Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

रस का शाब्दिक अर्थ है – निचोड़। रस काव्य की आत्मा है। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहा जाता है। विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।

रस के चार अंग या अवयव हैं :

  1. स्थायी भाव
  2. विभाव
  3. अनुभाव
  4. संचारी भाव

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

स्थायी भाव : स्थायी भाव का तात्पर्य है प्रधान भाव। जो भावना स्थिर और सार्वभौम होती है उसे स्थायी भाव कहते हैं। स्थायीं भाव से ही रस का जन्म होता है। स्थायी भाव 11 माने गए हैं और रसों की संख्या भी 11 मानी जाती हैं। वे इस प्रकार हैं :

रस स्थायी भाव
1. शृंगार रति (प्रेम)
2. शांत निर्वेद
3. करूण शोक
4. हास्य हास
5. वीर उत्साह
6. रौद्र क्रोध
7. भयानक भय
8. बीभत्स घृणा, जुगुप्सा
9. अद्भुत आश्चर्य
10. वात्सल्य ममत्व
11. भक्ति अनुराग

विभाव : जो व्यक्ति, वस्तु अन्य व्यक्ति के हृदय में भाव जगाते हैं उन्हें विभाव कहते हैं। इनके आश्रय से ही रस प्रकट होते हैं। ये दो तरह के होते हैं – आलंबन विभाव तथा उद्दीपन विभाव। जिसका सहारा पाकर स्थायी भाव जगते हैं उसे आलंबन विभाव कहते हैं और जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होते हैं उन्हें उद्दीपन विभाव कहते हैं।

अनुभाव : वे गुण और क्रियाएँ जिनसे रस का बोध होता है अनुभाव कहलाते हैं। इनकी संख्या 8 मानी गई हैं – स्तंभ, स्वेद, रोमांच, स्वर भंग, कंप, विवर्णता (रंगहीनता), अश्रु, प्रलय। वाणी और अभिनय द्वारा इनसे अर्थ प्रकट होता है।

संचारी भाव : मन में संचरण करने वाले अर्थात आने-जाने वाले भावों को संचारी भाव कहते हैं। ये भाव पानी के बुलबुलों की तरह उठते और विलीन हो जाते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है। हर्ष, विषाद, भय, लज्जा, ग्लानी, चिंता, शंका, मोह, गर्व, उत्सुकता, उग्रता, निद्रा, स्वप्न, आलस्य, मद, उन्माद आदि।

वात्सल्य रस : जब काव्य में अपनों से छोटों के प्रति स्नेह या ममत्व का भाव अभिव्यक्त होता है, वहाँ वात्सल्य रस का निर्माण होता है। माता का पुत्र के प्रति स्नेह, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम, भाई का भाई के प्रति या बहन का भाई के प्रति स्नेह आदि की परिपुष्टि होकर वात्सल्य रस का निर्माण होता है।

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वात्सल्य रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : ममत्व, वत्सलता।
  • अवलंबन : पुत्र, शिशु, शिष्य आदि।
  • उद्दीपन : बाल लीलाएँ, बाल हठ आदि।
  • अनुभाव : बालक को गोद में लेना, थपथपाना, सिर पर हाथ फेरना आदि।

संचारी भाव : हर्ष, गर्व, मोह, चिंता, आवेश आदि।
उदा. :
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।
मोसो कहत मोल को लीन्हों तू जसुमति कब जायो।।

– सूरदास

मधुरता मय था मृदु बोलना।
अमृत सिंचित सी मुस्कान थी।
समद थी जनमानस मोहती।
कमल लोचन की कमनीयता।।

– अयोध्यासिह उपाध्याय ‘हरिऔध’

वीर रस : किसी पद में वर्णित प्रसंग हमारे हृदय में ओज, उमंग, उत्साह का भाव उत्पन्न करते हैं, तब वीर रस का निर्माण होता है। ये भाव शत्रुओं के प्रति विद्रोह, अधर्म, अत्याचार का विनाश असहायों को कष्ट से मुक्ति दिलाने में व्यंजित होते हैं।

वीर रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : उत्साह।
  • अवलंबन : अत्याचारी शत्रु।
  • उद्दीपन : शत्रु का पराक्रम, शत्रु का अहंकार, रणभेरी, यश की इच्छा आदि।
  • अनुभाव : गर्वपूर्ण उक्ति, प्रहार, रोमांच आदि।
  • संचारी भाव : आवेग, उग्रता, गर्व, चपलता आदि।

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उदा. :
आजादी की राह चले तुम,
सुख से मुख को मोड़ चले तुम,
“नहीं रहूँ परतंत्र किसी का’
तेरा घोष अति प्रखर है
राजा तेरा नाम अमर है।

– डॉ. जयंत निर्वाण

बुझी राख मत हमें समझना, अंगारों के गोले हैं।
देश आन पर मिटने वाले, हम बारूदी शोले हैं।

– सुरेंद्रनाथ सिंह

करूण रस : किसी प्रियजन या इष्ट के कष्ट, शोक, दुख, मृत्युजनित प्रसंग के कारण अथवा किसी प्रकार की अनिष्ट आशंका के कारण हृदय में पीड़ा या क्षोभ का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ करूण रस की अभिव्यंजना होती है।

करूण रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : शोक।
  • आलंबन : विनष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु आदि।
  • उद्दीपन : आलंबन का दाहकर्म, इष्ट के गुण तथा उससे संबंधित वस्तुओं का वर्णन आदि।
  • अनुभाव : भूमि पर गिरना, नि:श्वास, छाती पीटना, रूदन, प्रलाप, मूर्छा, कंप आदि।
  • संचारी भाव : निर्वेद, मोह, व्याधि, ग्लानि, स्मृति श्रम, विषाद, जड़ता, दैन्य, उन्माद आदि।

उदा. :
हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक,
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

– अज्ञात

मरते कोमल वत्स यहाँ
बचती न जवानी परदेशी!
माया के मोहक वन की
क्या कहूँ कहानी परदेशी?

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

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हास्य रस : जब काव्य में किसी की विचित्र वेशभूषा, अटपटी आकृति, क्रिया कलाप, रूप-रंग, वाणी एवं व्यवहार को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में हास्य का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ हास्य रस की निर्मिति होती है। स्वभावत: सबसे अधिक सुखात्मक रस है यह।

हास्य रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : हास
  • आलंबन : विकृत वेशभूषा, आकार एवं चेष्टाएँ
  • उद्दीपन : आलंबन की अनोखी आकृति, बातचीत, चेष्टाएँ आदि।
  • अनुभाव : आश्रय की मुस्कान, नेत्रों का मिचमिचाना, अट्टाहास आदि।
  • संचारी भाव : हर्ष, आलस्य, निद्रा, चपलता, कंपन, उत्सुकता

उदा. :
मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे,
मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान थे।
रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए
हर तरफ चूहे ही चूहे, देखकर घबरा गए।

– हुल्लड़ मुरादाबादी

सुबह से शाम तक पप्पू जप रहा भगवान का नाम।
खा रहा बार-बार बादाम, लगा रहा कोई बाम।।
घर वाले समझ गए कि आ गया है एग्जाम।
आ गया है एग्जाम अत: पप्पू का सिर है जाम।।

– सुरेंद्र रघुवंशी

भयानक रस : जब काव्य में भयानक वस्तुओं या दृश्यों के प्रत्यक्षीकरण के फल स्वरूप हृदय में भय का भाव उत्पन्न होता है, तब भयानक रस की अभिव्यंजना होती है। इसके अंतर्गत कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता आदि भाव उत्पन्न होते हैं।

भयानक रस के अंग (अवयव)

  • स्थायी भाव : भय
  • आलंबन : भयंकर पशु, स्थान, वस्तु के दर्शन आदि।
  • उद्दीपन : भयानक वस्तु का स्वर, भयंकर स्वर, ध्वनि, चेष्टाएँ, डरावना पन आदि।
  • अनुभाव : कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता होना, रोमांच, मूर्छा, पलायन, रूदन आदि।
  • संचारी भाव : दैन्य, सभ्रम, चिंता, सम्मोह आदि।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण रस वात्सल्य, वीर, करुण, हास्य, भयानक

उदा. :
चिंग्घाड भगा भय से हाथी,
लेकर अंकुश पिलावन गिरा।
झटका लग गया, फटी झालर
हौदा गिर गया, निशान गिरा।।

– अज्ञात

आगे पहाड़ को पा धारा रूकी हुई है।
बल-पुंज केसरी की ग्रीवा झुकी हुई है।
अग्निस्फुलिंग रज का बुझ ढेर हो रहा है।
है रो रही जवानी, अंधेर हो रहा है।

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest अपठित काव्यांश Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi अपठित काव्यांश

1. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग निरत नित रहते हैं,

शूलों का मूल नशाने को,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 2

पद्यांश- सच है विपत्ति जब ……………………………………………… पर्वत के जाते पाँव उखड़। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र.111)

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) विपत्ति में ऐसा साहस नहीं
(ii) वीर पुरुष के ताल ठोकने का परिणाम –
उत्तरः
(i) विपत्ति में ऐसा साहस नहीं – वीर पुरुष की राह में अवरोध बनकर खड़ रहने का
(ii) वीर पुरुष के ताल ठोकने का परिणाम – पर्वत का घमंड चकनाचूर हो जाता है

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश राष्ट्रकवि ‘दिनकर’जी की कविता ‘सच्चा वीर’ से लिया गया है। इस पद्यांश में कवि ने सच्चे वीर के लक्षण बताए हैं।

विपत्ति केवल डरपोक व्यक्ति को ही भयभीत करती है। कायर विपत्ति से डरकर अपने पाँव मार्ग से पीछे खींच लेता है। लेकिन वीर पुरुष विपत्ति के सामने डटे रहते हैं। संकट में ही वीर पुरुष के धैर्य की परीक्षा होती है। बड़ा से बड़ा संकट आने पर भी वीर पुरुष घबराते नहीं।

वे अपना धैर्य और संयम बनाए रखते हैं। वे आने वाली विघ्न – बाधाओं के सामने चट्टान की तरह अडिग खड़े रहते हैं। वीर पुरुष विकट परिस्थितियों में भी संकटों से संघर्ष करते हैं और उनसे बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ निकालते हैं। वे संकटों पर विजय हासिल करके ही दम लेते हैं।

वीर पुरुष संकटों से कभी प्रभावित नहीं होते। वे संकटों में न तो कभी ऊफ करते हैं और न ही संकटों के सामने कभी झुकते हैं। मंजिल की राह में आने वाली विघ्न – बाधाओं को जड़ से समाप्त कर उन पर विजय पाने के लिए वे निरंतर प्रयत्न करते रहते हैं।

संसार में ऐसी कोई भी बाधा नहीं है, जो वीर पुरुष की राह में अवरोध बनकर खड़ी होने का साहस कर सके। वीर पुरुष जब ताल ठोंककर साहस से आगे बढ़ते हैं, तो उनके सामने पर्वत भी नहीं ठहर पाते। वे पर्वत के घमंड को चकना चूर कर आगे बढ़ते हैं।

2. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर देखी
पकी-सुनहली फसलों की मुसकाने

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

– बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी भर सुन पाया
ध्यान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान

– बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर सूंघे
मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताज़े-टटके फूल

– बहुत दिनों के बाद

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 4

(ii) पद्यांश में आया फूल का नाम –
उत्तरः
पद्यांश में आया फूल का नाम – मौलसिरी

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

पद्यांश: बहुत दिनों के बाद ………………………………….. ताज़े-टटके फूल। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 115)

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) फसलों की विशेषता –
(ii) फूलों की विशेषता –
उत्तर:
(i) फसलों की विशेषता – पकी-सुनहली
(ii) फूलों की विशेषता – ढेर सारे और ताज़े-टटके

प्रश्न 3.
पद्यांश में वर्णित प्राकृतिक सुषमा का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि नागार्जुन की कविता ‘बहुत दिनों के बाद’ कविता से लिया गया है। कवि बहुत दिनों के बाद अपने गाँव लौटा। गाँव की प्राकृतिक सुषमा देखकर कवि का मन झूम उठा। कवि ने गाँव के खेतों में पकी-सुनहली फसलें देखी। गाँव की किशोरियाँ धान कूट रही थीं।

उनके कंठ से निकले मधुर गीत कोकिल के मधुर तान की तरह प्रतीत हो रहे थे। इन मधुर गीतों को सुनकर वह संतुष्ट हो गए। कवि ने अनुभव किया कि शहरी बनावटी जीवन की अपेक्षा प्राकृतिक सुषमा से युक्त इस ग्रामीण जीवन की सादगी कितनी सुकून देती है। गाँव के मौलसिरी के ताजे-ताजे सुगंधित फूलों के ढेर देखकर वह प्रफुल्लित हुआ।

इस प्रकार गाँव में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी हुई थी जो कवि को तृप्ति और आनंद प्रदान कर रही थी।

3. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
ध्येय न हो, पर है मग आगे,
बस धरता चल तू पग आगे,
बैठ न चलने वालों के दल में तू आज तमाशा बनकर!

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
मानव का इतिहास रहेगा
कहीं, पुकार-पुकार कहेगा –
निश्चय था गिर मर जाएगा चलता किंतु रहा जीवन भर!

तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
जीवित भी तू आज मरा-सा
पर मेरी तो यह अभिलाषा
चितानिकट भी पहुँच सकूँ अपने पैरों-पैरों चलकर!

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 5
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 6

पद्यांशः तू क्यों बैठ गया ………………………………… अपने पैरों-पैरों चलकर! (पाठ्पुस्तक पृष्ठ क्र. 118)

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) कवि द्वारा मनुष्य को पूछा गया सवाल –
(ii) कवि की अभिलाषा –
उत्तरः
(i) कवि द्वारा मनुष्य को पूछा गया सवाल – ‘तू क्यों बैठ गया है पथ पर’
(ii) कवि की अभिलाषा – ‘चलते-चलते अपनी चितानिकट पहुँचने की’

प्रश्न 3.
पद्यांश का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘तू क्यों बैठ गया है पथ पर’ कविता में कवि ने जीवन-पथ पर चलते – चलते हताश और निराश हो बैठ जाने वालों से कहा है कि जीवन में सतत् क्रियाशील बने रहना आवश्यक है। लक्ष्य से विमुख होकर कायरों की तरह निष्क्रिय बैठे रहना अनुचित है। ऐसे व्यक्ति जीवित रहते मृतक के समान हैं।

समाज में उपहास के पात्र बने ऐसे लोग निरर्थक जीवन जीते हैं। इसके विपरीत उत्साही व्यक्ति दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादे के साथ निरंतर आगे बढ़ता है और अपना लक्ष्य प्राप्त करता है। उसे न तो मृत्यु का भय होता है, न ही पथ से गिरने की चिंता।

ऐसे शूरवीर और साहसी का गुणगान इतिहास भी करता है। वे सदा के लिए इतिहास में अमर हो जाते हैं। उनके आदर्श हमेशा जीवित रहते हैं। आने वाली पीढ़ी उनका अनुसरण करती है।

इस तरह प्रस्तुत कविता के द्वारा कवि ने मनुष्य को हताशा और निराशा त्यागकर लक्ष्य के प्रति आस्थावान बने रहने और जीवन पथ की चुनौतियों से संघर्ष करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

4. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

हो-हो भैया पानी दो,
पानी दो गड़धानी दो;
जलती है धरती पानी दो
मरती है धरती पानी दो

हो मेरे भैया..!!

अंकुर फूटे रेत में
सोना उपजे खेत में,
बैल पियासा, भूखी है गैया,
नीचे न अंगना में सोन-चिरैया,
फसल-बुवैया की उठे मुडैया,
मिट्टी को चूनर धानी दो

हो मेरे भैया…!!

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 7
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश 8

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) पानी बरसने का धरती पर परिणाम –
(ii) पानी बरसने पर मिट्टी को मिलेगी –
उत्तर:
(i) पानी बरसने का धरती पर परिणाम – तपती धरती को राहत मिलेगी, फसलें उगेंगी।
(ii) पानी बरसने पर मिट्टी को मिलेगी – धानी चूनर

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश, गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ जी की कविता ‘पानी दो’ से लिया गया है। कवि बादल भैया से पानी की माँग कर रहे है।

नीरज जी बादल भैया से कह रहे हैं, ‘हे बादल भैया, तुम धरती पर जल बरसाओ, धरतीवासियों को गुड़धानी दो। पानी के अभाव में सबकुछ सूना है। तुम जल बरसाकर तपती धरती और सूखती वनस्पतियों को जीवनदान दो। तुम्हारे जल बरसाने से रेत में अंकुर फूटेंगे, खेतों में हरियाली छा जाएगी।

खेतों में फसलें लहलहा उठेगी। हे बादल भैया, पानी के बिना किसान का बैल प्यासा है और गाय भूखी है। किसान का आँगन सूना हो चुका है। अब उसमें सोन-चिरैया फुदकने नहीं आती। हे बादल, जल बरसाओ, जिससे किसान के घर में खुशहाली आए। उसकी टूटी-फूटी मडैया पर छाजन पड़ सके। हे बादल, पानी बरसाकर तुम धरती को हरी-भरी कर दो, मिट्टी को हरी चुनरिया पहना दो।

5. पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख,
घर अँधेरा देख तू, आकाश के तारे न देख!

एक दरिया है यहाँ पर, दूर तक फैला हुआ,
आज अपने बाजुओं को देख, पतवारें न देख।

अब यकीनन ठोस है धरती, हकीक़त की तरह,
यह हकीकत देख, लेकिन खौफ़ के मारे न देख।

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए –
कवि ने देखने के लिए कहा है – कवि ने न देखने के लिए कहा है
(1) ………………………………. – (1) ……………………………….
(2) ………………………………. – (2) ……………………………….
(3) ………………………………. – (3) ……………………………….
उत्तरः
कवि ने देखने के लिए कहा है। – कवि ने न देखने के लिए कहा है
(1) घर के अँधेरे को – (1) आकाश के तारे
(2) अपनी बाजुओं को – (2) सड़कों पर लिखे नारे
(3) हकीकत को – (3) पतवार

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित काव्यांश

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –
(i) आकाश के तारे’ देखने से कवि का तात्पर्य –
(ii) धरती के बारे में कवि की राय –
उत्तरः
(i) ‘आकाश के तारे’ देखने से कवि का तात्पर्य है सच्चाई से दूर भागना।
(ii) धरती के बारे में कवि की राय है कि धरती ठोस है।

प्रश्न 3.
पद्यांश द्वारा मिलने वाली प्रेरणा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि दुष्यंत कुमार जी की लिखी गजल ‘दीवारें न देख’ से लिया गया है। कवि मनुष्य के जीवन की हताशा, निराशा को समाप्त कर उसे एक नई दृष्टि देना चाहता है। आम तौर पर मनुष्य का झुकाव चमक-दमक की ओर अधिक होता है। उसमें जीवन के यथार्थ से टकराने की हिम्मत नहीं होती।

अपने घर के अँधेरे को वह नजरअंदाज कर देता है। स्वयं को शक्तिहीन मानकर अपनी जीवन नौका पतवार के भरोसे छोड़ देता है।

कवि कहते हैं इस जीवन रूपी समुंदर में मुसीबतों के तूफान तो आते रहते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी बाजुओं के बल पर, स्वयं पर भरोसा रखकर जीवन सागर को पार करें। मनुष्य अपनी बाजुओं को देखें और पतवार की बैसाखी के सहारे चलना छोड़ दे।

जीवन का यथार्थ धरती की तरह ठोस है। इस वास्तविकता से जुड़े रहकर ही जीवन – संग्राम लड़ा जा सकता है। जीवन की सच्चाई को जानते हुए खौफ में क्यों जीए मनुष्य? उसे एक योद्धा की तरह यथार्थ से लड़कर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा कवि ने दी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

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Maharashtra State Board 11th Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
साहब सन्नाटे में आ गए। फतहचंद की तरफ डर और क्रोध की दृष्टि से देखकर काँप उठे! फतहचंद के चेहरे पर पक्का इरादा झलक रहा था। साहब समझ गए, यह मनुष्य इस समयं मरने-मारने के लिए तैयार होकर आया है। ताकत में फतहचंद उनके पासंग भी नहीं था।

लेकिन यह निश्चय था कि वह ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, बल्कि लोहे से देने को तैयार है। यदि वह फतहचंद को बुरा-भला कहते हैं, तो क्या आश्चर्य है कि वह डंडा लेकर पिल पड़े। हाथापाई करने में यद्यपि उन्हें जीतने में जरा भी संदेह नहीं था; लेकिन बैठे-बिठाये डंडे खाना भी तो कोई बुद्धिमानी नहीं है।

कुत्ते को आप डंडे से मारिए, ठुकराइए, जो चाहे कीजिए, मगर उसी समय तक, जब तक वह गुर्राता नहीं। एक बार गुर्राकर दौड़ पड़े, तो फिर देखें, आपकी हिम्मत कहाँ जाती है? यही हाल उस वक्त साहब बहादुर का था। जब तक यकीन था कि फतहचंद घुड़की, घुरकी, हंटर, ठोकर सब कुछ खामोशी से सह लेगा, तब तक आप शेर थे; अब वह त्योरियाँ बदले, डंडा सँभाले, बिल्ली की तरह घात लगाए खड़ा है।

ज़बान से कोई कड़ा शब्द निकला और उसने डंडा चलाया। वह अधिक-से-अधिक उसे बर्खास्त कर सकते हैं। अगर मारते हैं, तो मार खाने का भी डर।

उसपर फौजदारी में मुकदमा दायर हो जाने का अंदेशा-माना कि वह अपने प्रभाव और ताकत से अंत में फतहचंद को जेल में डलवा देंगे; परंतु परेशानी और बदनामी से किसी तरह न बच सकते थे। एक बुद्धिमान और दूरंदेश आदमी की तरह उन्होंने यह कहा –

‘ओहो, हम समझ गया, आप हमसे नाराज हैं। हमने क्या आपको कुछ कहा है? आप क्यों हमसे नाराज हैं।’ फतहचंद ने तनकर कहा – ‘तुमने अभी आधा घंटा पहले मेरे कान पकड़े थे और मुझे सैकड़ों ऊलजलूल बातें कही थीं। क्या इतनी जल्दी भूल गए?’

Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश

प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 2

प्रश्न 3.
चौखट में उत्तर लिखिए?
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 3
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 4
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 5

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प्रश्न 4.
(i) गद्यांश से शब्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए –
(1) ……………………………………
(2) ……………………………………
उत्तरः
(i) बुरा – भला
(ii) बैठे – बिठाए

(ii) लिंग परिवर्तन कीजिए –
(i) शेर – ……………………………………
(ii) नौकर – ……………………………………
उत्तरः
(i) शेर – शेरनी
(ii) नौकर – नौकरानी

प्रश्न 5.
‘ईंट का जवाब पत्थर से’ इस मुहावरे को चरितार्थ करता हुआ कोई प्रसंग 10-12 पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरः
‘ईंट का जवाब पत्थर से देना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है। जिसका अर्थ है कड़ा प्रतिरोध करना या मुँहतोड़ जवाब देना। दुष्ट लोगों के साथ दुष्टता से पेश आना। भारतीय सेना के जाबाज सिपाही सीमा पर अपने दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देकर उन्हें सबक सिखाते हैं। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी ऐसे प्रसंग देखने को मिलते हैं। एक बार सिग्नल पर एक बाइक पर सवार युवक साइकिल पर सँवार लड़की के साथ ऊलजलूल बातें कर रहा था।

लड़की उसकी गुस्ताखी के शालीनता से जवाब दे रही थी। इतने में सिग्नल हुआ और बाइक सँवार चल पड़ा। अब लड़की ने उसका पीछा किया और ऐसा सबक सिखाया कि वह जिंदगी में कभी किसी लड़की को नहीं छेड़ेगा। हाँ, लड़की के विरोध करने पर उसकी मदद के लिए अन्य लोग भी आए और अंत में पुलिस भी आई। लेकिन पहल लड़की ने की और बड़ी हिम्मत दिखाई। उस बाईक सँवार को उसने सड़क के किनारे रोककर दो तमाचे जड़ दिए।

भीड़ जमा हो गई और सब लड़की की ओर से होने के कारण लड़के को शर्मिंदा होना पड़ा। पुलिस ने उसपर एफआयआर कर दी और उसका लाईसेन्स ले लिया। जुर्माना भरना पड़ा, शर्मिंदगी उठानी पड़ी, ये हुई न ‘ईंट का जवाब पत्थर से’ वाली बात।

प्रश्न 6.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
उत्तरः
एक बार शरीर के अंगों में लड़ाई हो गई। इसका आरंभ पैरों ने किया। वे बोले: लड्डू लाना हो या पेड़ा, कचौरी लानी हो या आलू की टिकिया, हमें ही दौड़ना पड़ता है, पर चीज़ लेते ही हाथ उसे थाम लेते हैं, मुँह चट कर जाता है, आँखें देखती हैं, पेट खा जाता है, नाक सूंघती है, हमें क्या मिलता है- हम क्यों बेगार करें! आज से हम नहीं चलेंगे, तो खाते हैं, लेते हैं, वे ही जाएँ, वे ही दौडें।

बस, पैरों की देखा-देखी औरों को भी सूझी। हाथों ने कहा: तुम चलकर जाते हो तो क्या, ढोकर तो हमीं लाते हैं, पर हमें क्या मिलता है, यह अकेला मुँह सब कुछ चट कर जाता है। उन्होंने भी अपना काम छोड़ दिया और इस तरह एक के बाद एक सभी ने छुट्टी की, पर पेट खाली रहा तो शाम को ही सब पर सुती की छाया पड़ी। दूसरे दिन बेचैनी हुई और तीसरे दिन तो सबके सब दम ही तोड़ने लगे।

हँसकर पेट ने कहा: क्यों भाई, कुछ आया मज़ा? तुम समझते थे कि सब कुछ मैं अकेला ही अपने थैले में रख लेता हूँ। अरे भोले भाइयो, यह तो सहकार की बात है। तुम सब अपना काम करके मुझ तक कुछ पहुँचाते हो और मैं अपना काम करके तुम तक कुछ पहुँचाता हूँ और यों हम सब एक-दूसरे को जीवित रखते हैं।

इसी का नाम सहकार भावना है। अंगों ने समझा और उठकर अपने-अपने काम में लगे। बस, जो हाल शरीर का है, वही समाज का है। यहाँ भी सब अपना-अपना काम करते हैं, तो समाज ठीक चलता है। नहीं तो समाज के संगठन में शिथिलता आ जाती है। अब यह बात साफ़ है कि जिसमें सहकारभावना नहीं है, वह समाज का शत्रु है और उसे समाज से जीवनशक्ति ग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं है।

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प्रश्न 7.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 6
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 7

(i) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) अरे भोले भाइयो, …………………………………..
(अ) यह तो परोपकार की बात है।
(ब) यह तो सहकार की बात है।
(क) यह तो समझदारी की बात है।
उत्तर :
अरे भोले भाइयो, यह तो सहकार की बात हैं।

(2) जिसमें सहकार भावना नहीं है, वह …………………………………..
(अ) समाज का प्रतिनिधि है।
(ब) समाज का काँटा है।
(क) समाज का शत्रु है।
उत्तर :
जिसमें सहकार भावना नहीं है, वह समाज का शत्रु है।

(ii) उत्तर लिखिए
पेट के खाली रहने के परिणाम
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उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 9

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प्रश्न 8.
(i) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए –
(1) सुस्ती x
(2) सहकार x
उत्तरः
(1) सुस्ती x फुर्ती
(2) सहकार x असहकार

(ii) शरीर के अंगों पर गढ़े मुहावरे लिखिए –
जैसे : पाँव – उलटे पाँव लौटना वैसे
(1) मुँह ……………………………
(2) नाक ……………………………
उत्तरः
(1) मुँह – मुँह की खाना।
(2) नाक – नाक पर मक्खी भी बैठने न देना।

प्रश्न 9.
घर में माँ छुट्टी पर चली गई तो होने वाले परिणाम 10 से 12 वाक्यों में लिखिए
उत्तरः
परिच्छेद में जो हाल सभी अवयवों का हुआ था वैसा ही कुछ मन में आ रहा है। माँ ने अगर घर में ध्यान देना बंद कर दिया तो वक्त पर कुछ भी नहीं हो पाएगा। परिवार की रेलगाड़ी ही पटरी से उतर जाएगी। घर में हाहाकार मच जाएगा। सुबह जगाने से लेकर रात सोने तक हमारी चिंता कौन करेगा?

हम सब का भोजन आदि का बंदोबस्त तो होटल से हो पाएगा और एकाध दिन मजा भी आएगा। लेकिन रोज-रोज न स्वास्थ्य के लिए और न जेब के लिए अच्छा रहेगा। माँ के बनाए भोजन में उसका प्यार जो मिला होता है वह होटल के भोजन में कहाँ से मिलेगा?

हमारी बीमारी में सबसे अधिक चिंता वहीं करती है। अब वह छुट्टी पर चली गई तो हम तो उसके बिना बीमार हो जाएँगे और हमारी देखभाल करने वाली, हमें चैन की नींद मिले इसलिए स्वयं जागने वाली नर्स तो मिलने से रही।

हमें स्कूल कॉलेजों में, पिताजी को दफ्तर में कम-से-कम इतवार की छुटटी तो मिलती ही है लेकिन माँ सप्ताह के सभी दिन और जरूरत पड़ने पर दिन के 24 घंटे हमारी सेवा शुश्रूषा में लगी रहती है। हम सब इस बात के इतने आदी हो गए हैं कि हम नहीं सह पाएँगे माँ की छुट्टी।

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प्रश्न 10.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
तुलसी : फर्माइए

प्राण : (नपी-तुली आवाज में) आप फर्माइए।

तुलसी : जी साब तो…..
प्राण : साहब की ऐसी-तैसी। तुम रास्ते से हट जाओ-आदमी हो या चीन दीवार? (भीतर आकर) क्यों जनाब, यह क्या बदतमीजी है कि कोई दस मील पैदल चलकर हुजूर के दर्शन करने आए और आगे से जवाब मिलता है, (मुँह बनाकर) फर्माइए।

पति : ओह, नहीं-नहीं। आओ-आओ, कहाँ से आ रहे हो?

प्राण : जहन्नुम से- नमस्ते भाभी! (हाथ जोड़ता है और मोढ़ा सरकाकर सोफे के करीब बैठता है। पति-पत्नी भी सोफे पर बैठ जाते हैं।)

प्राण : क्या मैं पूछ सकता हूँ कि हुजूर कल पिकनिक में क्यों तशरीफ नहीं लाए?

पति : अरे क्या बताऊँ भाई, बस यों ही- कुछ देर हो गई- मैंने सोचा….

प्राण : भाभी! मैं तुम्हें बताए देता हूँ कि इन महानुभाव को, जिन्हें तुम्हारा पति होने का सौभाग्य प्राप्त है, बड़ी मजबूत नकेल की जरूरत है।

पति : अरे यार, मजाक छोड़ो। यह बताओ, कहाँ से आ रहे हो इस वक्त?

प्राण : कहाँ से आ रहा हूँ। कमाल है? तो क्या जनाब समझते हैं, मैं आपकी तरह किसी क्लब, किसी होटल, किसा बालरूम या रेसकोर्स से आ रहा हूँ। ये सब गुलछर्रे आप ही को मुबारक हों। शरीफ आदमी हूँ, शरीफों की तरह सीधा दफ्तर से आ रहा हूँ।

पति : अरे, मैं तो इसीलिए पूछ रहा था कि….. खैर, कुछ चाय-वाय पियोगे?

पत्नी : जी हाँ, चाय पीजिएगा?

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प्रश्न 11.
संजाल पूर्ण कीजिए
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 10
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 11

प्रश्न 12.
(i) कारण लिखिए
(1) प्राणनाथ को नौकर बदतमीज लगा।

(2) प्राणनाथ ने मित्र की पत्नी को सलाह दी कि उसके पति को मजबूत नकेल की जरूरत है।
उत्तरः
(1) क्योंकि प्राणनाथ लंबी दूरी पैदल चलकर अपने मित्र को देखने आए थे और नौकर ने दरवाजे पर उनसे पूछा था फर्माइए।
(2) क्योंकि उनका मित्र पिकनिक में नहीं आया था और न आने का उचित कारण भी नहीं बता सका।

(ii) परिच्छेद के आधार पर दो ऐसे प्रश्न बनाइए जिनके उत्तर निम्न शब्द हो –
(1) दर्शन
(2) मजाक
उत्तरः
(1) दर्शन – प्राणनाथ पैदल चलकर क्यों आए थे?
(2) मजाक – प्राणनाथ को क्या छोड़ने को कहा?

प्रश्न 13.
(i) परिच्छेद से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए :
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
उत्तरः
(1) बदतमीजी
(2) सौभाग्य

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए
(1) ऊँट, बैल आदि की नाक में बँधी हुई रस्सी –
(2) कोई बड़ा आदरणीय व्यक्ति –
उत्तरः
(1) ऊँट, बैल आदि की नाक में बँधी हुई रस्सी – नकेल
(2) कोई बड़ा आदरणीय व्यक्ति – महानुभाव

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प्रश्न 14.
‘अतिथि देवो भव’ भारतीय संस्कृति है, इसे १० – १२ पंक्तियों में स्पष्ट कीजिए :
उत्तरः
भारतीय संस्कृति की कई विशेषताएँ हैं। “अतिथि देवो भव'” भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है। जब अतिथि को देवता ही मान लिया तो उसके लिए बड़े से बड़ी कुर्बानी भी देने को तैयार हो जाते हैं हम। पुराणों में इसके कई उदाहरण मिलते हैं।

राजा मयुरध्वज अतिथि के स्वागत के लिए खुद को आरे से चिरवाने को भी तैयार हो गए थे। यही परंपरा हम आज भी निभाते हैं। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हए भी हम अतिथि का स्वागत करते हैं।

अतिथि सत्कार के संस्कार हम भूल नहीं सकते। अपनी इच्छाओं का समर्पण करने के लिए हम सदैव तैयार रहते हैं। यह हमारा अतिथि प्रेम ही हैं।

आज इस परंपरा में कमी जरूर आई हैं। क्योंकि पहले अतिथि छठे -छमासे आते थे। समय,धन और जगह की कमी नहीं थी और मनोरंजन के साधन भी सुलभ नहीं थे। उस समय अतिथि के पधारने पर मन आनंदित हो उठता था। आज की महानगरीय सभ्यता में समय, स्थान और धन का अभाव है।

ऐसे में अतिथि पधारने पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। फिर भी हम अतिथि का सत्कार करते ही हैं। अपनी संस्कृति को भूल नहीं सकते। और हमें भी तो कभी किसी का अतिथि बनना पड़ता हैं।

प्रश्न 15.
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
छोटे गोल मुख की तुलना में कुछ अधिक चौड़ा लगनेवाला, पर दो काली रूखी लटों से सीमित ललाट, बचपन और प्रौढ़ता को एक साथ अपने भीतर बंद कर लेने का प्रयास-सा करती हुई, लंबी बरौनियोंवाली भारी पलकें और उनकी छाया में डबडबाती हुई-सी आँखें, उस छोटे मुख के लिए भी कुछ छोटी सीधी-सी नाक और मानो अपने ऊपर छुपी हुई हँसी से विस्मित होकर कुछ खुले रहनेवाले होंठ समय के प्रवाह से फीके भर हो सके हैं, धुल नहीं सके।

घर के सब उजले-मैले, सहज-कठिन कामों के कारण, मलिन रेखाजाल से गुंथी और अपनी शेष लाली को कहीं छिपा रखने का प्रयत्न-सा करती हुई कहीं कोमल, कहीं कठोर हथेलियाँ, काली रेखाओं में जड़े कांतिहीन नखों से कुछ भारी जान पड़ने वाली पतली ऊंगलियाँ, हाथों का बोझ सँभालने में भी असमर्थ-सी दुर्बल, रूखी पर गौर बाँहें और मारवाड़ी लहँगे के भारी घेर से थकित-से, एक सहज-सुकुमारता का आभास देते हुए, कुछ लंबी उँगलियों वाले दो छोटे-छोटे पैर, जिनकी एड़ियों में आँगन की मिट्टी की रेखा मटमैले महावर-सी लगती थी, भुलाए भी कैसे जा सकते हैं!

उन हाथों ने बचपन में न जाने कितनी बार मेरे उलझे बाल सुलझाकर बड़ी कोमलता से बाँध दिए थे। वे पैर न जाने कितनी बार, अपनी सीखी हुई गंभीरता भूलकर मेरे लिए द्वार खोलने, आँगन में एक ओर से दूसरी ओर दौड़े थे। किस तरह मेरी अबोध अष्टवर्षीय बुद्धि ने उससे भाभी का संबंध जोड़ लिया था, यह अब बताना कठिन है।

मेरी अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं; कदाचित् उन्हीं की चर्चा सुन-सुनकर मेरे मन ने, जिसने अपनी तो क्या दूर के संबंध की भी कोई भाभी न देखी थी, एक ऐसे अभाव की सृष्टि कर ली, जिसको वह मारवाड़ी विधवा वधू दूर कर सकी।

बचपन का वह मिशन स्कूल मुझे अब तब स्मरण है, जहाँ प्रार्थना और पाठ्यक्रम की एकरसता से मैं इतनी रुआँसी हो जाती थी कि प्रतिदिन घर लौटकर नींद से बेसुध होने तक सबेरे स्कूल न जाने का बहाना सोचने से ही अवकाश न मिलता था।

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प्रश्न 16.
चौखट पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 12
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 13

प्रश्न 17.
(i) कारण लिखिए –
(1) भाभी की हथेलियाँ मलिन रेखाओं से गुंथी कठोर हो गई थी।
(2) लेखिका स्कूल न जाने का बहाना सोचती रहती थी।
उत्तरः
(1) क्योंकि घर के सब उजले – मैले, सहज – कठिन काम भाभी को ही करने पड़ते थे।
(2) क्योंकि मिशन स्कूल में प्रार्थना और पाठ्यक्रम की एकरसता उन्हें अच्छी नहीं लगती थी।

(ii) निम्नलिखित विधान सही है या गलत लिखिए –
(1) भाभी ने लेखिका के उलझे बाल सुलझाकर कसकर बाँध दिए थे।
(2) लेखिका की अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं।
उत्तरः
(1) भाभी ने लेखिका के उलझे बाल सुलझाकर कसकर बाँध दिए थे। – गलत
(2) लेखिका की अनेक सहपाठिनियों के बहुत अच्छी भाभियाँ थीं। – सही

प्रश्न 18.
(i) परिच्छेद से विलोम शब्द की जोड़ियाँ ढूँढ़कर लिखिए –
जैसे – कोमल x कठोर
वैसे – (1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तरः
(1) बचपन x प्रौढ़ता
(2) उजले x मैले
(3) सहज x कठिन
(4) उलझे x सुलझे

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(ii) ‘आभास’ शब्द से नए अर्थपूर्ण शब्द बनाइए।
(1) ………………………………….
(2) ………………………………….
(3) ………………………………….
(4) ………………………………….
उत्तरः
(1) आस
(2) भास
(3) आभा
(4) सभा

प्रश्न 19.
‘विधवा समाज और परिवार से प्रताड़ित जीवन जीने पर मजबूर होती है इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
हमारे समाज में सामाजिक रूढियों एवं परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ी विधवाओं की स्थिति बड़ी दयनीय है। विधवा होते ही उन पर तमाम बंदिशे लग जाती हैं। न तो वह कहीं आ जा सकती हैं न मन माफिक खा और पहन सकती है। परिवार और समाज से प्रताड़ित विधवा का जीवन घोर निराशता से भर जाता है। रंगीन वस्त्र पहनना वर्जित हो जाता है और सफेद लिबास में लिपटी रहना उसकी नियती।

दूसरा विवाह कर सुनहरे भविष्य की आशा से भी उसे वंचित कर दिया जाता है। बिना रोशनदान, बिना झरोखा, बिना नौकर चाकर और बिना पशु पक्षियों वाले अँधेरे घर में घुट – घुटकर जीने को उसे विवश किया जाता है। समाज विधवा पर संयम और अनुशासन से रहने की बंदिशें तो लगाता है पर उसके आहार – विहार, मनोरंजन एवं स्वास्थ के प्रति कठोर और उदासीन रहता है।

पति के जीवित रहते जो घर की स्वामिनी थी ,मृत्यु के बाद उसे दासी समझा जाने लगता है। बाल विधवा के साथ तो समाज और क्रूरता का व्यवहार करता है। छोटी छोटी भूलों पर उसे मारा-पिटा और दागा जाता है । उसे पशु से भी बदतर जीवन जीने को विवश किया जाता है।

समाज की घिनौनी पाशविक प्रवृत्ति के चलते बाल-विधवा को छोटी उम्र में ही प्रौढ़ और वृद्ध बनने पर मजबूर कर दिया जाता है। इस तरह विधवाओं को समाज की संकीर्ण और विकृत मानसिकता का शिकार होना पडता है।

प्रश्न 20.
परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उत्तरः
सन 1947 में भारत आजाद हुआ। वास्तव में व्यापार और उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं, परंतु … समाजवादी समाज रचना का लक्ष्य होने से सरकार ने इनके विकास की ओर ध्यान नहीं दिया। मुक्त और उदार अर्थव्यवस्था से … ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है- इस बात को समझने में हमारे नेताओं को चौंतीस वर्ष लगे।

शंतनुराव जी आरंभ से ही इस नीति के समर्थक थे। उनके विचारों के अनुसार ‘सादा रहन-सहन’ ही बेरोजगारी की जड़ है। रोजगारी से निर्माण हुई वस्तुओं का प्रयोग किए बिना रोजगारी कैसे चलेगी? यदि कोई शानदार बंगला, श्रेष्ठ संगीत, बढ़िया कपड़ा या साड़ी इस्तेमाल ही न करे, तो देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी। इनको रोकने के लिए हर एक को अपनी जरूरतें बढ़ानी होंगी।

उद्यमकर्ता कामगारों का शोषण नहीं करता, उल्टे-उन्हें काम देकर गरीबी की खाई से बाहर निकालता है।

आधुनिक जेटयुग के इस महापुरुष ने किर्लोस्कर ब्रदर्स कंपनी के अंतर्गत विभिन्न उत्पादन, व्यवसाय करने वाली लगभग चालीस कंपनियाँ खोलकर उसे किर्लोस्कर उद्योग समूह में परिवर्तित किया। वे कहा करते, “जो भी काम करो, बढ़िया ढंग से करो और उसमें सफलता पाने के लिए मुसीबतों की परवाह न करते हुए, अंत तक मन को थकने न दो।”

आपने इंजीनियरी क्षेत्र के अलावा होटल, परामर्शसेवा (कन्सलटन्सी), संगणक, लीजिंग तथा फाइनान्स आदि क्षेत्रो में भी भरसक योगदान दिया।

आपको 1965 में पद्मश्री, सन 1984 में ‘मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स’ की मानद सदस्यता और सन 1988 में पुणे विश्वविद्यालय की डी. लिट. उपाधि से सम्मानित किया गया। इनके अलावा इंजीनियरी क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के उपलक्ष्य में उन्हें विभिन्न पुरस्कार मिले। औद्योगिक क्षेत्र में उनका जो महत्त्वपूर्ण अंशदान रहा, उसी के कारण आपको औद्योगिक क्षेत्र के भीष्माचार्य’ कहा जाता है।

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प्रश्न 21.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 14
उत्तरः
Maharashtra Board Class 11 Hindi अपठित गद्यांश 15

प्रश्न 2.
(i) कारण लिखिए –
(1) सादा रहन-सहन ही बेरोजगारी की जड़ है।
(2) शंतनुराव को औद्योगिक क्षेत्र के भीष्माचार्य कहा जाता है।
उत्तरः
(1) क्योंकि शानदार बंगला, श्रेष्ठ संगीत, बढ़िया कपडे इस्तेमाल ही न करेंगे तो देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी।
(2) क्योंकि उनका औद्योगिक क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है।

(ii) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) व्यापार और उद्योग …………………………… की रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। (व्यक्ति / देश / समाज)
(2) मुक्त और उदार …………………………… से ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है। (अर्थव्यवस्था / नीति संस्कार)
उत्तरः
(1) व्यापार और उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी के समान होते है।
(2) मुक्त और उदार अर्थव्यवस्था से ही आर्थिक और औद्योगिक विकास संभव है।

प्रश्न 3.
(i) अंग्रेजी शब्दों के हिंदी अर्थ लिखिए :
(1) फाइनान्स – ……………………………
(2) कॉमर्स – ……………………………
(3) इंजीनियरी – ……………………………
(4) चेंबर – ……………………………
उत्तरः
(1) फायनान्स – वित्त
(2) कॉमर्स – वाणिज्य
(3) इंजीनियरी – तकनिकी
(4) चेंबर- कक्ष

(ii) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए :
(1) आजाद x ……………………………
(2) समर्थक x ……………………………
(3) पुरस्कार x ……………………………
(4) सम्मानित x ……………………………
उत्तरः
(1) आजाद x गुलाम
(2) समर्थक x विरोधक
(3) पुरस्कार x दंड
(4) सम्मानित x अपमानित

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प्रश्न 4.
सफल उद्योजक के गुण 10-12 वाक्यों में लिखिए।
उत्तरः
सफल उद्योजक बनने के लिए चुनौतियों से भरी राह पर निरंतर गतिशील रहते हुए आगे बढना होगा। उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है कच्चा माल, मशीनें और कर्मचारी जो प्रशिक्षित हो। इन तीनों के अभाव में उत्पादन संभव नहीं। ये तीनों हैं और उत्पादन भी अच्छी तरह से हो गया तो उत्पादन को बेचने के लिए बाजार भी चाहिए। उद्योजक को चाहिए कि वह अपने उत्पादन का स्तर हर हाल में उच्च कोटी का रखे, जो भी उत्पादन हो वह बढ़िया से बढ़िया हो।

हर समस्या को बारिकी से जानने समझने की जिज्ञासा उसमें हो, कठिनाइयों से जूझने की दृढ़ता उसमें हो। जोखिम स्वीकारने के लिए वह सदैव तत्पर रहे। वह दूरदर्शी होना चाहिए, अगले 50-100 वर्षों का अनुमान लगाने की क्षमता उसमें हो। उसका दृष्टिकोण व्यावहारिक हो।

अपने कर्मचारियों के प्रति विश्वास और स्वयं पर भरोसा होना चाहिए। बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिकने के लिए अनगिनत कष्ट उठाने की उसकी तैयारी होनी चाहिए। वह पहले दर्जे का संयोजक एवं प्रबंधक होना चाहिए और सबसे महत्त्वपूर्ण बात वह महत्त्वाकांक्षी होना चाहिए। इतने सारे गुण जिस उद्योजक के पास है वह नाम और शोहरत कमाएगा और सफलता की चोटी पर पहुँचेगा।

Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

Balbharti Maharashtra State Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

1A. Choose the correct alternative and write the complete sentences.

Question 1.
Ashmaka is the name in ____________ language.
(a) Pali
(b) Sanskrit
(c) Ardhamagadhi
(d) Prakrit
Answer:
(b) Sanskrit

Question 2.
The capital of Kashi Mahajanapadas was ____________
(a) Gorakhpur
(b) Chandranagar
(c) Raj agriha
(d) Varanasi
Answer:
(d) Varanasi

Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

Question 3.
Gautam Buddha was born in ____________
(a) Kushinagara
(b) Sarnath
(c) Lumbini
(d) Pataliputra
Answer:
(c) Lumbini

Question 4.
The river ____________ was the natural boundary between Uttara Panchala and Dakshina Panchala.
(a) Yamuna
(b) Bhagirathi
(c) Ganga
(d) Niranjana
Answer:
(b) Bhagirathi

1B. Find the incorrect pair from set B and write the correct ones.

Question 1.

Set ‘A’ Set ‘B’
(a) Kosala Shravasti
(b) Anga Champa
(c) Matsya Mathura
(d) Gandhara Taxila

Answer:
(c) Matsya – Virat Nagar

2. Choose the correct reason and complete the sentence.

Question 1.
Gautam Buddha travelled continuously for 45 years ____________
(a) in search of a Guru
(b) to practice austerities
(c) to preach dhamma
(d) to attain enlightenment
Answer:
(c) to preach dhamma

Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

3. Complete the concept maps.

Question 1.
Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India 3 Q1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India 3 Q1.1

4. Explain the following statements with reasons.

Question 1.
The rise of Mahajanpadas came into being.
Answer:

  • By 600 B.C.E. sixteen Mahajanapadas were established in India, from the northwest region to Magadha.
  • Conquering other janapadas and annexing their territory permanently to one’s own, became a regular practice in the times of Mahajanapadas.
  • Ultimately, this conflict resulted in the creation of a large empire like Magadha.
  • Ancient India once again witnessed the rise of cities.

Question 2.
The process of second urbanisation began in ancient India.
Answer:

  • The Janapadas with definite geographic borders and administrative systems were established roughly around 1000 B.C.E.
  • It resulted in the creation of sixteen Mahajanapadas from Afghanistan stretching to the banks of the Godavari in the south.
  • The capital cities of the mahajanapadas and some other cities, which flourished because of prospering trade once again brought the age of urbanisation in India.
  • It is known as the ‘Second Urbanisation’.
  • By the 6th century B.C.E. these and a few other cities had become very prosperous.
  • Thus, the process of second urbanisation began in ancient India.

Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

Question 3.
Vardhamana Mahavira and Gautama Buddha attracted a large number of followers.
Answer:

  • Among the various stream of thought that arose in the 6th B.C.E, a large number of people were attracted to the teaching of Vardhamana Mahavira and Gautama Buddha.
  • Their teachings showed the way to overcome the disparity in the society resulted from the Varna and caste system.
  • At the age of 42, Vardhamana Mahavira attained absolute knowledge (Keval Dnyana).
  • Thereafter, people started addressing him as ‘Kevali’, ‘Jina’ and ‘Mahavira’.
  • While Buddha attained enlightenment at the age of 35. After that, he was known as ‘Buddha’, ‘Tathagata’ and also as ‘Shakyamuni’.

5. Explain the following concepts.

Question 1.
Nastik Darshan
Answer:

  • Nastik Darshan refers to the Jain and the Buddhist schools of thought.
  • In other words, both, the Jain and the Buddhist schools of thought are considered as the ‘nastik’
  • Both refuse to accept the authority of the Vedas and the Vedic rituals.
  • Both the schools had followers in large numbers from all strata of the society.

Question 2.
The eightfold path was preached by Gautama Buddha.
Answer:
Gautama Buddha explained the eightfold path by including:

  • Samyak Drishti (To understand and accept that nothing happens against the rules of nature)
  • Samyak Sankalp (Right determination)
  • Samyak Vacha (Right speech)
  • Samyak Karmanta (Right behaviour)
  • Samyak Aajiva (Livelihood by right means)
  • Samyak Vyayam (Conscious avoidance of offensive things)
  • Samyak Smriti (Watchfulness and memory of right things)
  • Samyak Samadhi (Establishing the mind firmly in equanimity; a state beyond pleasure and sorrow)

6. Describe the administrative system of the Mahajanapadas with the help of the following points.

Question 1.
(a) Terms showing types of states
(b) King’s installation
(c) Authority of the king
(d) Decision-making
Answer:
(a) Terms showing types of states: Rajya, Swarajya, Bhavjya, Vairajya, Maharajya, Samrajya, and Prameshthya were the different types of states that existed during the 6th B.C.E.

(b) King’s installation: A ‘Raja’ was expected to be a ‘Kshtriya’ and according to the existing norms, a Brahmin was expected to refrain from accepting the position of a Raja. The position of Raja was generally hereditary. However, at times, a king was elected by the people.

(c) Authority of the king: The coronation of a king gave him absolute authority over his subjects. He was the one to decide the amount of taxes to be collected from them. He was the ultimate lord of all the land in his kingdom and so he could donate any portion of that land according to his wish. Nevertheless, his power was not totally unrestricted.

(d) Decision-making: The king made his decisions by seeking advice from his officials such as Purohita, Senani, Amatya, Gramani, etc. Besides, there was an assembly of people of all classes. When it assembled everybody present could participate in the decision-making process. There were times when people’s assemblies made a king steps down from the throne.

Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

Activity 1.

Collect and compile the information about Jain Tirthankaras.
Answer:
A “Tirthankara” is a saviour and spiritual teacher of the Jain dharma. Tirthankara in Sanskrit means ‘Ford-maker’ and is also known as “Jina” or “Victor”.
A Tirthankara is a rare individual who has conquered samsara, the cycle of death and rebirth
There were 24 Tirthankaras in Jainism. They are as follows:

  1. Lord Rishabhdev
  2. Lord Ajitnath
  3. Lord Sambhavnath
  4. Lord Abhinandananath
  5. Lord Sumatinath
  6. Lord Padmaprabh
  7. Lord Suparshvanath
  8. Lord Chandraprabh
  9. Lord Suvidhinath Swami or Puspadanta
  10. Lord Sheetalnath
  11. Lord Shreyansnath
  12. Lord Vasupujya
  13. Lord Vimalnath
  14. Lord Anantnath
  15. Lord Dharmnath
  16. Lord Shantinath
  17. Lord Kunthunath
  18. Lord Aranath
  19. Lord Mallinath
  20. Lord Munisuvrat
  21. Lord Naminath
  22. Lord Neminath
  23. Lord Parshvanath
  24. Lord Mahavir

Maharashtra Board Class 11 History Solutions Chapter 6 Second Urbanisation in India

Activity 2.

Collect information about Jataka stories. Select any of the Jataka stories and present, them as a stage play.
Answer:
Students have to do it on their own.

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना वृत्तांत लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना वृत्तांत लेखन

वृत्तांत लेखन : किसी भी सभा, बैठक, कार्यक्रम आदि को लिखित रूप में प्रस्तुत करना ही वृत्तांत लेखन है।

  • वृत्तांत संक्षिप्त होना चाहिए और क्रमबद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • वृत्तांत लेखन में उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम (मैं, हम) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • वृत्तांत में घटना, समय, स्थान आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
  • यह सत्य घटना पर आधारित लेखन होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन

1. हिंदी दिवस का वृत्तांत लिखिए।

एक शानदार हिंदी दिवम

15 सितंबर मुंबई : स्वामी विवेकानंद ज्युनियर कॉलेज आफॅ आर्ट्स एंड कॉमर्स के सभागार में दोपहर तीन बजे प्रधानाचार्य महोदय की अध्यक्षता में एक शानदार कार्यक्रम संपन्न हुआ। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. किशोर सिंह ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी तथा बारहवीं कक्षा की छात्रा शिवानी और रुही में हिंदी की आज की स्थिति पर अपने विचार रखे। ग्यारहवी कक्षा के छात्रों ने राष्ट्रभक्ति पर गीत प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर दोहों की प्रतियोगिता रखी गई जिसकी वजह से कार्यक्रम में जान आ गई थी। रमा राणे इस प्रतियोगिता में विजयी हुई जिसे पाँच सौ रुपए का पुरस्कार और सर्टीफिकेट प्रदान किया गया।

प्रधानाचार्य ने इस कार्यक्रम में घोषणा की, कि इस वर्ष हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले ग्यारहवीं तथा बारहवीं के छात्र को एक हजार रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सभी उपस्थित लोगों को अध्यक्ष महोदय ने धन्यवाद दिया और सभा विसर्जित हुई।

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

2. महाविद्यालय में आयोजित वृक्षारोपण समारोह का वृत्तांत लिखीए।

अध्यापक और छात्रों द्वारा वृक्षारोपण

17 जुलाई, दिल्ली: आज 16 जुलाई को विकास महाविद्यालय हरिनगर, दिल्ली के महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण समारोह अत्यंत हर्षोल्लास एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा निदेशक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्हें पुष्पगुच्छ एवं एक पौधा देकर स्वागत किया गया।

इसके पश्चात छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में, ‘नंगी धरती करे पुकार, वृक्ष लगाकर करो शृंगार’ गीत का समूहगान प्रस्तुत किया। अतिथि महोदय ने अपने भाषण में वृक्षों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयं एक पौधा लगाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

फिर प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य तथा अध्यापकों ने वृक्षारोपण किया। छात्रों ने भी वृक्षारोपण करते हुए उनके देखभाल की जिम्मेदारी ली। पौधों के चारों ओर जाली लगाकर इनकी सिंचाई का प्रबंध किया गया ताकि पौधे फलें- फूलें और वृक्ष बन सकें। अंत में छात्रों में मिठाई वितरण करते हुए इस समारोह का समापन किया गया।

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(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

3. समता विद्यालय में पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

पुणे, 12 फरवरी: कल 11 फरवरी, को समता विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता मशहूर अभिनेता शेखर सेन ने की थी।

ईश – स्तवन और गणेश वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ। पाँचवी कक्षा के छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात विद्यालय के निरीक्षक श्री. अशोक कर्वे ने अध्यक्ष महोदय का परिचय और विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया।

अध्यक्ष महोदय के करकमलों से आदर्श विद्यार्थी, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, अभिनेता, नर्तक, गायक आदि पुरस्कार दिए गए। शालांत परीक्षा में विशेष योग्यता दिखलाने वाले मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष महोदय ने अपने मार्गदर्शन पर भाषण में विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की। तत्पश्चात विद्यालय की ज्येष्ठ शिक्षिका श्रीमती चौधरी जी ने धन्यवाद यापन किया और राष्ट्रगीत के साथ समारोह का समापन हुआ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन 1

नासिक, 7 फरवरी : विवेक महाविद्यालय के प्रांगण में बारहवीं कक्षा के छात्रों का बिदाई समारोह 6 फरवरी को संपन्न हुआ। अपने महाविद्यालय से विदा लेते समय विद्यार्थियों की आँखें छलक आईं। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ने की।

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ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने बिदाई समारोह के आयोजन में अहं भूमिका निभाई। ठीक तीन बजे छात्र और शिक्षक प्रांगण में उपस्थित हुए थे। महाविद्यालय को रंगीन कागजों से सजाया गया था। एक छोटा सा वृक्ष का चित्र दीवार पर बना था और छात्र उस पर अपनी भावनाओं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बारहवीं कक्षा के छात्रों ने अपने महाविद्यालय की यादें बताते हुए अपने शिक्षिकों का आभार प्रकट किया।

प्रधानाचार्य और वर्गशिक्षकों तथा ज्येष्ठ शिक्षकों ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन पर दो शब्द कहे। ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने नृत्य एवं नाटिका प्रस्तुत कर सबका मनोरंजन किया। प्रधानाचार्य के करकमलों द्वारा आदर्श छात्र एवं छात्रा को पुरस्कृत किया गया। उसके बाद अल्पाहार दिया गया। छात्र अपने प्रिय शिक्षकों के साथ तस्वीरें लेते हुए देखे गए। बड़ा ही भावपूर्ण प्रसंग था यह, जो शाम सात बजे खत्म हुआ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना संभाषण लेखन

रोजमर्रा के जीवन में हम जो बातचीत या वार्तालाप करते हैं उसके लिखित रूप को संवाद-लेखन कहते हैं। वार्तालाप जितना चतुराई से किया गया है, उतना ही वह प्रभावशाली होता है। संवाद-लेखन करते समय ध्यान रहे –

  • संवाद की भाषा सरल एवं प्रभावशाली हो।
  • संवाद संक्षिप्त होने चाहिए।
  • संवाद विषय और पात्र के अनुकूल होने चाहिए।
  • संवाद लेखन में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 1
उत्तर :
अनन्या : हे रक्षिता! आज कितने दिनों बाद दिखाई दे रही हो; कहाँ थी?
रक्षिता : माँ के साथ दुर्घटना हो गई थी, इसलिए इधर आना नहीं हुआ।

अनन्या : ओह! क्या हुआ था?
रक्षिता : किसी बदमाश ने राह चलते उनके गले का मंगलसूत्र खींच लिया था। उनके गले पर जख्म हो गया था।

अनन्या : ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ। आजकल दिनदहाड़े ऐसी वारदातें होने लगी हैं।
रक्षिता : काश! पुलिस अपनी जिम्मेदारियाँ ठीक से निभा पाते, तो बदमाशों की ऐसी हिम्मत नहीं होती।

अनन्या : (क्रोधित स्वर में) और हमारी पब्लिक तमाश-बिन की तरह केवल भीड़ इकट्ठा करती है।
रक्षिता : (सहमति प्रकट करते हुए) और नहीं तो क्या! हम लोग कब जिम्मेदार नागरिक बनेंगे?

अनन्या : क्या, बदमाश पकडा गया?
रक्षिता : नहीं तो! वह तो बाइक पर था, झपट्टा मारा और भाग गया।

अनन्या : खैर, तुम अपनी माँ का ख्याल रखो। मुझसे कोई सहायता चाहिए तो बिना हिचकिचाए बताना।
रक्षिता : अवश्य! चलती हूँ। अलविदा!

अनन्या : अलविदा !

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 2
उत्तर :
पिताजी : बेटा, यहाँ आओ; बैठो। पढ़ाई के क्या हाल है? परीक्षा कब से है?
पुत्र : (घबराते हुए) परीक्षा नजदीक आई है और पढ़ाई अभी चल रही है, पूरी नहीं हुई।

पिताजी : पूरी होगी कैसे? मैं यह नहीं कहता कि दूरदर्शन मत देखो, लेकिन अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही उचित नहीं। पूरा दिन दूरदर्शन के सामने बैठोगे तो पढ़ाई होगी ही नहीं।
पुत्र : लेकिन मैं अकेला थोड़े ही देखता हूँ, पापा? घर में सभी दूरदर्शन देखते हैं और आप मुझे ही डाँटते हो।

पिताजी : मैं तुम्हें समझा रहा हूँ। तुम्हारी दीदी को देखो, कक्षा में अव्वल आती है और तुम मात्र 50% अंक ला पाए हो।
पुत्र : (अँगूठे से जमीन कुरेदते हुए) मुझे दीदी अपने साथ पढ़ने को मना करती है।

पिताजी : मैंने दीदी को समझा दिया है, जाओ अब उसके साथ बैठकर पढ़ाई करो।
पुत्र : जी, पापा। अब मैं भी दीदी जैसे अंक लाकर दिखाऊँगा।

पिताजी : बहुत अच्छा! देर आए दुरुस्त आए। मुझे तुम पर विश्वास है। तुम जरूर अच्छे अंक ला पाओगे। भगवान तुम्हें सद्बुद्धि दें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 3
उत्तर :
राम : नमस्ते श्याम! कैसे हो?
श्याम : नमस्ते! मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो? क्या कर रहे हो आजकल?

राम : मैं ठीक हूँ। आजकल मैं डाक टिकट इकट्ठा कर रहा हूँ।
श्याम : बहुत खूब! क्या तुम इन्हें अलबम में चिपकाओगे?

राम : हाँ! मैंने एक अलबम बना लिया है और टिकट चिपका भी दिए हैं।
श्याम : वाह! क्या, तुम्हारे पास सभी देशों के टिकट हैं?

राम : हाँ! ज्यादातर सभी देशों के टिकट मेरे पास हैं।
श्याम : (जिज्ञासा से) तो क्या इनमें, महँगी टिकटें भी हैं?

राम : मेरे पास बहुत सारी टिकटें है जिनमें कुछ टिकटें महँगी भी है।
श्याम : मेरे दोस्त, यह तो बता इस संग्रह से तुझे क्या लाभ होता है?

राम : यह मेरा शौक है जो मुझे बेहद सुख प्राप्त कराता है और हाँ, मुझे भूगोल पढ़ने में इनकी मदद मिलती है।
श्याम : बहुत अच्छा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

राम : तुम्हारा भी कोई शौक है?
श्याम : है न! मुझे जंगली फूल जमा करने का शौक है।

राम : तुम उनसे क्या करते हो?
श्याम : मैं उन्हें कागज पर चिपकाता हूँ और फिर उनका नाम लिखता हूँ।

राम : इस शौक से तुम्हें क्या लाभ होता है?
श्याम : मेरा शौक मेरा वनस्पति विज्ञान का ज्ञान बढ़ाता है।

राम : तुमसे मिलकर आज बहुत अच्छा लगा। फिर मिलेंगे, अलविदा!
श्याम : अच्छा! अलविदा!

प्रश्न 4.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 4
उत्तर :
साक्षात्कार कर्ता : जय हिंद, मेरे भाई, मेरे दोस्त!
सैनिक : जय हिंद! कहो कैसे आना हुआ?

साक्षात्कार कर्ता : आप हाल ही में सीमा पर दुश्मनों को लोहे के चने चबवाकर आए हो इसलिए मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। आपके बारे में जानना चाहता हूँ।
सैनिक : भाई, मैंने तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है।

साक्षात्कार कर्ता : सीमा पर अपने परिवार से दूर आप कैसे रह लेते हो? क्या आपका उनके प्रति कर्तव्य नहीं है?
सैनिक : ऐसा तो नहीं। परिवार अपनी जगह है, देश अपनी जगह और देश की खातिर जो कर्तव्य है उसके आगे हमें निजी सुख-दुख बहुत छोटे नजर आते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन

साक्षात्कार कर्ता : धन्य हैं आप! सुना है आपका बेटा छह वर्ष का है!
सैनिक : सही सुना है आपने। मेरा छह वर्ष का बेटा है जो अभी से सैनिक बनने का सपना देख रहा है और हाँ मेरी तीन साल की बेटी भी, शत्रु के साथ युद्ध करने की बातें करती है।

साक्षात्कार कर्ता : बहुत अच्छा लगा सुनकर। आपका पूरापरिवार ही राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत है। हम देशवासियों को और देश के बालकों को (जोर देते हुए) कुछ संदेश देना चाहेंगे?
सैनिक : जरूर! देश के बालकों आप देश का भविष्य हो। हर काम को सच्चाई, ईमानदारी और खुशी से करो। अपने सपनों को हकीकत में बदलो। ईश्वर तुम्हें सदबुद्धि दे। वंदे मातरम्! जय हिंद!

साक्षात्कार कर्ता : वंदे मातरम्! जय हिंद!

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना गद्य आकलन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना गद्य आकलन

अपठित अर्थात जो पहले से पढ़ा / पढ़ाया न गया हो ऐसा परिच्छेद परीक्षा में दिया जाता है। इसे पढ़कर इसका आशय समझना होता है। कोई शब्द परिचित न हो और अर्थ समझ में नहीं आ रहा हो तो उसके अर्थ को वाक्य के प्रसंगानुसार ग्रहण करना चाहिए और सब कुछ समझ में आ जाने पर प्रश्न बनाना आसान हो जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

महत्त्वपूर्ण : छात्रों से अपठित गद्यांश पर आकलन हेतु मात्र प्रश्न निर्माण अपेक्षित है और प्रश्न भी ऐसे बनाने हैं जिनके उत्तर एक वाक्य में हों। हो सके उतना गद्यांश के लिए शीर्षक के बारे में प्रश्न न पूछे। आगे कुछ उदाहरण दिए हैं –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

पंडित जवाहरलाल नेहरूजी की अंतिम इच्छा यह थी कि मैं जब मरूँ तब मैं चाहूँगा कि मेरा दाह-संस्कार हो। अगर मैं विदेश में मरूँ तो मुझे वहीं जलाया जाए पर मेरी अस्थियाँ इलाहाबाद लाई जाएँ। मुठ्ठीभर भस्म इलाहबाद की गंगा में प्रवाहित करने की मेरी इच्छा है, किंतु उसके पीछे कुछ धार्मिक भावना नहीं है, क्योंकि गंगा हमारी सदियों से पुरानी सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक रही है।

वह मुझे हिमालय के हिमाच्छादित शिखरों और नदियों की याद दिलाती है, जिनमें मेरा लगाव और प्यार बहुत ज्यादा रहा है। गंगा मुझे शस्य-श्यामल फैले हुए मैदानों की याद दिलाती है, यहाँ मेरी जिंदगी और काम ढले हैं। गंगा में कहीं समुद्र जैसी विनाश की भी शक्ति मुझे लगती है और उसकी यह शक्ति मेरे लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है, जो वर्तमान में प्रवाहित है और भविष्य के महासमुद्र में आगे बढ़ते रहने की है।
उत्तर:

  1. मुठ्ठीभर भस्म का विसर्जन लेखक ने कहाँ करने के लिए कहा है?
  2. गंगा की कौन-सी शक्ति लेखक के लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है?
  3. लेखक की जिंदगी और काम कहाँ ढले हैं?
  4. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को गंगा नदी किसकी याद दिलाती है?
  5. विदेश में मरने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी क्या चाहते हैं?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
वर्तमान शासन प्रणालियों में जनतंत्र से बढ़कर उत्तम कोई प्रणाली नहीं हैं, क्योंकि उसमें जनता को स्वयं यह अधिकार प्राप्त रहता है कि वह अपने प्रतिनिधियों को चुनकर विधान सभाओं और संसद में भेजें। ऐसे प्रत्यक्ष चुनाव में प्राय: वही व्यक्ति चुना जाता है, जिसका सार्वजनिक जीवन अच्छा हो और जो जनता की सेवा करता हो। इस प्रणाली में जनता को यह अधिकार है कि यदि वह किसी दल या किसी व्यक्ति के कार्यों से संतुष्ट नहीं है तो दूसरी बार उस दल या व्यक्ति को अपना मत न दें।

निर्वाचन में विरोधी दलों के भी कुछ व्यक्ति चुने जाते हैं, जो अपनी आलोचना से शासक दल के स्वेच्छाचार पर अंकुश रखते हैं। इस प्रकार देश की शासन प्रणाली में विरोधी दलों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
उत्तर:

  1. जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर कहाँ भेजती है?
  2. चुनाव में कैसा व्यक्ति चुना जाता है?
  3. विरोधी दल अपनी आलोचना से क्या कर सकता है?
  4. जनतंत्र में जनता को किस बात का अधिकार होता है?
  5. सबसे उत्तम शासन प्रणाली कौन-सी है?

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
दान देने की परिपाटी प्राचीन काल से चली आ रही है। अन्नदान, गोदान, वस्त्रदान, स्वर्णदान, भूमिदान करना भारतीय अपना परम धर्म मानते हैं। धर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। प्राचीन काल में विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता था। वर्तमान काल में कुछ नए प्रकार के दान प्रचलित हुए है – नेत्रदान, रक्तदान, किडनीदान । रक्त तो हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। पचास वर्ष तक के निरोगी स्त्री-पुरुष रक्त दान कर सकते हैं। दुर्घटनाओं से परिपूर्ण वैज्ञानिक युग में रक्तदान, सर्वश्रेष्ठ दान माना जा रहा है। नेत्रदान करने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मरणोपरांत ही आँखें निकालकर, अंधों को दी जाती हैं और वे देखने लगते हैं। बीमार के प्राण बचाने के लिए हम अपनी किडनी दान दे सकते हैं।
उत्तर :

  1. प्राचीन काल से लेकर अब तक कौन-कौन से दान प्रचलित हैं?
  2. किन लोगों को रक्तदान करना चाहिए?
  3. वैज्ञानिक युग में कौन-सा दान श्रेष्ठ है?
  4. दान करना भारतीय अपना परम धर्म क्यों मानते हैं?
  5. नेत्रदान करने से घबराने की जरूरत क्यों नहीं?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

भारत में प्राचीन काल से दहेज प्रथा चली आ रही है। कन्या के माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार शादी के समय दहेज देते चले आए हैं। वर एवं कन्या के परिवारवालों में आपसी प्रेम था इसलिए वरवाले कन्यावालों से किसी प्रकार की माँग करने में संकोच करते थे।

परंतु पिछले 50 वर्षों से विवाह एक व्यापार बन गया है। इससे समाज दुखी है। लड़कीवाला लड़के की योग्यता के स्थान पर धन को ही सर्वस्व मानता है और वह बड़े अमीर परिवार में अपनी लड़की को देना चाहता है। लड़का लड़कियों को देखता है।

जिस लड़की के पास धन अधिक होता है, उसे चुन लेता है। उसकी योग्यता को नहीं देखता। आज लड़की के विवाह का मूल आधार धन बन गया है। जिस दिन लड़की का जन्म होता है, उसी दिन से माता-पिता को उसके विवाह की चिंता लग जाती है।

इस बुराई को दूर करने के लिए हमें मिलकर इस प्रथा का विरोध करना चाहिए। जो दहेज लेता है, उसके लिए ऐसा कानून बनना चाहिए कि दहेज लेनेवाले को चोरी, जुआ एवं हत्या आदि अपराध करनेवालों के समान देखा जाए और सामाजिक मंच पर उसे बेइज्जत किया जाए।

इस विषय पर मात्र बोलने एवं लिखने से अब काम नहीं चलेगा। हमें एक होकर इस प्रकार के विरोध में कदम बढ़ाने होंगे।

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प्रश्न :
(1) भारत में प्राचीन काल में दहेज प्रथा का स्वरूप कैसा था?
(2) माता-पिता को लड़की के विवाह की चिंता कब से लग जाती है?
(3) आज लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?
(4) दहेज लेने वाले के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए?
(5) लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
पवन पुत्र हनुमान, भीष्म पितामह, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद जैसे बाल ब्रह्मचारियों ने भारत-भूमि को पावन किया है। संसार के प्राचीन ग्रंथ वेदों में लिखा है: “ब्रह्मचारी मृत्यु को जीत लेते हैं।” ‘ब्रह्म’ शब्द के अर्थ हैं ‘परमेश्वर, विद्या और शरीर-रक्षण। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर स्वस्थ होता है।

जिसका शरीर स्वस्थ उसीका मन स्वस्थ, जिसका मन स्वस्थ उसकी स्मरण-शक्ति बहुत होती है। स्मरण-शक्ति से आकलन शक्ति बढ़ती है । विद्यार्थी जीवन में आकलनशक्ति का अपना विशेष महत्त्व है। ब्रह्मचर्य विद्यार्थी जीवन की कमियाँ पूरी करता है।

प्राचीन भारतीय साहित्य में ब्रह्मचर्य की महिमा लिखी है। इसका पालन करनेवाला विद्यार्थी निरोगी, बुद्धिमान, संपत्तिशाली, महान बनता है। ब्रह्मचर्य की महिमा अपार है।

प्रश्न:
(1) कौन-कौन बाल ब्रह्मचारी थे?
(2) मृत्यु को कौन जीत सकते हैं?
(3) ‘ब्रह्म’ शब्द के कितने और कौन-कौन से अर्थ हैं?
(4) विद्यार्थी जीवन में किसका विशेष महत्त्व है?
(5) ब्रह्मचर्य पालन करने वाला विद्यार्थी कैसा होता है?

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स्वाध्याय

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक वाक्य में हों –

(1) हँसने का एक सामाजिक पक्ष भी होता है। हँसकर हम लोगों को अपने निकट ला सकते हैं और व्यंग्य उन्हें दूरस्थ बना देते हैं। जिसको भगाना हो उसकी थोड़ी देर हँसी खिल्ली उड़ाइए, वह तुरंत बोरिया-बिस्तर गोल कर पलायन करेगा। जितनी मुक्त हँसी होगी, उतना समीप व्यक्ति खींचेगा इसीलिए तो श्रोताओं की सहानुभूति अपनी ओर खींचने के लिए चतुर वक्ता अपना भाषण किसी रोचक कहानी या घटना से आरंभ करते हैं।

जनता यदि हँसी तो चंगुल में फँसी। सामाजिक मूल्यों और नियमों को मान्यता दिलाने और रूढ़ियों को निष्कासित करने में पुलिस या कानून सहायता नहीं करता, किन्तु वहाँ हास्य का चाबुक अचूक बैठता है। हास्य के कोड़े, उपहास-डंक और व्यंग्य-बाण मारकर आदमी को रास्ते पर लाया जा सकता है। इस प्रकार गुमराह बने समाज की रक्षा की जा सकती है।

(2) किसी भी देश या काल के लिए जवान तथा शिक्षक दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। किसी एक के बिना समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। दोनों ही समाज के रक्षक हैं, किन्तु कार्यों में भिन्नता दिखाई पड़ती है। एक शत्रु से रक्षा करता है तो दूसरा उसे (देश को) समृद्ध बनाता है।

फिर भी शिक्षक का उत्तरदायित्व जवान से कहीं बढ़कर है। भावी नागरिक निर्माण करने की जिम्मेदारी शिक्षक के ऊपर है। वह उसके शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक विकास का जनक है, जिस पर व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र निर्भर है। शिक्षक के ही द्वारा कोई योग्य सैनिक बन सकता है।

आज शिक्षक ने सैनिक धाराओं में क्रांति पैदा कर दी है। हमारे अहिंसक आंदोलन ने दुनिया को दिखा दिया है कि शिक्षक सैनिक से श्रेष्ठ है। इसे बनावटी-शस्त्रों की जरूरत नहीं है। इसका आत्मिक बल सब शस्त्रों से बड़ा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

अगर आनेवाली दुनिया इसका अनुसरण करे तो शस्त्रीकरण का नामोनिशान भू-पृष्ठ से उठ जाएगा। नैतिक शक्ति का बोल-बाला होगा, सारी दुनिया में एकात्मता की लहर फैलेगी और तब ज्ञान-विज्ञान का निर्माण विकास के लिए होगा, न कि विनाश के लिए।

(3) समाजसुधार आंदोलन को निर्भीक संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद से नई दिशा मिली। हरिजन समस्या के समाधान में कई स्थानों पर संघर्ष का भी सामना करना पड़ा। गुरुकुल काँगड़ी के छात्रवासों और भोजनालयों में बिना किसी भेदभाव के हर जाति के विद्यार्थी रहते और खाते-पीते थे।

स्वामी जी का कहना था – मनों से छुआछूत की भावना मिटाने में आवासीय शिक्षण संस्थाओं का अच्छा योगदान हो सकता है। चौबीसों घंटे एक साथ मिलकर जब रहेंगे, खेलेंगे, कूदेंगे और पढ़ेंगे, लिखेंगे तो कहाँ तक छूत-अछूत की दीवार खड़ी रह पाएगी।

आजादी के बाद भी यदि इसी रास्ते को पकड़ा गया होता तो मंजिल बहुत पहले तय हो जाती। आवासीय पद्धति पर आश्रित ऐसे गुरुकुल उन्होंने हरियाणा में झज्जर, इंद्रप्रस्थ और कुरूक्षेत्र, गुजरात में सोनगढ़ और सूपा में भी खोले। देहरादून का कन्या गुरुकुल भी उसी श्रृंखला की कड़ी है।

(4) यश और कीर्ति पैतृक संपत्ति नहीं है। जिसका सुख-भोग संतान कर सके। वास्तविक सम्मान और यश धन के द्वारा भी प्राप्त नहीं हो सकता। ये वे पदार्थ है जो घोर परिश्रम और स्वावलंबन द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं। ईश्वर का वरद हस्त भी उसी के शीश पर है जो स्वत: अपनी सहायता करता है।

यदि तुम अपना जीवन धन्य बनाना चाहते हो तो खड़े हो जाओ अपने पैरों पर और संसार में एक बार शक्ति से अपने कार्यो से सुख और शांति की धारा प्रवाहित कर दो। भाग्य की भाषा पढ़ने के फेरे में जो भी डूबा वह कभी भी ऊपर नहीं आ सकता। अत: यह निश्चित है कि तुम ही अपने भाग्य विधाता हो और जीवन निर्माण करने का संपूर्ण अधिकार भी तुम ही को है।

(5) संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है। कुछ भी असम्भव नहीं है। असम्भव, असाध्य, कठिन आदि शब्द कायरों के लिए हैं।

नेपोलियन के लिए ये शब्द उसके कोष में नहीं थे। साहसी पतले बापू ने विश्व को चकित कर दिया। क्या बापू शरीर से शक्तिशाली थे? नहीं। वह तो पतली-सी एक लंगोटी पहने लकड़ी के सहारे चलते थे, परंतु विचार सशक्त थे, भावनाएँ शक्तिशाली थीं, उनके साहस को देखकर करोड़ो भारतीय उनके पीछे थे। ब्रिटिश साम्राज्य उनसे काँप गया। अहिंसा के सहारे बिना रक्त-पात के उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। यह विश्व का एक अद्वितीय उदाहरण है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

जब महात्मा गांधीजी ने अहिंसा का नारा लगाया तो लोग हँसते थे, कहते थे अहिंसा से कहीं ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली जा सकती है? परंतु वे डटे रहे, साहस नहीं छोड़ा, अंत में अहिंसा की ही विजय हुई। कहते हैं, अकेला चना क्या भाड़ फोड़ सकता है? हाँ, यदि उसमें साहस हो तो! साहसहीन के लिए सब कुछ असम्भव है। उससे अगर कहा जाए कि भाई जरा वह काम कर देना; तो वह तुरंत कहेगा, अरे! इतनी दूर!

पैदल, एक दिन में! नहीं भाई, मुझसे नहीं हो सकेगा, किसी और से करा लो। भला वह इस काम को कैसे करेगा? करने वाला दूरी और पैदल नहीं देखता! उसके मार्ग में चाहे पर्वत आकर खड़े हो जाएँ, आँधी आए या तूफान, उसको उनसे क्या वास्ता? उसको तो अपने लक्ष्य तक पहुँचना है, उसे कोई नहीं रोक सकता है। वह अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच जाएगा। साहसी पुरुष दिन-रात नहीं देखा करते, आँधी तूफान, नदी-नाले, पहाड़-समुद्र नहीं देखा करते; वे तो केवल एक ही चीज देखा करते हैं कि उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना अनुवाद लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना अनुवाद लेखन

अनुवाद लेखन : किसी भाषा में कही या लिखी गई बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद कहलाता है। अनुवाद एक कला है। अनुवाद करते समय शब्दों का ही केवल अनुवाद नहीं करना है वाक्य में जो भाव है उसके अनुसार शब्दों का चयन और क्रम रखकर मौलिक भाव को प्रस्तुत करना होता है। आपको अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए पूछा जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

उदा.
His dreams became true
अनुवाद – उसके सपने सच हुए।

निम्नलिखित वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
Mistakes are always forgivable, if one has the courage to admit them.
उत्तर:
गलतियाँ हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।

प्रश्न 2.
As you think, so shall you become.
उत्तर:
जैसा आप सोचते हैं, वैसा आप बन जाएँगे।

प्रश्न 3.
A quick temper will make a fool of you soon enough
उत्तर:
जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

प्रश्न 4.
A man is great by deeds, not by birth.
उत्तर:
व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है।

प्रश्न 5.
Success and failure are both part of life and both are not permanent.
उत्तर:
सफलता और असफलता दोनों जीवन के हिस्से हैं और दोनों स्थायी नहीं होते।

प्रश्न 6.
A person who never made a mistake never tried anything new.
उत्तर:
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।

प्रश्न 7.
Life should be great rather than long.
उत्तर:
जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

प्रश्न 8.
Failure comes only when we forget our ideals and objectives and principles.
उत्तर:
असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं।

प्रश्न 9.
Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.
उत्तर.
स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।

प्रश्न 10.
Never stop believing in hope because miracles happen everyday.
उत्तर:
उम्मीद पर विश्वास करना न छोड़ें क्योंकि चमत्कार हर दिन होते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. बैंक तथा वाणिज्य से संबंधित शब्द

  • Account = लेखा
  • Accountant = लेखापाल
  • Act = अधिनियम Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Affidavit = शपथपत्र
  • Agreement = अनुबंध/करार
  • Annexure = परिशिष्ट
  • Audit = लेखा परीक्षण
  • Average = औसत
  • Session = सत्र
  • Advocate General = महाधिवक्ता
  • Foreign Exchange = विदेशी विनिमय
  • Fund Sinking = निक्षेप निधि
  • Finance Commissioner = वित्त आयुक्त
  • Deduction = कटौती
  • Dividend = लाभांश
  • Domicile Certificate = अधिवास प्रमाणपत्र
  • Draft = मसौदा/प्रारूप
  • Gazette = राजपत्र
  • Investment = निवेश
  • Management = प्रबंधन
  • Revenue = राजस्व
  • Clearing = समाशोधन
  • Attestation = साक्ष्यांकन
  • Cheque = धनादेश (चैक)
  • Advance = अग्रिम
  • Capital = पूँजी Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Cashier = रोकड़िया/कोषाध्यक्ष
  • Amount = धनराशि, रकम
  • Custom Duty = सीमा शुल्क
  • Credit Amount = जमा रक्कम
  • Finance Bill = वित्त विधेयक
  • Finance Statement = वित्तीय विवरण
  • Pension = निवृत्ति वेतन
  • Service Charges = सेवा भार
  • Corporation-Tax = नगर निगम कर
  • Trade Mark = व्यापार चिह्न
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

2. विधि से संबंधित शब्द

  • Bailable Offence = जमानती अपराध
  • Defendent = ufdact
  • Accused = अभियुक्त
  • Bench = न्यायपीठ
  • Show Cause = कारण बताओ
  • Custody (Police) = पुलिस हिरासत
  • Formal Investigation = औपचारिक जाँच
  • Validity = वैधता
  • Advocate General = Halfeta chall
  • Judicial Power = न्यायालयीन अधिकार
  • Ordinance = अध्यादेश

3. प्रशासनिक

  • Chancellor = कुलाधिपति
  • Deputation = प्रतिनियुक्ति
  • Director = निदेशक
  • Surveyor = सर्वेक्षक
  • Supervisor = पर्यवेक्षक
  • Governor = राज्यपाल
  • Secretary = सचिव
  • Eligibility = अर्हता
  • Memorandum = ज्ञापन
  • Notification = अधिसूचना
  • Registrar = कुलसचिव
  • Administration = प्रशासन
  • Commission = आयोग
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

4. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली

  • Mechanics = यांत्रिक
  • Gravitation = गुरुत्वाकर्षण
  • Orbit = कक्षा
  • Satellite = उपग्रह
  • Nerve = तंत्रिका
  • Nutrition = पोषण
  • Radiation = विकिरण
  • Tissue = ऊतक
  • Fertility = उर्वरता
  • Genetics = अनुवांशिकी

5. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Internet = अंतरजाल
  • Control Section = नियंत्रण अनुभाग
  • Hard Copy = मुद्रित प्रति
  • Storage = भंडार
  • Data = आँकड़ा
  • Software = प्रक्रिया सामग्री
  • Output = निर्गम
  • Screen = प्रपट्ट Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Network = संजाल
  • Command = समादेश

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 16 रेडियो जॉकी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

11th Hindi Digest Chapter 16 रेडियो जॉकी Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
आर.जे. के लिए आवश्यक गुण लिखिए।
उत्तर :
स्नातक पदवी प्राप्त होने पर वह स्टाफ सिलेक्शन कमिशन तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ली जाने वाली परीक्षा दे सकता है।

और उसमें उत्तीर्ण होने पर प्रत्यक्ष साक्षात्कार द्वारा उम्मीद्वार का चयन होता है। उसका भाषा पर प्रभुत्व होना चाहिए। उसे देश-विदेश की जानकारी रखनी चाहिए। उसमें नित नई रची जाने वाली रचनाओं को पढ़ने की ललक होनी चाहिए। आवाज में उतार-चढ़ाव, वाणी में नम्रता तथा समय की पाबंदी आदि गुण उसमें होने चाहिए। उसे अनुवाद करने का ज्ञान भी होना चाहिए। उसे अपने कान और आँखें निरंतर खुली रखनी चाहिए।

उसे अपने उच्चारण पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। अपने क्षेत्र का सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान भी उसे अवश्य होना चाहिए। साक्षात्कार लेने की कुशलता भी उसमें अवश्य होनी चाहिए। श्रोता द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर उसके पास होने चाहिए।

निराश श्रोता का मनोबल बढ़ाने की कला उसे अवगत होनी चाहिए। उसकी भाषा सहज, सरल, संतुलित, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए जो श्रोताओं की समझ में सानी से आए और श्रोताओं को ज्ञान भी मिले और श्रोताओं का मनोरंजन भी हो।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

प्रश्न 2.
सामाजिक सजगता निर्माण करने में आर.जे. का योगदान अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सामाजिक जागरूकता फैलाने में आर. जे. महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। क्योंकि आर. जे. का काम समाज के हर घटक से जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम के दौरान वह पर्यावरण दिवस, पोलियो अभियान, जल साक्षरता, बाल मजदूरी, दहेज समस्या, कन्या साक्षरता, विश्व पुस्तक दिवस, किसान और खेती का महत्त्व, व्यसन से मुक्ति, मतदान जनजागृति आदि विषयों पर चर्चा करते हुए मनोरंजनात्मक ढंग से लोगों के बीच में जागरूकता फैलाने का काम करता है।

उदाहरण के लिए आर. जे. अनुराग पांडेय जी की बातों को सुनकर कितने ही युवाओं ने उत्साह से मतदान किया था और कितने ही लोग व्यसनमुक्त भी हुए। इस प्रकार आर. जे. समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।

प्रश्न 3.
आर.जे. के महत्त्वपूर्ण कार्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रेडियो जन-जन का माध्यम है जो लोगों के मन को छूता है। आर. जे. अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति द्वारा जनमानस को हौसला देता है, नई-नई बातें बताता है। वह टेलीफोन के माध्यम से श्रोताओं से बातचीत करता है। श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देता है तो कभी निराश श्रोता का मनोबल बढ़ाने का कार्य करता है। कभी मेहमानों या अतिथियों का परिचय कराता है, किसी परिचर्चा में हिस्सा लेता है।

खास लोगों का विशेष अवसर पर साक्षात्कार लेते हुए कार्यक्रम की प्रस्तुति करता है। अपने कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण दिवस, पोलियो अभियान, जल साक्षरता जैसे कई विषयों पर चर्चा करते हुए मनोरंजनात्मक ढंग से जनजागृति लाता है।

अपने कार्यक्रम के दौरान दो गीतों के बीच कड़ी बनाने का कार्य करता है। वह श्रोताओं से संवाद करता है। समाज में जागरूकता फैलाता है और परिवर्तन लाता है।

व्यावहारिक प्रयोग

प्रश्न 1.
‘जलसंवर्धन’ के किसी कार्यकर्ता के साक्षात्कार हेतु संहिता तैयार कीजिए।
उत्तर :
नमस्कार! दोस्तो मैं हूँ आर. जे. रवि शर्मा और आज की इस मुलाकात में हमारे स्टुडियो में पधारे विशेष अतिथि हैं जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह जी। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में जन्मे राजेंद्र जी को 2001 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया क्योंकि उनके भगीरथ प्रयत्नों से राजस्थान के अलवर में सात नदियाँ फिर से जीवित हुईं और बहने लगी हैं। 2009 में आप नेशनल गंगा रिवर बेसिन एथॉरिटी के मुख्य सदस्य भी रहे हैं।

रवि शर्मा : बहुत बहुत स्वागत है आपका।

राजेंद्र सिंह : धन्यवाद !

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

रवि शर्मा : सबसे पहले हम जानना चाहेंगे राजेंद्र जी कि देश में पानी की स्थिति कैसी है?

राजेंद्र सिंह : देखिए, इस वक्त भारत बेपानी हो रहा है। हमारी धरती के गर्भ में जो वॉटर टैंक थे वे खाली हो गए हैं। धरती के ऊपर बुंदेल खंड हो, मराठवाडा हो या विदर्भ हो, लोग बेपानी होकर आत्महत्याएँ कर रहे हैं। धरती को बुखार चढ़ रहा है। मौसम का मिजाज बदल चुका है। बिगड़े मौसम ने भारत को बेपानी कर दिया है। धरती को कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की चपेट में ला रहा है।

रवि शर्मा : राजेंद्र सिंह जी आप एक आयुर्वेदिक डॉक्टर थे।

राजेंद्र सिंह : जी।

रवि शर्मा : उस काम को आपने छोड़ दिया और इस काम में लग गए?

राजेंद्र सिंह : पेड़ों और प्रकृति से तो मुझे बचपन से ही प्यार था। 1980 में राजस्थान के जयपुर में नौकरी करने लगा। परंतु चार साल बाद त्यागपत्र देकर समाजसेवा करने अलवर चला आया और बीमार लोगों का इलाज करने लगा। तब एक बूढ़े ने कहा डॉक्टर तो बहुत हैं जो इलाज करने आ जाएँगे।

हमें पानी चाहिए। पानी का काम करने वाला कोई नहीं है। मेरे लिए यह बहुत चुनौतिपूर्ण था। परंतु उस बूढ़े ने मुझे रियलाइज कराया कि मैं वह काम कर सकता हूँ और उचित समय पर मैंने पानी संरक्षण का निर्णय ले लिया जो मेरे जीवन का सबसे अच्छा निर्णय था और मैं पानी के काम में लग गया।

रवि शर्मा : राजेंद्र जी आपने यह करिश्मा कैसे किया?

राजेंद्र सिंह : उस बूढ़े किसान ने मुझे कहा हमारे यहाँ हर साल बादल पानी लेके आता है और उसको सूरज चोरी कर लेता है। हमारे लिए पानी बचता ही नहीं। तू सूरज की चोरी रोक दें। तब मैंने समझा कि, ‘पानी जहाँ दौड़ता है वहाँ उसे चलना सिखाना है।

जब वह चलने लगे तो उसे रेंगना और धरती माँ के पेट में बिठाना है। तब सूरज उसको चुरा नहीं सकेगा और उससे जीवन चलेगा।’ काम 1985 में शुरू हुआ और उसके अच्छे नतीजे सामने आए।

रवि शर्मा : बहुत बढ़िया। महाराष्ट्र में पानी की किल्लत पर आप क्या मशवरा दे सकते हैं?

राजेंद्र सिंह : देखा जाए तो महाराष्ट्र में पानी की कमी होनी ही नहीं चाहिए। पानी प्रबंधन के काम की आवश्यकता है। समाज और सरकार दोनों संकल्प करें तो महाराष्ट्र पानीदार बन सकता है।

रवि शर्मा : अच्छा, कैसे?

राजेंद्र सिंह : यहाँ का फसल चक्र वर्षा चक्र को जोड़कर तैयार करना चाहिए।

रवि शर्मा : बराबर।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

राजेंद्र सिंह : महाराष्ट्र में जल साक्षरता अभियान शुरू करके पानी का सदुपयोग किया जा सकता है। जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवकों की सहायता से यह अभियान आगे बढ़ेगा। समाज में लोग जल का सम्मान करें ताकि पानी व्यर्थ भी नहीं जाएगा और प्रदूषण से भी बचेगा। महाराष्ट्र में जलयुक्त शिवार बनेंगे।

रवि शर्मा : बिलकुल और महाराष्ट्र हरा-भरा हो जाएगा। इस बात पर एक गीत याद आ गया। हरी-हरी वसुंधरा है, नीला-नीला ये गगन.. (गीत का मुखडा और दो अंतरे बजाए जाएँगे।)

राजेंद्र सिंह : सच, अगर जज़्बा हो तो महाराष्ट्र सूखा मुक्त हो सकता है। बस अनुशासन और मिलजुलकर सही दिशा में काम करने की आवश्यकता है।

रवि शर्मा : बहुत बहुत धन्यवाद राजेंद्र जी। आज आपने हमारे श्रोताओं को जल संरक्षण संबंध में बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है और आपकी बातें सुनकर जल प्रेमी, जल दूत सामने आने की संभावना बढ़ गई है।

राजेंद्र सिंह : तब तो मैं कहूँगा मेरा यहाँ आना सार्थक हो गया।

प्रश्न 2.
रेडियो जॉकी के रूप में ‘होली’ के अवसर पर काव्य वाचन प्रस्तुति के लिए कार्यक्रम तैयार कीजिए।
उत्तर :
नमस्कार! मैं हूँ आर. जे. सीमा राय और 93.65 रेडियो धमाचौकड़ी पर आप सबके लिए ले आई हूँ होली धमाका! सर्वप्रथम आप सबको होली की बहुत, बहुत, बहुत शुभकामनाएँ। आपकी होली सुरक्षित रहे, रंगों से और खुशियों से सराबोर रहे। इस होली को और भी खास बनाएँगे धमाकेदार, जोरदार सुप्रसिद्ध कवियों के काव्य गायन से।

होली है, होली है, बुरा न मानो, होली है।

इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं कवि जगत के प्रसिद्ध कवियों से परिचय कराती हूँ। हमारे साथ स्टुडियो में प्रसिद्ध कवि सुनील जोगी जी मौजूद हैं जिनका परिचय देने की जरूरत ही नहीं है। देश के जाने-माने कवि का परिचय देना सूरज को दीए की रोशनी दिखाने जैसा होगा। कविवर्य सुनील जी आपका हमारे चैनल पर स्वागत है।

सुनील : आप सबको और पूरे देश वासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ। होली रंगों का त्योहार है, उमंगो का त्योहार है, खुशियों का त्योहार है।
हमारे देश की होली ऐसी मनाई जाए,
होली हमारे देश की पहचान बन जाए,
आन, बान और शान बन जाए,
भरे पिचकारियाँ ऐसे तीन रंगों की
जो कपड़ों पर गिरे तो पूरा देश बन जाए।

सभी दाद देते हैं : वाह! वाह!

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सीमा : सुनील जी आप होली के रंग को देश का रंग बनाना चाहते हो। बहुत खूब।

सुनील : जी, जी, मेरी कविता मैंने देश की अखंडता, एकता, भाईचारा और मोहब्बत को व्यक्त करते हुए लिखी है। पेश है वह कविता –
हमारे मोहल्ले में हम इस तरह होली मनाते हैं –
जुम्मन चाचा हरा, राधेश्याम जी नारंगी और करतार जोसेफ सफेद रंग लाते हैं।
सब मिलकर एक दूसरे को खूब रंग लगाते हैं। थोड़ी ही देर में माहोल बदल जाता है..
सबके चेहरे पर सिर्फ तिरंगा नजर आता है।

तब लगता है होली सार्थक हुई क्योंकि इन रंगों में राधेश्याम जी के साथ, जुम्मन चाचा और करतार जोसेफ के रंगों की महक मिली हुई है।

सीमा : बहुत खूब सुनील जी। आपने और आपकी कविता ने सचमुच देश प्रेम में श्रोताओं को भिगो दिया है। अब जरा हँसी ठिठोली भी हो जाए।

दीपक : मैं हूँ दीपक गुप्ता और मेरा तो यही मानना है कि होली हँसी-खुशी, ठिठोली और सद्भावना का त्योहार है। होली की शुभकामनाएँ देते हुए एक ठिठोली सुनाता हूँ।
मुफ्त पिचकारी का ऑफर पाकर
बच्चे और माँ-बाप दौड़े चले आए
विक्रेता ने दी मुफ्त पिचकारी और कहा
कृपया इसमें भरे पानी की कीमत चुकाएँ

सभी : क्या बात है।

सीमा : सही बात है दीपक जी। आज पानी महँगा हो गया है, मुफ्त में बरबाद नहीं किया जा सकता। वेद प्रकाश जी आप भी सुनाइए और इस माहोल को रंगीन बना दीजिए।

वेद प्रकाश : जी बिलकुल अभी-अभी यहाँ ही स्टुडियो में बैठे-बैठे एक कविता जहन में आई जो सुनाता हूँ –
होली के दिन भाई
दीपक दीपक नहीं रहते,
सुनील सुनील नहीं रहते,
वेद वेद नहीं रहता,
कम-से-कम होली के दिन
ये भेद नहीं रहता कि,
इनकी कमीज से मेरी कमीज का रंग
ज्यादा सफेद नहीं है।

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सीमा : बहुत बढ़िया, वेद प्रकाश जी होली भेदभाव को मिटा देती है। यह एकता और अखंडता का प्रतीक है।

सीमा : सुनील जी, दीपक जी और वेद प्रकाश जी हमारे साथ जुड़कर होली को खास और खुशनुमा बनाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। श्रोताओं को जरूर मजा आया होगा। किसी की भावनाओं को अनजाने में ठेस पहुँची हो तो कह देती हूँ, ‘बुरा न मानो होली है, भाई होली है।’

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रेडियो जॉकी Summary in Hindi

रेडियो जॉकी लेखक परिचय :

आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह अनुराग पांडेय जी ने रेडियो के लिए पच्चीस से अधिक नाटकों का लेखन कार्य किया है। पिक्चर पांडेय शो से वे घर-घर में लोकप्रिय हो गए। रेडियो की दुनिया में पिछले 26 साल से सक्रिय है। अद्भुत और कलात्मक रेडियो जॉकिंग करने के कारण श्रोता वर्ग इनकी ओर आकर्षित होता है। मूलत: इंदौर के रहने वाले अनुराग पांडेय जी के रोजाना साढ़े पाँच करोड़ श्रोता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

रेडियो जॉकी पाठ परिचय :

प्रस्तुत पाठ एक साक्षात्कार है जिसमें आर. जे. अनुराग पांडेय जी ने रेडियो जॉकी के क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसरों की जानकारी दी है। इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए आवश्यक योग्यताएँ तथा सामजिक जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला

रेडियो जॉकी पाठ का सारांश :

‘रेडियो जॉकी’ शब्द ‘रेडियो’ और ‘जॉकी’ इन दो शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है ऐसा कार्यक्रम संचालक जो कुशलतापूर्वक अपने चैनल को और प्रसारित कार्यक्रम को सबसे आगे रखे। एक जमाने में रेडियो जॉकी केवल उद्घोषक (अनाउंसर) होते थे परंतु अब रेडियो इन्फर्मेशन विथ एंटरटेनमेंट हो गया है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी 3

रेडियो जॉकी बनने के लिए स्टाफ सिलेक्शन कमिशन तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ली जाने वाली परीक्षा उत्तीर्ण होनी पड़ती है और इस परीक्षा के लिए स्नातक की उपाधि आवश्यक है। उसके बाद साक्षात्कार करके उम्मीदवार का चयन होता है। आज इस क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसर उपलब्ध हैं।

योग्यता, भाषा पर प्रभुत्व, देश-विदेश की जानकारी, आवाज में उतारचढ़ाव, वाणी में नम्रता आदि गुण, क्षेत्रीय रेडियो स्टेशन पर अनुभव लेकर बड़े रेडियो स्टेशन पर काम करने का अवसर मिल जाता है। रेडियो स्टेशन सिर्फ कला, ज्ञान और प्रस्तुतीकरण की शैली देखकर चयन करते हैं।

रेडियो जॉकी को अपने कान, आँखें निरंतर खुली रखने की जरूरत है। साहित्य और सचामार पत्र पढ़ने चाहिए; सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान चाहिए, साक्षात्कार लेने की कुशलता चाहिए। श्रोता द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों का ज्ञान उसके पास चाहिए। किसी निराश श्रोता को प्रोत्साहित करने के लिए मनोविश्लेषणात्मक ज्ञान चाहिए जिससे श्रोता का मनोबल वह बढ़ा सके।

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रेडियो जॉकी की भाषा सहज, सरल, संतुलित, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए। उसमें वाक्पटुता का गुण हो। उसे तकनीकी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। मनोरंजनात्मक ढंग से लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम भी उसे करना चाहिए क्योंकि प्रसारण के माध्यमों में रेडियो सबसे तेज प्रसारित और प्रेषित करने का सशक्त माध्यम है।

रेडियो का भविष्य उज्ज्वल है और युवा वर्ग को मनोरंजन, जोश से भरपूर इसके विस्तृत क्षेत्र में अपना उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए अपने कदम अवश्य बढ़ाने चाहिए।

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Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी

रेडियो जॉकी शब्दार्थ :

  • संचालक = परिचालक, निदेशक, गति देनेवाला (director),
  • इंफोटेनमेंट = मनोरंजन और सूचनाओं का साथ-साथ संप्रेषण (information with entertainment),
  • साक्षात्कार = भेंटवार्ता (interview),
  • क्षेत्रीय = जनपदीय (Regional),
  • आजीविका = रोजगार, रोजी-रोटी (job, income source),
  • मापदंड = मानक, मापने का पैमाना (criteria),
  • निकष = कसौटी (criteria),
  • निराकरण = निवारण, समाधान (solution),
  • स्वाभाविक = प्राकृतिक (Natural),
  • विचलित = अस्थिर, चंचल, व्याकुल (distracted, restless),
  • वाक्पटुता = बातें करने में चतुर होना (Eloquence oratory),
  • सुदृढ = मजबूत (very strong),
  • शालीन = नम्र (decent),
  • कीर्तिमान = सफलता, यश का सूचक (Record),
  • ध्वनिमुद्रित = अभिलेखन बद्ध, सी.डी., टेप आदि तैयार करना (recording),
  • चुनिंदा = चुना हुआ, श्रेष्ठ, उत्तम, बढ़िया (selected),
  • आयाम = विस्तार (dimension),
  • प्रेरक = प्रेरित करने वाल (motivator)