च : अच्छा न : न्याय
  • म : गम्य श : श्लोक
  • ज : लज्जान : अन्न
  • य : शय्या क्ष : लक्ष्य

(2) विभक्ति चिह्न : (कारक चिह्न)

(क) हिंदी के विभक्ति चिह्न सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में प्रतिपदिक से पृथक लिखे जाय,
जैसे – राम ने, राम को, राम से, सभी ने, सभी को, सभी से आदि। सर्वनाम शब्दों में विभक्ति चिह्न मिलाकर लिखे जाते हैं।
जैसे -उसने, उसको, उसपर आदि।

(ख) सर्वनामों के साथ यदि दो विभक्ति चिह्न है उसमें पहला मिलाकर और दूसरा अलग से लिखा जाय।
जैसे – उसके लिए- इसमें से, आदि।

(ग) सर्वनाम और विभक्ति ‘ही’ ‘तक’ आदि का प्रयोग हो तो विभक्ति को अलग लिखा जाए।
जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को।

(3) क्रियापद : संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ पृथक लिखी जाएँ। जैसे- पढ़ा करता है, आ सकता है, खेला करेगा, नाचता रहेगा, चढ़ते ही जा रहे हैं, बढ़ते चले आ रहे हैं इत्यादि।

(4) हाइफन (-) हाइफन का विधान स्पष्टता के लिए किया जाता है।

(क) द्वंद्व समास में पदों के बीच हाइफन रखा जाए यथाः
राम-लक्ष्मण, माता-पिता, शिव-पार्वती, देख-रेख, चाल-चलन, हँसी-मजाक, पढ़ना लिखना, खाना-पीना, खेलना-कूदना, स्त्री-पुरुष इत्यादि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(ख) ‘सा’ ‘जैसा’ आदि से पूर्व हाइफन रखा जाये। जैसे -तुम-सा, राम-जैसा, चाकू-से तीखे, चलने। जैसे – आदि.

(ग) तत्पुरुष समास में हाइफन का प्रयोग तभी किया जाय जहाँ पर हाइफन के बिना भ्रम होने की संभावना हो। अन्यथा हाइफन का प्रयोग नहीं होगा।
जैसे – भू-तत्व.
सामान्यत: तत्पुरुष समास में हाइफन के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती जैसे – रामराज्य, राजकुमार, गंगाजल, ग्रामवासी, आत्महत्या, राजमाता, आदि। इसी तरह अ-नख (बिना नख का) में हाइफन न लगाने से इसका अर्थ बदल कर क्रोध हो जाएगा। अ-नति (नम्रता की कमी), अनति (थोड़ा) अ-परस (जिसे किसीने छुआ न हो) – अपरस – (एक चर्मरोग), भू-तत्व (पृथ्वी का तत्त्व) भूतत्त्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की स्थिति विशेष होती है जहाँ हाइफन का प्रयोग किया जाता है।
(घ) कठिन संधियों से बचने के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे -द्वि-अक्षर, द्वि-अर्थक आदि।
(च) स्पष्टीकरण के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे – उदाहरणार्थ – यथा-आदि

विशेष अभ्यास हेतु

(क) हाइफन वाले शब्द : उषा-सा, एक-सा, घबराया-सा, छोटा-सा, जरा-सा, थोड़ा-सा, फूल-सा, रात-सा, साधारण-सा, हल्का सा, धक-सा आदि।

(ख) दवदव समास : आठ-दस, इधर-उधर, एक- दूसरा करता-धोती, खान पान, खेल-कद, नाच-गाना, रात-दिन, गोरा-चिट्टा, घर-परिवार, माता-पिता, जेठानी-देवरानी, भाई-बहन, दिन-रात, टूटा-फूटा, नहाना-धोना, बोल-चाल, हाथ-पैर, लाभ -हानि, भैया-भाभी, काका-काकी, रूप -रेखा आदि।

(ग) द्विरुक्त शब्द : आगे-आगे, कच-कच, खी-खी, जगह – जगह, तरह -तरह, धीरे-धीरे, नन्हा-नन्हा, बड़े-बड़े, भिन्न-भिन्न, रोज-रोज, शिव-शिव, सच-सच, हिला -हिला, बीच- बीच , गरम- गरम, छोटी-छोटी, मोटी-मोटी, सर-सर इत्यादी।

(घ) अन्य : जैसे-ही, भू-स्वामित्व, भू-सर्वेक्षण, भू-दान, मन-ही-मन, आदि।

(5) अव्यय : तक, साथ, आदि अव्यय सदा अलग लिखे जाएँ।।

जैसे – आपके साथ, यहाँ तक । हिंदी में आह, ओह ऐ, ही, तो, सो, भी न, जब, कब यहाँ, वहाँ, कहाँ, सदा, क्या, पड़ी, जी, तक, भर, मात्र, केवल, किंतु, परंतु, लेकिन, मगर, चाहे, या अथवा तथा आदि अनेक प्रकार के भावों को बोध करानेवाले अव्यय हैं। कुछ अव्ययों के आगे विभक्ति चिह्न भी आते है।

जैसे – अब से, तब से, यहाँ से, वहाँ से, कहाँ से, सदा से आदि। नियमानुसार अव्यय हमेशा अलग लिखे जाने चाहिए। जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को, आप के साथ, गज भर, रात भर. वह इतना, भर कर दे, मुझे जाने तो दो, काम भी नहीं बना, पचास रुपए मात्र है।

सम्मानार्थक श्री और जी अव्यय भी पृथक लिखे जाए। जैसे – श्री राम, महात्मा जी, माता जी, पिता जी, आदि। समस्त पदों में प्रति, मात्र, यथा, आदि अलग न लिखकर एक साथ लिखना चाहिए। जैसे – प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिशत, मानवमात्र, निमित्तमात्र, यथासमय, यथायोग्य, यथोचित, यथासंभव आदि।

यह नियम है कि समास होने पर समस्त पद एक ही माना जाता है अत: उसे पृथक न लिखकर एक साथ ही लिखा जाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(6) श्रुतिमूलक :

(क) श्रुतिमूलक ‘य’ ‘व’ का प्रयोग विकल्प से होता है, वहाँ न किया जाए अर्थात किए – किये, नई – नयी, हुआ-हुवा, आदि में पहले वाले सकारात्मक रूप को ही स्वीकारा जाना चाहिए। यह नियम विशेषण, क्रियाविशेषण अव्यय आदि के सभी रूपों और स्थितियों में लागू माना जाए। जैसे – दिखाए गए, राम के लिए, पुस्तक लिए हुए, नई दिल्ली आदि।

(ख) जहाँ ‘य’ श्रुतिमूलक शब्द का मूल रूप होता है वहाँ वैकल्पिक, श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती । यहाँ व्याकरण के अनुसार परिवर्तन नहीं होना चाहिए। जैसे – स्थायी, अव्ययी भाव, दायित्व आदि को स्थाई, अव्यई भाव, दाइत्व नहीं लिखा जा सकता।

(7) अनुस्वार या अनुनासिकता के चिह्न (चंद्र बिंदु)

अनुस्वार ()और अनुनासिकता चिह्न (*) दोनो प्रचलित रहेंगे।

(क) संयुक्त व्यंजन के लय में जहाँ पंचमाक्षर के बाद सवर्गीय शेष चार वर्ण में से कोई वर्ण हो तो एकरूपता और मुद्रण/ लेखन की सुविधा के लिए अनुस्वार का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – गंगा, चंचल, ठंडा, संपादक आदि में पंचमाक्षर के बाद स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(गड्गा, ठण्डा, सन्ध्या, सम्पादक, नहीं। यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए अथवा वहीं पंचमाक्षर दुबारा आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे – वाड्:मय, अन्न, सम्मेलन, सम्मति, सम्मान, चिन्मय, उन्मुख आदि। अत: वांमय, अंन, संमेलन, संमति, संमान, चिंमय आदि रूप ग्राह्य नहीं हैं। और स्पष्ट करने के लिए भिन्न रूप को देखें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 1

एक से चार वर्ण के साथ अनुस्वार (.) का प्रयोग होगा और पाँचवे वर्ण के अनुस्वार आनेपर आधे ड., म, ण, न, म का प्रयोग ( हलंत) होगा।

(ख) चंद्रबिंदु (*) के बिना प्राय: अर्थ से में संदेह की गुंजाइश रहती है। जैसे – हंस-हँस, अंगना-अंगना आदि में। इसलिए, ऐसे संदेह को दूर करने के लिए चंद्रबिंदु (*) का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

लेकिन जहाँ (विशेषकर शिरोरेखा के ऊपर जुड़ने वाली मात्रा के साथ) चंद्रबिंदु (*) के प्रयोग से छपाई आदि में बहुत कठिनाई हो और चंद्रबिंदु के स्थान पर बिंदु (अनुस्वार चिह्न) का प्रयोग किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न न करे, वहाँ उसका प्रयोग यथा स्थान अवश्य करना चाहिए।

इसी प्रकार छोटे बच्चों की प्रवेशिकाओं में जहाँ चंद्रबिंदु का उच्चारण दिखाना अभीष्ट हो, वहाँ उसका यथा स्थान प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – कहाँ, हँसना, अँगना, वहाँ, यहाँ, सँवरना, आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण काल परिवर्तन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

काल परिवर्तन के लिए सबसे पहले क्रिया का जानना अनिवार्य है।
क्रिया : वाक्य में जिस शब्द से किसी कार्य का करना या होना ज्ञात होता है। उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे : पढ़ना, लिखना, बोलना, कहना, सुनना, जानना आदि। क्रिया हमेशा काल से जुड़ी रहती है।
काल : काल क्रिया के उस रूपांतरण को कहते हैं जिससे कार्य का समय और उसके पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो।
जैसे : राम खाता है, राम जाएगा, मोहन ने किताब पढ़ा आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन 1

काल के भेद : क्रिया के मुख्यत: तीन काल है।

  • वर्तमान काल
  • भूतकाल
  • भविष्यत् काल

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

  1. सामान्य वर्तमान काल (Simple Present Tense)
  2. अपूर्ण वर्तमान काल (Present Continuous Tense)
  3. पूर्ण वर्तमान काल (Present Perfect Tense)
  4. सामान्य भूतकाल (Simple Past Tense)
  5. अपूर्ण भूतकाल (Past Continuous Tense)
  6. पूर्ण भूतकाल (Past Perfect Tense)
  7. सामान्य भविष्यत् काल (Simple Future Tense)

विशेष : हिंदी में अपूर्ण और पूर्ण भविष्यत् काल नहीं होता है।

(1) सामान्य वर्तमान काल : सामान्य वर्तमान काल उसे कहते हैं जिसमें क्रिया के होने का बोध होता है। सामान्य वर्तमान काल में कर्ता के लिए ‘ने’ विभक्ति नहीं लगती। क्रिया कर्ता के लिंग-वचन के अनुसार होती है। यदि क्रिया के अंत में ता / ती / ते + है / हैं / हो / हूँ लगा हो तो वह वाक्य सामान्य वर्तमान काल का होता है।
जैसे –

  • मोनिका विद्यालय जाती है।
  • मैं चलता हूँ।
  • तुम बहुत सोते हो।
  • बच्चे खेलते हैं।

कभी-कभी है / हैं / हो / हूँ अपने आप में क्रिया होते हैं जो सामान्य वर्तमान काल में होते हैं। जैसे –

  • वह मेधावी छात्र है।
  • वे राजनीतिज्ञ हैं।
  • तुम बहुत शरारती हो।
  • मैं मूर्ख नहीं हूँ।

(2) अपूर्ण वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से इस बात का बोध होता है कि कार्य वर्तमान में जारी है या हो रहा है वह अपूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं। जब क्रिया के साथ रहा / रही / रहे + है / हैं / हो / हूँ लगा हो तो वह वाक्य अपूर्ण वर्तमान काल का कहलाता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

जैसे –

  • भीड़ जमा हो रही है।
  • लोग मतदान कर रहे हैं।
  • माँ खाना पका रही है।
  • मैं शहर जा रहा हूँ।
  • तुम किसे डाँट रहे हो?

(3) पूर्ण वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में कार्य के पूर्ण होने का ज्ञान होता है वह वाक्य पूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं।
प्राय: सामान्य भूतकाल के वाक्य में आगे है / हैं / हो / हूँ लगाकर पूर्ण वर्तमान काल बनाते हैं। क्रिया के साथ चुका / चुकी / चुके या / यी / ये / + है / हैं / हो / हूँ लगाकर भी पूर्ण वर्तमान काल बनाते हैं।

जैसे –

  • यह गीत लताजी ने गाया है।
  • माँ तीर्थ यात्रा पर गई है।
  • महात्मा गाँधी जी असहयोग आंदोलन का मार्ग सिखा गए हैं।
  • मैं सबकुछ जान चुका हूँ।
  • तुम कहाँ से आए हो?
  • अब सबकुछ खत्म हो चुका है।
  • सभी सदस्य खाना खा चुके हैं।

(4) सामान्य भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने का बोध होता है वह सामान्य भूतकाल कहलाता है। इसमें प्राय: क्रिया का भूतकालिक रूप लगता है। लिंग, वचन के अनुसार क्रिया के मूल रूप में आ / ए / ई / ईं जोड़ने से सामान्य भूतकाल के रूप बनते हैं। जैसे – खाया, पढ़ा, सोया, विचारा, सोए, गाए, निकले, पूछे, नाची, चढ़ी, पाई, सोची आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदाहरणार्थ :

  • रमा कार्यालय गई।
  • बच्चे परीक्षा देने गए।
  • इतने प्रयास पर भी बात नहीं बनी।

विशेष: कभी-कभी था / थी / थे भी जब क्रिया का रूप लेते हैं तो वाक्य सामान्य भूतकाल में होता है।

  • रानी लक्ष्मीबाई बहुत महान थीं।
  • वह एक शरारती छात्र था।
  • जनक जी सीता के पिता थे।

(5) अपूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य भूतकाल में हो रहा था तो वह वाक्य अपूर्ण भूतकाल कहलाता है। इसमें प्राय: क्रिया के साथ रहा / रही / रहे + था / थी / थे लगाकर अपूर्ण भूतकाल बनाते हैं।
जैसे –

  • आजादी की लड़ाई चल रही थी।
  • सारे खिलाड़ी अच्छा खेल रहे थे।.
  • अरुण परीक्षा की तैयारी कर रहा था।

विशेष : यदि क्रिया के अंत में ता / ती / ते के साथ था / थी / थे लगा हो तो वाक्य अपूर्ण भूतकाल में होता है।
जैसे –

  • वह हमेशा पढता था।
  • उसे सबकी सेवा करनी पड़ती थी।
  • वे जंगल में घूमते थे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(6) पूर्ण भूतकाल : जिस वाक्य में क्रिया के बीते हुए समय में पूर्ण होने का आभास हो वह पूर्ण भूतकाल कहलाता है। सामान्य भूतकाल के आगे था / थी / थे लगाकर पूर्ण भूतकाल बनाते हैं। कभी-कभी क्रिया के साथ चुका / चुकी / चुके + या / ई / ए / या / + था / थी / थे लगाकर भी पूर्ण भूतकाल बनाते हैं।
जैसे –

  • मोहन पर्वतारोहण के लिए गया था।
  • माँ ने कई बार बेटे को समझाया था।
  • सारे छात्रों ने कहानी लिखी थी।
  • रमा खाना बना चुकी थी।
  • देव देश के लिए कई बार जेल जा चुका था।
  • पुलिस के जवान मोर्चे पर डॅट चुके थे।

(7) सामान्य भविष्यत्काल : इसमें क्रिया के भविष्य में होने का ज्ञान होता है। क्रिया के अंत में गा / गी / गे जोड़कर सामान्य भविष्यत काल बनाते हैं।
जैसे –

  • माँ तीर्थ यात्रा पर जाएगी।
  • वह खेल प्रतियोगिता में भाग लेगा।
  • इस खबर से सभी चौकन्ने हो जाएँगे।

विशेष : भविष्य में क्रिया की केवल सामान्य, संभाव्य तथा हेतु भविष्यत् अवस्थाएँ होती हैं। इसमें अपूर्ण और पूर्ण की बात नहीं होती है।

प्रश्न 1.
कोष्ठक की सूचना के अनुसार निम्न वाक्यों का काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठते हैं।

(2) दुकानदार ने रद्दी तौलकर किनारे रखी। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
दुकानदार रद्दी तौलकर किनारे रख रहा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(3) वे मुझे योगा के फायदे समझाते हैं। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
उन्होंने मुझे योगा के फायदे समझाए हैं।

(4) मैं मनोरंजन के लिए टी. वी. ऑन करता हूँ। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
मैंने मनोरंजन के लिए टी.वी. ऑन किया।

(5) चिल्ला-चिल्लाकर स्पीकर पर सूचना दी गई। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
चिल्ला-चिल्लाकर स्पीकर पर सूचना दी जा रही थी।

(6) वे सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को प्रमुखता देते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को प्रमुखता दी थी।

(7) वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वहाँ एक बड़े पेड़ की छाँह में वे वास करेंगे।

(8) तुमने यह कैसे जाना कि कोई वन है। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
तुम यह कैसे जानते हो कि कोई वन है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

(9) मछुवी रानी बनकर महल में घूम रही है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
मछुवी रानी बनकर महल में घूम रही थी।

(10) मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह गईं। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
मल्लिका देखेगी तो आँखें फटी रह जाएँगी।