Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest अपठित गद्यांश Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
साहब सन्नाटे में आ गए। फतहचंद की तरफ डर और क्रोध की दृष्टि से देखकर काँप उठे! फतहचंद के चेहरे पर पक्का इरादा झलक रहा था। साहब समझ गए, यह मनुष्य इस समयं मरने-मारने के लिए तैयार होकर आया है। ताकत में फतहचंद उनके पासंग भी नहीं था।

लेकिन यह निश्चय था कि वह ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, बल्कि लोहे से देने को तैयार है। यदि वह फतहचंद को बुरा-भला कहते हैं, तो क्या आश्चर्य है कि वह डंडा लेकर पिल पड़े। हाथापाई करने में यद्यपि उन्हें जीतने में जरा भी संदेह नहीं था; लेकिन बैठे-बिठाये डंडे खाना भी तो कोई बुद्धिमानी नहीं है।

कुत्ते को आप डंडे से मारिए, ठुकराइए, जो चाहे कीजिए, मगर उसी समय तक, जब तक वह गुर्राता नहीं। एक बार गुर्राकर दौड़ पड़े, तो फिर देखें, आपकी हिम्मत कहाँ जाती है? यही हाल उस वक्त साहब बहादुर का था। जब तक यकीन था कि फतहचंद घुड़की, घुरकी, हंटर, ठोकर सब कुछ खामोशी से सह लेगा, तब तक आप शेर थे; अब वह त्योरियाँ बदले, डंडा सँभाले, बिल्ली की तरह घात लगाए खड़ा है।

ज़बान से कोई कड़ा शब्द निकला और उसने डंडा चलाया। वह अधिक-से-अधिक उसे बर्खास्त कर सकते हैं। अगर मारते हैं, तो मार खाने का भी डर।

उसपर फौजदारी में मुकदमा दायर हो जाने का अंदेशा-माना कि वह अपने प्रभाव और ताकत से अंत में फतहचंद को जेल में डलवा देंगे; परंतु परेशानी और बदनामी से किसी तरह न बच सकते थे। एक बुद्धिमान और दूरंदेश आदमी की तरह उन्होंने यह कहा –

‘ओहो, हम समझ गया, आप हमसे नाराज हैं। हमने क्या आपको कुछ कहा है? आप क्यों हमसे नाराज हैं।’ फतहचंद ने तनकर कहा – ‘तुमने अभी आधा घंटा पहले मेरे कान पकड़े थे और मुझे सैकड़ों ऊलजलूल बातें कही थीं। क्या इतनी जल्दी भूल गए?’

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 2

प्रश्न 3.
चौखट में उत्तर लिखिए?
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 4
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 5

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 4.
(i) गद्यांश से शब्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए –
(1) ……………………………………
(2) ……………………………………
उत्तरः
(i) बुरा – भला
(ii) बैठे – बिठाए

(ii) लिंग परिवर्तन कीजिए –
(i) शेर – ……………………………………
(ii) नौकर – ……………………………………
उत्तरः
(i) शेर – शेरनी
(ii) नौकर – नौकरानी

प्रश्न 5.
‘ईंट का जवाब पत्थर से’ इस मुहावरे को चरितार्थ करता हुआ कोई प्रसंग 10-12 पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरः
‘ईंट का जवाब पत्थर से देना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है। जिसका अर्थ है कड़ा प्रतिरोध करना या मुँहतोड़ जवाब देना। दुष्ट लोगों के साथ दुष्टता से पेश आना। भारतीय सेना के जाबाज सिपाही सीमा पर अपने दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देकर उन्हें सबक सिखाते हैं। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी ऐसे प्रसंग देखने को मिलते हैं। एक बार सिग्नल पर एक बाइक पर सवार युवक साइकिल पर सँवार लड़की के साथ ऊलजलूल बातें कर रहा था।

लड़की उसकी गुस्ताखी के शालीनता से जवाब दे रही थी। इतने में सिग्नल हुआ और बाइक सँवार चल पड़ा। अब लड़की ने उसका पीछा किया और ऐसा सबक सिखाया कि वह जिंदगी में कभी किसी लड़की को नहीं छेड़ेगा। हाँ, लड़की के विरोध करने पर उसकी मदद के लिए अन्य लोग भी आए और अंत में पुलिस भी आई। लेकिन पहल लड़की ने की और बड़ी हिम्मत दिखाई। उस बाईक सँवार को उसने सड़क के किनारे रोककर दो तमाचे जड़ दिए।

भीड़ जमा हो गई और सब लड़की की ओर से होने के कारण लड़के को शर्मिंदा होना पड़ा। पुलिस ने उसपर एफआयआर कर दी और उसका लाईसेन्स ले लिया। जुर्माना भरना पड़ा, शर्मिंदगी उठानी पड़ी, ये हुई न ‘ईंट का जवाब पत्थर से’ वाली बात।

प्रश्न 6.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
उत्तरः
एक बार शरीर के अंगों में लड़ाई हो गई। इसका आरंभ पैरों ने किया। वे बोले: लड्डू लाना हो या पेड़ा, कचौरी लानी हो या आलू की टिकिया, हमें ही दौड़ना पड़ता है, पर चीज़ लेते ही हाथ उसे थाम लेते हैं, मुँह चट कर जाता है, आँखें देखती हैं, पेट खा जाता है, नाक सूंघती है, हमें क्या मिलता है- हम क्यों बेगार करें! आज से हम नहीं चलेंगे, तो खाते हैं, लेते हैं, वे ही जाएँ, वे ही दौडें।

बस, पैरों की देखा-देखी औरों को भी सूझी। हाथों ने कहा: तुम चलकर जाते हो तो क्या, ढोकर तो हमीं लाते हैं, पर हमें क्या मिलता है, यह अकेला मुँह सब कुछ चट कर जाता है। उन्होंने भी अपना काम छोड़ दिया और इस तरह एक के बाद एक सभी ने छुट्टी की, पर पेट खाली रहा तो शाम को ही सब पर सुती की छाया पड़ी। दूसरे दिन बेचैनी हुई और तीसरे दिन तो सबके सब दम ही तोड़ने लगे।

हँसकर पेट ने कहा: क्यों भाई, कुछ आया मज़ा? तुम समझते थे कि सब कुछ मैं अकेला ही अपने थैले में रख लेता हूँ। अरे भोले भाइयो, यह तो सहकार की बात है। तुम सब अपना काम करके मुझ तक कुछ पहुँचाते हो और मैं अपना काम करके तुम तक कुछ पहुँचाता हूँ और यों हम सब एक-दूसरे को जीवित रखते हैं।

इसी का नाम सहकार भावना है। अंगों ने समझा और उठकर अपने-अपने काम में लगे। बस, जो हाल शरीर का है, वही समाज का है। यहाँ भी सब अपना-अपना काम करते हैं, तो समाज ठीक चलता है। नहीं तो समाज के संगठन में शिथिलता आ जाती है। अब यह बात साफ़ है कि जिसमें सहकारभावना नहीं है, वह समाज का शत्रु है और उसे समाज से जीवनशक्ति ग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 7.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 6
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 7

(i) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) अरे भोले भाइयो, …………………………………..
(अ) यह तो परोपकार की बात है।
(ब) यह तो सहकार की बात है।
(क) यह तो समझदारी की बात है।
उत्तर :
अरे भोले भाइयो, यह तो सहकार की बात हैं।

(2) जिसमें सहकार भावना नहीं है, वह …………………………………..
(अ) समाज का प्रतिनिधि है।
(ब) समाज का काँटा है।
(क) समाज का शत्रु है।
उत्तर :
जिसमें सहकार भावना नहीं है, वह समाज का शत्रु है।

(ii) उत्तर लिखिए
पेट के खाली रहने के परिणाम
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 8
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 9

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 8.
(i) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए –
(1) सुस्ती x
(2) सहकार x
उत्तरः
(1) सुस्ती x फुर्ती
(2) सहकार x असहकार

(ii) शरीर के अंगों पर गढ़े मुहावरे लिखिए –
जैसे : पाँव – उलटे पाँव लौटना वैसे
(1) मुँह ……………………………
(2) नाक ……………………………
उत्तरः
(1) मुँह – मुँह की खाना।
(2) नाक – नाक पर मक्खी भी बैठने न देना।

प्रश्न 9.
घर में माँ छुट्टी पर चली गई तो होने वाले परिणाम 10 से 12 वाक्यों में लिखिए
उत्तरः
परिच्छेद में जो हाल सभी अवयवों का हुआ था वैसा ही कुछ मन में आ रहा है। माँ ने अगर घर में ध्यान देना बंद कर दिया तो वक्त पर कुछ भी नहीं हो पाएगा। परिवार की रेलगाड़ी ही पटरी से उतर जाएगी। घर में हाहाकार मच जाएगा। सुबह जगाने से लेकर रात सोने तक हमारी चिंता कौन करेगा?

हम सब का भोजन आदि का बंदोबस्त तो होटल से हो पाएगा और एकाध दिन मजा भी आएगा। लेकिन रोज-रोज न स्वास्थ्य के लिए और न जेब के लिए अच्छा रहेगा। माँ के बनाए भोजन में उसका प्यार जो मिला होता है वह होटल के भोजन में कहाँ से मिलेगा?

हमारी बीमारी में सबसे अधिक चिंता वहीं करती है। अब वह छुट्टी पर चली गई तो हम तो उसके बिना बीमार हो जाएँगे और हमारी देखभाल करने वाली, हमें चैन की नींद मिले इसलिए स्वयं जागने वाली नर्स तो मिलने से रही।

हमें स्कूल कॉलेजों में, पिताजी को दफ्तर में कम-से-कम इतवार की छुटटी तो मिलती ही है लेकिन माँ सप्ताह के सभी दिन और जरूरत पड़ने पर दिन के 24 घंटे हमारी सेवा शुश्रूषा में लगी रहती है। हम सब इस बात के इतने आदी हो गए हैं कि हम नहीं सह पाएँगे माँ की छुट्टी।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 10.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
तुलसी : फर्माइए

प्राण : (नपी-तुली आवाज में) आप फर्माइए।

तुलसी : जी साब तो…..
प्राण : साहब की ऐसी-तैसी। तुम रास्ते से हट जाओ-आदमी हो या चीन दीवार? (भीतर आकर) क्यों जनाब, यह क्या बदतमीजी है कि कोई दस मील पैदल चलकर हुजूर के दर्शन करने आए और आगे से जवाब मिलता है, (मुँह बनाकर) फर्माइए।

पति : ओह, नहीं-नहीं। आओ-आओ, कहाँ से आ रहे हो?

प्राण : जहन्नुम से- नमस्ते भाभी! (हाथ जोड़ता है और मोढ़ा सरकाकर सोफे के करीब बैठता है। पति-पत्नी भी सोफे पर बैठ जाते हैं।)

प्राण : क्या मैं पूछ सकता हूँ कि हुजूर कल पिकनिक में क्यों तशरीफ नहीं लाए?

पति : अरे क्या बताऊँ भाई, बस यों ही- कुछ देर हो गई- मैंने सोचा….

प्राण : भाभी! मैं तुम्हें बताए देता हूँ कि इन महानुभाव को, जिन्हें तुम्हारा पति होने का सौभाग्य प्राप्त है, बड़ी मजबूत नकेल की जरूरत है।

पति : अरे यार, मजाक छोड़ो। यह बताओ, कहाँ से आ रहे हो इस वक्त?

प्राण : कहाँ से आ रहा हूँ। कमाल है? तो क्या जनाब समझते हैं, मैं आपकी तरह किसी क्लब, किसी होटल, किसा बालरूम या रेसकोर्स से आ रहा हूँ। ये सब गुलछर्रे आप ही को मुबारक हों। शरीफ आदमी हूँ, शरीफों की तरह सीधा दफ्तर से आ रहा हूँ।

पति : अरे, मैं तो इसीलिए पूछ रहा था कि….. खैर, कुछ चाय-वाय पियोगे?

पत्नी : जी हाँ, चाय पीजिएगा?

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 11.
संजाल पूर्ण कीजिए
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 10
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 11

प्रश्न 12.
(i) कारण लिखिए
(1) प्राणनाथ को नौकर बदतमीज लगा।

(2) प्राणनाथ ने मित्र की पत्नी को सलाह दी कि उसके पति को मजबूत नकेल की जरूरत है।
उत्तरः
(1) क्योंकि प्राणनाथ लंबी दूरी पैदल चलकर अपने मित्र को देखने आए थे और नौकर ने दरवाजे पर उनसे पूछा था फर्माइए।
(2) क्योंकि उनका मित्र पिकनिक में नहीं आया था और न आने का उचित कारण भी नहीं बता सका।

(ii) परिच्छेद के आधार पर दो ऐसे प्रश्न बनाइए जिनके उत्तर निम्न शब्द हो –
(1) दर्शन
(2) मजाक
उत्तरः
(1) दर्शन – प्राणनाथ पैदल चलकर क्यों आए थे?
(2) मजाक – प्राणनाथ को क्या छोड़ने को कहा?

प्रश्न 13.
(i) परिच्छेद से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए :
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
उत्तरः
(1) बदतमीजी
(2) सौभाग्य

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए
(1) ऊँट, बैल आदि की नाक में बँधी हुई रस्सी –
(2) कोई बड़ा आदरणीय व्यक्ति –
उत्तरः
(1) ऊँट, बैल आदि की नाक में बँधी हुई रस्सी – नकेल
(2) कोई बड़ा आदरणीय व्यक्ति – महानुभाव

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 14.
‘अतिथि देवो भव’ भारतीय संस्कृति है, इसे १० – १२ पंक्तियों में स्पष्ट कीजिए :
उत्तरः
भारतीय संस्कृति की कई विशेषताएँ हैं। “अतिथि देवो भव'” भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है। जब अतिथि को देवता ही मान लिया तो उसके लिए बड़े से बड़ी कुर्बानी भी देने को तैयार हो जाते हैं हम। पुराणों में इसके कई उदाहरण मिलते हैं।

राजा मयुरध्वज अतिथि के स्वागत के लिए खुद को आरे से चिरवाने को भी तैयार हो गए थे। यही परंपरा हम आज भी निभाते हैं। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हए भी हम अतिथि का स्वागत करते हैं।

अतिथि सत्कार के संस्कार हम भूल नहीं सकते। अपनी इच्छाओं का समर्पण करने के लिए हम सदैव तैयार रहते हैं। यह हमारा अतिथि प्रेम ही हैं।

आज इस परंपरा में कमी जरूर आई हैं। क्योंकि पहले अतिथि छठे -छमासे आते थे। समय,धन और जगह की कमी नहीं थी और मनोरंजन के साधन भी सुलभ नहीं थे। उस समय अतिथि के पधारने पर मन आनंदित हो उठता था। आज की महानगरीय सभ्यता में समय, स्थान और धन का अभाव है।

ऐसे में अतिथि पधारने पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। फिर भी हम अतिथि का सत्कार करते ही हैं। अपनी संस्कृति को भूल नहीं सकते। और हमें भी तो कभी किसी का अतिथि बनना पड़ता हैं।

प्रश्न 15.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
छोटे गोल मुख की तुलना में कुछ अधिक चौड़ा लगनेवाला, पर दो काली रूखी लटों से सीमित ललाट, बचपन और प्रौढ़ता को एक साथ अपने भीतर बंद कर लेने का प्रयास-सा करती हुई, लंबी बरौनियोंवाली भारी पलकें और उनकी छाया में डबडबाती हुई-सी आँखें, उस छोटे मुख के लिए भी कुछ छोटी सीधी-सी नाक और मानो अपने ऊपर छुपी हुई हँसी से विस्मित होकर कुछ खुले रहनेवाले होंठ समय के प्रवाह से फीके भर हो सके हैं, धुल नहीं सके।

घर के सब उजले-मैले, सहज-कठिन कामों के कारण, मलिन रेखाजाल से गुंथी और अपनी शेष लाली को कहीं छिपा रखने का प्रयत्न-सा करती हुई कहीं कोमल, कहीं कठोर हथेलियाँ, काली रेखाओं में जड़े कांतिहीन नखों से कुछ भारी जान पड़ने वाली पतली ऊंगलियाँ, हाथों का बोझ सँभालने में भी असमर्थ-सी दुर्बल, रूखी पर गौर बाँहें और मारवाड़ी लहँगे के भारी घेर से थकित-से, एक सहज-सुकुमारता का आभास देते हुए, कुछ लंबी उँगलियों वाले दो छोटे-छोटे पैर, जिनकी एड़ियों में आँगन की मिट्टी की रेखा मटमैले महावर-सी लगती थी, भुलाए भी कैसे जा सकते हैं!

उन हाथों ने बचपन में न जाने कितनी बार मेरे उलझे बाल सुलझाकर बड़ी कोमलता से बाँध दिए थे। वे पैर न जाने कितनी बार, अपनी सीखी हुई गंभीरता भूलकर मेरे लिए द्वार खोलने, आँगन में एक ओर से दूसरी ओर दौड़े थे। किस तरह मेरी अबोध अष्टवर्षीय बुद्धि ने उससे भाभी का संबंध जोड़ लिया था, यह अब बताना कठिन है।

मेरी अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं; कदाचित् उन्हीं की चर्चा सुन-सुनकर मेरे मन ने, जिसने अपनी तो क्या दूर के संबंध की भी कोई भाभी न देखी थी, एक ऐसे अभाव की सृष्टि कर ली, जिसको वह मारवाड़ी विधवा वधू दूर कर सकी।

बचपन का वह मिशन स्कूल मुझे अब तब स्मरण है, जहाँ प्रार्थना और पाठ्यक्रम की एकरसता से मैं इतनी रुआँसी हो जाती थी कि प्रतिदिन घर लौटकर नींद से बेसुध होने तक सबेरे स्कूल न जाने का बहाना सोचने से ही अवकाश न मिलता था।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 16.
चौखट पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 12
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 13

प्रश्न 17.
(i) कारण लिखिए –
(1) भाभी की हथेलियाँ मलिन रेखाओं से गुंथी कठोर हो गई थी।
(2) लेखिका स्कूल न जाने का बहाना सोचती रहती थी।
उत्तरः
(1) क्योंकि घर के सब उजले – मैले, सहज – कठिन काम भाभी को ही करने पड़ते थे।
(2) क्योंकि मिशन स्कूल में प्रार्थना और पाठ्यक्रम की एकरसता उन्हें अच्छी नहीं लगती थी।

(ii) निम्नलिखित विधान सही है या गलत लिखिए –
(1) भाभी ने लेखिका के उलझे बाल सुलझाकर कसकर बाँध दिए थे।
(2) लेखिका की अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं।
उत्तरः
(1) भाभी ने लेखिका के उलझे बाल सुलझाकर कसकर बाँध दिए थे। – गलत
(2) लेखिका की अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं। – सही

प्रश्न 18.
(i) परिच्छेद से विलोम शब्द की जोड़ियाँ ढूँढ़कर लिखिए –
जैसे – कोमल x कठोर
वैसे – (1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तरः
(1) बचपन x प्रौढ़ता
(2) उजले x मैले
(3) सहज x कठिन
(4) उलझे x सुलझे

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

(ii) ‘आभास’ शब्द से नए अर्थपूर्ण शब्द बनाइए।
(1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तरः
(1) आस
(2) भास
(3) आभा
(4) सभा

प्रश्न 19.
‘विधवा समाज और परिवार से प्रताड़ित जीवन जीने पर मजबूर होती है इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
हमारे समाज में सामाजिक रूढियों एवं परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ी विधवाओं की स्थिति बड़ी दयनीय है। विधवा होते ही उन पर तमाम बंदिशे लग जाती हैं। न तो वह कहीं आ जा सकती हैं न मन माफिक खा और पहन सकती है। परिवार और समाज से प्रताड़ित विधवा का जीवन घोर निराशता से भर जाता है। रंगीन वस्त्र पहनना वर्जित हो जाता है और सफेद लिबास में लिपटी रहना उसकी नियती।

दूसरा विवाह कर सुनहरे भविष्य की आशा से भी उसे वंचित कर दिया जाता है। बिना रोशनदान, बिना झरोखा, बिना नौकर चाकर और बिना पशु पक्षियों वाले अँधेरे घर में घुट – घुटकर जीने को उसे विवश किया जाता है। समाज विधवा पर संयम और अनुशासन से रहने की बंदिशें तो लगाता है पर उसके आहार – विहार, मनोरंजन एवं स्वास्थ के प्रति कठोर और उदासीन रहता है।

पति के जीवित रहते जो घर की स्वामिनी थी ,मृत्यु के बाद उसे दासी समझा जाने लगता है। बाल विधवा के साथ तो समाज और क्रूरता का व्यवहार करता है। छोटी छोटी भूलों पर उसे मारा-पिटा और दागा जाता है । उसे पशु से भी बदतर जीवन जीने को विवश किया जाता है।

समाज की घिनौनी पाशविक प्रवृत्ति के चलते बाल-विधवा को छोटी उम्र में ही प्रौढ़ और वृद्ध बनने पर मजबूर कर दिया जाता है। इस तरह विधवाओं को समाज की संकीर्ण और विकृत मानसिकता का शिकार होना पडता है।

प्रश्न 20.
परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
सन 1947 में भारत आजाद हुआ। वास्तव में व्यापार और उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं, परंतु … समाजवादी समाज रचना का लक्ष्य होने से सरकार ने इनके विकास की ओर ध्यान नहीं दिया। मुक्त और उदार अर्थव्यवस्था से … ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है- इस बात को समझने में हमारे नेताओं को चौंतीस वर्ष लगे।

शंतनुराव जी आरंभ से ही इस नीति के समर्थक थे। उनके विचारों के अनुसार ‘सादा रहन-सहन’ ही बेरोजगारी की जड़ है। रोजगारी से निर्माण हुई वस्तुओं का प्रयोग किए बिना रोजगारी कैसे चलेगी? यदि कोई शानदार बंगला, श्रेष्ठ संगीत, बढ़िया कपड़ा या साड़ी इस्तेमाल ही न करे, तो देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी। इनको रोकने के लिए हर एक को अपनी जरूरतें बढ़ानी होंगी।

उद्यमकर्ता कामगारों का शोषण नहीं करता, उल्टे-उन्हें काम देकर गरीबी की खाई से बाहर निकालता है।

आधुनिक जेटयुग के इस महापुरुष ने किर्लोस्कर ब्रदर्स कंपनी के अंतर्गत विभिन्न उत्पादन, व्यवसाय करने वाली लगभग चालीस कंपनियाँ खोलकर उसे किर्लोस्कर उद्योग समूह में परिवर्तित किया। वे कहा करते, “जो भी काम करो, बढ़िया ढंग से करो और उसमें सफलता पाने के लिए मुसीबतों की परवाह न करते हुए, अंत तक मन को थकने न दो।”

आपने इंजीनियरी क्षेत्र के अलावा होटल, परामर्शसेवा (कन्सलटन्सी), संगणक, लीजिंग तथा फाइनान्स आदि क्षेत्रो में भी भरसक योगदान दिया।

आपको 1965 में पद्मश्री, सन 1984 में ‘मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स’ की मानद सदस्यता और सन 1988 में पुणे विश्वविद्यालय की डी. लिट. उपाधि से सम्मानित किया गया। इनके अलावा इंजीनियरी क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के उपलक्ष्य में उन्हें विभिन्न पुरस्कार मिले। औद्योगिक क्षेत्र में उनका जो महत्त्वपूर्ण अंशदान रहा, उसी के कारण आपको औद्योगिक क्षेत्र के भीष्माचार्य’ कहा जाता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 21.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 14
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 15

प्रश्न 2.
(i) कारण लिखिए –
(1) सादा रहन-सहन ही बेरोजगारी की जड़ है।
(2) शंतनुराव को औद्योगिक क्षेत्र के भीष्माचार्य कहा जाता है।
उत्तरः
(1) क्योंकि शानदार बंगला, श्रेष्ठ संगीत, बढ़िया कपडे इस्तेमाल ही न करेंगे तो देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी।
(2) क्योंकि उनका औद्योगिक क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है।

(ii) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) व्यापार और उद्योग …………………………… की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। (व्यक्ति / देश / समाज)
(2) मुक्त और उदार …………………………… से ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है। (अर्थव्यवस्था / नीति संस्कार)
उत्तरः
(1) व्यापार और उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी के समान होते है।
(2) मुक्त और उदार अर्थव्यवस्था से ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है।

प्रश्न 3.
(i) अंग्रेजी शब्दों के हिंदी अर्थ लिखिए :
(1) फाइनान्स – ……………………………
(2) कॉमर्स – ……………………………
(3) इंजीनियरी – ……………………………
(4) चेंबर – ……………………………
उत्तरः
(1) फायनान्स – वित्त
(2) कॉमर्स – वाणिज्य
(3) इंजीनियरी – तकनिकी
(4) चेंबर- कक्ष

(ii) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए :
(1) आजाद x ……………………………
(2) समर्थक x ……………………………
(3) पुरस्कार x ……………………………
(4) सम्मानित x ……………………………
उत्तरः
(1) आजाद x गुलाम
(2) समर्थक x विरोधक
(3) पुरस्कार x दंड
(4) सम्मानित x अपमानित

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 4.
सफल उद्योजक के गुण 10-12 वाक्यों में लिखिए।
उत्तरः
सफल उद्योजक बनने के लिए चुनौतियों से भरी राह पर निरंतर गतिशील रहते हुए आगे बढना होगा। उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है कच्चा माल, मशीनें और कर्मचारी जो प्रशिक्षित हो। इन तीनों के अभाव में उत्पादन संभव नहीं। ये तीनों हैं और उत्पादन भी अच्छी तरह से हो गया तो उत्पादन को बेचने के लिए बाजार भी चाहिए। उद्योजक को चाहिए कि वह अपने उत्पादन का स्तर हर हाल में उच्च कोटी का रखे, जो भी उत्पादन हो वह बढ़िया से बढ़िया हो।

हर समस्या को बारिकी से जानने समझने की जिज्ञासा उसमें हो, कठिनाइयों से जूझने की दृढ़ता उसमें हो। जोखिम स्वीकारने के लिए वह सदैव तत्पर रहे। वह दूरदर्शी होना चाहिए, अगले 50-100 वर्षों का अनुमान लगाने की क्षमता उसमें हो। उसका दृष्टिकोण व्यावहारिक हो।

अपने कर्मचारियों के प्रति विश्वास और स्वयं पर भरोसा होना चाहिए। बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिकने के लिए अनगिनत कष्ट उठाने की उसकी तैयारी होनी चाहिए। वह पहले दर्जे का संयोजक एवं प्रबंधक होना चाहिए और सबसे महत्त्वपूर्ण बात वह महत्त्वाकांक्षी होना चाहिए। इतने सारे गुण जिस उद्योजक के पास है वह नाम और शोहरत कमाएगा और सफलता की चोटी पर पहुँचेगा।

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati निबंध लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest निबंध लेखन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati निबंध लेखन

1. अबला! नव्हे सबला!

समाजात पुरुष व महिला यांची निर्मिती निसर्गानेच केली. केवळ मानवी समाजातच नव्हे तर सर्व पशू व पक्ष्यांच्या अनेक जातींमध्येही ती व्यवस्था आहे. निसर्गनियमाप्रमाणे दोघेही समान हवेत. पण प्रत्यक्षात निसर्गाने मादीवर, स्त्रीवर पुनरुत्पत्तीची महत्त्वाची जबाबदारी सोपवली. असे असल्यामुळे खरे तर तिचे स्थान अधिक महत्त्वाचे हवे, पण प्रत्यक्षात जगातील विविध खंड, देश, प्रांत, धर्म, जाती, वर्ण या सर्व व्यवस्थांमध्ये महिलेचे स्थान बहुधा दुय्यम राहिले.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

खरे तर या शतकभरात सर्वच क्षेत्रांत स्त्रियांनी उत्तुंग झेप घेतली आहे. अगदी खास पुरुषांसाठी राखीव असलेल्या क्षेत्रांतही आपल्या बुद्धीच्या जोरावर त्या शिरल्या आहेत. अन्यायाला प्रतिकार करण्याचे सामर्थ्य तिला प्राप्त होत आहे. लोकसंख्याशिक्षणाच्या प्रसारामुळे कुटुंब मर्यादित राखण्याची वृत्ती बळावत आहे. त्यामुळे स्त्रीवरील कौटुंबिक कामाचा ताण कमी होत आहे. विज्ञानजनित साधनांच्या वापरामुळे हा दैनंदिन कामाचा ताण सुसह्य होतो आहे. प्रसारमाध्यमांद्वारे ज्ञानविज्ञानात स्त्रीची गती वाढत आहे. अनेक क्षेत्रांत स्त्री-प्रतिमा उजळून निघाली आहे.

आजच्या स्त्रीमध्ये आत्मविश्वास, धडाडी आहे. तिच्या कर्तृत्वाची क्षितिजे विस्तारलेली आहेत. जीवनातील प्रत्येक संधी टिपण्यास ती उत्सुक असते. अतिशय हुशार आणि हिशेबी अशी आजच्या स्त्रियांची ओळख आहे. आजच्या स्पर्धेत त्या संसार, नोकरी आणि करिअर अशा तिन्ही क्षेत्रांमध्ये आघाडीवर आहेत. मागील पिढीच्या तुलनेत प्रचंड महत्त्वाकांक्षी असलेल्या आजच्या मुली जीवनाचा सर्वार्थाने आस्वाद घेण्यास उत्सुक असतात.

या मुलींमध्ये लोकसेवेची जाण अधिक आहे. म्हणूनच मेधा पाटकर, किरण बेदी, मंदा आमटे, राणी बंग या सामाजिक क्षेत्रांत झोकून देणाऱ्या महिलांचे कर्तृत्व ठळकपणे जाणवते. आपल्यावर अन्याय झाल्यानंतर घर सोडून हजारो अनाथ मुलांची आई होणाऱ्या सिंधुताई सपकाळ यांना अबला कोण म्हणेल?

अशक्यप्राय गोष्टीही प्रतिकूल परिस्थितीत जिद्द आणि प्रामाणिक प्रयत्नांनी करता येऊ शकतात. हे आजच्या स्त्रीने सिद्ध करून दाखविले आहे. मग ती शिखरे सर करणारी कृष्णा पाटील असो किंवा दोन्ही ध्रुवांवर पॅराजंपिग करणारी शीतल महाजन असो.

प्रस्थापित राजकारणाच्या चौकटीतही स्त्रियांचा सहभाग वाढतच आहे. राष्ट्रपती या सर्वोच्च घटनापदी प्रतिभा पाटील आहेत. तर लोकसभेत विरोधी पक्षनेत्या सुषमा स्वराज आहेत. लोकसभेचे अध्यक्षपदही मीराकुमारीच भूषवित आहेत. पंतप्रधानपदी श्रीमती इंदिरा गांधी यांनी गाजवलेल्या कर्तृत्वाची आठवण आजही समाज काढत आहे. राजकारणात स्त्रियांसाठी ५० टक्के जागा राखीव ठेवल्या आहेत. आजच्या स्त्रीने घर आणि काम दोन्ही गोष्टी नजाकतीने पेलायची शक्ती आणलीय.

अर्थार्जनाच्या क्षेत्रात स्त्री रुळू लागली आहे. पाळण्याची दोरी हाती धरणाऱ्या स्त्रीच्या अंगी जगाचा उद्धार करण्याचे सामर्थ्य आले आहे. भारतासह इंग्लंड, कॅनडा, आखाती देश, हाँगकाँग, सिंगापूर या देशांमधल्या आर्थिक बाजारातले आय. सी. आय. सी. आय. बँकचे सर्व प्रकारचे व्यवहार हाताळणारी शिल्पा शिरगावकर असो किंवा वैमानिक सौदामिनी देशमुख असो किंवा मोटारवुमन सुरेखा नाहीतर अंतराळवीर कल्पना चावला असो.

या साऱ्याजणी आता अबला नव्हे सबला असल्याचे दाखवून देत आहेत. आजची स्त्री वाऱ्याच्या वेगाने, कात टाकून सर्वार्थाने नव्या जगण्याकडे निघाली आहे.

2. माझा आवडता संत

महाराष्ट्र ही संतांची पावन-भूमी आहे. अनंत काळापासून या संतांनी समाजाला सन्मार्ग आणि सत्कर्माची दिशा दाखवली आहे. अज्ञानाच्या अंधारातून ज्ञानाच्या प्रकाशाकडे वाटचाल करण्यासाठी योग्य मार्गदर्शन करण्याचे महान कार्य या संत-महंतांनी केले आहे. संत कबीर, संत तुलसीदास, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत नामदेव, संत रामदास, संत तुकडोजी महाराज, संत गाडगेबाबा अशा असंख्य संतांनी या भूमीची माती पवित्र केली. या असंख्य संतांपैकी माझा आवडता संत म्हणजे ज्ञानियाचा राजा – संत ज्ञानेश्वर.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

१२७५ मध्ये संत ज्ञानदेवांचा जन्म झाला. महाराष्ट्रात ज्ञानाचा उदय झाला. विठ्ठलपंत आणि रुक्मिणी यांच्या पोटी या रत्नाने जन्म घेतला. . निवत्ती, ज्ञानदेव, सोपान आणि मक्ताबाई या चार भावंडांना त्या काळातील समाजाकडून त्रास सहन करावा लागला. समाजाने उपेक्षा केली तरी जन्मजात विद्वान आणि ज्ञानी असणाऱ्या संत ज्ञानदेवांची प्रतिभा बहरू लागली. बालपणातच ते विठ्ठल भक्तीत रमून गेले. वारकरी पंथाचे (संप्रदाय) त्यांनी पुनरुज्जीवन केले. म्हणूनच ‘ज्ञानदेवे रचिला पाया’ असे म्हटले जाते. महाराष्ट्रातील असंख्य भाविकांची माऊली म्हणजे संत ज्ञानेश्वर.

संत ज्ञानदेव योगी, तत्त्वज्ञ, आणि प्रतिभासंपन्न कवी होते. साऱ्या जगाला तत्त्वज्ञान आणि काव्य यांचे सुंदर दर्शन घडविणारा ‘ज्ञानेश्वरी’ हा ग्रंथ त्यांनी लिहिला. ‘अमृतानुभव’, ‘चांगदेव पासष्टी’, ‘हरिपाठाचे व इतर अभंग’ ही त्यांची साहित्यसंपदा. सुंदर कल्पना, आलंकारिक पण ओघवती व प्रासादिक भाषा हे त्यांच्या लेखनाचे विशेष होते. संत ज्ञानेश्वरांनी समाजजागृती केली. अथक परिश्रम केल्यानंतर ते अवघ्या महाराष्ट्राचे ‘ज्ञानमाऊली’ झाले.

संत ज्ञानदेवांनी पसायदान मागितले.
दुरितांचे तिमिर जावो, विश्व स्वधर्मेसूर्ये पाहो।
जो जे वांच्छिल तो ते लाहो प्राणिजात।।

‘या जगातून दुष्कर्माचा अंधार नाहीसा होवो, ज्याला जे जे हवे ते ते मिळो’ अशी विश्वकल्याणाची प्रार्थना त्यांनी केली.

ही प्रार्थना सगळ्या जगासाठी आहे. चराचरासाठी आहे. ‘भूतां परस्परें जडो मैत्र जीवांचे’ ही तळमळ त्यामागे आहे. ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ ही अवघे विश्व कवटाळणारी कल्पना संत ज्ञानेश्वरांनी तेराव्या शतकात केली होती.

‘ज्ञानेश्वर माऊली, ज्ञानराज माऊली तुकाराम’ अशा जयघोषामध्ये आज संपूर्ण महाराष्ट्रात वारकरी तल्लीन होऊन जातात. घराघरात संत ज्ञानेश्वरांचे अभंग गायले जातात. महाराष्ट्रातील सामान्य जनतेच्या हृदयात अढळ स्थान प्राप्त करणाऱ्या ज्ञानेश्वरांनी वयाच्या २१व्या वर्षी आळंदी येथे संजीवन समाधी घेतली. असा हा माझा आगळा-वेगळा आवडता संत तुम्हा सर्वांनाही आवडेलच.

3. नाट्यशिबिरातील आनंददायी क्षण

उन्हाळ्याची सुट्टी लागली होती. यावर्षी कुठेही बाहेर फिरायला जायचे नव्हते. दहावीचा क्लास सुरू होणार होता. त्यामुळे वाचन, अभ्यास यात दोन महिने जाणार होते. पण त्या व्यतिरिक्त काहीतरी आपण वेगळं शिकायला हवे असे मला सतत वाटायचे. योगा, पोहणे वा नाटक असं काहीतरी. पण ही संधी अगदी घरी चालून आल्यासारखी झाली. आमच्या कॉलनीतील हॉलमध्ये ८ दिवसांचे एक नाट्यशिबिर आयोजित करण्यात आले होते.

सकाळी ८ ते १० वेळ असल्यामुळे माझ्या अभ्यासाचा खोळंबा होणार नव्हता. त्यामुळे मी लगेचच या शिबिरासाठी प्रवेश घेतला.

चार दिवसांनी शिबिर सुरू झाले. अगदी पहिल्याच दिवशी आमच्या ताईंनी आम्हा सर्वांची ओळख करून घेतली. शिबिरासाठी विविध वयाची साधारण ३०-३५ मुले मुली आम्ही होतो. ताईने नाटक म्हणजे काय? नाटकं करणं म्हणजे काय, अभिनय म्हणजे काय या गोष्टी अगदी गप्पा गोष्टी करत समजावून सांगितल्या. दुसऱ्या दिवसापासून तिने पॅक्टिकली या गोष्टी समजावून सांगणार असे सांगितले आणि तिने पुस्तकातील एक नाट्यउतारा पाठ करून यायला सांगितले होते.

दुसऱ्या दिवशी ताईसोबत दोन दादाही आले होते. आमचे ५ ग्रुप करण्यात आले आणि ताईने आम्हाला बोलण्याचे काही खेळ शिकविले. केवळ ‘ळ’, ‘क’, ‘च’, ‘ठ’ या अक्षरांचा वापर करून त्याच्या गमतीजमती शिकता शिकता हसून हसून पुरेवाट लागली. या शाब्दिक खेळानंतर आम्हाला ताईने आरोह-अवरोह शिकवले. वाक्यातील कोणत्या शब्दावर जोर दिला की वाक्याचा कसा अर्थ बदलतो याचे प्रात्यक्षिक तिने आमच्याकडून करून घेतले.

हे करत असताना श्वासाचा कसा वापर करायचा हे तिने समजावून सांगितले. तिने एकाग्रतेसाठी श्वास रोखणे, जप करणे, योगा करणे किती महत्त्वाचे आहे हे तिच्या बोलण्यातून जाणवले.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

या शिबिरात केवळ नाटकाचे संवादच नाही तर कवितेचेही अभिवाचन कसे करावे, कथा कशी वाचावी याचे मार्गदर्शन केले. मी नेहमी एकसूरी वाचणारी होते पण ताईदादांनी सांगितल्याप्रमाणे मी प्रकट वाचन करू लागले आणि माझ्या वाचनात कमालीचा बदल झाला. अभिनय करताना कसे उभे रहावे, कोणता कोन ठेवावा, प्रेक्षकांकडे दृष्टी कशी ठेवावी, केवळ आवाजावर भर न देता, चेहऱ्यावरील हावभाव, आवाजातील कंपनं, हंकार, श्वास यांचा मार्मिक वापरही आवश्यक असतो हे शिकायला मिळाले. केवळ कुणाचे तरी अनुकरण न करता त्यात आपली काही वैशिष्ट्ये घालून तो अभिनय परिपूर्ण करता येऊ शकतो.

आमच्या ५ ग्रुपला ताईने वेगवेगळे विषय दिले आणि त्यावर आम्हांला एक नाटुकलं लिहायला सांगितले. कोणत्याही विषयाकडे पाहताना तो विषय किती सखोल विचार करून लिहिता येतो ते दादांनी शिकविले. संवाद लिहिताना पल्लेदार व विशेषणांनी युक्त वाक्य लिहिण्यापेक्षा साध्या वाक्यरचनेतही संवाद लिहिता येतो याची जाणीव झाली. त्यात आणखी एक नवउपक्रम हाती घेतला तो म्हणजे चित्र काढण्याचा, त्या क्षणी जे मनात आहे ते उतरवणं काम होते पण त्यामधून प्रत्येकाच्या मनात धावणाऱ्या विविध भावभावनांचा वेध कसा घेता येतो याची परिपक्वता आली.

या सगळ्याबरोबर काही खेळही आम्ही खेळलो. ज्यात सतत आव्हाने होती. जीवनातही अनेक आव्हाने पेलण्याचे सामर्थ्य आपल्यांत असते. त्यासाठी हवा असतो तो आत्मविश्वास. आपल्या समोरची परिस्थिती कायमस्वरूपी नसते, त्यामध्ये चढउतार असणारच पण स्वत:वर विश्वास ठेवून त्या त्या परिस्थितीला सामोरे जायचे असते ही शिकवण या खेळांतून मिळाली.

शेवटच्या दोन दिवसात आम्ही तयारी करून एक छोटंसं नाटुकलं करून दाखवलं. त्या दोन दिवसांत आम्ही अगदी रंगभूमी वरचढ असल्याचा आवेश होता. घरीही तशाच पद्धतीने आम्ही बोलत होतो, घरीही सगळी गम्मत वाटत होती.

शेवटी ताईने पालकांसोबत आमचं एक गेट टुगेदर ठेवलं. आम्ही आमची नाटुकली पालकांसमोर सादर केली आणि त्यानंतर खाणं पिणं झाले. पालकांची मते मांडून झाल्यावर ताईने आमच्यापैकी ४-५ जणांना आपला अनुभव व्यक्त करायला सांगितला. वर्गात कधीही न उत्तर देणारी मी त्या दिवशी भरभरून बोलले. या शिबिरातून केवळ नाटकच नव्हे तर अभ्यास करतानाही काही क्लृप्त्या कशा वापराव्या, आयुष्यातही कसे वागावे याचा परिपाठ शिकायला मिळाला होता. असे हे नाट्यशिबिर माझ्या आयुष्याला कलाटणी देणारे ठरले खरे.

4. वाचाल, तर वाचाल

वाचन आणि त्यातून मिळालेलं ज्ञान किती मोलाचं असतं याबाबत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सांगतात की, ‘वाचाल, तर वाचाल’. हाच विचार मनात घेऊन प्रत्येकाने आपल्या मनाला वाचनाची सवय लावली पाहिजे. ‘दिसामाजी काहीतरी लिहावे। प्रसंगी अखंडित वाचित जावे’ असा लेखन व वाचनाचा मंत्र समर्थ रामदास स्वामींनी सांगितला आहे. तुम्ही कोणत्याही ज्ञानशाखेचे विदयार्थी असू दया. आपल्या ज्ञानाला अदययावत ठेवण्यासाठी सतत वाचन हाच पर्याय आहे. जीवनातील कोणत्याही क्षेत्रात तुम्हाला यशस्वी व्हायचे असेल तर त्या क्षेत्रातील नवे नवे ज्ञान व माहिती आत्मसात करावी लागते. त्यासाठी का होईना प्रत्येकाने वाचलेच पाहिजे.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

नानाविध पुस्तकांचे जो वाचन करतो, त्यांतील विचार समजून घेतो तो जीवनप्रवासात नेहमीच इतरांच्या पुढे जातो. वाचनामुळेच आपले व्यक्तिमत्त्व समृद्ध बनते. वाचनामुळेच आपली वैचारिक श्रीमंती वाढते. नवनवीन विचारांना स्फुरण मिळते. कल्पनाशक्ती तरल बनते. बहुश्रुत होण्यासाठी आपण सतत वाचलेच पाहिजे. ‘वाचनानंद’ हा एक वेगळाच अनुभव आहे. आपण वाचलेली माहिती केव्हा व कोठे उपयोगी पडेल ते सांगता येत नाही.

वाचलेल्या माहितीचे आदान-प्रदान केल्यास बऱ्याचदा नवीन मुद्देही मिळतात. विदयार्थी दशेत समजून घेऊन वाचनाची सवय मनाला लावली तर कोणताही अभ्यासविषय नक्कीच सुलभ वाटू लागतो. मन लावून अभ्यास केला तर यश नक्कीच मिळते. केवळ वरवरचे उथळ असे वाचन काहीही कामाचे नाही.

विदयार्थी दशेतच अभ्यासाबरोबरच अवांतर वाचनाची सवय मनाला लावल्यास आपले विचार प्रगल्भ होतात. प्रगल्भ विचारांमुळे भविष्यातील जीवनवाटचाल सुकर व यशस्वी होते.

माहिती तंत्रज्ञानाच्या युगात वेगवेगळ्या वेबसाईट्स्वर एका क्लिक् सरशी जगभरातल्या लेखकांची पुस्तके हव्या त्या भाषेत उपलब्ध होतात. अनेकजण ती आवडीने वाचतात. नवनवीन साईट्स्वर जाऊन माहिती मिळवतात. मिळवलेली माहिती ब्लॉग वा इतर सोशल मिडीयाद्वारे शेअरही करतात. म्हणूनच वाचनसंस्कृती लोप पावली नाही तर बदलत्या कालमान परिस्थितीनुसार वाचन संस्कृतीनेही आपली कूस बदलली असे वाटते. वाचनाची माध्यमे बदलली.

पूर्वीच्या पुस्तकांची जागा ई-बुक्सनी घेतली. छोट्या घरात पुस्तके ठेवायला जागा नाही हा अनेकांचा प्रश्न डिजिटल क्रांतीने, अनेक पुस्तकांच्या ऑनलाईन आवृत्त्यांनी खरोखरच सोडवला. संस्कृतात ‘वचने किम् दरिद्रता’ असे एक वचन आहे. बोलण्यात कंजुषी कशाला करावी असा त्याचा अर्थ आहे. ‘वचने’ या शब्दात (एक काना, एक मात्रेचा) बदल करून वाचन करण्यात कसली आली आहे कंजुषी असे म्हणायला हरकत नाही.

जे उपलब्ध होईल ते व्यक्तीने वाचून समजून घ्यावे. चौफेर अशा वाचनामुळेच तुमच्यात चतुरस्रता निर्माण होणार आहे. जीवनात यशस्वी होण्यासाठी प्रत्येकाने वाचन केलेच पाहिजे. विविधांगी व विधांगी वाचनामुळेच लेखनाची प्रवृत्ती प्रबळ होते. रसिकता वाढीस लागते. सहृदयता म्हणजेच दुसऱ्याच्या दुःखांची जाणीव असणाऱ्या संवेदनक्षम मनास खतपाणी मिळते.

5. झाड बोलू लागले तर…..

नमस्कार ! मी तुमचा मित्र, झाड बोलत आहे. पण तुम्ही खरेच माझे मित्र आहात का? तुम्हाला वाटेल मी असे का बोलत आहे? पण मी आज जे अनुभवत आहे ते तुम्हांला सांगावसे वाटले म्हणून हा प्रयत्न.

तुम्ही म्हणता ना झाडे मानवाचा मित्र आहेत. परंतु तुम्ही माझ्याबरोबर मित्रासारखे वागता का?

मी तुमच्या खूप उपयोगी पडतो. मी प्रत्येक सजीवाला नि:स्वार्थवृत्तीने काही ना काही देतच असतो. माझ्या सुगंधी फुलांनी तुमचे मन प्रफुल्लित होते. माझी गोड फळे चाखून तुम्ही किती खुश होता. मी इंधनासाठी, घरे बांधण्यासाठी लाकूड देतो. थकल्या भागल्या वाटसरूला शीतल छाया देतो. पक्ष्यांना माझ्यामुळे आश्रय मिळतो. प्राणी माझ्या सावलीत विश्रांती घेतात.

तुमच्या रोजच्या जीवनात उपयोगी पडणाऱ्या कागद, रबर, ब्रश, गोंद कितीतरी वस्तू माझ्यामुळे तुम्हाला उपलब्ध होतात. मध, औषधे तयार केली जातात. माझा प्रत्येक अवयव तुमच्या उपयोगी पडतो.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

माझ्या मुळांमुळे जमिनीची धूप थांबते. माझी वाढ झाली तर पाऊस पडतो. पृथ्वीवर पर्जन्यवृष्टी झाल्याने सर्व सजीव तृप्त होतात. दुष्काळ आणि पूर दोन्ही आटोक्यात येतात. सर्व सजीवसृष्टीला जगण्यासाठी मी प्राणवायूचा पुरवठा करतो आणि मानवाला अपायकारक असणारा कार्बनडाय ऑ क्साइड वायू शोषून घेतो.

परंतु आता माझे महत्त्व तुम्ही विसरत चालले आहात. ‘वृक्षवल्ली आम्हा सोयरी वनचरी’ या ओळी आता फक्त पुस्तकातच राहिल्या आहेत. आजच्या गतिमान वैज्ञानिक युगात माझ्यावर तुम्ही आक्रमण करू लागला आहात. सिमेंट, काँक्रीटच्या इमारती उभारण्यासाठी, रस्ते दुरुस्ती करण्यासाठी, विकासाच्या नावाखाली तुम्ही मोठ्या प्रमाणात वृक्षतोड करत आहात. तुम्ही माझ्यावर कु-हाड चालवता तेव्हा मला खूप दुःख होते रे!

माझा संहार करू लागल्याने पावसाचे प्रमाण कमी झाले आहे. वातावरणात बदल होऊन उष्णतेचे प्रमाण वाढले आहे. जंगलातील प्राणी-पक्ष्यांची संख्या कमी होत चालली आहे. नदया कोरड्या झाल्या आहेत. शेतकऱ्यांचे आत्महत्यांचे प्रमाण वाढले आहे.

म्हणून मी तुम्हाला मन:पूर्वक विनंती करतो की मी नसलो तर तुमचे संपूर्ण जीवन रुक्ष होईल. सर्व सजीवसृष्टी संपुष्टात येईल. याचे दुष्परिणाम भावी पिढीला भोगावे लागतील. अनेक संकटांना सामोरे जावे लागेल.

पर्यावरणाचा हास थांबवण्यासाठी तुम्ही जेव्हा प्रयत्न करता, वृक्षारोपणाचे महत्त्व पटवून देता तेव्हा मला खूप आनंद होतो. निसर्गाबाबत तुमची स्वार्थी वृत्ती पाहून मला खंतही वाटते आणि तुमची काळजीही. पर्यावरणाची काळजी घ्या. निसर्ग संवर्धन करा. ती काळाची गरज आहे. आजूबाजूच्या परिसरात खूप झाडे लावा. त्यांची जोपासना करा. कारण मला रुजायला, फुलायला, वाढायला खूप काळ लागतो. बदलणारे निसर्गाचे चक्र पूर्ववत करण्याची जबाबदारी तुमच्यासारख्या सुजाण नागरिकांचीच आहे. मला जगवाल तर तुम्ही जगाल याचा विचार करण्याची वेळ आली आहे. माझ्या सहवासात राहून आनंदी, निरोगी रहा आणि दीर्घायुषी व्हा.

6. ‘मायबोलीचे मनोगत

‘झाडावरून प्राजक्त ओघळतो
त्याचा आवाज होत नाही
याचा अर्थ असा होत नाही
त्याला वेदना होत नाही’

मी मायबोली राजभाषा मराठी! तुम्हाला दिसतोय तो राजभाषेचा सोनेरी मुकुट, पण माझ्या मनीचे दुःख मात्र तुम्हाला दिसत नाही. माझ्या दयनीय अवस्थेचे रडगाणे सर्वचजण गातात. पण माझी स्थिती सुधारण्याचे उपाय मात्र योजले जात नाहीत.

तेराव्या शतकात देवी शारदेच्या दरबारातील एक मानकरी – माझा सुपुत्र – संत ज्ञानेश्वरांनी माझा पाया रचला. केवढा अभिमान वाटत असे त्यांना माझा! ‘माझा मराठाचि बोलु कौतुके, परि अमृतातेही पैजा जिंके’ या शब्दांत त्यांनी माझा गौरव केला. माझी कूस धन्य झाली.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

खरे तर माझी जन्मदात्री गीर्वाण भाषा संस्कृत. तिच्याच उदरी माझा जन्म झाला. देवाने माझ्यासाठी महाराष्ट्राचा पाळणा केला. त्याला सहयाद्री व सातपुड्याची खेळणी लावली. कृष्णा-गोदेचा गोफ विणून पाळणा हलवायला दोरी बनवली. देवी रेणुकामाता व देवी तुळजाभवानी यांनी माझ्यासाठी पाळणा म्हटला. पुढे संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत एकनाथ, संत तुकाराम, संत रामदास या संतांनी तर वामन पंडित, मुक्तेश्वर, मोरोपंत या पंडितांनी तसेच त्यानंतर शाहीर अमरशेख, शाहीर होनाजीबाळा यांनी मला समृद्ध केले.

मी जशी संत ज्ञानेश्वरांची, संत तुकारामांची तशी छत्रपती शिवरायांची आणि पेशव्यांच्या बाजीरावांची! जशी ज्योतीबा फुल्यांची तशी चाफेकर बंधूंची! मी लोकमान्य टिळक – गोपाळ गणेश आगरकरांची तशी बाबासाहेब आंबेडकरांची! जशी परक्या सत्तेविरुद्ध बंड पुकारणारी तशी क्रांतीच्या जयजयकाराला ज्ञानपीठावर गौरवित करणारी!

काळाबरोबर मी अनेक भाषाभगिनींना माझ्यात सामावून घेत गेले. दिसामासांनी मी वाढत होते. वि. स. खांडेकर, आचार्य अत्रे, केशवसुत, कुसुमाग्रज, पु. ल. देशपांडे, विंदा करंदीकर यांच्या बाळगुटीने मी बाळसे धरू लागले होते. म्हणूनच राजभाषेचा मानही मला मिळाला. किती आनंद झाला मला त्या दिवशी! पण हा आनंद अळवावरच्या पाण्यासारखाच निघाला.

माझ्याच सुपुत्रांनी मला दरिद्री केले. माझी अवस्था दयनीय झाली असे रडगाणे गात त्यांनी माझा अपप्रचारच केला. माझा वापर करणे त्यांना कमीपणाचे वाटते. आपल्या मुलांना मराठी शाळेत घालणे त्यांना मागासलेपणाचे लक्षण वाटते. मराठीच्या प्रचाराच्या गोष्टी करणारे हे महाभाग स्वत:च्या मुलांना व नातवांना मात्र इंग्रजी माध्यमाच्या शाळेत शिकायला पाठवतात. माझ्या विकासासाठी कसलेही प्रयत्न होताना दिसत नाहीत.

ज्या माझ्या सुपुत्रांनी मला वैभवशिखरावर पोहोचवले होते, त्याच सुपुत्रांच्या आजच्या राजकारणी वारसदारांनी मात्र मला देशोधडीला लावण्याचेच काम केले. आज माझ्यात दर्जेदार साहित्यनिर्मिती होत नाही, अशी ओरड होऊ लागली आहे. माझ्या माध्यमाच्या शाळा ओस पडून बंद पडू लागल्या आहेत. मी संपेन की काय अशी भीती व्यक्त केली जात आहे.

या सर्वांना मी ठणकावून सांगू इच्छिते की मी अशी-तशी संपणार नाही. ज्ञानदेवाने जिचा पाया इतका मजबूत रचला आहे ती मी अशी सहजा सहजी ढासळणार नाही. अर्थात माझं गतवैभव परत मिळवायला मला तुम्हा सर्वांच्या मदतीची गरज आहे. आज सारे ज्ञान-विज्ञान इंग्रजी भाषेत निर्माण होत आहे, संगणकाची भाषासुद्धा इंग्रजी आहे. तुम्हा सर्वांना माझी विनंती आहे की तुम्ही प्रत्येकाने परकीय भाषांतील ज्ञान-विज्ञान माझ्यात निर्माण करा.

रटाळ, लांबलचक माहिती लिहिलेली पुस्तके लिहिण्यापेक्षा रंगीत चित्रांनी युक्त मोजक्या शब्दांत माहिती लिहिलेली आकर्षक पुस्तके निर्माण करा. काळाप्रमाणे बदलायला शिका. नवीन नवीन बदल स्वीकारा. ‘जुने ते सर्वच चांगले व नवीन ते सर्वच वाईट’ असे समजू नका. संगणकात माझ्या भाषेत माहिती निर्माण करा. त्या दृष्टीने तंत्रज्ञान विकसित करा. मराठीतून बोलण्याची, शिकण्याची लाज बाळगू नका. मुख्य म्हणजे माझा अपप्रचार थांबवा.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions निबंध लेखन

मग बघा मला पुन्हा माझे गतवैभव प्राप्त होते की नाही?

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना संभाषण लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना संभाषण लेखन

रोजमर्रा के जीवन में हम जो बातचीत या वार्तालाप करते हैं उसके लिखित रूप को संवाद-लेखन कहते हैं। वार्तालाप जितना चतुराई से किया गया है, उतना ही वह प्रभावशाली होता है। संवाद-लेखन करते समय ध्यान रहे –

  • संवाद की भाषा सरल एवं प्रभावशाली हो।
  • संवाद संक्षिप्त होने चाहिए।
  • संवाद विषय और पात्र के अनुकूल होने चाहिए।
  • संवाद लेखन में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 1
उत्तर :
अनन्या : हे रक्षिता! आज कितने दिनों बाद दिखाई दे रही हो; कहाँ थी?
रक्षिता : माँ के साथ दुर्घटना हो गई थी, इसलिए इधर आना नहीं हुआ।

अनन्या : ओह! क्या हुआ था?
रक्षिता : किसी बदमाश ने राह चलते उनके गले का मंगलसूत्र खींच लिया था। उनके गले पर जख्म हो गया था।

अनन्या : ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ। आजकल दिनदहाड़े ऐसी वारदातें होने लगी हैं।
रक्षिता : काश! पुलिस अपनी जिम्मेदारियाँ ठीक से निभा पाते, तो बदमाशों की ऐसी हिम्मत नहीं होती।

अनन्या : (क्रोधित स्वर में) और हमारी पब्लिक तमाश-बिन की तरह केवल भीड़ इकट्ठा करती है।
रक्षिता : (सहमति प्रकट करते हुए) और नहीं तो क्या! हम लोग कब जिम्मेदार नागरिक बनेंगे?

अनन्या : क्या, बदमाश पकडा गया?
रक्षिता : नहीं तो! वह तो बाइक पर था, झपट्टा मारा और भाग गया।

अनन्या : खैर, तुम अपनी माँ का ख्याल रखो। मुझसे कोई सहायता चाहिए तो बिना हिचकिचाए बताना।
रक्षिता : अवश्य! चलती हूँ। अलविदा!

अनन्या : अलविदा !

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 2
उत्तर :
पिताजी : बेटा, यहाँ आओ; बैठो। पढ़ाई के क्या हाल है? परीक्षा कब से है?
पुत्र : (घबराते हुए) परीक्षा नजदीक आई है और पढ़ाई अभी चल रही है, पूरी नहीं हुई।

पिताजी : पूरी होगी कैसे? मैं यह नहीं कहता कि दूरदर्शन मत देखो, लेकिन अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही उचित नहीं। पूरा दिन दूरदर्शन के सामने बैठोगे तो पढ़ाई होगी ही नहीं।
पुत्र : लेकिन मैं अकेला थोड़े ही देखता हूँ, पापा? घर में सभी दूरदर्शन देखते हैं और आप मुझे ही डाँटते हो।

पिताजी : मैं तुम्हें समझा रहा हूँ। तुम्हारी दीदी को देखो, कक्षा में अव्वल आती है और तुम मात्र 50% अंक ला पाए हो।
पुत्र : (अँगूठे से जमीन कुरेदते हुए) मुझे दीदी अपने साथ पढ़ने को मना करती है।

पिताजी : मैंने दीदी को समझा दिया है, जाओ अब उसके साथ बैठकर पढ़ाई करो।
पुत्र : जी, पापा। अब मैं भी दीदी जैसे अंक लाकर दिखाऊँगा।

पिताजी : बहुत अच्छा! देर आए दुरुस्त आए। मुझे तुम पर विश्वास है। तुम जरूर अच्छे अंक ला पाओगे। भगवान तुम्हें सद्बुद्धि दें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 3
उत्तर :
राम : नमस्ते श्याम! कैसे हो?
श्याम : नमस्ते! मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो? क्या कर रहे हो आजकल?

राम : मैं ठीक हूँ। आजकल मैं डाक टिकट इकट्ठा कर रहा हूँ।
श्याम : बहुत खूब! क्या तुम इन्हें अलबम में चिपकाओगे?

राम : हाँ! मैंने एक अलबम बना लिया है और टिकट चिपका भी दिए हैं।
श्याम : वाह! क्या, तुम्हारे पास सभी देशों के टिकट हैं?

राम : हाँ! ज्यादातर सभी देशों के टिकट मेरे पास हैं।
श्याम : (जिज्ञासा से) तो क्या इनमें, महँगी टिकटें भी हैं?

राम : मेरे पास बहुत सारी टिकटें है जिनमें कुछ टिकटें महँगी भी है।
श्याम : मेरे दोस्त, यह तो बता इस संग्रह से तुझे क्या लाभ होता है?

राम : यह मेरा शौक है जो मुझे बेहद सुख प्राप्त कराता है और हाँ, मुझे भूगोल पढ़ने में इनकी मदद मिलती है।
श्याम : बहुत अच्छा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

राम : तुम्हारा भी कोई शौक है?
श्याम : है न! मुझे जंगली फूल जमा करने का शौक है।

राम : तुम उनसे क्या करते हो?
श्याम : मैं उन्हें कागज पर चिपकाता हूँ और फिर उनका नाम लिखता हूँ।

राम : इस शौक से तुम्हें क्या लाभ होता है?
श्याम : मेरा शौक मेरा वनस्पति विज्ञान का ज्ञान बढ़ाता है।

राम : तुमसे मिलकर आज बहुत अच्छा लगा। फिर मिलेंगे, अलविदा!
श्याम : अच्छा! अलविदा!

प्रश्न 4.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 4
उत्तर :
साक्षात्कार कर्ता : जय हिंद, मेरे भाई, मेरे दोस्त!
सैनिक : जय हिंद! कहो कैसे आना हुआ?

साक्षात्कार कर्ता : आप हाल ही में सीमा पर दुश्मनों को लोहे के चने चबवाकर आए हो इसलिए मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। आपके बारे में जानना चाहता हूँ।
सैनिक : भाई, मैंने तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है।

साक्षात्कार कर्ता : सीमा पर अपने परिवार से दूर आप कैसे रह लेते हो? क्या आपका उनके प्रति कर्तव्य नहीं है?
सैनिक : ऐसा तो नहीं। परिवार अपनी जगह है, देश अपनी जगह और देश की खातिर जो कर्तव्य है उसके आगे हमें निजी सुख-दुख बहुत छोटे नजर आते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

साक्षात्कार कर्ता : धन्य हैं आप! सुना है आपका बेटा छह वर्ष का है!
सैनिक : सही सुना है आपने। मेरा छह वर्ष का बेटा है जो अभी से सैनिक बनने का सपना देख रहा है और हाँ मेरी तीन साल की बेटी भी, शत्रु के साथ युद्ध करने की बातें करती है।

साक्षात्कार कर्ता : बहुत अच्छा लगा सुनकर। आपका पूरापरिवार ही राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत है। हम देशवासियों को और देश के बालकों को (जोर देते हुए) कुछ संदेश देना चाहेंगे?
सैनिक : जरूर! देश के बालकों आप देश का भविष्य हो। हर काम को सच्चाई, ईमानदारी और खुशी से करो। अपने सपनों को हकीकत में बदलो। ईश्वर तुम्हें सदबुद्धि दे। वंदे मातरम्! जय हिंद!

साक्षात्कार कर्ता : वंदे मातरम्! जय हिंद!

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना गद्य आकलन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना गद्य आकलन

अपठित अर्थात जो पहले से पढ़ा / पढ़ाया न गया हो ऐसा परिच्छेद परीक्षा में दिया जाता है। इसे पढ़कर इसका आशय समझना होता है। कोई शब्द परिचित न हो और अर्थ समझ में नहीं आ रहा हो तो उसके अर्थ को वाक्य के प्रसंगानुसार ग्रहण करना चाहिए और सब कुछ समझ में आ जाने पर प्रश्न बनाना आसान हो जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

महत्त्वपूर्ण : छात्रों से अपठित गद्यांश पर आकलन हेतु मात्र प्रश्न निर्माण अपेक्षित है और प्रश्न भी ऐसे बनाने हैं जिनके उत्तर एक वाक्य में हों। हो सके उतना गद्यांश के लिए शीर्षक के बारे में प्रश्न न पूछे। आगे कुछ उदाहरण दिए हैं –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

पंडित जवाहरलाल नेहरूजी की अंतिम इच्छा यह थी कि मैं जब मरूँ तब मैं चाहूँगा कि मेरा दाह-संस्कार हो। अगर मैं विदेश में मरूँ तो मुझे वहीं जलाया जाए पर मेरी अस्थियाँ इलाहाबाद लाई जाएँ। मुठ्ठीभर भस्म इलाहबाद की गंगा में प्रवाहित करने की मेरी इच्छा है, किंतु उसके पीछे कुछ धार्मिक भावना नहीं है, क्योंकि गंगा हमारी सदियों से पुरानी सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक रही है।

वह मुझे हिमालय के हिमाच्छादित शिखरों और नदियों की याद दिलाती है, जिनमें मेरा लगाव और प्यार बहुत ज्यादा रहा है। गंगा मुझे शस्य-श्यामल फैले हुए मैदानों की याद दिलाती है, यहाँ मेरी जिंदगी और काम ढले हैं। गंगा में कहीं समुद्र जैसी विनाश की भी शक्ति मुझे लगती है और उसकी यह शक्ति मेरे लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है, जो वर्तमान में प्रवाहित है और भविष्य के महासमुद्र में आगे बढ़ते रहने की है।
उत्तर:

  1. मुठ्ठीभर भस्म का विसर्जन लेखक ने कहाँ करने के लिए कहा है?
  2. गंगा की कौन-सी शक्ति लेखक के लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है?
  3. लेखक की जिंदगी और काम कहाँ ढले हैं?
  4. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को गंगा नदी किसकी याद दिलाती है?
  5. विदेश में मरने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी क्या चाहते हैं?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
वर्तमान शासन प्रणालियों में जनतंत्र से बढ़कर उत्तम कोई प्रणाली नहीं हैं, क्योंकि उसमें जनता को स्वयं यह अधिकार प्राप्त रहता है कि वह अपने प्रतिनिधियों को चुनकर विधान सभाओं और संसद में भेजें। ऐसे प्रत्यक्ष चुनाव में प्राय: वही व्यक्ति चुना जाता है, जिसका सार्वजनिक जीवन अच्छा हो और जो जनता की सेवा करता हो। इस प्रणाली में जनता को यह अधिकार है कि यदि वह किसी दल या किसी व्यक्ति के कार्यों से संतुष्ट नहीं है तो दूसरी बार उस दल या व्यक्ति को अपना मत न दें।

निर्वाचन में विरोधी दलों के भी कुछ व्यक्ति चुने जाते हैं, जो अपनी आलोचना से शासक दल के स्वेच्छाचार पर अंकुश रखते हैं। इस प्रकार देश की शासन प्रणाली में विरोधी दलों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
उत्तर:

  1. जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर कहाँ भेजती है?
  2. चुनाव में कैसा व्यक्ति चुना जाता है?
  3. विरोधी दल अपनी आलोचना से क्या कर सकता है?
  4. जनतंत्र में जनता को किस बात का अधिकार होता है?
  5. सबसे उत्तम शासन प्रणाली कौन-सी है?

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
दान देने की परिपाटी प्राचीन काल से चली आ रही है। अन्नदान, गोदान, वस्त्रदान, स्वर्णदान, भूमिदान करना भारतीय अपना परम धर्म मानते हैं। धर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। प्राचीन काल में विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता था। वर्तमान काल में कुछ नए प्रकार के दान प्रचलित हुए है – नेत्रदान, रक्तदान, किडनीदान । रक्त तो हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। पचास वर्ष तक के निरोगी स्त्री-पुरुष रक्त दान कर सकते हैं। दुर्घटनाओं से परिपूर्ण वैज्ञानिक युग में रक्तदान, सर्वश्रेष्ठ दान माना जा रहा है। नेत्रदान करने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मरणोपरांत ही आँखें निकालकर, अंधों को दी जाती हैं और वे देखने लगते हैं। बीमार के प्राण बचाने के लिए हम अपनी किडनी दान दे सकते हैं।
उत्तर :

  1. प्राचीन काल से लेकर अब तक कौन-कौन से दान प्रचलित हैं?
  2. किन लोगों को रक्तदान करना चाहिए?
  3. वैज्ञानिक युग में कौन-सा दान श्रेष्ठ है?
  4. दान करना भारतीय अपना परम धर्म क्यों मानते हैं?
  5. नेत्रदान करने से घबराने की जरूरत क्यों नहीं?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

भारत में प्राचीन काल से दहेज प्रथा चली आ रही है। कन्या के माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार शादी के समय दहेज देते चले आए हैं। वर एवं कन्या के परिवारवालों में आपसी प्रेम था इसलिए वरवाले कन्यावालों से किसी प्रकार की माँग करने में संकोच करते थे।

परंतु पिछले 50 वर्षों से विवाह एक व्यापार बन गया है। इससे समाज दुखी है। लड़कीवाला लड़के की योग्यता के स्थान पर धन को ही सर्वस्व मानता है और वह बड़े अमीर परिवार में अपनी लड़की को देना चाहता है। लड़का लड़कियों को देखता है।

जिस लड़की के पास धन अधिक होता है, उसे चुन लेता है। उसकी योग्यता को नहीं देखता। आज लड़की के विवाह का मूल आधार धन बन गया है। जिस दिन लड़की का जन्म होता है, उसी दिन से माता-पिता को उसके विवाह की चिंता लग जाती है।

इस बुराई को दूर करने के लिए हमें मिलकर इस प्रथा का विरोध करना चाहिए। जो दहेज लेता है, उसके लिए ऐसा कानून बनना चाहिए कि दहेज लेनेवाले को चोरी, जुआ एवं हत्या आदि अपराध करनेवालों के समान देखा जाए और सामाजिक मंच पर उसे बेइज्जत किया जाए।

इस विषय पर मात्र बोलने एवं लिखने से अब काम नहीं चलेगा। हमें एक होकर इस प्रकार के विरोध में कदम बढ़ाने होंगे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

प्रश्न :
(1) भारत में प्राचीन काल में दहेज प्रथा का स्वरूप कैसा था?
(2) माता-पिता को लड़की के विवाह की चिंता कब से लग जाती है?
(3) आज लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?
(4) दहेज लेने वाले के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए?
(5) लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
पवन पुत्र हनुमान, भीष्म पितामह, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद जैसे बाल ब्रह्मचारियों ने भारत-भूमि को पावन किया है। संसार के प्राचीन ग्रंथ वेदों में लिखा है: “ब्रह्मचारी मृत्यु को जीत लेते हैं।” ‘ब्रह्म’ शब्द के अर्थ हैं ‘परमेश्वर, विद्या और शरीर-रक्षण। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर स्वस्थ होता है।

जिसका शरीर स्वस्थ उसीका मन स्वस्थ, जिसका मन स्वस्थ उसकी स्मरण-शक्ति बहुत होती है। स्मरण-शक्ति से आकलन शक्ति बढ़ती है । विद्यार्थी जीवन में आकलनशक्ति का अपना विशेष महत्त्व है। ब्रह्मचर्य विद्यार्थी जीवन की कमियाँ पूरी करता है।

प्राचीन भारतीय साहित्य में ब्रह्मचर्य की महिमा लिखी है। इसका पालन करनेवाला विद्यार्थी निरोगी, बुद्धिमान, संपत्तिशाली, महान बनता है। ब्रह्मचर्य की महिमा अपार है।

प्रश्न:
(1) कौन-कौन बाल ब्रह्मचारी थे?
(2) मृत्यु को कौन जीत सकते हैं?
(3) ‘ब्रह्म’ शब्द के कितने और कौन-कौन से अर्थ हैं?
(4) विद्यार्थी जीवन में किसका विशेष महत्त्व है?
(5) ब्रह्मचर्य पालन करने वाला विद्यार्थी कैसा होता है?

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

स्वाध्याय

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक वाक्य में हों –

(1) हँसने का एक सामाजिक पक्ष भी होता है। हँसकर हम लोगों को अपने निकट ला सकते हैं और व्यंग्य उन्हें दूरस्थ बना देते हैं। जिसको भगाना हो उसकी थोड़ी देर हँसी खिल्ली उड़ाइए, वह तुरंत बोरिया-बिस्तर गोल कर पलायन करेगा। जितनी मुक्त हँसी होगी, उतना समीप व्यक्ति खींचेगा इसीलिए तो श्रोताओं की सहानुभूति अपनी ओर खींचने के लिए चतुर वक्ता अपना भाषण किसी रोचक कहानी या घटना से आरंभ करते हैं।

जनता यदि हँसी तो चंगुल में फँसी। सामाजिक मूल्यों और नियमों को मान्यता दिलाने और रूढ़ियों को निष्कासित करने में पुलिस या कानून सहायता नहीं करता, किन्तु वहाँ हास्य का चाबुक अचूक बैठता है। हास्य के कोड़े, उपहास-डंक और व्यंग्य-बाण मारकर आदमी को रास्ते पर लाया जा सकता है। इस प्रकार गुमराह बने समाज की रक्षा की जा सकती है।

(2) किसी भी देश या काल के लिए जवान तथा शिक्षक दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। किसी एक के बिना समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। दोनों ही समाज के रक्षक हैं, किन्तु कार्यों में भिन्नता दिखाई पड़ती है। एक शत्रु से रक्षा करता है तो दूसरा उसे (देश को) समृद्ध बनाता है।

फिर भी शिक्षक का उत्तरदायित्व जवान से कहीं बढ़कर है। भावी नागरिक निर्माण करने की जिम्मेदारी शिक्षक के ऊपर है। वह उसके शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक विकास का जनक है, जिस पर व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र निर्भर है। शिक्षक के ही द्वारा कोई योग्य सैनिक बन सकता है।

आज शिक्षक ने सैनिक धाराओं में क्रांति पैदा कर दी है। हमारे अहिंसक आंदोलन ने दुनिया को दिखा दिया है कि शिक्षक सैनिक से श्रेष्ठ है। इसे बनावटी-शस्त्रों की जरूरत नहीं है। इसका आत्मिक बल सब शस्त्रों से बड़ा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

अगर आनेवाली दुनिया इसका अनुसरण करे तो शस्त्रीकरण का नामोनिशान भू-पृष्ठ से उठ जाएगा। नैतिक शक्ति का बोल-बाला होगा, सारी दुनिया में एकात्मता की लहर फैलेगी और तब ज्ञान-विज्ञान का निर्माण विकास के लिए होगा, न कि विनाश के लिए।

(3) समाजसुधार आंदोलन को निर्भीक संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद से नई दिशा मिली। हरिजन समस्या के समाधान में कई स्थानों पर संघर्ष का भी सामना करना पड़ा। गुरुकुल काँगड़ी के छात्रवासों और भोजनालयों में बिना किसी भेदभाव के हर जाति के विद्यार्थी रहते और खाते-पीते थे।

स्वामी जी का कहना था – मनों से छुआछूत की भावना मिटाने में आवासीय शिक्षण संस्थाओं का अच्छा योगदान हो सकता है। चौबीसों घंटे एक साथ मिलकर जब रहेंगे, खेलेंगे, कूदेंगे और पढ़ेंगे, लिखेंगे तो कहाँ तक छूत-अछूत की दीवार खड़ी रह पाएगी।

आजादी के बाद भी यदि इसी रास्ते को पकड़ा गया होता तो मंजिल बहुत पहले तय हो जाती। आवासीय पद्धति पर आश्रित ऐसे गुरुकुल उन्होंने हरियाणा में झज्जर, इंद्रप्रस्थ और कुरूक्षेत्र, गुजरात में सोनगढ़ और सूपा में भी खोले। देहरादून का कन्या गुरुकुल भी उसी श्रृंखला की कड़ी है।

(4) यश और कीर्ति पैतृक संपत्ति नहीं है। जिसका सुख-भोग संतान कर सके। वास्तविक सम्मान और यश धन के द्वारा भी प्राप्त नहीं हो सकता। ये वे पदार्थ है जो घोर परिश्रम और स्वावलंबन द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं। ईश्वर का वरद हस्त भी उसी के शीश पर है जो स्वत: अपनी सहायता करता है।

यदि तुम अपना जीवन धन्य बनाना चाहते हो तो खड़े हो जाओ अपने पैरों पर और संसार में एक बार शक्ति से अपने कार्यो से सुख और शांति की धारा प्रवाहित कर दो। भाग्य की भाषा पढ़ने के फेरे में जो भी डूबा वह कभी भी ऊपर नहीं आ सकता। अत: यह निश्चित है कि तुम ही अपने भाग्य विधाता हो और जीवन निर्माण करने का संपूर्ण अधिकार भी तुम ही को है।

(5) संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है। कुछ भी असम्भव नहीं है। असम्भव, असाध्य, कठिन आदि शब्द कायरों के लिए हैं।

नेपोलियन के लिए ये शब्द उसके कोष में नहीं थे। साहसी पतले बापू ने विश्व को चकित कर दिया। क्या बापू शरीर से शक्तिशाली थे? नहीं। वह तो पतली-सी एक लंगोटी पहने लकड़ी के सहारे चलते थे, परंतु विचार सशक्त थे, भावनाएँ शक्तिशाली थीं, उनके साहस को देखकर करोड़ो भारतीय उनके पीछे थे। ब्रिटिश साम्राज्य उनसे काँप गया। अहिंसा के सहारे बिना रक्त-पात के उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। यह विश्व का एक अद्वितीय उदाहरण है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

जब महात्मा गांधीजी ने अहिंसा का नारा लगाया तो लोग हँसते थे, कहते थे अहिंसा से कहीं ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली जा सकती है? परंतु वे डटे रहे, साहस नहीं छोड़ा, अंत में अहिंसा की ही विजय हुई। कहते हैं, अकेला चना क्या भाड़ फोड़ सकता है? हाँ, यदि उसमें साहस हो तो! साहसहीन के लिए सब कुछ असम्भव है। उससे अगर कहा जाए कि भाई जरा वह काम कर देना; तो वह तुरंत कहेगा, अरे! इतनी दूर!

पैदल, एक दिन में! नहीं भाई, मुझसे नहीं हो सकेगा, किसी और से करा लो। भला वह इस काम को कैसे करेगा? करने वाला दूरी और पैदल नहीं देखता! उसके मार्ग में चाहे पर्वत आकर खड़े हो जाएँ, आँधी आए या तूफान, उसको उनसे क्या वास्ता? उसको तो अपने लक्ष्य तक पहुँचना है, उसे कोई नहीं रोक सकता है। वह अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच जाएगा। साहसी पुरुष दिन-रात नहीं देखा करते, आँधी तूफान, नदी-नाले, पहाड़-समुद्र नहीं देखा करते; वे तो केवल एक ही चीज देखा करते हैं कि उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना अनुवाद लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना अनुवाद लेखन

अनुवाद लेखन : किसी भाषा में कही या लिखी गई बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद कहलाता है। अनुवाद एक कला है। अनुवाद करते समय शब्दों का ही केवल अनुवाद नहीं करना है वाक्य में जो भाव है उसके अनुसार शब्दों का चयन और क्रम रखकर मौलिक भाव को प्रस्तुत करना होता है। आपको अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए पूछा जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

उदा.
His dreams became true
अनुवाद – उसके सपने सच हुए।

निम्नलिखित वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
Mistakes are always forgivable, if one has the courage to admit them.
उत्तर:
गलतियाँ हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।

प्रश्न 2.
As you think, so shall you become.
उत्तर:
जैसा आप सोचते हैं, वैसा आप बन जाएँगे।

प्रश्न 3.
A quick temper will make a fool of you soon enough
उत्तर:
जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

प्रश्न 4.
A man is great by deeds, not by birth.
उत्तर:
व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है।

प्रश्न 5.
Success and failure are both part of life and both are not permanent.
उत्तर:
सफलता और असफलता दोनों जीवन के हिस्से हैं और दोनों स्थायी नहीं होते।

प्रश्न 6.
A person who never made a mistake never tried anything new.
उत्तर:
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।

प्रश्न 7.
Life should be great rather than long.
उत्तर:
जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

प्रश्न 8.
Failure comes only when we forget our ideals and objectives and principles.
उत्तर:
असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं।

प्रश्न 9.
Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.
उत्तर.
स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।

प्रश्न 10.
Never stop believing in hope because miracles happen everyday.
उत्तर:
उम्मीद पर विश्वास करना न छोड़ें क्योंकि चमत्कार हर दिन होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना विज्ञापन लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना विज्ञापन लेखन

विज्ञापन का सामान्य अर्थ है सूचना या विशिष्ट ज्ञापन वास्तव में आज की उपभोक्तावादी संस्कृति में यह विशेष महत्त्वपूर्ण है। इसका प्रभाव उपभोक्ता, विक्रेता तथा समाज के सभी वर्गों पर गहरा पड़ता है।

विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य है –

  • उत्पाद की बिक्री बढ़ाना।
  • सामाजिक अथवा राजनीतिक अभियान को गति देना।
  • विद्यालयों / महाविद्यालयों में प्रवेश हेतु आवेदन-पत्र की जानकारी प्राप्त करना।
  • नाटक, संवाद, कहानी, सिनेमा आदि की जानकारी देना।
  • नौकरी देने / लेने हेतु जानकारी देना।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

विज्ञापन के नमूने :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 1
उत्तर:
“घर किराए पर देना है”
500 वर्गफीट, वन बी-एच्.के का फ्लैट गोरेगाँव रेल स्थानक से पाँच मिनट की दूरी पर उपलब्ध है। स्कूल और अस्पताल निकट। जॉगर्स पार्क के बगल/पास में। 24 घंटे पानी की सुविधा।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 2
संपर्क : अभय पांडेय।
मोबाईल : 98xxxxxxx
समय : सुबह 11 से शाम 6
पता : 203 / गजानन कॉलनी, गोरेगाँव (प.), मुंबई।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 3
उत्तर:
आवश्यकता है

रामानंद विद्यालय, चेंबूर नाका, चेंबूर, मुंबई 71 के लिए खुले प्रवर्ग के लिए एक हिंदी-मराठी विषय के शिक्षक सेवक की आवश्यकता है। प्रार्थी का प्रशिक्षित एवं हिंदी-मराठी विषय में स्नातक होना अनिवार्य है। अपने शैक्षणिक अनुभव एवं प्रमाणपत्रों की प्रतियों के साथ प्रधानाचार्य से मिले।

दिनांक : 7 और 8 अक्टूबर 2017.
समय : सुबह 10.00 से 3.00 बजे तक
भ्रमणध्वनि : 98xxxxx

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 4
उत्तर :
आवश्यकता है ….
सोसायटी के बगीचे की देखभाल करने हेतु अनुभवी माली की आवश्यकता है।

  • पेड़- पौधों की जानकारी आवश्यक
  • सोसायटी कंपाऊंड में रहने की व्यवस्था
  • 10000 से 15000 प्रतिमाह तनख्वाह
  • निर्व्यसनी, ईमानदार माली अपने दो फोटो और आधार कार्ड के साथ संपर्क करें।

सेक्रेटरी.
हरगोविंद सोसायटी
रामनगर, वरली।
भ्रमणध्वनि: 90xxxxxx
केवल इतवार के दिन शाम 4 से 7 के बीच ही संपर्क कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
स्वास्थ्यवर्धक पेय के विक्री हेतु विज्ञापन तैयार कीजिए।
खुशखबर! खुशखबर!! खुशखबर!!!
रोजाना नाश्ते के साथ सेवन करें
स्वास्थ्य की हर समस्या से निजात पाएँ

  • शुगर फ्री, मोटापा घटाए
  • कोई साईड इफेक्ट नहीं
  • त्वचा रखे सदाबहार
  • दाम भी कम

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

पेय एक लाभ अनेक
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 5
प्रथम 100 ग्राहकों को एक पर एक मुफ्त
हमारा पता
विश्वास ग्राहक सेवा, नासिक।
अधिक जानकारी के लिए www.vishwasgrahak.com
हमारी वेबसाइट पर जाए या विजिट करे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना पत्र लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना पत्र लेखन

पत्रलेखन एक कला है आजकल इसका साहित्यिक महत्त्व भी स्वीकारा जाने लगा है। एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ होती हैं।

  1. सरल भाषा शैली।
  2. विचारों की सुस्पष्टता।
  3. संक्षेप एवं संपूर्णता।
  4. प्रभावान्विति।
  5. बाहरी सजावट।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

पत्र लिखते समय निम्नलिखित वातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. जहाँ तक संभव हो, पत्र में स्वाभाविकता का निर्वाह होना चाहिए। पत्र में कहीं बनावटीपन नहीं होना चाहिए।
  2. साधारण संबंधियों या अधिकारी या अपरिचित व्यक्तियों को लिखे पत्रों में कहीं भी अनावश्यक विस्तार या भावुकता नहीं होनी चाहिए।
  3. सरकारी और कामकाजी पत्रों में कहीं अनावश्यक विस्तार या भावुकता नहीं होनी चाहिए।
  4. निकट संबंधियों के लिखे पत्रों में पूर्ण आत्मीयता और स्वाभाविकता होनी चाहिए।
  5. पत्र को उपयुक्त परिच्छेदों में विभाजित करके लिखना चाहिए।
  6. पत्र की भाषा शुद्ध, सरल व प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए। वर्तनी (Spelling) एवं विराम चिह्नों का समुचित प्रयोग होना चाहिए।
  7. पत्र संक्षिप्त, सुव्यवस्थित, सुस्पष्ट एवं हेतुपूर्ण होना चाहिए। अनावश्यक बातों के लिए पत्र में कोई जगह नहीं होती।

पत्र के प्रकार:

  1. व्यक्तिगत या पारिवारिक पत्र
  2. सामाजिक पत्र
  3. व्यावसायिक अथवा व्यापारिक पत्र
  4. कार्यालयीन पत्र

मुख्य रूप से औपचारिक और अनौपचारिक दो तरह के पत्र माने गए है।

औपचारिक पत्र : इस पत्र में संदेश, कथ्य, अपरिचित व्यक्ति एवं अधिकारी को लिखा जाता है इसमें प्राय: कार्यालयीन पत्र, सरकारी पत्र, व्यावसायिक व व्यासपीठ पत्र तथा शिकायती पत्र आते हैं। अनौपचारिक पत्र : इसमें व्यक्तिगत; सगे संबंधियों के पत्र, घरेलू या पारिवारिक पत्र आते हैं। अनौपचारिक पत्रों में पत्र लेखक और जिसे पत्र लिखा जाता है, उसके संबंध के अनुसार अभिवादन या अभिनिवेदन में भिन्नता होती। है निम्नलिखित तालिका में सारी बातें स्पष्ट की गई हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन 1

विशेष : जो संबंध छोटे-बड़े नहीं हैं या जिन संबंधो में व्यक्तिगत पत्रों जैसी नितांत आत्मीयता नहीं है बल्कि मात्र व्यावहारिकता है वहाँ ‘प्रणाम’ या ‘शुभाशीष’ जैसे किसी अभिवादन की आवश्यकता नहीं होती हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

पत्र का प्रारूप

अनौपचारिक पत्र

दिनांक : ………………………………..
संबोधन : ………………………………..
अभिवादन : ………………………………..
प्रारंभ : ………………………………..विषय विवेचन : ……………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..तुम्हारा / तुम्हारी : ………………………………..
नाम : ………………………………..
पता : ………………………………..
ई-मेल आईडी : ………………………………..

औपचारिक पत्र

दिनांक : ………………………………..
प्रति,
………………………………..
………………………………..विषय : ………………………………..
संदर्भ : ………………………………..
महोदय : ………………………………..
विषय विवेचन : ……………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..भवदीय/भवदीया,
हस्ताक्षर : ………………………………..
नाम : ………………………………..
पता : ………………………………..
ई-मेल आईडी : ………………………………..

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

पत्र के नमूने

1. व्यक्ति गत / अनौपचारिक पत्र

दिनांक : 7 सितंबर, 2019.
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम।आपको यह जानकर खुशी होगी कि मैं यहाँ आनंद से हूँ। मैं अपने महाविद्यालय में कई सहपाठियों को मित्र बना चुका हूँ, जो अच्छे . स्वभाव के, परिश्रमी और अध्ययनशील है। मैं यहाँ अभी नया हूँ फिर भी सब का स्नेह प्राप्त है। यहाँ के प्राचार्य और प्राध्यापक सभी अच्छे हैं। उनका हम पर पूरा ध्यान रहता है। मैं विज्ञान परिषद का मंत्री चुना गया हूँ।यहाँ जीवन अत्यंत व्यस्त है। हर क्षण कीमती है। सब में एक तरह की प्रतियोगिता है। सभी एक-दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं। मैं आप को विश्वास दिलाता हूँ कि जीतोड़ परिश्रम करके मैं परीक्षा में अच्छे अंक लाऊँगा। शेष कुशल है। पूजनीय माता जी को प्रणाम व प्रिया को आशीर्वाद।आपका स्नेहाकांक्षी,
शरद
नाम : शरद देशमुख
पता : बी- 212, साई कृपा,
महात्मा गांधी रोड,
विलेपार्ले (पूर्व), मुंबई – 400 057
ई-मेल आईडी : [email protected]

2. वधाई पत्र :

दिनांक. 15 जून, 2017
प्रिय सविता
सप्रेम नमस्ते।यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम बारहवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई हो और तुम्हें 86 प्रतिशत अंक मिले हैं तुम्हारी इस सफलता पर मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देती हूँ। आशा करती हूँ कि तुम्हें आगे की परीक्षा में भी ऐसी ही सफलता मिलती रहे।वैद्यकीय या अभियांत्रिकी शिक्षा में तुम अपनी रुचि के अनुसार ही प्रवेश लो, तुम्हें अवश्य सफलता मिलेगी। तुम्हारे माता-पिता को प्रणाम।तुम्हारी कुशलता की कामना के साथ।
तुम्हारी सहेली,
प्रभा
नाम : प्रभा शर्मा
पता : डी, 107, साकेत,
नवघर रोड, ठाणे (पू.)
ई-मेल आईडी : [email protected]

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

3. निमंत्रण पत्र:

दिनांक : 15 अप्रैल, 2019,
प्रिय भाई भावेश,
सप्रेम नमस्ते।आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अगामी 5 मई, 2019, रविवार के दिन मेरे नए घर का गृहप्रवेश है! इस शुभ अवसर पर सपरिवार उपस्थित होकर हमे कृतार्थ करें।आशा है कि आप हमें अनुग्रहित करेंगे।आपका शुभाकांक्षी,
अनिल कुमार।
नाम : अनिल कुमार पाठक
पता : 70/क, कलासागर,
खार (प.), मंबई-400 052.
ई-मेल आईडी : [email protected]

4. भावी योजना हेतु मित्र को पत्र

दिनांक : 20 मार्च, 2019.
प्रिय मित्र अशोक,
नमस्ते।तुम्हारा पत्र मिला। समाचार पाकर प्रसन्नता हुई। पिछले हप्ते ही मेरी परीक्षा समाप्त हुई है। अगले हप्ते सी इ टी की परीक्षा भी है, जिसकी तैयारी कर रहा हूँ। मेरे प्रश्न पत्र अच्छे गए हैं। बारहवीं में 85% अंक पाने की उम्मीद है।माता जी और पिता जी चाहते हैं कि मैं अभियंता (इंजीनियर) बनू किंतु मेरी रुचि डॉक्टरी में है। बचपन से ही एक सपना देखा है। डॉक्टरी में अर्थलाभ के साथ मानव-सेवा का सुअवसर भी प्राप्त होगा। यह किसी अन्य व्यवसाय में संभव नहीं है।यदि तुम्हारी सलाह भी मुझे शीघ्र मिले तो बेहतर होगा। चाचा और चाची को मेरा प्रणाम। शेष कुशल है।तुम्हारा मित्र,
सतीश
नाम :- सतीश ठाकुर,
पता : 105, कलाकुंज,
शनिवार पेठ, पुणे – 7.
ई-मेल आई.डी. : [email protected]

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

(5) कार्यालयीन पत्र :

दिनांक : 20 अक्टूबर, 2019
प्रति,
श्री.पुलिस इंस्पेक्टर, शहर पुलिस थाना, वर्धा। विषय : पटाखे असमय फोडने पर प्रतिबंध लगाने हेतु अनुरोधन-पत्रमान्यवर महोदय,
दीवाली के इस शुभ अवसर पर रंग में भंग डालने की मेरी कोई मनिषा नहीं है। पर्व त्योहार मनाने की स्वतंत्रता में मैं बाधा नहीं डालना| चाहता हूँ। परंतु दीवाली के पटाखों से मुहल्ले में दिन-रात शोर-शराबा चलता है। घर में बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी होते हैं। उनपर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।ऊपर से प्रदूषण भी बढ़ता है। मैं सुरेश भोसले आपको विनम्र अनुरोध करता हूँ कि आप इन पटाखों के फोड़ने पर कुछ-कुछ प्रतिबंध लगाएँ। एक निश्चित समय पर ही फोड़ने की इजाजत दें। ज्यादा आवाज करनेवाले पटाखों पर प्रतिबंध डाल दें। इस से ध्वनि प्रदूषण कम होगा और सबकी परेशानी मिटेगी।उम्मीद करता हूँ कि आप हमारी परेशानी को गंभीरता से लेंगे और अपने अधिकारों का उपयोग कर ठोस कदम उठाएँगे। तसदी के लिए माफी चाहता हूँ।भवदीय,
सुरेश भोसले।
नाम : सुरेश भोसले,
पता : 50, सेवा सदन,
गोखले नगर, वर्धा।
ई-मेल आई.डी : [email protected]

(6)

दिनांक : 30 मई, 2019.
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक,
वैद्यनाथ विद्यालय,
परली।
विषय : पाँचवी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए प्रार्थना पत्रमान्यवर महोदय,
वैद्यनाथ विद्यालय परली में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के सबसे अच्छे विद्यालयों में से एक है। मैं चाहती हूँ कि मेरा छोटा भाई कमलेश आगे की पढ़ाई आपके विद्यालय में करे। पिछले वर्ष चौथी कक्षा में उसे अस्सी प्रतिशत अंक आए हैं। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अच्छा है।दौड़ प्रतियोगिता में उसने राज्यस्तर पर कांस्य पदक प्राप्त किया है। नृत्य और अभिनय जैसी कलाओं में भी निपुण है। उसके इन सभी गुणों का आपके विद्यालय में और विकास होगा। उम्मीद करती हूँ कि आप मना नहीं करेंगे।इस पत्र के साथ मैं चौथी के अंक-पत्र की प्रतिलिपि भेज रही हूँ। आपसे नम्र निवेदन है कि आप मेरे भाई को पाँचवी कक्षा में प्रवेश देने की कृपा करें।धन्यवाद।
प्रार्थी,
शैलजा पाठक।
नाम : शैलजा पाठक,
पता : 460, आसरा,
नेताजी मार्ग, परली।
ई-मेल आई.डी.: [email protected]

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

7. व्यावसायिक पत्र :

दिनांक : 16 जून, 2019
सेवा में,
मा. व्यवस्थापक,
क्वालिटी स्पोर्टस्
अप्पा बळवंत चौक, पुणे।
विषय : खेल सामग्री की माँग
संदर्भ : अखबार में छपा विज्ञापनमान्यवर महोदय,
जन-जागरण में प्रकाशित आपके विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि आपके यहाँ सभी प्रकार की खेल सामग्री उपलब्ध है। मैं माधव बाग के क्रीड़ा-मंडल का अध्यक्ष होने के नाते आपको यह पत्र लिख रहा हूँ। जल्द ही हमारे यहाँ वार्षिक खेल उत्सव शुरू होगा। इसके लिए मुझे निम्नलिखित खेल-सामग्री की आवश्यकता है।

अनु. क्र. 1. 2. 3. 4.
सामग्री फुटबॉल बास्केटबॉल हॉकी स्टिक्स नेट
नग 10 10 08 02

नियमानुसार पाँच सौ रुपए का पोस्टल आर्डर आपको भेज रहा हूँ। शेष रकम वी.पी.पी. छुड़ाते समय अदा की जाएगी। उचित कमीशन देने की कृपा करें। खेल सामग्री जल्द से जल्द ऊपर लिखे पते पर भेजने की कोशिश करें।

धन्यवाद,
भवदीय,
अरूण पाटील।
पता : माधव बाग,
सांगली।
ई-मेल आई.डी.: [email protected]

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना पत्र लेखन

8. सामाजिक पत्र :

दिनांक : 20 जून, 2019
सेवा में,
मा. स्वास्थ्य अधिकारी,
नगर परिषद, कोल्हापुर।विषय : मुहल्ले की अस्वच्छता दूर कराने के लिए निवेदनमहोदय,मैं कोल्हापुर की नागरिक हूँ और शिवनेरी, खासबाग मैदान के पास रहती हूँ। मैं मुहल्ले के नागरिकों के प्रतिनिधि के रूप में आपका ध्यान एक महत्त्वपूर्ण समस्या की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ।पिछले कई दिनों से मुहल्ले की सफाई ठीक से नहीं हुई है। जगह-जगह गंदगी फैली हुई है।

कचरे की पेटियाँ बहुत छोटी हैं और उनकी संख्या भी पर्याप्त नहीं है। उचित मात्रा में कीटनाशक औषधियों का छिड़काव भी नहीं किया जाता। भयंकर बदबू के कारण आने-जाने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुहल्ले में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ा है।

इसके कारण संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका उत्पन्न हो गई है।आकस्मिक रूप से हुई भारी वर्षा ने जनता के कष्ट और भी बढ़ा दिए हैं।अत: आप से विनम्र निवेदन है कि तत्काल सफाई का उचित प्रबंध किया जाए। नई कचरा पेटियाँ रखी जाएँ और कीटनाशक दवाएँ छिड़की जाएँ।आशा है, इस दिशा में तत्काल उचित कार्रवाई करेंगे।

तसदी के लिए क्षमस्व,
भवदीया,
संगीता कोटणीस।
नाम : सांगीत कोटणीस
पता : 46, शिवनेरी, शाहू नगर,
खासबाग मैदान, कोल्हापुर।
ई-मेल आई.डी.: [email protected]

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना निबंध लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना निबंध लेखन

निबंध लेखन :

गद्य लिखना अगर कवियों की कसौटी है तो निबंध लिखना गद्यकारों की कसौटी है। निबंध शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है नि-बंध। बंध का अर्थ है बाँधना या बंधा हुआ इसमें लगे ‘नि’ उपसर्ग का अर्थ होता है अच्छी तरह से। अत: निबंध का तात्पर्य उस रचना से है जिसे अच्छी तरह बाँधा गया हो।

किसी भी विषय पर अपने भाव, विचार, अनुभव जानकारी इत्यादि को अपनी शैली में क्रमबद्ध कर अभिव्यक्त करना ही निंबध है। निबंध कैसे लिखा जाय? यह महत्त्वपूर्ण है। भाषा शैली का इसमें विशेष महत्त्व है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

निबंध लेखन में महत्त्वपूर्ण बातें

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन 1

उपर्युक्त क्रम से अंकित एक से बारह तत्त्वों को अनुच्छेद के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है। इसी रूप में निबंध को विस्तार दिया जाता है। यदि इसको संक्षिप्त करना है तो दो तत्त्वों को एक अनुच्छेद में समाहित कर अभिव्यक्त किया जा सकता है।

विषय को भली प्रकार से समझ बूझकर उसकी भूमिका बाँधनी चाहिए और विषय प्रवेश के साथ उसके महत्त्व को उजागर करना चाहिए। विस्तार में विषय के प्रकार, शिक्षा विकास, सामाजिक महत्त्व आदि दिखाना चाहिए। विचार स्पष्ट, तर्कपूर्ण एवं सुलझा हुआ होना चाहिए। निबंध में विषयांतर एवं पुनरुक्ति दोष से बचना आवश्यक होता है।

निबंध के संपादन के साथ-समापन भी आकर्षक होना चाहिए। इसमें लेखक का अपना विचार होना आवश्यक होता है। निबंध की भाषा सरल, प्रभावी व व्याकरणनिष्ठ होनी चाहिए। वाक्य जितने छोटे व स्पष्ट होंगे, निबंध उतना ही प्रभावशाली होगा।

निबंध को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रसिद्ध काव्य पंक्तियों, उक्तियों, मुहावरों, सटीक लोकोक्तियों व घटनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। वर्तनी की शुद्धता के साथ विराम चिह्नों का प्रयोग कुशलता पूर्वक करना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

निबंध के प्रकार : निबंध पाँच प्रकार के होते हैं :

  1. वर्णनात्मक निबंध
  2. कथात्मक या विवरणात्मक निबंध
  3. कल्पनात्मक निबंध
  4. आत्मकथात्मक निबंध
  5. विचारात्मक निबंध।

(1) वर्णनात्मक निबंध : इस निबंध में वर्णन की प्रधानता रहती है। वर्णन में कभी-कभी निजी अनुभूति एवं कल्पना का रंग भी भरना पड़ता है। वस्तु, स्थान, घटना, प्रसंग, यात्रा, अनुभव आदि का रोचक वर्णन किया जाता है। प्राकृतिक दृश्य, त्योहार, उत्सव में एक घंटा आदि निबंध इसी प्रकार के अंतर्गत आते हैं। ‘वर्षा का एक दिन’ निबंध भी इसी के अंतर्गत आता है।

(2) कथात्मक या विवरणात्मक निबंध : किसी घटना अथवा कथा का विवरण, किसी प्रसंग का चित्रण या निरूपण, किसी की जीवन कथा, या आत्मकथा आदि का समावेश इस प्रकार के निबंधों में होता है। निर्जीव वस्तु की आत्मकथा भी यथार्थ का भ्रम करा सके, ऐसी शैली में लिखना चाहिए। जैसे – महात्मा गांधीजी, रेल दुर्घटना, बाढ़ का प्रकोप आदि निबंध।

(3) कल्पनात्मक निबंध : जिन निबंधों में कल्पना तत्त्व की प्रधानता होती है, उसे कल्पना प्रधान निबंध कहते हैं। इसके अंतर्गत जो बात नहीं होती, उसकी कल्पना की जाती है, कभी असंभव – सी बातों को संभव माना जाता है। लेखक कल्पना की ऊँची उड़ान ले सकता है। इस प्रकार के निबंधों के अंतर्गत यदि – होता, अगर …… न होता, मेरी अभिलाषा आदि विषय हैं। जैसे – यदि परीक्षा न होती, अगर मैं बंदी होता, अगर मैं प्रधानमंत्री होता आदि।

(4) आत्मकथात्मक निबंध : इसमें किसी वस्तु, प्राणी या व्यक्ति की आत्मकथा होती है। विद्यार्थी अपने आपको वह वस्तु, प्राणी या व्यक्ति मानकर निबंध लिखता है। इसमें लेखक कल्पना की उड़ान भर सकता है। इसमें जीवित व निर्जीव दोनों तरह की घटना का आरंभ उत्तम पुरुष से होता है। इसमें किसी के दुःख-सुख के साथ लेखक अपने विचारों को भी प्रस्तुत करता है। जैसे – कुर्सी की आत्मकथा, फूल की आत्मकथा, फटे पुस्तक की आत्मकथा आदि।

(5) विचारात्मक निबंध : ऐसे निबंधों में विचार प्रमुख होता है इसमें कल्पना का पुट न के बराबर होता है। इसका आधार तर्क या प्रमाण होता है। किसी के पक्ष या विपक्ष में सकारात्मक तथा नकारात्मक तथ्यों का संपादन बड़ी कुशलता से किया जाता है। समीक्षा व आकलन इस निबंध का आधार होता है।

गरीबी एक अभिशाप, माँ की ममता, वृक्ष लगाओ देश बचाओ, विविधता में एकता, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे, जीवन का लक्ष्य, आदर्श मित्र, आदर्श विदयार्थी, सदाचार का महत्त्व, समय का सदुपयोग, परोपकार, राष्ट्रभाषा की समस्या, समाचार पत्र, विज्ञान-वरदान या अभिशाप, स्त्री भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार उन्मूलन आदि विषय इसके अंतर्गत आते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

Maharashtra Board Class 11 Hindi निबंध

1. होली का त्यौहार

हमारे यहाँ त्योहारों का सिलसिला वर्षभर चलता है। इसीलिए हमारे देश को त्योहारों का देश कहते हैं। ईद, बकरी ईद, ओणम, पोंगल, बैसाखी, रक्षा बंधन, होली, दशहरा, दीपावली, इत्यादि प्रमुख त्योहार हैं। होली रंगों का त्यौहार है।

होली का त्योहार मनाने के पीछे धार्मिक कारण है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक शैतान, प्रहलाद जैसे ईश्वर भक्त बेटे का पिता था, जो घमंड के कारण अपने आप को ईश्वर समझता था। उसकी एक बहन होलिका थी जिसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी।

होलिका अपने भाई की मदद के लिए प्रहलाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गई। नारायण की कृपा से प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई। तभी से होलिका दहन किया जाने लगा। यह असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। जिसके दूसरे दिन लोग रंगों से एक दूसरे का स्वागत करते हैं।

हमारा देश किसानों का देश है। यह उनकी फसलों का भी त्योहार है। फसल का रसास्वादन होली की खुशी लेकर आता है। लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर नाचते-गाते हैं। इस दिन शैतान को कबीरा सुनाकर ताना भी मारा जाता है। होली के गीत अत्यंत मनोरंजक व आकर्षक होते हैं।

भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होली खेलते थे। बरसाने और ब्रज की लठमार होली आज भी उसी उमंग से मनाई जाती है। लोग मिठाई बाँटते हैं, ठंडाई पीते हैं। अपने गिले-शिकवे मिटाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। सभी होली के रंग में घुल-मिल जाते हैं।

कुछ गलत परंपराएँ चल पड़ी हैं जिसे रोकना अनिवार्य है। जैसे – गंदा पानी, कीचड़, गोबर, पेंट, शराब व भाँग का प्रचलन। नशे की हालत में किया गया व्यवहार इस सुंदर पर्व को बदरंग कर देता है, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ आपसी दुश्मनी को बढ़ावा मिलता है। घातक रंगों के प्रयोग से आँखों की रोशनी पर भी कुप्रभाव पड़ता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

होली के स्नेह सम्मेलन एक – दूसरे को आपस में जोड़ते हैं-

होली के दिन दिल मिल जाते हैं
रंगों में रंग मिल जाते हैं।
गिले-शिकवे सभी भूल कर
दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।

यदि गंदगी फूहड़ता तथा नशे पर रोक लगाई जा सके, तो इससे उत्तम पर्व कोई भी नहीं हो सकता।

2. राष्ट्रभाषा हिंदी

राष्ट्रभाषा हमारे विचारों की संवाहक होती है। इसके माध्यम से हम अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। प्रत्येक देश की भाषा उसकी अपनी पहचान होती है। उसका संपूर्ण कार्य उसी भाषा में होता है। राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र के उद्गार का माध्यम होती है। फ्रांस, चीन, जर्मनी, जपान, रूस अपनी भाषा की बदौलत आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए हैं और महाशक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

हमारे देश की सर्वाधिक जनता हिंदी भाषा का प्रयोग करती है, इसी कारण महात्मा गांधीजी ने कहा था कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा बनने योग्य हैं। इसीलिए 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रस्तावित किया गया। पूरे देश को हिंदी सीखने के लिए 15 वर्ष का समय दिया गया। इसे 14 सिंतबर 1964 से कार्यान्वित करने का भी प्रस्ताव था किंतु राजनैतिक कारणों से हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में आज भी संसद में पारित नहीं किया गया है।

जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं, वह देश या राष्ट्र गूंगा है।

भूतपूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा तो बना दिया किंतु राष्ट्रभाषा हिंदी संसद की भाषा नहीं बन सकी। मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद, सूरीनाम, गुयाना, कनाडा, इंग्लैण्ड, नेपाल आदि देशों में हिंदी की अपनी एक अलग पहचान है। भारत में यह षडयंत्र की शिकार है।

14 सिंतबर को हर वर्ष ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। जब तक हम व्यावहारिक रूप में राष्ट्रभाषा को स्वीकार नहीं करते तब तक भारत के संपूर्ण विकास पर प्रश्न चिह्न लगा रहेगा।

राष्ट्रभाषा हिंदी ही है, जो पूरे-देश को एक सूत्र में बाँधने की क्षमता रखती है। इसे शिक्षा का माध्यम बनाने से हमारे देश में अत्यधिक बहुमुखी प्रतिभाएँ निकल कर आगे आएँगी। महात्मा गांधीजी ने भी स्वीकार किया था कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए; उच्च व तकनीकी शिक्षा भी हिंदी माध्यम से दी जा सकती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

3. भ्रष्टाचार :

एक राष्ट्रीय अभिशाप । एक समय था जब चुनाव से पहले हर राजनैतिक दल इस देश से भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया करते थे। देश में चुनाव होते गए और राजनैतिक दल अदल-बदल कर सत्तारूढ़ होते गए। जैसे-जैसे दिन बीतता गया इस देश में भ्रष्टाचार बढ़ता गया, अब तो आकंठ डूबे भ्रष्टाचार और राजनेता एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं। अब कोई भी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार मिटाने की बात नहीं करता। सभी इस विशालकाय दैत्य के सामने नतमस्तक हैं।

भ्रष्टाचार का अर्थ है दूषित आचरण या बेईमानी। आज भ्रष्टाचार की काली छाया संपूर्ण देश में अमावस्या की तरह व्याप्त हो गई है और सत्तासीन लोग भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। अब भ्रष्टाचार के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने की बजाय इसे अंगीकार कर लिया गया है।

आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार से कोसों दूर हैं किंतु वे भ्रष्टाचारियों का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। दुःस्साहस करनेवाले मुँह की खाते हैं उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाती है।

वैसे तो भ्रष्टाचार कमोबेश पूरे विश्व में व्याप्त है किंतु हमारे देश में यह सिंहासनारूढ़ है। इसका कारण है हमारे देश की चुनाव पद्धति। जिसे जीतने के लिए प्रत्याशी पानी की तरह पैसा बहाते हैं। अपनी सेवानिष्ठा ईमानदारी, योग्यता के बल पर न ही कोई चुनाव लड़ता है और न ही जीत पाता है। चुनाव में सफल होने पर वह हर हाल में अपना खर्च किया हुआ पैसा ब्याज के साथ वसूलता है। पैसे की प्राप्ति की अधीरता ही उसे भ्रष्टाचारी बनने को मजबूर करती है।

इसका दूसरा कारण है भौतिकवादी सभ्यता का प्रसार और पाश्चात्य देशों का अंधानुकरण। लोग सारे नियम कानून को ताक पर रखकर पैसा कमाने के चक्कर में भ्रष्टाचारी बन जाते हैं। चारों तरफ धन बटोरने की अफरा-तफरी मची हुई है। लोग विदेशी बैंकों में पैसे जमा करते जा रहे हैं।

आज का प्रत्यक्ष आकड़ा बताता है कि भारतीय भ्रष्टाचारियों का चौदह हजार लाख करोड़ रुपया विदेशी बैंकों की शोभा बढ़ा रहा है जो निश्चित रूप से काला धन है। सबने इसे अपनी जीवन पद्धति में शामिल कर लिया है।

नशीले पदार्थो का व्यापार कानून व्यवस्था के रखवालों के हाथ की कठपुतली बन चुका है। देश का युवावर्ग भ्रष्टाचारियों को आदर्श मानकर उसी रास्ते पर चल रहा है। उनके मन से राष्ट्राभिमान और राष्ट्र-प्रेम लुप्त होता जा रहा है। तकनीकी और प्राथमिक शिक्षण व्यवसाय बन चुका है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

बाबा रामदेव, अन्ना हजारे जैसे लोग इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। यदि हम राष्ट्र को विश्व की प्रथम पंक्ति में बिठाना चाहते है तो भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन आवश्यक है। समाज सेवकों की मेहनत रंग लाएगी। सत्तासीनों की पोल खुलेगी, जनता जगेगी, निश्चित रूप से काला धन वापस आएगा।

देश का युवावर्ग जिस दिन जगेगा भ्रष्टाचार के रावण का अंत होगा और ध्वंस होगा भ्रष्टाचार का साम्राज्य। नए राष्ट्र का उदय होगा और तब साकार होगा। ‘मेरा भारत महान’ का स्वप्न।

4. मैं मोवाईल वोल रहा हूँ

आज विज्ञान प्रदत्त सुविधाओं को हम नकार नहीं सकते। दूरदर्शन, दूरध्वनि, ट्रांजिस्टर ,संगणक, विमान, राकेट, आदि की खोज ने मानव जीवन को एक नई दिशा दी है। कुछ दिन पहले ही पेजर आया बाद में लोगों को पता चला कि फोन भी आ रहा है। अब जब से मेरा आगमन हुआ है मैनें लोगों की दुनिया में क्रांति ला दी है।

जब मेरा बड़ा भाई टेलिफोन इस दुनिया में आया तो उसने पत्रलेखन की कमी को दूर कर लोगों के आपसी संबंध को जोड़ने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही मैंने इस दुनिया में कदम रखा बड़े भाई की परेशानी दूर कर दी। लोगों ने मुझे अपनी जेब में रखना शुरू किया।

मैंने भी लोगों की हर सुविधा का ध्यान रखा। फोटोग्राफी, खेल, सिनेमा, धारावाहिक, एफ एम रेडियो से लेकर हर सुविधा जो दृश्य – श्रव्य साधनों द्वारा प्राप्त होती है, मैंने दी। हाँ! आया, ठीक सुना आपने मैं मोबाइल बोल रहा हूँ। जब से मैंने इस दुनिया में कदम रखा है, तब से सारे संसार में एक क्रांति आ गई है।

विज्ञान ने जो कुछ भी दिया मैं भी उसी की एक कड़ी हूँ। मैं आप लोगों की दिन – रात सेवा कर रहा हूँ। मैंने ऐसी मुहब्बत दी है कि मुझे एक पल के लिए भी आप अपने से अलग नहीं कर पाते।

आपको मैंने सुविधा दी और आप ने भी अपनी जेब से मुझे निकाल कर हाथ की बजाय एक तार से जोड़कर अपने कान में लगा लिया और घंटों बातें करते रहते हैं।

मेरे दोस्तों मुझे दुःख है कि लोगों ने मेरा दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। पता नहीं लोग इतना झूठ क्यों बोलते हैं। मेरी मोहब्बत में अंधे होकर अपनी जान क्यों दे रहे हैं? लोगों का मुझ पर आरोप है कि मैं लोगों का समय बरबाद कर रहा हूँ।

मैंने लोगों को झूठ बोलना सिखाया है। मैंने माहौल को गंदा किया है। आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ाने में भी मेरा उपयोग हो रहा है। परीक्षा के समय भी छात्र मेरा उपयोग नकल करने में करते हैं। लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

मैं सबकी मदद करता हूँ। लोगों के दुःख, दर्द को दूर करता हूँ। लोगों के आपसी संबंधों में मधुरता लाता हूँ। इंटरनेट पर होनेवाली, घटनाओं की जानकारी देता हूँ। लोग मेरा सदुपयोग करने की बजाए दुरुपयोग करें, तो इसमें मेरी क्या गलती? मेरी दीवानगी में यदि आप अपना काम छोड़कर निष्क्रिय बन रहे हैं तो मैं क्या करूँ? मेरे दोस्तों मेरा सही प्रयोग करके मुझे बदनामी से आप ही बचा सकते हैं।

यदि मेरा सदुपयोग करेंगे तो मैं कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। मैं सूचना पहुँचाने का माध्यम हूँ। मनोरंजन का साधन हूँ। ज्ञान का भंडार हूँ। आपकी हर समस्या का समाधान हूँ। मुझे वही बने रहने दीजिए। मैं तो हमेशा आपकी सेवा में संलग्न रहना चाहता हूँ।

5. दीपावली के पटाखे

पिछले पंद्रह दिनों से लगातार पटाखों के शोर ने मेरी नींद उड़ा दी है। मैं तंग आ गया हूँ घर में बीमार पत्नी कराह रही थी। मैंने नीचे जाकर लोगों से मिन्नतें की लेकिन त्योहार के नाम पर शोर मचानेवालों ने परंपरा की बात कहकर मेरा मजाक उड़ाया। नियम से दस बजे तक ही पटाखे फोड़ने चाहिए लेकिन पूरी रात तक इसका क्रम चलता रहा। दिवाली के दिन तो हद हो गई।

जिसने मुझे चिढ़ाया था, परंपरा की दुहाई दी थी, संस्कृति और पर्व के नाम पर भाषण सुनाया था, पटाखे के धमाके से उसके पिता को दिल का दौरा पड़ा। आधी रात को हम लोग उन्हें अस्पताल ले गए पर दुर्भाग्य कि अब वे एक जिंदा लाश बनकर रह गए हैं।

ध्वनि प्रदूषण का कुप्रभाव सारी खुशियों पर पानी फेर गया। मैंने सुबह सारे कचरे को इकट्ठा करवाकर जलाया, सफाई करवाई, युवकों, बड़ों व बच्चों को बुलाकर समझाया कि जितना पैसा पटाखों में खर्च किया जाता है, उतने पैसों से हम बगीचा बनवा सकते हैं, जो हमें प्रदूषण से राहत देगा।

फिर किसी को जिंदा लाश नहीं बनना पड़ेगा। त्योहार खुशियाँ बाँटने के लिए होते हैं, दर्द देने के लिए नहीं। थोड़े लोगों में सहमति बनी। आज हमारी सोसायटी का बगीचा अन्य लोगों के लिए आदर्श बन चुका है। सबने पटाखे न फोड़ने का संकल्प तो नहीं किया किंतु नियमानुसार फोड़कर पर्व को मनाने का निर्णय अवश्य लिया।

व्यक्ति संस्कारों से सँवरता है, निखरता है। उसके व्यक्तित्व को गढ़ने का कार्य भी संस्कार ही करते हैं। किशोरावस्था और कुमारावस्था में छात्रों के लिए संस्कारगत मूल्यों की शिक्षा अनिवार्य है। इसका मानव जीवन के आचरण पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।

कुछ नीतिपरक मूल्य मनुष्य को आदर्श नागरिक बनाने में सहायक होते हैं। इस संदर्भ में किसी महान मानव के चरित्र के ऊपर भी कुछ लिखा जा सकता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

उदाहरणार्थ कुछ संकेत निम्नलिखित हैं।

  • जनमत का आदर करनेवाला मानव वास्तविक नायक बन जाता है। संसार के महान पुरुषों के चरित्र को आधार बनाकर इस कथन को अभिव्यक्ति दी जा सकती है।
  • आज शहरी जीवन में स्वार्थांधता इतनी बढ़ गई है कि अपनत्व का भाव लुप्त होता जा रहा है। संवेदना धुंधली होती जा रही है, मानवता कहीं न कहीं लुप्त होती जा रही हैं।

6. अब्राहम लिंकन

अमेरिका के एक गरीब परिवार में जन्म लेनेवाला बालक अब्राहम लिंकन जिसने बचपन में अत्यंत अभावपूर्ण परिस्थिति में परवरिश पायी। घर की टूटी खिड़कियाँ और टूटी हुई छत, ऊपर से बिजली का अभाव, बचपन में पिता के साथ मजदूरी करने को मजबूर भरपेट भोजन का अभाव उसे घेरे रहता था।

कहते हैं “जहाँ चाह वहाँ राह” कुशाग्र बुद्धि, बहादुर, हँसी मजाक करने वाला बालक मित्रों से पुस्तकें माँगकर पढ़ उसे लौटा देता। बुद्धि इतनी तीव्र कि पुस्तक का एक-एक शब्द उसकी याददाश्त का हिस्सा बन जाते।

बिजली के अभाव में सड़क के खंभे से आते प्रकाश को पढ़ने के लिए प्रयोग करते देख एक अमीर ने उसको पढ़ने के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराई। उसकी लगन, मेहनत और प्रतिभा ने उसे महान वकील बना दिया।

अमेरिका का कलंक वहाँ की दास प्रथा थी। उससे मुक्ति दिलाने का काम अब्राहम लिंकन ने किया। इसी दृढ संकल्प शक्ति से वे एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। यदि हमारे अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति है तो सृजनात्मक मूल्य अपने आप विकसित होते हैं और हमें ऊँचाई प्रदान करते है।

हमारे बीच ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि गरीबी की कोख से पले- बढ़े, संघर्षरत, दृढ़ इच्छा शक्ति वाले गाँव के एक किसान बालक लालबहादुर शास्त्री ने भारत का प्रधान मंत्री बनकर देश को “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।

संत महात्माओं, साहित्यकारों, मनीषियों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त कर जो अमृत संदेश दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी प्रसिद्ध उक्तियाँ ही सूक्तियाँ कहलाती हैं। उन उक्तियों या सूक्तियों को आधार मान कर आप अपने विचार अभिव्यक्त कर सकते हैं। कुछ उदाहरण निम्न हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

  1. “ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  2. है अंधेरी रात पर दीया जलाना कब मना है?
  3. “तभी समर्थ भाव है कि तारता हुए तरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’
  4. “नाश के दुःख से कभी, दबता नहीं निर्माण का सुख”
  5. “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।”

इन कहावतों में मानव जीवन का महान सत्य प्रस्तुत किया गया है। मानव जीवन में उसका मन ही उसकी सारी गतिविधियों का संचालन करता है। जीवन में अनुकूल -प्रतिकूल परिस्थितियों का आना – जाना लगा रहता है। यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में हम अपना धैर्य बनाए रखें, तो हम उस पर विजय पाने में सफल रहते हैं। इसके विपरीत यदि हम में निराशा और अधीरता घर कर जाए तो साधन संपन्न रहने पर भी पराजय ही हमारे हाथ लगती है।

सच्ची तंदुरुस्ती और आत्मनिर्भरता हमारे विजय का मार्ग प्रशस्त करती है। खेल में कभी हार तो कभी जीत मिलती है लेकिन हार में यदि हम निराश हो जाएँ तो सब कुछ बिखर जाएगा। हमें हर परिस्थिति में यह मानकर चलना है।

“क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संघर्ष-पथ पर जो मिले, यह भी सही वह भी सही “हार मानूँगा नहीं, वरदान माँगूगा नहीं” इस सूत्र को जीवन का आधार बनाकर एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से आदिलशाही सुलतानों, पुर्तगालियों, मुगलों से लोहा लिया और विजय पाई। समाज के तमाम विरोध के बावजूद महात्मा ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र में स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार का महान कार्य किया।

7. 26 जुलाई

वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर! ऐसी ताकत हिम्मत और हौसले को प्रणाम करता हूँ वरना हिम्मत, हौसला और दृढ इच्छाशक्ति के बिना उस परिस्थिति से उबर पाना आसान न था। क्या छोटा क्या बड़ा? क्या अमीर क्या गरीब। एकता की एक श्रृखंला बन गई। दुनिया के सामने एक मिसाल – लोग कह उठे वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर!

जब से मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारंभ की तथा उसका दोहन प्रारंभ किया, तभी से वह प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया। वह भूल गया कि मूक दिखाई देने वाली प्रकृति की वक्रदृष्टि सर्वनाश का कारण बन सकती है। 26 जुलाई की विभिषिणा ने हम मुंबई वासियों को आगाह किया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आज हमारे परिवेश में पर्यावरण का संरक्षण निहायत जरूरी है। प्लास्टीक की। थैलिया हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक हैं क्योंकि 60 फीसदी प्लास्टीक ही रिसाइकिल हो पाती है।

प्लास्टीक का यह कचरा ज्यादातर नालियों और सीवेज को ठप्प कर देता है, शेष समुद्र पर होने वाले अतिक्रमण और वृक्षों की कटाई ने भी अपनी भूमिका अदा की है। जिसके कारण ही वर्षा का जल समुद्र की खाड़ी में नहीं जा पाता और जल जमाव से लोग त्रस्त होते हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा से ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। वन रोपण तथा वृक्ष लगाने से यह समस्या कम हो सकती है। जनसंख्या वृद्धि पर भी हमें अंकुश लगाना होगा। कंक्रीट के जंगल की सीमा बांधनी होगी। समुद्र के अतिक्रमण को रोकना होगा। वरना सुख देने वाली यह प्रकृति हमें गटक जाएगी।

26 जुलाई 2005 की वह कहर भरी शाम। समुद्री तूफान और बरसात का सिलसिला जो आरंभ हुआ, पूरी रात चलता रहा। हर गली पानी से भर गई। पहली मंजिल तक पानी पहुंचा, रेलवे प्लेट फार्म डूब गए, सड़कों पर पानी, गाड़ियों के ऊपर से पानी बह रहा था। सब तरफ अफरा-तफरी का माहौल।

सबकी सोच, कि अब क्या होगा? कैसे निपटा जाय। इस मुसीबत से लोगों ने हिम्मत नहीं हारी, पूरी रात कौन कहाँ रहा पता नहीं? मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों के दरवाजे खुल गए। लोगों ने शरण ली। सबने जिसकी जितनी ताकत थी एक – दूसरे को सँभाला, हिम्मत बँधाए रखा। करोड़ों का नुकसान हुआ।

रेलवे, बस सबकी सेवाएं ठप्प हो गईं। वाह रे! हिम्मत चौबीस घंटे बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा। हालात को सामान्य बनाने में सबका योगदान रहा। यह थी हमारी एकता वर्गगत, जातिगत, धर्मगत, दलगत, विचारों से ऊपर। सर्वधर्म समभाव का ऐसा उदाहरण जिसे हम आज भी नमन करते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. बैंक तथा वाणिज्य से संबंधित शब्द

  • Account = लेखा
  • Accountant = लेखापाल
  • Act = अधिनियम Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Affidavit = शपथपत्र
  • Agreement = अनुबंध/करार
  • Annexure = परिशिष्ट
  • Audit = लेखा परीक्षण
  • Average = औसत
  • Session = सत्र
  • Advocate General = महाधिवक्ता
  • Foreign Exchange = विदेशी विनिमय
  • Fund Sinking = निक्षेप निधि
  • Finance Commissioner = वित्त आयुक्त
  • Deduction = कटौती
  • Dividend = लाभांश
  • Domicile Certificate = अधिवास प्रमाणपत्र
  • Draft = मसौदा/प्रारूप
  • Gazette = राजपत्र
  • Investment = निवेश
  • Management = प्रबंधन
  • Revenue = राजस्व
  • Clearing = समाशोधन
  • Attestation = साक्ष्यांकन
  • Cheque = धनादेश (चैक)
  • Advance = अग्रिम
  • Capital = पूँजी Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Cashier = रोकड़िया/कोषाध्यक्ष
  • Amount = धनराशि, रकम
  • Custom Duty = सीमा शुल्क
  • Credit Amount = जमा रक्कम
  • Finance Bill = वित्त विधेयक
  • Finance Statement = वित्तीय विवरण
  • Pension = निवृत्ति वेतन
  • Service Charges = सेवा भार
  • Corporation-Tax = नगर निगम कर
  • Trade Mark = व्यापार चिह्न
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

2. विधि से संबंधित शब्द

  • Bailable Offence = जमानती अपराध
  • Defendent = ufdact
  • Accused = अभियुक्त
  • Bench = न्यायपीठ
  • Show Cause = कारण बताओ
  • Custody (Police) = पुलिस हिरासत
  • Formal Investigation = औपचारिक जाँच
  • Validity = वैधता
  • Advocate General = Halfeta chall
  • Judicial Power = न्यायालयीन अधिकार
  • Ordinance = अध्यादेश

3. प्रशासनिक

  • Chancellor = कुलाधिपति
  • Deputation = प्रतिनियुक्ति
  • Director = निदेशक
  • Surveyor = सर्वेक्षक
  • Supervisor = पर्यवेक्षक
  • Governor = राज्यपाल
  • Secretary = सचिव
  • Eligibility = अर्हता
  • Memorandum = ज्ञापन
  • Notification = अधिसूचना
  • Registrar = कुलसचिव
  • Administration = प्रशासन
  • Commission = आयोग
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

4. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली

  • Mechanics = यांत्रिक
  • Gravitation = गुरुत्वाकर्षण
  • Orbit = कक्षा
  • Satellite = उपग्रह
  • Nerve = तंत्रिका
  • Nutrition = पोषण
  • Radiation = विकिरण
  • Tissue = ऊतक
  • Fertility = उर्वरता
  • Genetics = अनुवांशिकी

5. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Internet = अंतरजाल
  • Control Section = नियंत्रण अनुभाग
  • Hard Copy = मुद्रित प्रति
  • Storage = भंडार
  • Data = आँकड़ा
  • Software = प्रक्रिया सामग्री
  • Output = निर्गम
  • Screen = प्रपट्ट Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Network = संजाल
  • Command = समादेश

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण गटात न बसणारा शब्द Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

11th Marathi Book Answers व्याकरण गटात न बसणारा शब्द Additional Important Questions and Answers

गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 1.
नामांकित, कीर्तिमान, कुविख्यात, सर्वज्ञात
उत्तर :
कुविख्यात

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 2.
वात, जलद, मेघ, घन
उत्तर :
वात

प्रश्न 3.
सटासट, कटकट, वटवट, झटपट
उत्तर :
सटासट

प्रश्न 4.
अपमान, दुर्लक्ष, निष्काळजी, आदर
उत्तर :
अपमान

प्रश्न 5.
सौदामिनी, प्रकाश, दिप्ती, तेज
उत्तर :
सौदामिनी

प्रश्न 6.
त्याला, त्याचा, तुझा, आणि
उत्तर :
आणि

प्रश्न 7.
संभाषण, भाषण, चर्चा, संवाद
उत्तर : भाषण

प्रश्न 8.
गुजरात, महाराष्ट्र, मुंबई, कर्नाटक
उत्तर :
मुंबई

प्रश्न 9.
फूल, पान, खोड, मासा
उत्तर :
मासा

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 10.
पृथ्वी, धरणी, वसुधा, समिधा
उत्तर :
समिधा

प्रश्न 11.
देवूळ, मंदिर, देवालय, देव
उत्तर :
देव

प्रश्न 12.
कर्ण, डोळा, नयन, नेत्र
उत्तर :
कर्ण

प्रश्न 13.
पर्वत, नग, नभ, गिरी
उत्तर :
नभ

प्रश्न 14.
हात, पद, कर, हस्त
उत्तर :
पद

प्रश्न 15.
दैत्य, दानव, राक्षस, सुर
उत्तर :
सुर

प्रश्न 16.
नवल, संकोच, आश्चर्य, विस्मय
उत्तर :
संकोच

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 17.
युद्ध, समर, संगम, लढाई
उत्तर :
संगम

प्रश्न 18.
वणवा, वन, जंगल, अरण्य
उत्तर :
वणवा

प्रश्न 19.
शत्रू, वैरी, दुष्मन, दोस्त
उत्तर :
दोस्त

प्रश्न 20.
पिता, वडील, भ्राता, जनक
उत्तर :
भ्राता