Class 10 Hindi Chapter 6 Giridhar Nagar Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 6 Giridhar Nagar Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 6 गिरिधर नागर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 10th Digest Chapter 6 गिरिधर नागर Questions And Answers

Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 6 गिरिधर नागर Textbook Questions and Answers

कृति

(कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए)
सूचनानुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 16

प्रश्न 2.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 8

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प्रश्न 3.
इस अर्थ में आए शब्द लिखिए:

 अर्थशब्द
i. दासी………….
ii. साजन………….
iii. बार-बार………….
iv. आकाश………….

उत्तर:

 अर्थशब्द
i. दासीचेरी
ii. साजनपति
iii. बार-बारबेर-बेर
iv. आकाशअंबर

प्रश्न 4.
कन्हैया के नाम
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 5

प्रश्न 5.
दूसरे पद का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
(i) निकट – ढिग
(ii) साजन – पति।

उपयोजित लेखन

निम्नलिखित शब्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए तथा उचित शीर्षक दीजिए:
अलमारी, गिलहरी, चावल के पापड़, छोटा बच्चा
उत्तर:
जीव दया
एक गाँव में एक छोटा बच्चा रहता था। उसका नाम चिंटू था। एक दिन चिंटू अपने घर के बाहर खेल रहा था। उसने देखा कि सामने एक पेड़ के नीचे दो-तीन कौए किसी चीज पर चोंच मार रहे हैं और वहाँ से हल्की-हल्की चर्ची-चीं की आवाज आ रही है। चिंटू दौड़कर वहाँ पहुँचा और उसने उन कौओं को वहाँ से उड़ाया। उसने देखा कि एक छोटी-सी गिलहरी वहाँ ची-चीं कर रही थी। उसका शरीर कौओं की चोंच से घायल हो गया था। चिंटू ने अपनी जेब से रूमाल निकाला और डरे बिना धीरे से गिलहरी को उठा लिया। उसने घर के अंदर लाकर उसे पानी पिलाया, उसके घावों को साफ करके उन पर सोफामाइसिन लगाई और उसे मेज पर बैठा दिया।

गिलहरी कुछ देर बाद धीरे-धीरे मेज पर घूमने लगी। मेज पर एक प्लेट में चावल के पापड़ रखे थे। गिलहरी ने एक पापड़ उठाया और अपने अगले दोनों पंजों में पकड़कर धीरे-धीरे उसे खाने लगी। चिंटू को बहुत अच्छा लगा। उसने माँ से पूछा कि जब तक गिलहरी बिलकुल ठीक नहीं हो जाती क्या मैं उसे अपने पास रख सकता हूँ। अभी अगर वह बाहर जाएगी तो कौए उसे अपना आहार बना लेंगे। माँ को चिंटू की ऐसी सोच पर गर्व हुआ और उन्होंने खुशी-खुशी उसकी बात मान ली। चिंटू ने अपनी किताबों की खुली आलमारी के एक खाने में एक तौलिया बिछाकर गिलहरी को बैठा दिया। उसके पास चावल के कुछ पापड़ तथा अमरूद के कुछ टुकड़े रख दिए। तीन-चार दिन बाद जब गिलहरी अच्छी तरह दौड़ने लगी तो चिंटू ने उसे बाहर पेड़ पर छोड़ दिया।

सीख: हमें पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखना चाहिए।

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अपठित पद्यांश

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:-

काम जरा लेकर देखो, सख्त बात से नहीं स्नेह से
अपने अंतर का नेह अरे, तुम उसे जरा देकर देखो।
कितने भी गहरे रहें गर्त, हर जगह प्यार जा सकता है,
कितना भी भ्रष्ट जमाना हो, हर समय प्यार भा सकता है।
जो गिरे हुए को उठा सके, इससे प्यारा कुछ जतन नहीं,
दे प्यार उठा पाए न जिसे, इतना गहरा कुछ पतन नहीं ।।

– (भवानी प्रसाद मिश्र)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए:
a. किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त – ………….
b. हर समय अच्छी लगने वाली बात – ………….
उत्तर:

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए:
a. अच्छा प्रयत्न यही है – ………….
b. यही अधोगति है – ………….
उत्तर:

प्रश्न 3.
पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्ति का संदेश लिखिए।
उत्तर:

भाषा बिंदु

कोष्ठक में दिए गए प्रत्येक/कारक चिह्न से अलग-अलग वाक्य बनाइए और उनके कारक लिखिए:
[ने, को, से, का, की, के, में, पर, हे, अरे, के लिए]
………………………………………………………..
………………………………………………………..
………………………………………………………..
………………………………………………………..
………………………………………………………..
उत्तर:
(1) ने – ऋतु ने खाना बनाया।
(2) को – विपिन ने प्रगति को खाना खिलाया।
(3) से – हिमानी साइकिल से ऑफिस जाती है।
(4) का – शुभम हर्षित का भाई है।
(5) की – पूर्वी आयुष की बहन है।
(6) के – नीरज के तीन चाचा हैं।
(7) में – नीनू घर में है।
(8) पर – पेड़ पर बंदर कूद रहे हैं।
(9) हे – हे भगवान, कितना शोर है यहाँ।
(10) अरे – अरे! सलिल तुम कहाँ हो?
(11) के लिए – अंशु वारिजा के लिए फ्रॉक लाई।

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर Additional Important Questions and Answers

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पद्यांश क्र. 1

प्रश्न.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(i)
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 6

(ii) a. श्रीकृष्ण के सिर पर है
b. मीरा इन्हें अपना पति मानती हैं –
उत्तर:
a. श्रीकृष्ण के सिर पर है – मोर मुकट
b. मीरा इन्हें अपना पति मानती हैं – गिरधर गोपाल

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 7

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प्रश्न 3.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए:

 आ
आँसुओं के जल से
कुल की मर्यादा
प्रेम बेल
संत संगति के कारण
छोड़ दी
आनंद फल
लोक लाज खोई
प्रेम की बेल सींची
प्रेम से बिलोई।

उत्तर:

आँसुओं के जल से
कुल की मर्यादा
प्रेम बेल
संत संगति के कारण
प्रेम की बेल सींचा।
छोड़ दी।
आनंद फल।
लोक लाज खोई।

कृति 2: (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध रूप में लिखिए:
(i) भगत – …………………….
(ii) माखन – …………………….
(iii) आणंद – …………………….
(iv) जाके – …………………….
उत्तर:
(i) भगत – भक्त
(ii) माखन – मक्खन
(iii) आणंद – आनंद
(iv) जाके – जिसके।

प्रश्न 2.
निम्नालाखत शब्दा क समानाथा शब्दालाखए:
(i) मोर = …………………….
(ii) जगत = …………………….
(iii) दूध = …………………….
(iv) प्रेम = …………………….
उत्तर:
(i) मोर = मयूर
(ii) जगत = संसार
(iii) दूध = दुग्ध
(iv) प्रेम = प्यार।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अर्थवाले शब्द पद्यांश से चुनकर लिखिए:
(i) उद्घार करो – …………………….
(ii) मुझे – …………………….
उत्तर:
(i) उद्घार करो – तारो
(ii) मुझे – मोही।

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कृति 3: (सरल अर्थ)

प्रश्न.
उपर्युक्त पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मैंने दूध जमाने के पात्र में जमे दही को मथानी से बड़े प्रेम से बिलोया और उसमें से कृष्ण-प्रेम रूपी मक्खन को निकाल लिया। शेष छाछ रूपी निस्सार जगत को छोड़ दिया। कृष्ण-भक्तों को देखकर मैं प्रसन्न होती हूँ, परंतु संसार का व्यवहार देख मुझे दुख होता है और मैं रो पड़ती हूँ। हे गिरधरलाल, मीरा तो आपकी दासी है, उसे इस संसार रूप भव-सागर से पार लगाओ।

पद्यांश क्र. 2

प्रश्न.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए:

(i) ये मीरा के प्रतिपालक हैं
(ii) कृष्ण के बिना इनको कहीं आश्रय नहीं है –
(iii) मीरा को प्रभु से मिलने की तीव्र यह है –
(iv) मीरा की यह संसार सागर में डूबने वाली है
उत्तर:
(i) ये मीरा के प्रतिपालक हैं – कृष्ण
(ii) कृष्ण के बिना इनको कहीं आश्रय नहीं है – मीरा
(iii) मीरा को प्रभु से मिलने की तीव्र यह है – लालसा
(iv) मीरा की यह संसार सागर में डूबने वाली है – नौका

प्रश्न 2.
पद्यांश में आए इस अर्थ के शब्द लिखिए:

(i) दासी
(ii) आश्रय
(iii) बार-बार
(iv) नौका।
उत्तर:
(i) दासी – चेरी
(ii) आश्रय – गती
(iii) बार-बार – बेर-बेर
(iv) नौका – बेरी।

प्रश्न 3.
विधानों के सामने सत्य / असत्य लिखिए:

(i) हरि बिना मीरा को कहीं आश्रय नहीं है।
(ii) कृष्ण मीरा के पति हैं और वे उनकी पत्नी।
(iii) मीरा बार-बार प्रभु की आरती करती हैं।
(iv) मीरा की जीवन नौका संसार सागर में डूबने वाली है।
उत्तर:
(i) सत्य
(i) असत्य
(iii) असत्य
(iv) सत्य।

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 9
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 10

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कृति 2: (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए:

(i) कूण – …………………..
(ii) रावरी – …………………..
(iii) बेरी – …………………..
(iv) नेरी – …………………..
उत्तर:
(i) कूण – कहाँ
(ii) रावरी – आपकी
(iii) बेरी – बेड़ा
(iv) नेरी – पास, निकट।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचान कर लिखिए:
(i) पखावज …………………..
(ii) पिचकारी …………………..
(iii) गुलाल …………………..
(iv) चरण …………………..
उत्तर:
(i) पखावज – स्त्रीलिंग
(ii) पिचकारी – स्त्रीलिंग
(iii) गुलाल – पुल्लिंग
(iv) चरण – पुल्लिंग।

कृति 3: (सरल अर्थ)

प्रश्न.
उपयुक्त पद्यांश की ‘हरि बिन कूण आरति है तेरी।।’ पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हे हरि, आपके बिना मेरा कौन है? अर्थात आपके सिवा मेरा कोई ठिकाना नहीं है। आप ही मेरा पालन करने वाले हैं और मैं आपकी दासी हूँ। मैं रात-दिन, हर समय आपका ही नाम जपती रहती हूँ। में बार-बार आपको पुकारती हूँ, क्योंकि मुझे आपके दर्शनों की तीव्र लालसा है।

पद्यांश क्र. 3

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
पद्यांश में आए इस अर्थ के शब्द लिखिए:
बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका

(i) कमल
(ii) आकाश
(iii) श्रेष्ठ
(iv) संतोष।
उत्तर:
(i) कमल – कँवल
(ii) आकाश – अंबर
(iii) श्रेष्ठ – छतीयूँ
(iv) संतोष – संतोख।

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प्रश्न 2.
जोड़ियाँ बनाइए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 11
उत्तर:
(i) सुर – राग
(ii) करताल – झनकार
(iii) घट – पट
(iv) प्रेम – पिचकार।

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(i) आकाश लाल हो गया है इससे –
(ii) गिरिधर नागर हैं मीरा के ये –
उत्तर:
(i) आकाश लाल हो गया है इससे – गुलाल से।
(ii) गिरिधर नागर हैं मीरा के ये – प्रभु।

प्रश्न 4.
उत्तर लिखिए: (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 12
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 14
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 गिरिधर नागर 15

कृति 2: (शब्द संपदा) (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)

पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए:
ऐसे दो शब्द जिनका वचन परिवर्तन से रूप नहीं बदलता –
(i) ……………………..
(ii) ……………………..
उत्तर:
(i) दिन
(ii) चरण।

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कृति 3: (सरल अर्थ)

प्रश्न.
उपर्युक्त पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
उत्तर:
हे मेरे मन, फागुन मास में होली खेलने का समय अति अल्प होता है। अतः तू जी भरकर होली खेल। अर्थात मानव जीनव अस्थायी है, इसलिए भगवान कृष्ण से पूर्ण रूप से प्रेम कर ले। जिस प्रकार होली के उत्सव में नाच आदि का आयोजन होता है, उसी प्रकार कृष्ण-प्रेम में मुझे ऐसा प्रतीत होता है मानो करताल, पखावज आदि बाजे बज रहे हैं और अनहद नाद का स्वर सुनाई दे रहा है, जिससे मेरा हृदय बिना स्वर और राग के अनेक रागों का आलाप करता रहता है। मेरा रोम-रोम भगवान कृष्ण के प्रेम के रंग में डूबा रहता है। मैंने अपने प्रिय से होली खेलने के लिए शील और संतोष रूपी केसर का रंग घोला है। मेरा प्रिय-प्रेम ही होली खेलने की पिचकारी है।

भाषा अध्ययन (व्याकरण)

प्रश्न.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

1. शब्द भेद:
अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
(i) बाहर कोई नहीं है।
(ii) माँ को हंसी आ गई।
(iii) चतुर वैद्य विष से भी दवा का काम ले सकता है।
उत्तर:
(i) कोई – अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
(ii) हँसी – भाववाचक संज्ञा।
(iii) चतुर – गुणवाचक विशेषण।

2. अव्यय:
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(i) भी
(ii) इसलिए।
उत्तर:
(i) भी – हमारी बेटी गाय से भी अधिक सीधी है।
(ii) इसलिए – नीरज बीमार था, इसलिए दफ्तर नहीं गया।

3. संधि:
कृति पूर्ण कीजिए:
संधि शब्द – संधि विच्छेद – संधि भेद
…………. – उत् + लेख। – ……………
अथवा
तपोबल – …………… – ……………
उत्तर:
संधि शब्द – संधि विच्छेद – संधि भेद
उल्लेख – उत् + लेख – व्यंजन संधि
अथवा
तपोबल – तपः + बल – विसर्ग संधि

4. सहायक क्रिया:
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उनका मूल रूप लिखिए:
(i) यह कुरसी दीवार की तरफ खिसका दो।
(ii) हम समय पर स्टेशन पहुंच गए।
उत्तर:
सहायक क्रिया – मूल रूप
(i) दो – देना
(ii) गए – जाना

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5. प्रेरणार्थक क्रिया:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
(i) पढ़ना
(ii) जीतना
(ii) करना।
उत्तर:
क्रिया – प्रथम प्रेरणार्थक रूप – द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) पढ़ना – पढ़ाना – पढ़वाना
(ii) जीतना – जिताना – जितवाना
(iii) करना – कराना – करवाना

6. मुहावरे:
(1) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
(i) चैन न मिल पाना
(ii) झेंप जाना।
उत्तर:
(i) चैन न मिल पाना।

अर्थ: बेचैनी अनुभव करना। वाक्य: मालिक की कड़ी बातें सुनकर मुनीम को चैन न मिल पाया।

(ii) झेंप जाना।
अर्थ: लज्जित होना, शरमाना। वाक्य: नकल करने पर मित्र की फटकार सुनकर अभिनव झेंप गया।

(2) अधोरेखांकित वाक्यांशों के लिए कोष्ठक में दिए गए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए:
(नाक-भौं सिकोड़ना, गुदगुदा देना, सिर झुका देना)
(i) अप्रिय बात सुनकर सभी तिरस्कार प्रकट करेंगे।
(ii) जीवन में आनंददायी क्षण बहुत कम होते हैं।
उत्तर:
(i) अप्रिय बात सुनकर सभी नाक-भौं सिकोड़ेंगे।
(ii) जीवन में गुदगुदाने वाले क्षण बहुत कम होते हैं।

7. विरामचिह्न:
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
(i) मैं कहाँ से पैसे , पहले तो दूध की बिक्री के पैसे मेरे पास जमा रहते थे
(ii) सहसा कानों में आवाज आई काकी उठो मैं पूड़ियाँ लाई हूँ
उत्तर:
(i) “मैं कहाँ से पैसे दूँ? पहले तो दूध की बिक्री के पैसे मेरे पास जमा रहते थे।”
(ii) सहसा कानों में आवाज आई – “काकी, उठो मैं पूड़ियाँ लाई हूँ।”

8. काल परिवर्तन:
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
(i) विदा का क्षण आ गया। (सामान्य भविष्यकाल)
(ii) आप छत पर क्या करते हैं? (अपूर्ण भूतकाल)
(iii) मेरी गाड़ी तो बिक जाती है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर:
(i) विदा का क्षण आ जाएगा।
(ii) आप छत पर क्या कर रहे थे?
(iii) मेरी गाड़ी तो बिक गई है।

9. वाक्य भेद:
(1) निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचान कर लिखिए:
(i) संसार का व्यवहार देखकर मुझे दुःख होता है और मैं रो पड़ती हूँ।
(ii) मीराबाई कहती हैं कि अब उन्हें लोकलाज का कोई डर नहीं हैं।
उत्तर:
(i) संयुक्त वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य।

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(2) निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार परिवर्तन कीजिए:
(i) संतो के साथ बैठकर मैंने लोकलाज त्याग दी है। (विस्मयादिबोधक वाक्य)
(ii) हे हरि, आप ही मेरा पालन करने वाले हैं। (आज्ञावाचक वाक्य)
उत्तर:
(i) हाय! संतों के साथ बैठकर मैंने लोकलाज त्याग दी है।
(ii) हे हरि, आप ही मेरा पालन करें।।

11. वाक्य शुद्धिकरण:
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए:
(i) लेखक ने अभिनेता की घमंड तोड़ी।
(ii) हमने क्रिकेट की मैच देखी।
उत्तर:
(i) लेखक ने अभिनेता का घमंड तोड़ा।
(ii) हमने क्रिकेट का मैच देखा।

गिरिधर नागर Summary in Hindi

गिरिधर नागर कविता का सरल अर्थ

1. मेरे तो गिरधर गोपाल …………………………….. तारो अब मोही।।

गिरि को धारण करने वाले, गायों के पालक कृष्ण के सिवा मेरा और कोई नहीं है। जिनके मस्तक पर मोर का मुकुट शोभित है, वे ही मेरे पति हैं। उनके लिए मैंने कुल की मर्यादा छोड़ दी है। चाहे कोई मुझे कुछ भी कहे। संतों के साथ बैठ-बैठकर मैंने लोकलाज त्याग दी है। मैंने अपने प्रेम रूपी बेल को अपने अश्रु रूपी जल से सींच-सींचकर बड़ा किया है। अब तो यह प्रेम-बेल फैल गई है और इसमें आनंद रूपी फल लगने लगा है। मैंने दूध जमाने के पात्र में जमे दही को मथानी से बड़े प्रेम से बिलोया और उसमें से कृष्ण-प्रेम रूपी मक्खन को निकाल लिया। शेष छाछ रूपी निस्सार जगत को छोड़ दिया। कृष्ण-भक्तों को देखकर मैं प्रसन्न होती हूँ, परंतु संसार का व्यवहार देख मुझे दुख होता है और मैं रो पड़ती हूँ। हे गिरधरलाल, मीरा तो आपकी दासी है, उसे इस संसार रूपी भव-सागर से पार लगाओ।

2. हरि बिन कूण गती मेरी …………………………….. मैं सरण हूँ तेरी।।

हे हरि, आपके बिना मेरा कौन है? अर्थात आपके सिवा मेरा कोई ठिकाना नहीं है। आप ही मेरा पालन करने वाले हैं और मैं आपकी दासी हूँ। मैं रात-दिन, हर समय आपका ही नाम जपती रहती हूँ। मैं बार-बार आपको पुकारती हूँ, क्योंकि मुझे आपके दर्शनों की तीव्र लालसा है। यह संसार विभिन्न प्रकार के दोषों और विकारों से भरा हुआ सागर है, जिसके बीच में घिर गई हैं। इस संसार रूपी सागर में मेरी नाव टूट गई है। हे प्रभु, आप शीघ्र इस नाव का पाल बाँधिए, अन्यथा यह जीवन-नौका इस संसार-सागर में डूब जाएगी। हे प्रियतम, आपकी यह विरहिणी निरंतर आपकी बाट जोहती रहती है। आपके आगमन की प्रतीक्षा करती रहती है। आपकी यह दासी मीरा सदा आपके नाम का स्मरण करती रहती है और आपकी शरण में आई है।

3. फागुन के दिन चार …………………………….. चरण कँवल बलिहार रे।।

हे मेरे मन, फागुन मास में होली खेलने का समय अति अल्प होता है। अतः तू जी भरकर होली खेल। अर्थात मानव जीनव अस्थायी है, : इसलिए भगवान कृष्ण से पूर्ण रूप से प्रेम कर ले। जिस प्रकार होली के : उत्सव में नाच आदि का आयोजन होता है, उसी प्रकार कृष्ण-प्रेम में मुझे ऐसा प्रतीत होता है मानो करताल, पखावज आदि बाजे बज रहे हैं और अनहद नाद का स्वर सुनाई दे रहा है, जिससे मेरा हृदय बिना स्वर और राग के अनेक रागों का आलाप करता रहता है। मेरा रोम-रोम भगवान कृष्ण के प्रेम के रंग में डूबा रहता है। मैंने अपने प्रिय से होली खेलने के लिए शील और संतोष रूपी केसर का रंग घोला है। मेरा प्रिय-प्रेम ही होली खेलने की पिचकारी है। उड़ते हुए गुलाल से सारा आकाश लाल हो गया है। अब मुझे लोक-लज्जा का कोई डर नहीं है, इसलिए मैंने हृदय रूपी घर के दरवाजे खोल दिए हैं। अंत में मीरा कहती हैं कि मेरे स्वामी गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले कृष्ण भगवान हैं। मैंने उनके चरण-कमलों में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है।

गिरिधर नागर विषय-प्रवेश :

प्रस्तुत काव्य में रसिक शिरोमणि श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका मीराबाई अपना प्रेम प्रकट कर रही हैं। सभी पदों में | श्रीकृष्ण के प्रति मीराबाई के प्रेम, उनकी भक्ति, उत्सुकता, प्रिय-मिलन की आशा, प्रतीक्षा आदि का मार्मिक चित्रण है।

Class 10 Hindi Lokbharti Textbook Solutions

Bij Perle Gele Class 10 Marathi Chapter 14 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Marathi Aksharbharati Chapter 14 बीज पेरले गेले Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 14 बीज पेरले गेले Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Marathi Chapter 14 Question Answer

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 14 बीज पेरले गेले Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कारणे लिहा.

(अ) लेखकाच्या आई-वडिलांनी मन घट्ट करून मुलांचा निरोप घेतला, कारण ………………………….
उत्तर:
लेखकाच्या आई-वडिलांनी मन घट्ट करून मुलांचा निरोप घेतला कारण आपल्या मुलांनी चांगले शिकावे, मोठा ऑफिसर व्हावे व घराण्याचे नाव उज्ज्वल करावे, या उद्देशाने मन घट्ट करून लेखकाच्या आई -वडिलांनी मुलांचा निरोप घेतला.

(आ) लेखकाला लहानपणी अनेक खेळाडू पाहण्याची संधी मिळाली. कारण ………………………….
उत्तरः
लेखकाला लहानपणी अनेक खेळाडू पाहण्याची संधी मिळाली कारण लेखकांचे चुलते वाय.एम.सी.ए. च्या कंपाऊंडमध्ये राहत असत. लेखकही शिक्षणासाठी काकांकडे राहत होते. त्या कम्पाऊंडमध्ये अनेक सभासद खेळण्यासाठी येत असत.

(इ) ‘आंधळा मागतो एक डोळा आणि देव देतो दोन’ असे लेखकास वाटले, कारण ………………………….
उत्तरः
‘आंधळा मागतो एक डोळा व देव देतो दोन’ असे लेखकाला वाटले कारण लेखकाला क्रिकेट खेळ आवडू लागला होता. त्यांच्या कम्पाऊंडमध्ये सभासद खेळण्यासाठी येत त्यावेळी लेखकालाही चेंडू फेकण्यासाठी बोलावले जाई आणि लेखकाला हा खेळ आवडत असल्यामुळे तेही या कामासाठी तयार असत.

(ई) दुसऱ्या मुलांच्या हातांत खेळणी पाहून लेखकाला लहानपणी त्यांचा हेवा वाटत असे, कारण ………………………….
उत्तरः
दुसऱ्या मुलांच्या हातात खेळणी पाहून लेखकाला लहानपणी त्यांचा हेवा वाटत असे कारण तुटपुंज्या पगारात लेखकाचे वडील घरखर्च भागवत होते. त्यामुळे लेखकासाठी खेळणी विकत घेऊ शकत नव्हते.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले

प्रश्न 2.
आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले 10
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले 11

प्रश्न 3.
ओघतक्ता तयार करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले 2
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले 12

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले

प्रश्न 4.
खालील शब्दांसाठी पाठात आलेले समानार्थी शब्द शोधून लिहा.
(i) सही
(ii) निवास
(iii) क्रीडा
(iv) प्रशंसा
उत्तरः
(i) सही – स्वाक्षरी
(ii) निवास – घर
(iii) क्रीडा – खेळ
(iv) प्रशंसा – स्तुती

प्रश्न 5.
खालील वाक्यांत कंसातील वाक्प्रचारांचा योग्य उपयोग करून वाक्ये पन्हा लिहा. (आनंद गगनात न मावणे, हेवा वाटणे, खूणगाठ बांधणे, नाव उज्ज्वल करणे)

(अ) मोठे झाल्यावर रुग्णांची सेवा करण्यासाठी मी नर्स होण्याचे मनाशी निश्चित केले.
उत्तरः
मोठे झाल्यावर रुग्णांची सेवा करण्यासाठी मी नर्स होण्याची मनाशी खूणगाठ बांधली.

(आ) दारात अचानक मामा-मामींना बघून सर्वांना खूप आनंद झाला.
उत्तरः
अचानक दारात मामा-मामींना बघून सगळ्यांचा आनंद गगनात मावेनासा झाला.

(इ) आंतरराष्ट्रीय स्पर्धामध्ये कौस्तुभने बुद्धिबळ खेळात शाळेचे नाव उंचावले.
उत्तरः
आंतरराष्ट्रीय स्पर्धांमध्ये कौस्तुभने बुद्धिबळ खेळांत शाळेचे नाव उज्ज्वल केले.

(ई) मानसीने म्हटलेल्या गाण्याचे सर्वांनी केलेले कौतुक ऐकून मला क्षणभर तिचा मत्सर वाटला.
उत्तर:
मानसीने म्हटलेल्या गाण्याचे सर्वांनी केलेले कौतुक ऐकून मला क्षणभर तिचा हेवा वाटला.

प्रश्न 6.
स्वमत.

(अ) लेखकाच्या वडिलांची शिस्त जाणवणारे प्रसंग पाठाच्या आधारे तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
वडिलांची बदली वडगावाला झाल्यावर लेखकाने त्यांच्या बरोबर जाण्याचा आग्रह धरला; परंतु त्यांनी मोठे व्हावे, ऑफिसर व्हावे हे वडिलांचे स्वप्न असल्यामुळे त्यांना काकांकडे राहावे लागले.

दुसरा प्रसंग लेखक मित्रांसोबत शाळा बुडवून मॅच बघण्यासाठी गेले. हे वडिलांना कळल्यावर त्यांच्याकडून संतापाने छड्या खात लेखकास शाळेत जाऊन बसावे लागले.

अशाप्रकारे अभ्यास व शाळा याबाबत वडील कडक स्वभावाचे होते हे जाणवते.

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(आ) तुमच्या मते लेखकाच्या मनात क्रिकेटचे बीज कसे रुजले असावे ते लिहा.
उत्तर:
लेखक ज्यावेळी शिक्षणासाठी काकांकडे वाय.एम.सी.ए. कंपाऊंड मध्ये राहण्यास गेले, तेथे अनेक सभासद खेळण्यासाठी येत. त्यांच्या खेळाचे निरीक्षण करून, लेखकांना त्या खेळाची भुरळ पडली. तेव्हापासून ते शाळा सुटली ना सुटली की मैदानात खेळाडूंसोबत खेळायला मिळावे; म्हणून लवकर येत असत. क्रिकेट खेळाडू होणे हे त्यांनी मनाशी पक्के केले. सतत सराव करणे, मॅच बघण्यास जाणे यासाठी ते प्रयत्नात असत. अशाप्रकारे सभोवतालचा परिसर जो खेळासाठी प्रवृत्त करतो. यामध्ये सर्व खेळाडू, स्पर्धा यांचा प्रभाव लेखकाच्या मनात क्रिकेटचे बीज रुजण्यास प्रवृत्त करणारा होता.

(इ) तुमच्या मते लेखकाच्या मनात पेरले गेलेले क्रिकेटचे बीज कसे उगवले ते लिहा.
उत्तर:
लेखक जेव्हा शिक्षणासाठी काकांकडे राहत होते त्यावेळी क्रिकेट खेळ त्यांना आवडू लागला. ते वाय.एम.सी.ए. कंपाऊंड मध्ये सभासदांसोबत खेळत असत. त्यांच्या खेळाचे निरीक्षण करत, आपणही यांच्या सारखे खेळावे. एक क्रिकेट खेळाडू व्हावे असे त्यांनी मनाशी ठरवले. मॅच पाहण्यासाठी ते मित्रांसोबत जात, त्यांच्यांशी क्रिकेटच्या खेळाच्या गप्पा मारत, इतकेच नव्हे तर वडिलांनीही त्यांचे खेळाचे वेड पाहून जुनी बॅट खरेदी करून दिली. तसेच आंतरशालेय स्पर्धेत १०० धावांचा विक्रम त्यांनी केला. अशाप्रकारे क्रिकेटचे बीज लेखकांत उगवले.

(ई) प्रतिकूल परिस्थितीवर मात करण्यासाठी आवश्यक असलेल्या गुणांसंबंधी माहिती लिहा.
उत्तर:
प्रतिकूल परिस्थिती म्हणजे ज्या परिस्थितीत कुठल्याही प्रकारचे सुखी, समाधानी जीवन प्राप्त न होणे. अनेक संकटांना सामोरे जात जीवन जगणे होय.

प्रतिकूल परिस्थितीवर मात करण्यासाठी धैर्य, जिद्द याची गरज असते जी गोष्ट पूर्ण करायची आहे, त्यासाठी सतत प्रयत्न करत राहणे, स्वत:चा आत्मविश्वास विकसित करणे, मेहनतीशिवाय यश नाही. त्यामुळे श्रमाला महत्त्व देणे. ध्येय निश्चित करून ते पूर्ण करण्याचा ध्यास घेणे या गोष्टींची आवश्यकता असते.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 14 बीज पेरले गेले Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील उतारा वाचून दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
कारणे लिहा.

(i) वडिलांना मुलांसाठी खेळणी विकत घेणे शक्य नव्हते.
उत्तर:
लेखकाचे वडील त्या वेळेस पोलीस खात्यामध्ये तुटपुंज्या पगारावर नोकरी करत होते. त्यामुळे घरखर्च भागवताना फार त्रास होत असे म्हणून पैशाअभावी ते मुलांना खेळणी विकत घेऊ शकत नव्हते.

(ii) लेखक व त्यांच्या थोरल्या भावाला काकांकडे पुण्यातच रहावे लागले.
उत्तर:
लेखकाचे वडील पोलीस खात्यात असल्यामुळे त्यांची बदली वडगावला झाली. चांगले शिकावे, मोठे ऑफिसर व्हावे व घराण्याचे नाव उज्ज्वल करावे यासाठी त्यांना व त्यांच्या भावाला काकांकडे पुण्यातच रहावे लागले.

प्रश्न 3.
उताऱ्यानुसार घटनांचा क्रम लावा.

(i) वडीलांनी मन घट्ट करून निरोप घेतला.
(ii) वडिलांची बदली वडगावला झाली.
(iii) आम्ही शिकावे मोठे व्हावे असे त्यांना वाटे.
(iv) पुण्यातच शिक्षणासाठी मला व भावाला रहावे लागले.
उत्तर:
(i) वडिलांची बदली वडगावला झाली.
(ii) पुण्यातच शिक्षणासाठी मला व भावाला रहावे लागले.
(iii) आम्ही शिकावे मोठे व्हावे असे त्यांना वाटे.
(iv) वडीलांनी मन घट्ट करून निरोप घेतला.

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प्रश्न 4.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) लेखकाचा जन्म कुठे झाला?
उत्तर:
लेखकाचा जन्म पुण्यात झाला.

(ii) लेखकाचे वडील कुठल्या खात्यामध्ये नोकरी करत?
उत्तर:
लेखकाचे वडील पोलीस खात्यामध्ये नोकरी करत.

(iii) वडिलांची बदली कोठे झाली?
उत्तरः
वडिलांची बदली वडगावला झाली.

(iv) लेखक व त्यांच्या भावाला शिक्षणासाठी कोठे रहावे लागले ?
उत्तर:
लेखक व त्यांच्या भावाला शिक्षणासाठी पुण्यातच त्यांच्या काकांकडे रहावे लागले.

प्रश्न 5.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) दुसऱ्या मुलांच्या हातात ……………………….. पाहून आम्हाला त्यांचा हेवा वाटत असे. (वही, पेन, खेळणी, विटी)
(ii) तिथेच झोप लागायची आणि जाग यायची ती ……………………….. प्रेमळ कुशीत. (आईच्या, ताईच्या, बायकोच्या, बाबांच्या)
(iii) ……………………….. नाव उज्ज्वल करावे या उद्देशाने त्यांनी कसेबसे मन घट्ट करून आमचा निरोप घेतला. (शालेचे, गावाचे, घराण्याचे, देशाचे)
उत्तर:
(i) खेळणी
(ii) आईच्या
(iii) घराण्याचे

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
उत्तरे लिहा.
(i) पोलीस खात्यात नोकरी करणारे – [लेखकाचे वडील]
(ii) लेखक व भाऊ शिक्षणासाठी यांच्याकडे राहिले – [काकांकडे]

प्रश्न 2.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 3.
खालील शब्दांना मराठी शब्द सुचवा.
(i) बॅट – लाकडी फळी
(ii) स्टंप – यष्टी
(iii) बॉल – चेंडू
(iv) कॅम्प – शिबीर

प्रश्न 4.
चूक की बरोबर ते लिहा.

(i) वडिलांची बदली मडगावला झाली.
(ii) लेखक खेळकर होते.
(iii) भाऊ व लेखक यांना शिक्षणासाठी मामांकडे रहावे लागले.
(iv) मुलांनी ऑफिसर व्हावे अशी मामीची इच्छा होती.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर
(iii) चूक
(iv) चूक

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
लेखकाच्या आईवडिलांनी मन घट्ट करून का निरोप घेतला असेल? तुमच्या शब्दांत सांगा.
उत्तरः
प्रत्येक आईवडिलांची एकच इच्छा असते की आपले मूल मोठे व्हावे, आपले व आपल्या घराण्याचे नाव त्याने उज्ज्वल करावे. मुलांच्या नावाने आपण ओळखले जावे. प्रत्येक पालकांची ही एकच इच्छा असते की, आपल्या मुलांची उत्तरोत्तर प्रगती व्हावी, त्याची प्रसिद्धी व्हावी. त्याप्रमाणेच लेखकांच्या आईवडिलांचीही लेखक व त्यांचे भाऊ मोठे व्हावे, मोठे ऑफिसर व्हावे, आपले नाव उज्ज्वल करावे ही इच्छा होती. लेखकांच्या वडिलांची बदली वडगावला झाल्यामुळे शिक्षणासाठी त्यांना काकांकडे पुण्यातच ठेवण्यात आले. आपल्या मुलांना सोडून राहणे आईवडिलांना त्रासदायक होते; परंतु त्यांच्या उज्ज्वल भविष्यासाठी मन घट्ट करून लेखकाच्या आईवडिलांनी निरोप घेतला असेल असे मला वाटते.

प्रश्न २. पुढील उतारा वाचून दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा.

कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) सर्व खेळात लेखकांस कोणता खेळ आवडत असे?
उत्तर :
सर्व खेळात लेखकांना क्रिकेट खेळ आवडत असे.

(ii) लेखकाचे काका कुठे राहत?
उत्तर :
लेखकाचे काका पुण्याच्या वाय.एम.सी.ए. कंपाऊंडमध्ये राहत.

(iii) लेखकांनी काय व्हायचे ठरविले?
उत्तर :
लेखकांनी क्रिकेट खेळाडू व्हायचे ठरविले.

(iv) लेखक कोणाची दांडी उडवण्याचा प्रयत्न करत असे?
उत्तर :
लेखक सभासदांची दांडी उडवण्याचा प्रयत्न करत असे.

प्रश्न 3.
उताऱ्यानुसार घटनांचा क्रम लावा.

(i) शाळा सुटली ना सुटली तोच लेखक ग्राऊंडवर हजर होत.
(ii) अनेक खेळाडू पाहण्याची संधी मिळू लागली.
(iii) सभासद जसे जमेल तसे खेळायला येत.
(iv) लेखक सभासदांचा खेळ लक्ष देऊन पाहत,
उत्तर:
(i) सभासद जसे जमेल तसे खेळायला येत.
(ii) लेखक सभासदांचा खेळ लक्ष देऊन पाहत.
(iii) अनेक खेळाडू पाहण्याची संधी मिळू लागली.
(iv) शाळा सुटली ना सुटली तोच लेखक ग्राऊंडवर हजर होत.

प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.

(i) साहजिकच याचा …………………………… माझ्या बालमनावर होई. (संस्कार, परिणाम, आनंद, दुःख)
(ii) कोणी नाही असे पाहून ते मला …………………………… फेकायला (दगड, गोळा, चेंडू, भाला)
(iii) दुसऱ्या दिवसासाठी ग्राउंडवर पाणी मारणे इत्यादी कामात मी …………………………… आनंदाने मदत करत असे. (खेळाडूंना, पोलिसांना, ग्राऊंड्समनला, पंचना)
उत्तर:
(i) परिणाम
(ii) चेंडू
(iii) ग्राऊंड्समनला

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कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा

(i) खेळासाठी प्रसिद्ध संस्था – वाय. एम. सी. ए.
(ii) लेखकाचा आवडता खेळ – क्रिकेट

प्रश्न 3.
चूक की बरोबर ते लिहा.

(i) काका सभासदांचा खेळ लक्ष देऊन पाहत.
(ii) क्रिकेट खेळाडू बनण्याची लेखकाची इच्छा होती.
(iii) अनेक खेळाडू पाहण्याची संधी लेखकास मिळाली.
(iv) लेखकाचे मामा रात्री प्रार्थना व अभ्यास घेत.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर
(iii) बरोबर
(iv) चूक

प्रश्न 4.
योग्य पर्याय निवडून विधान पूर्ण करा,

(i) शाळा सुटली ना सुटली तोच धावत येऊन
(अ) मी प्रथम सिनेमागृहात हजर होत असे.
(आ) मी प्रथम मंदिरात हजर होत असे.
(इ) मी प्रथम ग्राऊंडवर हजर होत असे.
(ई) मी प्रथम नाट्यगृहात हजर होत असे.
उत्तर :
शाळा सुटली ना सुटली तोच धावत येऊन मी प्रथम ग्राऊंडवर हजर होत असे.

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
‘आंधळा मागतो एक डोळा व देव देतो दोन!’ असे लेखकाला का वाटले याबाबत तुमचे मत लिहा.
उत्तरः
लेखक शिक्षणासाठी जेव्हा काकांकडे राहण्यास गेले. त्यावेळी त्यांच्या जीवनाला एक वेगळी कलाटणी मिळाली. काका वाय, एम. सी. ए. कंपाऊंड मध्ये राहत होते. तेथे वाय.एम.सी.ए.चे सभासद क्रिकेट खेळण्यासाठी येत असत. त्यामुळे लेखक हा खेळ पाहण्यासाठी जात असत. त्याचवेळी त्यांची क्रिकेट खेळण्याची इच्छा वाढीस लागली. शाळा सुटली रे सुटली की ते ग्राऊंडवर हजर होत असत. त्यावेळी ते सभासद लेखकास खेळण्यासाठी बोलवत. त्यांना चेंडू फेकण्यास सांगत आणि लेखकही त्या कामासाठी सदैव तयार होत असत.

अशाप्रकारे क्रिकेटची आवड आणि प्रत्यक्ष खेळाडूंसोबत खेळण्याचा आनंद व्यक्त करताना लेखक ‘आंधळा मागतो एक डोळा व देव देतो दोन’ असे मत व्यक्त करतात.

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प्रश्न ३. पुढील उतारा वाचून दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
कारणे लिहा.

(i) वडिलांनी संतापाने लेखकास छड्या मारल्या.
उत्तरः
लेखक एके दिवशी शाळा चुकवून ग्राऊंडवर क्रिकेटचा एक मित्रत्वाचा सामना पाहण्यास गेले. त्यामुळे वडिलांनी लेखकास छड्या मारल्या.

(ii) लेखकांस त्यांचे वडील खेळासाठी नेहमी प्रोत्साहन देत असत.
उत्तरः
लेखकांचे वडील स्वत: व्हॉलीबॉल चॅम्पियन होते. त्यामुळे ते लेखकांस खेळासाठी नेहमी प्रोत्साहन देत असत.

प्रश्न 3.
घटनांचा क्रम लावा.

(i) लेखकाची धडपड सुरू झाली.
(ii) मैदानावर कनात घालण्यास आली.
(iii) आत जाण्याचे सर्व मार्ग बंद पडले.
(iv) मॅच पाहायला पाहिजे आणि तीही फुकटात.
उत्तर:
(i) मैदानावर कनात घालण्यास आली.
(ii) आत जाण्याचे सर्व मार्ग बंद पडले.
(iii) मॅच पाहायला पाहिजे आणि तीही फुकटात.
(iv) लेखकाची धडपड सुरू झाली,

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प्रश्न 4.
सातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.

(i) माझे ………………………….. स्वत: व्हॉलीबॉल चॅम्पियन होते. (वडील, काका, मामा, तात्या)
(ii) मी तसाच ती बॅट घेऊन ………………………….. दाखवत सुटलो. (आईला, मित्रांना, खेळाडूंना, सभासदाना)
(iii) ………………………….. साली भारतात ऑस्ट्रेलियन सर्व्हिसेसचा एक संघ पुण्यात आला होता. (१९६०, १९४०, १९४५, १९८३)
उत्तर:
(i) वडील
(ii) मित्रांना
(iii) १९४५

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
उत्तरे लिहा.

(i) लेखकाच्या खेळाबाबत स्तुतीपर वाय. एम. सी. ए. चे – उद्गार काढणारे खेळाडू
(ii) वडील या खेळात चॅम्पियन होते – व्हॉलीबॉल

प्रश्न 2.
खालील शब्दांना मराठी शब्द सुचवा.

(i) चॅम्पियन – सर्वोत्कृष्ट खेळाडू
(ii) ग्राऊंड – मैदान

प्रश्न 3.
चूकी की बरोबर ते लिहा.

(i) वडील फूटबॉल चॅम्पियन होते.
(ii) पूना क्लब ग्राऊंडवर एक मॅच झाली.
(iii) आईने लेखकास संतापाने छड्या मारल्या.
(iv) वडिलांनी जुनी बॅट विकत घेतली.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर
(iii) चूक
(iv) बरोबर

प्रश्न 4.
योग्य पर्याय निवडून विधाने पूर्ण करा.

(i) ………………………….. ग्राऊंडवर त्याची एक मॅच झाली.
(अ) पूना क्लबच्या.
(आ) मुंबई क्लबच्या.
(इ) सातारा क्लबच्या.
(ई) महाराष्ट्र क्लबच्या.
उत्तर:
पूना क्लबच्या ग्राऊंडवर त्याची एक मॅच झाली.

(ii) त्या वेळेस वडिलांचा मासिक पगार अवघा …………………………. .
(अ) तीस रूपये होता.
(आ) शंभर रूपये होता.
(इ) चोवीस रूपये होता.
(ई) दहा रूपये होता.
उत्तरः
त्या वेळेस वडिलांचा मासिक पगार अवघा चोवीस रूपये होता.

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प्रश्न 5.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) लेखकांचे वडील कोणत्या खेळात चॅम्पियन होते?
उत्तर:
लेखकांचे वडील ‘व्हॉलीबॉल’ या खेळात चॅम्पियन होते.

(ii) लेखकांच्या वडीलांनी लेखकांना दिलेली बॅट किती रूपयांची होती?
उत्तर:
लेखकाच्या वडीलांनी लेखकांना दिलेली बॅट सहा रूपयांची होती.

प्रश्न ४. पुढील उतारा वाचून दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.

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प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा.

(i) मॅच संपल्यावर यांच्या स्वाक्षऱ्या घेण्यासाठी झिम्मड उडते – खेळाडूंच्या स्वाक्षऱ्या घेण्यासाठी.
(ii) या तासाला लेखकांच्या स्वाक्षरीने वही भरत असे – गणित

प्रश्न 3.
घटनांचा क्रम लावा.

(i) आपल्या भोवतीही स्वाक्षरीसाठी गर्दी होईल.
(ii) काही खेळाडू स्वाक्षरी नाकारत.
(iii) काही खेळाडू आनंदाने स्वाक्षरी देत.
(iv) मॅच संपल्यावर खेळाडूंच्या स्वाक्षऱ्या घेण्यासाठी झिम्मड उडते.
उत्तर:
(i) मॅच संपल्यावर खेळाडूंच्या स्वाक्षऱ्या घेण्यासाठी झिम्मड उडते.
(ii) काही खेळाडू आनंदाने स्वाक्षरी देत.
(iii) काही खेळाडू स्वाक्षरी नाकारत.
(iv) आपल्या भोवतीही स्वाक्षरीसाठी गर्दी होईल.

प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) सर्व सोहळा पाहून मनात आले, की आपणही एक मोठे …………………………….. व्हावे. (कलाकार, पंच, खेळाडू, नट)
(ii) माझ्या मनात क्रिकेटचे …………………………….. पेरले गेले आणि उगवले ते असे. (बीज, रोप, स्थान, रहस्य)
उत्तर:
(i) खेळाडू
(ii) बीज

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
कारणे लिहा.

विद्यार्थी व शिक्षकांनी लेखकाच्या पाठीवर शाबासकीची थाप दिली.
उत्तरः
लेखकांनी आंतरशालेय सामन्यात १०० धावा केल्या. त्यांचे नाव शाळेच्या बोर्डावर झळकले म्हणून विदयार्थी व शिक्षकांनी कौतुकासाठी लेखकाच्या पाठीवर शाबासकीची थाप दिली. योग्य पर्याय निवडून विधान पूर्ण करा.

(i) विशेषत: मॅच संपल्यावर खेळाडूंच्या स्वाक्षऱ्या घेण्यास जी झिम्मड उडते, तेव्हाचे दृश्य …………………………..

(अ) मनाला लागले.
(आ) काळजात भिडले.
(इ) आनंद मिळाला.
(ई) सुंदर होते
उत्तरः
विशेषत: मॅच संपल्यावर खेळाडूंच्या स्वाक्षऱ्या घेण्यास जी झिम्मड उडते, तेव्हाचे दृश्य काळजात भिडले.

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प्रश्न 3.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) क्रिकेट खेळत असल्याबद्दल लेखकाला काय वाटले?
उत्तरः
क्रिकेट खेळत असल्याबद्दल लेखकाला धन्य-धन्य वाटले.

(ii) लेखक दिवसभर कोठे बसून मॅच पाहत हाते?
उत्तरः
लेखक दिवसभर झाडावर बसून मॅच पाहत होते.

स्वाध्याय कृती

*(६) स्वमत

(१) लेखकाच्या वडिलांची शिस्त जाणवलेले प्रसंग पाठाच्या आधारे तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
वडिलांची बदली वडगावाला झाल्यावर लेखकाने त्यांच्या बरोबर जाण्याचा आग्रह धरला; परंतु त्यांनी मोठे व्हावे, ऑफिसर व्हावे हे वडिलांचे स्वप्न असल्यामुळे त्यांना काकांकडे राहावे लागले.

दुसरा प्रसंग लेखक मित्रांसोबत शाळा बुडवून मॅच बघण्यासाठी गेले. हे वडिलांना कळल्यावर त्यांच्याकडून संतापाने छड्या खात लेखकास शाळेत जाऊन बसावे लागले.

अशाप्रकारे अभ्यास व शाळा याबाबत वडील कडक स्वभावाचे होते हे जाणवते.

(२) तुमच्या मते लेखकाच्या मनात क्रिकेटचे बीज कसे रुजले असावे ते लिहा.
उत्तर:
लेखक ज्यावेळी शिक्षणासाठी काकांकडे वाय.एम.सी.ए. कंपाऊंड मध्ये राहण्यास गेले, तेथे अनेक सभासद खेळण्यासाठी येत. त्यांच्या खेळाचे निरीक्षण करून, लेखकांना त्या खेळाची भुरळ पडली. तेव्हापासून ते शाळा सुटली ना सुटली की मैदानात खेळाडूंसोबत खेळायला मिळावे; म्हणून लवकर येत असत. क्रिकेट खेळाडू होणे हे त्यांनी मनाशी पक्के केले. सतत सराव करणे, मॅच बघण्यास जाणे यासाठी ते प्रयत्नात असत. अशाप्रकारे सभोवतालचा परिसर जो खेळासाठी प्रवृत्त करतो. यामध्ये सर्व खेळाडू, स्पर्धा यांचा प्रभाव लेखकाच्या मनात क्रिकेटचे बीज रुजण्यास प्रवृत्त करणारा होता.

बीज पेरले गेले Summary in Marathi

बीज पेरले गेले पाठपरिचय

‘बीज पेरले गेले’ हा पाठ लेखक ‘चंदू बोर्डे’ यांनी लिहिला आहे. या पाठात त्यांनी आपल्या बालपणातील काही आठवणी सांगितल्या असून आपल्या मनात क्रिकेटचे बीज कसे पेरले हे सांगितले आहे.

बीज पेरले गेले Summary in English

‘Bij Perle gele’ is written by Chandu Borde. He speaks of his childhood memories, including how he got inclined towards playing cricket.

बीज पेरले गेले शब्दार्थ

  • कष्ट – मेहनत – (hard work)
  • यथेच्छ – मन भरे पर्यंत, मनसोक्त – (to one’s heart’s content)
  • संध्याकाळ – सांजवेळ – (evening time)
  • आऊट – बाद करणे – (out)
  • इच्छा – मनिषा, मनोकामना – (wish)
  • पॅक्टिस – सराव – (practice)
  • ग्राऊंड – मैदान – (a playground)
  • स्तुती – कौतुक, प्रशंसा – (praise)
  • मित्र – सखा – (friend)
  • संताप – राग – (violent anger)
  • क्लब – मंडळ – (club)
  • मनसोक्त – मनापासून – (from one’s heart)
  • स्वाक्षरी – सही – (signature)
  • बालमित्र – लहानपणीचे सवंगडी – (childhood friends)
  • खेळकर – (asportive)
  • खोडकर – खोड्या करणारा – (naughty)
  • उपद्व्यापी – खोडकर, त्रासदायक – (mischievous)
  • तुटपुंजा – गरजेपेक्षा कमी, अपुरा, पुरेसा नसलेला – (meagre)
  • परिस्थिती – (condition)
  • खेळणी – खेळण्याच्या वस्तू (बाहूली, चेंडू इ.) – (a toy)
  • विटीदांडू – विटी व दांडू घेऊन खेळायचा खेळ – (the game of trapstick)
  • पतंग – (akite)
  • तक्रार – गा–हाणे – (complaint)
  • पाऊल – पाय, पाऊलखूण – (footmark, a foot)
  • चापटपोळी – थप्पड – (slap)
  • परिणाम – प्रभाव – (an effect)
  • हट्ट – हेका – (obstinacy)
  • उद्देश – (intention)
  • सभासद – सदस्य – (a member)
  • प्रयत्न – मोठा यत्न – (an attempt)
  • प्रार्थना – आराधना – (a prayer)
  • उद्गार – बोल, उच्चार – (utterance, word)
  • मासिक पगार – महिन्याला मिळणारा पगार – (salary)

बीज पेरले गेले बाकाचार

  • भुरळ पडणे – आवड निर्माण होणे
  • शाबासकीची थाप देणे – कौतुक करणे
  • आनंद गगनात मावेनासा होणे – खूप आनंद होणे
  • धन्य वाटणे – कृतकृत्य होणे
  • खूणगाठ मनाशी बांधणे – पक्का निश्चय करणे
  • छाती आनंदाने फुगणे – खूप आनंद होणे
  • नाव उज्ज्वल करणे – कीर्ती मिळवणे/प्रसिद्धी मिळणे

Marathi Akshar Bharati Class 10th Digest 

Class 10 Hindi Chapter 1 Bharat Mahima Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 1 Bharat Mahima Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 1 भारत महिमा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 10th Digest Chapter 1 भारत महिमा Questions And Answers

Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 1 भारत महिमा Textbook Questions and Answers

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का तात्पर्य लिखिए:
a. कहीं से हम आए थे नहीं → …………………….
b. वही हम दिव्य आर्य संतान → …………………….
उत्तर:
(a) हम भारतवासी किसी अन्य देश से आकर यहाँ नहीं बसे। हम यहीं के निवासी हैं। सभ्यता के प्रारंभ से हम यहीं रहते आए हैं।
(b) भारतवासी आर्य थे और हम उन्हीं आर्यों की दिव्य संतानें हैं।

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए:
संचय
सत्य
अतिथि
रत्न
वचन
दान
हृदय
तेज
देव
उत्तर:
(i) संचय – दान
(ii) सत्य – वचन
(iii) अतिथि – देव
(iv) रत्न – तेज।

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प्रश्न 3.
लिखिए.
a. कविता में प्रयुक्त दो धातुओं के नाम:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 6

b. भारतीय संस्कृति की दो विशेषताएँ:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 10

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कविता की अपनी पसंदीदा किन्हीं दो पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव। हम भारतीय दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हम यदि धन और संपत्ति का संग्रह करते भी थे तो दान के लिए करते थे। दानवीरता भारतीयों का गुण रहा है। महर्षि दधीचि और कर्ण जैसे दानवीर इसी भूमि पर हुए हैं। हमारे देश में अतिथियों को देवता के समान माना जाता था। भारतीय सत्यवादी हरिश्चंद्र की संतानें हैं। हमारे हृदय में तेज था, गौरव था। हम सदा अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहते थे। भारतीयों का मानना था- प्राण जाएँ,: पर वचन न जाएँ।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए:
a. रचनाकार का नाम
b. रचना का प्रकार
c. पसंदीदा पंक्ति
d. पसंदीदा होने का कारण
e. रचना से प्राप्त संदेश
उत्तर:
a. रचनाकार का नाम → जयशंकर प्रसाद।
b. रचना की विधा → कविता।
c. पसंद की पंक्तियाँ → व्योमतम पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक। (सूचना: विद्यार्थी अपनी पसंद की पंक्ति लिखेंगे।)
d. पंक्तियाँ पसंद होने का कारण → हम भारतीयों ने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया, जिसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।
e. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा → हमें सदैव अपने देश और इसकी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। जब भी आवश्यकता पड़े, देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 1 भारत महिमा Additional Important Questions and Answers

पद्यांश क्र. 1
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
पद्यांश से ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
(i) अभिनंदन
(ii) आलोक।
उत्तर:
(i) उषा ने हँसकर क्या किया?
(ii) जब भारतीयों ने ज्ञान का प्रचार किया तो संसार में क्या फैला?

प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त इन शब्दों से सहसंबंध दर्शाने वाले शब्द लिखिए:
(i) हिमालय – ……………………..
(ii) किरण – ……………………..
(iii) विमल – ……………………..
(iv) कोमल – ……………………..
उत्तर:
(i) हिमालय -आँगन
(ii) किरण – उपहार
(iii) विमल -वाणी
(iv) कोमल -कर

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प्रश्न 3.
विधानों के सामने सत्य/असत्य लिखिए:
(i) जब पूरा विश्व जगा तो भारतवासी भी जग गए।
(ii) वीणापाणि ने अपने हाथ में वीणा ली।
(iii) हिमालय के आँगन में किरणों का उपहास मिला।
(iv) सप्तसिंधु में सातों स्वर गूंजने लगे।
उत्तर:
(i) असत्य
(ii) सत्य
(iii) असत्य
(iv) सत्य।

प्रश्न 4.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए:
(i) उषा – आलोक
(ii) हीरक – संगीत
(iii) विश्व – अभिनंदन
(iv) वीणा – हार
उत्तर:
(i) उषा – अभिनंदन।
(ii) हीरक – हार
(iii) विश्व – आलोक
(iv) वीणा -संगीत।

कृति 2: (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
पद्यांश में से ढूँढ़कर उपसर्गयुक्त शब्द लिखिए:
(i) ………………. (ii) ……………….
उत्तर:
(i) अभिनंदन
(ii) उपहार।

प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक-एक शब्द लिखिए:
(i) गले में पहनने की मूल्यवान माला
(ii) सितार जैसा वह वाद्य जो सब वाद्यों में श्रेष्ठ माना जाता है, ……………….
उत्तर:
(i) हार
(ii) वीणा।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए:
(i) संपूर्ण
(ii) शोकरहित
(iii) संसार
(iv) आकाश।
उत्तर:
(i) संपूर्ण – अखिल
(ii) शोकरहित – अशोक
(iii) संसार – संसृति
(iv) आकाश – व्योम।

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कृति 3: (सरल अर्थ)

प्रश्न.
उपर्युक्त पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
भारत देश हिमालय के आँगन के समान है। प्रतिदिन उषा भारत को सूर्य की किरणों का उपहार देती है, मानो हँसकर भारत-भूमि का अभिनंदन कर रही हो। ओस की बूंदों पर जब प्रातःकालीन सूर्य की रश्मियाँ पड़ती हैं, तो ओस की बूंदें चमकने लगती हैं और ऐसा लगता है मानो, उषा ने भारत को हीरों का हार पहना दिया हो।

सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत में ही हुआ। अर्थात सबसे पहले हम जाग्रत हुए। फिर हमने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया। इसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञानरूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।

पद्यांश क्र. 2

प्रश्न.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 3
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 5

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
(i) भारत में केवल …………………………. की ही विजय नहीं रही। (चाँदी/लोहे/सोने)
(ii) यहाँ …………………………. भिक्षु की तरह रहते थे। (लोग/लड़के/सम्राट)
(iii) हमसे चीन को …………………………. की दृष्टि मिली। (धर्म/कर्म/धन)
(iv) हमारा देश सदा प्रकृति का …………………………. रहा। (खिलौना/आँगन /पालना)
उत्तर:
(i) भारत में केवल लोहे की ही विजय नहीं रही।
(ii) यहाँ सम्राट भिक्षु की तरह रहते थे।
(iii) हमसे चीन को धर्म की दृष्टि मिली।
(iv) हमारा देश सदा प्रकृति का पालना रहा।

प्रश्न 3.
उपर्युक्त पद्यांश पर आधारित ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
(i) सम्राट
(ii) धर्म।
उत्तर:
(i) कौन भिक्षु होकर रहते?
(ii) चीन को कौन-सी दृष्टि मिली?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का तात्पर्य लिखिए:
(ii) प्रकृति का रहा पालना यहीं।
उत्तर:
(ii) हमें प्रकृति ने प्रत्येक वस्तु मुक्तहस्त से प्रदान की। यहाँ की शस्य श्यामला भूमि, हिमाच्छादित गिरि शिखर, घाटियाँ, वादियाँ, सदानीरा नदियाँ, झरने, फल-फूल, संसाधनों से भरपूर जंगल सभी अनुपम हैं।

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प्रश्न 5.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(i) हमने गोरी को इसका दान दिया – [ ]
(ii) भारत की धरती पर इसकी धूम रही – [ ]
उत्तर:
(i) हमने गोरी को इसका दान दिया – [दया का]
(ii) भारत की धरती पर इसकी धूम रही – [धर्म की]

कृति 2: (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द-समूहों के लिए शब्द लिखिए:
(i) बहुमूल्य चमकीले प्रसिद्ध खनिज पदार्थ, जो आभूषणों आदि में जड़े जाते हैं –
(ii) छोटे बच्चों के लिए एक प्रकार का झूला या हिंडोला –
(iii) वह स्थान जहाँ किसी का जन्म हुआ हो –
(iv) बौद्ध संन्यासियों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द –
उत्तर:
(i) रत्न
(ii) पालना
(iii) जन्मस्थान
(iv) भिक्षु।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:
(i) विजय x ………………….
(ii) धर्म x ………………….
(iii) भूमि x ………………….
(iv) जन्म x ………………….
उत्तर:
(i) विजय x पराजय
(ii) धर्म x अधर्म
(iii) भूमि x आकाश
(iv) जन्म – मरण।

कृति 3: (सरल अर्थ)

प्रश्न.
उपर्युक्त पद्यांश की अपनी पसंदीदा किन्हीं दो पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम। भारतीयों ने शस्त्रों के बल पर दूसरे देशों को नहीं जीता, बल्कि उन्होंने प्रेमभाव से लोगों के हृदय जीते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की भावना रही है। यहाँ वर्धमान महावीर और गौतम बुद्ध जैसे त्यागी धर्मपुरुष हुए हैं, जिन्होंने अपना विशाल साम्राज्य छोड़कर भिक्षु का स्वरूप धारण किया और घर-घर घूमकर लोगों का कष्ट दूर करने का प्रयास किया, धर्म का प्रचार किया।

पद्यांश क्र. 3

प्रश्न.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का तात्पर्य लिखिए:
(i) किसी को देख न सके विपन्न।
उत्तर:
(i) भारतीय कभी किसी को दुखी नहीं देख सके। दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए हम भारतीय सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(i) हम चरित्र के ऐसे थे – [ ]
(ii) हम दान के लिए यह करते थे – [ ]
(iii) हमारे लिए ये देवता के समान थे – [ ]
(iv) हमें अपने गौरव पर यह था – [ ]
उत्तर:
(i) हम चरित्र के ऐसे थे [पवित्र]
(ii) हम दान के लिए यह करते थे [संचय]
(iii) हमारे लिए ये देवता के समान थे [अतिथि]
(iv) हमें अपने गौरव पर यह था [गर्व]

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प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 8
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 11

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 9
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1 भारत महिमा 12

कृति 2: (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
पद्यांश से उपसर्ग वाले दो शब्द ढूँढकर लिखिए:
(i) ……………………. (ii) …………………….
उत्तर:
(i) अतिथि
(ii) अभिमान।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
(i) पूत = …………………….
(ii) गर्व = …………………….
(iii) प्रतिज्ञा = …………………….
(iv) प्यारा = …………………….
उत्तर:
(i) पूत – पावन
(ii) गर्व = घमंड
(iii) प्रतिज्ञा = प्रण
(iv) प्रिय = प्यारा।

प्रश्न 3.
पद्यांश से शब्द ढूँढकर लिखिए:
(i) पवित्र शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – …………………….
(ii) गरीब शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – …………………….
उत्तर:
(i) पवित्र शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – पूत
(ii) गरीब शब्द के लिए प्रयुक्त शब्द – विपन्न।

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कृति 3: (सरल अर्थ)

पदय विश्लेषण
सूचना: यह प्रश्नप्रकार कृतिपत्रिका के प्रारूप से हटा दिया गया है। लेकिन यह प्रश्न पाठ्यपुस्तक में होने के कारण विद्यार्थियों के अधिक अभ्यास के लिए इसे उत्तर-सहित यहाँ समाविष्ट किया गया है।

भाषा अध्ययन (व्याकरण)

प्रश्न. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

1. शब्द भेद:
अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
(i) राजा दशरथ वृद्ध दंपति के सामने बैठ गए।
(ii) सड़क कदाचित कच्ची थी।
उत्तर:
(i) दशरथ – व्यक्तिवाचक संज्ञा।
(ii) सड़क – जातिवाचक संज्ञा।

2. अव्यय:
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(i) बहुत
(ii) सामने
(iii) किंतु।
उत्तर:
(i) प्रयाग बहुत थक गया था।
(ii) स्कूल के सामने एक बगीचा है।
(iii) घर में दीपक तो था, किंतु उसमें तेल न था।

3. संधि:
कृति पूर्ण कीजिए:

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
उज्ज्व ……………… ………………
अथवा
 प्रश्न + उत्तर ………………………………

उत्तर:

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
उज्ज्वल उत् + ज्वल व्यंजन संधि
अथवा
 प्रश्नोत्तर प्रश्न + उत्तरस्वर संधि

4. सहायक क्रिया:
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उनका ‘मूल रूप लिखिए:
(i) इस पद ने मोहिनी मंत्र का जाल बिछा दिया।
(ii) बालक भूमि पर लेट गया।
उत्तर:

सहायक क्रिया मूल रूप
(i) दिया देना
(ii) गया। Maharashtra Board Solutions जाना

5. प्रेरणार्थक क्रिया:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
(i) दौड़ना
(ii) बोलना
(iii) रोना।
उत्तर:

क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) दौड़ना। दौड़ाना दौड़वाना
(ii) बोलना बुलाना बुलवाना
(iii) रोना रुलाना रुलवाना

6. मुहावरे:
(1) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
(i) दृष्टि फेरना
(ii) राह देखना।
उत्तर:
(i) दृष्टि फेरना।
अर्थ: नजर डालना।
वाक्य: नेताजी ने श्रोताओं पर दृष्टि फेरी।

(ii) राह देखना।
अर्थ: प्रतीक्षा करना।
वाक्य: विद्यार्थी कई दिनों से छुट्टियों की राह देख रहे थे।

(2) अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए गए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: (सपने की संपत्ति होना, चल बसना, भनक पड़ना)
(i) हफ्ते भर की बीमारी में मरीज चला गया।
(ii) दारोगाजी ने उड़ती हुई खबर सुनी कि कल दंगा होने वाला है।
(ii) ऐसा भूकंप आया कि क्षण भर में सारी चहल-पहल विलुप्त हो गई।
उत्तर:
(i) हफ्ते भर की बीमारी में मरीज चल बसा।
(ii) दारोगाजी के कान में भनक पड़ी कि कल दंगा होने वाला है।
(iii) ऐसा भूकंप आया कि क्षण भर में सारी चहल-पहल सपने की संपत्ति हो गई।

7. कारक:
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए:
(i) नारी महान है।
(ii) वह किसी को किसी प्रकार की कमी नहीं होने देती।
(iii) प्रेरणा का सूक्ष्म प्रभाव होता है।
उत्तर:
(i) नारी – कर्ता कारक
(ii) किसी को – कर्म कारक
(iii) प्रेरणा का – संबंध कारक।

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8. विरामचिह्न:
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
(i) क्या बताऊँ गाय ने दूध देना बंद कर दिया है बूढ़ी हो गई है इस जमाने में गाय भैंस पालने का खर्चा
(ii) हे मेरे मित्रो परिचितो आओ अपने सारे बदले लेने का यही वक्त है
उत्तर:
(i) “क्या बताऊँ। गाय ने दूध देना बंद कर दिया है, बूढ़ी हो गई है। इस जमाने में गाय-भैंस पालने का खर्चा …।”
(ii) “हे मेरे मित्रो, परिचितो! आओ, अपने सारे बदले लेने का यही वक्त है।”

9. काल परिवर्तन:
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
(i) मनु पीछे की ओर मुड़ता है। (सामान्य भूतकाल)
(ii) तुम्हारा मुख लाल होता है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(iii) रोगी की अवस्था बदल जाती है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर:
(i) मनु पीछे की ओर मुड़ा।
(ii) तुम्हारा मुख लाल हो रहा है।
(iii) रोगी की अवस्था बदल गई थी।

10. वाक्य भेद:
(1) निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए:
(i) भारतीय चरित्र के पवित्र होते हैं।
(ii) बादल आए किंतु पानी नहीं बरसा।
उत्तर:
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य।

(2) निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए:
(i) तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए। (आज्ञावाचक)
(ii) मास्टर जी ने पुस्तकें लाने के लिए पैसे दिए। (प्रश्नवाचक)
उत्तर:
(i) तुम अपना ख्याल रखो।
(ii) क्या मास्टर जी ने पुस्तकें लाने के लिए पैसे दिए?

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11. वाक्य शुद्धिकरण:
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए:
(i) क्रोध से उसकी नेत्र लाल हो गए।
(ii) राम ने हिरण का शिकार की।
(iii) मैं मेरा काम करता है।
उत्तर:
(i) क्रोध से उसके नेत्र लाल हो गए।
(ii) राम ने हिरन का शिकार किया।
(iii) में अपना काम करता हूँ।

भारत महिमा Summary in Hindi

भारत महिमा कविता का सरल अर्थ

1. हिमालय के आँगन …………………………………… मधुर साम संगीत।. . .

हमारा यह प्यारा भारत देश हिमालय के आँगन के समान है। प्रतिदिन उषा भारत को सूर्य की किरणों का उपहार देती है। तब ऐसा लगता है मानो हँसकर वह भारत-भूमि का अभिनंदन कर रही हो। ओस की बूंदों पर जब प्रातःकालीन सूर्य की रश्मियाँ पड़ती हैं तो ऐसा लगता है जैसे उषा ने भारत को हीरों का हार पहना दिया हो।

सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत में ही हुआ अर्थात सबसे पहले हम जाग्रत हुए। फिर हमने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया। इसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।

वाणी की देवी वीणापाणि (सरस्वती) ने इसी पवित्र भूमि पर प्रेम के साथ अपने कमल के समान कोमल करों में वीणा उठाई, उसकी झंकार से सप्तसिंधुओं में सातों स्वरों का मोहक सरगम गूंजने लगा, मधुर संगीत का जन्म हुआ। इसी महान देश में संगीत के वेद सामवेद की रचना हुई।

2. विजय केवल …………………………………… आए थे नहीं।. . .

भारत के लोगों ने शस्त्रों के बल पर देशों को नहीं जीता। यहाँ प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की प्रखर भावना रही है और उन्होंने संसार में धर्म का प्रचार किया। यहाँ गौतम बुद्ध और वर्धमान महावीर जैसे धर्मपुरुष हुए हैं, जिन्होंने विशाल साम्राज्य छोड़कर भिक्षु का स्वरूप धारण किया और घर-घर घूमकर लोगों का कष्ट दूर करने का प्रयास किया, धर्म का प्रचार किया। हमने मोहम्मद गोरी को पराजित करने के बाद भी दयापूर्वक क्षमा कर दिया। हमारे देश से ही चीन को धर्म की दृष्टि मिली। (भारत के महान सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए चीन, स्वर्ण भूमि अर्थात जावा और श्रीलंका भेजा) जावा और श्रीलंका के लोगों को पंचशील (अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, सत्य, ब्रह्मचर्य आदि) के सिद्धांत मिले।

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भारतवासियों ने कभी किसी की संपत्ति या किसी का राज्य छीनने का प्रयास नहीं किया। हमें प्रकृति ने प्रत्येक वस्तु मुक्तहस्त से प्रदान की। प्रकृति की हमारे देश पर महान कृपा रही है। (यहाँ की शस्य श्यामला भूमि, हिमाच्छादित गिरि शिखर, घाटियाँ, वादियाँ, सदानीरा नदियाँ, झरने, फल-फूल, संसाधनों से भरपूर जंगल सभी अनुपम हैं) भारत सदा से हमारी जन्मभूमि है। हम इसी देश की संतानें हैं। हम बाहर के किसी स्थान से आकर यहाँ नहीं बसे हैं। (जैसा कि कुछ विदेशियों का कहना है।)

3. चरित थे पूत …………………………………… प्यारा भारतवर्ष।. . .

भारत के लोग सदा से चरित्रवान रहे हैं। हमारी भुजाओं में भरपूर शक्ति रही है। भारतीयों में वीरता की कभी कमी नहीं रही। साथ ही नम्रता सदा हमारा गुण रहा है। हमने कभी अपनी उपलब्धियों पर घमंड नहीं किया। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व रहा है। हम कभी किसी को दुखी नहीं देख सके। दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए हम भारतीय सदैव तत्पर रहते हैं। ‘हम यदि धन और संपत्ति का संग्रह करते भी थे, तो दान के लिए करते थे। दानवीरता भारतीयों का गुण रहा है। हमारे देश में अतिथियों को सदा देवता के समान माना जाता था। भारत के लोग सत्य बोलना अपना धर्म मानते थे। (भारतीय सत्यवादी हरिश्चंद्र की संतानें हैं।) हमारे हृदय में तेज था, गौरव था। हम सदा अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहते थे। प्राण जाए, पर वचन न जाए हमारा जीवनमूल्य रहा है।

आज भी हम भारतीयों की धमनियों में उन्हीं पूर्वजों का रक्त प्रवाहित हो रहा है। आज भी हमारा देश वैसा ही है। आज भी भारतीयों में वैसा ही साहस है। भारतीय आज भी ज्ञान के क्षेत्र में सबसे आगे हैं। आज भी हम पहले के समान शांति के पुजारी हैं। देशवासियों में वैसी ही शक्ति है। हम उन्हीं आर्यों की दिव्य संतानें हैं।

हम जब तक जिएँ, इसी देश के लिए जिएँ। हमें इसकी सभ्यता और संस्कृति पर अभिमान है और हर्ष है कि हमने इस भूमि पर जन्म लिया है। यह हमारा प्यारा भारतवर्ष है। यदि कभी आवश्यकता पड़े, तो इसके लिए अपना सर्वस्व भी न्योछावर कर दें।

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भारत महिमा विषय-प्रवेश :

प्रकृति ने हमारे देश भारत की रचना बड़े प्यार से की है। हमारा देश हिमालय की गोद में बसा हुआ है। हमारा देश सबसे पहले जाग्रत हुआ था और इसकी संस्कृति सबसे पुरानी है। प्रस्तुत कविता में छायावाद के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद जी ने हमारे प्यारे देश भारत के इसी महिमामंडित अतीत का मनोरम चित्रण किया है। कवि की आकांक्षा है कि हमें सदैव अपने देश पर, इसकी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर, हमें देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

भारत महिमा मुहावरा –

  • अर्थ निछावर करना – अर्पण करना, समर्पित करना।

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सूचना के अनुसार कृवियाँ कीविए:
(1) प्रहवलका पूण् कीविए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 1
उतर:

(2) कृवि पूण् कीविए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 2
उतर:

(3) आकृवि मे वलखिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 3
उतर:

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(4)
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 5
उतर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 33

(5) लखिए:
a.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 6
उतर:

b.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 7
उतर:

भाषा हबंदु
(1) हनम्हलखखत संहध हिचछेद की संहध कीहजए और भेद हलखखए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 8
उतर:

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
(i) सज्जन सत् + जन व्यंजन संधि
(ii) नमस्ते नमः+ ते विसर्ग संधि
(iii) स्वागत सु + आगत स्वर संधि
(iv) दिग्दर्शक दिक् + दर्शक व्यंजन संधि
(v) यद्यपि यदि + यपि स्वर संधि
(vi) दुस्साहस दुः + साहस विसर्ग संधि

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(2) हनम्हलखखत शब् का संहध हिचछेद कीहजए और भेद हलखखए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 9
उतर:

संधि विच्छेद संधि शब्दसंधि भेद
(i) दुः +  लभ दुर्लभ विसर्ग संधि
(ii) महा +  आत्मा महात्मा स्वर संधि
(iii) अन् +  आसक्त अनासक्त स्वर संधि
(iv) अंतः +  चेतना अंतश्चेतना विसर्ग संधि
(v) सम् +  तोष संतोष व्यंजन संधि
(vi) सदा + एव सदैव स्वर संधि

(3) हनम्हलखखत आकृहत मे हदए गए शब् का हिचछेद कीहजए और संहध का भेद हलखखए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 10
उतर:

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
(i) दिग्गज’ दिक् + गज व्यंजन संधि
(ii) सप्ताह सप्त + अह स्वर संधि
(iii) निश्चल निः + चल विसर्ग संधि
(iv) भानूदय भानु + उदय स्वर संधि
(v) निस्संदेह निः + संदेह विसर्ग संधि
(vi) सूर्यास्त सूर्य + अस्त स्वर संधि

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(4) पाठो मे आए संहध शब् छाँटकर उनका हिचछेद कीहजए और संहध का भेद हलखखए।

संधि शब्द संधि विच्छेद संधि भेद
(i) निर्जीव निः + जीव विसर्ग संधि
(ii) संभव सम् + भव व्यंजन संधि
(iii) उज्ज्व लउत् + ज्वल व्यंजन संधि

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 7 खुला आकाश Additional Important Questions and Answers

गद्यांश क्र.1
कृति 1: (आकलन)
(1) आकृति पूर्ण कीजिए:

उत्तर:

(2) उत्तर लिखिए: (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)

उत्तर:

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

‘बढ़ती हुई जनसंख्या का मनुष्य जीवन पर प्रभाव’ के बारे में आपके विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
उत्तर:
आज लगभग सभी देशों की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। यह जनसंख्या वृद्धि आज संसार के समक्ष एक समस्या बन गई है। सभी देशों के संसाधन सीमित हैं और बढ़ी हुई जनसंख्या की माँग विशाल है, जिसकी पूर्ति करना संभव नहीं है। इसी का परिणाम है कि आज लोगों के सामने बेकारी की समस्या उत्पन्न हो गई है। जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि पर आधारित लोग परेशान हैं। खेती योग्य जमीन बँटती जा रही है।

अब वह इतने लोगों को रोटी देने में असमर्थ हो गई है। गाँवों की आबादी का बोझ शहरों पर आ पड़ा है। यहाँ शहरों में बेकारी की समस्या है। यहाँ भी लोग रोटी, कपड़ा, मकान की समस्याओं से जूझ रहे हैं। लोग गंदी बस्तियों में रहने के लिए मजबूर हैं। न इतने लोगों के लिए ढंग की शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध हो पा रही है और न ही चिकित्सा व्यवस्था।

बढ़ती जनसंख्या ने देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ दी है। इस पर अंकुश लगाकर ही इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। तभी मनुष्य के जीवन स्तर में भी सुधार हो पाएगा।

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गद्यांश क्र.2
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)
(2) सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
(i) बिलकुल चुपचाप बैठकर सिर्फ ………………………… बारे में सोचें। (मेरे/अपने/सबके)
(ii) दूसरों की सोच-समझ पर ………………………… रखें। (भरोसा/प्रेम/संदेह)
(iii) ………………………… अन्य नहीं, अंतमय है, हमारे ही प्रतिरूप, हमसे अलग या भिन्न नहीं। (दूसरा /सब/वह)
(iv) ………………………… तरह सारे मनुष्य केवल मनुष्य होते और कुछ नहीं। (इसी/उसी/किसी)
उत्तर:
(2) (i) बिलकुल चुपचाप बैठकर सिर्फ अपने बारे में सोचें।
(ii) दूसरों की सोच-समझ पर भरोसा रखें।
(iii) दूसरा अन्य नहीं, अंतमय है, हमारे ही प्रतिरूप, हमसे अलग या भिन्न नहीं।
(iv) उसी तरह सारे मनुष्य केवल मनुष्य होते और कुछ नहीं।

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

‘आत्मचिंतन के लाभ’ विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
आत्मचिंतन यानी स्वयं के विषय में चिंतन करना। आत्मचिंतन का अर्थ है किसी कार्य को करने या होने के बाद उसे करने के लिए अपनाई. गई क्रिया और विचार पद्धति का विश्लेषण। आत्मचिंतन के द्वारा हमें अपनी गलतियों से सीखने, साथ ही अपने किए गए कार्य को और बेहतर ढंग से करने का मौका मिलता है। किसी भी व्यक्ति को कोई दूसरा जितना सिखा सकता है, उससे कहीं अधिक वह अपने स्वाध्याय एवं आत्मचिंतन के द्वारा सीख सकता है। इस प्रक्रिया में हम शांत भाव से बैठकर किसी समस्या या मुद्दे के बारे में चिंतन कर सकते हैं।

छात्र जीवन में तो इसकी और भी अधिक आवश्यकता है। अपनी क्षमताओं के विषय में अच्छी तरह जाने-समझे बिना हम लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं। शीघ्रातिशीघ्र उसे प्राप्त कर लेना चाहते हैं और बाद में भटक जाते हैं। इसलिए पहले आत्मचिंतन करें, स्वयं को जानें, फिर लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास करें।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढकर दी गई ‘सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)
(1) उत्तर लिखिए:

उत्तर:

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

‘जीवन की सार्थकता के विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
ईश्वर ने हमें सर्वश्रेष्ठ योनि अर्थात मानव योनि में जन्म दिया है। हमारा कर्तव्य है कि हम मानव जाति के लिए कुछ अच्छा कार्य करें। हमें जितनी आयु मिली है, वह समय हम अच्छे कार्यों को करने में लगाएँ। कुछ ऐसा काम करें जिससे समाज और देश का हित हो।

कुछ लोग समय की कमी की बात करते हैं। लेकिन यदि कुछ करने की लगन हो तो समय आड़े नहीं आता। स्वामी विवेकानंद 40 वर्ष की आयु से भी पहले इस संसार से चले गए। ईसा मसीह का 30 वर्ष की आयु में ही प्राणांत हो गया। रामानुजम, रानी लक्ष्मीबाई, नेपोलियन, सिकंदर और अन्य अनेक अल्पायु में ही इस असार संसार को छोड़ गए, फिर भी मानव इतिहास में, ये महापुरुष अपनी छाप छोड़ गए।

सीमित समय में भी जितना अधिक-से-अधिक अच्छा हो सके, हमें देश व समाज के कल्याण के लिए कुछ सकारात्मक अवश्य करना चाहिए।

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गद्यांश क्र. 4
प्रश्न.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)
(1) आकृति पूर्ण कीजिए:

उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 35

(2) जोड़ियाँ मिलाइए:

 आ
(i) शौक भविष्य
(ii) एकनिष्ठ गुलाम
(ii) उज्ज्वल रास्ते
(iv) दरजनों सेवा

उत्तर:

 आ
(i) शौक रास्ते
(ii) एकनिष्ठ सेवा
(iii) उज्ज्वल भविष्य
(iv) दरजनों गुलाम

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

→ ‘जो हम शौक से करना चाहते हैं, उसके लिए रास्ते निकाल लेते हैं, इसका सोदाहरण अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जिन कामों या चीजों का हमें शौक होता है, जिसमें हमारी रुचि होती है, उसके लिए हम समय, विधा सब निकाल लेते हैं। रुचि सफलता की वाहक है। हम सभी अपनी रुचि के कामों को करते समय उसमें डूब जाते हैं। उसी का परिणाम होता है सफलता। शिक्षा काल में जिस विषय में हमारी रुचि होती है, उसे पढ़ने में हम सारी रात भी जग लेते हैं, जबकि किसी ऐसे विषय की पुस्तक खोलते ही आँखें नींद से भर आती हैं, जो हमें पसंद न हो।

व्यायाम, तैराकी, बागवानी, चित्रकला, गायन, वादन आदि ऐसे अनेक कार्य हैं, जिनका यदि शौक हो तो मनुष्य घंटों बिताने पर भी उनसे ऊब अनुभव नहीं करता। किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए उसमें रुचि होना परम आवश्यक है। बिना रुचि के आगे बढ़ने की संभावना बहुत कम होती है। जिस काम में हमारी रुचि होती है, उसे करने के लिए हम अपनी सारी ऊर्जा लगा देते हैं। न दिन देखते हैं, न ही रात। थकान शब्द तो मानो हमारे शब्दकोश में कभी था ही नहीं।

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→ ‘कंप्यूटर ज्ञान का महासागर’ विषय पर तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कंप्यूटर इस पृथ्वी पर कल्पवृक्ष के समान है। जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहाँ इसका महत्व न हो। सूचना के क्षेत्र में कंप्यूटर के कारण अद्भुत क्रांति आ गई है। इंटरनेट इसकी अनुपम देन है। दुनियाभर की जानकारी हम मिनटों में प्राप्त कर सकते हैं। यह एक सेकंड में दस हजार करोड़ गणितीय गणना कर सकता है।

चाहे मौसम का पूर्वानुमान हो या प्राकृतिक गैस और खनिज भंडारों का पता लगाना हो, रेलगाड़ियों और हवाईजहाजों का आरक्षण कराना हो या संसारभर की जानकारी प्राप्त करनी हो, कंप्यूटर के द्वारा घर बैठे हम मिनटों में कर सकते हैं। यह समय-समय पर भौगोलिक सूचनाओं से संबंधित जानकारी भी देता है। मुद्रण व प्रसारण के क्षेत्र में इसका योगदान असीमित है।

कंप्यूटर एक चालक की भाँति वायुयान का संचालन करता है। चालक के बटन दबाते ही कंप्यूटर स्वयं गति और दिशा का निर्धारण कर लेता है। शिक्षा के क्षेत्र में तो आज कंप्यूटर एक अनिवार्यता बन गया है।

→ महानगरीय/ग्रामीण दिनचर्या के लाभ तथा हानि के बारे में अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
गाँवों में आज भी खुला आसमान है। वहाँ का वातावरण शुद्ध, प्रकृति की गोद में है, जबकि महानगरों में आसमान दिखाई नहीं पड़ता। बड़े पैमाने पर वाहनों से होने वाला प्रदूषण, लगातार होने वाला शोर, भीड़ और धुआँ असहज महसूस कराता है। भीड़भाड़, ट्रैफिक जाम, और अपराध महानगरों में रोज की बात है। गाँवों में एक प्रकार का ठहराव है। शाम ढलते ही चारों ओर एक प्रकार का सन्नाटा पसर जाता है।

जबकि, महानगरों में जीवन हर समय गतिमान रहता है। देर रात तक ऑफिस, दुकानें खुली रहती हैं। बस, ट्रेन, टैक्सियाँ, स्कूटर्स सड़कों पर दौड़ते रहते हैं। गाँवों में धूप, हरियाली और शांति का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। लोग आज भी गर्मजोशी से मिलते हैं। एक-दूसरे के दुख-तकलीफ में काम आते हैं। महानगरों में बहुत-से लोग पड़ोसी तक को नहीं पहचानते। दोस्तों, रिश्तेदारों के लिए समय नहीं निकाल पाते।

यहाँ लोगों के पास पैसा है, सुविधाएँ हैं, पर शांति कोसों दूर है। ग्रामीण लोगों का जीवन महानगरों की भागदौड़ से दूर एवं प्रकृति के करीब होता है। दूसरी ओर महानगरों में लोग हमेशा समय को पकड़ने के लिए दौड़ते रहते हैं। अति व्यस्तता के कारण तनाव, फिर स्वास्थ्य। संबंधी विभिन्न परेशानियाँ उन्हें घेर लेती हैं।

अपवठि ग‍दयांश

नम्वलखिि पररचछे‍ पढ़कर सूचना के अनुसार कृवियाँ कीविए:

हर फकसी को आतमरक् करनी होगी, हर फकसी को अपना कत्यय करना होगा। मै फकसी की सहायता की प्राशा नही करता। मै फकसी का भी प्राह नही करता। इस दुफनया से मदद की प्र्या करने का मुझे कोई अफधकार नही है। अतीत मे फिन लोगो ने मेरी मदद की है या भफ‍व् मे भी लोग मेरी मदद करें, मेरे प्र उन सबकी करुण मौिूद है, इसका दा‍व कभी नही फकया सकता। इसीफलए मै सभी लोगो के प्र फचर कक तज ञँ।

तुमहारी पररफस्फत इतनी बुरी देखकर मै बेहद फचंफतत हँ। लेफकन यह लो फक-‘तुमसे भी जयादा दुखी लोग इस संसार मे है। मै तुमसे भी जयादा बुरी पररफस्फत मे हँ। इंग् मे सब कुछ के फलए मुझे अपनी ही िेब से खच् करना पड़ता है। आमदनी कुछ भी नही है। लंदन मे एक कमरे का फकराया हर सप्ह के फलए तीन पाउंड होता है। ऊपर से अनय कई खच् है। अपनी तकलीिो के फलए मै फकससे फशकायत करू? यह मेरा अपना कम्यल है, मुझे ही भुगतना होगा।’

(फ‍ववकानंद की आतमकथा से)

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(1) कृवि पूण् कीविए:
1.Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 11

2. Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 7 खुला आकाश 12

(2) उतिर वलखिए:
1. पररचछेद मे उखलिखत देश – [ ]
2. हर फकसी को करना होगा – [ ]
3. लेखक की तकलीिे – [ ]
4. हर फकसी को करनी होगी – [ ]

(3) वन‍देानुसार हल कीविए:
(अ) वनम्वलखिि अर् से मेलनेला शब् उपयु्थ् पररचछे‍ से ढूँढ़कर वलखिए ः
1. स्वं की रक् करना – …………………………….
2. दूसरो के उपकारो को मानने ‍वला – …………………………….

(4) लंग पहचानकर वलखिए:
1. जेब [ ]
2. साहित्य [ ]
3. दावा [ ]
4. सेवा [ ]

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खुला आकाश Summary in Hindi

विषय-प्रवेश : प्रस्तुत पाठ डायरी विधा का एक उदाहरण है। कुँवर नारायण जी ने इस पाठ के माध्यम से नगरों की भीड़, वहाँ की जीवन-शैली, जीवन के संघर्ष, आत्मचिंतन आदि पर प्रकाश डाला है। लेखक मानते हैं कि व्यक्ति के विकास में आत्मचिंतन का बड़ा महत्त्व है। इसके द्वारा हम अपनी क्षमताओं के बारे में और अधिक जान सकेंगे। साथ ही अपनी गलतियों से सीख ले सकेंगे।

Class 10 Hindi Lokbharti Textbook Solutions

Khara Nagrik Class 10 Marathi Chapter 15 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Marathi Aksharbharati Chapter 15 खरा नागरिक Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 15 खरा नागरिक Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Marathi Chapter 15 Question Answer

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 15 खरा नागरिक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 19

प्रश्न 2.
खालील घटनांचे परिणाम लिहा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 2
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 20

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक

प्रश्न 3.
निरंजनची दिनचर्या लिहा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 21

प्रश्न 4.
खालील शब्दांना पाठात आलेले विरुद्धार्थी शब्द शोधून लिहा.

(१) अप्रामाणिक x
(२) बेसावध x
(३) हळूहळू x
(४) पास x
उत्तर:
(i) प्रामाणिक
(ii) सावध
(iii) चटकन, भरभर
(iv) नापास

प्रश्न 5.
निरंजनचे खालील गुण दर्शवणारी कृती किंवा विचार व्यक्त करणारी वाक्ये शोधा.

(i) स्वप्नाळू –
(ii) तार्किक विचार करणारा –
(ii) संवेदनशील –
उत्तर:
(i) स्वप्नाळू – कोकण गाडी बद्दल वाटले की ही कोकण गाडी किती छान दिसते; पण दिसते न दिसते लगेच बोगद्यात शिरते काय मजा येत असेल नाही गाडीतून जायला? आपण ही मोठं झाल्यावर गाडीतून फिरू या विचाराने तो हुरळून गेला.

(ii) तार्किक विचार – त्याचं लक्ष डाव्या बाजूस रूळाखाली करणारा पडलेल्या भल्या मोठ्या भगदाडाकडे गेले. हे छिद्र कसलं? रोज नसतं असं. प्रवाशांनी भरलेली ९.५० ची गाडी येईल तर भयंकर अपघात होईल. हा त्याने तर्कपूर्ण विचार केला.

(iii) संवेदनशील – भीषण अपघात टळण्याची बातमी वर्तमानपत्रात फोटोसह छापून आली होती. घरी मोठमोठी माणसे आली होती. खुद्द जिल्हाधिकारी आले. शाळेचे मुख्याध्यापक आणि भडसावळे गुरूजीही आले. निरंजनने धावत येऊन गुरूजींचे पाय धारले. रडत रडत तो म्हणाला, गुरूजी, मी नापास होणार माझा कालचा नागरिकशास्त्राचा पेपर बुडाला.

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प्रश्न 6.
स्वमत.

(अ) ‘निरंजनच खरा नागरिक’ हे तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
निरंजन कष्टाळू व प्रामाणिक मुलगा होता. घरची, गोठ्यातली कामे करून अभ्यासातही हुशार होता. नागरिकशास्त्राच्या पेपरच्या दिवशी सकाळपासून अभ्यास करून तो वाराने जेवायला म्हणून देशमुखांकडे जात होता; पण पुलावर त्याने अघटितच पाहिले. कुणीतरी पुलाचे काँक्रीट फोडून रेल्वेचे रूळ वेडेवाकडे करून ठेवले होते. घातपात करण्याचा कट त्याच्या लक्षात आला. तो सावध झाला. गाडी येण्यापूर्वीच त्याने स्टेशनाकडे धाव घेतली. प्रसंग व धोका समजावून सांगितला. पंचनामा करण्यासाठी अधिकारी हजर झाले. संभाव्य धोका निरंजनामुळे टळला. केवळ पुस्तकी ज्ञान मिळवून गुण मिळवणे एवढेच मर्यादित ध्येय न ठेवता स्वार्थ बाजूस सारून त्याने सर्वांचा जीव वाचविला. खऱ्या नागरिकाचे कर्तव्य त्याने निभावले होते.

(आ) तुम्हाला अभिप्रेत असलेली आदर्श विदयार्थ्याची गुणवैशिष्ट्ये लिहा.
उत्तरः
विद्यार्थी अनेक गुणांनी युक्त असेल तर त्याला आदर्श विद्यार्थी म्हणवला जातो. सर्वप्रथम अभ्यास, नीटनेटके अक्षर, लेखन कौशल्य अंगी असले पाहिजे. शिस्त, समयपालन, नम्रपणा याला प्राधान्य देणेही तितकेच गरजेचे आहे. अंगच्या गुणांमध्ये अभिमानी न होता विनयशील व मोठ्यांचा आदर राखणारा विद्यार्थी खरा आदर्श विदयार्थी असतो. समयसूचकता, धारिष्ट्य, दुसऱ्यांना मदत हे गुण जीवनात फार महत्त्वाचे असतात. अशा गुणांनी युक्त विद्यार्थी सर्वप्रिय होतो.

(इ) तुम्हांला निरंजनशी मैत्री करायला आवडण्याची वा न आवडण्याची कारणे स्पष्ट करा.
उत्तरः
निरंजनला आईवडील नाहीत, त्याच्या मनातील हा सल काढून टाकण्यासाठी त्याला चांगल्या मित्राची गरज आहे. म्हणून मला निरंजनचा मित्र व्हायला आवडेल. त्याची आर्थिक परिस्थितीही कमकुवत असल्यामुळे जेवणाच्या व शिक्षणाच्या खर्चासाठी मी त्याला काही मदत करू शकतो. याचबरोबर निरंजन हा निस्वार्थी, प्रसंगावधान असलेला, हुशार, मेहनती मुलगा आहे. त्यामुळे या सर्वगुणसंपन्न निरंजनशी मैत्री करायला मला आवडेल.

खालील तक्ता पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 6
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 22
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 23

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 15 खरा नागरिक Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.

कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 7

प्रश्न 2.
खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.

(i) कोणता विषय जरा अवघडच असतो?
उत्तरः
नागरिकशास्त्र हा विषय जरा अवघडच असतो.

(ii) मामाने निरंजनला कोठे आणून सोडले?
उत्तर:
मामाने निरंजनला चिपळूणला मावशीकडे आणून सोडले

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक

(iii) मावशीचे घर कोठे होते?
उत्तर:
चिपळूण शहरालगतच्या उपनगरात गावापासून दूर डोंगराच्या पायथ्याशी मावशीचे घर होते.

(३) कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) ………………………… टवटवीत आणि प्रसन्न वातावरणात अभ्यास खूप छान होतो. (सकाळच्या, दुपारच्या, थंडीच्या, रात्रीच्या)
(ii) ………………………… गुरुजींचा सल्ला त्याला मोलाचा वाटे. (भोसले, फाटक, भडसावळे, देशमुख)
(iii) गुरुजींचंही ………………………… खूप प्रेम होतं. (सदानंदवर, निरंजनवर, अतुलवर, सचिनवर)
उत्तर:
(i) सकाळच्या
(ii) भडसावळे
(iii) निरंजनवर

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
योग्य पर्याय निवडा.
(i) निरंजन भल्या पहाटेस उठून अभ्यासाला बसला, कारण
(i) त्याला झोप येत नव्हती.
(ii) अभ्यास पूर्ण झाला नव्हता.
(iii) पहाटे उठायला त्याला आवडत असे.
(iv) त्याचा शेवटचा नागरिकशास्त्राचा पेपर होता.
उत्तर:
निरंजन भल्या पहाटेस उठून अभ्यासाला बसला कारण त्याचा शेवटचा नागरिकशास्त्राचा पेपर होता.

प्रश्न 2.
‘मुंबईला’ हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तरः
मामा कोठे निघून गेला?

प्रश्न 3.
सहसंबंध लिहा.
रेडिओ : भक्तिगीत :: पक्षी : …………………………
उत्तरः
सुमधुर संगीत

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक

प्रश्न 4.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 8

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
‘अभ्यासासाठी पहाटेचे वातावरण पोषक असते’ यावर तुमचे विचार मांडा.
उत्तरः
‘लवकर निजे, लवकर उठे त्यास उत्तम आरोग्य लाभे’ या वचनानुसार राहाणाऱ्यांना आरोग्यप्राप्ती होतेच व आयुष्यात यशप्राप्तीही होते. लवकर उठल्याने पहाटेच्या वेळेचा सदुपयोग करता येतो. पहाटे अभ्यासही छान होतो. केलेला अभ्यास लक्षात राहातो. पहाटे गोंगाट, कलकलाट नसल्याने चित्त एकाग्र होते. पुरेशी झोप झाल्याने शरीर व मन दोन्हीही प्रफुल्लित असतात. हवेत सुखद गारवा असतो. पक्ष्यांचा किलबिलाट असतो. पहाटेची भूपाळी, जात्यावरच्या ओव्या किंवा रेडिओवरची मधुर सनई मन प्रसन्न करते. शांततेत पाठांतर होते. मनन व चिंतन होते. पहाटे कामांची लगबग नसते, वाहनांची ये-जा नसते म्हणून मन स्थिर होण्यास वेळ लागत नाही. एकाग्र मनाने अभ्यास करता येतो.

प्रश्न २. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक 9

प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 15 खरा नागरिक

(i) निरंजन दुपारी कोठे जेवायला जायचा?
उत्तरः
दररोज एकाच्या घरी दुपारी निरंजन पाहुणा म्हणून जेवायला जायचा.

(ii) निरंजन कोणाच्या घरी काम करायचा?
उत्तरः
निरंजन मावशीच्या घरी काम करायचा.

(iii) परीक्षा किती वाजता सुरू होणार होती?
उत्तरः
परीक्षा साडेदहा वाजता सुरू होणार होती.

प्रश्न 3.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.

(i) ………………………… परिस्थिती यथातथाच असल्याने निरंजन वार लावून जेवायचा. (काकांची, मावशीची, मामाची, आत्याची)
(ii) गुरुजींवर श्रद्धा ठेवायची आणि परीक्षेत ………………………… नंबर पटकवायचा. (दुसरा, पहिला, तीसरा, चौथा)
(iii) साडेदहाची परीक्षा. त्याआधी ………………………… जायचं होतं. (देशमुखांकडे, थोरातांकडे, भडसावळे गुरुजींकडे, मावशीकडे)
उत्तर:
(i) मावशीची
(ii) पहिला
(iii) देशमुखांकडे

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
योग्य पर्याय निवडा.
भडसावळे गुरुजींनी निरंजनला येथे वार लावून दिले.
(i) स्वत:च्या घरी
(ii) थोरामोठ्यांच्या घरी
(iii) मुख्याध्यापकांकडे
(iv) मावशीकडे
उत्तरः
(ii) थोरामोठ्यांच्या घरी

प्रश्न 2.
सकारण लिहा.

(i) निरंजन आज मनोमन खूश होता कारण …………………………
(ii) निरंजन वार लावून जेवायचा कारण …………………………
उत्तर:
(i) आधीचे पेपर्स चांगले गेले होते.
(ii) मावशीची परिस्थिती यथातथाच होती.

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प्रश्न 3.
‘गुरुजींवर’ हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तर:
निरंजन कोणावर श्रद्धा ठेवायचा?

प्रश्न 4.
चूक की बरोबर लिहा.

(i) निरंजन मावशीच्या घरी प्रामाणिकपणे काम करायचा.
(ii) गुरुजींचं वाक्य लक्षात ठेवून निरंजन खेळायला जायचा.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) चूक

कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
गरीब विद्यार्थी मित्राला तुम्ही केलेली मदत स्पष्ट करा.
उत्तरः
अक्षय हा माझ्या बालपणापासूनचा मित्र. घरची परिस्थिती यथातथाच असून तो नेटाने शिकत आहे. दिवसभर स्वत: मोलमजूरी करून तो रात्रशाळेत शिकतो. माझी आई प्रत्येक सणवाराला त्याला जेवायला बोलावते. गोडधोड खाऊ घालते.

माझ्यासारखे त्याला कपडेही घेऊन देते. माझे वडील त्याची वर्षभराची फी भरतात. मी ही जमेल तेवढी त्याला अभ्यासात मदत करतो. त्याचे वडील वाहनचालक आहेत. माझे वडील त्यांनाच गाडी चालवण्यासाठी बोलावून पगार देतात.

प्रश्न ३. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
एका वाक्यात उत्तरे लिहा.

(i) शेवटची गाडी केव्हां जाते?
उत्तरः
रात्री दोन वाजता शेवटची गाडी जाते.

(ii) निरंजनला कशाचा राग येई?
उत्तर:
लोकांच्या बेफिकीर प्रवृत्तीचा राग येई.

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(iii) निरंजनचे लक्ष कुठे गेले?
उत्तरः
डाव्या बाजूस रुळाखाली पडलेल्या मोठ्या भगदाडाकडे निरंजनचे लक्ष गेले.

(iv) निरंजनाच्या काय ध्यानी आले?
उत्तरः
कुणीतरी काँक्रिट फोडून रेल्वेचे रुळ वेडेवाकडे करून ठेवल्याचे निरंजनच्या ध्यानी आले.

प्रश्न 3.
उत्तरे लिहा.

(i) गावाबाहेर डोंगरपायथ्याशी
घर होते + निरंजनच्या मावशीचे

(ii) निरंजनला भयंकर
राग येई + लोकांच्या बेफिकीर प्रवृत्तीचा

प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) आता ………………………… आल्याने रेल्वेचा छान पूल नदीवर आला. (मध्य रेल्वे, पश्चिम रेल्वे, कोकण रेल्वे, हार्बर रेल्वे)
(ii) या ………………………… जाणं-येणं सोपं झालं होतं. (मार्गामुळं, रस्त्यामुळं, वाटेमुळं, पुलामुळं)
उत्तर:
(i) कोकण रेल्वे
(ii) पुलामुळं

प्रश्न 5.
उताऱ्यानुसार वाक्यांचा क्रम लावा.

(i) रात्री दोन वाजता शेवटची गाडी इथून जाते.
(ii) प्रवाशांनी भरलेली नऊ पन्नासची गाडी येईल
(iii) धाडधाड् आवाज करत दिमाखात पुलावरून जाईल
(iv) निरंजनला आश्चर्य वाटलं.
उत्तर:
(i) धाधाड् आवाज करत दिमाखात पुलावरून जाईल.
(ii) निरंजनला आश्चर्य वाटलं.
(iii) रात्री दोन वाजता शेवटची गाडी इथून जाते.
(iv) प्रवाशांनी भरलेली नऊ पन्नासची गाडी येईल.

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
खालील घटनांचे परिणाम लिहा.

घटना – परिणाम
(i) आता नऊ पन्नासची गाडी येईल. – धाडधाड् आवाज करत दिमाखात पुलावरून जाईल.
(ii) जर दगड बाजूला ठेवायचे विसरलात. – तर दुसरा ठेचकाळून  जीवाला मुकेल.

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प्रश्न 2.
सकारण लिहा –
पूर्वीसारखे या नदीच्या पाण्यात उतरून चालत चालत नदी पार करावी लागत नाही कारण –
उत्तरः
आता कोकण रेल्वे आल्याने रेल्वेचा छान पूल नदीवर आला.

प्रश्न 3.
योग्य पर्याय निवडून विधान पूर्ण करा.
निरंजनला लोकांच्याया बेफिकीर प्रवृत्तीचा. …………………………
(i) भयंकर संताप येई.
(ii) भयंकर राग येई.
(iii) भयंकर चिड येई.
(iv) भयंकर आपुलकी वाटे.
उत्तर:
निरंजनला लोकांच्या या बेफिकीर प्रवृत्तीचा भयंकर राग येई.

प्रश्न 4.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
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प्रश्न 5.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) रात्री पाच वाजता शेवटची गाडी जाते.
(ii) कोकण रेल्वे आल्याने रेल्वेचा छान पूल नदीवर आला.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर

कृती ३ : स्वमत

तुमच्या खबरदारीने भावी धोका टळला असा प्रसंग तुमच्या शब्दात मांडा.
उत्तरः
आम्ही सर्व मुले मे महिन्याच्या सुट्टीत हिमाचलप्रदेशाच्या डोंगरात गिर्यारोहणासाठी गेलो होतो. नदीवरचा पूल ओलांडायचा होता. २५ जणांचा चमू घेऊन जाण्याची जबाबदारी माझ्यावर होती. निसर्ग सौंदर्य न्याहाळत सर्वजण पुलावरून जात असताना माझे लक्ष पुलाच्या पुढच्या टोकाकडे गेले. दोरखंडांनी बांधलेल्या पुलाचे एक दोरखंडी टोक तुटून गेले होते. प्रसंगावधान राखून मी सर्व मुलांना मागे जाण्याचे आदेश दिले. दुसऱ्या बाजूने उतरून गावकऱ्यांना सूचित केले. पूल ताबडतोब वापरण्यासाठी बंद करण्यात आला व मोठी मनुष्यहानी टळली.

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प्रश्न ४. खालील उताऱ्याच्या आधारे पुढील सूचनेनुसार कृती करा:
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.

(i) निरंजनने धावतच कोणाला गाठले?
उत्तर:
निरंजनने धावतच स्टेशनमास्तरांना गाठलं.

(ii) निरंजनने स्टेशनमास्तरांना काय सांगितले?
उत्तर:
निरंजनने स्टेशनमास्तरांना पुलावरच्या खराब झालेल्या रूळांबद्दल सांगितले.

(iii) निरंजनने कोणती आर्जवं केली?
उत्तर:
निरंजनने आर्जवं केली की, निदान जागा पाहून आल्याशिवाय तरी गाडी सोडू नका.

प्रश्न 3.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) ………………………… इथून खूप दूर होतं. (गाव, स्टेशन, शहर, वाडी)
(ii) ………………………… किलोमीटर तिथपर्यंत सांगायला जायचं तर परीक्षा बुडणार होती. (पाच-सहा, दोन-तीन, तीन-चार, सहा-सात)
उत्तर:
(i) स्टेशन
(ii) तीन-चार.

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(४) कोष्टक पूर्ण करा.
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कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
खालील घटनांचे परिणाम लिहा.
घटना – परिणाम
परीक्षा बुडाली की – नापास

प्रश्न 2.
घटनाक्रम लिहा.

(i) निरंजनने नेमकी जागा दाखवली.
(ii) निरंजनने स्टेशनच्या दिशेने धाव घेतली.
(iii) स्टेशनमास्तरांनी गाडी थांबवण्याचा आदेश दिला.
(iv) निरंजन एकदम सावध झाला.
उत्तर:
(i) निरंजन एकदम सावध झाला.
(ii) निरंजनने स्टेशनच्या दिशेने धाव घेतली.
(iii) निरंजनने नेमकी जागा दाखवली.
(iv) स्टेशनमास्तरांनी गाडी थांबवण्याचा आदेश दिला.

प्रश्न 3.
योग्य पर्याय निवडून वाक्य पूर्ण करा.

(i) निरंजनने क्षणभर विचार केला आणि
(अ) स्टेशनच्या दिशेने धाव घेतली.
(ब) घटनास्थळी पोहचला.
(क) गाववाल्यांना बोलवायला गेला.
(ड) शाळेत निघून गेला.
उत्तर:
निरंजनने क्षणभर विचार केला आणि स्टेशनच्या दिशेने धाव घेतली.

(ii) ………………………… लगेचच गाडी दीर्घकाळ थांबवण्याचा आदेश दिला आणि ते या घटनेचा पंचनामा करायला लागले.
(अ) जिल्हाधिकाऱ्याने
(ब) पोलीसांनी
(क) शिक्षकांनी
(ड) स्टेशनमास्तरांनी
उत्तर:
स्टेशनमास्तरांनी लगेचच गाडी दीर्घकाळ थांबवण्याचा आदेश दिला आणि ते या घटनेचा पंचनामा करायला लागले.

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प्रश्न 4.
चूक की बरोबर ते लिहा.
(i) निरंजन स्टेशनात शिरला तेव्हा नऊ पन्नासची गाडी नुकतीच आली होती.
(ii) निरंजनचे रेल्वेने फिरायचे स्वप्न पूर्ण होणार होते.
उत्तर:
(i) बरोबर
(ii) चूक

प्रश्न 5.
कोण कोणास म्हणाले ते लिहा.
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कृती ३ : स्वमत

प्रश्न 1.
‘भावनेपेक्षा कृती श्रेष्ठ’ या विचारांवर स्वमत प्रकट करा.
उत्तरः
आपल्याला मनात काय वाटते यापेक्षा जे वाटते ते विधायक काम प्रत्यक्ष केले पाहिजे. गरिबांना मदत करावीशी वाटते. अंधांना सहारा दयावासा वाटतो; ही भावना जपणे ठिक आहे पण प्रत्यक्ष कृती करणे त्यापेक्षा श्रेष्ठ आहे. आईला, आजीला, कामात मदत करणे, आजोबांची पिशवी उचलणे, बागकाम करून झाडांना पाणी घालणे इ. कितीतरी लहानमोठी कामे करण्यासारखी असतात, ती केली की मनाला समाधान मिळते म्हणून नुसतीच भावना मनात बाळगून अर्थ नाही तर कृती करणे महत्वाचे आहे. भावनेपेक्षा कृती केव्हाही श्रेष्ठच!

प्रश्न ५. पुढील उताऱ्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १: आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतीबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा.
(i) अपघाताची पहिली खबर देणारा – निरंजन
(ii) निरंजनचा फोटो काढणारे – वार्ताहर

प्रश्न 3.
खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.
(i) निरंजनने धावत पुढे जाऊन कोणाचे पाय धरले?
उत्तर:
निरंजनने धावत पुढे जाऊन भडसावळे गुरुजींचे पाय धरले.

(ii) निरंजनला सरकारी वसतिगृहात प्रवेश क्यायचं असे कोणी ठरवलं?
उत्तर:
निरंजनला सरकारी वसतिगृहात प्रवेश दयायचं असे जिल्हाधिकाऱ्यांनी ठरवलं.

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प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) निरंजनचा ………………………… पेपर चुकला होता. (भूगोलाचा, गणिताचा, नागरिकशास्त्राचा, मराठीचा)
(ii) हे बघ, शाळेचे सगळे ………………………… आलेत. (शिक्षक, विदयार्थी, अधिकारी, कर्मचारी)
उत्तर:
(i) नागरिकशास्त्राचा
(ii) अधिकारी

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
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प्रश्न 2.
कोण कोणास म्हणाले.
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प्रश्न 3.
सकारण लिहा.

(i) निरंजनचे कौतुक झाले कारण –
उत्तर:
रेल्वेचा मोठा अपघात त्याच्या चाणाक्षपणामुळे टळला होता.

प्रश्न 4.
चूक की बरोबर लिहा.

(i) निरंजनला वया पुस्तकांच्या खर्चासाठी शिष्यवृत्ती मिळणार नव्हती.
(ii) गुरुजींनी निरंजनला हृदयाशी धरलं, तेव्हां साऱ्यांचेच डोळे पाणावले.
उत्तर:
(i) चूक
(ii) बरोबर

स्वाध्याय कृती

निरंजनचे खालील गुण दर्शवणारी कृती किंवा विचार व्यक्त करणारी वाक्ये शोधा.

(i) ‘निरंजनच खरा नागरिक’ हे विधान तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
निरंजन कष्टाळू व प्रामाणिक मुलगा होता. घरची, गोठ्यातली कामे करून अभ्यासातही हुशार होता. नागरिकशास्त्राच्या पेपरच्या दिवशी सकाळपासून अभ्यास करून तो वाराने जेवायला म्हणून देशमुखांकडे जात होता; पण पुलावर त्याने अघटितच पाहिले. कुणीतरी पुलाचे काँक्रीट फोडून रेल्वेचे रूळ वेडेवाकडे करून ठेवले होते. घातपात करण्याचा कट त्याच्या लक्षात आला. तो सावध झाला. गाडी येण्यापूर्वीच त्याने स्टेशनाकडे धाव घेतली. प्रसंग व धोका समजावून सांगितला. पंचनामा करण्यासाठी अधिकारी हजर झाले. संभाव्य धोका निरंजनामुळे टळला. केवळ पुस्तकी ज्ञान मिळवून गुण मिळवणे एवढेच मर्यादित ध्येय न ठेवता स्वार्थ बाजूस सारून त्याने सर्वांचा जीव वाचविला. खऱ्या नागरिकाचे कर्तव्य त्याने निभावले होते.

खरा नागरिक Summary in Marathi

खरा नागरिक पाठपरिचय

‘खरा नागरिक’ हा पाठ लेखक ‘सुहास बारटक्के’ यांनी लिहिला आहे. या पाठात शालेय विषय केवळ अभ्यासायचे नसून आचरणात आणायचे असतात, हे ‘निरंजन’ या व्यक्तिरेखेतून स्पष्ट केले आहे.

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खरा नागरिक Summary in English

“Khara Nagrik’ is written by Suhas Bartakke. He has beautifully expressed how school subjects are not simply to be studied, but are also meant for their application to daily activities. He spreads this message through a character named Niranjan.

खरा नागरिक शब्दार्थ

  • सल्ला – उपदेश – (advice)
  • चटकन – लगेच – (quickly)
  • आल्हाददायक – सुखावह, सुखद – (pleasant)
  • रीत – पद्धत – (trick)
  • मोलाचे – उपयुक्त – (valuable)
  • अपार – खूप – (a lot)
  • श्रद्धा – विश्वास – (belief)
  • लाडका – आवडता – (favourite)
  • शेण – गाईचा मल – (cow dung)
  • गोठा – गुरे बांधण्याची जागा – (cow shed)
  • यथातथा – बेताचा – (below average)
  • प्रगती – सुधारणा – (progress)
  • उजळणी – मनन, चिंतन – (revision)
  • बेफिकीर – निष्काळजी – (carelessness)
  • जाणीवपूर्वक – मुद्दाम – (deliberately)
  • प्रवृत्ती – मानसिकता – (attitude)
  • दिमाख – ऐट – (pomp)
  • बोगदा – डोंगराच्या पोटातून आरपार केलेला मार्ग – (a tunnel)
  • भगदाड – जमिनीत, भिंतीत – (a large पडलेला खड्डा : uneven hole)
  • क्षणभर – थोड्या वेळासाठी – (for a moment)
  • घातपात – अपघात – (casualty)
  • कट – कारस्थान – (plan)
  • उपद्व्याप – कारभार – (fright work)
  • किंकाळ्या – कर्कश आवाज – (cheerfulness)
  • अपुरे – अपूर्ण – (incomplete)
  • स्फोट – ब्लास्ट – (blast)
  • आर्जव – विनंती – (request)
  • तथ्य – अर्थ – (reason)
  • नेमकी – योग्य – (appropriate)
  • दीर्घकाळ – खूपवेळा – (a long time)
  • पंचनामा – शहानिशा – (scrutiny)
  • गांभीर्य – महत्त्व – (seriousness)
  • चाणाक्ष – धूर्त, बुद्धिमान – (adroit)
  • कौतुक – वाहवा, प्रशंसा – (appreciation)
  • निराश – उदास – (disappointed)
  • सवलती – सोयी – (facilities)
  • रद्द – बाद – (to cancel)
  • वार्ताहर – बातमीदार – (reporter)
  • स्तुती – प्रशंसा – (appreciation)
  • भीषण – भयंकर – (fierce, dire)
  • जिल्हाधिकारी – (District Collector)
  • खास बाब – विशिष्ट गोष्ट – (special case)
  • वसतिगृह – छात्रालय – (hostel)

खरा नागरिक वाक्प्रचार

  • मोलाचा वाटणे – महत्वाचा वाटणे, उपयुक्त वाटणे
  • वार लावून जेवणे – अगोदर ठरवल्याप्रमाणे दररोज एकेकाच्या घरी जेवायला जाणे.
  • जीवाला मुकणे – मृत्यू पावणे
  • हुरळून जाणे – आनंदी होणे
  • कानठळ्या बसणे – अती मोठ्या आवाजाचा त्रास होणे
  • कानात घूमणे – वारंवार तेच ऐकू येणे
  • ताब्यात देणे – हवाली करणे, सोपविणे
  • हृदयाशी धरणे – प्रेमाने जवळ घेणे
  • डोळे पाणावणे – आनंदाश्रू येणे
  • यथातथा असणे – बेताचा असणे
  • तथ्य वाटणे – अर्थ असणे
  • मनोमन खूश होणे – मनात आनंद वाटणे

Marathi Akshar Bharati Class 10th Digest 

Class 10 Hindi Chapter 10 Budhi Kaki Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 10 Budhi Kaki Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी Notes, Textbook Exercise Important Questions, and Answers.

Hindi Lokbharti 10th Digest Chapter 10 बूढ़ी काकी Questions And Answers

Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 10 बूढ़ी काकी Textbook Questions and Answers

कृति

(कृतिपत्रिका के प्रश्न 3 (अ) के लिए

* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न 1.

 स्वभाव के आधार पर पात्र का नाम
१. क्रोधी ………………….
२. लालची ………………….
३. शरारती ………………….
४. स्नेहिल ………………….

उत्तर:

 स्वभाव के आधार पर पात्र का नाम
१. क्रोधीरूपा
२. लालचीबुद्धिराम
३. शरारतीदोनों लड़के
४. स्नेहिललाड़ली

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 17

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 3.
बुद्धिराम का काकी के प्रति दुर्व्यवहार दर्शाने वाली चार बातें :
१) ………………….
४) ………………….
२) ………………….
४) ………………….
उत्तर :
(i) बूढ़ी काकी की संपत्ति अपने नाम लिखाते समय किए गए लंबे-चौड़े वादों को बुद्धिराम द्वारा न निभाना।
(i) बूढ़ी काकी को भरपेट भोजन न देना।
(iii) भोजन कर रहे मेहमानों के बीच रेंगती हुई बूढ़ी काकी के पहुँच जाने पर बुद्धिराम द्वारा निर्दयतापूर्वक पकड़कर उनकी कोठरी में ले जाकर पटक देना।
(iv) बूढ़ी काकी के व्यवहार से रुष्ट होने के कारण तिलक उत्सव में सभी मेहमानों और घरवालों के भोजन कर लेने के बाद भी बुद्धिराम द्वारा उन्हें खाने के लिए न पूछना।

प्रश्न 4.
कारण लिखिए :
a. बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी _____________________
b. लाड़ली ने पूड़ियाँ छिपाकर रखीं _____________________
c. बुद्धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया _____________________
d. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे _____________________
उत्तर:
a. बूढ़ी काकी के परिवार में अब एक भतीजे के सिवाय और कोई नहीं था, इसलिए उन्होंने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी।
b. बुद्धिराम और रूपा दोनों ने ही बूढ़ी काकी को उनकी निर्लज्जता के लिए दंड देने का निश्चय कर लिया था। इसलिए बूढ़ी काकी को किसी ने नहीं पूछा।
c. बूढ़ी काकी रेंगती हुई भोजन कर रहे मेहमान मंडली के बीच पहुँच गई थी। इससे कई लोग चौंककर उठ खड़े हुए थे। बुद्धिराम को इससे गुस्सा आया और उसने काकी को वहाँ से उठाकर कोठरी में ले जाकर धम से पटक दिया।
d. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे, क्योंकि वे गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल समझते थे।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 5.
सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 30

अभिव्यक्ति

‘बुजुर्ग आदर-सम्मान के पात्र होते हैं, दया के नहीं इस सुवचन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि आज जो व्यक्ति बुजुर्ग है वह हमेशा बूढ़ा और असहाय नहीं था। वह भी पहले युवा था। उसने अपने परिवार का पालन-पोषण और उसकी देखरेख की थी। उसने तरह-तरह की समस्याओं का सामना किया था और उन्हें अपने तरीके से हल किया था। उसे जीवन जीने का अनुभव है। लेकिन वृद्ध हो जाने पर किसी-किसी परिवार में बुजुर्गों को किनारे कर दिया जाता है। उनकी सलाह या सुझाव को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। इस तरह के व्यवहार से बुजुर्गों को अपने सम्मान पर ठेस लगती महसूस होती है।

किसी-किसी परिवार में तो बुजुर्गों के खाने-पीने की भी किसी को चिंता नहीं रहती। घर के लोग अपने में मगन रहते हैं और बुजुर्गों का कोई ख्याल नहीं रखता। बुजुर्गों को खाने-पीने के लिए उनका मुँह ताकना पड़ता है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि हम इन बुजुर्गों की संतान हैं। उनको पर्याप्त सम्मान देना और उनकी हर प्रकार से देखरेख करना हमारा फर्ज है। बुजुर्गों की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद से ही परिवार फूलता-फलता और खुशहाल रहता है। इसलिए बुजुर्गों को हमें सदा आदर-सम्मान देना चाहिए और उनकी देखरेख करनी चाहिए।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :

मूल क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
भूलना ………………………. ……………………….
पीसना ………………………. ……………………….
माँगना ………………………. ……………………….
तोड़ना ………………………. ……………………….
बेचना ………………………. ……………………….
कहना ………………………. ……………………….
नहाना ………………………. ……………………….
खेलना ………………………. ……………………….
खाना ………………………. ……………………….
फैलना ………………………. ……………………….
बैठना ………………………. ……………………….
लिखना ………………………. ……………………….
जुटना ………………………. ……………………….
दौड़ना ………………………. ……………………….
देखना ………………………. ……………………….
जीना ………………………. ……………………….

उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 31

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 2.
पठित पाठों से किन्हीं दस मूल क्रियाओं का चयन करके उनके प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप निम्न तालिका में लिखिए :

मूल क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….
………………………. ………………………. ……………………….

उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 32
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 33

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

उपयोजित लेखन

मेरा प्रिय वैज्ञानिक’ विषय पर निबंध लेखन कीजिए।
उत्तर :
यों तो दुनिया में एक-से-एक बड़े वैज्ञानिक हैं, पर मेरे प्रिय वैज्ञानिक तो सर जगदीशचंद्र बोस ही हैं। सर जगदीशचंद्र बोस की बात ही निराली है। उन्होंने यह सिद्ध करके बता दिया कि पेड़-पौधे भी हमारी तरह साँस लेते हैं और उन्हें पानी और भोजन की आवश्यकता होती है। उनमें भी जान होती है। यदि पेड़-पौधों को सताया या कष्ट दिया जाए, तो वे बीमार हो जाते हैं और उनकी प्रकृति के विरुद्ध उन्हें भोजन दिया जाए अथवा जहरीला रसायन दिया जाए, तो वे मर जाते हैं। वैसे पेड़-पौधों के संपर्क में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मालूम होता है कि पेड़-पौधों को नुकसान पहुँचाने या विषैले पदार्थों के संपर्क में आने से वे क्षतिग्रस्त या मृत हो सकते हैं, पर इस बात को सिद्ध किया था सर जगदीशचंद्र बोस ने।

अपने शोध को सिद्ध करने के लिए उन्होंने खुद चुंबकीय क्रेश्कोग्राफ नामक यंत्र तैयार किया। उन्होंने इस यंत्र की सहायता से सब के सामने अपने प्रयोग से यह सिद्ध कर दिया कि पेड़-पौधों में जीवन होता है और प्राणियों की तरह उनमें भी विभिन्न क्रियाएँ होती हैं। इस प्रकार के सूक्ष्म रहस्य का उद्घाटन करने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे। वे सच्चे अर्थों में एक महान वैज्ञानिक थे। ऐसे महान वैज्ञानिक पर हमें गर्व है।

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी Additional Important Questions and Answers

गद्यांश क्र.1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 3
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 4
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 6
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 7

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(i) बूढ़ी काकी का शारीरिक स्वास्थ्य –
(ii) बूढ़ी काकी के परिवार में अब बचा एकमात्र सदस्य –
(iii) बुद्धिराम ने इस तरह लिखाई बूढ़ी काकी की संपत्ति –
(iv) बूढ़ी काकी के रोने का ढंग –
उत्तर:
(i) बूढ़ी काकी के नेत्र, हाथ, पैर आदि सभी अंग जवाब दे चुके थे।
(ii) उनका भतीजा बुद्धिराम।
(iii) खूब लंबे-चौड़े वादे करके।
(iv) बूढ़ी काकी गला-फाड़कर रोती थीं।

प्रश्न 3.
आकृति में दिए गए रिक्त स्थानों में उत्तर लिखकर आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 5
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 8

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है’ इस विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
कहते हैं, बुढ़ापा बचपन का ही एक रूप है। वृद्धावस्था : में मनुष्य की हरकतें बच्चों जैसी हो जाती हैं। इस अवस्था में मनुष्य के अंग-प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। दिमाग कमजोर हो जाता है। दाँत गिर जाते हैं और मनुष्य का मुँह बच्चों की तरह पोपला हो जाता है। इतना ही नहीं, बच्चों की तरह ही वृद्धों को भी मान-अपमान की परवाह नहीं होती। जिस तरह लोग बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं देते, उसी तरह वृद्धों की बातों पर भी कोई ध्यान नहीं देता। उनकी इच्छा-अनिच्छा का भी कोई महत्त्व नहीं होता। इस तरह वृद्धावस्था और बचपन की अधिकांश बातों में समानता होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है।

गद्यांश क्र.2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 9
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 11
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 12

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 10
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 13

प्रश्न 3.
कारण लिखिए :
(i) उत्सव के दिन बूढ़ी काकी को अपनी स्थिति पर रोना आया, पर वे रो नहीं सकीं।
उत्तर:
(i) उत्सव के दिन बूढ़ी काकी को अपनी स्थिति पर रोना आया, पर वे रो नहीं सकीं, क्योंकि उन्हें रूपा का डर था।

प्रश्न 4.
त्तर लिखिए :
मुखराम के तिलक उत्सव की तैयारियाँ :
उत्तर:
मुखराम के तिलक उत्सव की तैयारियाँ :
(i) पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ निकल रही थीं।
(ii) एक बड़े हंडे में मसालेदार तरकारी पक रही थी।

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
‘बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है’ इस विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य के जीवन की चार अवस्थाएँ होती हैं – बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था और बुढ़ापा। अपने जीवन में मनुष्य की तरह-तरह की कामनाएँ होती हैं और उनकी पूर्ति करने का वह भरसक प्रयास करता है। बचपन से लेकर युवावस्था तक मनुष्य को अपनी कामनाओं की जल्द से जल्द पूरी होने की उतनी चिंता नहीं रहती, जितनी बुढ़ापे में। वृद्धावस्था में मनुष्य के जीवन के गिने-चुने वर्ष ही बचे होते हैं। इसलिए उसका प्रयास यह होता है कि अपने बचे-खुचे दिनों में वह अपनी सारी कामनाएं पूरी कर ले। ऐसे में उसे किसी भी तरह अपने उद्देश्य को पूरा कर लेना उचित जान पड़ता है। उसके लिए उसे बुरे-भले, मान-अपमान की परवाह नहीं होती। उसका लक्ष्य येनकेन प्रकारेण अपनी इच्छा पूरी करना होता है। इस प्रकार बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है।

गद्यांश क्र.3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 15
उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 18
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 19

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 16
उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 20

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
‘लड़कों का बूढों से स्वाभाविक विवेष होता ही है’ इस विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का अंतर होता है। लड़कों और बूढ़ों में हर बात को लेकर अंतर होना स्वाभाविक है। अधिकांश बूढ़ों की आदत होती है कि वे हर बात को अपने ढंग से सोचते हैं। वे उसमें अपने जमाने की विचारधारा थोपने की कोशिश करते हैं। इसका कारण यह है कि किसी चीज के बारे में उनकी एक धारणा बनी होती हैं। हर बात को वे अपने पैमाने पर कसने की कोशिश करते हैं। जब कि नई पीढ़ी के लड़कों की सोच अलग ढंग की होती हैं। उन्हें पुराने दकियानूसी विचार पसंद नहीं आते। इसलिए बात-बात पर दोनों के विचारों में टकराव होता है। इस तरह लड़कों और बूढ़ों में स्वाभाविक विद्वेष होता है।

गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई । सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 21
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 23

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 22
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 24

प्रश्न 3.
कारण लिखिए :
(i) घरवालों ने भोजन किया, परंतु बूढ़ी काकी को किसी ने नहीं पूछा –
(ii) रात के ग्यारह बज गए थे। लाड़ली की आँखों में नींद न थी –
उत्तर:
(i) लाड़ली उन पूड़ियों को बूढ़ी काकी के पास ले जाना चाहती थी, ताकि वे उन्हें खा सके।
(ii) बूढ़ी काकी को पूड़ियाँ खिलाने की खुशी लाड़ली को सोने न देती थी।

गद्यांश क्र.5
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 25
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 26
उत्तर :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 27
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी 28

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) रूपा का हृदय सन्न हो गया –
(ii) रूपा बैठी स्वर्गीय दृश्य का आनंद लेने में निमग्न थी –
उत्तर:
(i) रूपा का हृदय सन्न हो गया, क्योंकि उसने देखा कि बूढ़ी काकी पत्तलों पर से पूड़ियों के टुकड़े उठा-उठाकर खा रही हैं।
(ii) रूपा बैठी स्वर्गीय दृश्य का आनंद लेने में निमग्न थी, क्योंकि बूढ़ी काकी भोले बच्चों की तरह सब कुछ भूलकर बैठी हुई खाना खा रही थीं और उनके एक-एक रोएँ से सच्ची सदिच्छाएँ निकल रही थीं।

प्रश्न 3.
रिश्ता पहचानिए :
(i) बूढ़ी काकी, रूपा की लगती हैं –
(ii) रूपा, बूढ़ी काकी की लगती हैं –
उत्तर:
(i) बूढ़ी काकी, रूपा की लगती हैं – चचेरी सास।
(ii) रूपा, बूढ़ी काकी की लगती है – बहू।

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
शादी-ब्याह अथवा पारिवारिक समारोहों में प्रीतिभोज में अनाप-शनाप खर्च करना कितना उचित’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
हमारे देश में शादी-ब्याह तथा छोटे-मोटे पारिवारिक समारोहों में प्रीतिभोज में लोगों को खिलाने-पिलाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है। समर्थ व्यक्तियों को इस तरह का खर्च करना ज्यादा नहीं अखरता, पर आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों के लिए इस तरह के ३ खर्च का भार उठाना मुश्किल होता है। पर सामाजिक बंधनों तथा अपने ३ नाम के लिए ऐसे समारोह आयोजित करना आज एक फैशन हो गया । हैं। यह फैशन दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। कुछ लोग तो अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए कर्ज लेकर लोगों को बुलाकर खिलाते-पिलाते ३ हैं। बाद में यह कर्ज चुकाना उनके लिए समस्या बन जाता है और उन्हें अपनी जायदाद बक बेचनी पड़ जाती है। लोगों को इस तरह के उत्सवों में अनावश्यक रूप से पैसे उड़ाने से बाज आना चाहिए। इस तरह के उत्सवों-समारोहों में अनाप-शनाप खर्च करना अपने ऊपर एक तरह का आर्थिक बोझ लादना है, जिससे कोई लाभ नहीं होता।

उपक्रम/कृति/परियोजना

श्रवणीय
बड़ों से कोई ऐसी कहानी सुनिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश मिल रहा हो।

संभाषणीय
वृद्धाश्रम’ के बारे में जानकारी इकट्ठा करके चर्चा कीजिए।

लेखनीय
‘भारतीय कुटुंब व्यवस्था’ पर भाषण के मुद्दे लिखिए।
उत्तर:
भारतीय कुटुंब व्यवस्था के मुद्दे :

  • कुटुंब किसे कहते हैं?
  • प्राचीन भारतीय कुटुंब।
  • आधुनिक कुटुंब।
  • कुटुंब व्यवस्था में बदलाव के कारण।
  • कुटुंब व्यवस्था के आधार।
  • कुटुंब बनने-टूटने के कारण।
  • कुटुंब की आवश्यकता।
  • संयुक्त कुटुंब एवं एकल कुटुंब से लाभ-हानि।
  • वसुधैव कुटुंबकम्।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी

पठनीय
‘चलती-फिरती पाठशाला’ उपक्रम के बारे में जानकारी इकट्ठी करके पढ़िए और सुनाइए।

बूढ़ी काकी Summary in Hindi

विषय – प्रवेश : ‘बूढ़ी काकी’ कथा उन दयनीय व्यक्तियों की व्यथा है, जिन्हें परिस्थितिवश मजबूरी में अपनी पूरी संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति को सौंपनी पड़ती है और खुद उसकी दया पर जीना पड़ता है। बूढ़ी काकी अपने पति और जवान बेटों की मृत्यु के पश्चात अपने एकमात्र भतीजे बुद्धिराम के वादों पर विश्वास करके अपनी सारी संपत्ति उसके नाम लिख देती हैं। लेकिन थोड़े दिनों के बाद ही ऐसी स्थिति हो जाती है कि उसे पेट भर भोजन मिलना भी मुश्किल हो जाता है। एक बार तो बूढ़ी काकी के जीवन में ऐसी घटना घटती है, जिसके बारे में जानकर दिल दहल उठता है।

बुद्धिराम के बेटे के तिलक समारोह में सभी मेहमान और घर के सभी लोग भोजन कर सोने चले जाते हैं, पर बूढ़ी काकी को खाने के लिए कोई नहीं पूछता। भूख से व्याकुल बूढ़ी काकी रात के अंधेरे में कूड़े में फेंकी गई पत्तलों पर छूटे जूठन को बीन–बीनकर खाकर अपना पेट भरती हैं। बुद्धिराम की पत्नी रूपा यह दृश्य देखती है, तो उसकी रूह काँप उठती है और वह इस अधर्म के लिए ईश्वर से क्षमा करने की प्रार्थना करती है और बूढ़ी काकी को परोसकर भरपेट भोजन कराती है और उससे अपनी भूल के लिए बुरा न मानने के लिए कहती है।

बूढ़ी काकी मुहावरे – अर्थ

  • सब्जबाग दिखाना – बड़े–बड़े झूठे वादे करना।
  • गला फाड़ना – शोर करना, चिल्लाना।
  • लाले पड़ना – किसी चीज के लिए तरसना।
  • उबल पड़ना – क्रोधित होना।
  • पानी उतर जाना – बेइज्जत होना।
  • होंठ चाटना – कोई स्वादिष्ट पदार्थ अधिक खाने की इच्छा रखना।
  • कलेजे में हूक सी उठना – मन में दुख होना।
  • कलेजा पसीजना – दया आना।
  • हृदय सन्न रह जाना – घोर आश्चर्य में डूब जाना।
  • छाती पर सवार होना – सामने अड़े रहना।
  • दम घुटना – हवा की कमी के कारण या गर्मी की अधिकता से साँस रुकना।

Class 10 Hindi Lokbharti Textbook Solutions

Don Divas Class 10 Marathi Chapter 5 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Marathi Aksharbharati Chapter 5 दोन दिवस Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 5 दोन दिवस Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Marathi Chapter 5 Question Answer

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 5 दोन दिवस Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कृती पूर्ण करा.
(अ) ‘रोजची भूक भागवण्यासाठी कराव्या लागणाऱ्या कष्टांमुळे आयुष्याचे दिवस वाया गेलेत’ या आशयाची कवितेतील ओळ शोधा.
उत्तर:
‘भाकरीचा चंद्र शोधण्यातच जिंदगी बरबाद झाली’.

(आ) कवीचा प्रयत्नवाद आणि आशावाद दाखवणारी ओळ लिहा.
उत्तर:
‘दुःख पेलावे कसे, पुन्हा जगावे कसे, याच शाळेत शिकलो’

प्रश्न 2.
एका शब्दांत उत्तर लिहा.
(अ) कवीचे सर्वस्व असलेली गोष्ट – [             ]
(आ) कवीचा जवळचा मित्र – [             ]
उत्तर:
(अ) हात
(आ) अश्रु

प्रश्न 3.
खालील शब्दसमूहांचा तुम्हांला कळलेला अर्थ लिहा.
(अ) माना उंचावलेले हात ……………………….
(आ) कलम केलेले हात ……………………….
(इ) दारिद्र्याकडे गहाण पडलेले हात ……………………….
उत्तर:
(i) माना उंचावलेले हात – आशावादाने उभारलेले हात.
(i) कलम केलेले हात – निराशेने खाली झुकलेले हात.
(iii) दारिद्र्याकडे गहाण पडलेले हात – हतबल झालेले हात.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

प्रश्न 4.
काव्यसौंदर्य.

(अ) खालील ओळींचे रसग्रहण करा.
‘दोन दिवस वाट पाहण्यात गेले; दोन दुःखात गेले
हिशोब करतो आहे किती राहिलेत डोईवर उन्हाळे’
उत्तरः
नारायण सुर्वे यांच्या ‘दोन दिवस’ या कवितेच्या वरील दोन ओळीतून आपल्या जीवनाचा आलेख अगदी साध्या सोप्या भाषेत मांडला आहे. जीवन जगण्याच्या संघर्षात अडकलेल्या प्रत्येक साधारण माणसाच्या मनोव्यवस्थेचे प्रतिनिधीत्व ते आपल्या कवितेतून करतात.

रोज तेच दु:ख, रोज नवी समस्या, रोजची तीच निराशा, रोजचा तोच संघर्ष पण जीवन जगण्याचा कविचा आशावाद प्रचंड आहे. दोन चांगल्या दिवसाची ते वाट पाहतात. आयुष्याचे दिवस किती शिल्लक राहिलेत याचा हिशोब करतात.

(आ) ‘दु:ख पेलावे आणि पुन्हा जगावे’, या वाक्यामागील तुम्हांला जाणवलेला विचार तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
कवी नारायण सुर्वे यांच्या जीवनसंघर्षाचे वर्णन दोन दिवस या कवितेतून केले आहे. कवी म्हणतो की जीवनातल्या दुःखाला न घाबरता न डगमगता सामोरे जावे. कारण दुःख माणसाला खूप काही शिकवून जाते. दु:खावर मात करत असतांना आपल्यातल्या अनेक क्षमतांची अनुभुती येऊन परिस्थितीवर मात करणे, समायोजन करणे, नवीन पर्याय शोधणे या अनेक बाबीतून दु:ख पेलण्याची ताकद माणसात निर्माण होते. म्हणून कवी म्हणतो. जीवनातल्या दुःखाने निराश, हताश न होता सामर्थ्याने विपरित परिस्थितीला सामोरे जावे आणि जीवनात पुन्हा ताकदीने उभे रहावे. हेच जिवनचे खरे सत्य आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

(इ) कवितेत व्यक्त झालेल्या कष्टकऱ्यांच्या जीवनाविषयी तुमच्या भावना लिहा.
उत्तरः
‘दोन दिवस’ या नारायण सुर्वे यांच्या कवितेवरून विविध सेवा क्षेत्रात काम करणाऱ्या अनेक कष्टकऱ्यांचे जीवनचित्र समोर उभे राहते. अनेक ठिकाणी, अनेक प्रकारचे कष्ट आणि अत्यंत श्रमाचे काम करणारे कष्टकरी आपण पाहतो. ऊन, वारा, पाऊस अशा सगळ्या गोष्टी अंगावर झेलून ते सदैव श्रम करत असतात, जीवनासाठी लागणाऱ्या आवश्यक गोष्टी त्यांना उपलब्ध करून दिलेल्या नसतात. जीवनाची हमी नसते. अत्यंत कमी वेतनावर ते प्रचंड मेहनतीचे काम करत असतात. त्यांना जीवन जगणे खूप कठीण जाते. रोज काम मिळण्याची शाश्वती नसते. अशाप्रकारे आपल्या देशात कष्टकऱ्यांचे जीवन अत्यंत कठीण आहे.

(ई) ‘कवितेत व्यक्त झालेले जीवनसत्य’, याबाबत तुमचे विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
माणसाच्या जीवनात सुख आणि दुःख या दोन गोष्टी सदैव असतात. कधी सुखाचे दिवस असतात, तर कधी दुःखाचे, असे असले तरी कोणताही काळ हा कायम राहत नाही. दुःखातून माणूस अनेक गोष्टी शिकतो व उदयाच्या चांगल्या दिवसाची अपेक्षा करत जगत राहतो. माणसाने कवी सारखं आशावादी राहिलं पाहिजे. दुःखातही सुख येईल अशी आशा बाळगली पाहिजे, म्हणजे जगणं सोपं होतं.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 5 दोन दिवस Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. पुढील पक्ष्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा:
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृती पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस 1

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

प्रश्न 2.
उत्तरे लिहा.
(i) भाकरीचा चंद्र शोधण्यात बरबाद झालेली – कवीची जिंदगी
(ii) कवीचे सर्वस्व – कवीचे हात
(iii) कवीच्या मदतीसाठी धावून आलेला मित्र – अश्रु
(iv) झोतभट्टीत शेकावे पोलाद तसे शेकले – कवीचे आयुष्य

प्रश्न 3.
योग्य पर्याय निवडून विधान पूर्ण करा.
(i) कवीने याचा विचार हरघडी केला……
(अ) भाकरीचा
(आ) दुःखाचा
(इ) जीवनाचा
(ई) दुनियेचा
उत्तर:
दुनियेचा

कृती २: आकलन कृती

प्रश्न 1.
खालील प्रश्नांची एका वाक्यात उत्तरे लिहा.
(i) साहाय्यास धावून येणारे कवीचे मित्र कोण?
उत्तर :
साहाय्यास धावून येणारे कवीचे मित्र म्हणजे कवीचे अश्रू होय.

(i) कवीने चंद्राला कोणाची उपमा दिली आहे?
उत्तर :
कवीने चंद्राला ‘भाकरीची’ उपमा दिली आहे.

प्रश्न 2.
योग्य जोड्या जुळवा.
‘अ’ गट – ‘ब’ गट
(i) कवी मोजत असलेले – (अ) पोलाद
(ii) कवीची शाळा – (ब) जीवनाचे दिवस
(iii) कवीचे सर्वस्व – (क) संपूर्ण जग
(iv) झोतभट्टी – (ड) कवीचे हात
उत्तर:
(i – ब),
(ii – क),
(iii – ड),
(iv – अ)

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

प्रश्न 3.
आकृतिबंध पूर्ण करा,
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस 2

प्रश्न 4.
‘दुनियेचा’ असे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तर:
कवीने हरघडी कोणाचा विचार केला?

प्रश्न 5.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा.
(i) ………………… करतो आहे किती राहिलेत डोईवर उन्हाळे. (हिशोब, गणित, मोजत, जमा)
(ii) झोतभट्टीत शेकावे ………………… तसे आयुष्य छान शेकले. (सोने, चांदी, पोलाद, लोखंड)
उत्तर:
(i) हिशोब
(ii) पोलाद

कृती ३: कवितेतील शब्दांचा अर्थ

प्रश्न 1.
खालील कवितेतील शब्दांचा अर्थ लिहा.
(i) दिवस
(ii) हिशोब
(iii) डोईवर
(iv) चंद्र
उत्तर:
(i) दिन
(ii) गणना
(iii) डोक्यावर
(iv) शशी, सुधाकर

कृती ४ : काव्यसौंदर्य

प्रश्न 1.
‘झोतभट्टीत शेकावे पोलाद तसे आयुष्य छान शेकले’ वरील ओळीतून कवी नारायण सुर्वे यांना काय सांगायचे आहे ते तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तरः
गरिबीत जीवन जगत असलेले नारायण सुर्वे जगाच्या प्रचंड मोठ्या शाळेत शिकत होते. रोजचे नव-नवे दाहक अनुभव, अपमान, उपेक्षा, भूकेचा संघर्ष, कधी प्रेमाचा ओलावा तर कधी तिरस्काराचा फटकारा सहन करत होते. या रोजच्या अनुभवातून ते खूप काही शिकत होते. धडपडत होते, निराश होत होते, पण जगणं निरंतर सुरू होतं. त्यांच्या भोवतीच जग म्हणजे त्यांच्यासाठी एखादया मोठ्या प्रचंड तप्त भट्टीसारखं होतं. जसं भट्टीत पोलाद तप्त होत आणि मजबूत होऊन बाहेर पडतं. अगदी त्याचप्रमाणे कवी नारायण सुर्वे दुःख, दारिद्र्याशी सामना करत जीवन जगण्यासाठी नव्या उमेदीने तयार होत.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

प्रश्न २. दिलेल्या मुद्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृती सोडवाः

(१) प्रस्तुत कवितेचे कवी/कवयित्री:
नारायण सुर्वे

(२) प्रस्तुत कवितेचा विषयः
कष्टकरी, गरीब जनतेचा जगण्यासाठीचा संघर्ष दाखवून दिला आहे.

(४) प्रस्तुत कवितेतून मिळणारा संदेश:
माणसाच्या जीवनात सुख आणि दुःख सतत येत असतात. कधी सुखाचे दिवस असतात तर कधी दुःखाचे दिवस येतात. असे असले तरी कोणताही काळ हा कायम राहत नाही. दुःखातून माणूस अनेक गोष्टी शिकतो व उदयाच्या चांगल्या दिवसाची अपेक्षा करत जगत राहतो. माणसाने कवीसारखे आशावादी राहिले पाहिजे. दुःखातही सुख येईल अशी आशा बाळगली पाहिजे म्हणजे आपले जगणे सोपे होते, असाच संदेश या कवितेतून मिळतो…

(५) प्रस्तुत कविता आवडण्याचे वा न आवडण्याचे कारणः
कवी नारायण सुर्वे यांची ‘दोन दिवस’ ही कविता मला खूप आवडली आहे. त्याचे मुख्य कारण म्हणजे भाकरीचा चंद्र शोधण्यात ज्यांची जिंदगी बरबाद होते त्या सगळ्या कष्टकरी, कामगार,श्रमिक, गरीब लोकांचा सोशिकपणा, त्यांचा संयम, त्यांचे दु:ख कवीने सहजपणे वाचकांसमोर मांडले आहे. कवीने वेदनेचा भाव कोणत्याही प्रकारची चीड, संताप किंवा आक्रस्ताळेपणाने न मांडता अत्यंत संयमी आणि सुयोग्य प्रतिकांचा वापर करून मांडले आहे. सर्वस्व असलेले हात, माना उंचावलेले हात, कलम झालेले हात यांसारखी प्रतिके मनाला अंतर्मुख करून जातात. त्यामुळेच ही कविता मनाला भिडते.

(६) प्रस्तुत कवितेतील शब्दांचे अर्थ:
(i) रात्र – रजनी, निशा
(ii) जिंदगी – आयुष्य, जीवन
(iii) बरबाद – नष्ट
(iv) हात – हस्त, कर

स्वाध्याय कृती

प्रश्न 1.
काव्यसौंदर्य

(i) दुःख पेलावे आणि पुन्हा जगावे, या वाक्यातील तुम्हाला जाणवलेला विचार तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तरः
कवी नारायण सुर्वे यांच्या जीवनसंघर्षाचे वर्णन दोन दिवस या कवितेतून केले आहे. कवी म्हणतो की जीवनातल्या दुःखाला न घाबरता न डगमगता सामोरे जावे. कारण दुःख माणसाला खूप काही शिकवून जाते. दु:खावर मात करत असतांना आपल्यातल्या अनेक क्षमतांची अनुभुती येऊन परिस्थितीवर मात करणे, समायोजन करणे, नवीन पर्याय शोधणे या अनेक बाबीतून दु:ख पेलण्याची ताकद माणसात निर्माण होते. म्हणून कवी म्हणतो. जीवनातल्या दुःखाने निराश, हताश न होता सामर्थ्याने विपरित परिस्थितीला सामोरे जावे आणि जीवनात पुन्हा ताकदीने उभे रहावे. हेच जिवनचे खरे सत्य आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 5 दोन दिवस

(ii) कवितेत व्यक्त झालेल्या कष्टकऱ्यांच्या जीवनाविषयी तुमच्या भावना लिहा.
उत्तरः
‘दोन दिवस’ या नारायण सुर्वे यांच्या कवितेवरून विविध सेवा क्षेत्रात काम करणाऱ्या अनेक कष्टकऱ्यांचे जीवनचित्र समोर उभे राहते. अनेक ठिकाणी, अनेक प्रकारचे कष्ट आणि अत्यंत श्रमाचे काम करणारे कष्टकरी आपण पाहतो. ऊन, वारा, पाऊस अशा सगळ्या गोष्टी अंगावर झेलून ते सदैव श्रम करत असतात, जीवनासाठी लागणाऱ्या आवश्यक गोष्टी त्यांना उपलब्ध करून दिलेल्या नसतात. जीवनाची हमी नसते. अत्यंत कमी वेतनावर ते प्रचंड मेहनतीचे काम करत असतात. त्यांना जीवन जगणे खूप कठीण जाते. रोज काम मिळण्याची शाश्वती नसते. अशाप्रकारे आपल्या देशात कष्टकऱ्यांचे जीवन अत्यंत कठीण आहे.

(iii) ‘कवितेत व्यक्त झालेले जीवनसत्य’, याबाबत तुमचे विचार स्पष्ट करा.
उत्तरः
माणसाच्या जीवनात सुख आणि दुःख या दोन गोष्टी सदैव असतात. कधी सुखाचे दिवस असतात, तर कधी दुःखाचे, असे असले तरी कोणताही काळ हा कायम राहत नाही. दुःखातून माणूस अनेक गोष्टी शिकतो व उदयाच्या चांगल्या दिवसाची अपेक्षा करत जगत राहतो. माणसाने कवी सारखं आशावादी राहिलं पाहिजे. दुःखातही सुख येईल अशी आशा बाळगली पाहिजे, म्हणजे जगणं सोपं होतं.

दोन दिवस Summary in Marathi

दोन दिवस भावार्थ‌

दोन‌ ‌दिवस‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले;‌ ‌दोन‌ ‌दुःखात‌ ‌गेले.‌ ‌
हिशोब‌ ‌करतो‌ ‌आहे‌ ‌किती‌ ‌राहिलेत‌ ‌डोईवर‌ ‌उन्हाळे‌‌

कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌यांचा‌ ‌एकंदरीत‌ ‌जीवन‌ ‌प्रवासच‌ ‌अत्यंत‌ ‌संघर्षमय‌ ‌व‌ ‌खडतर‌ ‌होता.‌ ‌आलेला‌ ‌रोजचा‌ ‌दिवस‌ ‌ते‌ ‌उद्याच्या‌ ‌आशावादावर‌ ‌जगत,‌ ‌म्हणून‌ ‌कवी‌ ‌म्हणतात‌ ‌माझ्या‌ ‌जीवनाचे‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌उक्या‌ ‌येणाऱ्या‌ ‌चांगल्या‌ ‌दिवसाची‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले‌ ‌आणि‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌आहे‌ ‌त्या‌ ‌दुःखात‌ ‌व्यतीत‌ ‌झाले.‌ ‌माझ्या‌ ‌जीवनाचे‌ ‌किती‌ ‌दिवस‌ ‌अजून‌ ‌शिल्लक‌ ‌आहेत‌ ‌याचाच‌ ‌मी‌ ‌हिशोब‌ ‌करतो‌ ‌आहे.‌‌

शेकडो‌ ‌वेळा‌ ‌चंद्र‌ ‌आला;‌ ‌तारे‌ ‌फुलले,‌ ‌रात्र‌ ‌धुंद‌ ‌झाली;‌ ‌भाकरीचा‌ ‌चंद्र‌ ‌शोधण्यातच‌ ‌जिंदगी‌ ‌बरबाद‌ ‌झाली.‌‌

जीवन‌ ‌जगत‌ ‌असताना‌ ‌अवती-भोवती‌ ‌अशा‌ ‌अनेक‌ ‌गोष्टी‌ ‌होत्या‌ ‌की‌ ‌त्या‌ ‌हव्या‌ ‌हव्याशा‌ ‌वाटत‌ ‌होत्या,‌ ‌पण‌ ‌जीवनाचे‌ ‌वास्तव‌ ‌इतके‌ ‌दाहक‌ ‌होते‌ ‌की‌ ‌त्या‌ ‌कधीच‌ ‌मिळू‌ ‌शकत‌ ‌नव्हत्या.‌ ‌त्यांच्या‌ ‌भुकेच्या‌ ‌तीव्र‌ ‌भावनेत‌ ‌आकाशाचा‌ ‌सुंदर‌ ‌चंद्र‌ ‌देखील‌ ‌त्यांना‌ ‌भाकरीसारखा‌ ‌दिसत‌ ‌होता.‌ ‌म्हणूनच‌ ‌कवी‌ ‌म्हणतो‌ ‌की,‌ ‌मी‌ ‌चंद्राच्या‌ ‌सौंदर्याचा‌ ‌आस्वाद‌ ‌तर‌ ‌कधी‌ ‌घेऊ‌ ‌शकलो‌ ‌नाही;‌ ‌पण‌ ‌माझ्या‌ ‌पोटासाठी‌ ‌भाकरीचा‌ ‌चंद्र‌ ‌मिळवण्यातच‌ ‌माझे‌ ‌सगळे‌ ‌आयुष्य‌ ‌बरबाद‌ ‌(नष्ट)‌ ‌झाले.‌‌

हे‌ ‌हात‌ ‌माझे‌ ‌सर्वस्व;‌ ‌दारिद्र्याकडे‌ ‌गहाणच‌ ‌राहिले‌ ‌
कधी‌ ‌माना‌ ‌उंचावलेले,‌ ‌कधी‌ ‌कलम‌ ‌झालेले‌ ‌पाहिले‌‌

कवी‌ ‌म्हणतात,‌ ‌माझे‌ ‌हात‌ ‌माझे‌ ‌सर्वस्व‌ ‌आहेत.‌ ‌या‌ ‌हातांच्या‌ ‌साहाय्याने‌ ‌मी‌ ‌अनेक‌ ‌नवीन‌ ‌चांगल्या‌ ‌गोष्टी‌ ‌करू‌ ‌शकलो‌ ‌असतो;‌ ‌पण‌ ‌मी‌ ‌नेहमी‌ ‌या‌ ‌गरिबीतच‌ ‌अडकून‌ ‌राहिलो.‌ ‌रोजचे‌ ‌जीवन‌ ‌जगण्यासाठीच‌ ‌मी‌ ‌माझ्या‌ ‌हाताचा‌ ‌उपयोग‌ ‌केला.‌ ‌फक्त‌ ‌कष्टच‌ ‌करत‌ ‌राहिले.‌ ‌पण‌ ‌कधी-कधी‌ ‌दारिद्र्यात‌ ‌गुंतलेले‌ ‌हात‌ ‌मी‌ ‌मनात‌ ‌उंचावलेले‌ ‌पाहिले.‌ ‌म्हणजे‌ ‌नवीन‌ ‌काहीतरी‌ ‌करण्याची‌ ‌इच्छा‌ ‌माझ्या‌ ‌मनात‌ ‌निर्माण‌ ‌झाली;‌ ‌पण‌ ‌जसे‌ ‌सभोवतालची‌ ‌परिस्थिती‌ ‌किंवा‌ ‌वास्तवाची‌ ‌जाणीव‌ ‌झाली‌‌ की,‌ ‌असे‌ ‌वाटायचे‌ ‌की‌ ‌माझे‌ ‌हात‌ ‌जणू‌ ‌कोणीतरी‌ ‌छाटून‌ ‌टाकले‌ ‌आहेत.‌ ‌माझ्या‌ ‌सगळ्या‌ ‌आशा,‌ ‌उमेदी‌ ‌संपून‌ ‌जातात.‌‌

हरघडी‌ ‌अश्रू‌ ‌वाळविले‌ ‌नाहीत;‌ ‌पण‌ ‌असेही‌ ‌क्षण‌ ‌आले‌
‌तेव्हा‌ ‌अश्रूच‌ ‌मित्र‌ ‌होऊन‌ ‌साहाय्यास‌ ‌धावून‌ ‌आले.‌‌

कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌यांना‌ ‌आपल्या‌ ‌जीवनात‌ ‌सतत‌ ‌हालअपेष्टा,‌ ‌अपमान,‌ ‌उपेक्षा‌ ‌यांचा‌ ‌सामना‌ ‌करावा‌ ‌लागला.‌ ‌परिस्थितीशी‌ ‌सतत‌ ‌संघर्ष‌ ‌करावा‌ ‌लागला.‌ ‌अशा‌ ‌या‌ ‌जीवनसंघर्षातून‌ ‌जात‌ ‌असताना‌ ‌कधी‌ ‌कधी‌ ‌त्यांना‌ ‌खूप‌ ‌रडावेसे‌ ‌वाटले‌ ‌पण‌ ‌त्यांनी‌ ‌आपले‌ ‌मन‌ ‌घट्ट‌ ‌केले.‌ ‌डोळयांतून‌ ‌अश्रू‌ ‌वाहू‌ ‌दिले‌ ‌नाही;‌ ‌पण‌ ‌कधी‌ ‌कधी‌ ‌असेही‌ ‌प्रसंग‌ ‌आले‌ ‌की,‌ ‌मनात‌ ‌दडवलेले‌ ‌दुःख,‌ ‌वेदना‌ ‌यांना‌ ‌मोकळी‌ ‌वाट‌ ‌करून‌ ‌देण्यासाठी‌ ‌अश्रूच‌ ‌मित्रासारखे‌ ‌मदतीला‌ ‌धावून‌ ‌आले.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌काही‌ ‌प्रसंगी‌ ‌आपल्या‌ ‌मनातले‌ ‌दुःख‌ ‌इतरांजवळ‌ ‌व्यक्त‌ ‌न‌ ‌करता‌ ‌ते‌ ‌फक्त‌ ‌मनसोक्त‌ ‌रडले.‌ ‌रडल्यामुळे‌ ‌त्यांचे‌ ‌दु:ख‌ ‌हलके‌ ‌झाले.‌ ‌त्यांच्या‌ ‌दुःखात‌ ‌त्यांना‌ ‌त्यांच्याच‌ ‌अणूंनी‌ ‌एखाद्या‌ ‌मित्राप्रमाणे‌ ‌साथ‌ ‌दिली.‌‌

दुनियेचा‌ ‌विचार‌ ‌हरघडी‌ ‌केला,‌ ‌अगा‌ ‌जगमय‌ ‌झालो‌ ‌
दुःख‌ ‌पेलावे‌ ‌कसे,‌ ‌पुन्हा‌ ‌जगावे‌ ‌कसे,‌ ‌याच‌ ‌शाळेत‌ ‌शिकलो‌‌

कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌जिथे‌ ‌राहत‌ ‌होते‌ ‌तिथे‌ ‌त्यांच्या‌ ‌आजुबाजूला‌ ‌सगळी‌ ‌गोरगरिबांचीच‌ ‌वस्ती‌ ‌होती.‌ ‌सगळ्यांचे‌ ‌जीवन‌ ‌हालअपेष्टांनी‌ ‌भरलेले‌ ‌होते.‌ ‌कवी‌ ‌नारायण‌ ‌सुर्वे‌ ‌यांना‌ ‌आजुबाजूच्या‌ ‌समाजबांधवांचे‌ ‌दुःख‌ ‌पाहवत‌ ‌नव्हते.‌ ‌स्वतः‌ ‌दुःखी-कष्टी‌ ‌असूनही‌ ‌त्यांनी‌ ‌नेहमी‌ ‌इतरांच्या‌ ‌दुःखाचा‌ ‌विचार‌ ‌केला.‌ ‌प्रत्येक‌ ‌क्षणी‌ ‌त्यांनी‌ ‌दुनियेचा‌ ‌विचार‌ ‌केला.‌ ‌मान-अपमान,‌ ‌बरे-वाईट,‌ ‌सुख-दुःख‌ ‌सगळं‌ ‌सगळं‌ ‌पचवून‌ ‌ते‌ ‌संपूर्ण‌ ‌जगाशी‌ ‌एकरूप‌ ‌झाले.‌ ‌जगातल्या‌ ‌अनेक‌ ‌बऱ्या-वाईट‌ ‌घटनांशी‌ ‌ते‌ ‌समरूप‌ ‌झाले.‌ ‌जगाच्या‌ ‌या‌ ‌शाळेत‌ ‌दु:ख‌ ‌कसे‌ ‌सहन‌ ‌करावे,‌ ‌दुःखावर‌ ‌मात‌ ‌करून‌ ‌पुन्हा‌ ‌नव्या‌ ‌उमेदीने‌ ‌जीवनाला‌ ‌कसे‌ ‌सामोरे‌ ‌जावे.‌ ‌हसत‌ ‌हसत‌ ‌कसे‌ ‌जगावे‌ ‌ते‌ ‌याच‌ ‌जगाच्या‌ ‌शाळेने‌ ‌त्यांना‌ ‌शिकवले.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌या‌ ‌जगानेच‌ ‌त्यांना‌ ‌दु:खही‌ ‌दिले‌ ‌आणि‌ ‌या‌ ‌जगानेच‌ ‌दु:ख‌ ‌विसरून‌ ‌आनंदाने‌ ‌कसे‌ ‌जगावे‌ ‌हे‌ ‌देखील‌ ‌शिकवले.‌‌

झोतभट्टीत‌ ‌शेकावे‌ ‌पोलाद‌ ‌तसे‌ ‌आयुष्य‌ ‌छान‌ ‌शेकले‌
‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले;‌ ‌दोन‌ ‌दुःखात‌ ‌गेले.‌‌

कवी‌ ‌परळच्या‌ ‌चाळीत‌ ‌वाढले.‌ ‌कमालीचे‌ ‌दारिद्र्य,‌ ‌अपरंपार‌ ‌काबाडकष्ट‌ ‌आणि‌ ‌जगण्यासाठी‌ ‌केलेला‌ ‌संघर्ष‌ ‌यातून‌ ‌त्यांचे‌ ‌आयुष्य‌ ‌चांगलेच‌ ‌शेकून‌ ‌निघाले.‌ ‌म्हणून,‌ ‌कवी‌ ‌म्हणतो‌ ‌एखादया‌ ‌भट्टीत‌ ‌पोलाद‌ ‌जसे‌ ‌तापून‌ ‌निघते‌ ‌त्या‌ ‌प्रमाणे‌ ‌दुनियेच्या‌ ‌दाहक‌ ‌अनुभवातून‌ ‌माझे‌ ‌आयुष्यदेखील‌ ‌दुःख‌ ‌झेलून‌ ‌जगण्यास‌ ‌सिद्ध‌ ‌व‌ ‌समर्थ‌ ‌झाले‌ ‌आहे.‌ ‌माझे‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌जगण्याच्या‌ ‌नव्या‌ ‌उमेदीची‌ ‌वाट‌ ‌पाहण्यात‌ ‌गेले‌ ‌आणि‌ ‌दोन‌ ‌दिवस‌ ‌आहे‌ ‌त्या‌ ‌दुःखात‌ ‌गेले,‌ ‌जणू‌ ‌दुःख‌ ‌दुःखात‌ ‌विरून‌ ‌गेले.‌‌

दोन दिवस शब्दार्थ‌ ‌

  • डोईवर‌ -‌ ‌डोक्यावर‌ ‌-‌ ‌(on‌ ‌the‌ ‌head)‌ ‌
  • जिंदगी‌ ‌-‌ ‌जीवन,‌ ‌आयुष्य‌ ‌-‌ ‌(life)‌ ‌
  • बरबाद‌ ‌-‌ ‌नष्ट‌‌ – (destroy)‌ ‌
  • हरघडी‌ ‌-‌ ‌प्रत्येक‌ ‌वेळी‌ ‌-‌ ‌(every‌ ‌time)‌ ‌
  • पेलावे‌ ‌-‌ ‌झेलावे,‌ ‌सहन‌ ‌करावे‌ ‌-‌ ‌(to‌ ‌bear)
  • आयुष्य‌ ‌-‌ ‌जीवन‌ ‌- (life)‌ ‌
  • साहाय्यास‌ ‌-‌ ‌मदतीस‌ ‌- (to‌ ‌help)‌ ‌
  • शेकडोवेळा-‌ ‌अनेक‌ ‌वेळा‌ ‌- (many‌ ‌times)‌ ‌
  • दारिद्र्य‌ ‌-‌ ‌गरिबी‌‌ – (poverty)

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions 

Aukshan Class 10 Marathi Chapter 9 Question Answer Maharashtra Board

Class 10th Marathi Aksharbharati Chapter 9 औक्षण (कविता) Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 9 औक्षण (कविता) Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Std 10 Marathi Chapter 9 Question Answer

Marathi Aksharbharati Std 10 Digest Chapter 9 औक्षण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
खालील प्रश्नांची प्रत्येकी एका वाक्यात उत्तर: लिहा.
(अ) कष्टाचे सामर्थ्य अपुरे केव्हा वाटते?
उत्तरः
जेव्हा मुठीमध्ये द्रव्य नसते तसेच जेव्हा शिरेमध्ये रक्त नसते, तेव्हा कष्टाचे सामर्थ्य अपुरे वाटते.

(आ) सैनिकाचे पाऊल जिद्दीचे का वाटते?
उत्तरः
धडाडत्या तोफांतून, धुरांच्या कल्लोळातून, घोंघावणाऱ्या बंबाऱ्याचा सामना करून सैनिक पुढे जातो म्हणून त्याचे पाऊल जिद्दीचे वाटते.

(इ) डोळे भरून पाहावे असे दृश्य कोणते?
उत्तरः
जवानाची विजयाची दौड हे डोळे भरून पहावे असे दृश्य आहे.

प्रश्न 2.
योग्य पर्याय निवडा.

(अ) सैनिकाचे औक्षण केले जाते ……………………………
(१) भरलेल्या डोळ्यांनी/भरलेल्या अंत:करणाने
(२) डोळ्यांतील आसवांच्या ज्योतींनी
(३) तबकातील निरांजनाने
(४) भाकरीच्या तुकड्याने
उत्तरः
सैनिकाचे औक्षण कसे केले जाते डोळ्यातील आसवांच्या ज्योतींनी.

(आ) कवितेतील ‘दीनदबळे’ म्हणजे ……………………………
(१) कष्टाचे, पैसे नसलेले.
(२) सैनिकाबरोबर लढणारे.
(३) शारीरिकदृष्ट्या सक्षम नसलेले.
(४) सैनिकांच्या कार्याचा अभिमान बाळगणारे देशवासीय.
उत्तर:
कवितेतील ‘दीन दुबळे’ म्हणजे सैनिकांच्या कार्याचा अभिमान बाळगणारे देशवासीय.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण

प्रश्न 3.
काव्यसौंदर्य.
(अ) खालील ओळींचे रसग्रहण करा. ‘अशा असंख्य ज्योतींची तुझ्यामागून राखण; दीनदुबळ्यांचे असें तुला एकच औक्षण.’
उत्तरः
‘औक्षण’ या कवितेत दीनदुबळे याचा मार्मिक अर्थ कवयित्री इंदिरा संत यांनी सांगितला आहे. आम्हा भारतीयांचे आपल्या भारत देशावर अत्यंत प्रेम आहे. आमच्यापैकी काहीजण असेही आहेत की, ज्यांच्याकडे पैसा – अडका, संपत्ती कदाचित नसेलही, तसेच त्यांच्या शिरेमध्ये सळसळणारे रक्तही नसेल, पण तरीही सीमेवर लढाईसाठी जाणाऱ्या जवानांबद्दल त्यांच्या प्रत्येकाच्या मनात अभिमान आहे. लढाईसाठी जाणाऱ्या सैनिकांचे आपल्या डोळ्यांतील ज्योतींनी ते औक्षण करत आहेत. आम्ही सारे दीनदुबळे भारतीय लोक तुझे असे औक्षण करत आहोत. येथे दीनदुबळे म्हणजे कमजोर किंवा पैसे नसलेले गरीब असा अर्थ नसून ‘दीनदुबळे’ म्हणजे ज्यांच्यामध्ये सैनिकांसारखे सामर्थ्य नाही. रक्तामध्ये उमेद नाही पण ‘सैनिकांच्या कार्याचा अभिमान आहे, अशी जनता’ असा अर्थ कवयित्रीला अभिप्रेत आहे.

(आ) ‘सैनिक सीमेवर तैनात असतो, म्हणून आपण सुरक्षित राहतो’, या विधानातील भाव स्पष्ट करा.
उत्तरः
देशाच्या सीमेचे रक्षण करणारा सैनिक नेहमीच देशासाठी भूषणास्पद असतो. त्याच्या देशरक्षणाच्या कर्तव्यामुळे देशातील नागरिक सुखाची झोप घेऊ शकतात. अन्यथा परकीय आक्रमण, लढाई या संकटांमुळे आपली सुरक्षितता धोक्यात आली असती. ऊन, पाऊस, थंडी याला सामोरे जाऊन ‘देशरक्षण’ हेच त्यांचे ध्येय असते. जीवावर उदार होऊन ते सीमेवर न डगमगता उभे असतात. त्यांचे कुटुंब, मुले-बाळे यांना ते महिनोंमहिने भेटत नाहीत. देशरक्षणाच्या कर्तव्यासाठी आप्त स्वकीयांनाही त्यांना भेटता येत नाही. खाजगी आयुष्याचा, सुखांचा संपूर्ण त्याग करुन केवळ सीमेवर हे जवान देशरक्षणासाठी सज्ज असतात.

(इ) कवितेच्या संदर्भात ‘दीनदुबळे’ याचा कवयित्रीला अभिप्रेत असलेला अर्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
‘औक्षण’ या कवितेत दीनदुबळे याचा मार्मिक अर्थ कवयित्री इंदिरा संत यांनी सांगितला आहे. आम्हा भारतीयांचे आपल्या भारत देशावर अत्यंत प्रेम आहे. आमच्यापैकी काहीजण असेही आहेत की, ज्यांच्याकडे पैसा – अडका, संपत्ती कदाचित नसेलही, तसेच त्यांच्या शिरेमध्ये सळसळणारे रक्तही नसेल, पण तरीही सीमेवर लढाईसाठी जाणाऱ्या जवानांबद्दल त्यांच्या प्रत्येकाच्या मनात अभिमान आहे. लढाईसाठी जाणाऱ्या सैनिकांचे आपल्या डोळ्यांतील ज्योतींनी ते औक्षण करत आहेत. आम्ही सारे दीनदुबळे भारतीय लोक तुझे असे औक्षण करत आहोत. येथे दीनदुबळे म्हणजे कमजोर किंवा पैसे नसलेले गरीब असा अर्थ नसून ‘दीनदुबळे’ म्हणजे ज्यांच्यामध्ये सैनिकांसारखे सामर्थ्य नाही. रक्तामध्ये उमेद नाही पण ‘सैनिकांच्या कार्याचा अभिमान आहे, अशी जनता’ असा अर्थ कवयित्रीला अभिप्रेत आहे.

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(ई) ‘देशसेवा हीच ईश्वरसेवा’ असे समजून कार्य करणाऱ्या सैनिकांसाठी तुम्हाला काय करावेसे वाटते ते लिहा.
उत्तरः
देश हाच देव समजून सैनिक देशाची सेवा करीत असतात. त्यांचे हे काम अतुलनीय आहे. अनेक महिने ते आपले घरदार, कुटुंब सोडून सीमेवर लढत असतात. ऊन, थंडी, पावसाची तमा न बाळगता देशासाठी प्राण अर्पण करायला तयार होतात. अशा वेळेस आम्ही त्यांच्या या गुणांचे कौतुक भेटकार्ड देऊन करु शकतो. १५ ऑगस्ट या स्वातंत्र्यदिनी त्यांना शुभेच्छा कार्ड पाठवू शकतो. रक्षाबंधनच्या दिवशी त्यांना राखी पाठवू शकतो. मकर संक्रांतीला सीमेवरच्या जवानांसाठी तीळगुळ पाठवून स्नेह प्रदर्शित करू शकतो. त्यांच्या शहरातील वा गावातील कुटुंबाकडे स्थळभेट देऊन त्यांच्या कुटुंबाची ख्याली खुशाली विचारु शकतो, त्यांच्याशी प्रेमाचे अतुट नाते जोडू शकतो.

Marathi Akshar Bharati Class 10 Textbook Solutions Chapter 9 औक्षण Additional Important Questions and Answers

प्रश्न १. खालील कवितेच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा.
कृती १ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण 1

प्रश्न 2.
खालील प्रश्नांची उत्तर एका वाक्यात लिहा.

(i) कवयित्रीकडे कोणते सामर्थ्य नाही?
उत्तर:
कवयित्रीकडे कष्टाचे सामर्थ्य नाही.

(ii) कशापुढे जीवही लहान आहे?
उत्तर:
जवानाच्या शौर्यगाथेपुढे जीवही लहान आहे.

(iii) पुढे कशाचे कल्लोळ आहेत?
उत्तरः
पुढे धुराचे कल्लोळ आहेत.

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(iv) धडाडत्या तोफांतून काय पुढे पडत आहे?
उत्तरः
धडाडत्या तोफांतून जिद्दीचे पाऊल पुढे पडत आहे.

(v) जवानांचे रक्षण कसे होणार आहे?
उत्तर:
जवानांचे रक्षण असंख्य ज्योतींनी होणार आहे.

प्रश्न 3.
‘दीनदुबळयांचे’ उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा.
उत्तरः
जवानाला कोणाचे औक्षण’ आहे, असे कवयित्री सांगते?

कृती २ : आकलन कृती

प्रश्न 1.
समान अर्थाच्या काव्यपंक्ती शोधून लिहा.

(i) हातात द्रव्यसंपत्ती, रक्त वा बल नाही.
(ii) कष्टाचे सामर्थ्यही अंगी नाही, म्हणून काय करावे सुचत नाही.
उत्तर:
(i) नाही मुठीमध्ये द्रव्य, नाही शिरेमध्ये रक्त.
(ii) काय करावे कळेना, नाही कष्टाचे सामर्थ्य.

प्रश्न 2.
कंसातील योग्य शब्द वापरुन रिकाम्या जागा भरा.
(i) नाही कष्टाचे ………………………. (मोल, सामर्थ्य, द्रव्य)
(ii) तुझ्या शौर्यगाथेपुढे, त्याची केवढीशी ………………………. (मान, किंमत, शान)
(iii) ………………………. किती हा लहान. (जीव, मुठ, शान)
(iv) नाही ………………………. द्रव्य. (हातात, मुठीमध्ये, पेटीत)
उत्तर:
(i) सामर्थ्य
(ii) शान
(iii) जीव
(iv) मुठीमध्ये

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण

प्रश्न 3.
जोड्या जुळवा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण 2
उत्तर:
(i – ड),
(ii – क),
(iii – अ),
(iv – ब)

प्रश्न 4.
सहसंबंध लिहा.
(6) घोंघावे : बंबारा : : धडाडत्या : ……………………….
(ii) मुठीमधे : द्रव्य : : शिरेमध्ये : ……………………….
(iii) ज्योत : आसवांची : : दौड : ……………………….
उत्तर:
(i) तोफा
(ii) रक्त
(iii) विजयाची

प्रश्न 5.
विशेषण विशेष्य जोड्या जुळवा.
Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण 3
उत्तर:
(i- ब),
(ii – अ),
(iii – ड),
(iv – क)

कृती ३: कवितेतील शब्दांचा अर्थ

प्रश्न 1.
खालील कवितेतील शब्दांचा अर्थ लिहा.
(i) द्रव्य
(ii) शिर
(iii) कष्ट
(iv) सामर्थ्य
उत्तर:
(i) पैसा, धन
(ii) नस
(iii) मेहनत
(iv) बळ, ताकद

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कृती ४ : काव्यसौंदर्य

खालील काव्यपंक्तीतील आशयसौंदर्य स्पष्ट करा.

प्रश्न 1.
जीव ओवाळावा तरी
जीव किती हा लहान;
तुझ्या शौर्यगाथेपुढे
त्याची केवढीशी शान;
उत्तरः
कवयित्रीला जवानाबद्दल नितांत आदर, प्रेम, जिव्हाळा आहे. त्याचे औक्षण करत असताना कवयित्री म्हणतात, या जवानांचे कार्य इतके मोठे आहे की, माझा जीव जरी ओवाळून टाकला तरी तो जवानांच्या शौर्यगाथेपुढे, त्यांच्या पराक्रमापुढे, त्यांच्या धैर्यापुढे, त्यांच्या कर्तव्यापुढे लहान आहे. तिचे आयुष्य त्याच्या शौर्यापुढे अगदी कवडीमोल (लहान) आहे. जवानाची शौर्यगाथा इतकी महान आहे की त्या शौर्यगाथेपुढे आपल्या सामान्य जीवाची काय शान असणार? असे कवयित्रीला वाटते.

प्रश्न 2.
वर घोंघावे बंबारा,
पुढे कल्लोळ धुराचे
धडाडत्या तोफांतून
तुझें पाऊल जिद्दीचे;
उत्तरः
सीमेवर लढायला जाण्यासाठी सुसज्ज झालेल्या जवानाला त्याच्या देशवासीयांकडून औक्षण केले जात आहे. याचे इंदिरा संत यांनी अत्यंत ह्रदयद्रावक वर्णन केले आहे.

युद्धभूमीत शस्त्रांचा, तोफांचा भडिमार आहे. अशा वेळेस जवानाच्या मागेपुढे,खाली-वर सर्वत्र बंदुकीच्या गोळ्या झाडल्या जात ओहत. तोफा डागल्या जात आहेत. त्याचे कर्कश आवाज आहेत. दारूगोळ्यांचा स्फोट व धुराचे कल्लोळ आकाशात दिसत आहेत. सर्वत्र भीतीचे, युद्धाचे, आक्रमकतेचे सावट आहे. डोक्यावर मृत्यूची तलवारच आहे. या परिस्थितीतही न डगमगता हा जवान धैर्याने पुढे जात आहे. देशासाठी लढण्याची त्याची जिद्द प्रशंसनीय आहे.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण

प्रश्न 3.
तुझी विजयाची दौड
डोळेभरून पहावी;
डोळ्यांतील आसवांची
ज्योत ज्योत पाजळावी.
उत्तरः
प्रसिद्ध कवयित्री इंदिरा संत यांनी ‘औक्षण’ या कवितेत सीमेवर लढण्यासाठी सज्ज झालेल्या जवानास ‘औक्षण’ करण्याची वेगळीच पद्धत सुचवली आहे.

युद्धभूमीतील बंदूकांना, तोफांना धैर्याने सामोरा जाणारा जवान पराक्रमी व जिद्दीचे पाऊल टाकणारा आहे. प्राणपणाने लढून तो विजयी होणार यात शंका नाही. ती विजयाची दौड कवयित्रीला आपल्या डोळ्यांनी पहायची आहे. डोळ्यातील आसवांनी अनेक ज्योती लावाव्या व त्याचे औक्षण करावे असे कवयित्रिला वाटते.

प्रश्न २. दिलेल्या मुद्द्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृतीसोडवा.

(१) प्रस्तुत कवितेचे कवी / कवयित्री:
इंदिरा संत

(२) प्रस्तुत कवितेचा विषयः
सीमेवर लढायला जाण्यासाठी सज्ज झालेल्या जवानाचे औक्षण करताना मनात येणाऱ्या भावनांचे वर्णन केले आहे.

(३) प्रस्तुत कवितेतील दिलेल्या दोन ओळींचा सरळ अर्थ:
नाही मुठीमध्ये द्रव्य
नाही शिरेमध्ये रक्त,
काय करावे कळेना
नाही कष्टाचे सामर्थ्य

कवयित्रिला खंत आहे की तिच्याकडे धनदौलत नाही. देशाला समर्पित करण्याचे बळ नाही. अंगात, शिरेत रक्त नाही. शारीरिक, आर्थिक सामर्थ्य नाही, पण हा जवान शारीरिक आणि मानसिक सामर्थ्यासह देशाच्या सेवेस जात आहे, याचा तिला सार्थ अभिमान आहे.

(४) प्रस्तुत कवितेतून मिळणारा संदेशः
देशाच्या सीमेचे रक्षण करणारे सैनिक नेहमीच देशासाठी भूषण असतात. जीवावर उदार होऊन ते सीमेवर न डगमगता उभे असतात. त्यांचे कुटुंब, मुले-बाळे यांना ते महिनोंमहिने भेटतही नाहीत. त्यांच्या देशरक्षणाच्या कर्तव्यामुळे देशातील नागरिक सुखाची झोप घेऊ शकतात. सण, उत्सव साजरे करू शकतात. अशा या सैनिकांच्या पाठिशी आपण भक्कपणे उभे राहिले पाहिजे. तसेच त्यांचा आदर, कौतुक करून त्यांच्या कार्याचा आपण नेहमीच अभिमान बाळगला पाहिजे, असा संदेश आपल्याला मिळतो.

Maharashtra Board Class 10 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 9 औक्षण

(५) प्रस्तुत कविता आवडण्याची वा न आवडण्याची कारणः
‘औक्षण’ ही ‘इंदिरा संत’ यांची कविता मला खूप आवडली आहे. त्याचे मुख्य कारण म्हणजे कवयित्रीचे चित्रदर्शी वर्णन. त्यांच्या शब्दांमधून युद्धभूमीवरचे चित्र हुबेहूब डोळ्यांसमोर उभे राहते. युद्धभूमीवर शत्रूशी लढायला जाण्यासाठी सज्ज झालेल्या आपल्या जवानाचे औक्षण करताना कवयित्रीच्या मनात आलेल्या भावना या केवळ तिच्या भावना नाहीत तर त्या प्रत्येक भारतीयाच्या भावना आहेत. ‘डोळ्यातील आसवे’, ‘असंख्य ज्योती’ अशा प्रतिमा वापरून अपेक्षीत परिणाम त्यांनी साधला आहे.

(६) प्रस्तुत कवितेतील शब्दांचे अर्थ:
(i) जीव – प्राण
(ii) विजय – जीत, यश
(iii) दौड – धाव
(iv) डोळे – नयन

स्वाध्याय कृती

काव्यसौंदर्य

(i) सैनिक सीमेवर तैनात असतो, म्हणून आपण सुरक्षित राहतो, या विधानातील भाव स्पष्ट करा.
उत्तरः
देशाच्या सीमेचे रक्षण करणारा सैनिक नेहमीच देशासाठी भूषणास्पद असतो. त्याच्या देशरक्षणाच्या कर्तव्यामुळे देशातील नागरिक सुखाची झोप घेऊ शकतात. अन्यथा परकीय आक्रमण, लढाई या संकटांमुळे आपली सुरक्षितता धोक्यात आली असती. ऊन, पाऊस, थंडी याला सामोरे जाऊन ‘देशरक्षण’ हेच त्यांचे ध्येय असते. जीवावर उदार होऊन ते सीमेवर न डगमगता उभे असतात. त्यांचे कुटुंब, मुले-बाळे यांना ते महिनोंमहिने भेटत नाहीत. देशरक्षणाच्या कर्तव्यासाठी आप्त स्वकीयांनाही त्यांना भेटता येत नाही. खाजगी आयुष्याचा, सुखांचा संपूर्ण त्याग करुन केवळ सीमेवर हे जवान देशरक्षणासाठी सज्ज असतात.

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(ii) कवितेच्या संदर्भात ‘दीनदुबळे’ याचा कवयित्रीला अभिप्रेत असलेला अर्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
‘औक्षण’ या कवितेत दीनदुबळे याचा मार्मिक अर्थ कवयित्री इंदिरा संत यांनी सांगितला आहे. आम्हा भारतीयांचे आपल्या भारत देशावर अत्यंत प्रेम आहे. आमच्यापैकी काहीजण असेही आहेत की, ज्यांच्याकडे पैसा – अडका, संपत्ती कदाचित नसेलही, तसेच त्यांच्या शिरेमध्ये सळसळणारे रक्तही नसेल, पण तरीही सीमेवर लढाईसाठी जाणाऱ्या जवानांबद्दल त्यांच्या प्रत्येकाच्या मनात अभिमान आहे. लढाईसाठी जाणाऱ्या सैनिकांचे आपल्या डोळ्यांतील ज्योतींनी ते औक्षण करत आहेत. आम्ही सारे दीनदुबळे भारतीय लोक तुझे असे औक्षण करत आहोत. येथे दीनदुबळे म्हणजे कमजोर किंवा पैसे नसलेले गरीब असा अर्थ नसून ‘दीनदुबळे’ म्हणजे ज्यांच्यामध्ये सैनिकांसारखे सामर्थ्य नाही. रक्तामध्ये उमेद नाही पण ‘सैनिकांच्या कार्याचा अभिमान आहे, अशी जनता’ असा अर्थ कवयित्रीला अभिप्रेत आहे.

(iii) देशसेवा हीच ईश्वरसेवा असे समजून कार्य करणाऱ्या सैनिकासाठी तुम्ही काय करू शकता ते लिहा.
उत्तरः
देश हाच देव समजून सैनिक देशाची सेवा करीत असतात. त्यांचे हे काम अतुलनीय आहे. अनेक महिने ते आपले घरदार, कुटुंब सोडून सीमेवर लढत असतात. ऊन, थंडी, पावसाची तमा न बाळगता देशासाठी प्राण अर्पण करायला तयार होतात. अशा वेळेस आम्ही त्यांच्या या गुणांचे कौतुक भेटकार्ड देऊन करु शकतो. १५ ऑगस्ट या स्वातंत्र्यदिनी त्यांना शुभेच्छा कार्ड पाठवू शकतो. रक्षाबंधनच्या दिवशी त्यांना राखी पाठवू शकतो. मकर संक्रांतीला सीमेवरच्या जवानांसाठी तीळगुळ पाठवून स्नेह प्रदर्शित करू शकतो. त्यांच्या शहरातील वा गावातील कुटुंबाकडे स्थळभेट देऊन त्यांच्या कुटुंबाची ख्याली खुशाली विचारु शकतो, त्यांच्याशी प्रेमाचे अतुट नाते जोडू शकतो.

औक्षण Summary in Marathi

औक्षण काव्यपरिचय‌‌
‘औक्षण’‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌कवयित्री‌ ‌’इंदिरा‌ ‌संत’‌ ‌यांनी‌ ‌सीमेवर‌ ‌लढायला‌ ‌जाण्यासाठी‌ ‌सुसज्ज‌ ‌झालेल्या‌ ‌जवानाला‌ ‌औक्षण‌ ‌करताना‌ ‌मनात‌ ‌येणाऱ्या‌ ‌विविध‌ ‌भावनांचे‌ ‌वर्णन‌ ‌केले‌ ‌आहे.‌‌

औक्षण Summary in English

In‌ ‌this‌ ‌poem,‌ ‌the‌ ‌poetess‌ ‌wishes‌ ‌to‌ ‌bless‌ ‌a‌ ‌soldier‌ ‌who‌ ‌is‌ ‌ready‌ ‌for‌ ‌battle.‌ ‌In‌ ‌the‌ ‌act‌ ‌of‌ ‌blessing,‌ ‌she‌ ‌goes‌ ‌through‌ ‌a‌ ‌lot‌ ‌of‌ ‌emotions‌ ‌that‌ ‌are‌ ‌beautifully‌ ‌captured‌ ‌in‌ ‌this‌ ‌poem‌ ‌by‌ ‌Indira‌ ‌Sant.‌‌

औक्षण भावार्थ‌‌

नाही‌ ‌मुठीमध्ये‌ ‌द्रव्य‌‌
नाही‌ ‌शिरेमध्ये‌ ‌रक्त,‌
‌काय‌ ‌करावे‌ ‌कळेना‌‌
नाही‌ ‌कष्टाचे‌ ‌सामर्थ्य

‌देशाच्या‌ ‌रक्षणासाठी‌ ‌सीमेवर‌ ‌अहोरात्र‌ ‌आपले‌ ‌जवान‌ ‌शत्रूशी‌ ‌दोन‌ ‌हात‌ ‌करत‌ ‌असतात.‌ ‌आपल्या‌ ‌भारतमातेचे‌ ‌रक्षण‌ ‌करतात.‌ ‌त्यामुळेच‌ ‌आपण‌ ‌सर्व‌ ‌आनंदाने,‌ ‌सुखाने‌ ‌जगत‌ ‌असतो.‌ ‌सण,‌ ‌उत्सव‌ ‌साजरे‌ ‌करत‌ ‌असतो,‌ ‌आपणांस‌ ‌त्यांचा‌ ‌नेहमीच‌ ‌अभिमान‌ ‌वाटत‌ ‌असतो.‌ ‌त्याचप्रमाणे‌ ‌कवयित्री‌ ‌इंदिरा‌ ‌संत‌ ‌या‌ ‌सुद्धा‌ ‌जवानांवर‌ ‌खूप‌ ‌प्रेम‌ ‌करतात.‌ ‌जवानांप्रती‌ ‌त्यांच्या‌ ‌मनात‌ ‌जिव्हाळा,‌ ‌प्रेम,‌ ‌आदर‌ ‌आहे.‌ ‌घरातून‌ ‌सीमेवर‌ ‌लढण्यासाठी‌ ‌जायला‌ ‌निघालेल्या‌ ‌जवानाला‌ ‌त्या‌ ‌ओवाळत‌ ‌आहेत.‌ ‌त्याला‌ ‌ओवाळणी‌ ‌करत‌ ‌असताना‌ ‌कवयित्रिच्या‌ ‌मनात‌ ‌विविध‌ ‌भावना‌ ‌निर्माण‌ ‌होतात.‌ ‌त्या‌ ‌म्हणतात,‌ ‌मी‌ ‌ओवाळणी‌ ‌करत‌ ‌आहे;‌ ‌पण‌ ‌माझ्याकडे‌ ‌संपत्ती,‌ ‌पैसे‌ ‌नाहीत,‌ ‌मी‌ ‌श्रीमंत‌ ‌नाही.माझ्या‌ ‌शरीरात‌ ‌लढण्यासाठी‌ ‌शिरेमध्ये‌ ‌सळसळणारे‌ ‌रक्तही‌ ‌नाही.‌ ‌त्यामुळे‌ ‌ओवाळणी‌ ‌कशाप्रकारे‌ ‌करावी‌ ‌हे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌कळेनासे‌ ‌झाले‌ ‌आहे.‌

‌जीव‌ ‌ओवाळावा‌ ‌तरी‌‌
जीव‌ ‌किती‌ ‌हा‌ ‌लहान‌ ‌
तुझ्या‌ ‌शौर्यगाथेपुढे‌
त्याची‌ ‌केवढीशी‌ ‌शान;‌‌

कवयित्रीला‌ ‌जवानाबद्दल‌ ‌नितांत‌ ‌आदर,‌ ‌प्रेम,‌ ‌जिव्हाळा‌ ‌आहे.‌ ‌त्याचे‌ ‌औक्षण‌ ‌करत‌ ‌असताना‌ ‌कवयित्री‌ ‌म्हणतात,‌ ‌या‌ ‌जवानांचे‌ ‌कार्य‌ ‌इतके‌ ‌मोठे‌ ‌आहे‌ ‌की,‌ ‌माझा‌ ‌जीव‌ ‌जरी‌ ‌ओवाळून‌ ‌टाकला‌ ‌तरी‌ ‌तो‌ ‌जवानांच्या‌ ‌शौर्यगाथेपुढे,‌ ‌त्यांच्या‌ ‌पराक्रमापुढे‌ ‌त्यांच्या‌ ‌धैर्यापुढे,‌ ‌त्यांच्या‌ ‌कर्तृत्वापुढे‌ ‌लहान‌ ‌आहे.‌ ‌तिचे‌ ‌आयुष्य‌ ‌त्याच्या‌ ‌शौर्यापुढे‌ ‌अगदी‌ ‌कवडीमोल‌ ‌(लहान)‌ ‌आहे.‌ ‌त्या‌ ‌जवानाची‌ ‌शौर्यगाथा‌ ‌इतकी‌ ‌महान‌ ‌आहे‌ ‌की‌ ‌त्या‌ ‌शौर्यगाथेपुढे‌ ‌आपल्या‌ ‌सामान्य‌ ‌जीवाची‌ ‌काय‌ ‌शान‌ ‌असणार?‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌‌

वर‌ ‌घोंघावे‌ ‌बंबारा,‌‌
पुढे‌ ‌कल्लोळ‌ ‌धुराचे,‌ ‌
धडाडत्या‌ ‌तोफांतून‌‌
तुझें‌ ‌पाऊल‌ ‌जिद्दीचें;‌ ‌

सैनिक‌ ‌सीमेवर‌ ‌शत्रूशी‌ ‌लढत‌ ‌असतात,‌ ‌त्यावेळची‌ ‌परिस्थिती‌ ‌अतिशय‌ ‌हृदयद्रावक,‌ ‌हृदयाला‌ ‌हेलावून‌ ‌टाकणारी‌ ‌असते.‌ ‌युद्धभूमीवर‌ ‌शत्रू‌ ‌आक्रमण‌ ‌करत‌ ‌असतो.‌ ‌त्याचा‌ ‌परतवार‌ ‌करत‌ ‌असताना‌ ‌अनेक‌ ‌सैनिक‌ ‌घायाळ‌ ‌होतात.‌ ‌तोफांचा‌ ‌आवाज‌ ‌होत‌ ‌असतो,‌ ‌बंदुकीतून‌ ‌सुटणाऱ्या‌ ‌असंख्य‌ ‌गोळया‌ ‌अनेकांची‌ ‌छाताडे‌ ‌उडवत‌ ‌असतात.‌ ‌धुराचा‌ ‌लोळ‌ ‌उठत‌ ‌असतो.‌ ‌कवयित्री‌ ‌म्हणतात;‌ ‌हे‌ ‌सारे‌ ‌चालू‌ ‌असताना‌ ‌आपला‌ ‌हा‌ ‌जवान‌ ‌मागे‌ ‌हटत‌ ‌नाही‌ ‌तर‌ ‌दोन‌ ‌पावले‌ ‌नेहमी‌ ‌पुढेच‌ ‌टाकत‌ ‌असतो.‌ ‌न‌ ‌घाबरता,‌ ‌डगमगता,‌ ‌शत्रूशी‌ ‌दोन‌ ‌हात‌ ‌करून‌ ‌जिद्दीने‌ ‌लढत‌ ‌असतो.‌‌

तुझी‌ ‌विजयाची‌ ‌दौड‌
डोळे‌ ‌भरून‌ ‌पहावी;‌
‌डोळ्यांतील‌ ‌आसवांची‌‌
ज्योत‌ ‌ज्योत‌ ‌पाजळावी‌ ‌

सीमेवर‌ ‌चालू‌ ‌असलेल्या‌ ‌रणसंग्रामामध्ये‌ ‌आपल्या‌ ‌जवानाचा‌ ‌विजय‌ ‌निश्चित‌ ‌आहे.‌ ‌कवयित्री‌ ‌म्हणतात,‌ ‌या‌ ‌जवानांचा‌ ‌पराक्रम‌ ‌मला‌ ‌डोळे‌ ‌भरून‌ ‌पाहायचा‌ ‌आहे.‌ ‌तसेच‌ ‌आपल्या‌ ‌जवानाकडून‌ ‌भारतीयांची‌ ‌असलेली‌ ‌अपेक्षा‌ ‌व्यक्त‌ ‌करताना‌ ‌त्या‌ ‌म्हणतात,‌ ‌शत्रूला‌ ‌पराजित‌ ‌करून‌ ‌प्रत्येक‌ ‌युद्धात‌ ‌तुझाच‌ ‌विजय‌ ‌झाला‌ ‌पाहिजे.‌ ‌तुझ्या‌ ‌विजयाची‌ ‌दौड‌ ‌अशीच‌ ‌राहिली‌ ‌पाहिजे.‌ ‌तुझ्या‌ ‌विजयाने‌ ‌माझ्या‌ ‌डोळयांमध्ये‌ ‌आनंदाश्रू‌ ‌दाटून‌ ‌येतील.‌ ‌ज्याप्रमाणे‌ ‌दिव्याची‌ ‌ज्योत‌ ‌नेहमी‌ ‌तेवत‌ ‌असते‌ ‌तशीच‌ ‌माझ्या‌ ‌डोळ्यांतील‌ ‌अणूंची‌ ‌ज्योत‌ ‌नेहमीच‌ ‌पाजळत‌ ‌राहिली‌ ‌पाहिजे.‌ ‌

अशा‌ ‌असंख्य‌ ‌ज्योतींची‌‌
तुझ्यामागून‌ ‌राखण;‌
‌दीनदुबळ्यांचे‌ ‌असें‌‌
तुला‌ ‌एकच‌ ‌औक्षण.

कवयित्री‌ ‌सीमेवर‌ ‌लढण्यासाठी‌ ‌जाणाऱ्या‌ ‌जवानाला‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌सर्व‌ ‌जनमानसांच्या‌ ‌असंख्य‌ ‌ज्योती‌ ‌तुझ्या‌ ‌रक्षणासाठी‌ ‌सदैव‌ ‌तुझ्याच‌ ‌पाठीशी‌ ‌आहेत.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌असंख्य‌ ‌लोकांचा‌ ‌आशीर्वाद‌ ‌तुझ्या‌ ‌पाठीशी‌ ‌आहे.‌ ‌आम्ही‌ ‌सर्वजण‌ ‌दीनदुबळे‌ ‌आहोत.‌ ‌आमच्यामध्ये‌ ‌तुझ्यासारखे‌ ‌सामर्थ्य‌ ‌नाही.‌ ‌रक्तामध्ये‌ ‌ती‌ ‌उमेद‌ ‌नाही.‌ ‌तुझ्याकडे‌ ‌हे‌ ‌सर्व‌ ‌आहे.‌ ‌तुझ्यामध्ये‌ ‌आणखी‌ ‌उर्जा‌ ‌निर्माण‌ ‌होण्यासाठी‌ ‌आशीर्वाद‌ ‌स्वरूपात‌ ‌तुझे‌ ‌औक्षण‌ ‌आम्ही‌ ‌सर्व‌ ‌भारतीय‌ ‌करत‌ ‌आहोत.‌‌

औक्षण शब्दार्द्ध

  • मुठ‌ ‌–‌ ‌हाताची‌ ‌बोटे‌ ‌मिटून‌‌ होणारी‌ ‌हाताच्या‌ ‌पंजाची‌ ‌रचना‌‌ – (fist)
  • द्रव्य –‌ ‌पैसा,‌ ‌धन‌ ‌–‌ ‌(money,‌ ‌wealth)‌
  • शिर‌ ‌–‌ ‌नस‌ ‌‌–‌ ‌(vein)‌
  • रक्त‌ ‌– रुधिर‌ ‌‌–‌ ‌(blood)‌ ‌
  • कष्ट‌ ‌–‌ ‌परिश्रम‌ ‌–‌ ‌(hard‌ ‌work)‌ ‌
  • सामर्थ्य‌ ‌–‌ ‌क्षमता,‌ ‌कुवत‌ ‌–‌ ‌(capacity)‌ ‌
  • जीव‌ ‌–‌ ‌प्राण‌ ‌–‌ ‌(life,‌ ‌virility)‌ ‌
  • ओवाळणे‌ ‌–‌ ‌औक्षण,‌‌ आरती‌ ‌करणे‌‌ –‌ ‌(to‌ ‌move‌ ‌a‌ ‌lamp‌ ‌in‌ ‌a‌‌ circular‌ ‌motion‌ ‌before god‌ ‌or‌ ‌man)‌
  • शौर्यगाथा‌ ‌–‌ ‌पराक्रम‌‌ –‌ ‌(valour,‌ ‌heroism)‌ ‌
  • शान‌ ‌–‌ ‌थाट‌‌ –‌ ‌(great‌ ‌pomp)‌ ‌
  • बंबारा‌ ‌–‌ ‌गोळीबार‌ ‌–‌ ‌(firing)‌ ‌
  • धुराचा‌ ‌–‌ ‌धुराचा‌ ‌लोळ‌ ‌कल्लोळ‌ ‌–‌ ‌(rolling‌ ‌smoke‌ ‌of‌ ‌fire)‌ ‌
  • घोंघावणे‌ ‌–‌ ‌मोठा‌ ‌आवाज‌‌ –‌ ‌(to‌ ‌roar,‌ ‌to‌ ‌growl)‌ ‌
  • धडाडते‌ ‌–‌ ‌गडगडाट‌ ‌–‌ ‌(thunderous‌ ‌sound)‌ ‌
  • तोफ‌ ‌–‌ ‌तोफ,‌ ‌बंदुक‌‌ –‌ ‌(cannon)‌ ‌
  • जिद्द‌ ‌–‌ ‌निश्चय‌‌ –‌ ‌(determination)‌ ‌
  • विजय‌ ‌–‌ ‌जय‌‌ –‌ ‌(victory,‌ ‌triumph)‌ ‌
  • दौड‌ ‌–‌ ‌धाव‌‌ –‌ ‌(to‌ ‌run)‌ ‌
  • आसवे‌ ‌–‌ ‌अश्रू‌‌ –‌ ‌(tears)‌ ‌
  • ज्योत‌ ‌–‌ ‌दिव्याची‌ ‌ज्वाला‌ ‌–‌ ‌(flame,‌ ‌light)‌ ‌
  • पाजळणे‌ ‌–‌ ‌प्रकटवणे‌‌ –‌ ‌(to‌ ‌kindle)‌ ‌
  • असंख्य‌ ‌–‌ ‌अगणित‌‌ –‌ ‌(innumerable)‌ ‌
  • राखण‌ ‌–‌ ‌रक्षण‌‌ –‌ ‌(toguard)‌ ‌
  • दीनदुबळे‌ ‌–‌ ‌कमकुवत‌ ‌–‌ ‌(weak)

Marathi Akshar Bharati Class 10th Digest 

Class 10 Hindi Chapter 8 Apni Gandh Nahi Bechunga Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 8 Apni Gandh Nahi Bechunga Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगान Notes, Textbook Exercise Important Questions, and Answers.

Hindi Lokbharti 10th Digest Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगान Questions And Answers

Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा Textbook Questions and Answers

कृति

कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 13

प्रश्न 2.
लिखिए :
(i) फूल को बिक जाने से भी बेहतर लगता
(ii) फूल के अनुसार उसे तोड़ने का पहला अधिकार
उत्तर:
(i) फूल को बिक जाने से भी बेहतर लगता है – मर जाना।
(ii) फूल के अनुसार उसे तोड़ने का पहला अधिकार डाली, कोंपल और काँटों को है।

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 2
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 11

प्रश्न 4.
सूची बनाइए:
इनका फूल से संबंध है –
– – – – – – – – – – – – – – –
– – – – – – – – – – – – – – –
– – – – – – – – – – – – – – –
– – – – – – – – – – – – – – –
उत्तर:
(i) उपवन:
(ii) डाली
(iii) कोंपल
(iv) काँटे।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

प्रश्न 5.
कारण लिखिए :
(i) फूल अपनी सौगंध नहीं बेचेगा – – – – – – – – – – – – – – –
(ii) फूल को मौसम से कुछ लेना नहीं है – – – – – – – – – – – – – – –
उत्तर:
(i) अपनी गंध न बेचने की सौगंध फूल का संस्कार बन गई है, इसलिए फूल अपनी सौगंध नहीं बेचेगा।
(i) फूल को मौसम से कुछ लेना-देना नहीं है – उसे अपने अस्तित्व के लिए कुछ भी पाने की इच्छा नहीं है। इसलिए कैसा भी मौसम हो, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।

प्रश्न 6.
‘दाता होगा तो दे देगा, खाता होगा तो खाएगा’ इस पंक्ति से स्पष्ट होने वाला अर्थ लिखिए।
उत्तर:
फूल को केवल अपने स्वाभिमान से मतलब है। उसे किसी चीज को पाने अथवा खो जाने की चिंता नहीं है। जो मिलना होगा, मिलेगा और जो नुकसान होगा, होगा। उसे उसकी चिंता नहीं है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :
1. रचनाकार का नाम
2. रचना का प्रकार
3. पसंदीदा पंक्ति
4. पसंदीदा होने का कारण
5. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा
उत्तर:
1. रचनाकार का नाम → बालकवि बैरागी।
2. रचना की विधा → गीत।

3. पसंद की पंक्ति → चाहे सभी सुमन बिक जाएँ,
चाहे ये उपवन बिक जाएँ
चाहे सौ फागुन बिक जाएँ
पर मैं गंध नहीं बेचूंगा।

4. पंक्तियाँ पसंद होने का कारण → इन पक्तियों में फूल हर हालत में जीवन में अपने स्वाभिमान को सर्वोपरि मानता है। इसके लिए उसे कोई भी त्याग करना पड़े, तो वह इसके लिए तैयार है, पर वह अपने स्वाभिमान को हर हालत में बनाए रखना चाहता है।

5. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा → प्रस्तुत रचना से यह संदेश मिलता है कि स्वाभिमान मनुष्य की सबसे बड़ी थाती है। हमें हर हालत में इसकी रक्षा करनी चाहिए। यदि स्वाभिमान की रक्षा के लिए हमें अपना सर्वस्व निछावर कर देना पड़े, तो भी हँसते-हँसते अपना सब कुछ त्याग देना चाहिए। प्रस्तुत पंक्तियों से हमें यही प्रेरणा मिलती है। (विद्यार्थी अपनी पसंदीदा पंक्ति लिखें।)

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा Additional Important Questions and Answers

पद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 3
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 4
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 5

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

प्रश्न 2.
जोड़ियाँ मिलाइए :
(i) सुमन – पँखुरी
(ii) काँटे – सौगंध
(iii) मालिन – उपवन
(iv) संस्कार – चौकी
उत्तर:
(i) सुमन – उपवन
(ii) काँटे – चौकी
(iii) मालिन – पँखुरी
(iv) संस्कार – सौगंध

प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए :
(i) फूल ‘सौगंध’ न बेचने की बात इन्हें संबोधित करते हुए कहता है।
उत्तर:
(i) अपने ऊपर मँडराने वालों और अपना मोल लगाने वालों को फूल ‘सौगंध’ न बेचने की बात संबोधित करते हुए कहता है।

प्रश्न 4.
कारण लिखिए :
(i) फूल डाली, कोंपल और काँटों को स्वयं को नोचने-तोड़ने का अधिकार देता है –
उत्तर:
(i) फूल डाली, कोंपल और काँटों का कृतज्ञ है, इसलिए वह इन्हें अपने आप को नोचने-तोड़ने का अधिकार देता है।

प्रश्न 5.
उत्तर लिखिए : (पद्यांश में आया)
(i) एक भारतीय महीने का नाम – ………………………………..
(ii) एक प्रसिद्ध पौराणिक चरित्र, जिनके नाम के साथ रेखा’ शब्द जोड़कर उदाहरण दिया जाता है – ………………………………..
(iii) फूलों के बगीचे में फूलों के पौधे लगाने और उनकी सेवा करने वाले व्यक्ति की पत्नी – ………………………………..
(iv) फूलों की महक के अर्थ में प्रयुक्त शब्द – ………………………………..
उत्तर:
(i) एक भारतीय महीने का नाम – फागुन।
(ii) एक प्रसिद्ध पौराणिक चरित्र, जिनके नाम के साथ ‘रेखा शब्द जोड़कर उदाहरण दिया जाता है- लछमन (लक्ष्मण), लक्ष्मण रेखा।
(iii) फूलों के बगीचे में फूलों के पौधे लगाने और उनकी सेवा करने – वाले व्यक्ति की पत्नी – मालिन।
(iv) फूलों की महक के अर्थ में प्रयुक्त शब्द – गंध।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए :
(i) अरुणाई
(ii) चौकी
(iii) गंध
(iv) सौगंध
उत्तर:
(i) अरुणाई -लालिमा
(ii) चौकी – पहरा
(iii) गंध -सुगंध
(iv) सौगंध – कसम।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
(i) वृक्ष की नई और कोमल पत्तियाँ =
(ii) किसी वस्तु के ऊपर चारों ओर घूमते हुए उड़ना =
उत्तर :
(i) वृक्ष की नई और कोमल पत्तियाँ – कोंपल
(ii) किसी वस्तु के ऊपर चारों ओर घूमते हुए उड़ना – मँडराना।

कृति 3 : (सरल अर्थ)

प्रश्न.
उपर्युक्त पद्यांश की ‘जिस डाली ने ——— रिश्ते जोड़े’ पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
फूल कहता है कि पौधे की जिस डाल ने उसे अपनी गोद में खिलाया था, जिन कोंपलों ने उसे लालिमा प्रदान की थी और जिन काँटों ने लक्ष्मणजी की तरह पहरा देकर उसे तोड़े जाने से बचाया था, उन्हें वह कभी भूल नहीं सकता। उनका वह ऋणी है और उस पर पहला अधिकार इन्हीं का है। वे चाहे उसे नोचें या तोड़ें, वह उफ तक नहीं करेगा। वह कहता है कि वे चाहे मुझे तोड़कर किसी मालिन को दे दें, तो भी मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 6
उत्तर:

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) पिचकारी का जादू-टोना फूल पर कोई अंतर नहीं लाएगा –
उत्तर:
(i) पिचकारी का जादू-टोना फूल पर कोई अंतर नहीं लाएगा – फूल को कृत्रिम फुहारों की कामना नहीं है। इसलिए पिचकारी का जादू-टोना फूल पर कोई अंतर नहीं लाएगा।

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा 7
उत्तर:

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
पद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए :
(i) ………………………………
(ii) ………………………………
(iii) ………………………………
(iv) ………………………………
उत्तर:
(i) आएगा-जाएगा
(ii) रोना-धोना
(iii) जादू-टोना
(iv) पल-पल।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(i) भौंरा = ………………………………
(ii) सुर = ………………………………
(iii) दाम = ………………………………
(iv) कोमल = ………………………………
उत्तर:
(i) भौंरा = भ्रमर
(ii) सुर = स्वर
(iii) दाम = मूल्य
(iv) कोमल = मुलायम।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

कृति 3 : (सरल अर्थ)

प्रश्न.
प्रस्तुत पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
चाहे फूल की कोमल-कोमल पंखुड़ियों पर भौंरों के गुंजन का सरगम सुनाई देता हो अथवा पतझड़ का मौसम हो, और वह मुरझाई हुई दशा में हो या उस पर कृत्रिम फुहारें डालकर उसे सांत्वना दी जाए, उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। फूल अपनी बोली लगाने वालों और पल-पल अपनी कीमतें आँकने वालों को संबोधित करते हुए कहता है कि मैंने अपने आप से अपने स्वाभिमान का अनुबंध कर लिया है और यह ठान लिया है कि मैं अपने स्वाभिमान पर कभी आँच नहीं आने दूंगा। मैं उस अनुबंध को किसी भी हालत में दाँव पर नहीं लगा सकता अर्थात मैं उसका कभी सौदा नहीं कर सकता। फूल कहता है कि वह अपनी सुगंध कभी नहीं बेच सकता।

पयांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई। सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
दो ऐसे प्रश्न बनाकर लिखिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
(i) मन ने
(ii) पवन के।
उत्तर:
(i) तन पर किसने प्रतिबंध लगा दिया?
(ii) फूल एक-एक के घर किसके साथ जाएगा?

प्रश्न 2.
लिखिए :
(i) फूल झर जाना चाहता है ……………………………|
उत्तर:
(i) फूल झर जाना चाहता है – अपनी माटी में।

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) फूल इस तरह झर जाएगा
(ii) भूल-चूक की माफी यह लेगी –
(iii) तब मंडी यह समझेगी –
(iv) इसको इसका अंत पता है –
उत्तर:
(i) फूल इस तरह झर जाएगा – पंखुरी-पंखुरी गिरकर
(ii) भूल-चूक की माफी यह लेगी – फूल की गंध कुमारी
(iii) तब मंडी यह समझेगी – खुद्दारी किसको कहते हैं।
(iv) इसको इसका अंत पता है – फूल को अपना

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 8 अपनी गंध नहीं बेचूँगा

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
पद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए :
(i) ………………………………….
(ii) ………………………………….
उत्तर:
(i) एक-एक
(ii) भूल-चूक।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(i) पवन = ………………………………….
(ii) तन = ………………………………….
(iii) घर = ………………………………….
(iv) दिन = ………………………………….
उत्तर:
(i) पवन = हवा
(ii) तन = शरीर
(iii) घर = मकान
(iv) दिन = दिवस।

कृति 3 : (सरल अर्थ)

प्रश्न.
प्रस्तुत पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
फूल कहता है कि इस संसार में जिसका भी जन्म होता है, एक-न-एक दिन उसका अंत होना (मरना) निश्चित है। वह कहता है कि यह बात मुझे अच्छी तरह मालूम है कि एक दिन मैं भी पंखुड़ीपंखुड़ी करके झर जाऊँगा और मेरा अंत हो जाएगा। पर इसके पहले मैं हवा के साथ उड़कर वातावरण में फैलकर एक-एक (फूल) के पास ३ जाऊँगा और मेरी सुगंध उनसे जाने-अनजाने में किए की माफी मांगेगी।

फूल कहता है कि उस दिन बाजार और बाजार में खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों को यह बात समझ में आएगी कि खुद्दारी अर्थात स्वाभिमान क्या होता है और इसके सम्मान के लिए लोग हर प्रकार का त्याग करने के लिए क्यों तत्पर रहते हैं।

भाषा अध्ययन (व्याकरण)

प्रश्न. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. शब्द भेद :
अधोरेखांकित शब्दों का शब्दभेद पहचानकर लिखिए :
(i) फूल की अरुणाई देखने योग्य थी।
(ii) भँवरे फूलों पर मँडराते हैं।
उत्तर :
(i) अरुणाई – भाववाचक संज्ञा।
(ii) भँवरे – जातिवाचक संज्ञा।

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2. अव्यय :
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
(i) सामने
(ii) तरफ।
उत्तर :
(i) फूल एक-एक के सामने जाएगा।
(ii) मालिन ने फूल की तरफ देखा।

3. संधि :
कृति पूर्ण कीजिए :

संधि शब्दसंधि विच्छेद संधि भेट
…………………यथा + अर्थ …………………
अथवा
नमस्ते ……………………………………

उत्तर:

संधि शब्दसंधि विच्छेद संधि भेट
यथार्थयथा + अर्थस्वर संधि
अथवा
नमस्तेनमः + तेविसर्ग संधि

4. सहायक क्रिया :
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए :
(i) बिकने से बेहतर है मर जाऊँ।
(ii) मन ने तन पर प्रतिबंध लगा दिया।
उत्तर:
सहायक क्रिया – मूल रूप
(i) जाऊँ – जाना
(ii) दिया – देना

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5. प्रेरणार्थक क्रिया :
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :
(i) रोना
(ii) उड़ना।
उत्तर:
क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप दुवितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) रोना – रुलाना – रुलवाना
(ii) उड़ना – उड़ाना – उड़वाना

6. मुहावरे :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(i) चैन न मिलना
(ii) झेंप जाना।
उत्तर :
(i) चैन न मिलना।
अर्थ : बेचैनी अनुभव करना।
वाक्य : इलाके में चोरी की बढ़ती घटनाओं से पुलिस को चैन नहीं मिल रहा था।
(ii) झेंप जाना।
अर्थ : लज्जित होना, शरमाना।
वाक्य : हिसाब-किताब में गड़बड़ी पकड़े जाने पर मुंशी जी झेंप गए।

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प्रश्न 2.
अधोरेखांकित वाक्यांशों के लिए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए : (थर-थर काँपना, नजर आना, दृष्टि फेरना)
(i) चोर पुलिस के डर से बहुत अधिक काँप रहा था।
(ii) आगरा के किले की ऊपरी मंजिल से ताजमहल का गुंबद दिखाई देता है।
उत्तर:
(i) चोर पुलिस के डर से थर-थर काँप रहा था।
(ii) आगरा के किले की ऊपरी मंजिल से ताजमहल का गुंबद नजर आता है।

7. कारक:
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए :
(i) अच्छा हो मर कर अपनी माटी में झर जाऊँ।
(ii) चाहे जिस मालिन से मेरी पंखुरियों के रिश्ते जोड़ें।
उत्तर:
(i) माटी में – अधिकरण कारक।
(ii) मालिन से – करण कारक।

8. विरामचिह्न :
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए :
(i) मौसम से मुझको क्या लेना है वह तो आएगा – जाएगा
(ii) अच्छा तो आप मुझे अपनी गंध बेचने के लिए कह रहे हैं
उत्तर :
(i) मौसम से मुझको क्या लेना है, वह तो आएगा-जाएगा।
(ii) अच्छा! तो आप मुझे अपनी गंध बेचने के लिए कह रहे हैं।

9. काल परिवर्तन :
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए :
(i) मैं गंध नहीं बेचूंगा। (सामान्य भूतकाल)
(ii) मुझको मेरा अंत पता है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(i) मैंने गंध नहीं बेची।
(ii) मुझको मेरा अंत पता था।

10. वाक्य भेद :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए :
(i) एक ओर भौरे का गुंजार है और दूसरी ओर पतझड़।
(ii) मैं वह सौगंध नहीं बेचूंगा, जो मेरा संस्कार बन गई।
उत्तर :
(i) संयुक्त वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार परिवर्तन कीजिए :
(i) फूल अपनी गंध नहीं बेचेगा। (विस्मयादिबोधक वाक्य)
(ii) फूल एक-एक के घर जाएगा। (संदेहबोधक वाक्य)
उत्तर :
(i) अच्छा ! फूल अपनी गंध नहीं बेचेगा !
(ii) फूल शायद एक-एक के घर जाए।

11. वाक्य शुद्धिकरण :
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :
(i) उस दीन ये मंडी समझेगा।
(ii) तब दूनिया उसके पाँव पर पड़ेगी।
उत्तर:
(i) उस दिन ये मंडी समझेगी।
(ii) तब दुनिया उसके पाँव पड़ेगी।

अपनी गंध नहीं बेचूँगा Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :
स्वाभिमान मनुष्य की थाती है। जिस व्यक्ति में स्वाभिमान की भावना नहीं होती, उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता। स्वाभिमानी लोग अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सब कुछ गँवा देते हैं, पर अपने स्वाभिमान पर आँच नहीं आने देते। प्रस्तुत कविता में कवि ने एक ऐसे ही फूल का वर्णन किया है, जो अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ निछावर करने के लिए तत्पर है, पर किसी भी हालत में अपना स्वाभिमान छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। कवि ने इस कविता के द्वारा फूल के इस गुण को मनुष्य को भी अपनाने और स्वाभिमानी रहने की प्रेरणा दी है।

अपनी गंध नहीं बेचूँगा कविता का सरल अर्थ

1. चाहे सभी सुमन …………………………. सौगंध नहीं बेचूंगा।

स्वाभिमानी फूल अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सब कुछ निछावर करने के लिए तैयार है, पर वह किसी भी हालत में अपने स्वाभिमान पर आँच नहीं आने देना चाहता।

वह कहता है कि चाहे सारे फूल बिक जाएँ, केवल फूल ही नहीं चाहे वे उपवन भी बिक जाएँ, जहाँ सारे फूल उत्पन्न होते हैं। सारी बहार क्यों न बिक जाए, पर वह अपनी सुगंध को, जिसे वह अपना स्वाभिमान मानता है, किसी भी हालत में नहीं बेच सकता।

जिस तरह मनुष्य अपने स्वाभिमान के लिए मर मिट जाता है, पर उस पर आँच नहीं आने देता, उसी तरह यह फूल भी अपनी सुगंध की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

फूल कहता है कि पौधे की जिस डाल ने उसे अपनी गोद में खिलाया था, जिन कोंपलों ने उसे लालिमा प्रदान की थी और जिन काँटों ने लक्ष्मणजी की तरह पहरा देकर उसे तोड़े जाने से बचाया था, उन्हें वह कभी भूल नहीं सकता। उनका वह ऋणी है और उस पर पहला अधिकार इन्हीं का है। वे चाहे उसे नोचें या तोड़ें, वह उफ तक नहीं करेगा। वह कहता है कि वे चाहे मुझे तोड़कर किसी मालिन को दे दें, तो भी मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

वह चारों ओर से अपने ऊपर नजरें गड़ाने वालों और उसकी कीमत लगाकर उसे बाजार में बेचने वालों से कहता है कि उसने अपनी सुगंध को न बेचने की जो सौगंध खाई है, वह उसका संस्कार बन गई है और वह उसका सौदा कभी नहीं कर सकता। फूल कहता है कि वह अपनी सुगंध कभी नहीं बेच सकता।

2. मौसम से क्या लेना अनुबंध नहीं बेचूंगा।

फूल कहता है कि मौसम, कैसा भी हो, मौसम का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह हर स्थिति में अपने आप को स्थिर रखने में सक्षम है। उसे किसी से कुछ भी पाने की आकांक्षा नहीं है। वह लाभ या हानि की कोई परवाह नहीं करता। न उस पर किसी चीज का कोई प्रभाव पड़ता है। और न वह किसी चीज से कभी घबराता है। चाहे उसकी कोमल-कोमल पंखुड़ियों पर भौंरों के गुंजन का सरगम सुनाई देता हो अथवा पतझड़ का मौसम हो, और वह मुरझाई हुई दशा में हो या उस पर कृत्रिम फुहारें डालकर उसे सांत्वना दी जाए, उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

वह अपनी बोली लगाने वालों और पल-पल अपनी कीमतें आँकने वालों को संबोधित करते हुए कहता है कि मैंने अपने आप से अपने स्वाभिमान का अनुबंध कर लिया है और यह ठान लिया है कि मैं अपने स्वाभिमान पर कभी आँच नहीं आने दूँगा। मैं उस अनुबंध को किसी भी हालत में दाँव पर नहीं लगा सकता अर्थात मैं उसका कभी सौदा नहीं कर सकता। फूल कहता है कि वह अपनी सुगंध कभी नहीं बेच सकता।

3. मुझको मेरा अंत ……………………… वो प्रतिबंध नहीं बेचूंगा।

फूल कहता है कि इस संसार में जिसका भी जन्म होता है, एक-न-एक दिन उसका अंत होना (मरना) निश्चित है। वह कहता है कि यह बात मुझे अच्छी तरह मालूम है कि एक दिन मैं भी पंखुड़ीपंखुड़ी करके झर जाऊँगा और मेरा अंत हो जाएगा। पर इसके पहले मैं हवा के साथ उड़कर वातावरण में फैलकर एक-एक (फूल) के पास जाऊँगा और मेरी सुगंध उनसे जाने-अनजाने में किए की माफी मांगेगी।

फूल कहता है कि उस दिन बाजार और बाजार में खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों को यह बात समझ में आएगी कि खुद्दारी अर्थात स्वाभिमान क्या होता है और इसके सम्मान के लिए लोग हर प्रकार का त्याग करने के लिए क्यों तत्पर रहते हैं। फूल कहता है कि किसी के हाथों बिकने से तो अच्छा है कि मैं मर जाऊँ और अपने देश की मिट्टी में मिल जाऊँ। वह कहता है कि मैंने अपनी इच्छा से अपने शरीर पर जो प्रतिबंध लगा लिया है, उस प्रतिबंध को मैं कभी नहीं बेच सकता।

(फूल के इस स्वाभिमान को मनुष्य को भी अपनाना चाहिए और उसे भी किसी लालच में आकर कभी अपना स्वाभिमान बेचना नहीं चाहिए।)

Class 10 Hindi Lokbharti Textbook Solutions

Class 10 Hindi Chapter 6 Hum Us Dharti Ki Santati Hai Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 6 Hum Us Dharti Ki Santati Hai Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokbharti 10th Digest Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं Questions And Answers

Hindi Lokbharti 10th Std Digest Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं Textbook Questions and Answers

कृति

(कृतिपत्रिका के प्रश्न 3 (आ) के लिए)

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

प्रश्न 1.
वर्गीकरण कीजिए:
पद्यांश में उल्लिखित चरित्र-ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती, पद्मिनी, सीता, चाँदबीबी, सावित्री, जयमल
उत्तर:
ऐतिहासिक – पौराणिक
लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती, पद्मिनी, चाँद बीबी, जयमल-पत्ता। – ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, सीता, सावित्री।।

प्रश्न 2.
विशेषताओं के आधार पर पहचानिए :
(i) भारत माता के रथ के दो पहिये – ……………………………..
(ii) खूब लड़ने वाली मर्दानी – ……………………………..
(iii) अपनी लगन का सच्चा – ……………………………..
(iv) किसी को कुछ न गिनने वाले – ……………………………..
उत्तर:
(i) भारत माता के रथ के दो पहिये – लड़के (पुरुष), लड़कियाँ (स्त्रियाँ)।
(ii) खूब लड़ने वाली मर्दानी – लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, रजिया सुलताना।
(iii) अपनी लगन का सच्चा – प्रह्लाद।
(iv) किसी को कुछ न गिनने वाले – जयमल-पत्ता।

प्रश्न 3.
सही/गलत पहचानकर गलत वाक्य को सही करके वाक्य पुनः लिखिए :
(i) रानी कर्मवती ने अकबर को राखी भेजी थी।
(ii) भरत शेर के दाँत गिनते थे।
(iii) झगड़ने से सब कुछ प्राप्त होता है।
(iv) ध्रुव आकाश में खेले थे।
उत्तर:
(i) रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी।
(ii) भरत शेरों की दतुली गिनते थे।
(iii) झगड़ने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
(iv) ध्रुव मिट्टी में खेले थे।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं

प्रश्न 4.
कविता से प्राप्त संदेश लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता कव्वाली के स्वरूप में है। इसमें लड़के जहाँ महापुरुषों और प्रसिद्ध शूरवीरों का हवाला देते हुए अपने आप को लड़कियों से श्रेष्ठ बताने की कोशिश करते हैं, वहीं लड़कियाँ भी सीता, सावित्री, लक्ष्मीबाई तथा युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाली शूरवीर रानियों को अपनी जमात से जोड़ते हुए लड़कों से अपने आप को कम नहीं बतातीं। पर बाद में लड़के कव्वाली के माध्यम से लड़कियों को जवाब देते हैं कि कोई किसी से बढ़कर नहीं है, सभी बराबर हैं। देश के चाहे महान पुरुष हों या महान स्त्रियाँ सभी भारत माँ की संतान हैं। लड़के-लड़कियाँ दोनों भारत माता के रथ के दो पहियों के समान हैं। रथ के लिए इन दोनों पहियों का होना जरूरी है। इस तरह कविता से यह संदेश मिलता है कि कोई बड़ा या कोई छोटा नहीं है, सभी लोग समान हैं। हमें अपने आप पर निरर्थक गर्व नहीं करना चाहिए।

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं Additional Important Questions and Answers

पद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
तालिका पूर्ण कीजिए:

चरित्र विशेषताएँ
 इस मिट्टी में खेलने वाला
 लगन का सच्चा (सच्ची लगन वाला)
 शेर के जबड़े में दाँत गिनने वाला
 अपने पराक्रम के आगे किसी को न गिनने वाला

उत्तर:

चरित्र विशेषताएँ
ध्रुव इस मिट्टी में खेलने वाला
प्रहलाद लगन का सच्चा (सच्ची लगन वाला)
भरत शेर के जबड़े में दाँत गिनने वाला
जयमल-पत्ता अपने पराक्रम के आगे किसी को न गिनने वाला

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 2
प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए:
(i) पद्यांश में बड़ाई की गई है, इनकी –
(ii) पद्यांश में प्रयुक्त सौरमंडल का एक प्रसिद्ध ग्रह –
(iii) पद्यांश में आया वह नाम, जिनके नाम पर हमारे देश का नाम पड़ा –
(iv) पद्यांश में आया वन का एक हिंसक पशु –
उत्तर:
(i) पद्यांश में बड़ाई की गई है, इनकी – लड़कों की।
(ii) पद्यांश में प्रयुक्त सौरमंडल का एक प्रसिद्ध ग्रह – घरती।
(iii) पद्यांश में आया वह नाम, जिनके नाम पर हमारे देश का नाम पड़ा – भरत।
(iv) पद्यांश में आया वन का एक हिंसक पशु – शेर।

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
कव्वाली काव्य विधा के बारे में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कव्वाली आम जनता से लेकर शिक्षित वर्ग तक की पसंद की एक लोकप्रिय काव्य विधा है। इसकी मुख्य विशेषता, कव्वाली गीत प्रस्तुत करने वाले कलाकारों के बीच किसी विषय को लेकर नोक-झोंक होती है। इसमें प्रतियोगी कलाकार जब एक-दूसरे की काव्य पंक्तियों पर नहले पर दहला जड़ते हैं, तो श्रोताओं के मुँह से अनायास ही तारीफों की बरसात होने लगती है।

श्रोता अच्छे कलाकारों की कव्वाली सुनने में पूरी रात गुजार देते हैं, फिर भी उनका मन नहीं, भरता। कव्वालियों में कल्पना पक्ष प्रमुख होता है और उपमाओं की भरमार होती है। कव्वाली गायक किसी बात का उदाहरण देते-देते कहीं भटक जाता है, तो भी वह बड़ी खूबसूरती के साथ फिर अपने विषय पर लौट आता है। लोकप्रियता के कारण कव्वाली को कई फिल्मों में भी समाहित किया गया है। कव्वाली गायकों में से कुछ के नाम तो लोगों की जबान पर होते हैं।

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पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 3
उत्तर
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 5

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 4
उत्तर
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 6

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प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए:
(i) पद्यांश में आया चित्तौड़ की प्रसिद्ध रानी का नाम –
(ii) पुराने जमाने में राजपूत रानियों का दहकती हुई विशाल चिता में प्रवेश कर प्राण न्योछावर कर देने से संबंधित शब्द –
उत्तर:
(i) पद्यांश में आया चित्तौड़ की प्रसिद्ध रानी का नाम – पद्मिनी।
(ii) पुराने जमाने में राजपूत रानियों का दहकती हुई विशाल चिता में प्रवेश कर प्राण न्योछावर कर देने से संबंधित शब्द – जौहर।

प्रश्न 4.
परिणाम लिखिए:
गर डींग उड़ाएँगे, तो …………………..
उत्तर:
गर डींग उड़ाएँगे, तो मजबूरन ताने सहने होंगे।

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
‘नारी सम्मान’ के बारे में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
आजकल स्त्रियों के अपमान की अनेक घटनाएँ पढ़नेसुनने में आती हैं। स्त्रियों पर तरह-तरह के अत्याचार होते हैं। यह बड़े दुख की बात है।

हमारे देश में प्राचीन काल से नारियों का सम्मान करने की परंपरा रही है। हमारे यहाँ नारी को देवी का सम्मान दिया जाता रहा है और उसकी पूजा करने की परंपरा रही है। दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, महाकाली आदि देवियों की हम श्रद्धा और भक्तिपूर्वक पूजा करते हैं। सीता, सावित्री तथा अनुसूया जैसी महान नारियाँ हमारी आदर्श रही हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात जहाँ नारियों की पूजा की जाती है वहीं देवता निवास करते हैं।

आज हमारे देश में स्त्रियाँ हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ बराबरी के स्तर पर काम कर रही हैं। आज की नारी पहले की अपेक्षा अधिक जागरूक हो चुकी है। नारी को सम्मान देने से स्त्रियाँ ही सम्मानित नहीं होंगी, बल्कि उन्हें सम्मान देने वाले खुद भी गौरवान्वित होंगे।

पद्यांशु क्र. 3
प्रश्न, निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1: (आकलन)

(1) आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 7
उत्तर:
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 8
Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं 9

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं

प्रश्न 2.
इन शब्दों के अर्थ वाले शब्द पद्यांश से ढूंढकर लिखिए:
(i) नाराज
(ii) झगड़ा
(iii) संतान
(iv) प्राप्त होना।
उत्तर:
(i) नाराज – खफा
(ii) झगड़ा – टंटा
(iii) संतान – संतति
(iv) प्राप्त होना – हासिल करना।

प्रश्न 3.
परिणाम लिखिए:
झगड़े करेंगे, तो ………………………
उत्तर:
झगड़े करेंगे, तो कुछ हासिल न होगा।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त पद्यांश में उल्लेखित स्त्री-पुरुष समानता दर्शानेवाली पंक्तियाँ चुनकर लिखिए: (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
(i) …………………….
(ii) …………………….
उत्तर:
(i) बस बात पते की इतनी है, ध्रुव या रजिया भारत माँ के
(ii) भारत माता के रथ के है, हम दोनों ही, दो-दो पहिए, अजी दो पहिए, हाँ दो पहिए।

कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
‘झगड़े से कुछ हासिल नहीं होता’-अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
उत्तर:
किसी बात पर होने वाली कहा-सुनी या विवाद को आमतौर पर झगड़ा कहा जाता है। झगड़े से समस्या सुलझने के बजाय और उलझ जाती है। मुख्य मुद्दा धरा रह जाता है और झगड़ा प्रमुख हो जाता है। कभी-कभी तो झगड़े में लोगों की जान पर भी बन आती है। इसके परिणामस्वरूप लोगों में मारा-मारी और हत्या तक हो जाती है। पर समस्या वैसी की वैसी बनी रहती है, बल्कि उसमें और इजाफा हो जाता है।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 हम उस धरती की संतति हैं

झगड़े के परिणामस्वरूप पीढ़ी-पीढ़ी तक दुश्मनी बनी रहती है। इसलिए झगड़े को भूलकर आपस में बातचीत के माध्यम से ही किसी समस्या का हल निकालने की बात सोचनी चाहिए। अत: किसी समस्या का हल निकालने का सही मार्ग झगड़ा नहीं, बल्कि शांतिपूर्ण माहौल में आपस में बातचीत कर समझौता करना है।

हम उस धरती की संतति हैं Summary in Hindi

विषय-प्रवेश : कव्वाली एक लोकप्रिय काव्य विधा है। इसमें दो दल अपनी-अपनी तारीफों अथवा किसी विषय पर अपनी राय को रोचक और तार्किक ढंग से नोक-झोंक के रूप में प्रस्तुत करते हैं। अच्छे कव्वाली गायकों को श्रोता रात-रात भर सुनते रहते हैं। हम उस घरती की संतति हैं’ कव्वाली के एक दल में लड़के हैं और दूसरे दल में लड़कियाँ हैं। लड़के देश के प्रसिद्ध महापुरुषों और शूरवीर योद्धाओं से अपना संबंध जोड़कर अपने आप को श्रेष्ठ साबित करते हैं, तो लड़कियाँ सीता, सावित्री तथा युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाली योद्धा नारियों से अपना संबंध जोड़कर अपने आप को श्रेष्ठ बताती हैं। पर बाद में दोनों दलों को अहसास होता है कि उन्हें इस झगड़े से कोई लाभ नहीं है। स्त्री-पुरुष दोनों भारतमाता के रथ के दो पहियों के समान हैं और देश के लिए दोनों आवश्यक हैं।

हम उस धरती की संतति हैं कविता का सरल अर्थ

1. हम उस धरती ……………………………… धरती के लड़के हैं।

[कविता में लड़कों (पुरुष जाति) को लड़कियों (स्त्रियों) से बढ़-चढ़कर बताते हुए लड़के अपनी प्रशंसा करते हुए कहते हैं -]

“हम उस परती पर रहने वाले लड़के हैं, जिनकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। यह वही घरती है, जहाँ ध्रुव जैसे महापुरुष का जन्म हुआ था और वे इसी मिट्टी में खेलते थे।

इसी मिट्टी में भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ था। सारी दुनिया को मालूम है कि वे अपनी धुन के कितने सच्चे थे।

यहीं पर भरत जैसे वीर और साहसी महापुरुष का जन्म हुआ था। वे इतने निडर थे कि शेरों के मुँह खुलवाकर उनके दाँत गिना करते थे। __जयमल और पत्ता जैसे वीर इसी मिट्टी में पैदा हुए थे, जो अपने जैसा वीर किसी को समझते ही नहीं थे।

लड़के लड़कियों को नीचा दिखाते हुए कहते हैं कि इन सभी कारणों से हम (लड़के) तुम लोगों (लड़कियों) से बढ़कर हैं। इसलिए तुम सब (लड़कियों) हमारा (पुरुषों का) सामना नहीं कर सकती हो। अतः हमारे सामने तुम सब अपना मुँह बंद रखो। कुछ बोलने की कोशिश मत करो।”

2. बातों का जनाब ……………………………… हम उस धरती की लड़की हैं।

(लड़कों को अपनी बड़ाई करते हुए सुनकर लड़कियाँ लड़कों को जवाब देती हैं-)
“आप जैसे लोगों को बात करने का ढंग तक मालूम नहीं है। आप अपनी प्रशंसा खुद न कीजिए और चुप रहिए। (सुनिए) हम उस धरती की लड़कियाँ हैं, जिस धरती का कुछ पूछना ही नहीं है। हम उस धरती, की लड़कियाँ हैं जिसकी मिट्टी में वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था।

दुर्गावती और रजिया सुलताना जैसी मर्दानी वीरांगनाएँ जिस मिट्टी में पैदा हुई थीं, जिन्होंने लड़ाई के मैदान में अपना अद्भुत पराक्रम दिखाया था, हम उस धरती की लड़कियाँ हैं।

चाँद बीबी जैसी वीरांगना और जौहर की ज्वाला में हँसते-हँसते कूद जाने वाली महान नारी पद्मिनी का जन्म भी इसी मिट्टी में हुआ था।

यह सीता और सावित्री जैसी महान सन्नारियों की जन्म-स्थली है।

यदि आप (लड़के) अपने श्रेष्ठ होने की बड़ी-बड़ी बातें करेंगे, तो आप लोग हमारे ताने भी सहिए। याद रखिए, हम (लड़कियाँ) इन सन्नारियों की धरती की लड़कियाँ हैं।

3. यों आप खफा ……………………………… धरती की संतति हैं।

(लड़कियों का जवाब सुनकर लड़के समझदारी की बात करते हुए कहते हैं-)

(हमारी बातों पर) आप नाराज क्यों होती हैं? इसमें आपस में E झगड़े की कोई बात नहीं है।

इस बात में क्या रखा है कि हमसे आप लोग बढ़कर हैं अथवा आप लोगों से हम लोग बढ़कर हैं।

इस तरह की बातें हमें आपस में उलझाकर रख देंगी और इससे न हमें कोई फायदा होगा और न आपको ही। सच्ची बात तो यह है कि ध्रुव (पुरुष) और रजिया (स्त्री) दोनों ही इसी धरती भारत माँ की संतान हैं। हम लोग भारत माता के रथ के (स्त्री-पुरुष रूपी) दो पहिए हैं। हम सब इसी धरती की संतान हैं।

हम उस धरती की संतति हैं मुहावरे-अर्थ

  • शेखी बघारना – स्वयं अपनी प्रशंसा करना।
  • डींग मारना – बड़ी-बड़ी बातें करना।
  • पते की बात कहना – रहस्य की बात बताना।

हम उस धरती की संतति हैं टिप्पणियाँ :

  • ध्रुव : राजा उत्तानपाद और रानी सुनीति के पुत्र। महान विष्णु भक्त। विष्णु ने उन्हें आकाश में सप्तर्षि के पास अटल पद दिया था।
  • प्रहलाद : हिरण्यकशिपु के पुत्र। महान विष्णुभक्त। इनकी रक्षा के लिए विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया था।
  • भरत : दुष्यंत एवं शकुंतला के पुत्र। इनके नाम पर ही हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा।
  • सावित्री : राजा अश्वपति की कन्या। सत्यवान की पत्नी। महान पतिव्रता स्त्री। इन्होंने यम से अपने पति के प्राण छुड़ाए थे।
  • सीता : विदेहाधिपति जनक की कन्या। इन्हें वैदेही, जानकी आदि नामों से भी जाना जाता है। ये जमीन की जोताई करते समय मिली थी, इसलिए इनका सीता नाम पड़ा। श्रीराम की पत्नी।
  • लक्ष्मीबाई : झाँसी की रानी। महान वीरांगना।
  • चाँद बीबी : अहमदनगर राज परिवार की गुणी स्त्री। मुगलों ने निजामशाही की राजधानी अहमदनगर पर आक्रमण किया था, तो चाँद बीबी ने बड़ी बहादुरी से किले पर उनका सामना किया था। पर सरदारों के षड्यंत्र के कारण वह मारी गई।
  • रजिया सुलताना : दिल्ली के सुलतान अल्तमश की बेटी। अल्तमश ने रजिया सुलताना को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया था। वह सेना का नेतृत्व स्वयं करती थी।
  • जयमल-पत्ता : जयमल और पत्ता दोनों महान शूरवीर योद्धा थे। उन्होंने चित्तौड़ पर अकबर द्वारा किए गए हमले का बहादुरी पूर्वक सामना किया था।
  • दुर्गावती : भारत की वीरांगना। उनका जन्म प्रसिद्ध चंदेल राजा कीरत राय के परिवार में हुआ था। वे गोंडवाना राज्य की रानी थीं।
  • पद्मावती : चित्तौड़ के राजा रतनसिंह की पत्नी। अपनी सुंदरता के लिए विख्यात। दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन खिलजी ने उनकी सुंदरता के बारे में सुनकर चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था। राजपूत बहादुरों ने मरते दम तक उसका सामना किया। अंत में वीरांगना पद्मावती ने अन्य राजपूत स्त्रियों के साथ किल्ले में जौहर कर लिया था।

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