Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 4 मान जा मेरे मन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 4 मान जा मेरे मन Textbook Questions and Answers

1. भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
रेखांकित शब्द से उपसर्ग और प्रत्यय अलग करके भाषा बिंद लिखिए।
उत्तर:
उदा. मन बड़ा दुस्साहसी था।
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2. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘मानवीय भावनाएँ मन से जुड़ी होती हैं,’ इस पर गुट में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मन से ही भावनाओं की उत्पत्ति होती है। मनुष्य का मन जैसा होता है, उसकी भावनाएँ भी वैसी ही होती हैं। मन से ही अच्छी तथा बुरी भावनाएँ जुड़ी होती हैं। जिनका मन अच्छा होता है, उनकी भावनाएँ अच्छी होती हैं। जिनका मन बुरा होता है, उनकी भावनाएँ बुरी होती हैं। मन बड़ा ही चंचल होता है, जो प्रति पल बदलता रहता है। परंतु मन को अपनी बुद्धि से नियंत्रित किया जा सकता है। मन घोड़े के भाँति भागता है, तो बुद्धि उसे लगाम की तरह नियंत्रित करती है।

जब मनुष्य अपनी बुद्धि से अपने मन को वश में करता है और अच्छे कार्यों में लगाता है, तो उसकी भावनाएँ और विचार दोनों अच्छे हो जाते हैं, पर जब वह अपने मन को अनियंत्रित छोड़ देता है, तो उसका मन बुरे कार्यों में डूब जाता है। मनुष्य की भावना अच्छी है तो उसे चारों तरफ अच्छाई दिखती है और भावना बुरी है उसे चारों तरफ बुराई ही बुराई दिखाई पड़ती है। क्योंकि उसका मन ही बुराइयों से भरा होता है।

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3. लेखनीय :

प्रश्न 1.
मन और लेखक के बीच हुए किसी एक संवाद को संक्षिप्त में लिखिए।
उत्तर :
मन को अपनी बुद्धि के द्वारा नियंत्रित करना चाहिए। मन को मनमाना छोड़ देने से अपना बड़ा नुकसान होता है। फिर वह किसी अच्छी बात को मानने के बजाय हजारों तर्क देता है। एक दिन की बात है। आधी रात का वक़्त था। लेखक चारपाई पर उदास बैठा अपने मन को समझाने का प्रयास कर रहा था। उसका मन रूठा-सा कमरे में इधर-उधर घूम रहा था। लेखक ने कहा-‘मन भाई, डॉक्टर कह रहा था कि तुम्हारा वजन बहुत अधिक बढ़ गया है। मैं स्टेशनवाली मशीन पर अपने को वन करने चढ़ा तो उसने भी मना कर दिया। फिर बाज़ार गया तो वहाँ की मशीन ने मेरा वजन बताया। सोचो, जब मेरे वजन से मशीन को इतना कष्ट हो रहा है तो….

मन ने बात काटते हुए उदाहरण देकर समझाया, तुमने बचपन में बाइस्कोप में एक भारी-भरकम महिला देखा था, उससे तुम अभी काफी दुबले पतले हो। लेखक ने कहा, “मेरी तकलीफ पर गौर करो। रिक्शेवाले मुझे रिक्शे पर नहीं बिठाते। दर्जी अकेले मुझे नाप नहीं सकता।” ये सारी घटना शाम को ही घट चुकी थी।

व्यक्तिगत आक्षेप सुनकर लेखक चिढ़कर अपने मन से बोला ‘इतने वर्षों से तुम्हें पालता रहा, यही गलती की। विद्वानों ने कहा है कि ‘मन को मारना चाहिए’, यह सुनकर लेखक का मन अप्रत्याशित ढंग से चिंतित होने लगा और वह बोला- ‘इतने दिनों की सेवाओं का यही फल ! मैं जानता हूँ, तुम डॉक्टर और दुबले आदमियों के साथ मिलकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हो। तुम विश्वासघाती हो, मैं तुमसे बोलूंगा नहीं। व्यक्ति को हमेशा उपकारी वृत्ति रखनी चाहिए। लेखक का मन मुँह मोड़कर सिसकने लगा। बहुत तरह से मनाने पर लेखक का मन नहीं माना तो संगीत सुनाकर किसी तरह उन्होंने अपने मन को मनाया।

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4. रचनात्मकता की ओर मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ इस उक्ति पर कविता / विचार लिखिए।
उत्तर:
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उक्ति संत कवि रैदास जी के लिए प्रचालित है। जिसका अर्थ है यदि अपना मन पवित्र है तो घर की कठौती (काठ का बना पात्र) में रखा पानी भी अपने लिए गंगाजल के समान पवित्र है। आप को उस जल में स्नान करने से ही गंगा स्नान का पुण्य मिल जाएगा। आपका मन ही गंदा है तो आप कितने ही बार गंगा स्नान क्यूँ न कर लें आप के पाप धुलने वाले नहीं हैं। मंदिर के अंदर जाकर लाखों रूपए चढ़ाते हैं, मिठाइयाँ और दूध चढ़ाते हैं। इससे पुण्य नहीं मिलेगा। आप भूखे को भोजन, नंगे को कपड़ा और लाचार को सहारा दो और मंदिर में जाकर उनके कल्याण के लिए प्रार्थना करो तो पुण्य मिलेगा। हमेशा अपने मन को पवित्र रखो, लोगों का उपकार करो, बुराइयों से बचो, तो सारे तीर्थ आपके घर में होंगे। ईश्वर आपके हृदय में निवास करेंगे और आपको पुण्य मिलेगा।

5. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
‘मन की एकाग्रता’ के लिए आप क्या करते हैं, बताइए।
उत्तरः
मन इतना चंचल है कि इसको वश में रखना वास्तविक रूप से बहुत कठिन है। हमें खुद को भी यह ज्ञान नहीं होता कि मन कितनी जल्दी भटक जाता है। जब तक हम अपनी इंद्रियों को वश में नहीं करते तब तक हम अपने मन को स्थिर नहीं कर सकते। मैं अपने मन की एकाग्रता के लिए अपनी दिनचर्या का विशेष ध्यान देता हूँ। हर कार्य को समय पर करता हूँ। योगा भी नियमित रूप से करता हूँ। विषय-वासना से दूर रहता हूँ। किसी चौज के लिए अपने मन को विचलित नहीं होने देता। अपने चारों तरफ बिछे हुए मायाजाल से मैं अपने आप को बचाता हूँ।

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प्रश्न 2.
‘मान जा मेरे मन’ निबंध का आशय अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
‘मान जा मेरे मन’ निबंध के माध्यम से लेखक रामेश्वर सिंह कश्यप ने मन पर नियंत्रण रखने की बात बताई हैं। इस निबंध के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि आज मन पर नियंत्रण न रख पाना प्रत्येक की कमजोरी बन गई है। मन की चपलता, चंचलता मन को नियंत्रित करने में बाधक होती है। किंतु हमें बुरी चीजों से दूर रहने के लिए मन पर नियंत्रण करना ही चाहिए।

प्रश्न 3.
सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
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Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
i. सुने कमरे में यह चहलकदमी कर रहा था –
उत्तर :
लेखक का मन ।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

  1. मामला बड़ा ………………… था।
  2. आप ……………… हैं लेकिन गलत दिशा में।
  3. आदमी का …………. तीन मन से ज्यादा नहीं होता।

उत्तर:

  1. संगीन
  2. प्रगतिशील
  3. वजन

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द गद्यांश से ढूँड़कर लिखिए।
i. मौत ………
ii. कम ………..
उत्तर :
i. जिंदगी
ii. ज्यादा

प्रश्न 2.
लिंग पहचानकर लिखिए।
i. आदमी
i. महिला
उत्तर :
i. पुल्लिंग
ii. स्त्रीलिंग

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प्रश्न 3.
उचित शब्द तैयार कीजिए।
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उत्तर:

  1. स्वयंचलित
  2. संगीन
  3. प्रगतिशील

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। यदि मन को छूट दे देते हैं तो वह बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ने लगता है। फिर इस पर काबू पाना कठिन हो जाता है। मनुष्य के मन की शक्ति उसके उन्नति के लिए अनेक द्वार खोलती है। किसी वस्तु को पाने की प्रबल इच्छा हो और उसे प्राप्त करने का प्रयत्न पूरे मन से किया जाए तो उस वस्तु को हासिल करना असंभव नहीं हैं। मन को सदैव स्थिर रखना चाहिए क्योंकि चंचल मन कभी-भी संतुष्ट नहीं होता। जिसने अपने मन को जीत लिया, सफलता उसी के कदम चूमती है।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. व्यक्तिगत आक्षेप सुनकर लेखक तिलमिला उठा।
ii. लेखक के पास कसरत का सब सामान तो है ही नहीं।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. जिसकी आशा न की गई हो –
ii. विश्वास घात करने वाला –
उत्तर:
i. अप्रत्याशित
ii. विश्वासघाती

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए ।
i. अपकारी
ii. सफल
उत्तर :
i. उपकारी
ii. विफल

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कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मन और भावनाएँ एक ही सिक्के के दो पहलू’, इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मन और भावनाएँ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मनुष्य का मन जैसा होगा वैसे ही विचार उसके मन में आएंगे। मन के द्वारा ही भावनाओं का संचालन होता है। सुख और दुख दोनों ही मन के भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इसी विषय पर महाकवि तुलसीदास जी ने लिखा है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’ अर्थात जिसके मन में जैसी भावना होती है ईश्वर उसे उसी रूप में दिखाई देते हैं। भावनाएँ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की होती हैं।

सकारात्मक भावनाएँ मनुष्य को विकास के रास्ते पर ले जाती हैं और नकारात्मक भावनाएँ उसे विनाश के गर्त में पहुँचा देती हैं। दोनों ही प्रकार की भावनाओं का संचालन हमारे मन द्वारा ही होता है। विद्वानों का मत है कि सकारात्मक भावनाएँ हमें मोक्ष की ओर आगे बढ़ाती है इसलिए मन को ऐसा रखना चाहिए कि वह हमेशा सकारात्मक विचार करे और नकारात्मकता को अपने पास फटकने न दे।

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(ग) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
उचित पर्याय चुनकर लिखिए।
i. ओस से भीगा मैदान दौड़ता हुआ मैं…
(क) डूबता हुआ सूरज।
(ख) उगता हुआ सूरज।
(ग) प्रकृति का दृश्य।
उत्तर:
(ख) उगता हुआ सूरज।

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ii. व्यायाम करने वालों के लिए……
(क) गहरी नींद जरूरी है।
(ख) जगे रहना जरूरी है।
(ग) दौड़ना और चलना जरूरी है।
उत्तर:
(क) गहरी नींद जरूरी है।।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्व लिखिए।

  1. दोपहर को उठकर सभी को दौड़ना चाहिए।
  2. व्यायाम करनेवालों के लिए गहरी नींद बहुत जरूरी है।
  3. मन बड़ा साहसी था।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

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कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
शुद्ध शब्द पहचानकर लिखिए।

  1. भुक्खड़ों / भुक्वड़ों / भुख्खड़ों
  2. व्यायम / व्यायाम / ब्यायाम
  3. दुस्ससी / दुसाहसी / दुस्साहसी
  4. चिड़ियाँ / चौड़िया / चिड़ीयाँ

उत्तर :

  1. भुक्खड़ों
  2. व्यायाम
  3. दुस्साहसी
  4. चिड़ियाँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. दिनकर
  2. चिंता
  3. विदेशी

उत्तर:

  1. सूरज
  2. फिक्र
  3. विलायती

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यायाम करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है। इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए व्यायाम हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ रखता है। स्वस्थ मस्तिष्क में ही किसी कार्य को करने की एकाग्रता बढ़ती है। आधुनिक युग में जब इंसान तनावभरी जिंदगी जीता है और वह अपने मन को एकाग्र करने में असमर्थ होता है; उस समय व्यायाम द्वारा ही वह मन को एकान कर पाता है। इसके द्वारा इंसान तनाव मुक्त हो जाता है और उसका मन शांत हो जाता है तथा शांत मन ही उसे सही दिशा में संचालित करता है और वह सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है। व्यायाम शरीर तथा मस्तिष्क दोनों को स्फूर्ति तथा ताजगी प्रदान करता है। अत: यह कथन सही है कि व्यायाम करने से मन के एकाग्रता में वृद्धि होती है।

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(घ) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने यह संकल्प किया –
ii. लेखक रिक्शे पर यहाँ जा रहा था –
उत्तर :
i. जिस तरह ऋषि सिर्फ हवा-पानी से रहते हैं उसी तरह लेखक भी रहेंगे।
ii. बाजार

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द-युग्म छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
i. हवा – पानी
ii. चलने – फिरने

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. अनाकृष्ट
  2. सम्मानित
  3. निराशा
  4. अनिच्छा

उत्तर:

  1. आकृष्ट
  2. अपमानित
  3. आशा
  4. इच्छा

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘दृढ निश्चय हो, तो सफलता अवश्य मिलेगी’, इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
जीवन में सफलता पाने का मूलमंत्र है दृढ़संकल्प और एकनिष्ठ प्रयास। जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति प्रबल होती है, सफलता उसी के कदम चूमती है। संसार में ऐसे बहुत से मनुष्य हुए जिनमें बहुत सारी दुर्बलताएँ थीं, लेकिन अपनी अटूट इच्छाशक्ति से उन्होंने उन दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त की और सफलता के शिखर पर आरुढ़ हुए। यह सत्य है कि हम जिस वस्तु की इच्छा अपने मन से करते हैं उसे पाने के लिए हमारी शारीरिक तथा मानसिक शक्तियाँ लग जाती हैं और अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत हम उस वस्तु को हासिल भी कर लेते हैं।

इतिहास गवाह है कि जितने भी व्यक्ति सफल हुए और दुनिया में अपना नाम कमाया, उन सारे व्यक्तियों ने अपने इच्छाशक्ती और कठिन परिश्रम से दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त की और अपने प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी। इसलिए दृढ़ संकल्प तथा अटूट इच्छाशक्ति हो तो सफलता अवश्य मिलती है।

मान जा मेरे मन Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : रामेश्वर सिंह कश्यप का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सेमरा गाँव में हुआ था। सन 1950 में पटना के बीषन कालेज से उन्होंने एम.ए. किया तथा उसी साल ये पटना विश्वविद्यालय में हिंदी के व्याख्याता पद पर नियुक्त हुए। बाद में एस.पी.जैन कालेज सासाराम के प्राचार्य हुए। रामेश्वर सिंह कश्यप का रेडियो नाटक ‘लोझ सिंह’ भोजपुरी का पहला सोप ओपेरा है।
प्रमुख कृतियाँ : नाटक – ‘रोबोट’, ‘किराए का मकान’, ‘पंचर’, ‘आखिरी रात’, ‘लोहा सिंह’ आदि।

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गद्य-परिचय :

हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध : कल्पना व विज्ञान इन दोनों का समन्वय कर पाठकों के मन में जिज्ञासा निर्माण करने का कार्य साहित्य की जो विधा करती है, उसे “विज्ञान कथा’ कहते हैं। इसमें जीवन की किसी घटना का रोचक और प्रवाही वर्णन किया जाता है।
प्रस्तावना : प्रस्ततु निबंध में लेखक ने मन पर नियंत्रण न रख पाने की कमजोरी पर करारा व्यंग्य किया है तथा वास्तविकता की पहचान कराई है। लेखक ने इस निबंध के माध्यम से हमें संदेश भी दिया है कि मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है।

सारांश :

प्रस्तुत निबंध में लेखक ने मन पर नियंत्रण न रख पाने की कमजोरी पर हास्य व्यंग्य किया है। लेखक बताते हैं कि उनका मन कभी उनकी बात नहीं सुनता था जिसके कारण लेखक और उनके मन में अनबन रहती थी। अनबन का मूल कारण यह था कि पूरे जीवन लेखक ने मन को छूट दे रखी थी जिसके कारण वह बुढ़ापे में उनकी बात सुनता ही नहें था। लेखक ने अपने मन को बहुत समझाया पर मन ने उनकी एक बात नहीं सुनी। लेखक चाहता था कि उसका मोटापा दूर हो जिसके लिए उसने व्यायाम करने की योजना बनाई। उसने मन को समझाया कि वह रोज सुबह उठकर दौड़ने जाएगा तथा खाना भी कम खाएगा और व्यायाम करेगा।

यह सब सोचकर वह सो गया और सपने में भी वही दृश्य देखने लगा। अचानक उसने अपने पैरों को जोर से झटका दिया, जिससे उसकी आँख खुल गई तो पता चला कि वह टेबल के नीचे दबा पड़ा है और घर के सदस्य उसे खींचकर निकाल रहे हैं। किसी तरह वह लंगडाता हुआ चारपाई पर गया। मन ने उसे समझाया, तुम्हें चोट काफी आ गई है। सो जाओ और वह सो गया।

सुबह साढ़े नौ बजे नींद खुलने पर उसने नाश्ता करते समय कहा कि पैर की चोट समाप्त होते ही वह फिर व्यायाम करना शुरू कर देगा तो उसकी पत्नी ने कहा कि तब तक खूब खा लो। अंततः पूरी कोशिश करने के बाद भी लेखक का मन उसकी बात नहीं सुना और वह मोटापे के रोग से ग्रसित ही रहा। इसलिए लेखक बताना चाहता है कि हमें अपने मन पर नियंत्रण अवश्य रखना चाहिए जिससे की हम बुरी चीजों से दूर रहें।

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शब्दार्थ :

  1. लापता – गायब, जिसका पता न लगे
  2. अनबन – मन-मुटाव
  3. मनमानी – अपने मन की करना
  4. देहरी – दहलीज
  5. बेलगाम – जिस पर नियंत्रण न हो
  6. संगीन – गंभीर
  7. चहल-कदमी – टहलना
  8. लिहाज – आदर, शर्म, लज्जा
  9. दृष्टांत – उदाहरण
  10. बाइस्कोप – फ़िल्म, चलचित्र
  11. विफल – व्यर्थ, असफल
  12. आक्षेप – आरोप
  13. बिसूरना – चिंतित होना
  14. मुग्दर – कसरत का एक साधन
  15. षडयंत्र – साजिश
  16. काट – तरह
  17. रुआँसा – रोते हुए
  18. भुक्खड़ – हमेशा खानेवाला
  19. विलायती – विदेशी
  20. ऐलान किया – घोषणा करना
  21. संकल्प – प्रतिज्ञा
  22. ऋषि – साधु
  23. आकृष्ट – आकर्षित
  24. राहगीर – आने-जाने वाले

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मुहावरे :

  1. कन्नी काटना – बचकर निकलना।
  2. गौर करना – ध्यान देना।
  3. नाक-भौं सिकौड़ना – अप्रसन्नता प्रकट करना।
  4. तिलमिला उठना – क्रोधित होना।
  5. लेने के देने पड़ना – लाभ के बदले हानि होना।
  6. सुर्थी कूटना टीस उठना – अपना महत्त्व बढ़ाना।
  7. टीसी उठना – दर्द का अनुभव होना।

कहावतें :

  • आस्तीन के साँप – अपनों में छिपा शत्रु
  • एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है – एक दुर्गुणी व्यक्ति पूरे वातावरण को दूषित करता है

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 ग्रामदेवता Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 3 ग्रामदेवता Textbook Questions and Answers

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘प्राकृतिक सौंदर्य का सच्चा आनंद आँचलिक (ग्रामीण) क्षेत्र में ही मिलता है’, चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारत गाँवों का देश है। आज भी भारत की अधिकतम जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। महात्मा गाँधी कहते थे कि, “वास्तविक भारत का दर्शन गाँवों में ही संभव है जहाँ भारत की आत्मा बसी भारत के गाँव उन्नत और समृद्ध थे। ग्रामीण कृषक कृषि पर गर्व अनुभव करते थे, संतुष्ट थे। गाँवों में कुटीर उद्योग फलतेफूलते थे। लोग सुखी थे। भारत के गाँवों में स्वर्ग बसता था, किंतु समय बीतने के साथ शहरों का विकास होता गया और गाँव पिछड़ते गए।

परंतु आज भी जो बात गाँव में है वह शहर में कहाँ? आज हममें से कितने लोगों ने गाँव देखे हैं? गाँव जिन्हें ईश्वर ने बनाया, जहाँ प्रकृति का सौंदर्य बिखरा पड़ा है – हरे-भरे खेत, लहलहाती फसलें, कल-कल करती नदियाँ, नदियों में मछलियाँ पकड़ते मछुवारे, उनके जल में स्नान करते ग्रामवासी, कुएँ की रहट पर सजी-धजी औरतों की खिलखिलाहट, कहीं-कहीं पर पंम्पिंग सेट से सिंचाई करते कंधे पर फावड़ा लिए किसान तो कहीं पर कजरी गाते हुए धान की रोपाई करती महिलाएँ, हुक्का पीते किसान, गाय के पीछे दौड़ते बच्चे, पेड़ों से आम तोड़कर खट्टे आम खाती किशोरियाँ, रंग-बिरंगी तितलियाँ पकड़ते नन्हें-नन्हें बच्चे। गाँव की ये प्राकृतिक छटा तो निराली है। सत्य ही है कि प्राकृतिक सौंदर्य का सच्चा आनंद आँचलिक क्षेत्र में ही मिलता है।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
“किसी ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा हेतु आपके दवारा किए जाने वाले प्रयत्नों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति, संस्था या सरकार की नहीं है। हम भी अपने स्तर पर इनके रक्षक बन सकते हैं। हमारी एक बहुत बड़ी समस्या प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने की भी है। पूरे देश में ऐसी अनगिनत प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनकी देखभाल ठीक से नहीं हो रही है। कुछ इमारतें तो पूरी तरह उपेक्षित हैं और अगर उन पर ध्यान न दिया गया तो वे गिर जाएंगी।

सरकारी विभाग अपनी सीमा और साधनों की कमी के कारण केवल उन्हीं इमारतों की देखभाल करते हैं जो उनकी सूची में शामिल है पर यह काफ़ी नहीं है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के कोड़ा, जहानाबाद कस्बे को लिया जा सकता है। यह कस्बा मध्यकाल में बहुत प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ मुगल सम्राटों तथा अन्य के द्वारा निर्मित भव्य ऐतिहासिक इमारतें हैं। यहाँ की ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण कैसे होगा। यह चिंता का विषय था।

मैंने जहानाबाद की इन इमारतों की सुरक्षा के लिए आस-पास के गाँव के लोगों को जागरूक किया उन्हें समझाया कि खाने-पीने का समान इधर-उधर न फेंककर कूड़ेदान में डालें। दीवारों पर कुछ न लिखें। लावारिस वस्तुओं के मिलने पर प्रशासन या पुलिस विभाग को सूचित करें। पार्किंग स्थल पर ही वाहन को खड़ा करें। फैलता है जिससे इमारतों को क्षति पहुँचती है।

अब तो हमारे गाँव के नवयुवक सप्ताह में एक दिन श्रमदान करके इमारतों के अंदर तथा बाहर साफ-सफाई का काम भी करते हैं। हम लोगों ने मिलकर ‘ऐतिहासिक धरोहर सुरक्षा फंड’ के नाम से एक संस्था बना ली है। जिसमें हर महीने पैसा जमा करते हैं और उस पैसे से टूटे-फूटे हिस्से की मरम्मत करवाते रहते हैं।

आसपास:

प्रश्न 1.
किसी कृषक से प्रत्यक्ष वार्तालाप करते हुए उसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
मोहन –  नमस्कार ! काका आप कैसे हैं?

किसान – नमस्कार ! नमस्कार ! मैं ठीक हूँ, सब प्रभु की कृपा है। आप तो शहरी जान पड़ते हैं?

मोहन – हाँ, आपने सही पहचाना। मैं शहरी हूँ, आपसे कुछ वार्तालाप करने यहाँ आया हूँ।

किसान – कहिए. आप को क्या कहना है?

मोहन – सबसे पहले आप हमें बताइए कि आपकी दिनचर्या क्या हैं?

किसान – हमारी दिनचयाँ रोजाना एक-सी ही रहती है। सबेरे उठते ही अपने पशुओं की सेवा करना उनको चारा डालना, गोबर की सफाई करने के बाद दूधारू पशुओं के दूध निकालना।

फिर हल और बैल लेकर खेत की ओर चल देते हैं। वहाँ पूरे दिन खेती के काम में जुटे रहते हैं। स्नान और दोपहर का भोजन हम अधिकतर खेत पर ही कर लेते हैं। शाम इलते ही हम घर लौटते हैं। घर आकर बैलों को घास, भूसा, खली आदि डालते हैं। फिर कहीं जाकर हमें आराम मिलता है।

मोहन – आप हर मौसम में ऐसे ही मेहनत करते हैं?

किसान- हाँ, हर मौसम में हमारा काम चलते रहता है। पूस-माघ की कड़कड़ाती ठंड, बैशाख-जेठ को चिलचिलाती धूप व सावन-भादों की तेज वर्षा के बीच भी हम काम में जुटे रहते हैं।

कृषक का महत्त्व:

कृषक कठिन परिश्रम करके खाद्यान्न पैदा करता है। इसी खाद्यान्न से देशवासियों का पेट भरता है। कृषक न हों तो हम भूखों मरने लगे। यही हमें अनाज, सब्जियाँ, फल, दूध आदि मुहैया कराते हैं। त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है ‘किसान’। वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मुसलधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते। हमारे देश की लगभग 70% प्रतिशत आबादी आज भी गाँवों में निवास करती है। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। एक सत्य यह भी है कि भारत की मूल आत्मा वे किसान है, जो गाँवों में निवास करते हैं। किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेजकर रखे हुए हैं। यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गाँवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है। किसान की शक्ति और भक्ति कृषि ही है। ऐसे ग्राम देवता को शत-शत् नमन् !

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘सबकी प्यारी, सबसे न्यारी मेरे देश की धरती’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती’

हम इस देश की धरती पर पैदा हुए हैं। इसका अनाज खाकर इसकी गोदी में खेल कर हम पले बढ़े हैं। हमारे लिए यह इतनी महत्त्वपूर्ण है जितने की हमारे माता-पिता। भारत एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस भू-भाग में बसे लोगों की संस्कृति सभ्यताएँ, उसके रीति-रिवाजों, उसके अमूल्य इतिहास और उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है। भारत की धरती पर जगह-जगह स्थित पहाड़ी स्थल, जंगल हरेभरे मैदान, रमणीय स्थल, मुंदर समट तट, देवालय आदि उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।

जहाँ एक ओर स्वर्ग के रूप में कश्मीर है। तो दूसरी ओर सागर की सुंदरता लिए दक्षिण भारत। यहाँ अनगिनत नदियाँ बहती हैं जो अपने स्वरूप द्वाराइसको दिव्यता प्रदान करती हैं। ये नादियाँ प्रत्येक भारतीय के लिए माँ के समान है। संसार की सबसे ऊँची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ भी इसी धरती पर स्थित है। इन सभी कारणों से यह धरती रमणीय और रोमांचकारी बन जाती है।

भारत की सभ्यता समस्त संसार में सबसे प्राचीनतम है। इसकी भूमि ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों को जन्म दिया है। इसने एक संस्कृति का पोषण नहीं किया अपितु अनेकों संस्कृतियों को अपनी मातृत्व को छाया में पाल-पोषकर मल्लन संस्कृतियों के रूप में उभारा है। इस भारत वर्ष की भूमि ने राम और श्री कृष्ण को ही जन्म नहीं दिया; बल्कि पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह जैसे महापुरुषों को भी जन्म दिया है जिन्होंने अमिट अक्षरों में अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा दिया है।

उस धरती ने जहाँ एक ओर गुलामी को सहा है, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम की भी गवाह रही है। हमारे देश की धरती रत्नगर्भा कही जाती है। इसमें विभिन्न खनिज पदार्थ विद्यमान हैं। हर प्रकार के मौसम से परिपूर्ण इस धरती पर हर तरह की फसलें उगती हैं। यह प्राचीन समय से ही कृषि प्रधान देश रहा है। इसे आध्यात्मिकता, दर्शन-विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमि कहा जाता है। यह पर्यटन का स्वर्ग है जो पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘ऑरगैनिक’ (सेंद्रिय) खेती की जानकारी प्राप्त’ कीजिए और अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
ऑरगैनिक खेती (जैविक खेती) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट खाद आदि का प्रयोग करती है। तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।

ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए पिछले कई वर्षों से निरंतर टिकाऊ खेती की योजनाएँ बनाई जा रही हैं। भारत सरकार भी इस खेती को अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है, जिसे हम जैविक खेती के नाम से जानते हैं। इस प्रकार की खेती से उत्पन्न अनाज ज्यादा स्वास्थ्य वर्धक होता है। जैविक खेती के लिए कंपोस्ट ही एकमात्र सबसे महत्त्वपूर्ण पूरक पोषण है; जो आप अपने खेत की मिट्टी को दे सकते हैं। कंपोस्ट तैयार करने में घर से निकलने वाले कूड़ों का कमसे-कम तीस फीसदी हिस्सा दुबारा उपयोग में आ जाता है। जैसे – फलों के छिलके, हरी सब्जियों के छिलके, अंडे के छिलके, राख आदि।

पेड़ के पत्तों, हरी घासों, खर-पतवार, गोबर, पशुओं के मुत्र, लकड़ी के बुरादे, अखबार, कटे हुए कागज और फसलों के तने से भी भारी मात्रा में कंम्पोस्ट तैयार करते हैं। वनस्पतियों की वृद्धि को तेज करने और मिट्टी की जीवन शक्ति को पुर्नस्थापित करने के लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर वनस्पति से निर्मित खाद को सरल तरीके से मिट्टी में डालना ही कंपोस्टिंग कहलाता है। इसको बनाने में कोई खर्च नहीं आता है, इसे आसानी से बनाया जा सकता है और यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।

कंपोस्ट खाद के फायदे:

मिट्टी अनुकूलक: कंपोस्ट से आप लॉन और बगीचे के लिए पोषण से भरपूर मिट्टी तैयार करते हैं; जिससे आपके पौधों को पोषण मिलता है और मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। इसमें सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है। फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता 1

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि राजकुमार वर्मा जी ग्रामदेवता यानी किसानो को नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि तुम महान हो। तुमने सोने-चाँदी से प्यार नहीं किया बल्कि मिट्टी से प्यार किया है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है! कवि कहते हैं किसान शोरगुल से दूर कहीं अकेले में तुम्हारा एक छोटा-सा निवास है। सूर्य और चाँद में भी उतना प्रकाश नहीं है जितना तुम्हारे प्राणों का (शक्ति) प्रकाश होता है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता 2

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. जड़ में चेतन का विकास इस बल पर होता है।
2. पसीने की धारा को कवि ने उपमा दी है।
उत्तर:
1. श्रमवैभव के बल पर।
2. गंगा की धवल धार की।

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई कविता की पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि किसानों से कहता है कि तुम परिश्रम की शक्ति के बल पर बंजर जमीन को भी उपजाऊ कर उसमें हरी-भरी फसलों का विकास करते हो जिसमें एक-एक दाने के बीज से सौ-सौ दानों की हँसी फूट पड़ती है अर्थात तुम्हारे परिश्रम से बंजर जमीन भी लहलहा उठती है। हे किसान! तुम्हारे शरीर से निकलनेवाली पसीने की धारा सिर्फ पसीने की धारा नहीं है बल्कि गंगा की स्वच्छ धार के समान है। हे ग्रामदेवता, तुम्हें नमस्कार है! कवि कहते हैं, हे किसान तुम चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार वर्षा और कड़ाके की ठंड में भी बिना रुके परिश्रम करते रहते हो। स्वयं को कष्ट देकर संसार को अनाज का पुरस्कार देते हो।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
एक से दो शब्दों में उत्तर लिखिए।
1. यह जन-गन-मन का अधिनायक है –
2. कवि ने इसे सिंहासन पर बैठने के लिए कहा है –
उत्तर:
1. किसान
2. किसान को

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. किसान राजद्वार को झुकाकर अपनी झोपड़ी ऊँची करता है।
2. किसान जन-गन-मन अधिनायक है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हे किसान तुम लोगों के मन के शासक हो तुम हमेशा प्रसन्नचित्त रहो, जिससे कि हमारा देश फूलता-फलता रहे। आओ, इस सिंहासन पर बैठो जिससे यह राज्य-सिंहासन अशेष न हो अर्थात खाली न हो। टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर भी देश का मान-सम्मान बढ़ाते हो, हे ग्रामदेवता तुम्हे मेरा नमस्कार है।

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
1. उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से …………….. । (सजे देश, सजे वेश, बड़े क्लेश)
2. अपनी कविता से आज तुम्हारी ……………. लू उतार। (रीति, नीति, विमल आरती)
उत्तर:
1. उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से सजे वेश।
2. अपनी कविता से आज तुम्हारी विमल आरती लूँ उतार।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए।
1. इससे वेश सजे –
2. इससे विमल आरती उतारूँ
उत्तर:
1. उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए अनाज से।
2. अपनी कविता से।

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई कविता की पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हे किसान उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए फसलों से सजे हुए वेश में तुम, इस धरती पर रहकर धरती के सभी प्राणियों और शेष मनुष्यों की जिम्मेदारी को वहन करते हो। इसलिए मैं अपनी कविता से आज तुम्हारा स्वागत करता हूँ। हे ग्राम देवता, तुम्हें मेरा नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

ग्रामदेवता Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: डॉ. रामकुमार वर्मा आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘एकांकी सम्राट’ के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध कवि, नाटककार, लेखक और आलोचक भी रहे। साहित्य में इनकी उत्तरोत्तर प्रगति के आधार पर इन्हें 1963 में पद्मभूषण की उपाधि प्रदान की गई।

प्रमुख कृतियाँ: काव्य संग्रह – ‘चित्तौड़ की चिंता’, ‘निशीथ’, ‘चित्ररेखा’, ‘वीर हमीर’ एकांकी संग्रह – ‘रेशमी टाई’, ‘रूपरंग’, ‘चार ऐतिहासिक एकांकी,’ आदि नाटक – ‘एकलव्य’, ‘उत्तरायण’ आदि।

पद्य-परिचय:

कविता: कविता समाज को नई चेतना प्रदान करती हैं। मानवीय गुणों की प्रतिष्ठा का सशक्त माध्यम कविता है। रस, छंद, अलंकार से परिपूर्ण, सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली, हृदय की कोमल अनुभूतियों का साकार रूप कविता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘ग्रामदेवता’ में कवि डॉ. रामकुमार वर्मा जी ने किसानों को ग्राम देवता बताते हुए उनके परिश्रमी, त्यागी एवं
परोपकारी किंतु संघर्षपूर्ण जीवन को रेखांकित किया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि गाँव का किसान सोने-चाँदी से नहीं बल्कि गाँव की मिट्टी से प्यार करता है। वह एकांत में एक छोटे से घर में निवास करता है। वह अपने परिश्रम के बल पर बंजर मिट्टी से भी हरी-भरी फसलें उगाता है। गर्मी, ठंडी और बरसात के मौसम की परवाह किए बिना वह खेत में अपने पसीने बहाता है और लोगों के लिए अनाज पैदा करता है। इस किसान को कवि ने लोगों के मन में निवास करनेवाला शासक कहकर उसे हमेशा मुस्कराते रहने की उम्मीद की है तथा उसे ग्रामदेवता कहकर नमस्कार किया है।

सरल अर्थ:

1. हे ग्रामदेवता ………. नमस्कार!

कवि राजकुमार वर्मा जी ग्रामदेवता यानी किसानो को नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि तुम महान हो। तुमने सोने-चाँदी से प्यार नहीं किया बल्कि मिट्टी से प्यार किया है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

2. जन कोलाहल ……….. होता प्रकाश।

कवि कहते हैं किसान शोरगुल से दूर कहीं अकेले में तुम्हारा एक छोटा-सा निवास है। सूर्य और चाँद में भी उतना प्रकाश नहीं है जितना तुम्हारे प्राणों का (शक्ति) प्रकाश होता है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

3. श्रमवैभव ………………… नमस्कार!

कवि किसानों से कहता है कि तुम परिश्रम की शक्ति के बल पर बंजर जमीन को भी उपजाऊ कर उसमें हरी-भरी फसलों का विकास करते हो जिसमें एक-एक दाने के बीज से सौ-सौ दानों की हँसी फूट पड़ती है अर्थात तुम्हारे परिश्रम से बंजर जमीन भी लहलहा उठती है। हे किसान! तुम्हारे शरीर से निकलनेवाली पसीने की धारा सिर्फ पसीने की धारा नहीं है बल्कि गंगा की स्वच्छ धार के समान है। हे ग्रामदेवता, तुम्हें नमस्कार है!

4. जो है गतिशील ………………. नमस्कार!

कवि कहते हैं, हे किसान तुम चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार वर्षा और कड़ाके की ठंड में भी बिना रुके परिश्रम करते रहते हो। स्वयं को कष्ट देकर संसार को अनाज का पुरस्कार देते हो। टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर भी देश का मान-सम्मान बढ़ाते हो, हे ग्रामदेवता तुम्हे मेरा नमस्कार है!

5. तुम जन-गन-मन ………………………… है अशेष।

कवि कहते हैं, हे किसान तुम लोगों के मन के शासक हो तुम हमेशा प्रसन्नचित्त रहो, जिससे कि हमारा देश फूलता-फलता रहे। आओ, इस सिंहासन पर बैठो जिससे यह राज्य-सिंहासन अशेष न हो अर्थात खाली न हो।

6. उर्वरा भूमि के ………………………… नमस्कार!

कवि कहते हैं, हे किसान उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए फसलों से सजे हुए वेश में तुम, इस धरती पर रहकर धरती के सभी प्राणियों और शेष मनुष्यों की जिम्मेदारी को वहन करते हो। इसलिए मैं अपनी कविता से आज तुम्हारा स्वागत करता हूँ। हे ग्राम देवता, तुम्हें मेरा नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

शब्दार्थ:

  1. ग्रामदेवता – किसान
  2. कोलाहल – शोरगुल
  3. सिमटा-सा – छोटा-सा
  4. निवास – घर
  5. रवि-शशि – सूर्य-चाँद
  6. श्रमवैभव – मेहनत का खजाना, अत्यधिक मेहनत
  7. जड़ – निर्जीव (बंजर)
  8. चेतन – जीव (उपजाऊ)
  9. फूटना – अंकुरित होना
  10. हास – हँसी
  11. धवल – स्वच्छ, शुभ्र
  12. गतिशील – पारश्रमा
  13. दंड – सजा
  14. अधिनायक – शासक
  15. अशेष – बाकी न हो
  16. उर्वरा – उपजाऊ
  17. धान्य – अनाज
  18. वेश – पहनावा
  19. धारण करना – वहन करना
  20. मनुजशेष – शेष मनुष्य
  21. विमल – धवल

मुहावरा:

आरती उतारना – आदर करना, स्वागत करना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 7 शिष्‍टाचार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार (पूरक पठन)

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 7 शिष्‍टाचार Textbook Questions and Answers

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

1. गद्यांश में ‘हेतू’ की बताई गई विशेषताएँ:

प्रश्न 1.
गद्यांश में ‘हेतू’ की बताई गई विशेषताएँ:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 2

2. ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।

प्रश्न 1
ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. बरखास्त
2. हेतू
उत्तरः
1. श्रीमती दिन में दस बार हेतू को नौकरी से क्या करतीं?
2. उजड्ड गँवार और अरूप कौन था?

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

3. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
रामगोपाल जी की नौकरों की खोज शिथिल हुई।
उत्तरः
हेतू के आ जाने से रामगोपाल जी के दिन कटने लगे। अत: उनकी नौकरों की खोज शिथिल हुई।

प्रश्न 2.
हेतू की तनख्वाह से कटौती होती ……………………
उत्तरः
हेतू के हाथों से कभी-कभी चीजें टूट जाती और उसके नुकसान की भरपाई स्वरूप हेतू की तनख्वाह से कटौती होती।

4. ‘नौकर और मालिक के बीच सौहार्दपूर्ण व्यवहार होना चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
‘नौकर और मालिक के बीच सौहार्दपूर्ण व्यवहार होना चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
नौकर और मालिक के बीच अपनापन एवं विनम्र व्यवहार होना चाहिए। मालिक का कर्तव्य है कि वह अपने नौकरों पर पुत्रवत प्रेम करें। उनके साथ मित्रता का व्यवहार करें। यदि काम करते समय उनसे कोई गलती हो जाए, तो उन पर न चिल्लाए या उनकी तनख्वाह न काटें। जरा-जरा-सी बात पर उन पर चिढ़ना नहीं चाहिए।

उन्हें ठीक से खाना-पीना देना चाहिए। यदि नौकर के परिवार पर कोई संकट आ जाए, तो मालिक को तुरंत उसके परिवार की हिफाजत हेतु कदम उठाना चाहिए या अपने नौकर को पैसे देकर गाँव भेज देना चाहिए; ताकि वह अपने परिवार की हिफाजत कर सकें। इस प्रकार नौकर और मालिक के बीच सौहार्दपूर्ण व्यवहार होने से दो परिवार बड़ी खुशी से रह सकते हैं।

अत: स्पष्ट है कि नौकर व मालिक का व्यवहार परस्पर प्रेम व सद्भावनापरक होना चाहिए। वे एक-दूसरे के विकास में सहायक होने चाहिए। उनमें विश्वास व सम्मान का बीजारोपण होना चाहिए। उनके बीच एकता, अपनत्व, ईमानदारी व सौहार्दपूर्ण व्यवहार होना चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

पठनीय

प्रश्न 1.
‘व्यक्तित्व विकास संबंधी कोई लेखापदिए।

श्रवणीय:

प्रश्न 1.
अपने गांव/शहर में आए हए किसी अपरिचित व्यकि की मदद के बारे में किसी बुजुर्ग से सुनिए और अपने विचार सुनाइए

आसपास

प्रश्न 1.
बैंक/छकयर में जाकर यहाँ के कर्मचारी एवं प्रकों के बीच होने वाले व्यवहारों स निरीक्षण कीजिए तथा न व्यवहारों के संबंध में अपनी उचित सहमति या असहमति प्रकत किजिए|

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
संजाल
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 4

प्रश्न (ख)
विधानों के सामने दी हुई चौखट में सत्य/असत्य लिखिए।
उत्तर:
1. अगले दिन श्रीमती ने अपना ट्रंक खोलकर चीज़ों। सत्य की पड़ताल शुरू कर दी। – [सत्य]
2. सहसा हेतू की आँखों में आँसू आ गए। – [सत्य]

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

प्रश्न (ग)
श्रीमती के नौकरों के बारे में विचार-
उत्तरः

  1. नौकर झूठे गलीज और लंपट होते हैं।
  2. नौकर पैसे काटते हैं।
  3. हर वक्त नौकरी की तलाश में रहते हैं।
  4. नौकरी मिल जाए तो उसी वक्त घर से बीमारी की चिट्ठी मँगवा लेते हैं।

मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुद्दों का उचित क्रम लगाकर उनके आधार पर कहानी लेखन कीजिए। (मददों का उचित कम लगाना आवश्यक है।)
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 5
उत्तर:
उचित क्रम: एक लड़का — शहर के महाविद्यालय में पढ़ना – छुट्टियों में गाँव आना — प्रति वर्ष सूखे की समस्या का सामना — मन में निश्चय — कुआँ खोदने का प्रारंभ — लोगों का हँसना — एक मित्र का साथ देना — लोगों का जुड़ना — कुआँ तैयार होना — कुआँ पानी से भरना लोगों का खुश होना — सीख व शीर्षक।

एकता में शक्ति

रामपुर गाँव में रहने वाला तेनाली पढ़ाई में बहुत ही होशियार था। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह शहर के एक नामी विद्यालय में प्रवेश ले लिया । पढ़-लिखकर वह अभियंता बनना चाहता था। हर छुट्टियों में वह अपने गाँव जरूर आता था। बरसात कम होने के कारण हर साल उसके गाँव में सूखा पड़ जाता था जिससे गाँव वासियों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता था। गाँववाले पानी के लिए तरसते रहते थे। उन्हें दूसरे गाँव से पानी लाना पड़ता था।

प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी तेनाली जब गाँव आया तो उसने निश्चय कर लिया कि गाँव में कुआँ खुदवाया जाए। उसने अपनी योजना के बारे में सभी गाँववालों को बताया लेकिन गाँववाले ठहरे अनपढ़ और गँवार। सभी उस पर हँसने लगे। आखिर कोई भी उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं हुआ।

तेनाली हार मानने वालों में से नहीं था। वह बहुत ही दृढ़ निश्चयी स्वभाववाला लड़का था। उसने अकेले ही गाँव में कुआँ खोदना प्रारंभ कर दिया। सभी लोग उसे मूर्ख समझकर उस पर हँस रहे थे। तेनाली का एक मित्र था गोपाल। उसने अपने मित्र का साथ देना स्वीकार कर लिया और वह भी उसके साथ कुआँ खोदने के काम में जुड़ गया। गाँव वालों ने देखा कि गोपाल कुआँ खुदवाने में तेनाली का साथ दे रहा है। सभी गाँव वाले इस बात पर सोचने लगे। आखिर एक-एक करके सभी ने तेनाली का साथ देना शुरू कर दिया।

सभी की मेहनत रंग लाई। आखिर कुआँ खुदकर तैयार हो गया। जून का महीना आया। आसमान में काले बादल छा गए और रामपुर गाँव पर बरसात की कृपा हुई। आहिस्ता-आहिस्ता कुए में पानी इकट्ठा हो गया और वह लबालब भर गया। गाँव वाले खुश हो गए। यह तो सभी के परिश्रम का फल था। सभी ने मिल-जुलकर जो कार्य किया था आखिर उसका पारिश्रमिक उन्हें आज मिल रहा है। सीखः एकता में बल होता है। अगर हम साथ मिलकर काम करेंगे तो कुछ भी असंभव नहीं होता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

भाषा बिंद:

प्रश्न 1.
दिए गए अव्यय भेदों के वाक्य पाठ्यपुस्तक से ढूँढ़कर लिखिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 6
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 7

Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 7 शिष्‍टाचार Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 8

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 9

कृति (2) आकलन कृति

निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।

प्रश्न 1.
1. नौकर हेतू के आने पर श्रीमती जी हर्षित हो गईं।
2. नौकर शिमला के नजदीक किसी गाँव में रहता था।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. हवालात
2. पलंग
उत्तर:
1. यदि नौकर चोरी करेगा तो उसे कहाँ भेज दिया जाएगा?
2. जब रामगोपाल नौकर को लेकर घर आए थे तब उनकी पत्नी कहाँ बैठी थी?

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. तलाश
  2. पत्नी
  3. कर्ण
  4. दंत

उत्तर:

  1. खोज
  2. श्रीमती
  3. कान
  4. दाँत

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. सस्ता × ……………
2. दाएँ × ……………..
उत्तर:
1. महँगा
2. बाएँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

प्रश्न 3.
मानक वर्तनी के अनुसार दिए गए शब्द लिखिए।
1. कुर्दध
2. बनमानस
उत्तर:
1. क्रुद्ध
2. बनमानुष

प्रश्न 4.
निम्नलिखित एक शब्द के लिए अनेक अर्थ वाले शब्द लिखिए।
1. उत्तर
2. खोज
उत्तरः
1. एक दिशा, जवाब
2. तलाश, छानबीन, अन्वेषण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित रेखांकित विकारी शब्दों के भेद पहचानिए।
1. दूसरे नौकर की खोज में रहो।
2. वह अपने गाँव से आया।
उत्तरः
1. भाववाचक संज्ञा
2. अकर्मक क्रिया

प्रश्न 6.
निम्नलिखित अर्थ के गद्यांश में आए हुए मुहावरे ढूँढ़कर लिखिए।
1. ध्यान न देना
2. हालचाल पूछना
उत्तर:
1. मुँह फेरना।
2. कुशल क्षेम पूछना।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘क्या घर पर आए नए नौकरों को धमकाना अच्छी बात होती है?’ स्वमत लिखिए।
उत्तरः
घर पर आए नए नौकरों को धमकाना बुरी बात होती है। नौकर नया हो या पुराना आखिर वह भी इंसान ही होता है। उसकी अपनी कोई-न-कोई मजबूरी होती है। इसलिए वह किसी के घर पर नौकरी करने के लिए आता है। उसके घर पर आते ही उस पर रोब जताना या उसे डराना धमकाना अच्छा नहीं है। यदि हम उनके साथ आत्मीयता से व्यवहार करेंगे तो वे भी हमें अपना मानने लगेंगे। उन्हें हमारे परिवार के प्रति प्रेम हो जाएगा। फिर वे कभी हमारे साथ बुरा सलूक नहीं कर सकते हैं। यदि हम उन्हें नौकरी पर रखते ही डराएँगे तो वे मन से क्रुद्ध हो जाएँगे और जरूर एक दिन मौका मिलते ही सब कुछ लूटकर नौ दो ग्यारह हो जाएँगे।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्य लिखिए।
1. घर में बाबू रामगोपाल की हुकूमत थी।
2. श्रीमती बड़ी ही गुस्सैल स्वभाव की थीं।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

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प्रश्न 3.
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार 11

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग बदलिए।
1. श्रीमती
2. नौकर
उत्तर:
1. श्रीमान
2. नौकरानी

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
1. नजर
2. क्रिया
उत्तर:
1. नजरें
2. क्रियाएँ

प्रश्न 3.
गद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तरः
1. अस्त – व्यस्त
2. दस – दस

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग पहचानिए।
1. अरूप
2. विवाद
उत्तरः
1. ‘अ’ उपसर्ग
2. “वि’ उपसर्ग

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।
1. कोई पर विश्वास नहीं किए जा सकता।
2. सभी पैसे काटता है।
उत्तर:
1. किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
2. सभी पैसे काटते हैं।

(ग) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
चाबियों का गुच्छा नौकर के हाथों में रहने लगा।
उत्तरः
श्रीमती जी के बेटे के मुंडन संस्कार के दिन नजदीक आ रहे थे। अत: वह मित्र एवं सगे-संबंधियों को निमंत्रण पत्र लिखने और, शामियाने तथा बाजे का प्रबंध करने में व्यस्त हो गई थीं। इसलिए चाबियों का गुच्छा नौकर के हाथों मे रहने लगा।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. बेटे के मुंडन संस्कार के कारण श्रीमती जी ने नौकर पर ध्यान रखना कम कर दिया था।
2. मुंडन संस्कार के दिन घर का सारा वातावरण गंभीर हो गया था।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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प्रश्न 2.
प्रस्तुत गद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. उपहार
2. हेतू
उत्तर:
1. मित्र एवं सगे संबंधी बच्चे के लिए क्या लेकर आए?
2. मुंडन संस्कार के दिन श्रीमान काम में व्यस्त थे, ऐसे में उनके सामने कौन आकर खड़ा हो गया?

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
‘प्रबंध’ शब्द में से उपसर्ग अलग कीजिए और अलग किए गए उपसर्ग से अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तर:
‘प्र’ उपसर्ग से बने दो नए शब्द: प्रक्रिया, प्रकृति, प्रगति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय शब्दों का प्रयोग करके शब्द तैयार कीजिए।
1. तैयार
2. नजदीक
उत्तर:
1. तैयार + ई = तैयारी
2. नजदीक + ई = नजदीकी

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
प्रबंध
उत्तरः
व्यवस्था, अनुसंधान हेतु लिखा गया निबंध।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या पुरानी प्रथाओं का आज भी पालन करना उचित है? अपना मत लिखिए।
उत्तरः
किसी ने ठीक ही कहा है; ‘छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी।’ आज जमाना बदल गया है। हम विज्ञान एवं तकनीकी युग में अपना जीवनयापन कर रहे हैं। पुरानी प्रथाएँ, हमारी मान्यताएँ एवं पुरानी विचारधारा पर आधारित हैं। अत: आज का शिक्षित समाज उनका पालन करने से पूर्व सौ बार सोचता है। उन पुरानी प्रथाओं का जरूर पालन होना चाहिए जिनमें कुछ तथ्य हो।

अन्यथा उनका पालन नहीं करना चाहिए। बच्चों का नामकरण विधि, विवाह संस्कार आदि प्रथाओं का आज हम पालन कर रहे हैं। यह उचित भी है; परंतु जिन प्रथाओं से अंधविश्वास की बू आती है उनका पालन हमें नहीं करना चाहिए।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

सही विकल्प चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
जब हेतू ने श्रीमान से गाँव जाने के लिए छुट्टी माँगी तब ……..
उत्तरः
(क) वे अतिथियों को खाना परोस रहे थे।
(ख) वे अतिथियों से बातें कर रहे थे।
(ग) वे दरवाजे पर खड़े रहकर अतिथियों का स्वागत कर रहे थे।

प्रश्न 2.
मित्र संबंधियों ने चाँटे की आवाज सुनकर आँखें फेर ली क्योंकि ..
(क) नौकर को चाँटा पड़ा है।
(ख) श्रीमती जी को चाँटा पड़ा है।
(ग) पुलिस ने आकर नौकर को चाँटा मारा है।
उत्तरः
1. जब हेतू ने श्रीमान से गाँव जाने के लिए छुट्टी माँगी तब वे दरवाजे पर खड़े रहकर अतिथियों का स्वागत कर रहे थे।
2. मित्र संबंधियों ने चाँटे की आवाज सुनकर आँखें फेर ली क्योंकि नौकर को चाँटा पड़ा है।

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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
किसने, किससे कहा?
1. छुट्टी नहीं मिलेगी।
2. मुझे घर जाना है।
उत्तर:
1. श्रीमान ने हेतू से कहा।
2. हेतू ने श्रीमान से कहा

प्रश्न 2.
कारण लिखिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. हैरान
  2. क्रोध
  3. मेहमान
  4. आवाज

उत्तर:

  1. परेशान
  2. गुस्सा
  3. अतिथि
  4. ध्वनि

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. बेकाबू × …………..
2. खड़ा × ……………
उत्तरः
1. काबू
2. बैठा

प्रश्न 3.
वचन बदलिए।
1. चाँटा
2. अतिथि
उत्तर:
1. चाँटें
2. अतिथिगण

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निम्नलिखित वाक्य में विरामचिह्नों का प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
एक बार कहा ना कि तुम्हें छुट्टी नहीं मिल सकती जाते क्यों नहीं
उत्तरः
“एक बार कहा ना कि तुम्हें छुट्टी नहीं मिल सकती। जाते क्यों नहीं?”

प्रश्न 2.
गद्यांश में से शब्द-युग्म पहचानकर लिखिए।
उत्तर:
1. छुट्टी – वुट्टी
2. मित्र – संबंधियों

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द के लिए अनेकार्थी शब्द लिखिए।
मित्र
उत्तर:
सखा, सूर्य

प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
टस से मस न होना
उत्तर:

  • अर्थ: दृढ़ रहना।
  • वाक्यः जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आने के बावजूद भी वीर पुरूष टस से मस नहीं होते हैं।

प्रश्न 5.
बेकाबू होना
उत्तरः

  • अर्थ: अनियंत्रित होना।
  • वाक्यः परिस्थितियाँ बेकाबू हो जाने पर सभी निष्क्रिय हो जाते हैं।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बात को सोचे समझे बिना गुस्सा हो जाना कितना उचित होता है? अपना मत लिखिए।
उत्तर:
बात को सोचे समझे बिना गुस्सा हो जाना अनुचित होता है। व्यक्ति को समझदारी से काम लेना चाहिए। जीवन में ऐसे कई प्रसंग आते हैं; जब व्यक्ति अपना आपा खो बैठता है और क्रोध से बेकाबू होकर बिना सोचे समझे निर्णय लेता है। ऐसी स्थिति में सामने वाला व्यक्ति अपमान ही नहीं बल्कि उसे शारीरिक हानि भी पहुँचाता है।

ऐसा करना सर्वथा अनुचित है। व्यक्ति को सामने वाले की मजबूरी को समझने का प्रयास करना चाहिए। उस पर जो परेशानी आई है उसके बारे में सोचना चाहिए और सही निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने से ही उसके अन्य लोगों के साथ अच्छे संबंध निर्माण हो सकते हैं। ध्यान रखिए, क्रोध अपराध को जन्म देता है।

(ङ) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. मुंडन संस्कार में आए हुए अतिथियों ने श्रीमान-श्रीमती को समझाने का प्रयास किया।
2. लोगों द्वारा दूर किए जाने पर भी हेतू ने अपना काम करना शुरू कर दिया।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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प्रश्न 2.
किसने, किससे कहा?
1. मुझे काम है।
2. क्यों, घर क्यों जाना चाहते हो?
उत्तर:
1. हेतू ने अपने साहब से कहा।
2. मुंडन संस्कार में आए एक संबंधी ने हेतू से पूछा।

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।
1. साम्य × …………….
2. होशियार × ………….
उत्तरः
1. भेद
2. मूर्ख

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. छुट्टी
2. विघ्न
उत्तर:
1. अवकाश
2. संकट

प्रश्न 3.
‘परामर्श’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग पहचानकर लिखिए।
उत्तर:
‘परा’ उपसर्ग

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय पहचानिए।
1. श्रीमान
2. कड़ककर
उत्तर:
1. ‘मान’ प्रत्यय
2. ‘कर’ प्रत्यय

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या किसी गरीब की कमजोरी का फायदा उठाकर उसके साथ बुरा सलूक करना अच्छा व्यवहार कहलाता है? अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी गरीब की कमजोरी का फायदा उठाकर उसके साथ बुरा सलूक करना ठीक नहीं। वास्तव में देखा जाए तो कोई गरीब हो या रईस; सभी इंसान हैं। हमें किसी की कमजोरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। यदि हम किसी की कमजोरी का फायदा उठाकर किसी के साथ बुरा सलूक करते हैं तो यह बहुत ही बड़ा अपराध है।

किसी को बिना वजह सताना या किसी से कुछ छीन लेना या किसी को प्रताड़ित करना दुर्व्यवहार है। ऐसा करते समय भले ही किसी को अच्छा लगता हो लेकिन बाद में उसे अपने किए गए व्यवहार पर अफसोस होने लगता है। हम भले ही लोगों को फँसा सकते हैं; लेकिन हमारा हृदय तो हमें कोसता रहता है। इसीलिए सभी के साथ अच्छा व्यवहार रखना नैतिकता का लक्षण होता है।

(च) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
प्रस्तुत गद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. ट्रंक
2. चाँदी
उत्तर:
1. श्रीमती ने जेवर और सूट किसमें रखे थे?
2. बटन किस धातू के थे?

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (2) आकलन कृति

सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
श्रीमान ने हेतू को घर से तब जाने दिया …………….
उत्तर:
(क) जब हेतू ने गाँव से लौट आने का वादा किया।
(ख) जब वह जोर-जोर से रोने चिल्लाने लगा।
(ग) जब श्रीमान ने उसका पूरा पता अपनी डायरी में लिख लिया।

प्रश्न 2.
श्रीमान के घर का काम पहले की तरह चलने लगा …….
(क) क्योंकि बहुत समय बीत गया।
(ख) क्योंकि श्रीमान ने दूसरा नौकर रख लिया।
(ग) क्योंकि श्रीमती सब कुछ भूल गई।
उत्तर:
1. श्रीमान ने हेतू को घर से तब जाने दिया जब श्रीमान ने उसका पूरा पता अपनी डायरी में लिख लिया।
2. श्रीमान के घर का काम पहले की तरह चलने लगा क्योंकि श्रीमान ने दूसरा नौकर रख लिया।

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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विरामचिह्नों का प्रयोग कीजिए।
1. ट्रंक में जेवर चाँदी के बटन सिल्क के सूट और रूपए थे
2. क्या उसकी तीन महीने की तनख्वाह आपके पास है
उत्तर:
1. ट्रंक में जेवर, चाँदी के बटन, सिल्क के सूट और रूपए थे।
2. क्या उसकी तीन महीने की तनख्वाह आपके पास है?

प्रश्न 2.
प्रस्तुत गद्यांश में से शब्द-युग्म छाँटकर लिखिए।
उत्तर:

  1. पता – वता
  2. एक – एक
  3. सौ – पचास
  4. नाम – पता

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. नदारद
  2. रजत
  3. गहने
  4. भय

उत्तर:

  1. गायब
  2. चाँदी
  3. जेवर
  4. डर

प्रश्न 4.
‘संदेश’ शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
उत्तरः
खबर, शक

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बड़े घरों में चीज़ों की सूची कहाँ होती है?’ इस कथन पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
बड़ा घर यानी जिनके पास ढेर सारा रूपया पैसा है उनका घर। बड़े घर में ऐश्वर्य के सारे साधन विपुल मात्रा में होते हैं। वहाँ पर धन-धान्य की कमी नहीं होती है। घर में भौतिक साधन भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। सोने-चाँदी व हीरे-जेवरातों की वहाँ कमी नहीं होती है। रूपए पैसे तो पूरे घर में यत्र-तत्र पड़े हुए होते हैं। आवश्यक चीज़ों के साथ अनावश्यक चीज़ों की भी भरमार होती है। ऐसे घरों में कोई भी चीज़ एक निश्चित जगह पर पाई नहीं जाती है। अगर कभी कोई चीज़ गुम भी हो जाए, तो भी किसी को उसका पता नहीं चल पाता है।

(छ) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
श्रीमान सड़क पार करके हेतू के सामने जाकर खड़े हो गए।
उत्तरः
श्रीमान ने बहुत दिनों के बाद हेतू को देखा जो फटे कपड़ों में धर्मशाला के पास खड़ा था। इसलिए श्रीमान सड़क पार करके हेतू के सामने जाकर खड़े हो गए।

प्रश्न 2.
श्रीमान स्तब्ध और हैरान हो गए।
उत्तर:
हेतू ने खुशीवाले घर में अपने बेटे की मौत की खबर छिपाकर रखी थी। अत: उसका यह शिष्टाचार देखकर श्रीमान स्तब्ध और हैरान हो गए।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
किसने, किससे कहा?
1. “काम कर आया है अपना।”
2. “जी मेरा बच्चा मर गया था।”
उत्तर:
1. श्रीमान ने हेतू से पूछा।
2. हेतू ने श्रीमान से कहा।

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।
1. कंधा
2. कलाई
उत्तर:
1. कंधे
2. कलाइयाँ

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
1. सच × ………….
2. संभव × ……….
उत्तर:
1. झूठ
2. असंभव

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
1. स्तब्ध
2. दफ्तर
उत्तर:
1. स्तब्ध + ता = स्तब्धता
2. दफ्तर + ई = दफ्तरी

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों में से रेखांकित शब्दों के भेद पहचानिए।
1. उसका कंधा सहलाते हुए श्रीमान बोले।
2. वही फटे हुए कपड़े वही शिथिल अरूप चेहरा।
उत्तर:
1. पुरूषवाचक सर्वनाम
2. गुणवाचक विशेषण

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यक्ति के व्यवहार में शिष्टाचार झलकना चाहिए।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
शिष्टाचार एक महत्त्वपूर्ण गुण है। व्यक्ति के पास यदि शिष्टाचार है तो वह ‘शिष्टाचारी’ कहलाता है। ‘शिष्टाचार’ का अर्थ है; सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना। सभी के हृदय में अपने अच्छे कार्य द्वारा प्रेम निर्माण करना। अपने कर्तव्यों को कभी न भूलना। व्यक्ति के व्यवहार में शिष्टाचार है; तो वह समाज में प्रशंसा का अधिकारी बन जाता है।

ऐसा व्यक्ति अपने शिष्ट आचरण से दूसरों को प्रेरणा देता है और उन्हें भी शिष्टाचार का पालन करने के लिए अपने आप प्रवृत्त करता है। श्रीराम के शिष्टाचार रूपी व्यवहार को कोई नहीं भूल सकता है। आखिर शिष्टाचार ही व्यक्तित्व-विकास का महत्त्वपूर्ण पहलू होता है।

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के काल परिवर्तन कीजिए।

  1. श्रीमती ने गलत नहीं कहा था। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
  2. श्रीमती जी की भौंवे चढ़ गईं हैं। (सामान्य भूतकाल)
  3. मैं जल्दी लौट आऊँगा। (सामान्य वर्तमानकाल)
  4. हेतू ने फिर धीरे से कह दिया। (सामान्य भविष्यकाल)

उत्तर:

  1. श्रीमती गलत नहीं कह रही हैं।
  2. श्रीमती जी की भौंवे चढ़ीं।
  3. मैं जल्दी लौट आता हूँ।
  4. हेतू फिर धीरे से कहेगा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के अव्यय पहचानिए।
1. नौकर उजड्ड और अरूप था।
2. धीरे-धीरे वह शहरी नौकर में तब्दील होने लगा।
उत्तर:
1. समुच्चबोधक अव्यय
2. क्रियाविशेषण अव्यय

प्रश्न 3.
रचना की दृष्टि से वाक्य भेद पहचानिए।
1. इसी तरह तीन महीने बीत गए।
2. हेतू अरूप तो था ही, उस पर उजड्ड और गँवार भी निकला।
उत्तर:
1. सरल या साधारण वाक्य
2. मिश्र वाक्य

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए।

  1. उत्सुक
  2. वातावरण
  3. स्वागत

उत्तर:

  1. उत् + सुक
  2. वात + आवरण
  3. सु + आगत

प्रश्न 5.
अर्थ की दृष्टि से वाक्य परिवर्तित कीजिए।
1. वह दिन शुभ था। (निषेधार्थक)
2. मित्र मंडली के हास्य विनोद से घर का सारा वातावरण खिल उठा। (आज्ञार्थक)
उत्तर:
1. वह दिन अशुभ नहीं था।
2. मित्र मंडली के हास्य विनोद से घर का सारा वातावरण खिल उठना चाहिए।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य में सूचना के अनुसार परिवर्तन कीजिए।
1. श्रीमती को जब सूचना मिली तो वह तंद्रा से जागी। (साधारण वाक्य)
2. वह आकर चुपचाप इधर-ऊधर ताकने लगा। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
1. श्रीमती सूचना मिलते ही तंद्रा से जागी।
2. वह आया और चुपचाप इधर-ऊधर ताकने लगा।

प्रश्न 7.
निर्देशानुसार अव्यय शब्दों का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।
1. कि
2. वाह
उत्तर:
1. उसने कहा कि वह घर चला गया है।
2. वाह! क्या बात है।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।
1. तुमने अपनी चीज़ों को अच्छा तरह देख लो।
2. मैंने उसकी पता बता सब लिख ली है।
उत्तर:
1. तुम अपनी चीज़ों को अच्छी तरह देख लो।
2. मैंने उसका पता-वता सब लिख लिया है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित वाक्यों के भेद अर्थ की दृष्टि से पहचानिए।
1. जी मेरा बच्चा मर गया था।
2. उसके लिए आँसुओं को रोकना संभव नहीं था।
उत्तर:
1. विधानार्थक वाक्य
2. निषेधार्थक वाक्य

संभाषणीय

प्रश्न 1.
‘आपके व्यवहार में शिष्टाचार झलकता है।’ इस विषय पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:

  • अध्यापक – छात्रों क्या आप सभी शिष्टाचार से परिचित हैं? आपके मतानुसार शिष्टाचार किसे कहते हैं?
  • पहला छात्र – जी हाँ। मैं शिष्टाचार से परिचित हूँ।
  • दूसरा छात्र – ‘शिष्टाचार’ यानी अच्छा आचरण करना। सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना। ऐसा व्यवहार रखना कि कभी किसी को अपने व्यवहार से ठेस न पहुंचे।
  • तीसरा छात्र – ‘शिष्टाचार’ यानी सार्वजनिक जगहों या किसी सम्मेलन सभाओं में सभी के साथ अच्छाई से पेश आना।
  • अध्यापक – अब आप मुझे बताइए कि आप अपने मित्र व शिक्षकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
  • चौथा छात्र – मैं अपने मित्र के साथ अच्छा व्यवहार रखता हूँ। जैसे कि जरूरत पड़ने पर मैं उसकी मदद करता हूँ।
  • पाँचवा छात्र – मैं अपने शिक्षकों के साथ विनम्रता से पेश आता हूँ। उनका कहना मानता हूँ। उनकी हर एक बात का सम्मान करता हूँ।
  • अध्यापक – अब आप मुझे बताइए कि शिष्टाचार के कौन-कौन-से लाभ होते हैं?
  • सभी छात्र – (एक साथ) शिष्टाचार से व्यक्ति की पहचान होती है। उसके अच्छे गुणों का पता चलता है। उसके संस्कारों की झलक सभी पर
  • पड़ती है। शिष्टाचारी व्यक्ति की समाज में पूजा होती है। सभी उसकी तारीफ करते हैं। शिष्टाचार व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में सहायता प्रदान
  • करता है। इसलिए कहा भी गया है कि, ‘विवेकी पुरूष की समाज में पूजा की जाती है।’

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पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है।’ इस विचार को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
“विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी
मरो परंतु यो मरो कि याद जो करे सभी।
हुई न यों सुमृत्यु तो वृथा जिए वृथा मरे
मरा नहीं वही कि जो जिया न आप के लिए।
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।”

राष्ट्रकवि गुप्त जी ने सच ही कहा है कि मानवता से बढ़कर अन्य धर्म नहीं है। मानवता ही सभी धर्मों का आधार है। जो व्यक्ति मानवता के मार्ग पर चलता है उसे सभी याद करते हैं। ऐसा व्यक्ति मरने के बाद भी अमर हो जाता है। दुनिया उसके जाने के बाद भी उसे याद करती रहती है। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, मदर टेरेसा व डॉ. कलाम आदि महापुरूषों को आज भी हम याद करते हैं। सभी अपने कार्य के कारण समाज में पूजनीय हो गए हैं। व्यक्ति का अच्छा कार्य ही उसकी पहचान होती है। इसीलिए तो कवि बच्चन जी कहते हैं – ‘मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षणभर जीवन मेरा परिचय।’

आईस्टाइन व न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने अपना संपूर्ण जीवन विज्ञान के प्रति समर्पित कर मानवता की जो मिसाल खड़ी कर दी है वह अद्भुत एवं काबिले तारीफ है। अफ्रीका में स्थित काले-गोरे का भेदभाव मिटाने के लिए नेल्सन मंडेला जी ने जो कार्य किया उसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम होगी।

मानवता सभी धर्म समाए हुए हैं। दरअसल मानवता सभी धर्मों का सार है। मानवता यानी बिना स्वार्थ भाव रखे हुए दूसरों की मदद करना। दूसरों की पीड़ा हरना। दूसरों को मुसीबत से बाहर निकालना। दूसरों के जीवन में प्रकाश बनकर जाना। हमें भी अपने जीवन में मानवता के मार्ग पर चलना सिखना चाहिए।

बिना स्वार्थ भाव रखें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। जब हम ऐसा करेंगे; तब हमारा जीवन अपने आप सच्चाई के मार्ग पर चलने लगेगा। आखिर इसी से ही समाज में सत्य व अहिंसा का प्रसार होगा। मानवता भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। हमारी संस्कृति जो आज संपूर्ण विश्व में दैदीप्यमान है उसका श्रेय मानवता को ही जाता है। आखिर भारतवासी मानवता में विश्वास रखते हैं।

शिष्‍टाचार Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 रावलपिंडी, अविभाजित भारत में हुआ था। इनकी मृत्यु 11 जुलाई 2003 में हुई। साहनी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने उपन्यास, नाटक, आत्मकथा एवं कहानी विधाओं को समृद्ध किया। इन्होंने मानवीय मूल्य, नैतिकता, मानवीय करुणा, सामाजिक विषमता एवं संघर्ष आदि विषयों को अपने लेखन में स्वतंत्र स्थान दिया था। आजीवन इन्होंने हिंदी भाषा की सेवा की।

प्रमुख कृतियाँ: कहानी संग्रह – ‘भाग्य-रेखा’, ‘पहला पाठ’, ‘भटकती राख’, ‘निशाचर’; उपन्यास – ‘झरोखे’, ‘तमस’, ‘कुंतो’, ‘नीलू नीलिमा नीलोफर’; नाटक – ‘कबिरा खड़ा बाजार में’, ‘माधवी’; आत्मकथा – ‘आज के अतीत’।

गद्य-परिचय:

चरित्रात्मक कहानी: चरित्रात्मक कहानी वह होती है जिसमें किसी चरित्र या घटना का रोचक व मनोरंजक वर्णन हो।
प्रस्तावना: प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक नौकर के माध्यम से शिष्टाचार के महत्त्व को दर्शाने का प्रयास किया है और साथ में यह भी बतलाया है कि भले ही व्यक्ति गँवार या अनपढ़ हो फिर भी उसके पास शिष्टाचार होने से वह श्रेष्ठ बन जाता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 7 शिष्‍टाचार

सारांश:

प्रस्तुत पाठ एक चरित्रात्मक कहानी है। कहानी के एक पात्र बाबू रामगोपाल अथक प्रयास के बाद एक नौकर ढूँढ़कर लाते हैं लेकिन उसका गँवार रूप देखकर उनकी पत्नी गुस्सा हो जाती हैं। उन्हें उस नौकर पर चिढ़ आती है। कभी-कभी नौकर के हाथों से घर की चीज़ों का नुकसान हो जाता था तो वह उसकी तनख्वाह काट लेती हैं। इस तरह उनके घर पर काम करते हुए उसे तीन महीने हो जाते हैं। बाबू रामगोपाल के बच्चे के मुंडन संस्कार के दिन पास आ जाते हैं।

उनकी श्रीमती जी मुंडन संस्कार का प्रबंध करने में व्यस्त हो जाती हैं। अत: घर की सारी चाबियाँ नौकर के हाथों में सौंप देती हैं। जिस दिन मुंडन संस्कार था; उसी दिन नौकर गाँव जाने के लिए बाबू रामगोपाल के पास छुट्टी माँगता है। वे आगबबूला हो जाते हैं। उनकी पत्नी भी उस पर गुस्सा हो जाती हैं। फिर भी नौकर अपनी जिद पर अड़ा रहता है। बाबू रामगोपाल आवेश में आकर उसे चाँटा मारते हैं। उससे घर जाने का कारण पूछते हैं लेकिन वह कुछ भी नहीं कहता है।

सिर्फ गाँव जाने की रट लगाता है। आखिर मेहमानों के सामने बात को बढ़ाने से रोकने के लिए वे उसका नाम, पता लिखवा कर उसके दस्तखत ले लेते हैं और उसे धक्के मारकर घर से बाहर निकाल देते हैं। उनकी श्रीमती को लगता है कि वह जरूर कुछ न कुछ जेवर या पैसे चुराकर ले गया होगा। इसी कारण बाबू रामगोपाल उसकी तनख्वाह उसके द्वारा बताए गए पते पर नहीं भेजते हैं। कुछ दिनों के पश्चात सड़क के किनारे पर उन्हें वह नौकर दिखाई देता है।

वे उसके पास जाकर उससे पूछते हैं कि वह अचानक गाँव क्यों चला गया था। तब वह कहता है कि उसके बेटे की मृत्यु हो गई थी और खुशीवाले घर में यह दुखद समाचार देना उसके गाँव में बुरा मानते हैं। सचमुच एक गँवार आदमी के पास भी शिष्टाचार होता है। कब और कहाँ क्या कहना चाहिए इस बात का उसे ठीक से ज्ञान था। उसका यह व्यवहार ही उसे शिष्टाचारियों की श्रेणी में ले जाता है। इसी पाठ के जरिए लेखक ने प्रत्येक व्यक्ति के पास शिष्टाचार का होना जरूरी होता है यह दर्शाने का प्रयास किया है।

शब्दार्थ:

  1. अनथक – जो थके नहीं, बिना थके
  2. षड्यंत्र – कपटपूर्ण योजना
  3. तब्दील – बदलना, परिवर्तन
  4. अफसोस – पश्चात्ताप
  5. पसीजना – पिघलना
  6. बनमानस – वनमनुष्य या जंगली मनुष्य

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 1 सर्वात्मका शिवसुंदरा

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Maharashtra State Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 1 सर्वात्मका शिवसुंदरा

Marathi Aksharbharati Std 9 Digest Chapter 1 सर्वात्मका शिवसुंदरा Textbook Questions and Answers

सर्वात्मका शिवसुंदरा Summary in Marathi

कवीचा परिचय :

नाव : विष्णु वामन शिरवाडकर
कालावधी : 1912 – 1999

ज्ञानपीठ पारितोषिक विजेते, प्रसिद्ध लेखक, कवी, नाटककार. ‘जीवनलहरी’, विशाखा’, ‘समिधा’, ‘स्वगत’, ‘हिमरेषा’, ‘वादळवेल’, ‘मारवा’, ‘किनारा’ इत्यादी काव्यसंग्रह; ‘वैजयंती’, ‘राजमुकुट’, ‘कौतेय’, ‘नटसम्राट’, ‘वीज महणाली धरतीला’, ‘विदूषक’ इत्यादी नाटके प्रसिद्ध.

प्रस्तावना :

‘सर्वात्मका शिवसुंदरा’ ही प्रार्थना कवी कुसुमाग्रज यांनी लिहिली आहे. या प्रार्थनेत परमेश्वरास वंदन करून अंधारातून उजेडाकडे नेण्याची, संकटातही सामना करण्याची शक्ती देण्याची विनंती कवीने केली आहे.

A famous poet Kusumagraj has written the prayer Sarvatmaka Shivsundara’. In this prayer, the poet is seeking guidance from the almighty God. He is asking the Lord to bestow upon him the strength to survive in all tough, difficult situations. He is asking the God to transport him from the darkness of everyday life to enlightenment

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 1 सर्वात्मका शिवसुंदरा

भावार्थ :

सर्वात्मका शिवसुंदरा …………………….. आमुच्या ने जीवना।।
हे सर्व प्राणीमात्रांच्या ठिकाणी असलेल्या शिवसुंदरा परमेश्वरा, तू आमचे वंदन स्वीकार कर. हे परमेश्वरा, तू आमच्या जीवनाला अंधाराकडून प्रकाशाकडे घेऊन जा. आमच्या जीवनाला योग्य मार्ग दाखव.

सुमनांत तू गगनात …………………….. चोहीकडे रूपे तुझी जाणीव ही माझ्या मना ।।
हे परमेश्वरा, सुमनात म्हणजेच प्रत्येक फुलात, गगनात तूच सामावलेला आहे. तान्यांमध्ये देखील तू फुललेला म्हणजेच भरलेला, व्यापलेला आहेस. या जगामध्ये जे जे सद्धमनि वागतात त्या सर्वांमध्ये तू राहतोस. या सृष्टीमध्ये चोहीकडे तुझीच रूपे आहेत, याची मला जाणीव आहे.

श्रमतोस तू शेतामधे ……………………. तिथे तुझे पद पावना ।।
हे परमेश्वरा, शेतामध्ये त्या कष्ट करणाऱ्या लोकांबरोबर तू स्वत: मेहनत करतोस. या जगामध्ये जे जे दुःखी, कष्टी जीवनाने त्रासलेले आहेत, त्या लोकांची आसवे तू पुसतोस. म्हणजेच या सर्वांचे दुःख, त्रास तू दूर करतोस. जिथे कोणत्याही स्वार्थाशिवाय तुझी सेवा केली जाते, तिथे तुझे पावन चरण पाहायला मिळतात. तिथे तुझे अस्तित्व जाणवते.

न्यायार्थ जे लढती रणी………………….मुनी होतोस त्यांची साधना।।
पुढे कवी सांगतात की, जे लोक अन्यायाविरुद्ध लढतात, न्यायासाठी तलवार हातात घेऊन रणांगणावर लवण्यासाठी जातात, त्यांच्या हातातल्या तलवारीमध्ये परमेश्वरा तू राहतोस. तसेच जे लोक ध्येयवेडे असतात. जे आपले ध्येय प्राप्त करण्यासाठी अंधारातून (संकटातून) ही मार्ग काढतात तू त्यांच्यामध्ये दीप बनून राहतोस. त्यांच्यात आत्मविश्वास, हिंमत निर्माण करतोस. म्हणजेच ध्येय प्राप्तीचा योग्य मार्ग तू त्यांना दाखवतोस. तसेच जे ज्ञानाची लालसा मनामध्ये धरून त्याची कास धरतात, त्यासाठी तप करतात, त्यांची ज्ञानसाधना तू होतोस.

करुणाकरा करुणा तुझी ………………. नित जगवि भीतीवाना।।
कवी परमेश्वराला सांगतो, हे करुणाकरा तुझा आशीर्वाद पाठीशी असताना मला कुठलीही भीती नाही. त्यामुळे आयुष्याच्या वाटेवर चालताना माझ्या प्रत्येक पावलाबरोबर तुझे पाऊल असेल, याची मला पक्की खात्री आहे. त्यामुळे माझ्याकडून नेहमीच सूजनत्व मणजेच नवनिर्मिती होईल. माझ्या मनात त्याविषयी कोणतीच भीती असणार नाही.

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 1 सर्वात्मका शिवसुंदरा

शब्दार्थ :

  1. ज्ञानपीठ पुरस्कार – साहित्य क्षेत्रातील सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार
  2. सर्वात्मका – सर्व प्राणिमात्रांच्या ठिकाणी असलेला जीवात्मा, परमेश्वर (the soul of all, the entire self)
  3. शिव – शंकर (God Shiva)
  4. सुंदरा – सुंदर (beautiful)
  5. स्वीकार – अंगीकार (acceptance)
  6. अभिवादन – वंदन, नमन (salutation)
  7. तिमिर – अंधार, काळोख (darkness)
  8. तेज – प्रकाश, लकाकी (brightness)
  9. प्रभु – ईश्वर, देव (God, Lord)
  10. जीवन – आयुष्य (life)
  11. सुमन – फूल (a flower)
  12. गगन – आकाश, नभ (the sky)
  13. तारा – चांदणी (star)
  14. सद्धर्म – चांगला धर्म, सदाचार (good quality, good conduct)
  15. जग – दुनिया, विश्व (the world, the universe)
  16. वसणे – राहणे, वस्ती करणे (to establish, to stay)
  17. चोहिकडे – सभोवार, सर्वत्र (everywhere, all round)
  18. रूप – आकार (form, shape)
  19. जाणीव – बोध, आकलन (consciousness, realization)
  20. मन – चित्त, अंत:करण (the mind)
  21. राबसी – राबतोस, भरपूर कष्ट करतोस (to work hard)
  22. श्रमिक – कामकरी, कष्ट करणारा (a labour, a worker)
  23. रंजले – त्रासले (to be harassed)
  24. गांजणे – त्रासून जाणे, सतावले जाणे (to be harassed)
  25. आसवे – अश्रू (tears)
  26. स्वार्थ – स्वत:चा लाभ, मतलब (selfishness)
  27. पद – पाय, पाऊल (a foot, a foot step)
  28. न्याय – नीती (justice)
  29. रण – रणभूमी, युद्धाची जागा, रणांगण (battlefield)
  30. कर – हस्त, ह्यत (hand)
  31. ध्येय – उद्दिष्ट, साध्य (a goal, an aim)
  32. तमी – तम, अंधकार काळोख (darkness)
  33. अंतरी – आतमध्ये (in interior)
  34. ज्ञान – माहिती, प्रतिती (knowledge)
  35. तपती – तपतात (experience burning, blazing, heat)
  36. मुनि – ऋषी, साधू, तपस्वी (a holy sage)
  37. साधना – तपश्चर्या (penance)
  38. करुणा – दया (compassion, mercy)
  39. भय – भीती, धास्ती (fear, fright)
  40. मार्ग – रस्ता (way)
  41. सदा – नेहमी (always)
  42. तव – तुझे (yours)
  43. पावले – पाऊले, पाय (feet)
  44. सूजनत्व – नवनिर्मिती (creation)
  45. नित – नेहमी, सदा (always, daily, everyday)
  46. जगवि – जागव (to wake up)

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

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Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा 1.1

2. निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
हम कितने सुख सपने लेकर, इसको (ठहराते, फहराते, लहराते) हैं।
इस झंडे पर मर मिटने की, कसम सभी खाते हैं।
हिंद देश का है ये झंडा, घर-घर में लहरेगा।
झंडा ऊँचा सदा रहेगा।।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हम कितने सुख तथा सपने लेकर इस झंडे को गाड़ते, फहराते और लहराते हैं। हम सब इस झंडे पर मर मिटने की सौगंध खाते हैं। यह हिंदुस्तान का झंडा है, यह घर-घर में लहराएगा। हमारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चिह्नों के सामने उनके नाम लिखिए तथा वाक्यों में उचित विरामचिह्न लगाइए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा 2.1

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
क्रांतिकारियों के जीवन से संबंधित कोई प्रेरणादायी प्रसंग / घटना पर आधारित संवाद बनाकर प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
(चौरीचौरा कांड के विषय में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का संवाद प्रस्तुत करते हुए तीन छात्र)

  • भगत सिंह: मित्रों, आज समय आ गया है कि हम अंग्रेज सरकार का पुरज़ोर तरीके से विरोध करें क्योंकि उनके अत्याचार से हमारी भारत माँ आहत हैं, दुखी हैं।
  • सुखदेव: भारत माँ के लिए तो हम अपनी जान भी दे सकते हैं बताओ मित्र हमें क्या करना है?
  • राजगुरु: हमने तो अपने सर पर कफन बाँध लिया है बताओ दोस्त हमें किस घटना को अंजाम देना है?
  • भगत सिंह: मित्रों, आने वाली 4 फरवरी को हमें चौरीचौरा कस्बे के पुलिस चौकी पर हमला करना है तथा उस चौकी को नष्ट करना है क्योंकि यही वह चौकी है, जो गोरखपुर शहर जाने के मार्ग पर स्थित है बिना इसे नष्ट किए हमारे साथी क्रांतिकारी शहर में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं।
  • सुखदेव: मित्र, हम अंग्रेज सरकार की ईंट से ईंट बजा देगें तथा ऐसा हमला करेगें कि उनके पास बचने के कोई उपाय नहीं होंगे।
  • राजगुरु: वह सब तो ठीक है दोस्तों लेकिन हमें गुप्त रूप से अपनी योजना की जानकारी दूसरे क्रांतिकारी मित्रों तक पहुँचानी होगी। इस काम में हमारी मदद करेगें बाबू रामप्रसाद बिस्मिल। योजना के अनुसार 3 फरवरी से ही हमारे क्रांतिकारी मित्र चौरीचौरा कस्बे में जमा होना शुरू हो जाएँगे और ठीक 4 तारीख को आधी रात के समय चौकी पर हमला किया जाएगा।
  • भगत सिंह: दोस्तों, यही जालियावाला बाग कांड के शहीदों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मित्रों एक बार साथ में बोलो-भारत माता की जय!
  • सुखदेव: भारत माता की जय!
  • राजगुरु: मातृभूमि की जय!
  • सब साथ में: भारत माता की जय ! मातृभूमि की जय!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

लेखनीय:

प्रश्न 1.
राष्ट्र का गौरव बनाए रखने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा किए सराहनीय कार्यों की सूची बनाइए।
उत्तर:

प्रधानमंत्री का नामराष्ट्र गौरव के कार्य
1. पं. जवाहर लाल नेहरू1. गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना
2. इंदिरा गांधी1. परमाणु कार्यक्रम की शुरूआत
2. बैंकों का राष्ट्रीकरण करना
3. राजीव गाँधी1. गुट निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व।
2. भारत को कम्प्यूटर से जोड़ना।
4. पी. वी. नरसिम्हा राव1. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष नीति का प्रारंभ।
2. परमाणु कार्यक्रमों की शुरूआत करना।
5. इन्द्र कुमार गुजराल1. श्रीलंका में शांति सेना भेजना।
6. अटल बिहारी वाजपेयी1. कारगिल युद्ध में विजय
2. पोखरण में परमाणु परीक्षण।
3. संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण।
7. डा. मनमोहन सिंह1. भारतीय अर्थ व्यवस्था को विश्व अर्थ व्यवस्था के साथ जोड़ देना।

आसपास:

प्रश्न 1.
अपने जिले में सामाजिक कार्य करने वाली किसी संस्था का परिचय निम्न मुददों के आधार पर प्राप्त करके टिप्पणी बनाइए।
उत्तर:
मेरे अमरावती जिले में एक गैर सरकारी संस्था (हुद) कार्य कर रही है। ये संस्था बिना किसी सरकारी भागीदारी के समाज में अपना कार्य करती है। जिले में गैर सरकारी संगठन का कार्य अच्छे से चल रहा है। ये संस्था लोगों की सहायता के साथ-साथ स्वशिक्षा, शिक्षा के लिए अनुदान की व्यवस्था, गरीब लोगों को आर्थिक मदद की जरूरत भी पूरी करती है। जिले में इस संस्था के द्वारा गरीबों के भोजन व स्वच्छ पेय जल का पता लगाने एवं जरूरतमंद की मदद करने का कार्य अच्छी तरह से किया जा रहा है। उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद करना इस संस्था का मुख्य कार्य है। ये समुदाय धर्म विशेष पर ध्यान नहीं देती। ये तो सभी धर्मों का समान सम्मान करती है। मेरे जिले में इस संगठन का कार्य बहुत ही सराहनीय है। इस संगठन में ‘द चिल्ड्रेस लीगल सेंटर’ के द्वारा बच्चों के अधिकारों का पूर्ण रूप से ध्यान दिया जाता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘मेरे सपनों का भारत’ इस कल्पना का विस्तार अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
‘मेरे सपनों का भारत कैसा हो?’ इस पर मेरे मन में कई तरह के विचार उत्पन्न होते हैं। लेकिन मैं चाहता हूँ कि मेरे सपनों का भारत सुखी और संपन्न हो, सभी देशवासी शिक्षित हों, बेरोजगारी की समस्या दूर हो और भारत एक कर्मनिष्ठ तथा आत्मनिर्भर देश बनें। मेरे सपनों का भारत ऐसा हो जहाँ लोग मर्यादाओं का पालन करें तथा सभी देशवासियों में विश्व बंधुत्व की भावना हो। लोग सभी धर्मों का आदर करें तथा जातिगत का बंधन न हो। समाज मुक्त हो, सभी को एक जैसा अधिकार मिले। समाज में शोषण और अत्याचार न रहे। ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा’ यह प्रेरणादायी पंक्तियाँ एक हकीकत बने और जब यह संभव होगा तभी हम देश पर गर्व कर पाएँगे। विश्व की प्राचीनतम सभ्यता इसी पावन धरती पर फली थी।

न जाने कितने ही महापुरुषों ने इस पवित्र धरती पर जन्म लिया है। इसी देश ने विश्व को वेद-पुराणों तथा गीता का संदेश सुनाया था। इसी भारतवर्ष ने संसार को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का पाठ पढ़ाया था। मैं चाहता हूँ कि मेरे सपनों का भारत एक परिवार के समान हो। जहाँ कोई भेदभाव न हो। लोगों में परोपकार की भावना हो। भारतवर्ष एक कृषि प्रधान देश है; इसलिए किसान हमारे लिए देवता के समान हैं। जो हमारे लिए अन्न का उत्पादन करते हैं। इसलिए गाँव में सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए ताकि किसान वर्षा की अनिश्चिता से मुक्त हो सके। हमारा देश जो गाँवों में बसता है; वहाँ हर प्रकार की बुनियादी सुविधा हो जिससे गाँव के लोगों को शहर की तरफ जाने की जरूरत न पड़े।

किसी भी देश के विकास के लिए आवश्यक है शिक्षा और चिकित्सा। इसलिए गाँवों में स्कूल तथा स्वास्थ्य सेवा का ऐसा प्रावधान होना चाहिए जिससे लोगों को अपने बच्चों की शिक्षा तथा सबके स्वास्थ्य को लेकर निश्चिंतता हो। हमारे देश में व्यवसायी वर्ग उपेक्षित है। किसान और मजदूर अपने खून को पसीना बनाने में नहीं हिचकते लेकिन लोग उन्हें आदर की दृष्टि से नहीं देखते हैं। मेरे सपनों के भारत में व्यापारी वर्ग, किसान व मजदूर खुशहाल होने चाहिए। इस प्रकार ‘मेरे सपनों का भारत’ ऐसा होना चाहिए कि हम सारे विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम छह पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि देश के तिरंगे झंडे का गौरव-गान करते हुए कहते हैं कि यह सर्वदा ऊँचा रहेगा, सदा ऊँचा रहेगा। भारत देश का प्यारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा। कवि कहते हैं हमारे देश का झंडा तूफानों और बादलों से भी नहीं झुकेगा, अर्थात बड़े से बड़े शत्रुओं के आक्रमण से भी नहीं झुकेगा। कभी नहीं झुकेगा यह झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा 3

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
शान हमारी ये झंडा है, ये अरमान हमारा,
ये बल पौरुष है सदियों का, ये बलिदान हमारा।
जीवन-दीप बनेगा, ये अंधियारा दूर करेगा।
झंडा ऊँचा सदा रहेगा।।
उत्तर:
कवि कहते हैं, ये तिरंगा झंडा हमारी शान और हमारा अरमान है। यह झंडा सदियों के शक्ति-पराक्रम और हमारे बलिदान की निशानी है। यह तिरंगा हमारे जीवन का दीपक बनेगा तथा अंधकार को दूर करेगा, अर्थात कठिनाइयों और बुराइयों को दूर करेगा। हमारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा 4

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए।
1. हम यह कसम खाते हैं –
2. झंडा यहाँ लहरेगा –
उत्तर:
1. झंडे पर मर मिटने की।
2. घर-घर में।

झंडा ऊँचा सदा रहेगा Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: रामदयाल पांडेय जी का जन्म बिहार में हुआ था। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रभाव के महान कवि थे। साहित्य को जीने वाले, अपने धुन के पक्के, आदर्श कवि और विद्वान संपादक के रूप में प्रसिद्ध रहे तथा उनके संस्थाओं से जुड़े रहे।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

पद्य-परिचय:

प्रेरणा गीत: प्रेरणागीत हिंदी साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। यह हमारे दिलों में उतर कर हमारी जिंदगी को संघर्ष करने की शक्ति और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘झंडा ऊँचा रहेगा’ में कवि पांडेय जी ने अपने देश के झंडे का गौरवगान विभिन्न स्वरूपों में किया है।

सारांश:

कवि कहते हैं, हमारे देश का झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा। यह विकट से विकट परिस्थिति में भी नहीं झुकेगा। इस झंडे में तीन रंग की पट्टियाँ हैं और बीच में एक चक्र है। केसरिया रंग शक्ति का प्रतीक है। यह हमारे अंदर शक्ति भरने वाला है, सफेद रंग सच्चाई का प्रतीक है, हरा रंग हमारी धरती की हरियाली का प्रतीक है और चक्र गतिशीलता का प्रतीक है। यह झंडा हमारी शान, अरमान, बल पौरुष तथा बलिदान है। यह झंडा हर घर में लहराएगा। यह झंडा दुनिया के कोने-कोने में अपना संदेश सुनाएगा। हम इस झंडे पर मर मिटने की कसम खाते हैं।

सरल अर्थ:

ऊँचा सदा ………………… ऊँचा सदा रहेगा।।
कवि देश के तिरंगे झंडे का गौरव-गान करते हुए कहते हैं कि यह सर्वदा ऊँचा रहेगा, सदा ऊँचा रहेगा। भारत देश का प्यारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

टूफानों से ……………….. ऊँचा सदा रहेगा।।
कवि कहते हैं हमारे देश का झंडा तूफानों और बादलों से भी नहीं झुकेगा, अर्थात बड़े से बड़े शत्रुओं के आक्रमण से भी नहीं झुकेगा। कभी नहीं झुकेगा यह झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

केसरिया बल ……………. ऊँचा रहेगा।।
कवि कहते हैं, तिरंगे झंडे का केसरिया रंग देश की शक्ति का प्रतीक है, यह हमारे अंदर शक्ति भरता है, सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है, यह हमें सच्चाई का मार्ग दिखाता है, हरा रंग भूमि की पवित्रता, उर्वरता और वृद्धि को दर्शाता है और चक्र यह हमें उन्नति के मार्ग पर हमेशा कदम बढ़ाते रहने का संदेश देता है। हमारा यह झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

शान हमारी ……………………… ऊँचा सदा रहेगा।।
कवि कहते हैं, ये तिरंगा झंडा हमारी शान और हमारा अरमान है। यह झंडा सदियों के शक्ति-पराक्रम और हमारे बलिदान की निशानी है। यह तिरंगा हमारे जीवन का दीपक बनेगा तथा अंधकार को दूर करेगा, अर्थात कठिनाइयों और बुराइयों को दूर करेगा। हमारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

आसमान में …………………….. ऊँचा सदा रहेगा।।
कवि कहते हैं, तिरंगा झंडा आसमान और बादल में हमेशा लहराता रहे। यह झंडा जहाँ-जहाँ जाए अपनी बात, अपना संदेश और अपना संवाद लोगों को सुनाए, अर्थात लोगों को सत्य-अहिंसा और भाईचारे का संदेश दे। आज हिंदुस्तान ही ऐसा देश है जो पूरे संसार को भेद-भाव और हिंसा जैसी बुराइयों से आजाद करेगा। हमारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

नहीं चाहते …………………. ऊँचा सदा रहेगा।।
कवि कहते हैं, हम दुनिया को अपना दास नहीं बनाना चाहते, दूसरों की बात और फटकार नहीं सुनना चाहते तथा हम दूसरों के मुँह का निवाला भी छीन कर नहीं खाना चाहते। हमारा खून हमेशा सत्य और न्याय के लिए बहेगा। हमारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

हम कितने ………………………. ऊँचा सदा रहेगा।।
कवि कहते हैं, हम कितने सुख तथा सपने लेकर इस झंडे को गाड़ते, फहराते और लहराते हैं। हम सब इस झंडे पर मर मिटने की सौगंध खाते हैं। यह हिंदुस्तान का झंडा है, यह घर-घर में लहराएगा। हमारा झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 झंडा ऊँचा सदा रहेगा

शब्दार्थ:

  1. सदा – हमेशा
  2. बल – शक्ति
  3. शान – गरिमा, मर्यादा
  4. अरमान – इच्छा
  5. पौरुष – पुरुषार्थ, पराक्रम, साहस
  6. दास – सेवक, गुलाम
  7. फटकार – डाँट
  8. लहू – खून, रक्त
  9. लहराना – फहराना
  10. कसम – सौगंध

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान Textbook Questions and Answers

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ संबंधी पढ़ी या सुनी हुई घटना या प्रसंग पर चची कीजिए।
उत्तर:

  • अध्यापक – राहुल जी, क्या आप मुझे 1857 के विद्रोह व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में कुछ जानकारी देंगे।
  • राहुल – जी हाँ, सर। सन 1857 में राष्ट्रीय बगावत शुरू हुई थी। भारत के राजा-महाराजाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी थी।
  • विद्या – जैसे कि महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, पेशवा आदि ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का शंखनाद बजा दिया था।
  • अनिल – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित मुझे एक घटना याद है। मंगल पांडे अंग्रेजों की बैरकपुर की छावनी में सिपाही थे। मंगल पांडे उस चर्बीयुक्त हथियारों पर रोक लगाना चाहते थे। उन्होंने एक अंग्रेज अधिकारी पर हमला बोल दिया। इसलिए उन्हें फाँसी की सजा हो गई थी।
  • अध्यापक – अब आप मुझे बताइए कि स्वतंत्रता सेनानियों से आपको कौन-सी प्रेरणा मिलती है?
  • विजय – हमें अपने देश की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
  • अजय – हमें अपने देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
  • नंदन – हमें स्वतंत्रता के दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए।

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श्रवणीय:

प्रश्न (क)
राष्ट्रभक्ति पर आधारित कोई कविता सुनिए।

प्रश्न (ख)
अपने देश की विविधताएँ सुनिए।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
समूह बनाकर भारत की विशेषता बताने वाले संवाद का लेखन कीजिए तथा समारोह में उसकी प्रस्तुति कीजिए।

पठनीय:

प्रश्न 1.
भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र संबंधी जानकारी पढ़िए और छोटी-सी टिपण्णी तैयार कीजिए।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
अंतरजाल/ग्रंथालय से ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (सार्क) में भारत की भूमिका की जानकारी प्राप्त करके टिप्पणी लिखिए।

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘विश्व स्तर पर भारत की पहचान निराली है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत हमको जान से प्यारा है।
सबसे न्यारा गुलिस्ता हमारा है।

सचमुच विश्व में भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहाँ संस्कृति, विज्ञान व तकनीकी का समन्वय दिखाई देता है। भिन्न-भिन्न धर्म व जाति वर्ग के लोगों के बीच भारत देश ने पारंपरिक संस्कृति, सभ्यता एवं सर्वधर्म सहिष्णुता की भावना के कारण विश्व में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना रखा है।

विश्व स्तर पर भारत की पहचान अनोखी व निराली है। क्रीड़ा के क्षेत्र में भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपनी अनोखी पहचान बनाए हुए हैं। सचिन तेंदुलकर को तो ‘क्रिकेट का भगवान’ कहा जाता है। साहित्य के क्षेत्र में भी भारतीय लेखक कवियों का साहित्य कई विदेशी भाषाओं में अनूदित हुआ है।

उद्योग जगत में रिलायन्स, टाटा, बिरला आदि कंपनियों ने विश्व स्तर पर भारत की सशक्त आर्थिक क्षमता का सबूत प्रस्थापित कर दिया है। संगीत की दुनिया में भारत ने समूचे विश्व को मोहित कर दिया है। लता दीदी, आशा भोसले, ए.आर. रहमान आदि गायक-गायिकाओं के गानों ने विदेशों में धूम मचा दी हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत के तो कई विदेशी कायल हैं।

विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में भारत देश ने एक नया आयाम स्थापित कर दिया है। भारत में अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत के डॉक्टर एवं अभियंताओं को विदेशों में काफी महत्त्व प्राप्त हो रहा है। इसीलिए मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूँ कि भारत ने विश्व स्तर पर अपनी एक अनोखी पहचान बनाई है। कहा भी गया है –

सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिस्ताँ हमारा।

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पाठ के आँगन में …

प्रश्न 1.
‘यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।’ इस पंक्ति में आई कवि की भावना स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
कृति (घ) का स्वमत अभिव्यक्ति देखिए।

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।
उत्तरः

(अ)(ब)
1. अतीत(क) प्रार्थना
2. पुनीत(ख) साधना
3. अनंत(ग) भावना
4. विनीत(घ) कल्पना
(ङ) अशांति

उत्तर:

(अ)(ब)
1. अतीत(घ) कल्पना
2. पुनीत(ग) भावना
3. अनंत(ख) साधना
4. विनीत(क) प्रार्थना

व्याकरण विभाग:

1 & 2.
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3.
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4. शुद्धीकरण- वाक्यों, शब्दों को शुद्ध रूप में लिखना।

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5. मुहावरों का प्रयोग/चयन करना

6. शब्द संपदा- व्याकरण 5 वीं से 8 वीं तक शब्दों के लिंग, वचन, विलोमार्थक, समानार्थी, पर्यायवाची, शब्दयुग्म, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, भिन्नार्थक शब्द, कठिन शब्दों के अर्थ, विरामचिह्न, उपसर्ग-प्रत्यय पहचानना/अलग करना, लय-ताल युक्त शब्द ।

7.
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8.
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रचना विभाग:

  • पत्रलेखन (व्यावसायिक /कार्यालयीन)
  • प्रसंग वर्णन / वृत्तांत लेखन
  • कहानी लेखन
  • विज्ञापन
  • गद्य आकलन
  • निबंध

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पत्रलेखन:

कार्यालयीन पत्र

कार्यालयीन पत्राचार के विविध क्षेत्र:

बैंक, डाकविभाग, विद्युत विभाग, दूरसंचार, दूरदर्शन आदि से संबंधित पत्र
महानगर निगम के अन्यान्य / विभिन्न विभागों में भेजे जाने वाले पत्र
माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडल से संबंधित पत्र ।
अभिनंदन/प्रशंसा (किसी अच्छे कार्य से प्रभावित होकर) पत्र लेखन करना।
सरकारी संस्था द्वारा प्राप्त देयक (बिल आदि) से संबंधित शिकायती पत्र

व्यावसायिक पत्र

व्यावसायिक पत्राचार के विविध क्षेत्र:

किसी वस्तु/सामग्री/पुस्तकें आदि की माँग करना।
शिकायती पत्र – दोषपूर्ण सामग्री/ चीजें/ पुस्तकें/ पत्रिका आदि प्राप्त होने के कारण पत्रलेखन
आरक्षण करने हेतु (यात्रा के लिए)।
आवेदन पत्र – प्रवेश, नौकरी आदि के लिए।
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कहानी लेखन:

1. मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन करना।
2. शब्दों के आधार पर कहानी लेखन करना।
3. किसी कहावत, सुवचन, मुहावरे, लोकोक्ति पर आधारित कहानी लेखन करना।

मुहावरे, कहावतें, सुवचन, लोकोक्तियाँ

मुहावरे:

  1. आँखों पर परदा पड़ना ।
  2. एड़ी-चोटी का जोर लगाना ।
  3. रुपया पानी की तरह बहाना ।
  4. पहाड़ से टक्कर लेना।
  5. जान हथेली पर धरना (रखना)।
  6. लकीर का फकीर होना ।
  7. पगड़ी संभालना।
  8. काला अक्षर भैंस बराबर ।
  9. घाट-घाट का पानी पीना ।
  10. अकल के घोड़े दौड़ाना।
  11. पत्थर की लकीर होना।
  12. भंडाफोड़ करना।
  13. रंगा सियार होना।
  14. हाँ में हाँ मिलाना

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लोकोक्तियाँ तथा कहावतें:

  1. अंधों में काना राजा।
  2. ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर।
  3. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए ।
  4. जहाँ न पहुंचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि ।
  5. अंधा बाँटे रेवड़ी अपने कुल को देव ।
  6. अंधेर नगरी चौपट राजा।
  7. आँख और कान में चार अंगुल का अंतर है।
  8. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।
  9. हाथ कंगन को आरसी क्या ?
  10. चोर की दाढ़ी में तिनका ।
  11. कोयले की दलाली में हाथ काला ।
  12. अधजल गगरी छलकत जाए ।
  13. निंदक नियरे राखिए।
  14. ढाक के तीन पात ।

सुवचन:

  1. वसुधैव कुटुंबकम् ।
  2. सत्यमेव जयते।
  3. पेड़ लगाओ, पृथ्वी बचाओ।
  4. जल ही जीवन है।
  5. पढ़ेगी बेटी तो सुखी रहेगा परिवार ।
  6. अनुभव महान गुरु है।
  7. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
  8. अतिथि देवो भवः।
  9. राष्ट्र ही धन है।
  10. जीवदया ही सर्वश्रेष्ठ है।
  11. असफलता सफलता की सीढ़ी है।
  12. श्रम ही देवता है।
  13. राखौ मेलि कपूर में, हींग न होत सुगंध ।
  14. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ।

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निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर कहानी लिखिए तथा उसे उचित शीर्षक देकर उससे प्राप्त होने वाली सीख भी लिखिए:

1. एक लड़की __________ विद्यालय में देरी से पहुंचना __________ शिक्षक द्वारा डाँटना _________ लड़की का मौन रहना __________ दूसरे दिन समाचार पढ़ना __________ लड़की को गौरवान्वित करना ।
2. मोबाइल ___________ लड़का _________ गाँव ___________ सफर __________

1. प्रश्न निर्मिति के लिए निम्नलिखित प्रश्नचार्ट उपयुक्त हो सकता है।
प्रश्नचार्ट:
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गद्य आकलन (प्रश्न तैयार करना)

निम्नलिखित गद्यांश पर ऐसे पाँच प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हो।

किसी भी देश की संपत्ति उस देश के आदर्श विद्यार्थी ही होते हैं । विद्यार्थियों का चरित्र ही राष्ट्र की संपत्ति होता है । वह समय का मूल्यांकन करना जानता है । वह बैटिंग, सिनेमा, मोबाइल एवं अन्य मनोरंजनों में आवश्यकता से अधिक लिप्त नहीं होता है। उसके सामने सदा मंजिल रहती है और उसे ज्ञात है कि इन प्रलोभनों के वश में न होकर परिश्रम, तप, त्याग और साधना के कटंकाकीर्ण पथ पर चलकर ही वह कुछ बन सकता है । परिवार के लिए, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए एवं समूचे विश्व के लिए वह तभी कुछ करने की क्षमता प्राप्त कर सकता है जब वह अपनी सर्वांगीण उन्नति करने का सामर्थ्य रखता हो ।
वह विद्यारूपी समुद्र का मंथन करके ऐसे मोती प्राप्त कर सकता है जो आज तक अनबिद्घ रहे हों।

प्रश्न:

  1. किसी भी देश की संपत्ति कौन होते हैं?
  2. विद्यार्थी क्या करना जानता है?
  3. विद्यार्थी किसके लिए कुछ क्षमता प्राप्त कर सकता है?
  4. विद्यार्थी किस प्रकार के मोती प्राप्त कर सकता है?
  5. आप इस गढ्यांश को कौन-सा शीर्षक देना उचित समझेंगे?

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वृत्तांत लेखन:

अपनी पाठशाला में मनाए गए ‘वाचन प्रेरणा दिवस/हिंदी दिवस/विज्ञान दिवस/राजभाषा दिवस/ शिक्षक दिवस/ वसुंधरा दिवस/ क्रीड़ा दिवस आदि का वृत्तांत रोचक भाषा में लिखिए । (लगभग 60 से 70 शब्दों में)।

प्रसंग वर्णन:

निम्नलिखित जानकारी पढ़कर उससे संबंधित प्रसंग लगभग 60 से 70 शब्दों में लिखिए।

1. कूड़ेदान से कूड़ा-कचरा आसपास फैला हुआ है, उसी में कुछ आवारा कुत्ते तथा अन्य जानबर घूम रहे हैं साथ ही कुछ ___ गाए प्लास्टिक की थैलियों को चबा-चबा कर खा रही हैं।…

विज्ञापन:

निम्न विषयों पर विज्ञापन तैयार किए जा सकते हैं।

1. वस्तुओं की उपलब्धि: नवनिर्मित (किसी भी वस्तु संबंधी)
जैसे- किताबें, कपड़े, घरेलू आवश्यक वस्तुएँ, उपकरण, फर्नीचर, स्टेशनरी, शालोपयोगी वस्तुएँ तथा उपकरण आदि ….
2. शैक्षिक: शिक्षा में संबंधित योगासन तथा स्वास्थ्य शिविर, स्वच्छ, सुंदर शुद्ध लिखावट, चित्रकला, इंटरनेट तथा विविध ऐप्स आदि कलाओं से संबंधित अभ्यास वर्ग, व्यक्तित्व विकास शिविर आदि –
3. आवश्यकता: वाहक-चालक, सेवक, चपरासी, द्वारपाल, सुरक्षा रक्षक, व्यवस्थापक, लिपिक, अध्यापक, संगणक अभियंता, आदि ……
4. व्यापार विषयक: दूकान, विविध वाहन, उपकरण, मकान, मशीन, गोदाम, टी. बी., संगणक, भूखंड, रेफ्रीजरेटर आदि
5. मनोरंजन तथा ज्ञानवर्धन: व्याख्यानमाला, परिसंवाद, नाटक वार्षिकोत्सव, विविध विशेष दिनों के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम समारोह आदि……
6. पर्यटन संबंधी: यात्रा विषयक, आरक्षण आदि
7. वैयक्तिक :- श्रद्धांजली, शोकसंदेश, जयंती, पुण्यतिथि, गृहप्रवेश, बधाई आदि

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निबंध लेखन:

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 9

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति स्वतंत्रता की भावना को बरकरार रखें।
2. स्वतंत्रता का दीपक शक्ति व भक्ति से परिपूर्ण नहीं हैं।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

कृति (3) भावार्थ (1) निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
घोर अंधकार हो …………….. ला रहा विहान है।
भावार्थ:
किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता का मोल नहीं किया जा सकता। स्वतंत्रता की कीमत हमेशा अधिक होती है। इसीलिए कवि नेपाली कहते हैं, “भले ही चारों ओर घोर अंधकार छाया हुआ हो या फिर हवा तेजी से बह रही हो, फिर भी प्रत्येक भारतीय के हृदय द्वार पर जलता हुआ यह स्वतंत्रता का दीया बुझना नहीं चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति स्वतंत्रता की भावना को बरकरार रखें। स्वतंत्रता का यह दीपक रात का दीया है यानी अंधकारूपी परतंत्रता से इस दीपक ने सभी के जीवन में स्वतंत्रता रूपी विहान भर दिया है।”

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

1. एक शब्द में उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
देश और समाज पर किसका वितान है?
उत्तर:
ज्योति का

प्रश्न 2.
तीर और कछार पर किसका दीया बुझना नहीं चाहिए?
उत्तरः
स्वतंत्रता का

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2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (2) आकलन कृति.

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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कृति (3) भावार्थ

1. निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
यह अतीत कल्पना …………….. ज्योति का वितान
भावार्थः
कवि नेपाली कहते हैं, स्वतंत्रता का दीपक हमारे लिए अतीत की कल्पना की भाँति है। यानी हमारे पुरखों ने इसे प्रज्वलित रखने के लिए अपने प्राण अर्पण कर दिए थे। इसीलिए हम इस दीए के समक्ष विनम्र प्रार्थना करते हैं। यह दिया हमारे लिए पवित्र भावना है। स्वतंत्रता के इस दीए को हमने अपनी अनंत साधना के बाद प्राप्त किया है। अतः जीवन में निर्माण होने वाली हर स्थिति यानी कि शांति में या अशांति में, युद्ध की स्थिति हो या संधि की या फिर देश में क्रांति हो, फिर भी तीर पर या नदी के किनारे पर हम इस दीए को बुझने नहीं देंगे। हमारे जीवन में यह स्वतंत्रता का दीपक ज्योति का वितान लेकर आया है।

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(ग) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान 15

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
तीन चार फूल ………………. पुण्य प्राण दान है।
भावार्थ:
कवि नेपाली कहते हैं, स्वतंत्रता के इस दीपक के प्रति हम भारतीयों में निष्ठा एवं श्रद्धा है। इस दीए के आस-पास तीन-चार फूल है। चारों ओर धूल भी है। बास और बबूल के पेड़ भी हैं। घास के दुपट्टे हैं। हवा की लहर उसे आकर स्पर्श भी करती है। फिर भी किसी शहीद की कब्र पर या किसी स्वतंत्रता सेनानी की समाधि पर हम इस दौए को बुझने नहीं देंगे। स्वतंत्रता का यह दीपक हमारे लिए किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है। इसी से प्रेरणा लेकर हम भारतीय अपनी आजादी को बरकरार रखने का प्रयास करेंगे।

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(घ) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (2) आकलन

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ)(ब)
1. स्वतंत्र(क) बदलियाँ
2. चूम-चूम(ख) बिजलियाँ
3. झूम-झूम(ग) जीत हार
4. क्षुद्र(घ) भावन

उत्तरः

(अ)(ब)
1. स्वतंत्र(घ) भावन
2. चूम-चूम(ख) बिजलियाँ
3. झूम-झूम(क) बदलियाँ
4. क्षुद्र(ग) जीत हार

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए ।
झूम-झूम बदलियाँ ………………. स्वतंत्र गान है।
भावार्थ:
कवि नेपाली कहते हैं, आसमान में तूफानी बादल मँडरा रहे हों; बिजलियाँ कड़क रही हों; आँधी निर्माण हो गई हो और उसने हलचलें मचाना शुरू कर दिया हो। भले ही देश के अंतर्गत दंगे फसाद हो रहे हों; व्यथा, वेदना एवं यातना का साम्राज्य निर्माण हुआ हो; फिर भी किसी की भी क्षुद्र जीत-हार पर यह दीया बुझना नहीं चाहिए। आखिर यह दिया हमारे लिए स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है। यह हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह हमारी अस्मिता की पहचान है।

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पद्य-विश्लेषण:

कविता का नाम – स्वतंत्रता गान
कविता की विधा – प्रेरणा गीत
पसंदीदा पंक्ति – कब्र पर, मजार पर, यह दीया बुझे नहीं, यह किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है।
पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें शहीदों की कब्र या मजार पर स्वतंत्रता के दीपक को ना बुझने देने की बात कही गई है। कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती हैं कि भारतीयों को स्वतंत्रता के दीपक को सदैव प्रज्वलित रखना चाहिए। स्वतंत्रता के दीपक से व्यक्ति को सीख लेनी चाहिए कि उसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश की रक्षा करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। व्यक्ति के पास देशभक्ति की भावना होनी चाहिए। त्याग व बलिदान आदि गुणों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

स्‍वतंत्रता गान Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: उत्तर छायावाद के जिन कवियों ने कविता और गीत को जनता का कंठहार बनाया था, गोपाल सिंह नेपाली उनमें अहम थे। गोपाल जी प्रकृति प्रेमी कवि हैं। इनकी कविताएँ देश प्रेम, प्रकृति प्रेम एवं मानवीय भावनाओं का वर्णन करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। ये प्रबुद्ध पत्रकार भी थे। इन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे हैं।

प्रमुख कृतियाँ: काव्य संग्रह – ‘उमंग’, ‘पंछी’, ‘रागिनी’, ‘नीलिमा’, ‘पंचमी’, ‘रिमझिम’ आदि; पत्रिकाएँ – रतलाम टाइम्स’, ‘चित्रपट’,
‘सुधा एवं योगी’।

पद्य-परिचय:

प्रेरणा गीत: जिन गीतों को सुनकर व्यक्ति को कार्य करने की प्रेरणा मिलती है ऐसे गीतों को प्रेरणा गीत कहते हैं। प्रेरणा गीत व्यक्ति
के दिल में सकारात्मक बीज बोने की बात करते हैं। प्रेरणा गीत व्यक्ति को अपने दिल की बात सुनकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने प्रेरणा दी है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता के दीपक को हर परिस्थिति में प्रज्वलित रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।

सारांश:

प्रस्तुत कविता एक प्रेरणा गीत है। इस गीत के माध्यम से कवि ने भारतीयों को राष्ट्रप्रेम, देशाभिमान, त्याग व बलिदान की भावना को बरकरार रखने के लिए प्रेरित किया है। इसीलिए कवि ने स्वतंत्रता के दीपक सदैव प्रज्वलित रखने के लिए कहा है। स्वतंत्रता का दीपक हमारी अस्मिता एवं आजादी का प्रतीक है। इस दीपक के प्रति प्रत्येक भारतीय के मन में सम्मान एवं निष्ठा की भावना होनी चाहिए। इस दीपक से प्रेरणा लेकर भारतवासी अपने देश की रक्षा हेतु अग्रसर हो जाए। ऐसा कवि ने संदेश दिया है।

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भावार्थ:

1. घोर अंधकार हो —————— प्राण के समान है।

किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता का मोल नहीं किया जा सकता। स्वतंत्रता की कीमत हमेशा अधिक होती है। इसीलिए कवि नेपाली कहते हैं, भले ही चारों ओर घोर अंधकार छाया हुआ हो या फिर हवा तेजी से बह रही हो, फिर भी प्रत्येक भारतीय के हृदय द्वार पर जलता हुआ यह स्वतंत्रता का दीया बुझना नहीं चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति स्वतंत्रता की भावना को बरकरार रखें। स्वतंत्रता का यह दीप रात का दीया है यानी अंधकाररूपी परतंत्रता से इस दीपक ने सभी के जीवन में स्वतंत्रता रूपी विहान भर दिया है।

स्वतंत्रता का यह दीपक शक्ति से परिपूर्ण है। स्वयं शक्ति ने ही इसे हमें प्रदान किया हुआ है। अत: इस दीए को हम शक्ति को ही अर्पित करेंगे। इस दीए के प्रति हम सब भारतीयों की भक्ति समाहित हुई है। मानो भक्ति ने ही हमें इसे प्रदान किया हो। इस प्रकार स्वतंत्रता के इस दीए में शक्ति व भक्ति दोनों का समन्वय है। भले ही नाव पानी में तेजी से चल रही हो और पानी का बहाव भी वेगवान हो, फिर भी गंगा नदी के जल में इस दीए को हम बुझने नहीं देंगे क्योंकि यह हमारे स्वदेश का दीया है जो हमें अपने प्राणों के समान प्रिय है।

2. यह अतीत कल्पना ——————- ज्योति का वितान है।

कवि नेपाली कहते है, स्वतंत्रता का दीपक हमारे लिए अतीत की कल्पना की भाँति है। यानी हमारे पुरखों ने इसे प्रज्वलित रखने के लिए अपने प्राण अर्पण कर दिए थे। इसीलिए हम इस दीए के समक्ष विनम्र प्रार्थना करते हैं। यह दिया हमारे लिए पवित्र भावना है। स्वतंत्रता के इस दीए को हमने अपनी अनंत साधना के बाद प्राप्त किया है। अत: जीवन में निर्माण होने वाली हर स्थिति यानी कि शांति में या अशांति में, युद्ध की स्थिति हो या संधि की या फिर देश में क्रांति हो, फिर भी तीर पर या नदी के किनारे पर हम इस दीए को बुझने नहीं देंगे। हमारे जीवन में यह स्वतंत्रता का दीपक ज्योति का वितान लेकर आया है।

3. तीन चार फूल हैं ——————— पुण्य प्राण दान है।

कवि नेपाली कहते हैं, स्वतंत्रता के इस दीपक के प्रति हम भारतीयों में निष्ठा एवं श्रद्धा है। इस दीए के आस-पास तीन-चार फूल हैं। चारों ओर धूल भी है। बास और बबूल के पेड़ भी हैं। घास के दुपट्टे हैं। हवा की लहर उसे आकर स्पर्श भी करती है। फिर भी किसी शहीद की कब्र पर या किसी स्वतंत्रता सेनानी की समाधि पर हम इस दीए को बुझने नहीं देंगे। स्वतंत्रता का यह दीपक हमारे लिए किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है। इससे प्रेरणा लेकर हम भारतीय अपनी आजादी को बरकरार रखने का प्रयास करेंगे।

4. झूम-झूम बदलियाँ ———————– स्वतंत्र गान है।

कवि नेपाली कहते हैं, आसमान में तूफानी बादल मँडरा रहे हों। बिजलियाँ कड़क रही हों। आँधी निर्माण हो गई हो और उसने हलचलें मचाना शुरू कर दिया हो। भले ही देश के अंतर्गत दंगे फसाद हो रहे हों व्यथा, वेदना एवं यातना का साम्राज्य निर्माण हुआ हो। फिर भी किसी की क्षुद्र जीत-हार पर यह दीया बुझना नहीं चाहिए। आखिर यह दिया हमारे लिए स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है। यह हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह हमारी अस्मिता की पहचान है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 11 स्‍वतंत्रता गान

शब्दार्थ:

  1. बयार – हवा
  2. निशीथ – निशा, रात
  3. विहान – सवेरा
  4. कछार – किनारा
  5. वितान – आकाश, गगन
  6. दुकुल – दुपट्टा
  7. हिलोर – लहर

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 1

2. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
i. कवि ने इसे पार करने के लिए कहा है – (नदी, पर्वत, सागर)
ii. कवि ने इसे अपनाने के लिए कहा है – (अंधेरे, उजाला, सबेरा)
उत्तर:
i. कवि ने पर्वत को पार करने के लिए कहा है।
ii. कवि ने अंधेरे को अपनाने के लिए कहा है।

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3. ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

  1. जीत का आनंद मिलेगा
  2. बहार
  3. गुरु

उत्तर:

  1. हार की पौड़ा सहने पर क्या मिलेगा?
  2. पतझड़ के बाद कौन मजा देती है?
  3. कवि के अनुसार हार मनुष्य के लिए क्या है?

4. अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। 

प्रश्न 1.
अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि करते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हर आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। हार आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए हार जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

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5. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
पाठ्येतर किसी कविता की उचित आरोह-अवरोह के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति कीजिए।
उत्तर :
मेरा माझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।

पर जो बार-बार बाधा बन कर आएँ
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।

जान-बूझ कर मेरे पथ में आती हैं
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें।

मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ
उतना ही मिलती हैं ये ग्रीवा ताने।

रख अपनी पतवार, कुदाली लेकर मैं
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव बढ़ाए जाता हूँ।

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

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6. भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
“निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए।
उत्तर:

अशुद्ध वाक्यशुद्ध वाक्य
1. वृक्षों का छाया से रहे परे।1. वृक्षों की छाया से रहो परे।
2. पतक्षड़ के बाद मजा देता है2. पतझड़ के बाद मजा देती है बार।
3. फूल के रास्ते को मत अपनाओ।3. फूलों के रास्तों को मत अपनाओ।
4. किनारों से पहले मिला मझधार।4. किनारों से पहले मिले मझधार।
5. बरसाओं मेहनत का बूंदों की फुहार।5. बरसाओ मेहनत की बूंदों का फुहार।
6. जिसने जीवन का दिया संवार।6. जिसने जीवन को दिया सँवार।

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7. रचनात्मकता की ओर कल्पना पल्लवन

प्रश्न 1.
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ इस विषय पर भाषाई सौंदर्यवाले वाक्यों, सुवचन, दोहे आदि का उपयोग करके निबंध/ कहानी लिखिए।
उत्तर:
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।।
हिंदी के रीतिकालीन प्रसिद्ध कवि वृंद की यह प्रसिद्ध पंक्ति हमें कर्म के प्रति प्रेरित करती है। कवि ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपना मत प्रकट करते हुए कहा है कि कोमल रस्सी के बार-बार आने-जाने से सिल अर्थात पत्थर भी घिस जाता है। उसी प्रकार निरंतर अभ्यास करते रहने के कारण जड़-बुद्धि व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है, वह अपने मंजिल को प्राप्त कर लेता है। निरंतर परिश्रम एवं अभ्यास से असंभव कार्य भी संभव हो जाया करते हैं। असफलता भी सफलता बन जाती है।

एक साधक और योगी निरंतर योग का अभ्यास करके परम तत्त्व का दर्शन कर लेता है। अतः एव लगनपूर्वक निरंतर अभ्यास करने वाला सामान्य व्यक्ति भी सफलता के दर्शन कर लेता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि निरंतर अभ्यास करने वाले ही सफलता के उन शिखरों पर पहुंच सके हैं, जो अत्यंत विषम एवं कठिन थे। इसी कारण उनके सम्मुख आज भी दुनिया नतमस्तक हो रही है।

अभ्यास करना एक साधना है और सच्चे मन से की गई साधना कभी व्यर्थ नहीं होती है। निराशा को कभी भी मन में नहीं आने देना चाहिए। अभ्यास ही सौढ़ी-दर-सीढ़ी उस शिखर तक ले जाता है जिसकी सुंदर चौटियाँ बार-बार मन को आकर्षित करके वहाँ तक चले आने के लिए आमंत्रित करती हैं। निश्चित मंजिल तक पक्के निश्चय के साथ बढ़ते ही जाना है। रुकने का अर्थ है अंत, जो कि मृत्यु का प्रतीक है और जीवन का अर्थ है ‘चरैवेतिचरैवेति’ अर्थात निरंतर चलते रहना, गतिशील रहना। इसके लिए आवश्यक है सतत अभ्यास तथा आलस्य और प्रमाद का त्याग।

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8. पाठ के आँगन में

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 2

प्रश्न 2.
‘हर बार कुछ सिखा कर ही गई, सबसे बड़ी गुरु है हार इस पंक्ति द्वारा आपने जाना……………
उत्तर :
इस पंक्ति द्वारा हमने यह जाना कि जब-जब हार हुई उस हार ने अपने पीछे कुछ-न-कुछ सीख जरूर छोड़ी। वह हार क्यों और किन कारणों से हुई, इसे जानने और समझने का मौका मिला। उस झर से प्रेरित होकर ही आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसलिए हार सबसे बड़ी गुरु है।

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प्रश्न 3.
कविता के दूसरे चरण का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हर भी गए तो कोई बात नहीं जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 3

प्रश्न 2.
ऐसे प्रश्न नैवार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द
i. फूलों के रास्ते
ii. वृक्षों को छाया
उत्तर :
i. कवि किस रास्ते को अपनाने के लिए मना कर रहे है?
ii. कवि किससे परे रहने का संदेश दे रहे हैं?

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प्रश्न 3.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 4

कृति क (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
फूलों के रास्तों को मत अपनाओ,
और वृक्षों की छाया से रहो परे।
रास्ते काँटों के बनाएंगे निडर
और तपती धूपी लाएगी निखार।।
जिंदगी की बड़ी जरूरत है हर….!
उत्तर:
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते है कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की अया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं। जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

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(ख) पद्यांश घड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हरे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सौख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 5

जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन परिचय : श्री महकी जी का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ। ये इंजीनियरिंग कॉलेज में सहप्राध्यापक हैं। हिंदी और मराठी भाषा के प्रति इनका गहरा लगाव है।
प्रमुख कृतियाँ : गीत और कविताएँ, शोध निबंध आदि।

पद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानीः ‘नवनीत’ हिंदी काव्य-धारा की यह एक नवीन विधा है। ‘नवगीत’ एक यौगिक शब्द है जिसमें नव (नई कविता) और गीत (गीत विधा) का समावेश होता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता ‘जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार के माध्यम से कवि महकी जी ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि जीवन में कभी भी हार एवं असफलता से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हर से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

सारांश :

कवि कहते हैं कि हमें हार से कभी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। ये हार हमें और उन्नत बना देती है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सतत संघर्ष करते रहना चाहिए। जिंदगी में मुसीबतों से गुजरना पड़ता है, काँटो भरी राह पर चलना पड़ता है, ऊँचेऊँचे पर्वतों को पार करना पड़ता है। इनका सामना करते समय कभी-कभी हम हार भी जाते हैं तो कोई बात नहीं। हमें दुबारा फिर प्रयास करना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहिए। हर हमारी सबसे बड़ी गुरु है। उसका आभार प्रकट करना चाहिए क्योंकि ये हर हमारे जीवन का संवार देती है।

सरल अर्थ :

रुला तो …………………………… जरूरत है हार…!
कवि कहते हैं कि जीवन में किसी भी घर से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हटकर उसका सामना करना चाहिए। हर हमें हमेशा रुलाती तो है परंतु अंदर से उन्नत बना देती है अर्थात अमली जीत के लिए और अधिक सतर्क और तैयार कर देती है। किनारा मिलने से पहले हमें मझधार की तेज लहरों का सामना करना चाहिए यानी जीवन की कठिनाइयों एवं मुश्किलों से संघर्ष कर मंजिल हसिल करनी चाहिए। यदि मंजिल प्राप्त करते समय हर हो जाए तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी के लिए बार भी बहुत जरूरी है।

फूलों के …………………………. जरूरत है हार …!
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहे अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएंगे और तपती हुई धूप तुममें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं । जीतने के लिए जिंदगी में झरना भी बहुत जरूरी है।

सरल राह…………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हारे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सीख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

उजालों की ………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर व्यक्ति अपने जीवन में उजाला चाहता है। जीवन में उजाले की उम्मीद करना भी उचित ही है परंतु एक बार अंधेरे को भी तो अपनाओ। उपजाऊ जमीन हो और पानी की उचित व्यवस्था हो तो फसल आसानी से उगाई जा सकती है। परंतु एक बार बिना पानी के बंजर जमीन पर परिश्रम करके अपने पसीने की फुहारें (द) बरसा कर तो देखो। यदि फसल नहीं उगी तो कोई बात नहीं। जिंदगी में हारना भी जरूरी है। इस हार के बाद नए तजुर्बे और उमंग के बल पर तुम पुन: नई फसल उगा लोगे।

जीत का…………………………….. जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर जीत का आनंद भी तभी मिलेगा जब तुम हार के अपार दुखों को सहे रहोगे क्योंकि हर आँसू और दुख के बाद आने वाली मुस्कान चारों तरफ फैल जाती है और पतझड़ के बाद आने वाली वसंत आनंद दाई होती है। इसलिए जिंदगी में हार बहुत जरूरी है क्योंकि हार के बाद मिलने वाली जीत बहुत ही आनंद देने वाली होती है।

आभार प्रकट …………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हार आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। घर आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए सर जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

शब्दार्थ :

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. मझधार – धारा के बीच में
  3. परे – दूर
  4. निडर – निर्भय
  5. निखार – चमक
  6. हौसला – उत्कंठा, उत्साह
  7. तकदीर – भाग्य
  8. जायज – उचित
  9. बंजर – ऊसर, अनुपजाऊ
  10. फुहार – हल्की बौछार, वर्षा
  11. अपार – असीमित
  12. मज़ा – आनंद
  13. बहार – बसंत
  14. आभार – एहसान
  15. संवारना – सजाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 लघुकथाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 लघुकथाएँ Textbook Questions and Answers

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘पर्यावरण संवर्धन’ संबंधी कोई पथ नाट्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः

  • सीमा: अरे देवेश, तुम कैसे हो? आज तुम इतने चिंतित क्यों दिख रहे हो?
  • देवेश: हाँ, मैं पर्यावरण-प्रदूषण को लेकर में थोड़ा चिंतित हूँ।
  • सीमा: मुझे पता है, पृथ्वी प्रदूषण से पीड़ित है और यह प्रदूषण भी दिनोंदिन खतरनाक होता जा रहा है।
  • देवेश: पर्यावरण-प्रदूषण न केवल प्रकृति के लिए खतरनाक है, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों एवं पेड़-पौधों के लिए भी खतरनाक है।
  • सीमा: तुम्हें क्या लगता है कि आगे क्या होने जा रहा है?
  • देवेश: पर्यावरण-प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। यह विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में असंतुलन का कारण बनता है।
  • सीमा: हाँ, हमें हर किसी को इसके हानिकारक प्रभावों से अवगत कराना चाहिए तथा इसके संवर्धन के लिए सबको जागरूक करना चाहिए।
  • देवेश: हमें ‘पर्यावरण-संवर्धन’ के बारे में लोगों को बताना चाहिए।
  • सीमा: लेकिन ये पर्यावरण-संवर्धन कैसे होगा?
  • देवेश: सीमा, प्रदूषण
  • मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा-प्रदूषण और जल प्रदूषण। जल प्रदूषण को रोकने के लिए हमें नदियों के पानी को गंदा नहीं
  • करना चाहिए। साफ पानी में कचरा नहीं फेकना चाहिए।
  • सीमा: वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है?
  • देवेश: कल कारखानों से उठने वाली जहरीली गैसों से वायु में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है इस समस्या को दूर करने के लिए कलकारखानों को शहरों से दूर बनाना चाहिए, तथा मृदा प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में कीटनाशक तथा औद्योगिक कचरा फेंकने के कारण होता है। इसे हमें रोकना चाहिए।
  • सीमा: यह तो बड़ी खतरनाक स्थिति है!
  • देवेश: हाँ बहुत खतरनाक! अगर हम इन प्रदूषणों को शीघ्र दूर नहीं करेगें तो यह पर्यावरण की समस्या और बढ़ती ही जाएगी।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

लेखनीय:

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की जानकारी प्राप्त करके लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश की ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी’ भारतीय सशस्त्र सेना की एक संयुक्त अकादमी है। जहाँ तीनों सेनाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एक साथ प्रशिक्षित किया जाता है। यह महाराष्ट्र के पुणे के करीब खड़कवासला में स्थित है। यहाँ के छात्रों ने अपनी वीरता से पूरे देश के सम्मान में चार चाँद लगाया है। इस अकादमी की शुरूआत 1 जनवरी 1949 को देहरादून में ‘आर्मड फोर्सेस अकादमी’ के नाम से किया गया। 6 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा रक्षा अकादमी की नींव रखी गई। औपचारिक रूप से 7 दिसम्बर 1954 को इसे प्रारंभ किया गया। 16 जनवरी 1955 को वायु सेना अकादमी को भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल किया गया। इस अकादमी में लिखित परीक्षा द्वारा आवेदकों का चयन किया जाता है तथा चिकित्सा परीक्षण के साथ-साथ विस्तृत साक्षात्कार का सामना करना पड़ता है।

वे कैडेट जिन्हें स्वीकार किया जाता है और जो सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम को पूरा करते हैं उन्हें उनके संबंधित सेवा में अधिकारियों के रूप में कमीशन किया जाता है। कैडेट अपने तीन वर्ष के अध्ययन के बाद डिग्री प्राप्त करता है। कैडेटों के पास अध्ययन की दो-धाराओं का विकल्प होता है -विज्ञान संकाय और कला संकाय। इसके अलावा कैडेटों को एक विदेशी भाषा लेनी होती है। यह विशेष बात है कि कैडेटों को विदेशी भाषा के अलावा इन सभी विषयों में बुनियादी शिक्षा लेनी पड़ती हैं। सभी कैडेट जो सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम को पूरा करते हैं उन्हें सशस्त्र बलों में अधिकारी के रूप में कमीशन किया जाता है।

इसलिए सैन्य नेतृत्व और प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके अलावा कैडेटों को बाहरी गतिविधियों का चुनाव करना होता है। जिसमें पैरा-ग्लाइडिंग, नौकायन, तलवारबाजी, घुड़सवारी आदि। इस अकादमी के कई छात्रों ने महत्वपूर्ण संघर्षों में देश का नेतृत्व किया है। इसलिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी हमारे देश की सुरक्षा प्रणाली का आधार स्तंभ है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

कृति क (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. शिक्षक
2. बेटी
उत्तर:
1. शिक्षिका
2. बेटा

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. शिक्षक
2. मैं
उत्तर:
1. शिक्षकगण
2. हम

कृति क (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘सैनिक हमारे देश की रीढ़’ विषय पर अपने विचार 6 से 8 वाक्यों में लिखिए।
उत्तर:
“मातृभूमि का मान बढ़ाए जो, होता सैनिक वह सच्चा है, जिसको स्वदेश से प्यार नहीं, उस नर से पशु ही अच्छा है।” सैनिक एक सच्चा देशभक्त होता है। वह पूरे तन-मन से देश के प्रति समर्पित रहता है। हमें भारतीय सैनिकों का सम्मान करना चाहिए। उनकी भावनाओं का आदर करना चाहिए। सैनिक ही वह शक्ति है, जिसके बल पर हम चैन की नींद सोते हैं। देश की सुरक्षा के लिए हमारे भारतीय सैनिक अपनी जान की बाजी लगा देते हैं और हम उनका सम्मान करना ही भूल जाते हैं। आजकल तो भारतीय सैनिक पर भी राजनेता राजनीति करते हैं, यह शर्म का विषय है। हमें अपने सैनिकों का आदर हृदय से करना चाहिए।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. राजेश काका साब को यह समझा रहा था –
2. सबको घर में यह खटक रहा था –
उत्तर:
1. कार रखने में दिक्कत आएगी, पेड़ तो कटवाना ही पडेगा न!
2. बाउंड्रीवाल में बाधक बन रहा नीम का पेड़।

सही विधान चुनकर पूर्ण वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
काका साब की चुप्पी राजेश को……
(क) अच्छी लग रही थी।
(ख) बुरी लग रही थी।
(ग) खल रही थी।
उत्तर:
काका साब की चुप्पी राजेश को खल रही थी।

प्रश्न 2.
राजेश ने कनखियों से…….
(क) प्रतीक को देखा।
(ख) काका को देखा।
(ग) नीम के पेड़ को देखा।
उत्तर:
राजेश ने कनखियों से काका को देखा।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द युग्मों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर:
1. देखते-देखते
2. कहते-कहते

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

प्रश्न 2.
गद्यांश से विरुद्धार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
1. कभी-कभी x …….
2. अव्यवस्था x …….
उत्तर:
1. हमेशा
2. व्यवस्था

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘वृक्षों को काटकर हम अपनी जीवनडोर काटते हैं।’ इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वृक्ष हमारी प्राकृतिक संपदा है। लेकिन मानव इतना स्वार्थी बन गया है कि उसने खुद के फायदे के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई करनी शुरू कर दी है। उन्हें काटकर हम अपनी जीवनडोर काट रहे हैं। यदि हम वृक्षों को काटेंगे तो नुकसान हमारा ही होने वाला है। वृक्षों की कटाई करने से प्रदूषण बढ़ रहा है। वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण वर्षा अनियमित रूप से हो रही है। प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ गया है। आज कई जीव नष्ट हो गए हैं और कई नष्ट होने की कगार पर हैं। इससे पर्यावरण-संतुलन भी खतरे में पड़ गया है।

लघुकथाएँ Summary in Hindi

लेखिका-परिचय:

जीवन-परिचय: लेखिका ज्योति जैन का जन्म मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर में हुआ था। इन्होंने विशेषतः कथा साहित्य एवं समीक्षा के क्षेत्र में लेखन किया है। इनकी रचनाएँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।

प्रमुख कृतियाँ: लघुकथा संग्रह – ‘जल तरंग’, ‘कहानी संग्रह’, ‘भोरवेला’

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

गद्य-परिचय:

लघुकथा: हिंदी साहित्य में लघुकथा एक नवीनतम विधा है। यह किसी बहुत बड़े परिदृश्य में से एक विशेष क्षण/प्रसंग को प्रस्तुत करने का चातुर्य है। इसका विषय पूरी तरह से विकसित होता है; किंतु किसी उपन्यास से कम विस्तृत होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत लघुकथा ‘दावा’ में लेखिका ने अप्रत्यक्ष रूप से सैनिकों के योगदान को देश के लिए सर्वोपरि बताया है। नीम का
पेड़’ लघुकथा में लेखिका ने यह सीख दी है कि पर्यावरण के साथ-साथ हमें बड़ों की भावनाओं का आदर करना चाहिए।

सारांश:

दावा: देशभक्ति के दावे की बहस में समाज का हर वर्ग (शिक्षक, चिकित्सक, इंजीनियर, बिजनेसमैन, किसान, नेता इत्यादि स्वयं को बड़े त्यागी होने का दावा पेश कर रहा था। जब रिटायर्ड फौजी से पूछा गया तो उसने सिर्फ यही कहा कि ‘किस बिना पर कुछ कहूँ। मेरे पास तो कुछ नहीं, तीनों बेटे पहले ही फौज में शहीद हो गए हैं।’

नीम का पेड़: राजेश के घर में गैरेज बनाने के लिए उसके काका के मना करने के बाद भी नीम का पेड़ काटे जाने की बात की जाती है। उसी समय उसका बेटा प्रतीक अपने पिता को एक पौधा भेंट करते हुए कहता है कि पापा आज मैं ‘फादर्स डे’ के दिन आपके लिए ये गिफ्ट लाया हूँ। इसे ऐसी जगह लगाएँ जहाँ भविष्य में इसे कोई काटे नहीं। राजेश को अपनी गलती का अहसास होता है और वह नीम के पेड़ को कटवाने का विचार छोड़ देता है।

शब्दार्थ:

  1. नौनिहाल – होनहार बच्चे
  2. चिकित्सक – चिकित्सा करने वाला वैद्य
  3. खादीधारी – खादी पहनने वाले
  4. योगदान – किसी काम में साथ देना
  5. शहीद – शहादत देने वाला
  6. बाउंड्रीवाल – चहारदीवारी
  7. खटकना – मन में किसी अनहोनी का डर होना
  8. दिक्कत – तकलीफ, परेशानी
  9. खलना – चुभना, बुरा लगना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

मुहावरे:

  1. धीरे-धीरे खिसकना – चुपके से दूसरे की नजर बचाकर निकल जाना।
  2. पेश करना – प्रस्तुत करना।
  3. दावा जताना – अधिकार जताना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 छोटा जादूगर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 छोटा जादूगर Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण लिखिए 

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण लिखिए
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 1

2. छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः

प्रश्न 1.
छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 2.

3. ‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।
उत्तर :
i. अभिनेता
ii. बरतन

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4. विधान को सही करके लिखिए। 

प्रश्न 1.
विधान को सही करके लिखिए।
i. ताश के सब पत्ते पीले हो गए।
ii. खेल हो जाने पर चीजें बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।
उत्तर :
i. ताश के सब पत्ते लाल हो गए।
ii. खेल हो जाने पर पैसा बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।

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5. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ।

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति अव्यय शब्दों से कीजिए और नया वाक्य बनाइए।
उत्तर:
i. जहाँ एक लड़का चुपचाप देख रहा था।
वाक्य:
मोहन नदी की लहरों को चुपचाप देख रहा था।

ii. मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ।
वाक्य:
हिंसक शेर मेरी ओर चला आ रहा था।

iii. हाँ! मैं सच कहता हूँ बाबू जी।
वाक्य :
हाँ! मैं छोटा जादूगर हूँ।

iv. अकस्मात किसी ने ऊपर के हिंडोले से पुकारा।
वाक्य :
अकस्मात रमेश छत के ऊपर से कूद गया।

v. मैं बिना बुलाए भी कहीं जा पहुँचता हूँ।
वाक्य:
मैं बिना पढ़े परीक्षा नहीं देता हूँ।

vi. लेखकों और वक्ताओं की न जाने क्या दुर्दशा होती।
वाक्य :
मोहन और गणेश एक अच्छे मित्र हैं।

vii. वाह ! क्या बात।
वाक्य:
वाह ! आप मैच जीत गए।

viii. वह बाजार गया क्योंकि उसे किताब खरीदनी थी।
वाक्य :
मै प्रतिदिन पड़ता हूँ क्योंकि मुझे परीक्षा में अच्छे अंक लाने हैं।

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6. रचनात्मकता की ओर संभाषणीय

प्रश्न 1.
माँ के लिए छोटे जादूगर के किए हुए प्रयास समावण बताइए।
उत्तर:
छोटा जादूगर अपनी माँ की दवा के लिए कार्निवाल के मैदान में जाता है, जहाँ पर उसकी मुलाकात लेखक से होती है। वह उन्हें अपनी माँ और पिता जी के बारे में बताता है। लेखक द्वारा शरबत पिलाने के बाद वह उनसे कहता है कि यदि आप मुझे शरबत न पिलाकर मेरा खेल देखकर कुछ पैसे दे देते तो माँ के लिए मैं पथ्य ले लेता। लेखक जब उसे निशानेबाजी के लिए ले गए तो उसने सभी बारह खिलौने जीत लिए।

लेखक फिर उससे कोलकाता के बोटेनिकल उद्यान में मिले जहाँ पर वह खिलौनों को लेकर तमाशा दिखाकर अपनी माँ के लिए एक सूती कंबल खरीदने की इच्छा लिए था। एक दिन लेखक जब मोटर से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें एक झोंपड़ी के पास खड़ा मिला। उसने लेखक को बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। जब लेखक झोपड़ी के अंदर गए तो उन्होंने देखा कि छोटा जादूगर अपनी माँ के शरीर पर कंबल डाले उससे लिपट कर निरीह भाव से उसे निहार रहा है।

एक दिन छोटा जादूगर निर्मल धूप में सड़क के किनारे अपना तमाशा दिखा रहा था किंतु उसकी वाणी में प्रसन्नता न थी। लेखक द्वारा पूछने पर उसने बताया कि उसकी माँ का समय समीप है और उसने मुझे जल्दी घर बुलाया है। फिर वह पैसा बटोरकर लेखक के साथ अपने घर को चल दिया किंतु घर पहुँचकर पता चला कि उसकी माँ अब नहीं रही।

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7. मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘माँ’ विषय पर स्वरचित कविता प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
है साथ मेरे हरदम, बनकर एक साया,
उसने ही मेरा जीवन महकाया।

तकलीफ में भी मुस्काती है,
हर गम खुशी से सह जाती है।

मेरी राहों पर फूल बिछाती वो,
खुद काँटों पर सो जाती है।

ममता की सूरत है माँ,
भगवान की छवि कहलाती माँ ।

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8. आसपास :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय के किसी समारोह का सूत्र संचालन कीजिए।
उत्तर:
सूत्र-संचालन (गणतंत्र दिवस)
आज के इस आज़ादी के जश्न में, मैं रामकुमार विद्यालय में पधारे हमारे अपने सभी खासो-ओ-आम का बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ-जय हिंद कहता हूँ। मैं अपने सभी विशिष्ट अतिथियों, समाजसेवियों, हमारे गुरुजनों, सभी पधारे हुए आज़ादी के दीवानों और हमारे साथियों को हमारे विद्यालय की तरफ से गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँबधाइयाँ देता हूँ। शुभकामनाएँ इसलिए कि हमने लगभग 200 साल की परतंत्रता सहन करने के बाद यह अनमोल आज़ादी की फ़िज़ा पाई है।

और यह आज़ादी, यह अपनी पसंद से जीने का अधिकार हमें सदा प्राप्त हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ मैं रामकुमार हमारे विद्यालय की तरफ से आप सब देशभक्तों का इस आज़ादी के जश्न में स्वागत करता हूँ-वंदे मातरम कहता हूँ। वतन पर मर-मिटने के ज़माने गुज़र गए, मज़ा तो अब इसके लिए जीने में है। अपनी आज़ादी अपनी संप्रभुता के लिए एक बार जोरदार तालियाँ बजा दीजिए।

धन्यवाद! जी हाँ साथियों, ये जो हमारे अमर शहीदों ने बलिदानों के बीज इस मातृभूमि पर रोपे थे, आज उनकी टहनियों पर महकते फूल खिल आए हैं। इन फूलों की महक इस देश में ही नहीं, सारे संसार में फैले, इस कामना के साथ आइए आज के इस महोत्सव का शुभारंभ करते हैं।

इक चमक ताब इक मदहोशी, हर आलम चंगा होता है, इक हूक चमकती आँखों में, हर कतरा गंगा होता है। दिल में मतवाली मौज पले, मन सात आसमाँ छूता है, जब-जब अपने इन हाथों में, लहराता तिरंगा होता है। तो आइए, मित्रों ! सर्वप्रथम हम अपनी आन-बान-शान के प्रतीक हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का ध्वज वंदन करें।

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9. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
सियारामशरण गुप्त जी द्वारा लिखित ‘काकी’ पाठ के भावपूर्ण प्रसंग को शब्दांकित कीजिए।
उत्तर :
‘काकी’ शीर्षक कहानी में एक बच्चे के मन के भावों का वर्णन किया गया है। एक दिन श्यामू ने देखा कि उसकी माँ सिर से लेकर पैर तक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि पर लेटी हुई है । घर के लोग उसे घेरे हुए रो रहे हैं, पर श्यामू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? लोग जब उसकी माँ के मृत शरीर को उठाकर ले जाने लगे, तब उसने रो-रोकर तमाशा कर दिया। उसे बहुत समझाया गया फिर भी वह रोता रहा। कुछ दिन पश्चात् उसके मित्रों द्वारा पता चला कि उसकी माँ ऊपर राम के घर चली गई।

एक दिन श्यामू ने आकाश में पतंग उड़ते देखा। उसने सोचा,क्यों न वह एक पतंग आकाश में उड़ा दे और उसकी माँ पतंग के सहारे राम के घर से नीचे उतर आएगी। उसने पिता (काका) से पतंग दिलाने के लिए कहा, पर पिता ने पतंग नहीं दिलाई। एक दिन श्यामू ने अपने पिता की जेब से एक चवन्नी चुराई और अपने मित्र भोला से पतंग मँगवा ली। श्यामू ने सोचा पतंग पर ‘काकी’ लिखकर उड़ा देंगे और काकी इसे पकड़कर नीचे आ जाएगी।

भोला, श्यामू से अधिक समझदार था। उसने श्यामू को समझाया कि पतंग की डोर पतली है, काकी का भार सम्भाल नहीं पाएगी और टूट जाएगी। दूसरे दिन श्यामू ने अपने पिता की कोट से एक रूपया चुराया और मोटी रस्सी मँगवाई। जब श्यामू और भोला पतंग में रस्सी बाँध रहे थे, तभी श्यामू के पिता आ धमके और जब उन्हें पता चला कि श्याम ने उनकी जेब से पैसा निकाला है, तो उनको बहुत गुस्सा आया।

उन्होंने श्यामू को मारा और पतंग फाड़ दी। उनके डाँटने पर डर के कारण भोला ने बताया कि वह पतंग के सहारे अपनी काकी (माँ) को नीचे उतारना चाहता था। विश्वेश्वर ने जब भोला की बात सुनी तो उन्हें बहुत दुख हुआ। पतंग पर चिपके कागज पर ‘काकी’ लिखा देखकर वे हैरान रह गए। इस पाठ में बाल मन के निश्छल, निष्कपट प्रेम की मार्मिक अभिव्यक्ति की गई है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कश्चन सत्य है या असत्य लिखिए।

  1. लड़के की जेब में पेड़ के कुछ पत्ते थे।
  2. दोनों शरबत पीकर निशाना लगाने चले।
  3. लड़के के स्वभाव में संपूर्णता थी।

उत्तर :

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. दुख
ii. कारागार
उत्तर :
i. विषाद
ii. जेल

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. गरम × ……….
ii. बीमार × ………..
उत्तर :
i. ठंडा
ii. स्वस्थ

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
अपने नगर में आयोजित किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘जीवन में जिस प्रकार खेलकूद और मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के साधन उपलब्ध हैं, उन्हीं में से एक है जादू का तमाशा। एक दिन हमारे शहर में भी जादू के तमाशे का समाचार अखबार में छपा। अगले ही दिन पिता जी हमें जादू का खेल दिखाने ले गए। हमने टिकटें खरीदी और अंदर गए। थोड़ी देर बाद जादूगर स्टेज पर आया। उसने जैसे ही सबको अभिवादन किया ऊपर से फूल बरसने लगे।

फिर उसने अपनी टोपी उतारकर दिखाई जो एकदम खाली थी लेकिन उसने उसमें हाथ डाला तो खरगोश बाहर निकला और भाग गया। उसने दोबारा हाथ डाला तो तितलियाँ निकलकर उड़ने लगीं। हम सब यह देखकर हैरान हो गए। इसके बाद अगले खेल में उसने अलग-अलग रंगों के कपड़ों की तीन-चार छोटी-छोटी पट्टियाँ मुँह में रख ली और हवा में हाथ घुमाया। फिर मुंह से पट्टियाँ बाहर निकाली तो रंग-बिरंगे रूमाल निकलते चले गए। ऐसा जादू हमने कभी नहीं देखा था और अंत में, हम सब आपस में चर्चा करते हुए खुशी-खुशी घर लौटे।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
i. छोटा जादूगर को तब अधिक प्रसन्नता होती जब –
ii. देखने वाले इसलिए दंग रह गए क्योंकि –
उत्तर :
i. लेखक उसे शरबत न पिलाकर उसका खेल देखकर कुछ पैसे दे दिया होता।
ii. छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज निकला। उसकी कोई गेंद खाली नहीं गई।

कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए।
i. बीमार
ii. तमाशा
उत्तर :
i. बीमार + ई = बीमारी
ii. तमाशा + ई = तमाशाई

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प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. झूठ × ……………
ii. नीचे × …………..
उत्तर :
i. सच
ii. ऊपर

कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
जो व्यक्ति जीवन में अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, वे बचपन से ही सपने देखा करते हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
लक्ष्य को पाने के लिए व्यक्ति को बचपन से ही प्रयास करना पड़ता है। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होते हैं, वे बचपन से ही सपने देखते हैं। कल्पना चावला, न्यूटन, डॉ. अब्दुल कलाम आदि महापुरुषों ने बचपन से ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने का सपना देखा था और उस दिशा में कोशिश एवं अथक परिश्रम करना शुरू कर दिया था। इसी कारण वे अपने लक्ष्य तक पहुँच सके थे।

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(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 4

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 5

कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. गुड़िया – ………….
ii. जादूगर – …………
उत्तर :
i. गुड्डा
ii. जादूगरनी

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में माँ का महत्त्व’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में माँ का बहुत महत्त्व होता है। एक बालक का संपूर्ण संसार माँ ही होती है। माँ जीवन की प्रथम गुरु होती है। वह हमें चलना, बोलना और पढ़ना सिखाती है। उसके दिए संस्कारों से ही मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण करता है। वह हमारे लिए पढ़ाई-लिखाई, भोजन, कपड़े आदि का इंतजाम करती है। सचमुच, माँ सेह, ममता, सद्भावना और कर्तव्य-पालन की जीवंत मूर्ति होती है।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 6

प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुट गई।
ii. लेखक इडेन गार्डेन देखने के लिए चले।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने झोपड़ी में यह देखा –
उत्तर:
एक स्त्री चिथड़ो में लदी हुई काँप रही थी।

कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. श्रीमती
ii. स्त्री
उत्तर :
i. श्रीमान
ii. पुरुष

प्रश्न 2.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँडकर लिखिए।
उत्तर :
i. टुकड़े-टुकड़े
ii. धीरे-धीरे

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने बचपन में नन्हें कलाकारों को अपना तमाशा दिखाते हुए देखा होगा…’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैंने अपने बचपन में अनेक नन्हें कलाकारों को तमाशा दिखाते हुए देखा है। वे बाल कलाकार तमाशा दिखाते और उनके बदले कुछ पैसे या अनाज लेकर अपना पेट पालते हैं। यद्यपि उनके अंदर अनेक गुण होते हैं किंतु विषम परिस्थिति होने के कारण उनका वह गुण संपूर्ण दुनिया के सामने नहीं आ पाता है और वह जीवन पर्यंत सिर्फ अपना पेट ही पालते रह जाते हैं। सरकार और समाज को चाहिए कि वह इस प्रकार के बच्चों के लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था करें तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन और अवसर प्रदान करें; जिससे ये बच्चे भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना सकें।

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ङ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
i. लेखक का मन यहाँ से ऊब गया था –
ii. लेखक ने सड़क के किनारे यह देखा –
उत्तर :
i. कोलकाता से
ii. छोटे जादूगर का रंगमंच सजा हुआ।

प्रश्न 2.
विधानों को सही करके लिखिए।
i. तब भी तुम जादू दिखाने चले आए।
उत्तर :
i. तब भी तुम खेल दिखाने चले आए।

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कृति ङ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए।
i. समय
ii. परिचित
उत्तर:
i. अ + समय = असमय
ii. अ+ परिचित – अपरिचित

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. छुट्टी
ii. चेष्टा
उत्तर :
i. अवकाश
ii. प्रयत्न

प्रश्न 3.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. चलते-चलते
ii. सुख-दुख

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कृति छ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘माँ की ममता’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण इंसान ‘माँ’ होती है। वह हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है। ढेर सारे दुख और पीड़ा सहकर वह हमें अपनी कोख में रखती है। वह अपने वास्तविक जीवन में हमेशा हमारे बारे में सोचकर खुश हो जाती है। एक माँ अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वह हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक नि:स्वार्थ आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है।

छोटा जादूगर Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय :

जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सरायगोवर्धन में हुआ था। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी में क्वींस कालेज में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ संस्कृत, हिंदी, उर्दू तथा फारसी का अध्ययन इन्होंने किया। प्रसाद जी हिंदी साहित्य के छायावादी कवियों के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ये हिंदी साहित्य में कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं।

प्रमुख कृतियाँ :

  • काव्य – ‘झरना’ , ‘आँसू’, ‘लहर’, आदि।
  • महाकाव्य – ‘कामायनी’
  • ऐतिहासिक नाटक – ‘स्कंदगुप्त’,’चंद्रगुप्त’, ‘धुवस्वामिनी।
  • कहानी संग्रह – ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘इंद्रजाल’ आदि।
  • उपन्यास – ‘कंकाल’, ‘तितली,’ ‘इरावती’।

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गद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानी: किसी विशेष घटना की रोचक एवं आकर्षक ढंग से संवाद के रूप में प्रस्तुति ‘संवादात्मक कहानी’ कहलाती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष, बीमार माँ की देखभाल और उसके चातुर्यपूर्ण साहस को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। मानवीय संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना ‘छोटे जादूगर’ के माध्यम से की गई है।

सारांश :

प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष को उजागर किया है। इस कहानी में जयशंकर प्रसाद खुद एक पात्र हैं; जो एक लड़के के मन को पढ़ने का प्रयत्ल कर रहे हैं। उस समय के वातावरण का वर्णन करते हुऐ प्रसाद जी लिखते हैं कि कार्निवाल के मैदान में बिजली के जगमगाहट, हँसी और विनोद के कलनाद के बीच वे उस लड़के की तरफ आकर्षित हुए जिसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी सूत की रस्सी पड़ी थी और उसके जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।

लेखक उसे खेल दिखाने ले गए। रास्ते में बातचीत के दौरान लेखक को पता चला कि लड़के के घर में उसके माँ और पिताजी भी हैं। उसके पिता जी देश के लिए जेल में बंद हैं और माँ बीमार है। लड़के ने लेखक को बताया कि उसकी माँ बीमार है और उसके दवा के लिए वह तमाशा दिखाकर कुछ पैसे इकट्ठा करना चाहता है। माँ के प्रति ममता देखकर लेखक उसे निशाना लगाने की जगह ले गए। जहाँ लड़के ने बारह खिलौने जीते और वहाँ से नौ-दो ग्यारह हो गया।

एक बार फिर लेखक को वह छोटा जादूगर कोलकाता के सुरम्य बोटेनिकल उद्यान में दिखाई दिया जहाँ लेखक अपनी मित्र मंडली के साथ जलपान कर रहे थे। लेखक के मना करने के बावजूद उनकी श्रीमती ने उस लड़के को तमाशा दिखाने के लिए कहा। लड़के ने अपना तमाशा दिखाया जिसे देखकर सब लोग प्रसन्न हुए और लेखक सोचता रहा कि ‘बालक को आवश्यकता ने कितना शीघ्र चतुर बना दिया है। यही तो संसार है।

एक दिन शाम के समय लेखक अपनी गाड़ी से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें झोपड़ी के पास मिला और उनको बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। लेखक ने अंदर जाकर देखा तो उसकी माँ झोंपड़ी में चिथड़ों से लिपटी हुई पड़ी थी।

लेखक की जेहन में वह छोटा जादूगर घर कर गया। वह सोचता है कि छोटा जादूगर कितना निश्छल, कितना परिश्रमी, बाल-सुलभ चेष्टाएँ और बीमार माँ की जिम्मेदारी किस तरह वहन करता है।

एक दिन लेखक जब जा रहे थे तो उन्होंने छोटे जादूगर को तमाशा दिखाते हुए देखा किंतु उस जादूगर की वाणी में वह प्रसन्नता न देखकर उन्होंने कारण पूछा तो लड़के ने बताया कि उसकी माँ बहुत बीमार है और घर जल्दी आने को बोली है। लेखक उसे लेकर उसके घर पहुँचे तो उसकी बीमार माँ के मुख से सिर्फ ‘बे …’ शब्द निकलकर ही रह गया। जादूगर अपनी माँ से लिपटकर रोने लगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

शब्दार्थ :

  1. विषाद – दुख
  2. हिंडोले – झूला
  3. जलपान – नाश्ता
  4. घुड़कना – डॉटना
  5. वाचालता – अधिक बोलना
  6. जीविका – रोजी-रोटी
  7. ईर्ष्या – जलना, दवेष
  8. चिथड़ा – फटा पुराना कपड़ा
  9. बेष्टा – प्रयत्न
  10. समीप – पास, निकट, नजदीक
  11. अनुपात – प्रमाण, तुलनात्मक
  12. समग्न – संपूर्ण
  13. जगमगाना – चमकना
  14. कलनाद – मधुर ध्वनि
  15. गंभीर – गहरा, भारी
  16. सहमत – एकमत, राजी
  17. पथ्य – रोगी को दिया जाने वाला भोजन
  18. सुरम्य – बहुत सुंदर, रमणीय
  19. कमलिनी – छोटा कमल
  20. सयाना – बुद्धिमान
  21. बटोरना – समेटना, इकट्ठा करना
  22. अस्ताचलगामी सूर्य – पश्चिम दिशा में भागता हुआ सूरज
  23. स्मरण – स्मृति, याद
  24. स्फूर्तिमान – सक्रिय
  25. अविचल – स्थिर
  26. स्तब्ध – संज्ञाहीन, स्थिर
  27. विनोद – प्रसन्नता, खेल-कूद
  28. फुहारा – फव्वारा
  29. धैर्य – शांति
  30. निकम्मा – जो कोई काम न करता हो
  31. तिरस्कार – अपमान
  32. व्यग्र – व्याकुल
  33. उद्यान – बगीचा, फुलवारी
  34. अभिनय – भावाभिव्यक्ति

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मुहावरे :

  • दंग रहना – चकित होना
  • मन ऊब जाना – उकता जाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 सागर और मेघ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers

1. स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(क) सागर
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(ख) मेघ भरने वाला।
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(ग) मनुष्य
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(क) सागर

3. समानार्थी शब्द बताइए।

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 1

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।

हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 2

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।

इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

आसपास:

प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।

आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।

वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।

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प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1.  दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला(क) वाड़व
2. सागर को नित्य जलाने वाला(ख) मेघ
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(ख) मेघ
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(ग) मनुष्य

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 3

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)

प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।

सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 4

प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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कृति ग (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 5

सागर और मेघ Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।

प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।

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गद्य-परिचय:

संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।

सारांश:

सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।

फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।

सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।

मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

शब्दार्थ:

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. वारि – जल
  3. धरोहर – विरासत
  4. निरंतरता – अविरामता
  5. कायम रहना – बने रहना
  6. विकार – गंदगी
  7. तृप्त – संतुष्ट
  8. करतूत – कार्य
  9. हठात – हठपूर्वक
  10. वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
  11. मर्यादा. – सीमा
  12. आयास – विस्तार (आयाम)
  13. उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
  14. रसा – पृथ्वी
  15. वंध्या – बंजर
  16. निपात – गिरना
  17. आततायियों – अत्याचारियों
  18. चेत जाना – सावधान होना
  19. शास्ता – राजा, शासक
  20. आतुरता – उत्सुकता