Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना निबंध लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना निबंध लेखन

निबंध लेखन :

गद्य लिखना अगर कवियों की कसौटी है तो निबंध लिखना गद्यकारों की कसौटी है। निबंध शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है नि-बंध। बंध का अर्थ है बाँधना या बंधा हुआ इसमें लगे ‘नि’ उपसर्ग का अर्थ होता है अच्छी तरह से। अत: निबंध का तात्पर्य उस रचना से है जिसे अच्छी तरह बाँधा गया हो।

किसी भी विषय पर अपने भाव, विचार, अनुभव जानकारी इत्यादि को अपनी शैली में क्रमबद्ध कर अभिव्यक्त करना ही निंबध है। निबंध कैसे लिखा जाय? यह महत्त्वपूर्ण है। भाषा शैली का इसमें विशेष महत्त्व है।

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निबंध लेखन में महत्त्वपूर्ण बातें

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन 1

उपर्युक्त क्रम से अंकित एक से बारह तत्त्वों को अनुच्छेद के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है। इसी रूप में निबंध को विस्तार दिया जाता है। यदि इसको संक्षिप्त करना है तो दो तत्त्वों को एक अनुच्छेद में समाहित कर अभिव्यक्त किया जा सकता है।

विषय को भली प्रकार से समझ बूझकर उसकी भूमिका बाँधनी चाहिए और विषय प्रवेश के साथ उसके महत्त्व को उजागर करना चाहिए। विस्तार में विषय के प्रकार, शिक्षा विकास, सामाजिक महत्त्व आदि दिखाना चाहिए। विचार स्पष्ट, तर्कपूर्ण एवं सुलझा हुआ होना चाहिए। निबंध में विषयांतर एवं पुनरुक्ति दोष से बचना आवश्यक होता है।

निबंध के संपादन के साथ-समापन भी आकर्षक होना चाहिए। इसमें लेखक का अपना विचार होना आवश्यक होता है। निबंध की भाषा सरल, प्रभावी व व्याकरणनिष्ठ होनी चाहिए। वाक्य जितने छोटे व स्पष्ट होंगे, निबंध उतना ही प्रभावशाली होगा।

निबंध को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रसिद्ध काव्य पंक्तियों, उक्तियों, मुहावरों, सटीक लोकोक्तियों व घटनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। वर्तनी की शुद्धता के साथ विराम चिह्नों का प्रयोग कुशलता पूर्वक करना चाहिए।

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निबंध के प्रकार : निबंध पाँच प्रकार के होते हैं :

  1. वर्णनात्मक निबंध
  2. कथात्मक या विवरणात्मक निबंध
  3. कल्पनात्मक निबंध
  4. आत्मकथात्मक निबंध
  5. विचारात्मक निबंध।

(1) वर्णनात्मक निबंध : इस निबंध में वर्णन की प्रधानता रहती है। वर्णन में कभी-कभी निजी अनुभूति एवं कल्पना का रंग भी भरना पड़ता है। वस्तु, स्थान, घटना, प्रसंग, यात्रा, अनुभव आदि का रोचक वर्णन किया जाता है। प्राकृतिक दृश्य, त्योहार, उत्सव में एक घंटा आदि निबंध इसी प्रकार के अंतर्गत आते हैं। ‘वर्षा का एक दिन’ निबंध भी इसी के अंतर्गत आता है।

(2) कथात्मक या विवरणात्मक निबंध : किसी घटना अथवा कथा का विवरण, किसी प्रसंग का चित्रण या निरूपण, किसी की जीवन कथा, या आत्मकथा आदि का समावेश इस प्रकार के निबंधों में होता है। निर्जीव वस्तु की आत्मकथा भी यथार्थ का भ्रम करा सके, ऐसी शैली में लिखना चाहिए। जैसे – महात्मा गांधीजी, रेल दुर्घटना, बाढ़ का प्रकोप आदि निबंध।

(3) कल्पनात्मक निबंध : जिन निबंधों में कल्पना तत्त्व की प्रधानता होती है, उसे कल्पना प्रधान निबंध कहते हैं। इसके अंतर्गत जो बात नहीं होती, उसकी कल्पना की जाती है, कभी असंभव – सी बातों को संभव माना जाता है। लेखक कल्पना की ऊँची उड़ान ले सकता है। इस प्रकार के निबंधों के अंतर्गत यदि – होता, अगर …… न होता, मेरी अभिलाषा आदि विषय हैं। जैसे – यदि परीक्षा न होती, अगर मैं बंदी होता, अगर मैं प्रधानमंत्री होता आदि।

(4) आत्मकथात्मक निबंध : इसमें किसी वस्तु, प्राणी या व्यक्ति की आत्मकथा होती है। विद्यार्थी अपने आपको वह वस्तु, प्राणी या व्यक्ति मानकर निबंध लिखता है। इसमें लेखक कल्पना की उड़ान भर सकता है। इसमें जीवित व निर्जीव दोनों तरह की घटना का आरंभ उत्तम पुरुष से होता है। इसमें किसी के दुःख-सुख के साथ लेखक अपने विचारों को भी प्रस्तुत करता है। जैसे – कुर्सी की आत्मकथा, फूल की आत्मकथा, फटे पुस्तक की आत्मकथा आदि।

(5) विचारात्मक निबंध : ऐसे निबंधों में विचार प्रमुख होता है इसमें कल्पना का पुट न के बराबर होता है। इसका आधार तर्क या प्रमाण होता है। किसी के पक्ष या विपक्ष में सकारात्मक तथा नकारात्मक तथ्यों का संपादन बड़ी कुशलता से किया जाता है। समीक्षा व आकलन इस निबंध का आधार होता है।

गरीबी एक अभिशाप, माँ की ममता, वृक्ष लगाओ देश बचाओ, विविधता में एकता, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे, जीवन का लक्ष्य, आदर्श मित्र, आदर्श विदयार्थी, सदाचार का महत्त्व, समय का सदुपयोग, परोपकार, राष्ट्रभाषा की समस्या, समाचार पत्र, विज्ञान-वरदान या अभिशाप, स्त्री भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार उन्मूलन आदि विषय इसके अंतर्गत आते हैं।

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Maharashtra Board Class 11 Hindi निबंध

1. होली का त्यौहार

हमारे यहाँ त्योहारों का सिलसिला वर्षभर चलता है। इसीलिए हमारे देश को त्योहारों का देश कहते हैं। ईद, बकरी ईद, ओणम, पोंगल, बैसाखी, रक्षा बंधन, होली, दशहरा, दीपावली, इत्यादि प्रमुख त्योहार हैं। होली रंगों का त्यौहार है।

होली का त्योहार मनाने के पीछे धार्मिक कारण है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक शैतान, प्रहलाद जैसे ईश्वर भक्त बेटे का पिता था, जो घमंड के कारण अपने आप को ईश्वर समझता था। उसकी एक बहन होलिका थी जिसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी।

होलिका अपने भाई की मदद के लिए प्रहलाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गई। नारायण की कृपा से प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई। तभी से होलिका दहन किया जाने लगा। यह असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। जिसके दूसरे दिन लोग रंगों से एक दूसरे का स्वागत करते हैं।

हमारा देश किसानों का देश है। यह उनकी फसलों का भी त्योहार है। फसल का रसास्वादन होली की खुशी लेकर आता है। लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर नाचते-गाते हैं। इस दिन शैतान को कबीरा सुनाकर ताना भी मारा जाता है। होली के गीत अत्यंत मनोरंजक व आकर्षक होते हैं।

भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होली खेलते थे। बरसाने और ब्रज की लठमार होली आज भी उसी उमंग से मनाई जाती है। लोग मिठाई बाँटते हैं, ठंडाई पीते हैं। अपने गिले-शिकवे मिटाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। सभी होली के रंग में घुल-मिल जाते हैं।

कुछ गलत परंपराएँ चल पड़ी हैं जिसे रोकना अनिवार्य है। जैसे – गंदा पानी, कीचड़, गोबर, पेंट, शराब व भाँग का प्रचलन। नशे की हालत में किया गया व्यवहार इस सुंदर पर्व को बदरंग कर देता है, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ आपसी दुश्मनी को बढ़ावा मिलता है। घातक रंगों के प्रयोग से आँखों की रोशनी पर भी कुप्रभाव पड़ता है।

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होली के स्नेह सम्मेलन एक – दूसरे को आपस में जोड़ते हैं-

होली के दिन दिल मिल जाते हैं
रंगों में रंग मिल जाते हैं।
गिले-शिकवे सभी भूल कर
दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।

यदि गंदगी फूहड़ता तथा नशे पर रोक लगाई जा सके, तो इससे उत्तम पर्व कोई भी नहीं हो सकता।

2. राष्ट्रभाषा हिंदी

राष्ट्रभाषा हमारे विचारों की संवाहक होती है। इसके माध्यम से हम अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। प्रत्येक देश की भाषा उसकी अपनी पहचान होती है। उसका संपूर्ण कार्य उसी भाषा में होता है। राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र के उद्गार का माध्यम होती है। फ्रांस, चीन, जर्मनी, जपान, रूस अपनी भाषा की बदौलत आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए हैं और महाशक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

हमारे देश की सर्वाधिक जनता हिंदी भाषा का प्रयोग करती है, इसी कारण महात्मा गांधीजी ने कहा था कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा बनने योग्य हैं। इसीलिए 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रस्तावित किया गया। पूरे देश को हिंदी सीखने के लिए 15 वर्ष का समय दिया गया। इसे 14 सिंतबर 1964 से कार्यान्वित करने का भी प्रस्ताव था किंतु राजनैतिक कारणों से हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में आज भी संसद में पारित नहीं किया गया है।

जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं, वह देश या राष्ट्र गूंगा है।

भूतपूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा तो बना दिया किंतु राष्ट्रभाषा हिंदी संसद की भाषा नहीं बन सकी। मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद, सूरीनाम, गुयाना, कनाडा, इंग्लैण्ड, नेपाल आदि देशों में हिंदी की अपनी एक अलग पहचान है। भारत में यह षडयंत्र की शिकार है।

14 सिंतबर को हर वर्ष ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। जब तक हम व्यावहारिक रूप में राष्ट्रभाषा को स्वीकार नहीं करते तब तक भारत के संपूर्ण विकास पर प्रश्न चिह्न लगा रहेगा।

राष्ट्रभाषा हिंदी ही है, जो पूरे-देश को एक सूत्र में बाँधने की क्षमता रखती है। इसे शिक्षा का माध्यम बनाने से हमारे देश में अत्यधिक बहुमुखी प्रतिभाएँ निकल कर आगे आएँगी। महात्मा गांधीजी ने भी स्वीकार किया था कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए; उच्च व तकनीकी शिक्षा भी हिंदी माध्यम से दी जा सकती है।

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3. भ्रष्टाचार :

एक राष्ट्रीय अभिशाप । एक समय था जब चुनाव से पहले हर राजनैतिक दल इस देश से भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया करते थे। देश में चुनाव होते गए और राजनैतिक दल अदल-बदल कर सत्तारूढ़ होते गए। जैसे-जैसे दिन बीतता गया इस देश में भ्रष्टाचार बढ़ता गया, अब तो आकंठ डूबे भ्रष्टाचार और राजनेता एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं। अब कोई भी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार मिटाने की बात नहीं करता। सभी इस विशालकाय दैत्य के सामने नतमस्तक हैं।

भ्रष्टाचार का अर्थ है दूषित आचरण या बेईमानी। आज भ्रष्टाचार की काली छाया संपूर्ण देश में अमावस्या की तरह व्याप्त हो गई है और सत्तासीन लोग भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। अब भ्रष्टाचार के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने की बजाय इसे अंगीकार कर लिया गया है।

आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार से कोसों दूर हैं किंतु वे भ्रष्टाचारियों का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। दुःस्साहस करनेवाले मुँह की खाते हैं उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाती है।

वैसे तो भ्रष्टाचार कमोबेश पूरे विश्व में व्याप्त है किंतु हमारे देश में यह सिंहासनारूढ़ है। इसका कारण है हमारे देश की चुनाव पद्धति। जिसे जीतने के लिए प्रत्याशी पानी की तरह पैसा बहाते हैं। अपनी सेवानिष्ठा ईमानदारी, योग्यता के बल पर न ही कोई चुनाव लड़ता है और न ही जीत पाता है। चुनाव में सफल होने पर वह हर हाल में अपना खर्च किया हुआ पैसा ब्याज के साथ वसूलता है। पैसे की प्राप्ति की अधीरता ही उसे भ्रष्टाचारी बनने को मजबूर करती है।

इसका दूसरा कारण है भौतिकवादी सभ्यता का प्रसार और पाश्चात्य देशों का अंधानुकरण। लोग सारे नियम कानून को ताक पर रखकर पैसा कमाने के चक्कर में भ्रष्टाचारी बन जाते हैं। चारों तरफ धन बटोरने की अफरा-तफरी मची हुई है। लोग विदेशी बैंकों में पैसे जमा करते जा रहे हैं।

आज का प्रत्यक्ष आकड़ा बताता है कि भारतीय भ्रष्टाचारियों का चौदह हजार लाख करोड़ रुपया विदेशी बैंकों की शोभा बढ़ा रहा है जो निश्चित रूप से काला धन है। सबने इसे अपनी जीवन पद्धति में शामिल कर लिया है।

नशीले पदार्थो का व्यापार कानून व्यवस्था के रखवालों के हाथ की कठपुतली बन चुका है। देश का युवावर्ग भ्रष्टाचारियों को आदर्श मानकर उसी रास्ते पर चल रहा है। उनके मन से राष्ट्राभिमान और राष्ट्र-प्रेम लुप्त होता जा रहा है। तकनीकी और प्राथमिक शिक्षण व्यवसाय बन चुका है।

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बाबा रामदेव, अन्ना हजारे जैसे लोग इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। यदि हम राष्ट्र को विश्व की प्रथम पंक्ति में बिठाना चाहते है तो भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन आवश्यक है। समाज सेवकों की मेहनत रंग लाएगी। सत्तासीनों की पोल खुलेगी, जनता जगेगी, निश्चित रूप से काला धन वापस आएगा।

देश का युवावर्ग जिस दिन जगेगा भ्रष्टाचार के रावण का अंत होगा और ध्वंस होगा भ्रष्टाचार का साम्राज्य। नए राष्ट्र का उदय होगा और तब साकार होगा। ‘मेरा भारत महान’ का स्वप्न।

4. मैं मोवाईल वोल रहा हूँ

आज विज्ञान प्रदत्त सुविधाओं को हम नकार नहीं सकते। दूरदर्शन, दूरध्वनि, ट्रांजिस्टर ,संगणक, विमान, राकेट, आदि की खोज ने मानव जीवन को एक नई दिशा दी है। कुछ दिन पहले ही पेजर आया बाद में लोगों को पता चला कि फोन भी आ रहा है। अब जब से मेरा आगमन हुआ है मैनें लोगों की दुनिया में क्रांति ला दी है।

जब मेरा बड़ा भाई टेलिफोन इस दुनिया में आया तो उसने पत्रलेखन की कमी को दूर कर लोगों के आपसी संबंध को जोड़ने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही मैंने इस दुनिया में कदम रखा बड़े भाई की परेशानी दूर कर दी। लोगों ने मुझे अपनी जेब में रखना शुरू किया।

मैंने भी लोगों की हर सुविधा का ध्यान रखा। फोटोग्राफी, खेल, सिनेमा, धारावाहिक, एफ एम रेडियो से लेकर हर सुविधा जो दृश्य – श्रव्य साधनों द्वारा प्राप्त होती है, मैंने दी। हाँ! आया, ठीक सुना आपने मैं मोबाइल बोल रहा हूँ। जब से मैंने इस दुनिया में कदम रखा है, तब से सारे संसार में एक क्रांति आ गई है।

विज्ञान ने जो कुछ भी दिया मैं भी उसी की एक कड़ी हूँ। मैं आप लोगों की दिन – रात सेवा कर रहा हूँ। मैंने ऐसी मुहब्बत दी है कि मुझे एक पल के लिए भी आप अपने से अलग नहीं कर पाते।

आपको मैंने सुविधा दी और आप ने भी अपनी जेब से मुझे निकाल कर हाथ की बजाय एक तार से जोड़कर अपने कान में लगा लिया और घंटों बातें करते रहते हैं।

मेरे दोस्तों मुझे दुःख है कि लोगों ने मेरा दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। पता नहीं लोग इतना झूठ क्यों बोलते हैं। मेरी मोहब्बत में अंधे होकर अपनी जान क्यों दे रहे हैं? लोगों का मुझ पर आरोप है कि मैं लोगों का समय बरबाद कर रहा हूँ।

मैंने लोगों को झूठ बोलना सिखाया है। मैंने माहौल को गंदा किया है। आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ाने में भी मेरा उपयोग हो रहा है। परीक्षा के समय भी छात्र मेरा उपयोग नकल करने में करते हैं। लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है।

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मैं सबकी मदद करता हूँ। लोगों के दुःख, दर्द को दूर करता हूँ। लोगों के आपसी संबंधों में मधुरता लाता हूँ। इंटरनेट पर होनेवाली, घटनाओं की जानकारी देता हूँ। लोग मेरा सदुपयोग करने की बजाए दुरुपयोग करें, तो इसमें मेरी क्या गलती? मेरी दीवानगी में यदि आप अपना काम छोड़कर निष्क्रिय बन रहे हैं तो मैं क्या करूँ? मेरे दोस्तों मेरा सही प्रयोग करके मुझे बदनामी से आप ही बचा सकते हैं।

यदि मेरा सदुपयोग करेंगे तो मैं कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। मैं सूचना पहुँचाने का माध्यम हूँ। मनोरंजन का साधन हूँ। ज्ञान का भंडार हूँ। आपकी हर समस्या का समाधान हूँ। मुझे वही बने रहने दीजिए। मैं तो हमेशा आपकी सेवा में संलग्न रहना चाहता हूँ।

5. दीपावली के पटाखे

पिछले पंद्रह दिनों से लगातार पटाखों के शोर ने मेरी नींद उड़ा दी है। मैं तंग आ गया हूँ घर में बीमार पत्नी कराह रही थी। मैंने नीचे जाकर लोगों से मिन्नतें की लेकिन त्योहार के नाम पर शोर मचानेवालों ने परंपरा की बात कहकर मेरा मजाक उड़ाया। नियम से दस बजे तक ही पटाखे फोड़ने चाहिए लेकिन पूरी रात तक इसका क्रम चलता रहा। दिवाली के दिन तो हद हो गई।

जिसने मुझे चिढ़ाया था, परंपरा की दुहाई दी थी, संस्कृति और पर्व के नाम पर भाषण सुनाया था, पटाखे के धमाके से उसके पिता को दिल का दौरा पड़ा। आधी रात को हम लोग उन्हें अस्पताल ले गए पर दुर्भाग्य कि अब वे एक जिंदा लाश बनकर रह गए हैं।

ध्वनि प्रदूषण का कुप्रभाव सारी खुशियों पर पानी फेर गया। मैंने सुबह सारे कचरे को इकट्ठा करवाकर जलाया, सफाई करवाई, युवकों, बड़ों व बच्चों को बुलाकर समझाया कि जितना पैसा पटाखों में खर्च किया जाता है, उतने पैसों से हम बगीचा बनवा सकते हैं, जो हमें प्रदूषण से राहत देगा।

फिर किसी को जिंदा लाश नहीं बनना पड़ेगा। त्योहार खुशियाँ बाँटने के लिए होते हैं, दर्द देने के लिए नहीं। थोड़े लोगों में सहमति बनी। आज हमारी सोसायटी का बगीचा अन्य लोगों के लिए आदर्श बन चुका है। सबने पटाखे न फोड़ने का संकल्प तो नहीं किया किंतु नियमानुसार फोड़कर पर्व को मनाने का निर्णय अवश्य लिया।

व्यक्ति संस्कारों से सँवरता है, निखरता है। उसके व्यक्तित्व को गढ़ने का कार्य भी संस्कार ही करते हैं। किशोरावस्था और कुमारावस्था में छात्रों के लिए संस्कारगत मूल्यों की शिक्षा अनिवार्य है। इसका मानव जीवन के आचरण पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।

कुछ नीतिपरक मूल्य मनुष्य को आदर्श नागरिक बनाने में सहायक होते हैं। इस संदर्भ में किसी महान मानव के चरित्र के ऊपर भी कुछ लिखा जा सकता है।

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उदाहरणार्थ कुछ संकेत निम्नलिखित हैं।

  • जनमत का आदर करनेवाला मानव वास्तविक नायक बन जाता है। संसार के महान पुरुषों के चरित्र को आधार बनाकर इस कथन को अभिव्यक्ति दी जा सकती है।
  • आज शहरी जीवन में स्वार्थांधता इतनी बढ़ गई है कि अपनत्व का भाव लुप्त होता जा रहा है। संवेदना धुंधली होती जा रही है, मानवता कहीं न कहीं लुप्त होती जा रही हैं।

6. अब्राहम लिंकन

अमेरिका के एक गरीब परिवार में जन्म लेनेवाला बालक अब्राहम लिंकन जिसने बचपन में अत्यंत अभावपूर्ण परिस्थिति में परवरिश पायी। घर की टूटी खिड़कियाँ और टूटी हुई छत, ऊपर से बिजली का अभाव, बचपन में पिता के साथ मजदूरी करने को मजबूर भरपेट भोजन का अभाव उसे घेरे रहता था।

कहते हैं “जहाँ चाह वहाँ राह” कुशाग्र बुद्धि, बहादुर, हँसी मजाक करने वाला बालक मित्रों से पुस्तकें माँगकर पढ़ उसे लौटा देता। बुद्धि इतनी तीव्र कि पुस्तक का एक-एक शब्द उसकी याददाश्त का हिस्सा बन जाते।

बिजली के अभाव में सड़क के खंभे से आते प्रकाश को पढ़ने के लिए प्रयोग करते देख एक अमीर ने उसको पढ़ने के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराई। उसकी लगन, मेहनत और प्रतिभा ने उसे महान वकील बना दिया।

अमेरिका का कलंक वहाँ की दास प्रथा थी। उससे मुक्ति दिलाने का काम अब्राहम लिंकन ने किया। इसी दृढ संकल्प शक्ति से वे एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। यदि हमारे अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति है तो सृजनात्मक मूल्य अपने आप विकसित होते हैं और हमें ऊँचाई प्रदान करते है।

हमारे बीच ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि गरीबी की कोख से पले- बढ़े, संघर्षरत, दृढ़ इच्छा शक्ति वाले गाँव के एक किसान बालक लालबहादुर शास्त्री ने भारत का प्रधान मंत्री बनकर देश को “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।

संत महात्माओं, साहित्यकारों, मनीषियों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त कर जो अमृत संदेश दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी प्रसिद्ध उक्तियाँ ही सूक्तियाँ कहलाती हैं। उन उक्तियों या सूक्तियों को आधार मान कर आप अपने विचार अभिव्यक्त कर सकते हैं। कुछ उदाहरण निम्न हैं।

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  1. “ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  2. है अंधेरी रात पर दीया जलाना कब मना है?
  3. “तभी समर्थ भाव है कि तारता हुए तरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’
  4. “नाश के दुःख से कभी, दबता नहीं निर्माण का सुख”
  5. “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।”

इन कहावतों में मानव जीवन का महान सत्य प्रस्तुत किया गया है। मानव जीवन में उसका मन ही उसकी सारी गतिविधियों का संचालन करता है। जीवन में अनुकूल -प्रतिकूल परिस्थितियों का आना – जाना लगा रहता है। यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में हम अपना धैर्य बनाए रखें, तो हम उस पर विजय पाने में सफल रहते हैं। इसके विपरीत यदि हम में निराशा और अधीरता घर कर जाए तो साधन संपन्न रहने पर भी पराजय ही हमारे हाथ लगती है।

सच्ची तंदुरुस्ती और आत्मनिर्भरता हमारे विजय का मार्ग प्रशस्त करती है। खेल में कभी हार तो कभी जीत मिलती है लेकिन हार में यदि हम निराश हो जाएँ तो सब कुछ बिखर जाएगा। हमें हर परिस्थिति में यह मानकर चलना है।

“क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संघर्ष-पथ पर जो मिले, यह भी सही वह भी सही “हार मानूँगा नहीं, वरदान माँगूगा नहीं” इस सूत्र को जीवन का आधार बनाकर एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से आदिलशाही सुलतानों, पुर्तगालियों, मुगलों से लोहा लिया और विजय पाई। समाज के तमाम विरोध के बावजूद महात्मा ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र में स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार का महान कार्य किया।

7. 26 जुलाई

वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर! ऐसी ताकत हिम्मत और हौसले को प्रणाम करता हूँ वरना हिम्मत, हौसला और दृढ इच्छाशक्ति के बिना उस परिस्थिति से उबर पाना आसान न था। क्या छोटा क्या बड़ा? क्या अमीर क्या गरीब। एकता की एक श्रृखंला बन गई। दुनिया के सामने एक मिसाल – लोग कह उठे वाह रे! मुंबई और वाह रे मुंबईकर!

जब से मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारंभ की तथा उसका दोहन प्रारंभ किया, तभी से वह प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया। वह भूल गया कि मूक दिखाई देने वाली प्रकृति की वक्रदृष्टि सर्वनाश का कारण बन सकती है। 26 जुलाई की विभिषिणा ने हम मुंबई वासियों को आगाह किया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना निबंध लेखन

हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आज हमारे परिवेश में पर्यावरण का संरक्षण निहायत जरूरी है। प्लास्टीक की। थैलिया हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक हैं क्योंकि 60 फीसदी प्लास्टीक ही रिसाइकिल हो पाती है।

प्लास्टीक का यह कचरा ज्यादातर नालियों और सीवेज को ठप्प कर देता है, शेष समुद्र पर होने वाले अतिक्रमण और वृक्षों की कटाई ने भी अपनी भूमिका अदा की है। जिसके कारण ही वर्षा का जल समुद्र की खाड़ी में नहीं जा पाता और जल जमाव से लोग त्रस्त होते हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा से ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। वन रोपण तथा वृक्ष लगाने से यह समस्या कम हो सकती है। जनसंख्या वृद्धि पर भी हमें अंकुश लगाना होगा। कंक्रीट के जंगल की सीमा बांधनी होगी। समुद्र के अतिक्रमण को रोकना होगा। वरना सुख देने वाली यह प्रकृति हमें गटक जाएगी।

26 जुलाई 2005 की वह कहर भरी शाम। समुद्री तूफान और बरसात का सिलसिला जो आरंभ हुआ, पूरी रात चलता रहा। हर गली पानी से भर गई। पहली मंजिल तक पानी पहुंचा, रेलवे प्लेट फार्म डूब गए, सड़कों पर पानी, गाड़ियों के ऊपर से पानी बह रहा था। सब तरफ अफरा-तफरी का माहौल।

सबकी सोच, कि अब क्या होगा? कैसे निपटा जाय। इस मुसीबत से लोगों ने हिम्मत नहीं हारी, पूरी रात कौन कहाँ रहा पता नहीं? मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों के दरवाजे खुल गए। लोगों ने शरण ली। सबने जिसकी जितनी ताकत थी एक – दूसरे को सँभाला, हिम्मत बँधाए रखा। करोड़ों का नुकसान हुआ।

रेलवे, बस सबकी सेवाएं ठप्प हो गईं। वाह रे! हिम्मत चौबीस घंटे बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा। हालात को सामान्य बनाने में सबका योगदान रहा। यह थी हमारी एकता वर्गगत, जातिगत, धर्मगत, दलगत, विचारों से ऊपर। सर्वधर्म समभाव का ऐसा उदाहरण जिसे हम आज भी नमन करते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. बैंक तथा वाणिज्य से संबंधित शब्द

  • Account = लेखा
  • Accountant = लेखापाल
  • Act = अधिनियम Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Affidavit = शपथपत्र
  • Agreement = अनुबंध/करार
  • Annexure = परिशिष्ट
  • Audit = लेखा परीक्षण
  • Average = औसत
  • Session = सत्र
  • Advocate General = महाधिवक्ता
  • Foreign Exchange = विदेशी विनिमय
  • Fund Sinking = निक्षेप निधि
  • Finance Commissioner = वित्त आयुक्त
  • Deduction = कटौती
  • Dividend = लाभांश
  • Domicile Certificate = अधिवास प्रमाणपत्र
  • Draft = मसौदा/प्रारूप
  • Gazette = राजपत्र
  • Investment = निवेश
  • Management = प्रबंधन
  • Revenue = राजस्व
  • Clearing = समाशोधन
  • Attestation = साक्ष्यांकन
  • Cheque = धनादेश (चैक)
  • Advance = अग्रिम
  • Capital = पूँजी Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Cashier = रोकड़िया/कोषाध्यक्ष
  • Amount = धनराशि, रकम
  • Custom Duty = सीमा शुल्क
  • Credit Amount = जमा रक्कम
  • Finance Bill = वित्त विधेयक
  • Finance Statement = वित्तीय विवरण
  • Pension = निवृत्ति वेतन
  • Service Charges = सेवा भार
  • Corporation-Tax = नगर निगम कर
  • Trade Mark = व्यापार चिह्न
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

2. विधि से संबंधित शब्द

  • Bailable Offence = जमानती अपराध
  • Defendent = ufdact
  • Accused = अभियुक्त
  • Bench = न्यायपीठ
  • Show Cause = कारण बताओ
  • Custody (Police) = पुलिस हिरासत
  • Formal Investigation = औपचारिक जाँच
  • Validity = वैधता
  • Advocate General = Halfeta chall
  • Judicial Power = न्यायालयीन अधिकार
  • Ordinance = अध्यादेश

3. प्रशासनिक

  • Chancellor = कुलाधिपति
  • Deputation = प्रतिनियुक्ति
  • Director = निदेशक
  • Surveyor = सर्वेक्षक
  • Supervisor = पर्यवेक्षक
  • Governor = राज्यपाल
  • Secretary = सचिव
  • Eligibility = अर्हता
  • Memorandum = ज्ञापन
  • Notification = अधिसूचना
  • Registrar = कुलसचिव
  • Administration = प्रशासन
  • Commission = आयोग
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

4. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली

  • Mechanics = यांत्रिक
  • Gravitation = गुरुत्वाकर्षण
  • Orbit = कक्षा
  • Satellite = उपग्रह
  • Nerve = तंत्रिका
  • Nutrition = पोषण
  • Radiation = विकिरण
  • Tissue = ऊतक
  • Fertility = उर्वरता
  • Genetics = अनुवांशिकी

5. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Internet = अंतरजाल
  • Control Section = नियंत्रण अनुभाग
  • Hard Copy = मुद्रित प्रति
  • Storage = भंडार
  • Data = आँकड़ा
  • Software = प्रक्रिया सामग्री
  • Output = निर्गम
  • Screen = प्रपट्ट Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Network = संजाल
  • Command = समादेश

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण गटात न बसणारा शब्द Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

11th Marathi Book Answers व्याकरण गटात न बसणारा शब्द Additional Important Questions and Answers

गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 1.
नामांकित, कीर्तिमान, कुविख्यात, सर्वज्ञात
उत्तर :
कुविख्यात

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 2.
वात, जलद, मेघ, घन
उत्तर :
वात

प्रश्न 3.
सटासट, कटकट, वटवट, झटपट
उत्तर :
सटासट

प्रश्न 4.
अपमान, दुर्लक्ष, निष्काळजी, आदर
उत्तर :
अपमान

प्रश्न 5.
सौदामिनी, प्रकाश, दिप्ती, तेज
उत्तर :
सौदामिनी

प्रश्न 6.
त्याला, त्याचा, तुझा, आणि
उत्तर :
आणि

प्रश्न 7.
संभाषण, भाषण, चर्चा, संवाद
उत्तर : भाषण

प्रश्न 8.
गुजरात, महाराष्ट्र, मुंबई, कर्नाटक
उत्तर :
मुंबई

प्रश्न 9.
फूल, पान, खोड, मासा
उत्तर :
मासा

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 10.
पृथ्वी, धरणी, वसुधा, समिधा
उत्तर :
समिधा

प्रश्न 11.
देवूळ, मंदिर, देवालय, देव
उत्तर :
देव

प्रश्न 12.
कर्ण, डोळा, नयन, नेत्र
उत्तर :
कर्ण

प्रश्न 13.
पर्वत, नग, नभ, गिरी
उत्तर :
नभ

प्रश्न 14.
हात, पद, कर, हस्त
उत्तर :
पद

प्रश्न 15.
दैत्य, दानव, राक्षस, सुर
उत्तर :
सुर

प्रश्न 16.
नवल, संकोच, आश्चर्य, विस्मय
उत्तर :
संकोच

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण गटात न बसणारा शब्द

प्रश्न 17.
युद्ध, समर, संगम, लढाई
उत्तर :
संगम

प्रश्न 18.
वणवा, वन, जंगल, अरण्य
उत्तर :
वणवा

प्रश्न 19.
शत्रू, वैरी, दुष्मन, दोस्त
उत्तर :
दोस्त

प्रश्न 20.
पिता, वडील, भ्राता, जनक
उत्तर :
भ्राता

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण विरामचिन्हे

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण विरामचिन्हे Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण विरामचिन्हे

विरामचिन्हे प्रास्ताविकः

आपल्या बोलण्याचा आशय ऐकणाऱ्याला चांगल्या रीतीने समजावा म्हणून आवाजाच्या चढ-उताराबरोबरच एखाद दुसऱ्या ठिकाणी आपण काही क्षण थांबतो या थांबण्यालाच ‘विराम’ असे म्हणतात.

बोलण्यातील विराम लेखनात निरनिराळ्या चिन्हांनी दर्शविला जातो. अशा लेखनातील विविध चिन्हांना ‘विरामचिन्हे’ असे म्हणतात.

विरामचिन्हांमुळे वाक्य कोठे संपले, कोठे सुरू झाले की अपूर्ण आहे अशा विविध गोष्टी आपणास समजतात. म्हणूनच विरामचिन्हांना लेखनात अत्यंत महत्त्व आहे.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण विरामचिन्हे

विरामचिन्हे दोन प्रकारची आहेत.

  • विराम दर्शवणारी
  • अर्थबोध करणारी

विराम दर्शवणारी :

  • पूर्णविराम ( . ),
  • अर्धविराम ( ; ),
  • स्वल्पविराम ( , ),
  • अपूर्णविराम ( : ).

अर्थबोध करणारी :

  • प्रश्नचिन्ह ( ? ),
  • उद्गारचिन्ह ( ! ),
  • अवतरण चिन्ह (” ” दुहेरी व ” एकेरी),
  • संयोगचिन्ह ( – ),
  • अपसारण चिन्ह ( – )
  • याशिवाय लोप चिन्ह ( ……… ),
  • अधोरेखा चिन्ह ( ),
  • विकल्प चिन्ह ( / ),
  • काकपद/हंसपद ( , ),
  • कंस () साधा कंस,
  • { } महिरप कंस,
  • [ ] चौकोनी कंस),
  • वरीलप्रमाणे मजकूर / यथोपरिचिन्ह (” “, -।।-)
  • अवग्रह (ऽ) उच्चार लांब करण्यासाठी,
  • फुल्या (xxx) (अवशिष्ट व अयोग्य मजकुरासाठी),
  • दंड ( । एकेरी, ।। दुहेरी) ही लेखनात वापरली जातात.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण विरामचिन्हे

11th Marathi Book Answers व्याकरण विरामचिन्हे Additional Important Questions and Answers

1. खालील वाक्यांत योग्य त्या ठिकाणी विरामचिन्हे देऊन वाक्ये पुन्हा लिहा.

प्रश्न 1.
सर पोराचं लग्न हाय यायला पाहिजे.
उत्तर :
“सर, पोराचं लग्न हाय. यायला पाहिजे.”

प्रश्न 2.
ते म्हणाले गेले दोन दिवस मेघदूत वाचत होतो.
उत्तर :
ते म्हणाले, “गेले दोन दिवस, ‘मेघदूत’ वाचत होतो.”

प्रश्न 3.
मी सोपानदेवांना म्हणालो अहो हे बावनकशी सोने आहे
उत्तर :
मी सोपानदेवांना म्हणालो, “अहो, हे बावनकशी सोने आहे!”

प्रश्न 4.
वडील सहा आठ महिने दौऱ्यावर
उत्तर :
वडील सहा-आठ महिने दौऱ्यावर.

प्रश्न 5.
ड्रायव्हरनं गाडी सुरू केली आणि विचारलं कुठे जायचं
उत्तर :
ड्रायव्हरनं गाडी सुरू केली आणि विचारलं, “कुठे जायचं?”

2. पुढील वाक्यांत योग्य विरामचिन्हांचा पर्याय निवडून वाक्ये पुन्हा लिहा.

प्रश्न 1.
रसिकहो वहिानींचा सल्ला या कार्यक्रमाचा आजचा शेवटचा प्रयोग.

पर्याय :
(अ) उद्गारवाचक चिन्ह, एकेरी अवतरण
(आ) प्रश्नचिन्ह, उद्गारवाचक चिन्ह
(इ) दुहेरी अवतरण चिन्ह, स्वल्पविराम
उत्तर :
(अ) उद्गारवाचक चिन्ह, एकेरी अवतरण (रसिकहो! ‘वहिनींचा सल्ला’ या कार्यक्रमाचा आजचा शेवटचा प्रयोग)

प्रश्न 2.
पायच होऊ देत आता घट्ट मजबूत पोलादी पर्याय :

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions व्याकरण विरामचिन्हे

(अ) प्रश्नचिन्ह, लोपचिन्ह
(आ) स्वल्पविराम, अर्धविराम
(इ) लोपचिन्ह, स्वल्पविराम
उत्तर :
पर्याय : (इ) लोपचिन्ह, स्वल्पविराम (पायच होऊ देत आता… घट्ट, मजबूत, पोलादी)

प्रश्न 3.
जी ए कुलकर्त्यांचा एखादा कथासंग्रह तुम्ही वाचला आहे काय पर्याय :
(अ) स्वल्पविराम, अर्धविराम
(आ) पूर्णविराम, प्रश्नचिन्ह
(इ) अपूर्णविराम, अवग्रहचिन्ह
उत्तर :
(आ) पूर्णविराम, प्रश्नचिन्ह (जी. ए. कुलकर्त्यांचा एखादा कथासंग्रह तुम्ही वाचला आहे काय?)

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका

मुद्रण सही ढंग से न हो तो अशुद्धियाँ रह जाती हैं। इससे मुद्रित सामग्री की रोचकता तथा सहजता कम हो जाती है। कभी–कभी किसी शब्द के अशुद्ध रहने से अर्थ बदल जाता है या किसी शब्द के रह जाने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इस दृष्टि से मुद्रण प्रक्रिया में मुद्रित शोधन का अत्यधिक महत्त्व है।

जिस प्रकार मन की सुंदरता न हो तो तन की सुंदरता अर्थहीन हो जाती है। उसी प्रकार पुस्तक बाहर से भले ही कितनी ही आकर्षक हो; भाषा की अशुद्धता के कारण वह प्रभावहीन हो जाती है।

मुद्रित शोधन के लिए आवश्यक योग्यताएँ :

मुद्रित शोधन का कार्य अत्यंत दायित्वपूर्ण ढंग से निभाया जाने वाला कार्य है। अत: इस कार्य के लिए मुद्रित शोधक में कतिपय योग्यताओं का होना आवश्यक है। जैसे –

  • मुद्रित शोधक को संबंधित भाषा एवं व्याकरण की समग्र और भली–भाँति जानकारी होनी चाहिए।
  • उसे प्रिंटिंग मशीन पर होने वाले कार्य का परिचय होना चाहिए।
  • उसे टाइप के प्रकारों, संकेत चिह्नों और अक्षर विन्यास की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
  • मुद्रित शोधक को पांडुलिपि में स्वयं कोई परिवर्तन नहीं करना चाहिए। यदि कहीं उसे अशुद्धियाँ लगें या वाक्य सही/शुद्ध न लगे तो इसकी ओर लेखक का ध्यान आकृष्ट करना चाहिए।

मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका : –
Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुद्रित शोधन चिह्नदर्शक तालिका 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष हिंदी साहित्यकारों के मूल नाम और उनके विशेष नाम

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष हिंदी साहित्यकारों के मूल नाम और उनके विशेष नाम Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष हिंदी साहित्यकारों के मूल नाम और उनके विशेष नाम

  • अब्दुल हसन – अमीर खुसरो
  • मलिक मुहम्मद – जायसी
  • अब्दुर्रहीम खानखाना – रहीम
  • सय्यद इब्राहिम – रसखान
  • चंद्रधर शर्मा – ‘गुलेरी’
  • पांडेय बेचन शर्मा – ‘उग्र’
  • राजेंद्रबाला घोष – बंग महिला
  • बदरीनारायण चौधरी – प्रेमधन
  • गयाप्रसाद शुक्ल – ‘स्नेही’
  • अयोध्यासिंह उपाध्याय – ‘हरिऔध’
  • मोहनलाल महतो – वियोगी
  • धनपतराय – ‘प्रेमचंद’
  • रामधारी सिंह – ‘दिनकर’
  • शिवमंगल सिंह – ‘सुमन’
  • रामेश्वर शुक्ल – ‘अंचल’
  • बालकृष्ण शर्मा – ‘नवीन’
  • कन्हैयालाल मिश्र – ‘प्रभाकर’
  • फणीश्वरनाथ – ‘रेणु’
  • वैद्यनाथ मिश्र – नागार्जुन
  • सूर्यकांत त्रिपाठी – ‘निराला’
  • सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन – अज्ञेय
  • वासुदेव सिंह – त्रिलोचन
  • गोपाल दास सक्सेना – ‘नीरज’
  • महेंद्रकुमारी – मन्नू भंडारी
  • श्रीराम वर्मा – अमरकांत
  • उपेंद्रनाथ – ‘अश्क’
  • सुदामा पांडेय – धूमिल

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

साहित्यकारसाहित्यिक कृतिवर्ष
सुमित्रानंदन पंतचिदंबरा१९६८
रामधारी सिंह ‘दिनकर’उर्वशी१९७२
‘अज्ञेय’कितनी नावों में कितनी बार१९७८
महादेवी वर्मायामा१९८२
नरेश मेहतासमग्र साहित्य१९९२
निर्मल वर्मासमग्र साहित्य१९९९
कुँवर नारायणसमग्र साहित्य२००५
अमरकांतसमग्र साहित्य२००९
श्रीलाल शुक्लराग दरबारी२००९
केदारनाथ सिंहअकाल में सारस२०१३
कृष्णा सोबतीजिंदगीनामा२०१७

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो जॉकी

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो संहिता

रेडियो श्राव्य माध्यम है। इसलिए श्राव्य माध्यम के अनुकूल संहिता होती है। इसमें शब्दों के साथ ध्वनि संकेत, ठहराव, मौन, अंतराल आदि के संकेत भी होने चाहिए। गीत– संगीत के बीच में चलनेवाली आर.जे. की बातचीत कम शब्दों में रोचक, चटपटी और मिठास भरी होनी चाहिए।

भाषा प्रवाहमयी हो। शब्द सरल हों। संहिता लयात्मकता के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहायक होनी चाहिए। रेडियो संहिता के तीन हिस्से होते हैं। आरंभ, मध्य और अंत। आरंभ जितना आकर्षक, उतना ही अंत भी आकर्षक होना चाहिए। मध्य में विषयवस्तु कार्यक्रम की लंबाई पर निर्भर है।

हिंदी में रेडियो चैनल के लिए जो संहिता होती है, वह बहुत ही सधी हुई होती है। रेडियो की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है – कार्यक्रमों की प्रस्तुति, संयोजन और भाषा का नयापन। संहिता की भाषा गतिशील और अनौपचारिक होनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

कुछ चैनलों पर जिस हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है वह ‘प्रोमो’ हिंदी है। ‘प्रोमो’। अर्थात ‘पोस्ट मॉडर्न’ – उत्तर आधुनिक हिंदी। इस हिंदी भाषा में चुलबुलापन, मसखरापन, मस्ती और लय होती है। इसकी अपनी एक अलग पहचान है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २० : पाठ – भक्ति महिमा – संत दादू दयाल

जो माया–मोह का रस पीते रहे, उनका मक्खन–सा हृदय सूखकर पत्थर हो गया किंतु जिन्होंने भक्ति रस का पान किया, उनका पत्थर हृदय गलकर मक्खन हो गया। उनका हृदय प्रेम से भर गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

अहंकारी व्यक्ति से प्रभु दूर रहता है। जो व्यक्ति प्रभुमय हो जाता है, फिर उसमें अहंकार नहीं होता। मनुष्य का हृदय एक ऐसा सँकरा महल है, जिसमें प्रभु और अहंकार दोनों साथ–साथ नहीं रह सकते। अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

दादू मगन होकर प्रभु का कीर्तन कर रहे हैं। उनकी वाणी ऐसे मुखरित हो रही है जैसे ताल बज रहा हो। यह मन प्रेमोन्माद में नाच रहा है। दादू के सम्मुख दीन–दुखियों पर विशेष कृपा करने वाला प्रभु खड़ा है।

जिन लोगों ने भक्ति के सहारे भवसागर पार कर लिया, उन सभी की एक ही बात है कि भक्ति का संबल लेकर ही सागर को पार किया जा सकता है। सभी संतजन भी यही बात कहते हैं। अन्य मार्गदर्शक, जीवन के उद्धार के लिए जो दूसरे अनेक मार्ग बताते हैं, वे भ्रम में डालने वाले हैं। प्रभु स्मरण के सिवा अन्य सभी मार्ग दुर्गम हैं।

प्रेम की पाती (पत्री) कोई विरला ही पढ़ पाता है। वही पढ़ पाता है, जिसका हृदय प्रेम से भरा हुआ है। यदि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम भाव नहीं है तो वेद–पुराण की पुस्तकें पढ़ने से क्या लाभ ?

कितने ही लोगों ने वेद–पुराणों का गहन अध्ययन किया और उसकी व्याख्या करने में लिख–लिखकर कागज काले कर दिए लेकिन उन्हें जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला। वे भटकते ही रहे, जिसने प्रिय प्रभु का एक अक्षर पढ़ लिया, वह सुजान–पंडित हो गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

मेरा अहंकार – “मैं’ ही मेरा शत्रु निकला, जिसने मुझे मार डाला, जिसने मुझे पराजित कर दिया। मेरा अहंकार ही मुझे मारने वाला निकला, दूसरा कोई और नहीं।

अब मैं स्वयं इस ‘मैं’ (अहंकार) को मारने जा रहा हूँ। इसके मरते ही मैं मरजीवा हो जाऊँगा। मरा हुआ था फिर से जी उठूगा। एक विजेता बन जाऊँगा।

हे सृष्टिकर्ता ! जिनकी रक्षा तू करता है, वे संसार सागर से पार हो जाते हैं।

और जिनका तू हाथ छोड़ देता है, वे भवसागर में डूब जाते हैं। तेरी कृपा सज्जनों पर ही होती है।

रे नासमझ ! तू क्यों किसी को दुख देता है। प्रभु तो सभी के भीतर हैं। क्यों तू अपने स्वामी का अपमान करता है? सब की आत्मा एक है। आत्मा ही परमात्मा है। परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं।

इस संसार में केवल ऐसे दो रत्न हैं, जो अनमोल हैं। एक है सबका स्वामी–प्रभु। दूसरा स्वामी का संकीर्तन करने वाला संतजन, जो जीवन और जगत को सुंदर बनाता है।

इन दो रत्नों का न कोई मोल है, न कोई तोल ! न इनका मूल्यांकन हो सकता है, न इन्हें खरीदा जा सकता है, न तौला जा सकता है।

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २४ : पाठ – बाल लीला – संत सूरदास

1. यशोदा अपने पुत्र को चुप करने के लिए बार–बार समझाती है। वह कहती है – “चंदा आओ ! तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। यह मधु मेवा, पकवान, मिठाई स्वयं खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा। (मेरा लाल) तुम्हें हाथ में रखकर खेलेगा; तुम्हें जरा भी भूमि पर नहीं बिठाएगा।”

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

यशोदा हाथ में पानी का बर्तन उठाकर कहती है – “चंद्रमा ! तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और उसे दिखाने लगी – ‘बेटा देखो ! मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ।’ अब सूरदास के प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कुराते हुए उस पात्र में बार–बार दोनों हाथ डालने लगे।

2. हे श्याम ! उठो, कलेवा (नाश्ता) कर लो। मैं मनमोहन के मुख को देख–देखकर जीती हूँ। हे लाल ! मैं तुम्हारे लिए छुहारा, दाख, खोपरा, खीरा, केला, आम, ईख का रस, शीरा, मधुर श्रीफल और चिरौंजी लाई हूँ। अमरूद, चिउरा, लाल खुबानी, घेवर–फेनी और सादी पूड़ी खोवा के साथ खाओ।

मैं बलिहारी जाऊँ। गुझिया, लड्डू बनाकर और दही लाई हूँ। तुम्हें पूड़ी और अचार बहुत प्रिय हैं। इसके बाद पान बनाकर खिलाऊँगी। सूरदास कहते हैं कि मुझे पानखिलाई मिले।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अंकुर जमाना – प्रारंभ करना।
  • अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना।
  • आँच न आने देना – संकट न आने देना।
  • आँखों में सैलाब उमड़ना – फूट–फूटकर रोना।
  • आँखें फटी रहना – आश्चर्यचकित रह जाना।
  • आईने में मुँह देखना – अपनी योग्यता जाँचना।
  • आसमान के तारे तोड़ना – असंभव कार्य करना।
  • ईंट का जवाब पत्थर से देना – कड़ा जवाब देना
  • उधेड़ बुन में लगना – सोच–विचार करना।
  • एक आँख से देखना – समान रूप से देखना।
  • एक और एक ग्यारह होना – एकता में बल होना।
  • कदम बढ़ाना – प्रगति करना।
  • कमर कसना – प्रगति करना।
  • कमर सीधी करना – आराम करना, सुस्ताना।
  • कलई खुलना – भेद प्रकट होना।
  • कान देना – ध्यान से सुनना।
  • किस्मत खुलना – भाग्य चमकना।
  • गले का हार होना – अत्यंत प्रिय होना।
  • गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कहना।
  • घी के दीये जलाना – खुशी मनाना।
  • चिकना घड़ा होना – निर्लज्ज होना।
  • चुटकी लेना – व्यंग्य करना।
  • जबान देना – वचन देना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • झंडे गाड़ना – पूर्ण रूप से प्रभाव जमाना।
  • डंका पीटना – प्रचार करना।
  • तितर–बितर होना – बिखर जाना।
  • हजारों दीप जल उठना – आनंदित हो उठना।
  • रुपये दाँत से पकड़ना – कंजूसी करना।
  • दूध का दूध, पानी का पानी करना – इनसाफ करना, न्याय करना।
  • नाम कमाना – यश प्राप्त करना।
  • पाँचों उंगलियाँ घी में होना – हर तरफ से लाभ होना।
  • फूला न समाना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • बीड़ा उठाना – किसी काम को करने की ठान लेना।
  • बाँछे खिलना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • मरजीवा होना – कठोर साधना से लक्ष्य तक पहुँचने वाला होना।
  • मल्हार गाना – आनंद मनाना।
  • राई का पहाड़ बनाना – बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना।
  • सफेद झूठ बोलना – पूरी तरह से झूठ बोलना।
  • सिर खपाना – ऐसे काम में समय लगाना जिसमें कोई लाभ नहीं।
  • सिर पर सेहरा बाँधना – अधिक यश प्राप्त करना।
  • सोना उगलना – बहुत अधिक लाभ होना।
  • सौ बात की एक बात – असली बात, निचोड़।
  • हाथ–पैर मारना – बहुत प्रयत्न करना।
  • हौसला बुलंद होना – उत्साह बना रहना।
  • श्रीगणेश करना – कार्य आरंभ करना।
  • दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना।
  • अंधे की लाठी होना – निराधार का सहारा बनना।
  • आग से खेलना – मुसीबत मोल लेना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • इतिश्री होना – समाप्त होना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • उड़ती चिड़िया पहचानना – तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना।
  • हथेली पर सरसों जमाना – कठिन कार्य करना।
  • कंचन बरसना – धन–दौलत से परिपूर्ण होना।
  • कानों कान खबर न होना – बिल्कुल पता न चलना।
  • गाल बजाना – अपनी प्रशंसा आप करना।
  • घड़ों पानी पड़ना – बहुत लज्जित होना।
  • चिकनी–चुपड़ी बातें करना – चापलूसी करना, मीठी-मीठी बातें बोलना।
  • छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
  • तूती बोलना – प्रभाव होना।
  • दो टूक जवाब देना – स्पष्ट बोलना।
  • नुक्ताचीनी करना – आलोचना करना।