Class 11 Hindi Chapter 14 Hindi Mein Ujjwal Bhavishya Ki Sambhavnaye Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 14 Hindi Mein Ujjwal Bhavishya Ki Sambhavnaye Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
मनोरंजन के क्षेत्र में हिंदी भाषा के माध्यम से रोजगार की संभावनाएँ लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनोरंजन एक उद्योग के रूप में उभरकर आया है। टी. वी. ने असंख्य कलाकारों, संगीतकारों, गायकों के लिए रोजगार का महाद्वार खोला है। इसके अलावा हिंदी रचनाकारों, संवाद-लेखकों, पटकथा-लेखकों और गीतकारों के लिए भी नए-नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

कई प्रसिद्ध धारावाहिकों के अनुवाद में भी रोजगार की संभावनाएँ हैं। कार्टून फिल्मों में भी डबिंग (पार्श्व आवाज) के लिए अनेक संभावनाएँ हैं।

फिल्म क्षेत्र में पटकथा लेखन, संवाद-लेखन, गीत लेखन, कलाकारों के लिए हिंदी का सही उच्चारण सिखाने के लिए प्रशिक्षक के रूप में रोजगार की संभावनाएँ हैं।

रेडियो एक पुराना माध्यम है। रेडियो में रूपक, नाटक, धारावाहिक, समाचार-लेखन, भाषण, वाचन इन क्षेत्रों में अवसर प्राप्त हैं। इसके अलावा रेडियो जॉकी का काम भी आज के जमाने की माँग है।

प्रकाशन क्षेत्र में भी पुस्तकों के लिए मुद्रित शोधन, समाचार पत्रों में संपादक, पत्रकार, अनुवादक, स्तंभ लेखक इन जैसे विविध रोजगार को पाने के लिए हिंदी भाषा पर अधिकार होना जरूरी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

प्रश्न 2.
‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी रोजगार की भाषा बनती जा रही है’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भूमंडलीकरण (globalization) के इस युग में आज दुनिया बिल्कुल नजदीक आ गई है। भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में अनेक विदेशी कंपनियाँ व्यापार के लिए इच्छुक हैं। यही कारण है कि दुनिया के 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है।

इन देशो में हिंदी अध्यापक का कार्य करना एक सुअवसर है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। इसी तरह दुनिया के तमाम देशों के दूतावास हमारे देश में भी हैं। इनमें से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इस विभाग में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक जैसे पद उपलब्ध होते हैं। इन विभागो द्वारा पत्राचार, समाचार, रिपोर्ट हिंदी में भेजने के लिए हिंदी विशेषज्ञों का विशेष महत्त्व है।

अन्य देशों के पर्यटक हमारे देश में आते हैं। बहुभाषी लोगों के लिए ‘टुरिस्ट गाइड’ का काम यह एक नया रोजगार है। विदेशी कंपनियों की वस्तुएँ भारत में बेचने के लिए भी मैनेजर से लेकर विक्रेता तक अनेक प्रकार के पदों पर रोजगार पाना समय की माँग है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर हिंदी में रोजगार की संभावनाओं का वर्गीकरण करते हुए तालिका बनाइए।
(१) मनोरंजन
(२) विज्ञापन
(३) अनुवाद
(४) अंतर्राष्ट्रीय
उत्तर :
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व्यावहारिक प्रयोग
प्रश्न 1.
‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ यह विज्ञापन आप रेडियो के लिए नए तरीके से तैयार कीजिए।
उत्तर :
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Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

प्रश्न 2.
‘उच्च माध्यमिक हिंदी शिक्षक पद’ का विज्ञापन पढ़कर उसे ऑनलाईन भरने की आवश्यक प्रक्रिया की जानकारी लिखिए।
उत्तर :

  • उम्मीदवार विज्ञप्ति के अनुसार अंतिम तारीख से पहले ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर लिंक ओपन करें।
  • लिंक ओपन होने के बाद यूजर आई. डी. पासवर्ड देकर रजिस्ट्रेशन करें।
  • इसके बाद आधिकारिक सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें।
  • फिर ऑनलाइन आवेदन पर क्लिक करें। फिर सभी आवश्यक और महत्त्वपूर्ण विवरण को भरें। (उदा. वैयक्तिक जानकारी, उम्र, शैक्षणिक योग्यता आदि)
  • सभी दस्तावेज, फोटो तथा हस्ताक्षर अपलोड करें।
  • फिर आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
  • इसके बाद ऑनलाइन आवेदन फॉर्म सबमिट करें। (सबमिट करने से पहले जानकारी भरने में गलती न हो इसलिए एक बार जाँच लें।)
  • इसके बाद आवेदन पत्र का प्रिंट आऊट लें, जो आपको भविष्य में काम आएगा।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ Summary in Hindi

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ लेखक परिचय :

डॉ. दामोदर खड़से जी हिंदी जगत् में एक प्रख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक आदि अनेक रूपो में माहिर है। आपका जन्म 11 नवंबर 1948 को छत्तीसगढ़ के कोरिया में हुआ। आपने बैंकिग तथा तकनीकी शब्दावली का भी निर्माण किया है।

कंप्यूटर एवं बैंकिग प्रशिक्षण को सुगम बनाने के लिए आपने योगदान दिया है। आप तीस वर्षों तक बैंक में सहायक महाप्रबंधक (general manager) (राजभाषा) के रूप में कार्यरत थे।

एक सशक्त लेखक के साथ-साथ आप एक सफल वक्ता भी हैं। आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा अनेक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ रचनाएँ :

काला सूरज, भगदड़, बादल राग (उपन्यास) सन्नाटे में रोशनी, नदी कभी नहीं सूखती आदि (कविता संग्रह) भटकते कोलंबस, पार्टनर, गौरेया को तो गुस्सा नहीं आता (कहानी संग्रह), मराठी से हिंदी में अनुवाद – 21 कृतियाँ

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विधा परिचय :

भाषण एक कला है। अपने विचारों से जनमानस को अवगत करने वाला यह एक सशक्त माध्यम है। भाषण द्वारा श्रोताओं को प्रभावित करना, उन्हें प्रेरित करना आदि उसकी विशेषताएँ हैं। हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ यह पाठ लेखक के एक भाषण का संकलित अंश है।

भारत में स्वामी विवेकानंद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, सरदार पटेल आदि महापुरुषों के भाषण विश्व में प्रसिद्ध हैं।’

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ विषय प्रवेश :

‘हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ’ यह पाठ लेखक डॉ. दामोदर खड़से जी के भाषण का संकलित अंश है। इस भाषण से हिंदी के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में विविध प्रकार के रोजगार को प्राप्त करने की संभावनाएं बताई गई हैं। हिंदी भाषा का महत्त्व बढ़ाना यह इस भाषण का हेतु है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ सारांश :

लेखक के मतानुसार हिंदी भाषा के अध्ययन से छात्रों को भविष्य में अनेक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

केंद्र सरकार कार्यालय : भारत संघ की राजभाषा हिंदी होने के कारण मंत्रालय, संसद तथा सरकारी कार्यालयों में हिंदी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य दिया गया है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में अनुवादक, लिपिक, अधिकारी, राजभाषा अधिकारी, निर्देशक (director), उपनिर्देशक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार संभव है।

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विज्ञानपन क्षेत्र : हिंदी की प्रकृति विज्ञापन के लिए बहुत लाभदायी एवं महत्त्वपूर्ण है। विज्ञापन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रित मिडिया में हिंदी विज्ञापनों की भरमार होती है। इस क्षेत्र में विज्ञापन लेखन, कॉपी रायटर, विज्ञापन का प्रसारण आदि रोजगार के अवसर प्राप्त है।

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मनोरंजन : मनोरंजन का क्षेत्र हिंदी के जानकारों के लिए रोजगार का मानो एक महाद्वार है। मनोरंजन के लिए आजकल टी. वी., फिल्म, रेडियो, वेब दुनिया जैसे अनेक क्षेत्र खुले हैं। इन सभी में हिंदी रचनाकार, गीतकार, संगीतकार, गायक, अनुवादक, पटकथा-लेखक, संवाद-लेखक, कलाकार, पार्श्व आवाज (डबिंग), रेडियो जॉकी, रेडियो रूपक, नाटक, भाषण, वाचन तथा प्रकाशन क्षेत्र में मुद्रक, मुद्रित शोधन (proofreading), पत्रकार, अनुवादक इन जैसे विविध प्रकार के रोजगार मौजूद है।

तकनीकी क्षेत्र : आज का युग यंत्रज्ञान का युग है। तकनीकी क्षेत्र में भी आजकल हिंदी ने प्रवेश किया है। अंतरिक्ष (space) विभाग, परमाणु (atom) विभाग, रसायन और उर्वरक (fertilizer) विभाग, जलपोत परिवहन, भारी उद्योग इन सभी क्षेत्रो में हिंदी का प्रयोग हो रहा है।

संगणक के आगमन के साथ प्रयोजनमूलक (purposeful) हिंदी की आवश्यकता बढ़ रही है। इससे आलेखन, टिप्पणी, पत्राचार, अनुवाद, शब्दावली का निर्माण तथा अनुवाद विषयक उपयोगिता बढ़ी है। गूगल में किए गए अनुवाद का उपयोग जनमानस तक पहुँच रहा है।

मोबाइल, टैब, लैपटॉप आदि में हिंदी का प्रयोग, हिंदी माध्यम में तकनीकी विषयों का प्रशिक्षण आज एक बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य बन चुका है।

पारिभाषिक शब्दावली का कार्य, दवाई कंपनियों में दवाई से संबंधित सूचनाओं का हिंदी अनुवाद, रेल, टेलिफोन, बैंक, बीमा, शेयर मार्केट इन सभी के लिए पारिभाषिक शब्दावली, हिंदी अनुवाद का महत्त्व है।

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Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 14 हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार : हिंदी आज दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण भाषा बन गई है। आज 127 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हमारे दूतावास हैं। अन्य देशों के भी दूतावास (embassy) हमारे देश में हैं।

इन में से कई दूतावासों में अब हिंदी विभाग की स्थापना हो चुकी है। इन विभागों में हिंदी अधिकारी, अनुवादक, हिंदी सहायक, पत्राचार, समाचार, रिपोर्टों का लेखन आदि अनेक प्रकार की नौकरियाँ उपलब्ध हैं।

पर्यटन क्षेत्र : पर्यटन क्षेत्र आज एक प्रमुख व्यवसाय बन रहा है। पर्यटन क्षेत्र में बहुभाषी लोगों को ज्यादा मौका है। पर्यटक स्थानीय भाषा नहीं जानते। उनसे संवाद स्थापित करने के लिए, पर्यटकों को मार्गदर्शन या स्थलों की जानकारी देने के लिए हिंदी का उपयोग होता है। ‘टुरिस्ट गाइड’, यह रोजगार यहाँ उपलब्ध है।

अन्य क्षेत्र : फिल्म, टी. वी. में ‘डाक्यूमेंटरी लेखन’ खेल जगत में कमेंटरी करना, खेल की समालोचना करना आदि भी कुछ क्षेत्र हिंदी भाषा प्रभुओं के लिए उपलब्ध है।

हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ शब्दार्थ :

  • निपुणता = प्रविणता (efficiency),
  • लिपिक = मुंशी (clerk),
  • गठन = निर्माण, संस्थापना (formation),
  • धारावाहिक = मालिका (serial),
  • अन्वेषक = संशोधक (investigator),
  • तकनीक = यंत्रज्ञान (technique),
  • दायित्व = जिम्मेदारी (responsibility),
  • स्नातकोत्तर = पदव्युत्तर (postgraduate).

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Text Book Solutions

Class 11 Hindi Chapter 13 Nukkad Natak Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 13 Nukkad Natak Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 13 जिंदगीनक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Textbook Questions and Answers

विधा पर आधारित

1.
प्रश्न अ.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए –

(a) लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 13

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

(b) नुक्कड़ नाटक के विषय
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 15

(c) नुक्कड़ नाटक के उपयोग
(क) …………………………..
(ख) …………………………..
(ग) …………………………..
उत्तर :
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प्रश्न 2.
नुक्कड़ नाटक की विशेषताएँ तथा स्पष्टीकरण

(1) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(2) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(3) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(4) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(5) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(6) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..
उत्तर :
(1) विशेषता : तात्कालिकता
स्पष्टीकरण: यह नाटक किसी भी तात्कालिक समस्या को प्रस्तुत करता है।

(2) विशेषता : गतिशीलता
स्पष्टीकरण : नाटक में पात्र, विषय, दर्शक तेजी से गंतव्य की ओर बढ़ते हैं।

(3) विशेषता : अचूक लक्ष्य
स्पष्टीकरण : यह हथियार की तरह समस्या को खत्म करता है।

(4) विशेषता : संक्षिप्तता
स्पष्टीकरण : नाटक में लंबे संवाद, विषय विस्तार नहीं होता है।

(5) विशेषता : सहज भाषा
स्पष्टीकरण : नाटक की भाषा सहज, स्वाभाविक और रोचक होती है।

(6) विशेषता : व्यंग्य शैली
स्पष्टीकरण : समस्या व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

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नाटक पर आधारित
आकलन

प्रश्न आ.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए –
(1) कारण लिखिए

(क) किसान ट्यूबवेल नहीं लगा पाता
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) पानी का स्तर नीचे चला गया है।
(b) बिजली नहीं होती है।

(ख) पूरा शहर स्विमिंग पुल बन जाता है
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक का नालों में अटकना
(b) सीवर की निकासी रुकना।

प्रश्न 2.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 3
उत्तर :
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(ख) विकास के नाम पर किया गया
(1) प्रकृति का – ………………………………..
(2) जमीन को – ………………………………..
(3) हवा को – ………………………………..
उत्तर :
(1) प्रकृति का – दोहन / शोषण
(2) जमीन को – वंजर
(3) हवा को – दूषित

(ग) ए.सी. से निकलने वाली गैस से यह होता है ………………………………..
उत्तर :
ओजोन की परत में छेद होता है।

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प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए

(क) माँ अपने बेटे के लिए खून नहीं खरीद सकी
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) जो पैसे आते हैं, दवाई में खर्च होते हैं।
(2) जो बचते हैं स्कूल की फीस में खर्च होते हैं।

(ख) संजाल पूर्ण कीजिए
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उत्तर :
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अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बंजर होती जा रही खेती को बचाने के उपाय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
आज के जमाने में हर किसान खेती में कीटनाशकों का प्रयोग करता है। खेती में यूरिया, रासायनिक खाद, कीटनाशकों के उपयोग से जमीन की तह तक रसायन के फैलने से जमीन बंजर हो रही है। जमीन के अलावा फल, फसल भी रसायनयुक्त होने से बीमारियाँ फैला रहे हैं।

अगर जमीन को बंजर होने से बचाना है तो जरूरी है कि किसान रासायनिक खाद का नहीं, सेंद्रिय खाद का ही उपयोग करें। बार-बार एक ही फसल ना लें। दो-तीन साल बाद एक नई फसल लेने से जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकता है। इस दृष्टि से किसानो में जागरूकता निर्माण करनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
‘जल संवर्धन आज की आवश्यकता’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘जल है तो कल है’ यह आज सबको ध्यान रखना चाहिए। लोग कूपनलिका द्वारा जमीन के अंदर का पानी खींचते हैं जिससे भूजल समाप्त हो रहा है। जमीन पर नदी, तालाब या कुआँ इनमें जो पानी का संचय है उसे हमने प्रदूषित किया है। अत: दिन-ब-दिन पानी की समस्या सता रही है।

चेन्नई में पानी की कमी के बारे में हमने पढ़ा है। सारे जग में ही पानी की समस्या इतनी है कि तीसरा महायुद्ध पानी के कारण ही हो सकता है। अत: जरूरत है पानी का संचय तथा संवर्धन करने की। बारिश का पानी बचाने के लिए ‘रेन वॉटर हार्वेस्टिंग’ की सख्ती बरतना जरूरी है।

भूजल को सुरक्षित रखने के लिए पानी खिंचाव टालना चाहिए। पानी का मनुष्यों द्वारा होनेवाला प्रदूषण रोकना यह हमारे बस की बात है। जिसके लिए जागरूकता निर्माण करना आवश्यक है। ‘नदी-जोड़ प्रकल्प’ पर भी गंभीरता से विचार जरूरी है। इसप्रकार अनेक प्रकार के उपायों से हम ‘जल-संवर्धन’ कर सकेंगे।

प्रश्न 3.
‘ब्लड बैंक समय की माँग’ इस विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर :
‘रक्तदान परम दान’ कहा जाता है। अन्न दान, संपत्ति दान करके लोग दुआ प्राप्त करते हैं। किंतु सबसे अधिक दुआएँ तभी मिलेगी जब हम किसी को जीवनदान दे पाएँ। रक्तदान से हम किसी का जीवन बचा सकते हैं। रोज हजारों-लाखों लोगों को रक्तदान की जरूरत होती है।

किसी को दुर्घटना की वजह से, किसी को बीमारी के कारण, किसी को कमजोरी के कारण रक्त की जरूरत पड़ती है। अगर हम अपना खून दान में देते हैं तो उसे ब्लड बैंक में सुरक्षित रखा जाता है और जिसको जिस प्रकार के खून की जरूरत है, उस ब्लड ग्रुप का खून विशिष्ट कीमत लेकर दिया जाता है।

ब्लड बैंक मानो उन लोगों के लिए वरदान साबित होता है। ब्लड बैंक न होने से उनकी-शायद मौत हो जाती। अत: जगह-जगह ब्लड बैंक खुलवाना यही समय की माँग है।

प्रश्न 4.
‘रक्त की कालाबाजारी : एक अभिशाप’ अपना मत लिखिए।
उत्तर :
अनाज, गैस इन जैसी कुछ चीजों की कालाबाजारी का नाम सुना था किंतु रक्त की कालाबाजारी यह नहीं सुना था। दुर्भाग्य से यह सच हैं कि कुछ लोग रक्त की कालाबाजारी करके गरीबों को मृत्यु के मुँह में धकेलते हैं। जिस समाज में किसी की जिंदगी बचाने वाले के लिए बार-बार अपना खून दान देने वाले उदार हृदय लोग हैं, उसी समाज में रक्त की कालाबाजारी करके उसे मुँह माँगे दाम में, अमीरों को बेचने वाले कठोरहृदयी निर्मम लोग भी हैं।

ऐसे लोग खून बेचने का व्यवसाय करते हैं, रैकेट चलाते हैं। इनके एजंट लोग झूठ बोलकर इस रैकेट के लोगों का फायदा करवा देते हैं। जो खून सहजता से नहीं मिलता। उसके लिए गरीबों को उस रक्तगट के रक्त की कमी के नाम पर बहुत इंतजार करना पड़ता है। परंतु पैसा देकर अमीर वर्ग जब चाहे, जैसा चाहे और जितना चाहे खून प्राप्त कर सकता है। यह कालाबाजारी अमीर-गरीब के बीच का फासला बढ़ाती है। सचमुच रक्त की कालाबाजारी एक भयानक अभिशाप है।

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लघूत्तरी

प्रश्न 1.
‘मौसम’ नुक्कड़ नाटक में वर्णित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ इस नुक्कड़ नाटक में मानव जीवन से संबंधित विभिन्न सामयिक समस्याओं पर प्रकाश डाला है। मनुष्य भौतिक विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है, इससे ऋतु चक्र में अनियमितता आ गई है। कहीं धुआँधार बारिश तो कहीं बारिश की कमी।

मनुष्य पानी की प्लास्टिक बोतलें, प्लास्टिक थालियाँ, अन्य चीजें रास्ते पर फेंकता है जो नाले में अटक जाती हैं। नाले की निकासी रुकने से जरा-सी भी बारिश के बाद पानी भर जाता है। कारखानों का मैला, दूषित पानी नदी में छोड़ने से पानी दूषित हो जाता है।

नदी में रहने वाले जीव जंतुओं का अस्तित्व भी खतरे में है। कीटकनाशकों के उपयोग से जमीन बरबाद हो रही है। इस प्रकार पानी का प्रदूषण, पानी की कमी, जमीन का प्रदूषण, मौसम की अनियमितता, जीव जंतुओं का विनाश, गरीबों पर होने वाला परिणाम इन अनेक समस्याओं का विविध दृश्यों के माध्यम से वर्णन किया गया है।

प्रश्न 2.
‘विकास का सीधा असर पड़ता है लोगों की जिंदगी पर’, इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आधुनिक युग यंत्र युग कहलाता है। यंत्रयुग में रोज नए यंत्र, मशीन और इन मशीनों को चलाने वाले कारखाने, निर्माण होते हैं। इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को स्कीन कैंसर जैसी अन्य अनेक बीमारियों से जूझना पड़ता है। कारखानों से निकलने वाला मैला रसायनिक पानी नदी में छोड़ा जाता है। इस कारण नदी में रहने वाली मछलियाँ, अन्य जीवजंतु मर जाते हैं। इन मछलियों को पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करने वाले मछुआरों पर मछली न मिलने से भूखा मरने की नौबत आती है।

खेती में कीटकनाशकों के उपयोग से खेती बंजर हो रही है। कीटकनाशकों का उपयोग करके खेती में आई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर भी लोगों को रोज नई बीमारी का सामना करना पड़ता है।

वाहन, कारखाने, घर, ऑफिस में लगाए गए ए.सी., फ्रीज आदि से निकलने वाली गैस ओजोन गैस की परत में छेद करता है। इससे बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से पूरा जग परेशान है।

किसान, मछुवारे, आदिवासी जैसे सामान्य जन जिनकी जिंदगी प्रकृति पर निर्भर है तथा मजदूर जो यंत्रयुग का शिकार है इन सबकी जिंदगी के विकास पर सीधा बुरा असर पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
‘रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व हैं’, नाटक के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित नुक्कड़ नाटक ‘अनमोल जिंदगी’ में रक्तदान का महत्त्व बताया है। रक्तदान न करने के पीछे लोगों के मन में जो गलतफहमियाँ हैं उन्हें दूर करते हुए रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित किया है। समाज में हजारों-लाखों मनुष्यों की मृत्यु सिर्फ उन्हें समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

रास्ते पर वाहन चलाते समय एक्सीडेंट होता है, किसी को गंभीर बीमारी में खून की जरूरत होती है तो कभी किसी नारी को प्रसव के दौरान खून के अति बहाव के कारण रक्त की जरूरत होती है। इन सभी प्रसंगो में समय पर उचित रक्त प्राप्त हो जाए तो इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इनकी जिंदगी को बचाने का परम कल्याण का काम हमारे हाथ से हो सकता है अगर हम रक्तदान करेंगे तो।

अन्य किसी भी दान से यह दान महत्त्वपूर्ण है। रक्तदान ही जीवनदान है, अत: रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व है। हर व्यक्ति अगर रक्तदान करेंगे तो हमें जाने-अनजाने में ही जरूरतमंदों की सेवा का पुण्य मिलेगा। यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम रक्तदान करें। रक्तदान ही मानवता की सेवा है।

प्रश्न 4.
रक्तदान के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता’, नाटक के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं। हर क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। पुराने काल में लोग स्कूल-कॉलेज में नहीं जाते थे। अनपढ़ लोगों के मन में कई अंधविश्वास थे। परंतु आज पढ़े-लिखे लोगों में भी काफी अंधविश्वास मौजूद हैं।

रक्तदान को लेकर भी समाज में काफी गलतफहमियाँ फैली हुई हैं। इन्हें दूर करने के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता है। लोग ऐसा मानते हैं कि रक्तदान करने से कमजोरी बढ़ेगी, हाइट-बॉड़ी कम हो जाएगी।

लड़कियों को तो रक्तदान ही नहीं करना चाहिए। टॅटू निकालने के बाद रक्तदान नहीं करना चाहिए, ये सब गलतफहमियाँ होने से लोग रक्तदान करने से कतराते हैं। कुछ लोगों को अपने खानदान पर इतना गर्व होता है कि वे लोग अपना शाही खून किसी दूसरे को देने का विचार भी नहीं करते।

वास्तविक रूप से खून का शाही खून, सामान्य खून ऐसे कोई प्रकार नहीं होते हैं। खून में कोई खानदान, जातिपाति, धर्म-वंश, देश-विदेश का भेदभाव नहीं होता है। दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी आदमी सिर्फ ब्लड ग्रुप मिलने पर रक्त पाकर जीवनदान पा सकता है।

रक्तदान देने से हमारे शरीर पर कोई भी बुरा असर नहीं होता है। ‘रक्तदान ही मानवता का दूसरा नाम है’ यह जागरूकता लोगों में निर्माण करना यह भी एक बड़ा सामाजिक कार्य है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 5

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Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : पति : आज भी, एक भी मछली नहीं फँसी। …………………………………… प्रदूषित कर रखा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 71 दृश्य – 7)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 6
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 7

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) मछुआरों के जाल में मछली नहीं फँसी क्योंकि –
(1) ……………………………………………….
(2) ……………………………………………….
उत्तर :
(1) नदी के किनारे वाले प्लांट सारा जहरीला पानी बहा देते हैं उससे मछलियाँ मर गई।
(2) उद्योगों की वजह से मछलियाँ खत्म हो गई हैं।

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूँढकर लिखिए :
उत्तर :
(1) जल – पानी
(2) वृक्ष – पेड़
(3) मीन – मछली
(4) क्षीर – दूध

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प्रश्न 4.
जल प्रदूषण, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनुष्य विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का विनाश कर रहा है। रोज नए उद्योग या कारखाने निर्माण हो रहे हैं जिनसे निकलता हुआ दूषित पानी बिना किसी प्रक्रिया के नदियों में मिलाया जाता है। इससे होने वाला जल प्रदूषण मनुष्य पर ही नहीं पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं पर भी गंभीर परिणाम कर रहा है।

मनुष्य त्योहारों के बाद मूर्तियाँ पानी में विसर्जित करता है, उससे भी पानी प्रदूषित हो जाता है। लोग पानी में कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की चीजें फेंकते हैं। जानवर, वाहन, कपड़े वे धोकर नदी का पानी प्रदूषित कर देते हैं। जो पानी ‘जीवन’ देने वाला है वही पानी प्रदूषण के कारण मृत्यु’ का कारण बन जाता है। अत: पानी की रक्षा करना, उसका प्रदूषण रोकना हमारी जिम्मेदारी है। ‘जल है तो कल है’ यह सभी को याद रखना चाहिए।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : प्रश्न 1 : मैडम हमें क्यों बदनाम किया जा …………………………………… लोग बीमार पड़ रहे हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 73)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि खेत में यूरिया डालने की वजह से सब्जियों में केमिकल आ रहा है।

(ii) जमीन बंजर हो रही है क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
जमीन बंजर हो रही हैं क्योंकि दवा, यूरिया, कीटनाशकों का अच्छी फसल उगाने के लिए धडल्ले से प्रयोग हो रहा है।

प्रश्न 3.
शब्द समूह से मेल न खाने वाले शब्द को ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर :
(i) जहर, विष, अमृत, गरल – अमृत
(ii) हवा, मरूत, समीर, व्योम – व्योम
(iii) पानी, शून्य, तोय, सलिल – शून्य
(iv) आनन, देह, शरीर, गात – आनन

प्रश्न 4.
पर्यावरण की रक्षा हेतु उपाय सुझाइए।
उत्तर :
आज सारी दुनिया प्रदूषण से पीड़ित है। मनुष्य, पेड़, पशु-पक्षी जहरीली हवा में साँस लेने के लिए मजबूर है। हम सबके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगा है। समय रहते हमें प्रदूषण कम करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए और पर्यावरण रक्षा का बेड़ा उठाना चाहिए।

हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और उनका संवर्धन करना चाहिए। अंधाधुंध जंगलों की सफाई (वृक्ष काटने से तात्पर्य है) के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। अत: खेती, वन, जंगलों का रखरखाव उचित तरीके से हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

पर्यावरण सुरक्षा में पशु-पक्षी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज उनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। अत: पशु-पक्षियों के जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। पॉलिथीन से प्रदूषण फैलता है अत: उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पर्यावरण रक्षा में जन-जन का साथ मिलें इसके लिए जन जागृति अभियान चलाने चाहिए। हमारी जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप बना लेना चाहिए। खेती में रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम करना चाहिए।

विषैले और खतरनाक अवशिष्टों (remainings) का उचित विस्तारण करना चाहिए। पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़े ऐसा हमारा आचरण होना चाहिए।

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(आ) अनमोल जिंदगी कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : हमारे देश में ब्लड की रोजाना बहुत जरूरत पड़ती है ………………….. तू कैसे खून दे सकती है? (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 76)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) खून न देने के कारण
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
(3) …………………………………..
(4) …………………………………..
उत्तर :
(1) खून देने से बॉडी कम हो जाएगी।
(2) खून देने से भयंकर बीमारी लग सकती है।
(3) किसी ऐरे-गैरे को खून न देने की मानसिकता।
(4) हिमोग्लोबिन की कमी।

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प्रश्न 3.
(i) कृदंत शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) मिलना : मिलावट, मिलनसार, मिलन, मिलाप
(2) बनाना : बनावट, बनाने वाला, बना हुआ, बनकर

(ii) गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनके वचन बदलने पर भी रूप नहीं बदलते :
उत्तर :
(1) देश
(2) मरीज

प्रश्न 4.
‘रक्तदान : श्रेष्ठ दान’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
14 जून यह दिन अंतर्रास्ट्रीय स्तर पर ‘रक्तदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि किसी को कुछ दान देने के लिए अमीर होना बहुत जरूरी होता है। परंतु रक्तदान यह एक ऐसा दान है जो देने के लिए पैसों से आदमी बड़ा नहीं हो तो भी चलेगा लेकिन मन से बड़ा होना जरूरी है। यह दान न जाति-धर्म देखता है, न अमीरी-गरीबी देखता है। यह दान सिर्फ ‘मानवता’ को जगाता है।

हमारे ‘रक्तदान’ से हम किसी को ‘जीवनदान’ दे सकते हैं। ‘रक्तदान’ देने से हमारा कुछ भी नुकसान नहीं होता है। लेकिन लोगों के मन में आज भी ‘रक्तदान’ इस विषय को लेकर काफी गलतफहमियाँ हैं। इन्हें दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता निर्माण करने की जरूरत है। ‘रक्तदानं परम दानं’ इसे अगर हम सब ध्यान में रखे तो हम ‘जीवनदाता’ बन जाएंगे। इसलिए,

‘मौका मिला अगर आपको उसे यूँ न गँवाइए।
देकर दान रक्त का नेकी भी कमाइए।।’

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : ब्लड डोनेशन का मतलब ……………………………….. मदद नहीं करनी चाहिए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 80)

प्रश्न 1.
नाम लिखिए :
उत्तर :
(i) गद्यांश में उल्लेखित वायु का नाम – ऑक्सीजन
(ii) तीन साल की बच्ची को हुई बीमारी का नाम – कैंसर
(iii) पति को हुई बीमारी का नाम – डेंग्यू
(iv) तीन साल की बच्ची को रक्त देने वाला – एक एथलीट

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :
(i) रक्तदान करने से डरना – ………………………………………
(ii) डोनर कार्ड मिलना – ………………………………………
उत्तर :
(i) रक्तदान करने से डरने से यही डर हमारी जिंदगी की उम्मीदों की रीढ़ को तोड़ रहा है।
(ii) डोनर कार्ड मिलने से जरूरत पड़ने पर खून आसानी से मिल जाता है।

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प्रश्न 3.
(i) निम्न शब्दों में से सही शब्द चुनकर लिखिए :
उत्तर :
(1) शुरुवात / शुरूआत / शुरूवात / शूरुवात – शुरूआत
(2) रक्तदाण / रक्तदान / रक्तदान / रक्तदाण – रक्तदान

(ii) तद्धित शब्दों के मूल रूप लिखिए :
उत्तर :
(1) इनसानियत – इनसान
(2) खुशी – खुश

प्रश्न 4.
‘दूसरों की मदद करके खुशी और सुकून मिलता है’, इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दान देने की परंपरा हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही है। दूसरों को दान देने से आंतरिक खुशी मिलती है। दान केवल धन के रूप में ही नहीं बल्कि रक्त, शरीर के अंग आदि के रूप में भी किया जा सकता है। जरूरतमंदों की मदद करके हमें मानसिक शांति मिलती है।

जब कोई अपना मन, वचन और काया दूसरों की सेवा के लिए उपयोग में लाता है तब उसे एक प्रकार का सुकून मिलता है, आत्मिक सुख मिलता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और उसका सबसे बड़ा कर्तव्य है एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना एवं यथाशक्ति सहायता करना।

तुलसीदास जी ने भी कहा है, ‘परहित सरस धर्म नाहिं भाई’ पुष्प इकट्ठा करने वाले व्यक्ति के हाथ में सुगंध रह जाती है वैसे ही दूसरों की जिंदगी रोशन करने वाले व्यक्ति की जिंदगी खुद रोशन हो ही जाती है।

सड़क पर कराहते व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाना हो या भूखे-प्यासे की आह कम करनी हो, अन्याय, शोषण से पीड़ित की सहायता करनी हो या सर्दी में ठिठुरते व्यक्ति को कंबल ओढ़ाना हो, किसी को किड़नी देने का सुख तो किसी को रक्तदान करके जीवन देने का सुख हो ये इंसान को भीतर तक खुशियों से सराबोर कर देते हैं।

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

मौसम लेखक परिचय :

लेखक अरविंद गौड़ जी ने ‘नुक्कड़ नाटक’ में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। आपका जन्म 2 फरवरी 1963 को शाहदरा (दिल्ली) में हुआ। इंजीनियरिंग पढ़ते समय नाटकों के प्रति आपकी रुचि बढ़ गई। आप पत्रकारिता तथा थिएटर से जुड़ गए।

मजदूर हो या किसान इनके विविध आंदोलनों में आपने एक बुनियादी भूमिका निभाई है। आपके ‘नुक्कड़ नाटकों’ का मंचन देश-विदेश में हो चुका है। आपने निर्देशित (directed) किया हुआ ‘कोर्ट मार्शल’ इस नाटक का पूरे भारत में 450 से भी अधिक बार मंचन हुआ है।

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मौसम रचनाएँ :

‘नुक्कड़ पर दस्तक’ (नुक्कड़ नाटक संग्रह), अनटाइटल्ड, आई विल नॉट क्राय, अहसास (एकल नाट्य) तथा कुछ पटकथाएँ।

मौसम विधा परिचय :

‘नुक्कड़ नाटक’ आठवें दशक से लोकप्रिय हुआ। नुक्कड़ माने चौक या चौराहा। इस नाटक का प्रस्तुतीकरण (presentation) किसी चौक में, किसी सड़क पर, मैदान, बस्ती या कहीं भी हो सकता है। इन नाटकों का प्रस्तुतीकरण सामाजिक संदेशों के प्रसारण के लिए किया जाता है।

नुक्कड़ नाटक को प्रेक्षक राहों या चौक में खड़े होकर देखते हैं। इन्हें देर तक रोकना संभव नहीं होता इसलिए ये नाटक बेहद सटीक एवं संक्षिप्त होते हैं। जनता से सीधे संवाद करने वाले इस नाटक के लिए वेशभूषा, नेपथ्य, ध्वनि-संयोजन जैसी साज-सज्जा की आवश्यकता नहीं होती।

जन-जन तक समाज हित की बात सहजता से पहुँचाना इसका उद्देश्य है।

मौसम विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ नामक नुक्कड़ नाटक आधुनिक जीवन की एक प्रखर समस्या को उजागर करता है। पर्यावरण को लेकर एक चेतना निर्माण करने का आपने प्रयास किया है। आज के जमाने में ‘पानी की समस्या’ ने एक विकराल (horrible) रूप धारण किया है।

पानी की कमी, हवा या जमीन का प्रदूषण, लोगों की लापरवाही इन अनेक समस्याओं के प्रति मनुष्य को सचेत बनाने की कोशिश इस नाटक द्वारा हुई है।

मौसम सारांश :
दृश्य – 1 : पानी की कमी : मनुष्य की पानी के प्रति लापरवाही से आज लोगों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जो पानी उपलब्ध है उसे भी हमने दूषित किया है। इस कारण आज-कल मनुष्य पीने या नहाने के लिए पानी खरीद रहा है।

दृश्य – 2 : विकास का परिणाम : आज विकास के नाम पर फैक्ट्रियाँ खोली जाती हैं। इसका कूड़ा-कचरा, दूषित पानी नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषित होता है।

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दृश्य – 3 : पर्यावरण का असंतुलन : आज ऋतुचक्र में नियमितता नहीं रही क्योंकि हमने ही पर्यावरण को असंतुलित किया है। कहीं बाढ़ आती है, तो कहीं बरसात का इंतजार करना पड़ता है। इस असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है।

दृश्य – 4 : वायु प्रदूषण : आज लोग घर में, दफ्तर में हर जगह ए.सी. लगवाते हैं। इस ए.सी. से निकलने वाली गैस से ओजोन परत में छेद हो जाता है।

दृश्य – 5 : लोगों की लापरवाही : लोग खाना खाकर प्लास्टिक की थालियाँ, पानी पीकर प्लास्टिक की बोतल या गिलास रास्ते पर फेंकते हैं। ऐसा विविध प्रकार का सामान कूड़ा-कचरा बनकर नालों में अटक जाता है। बारिश होने पर नाले से पानी की निकासी न होने से पानी रास्ते पर आता है और थोड़ी-सी भी बारिश होने पर रास्ते स्विमिंग पूल बन जाते हैं।

दृश्य – 6 : मृदा का प्रदूषण : आज-कल लोग खेती करते समय कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इसके केमिकल से जमीन दूषित हो जाती है। ऐसी खेती से निकली हुई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारीयाँ हो रही हैं।

दृश्य – 7 : जल – प्रदूषण : लोग नदी के किनारों पर नए-नए कारखाने खड़े करते हैं। इनमें से निकलनेवाला गंदा, रसायन युक्त पानी नदियों में छोड़ा जाता है। परिणाम स्वरूप पानी में रहने वाली मछलियाँ तथा अन्य जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है।

दृश्य – 8 : गरीबों पर परिणाम : फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर बीमारियों से ग्रस्त हैं। अनेकों को स्किन कैंसरं हो रहा है। मछुआरे, आदिवासी इन जैसे प्रकृति पर अवलंबित गरीब लोगों का जीना हराम हो गया है।

दृश्य – 9 : मनुष्य का विनाश : भौतिक विकास के नाम पर मनुष्य आस-पास के प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहा है। जिससे प्राकृतिक संकट मनुष्य का विनाश कर रहे हैं। कभी बाढ़ तो कभी सूखा, कभी तूफान तो कभी भूचाल, ऐसे संकट मनुष्य के स्वार्थी वृत्ति का परिणाम हैं। ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ भी चिंता का विषय है। इनसे मनुष्य सावधान ना हो तो उसका विनाश अटल है।

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मौसम शब्दार्थ :

  • सीवर = गंदी नाली (sewer),
  • संसार = दुनिया (world),
  • तबाही = बरबादी (destruction),
  • दोहन = शोषण (exploitation),
  • रेगिस्तान = वालुकामय प्रदेश (desert),
  • जिम्मेदारी = कर्तव्य (responsibility),
  • वफादारी = ईमानदारी (loyalty)

अनमोल जिंदगी अरविंद गौड़ विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ जी ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामयिक समस्याओं को जनता तक पहुँचाने की कोशिश की है। ‘अनमोल जिंदगी’ इस नाटक द्वारा लेखक ‘रक्तदान’ इस विषय पर सामान्य लोगों को जगाने की कोशिश करते हैं। हजारों-लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है। रक्तदान के बारे में लोगों में काफी गलतफहमियाँ भी हैं। इन गलतफहमियों को दूर करते हुए लेखक रक्तदान करने की प्रेरणा देते हैं।

अनमोल जिंदगी सारांश:

दृश्य – 1 : एक्सीडेंट : एक दिन रास्ते पर एक चाचाजी का एक्सीडेंट हुआ। उनको बचाने के लिए ‘ओ निगेटिव’ ब्लड की जरूरत हैं परंतु लोगों की मानसिकता न होने से, उनकी रक्तदान के बारे में गलतफहमियाँ होने के कारण वे तरह-तरह का बहाना बनाकर रक्तदान करना टालते हैं।

दृश्य – 2 : हॉस्पिटल : एक सरकारी अस्पताल में गरीब माँ अपने बच्चे का जीवन बचाना चाहती थी। उसकी कम कमाई के कारण वह रक्त खरीद नहीं सकती। उसे आशा थी कि कोई रक्तदाता मिल जाएगा परंतु यह आशा निराशा में बदलती है और एक माँ अपने बेटे को हमेशा के लिए खो देती है।

दृश्य – 3 : ऑटो : एक बेटा अपनी बीमार माँ को बचाना चाहता था। माँ अस्पताल में थी। बेटा उचित रक्त की तलाश में ‘ऑटो’ से इधर-उधर घूम रहा था। उसकी बेचैनी, उसका प्रयास देखकर एक दयालु ऑटो वाला ही रक्तदान करने के लिए तैयार हो जाता है जिससे एक जिंदगी बचती है।

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अनमोल जिंदगी शब्दार्थ :

  • खून = रक्त (blood),
  • गड्डी = गाड़ी (car),
  • परिजन = रिश्तेदार (relative),
  • उम्मीद = आशा (hope),
  • साजिश = षडयंत्र (conspiracy),
  • सुकून = शांति, समाधान (relax)

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11th Hindi Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Textbook Questions and Answers

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न अ.
घटनाक्रम के अनुसार लिखिए –
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है।
(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
उत्तर :
कवि दंड पाना चाहता है।

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(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है
उत्तर :
विधाता का सहारा पाना चाहता है।

(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
कवि मानता है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित असत्य कथनों को कविता के आधार पर सही करके लिखिए –
(a) जो कुछ निद्रित अपलक है, वह तुम्हारा असंवेदन है।
उत्तर :
जो कुछ भी जाग्रत है, अपलक है वह तुम्हारा संवेदन है।

(b) अब यह आत्मा बलवान और सक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को वर्तमान में सताती है।
उत्तर :
अब यह आत्मा कमजोर और अक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को भवितव्यता सताती है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
‘जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा हैं’, इस पंक्ति से कवि का मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि के जीवन में जो कुछ भी है या जो कारण है उसकी सत्ता स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण हैं। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दुःख सफलताअसफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।

प्रश्न आ.
‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है’, इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन-सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में चारों ओर से सिमटकर चला आता है। ऐसा लगता है मानो हृदय में कोई झरना बह रहा है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अपनी जिंदगी को सहर्ष स्वीकारना चाहिए’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जीवन सुख-दुःख का चक्र है। यही जीवन का सत्य है। अनुकूल समय में हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती। जब कभी हमारे समक्ष विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। दुःख के प्रमुख कारण बाहरी परिस्थितियाँ, आसपास के व्यक्तियों का व्यवहार, महत्त्वाकांक्षाएँ एवं कामनाएँ हैं। जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियाँ एवं समस्याओं के लिए कोई दूसरा व्यक्ति या भाग्य दोषी नहीं है।

उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार है, हमारे कर्मों और व्यवहार की वजह से ही परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। हमारी ऊर्जा का उपयोग काम में हो परिणाम में नहीं। जो बदला नहीं जा सकता, उसको सहर्ष स्वीकार करें, यही उपाय है।

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प्रश्न आ.
‘जीवन में अत्यधिक मोह से अलग होने की आवश्यकता है, इस वाक्य में व्यक्त भाव प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज अगर दुनिया में किसी भी रिश्ते में मोह है, तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाता। हमें मोह को त्याग देना चाहिए।

जब भी कोई इंसान मोह करता है, तो कहीं ना कहीं उसका ही नुकसान होता है। मोह के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सभी बिगड़ जाते हैं इसलिए हमें मोह को अपनी जिंदगी से बिल्कुल पूरी तरह से निकाल देना चाहिए।

एक इंसान अपनी जिंदगी में अगर मोह करता है तो कुछ समय के लिए ही फायदा होगा, बाद में उसका नुकसान होता है। आज हमारे देश में, परिवार में झगड़े होते हैं इसका सबसे बड़ा कारण मोह है। मोह के कारण एक-दूसरे को धोखा देते हैं और उससे हमारे रिश्ते खराब होते हैं। मोह करने से हमें जो कुछ हासिल होता है, वह हमारे रिश्ते-नातों से कीमती नहीं होता इसलिए लालच (मोह) बुरी बला है।

रसास्वादन

4. प्रस्तुत नई कविता का भाव तथा भाषाई विशेषताओं के आधार पर रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : सहर्ष स्वीकारा है।
(ii) रचनाकार : गजानन माधव मुक्तिबोध’।।
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने जिंदगी में जो कुछ भी (दुख, संघर्ष, गरीबी, अभाव, अवसाद) मिलें उसे सानंद स्वीकार करने की बात कही है। प्रकृति को जो कुछ भी प्यारा है वह उसने हमें सौंपा है। इसीलिए जो कुछ भी मिला है या मिलने की संभावना है उसे सहजता से अपनाना चाहिए।
(iv) रस / अलंकार : मुक्त छंद में लिखी गई इस कविता में गरबीली गरीबी, विचार-वैभव में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(v) प्रतीक विधान : अंधकार, अमावस्या निराशा के प्रतीक है।

(vi) कल्पना : ‘दिल में क्या झरना है?’ पंक्ति में कवि कल्पना करते हैं कि झरने में जैसे चारों तरफ की पहाड़ियों से पानी इकट्ठा होता है और कभी खाली नहीं होता वैसे ही कवि के हृदय में अपनी प्रियतमा के प्रति प्रेम उमड़ता है और बार बार व्यक्त करने पर भी कम नहीं होता।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।’ ये पंक्तियाँ प्रभावी सिद्ध होती हैं क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं उस प्रिय व्यक्ति को जो कुछ भी अच्छा लगता है वह अस्वीकार करना असंभव होता है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता द्वारा हमें जीवन के सुख-दुख, संघर्ष, अवसाद आदि को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है। अपने प्रिय व्यक्ति का प्रभाव अँधेरी गुफाओं में भी सहारा बनता है। उसका स्नेह हमें कभी कमजोर भी बनाता है। भविष्य में अनहोनी हो जाने का डर भी इसीलिए अत्यधिक प्रेम के कारण ही सताता है। कविता के ऐसे भाव दिल को छू जाते हैं।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
मुक्तिबोध जी की कविताओं की विशेषताएँ –
…………………………………………………
…………………………………………………
उत्तर :

  • प्रगतिवादी दृष्टिकोण
  • जीवन से जुड़ी कविता के सर्जक
  • शोषितों से गहरा लगाव
  • प्रतीक विधान में नयापन

प्रश्न आ.
मुक्तिबोध जी का साहित्य –
उत्तर :
काव्य कृतियाँ :

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है।
  • भूरी – भूरी खाक धूल

आलोचना :

  • तार सप्तक के कवि
  • कामायनी – एक पुनर्विचार
  • भारतीय इतिहास और संस्कृति
  • नई कविता का आत्मसंघर्ष और अन्य निबंध
  • नए साहित्य का सौंदर्य शास्त्र

कहानी संग्रह :

  • विपात्र
  • सतह से उठता आदमी

6.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित काव्यांश (पंक्तियों) में उद्धृत अलंकार पहचानकर लिखिए –

(a) कूलन में केलिन में, कछारन में, कुंजों में
क्यारियों में, कलि-कलीन में बगरो बसंत है।
उत्तर :
(‘क’ आवृत्ति) – अनुप्रास अलंकार

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(b) केकी-रख की नुपूर-ध्वनि सुन।
जगती-जगती की मूक प्यास।
उत्तर :
यमक अलंकार – जगती – जगती,
(1) जगती – जागना,
(2) जगती – जगत

प्रश्न आ.
निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए –
(a) वक्रोक्ति
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) मैं सुकमारिनाथ बन जोगू।
(ii) कौं तुम? है घनश्याम हम।

(b) श्लेष
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। – शब्द श्लेष
पानी गए न ऊबरें, मोती मानुष चून।
पानी शब्द का प्रयोग तीन बार लिया गया है। दूसरी पंक्ति में पानी का अर्थ मोती के संदर्भ में चमक या कांति है तो मनुष्य के संदर्भ में इज्जत और ‘चून’ के संदर्भ में जल है।

(ii) जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारे करै, बढे अँधेरा होय – अर्थ श्लेष
बारे का अर्थ – जलाना और बचपन
बढ़े का अर्थ – बुझने पर और बड़े होने पर

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कृतिपत्रिका
(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : जिंदगी में जो कुछ है, ………………… खिलता वह चेहरा है ! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 61)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 2

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) गरीबी के लिए प्रयुक्त विशेषण है :
(ii) कवि अपने उस प्रिय के साथ अपने संबंध इस तरह बताता है :
(iii) कवि अपने दिल की तुलना इससे करता है :
(iv) कवि ने अपने प्रिय की तुलना इससे की है :
उत्तर:
(i) गरवीली
(ii) गहरा
(iii) मीठे पानी के झरने से
(iv) चाँद से

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों मे लिखिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, जैसा भी है, उसे मैंने पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया है। वह इस कारण से, कि जो कुछ भी मेरा है, चाहे वह अभाव हो या संघर्ष ही क्यों न हो, वह सब तुम्हें प्यारा है और जो तुम्हे प्रिय लगता है, वही मेरे लिए प्रसन्नता का सबसे बड़ा कारण बन गया है।

कवि के जीवन में ऐसी निर्धनता है, जिस पर गर्व किया जा सके। गर्व इसलिए कि स्वाभिमान के साथ जीने का सुख इस में निहित (include) है। अभावों के चलते मिलने वाले जीवन के जो गंभीर अनुभव है, विचारों की जो संपन्नता है, विचारों की संपन्नता के कारण उससे मिली हुई जो आंतरिक मजबूती है और हृदय में उमड़ने वाली प्रेम की जो अविरल नदी है, ये सभी हमारे अपने निजी है।

हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण में जो सत्य है, हर दिन हमारे साथ जो घटित होता है, लगातार घटता रहता हैं, उन सब में तुम्हारी ही तरल संवेदना बसी हुई है। तुम मेरे हर सुख-दुःख में आत्मा से सहभागिनी हो इसलिए इन सब चीजों को प्रसन्नता के साथ स्वीकारने की चाहत है।

कवि कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा न जाने कैसा रिश्ता नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पर प्रेम का सतत बहने वाला कोई झरना ही है या मीठे और शीतल जल का कोई स्त्रोत ही बसा हुआ है। वह कभी रीता नहीं होता है। इधर मेरे अंदर तो प्रेम का ऐसा अटूट प्रवाह है और उधर आकाश में जैसे चंद्रमा रातभर अपनी चाँदनी बरसाता रहता है, ठीक वैसे ही तुम्हारा चेहरा मुझपर स्नेह की अखंड वर्षा करता रहता है।

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(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं, …………… आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है !! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 6

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
कवि स्वयं के लिए दंड माँग रहा है क्योंकि
(i) …………………………………….
(ii) …………………………………….
उत्तर :
(i) अपनी प्रियतमा को भूलने का दंड उसे सहर्ष स्वीकार है।
(ii) ममता के भीतर छिपी कोमलता उसे अंदर ही अंदर पीड़ा पहुँचाती है।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। आप मुझे सजा दीजिए, श्राप दीजिए कि मैं आपको भूल जाऊँ। अनंत अंधकार वाली अमावस्या में डूब जाऊँ। वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है।

ममता रूपी बादलों की कोमलता ही अब उनके लिए दर्द बन गई है। मेरे अंतरमन में चुभने लगी है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है। जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उनके प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना सहन नहीं होता।

कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा। विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते है कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है। मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है। वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है।

अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ …………… वह तुम्हें प्यारा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 8

(ii) लापता होने पर भी कवि को यह आशा है –
उत्तर :
लापता होने पर भी कवि को यह आशा है कि उसकी प्रियतमा का सहारा उसे मिलेगा।

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प्रश्न 2.
निम्न गलत विधान पद्यांश के आधार पर सही करके लिखिए :
(i) कवि अपनी प्रियतमा को दंड देना चाहता है।
उत्तर :
कवि अपनी प्रियतमा से दंड पाना चाहता है।

(ii) कवि ने जीवन में वही स्वीकारा जो उसे प्रिय था।
उत्तर :
कवि ने जीवन में उसे स्वीकारा जो उसकी प्रियतमा को प्रिय था।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखी कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है। वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा।

विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते हैं कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है, मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है; वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है। अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

सहर्ष स्वीकारा है Summary in Hindi

सहर्ष स्वीकारा है कवि परिचय :

गजानन माधव मुक्तिबोध’ जी का जन्म 13 नवंबर 1917 को शिवपुरी जिला मुरैना ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई। 1938 में बी.ए. पास करने के पश्चात आप उज्जैन के मॉडर्न स्कूल में अध्यापक हो गए।

1954 में एम.ए. करने पर राजनाँद गाँव के दिग्विजय कॉलेज में प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए। यहाँ रहते हुए उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, तथा रुसी उपन्यासों के साथ जासूसी उपन्यासों, वैज्ञानिक उपन्यासों, विभिन्न देशों के इतिहास तथा विज्ञान विषयक साहित्य का गहन अध्ययन किया।

आप नई कविता के सर्वाधिक चर्चित कवि रहे हैं। प्रकृति प्रेम, सौंदर्य, कल्पनाप्रियता के साथ सर्वहारा वर्ग के आक्रोश तथा विद्रोह के विविध रूपों का यथार्थ चित्रण आपके काव्य की विशेषता है। 1962 में उनकी अंतिम रचना ‘भारत : इतिहास और संस्कृति’ प्रकाशित हुई। मुक्तिबोध जी की मृत्यु 1964 में हुई।

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प्रमुख रचनाएँ : कविता संग्रह : ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’, ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ तथा तारसप्तक में प्रकाशित रचनाएँ।
कहानी संग्रह : काठ का सपना, सतह से उठता आदमी
उपन्यास : विपात्र
आलोचना : कामायनी – एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ।
इतिहास : भारत : इतिहास और संस्कृति
रचनावली : मुक्तिबोध रचनावली (सात खंड)

सहर्ष स्वीकारा है काव्य परिचय :

प्रस्तुत नई कविता ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ काव्य-संग्रह से ली गई है। एक होता है – स्वीकारना और दूसरा होता है – सहर्ष स्वीकारना यानी खुशी-खुशी स्वीकार करना। यह कविता जीवन के सब सुख-दु:ख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। कवि को जहाँ से यह प्रेरणा मिली कविता प्रेरणा के उस उत्स (spring) तक भी हमको ले जाती है।

उस विशिष्ट व्यक्ति या सत्ता के इसी ‘सहजता’ के चलते उसको स्वीकार किया था। कुछ इस तरह स्वीकार किया था कि आज तक सामने नहीं भी है तो भी आस-पास उसके होने का एहसास है।

सहर्ष स्वीकारा है सारांश :

कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, उसे मैं खुशी से स्वीकार करता हूँ। इसलिए मेरा जो कुछ भी है, वह उसको (माँ या प्रिया) अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी – ये सब मौलिक हैं तथा नए हैं। इनकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर क्षण जो कुछ घटता है, जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।

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कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा लगता है मानो दिल में कोई झरना बह रहा है।

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वह स्नेह मीठे पानी के स्रोत के समान है जो मेरे अंतर्मन को तृप्त करता रहता है। इधर मन में प्रेम है और ऊपर से तुम्हारा चाँद जैसा मुस्कराता हुआ सुंदर चेहरा अपने अद्भुत सौंदर्य के प्रकाश से मुझे नहलाता रहता है। यह स्थिति उसी प्रकार की है जिस प्रकार आकाश में मुस्कराता हुआ चंद्रमा पृथ्वी को अपने प्रकाश से नहलाता रहता है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। वह चाहता है कि प्रिय उसे भूलने का दंड दे। वह इस दंड को भी सहर्ष स्वीकार करने के लिए तैयार है। प्रिय को भूलने का अंधकार कवि के लिए दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली छह मास की रात्रि के समान होगा। वह उस अंधकार में लीन हो जाना चाहता है।

वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है। प्रिय की ममता या स्नेह रूपी बादल की कोमलता सदैव मेरे मन को अंदर ही – अंदर पीड़ा पहुँचाती है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है।

जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उसे अपनी प्रियतमा (माँ या प्रिया) के प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना और रह-रहकर अपनापन जताना सहन नहीं होता। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा (सबसे प्यारी स्त्री) के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगो में खो जाए। ऐसी जगहों पर स्वयं का अस्तित्व भी अनुभव नहीं होता या फिर वह धुएँ के बादलों के समान गहन अंधकार में लापता हो जाए जो उसके न होने से बना हो। ऐसी जगहों पर भी उसे अपनी प्रियतमा का ही सहारा है।

उसके जीवन में जो कुछ भी है या जो कुछ उसे अपना-सा लगता है, वह सब उसके कारण है। उसकी सत्ता, स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण है। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दु:ख, सफलता-असफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है।

सहर्ष स्वीकारा है शब्दार्थ :

  • सहर्ष = खुशी – खुशी (readily),
  • स्वीकारा = मन से मानना (accept),
  • गरवीली = स्वाभिमानी (self-respect),
  • गंभीर = गहरा (grave),
  • अनुभव = व्यावहारिक ज्ञान (experience),
  • विचार वैभव = अच्छे विचार, विचारों की संपन्नता (glorious thought),
  • दृढ़ता = मजबूती (solidity),
  • सरिता = नदी (river),
  • अभिनव = नया (new),
  • मौलिक = वास्तविक, मूलभूत (basic),
  • जाग्रत = जागा हुआ (awake),
  • अपलक = निरंतर, एकटक (unwinking),
  • संवेदन = अनुभूति (perception),
  • उँडेलना = बाहर निकालना (to outpour),
  • सोता = झरना (spring), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • दंड = सजा (punishment),
  • दक्षिण ध्रुवी अंधकार = दक्षिण ध्रुव पर ढकने से घिरा हुआ (south pole darkness),
  • आच्छादित = छाया हुआ, ढका हुआ (clad),
  • रमणीय = मनोरम (delightful),
  • उजेला = प्रकाश (light),
  • ममता = अपनापन, स्नेह (motherly love),
  • मँडराती = आसपास घूमना (move around),
  • पिराता = दर्द करना (painful),
  • अक्षम = अशक्त (weak),
  • भवितव्यता = भविष्य में घटने वाली घटनाएँ (future),
  • बहलाती = मन को प्रसन्न करती (recreate),
  • सहलाती = दर्द को कम करती हुई (stroke),
  • पाताली अँधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध, गुहा = गुफा (cave),
  • विवर = बिल, गड्ढा (centesis),
  • लापता = गायब (missing),
  • कारण = मूल प्रेरणा (reason),
  • घेरा = फैलाव (enclosure),
  • वैभव = समृद्ध (splendour)
  • गरबीली = स्वाभिमानी
  • मौलिक = मूलभूत
  • अपलक = एकटक
  • संवेदन = अनुभूति
  • सोता = झरना Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • परिवेष्टित = चारों ओर से घिरा हुआ, ढका हुआ
  • पाताली अंधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध
  • विवर = बिल, गड्ढा

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Class 11 Hindi Chapter 11 Bharti Ka Saput Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 11 Bharti Ka Saput Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 11 भारती का सपूत Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 11 भारती का सपूत Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 11 भारती का सपूत Textbook Questions and Answers

आकलन

1.
प्रश्न अ.
‘आप क्यों ऐसों के लिए सिर खपाते हैं…’ वाक्य में ऐसों’ का प्रयोग इनके लिए किया गया है…
(a) …………………………………………
(b) …………………………………………
(c) …………………………………………
उत्तर :
(a) विश्वेश्वर प्रसाद
(b) वेणीप्रसाद
(c) शत्रु

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प्रश्न आ.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 12

प्रश्न इ.
अंतर लिखिए –
मिशन के स्कूल – भारतीय स्कूल
(a) …………………………. (a) ………………………….
(b) …………………………. (b) ………………………….
उत्तर :

मिशन के स्कूल भारतीय स्कूल
(1) जहाँ अंग्रेजी पढ़ाई जाती है पर भारतीय संस्कृति नहीं पढ़ाई जाती। (1) भारतीय भाषा पढ़ाकर भारतीय संस्कृति से अवगत कराया जाता है।
(2) अंग्रेजी पढाकर हिंदओं को काले साहब बनाया जाता है। (2) भारतीय एकता और अखंडता का निर्माण किया जाता है।

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शब्द संपदा

2. निम्नलिखित शब्दों के भिन्नार्थक अर्थ लिखकर उनसे अर्थपूर्ण वाक्य तैयार कीजिए :

(1) दिया : ……………………………………………..
उत्तर :
देना : भारतेंदु ने समाज को भारतीय संस्कृति का संदेश दिया है।

दीया : ……………………………………………..
उत्तर :
दीप : दीया जलते ही आलोक (प्रकाश) होता है।

(2) सदेह : ……………………………………………..
उत्तर :
देह के साथ, सशरीर : कहा जाता है संत तुकाराम का सदेह वैकुंठ गमन हुआ था।

संदेह : ……………………………………………..
उत्तर :
शंका : अच्छे इन्सान पर संदेह करना बुरी बात है।

(3) जलज : ……………………………………………..
उत्तर :
जल में जन्मा कमल : कीचड़ में जलज खिलते हैं।

जलद : ……………………………………………..
उत्तर :
बादल : आकाश में जलद छाए हुए थे।

(4) अपत्य : ……………………………………………..
उत्तर :
संतान : दो अपत्य के बजाय आज एक अपत्य ही पर्याप्त है।

अपथ्य : ……………………………………………..
उत्तर :
अहितकर : अपथ्य भोजन से दूर रहना चाहिए।

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(5) उद्दाम : ……………………………………………..
उत्तर :
निरंकुश : आज की पीढ़ी उद्दाम हो रही है।

उद्यम : ……………………………………………..
उत्तर :
उद्योग, पुरुषार्थ : उद्यम से वर्तमान और भविष्य दोनों में अच्छा परिवर्तन आता है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘भाषा राष्ट्र के विकास में सहायक होती है’, इसपर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
किसी भी राष्ट्र का विकास उस देश की एकता और अखंडता पर निर्भर करता है। एकता और अखंडता देश की भाषा पर निर्भर होती है। जिस देश में एक राष्ट्रभाषा होती है, देश के सभी लोग एक भाषा में बोलते हैं और अपना व्यवहार एक ही भाषा में करते हैं। परिणाम स्वरूप देश के अनेक प्रश्न अपने आप हल हो जाते हैं। आज भारत देश का विचार किया जाय तो भारत देश से अंग्रेज चले गए, पर अंग्रेजी भाषा की हुकूमत नहीं गई।

अंग्रेजी एक वैज्ञानिक भाषा है, उसे बिल्कुल विरोध नहीं है। परंतु वह भाषा देश की एकता को नहीं बना सकती। देश के सभी लोग इसे बोल नहीं पाते, नाही समझ सकते हैं। हिंदी भारत की बोलचाल की भाषा है, देश के अधिक से अधिक लोग जिसे बोलते हैं, समझते हैं, अपना सारा व्यवहार जिसमें कर सकते हैं। इसलिए देश के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के अनेक प्रश्न केवल भाषा से दूर हो सकते हैं।

भाषानिहाय प्रांतरचना करने से अनेक राज्यों में संघर्ष दिखाई देता है। राज्यों के लोगों में राज्य विभाजन के साथ स्वतंत्र राज्य निर्मिति का विचार पनपता है। क्षेत्रीय स्वार्थ को तिलांजली देकर पृथकता की भावना का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। एक देश-एक भाषा का होना देश की एकता और अखंडता के लिए बहुत जरूरी है। देश की राष्ट्रीयता को बनाए रखने के लिए भी देश में एक ही राष्ट्रभाषा होना जरूरी है।

आज भारत में राष्ट्रीय एकता, अखंडता, सीमा, स्वतंत्र राष्ट्र निर्माण का प्रयास आदि सारे प्रश्नों का मूल भाषा ही है। इसलिए राष्ट्र का विकास करना है तो देश में एक राष्ट्रभाषा का होना जरूरी है और वही भाषा होनी चाहिए जिसमें हमारी संस्कृति छिपी है जिसे हम बोल पाते हैं, समझ सकते हैं।।

प्रश्न आ.
‘व्यक्ति की करनी और कथनी में अंतर होता है’, इस उक्ति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
आज समाज में ऐसे अनेक लोग हैं, जो होते कुछ हैं, और दिखाते कुछ हैं। ऐसे बहुरुपियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे ही लोग समाज को धोखा देते हैं। कथनी और करनी एक होना, आदर्श व्यक्ति की निशानी है। ‘जान जाए पर वचन न जाए’ भारत की यही संस्कृति है। आज राजनीति में इसके विपरीत नजर आता है। चुनाव जब आता है तब हमारे नेता कहते कुछ हैं और चुनाव समाप्त होते ही करते कुछ हैं।

इनकी कथनी और करनी कभी एक नहीं होती, हमेशा कथनी और करनी में अंतर होता है। समाज को शिक्षा देने वाला चाहे वह नेता हो, या अध्यापक, वह पत्रकार हो, या समाज-सुधारक हो, या फिर प्रशासकीय अधिकारी हो इन सब पर देश का भविष्य निर्भर है।

व्यसनाधिनता को दूर करने के लिए उपदेश देने वाला अध्यापक छात्रों को व्यसन के दोष बताता है और वह खुद सिगरेट पीता है तो गलत है। आपपर आने वाली पीढ़ी का भविष्य निर्भर है। आप खुद आदर्श पर कायम रहो। समाज को आदर्श देने वालों में अगर करनी और कथनी में अंतर है तो समाज पर इसका कोई असर नहीं होता।

आज अनेक दोष है, जिसे दूर करने के लिए अनेक लोग उपदेश देते हैं, सलाह देते हैं, पर वह खुद उन दोषों से दूर नहीं हटे हैं। करनी और कथनी में अंतर यह आज की विडंबना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

4. पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न

प्रश्न अ.
भारतेंदु ने कुल के गर्व को दुहराने के बजाय देश के गर्व को दुहराया….’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
भारतेंदु जी हरिश्चंद्र जी का जन्म उच्च कुल में हुआ था। भारतेंदु जी के जन्म के समय उच्च वर्गों का समाज पर बहुत बड़ा असर था। उच्च कुलों का ही सम्मान था। यहाँ तक की देश की सामाजिक सत्ता उस वक्त देश के उच्च कुल के ही हाथ में थी।

परिस्थिति यह थी कि उस वक्त समाज वर्गों में बँट गया था। निम्न वर्ग के लोगों के लिए किसी प्रकार के कोई भी अधिकार नहीं थे। वे शिक्षा से काफी दूर थे, परिणामवश निम्न वर्ग के लोगों में अज्ञान, अंधविश्वास, कुरीति, कुपरंपरा, जिससे निर्माण होनेवाला दारिद्र्य काफी बड़ी मात्रा में नजर आता था।

भारतेंदु जी का जन्म भले ही उच्च कुल में क्यों न हुआ पर बचपन से उनके मन में निम्नवर्ग के प्रति आदर था। सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए भारतेंदु जी ने हिंदी स्कूलों का निर्माण किया जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति, संस्कार, भारतीय भाषा को सिखाने का प्रयास किया।

भारतेंदु जी अपने कुल से सम्मानित न होकर उनके पास जो प्रतिभा थी उनसे सम्मानित व्यक्ति बने थे। साथ ही साथ निम्न वर्ग के लिए उन्होंने जो काम किया यह उसका परिचायक है।

भारतेंदु जी का साहित्य, उनकी सामाजिक सेवा का कार्य, पत्रकारिता के माध्यम से लोगों को जगाने का काम, अंग्रेजी स्कूलों से निर्माण होने वाले कालेसाहब जो अपनों पर ही हुकूमत करते थे, इनका विरोध किया। उनके कार्य इस बात का परिचय देते हैं कि भारतेंदु जी ने कुल के गर्व को दुहराने के बजाय देश के गर्व को दुहराया है।

देश, धर्म, साहित्य, दारिद्र्य मोचन, अपमानिता नारी के उद्धार के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

प्रश्न आ.
‘भारती का सपूत के आधार पर भारतेंदु की उदार प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘भारती का सपूत’ जीवनीपरक उपन्यास है। भारतेंदु जी के जीवन और कार्य को आने वाली पीढ़ी के सामने रखना लेखक का उद्देश्य है। प्रस्तुत पाठ से भारतेंदु जी की उदार प्रवृत्ति स्पष्ट नजर आती है। भारतेंदु जी भले ही उच्च कुल में पैदा हुए हो पर उन्होंने अपना पूर्ण जीवन सामान्य लोगों के लिए बिताया है। साहित्य के क्षेत्र में हिंदी गद्य का निर्माण करके हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा बनाने का काम किया।

अंग्रेजी और हिंदी स्कूल खोलकर भारतेंदु जी ने निम्न वर्ग के अज्ञान, अंधश्रद्धा और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। स्कूल में आने वाले छात्रों के लिए वह बिना शुल्क लिए पढ़ाते थे। साथ-ही-साथ छात्रों को किताबें और कलम मुफ्त में देते थे। इतना ही नहीं छात्रों के लिए खाना भी देते थे।

यह उनकी उदार प्रवृत्ति का उदाहरण है। अनेक प्रकार की पत्रिकाओं से समाज को जगाकर लोगों का दारिद्र्य दूर किया। शिक्षा, साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता आदि सभी क्षेत्रों से भारतेंदु जी ने जन मानस के लिए जो कार्य किया है वह सब उनकी उदार प्रवृत्ति का परिचायक है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
रांगेय राघव जी की रचनाओं के नाम –
…………………………………………………………………
…………………………………………………………………
उत्तर :
उपन्यास – विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, देवकी का बेटा, घरौंदा, कब तक पुकारूँ, आखिरी आवाज आदि कहानी संग्रह – पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कंबल, नारी का विक्षोभ, देवदासी आदि।

प्रश्न आ.
भारतेंदु द्वारा रचित साहित्य –
…………………………………………………………………
…………………………………………………………………
उत्तर :
काव्य कृतियाँ – भक्त सर्वस्व, प्रेममालिका, प्रेम-तरंग, वर्षा-विनोद, कष्ण – चरित्र प्रमुख निबंध – कालचक्र, कश्मीर, कुसुम, जातिय संगीत, स्वर्ग में विचार सभा नाटक – सत्य हरिश्चंद्र, श्री चंद्रावली, भारत दुर्दशा अँधेर नगरी, प्रेमजोगिनी आत्मकथा – ‘एक कहानी – कुछ आप बीती, कुछ जग बीती’ उपन्यास – पूर्णप्रकाश, चंद्रप्रभा यात्रा वृत्तांत – सरयू पार की यात्रा, लखनऊ

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 11 भारती का सपूत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : भारतेंदु के जन्म के समय उच्च वर्गों का बहुत बड़ा ………… मुफ्त दवा बँटती थी। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 56)

प्रश्न 1.
तालिका पूर्ण कीजिए :

भारतेंदु जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँभारतेंदु जी की उम्र
(i) कविताएँ रचना शुरू किया………………………………….
(ii) मन्नोदेवी से विवाह………………………………….
(iii) नौजवानों का संघ बनाना………………………………….
(iv) वाद-विवाद सभा की स्थापना………………………………….

उत्तर :

भारतेंदु जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँभारतेंदु जी की उम्र
(i) कविताएँ रचना शुरू कियापाँच वर्ष
(ii) मन्नोदेवी से विवाहतेरह वर्ष
(iii) नौजवानों का संघ बनानासत्रह वर्ष
(iv) वाद-विवाद सभा की स्थापनाअठारह वर्ष

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) भारतेंदु जी को महत्त्व दिया गया ………………………………
उत्तर :
भारतेंदु जी को महत्त्व दिया गया उसका कारण उच्च कुल नहीं बल्कि उनकी प्रतिभा थी।

(ii) भारतेंदु जी ने वाद-विवाद सभा स्थापित की ………………………………
उत्तर :
भाततेंदु जी ने वाद-विवाद सभा स्थापित की क्योंकि वे भाषा और समाज का सुधार करना चाहते थे।

प्रश्न 3.
निम्न समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए :
(i) प्रधान / प्रदान
(ii) दिन / दीन
उत्तर :
प्रधान : मुख्य
प्रदान : देने की क्रिया या भाव
दिन : दिवस
दीन : गरीब

प्रश्न 4.
‘दीन-दुखियों की सेवा ही ईश्वर सेवा है’, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जो मनुष्य स्वयं के सुख हेतु जीता है वह स्वार्थी होता है परंतु जो परोपकार करता है, दीन-दुखियों की सेवा करता है वह महात्मा होता है। जरूरत मंदों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची इबादत है। कर्म ही एक व्यक्ति की पहचान है। गरीबों का मित्र बनकर सेवा करना या बीमार व्यक्तियों की देखभाल करना, समाज का कल्याण करने में जीवन बिताना एक अर्थ में ईश्वर की पूजा करना ही है। क्योंकि इन्हीं दीन-दुखियारों की बस्ती में ईश्वर का वास होता है।

मानव सेवा ही ‘माधव’ सेवा है। दीनों की सेवा करके एक व्यक्ति ईश्वर को प्रसन्न कर पाता है और ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त कर लेता है। इसीलिए तो कहा गया है कि,

भलाई बाँटने वाले कभी मोहताज नहीं होते,
हर दुख की दवा उनके पास होती है।’

जो ईश्वर सेवा करना चाहते हैं उन्हें हर समय दूसरे की भलाई के बारे में सोचना चाहिए बेसहारा लोगों को सहारा देना चाहिए। दूसरों का दुख बाँटने वाले का जीवन कभी व्यर्थ नहीं जाता।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : क्योंकि हम लोगों के पास धन है ………… मुफ्त खाना भी बँटवाने लगे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 57)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 4
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 5

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
(i) भारतेंदु द्वारा खोले स्कूल में दी गई सुविधाएँ –
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उत्तर :
भारतेंदु द्वारा खोले स्कूल में दी गई सुविधाएँ –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 7

(ii) मदरसे में अध्यापन करने वाले व्यक्ति –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 8
उत्तर :
मदरसे में अध्यापन करने वाले व्यक्ति –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 9

प्रश्न 3.
(i) लिंग बदलकर लिखिए :
उत्तर :
(1) देवर – ……………………………………
(2) अध्यापक – ……………………………………
उत्तर :
(1) देवर – देवरानी
(2) अध्यापक – अध्यापिका

(ii) वचन वदलिए :
(1) लड़के – ……………………………………
(2) फसल – ……………………………………
उत्तर :
(1) लड़के – लड़का
(2) फसल – फसलें

प्रश्न 4.
‘भारतीय संस्कृति’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृति है। वह सर्वाधिक संपन्न और समृद्ध है। ‘अनेकता में एकता’ इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें सहस्त्रो धर्म ग्रंथ, सैकंड़ों आचार ग्रंथ, वेद, पुराण, देवी-देवता, गुरु, महंत और उनकी विभिन्न मान्यताएँ हैं; परंतु हम एक ही परमेश्वर को मानते हैं।

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इसकी अन्य विशेषता है इसका लचीलापन। इसमें समन्वय का एक अनोखा गुण विद्यमान है। इसीलिए आस्तिक-नास्तिक, मूर्तिपूजक व विरोधी, मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, अलग-अलग भाषाएँ, पितृसत्तात्मक व मातृसत्तात्मक परिवार सभी को सुंदर पुष्पों के रूप में मानकर भारतीय संस्कृति सुगंध से भरपूर उपवन बनी है। वह हमें एक-दूसरे का आदर करना सिखाती है। सत्य, नैतिकता, ईमानदारी जैसे जीवन मूल्यों को महत्त्व देती है।

यह विश्व की एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो विश्वशांति एवं विश्वबंधुत्व का संदेश देती है। यह एक ऐसा गुलदस्ता है जो विभिन्न विचारों के फूलों से सुसज्जित और स्नेह की डोरी में बँधा हुआ है।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह ………… क्या वह मनुष्य था! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 58)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 11

प्रश्न 2.
सह-संबंध लिखिए :
(1) कुलीन – याचक को ना नहीं कर सकता था।
(2) धनी – देश में सुधार करता घूमता रहा।
(3) निर्भीक – जो मनुष्यों से प्रेम करना जानता था।
(4) दानी – उन्मुक्त हाथों से लोगों की मदद करता था।
उत्तर :
(1) कुलीन – जो मनुष्यों से प्रेम करना जानता था।
(2) धनी – उन्मुक्त हाथों से लोगों की मदद करता था।
(3) निर्भीक – देश में सुधार करता घूमता रहा।
(4) दानी – याचक को ना नहीं कर सकता था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को प्रत्यय लगाकर नया शब्द बनाइए
(1) कुल – ………………………………….
(2) धर्म – ………………………………….
(3) देश – ………………………………….
(4) भारत – ………………………………….
उत्तर :
(1) कुलीन
(2) धार्मिक
(3) देशी
(4) भारतीय

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प्रश्न 4.
‘देश के प्रति मेरा कर्तव्य’ अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
देश के प्रति हम सब की कुछ जिम्मेदारियाँ और कर्तव्य हैं जो हमें निभाने चाहिए। हमें हमारे राष्ट्र को, राष्ट्र ध्वज को तथा राष्ट्र गान को सम्मान देना चाहिए। देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। देश के कानून का कठोरता से पालन करना चाहिए।

हमारी राष्ट्रीय थाती एवं सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए। पर्यावरण को साफसुथरा रखना हमारा कर्तव्य है। हमारी प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। अपनी योग्यता, रुचि, अभिरुचि के अनुरूप देश के विकास में योगदान देना चाहिए। हमें बुद्धिमानी से मतदान कर नेता चुनना चाहिए। हमें अपने करों का भुगतान समय पर करना चाहिए।

देश का उज्ज्वल भविष्य हमारे हाथ में है इस बात को सदैव याद रखकर अपने कर्तव्य ईमानदारी से निभाना ही देशभक्ति है। हमारी सोच सकारात्मक हो। हमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार करके श्रम शक्ति का बेहतर उपयोग करना चाहिए और वैज्ञानिक सोच अपनाकर अग्रसर होना चाहिए।

भारती का सपूत Summary in Hindi

भारती का सपूत लेखक परिचय :

रांगेय राघव जी का जन्म 17 जनवरी 1923 को श्री रंगाचार्य के घर उत्तर प्रदेश में हुआ। आपकी पूर्ण शिक्षा आगरा में हुई। वहीं से आपने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। आंचलिक ऐतिहासिक तथा जीवनीपरक उपन्यास लिखने वाले रांगेय राघव जी के उपन्यासों में भारतीय समाज का यथार्थ (actual) चित्रण प्राप्त है। आपने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में सृजनात्मक (creative) लेखन करके हिंदी साहित्य को समृद्धि (prosperity) प्रदान की है।

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आपने मातृभाषा हिंदी से ही देशवासियों के मन में देश के प्रति निष्ठा और स्वतंत्रता का संकल्प जगाया। सबसे पहले कविता के क्षेत्र में कदम रखा पर महानता मिली गद्य लेखक के रूप में। 1946 में प्रकाशित ‘घरौंदा’ उपन्यास के जरिए आप प्रगतिशील कथाकार के रूप में चर्चित हुए।

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1962 में आपको कैंसर रोग पीड़ित बताया गया। उसी वर्ष 12 सिंतबर को आप मुंबई में देह त्यागी। पुरस्कार : हिंदुस्तान अकादमी, डालमिया पुरस्कार, मरणोपरांत (1966) महात्मा गांधी पुरस्कार।

भारती का सपूत प्रमख कतियाँ :

उपन्यास – विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, बारी बरणा खोल दो, देवकी का बेटा, रत्ना की बात, भारती का सपूत, यशोधरा जीत गई, घरौंदा, लोई का ताना, कब तक पुकारूँ, राई और पर्वत, आखिरी आवाज आदि। कहानी संग्रह – पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कंबल, नारी का विक्षोभ, देवदासी, जाति और पेशा आदि

भारती का सपूत विधा का परिचय :

‘उपन्यास’ वह गद्य कथानक है जिस के द्वारा जीवन तथा समाज की व्यापक व्याख्या की जा सकती है। उपन्यास को आधुनिक युग की देन कहना अधिक समुचित होगा। साहित्य में गद्य का प्रयोग जीवन के यथार्थ चित्रण का द्योतक है। साधारण बोलचाल की भाषा द्वारा लेखक के लिए अपने पात्रों, उनकी समस्याओं तथा उनके जीवन की व्यापक पृष्ठभूमि से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करना आसान हो गया है।

उपन्यास हमारे जीवन का प्रतिबिंब होता है, जिसको प्रस्तुत करने में कल्पना का प्रयोग आवश्यक है। मानव जीवन का सजीव चित्रण उपन्यास है। उपन्यास महान सत्यों और नैतिक आदर्शों का एक अत्यंत मूल्यवान साधन है।

भारती का सपूत विषय प्रवेश :

जीवन में अनेक ऐसी महान विभूतियाँ होती है, जिनका स्मरण करके हम आने वाली पीढ़ी के सामने उनका आदर्श रख सकते हैं। प्रस्तुत जीवनपरक उपन्यास में हिंदी गद्य के जनक तथा पिता भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जन्मदिन के अवसर पर अध्यापक रत्नहास ने लोगों को निमंत्रित करके एक तरफ उनके प्रति श्रद्धा जताई तो दूसरी तरफ निमंत्रित लोगों के सामने भारतेंदु जी के जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर किया।

भारतीय भाषा और संस्कृति, अंग्रेजी स्कूलों का दुष्परिणाम, हिंदी अंग्रेजी पाठशाला निर्माण, बचपन से ही साहित्य के प्रति रुझान, पिता का आदर्श, आदि कार्यों का लेखा-जोखा रखकर श्रद्धा प्रकट करना और जीवन में प्रेरणा लेना पाठ का उद्देश्य है। केवल 34 वर्ष 4 महीने जिंदगी जीने वाले भारतेंदु जी का जीवन आदर्शवत (idealizing) है।

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भारती का सपूत पाठ का परिचय :

‘भारती का सपूत’ रांगेय राघव लिखित जीवनीपरक उपन्यास का अंश है। प्रस्तुत जीवनी परक उपन्यास में हिंदी गद्य भाषा के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जीवन को आधार बनाकर, उनके जीवन के कुछ पहलुओं को उजागर किया गया है। बचपन से ही साहित्य एवं शिक्षा के प्रति रुझान ने भारतेंदु जी को हिंदी साहित्य जगत का देदीप्यमान इंदु अर्थात चंद्रमा बना दिया।

अंग्रेजों की नीतियाँ, सामाजिक कुरीतियाँ, एवं अशिक्षा के खिलाफ भारतेंदु जी द्वारा जगाई अलख को उपन्यासकार ने अपनी लेखनी से और भी प्रज्वलित किया है।

भारती का सपूत सारांश :

‘भारती का सपूत’ जीवनीपरक उपन्यास है। इसमें भारतेंदु जी के जीवन के अनेक पहलुओं का वर्णन किया है। भारतेंदु जी का जीवन आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। इसलिए अध्यापक रत्नहार जी ने भारतेंदु जी के जन्मदिन के अवसर पर लोगों को बुलाकर उनके प्रति श्रद्धा जताई तो दूसरी तरफ उनके जीवन का बखान करके लोगों में प्रेरणा निर्माण की।

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भारतेंदु जी के पिता कवि थे, उसका असर बचपन में ही भारतेंदु जी पर पड़ा और 5 वर्ष की उम्र में ही भारतेंदु जी कविता लिखने लगे। उनका जन्म उच्च कुल में हुआ था, जिसका प्रभाव समाज पर था। परंतु भारतेंदु जी कुल के कारण महान नहीं बने बल्कि उनके कार्य से महान बने थे।

भारतेंदु जी की शादी 13 वर्ष की उम्र में मन्नो देवी से हुई। 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने नौजवानों का संघ बनाया था। उसके बाद वाद-विवाद सभा का निर्माण किया। इस सभा का उद्देश्य भाषा और समाज का सुधार करना था। 18 वर्ष की आयु में बनारस इन्स्टिट्युट और ब्रह्मामृत वार्षिक सभा के प्रधान सहायक रहे। कविवचन-सुधा नामक पत्रिका का निर्माण किया। होम्योपैथिक चिकित्सालय निर्माण करके लोगों को मुफ्त इलाज किया और दवाएँ दीं।

भारतेंदु जी के काल में अंग्रेजी स्कूल थे, जिसका परिणाम – लोग काले साहेब बनकर अपनों पर ही हुकूमत करते थे इसलिए भारतेंदु जी ने हिंदी तथा अंग्रेजी पाठशालाओं का निर्माण किया, जिससे भारतीय संस्कृति तथा भाषा का विकास हो सकें।

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केवल 34 वर्ष 4 महीने की आयु में भारतेंदु जी आखरी दिनों में बिस्तर पर पड़े थे, परंतु फिर भी देश के प्रति उनकी निष्ठा बनी थी। उन्होंने साहित्य, देश, धर्म, दारिद्र्यमोचन, कला और अपमानित नारी के उद्धार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

भारती का सपूत शब्दार्थ :

  • कौतूहल = जिज्ञासा
  • तारतम्य = सामंजस्य
  • तादात्म्य = अभिन्नता, एकरूपता
  • क्षीणकाय = दुर्बल, जर्जर शरीर
  • कौतुहल = जिज्ञासा (curiosity),
  • तारतम्य = सांमजस्य (sequence),
  • तादात्म्य = एकरूपता (equability),
  • क्षीणकाय = दुर्बल, जर्जर शरीर (weak body),
  • हुकूमत = अधिकार, सत्ता (regime),
  • पुरखों = पूर्वज (ancestor),
  • उन्मुक्त = स्वच्छंद, स्वतंत्र (freelance),
  • न्यौछावर = कुरबान (sacrifice),
  • दोगलो = नाजायज, (जो विवाहेतर संबंध से उत्पन्न) (illegitimate)

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11th Hindi Digest Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
मछुवा-मछुवी की दिनचर्या –
……………………………………………………..
……………………………………………………..
उत्तर :
मछुवा दिन भर मछलियाँ पकड़ता।
मछुवी दिन भर दूसरा काम करती।

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प्रश्न आ.
मछुवा-मछुवी की कहानी का अंत –
……………………………………………………..
……………………………………………………..
उत्तर :
मछली रूष्ट हो गई।
मछुवा-मछुवी का राजवैभव छिन लिया गया।
दोनों फिर से अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने लगे।

प्रश्न इ.
लेखक द्वारा बताई गईं मनुष्य स्वभाव की विशेषताएँ –
(1) ……………………………………………………..
(2) ……………………………………………………..
(3) ……………………………………………………..
उत्तर :
(1) अपने दोषों को छिपाकर दूसरों पर दोषारोपण करना।
(2) अपने ही कामों को महत्त्व देना, दूसरों के नहीं।
(3) अपने द्वारा किए गए उपकार को निस्संकोच बताना परंतु दूसरों के द्वारा की गई सेवा को न बतलाना।

शब्द संपदा

2. निम्नलिखित शब्दों के लिए उचित शब्द समूह का चयन कीजिए :

(1) अभक्ष्य : जो खाने के अयोग्य हो / जो खाया नहीं गया।
उत्तर :
जो खाने के अयोग्य हो।

(2) अदृश्य : जो दिखाई न दे / जो दिखाई नहीं देता।
उत्तर :
जो दिखाई न दे।

(3) अजेय : जिसे जीता न जा सके / जिसे जितना कठिन हो
उत्तर :
जिसे जीता न जा सके।

(4) शोषित : जिसका शोषण किया गया है जो शोषण करता है।
उत्तर :
जिसका शोषण किया गया है।

(5) कृशकाय : जिसका शरीर कुश के समान हो / जो बहुत दुबला-पतला हो।
उत्तर :
जिसका शरीर कुश के समान हो।

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(6) सर्वज्ञ : जो सब कुछ जानता हो / जो सब जगह व्याप्त है।
उत्तर :
जो सब कुछ जानता हो।

(7) समदर्शी : जो सबको समान देखता है / जो सबको समान दृष्टि से देखता है।
उत्तर :
जो सबको समान दृष्टि से देखता है।

(8) मितभाषी : जो कम बोलता है / जो मीठा बोलता है।
उत्तर :
जो कम बोलता है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।’

अर्थात ‘अति’ हर जगह नुकसानदायी ही है। अति लालसा मनुष्य के जीवन में पतन के द्वार खोल देती है। कुछ पाने की आशा में वह अपना सब कुछ गँवा देता है। अपने नैतिक मूल्यों को अनदेखा कर मनुष्य सारी मर्यादाएँ तोड़कर इच्छापूर्ति में लग जाता है। पाठ में दी गई कहानी के मछुवा-मछुवी की तरह ही जो वैभव मिला था उसे फिर से गँवा बैठते हैं।

दुनिया गवाह है प्रकृति के साथ हमने जो ‘अति किया और कर रहे हैं उसका परिणाम आज प्रदूषण के रूप में भुगत रहे हैं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े का सेवन और स्वाद अच्छा होता है परंतु इस छोटे टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदलकर उसका सेवन करने से शरीर में विकार ही उत्पन्न होंगे।

एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से अधिक हवा भरने की कोशिश की तो परिणाम क्या होगा कहने की आवश्यकता नहीं है। जो दवा उचित अनुपान से ली गई तो अमृत के समान हमारी सेहत ठीक करती है वही दवा अगर अधिक मात्रा में ली गई तो उसके दुष्परिणाम जान लेवा ही सिद्ध होंगे।

अमृत भी जहर बन जाएगा यह बात त्रिकालाबाधित सत्य है। अत: ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ ध्यान में रखना है और ‘अति’ से बचना चाहिए।

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प्रश्न आ.
‘महत्त्वाकांक्षाओं का कभी अंत नहीं होता’, इस वास्तविकता को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रगति के लिए महत्त्वाकांक्षी होना उचित है परंतु इनका कोई अंत नहीं है। एक के पूरा होते ही दूसरी महत्त्वाकांक्षा जन्म ले लेती है। इच्छा, कामना, लालसा, महत्त्वाकांक्षा ये सभी तृष्णा के पर्यायवाची शब्द हैं। इन्हीं कारणों से मनुष्य नैतिक या अनैतिक मार्ग से भी क्यों न हो उसे पूरा करने में लग जाता है।

सपने देखना एक सहज प्रवृत्ति है परंतु उन्हें साकार न होते देख तनावग्रस्त होना गलत है। क्योंकि हम दूसरों के आधार पर अपना आकलन करने लगते हैं। दूसरों से आगे निकलना ही हमारे लिए महत्त्वपूर्ण बन जाता है। फिर वह खेल-कूद हो, पढ़ाई-लिखाई हो, घर-गृहस्थी हो या अन्य कुछ।

विचार, ज्ञान, पैसा, प्रतिष्ठा, बल, बुद्धि आदि में दूसरों से श्रेष्ठ बनने की महत्त्वाकांक्षा हममें जागती ही रहती है। वह हमें लोभ के माया जाल में फँसाती रहती है। उदाहरणार्थ – एक छोटा सा घर बनाने की महत्त्वाकांक्षा से जब अपना घर बनता है।

तब हमारे घर के सामने किसी का बड़ा घर बनते ही हमें अपने घर का आनंद होने की बजाय सामने वाले घर के समान अपना घर नहीं इस बात का दुःख होता है और हम उसी प्रकार के घर को बनाने की महत्त्वाकांक्षा में लग जाते हैं।

कितना भी मिला, कितना भी पाया तो भी मनुष्य संतुष्ट नहीं होता; महत्त्वाकांक्षा कभी समाप्त नहीं होती। यही जीवन की वास्तविकता है।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न।

4.
प्रश्न अ.
प्रस्तुत निबंध में निहित मानवीय भावों से संबंधित विचार लिखिए।
उत्तर :
‘महत्त्वाकांक्षा और लोभ’ इस निबंध में लेखक श्री. पदुमलाल बख्शी जी ने महत्त्वाकांक्षा के साथ-साथ असंतोष, अति लालसा, स्वयं को शक्तिमान बनाने की उत्कट अभिलाषा तथा कृतघ्नता के दुष्परिणाम को प्रस्तुत किया है। जो सुलभता से प्राप्त होता है उसके प्रति अर्थात प्राप्य के प्रति विरक्ति का भाव तथा अप्राप्य की लालसा मनुष्य को किस तरह लोभ में फँसाती है इसे कहानी द्वारा स्पष्ट किया है।

मछुवा और मछुवी को मछली के वरदान से घर, धन, राजकीय वैभव प्राप्ति के साथ-साथ मछुवी रानी बनी और सेवा में नौकर-चाकर भी प्राप्त हुए। इतना सब-कुछ प्राप्त होने से जो मिला है, उससे संतुष्ट होना चाहिए था। पर मानवीय प्रवृत्ति ऐसी है कि जो कभी संतुष्ट रहने नहीं देती, जो अप्राप्य है उसे पाने का प्रयास करती रहती है। अति महत्त्वाकांक्षा ने सूर्य, चंद्र, मेघ को अपने वश में करने की लालसा ने उनका जीवन समाप्त किया।

मानवीय भावों को अपने वश में रखना सही है पर हम उसे अपने वश में रख नहीं पाते यही हकीकत है।

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प्रश्न आ.
पाठ के आधार पर कृतघ्नता, असंतोष के संबंध में लेखक की धारणा लिखिए।
उत्तर :
पाठ की कहानी में देवी मछली की कृतघ्नता लेखक ने स्पष्ट की है। मछुवे ने देवी मछली की मदद निस्वार्थ भाव से की थी।

पत्नी के कहने पर उसने कुछ याचना की थी और उसे पूरा करके देवी मछली ने मछुए की पत्नी में अभिलाषा पैदा की थी। परंतु उसके सामने मछुवे ने पत्नी की ऐसी इच्छा प्रकट की थी जो वह पूरा नहीं कर सकती थी तब उसने सारा वैभव, धन सबकुछ वापस ले लिया और गरीबी में रहने का शाप दे दिया।

वरदान का अंत इस प्रकार अभिशाप में परिणत हो गया। देवी होते हुए भी उसमें त्याग, प्रेम, कृतज्ञता, क्षमा, दया जैसी भावनाएँ नहीं थी। वह कृतघ्न थी जो एक देवी को शोभा नहीं देता।

मछुवे की पत्नी में जो असंतोष था वह मानवी स्वभाव है। क्योंकि जब तक मनोवांछित फल मिलता नहीं तब तक उसे पाने के लिए मन लालायित रहता है परंतु जब वह वस्तु प्राप्त हो जाती है तब हमें दूसरी उससे भी बड़ी और महत्त्वपूर्ण वस्तु प्राप्त करने की इच्छा जाग जाती है और असंतोष की भावना मन में बनी रहती है। मछली ने पहले घर माँगा था। फिर खाने-पीने की तकलीफ है इसलिए धन माँगा था। लालसा बढ़ जाने पर राज वैभव माँगा था।

उसके पास महल, बाग, नौकर-चाकर आ जाने पर उसने सूर्य, चंद्र, मेघ आदि पर हुक्म करने की इच्छा व्यक्त की थी। अति लालसा और असंतोष के कारण ही जो कुछ उसने पाया था उसे खोना पड़ा था।

जो मछुवा-मछुवी वर्तमान में संतोष से जी रहे थे, टूटी-फूटी झोपड़ी में भी संतुष्ट थे उनमें असंतोष के भाव पैदा होने के कारण ही राज-वैभव भी उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया। मन की अनंत इच्छाओं का परिणाम ऐसा ही भयानक होता है यही लेखक का कहना है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी के निबंधों की प्रमुख विशेषताएँ –
(१) …………………………………………..
(२) …………………………………………..
उत्तर :
(1) कहानी जैसी मनोरंजकता
(2) जीवन की सच्चाइयों की बड़ी सरलता से अभिव्यक्ति

प्रश्न आ.
अन्य निबंधकारों के नाम –
उत्तर :

  • राँगेय राघव
  • रामधारीसिंह ‘दिनकर’
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी
  • गुणाकर मुळे
  • रवींद्रनाथ त्यागी

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6. दी गई शब्द पहेली से सुप्रसिद्ध रचनाकारों के नाम ढूंढकर उनकी सूची तैयार कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 1
उत्तर :

  1. महादेवी वर्मा
  2. मीरा
  3. रांगेय राघव
  4. पंत (सुमित्रानंदन)
  5. कमलेश्वर
  6. प्रेमचंद
  7. निराला (सूर्यकांत त्रिपाठी)
  8. नीरज (गोपालदास सक्सेना)
  9. सूरदास
  10. प्रसाद (हरिशंकर)
  11. जैनेंद्र कुमार

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : पर एक दिन एक घटना हो गई …………………………………. मछली उन्हें खाकर उसपर और भी प्रसन्न होती। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 50-51)

प्रश्न 1.
कारण लिखिए :
(i) मछली ने मछुवे को पुकारा –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) नदी के किनारे लता में मछली फँसी थी।
(2) मछली अपने जीवनदान के लिए पुकार रही थी।

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(ii) मछली को आनंद हुआ –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) मछुवे ने मछली को पानी में छोड़ा।
(2) आटे की गोलियाँ खिलाई।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(i) मछली यहाँ फँसी थी – ………………………………..
(ii) नदी के पास था – ………………………………..
(iii) मछलियाँ पकड़ने आया था – ………………………………..
(iv) यहाँ खूब पानी था – ………………………………..
उत्तर :
(i) लताओं में
(ii) एक गड्ढा
(iii) मछुवा
(iv) नदी में

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) तैरना : ………………………………
उत्तर :
डूबना

(ii) सुरक्षित शब्द सुरक्षा + इत अर्थात ‘इत’ प्रत्यय लगाकर वना है। ‘इत’ प्रत्यययुक्त अन्य शब्द लिखिए:
(1) …………………………………
(2) …………………………………
उत्तर :
(1) शिक्षा + इत = शिक्षित
(2) सीमा + इत = सीमित

प्रश्न 4.
अभिलाषा पूर्ति के आनंद को अपने अनुभव द्वारा व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
हर मनुष्य को सुख की अभिलाषा रहती है। सुख-दुख का संबंध मनुष्य के शरीर से होता है जबकि आनंद का संबंध उसकी आत्मा से होता है। हम जो भी कर्म करते हैं फल की आशा हमें होती ही है और मनोनुकूल फल पाकर हमारा मन आनंदित हो उठता है।

प्रकृति के सौंदर्य का रसपान मेरे लिए सबसे बड़ा आनंद है। दैनंदिन जीवन की चिंताओं से दूर प्रकृति की गोद में बैठकर मौज-मस्ती करने में जो आनंद है वह शायद ही किसी अन्य साधन से मिलता होगा। कामकाज की थकान क्षण में काफूर हो जाती है।

ऋषि-मुनियों की आध्यात्मिक चेतना यहाँ जागृत होती रही और हमारी संस्कृति का विकास हुआ। कवियों के अंत:स्थल से काव्य की अभिव्यक्ति हुई। एक कवि ने क्या खूब लिखा है –

‘पर्वतों की श्रृंखलाओं में ये कौन सा जादू है छिपा,
ऐसा लगा मुझे जीवन का सबसे हँसीन पल मिला।’

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(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : मछुवा नदी के तट पर ………………………………… मछली से यही माँगो। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 51)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 3

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) घर होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि …………………………………
उत्तर :
घर होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि खाने-पीने की तकलीफ थी।

(ii) धन प्राप्त होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि …………………………………
उत्तर :
धन प्राप्त होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि मछवी को राजवैभव चाहिए था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को उपसर्ग लगाकर सही शब्द वनाओ।
(i) दिन :
(ii) घर
(ii) धन
(iv) एक
उत्तर :
(i) दुर्दिन
(ii) बेघर
(iii) निर्धन
(iv) अनेक.

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प्रश्न 4.
‘लालच बुरी वात है’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जब कभी इंसान लालच करता है वह अपना ही नुकसान कर बैठता है। लालच के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सब बिगड़ जाते हैं। लालच में पड़कर एक भाई अपने भाई को, पति-पत्नी एक दूसरे को धोखा देते हैं। इतना ही नहीं तो कोई गद्दार अपनी मातृभूमि को भी धोखा दे सकता है।

ऐसा करने वाले सभी अंत में स्वयं का ही नुकसान कर बैठते हैं। लालच के चलते गलत काम करके मुसीबत में फंसने वाले कितने ही लोग हमें आस-पास ही देखने मिल जाएँगे। लालच इंसान को इंसान नहीं रहने देती। लालच ऐसी बुरी बला है कि हमें सफलता के रास्ते से दूर ले जाती है।

सत्तालिप्सा, धनलोलुपता, पदलोलुपता के चलते मनुष्य मानवता को भी ताक पर रख देता है। इतिहास इसका गवाह है। अत: लालच से हमेशा दूर रहकर नैतिक पतन से बचना चाहिए और सफलता की ओर अग्रसर होना चाहिए।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : यदि मैं मछुवा होता तो ……………………………………….. उपकार की भावना नहीं है, क्षमा नहीं, दया नहीं है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 52)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 4
उत्तर :
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प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :

(i) मछुवी को मछली की दैवी शक्ति पर विश्वास हो जाने का परिणाम –
उत्तर :
मछुवी को मछली की दैवी शक्ति पर विश्वास हो जाने का परिणाम यह हुआ कि मछुवी ने ऐसी इच्छा प्रकट कर दी जो पूरी करना असंभव था।

(ii) देवी समझकर याचना करने का परिणाम –
उत्तर :
देवी समझकर याचना करने का परिणाम यह हुआ कि मछुवे की पत्नी के मन में अभिलाषाएँ पैदा हुई।

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प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द लिखिए :
(i) हृदय : ……………………………………………..
(ii) विश्वास : ……………………………………………..
उत्तर :
(i) हिय, उर, दिल
(ii) यकीन, आस्था, भरोसा

अभिव्यक्ति :
प्रश्न 1.
‘अति से तो अमृत भी जहर वन जाता है’ इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
संत कबीर कहते है,

‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।’

अर्थात ‘अति’ हर जगह नुकसानदायी ही है। अति लालसा मनुष्य के जीवन में पतन के द्वार खोल देती है। कुछ पाने की आशा में वह अपना सब कुछ गँवा देता है। अपने नैतिक मूल्यों को अनदेखा कर मनुष्य सारी मर्यादाएँ तोड़कर इच्छापूर्ति में लग जाता है। पाठ में दी गई कहानी के मछुवा-मछुवी की तरह ही जो वैभव मिला था उसे फिर से गँवा बैठते हैं।

दुनिया गवाह है प्रकृति के साथ हमने जो ‘अति किया और कर रहे हैं उसका परिणाम आज प्रदूषण के रूप में भुगत रहे हैं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े का सेवन और स्वाद अच्छा होता है परंतु इस छोटे टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदलकर उसका सेवन करने से शरीर में विकार ही उत्पन्न होंगे।

एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से अधिक हवा भरने की कोशिश की तो परिणाम क्या होगा कहने की आवश्यकता नहीं है। जो दवा उचित अनुपान से ली गई तो अमृत के समान हमारी सेहत ठीक करती है वही दवा अगर अधिक मात्रा में ली गई तो उसके दुष्परिणाम जान लेवा ही सिद्ध होंगे।

अमृत भी जहर बन जाएगा यह बात त्रिकालाबाधित सत्य है। अत: ‘अति सर्वत्र वर्ज येत’ ध्यान में रखना है और ‘अति’ से बचना चाहिए।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ Summary in Hindi

महत्त्वाकांक्षा और लोभ लेखक परिचय :

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का जन्म 27 मई 1894 को खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) में हुआ। शिक्षा के उपरांत आप साहित्य के क्षेत्र में आए। साहित्य क्षेत्र में आपकी निबंध, उपन्यास तथा समीक्षात्मक ग्रंथों में अलग पहचान दिखाई देती है। जीवन के कठीन सिद्धांत अर्थात तत्वों को दृष्टांत के सहारे स्पष्ट करने की आपकी शैली अद्वितीय है। आपका साहित्य समाज का दर्पण (mirror) ही नहीं बल्कि दीपक है।

जीवन की सच्चाइयों को बड़ी सरलता से व्यक्त करना तथा कहानी-सी मनोरंजकता के साथ प्रस्तुति आपके साहित्य की विशेष शैली बनी है। साहित्य और समाज सेवा में आपका जीवन बीता और 1971 में आपने इस संसार से बिदा ली।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ

महत्त्वाकांक्षा और लोभ प्रमुख कृतियाँ :

‘कथा चक्र’ (उपन्यास), “हिंदी साहित्य विमर्श’ और ‘विश्व साहित्य’ (समीक्षात्मक ग्रंथ), बख्शी ग्रंथावली, ‘पंचपात्र’, ‘पद्यवन’, ‘कुछ’, और कुछ (निबंध संग्रह)

महत्त्वाकांक्षा और लोभ विधा का परिचय :

‘निबंध’ एक गद्य विधा है। किसी विषय का यथार्थ चित्रण जिसमें किया जाता है। निबंध इस गद्य विधा से जीवन के तत्वों को बड़ी सरलता के साथ समाज के सामने रखा जाता है। वर्तमान परिस्थितियों का काफी सूक्ष्म चित्रण निबंध जैसी विधा में किया जाता है।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ आदि निबंधकारों ने इस विधा को उच्च कोटी पर पहुँचा दिया है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ विषय प्रवेश :

ज्ञात से अज्ञात की ओर इसी शिक्षा प्रणाली की तरह प्रस्तुत निबंध में जीवन के तत्वों को आरंभ में काल्पनिक कथा से जोड़ दिया है। मछुवा और मछुवी की काल्पनिक कहानी हमें सरलता से समझा देती है कि, जीवन की अति महत्त्वाकांक्षा, अति लालसा, सर्वशक्तिमान होने की अभिलाषा जीवन को परास्त (defeated) करती है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ परिणामत:

मछुवा-मछुवी का सामान्य जीवन, मछली का वरदान, अभिलाषाओं का जागृत होना, मानवीय भावों को वश में न रखना, वरदान शाप में परिणत होना – मानवीय भावों के इस खेल में क्या सही, क्या गलत, दोष मछली का या मछुवी का – यही निबंध के चिंतन विषय हैं।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ पाठ परिचय :

‘अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है’ जीवन के इसी तथ्य को उजागर करने वाले इस निबंध में अति महत्त्वाकांक्षा के साथ असंतोष, अति लालसा, लोभ, स्वयं को सर्वशक्तिमान बना लेने की उत्कट अभिलाषा जीवन को परास्त कर देती है।

जो मिला है, जितना मिला है, उसी में संतुष्ट रहने के बजाय अधिक पाने की अभिलाषा मनुष्य को लोभ के जाल में फँसाती है। मछली के वरदान से मछुवा-मछुवी को घर मिला, धन मिला, राजकीय वैभव मिलने से मछुवी रानी भी बनी।

पर हिरण्यकश्यप की तरह सर्वशक्तिमान होने की अभिलाषा से उन्होंने सूर्य, चंद्र, तथा मेघ को अपनी आज्ञा में रहने का वरदान माँगा। मछली अप्रसन्न होकर शाप देती है – ‘जा-जा, अपनी उसी झोपड़ी में रह।’ वरदान शाप में परिणत होते ही मछुवा-मछुवी झोंपड़ी में रहने लगे।

यहाँ एक तरफ अभिलाषा है। अभिलाषाओं को जगाने वाली मछली है। मानवीय भावों के इस खेल में दोष किसका? यही तो निबंध का सार है।

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महत्त्वाकांक्षा और लोभ पाठ का सारांश :

अप्राप्य की लालसा हमेशा मानव मन को लोभ के जाल में फँसाती रहती है और जीवन को तहस-नहस कर डालती है। जीवन के इसी सिद्धांत को इस निबंध में दृष्टांत द्वारा समझाया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 6

एक कछुवा और कछुवी अपनी टूटी-फूटी झोंपड़ी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। मछुवा दिनभर मछलियाँ पकड़ता तो मछुवी दिन भर दूसरा काम करती थी तब कहीं खाने को मिलता था। यही उनका वर्तमान था, उन्हें न आशा थी, न कोई लालसा।

मछुवा एक दिन मछली पकड़ने नदी के किनारे गया। वहाँ नदी के किनारे एक छोटी सी मछली लताओं में फँसी थी। मछली ने मछुवे को देखकर पुकारा और मदद माँगी कि, मुझे पानी में छोड़ दो। मछुवे ने निस्वार्थ भाव से मछली को पानी में छोड़ा।

मछली ने पहले गड्ढे के पानी में, फिर नदी के पानी में छोड़ने की बात की। मछुवे ने वैसा ही किया। फिर मछली ने मछुवे को नदी के किनारे रोज आकर बैठने की बात की ताकि उसका मन बहल जाए। मछुवा वैसा ही करता रहा।

पत्नी के पूछने पर मछुवे ने पूरी घटना बता दी। पत्नी ने कहा तुम कुछ नहीं समझते, वह मछली कोई साधारण नहीं है। मछली के रूप में कोई देवी होगी। उससे कुछ माँग लो।

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पत्नी के कहने पर मछुवे ने मछली से अपने लिए घर माँगा। मछली के वरदान से मछुवे का घर बन गया। मछुवी में लोभ जागा। उसने सोचा घर होने से क्या होगा? धन चाहिए। फिर उसने धन माँगा तो धन मिला पर मछुवी की महत्त्वाकांक्षा बढ़ गई। उसने राजवैभव माँगा। फिर राजवैभव मिल गया।

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उसका लोभ बढ़ा और उसने फिर रानी होने की अभिलाषा रखी। मछुवी राजमहल में रानी बन गई। अति लोभ से मछुवी ने अपने पति से कहलवाकर मछली से – सूर्य, चंद्र, मेघ पर अपने अधिकार में होने की माँग की। मछली ने रुष्ट होकर कहा – “जा – जा अपनी उसी झोपड़ी में रह।”

मछली के इसी शाप से सब समाप्त होकर मछुवा और मछुवी अपनी उसी – टूटी-फूटी झोंपड़ी मे आ गए। कथा समाप्त हो गई।

प्रस्तुत निबंध से लेखक बताना चाहते हैं कि मछुवा और मछुवी की कही कथा सच नहीं थी पर लोगों के मनोरथों की कथा सच है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ शब्दार्थ :

  • रुष्ट = अप्रसन्न, नाराज
  • मनोरथ = इच्छा, कामना
  • व्यग्रता = अधीरता
  • परिणत = रूपांतरित
  • रुष्ट = अप्रसन्न, नाराज (angry),
  • मनोरथ = इच्छा, कामना (desire),
  • व्यग्रता = अधीरता, बैचेनी (anxiety),
  • निर्बुद्धि = अल्पमति, अज्ञानी, नासमझी (ignorance),
  • अप्राप्य = जो प्राप्त नहीं (inaccessible),
  • परिणत = रूपांतरित (converting)

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Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
गजलकार के अनुसार दोस्ती का अर्थ –
उत्तर :
दोस्ती को महसूस किया जाता है। दोस्ती में छोटा-बड़ा अमीर-गरीब इस तरह का भेद-भाव नहीं होता। जिससे दोस्ती की जाती है उसके गुण-अवगुण से हम परिचित होते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहयोग देते हैं। एक दोस्त हमदर्द, मार्गदर्शक, पथ प्रदर्शक होता है। अच्छी-बुरी बातें मान-सम्मान, पद-अधिकार, संपत्ति आदि बातों से कहीं ऊपर दोस्ती होती है। एक-दूसरे के मन की बात बिना बोले ही समझ में आती है। सभी रिश्तों से ऊपर दोस्ती का रिश्ता होता है।

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प्रश्न आ.
कवि ने इनसे सावधान किया है –
उत्तर :

  • बुराइयाँ, शत्रु, तथाकथित लोग (धनी-मानी, अमीर-राजा आदि।)
  • कुप्रवृत्तियों के लोग, कड़वी सच्ची बातें, दुःख
  • आपदाएँ-विपदाएँ, समस्याएँ, कठिनाइयाँ आदि अभावजन्य बातें।

प्रश्न इ.
प्रकृति से संबंधित शब्द तथा उनके लिए कविता में आए संदर्भ –
शब्द – संदर्भ
(a) ……………………… – ………………………
(b) ……………………… – ………………………
(c) ……………………… – ………………………
(d) ……………………… – ………………………
उत्तर :
शब्द – संदर्भ
(1) तूफाँ – तूफाँ तो इस शहर में अक्सर आता है।
(2) सैलाब – आँखों में सैलाब का मंजर आता है।
(3) बादल – सूखे बादल होंठों पर कुछ लिखते हैं।
(4) समंदर – पानी पीने रोज समंदर आता है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
गजल में प्रयुक्त विरोधाभासवाली दो पंक्तियाँ ढूँढ़कर उनका अर्थ लिखिए।
उत्तर :
याद कर देवताओं के अवतार
हम फकीरों का सिलसिला भी मान।
अर्थ : दोस्त भले ही अपनों से तथाकथित बड़े लोगों से ताल्लुक रखता हो पर, हम जैसे साधारण गरीबों की बात भी माननी चाहिए।

प्रश्न आ.
‘कागज की पोशाक शब्द की प्रतीकात्मकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार पत्र में बाते प्रकाशित होना, श्वेत-सफेद बगुलों जैसे अवसरवादियों पर प्रस्तुत पंक्ति में व्यंग्य किया है। हाथी के दाँत दिखाने के और तथा खाने के और होते हैं, कथनी और करनी में अंतर रखना – अखबार इन सबका भंडाफोड़ करता है।

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अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘जीवन की सर्वोत्तम पूँजी मित्रता है, इसपर अपना मंतव्य लिखिए।
उत्तर :
मित्रता या दोस्ती दो या अधिक व्यक्तियों के बीच पारस्परिक लगाव का संबंध है। जब दो दिल एक-दूसरे के प्रति सच्ची अत्मीयता से भरे होते हैं, तब उस संबंध को मित्रता कहते हैं। यह संगठन की तुलना में अधिक सशक्त वैयक्तिक बंधन है। जीवन में मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर उसके जीवन की सफलता निर्भर हो जाती है; क्योंकि संगति का गुप्त प्रभाव हमारे आचरण पर बड़ा भारी पड़ता है।

हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों में दृढ़ रहेंगे, दोष और त्रुटियों से हमें बचाएँगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे तब हमें उत्साहित करेंगे। सारांश यह है कि वे हमें जीवन निर्वाह करने में हर तरह से सहायता करें।

सच्ची मित्रता में उत्तम से उत्तम वैद्य की-सी निपुणता और परख होती है, माँ जैसा धैर्य और कोमलता होती है। ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न करना चाहिए।

प्रश्न आ.
‘आधुनिक युग में बढ़ती प्रदर्शन प्रवृत्ति विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
प्रदर्शन एक ऐसा शब्द है जो युवाओं, वृद्धों, महिलाओं व बच्चों में समान रूप से लोकप्रिय है। कपड़ों, खाद्य पदार्थों, फास्ट फूड, नृत्य (पश्चिमी धुनों पर), विवाहों, समारोहों इत्यादि पर प्रदर्शन की अमिट छाप दिखाई पड़ती है। प्रदर्शन कभी स्थिर नही रहता। यह एक परिवर्तनवादी नशा है, जो सिर पर चढ़कर बोलता है। यदि किसी महिला ने पुरानी स्टाइल या डिझाइन की साडी या लहंगा पहना हो तो संभव है कि उसे “Out of Fashion” की संज्ञा दी जाए। यह संभव है कि अगली किसी पार्टी पर उसे आमंत्रित ही न किया जाए।

आज के दौर में जो व्यक्ति “आऊट ऑफ फैशन” हो जाता है उसकी मार्केट वैल्यू” गिर जाती है। अत: उसे स्वयं को भौतिकवाद की दौड़ में अपना स्थान सुनिश्चित करने हेतु कपड़ों, खानपान, घर, बच्चों, जीवनसाथी व दफ्तर, कारोबार, आदि के संदर्भ में नवीनतम प्रदर्शन की वस्तुओं, सुविधाओं, और विचारों को अपनाना पड़ता है। पदर्शन एक भेड़चाल की तरह है।

मेरे विचार में फैशनेबल होना बुरा नहीं है। परंतु दकियानुसी कपड़ों को प्रदर्शन करना या कम-से-कम वस्त्र पहनने का नाम भी तो फैशन नहीं है। इस में युवा पीढ़ी कुछ ज्यादा ही संजीदा है। वक्त के साथ बदलते प्रदर्शन पर यह पीढ़ी न सिर्फ नजर रखती है बल्कि उसे अपनाने में भी देर नहीं करती।

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रसास्वादन

4. गजल में निहित जीवन के विविध भावों को आत्मसात करते हुए रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : दोस्ती, मौजूद
(ii) रचनाकार : डॉ. राहत इंदौरी

(iii) केंद्रीय कल्पना : डॉ. राहत इंदौरी जी के ‘दो कदम और सही’ गजल संग्रह से ‘दोस्ती’ गजल ली गई है जिसमें गजलकार दोस्ती का अर्थ और महत्त्व से हमें परिचित कराते हैं। दूसरी गजल ‘मौजूद’ गजल संग्रह से संकलित है जो हौसला निर्माण करने वाली, उत्साह दिलाने वाली, सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता को जगाने वाली गजल है। इस गजल में जिंदगी के अलग-अलग रंगों का इजहार खूबसूरती से किया गया है। जीवन में दोस्त हमदर्द, मार्गदर्शक, होता है। एक-दूसरे के मन की बात बिना बोले ही समझ जाते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहभागी होते हैं। जीवन में दोस्त का स्थान महत्त्वपूर्ण होता है।

(iv) रस-अलंकार : प्रस्तुत कविता गजल है जिसका हर शेर स्वयंपूर्ण है। नए रदीफ, नई बहर, नए मजमून, नया शिल्प का जादू इन गजलों में बिखरा हुआ है।

(v) प्रतीक विधान : प्रस्तुत गजलों में जिंदगी के अलग-अलग रंगों का खूबसूरत इजहार है। संवेदनशीलता, सकारात्मकता, हौसला और उत्साह जगाने में ये गजलें सफल हुई हैं।

(vi) कल्पना : कवि ने कागजों के बीच की खामोशियाँ पढ़ने की कल्पना की है, जो हमारी संवेदनशीलता को जगाती है। कातिल कागज का पोशाक पहनने वाला व्यक्ति अर्थात स्वार्थी, झूठा और दोगला व्यवहार करने वाला व्यक्ति जिससे हमें सर्तक, सावधान रहने की बात कही है।

(vii) पसंद की पंकितयां तथ प्रभाव
‘सूख चुका हूँ फिर भी मेरे साहिल पर
पानी पीने रोज समंदर आता है।’
अर्थात शक्ति क्षीण हो जाने के बाद भी देने का उत्साह कम नहीं हुआ है और जो भीड़ रूपी समुंदर किनारे पर पानी पीने आता है उनको पानी देने का हौसला भी गजलकार रखते हैं। यही है जीवन की सकारात्मकता का इजहार।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : मुझे इन गजलों की संवेदनशीलता और सकारात्मकता अच्छी लगती है। वर्तमान स्थिति पर कसा व्यंग्य भी मुझे प्रभावित करता है और सावधान रहने के लिए प्रेरित करता है। गजल की असली कसौटी उसकी प्रभावोत्पादकता होती है जिसमें गजलकार सफल हुए है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
डॉ. राहत इंदौरी जी की गजलों की विशेषताएँ –
उत्तर :

  • जीवन और जगत के विभिन्न पहलुओं पर गजलें की हैं।
  • वर्तमान परिवेश पर जो टिप्पणी उन्होंने अपनी गजलों में की है, वो आज की राजनीति, सांप्रदायिकता, धार्मिक पाखंड और पर्यावरण पर बड़े ही मार्मिक भाव से की है।
  • छोटी-बड़ी बहर की गजल में उनका प्रतीक और बिंब विद्यमान है, जो नितांत मौलिक और अद्वितीय है।
  • नए रदीफ, नई बहर, नए मजमून, नया शिल्प उनकी गजलों में जादू की तरह बिखरा है।

प्रश्न आ.
अन्य गजलकारों के नाम
उत्तर :
मिर्जा असदुल्ला खाँ ‘गालिब’, दुष्यंत कुमार, वसीम बरेलवी, निदा फाजली, राजेंद्रनाथ रहबर, रतन पॅडोरवी, गुलजार।

अलंकार

यमक – काव्य में एक ही शब्द की आवृत्ति हो तथा प्रत्येक बार उस शब्द का अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदा. –
(१) कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
इहिं खाए बौराय नर, उहि पाए बौराय।
– बिहारी

(२) तीन बेर खाती है,
सो तीन बेर खाती हैं।
– भूषण

श्लेष – जहाँ किसी काव्य में एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
उदा. –
(१) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गएन ऊबरे, मोती मानुस चून॥
– रहीम

(२) चिर जीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर॥
– बिहारी

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पदयांश : दोस्त है तो ……………………………………………………………………………………………………………….. हर्फ का सदा भी मान। (पाठ्य पुस्तक पृष्ठ क्र. 46)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद

प्रश्न 1.
लिखिए :
उत्तर :
(i) दिल को समझना है – …………………………………
(ii) याद करना है – …………………………………
(iii) इन्हें पढ़ना है – …………………………………
(iv) इनका सिलसिला मानना है – …………………………………
उत्तर :
(i) सबसे बड़ा हरीफ
(ii) देवताओं के अवतार
(iii) कागजों की खामोशियाँ
(iv) फकीरों का

प्रश्न 2.
(i) निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए :
(1) कवि ने एक-एक वाक्य को सदा मानने के लिए कहा है – …………………………………….
(2) कवि कभी-कभी सच भी बोल देता है – …………………………………….
उत्तर :
(1) असत्य
(2) सत्य

(ii) सही विकल्प चुनकर पंक्ति पूर्ण कीजिए :
(1) इस संग को …………………………. भी मान (खदा / सदा)
(2) मुझसे …………………………. भी कर, बुरा भी मान (दोस्ती / शिकवा)
उत्तर :
(1) खुदा
(2) शिकवा

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश कवि डॉ. राहत इंदौरी जी लिखित गजल है जिसमें कवि ने दोस्ती का अर्थ और महत्त्व समझाया है। कवि कहते हैं कि अगर तुम मुझे अपना दोस्त मानते हो तो मेरे विचारों को भी मानना पड़ेगा। कुछ विचारों पर आप नाराजगी व्यक्त भी कर सकते हो, लेकिन कुछ विचार तुम्हें मानने ही पड़ेंगे।

मनुष्य के दिल को सबसे बड़ा शत्रु मान लेना चाहिए। हमें पत्थर को भी खुदा मानना चाहिए। युगों के अनुसार देवताओं के अवतार माने जाते हैं लेकिन साधुओं की, फकीरों की भी लंबी परंपरा हमारे समाज में पाई जाती है। कागजों के बीच के शब्दों का स्वर हमें सुनाई देना चाहिए। हमें संवेदनशील होना चाहिए।

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(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

पद्यांश : तूफाँ तो इस शहर ……………………………………………………………………………………………………………………… बाहर आता है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 47)

प्रश्न 1.
सहसंबंध लिखिए :
उत्तर :

  • दाँत – जहरीले
  • साँप का – मंत्र
  • आँखों में – सैलाब
  • तकरीरो में – जौहर

प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर दो ऐसे प्रश्न वनाइए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों :
(i) तूफाँ – ……………………………..
(ii) होंठ – ……………………………..
उत्तर :
(i) तूफाँ – इस शहर में अक्सर कौन आता है ?
(ii) होंठ – सूखे बादल किस पर कुछ लिखते हैं ?

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश कवि डॉ. राहत इंदौरी जी लिखित गजल है। गजलकार मनुष्य के दोगलेपन पर व्यंग्य कसते हुए कहते हैं कि हमारे शहर में तूफान तो हमेशा आते हैं, पता नहीं अब वह किसे बरबाद करेगा। कोई भी उसके चपेट में आ सकता है। हमारे जीवन में संकट हमेशा आते हैं, उन संकटों से लड़ने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना पड़ेगा।

हमे हमेशा सतर्क और चौकन्ना रहना पड़ेगा भले ही उनके दाँत जहरीले होंगे लेकिन हमें भी उस जहर का इलाज करना आना चाहिए।

सूखे हुए बादल (हमारी भ्रष्ट व्यवस्था) हमारे भाग्य (होंठों) पर कुछ प्रभाव जरूर छोड़ जाते हैं। इसके कारण आँखों में सैलाब का दृश्य नजर आता है जो सारी व्यवस्था को नष्ट कर नया भविष्य दे सकता है। कोई व्यक्ति जब अपने विचार बयाँ।

करता है, तब उसकी योग्यता का पता चलता है।

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(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए

पद्यांश : बचकर रहना, एक कातिल …………………………………………………………………………………………. ख्वाब मयस्सर आता है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 47)

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद 1

‘क’ ‘ख’
(1) …………………….. ……………………..
(2) …………………….. ……………………..
(3) …………………….. ……………………..
(4) …………………….. ……………………..

उत्तर :

(1) कागजपोशाक
(2) जहनतअफ्फन
(3) कपड़ाइत्र
(4) आँखख्वाब

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) बचकर रहना है क्योंकि ………………………………..
(ii) रहमत पर फैलाए मिलने आती है क्योंकि ………………………………..
उत्तर :
(i) बचकर रहना है क्योंकि इस बस्ती में एक कातिल कागज की पोशाक पहनकर हत्याएँ करने आता है।
(ii) रहमत पर फैलाए मिलने आती है क्योंकि हमारी पलकों पर कोई पयंबर आता है।

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प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश डॉ. राहत इंदौरी जी लिखित एक गजल है। गजलकार हमें वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए सतर्क रहने का परामर्श दे रहे हैं। वे कह रहे हैं कि एक हत्यारा इस बस्ती में कागज की पोशाक पहनकर हत्याएँ करने आता है। व्यक्ति हमेशा अपने कर्मों की दुर्गंध अपने मस्तिष्क में भरता है।

जो दूसरों के बारे में बुरा सोचता है उसका कभी भला नहीं होता। जहाँ दया, सहानुभूति, प्रेम, अपनापन जैसी भावनाएँ होती हैं वहीं पर ईश्वर की रहमत बरसती है। कवि स्वयं भी सूखे हुए जलाशय की तरह सूखा बना है परंतु प्यास बुझाने की आस लिए समुंदर प्रतिदिन उसके किनारे पर आता है अर्थात शक्ति क्षीण हो जाने पर भी मदद करने वाले के पास मदद माँगने वालों की भीड़ लगी रहती है।

अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हमारे सपने जब साकार होते हैं, पूर्ण होते हैं तब आँखों को सुकून मिलता है।

गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद Summary in Hindi

गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद कवि परिचय :

राहत इंदौरी जी का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबुल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया।

तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश के भौज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप एक भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार हैं। आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

आप उन चंद शायरों में से एक हैं जिनकी गजलों ने मुशायरों (poet conference) को साहित्यिक स्तर और सम्मान प्रदान किया है। आपकी गजलों में आधुनिक प्रतीक और बिंब (image) विद्यमान हैं, जो जीवन की वास्तविकता दर्शाते हैं।

गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद प्रमुख कृतियाँ :

धूप-धूप, नाराज, चाँद पागल है, रुत, मौजूद, धूप बहुत है, दो कदम और सही (गजल संग्रह) आदि। काव्य परिचय : पहली गजल में दोस्ती का अर्थ और उसके महत्त्व को गजलकार ने स्पष्ट किया है। दूसरी गजल में गजलकार ने वर्तमान स्थिति का चित्रण किया है।

प्रस्तुत गजलें नया हौसला निर्माण करने वाली, उत्साह दिलाने वाली, सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता को जगाने वाली है, जिसमें जिंदगी के अलग-अलग रंगों का खूबसूरत इजहार (express) है।

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गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद सारांश :

(अ) दोस्ती : दोस्ती का मतलब समझाते हुए कवि कहते हैं कि अगर सच्चे दिल से तुम मुझे दोस्त समझते हो तो मेरे विचारों को भी मान लीजिए। विश्वास रखना मैं हरदम तुम्हारी भलाई के बारे में ही सोचूंगा। मेरे सभी विचार तुम्हारे विचारों के साथ मेल खाएँगे। मेरा कोई विचार तुम्हें पसंद नहीं आया तो तुम शिकायत (नाराजगी व्यक्त) कर सकते हो, शायद मेरे विचार तुम्हें बुरे भी लग सकते हैं, लेकिन मेरे कुछ विचार तुम्हें मानने भी पड़ेंगे।

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कवि कहते हैं कि मनुष्य के हृदय (दिल) को हमें सबसे बड़ा शत्रु मान लेना चाहिए। हमें पत्थर को भी खुदा (ईश्वर) मानना चाहिए।

कवि यह कहना चाहते हैं कि दुनिया ने मुझपर यह ठप्पा लगा दिया है कि मैं हमेशा झूठ ही बोलता हूँ। यह मुझे स्वीकार है कि ज्यादातर मैं झूठ बोलता हूँ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं हमेशा झूठ ही बोलता हूँ। कभी-कभार मैं सच भी बोलता हूँ। इसलिए मेरी आप से बिनती है कि कभी-कभी तो मेरी बातों पर विश्वास रखना, अन्यथा पता नहीं उसमें तुम्हारा ही नुकसान होगा।

कवि कहते हैं कि युगों के अनुसार देवताओं के भिन्न अवतार माने जाते हैं लेकिन साधुओं, फकिरों की भी लंबी परंपरा हमारे समाज में पाई जाती है। वही वैराग्य धारण कर समाज की सेवा करने का व्रत लेते हैं। कई सालों से हम फकिरों के इस व्रत का अनुसरण करते चले आ रहे हैं।

कवि कहते हैं कि कागजों के बीच खामोशियाँ होती हैं, उन्हें हमें पढ़ना आना चाहिए। तब एक-एक शब्द भी अपना कहा कुछ कहता है। उन शब्दों के स्वर हमें सुनाई देने चाहिए। हमे संवेदनशील होना चाहिए।

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कवि कहते हैं कि किसी को परखने में, किसी की परीक्षा लेने में कोई बुराई नहीं है। हमें अपने कर्तव्यों को, उत्तरदायित्वों को पूर्ण करना चाहिए और मुझे भी तुम परखो और मुझे भला मानकर मेरी कुछ बातें भी माननी पड़ेंगी। आपको मेरी बातें आज शायद कटु, बुरी लगे, लेकिन उसमें आपकी भलाई ही छिपी होगी।

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कवि कहते हैं कि आए हुए संकट को पार लगाना ही जिंदगी है। जो संकट, दुःख जीवन में मिले हैं उससे बाहर निकलने का. रास्ता तो हमें अवश्य ढूँढ़ना होगा। लेकिन उसके साथ-साथ दुःख ने हमें पनाह दी इसलिए उसके आभार भी प्रकट करने चाहिए क्योंकि दुःख के छत ने ही हमें सुख का अहसास करा दिया। जिंदगी में अगर हमेशा ही सुख मिलता रहे तो जीवन रुचिहीन होगा। दुःख ही वह बात है जो हमें सूख का मूल्य (महत्व) समझा देती है।

(आ) मौजूद : कवि कहते हैं कि इस शहर में अक्सर तूफान आते रहते हैं। आने वाला तूफान शहर को नेस्तनाबूद (destroyed) करने पर तुला रहता है। तूफान के कारण शहर का नक्शा बदल जाता है। हर तरफ नुकसान का मंजर छाया रहता है, कई जाने चली जाती है। इस हालत की आदत-सी हो गई है।

जब-तक जिंदा है तब तक चिंतामुक्त, तनावरहित जीवन जिएँगे। देखते हैं कल के तूफान में किसका नंबर आता है, किसके दिन भर गए हैं। तब तक तो खुशी-खुशी से जिएँगे। – कवि कहते हैं कि आज सच्चे मित्रों का मिलना बड़ा कठिन हुआ है। जिसे हम दोस्त मानते हैं, वही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है। हमे हमेशा सतर्क और चौकन्ना रहना पड़ेगा। भले ही उनके दाँत जहरीले होंगे लेकिन हमें भी उस जहर का इलाज करना आना चाहिए।

कवि कहते हैं कि सूखे हुए बादल (हमारी भ्रष्ट व्यवस्था) हमारे भाग्य (होठों) पर कुछ प्रभाव जरूर छोड़ जाते हैं। इस के कारण गुस्सा आँखों में सैलाब (बाढ़) सा नजर आता है, वह सारी व्यवस्था को नष्ट कर नया भविष्य दे सकता है।

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कवि कहते हैं कि कोई व्यक्ति जब अपने विचार बयान करता है, तब उसकी योग्यता, कौशल का पता चलता है। उस व्यक्ति के हृदय में क्या चल रहा है वह सब होठों पर आ जाता है। शब्दों के बिना हमारा चातुर्य बेकार है।

कवि कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा सावधान, सतर्क रहना चाहिए। इस बस्ती में एक कातिल (killer) कागज (झूठा, दोगला) का पोशाक पहनकर (स्वार्थ) हत्याएँ करने आता है। मनुष्य जैसा दिखता है, वैसा नहीं होता। वह किसी को भी धोखा देकर अपना स्वार्थ पूरा करता है।

कवि कहते हैं कुछ व्यक्ति हमेशा अपने कर्मों की दुर्गंध (बुराई) अपने मस्तिष्क में भरते रहते हैं। दूसरों के लिए वे गड्ढा खोदते हैं लेकिन खुद उस गड्ढे में जाकर गिरते हैं। जब हम अपने कपड़ों पर इत्र लगाते हैं, तो उसकी सुगंध दूसरों को आने से पहले स्वयं को आती है। दूसरों का बुरा सोचने पर खुदका बुरा होता है।

कवि कहते हैं कि दया, कृपा, इंसानियत के दो बड़े पहलू हैं। लेकिन यह तभी मुमकिन है जब हम ईश्वरी सत्ता देख पाते हैं। दूरसों के प्रति दया, परसुख हम तभी देख पाएँगे जब हमारी आँखों में ईश्वरी दृष्टि होगी।

कवि कहते हैं अनुभवि व्यक्ति या दूसरों की मदद करने वाला व्यक्ति थकने पर, उसकी शक्ति क्षीण हो जाने पर वह कुछ नहीं कर सकता किंतु उसके अनुभवों (दयालु वृत्ति) से जो ज्ञान प्राप्त होता है उसे प्राप्त करने के लिए उसके पास हमेशा भीड़ लगी रहती है।

कवि कहते हैं कि जो आँखें ख्वाब (सपने) देखती हैं, वह सपने अगर प्रत्यक्ष में उतरते हैं तो उन आँखों की नींद गायब हो जाती है। अर्थात वह बहुत सुखी और सफल बन जाता है। अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद शब्दार्थ:

  • हरीफ = शत्रु
  • सदा = आवाज
  • तअफ्फुन = दुर्गंध
  • संग = पत्थर
  • मंजर = दृश्य
  • जहन = मस्तिष्क
  • गाहे-गाहे = कभी-कभी
  • तकरीर = बातचीत
  • साहिल = किनारा
  • हर्फ = अक्षर
  • जौहर = कौशल
  • मयस्सर = प्राप्त
  • दोस्ती : शिकवा – शिकायत (complaint),
  • हरीफ – शत्रु, दुश्मन (enemy),
  • संग – पत्थर (stone),
  • गाहे – गाहे – कभी-कभी (sometimes),
  • हर्फ – अक्षर, शब्द (word),
  • सदा – आवाज (voice),
  • आजमाइश – अजमाकर देखना (trial),
  • फर्ज – विश्वास (trust),
  • तरकीब – उपाय, युक्ति, तरीका (remedy)
  • मौजूद : तूफाँ – तूफान (storm),
  • मंतर – मंत्र, मंजर – दृश्य (view),
  • सैलाब – बाढ़ (flood), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 9 गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद
  • तकरीर – बातचीत (chating),
  • जौहर – कौशल, गुण (skill),
  • तअफ्फुन – दुर्गंध (odour),
  • जहन – मस्तिष्क (brain),
  • रहमत – दया – (mercy),
  • पयंबर – देवदूत, ईश्वर (angel),
  • साहिल – किनारा, तट (edge),
  • ख्वाब – सपना (dream),
  • मयस्सर – प्राप्त होना (get)

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11th Hindi Digest Chapter 8 तत्सत Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
बड़ दादा के अनुसार आदमी ऐसे होते हैं –
(a) ……………………………………
(b) ……………………………………
(c) ……………………………………
उत्तर:
(a) इन्हे पत्ते नहीं होते।
(b) इनमें जड़ें नहीं होती।
(c) अपने तने की दो शाखाओं पर ही वे चलते चले जाते हैं।

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प्रश्न आ.
वन के बारे में इसने यह कहा –
(a) बड़ दादा ने –
(b) घास ने
(c) शेर ने
उत्तर :
(a) बड़ दादा ने – वन नामक जानवर को मैंने अब तक नहीं देखा।
(b) घास ने – वन को मैंने अलग करके कभी नहीं पहचाना।
(c) शेर ने – वन कोई नहीं है कहीं नहीं है।

प्रश्न इ.
घास की विशेषताएँ –
………………………………………………..
………………………………………………..
………………………………………………..
उत्तर :
(a) घास बुद्धिमती है।
(b) घास से किसी को शिकायत नहीं होती।
(c) उसे सबका परिचय पद तल के स्पर्श से मिलता है।

शब्द संपदा

2.
प्रश्न अ.
पर्यायवाची शब्दों की संख्या लिखिए :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट
उत्तर :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज ( 3 )
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर ( 3 )
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा ( 2 )
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन ( 4 )
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट ( 3 )

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प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द तैयार कर उपसर्ग के अनुसार उनका वर्गीकरण कीजिए –
कामयाब – न्याय – मान
सत्य – मंजूर
मेल – यश – संग
उत्तर :

उपसर्गमूल शब्दशब्द
उदा. –गैर
ना

अप

अव
ना
बे
अप
कु
जिम्मेदार
कामयाब
न्याय
मान
सत्य
गुण
मंजूर
मेल
यश
संग
गैर जिम्मेदार
नाकामयाब
अन्याय
अपमान
असत्य
अवगुण
नामंजूर
बेमेल
अपयश
कुसंग

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अभयारण्यों की आवश्यकता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
कुछ दिन पहले अखबार में एक खबर आई थी कि मुंबई के ठाणे विभाग की मानवी बस्ती में एक बाघ आया था। इस खबर से लोगों में काफी सनसनी फैली थी। जंगली जानवरों का मानवी बस्ती में आगमन बढ़ रहा है, जिससे मनुष्यों का खतरा बढ़ रहा है। इस बात पर चर्चा होने लगी।

वास्तव में देखा जाए तो जंगली जानवरों के लिए हम खतरा बन रहे हैं। भौतिक विकास के नाम पर जंगलों को खत्म करने से बेचारे जानवरों का जीना हराम हुआ है। जंगलों में रहने वाले अनेक छोटे-छोटे जीव-जंतु अस्तित्वहीन हो रहे हैं। उनका निवास हमने छीन लिया है। इसलिए बेचारों को मानवी बस्ती में घुसना पड़ रहा है। इस कारण अभयारण्यों की आवश्यकता तीव्रता से महसूस हो रही है।

प्रश्न आ.
‘पर्यावरण और हम’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

4.
प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए –
(1) बड़ दादा
(2) सिंह
(3) बाँस
उत्तर :
(1) वड़ दादा : ‘तत्सत’ इस कहानी में एक घना जंगल है। इस जंगल में एक बड़ा पुराना बड़ का पेड़ है। उसे सब ‘बड़ दादा’ कहकर पुकारते हैं। बड़ दादा अंत्यंत शांत और संयमी है। वह सबसे स्नेह करता है। एक दिन बड़ दादा की छाँव में बैठे दो आदमियों ने कहा कि यह वन अत्यंत भयानक और घना है।

आदमी किस वन के बारे में बात कर रहे थे, यह जंगल वासी समझ नहीं पाए। वन किसे कहते है? वह कहाँ है? इसे जानने के लिए सब बेचैन थे। अनेक पेड़, प्राणियों के साथ बड़ दादा की चर्चा हुई। किसी को भी ‘वन’ के बारे में जानकारी नहीं थी। कुछ दिन बाद वही आदमी फिर दिखाई दिए।

बड़ ने उन्हें ‘वन’ के बारे में पूछा। आदमी ने बड़ के पेड़ पर चढ़कर ऊपरी हिस्से में खिले हुए नए पत्तों को आस-पास की दुनिया दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ दादा को उस वक्त पता चला कि ‘वन’ माने कोई जानवर या पेड़-पौधे नहीं बल्कि उन सबसे वन बना है। वन हम में है और हम वन में हैं इस परम सत्य का उसे पता चला। आखिर वही ‘तत्सत’ था।

(2) सिंह : इस कहानी का सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। सिंह पराक्रमी है। वन का राजा है। उसे अपनी शक्ति पर गर्व है। जब बड़ दादा तथा अन्य उसे ‘वन’ के बारे में पूछते हैं तब उसे पता चलता है कि ‘वन’ नामक कोई है? उस ‘वन’ को उसने कभी नहीं देखा था। सिंह उस वन को चुनौती देना चाहता है।

अगर उसका ‘वन’ से मुकाबला हो जाए तो उसे फाड़कर नष्ट करना चाहता है। ‘वन’ को नष्ट करने की भाषा के पीछे उसका अज्ञान है। वन के अस्तित्व पर उसे भरोसा नहीं है। खुद की शक्ति पर अहंकार करने वाले सिंह के शब्द और कृति से उसका बल दिखाई देता है। शक्ति, वीरता, बल और अहंकार का प्रतीक ‘सिंह’ है।

(3) वाँस : ‘तत्सत’ कहानी में गहन वन है जहाँ के पेड़-पौधों को तथा पशुओं को ‘वन’ नामक जानवर के बारे में पता नहीं है। परंतु सबको उसका डर था क्योंकि शिकारियों ने ‘भयानक वन’ की बात आपस में की थी। वन के सभी ‘वन’ नामक भयानक जानवर के बारे में चर्चा कर रहे थे।

तब बाँस भी उस चर्चा में सम्मिलित हुआ। वह थोड़ी सी हवा आते ही खड़खड़ करने लगता था। वह पोला था परंतु बहुत कुछ जानता था। वह घना नहीं था, सीधा ही सीधा था। इसीलिए झुकना नहीं जानता था। उसे लगता था कि हवा उसके भीतर के रिक्त में वन-वन-वन-वन कहती हुई घूमती रहती है।

वाग्मी वंश बाबू अर्थात् बाँस ‘वन’ नामक भयानक प्राणी के बारे में अधिक बता न सके।

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प्रश्न आ.
‘तत्सत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘तत्सत’ यह कहानी प्रतीकात्मक है। यहाँ वन ईश्वर का प्रतीक है और वन में रहने वाले सभी प्राणी, पशु-पक्षी, पेड़ पौधे उसके अंश है। ‘वन’ के अस्तित्व को लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, इनसान में चर्चा छिड़ जाती है। आदमी का कहना है कि, ‘हम सब जहाँ है वहीं वन है। लेकिन पेड़-पौधे और पशु-पक्षी उसकी बात मानने को तैयार नहीं है। बड़ दादा की आदमी के साथ देर तक चर्चा होती है।

आखिर बड़ दादा को साक्षात्कार होता है और वह वन रूपी ईश्वर के अस्तित्व को मानने के लिए तैयार हो जाता है। बड़ दादा से मनुष्य ने जो कुछ कहा, मंत्र रूपी संदेश दिया तब मानो उसमें चैतन्य भर आया। उन्होंने खंड को कुल में देख लिया। उन्हें अपने चरमशीर्ष से कोई अनुभूति प्राप्त हुई।

सृष्टि के अंतिम सत्य को उन्होंने जान लिया। हम आज हैं कल नहीं परंतु ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। ईश्वर के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल को जंगल वासी और आदमियों के संवाद द्वारा लेखक ने साकार किया है।

हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है परंतु अंत में उस परम शक्तिशाली का अस्तित्व हमें स्वीकार करना ही पड़ता है। यही सत्य है। इसीलिए कहानी का शीर्षक सार्थक है। ‘तत्सत’ का शब्दश: अर्थ है वही सत्य है अर्थात ईश्वर सत्य है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियों की विशेषताएँ –
उत्तर :
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियाँ किसी ना किसी मूल विचार तत्व को जगाती है। रोजमर्रा के जीवन की समस्याएँ आपकी कहानियों में उजागर होती हैं। मनोविश्लेषण (psychoanalysis) और मानवीय संवेदना यह आपकी कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न आ.
अन्य कहानीकारों के नाम –
उत्तर :
हिंदी साहित्य में जैनेंद्र कुमार जी के अलावा प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, यशपाल, मन्नू भंडारी, शेखर जोशी, भीष्म साहनी, फणीश्वरनाथ रेणु, मार्कण्डेय आदि अनेक कहानीकारों को श्रेष्ठ कहानीकार माना जाता है।

6. निम्नलिखित रसों के उदाहरण लिखिए :

(a) हास्य
……………………………………………………..
(b) वात्सल्य
……………………………………………………..
उत्तर :
(a) हास्य रस :
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय?
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।

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(b) वात्सल्य रस :
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मोसौ कहत मोल को लीन्हौं,
तू जसुमति कब जायौ?

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 8 तत्सत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : शीशम ने कहा, “ये लोग इतने ही ……………………………………………. वह चीतों से बढ़कर होगा।” (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 39-40)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 2

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते …………………………………………….
उत्तर :
आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते क्योंकि इनमें पेड़ों की तरह जड़ें नहीं होती।

(ii) वन चीतों से बढ़कर होगा …………………………………………….
उत्तर :
वन चीतों से बढ़कर होगा क्योंकि आदमी वन को भयानवा बताते थे।

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों में अलग अर्थ वाला शब्द छाँटकर लिखिए :
उत्तर :

  • समीर, अनिल, मारुति, हवा – मारुति
  • दिन, तिथि, वार, वेद – वेद
  • प्रीति, स्नेह, प्यार, चाह – चाह
  • नारी, मनुष्य, आदमी, मानव – नारी

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प्रश्न 4.
प्रकृति द्वारा निर्मित पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का महत्त्व लिखिए।
उत्तर :
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का पर्यावरण संतुलन में अपना अलग महत्त्व है। पेड़-पौधे हो या पशु-पक्षी सभी को जीवित रहने के लिए आक्सीजन आवश्यक है और आक्सीजन बनाने में पेड़-पौधे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुद्ध हवा के साथ-साथ फल-फूल, पानी, छाया, आसरा आदि के लिए पेड़ आवश्यक हैं।

पेड़ अपनी हजारों मशीनों (पत्तियों) द्वारा हवा शुद्ध करने के काम में। लगा है। पशु-पक्षी पेड़ के फल खाते हैं और फलों के बीज इधर-उधर डालकर नए वृक्ष उगाने में सहायक सिद्ध होते हैं। उनके मल-मूत्र से पेड़-पौधों को खाद मिल जाती है और वे भी फलते-फूलते हैं।

मनुष्य द्वारा फैलाए गए प्रदूषण को कम करने में इस तरह पेड़-पौधे और पशु-पक्षी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। ये इस धरती का शृंगार है जो हमें जीवन प्रदान करने में मददगार सिद्ध हुए हैं। अत: इनकी अहमियत समझकर इन्हें संरक्षण देना हम सबका कर्तव्य है।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : तब सबने घास से पूछा ……………………………………………………………………………………………………………. कैसे जाना जाए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 41)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
उत्तर :

  • घास की विशेषता → बुद्धिमती
  • वंश बाबू की विशेषता = वाग्मी
  • भयानक जंतु का नाम → वन
  • घास की इससे बनती है → दुख

प्रश्न 2.
लिखिए : घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) ……………………………………..
(ii) ……………………………………..
उत्तर :
घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) पद तल की चोट अधिक मात्रा में देने वाला ताकतवर
(ii) धीमे कदम से चलने वाला दुखियारा

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) कठिनाई x ……………………………….
(2) धीमा x ……………………………….
उत्तर :
(1) कठिनाई x आसानी
(2) धीमा x तेज

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) जानने की इच्छा रखने वाला – जिज्ञासु
(2) दुःख में फँसा हुआ – दुखियारा

प्रश्न 4.
‘जंगल बचाओ’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दो साल पहले हम लोग कोंकण में गए थे। समुद्र के साथ-साथ वहाँ हम एक घने जंगल को भी देखने गए थे। उस घने जंगल को देखकर हम लोग सचमुच हैरान हो गए। बड़े-बड़े, विशाल वृक्ष, हजारों तरह के पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के छोटे-छोटे जीव-जंतु देखने का मौका हमें मिला।

पेड़ की शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थी। पेड़ के नीचे फल-फूल बिखरे हुए थे। अलगअलग पछियों की चहचहाट से मन पुलकित हो रहा था। एक अनोखा सुकून, महसूस हो रहा था। तब से मुझे हमेशा लगता है कि ‘जंगल’ बचाना बहुत जरूरी है।

सिर्फ हमारी अंदरूनी सुकून के लिए नहीं बल्कि उन सारे जीव-जंतुओं के लिए भी जिनकी जिंदगी जंगल पर निर्भर है। आज हम अपने स्वार्थ के लिए जंगल बरबाद कर रहे हैं। हमारी भौतिक जिंदगी आबाद हो रही है। जंगल की लकड़ियाँ तोड़कर हम तो एक से एक बड़ी इमारतें खड़ी कर रहे हैं किंतु जानवरों का निवास नष्ट हो रहा है। आजकल शेर, हाथी, बंदरों का मानवी बस्ती में घुसना आम बात हो गई है। इन सबको बचाना हमारा कर्तव्य है।

अत: ‘जंगल बचाओ’ यह अभियान चलाने की जरूरत है।

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(ई) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : उन दोनों आदमियों में से प्रमुख ने विस्मय से …………………………………………………………………………. ‘तो क्या मरोगे?’ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 43)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 4

प्रश्न 2.
निम्न उद्गार कहने वालों का नाम लिखिए :
उत्तर :

  • “बको मत – बबूल
  • “यह सब कुछ ही वन है।” – प्रमुख पुरुष
  • “ठीक बताओ, नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं है।” – कई जानवर
  • “तो क्या मरोगे?’ – आदमी

प्रश्न 3.
विशेषण-विशेष्य की उचित जोड़ियाँ गद्यांश के आधार पर मिलाइए : (आदमी, बोली, पुरुष, सिंह, प्रमुख, वनराज, बेचारे, मानवी)
उत्तर :

  • आदमी बेचारे
  • वोली मानवी
  • पुरुष – प्रमुख
  • सिंह – वनराज

प्रश्न 4.
‘पर्यावरण और हम’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न :

प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए।
उत्तर :
(1) साँप : इस कहानी का सर्पराज अर्थात साँप वन का वासी है। वह हमेशा धरती से चिपककर रहता है। चमकीला देह और टेढ़ामेढ़ापन यह उसकी शारीरिक विशेषता है। जहाँ भी छिद्र हो वहाँ उसका प्रवेश हो सकता है। धरती के सारे गर्त को वह जानता है। धरती से पाताल तक उसका वास रहता है।

लेकिन इतना होने पर भी उसे ‘वन’ के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है। साँप के मतानुसार ‘वन’ फर्जी है। धरती के गर्त में ज्ञान की खान है। जहाँ सिर्फ साँप पहुँचता है इसलिए साँप इस कहानी में ‘ज्ञान’ का प्रतीक माना गया है। उसे धरती के अनेक रहस्यों का ज्ञान है। परंतु ‘वन’ के बारे में उसे कुछ पता नहीं है।

(2) घास : ‘तत्सत’ कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के अनेक पात्र किसी विशेष गुणों का प्रतीक है। कहानी की ‘घास’ एक सर्वव्यापी वनस्पति है। वह हर जगह व्याप्त है। वह ऐसी बिछी रहती है कि किसी को उससे शिकायत नहीं होती। लोगों की जड़ों को वह जानती है।

पद-तल के स्पर्श से घास सबको पहचानती है। जब उसके सिर पर किसी का स्पर्श इतना जोरदार होता है कि उसे चोट पहुंचे तो वह पहचानती है कि वह ताकतवर है। धीमे कदमों से अगर कोई घास पर से चलता है तो वह जान लेती है कि कोई दुखियारा जा रहा है। दुख से घास का अपनेपन का रिश्ता है।

इस कहानी में ‘घास’ ‘बुद्धिमती’ है, अर्थात बुद्धि का प्रतीक है।

तत्सत Summary in Hindi

तत्सत लेखक परिचय :

प्रेमचंदोत्तर उपन्यास (novel) में लेखक जैनेंद्र कुमार जी का एक विशिष्ट स्थान है। आपका जन्म 2 जनवरी 1905 को अलीगढ़ में हुआ। मनोविज्ञान और दर्शन आपके साहित्य का आधार है। हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक (promoter) के रूप में आप प्रसिद्ध है। पद्मभूषण से आप सम्मानित हैं। आपका देहांत 24 दिसंबर 1988 को हुआ।

तत्सत रचनाएँ :

परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी (उपन्यास) फाँसी, नीलम, एक रात, दो चिड़ियाँ, जैनेंद्र की कहानियाँ (सात भाग), (कहानी संग्रह) सोच-विचार, जड़ की बात, पूर्वोदय, काम, प्रेम और परिवार (निबंध) प्रेम में भगवान, पाप और प्रकाश (नाटक)

तत्सत विधा-परिचय :

गद्य साहित्य की सबसे प्रिय तथा रोचक विधा ‘कहानी’ को माना जाता है। जीवन का यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी में होता है। मनोरंजन के साथ-साथ, जीवन में व्याप्त कुप्रथा, गलत रूढ़ियाँ तथा आडंबरों (ostentatious) का पर्दाफाश करते हुए एक नए समाज की स्थापना करना यह उसका हेतु है।

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तत्सत विषय प्रवेश :

‘तत्सत’ यह कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के घने जंगल में रहने वाले पेड़-पशु-पंछी, जीव-जंतु विशिष्ट प्रवृत्तियों के प्रतीक है। ‘बुद्धि’, ‘शक्ति’, ‘ज्ञान’ के अहंकार में चूर मनुष्य स्वयं को सबसे श्रेष्ठ समझता है।

प्रस्तुत कहानी में लेखक कहना चाहते हैं कि सभी का अस्तित्व, अपनी-अपनी जगह महत्त्वपूर्ण है। हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है।

परंतु अंत में उस परम शक्तिमान का अस्तित्व भी स्वीकार करना पड़ता है। जंगल में होने वाली उथल-पुथल भरी घटना का आधार लेकर लेखक यह अंतिम सत्य अर्थात ‘तत्सत’ हम तक पहुँचाना चाहते हैं।

तत्सत सारांश :

एक घना जंगल था। एक दिन उस जंगल में दो शिकारी, शिकार की टोह में आए थे। शिकारी आपस में बोलने लगे कि इतना घना और भयानक जंगल इसके पहले उन्होंने कभी नहीं देखा था। एक बड़े बड़ के पेड़ के नीचे कुछ देर आराम करके वे आगे निकले।

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शिकारी लोगों के जाने के बाद बड़ के पेड़ के नीचे बैठे उन प्राणियों के बारे में सब पेड़-पौधों में चर्चा होने लगी। बड़ दादा से अन्य पेड़ों को पता चला कि बिना जड़ वाला सिर्फ दो शाखाओं पर चलने वाला यह प्राणी मतलब आदमी। उन आदमियों ने जिस ‘वन’ का जिक्र किया था वह ‘वन’ मतलब क्या है, कैसा है? उसे किसने देखा है? इस विषय पर चर्चा होने लगी।

जंगल में अनेक पेड़, प्राणी, जीव-जंतु थे। उन सब में उथल-पुथल मच गई थी कि आखिर ‘यह वन कौन है?’ जिसे किसी ने भी देखा नहीं था।

जंगल का राजा सिंह को जब वन के बारे में पूछा गया तो वह जोर से दहाड़ते हुए वन को चुनौती देने की भाषा करने लगा। वनराज सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। हर जगह फैलने वाली घास भी ‘वन’ के बारे में नहीं जानती थी। पद-तल के स्पर्श से व्यक्ति की भावनाओं को पहचानने वाली घास ‘बुद्धिमत्ता’ का प्रतीक है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत

धरती के सारे गर्त को जानने वाला साँप ‘ज्ञान’ का प्रतीक है। वह भी वन से बेखबर था। ऊँचा बातूनी बाँस अंदर से पोला था, जो ‘पोले’ आदमियों का प्रतिनिधित्व करता है। कहानी का ‘बड़’ संयमी, सहनशील, सबसे प्रेम करने वाला है। वह ज्ञान की लालसा रखता है। सारे वन्यजन ‘वन’ में रहकर भी ‘वन’ के अस्तित्व के बारे में अज्ञानी थे।

‘तत्सत’ का ज्ञान : जंगल के जीव-जंतु परेशान थे। इतने में वहाँ वे आदमी फिर आए। सब उन आदमियों से पूछने लगे कि ‘वन कहाँ है? वन मतलब कौन है? कैसा है?’ आदमी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे कि आप से ही वन है। वन्य जीव आदमी की बातें समझ नहीं पा रहे थे।

पशु चिढ़कर आदमी पर हमला करने की सोच रहे थे, आदमी भी सुरक्षा के लिए उनपर बंदूक चलाना चाहता था। परंतु बड़ दादा ने सभी को शांत किया।

अंत में आदमी बड़ के पेड़ पर चढ़ा। पेड़ के ऊपरी हिस्से पर खिलते नए पत्तों की जोड़ी को उसने आस-पास का दृश्य दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ को मानो समाधि लग गई। एक नई अनुभूति (sensation) उसे मिली और ‘तत्सत’ का ज्ञान हुआ कि वन में ही हम हैं और हम से ही वन है।

इस कहानी से लेखक कहना चाहते हैं कि सृष्टि की परम शक्ति जिसके अस्तित्व का अज्ञान हम में है। अंतिम सत्य यही है कि ईश्वर या परम शक्ति का अस्तित्व हम में ही है। हम से ही ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। इस कहानी की यही प्रतीकात्मकता है। जंगलवासी और आदमियों के संवाद मानो ‘परम शक्तिमान’ के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल है। यह कहानी रोचक तथा प्रभावकारी है।

तत्सत शब्दार्थ :

  • तत्सत = वही सत्य है
  • सेमर = शाल्मली
  • सिरस = शिरीष वृक्ष
  • वाग्मी = बातूनी, बहुत बोलने वाला
  • तुमुल = घमासान
  • मंथर = धीरे-धीरे
  • झक्की = सनकी
  • गर्त = गड्ढा, खड्ड
  • उद्ग्रीव = जिसकी गरदन ऊँची उठी हुई हो
  • चरमशीर्ष = उच्चतम
  • तत्सत = वही सत्य है (similarly),
  • छाँह = छाया (shadow),
  • वन = जंगल (forest),
  • घना = गर्द (dense), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत
  • रोह = खोज (search),
  • गर्त = गड्ढा, उदग्रीव = जिसकी गर्दन उँची उठी हुई हो (raised neck),
  • अधीर = उतावली (impatient),
  • निर्धम = भ्रम रहित, आशंका रहित (non-fiction),
  • वाग्मी = बातूनी (talkative),
  • तुमुल = घमासान (boisterous),

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11th Hindi Digest Chapter 7 स्वागत है! Textbook Questions and Answers

आकलन

1. उत्तर लिखिए:

प्रश्न अ.
‘स्वागत हैं’ काव्य में दी गई सलाह।
उत्तर :
युग-युगांतरों के बाद आज हम मिले हैं – हमारा इतिहास, कष्ट सब भूलकर हमें इकट्ठा होना है – नैहर आकर अपनों को मिलना है, शेष जिंदगी सुखपूर्वक बितानी है।

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प्रश्न आ.
प्रथम स्वागत करते हुए दिलाया विश्वास
उत्तर :
सब बिखरे थे आज मिलन होगा। इस धरती को स्वर्ग बना देंगे।

प्रश्न इ.
मारीच’ से बना शब्द
उत्तर :
‘मारीच’ से मॉरिशस यह शब्द बना।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
“यह तो तब था, घास ही पत्थर
पत्थर में प्राण हमने डाले।”
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अंग्रेजों ने सभी बांधवों को गिरमिटिया बनाकर गुलामी की जंजिरों में जकड़कर भिन्न-भिन्न देशों में बिखेर दिया। मॉरिशस की भूमि पर ये सभी बांधव अब इकट्ठा हुए। उस समय कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। इस देश को घूमकर देखने पर पता चलेगा कि आज हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। सभी बांधवों को इकट्ठा किया है।

प्रश्न आ.
‘स्वागत है’ कविता में ‘डर’ का भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर अर्थ लिखिए।
उत्तर :
कविता में डर का भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं पनिया-जहाज पर कौन चढ़ेगा अब भैया, बडा डर लग रहा है उससे तो अर्थ : हमारे सब बांधवों के मन में पानी में चलने वाले जहाज को लेकर डर-सा समा गया है। भय लग रहा है कि कहीं वह काला, भयंकर इतिहास फिर से दोहराया न जाए। फिर एक बार अंग्रेज सभी बांधवों को गुलाम बनाकर अलग-अलग देशों में भेज न दें।

3.
प्रश्न अ.
‘विश्वबंधुत्व आज के समय की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
विश्वबंधुत्व आज के समय की माँग है क्योंकि आज वैश्वीकरण का युग है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या ने उत्पादों की त्वरित प्राप्ति हेतु परस्पर एक दूसरे के साथ सह अस्तित्व को बढ़ावा दिया है। किसी भी देश की छोटी-बड़ी गतिविधि का प्रभाव आज संसार के सभी देशों पर किसी न किसी रूप में अवश्य पड़ रहा है।

फलत: समस्त देश अब यह अनुभव करने लगे हैं कि पारस्परिक सहयोग, स्नेह, सद्भाव, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाईचारे के बिना उनका काम नहीं चलेगा। विश्वबंधुत्व की अवधारणा (concept) भारतीय मनीषियों (wise) के सूत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ पर आधारित है जो शाश्वत (eternal) तो है ही, व्यापक एवं उदार नैतिक-मानवीय मूल्यों पर आधारित भी है। संसाधनों की बढ़ती माँग और उसकी पूर्ति के मनुष्य-मात्र के अथक प्रयत्नों ने दूरियों को कम किया है। फलस्वरूप विश्वबंधुत्व का विशाल दृष्टिकोण वर्तमान स्थितियों का महत्त्वपूर्ण परिचायक बना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

प्रश्न आ.
मातृभूमि की महत्ता को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
जिस व्यक्ति का जन्म जहाँ पर होता है उसे वह भूमि बहुत प्यारी होती है। वह उस भूमि की गोद में बड़ा होता है और वह उसकी माँ के समान होती है और उसे उसकी मातृभूमि कहा जाता है। मेरी मातृभूमि भारत है और मुझे इसे बहुत ही ज्यादा प्यार है। यह कला, संस्कृति और साहित्य से भरपूर है। इसे ऋषि-मुनियों की भूमि भी कहा जाता है और यहाँ पर बहुत से महापुरुषों का भी जन्म हुआ है। मेरी मातृभूमि चारों तरफ से प्रकृति से घिरी हुई है।

इसमें कहीं पर घने जंगल हैं तो कहीं पर पहाड़ और कहीं पर नदियाँ हैं। इसकी राष्ट्रभाषा हिंदी है। यहाँ पर सभी त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।

मेरी मातृभूमि विविधता में एकता का प्रतीक है। यहाँ पर सभी धर्मों के लोग रहते हैं और प्रत्येक राज्य की अपनी विशेषता है। इसके कण-कण में माँ की ममता छिपी है और कृषिप्रधान देश होने के कारण यहाँ पर हर समय खेतों में फसलें लहलहाती नजर आती है। मेरी मातृभूमि बहुत ही सुंदर है और इसकी सुंदरता को देखने हर साल बहुत से पर्यटक विदेशों से भी आते हैं।

रसास्वादन

4. गिरमिटियों की भावना तथा कवि की संवेदना को समझते हुए कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : स्वागत है
(ii) रचनाकार : शाम दानीश्वर
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में कवि ने अंग्रेजों के गुलाम बनकर झेले गए अपार कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया है। इतिहास की उस लंबी कहानी को जीना मतलब कीचड़ की दलदल में फँस जाना था। उस समय कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। इस देश को घूमकर देखने पर पता चलेगा कि आज तक बिछड़े सारे लहूलुहान बंधु अब मॉरिशस में इकट्ठे हो रहे हैं। अब उस कीचड़ में कमल के फूल उगने लगे हैं। हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। इन सब बंधु-बाँधवो का मॉरिशस में हृदय से स्वागत करते हैं।

(iv) रस-अलंकार : यह कविता प्रवासी साहित्य है। विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा रचा साहित्य इस श्रेणी में आता है।

शाम दानीश्वर जी मॉरिशस में बसे हिंदी कवि हैं। स्वागत है कविता में कहीं पर भयानक रस “कहीं पुन: दोहरा न दे इतिहास हमारा, इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ” तो कहीं पर वीर रस – ‘तो स्वर्ग इसे तुम बना जाओ, स्वागत – स्वागत – स्वागत है!’ की निष्पत्ति हुई है। प्रतीक विधान : प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृतियाँ भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

(vi) कल्पना : मॉरिशस की भूमि के लिए नैहर की कल्पना की है क्योंकि इस भूमि पर बिखरे परिजनों का मिलाप होगा। विविध देशों में विखरे हुए बंधुओं का मॉरिशस की भूमि पर स्वागत है।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव :
‘पर दासता पंक में जा गिरे थे
कितने युग लगे पंकज बनने में,
‘मारीच’ से मॉरिशस बनने में,
देखो इस पावन भूमि पर
बन बांधवों का सफल प्रणयन।’

इन पंक्तियों में कवि कह रहे हैं हम अग्रेजों के गुलाम बनकर कीचड़ की दल-दल में जा गिरे थे। कई युग लग गए कीचड़ में कमल खिलने के लिए। कई दिशाओं से इकट्ठा कर हमारे बांधवों को मॉरिशस की इस पवित्र भूमि पर सफलतापूर्वक ले जाया गया है। गिरमिटियों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर करने वाली ये पंक्तियाँ मुझे पसंद हैं।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : मॉरिशस हिंद महासागर का स्वर्ग है, यह कल्पना गिरमिटियों को सत्य में तबदील करनी है। कवि का गिरमिटियों की सृजनात्मक प्रतिभा पर विश्वास इस कविता में व्यक्त हुआ है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

इसीलिए मुझे यह कविता पसंद है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
प्रवासी साहित्य की विशेषता – ………………………………………….
उत्तर :

  • स्थानिक संस्कृति-संस्कारों की झलक
  • स्थानिक रीति-रिवाजों की झलक
  • स्थानिय भाषा-मुहावरों एवं प्रतीकों का प्रयोग
  • स्थानिय परिवेश एवं वातावरण का चित्रण
  • देश-विदेश के जीवन मूल्यों का चित्रण

प्रश्न आ.
अन्य प्रवासी साहित्यकारों के नाम – ………………………………………….
उत्तर :

  • डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी (लंदन)
  • उषा वर्मा (यॉर्क, लंदन)
  • कृष्ण बिहारी (अबुधाबी)

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 7 स्वागत है! Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : स्वागत है! ……………………………………………………………………………………………….. फिर उस जहाज पर तो चढ़े थे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 35)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 2

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :

(i) सब अलग-अलग जहाज पर चढ़े थे क्योंकि ……………………………………………..
उत्तर :
सब अलग-अलग जहाज पर चढ़े थे क्योंकि वे अलग-अलग देशों से आ रहे थे।

(ii) सब हक्का-बक्का ताकने लगे क्योंकि ……………………………………………..
उत्तर :
सब हक्का-बक्का ताकने लगे क्योंकि उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वे कहाँ आ गए हैं?

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
कवि प्रवासी भारतीयों को बिछड़ने का गम भुलाकर, इतिहास के दुःस्वप्न को पीछे धकेलकर मॉरिशस की भूमि पर लौट आने का आमंत्रण (न्यौता) देते हैं। कवि कहते हैं कि एक ही भारत माँ के हम सभी बालक हैं लेकिन अंग्रेजों ने हमें गुलामगिरी में जकड़कर विविध देशों में बिखेर दिया। कई युगों के बाद हमारा मिलन मॉरिशस में होने जा रहा है इसलिए इस भूमि पर आपका स्वागत है।

हम सब जहाज से प्रवास करने वाले जहाजिया बांधव ठहरे। अलग-अलग देशों से कोई इस जहाज पर, कोई उस जहाज से हमारे बांधव यहाँ आ रहे हैं। समुद्र तट पर जहाज का लंगर पड़ा तब सब चकित होकर यहाँ-वहाँ ताकने लगे। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि हम कहाँ आ गए हैं?

मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं? इस जहाज पर उन्हें जगह नहीं मिली थी लेकिन दूसरे जहाज पर तो चढ़े ही थे फिर वे कहाँ हैं? आने वाले सभी बांधवों का, दोस्तों का कवि सहर्ष स्वागत कर रहे हैं।

(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : भूल जाओ …………………………………………………………………………………………………………………….. आँसू थामे वहीं मिलेंगे (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 35)

प्रश्न 1.
प्रवाहतालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 4

प्रश्न 2.
मॉरिशस की भूमि पर उतरने के कारण
(i) ……………………………
(ii) ……………………………
उत्तर :
मॉरिशस की भूमि पर उतरने के कारण –
(i) वह हमारा नैहर है जहाँ बाबुल के लोग मिलेंगे।
(ii) वहाँ निज बंधुओं को खोज पाएँगे और देश-परदेश का नाम मिट सकेगा।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
कवि अपने बांधवों से उस पुरानी लंबी कहानी को, गुलामी के दंश, और पीड़ा को भूलने की बिनती करते हैं। जो भी हमारे नसीब में था वह सब अब हो चुका। अब उसे याद कर हम क्यों रोए? वह हमारा भूतकाल था। युग-युगांतरों के बाद ही सही लेकिन आज तो हम मिल ही रहे हैं, यह वास्तव है।

कवि इन सारे बांधवों का, दोस्तों का मॉरिशस में स्वागत करतें हैं। हमारे सब बांधवों के मन में पानी में चलने वाले जहाज को लेकर डर-सा समा गया है। भय लग रहा है कि कहीं वह काला भयंकर इतिहास फिर से दोहराया न जाए। उनके सामने सवाल है कि जहाज पर अब कौन चढ़ेगा? यहाँ पर फिर से हम बिखर न जाएँ ना ही फिर एक बार अपने बंधुओं को ढूँढ़ते रह जाना पड़ें। अब तो हम सब आसमान में उड़कर मॉरिशस की धरती पर उतर जाएँगे।

वहीं पर हमारा मायका होगा और वहीं पर हमें हमारे परिवार के लोग मिलेंगे। अब देश-परदेश से छुटकारा मिलेगा। दुःखाश्रुओं को थामकर वहीं पर हम सब मिलेंगे।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : हे मेरे गिरमिटिया ……………………………………………………………………………………………………….. स्वर्ग इसे तुम बना जाओ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 36)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दजाल से सार्थक शब्द ढूँढकर लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 8

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर :
हे मेरे गिरमिटिया भाइयो, (अंग्रेजो के गुलाम बनकर झेले गए अपार कष्टों को सहने में आपने जो हिम्मत दिखाई है वह प्रशंसनीय है।) इतिहास की उस लंबी कहानी को जीना मतलब कीचड़ की दलदल में फँस जाना है। जिस प्रकार मारीच (राक्षस) से मॉरिशस (स्वर्ग) बनने में युग बीते।

मॉरिशस की इस पवित्र भूमि पर कई देशों के लोग इकट्ठा हुए। कीचड़ से कमल उगने में भी कई युग बीते। उस समय कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। आज तक बिछड़े बंधुओं का मॉरिशस में हृदय से स्वागत करते है।

मेरे भारत – नेपाल – श्रीलंका, फीजी सूरीनाम – पाक – गयाना के चहेते भाइयो साऊथ अफ्रिका – युके – युएसए – कनाडा – फ्रांस – रेनियन के प्यारे भाइयो मॉरिशस की इस भूमि में तुम्हारी सारी यादें गहराई-तक खुदी हुई हैं।

इस भूमि को हिंद महासागर का स्वर्ग कहते हैं। यह कल्पना है या वास्तव पता नहीं परंतु मेरे प्यारे भाइयों मुझे विश्वास है कि आप सब यहाँ आकर इस धरती को स्वर्ग में तब्दील कर देंगे इसलिए कवि सभी प्रियजनों का मॉरिशस में हार्दिक स्वागत करते हैं।

अलकार

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले कारक, गुण, धन अथवा तत्त्व को अलंकार कहा जाता है। जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार जिन साधनों से काव्य की सुंदरता में अभिवृद्धि होती है, वहाँ अलंकार की उत्पत्ति होती है।

मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद हैं – शब्दालंकार, अर्थालंकार , उभयालंकार हम शब्दालंकार का अध्ययन करेंगे।

अनुप्रास – जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

उदा. –
(१) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
(२) चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में। – मैथिलीशरण गुप्त

वक्रोक्ति – वक्ता के कथन का श्रोता द्वारा वक्ता के अभिप्रेत आशय से चमत्कारपूर्ण भिन्न अर्थ लगाया जाए, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदा. –
(१) को तुम इत आये कहाँ ? घनश्याम हौं, तौ कितहू बरसो।
चितचोर कहावत है हम तो ! तँह जाहू जहाँ धन है सरसो।
रसिकेश नये रंगलाल भले ! कहूँ जाय लगो तिय के गर सो।
बलि पे जो लखो मनमोहन हैं ! पुनि पौरि लला पग क्यों परसो।
– रसकेश

(२) मैं सुकुमारी नाथ बन जोगू।
तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।
– संत तुलसीदास

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले कारक, गुण, धन अथवा तत्त्व को अलंकार कहा जाता है। जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार जिन साधनों से काव्य की सुंदरता में अभिवृद्धि होती है, वहाँ अलंकार की उत्पत्ति होती है।

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मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद हैं – शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार हम शब्दालंकार का अध्ययन करेंगे।
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अनुप्रास : जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदा. :
(1) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
(2) चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में। – मैथिलीशरण गुप्त

वक्रोक्ति : वक्ता के कथन को श्रोता द्वारा वक्ता के अभिप्रेत आशय से चमत्कारपूर्ण भिन्न अर्थ लगाया जाए, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदा. :
(1) को तुम इत आये कहाँ? घनश्याम हौं, तो कितहू बरसो।
चितचोर कहावत है हम तो ! तँह जाहु जहाँ धन है सरसो।
रसिकेश नये रंगलाल भले ! कहुँ जाय लगो तिय के गर सो।
बलि पे जो लखो मनमोहन हैं ! पुनि पौरि लला पग क्यों परसो।
– रसकेश

(2) मैं सुकुमारी नाथ बन जोगू।
तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।
– संत तुलसीदास

यमक : जहाँ शब्दों, शब्दांशों या वाक्यांशों की आवृत्ति होती है किंतु अर्थ भिन्न होता है वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदा. :
(1) कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय (कनक – सोना, कनक = धतूरा) – बिहारी
(2) सजना है मुझे सजना के लिए (सजना – सँवरना, सजना = पति) – रवींद्र जैन

श्लेष : जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ मिलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। यहाँ शब्द का प्रयोग एक ही बार किया जाता है परंतु अर्थ कई निकलते हैं।
उदा. :
(1) जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो करें, बढ़े अँधेरा होय।
– रहीम
बढ़े शब्द के दो अर्थ – बढ़ना = बुझ जाना, बढ़ना = बड़ा होना।

(2) सुवरन को खोजत फिरत
कवि, व्यभिचारी, चोर।
– केशव दास
सुवरन – अच्छे शब्द (कवि के संदर्भ में), सुवरन – अच्छा रुप (व्यभिचारी के संदर्भ में)
सुवरन – स्वर्ण (चोर के संदर्भ में)

स्वागत है! Summary in Hindi

स्वागत है! कवि परिचय :

शाम दानीश्वर जी का जन्म 1943 में हुआ। आपने प्राथमिक शिक्षा poudre d’or Hamlet, Mauritius सरकारी पाठशाला में माध्यमिक शिक्षा Goodlands, Mauritius स्कूल में प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप हिंदी अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। हिंदी के प्रति लगाव होने के कारण साहित्य रचना में रुचि जागृत हुई। प्रवासी साहित्य में मॉरिशस के कवि के रूप में आपकी पहचान बनी।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

अपने परिजनों से बिछोह का दुख, गुलामी का दंश और पीड़ा आपके काव्य में पूरी संवेदना के साथ उभरी है। यथार्थ अंकन के साथ भविष्य के प्रति आशावादिता आपके काव्य की विशेषता है। साहित्य सृजन समाज संस्थान के प्रधान 1994 जुलाई से सह मुख्य अध्यापक, 1964 से 1994 तक अध्यापन कार्य आदि पद प्राप्त किए। शाम दानीश्वर जी की मृत्यु 2006 में हुई।

स्वागत है! प्रमुख कृतियाँ :

पागल, कमल कांड (उपन्यास) प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य-संग्रह

स्वागत है! काव्य परिचय :

प्रस्तुत कविता में कवि ने गिरमिटियों (indentured labour) के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया है। गिरमिटियों की पीढ़ियों के मन में स्थित भारतीयों की संवेदनाओं और सृजनात्मक प्रतिभाओं के दर्शन कराए हैं। साथ ही गिरमिटियों को अपनी विगत दुखद स्मृतियों को भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब मॉरिशस की भूमि नैहर के समान है, जहाँ परिजनों से मिलाप होगा।

अब यहाँ पर कीचड़ में कमल उगने लगे हैं। कवि विविध देशों में बिखरे हुए बंधुओं को बुलाकर उनका स्वागत करते हैं।

स्वागत है! सारांश :

कवि शाम दानीश्वर प्रवासी साहित्य में मॉरिशस के कवि के रूप में जाने जाते हैं। प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को बिछुड़ने का गम भुलाकर, इतिहास के दुःस्वप्न को पीछे धकेलकर लघु भारत अर्थात मॉरिशस की भूमि पर लौट आने का न्यौता) आमंत्रण देते हैं।

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कवि अपने समस्त भाइयों का और अंग्रेजों के गुलाम बनकर बिखरे हुए सभी परम दोस्तों का मॉरिशस में स्वागत करते हैं। कवि आगे कहते हैं कि एक ही भारत माँ के हम सभी बालक हैं लेकिन अंग्रेजों ने हमें गुलामी की जंजीरों में जकड़कर भिन्न-भिन्न देशों में बिखेर दिया। आज कई युगों के बाद हमारा मिलन होने जा रहा है। कवि कहते हैं कि तुम सब लघु भारत अर्थात मॉरिशस की भूमि पर पधार रहे हो, आप सब का इस भूमि पर स्वागत है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

हम सब जहाज से प्रवास करने वाले जहाजिया बांधव (brother) ठहरे। मॉरिशस जाने के लिए कोई इस जहाज पर सवार हो गया तो कोई उस जहाज पर क्योंकि हम सब भिन्न-भिन्न देशों से आ रहे थे। अलग-अलग देशों से हमें लेकर आने वाले जहाज पानी में आगे सरकने लगे (बहने लगे)।

बहुत दूर आने पर जब एक समुद्र तट पर जहाज का लंगर पड़ा तब हम आश्चर्यचकित होकर यहाँ-वहाँ ताकने लगे। समझ में ही नहीं आ रहा था कि हम कहाँ आ गए हैं? मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं? इस जहाज पर उन्हें जगह नहीं मिली थी लेकिन दूसरे जहाज पर तो चढ़े ही थे, फिर वे कहाँ हैं?

इस जहाज से हो या उस जहाज से हो, आने वाले सभी जहाजों से मॉरिशस लौटने वाले अपने सभी बांधवों का, दोस्तों का कवि सहर्ष स्वागत कर रहे हैं।

कवि अपने बांधवों से उस पुरानी लंबी कहानी को, गुलामी के दंश और पीड़ा को, अपने सगे-संबंधियों से बिछुड़ने के गम को भुला देने की बिनती करते हैं। कवि अपने जिगर के टुकड़ों से कहते हैं कि परतंत्रता (dependence) के कारण अंग्रेजों ने हमें गुलाम बना-बना कर जहाजों में बिठाकर भिन्न-भिन्न देशों में भेज दिया, यह इतिहास था, अब उसे भूल जाओ। जो भी हमारे नसीब में था वह सब अब हो चुका।

अब उसे याद कर हम क्यों रोए ? जहाज आकर हमें जबरदस्ती ले गए थे, वह हमारा भूतकाल था। युग-युगांतरो के बाद ही सही लेकिन आज तो हम मिल ही रहे हैं, यह वास्तव है। यह नजारा कितना सुंदर है कि आज हम सब लघु भारत के विशाल आँगन में तृप्त होकर एक-दूसरे से मिल रहे हैं।

लंबे अरसे के बाद गले मिलने का यह सौभाग्य आज हमें प्राप्त हुआ है। कवि इन सारे सुरागवार (clue) बांधवों का, दोस्तों का मॉरिशस में स्वागत करते हैं।

हमारे सब बांधवों के मन में पानी में चलने वाले जहाज को लेकर डर-सा समा गया है। भय लग रहा है, कहीं वह काला, भयंकर, इतिहास फिर से दोहराया न जाए। उनके सामने सवाल है कि पानी में चलने वाले इस जहाज पर अब कौन चढ़ेगा? यह जहाज दोबारा इतिहास को वापिस न लाए।

इस धरती पर फिर से हम बिखर न जाए और ना ही फिर एक बार अपने ही बंधुओं कों ढूँढ़ते रह जाना पड़े। अब तो हम सब आसमान में उड़कर मॉरिशस की धरती पर उतर जाएँगे। वहीं हमारा नैहर होगा और वहीं हमें हमारे (पिता) और परिवार के लोग मिलेंगे।

अब देश-परदेश से छुटकारा मिलेगा और दुःखाश्रुओं को थामकर वहीं हम सब मिलेंगे। आसमान में उड़कर मॉरिशस की धरती पर उतरने वाले सभी बांधवों का और दोस्तों का कवि तहे दिल से स्वागत करते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

हे मेरे गिरमिटिया भाइयो, अंग्रेजों के गुलाम बनकर झेले गए अपार कष्टों को सहने में आपने जो हिम्मत दिखाई है वह सब हृदयद्रावक थी। अंग्रेजों के गुलाम (चाकर) बनकर कीचड़ की दलदल में फँस गए थे, कितने युग बाद उस कीचड़ में कमल खिलने लगा हैं।

(कितने युगों के बाद हम गुलामी से बाहर आ रहे हैं)। जिस प्रकार मारीच (राक्षस) से मॉरिशस (स्वर्ग) बनने में युग बीते वैसे ही कीचड़ से कमल उगने में भी कई युग बीते। मॉरिशस की इस पवित्र भूमि पर कई देशों से इकट्ठा कर हमारे बांधवों को सफलतापूर्वक ले जाया गया है।

उस सयम कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। इस देश को घूमकर देखने पर पता चलेगा कि आज तक बिछड़े सारे लहु-लुहान बंधु अब मॉरिशस में इकट्ठे हो रहे हैं। कवि दानीश्वर जी इन सब बंधु-बांधवो का मॉरिशस में हृदय से स्वागत करते हैं।

मेरे भारत-नेपाल-श्रीलंका, फीजी-सूरीनाम-पाक-गयाना के चहेते भाईयो साऊथ आफ्रिका-युके-यू.एस.ए., कनाडा, फ्रांस, रेनियन के प्यारे भाइयों मॉरिशस की इस भूमि में तुम्हारी सारी यादें गहराई तक खुदी हुई हैं। इस भूमि को हिंद महासागर का स्वर्ग कहते हैं।

यह कल्पना है या वास्तव पता नहीं परंतु मेरे प्यारे भाइयो अगर यह कोई कल्पना भी हो तो भी मुझे विश्वास है कि आप सब यहाँ आकर इस धरती को स्वर्ग में तबदील कर देंगे। इसलिए कवि कहते हैं कि आप सभी मेरे प्रियजनों का मॉरिशस में हार्दिक स्वागत है।

स्वागत है! शब्दार्थ :

  • लंगर = लोहे का वह काँटा जिसे जहाज खड़ा करने के लिए जंजीर से बाँधकर समुद्र में गिरा देते हैं।
  • पनिया जहाज = पानी पर चलने वाला जहाज
  • नैहर = मायका
  • प्रणयन = ले जाना, रचना
  • बाबुल = पिता
  • परम दोस्त = जिगरी मित्र (best friend),
  • बिखरना = बिछुड़ना (to scatter),
  • पधारना = आना (to come),
  • लंगर = लोहे का वह काँटा जिसे जहाज खड़ा करने के लिए जंजीर से बाँधकर समुद्र में गिरा देते हैं। (anchor),
  • हक्का -बक्का होना = चकित होना (surprise),
  • प्रणयन = ले जाना (to take away),
  • लघु = छोटा (small), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!
  • पनिया जहाज = पानी पर चलने वाला जहाज (the ship),
  • नैहर = मायका (parent’s home),
  • बावुल = पिता (father),
  • परमीट = अनुमति (the permission),
  • दासता = गुलामी (slavery),
  • पंक = कीचड (mud),
  • पंकज = कमल का फूल (Lotus flower),
  • पावन = पवित्र (holy),
  • सहोदर = अपना और सगा (siblings).

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Class 11 Hindi Chapter 6 Kalam Ka Sipahi Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 6 Kalam Ka Sipahi Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 6 कलम का सिपाही Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 6 कलम का सिपाही Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 6 कलम का सिपाही Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
प्रेमचंद का व्यक्तित्व अधिक विकसित होता है, जब
(a) …………………………………………………………….
(b) …………………………………………………………….
उत्तर :
(a) वह निम्न मध्यवर्ग और कृषक वर्ग का चित्रण करते हुए अपने युग की प्रतिगामी शक्तियों का विरोध करते हैं।
(b) एक श्रेष्ठ विचारक और समाज सुधारक के रूप में प्रकट होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

प्रश्न आ.
प्रेमचंद लिखित निम्नलिखित रचनाओं का वर्गीकरण कीजिए – (कफन, प्रतिज्ञा, बूढ़ी काकी, निर्मला, नमक का दरोगा, गोदान, रंगभूमि, सेवासदन)

कहानीउपन्यास
……………………..……………………..
……………………..……………………..
……………………..……………………..
……………………..……………………..

उत्तर :

कहानी उपन्यास
कफन निर्मला
प्रतिज्ञा गोदान
बूढ़ी काकी रंगभूमि
नमक का दरोगा सेवासदन

प्रश्न इ.
निम्नलिखित पात्रों की विशेषताएँ –
(a) होरी
(b) अलोपीदीन
(c) वंशीधर
उत्तर :
(a) होरी – भूख, बीमारी, उपेक्षा और मौत से लड़नेवाला।
(b) अलोपीदीन – कालाबाजारी, समाज का ठेकेदार।
(c) वंशीधर – शोषक को गिरफ्तार करने वाला, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

शब्द संपदा

2. निम्नलिखित भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए :

(1) अपत्य –
अपथ्य –

(2) कृपण –
कृपाण –

(3) श्वेत –
स्वेद –

(4) पवन –
पावन –

(5) वस्तु –
वास्तु –

(6) व्रण –
वर्ण –

(7) शोक –
शौक –

(8) दमन –
दामन –
दामन
उत्तर :
(1) अपत्य – संतान
अपथ्य – प्रतिकूल

(2) कृपण – कंजूस
कृपाण – तलवार

(3) श्वेत – सफेद
स्वेद – पसीना

(4) पवन – हवा
पावन – पवित्र

(5) वस्तु – किसी भी चीज का आधार, सत्य
वास्तु – मकान बनाने योग्य स्थान, गृह

(6) व्रण – निशान
वर्ण – रंग

(7) शोक – दुःख
शौक – अभिरूचि

(8) दमन – दबाने या बलपूर्वक शांत करने का काम
दामन – पहाड़ के नीचे की जमीन, आँचल, पल्ला

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अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘वर्तमान कृषक जीवन की व्यथा’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
सदियों पहले किसानों की जो दुरावस्था और परेशानियाँ थीं उनमें और आज की परिस्थितियों में कुछ भी परिवर्तन नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले बीज से लेकर मजदूर तक सब कुछ आसानी से और कम व्यय में मिलता था; जबकि आज इन सब के दाम बढ गए हैं।

जितना दाम लगता है उतने बड़े पैमाने पर अनाज़ उगता भी नहीं और उसके दाम भी उतने नहीं मिलते। बारिश के कारण पहले की तरह आज भी परेशानी उसके सामने है।

बाजार में अन्य वस्तुओं के दाम दुगुने हो नहीं बल्कि चौगुने बढ़े हैं; जबकि अनाज़ के दामों में उतने बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। परिणामत: अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करते समय किसान परेशान हो रहा है।

प्रश्न आ.
‘ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सफलता के सोपान हैं’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हीं के बलबूते पर मनुष्य अपने जीवन में यश एवं सफलता प्राप्त कर सकता है। कोई भी काम श्रेष्ठ या कनिष्ठ नहीं होता। काम करने से ही व्यक्ति की प्रतिष्ठा होती है।

व्यक्ति ईमानदार तो है किंतु कर्तव्य के प्रति आनाकानी करता है या कर्तव्य सही समय पर करता है परंतु ईमानदार नहीं है, तो वह अपने जीवन में कभी कामयाब नहीं हो सकता।।

4. पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न :

प्रश्न अ.
रूपक के आधार पर प्रेमचंद जी की साहित्यिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
प्रेमचंद जी के साहित्य में सामाजिक जीवन की विशालता, अभिव्यक्ति का खरापन, पात्रों की विविधता, सामाजिक अन्याय का घोर विरोध, मानवीय मूल्यों से मित्रता तथा संवेदना पाई जाती है। युग की चुनौतियों को सामाजिक धरातल पर उन्होंने स्वीकारा और नकारा भी।

प्रेमचंद जी का साहित्य लोगों को अन्याय से जूझने की शक्ति प्रदान करता है। उनका साहित्य समय की धडकनों से जुड़ा सजग, आदर्शवादी है। ऐसा लगता है, आज भी वे जीवन से जुड़े हुए युगजीवी हैं और युगांतर तक मानवसंगी दिखाई पड़ते हैं। उनके कहानी और नाटकों में व्याप्त माननीय संवेदना उनके साहित्य की विशेषता मानी जाती है।

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प्रश्न आ.
पाठ के आधार पर ग्रामीण और शहरी जीवन की समस्याओं को रेखांकित कीजिए।
उत्तर :
प्रेमचंद जी स्वयं ग्रामीण माहौल में पैदा हुए, पले, गरीबी में जीवनयापन किया। उनके अधिकांश उपन्यास और कहानियों में देहाती जीवन का ही चित्रण मिलता है। ‘गोदान’ उपन्यास, ‘कफन’, ‘ईदगाह’, बूढ़ी काकी’ आदि कहानियों में ग्रामीण जीवन का चित्रण मिलता है।

‘प्रतिज्ञा’, ‘निर्मला’, ‘सेवासदन’ में शहरी जीवन से जुड़ी समस्याओं का चित्रण मिलता है। इन उपन्यासों में हमें भारतीय नारी की समस्या का चित्रण मिलता है। ‘निर्मला एक ऐसी स्त्री है जो परंपराओं, रुढ़ियों, धर्म और कर्मकांडों से जुड़ी हुई है। इस प्रकार ग्रामीण और शहरी जीवन की समस्याओं को रेखांकित किया है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
डॉ. सुनील केशव देवधर जी लिखित रचनाएँ –
उत्तर :
मत खींचो अंतर रेखाएँ (काव्य संग्रह), मोहन से महात्मा, आकाश में घूमते शब्द (रूपक संग्रह) संवाद अभी शेष है, संवादों के आईने में (साक्षात्कार) (आ) रेडिओ रूपक की विशेषताएँ – उत्तर : इसके प्रस्तुतीकरण का ढंग सहज, प्रवाही, संवादात्मक होता है।

प्रश्न आ.
रेडियो रूपक की विशेषताएँ –

6. कोष्ठक की सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए –

(1) मछुवा नदी के तट पर पहुँचा। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
मछुवा नदी के तट पर पहुँचता है।

(2) एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
एक बड़े पेड़ की छाँह में वे वास कर रहे हैं।

(3) आदमी यह देखकर डर गया। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
आदमी यह देखकर डर गया है।

(4) वे वास्तविकता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
वे वास्तविकता की ओर अग्रसर हए।

(5) उन लोगों को अपनी ही मेहनत से धन कमाना पड़ता है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
उन लोगों को अपनी ही मेहनत से धन कमाना पड़ रहा था।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

(6) बबन उसे सलाम करता है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
बबन ने उसे सलाम किया था।

(7) हम स्वयं ही आपके पास आ रहे थे। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
हम स्वयं ही आपके पास आएँगे।

(8) साहित्यकार अपने सामयिक वातावरण से प्रभावित हो रहा है। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
साहित्यकार अपने सामयिक वातावरण से प्रभावित हुआ।

(9) आकाश का प्यार मेघों के रूप में धरती पर बरसने लगता है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
आकाश का प्यार मेघों के रूप में धरती पर बरसा है।

(10) आप सबको जीत सकते हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
आप सबको जीत सकेंगे।

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश- “आज जब हम ………………………………………………………………………………………………………. में प्रासंगिक हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 28-29)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 2

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 6

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए :
(1) विश्वास x ……………………………..
(2) उत्साह x ……………………………..
(3) गतिशील x ……………………………..
(4) जिए x ……………………………..
उत्तर:
(1) विश्वास x अविश्वास
(2) उत्साह x निरूत्साह
(3) गतिशील x गतिहीन
(4) जिए x मरे

प्रश्न 4.
‘वर्तमान कृषक जीवन की व्यथा’ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
सदियों पहले किसानों की जो दुरावस्था और परेशानियाँ थीं उनमें और आज की परिस्थितियों में कुछ भी परिवर्तन नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले बीज से लेकर मजदूर तक सब कुछ आसानी से और कम व्यय में मिलता था; जबकि आज इन सब के दाम बढ गए हैं।

जितना दाम लगता है उतने बड़े पैमाने पर अनाज़ उगता भी नहीं और उसके दाम भी उतने नहीं मिलते। बारिश के कारण पहले की तरह आज भी परेशानी उसके सामने है। बाजार में अन्य वस्तुओं के दाम दुगुने ही नहीं बल्कि चौगुने बढ़े हैं; जबकि अनाज़ के दामों में उतने बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। परिणामत: अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करते समय किसान परेशान हो रहा है।

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(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश- जहाँ तक मैंने प्रेमचंद को …………………………………………………………………………………………. हाँ यह तो ठीक ही है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 30-31)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 8

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 10

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों का वर्गीकरण कीजिए : (निरुद्देश्य, प्रभावित, भारतीय, प्रत्येक)
उपसर्गयुक्त शब्द – प्रत्यययुक्त शब्द
(1) ……………. – …………………
(2) ……………. – …………………
उत्तर :
उपसर्गयुक्त शब्द – प्रत्यययुक्त शब्द
(1) निरुद्देश्य – (2) प्रत्येक
(2) प्रभावित – (2) भारतीय

प्रश्न 4.
‘आज की भारतीय नारी’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आज भी भारतीय नारी का सफर चुनौतियों से भरपूर है परंतु आज उसमें चुनौतियों से लड़ने का साहस अवश्य है। आज की शिक्षित नारी ने आत्मविश्वास के बल पर दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली है। परिवार और करियर दोनों में तालमेल बिठाते हुए आगे बढ़ना निश्चय ही प्रशंसनीय है।

विभिन्न परीक्षाओं के नतीजे जब सामने आते हैं तब लड़कियाँ बाजी मार जाती है। मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर वे आगे बढ़ रही हैं। हर क्षेत्र में वह पुरुषों की तरह ही सफलता पा रही है फिर वह क्षेत्र सामाजिक हो, राजनीतिक हो, आर्थिक हो या ज्ञान-विज्ञान का। वास्तव में नारी देश की शक्ति है।

भारतीय संस्कृति में नारी को दुर्गा और लक्ष्मी का रूप मानकर सम्मान दिया है। किसी कवि ने खूब कहा हैं, जिसके हाथ में झूले की डोर, वह सारी दुनिया का उद्धार करने का सामर्थ्य रखती है।’ यह कथन अतिशयोक्ति पूर्ण निश्चित ही नहीं है।

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(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश – आलोपीदीन : बाबू जी कहिए …………………………………………………………………………………….. यह समझता क्या है मुझे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 29)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 11
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 12

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) आलोपीदीन रिश्वत दे रहे थे ………………………………..
उत्तर :
आलोपीदीन रिश्वत दे रहे थे ताकि इज्जत माटी में न मिले।

(ii) वंशीधर रिश्वत नहीं ले रहे थे ………………………………..
उत्तर :
वंशीधर रिश्वत नहीं ले रहे थे क्योंकि वे उन सरकारी अफसरों में से नहीं थे जो कौड़ियों पर अपना ईमान बेच दें।

प्रश्न 3.
(क) कृदंत रूप लिखिए :
उत्तर :
(i) चढ़ना – ………………………………..
(i) चढ़ना – चढ़ावा / चढ़ाई
(ii) चाहना – चाह / चाहत

(ख) वचन बदलिए :
(i) गाड़ियाँ – ………………………………..
(ii) बात – ………………………………..
उत्तर :
(i) गाड़ियाँ – गाड़ी
(ii) बात – बातें

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प्रश्न 4.
‘ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सफलता के सोपान हैं’, इस विषय पर अपना मत लिखिए
उत्तरः
ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हीं के बलबूते पर मनुष्य अपने जीवन में यश एवं सफलता प्राप्त कर सकता है। कोई भी काम श्रेष्ठ या कनिष्ठ नहीं होता। काम करने से ही व्यक्ति की प्रतिष्ठा होती है। व्यक्ति ईमानदार तो है किंतु कर्तव्य के प्रति आनाकानी करता है या कर्तव्य सही समय पर करता है परंतु ईमानदार नहीं हैं, तो वह अपने जीवन में कभी कामयाब नहीं हो सकता।

कलम का सिपाही Summary in Hindi

कलम का सिपाही लेखक परिचय :

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बहुमुखी (multifaceted) प्रतिभा के धनी डॉ. सुनील देवधर जी ने साहित्य की विविध (various) विधाओं (genres) के साथ-साथ राजभाषा एवं कार्यालयीन हिंदी भाषा की विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य किया है। आपकी निवेदन शैली किसी भी समारोह को सजीव बनाती है। आपकी ‘मोहन से महात्मा’ रचना महाराष्ट्र राज्य, हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत रचना है।

कलम का सिपाही प्रमुख कृतियाँ :

‘मत खींचो अंतर रेखाएँ’ (कविता संग्रह) ‘मोहन से महात्मा’, ‘आकाश में घूमते शब्द’ (रूपक संग्रह) ‘संवाद अभी शेष हैं,’ ‘संवादों के आईने में’ (साक्षात्कार) आदि।

कलम का सिपाही विधा का परिचय :

‘रेडियो रूपक’ एक विशेष विधा है, जिसका विकास नाटक से हुआ है। दृश्य-अदृश्य जगत के किसी भी विषय, वस्तु या घटना पर रूपक लिखा जा सकता है। इसके प्रस्तुतीकरण का ढंग सहज, प्रवाही तथा संवादात्मक (interactive) होता है। विकास की वास्तविकताओं को उजागर करते हुए जनमानस को इन गतिविधियों में सहयोगी बनने की प्रेरणा देना रेडियो रूपक का उद्देश्य होता है।

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कलम का सिपाही विषय प्रवेश :

किसान और मजदूर वर्ग के मसीहा प्रेमचंद जी के जीवन के मूल तत्वों और सत्य को सामंजस्यपूर्ण (harmonious) दृष्टि से प्रस्तुत करना यह उद्देश्य है। लेखक ने यहाँ साहित्यकार प्रेमचंद जी के व्यक्तित्व और कृतित्व (creativity) को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।

कलम का सिपाही सारांश :

प्रेमचंद जी के उपन्यास तथा कहानियों में सामयिक (modern) जीवन की विशालता, अभिव्यक्ति (expression) का खरापन, पात्रों की विविधता (variation), सामाजिक अन्याय का विरोध, मानवीय मूल्यों से मित्रता और संवेदना हैं। ‘धन के शत्रु और किसान वर्ग के मसीहा’ – ऐसे ही मुंशी प्रेमचंद जी का परिचय दिया जाता है।

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प्रेमचंद जी ने सामाजिक समस्याओं के और मान्यताओं के जीते-जागते चित्र उपस्थित किए, जो मध्यम वर्ग, किसान, मजदूर, पूँजीपति समाज के दलित और शोषित व्यक्तियों के जीवन को संचलित करते हैं। इनके साहित्य का मूल स्वर है – ‘डरो मत’। उन्होंने युग को जूझना और लड़ना सिखाया है।

मानव जीवन से जुड़े हुए लेखक युगजीवी और युगांतर तक मानवसंगी दिखाई पड़ते हैं। चाहे शिक्षा संबंधी आयोजन हो या विचार गोष्टी (forum) अथवा संभाषण, प्रेमचंद जी की विचारधारा, उनके साहित्य तथा प्रासंगिकता पर चर्चा होती है। यही उनके साहित्य की विशेषता है।

प्रेमचंद जी के साहित्य रचना लिखने के कई सालों बाद आज भी हम किसान, पिछड़े वर्ग और शोषित वर्ग के कल्याण की जिम्मेदारी अनुभव कर रहे हैं। अपने युग की प्रतिगामी (retrogressive) शक्तियों का विरोध करने वाले प्रेमचंद जी एक श्रेष्ठ विचारक और समाज सुधारक नजर आते हैं।

जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण ‘कफन’ और ‘पूस की रात’ कहानियों में नया मोड़ लाता है; तो ‘गोदान’ उपन्यास में नए साँचे में ढलने लगता है। इनके साहित्य से कभी वे मानवतावादी, सुधारवादी, प्रगतिवादी तो कभी गांधीवादी लगे किंतु वे हमेशा वादातीत रहे।

उनके पात्र चाहे वह होरी हो, अलोपीदीन हो, या वंशीधर समाज के अलग-अलग क्षेत्र के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करते नजर आते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

युग चेतना के लिए उन्होने ‘जागरण’ निकाला, विभिन्न भाषाओं के साहित्य को एक-दूसरे से परिचित कराने के लिए ‘हंस’ का प्रकाशन किया। उनका प्रगतिशील आंदोलन, विचारोत्तेजक निबंध, व्याख्यान आदि ने साहित्य भाषा और साहित्यकार के दायित्व की ओर जनसाधारण का ध्यान आकर्षित किया और साथ ही संदर्भ और समाधान भी दिए और इशारा भी किया है।

उनके द्वारा लिखे गए गोदान, कफन, ईदगाह, बूढ़ी बाकी में देहाती जीवन का चित्रण है; तो ‘प्रतिज्ञा’, ‘निर्मला’ और ‘सेवासदन’ उपन्यास में शहरी जीवन का चित्रण मिलता है। उनके साहित्य का मूल उद्देश्य उस समाज के क्रमिक विकास के दर्शन कराना है जो सामाजिक रुढ़ियों पर आधारित है।

लोगों की जरूरतें पूरी करने और विकास की सुविधाएँ निर्माण करने का अवसर निर्माण करने वाले समाज व्यवस्था की चाह उन्हें थी। न कि सिर्फ प्रेमचंद जी का साहित्य ही कालजयी नहीं हैं, बल्कि वे स्वयं भी कालजयी हैं।

कलम का सिपाही शब्दार्थ :

  • चालान = दंड
  • हिरासत = कैद
  • वस्तुवादी = भौतिकवादी
  • अनुप्राणित = प्रेरित, समर्थित
  • मसीहा = दूत (angel),
  • चालान = दंड (penalty),
  • सृजन = निर्माण (creation),
  • प्रलोभन = लालच (greed),
  • युगांतर = अन्य युग, दायित्त्व = जिम्मेदारी (responsibility),
  • वस्तुवादी = भौतिकवादी (materialist),
  • अनुप्राणित = प्रेरित, समर्पित (animated),
  • महकमा = कचहरी (department),
  • प्रस्फुटित = विकसित (erupted),
  • हिरासत = कैद (custody), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही
  • परिणत = प्रौढ़, पुष्ट (resulted)

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Class 11 Hindi Chapter 5.2 Madhyayugin Kavya Bal Lila Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 5.2 Madhyayugin Kavya Bal Lila Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
यशोदा अपने पुत्र को शांत करती हुई कहती हैं –
………………………………………………………….
………………………………………………………….
उत्तर :
हे चंदा जल्दी से आ जाओ। तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। मेरा लाल मधु मेवा स्वयं भी खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला

प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों से संबंधित पद में समाहित एक-एक पंक्ति लिखिए –
(१) फल : ………………………………………………………….
(२) व्यंजन : ………………………………………………………….
(३) पान : ………………………………………………………….
उत्तर :
(a) फल : खारिक दाख खोपरा खीरा।
केरा आम ऊख रस सीरा।।

(b) व्यंजन : रचि पिराक लड्डू दधि आनौं।
तुमकौं भावत पुरी संधानौ।।

(c) पान : तब तमोल रचि तुमहिं खवावौं।
सूरदास पनवारौ पावौं।।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
“जलपुट आनि धरनि पर राख्यौ।
गहि आन्यौ वह चंद दिखावै॥”
उत्तर :
बालक कृष्ण को माता यशोदा कह तो देती है कि, “तुम जल्दी से चुप हो जाओ। मैं चंद्रमा को तुम्हारे साथ खेलने के लिए बुला रही हूँ।” पर अब यह चंद्रमा बालक कृष्ण की पकड़ में आए कैसे..? गहि आन्यौ… पंक्ति में माँ का बड़ा ही सुंदर भाव प्रकट हुआ है।

माँ अपनी युक्ति लगाती है – बड़े बर्तन में पानी रखकर चंद्रमा को अपने आँगन में उतार लेती है। यशोदा कहती है यह लो लल्ला, पकड़ लाई चंद्रमा को.. यहाँ चंद्रमा का मानवीकरण किया गया है। वात्सल्य रस की निष्पत्ति हुई है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए –
“रचि पिराक, लड्डू, दधि आनौं।
तुमको भावत पुरी संधानौं।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ सूरदास जी द्वारा रचित बाल लीला पद से ली गई हैं। इस पद में माता यशोदा कृष्ण को जलपान करने की मनुहार करती है। कहती है – “देखो तुम्हारे लिए क्या-क्या बना लाई हूँ। मैं एक नहीं तुम्हारी पसंद के सभी व्यंजन एक साथ बना लाई हूँ। गुझिया, लड्डू, पूरी, अचार और दही भी लाई हूँ।

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अभिव्यक्ति

3. ‘माँ ममता का सागर होती है’, इस उक्ति में निहित विचार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
ईश्वर सभी जगह नहीं पहुँच सकता, इसलिए उसने माँ का निर्माण किया है। माँ की ममता ही व्यक्ति को जीवन में सबल और सार्थक बनाती है। माँ की ममता व्यक्ति के जीवन की वह नींव है जिसके आधार पर ही वह जीवन की इमारत खड़ी करता है। माँ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वह अमूल्य हीरा है, निच्छल, निष्कपट, पवित्र। उसका प्यार व्यक्ति को धनवान बना देता है। माँ की ममता के बारे में जितना भी कुछ कहा जाए सब कम है। जैसे सागर की गहराई को नहीं नापा जा सकता वैसे ही माँ की ममता को भी कुछ शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।

रसास्वादन

4. बाल हठ और वात्सल्य के आधार पर सूर के पदों का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : बाल लीला
(ii) रचनाकार : संत सूरदास

(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में कविवर्य संत सूरदास जी ने कृष्ण के बाल हठ एवं यशोदा मैया की वात्सल्य मूर्ति को अंकित किया है। प्रथम पद में यशोदा मैया कृष्ण का चाँद पाने का हठ भी पूरा करती है तो द्वितीय पद में यशोदा कृष्ण को कलेवा कराने हेतु दुलारती दिखाई देती है। कृष्ण की पसंद के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन सामने रखकर वह कृष्ण की मनुहार कर रही है।

(iv) रस-अलंकार : प्रस्तुत पद गेय शैली में लिखे गए हैं। इनमें वात्सल्य रस की निष्पत्ति हुई है।

(v) प्रतीक विधान : सूरदास स्वयं को माता यशोदा मानते हैं और अपने आराध्य को बालक कृष्ण समझकर कृष्ण के बाल हठ को पूरा कर रहे हैं तथा उन्हें भोजन कराने का प्रयत्न कर रहे हैं।

(vi) कल्पना : प्रथम पद में चाँद को शरीर धारण कर कृष्ण के साथ खेलने की कल्पना की है।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव :
‘जलपुट आनि धरनी पर राख्यौ, गहि आन्यौ वह चंद दिखावै।
सूरदास प्रभु हँसि मुसक्याने, बार-बार दोऊ कर नावै।।

सूरदास जी इस पद में कह रहे हैं कि यशोदा हाथ में पानी का बरतन उठाकर लाई है। वे चंद्रमा से कहती हैं कि, ‘तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और कृष्ण से कहा, “देखो मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ। तब सूरदास के प्रभु कृष्ण हँस पड़े और मुस्कराते हुए उस पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालने लगे। कितनी सुंदर कल्पना की है यहाँ सूरदास जी ने।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : मुझे यह कविता पसंद है, क्योंकि यहाँ वात्सल्य रस के साथ-साथ सूरदास जी का अपने आराध्य के प्रति भक्ति भाव भी स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होंने अपने आराध्य को बालक के रूप में देखा और माता के समान स्नेह देते हुए भक्ति की है। माँ के जैसे ही वे कृष्ण को कहते हैं, “उठिए स्याम कलेऊ की जै।” यही भक्ति की चरम सीमा है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
संत सूरदास के प्रमुख ग्रंथ –
उत्तर :
‘सूरसागर’, ‘सूर सारावली’

प्रश्न आ.
संत सूरदास की रचनाओं के प्रमुख विषय –
उत्तर :
कृष्ण की बाललीलाएँ (वात्सल्य रस)
सगुण और निर्गुण भक्ति (भक्ति रस)
वियोग श्रृंगार (श्रृंगार रस)

रस

हास्य – जब काव्य में किसी की विचित्र वेशभूषा, अटपटी आकृति, क्रियाकलाप, रूप-रंग, वाणी एवं व्यवहार को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में हास का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ हास्य रस की निर्मिति होती है।
उदा. –
(१) तंबुरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।।
– काका हाथरसी

(२) मैं ऐसा शूर वीर हूँ, पापड़ तोड़ सकता हूँ।
अगर गुस्सा आ जाए तो कागज मरोड़ सकता हूँ।।
– अजमेरी लाल महावीर

वात्सल्य – जब काव्य में अपनों से छोटों के प्रति स्नेह या ममत्व भाव अभिव्यक्त होता है, वहाँ वात्सल्य रस की निर्मिति होती है।
उदा. –
(१) जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावे दुलराइ मल्हावै, जोइ सोइ कछु गावै।।
– सूरदास

(२) ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ।
किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियाँ।।
– तुलसीदास

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कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : बार-बार ……………………………………………………………………………………………………………. दोऊ कर नावें (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 24)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 2

प्रश्न 2.
आशय स्पष्ट कीजिए :
(i) “गहि आन्यो वह चंद दिखावै”
उत्तर :
माँ यशोदा कृष्ण को समझा रही है पहले तो वह कहती है कि, “देखो मेरे लाल, तुम कभी रोना मत। तुम्हें खेलने के लिए मैं चंद्रमा को धरती पर बुलाऊँगी।” चंद्रमा का और बाल मन का कुछ प्राकृतिक आकर्षण है। प्रत्येक छोटा बालक चंद्रमा को प्राप्त करने (हाथ से छूने की) की अभिलाषा रखता है।

माँ यशोदा एक बड़े बर्तन में पानी भरकर आँगन में रख देती है और कृष्ण से कहती है, “मेरे लाल ये देखो मैं चंद्रमा को पकड़ लाई, अब जितनी देर तक मन करे उतनी देर तक तुम चंद्रमा के साथ खेल सकते हो।’ इस पंक्ति में चंद्रमा को धरती पर ले आने का भाव व्यक्त हुआ है।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को चुप करा रही है। स्वभावत: जब बच्चे रोने लगते हैं तो माताएँ कुछ कहकर या लोरी सुनाकर उन्हें चुप कराने का प्रयास करती हैं। वैसे ही माता यशोदा कहती है कि, “तुम जल्दी से, चुप हो जाओ, मैं चंदा को बुला रही हूँ। अगर तुम रोते रहे तो चंद्रमा नीचे नहीं आएगा।

आ जाओ, चंदा जल्दी से आ जाओ। मेरा लाल तुम्हें बुला रहा है। स्वयं भी छप्पन भोग खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।” यशोदा कृष्ण की पसंदीदा मक्खन, मिसरी, मेवा का नाम इसलिए लेती है कि यह सुनते ही कृष्ण चुप हो जाएँगे। “मेरे लल्ला को तुम्हारे साथ खेलना बहुत अच्छा लगेगा, हाँ, तुम चिंता ना करो, मेरा लाल तुम्हे अपने हाथ (हथेली) पर ही रखकर खेलेगा, नीचे तो कभी नहीं उतारेगा।”

यशोदा आँगन में पानी से भरा पात्र रखकर कृष्ण को चंद्रमा दिखाती है। कहती है, “लाल यह देखो, मैं चंद्रमा को पकड़कर ले आई।” सूरदास जी कहते हैं – ऐसा सुनकर मेरे प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कराते हुए उस पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालने लगे।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : उठिए स्याम ……………………………………………………………………………………………………………. पनवारौ पावौं (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 24)

प्रश्न 1.
जाल पूर्ण क्रीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 4

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए :
(i) खोवा ………….. खाहु बलिहारी।
(ii) तुमकौं ……………. पुरी संधानौं।।
उत्तर :
सहित
भावत

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश “बाल-लीला” कविता से लिया गया है। इसके रचयिता सूरदास जी हैं। इस पद में माता यशोदा कृष्ण का लाड़ प्यार कैसे करती है, कैसे उनको जलपान कराती है आदि का विस्तार पूर्वक संवेदनाओं एवं भावनाओं के साथ वर्णन किया है।

माता यशोदा कहती है – “हे स्याम, मेरे मनमोहन उठो, जल्दी उठकर कलेवा (जलपान) कर लो। मेरे जीवन का आधार तो तुम ही हो। अर्थात् तुम्हें देखकर ही तो मैं जीवित हूँ। देखो, तुम्हारे जलपान के लिए नाना प्रकार के व्यंजन लाई हूँ।

छुहारा, दाख, खोपरा, आम, केला, ईख का रस, पूड़ी, अचार जो तुम्हें बहुत ही प्रिय है वह सब कुछ। जब पूरे व्यंजन खत्म कर दोगे तो मैं तुम्हें पान भी खिलाऊँगी।” यह माता-पुत्र के संवाद को सुनकर सूरदास जी अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। मन-ही-मन आनंदित होते हैं कि अब उनको पान खिलाई मिलें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Summary in Hindi

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला कवि परिचय :

संत सूरदास जी का जन्म 1478 को दिल्ली के पास सीही नामक गाँव में हुआ। आरंभ में आप आगरा और मथुरा के बीच यमुना के किनारे गऊ घाट पर रहे। वहीं आप की भेंट वल्लभाचार्य से हुई। अष्टछाप कवियों की सगुण भक्ति काव्य-धारा के आप अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी भक्ति में साख्य, वात्सल्य और माधुर्य भाव निहित हैं। कृष्ण की बाल-लीला तथा वात्सल्य भाव का सजीव चित्रण आपकी रचना का मुख्य विषय है।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला प्रमुख रचनाएँ :

‘सूर सागर’, ‘सूरसारावली’ तथा साहित्य लहरी आदि।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला काव्य विधा :

‘पद’ काव्य की एक गेय शैली है। हिंदी साहित्य में ‘पद शैली’ की दो निश्चित परंपराएँ मिलती हैं, एक संतो के ‘सबद’ की और दूसरी परंपरा कृष्णभक्तों की ‘पद शैली’ है। इसका आधार लोकगीतों की शैली है। भक्ति-भावना की अभिव्यक्ति के लिए पद शैली का प्रयोग किया जाता है।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला विषय प्रवेश :

प्रस्तुत पदों में कृष्ण के बाल हठ और माँ यशोदा की ममतामयी छबि को प्रस्तुत किया है। प्रथम पद में चाँद की छबि दिखाकर यशोदा कृष्ण को बहला लेती है। चाँद को देखकर कृष्ण मुस्करा उठते हैं जिसे देख माँ यशोदा बलिहारी जाती है। द्वितीय पद में माँ यशोदा कृष्ण को कलेवा करने के लिए मनुहार कर रही है उनकी पसंद के विभिन्न स्वदिष्ट व्यंजन उनके सामने रखकर वह खाने के लिए मनहार कर रही है।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला सारांश :

(कविता की व्याख्या) : यशोदा अपने पुत्र को प्यार करते हुए चुप करा रही हैं। वे बार-बार कृष्ण को समझाती है और कहती हैं कि – “अरे चंदा हमारे घर आ जा। तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। यह मधु, मेवा, ढेर सारे पकवान स्वयं भी खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 5

मेरा लाल (कृष्ण) तुम्हें हाथ पर ही रखकर खेलेगा, तुम्हें जमीन पर बिल्कुल नहीं बिठाएगा।” माँ यशोदा बर्तन में पानी भरकर उठाती है और कहती है, “हे चंद्रमा, तुम इस पात्र में आकर बैठ जाओ। मेरा लाल तुम्हारे साथ खेलकर अत्यंत प्रसन्न हो जाएगा।”

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यशोदा उस जल पात्र को नीचे रख देती है और कृष्ण से कहती है – “देख बेटा ! मैं चंद्रमा को पकड़ लाई हूँ।” सूरदास जी कहते हैं, मेरे प्रभु श्रीकृष्ण चंद्रमा को जल पात्र में देखकर हँस पड़ते हैं। मुस्कराते हुए उस जल पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालकर चंद्रमा को हाथ में लेने का (उठाकर खेलने के लिए) प्रयास करने लगते हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों में बाल-हठ और माता के ममत्व का भावपूर्ण वर्णन मिलता है।

हे मेरे मनमोहन, मेरे लाल, उठो, कलेवा (नाश्ता) कर लो। माँ यशोदा अपने हृदय की बात कहती है, अपने मनोभाव को व्यक्त करती हुई कहती है – “मैं मनमोहन को देखकर ही तो जीती हूँ” अर्थात् कृष्ण के बिना मेरा जीवन अधूरा है। मेरे जीवन का लक्ष्य ही कृष्ण है।

हे लाल, देखो तो सही; मैं तुम्हारे पसंद के बहुत से व्यंजन लाई हूँ। गुझिया, लड्डू, पूरी, अचार वह सब कुछ जो तुम्हें पसंद हैं। पहले तुम कलेवा कर लो, फिर मैं तुम्हें पान बनाकर खिलाऊँगी।

कवि का यहाँ यही अभिप्राय है कि माँ किस तरह अपनी संतान से स्नेह करती है। उसके जीवन का उद्देश्य ही अपनी संतान को सदा प्रसन्न रखना रहता है। पान खिलाने की बात सुनकर महाकवि सूरदास अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। सूरदास पान खिलाई के अवसर पर विशेष उपहार की कल्पना करते हैं और वह उपहार है “कृष्ण भक्ति”।

विशेष शुभ अवसर पर विशेष व्यक्ति को पान खिलाया जाता है। यह एक भारतीय परंपरा है। बदले में उपहार के तौर पर कुछ ना कुछ भेंट दी जाती है। उसे नेग भी कहते हैं। सूरदास जी को भला प्रभु भक्ति के अलावा अन्य (नेग) उपहार से क्या लेना देना? यही भक्ति की चरम सीमा है।

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मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला शब्दार्थ:

  • बोधति = समझाती है
  • खैहे = खाएगा
  • तोहि = तुम्हें
  • बासन = पात्र, बर्तन
  • गहि = पकड़
  • नावै = डालते हैं
  • कलेऊ = जलपान, कलेवा
  • संधानौं = अचार
  • जी जै = जी रही हूँ
  • खारिक = छुहारा
  • दाख = किशमिश
  • सफरी = अमरूद
  • खुबानी = जरदालू
  • सुहारी = पूड़ी
  • पिराक = गुझिया जैसा एक पकवान
  • पनवारौ = पान खिलाई
  • सुत = पुत्र (son),
  • बोधति = समझाती है (to make one understand),
  • खैहै = भोजन करना, खाना (to eat),
  • हाथहि = हाथ पर ही (on the palm),
  • तोहिं = तुम्हें (for you),
  • नैंकु = बिल्कुल नहीं (कभी नहीं) (never),
  • धरनी = जमीन (पृथ्वी) (earth),
  • वासन = पात्र, बर्तन (vessel),
  • गहि = पकड़ (caught),
  • कर = हाथ (hand),
  • ना₹ = डालते हैं (to put),
  • कलेऊ = जलपान, कलेवा (breakfast),
  • ऊख = गन्ना (sugarcane),
  • संधानौ = अचार (pickle),
  • जी जै = जी रही हूँ (to be alive),
  • खारिक = छुहारा (dates),
  • दाख = किशमिश (raisin),
  • सफरी = अमरूद (guava), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला
  • खुबानी = जरदालू, एक गुठलीदार फल या मेवा (apricoat),
  • सुहारी = पूड़ी (a deep fried chapatti),
  • पिराक = गुझिया जैसा एक मीठा पकवान (sweet dish),
  • पनवारौ = पान खिलाई (auspiciously giving betel leaf for eating)

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