Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 1

2. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
i. कवि ने इसे पार करने के लिए कहा है – (नदी, पर्वत, सागर)
ii. कवि ने इसे अपनाने के लिए कहा है – (अंधेरे, उजाला, सबेरा)
उत्तर:
i. कवि ने पर्वत को पार करने के लिए कहा है।
ii. कवि ने अंधेरे को अपनाने के लिए कहा है।

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3. ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

  1. जीत का आनंद मिलेगा
  2. बहार
  3. गुरु

उत्तर:

  1. हार की पौड़ा सहने पर क्या मिलेगा?
  2. पतझड़ के बाद कौन मजा देती है?
  3. कवि के अनुसार हार मनुष्य के लिए क्या है?

4. अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। 

प्रश्न 1.
अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि करते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हर आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। हार आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए हार जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

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5. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
पाठ्येतर किसी कविता की उचित आरोह-अवरोह के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति कीजिए।
उत्तर :
मेरा माझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।

पर जो बार-बार बाधा बन कर आएँ
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।

जान-बूझ कर मेरे पथ में आती हैं
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें।

मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ
उतना ही मिलती हैं ये ग्रीवा ताने।

रख अपनी पतवार, कुदाली लेकर मैं
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव बढ़ाए जाता हूँ।

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

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6. भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
“निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए।
उत्तर:

अशुद्ध वाक्यशुद्ध वाक्य
1. वृक्षों का छाया से रहे परे।1. वृक्षों की छाया से रहो परे।
2. पतक्षड़ के बाद मजा देता है2. पतझड़ के बाद मजा देती है बार।
3. फूल के रास्ते को मत अपनाओ।3. फूलों के रास्तों को मत अपनाओ।
4. किनारों से पहले मिला मझधार।4. किनारों से पहले मिले मझधार।
5. बरसाओं मेहनत का बूंदों की फुहार।5. बरसाओ मेहनत की बूंदों का फुहार।
6. जिसने जीवन का दिया संवार।6. जिसने जीवन को दिया सँवार।

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7. रचनात्मकता की ओर कल्पना पल्लवन

प्रश्न 1.
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ इस विषय पर भाषाई सौंदर्यवाले वाक्यों, सुवचन, दोहे आदि का उपयोग करके निबंध/ कहानी लिखिए।
उत्तर:
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।।
हिंदी के रीतिकालीन प्रसिद्ध कवि वृंद की यह प्रसिद्ध पंक्ति हमें कर्म के प्रति प्रेरित करती है। कवि ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपना मत प्रकट करते हुए कहा है कि कोमल रस्सी के बार-बार आने-जाने से सिल अर्थात पत्थर भी घिस जाता है। उसी प्रकार निरंतर अभ्यास करते रहने के कारण जड़-बुद्धि व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है, वह अपने मंजिल को प्राप्त कर लेता है। निरंतर परिश्रम एवं अभ्यास से असंभव कार्य भी संभव हो जाया करते हैं। असफलता भी सफलता बन जाती है।

एक साधक और योगी निरंतर योग का अभ्यास करके परम तत्त्व का दर्शन कर लेता है। अतः एव लगनपूर्वक निरंतर अभ्यास करने वाला सामान्य व्यक्ति भी सफलता के दर्शन कर लेता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि निरंतर अभ्यास करने वाले ही सफलता के उन शिखरों पर पहुंच सके हैं, जो अत्यंत विषम एवं कठिन थे। इसी कारण उनके सम्मुख आज भी दुनिया नतमस्तक हो रही है।

अभ्यास करना एक साधना है और सच्चे मन से की गई साधना कभी व्यर्थ नहीं होती है। निराशा को कभी भी मन में नहीं आने देना चाहिए। अभ्यास ही सौढ़ी-दर-सीढ़ी उस शिखर तक ले जाता है जिसकी सुंदर चौटियाँ बार-बार मन को आकर्षित करके वहाँ तक चले आने के लिए आमंत्रित करती हैं। निश्चित मंजिल तक पक्के निश्चय के साथ बढ़ते ही जाना है। रुकने का अर्थ है अंत, जो कि मृत्यु का प्रतीक है और जीवन का अर्थ है ‘चरैवेतिचरैवेति’ अर्थात निरंतर चलते रहना, गतिशील रहना। इसके लिए आवश्यक है सतत अभ्यास तथा आलस्य और प्रमाद का त्याग।

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8. पाठ के आँगन में

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
‘हर बार कुछ सिखा कर ही गई, सबसे बड़ी गुरु है हार इस पंक्ति द्वारा आपने जाना……………
उत्तर :
इस पंक्ति द्वारा हमने यह जाना कि जब-जब हार हुई उस हार ने अपने पीछे कुछ-न-कुछ सीख जरूर छोड़ी। वह हार क्यों और किन कारणों से हुई, इसे जानने और समझने का मौका मिला। उस झर से प्रेरित होकर ही आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसलिए हार सबसे बड़ी गुरु है।

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प्रश्न 3.
कविता के दूसरे चरण का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हर भी गए तो कोई बात नहीं जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
ऐसे प्रश्न नैवार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द
i. फूलों के रास्ते
ii. वृक्षों को छाया
उत्तर :
i. कवि किस रास्ते को अपनाने के लिए मना कर रहे है?
ii. कवि किससे परे रहने का संदेश दे रहे हैं?

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प्रश्न 3.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति क (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
फूलों के रास्तों को मत अपनाओ,
और वृक्षों की छाया से रहो परे।
रास्ते काँटों के बनाएंगे निडर
और तपती धूपी लाएगी निखार।।
जिंदगी की बड़ी जरूरत है हर….!
उत्तर:
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते है कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की अया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं। जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

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(ख) पद्यांश घड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हरे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सौख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन परिचय : श्री महकी जी का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ। ये इंजीनियरिंग कॉलेज में सहप्राध्यापक हैं। हिंदी और मराठी भाषा के प्रति इनका गहरा लगाव है।
प्रमुख कृतियाँ : गीत और कविताएँ, शोध निबंध आदि।

पद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानीः ‘नवनीत’ हिंदी काव्य-धारा की यह एक नवीन विधा है। ‘नवगीत’ एक यौगिक शब्द है जिसमें नव (नई कविता) और गीत (गीत विधा) का समावेश होता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता ‘जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार के माध्यम से कवि महकी जी ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि जीवन में कभी भी हार एवं असफलता से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हर से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

सारांश :

कवि कहते हैं कि हमें हार से कभी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। ये हार हमें और उन्नत बना देती है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सतत संघर्ष करते रहना चाहिए। जिंदगी में मुसीबतों से गुजरना पड़ता है, काँटो भरी राह पर चलना पड़ता है, ऊँचेऊँचे पर्वतों को पार करना पड़ता है। इनका सामना करते समय कभी-कभी हम हार भी जाते हैं तो कोई बात नहीं। हमें दुबारा फिर प्रयास करना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहिए। हर हमारी सबसे बड़ी गुरु है। उसका आभार प्रकट करना चाहिए क्योंकि ये हर हमारे जीवन का संवार देती है।

सरल अर्थ :

रुला तो …………………………… जरूरत है हार…!
कवि कहते हैं कि जीवन में किसी भी घर से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हटकर उसका सामना करना चाहिए। हर हमें हमेशा रुलाती तो है परंतु अंदर से उन्नत बना देती है अर्थात अमली जीत के लिए और अधिक सतर्क और तैयार कर देती है। किनारा मिलने से पहले हमें मझधार की तेज लहरों का सामना करना चाहिए यानी जीवन की कठिनाइयों एवं मुश्किलों से संघर्ष कर मंजिल हसिल करनी चाहिए। यदि मंजिल प्राप्त करते समय हर हो जाए तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी के लिए बार भी बहुत जरूरी है।

फूलों के …………………………. जरूरत है हार …!
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहे अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएंगे और तपती हुई धूप तुममें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं । जीतने के लिए जिंदगी में झरना भी बहुत जरूरी है।

सरल राह…………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हारे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सीख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

उजालों की ………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर व्यक्ति अपने जीवन में उजाला चाहता है। जीवन में उजाले की उम्मीद करना भी उचित ही है परंतु एक बार अंधेरे को भी तो अपनाओ। उपजाऊ जमीन हो और पानी की उचित व्यवस्था हो तो फसल आसानी से उगाई जा सकती है। परंतु एक बार बिना पानी के बंजर जमीन पर परिश्रम करके अपने पसीने की फुहारें (द) बरसा कर तो देखो। यदि फसल नहीं उगी तो कोई बात नहीं। जिंदगी में हारना भी जरूरी है। इस हार के बाद नए तजुर्बे और उमंग के बल पर तुम पुन: नई फसल उगा लोगे।

जीत का…………………………….. जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर जीत का आनंद भी तभी मिलेगा जब तुम हार के अपार दुखों को सहे रहोगे क्योंकि हर आँसू और दुख के बाद आने वाली मुस्कान चारों तरफ फैल जाती है और पतझड़ के बाद आने वाली वसंत आनंद दाई होती है। इसलिए जिंदगी में हार बहुत जरूरी है क्योंकि हार के बाद मिलने वाली जीत बहुत ही आनंद देने वाली होती है।

आभार प्रकट …………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हार आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। घर आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए सर जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

शब्दार्थ :

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. मझधार – धारा के बीच में
  3. परे – दूर
  4. निडर – निर्भय
  5. निखार – चमक
  6. हौसला – उत्कंठा, उत्साह
  7. तकदीर – भाग्य
  8. जायज – उचित
  9. बंजर – ऊसर, अनुपजाऊ
  10. फुहार – हल्की बौछार, वर्षा
  11. अपार – असीमित
  12. मज़ा – आनंद
  13. बहार – बसंत
  14. आभार – एहसान
  15. संवारना – सजाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 लघुकथाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 लघुकथाएँ Textbook Questions and Answers

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘पर्यावरण संवर्धन’ संबंधी कोई पथ नाट्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः

  • सीमा: अरे देवेश, तुम कैसे हो? आज तुम इतने चिंतित क्यों दिख रहे हो?
  • देवेश: हाँ, मैं पर्यावरण-प्रदूषण को लेकर में थोड़ा चिंतित हूँ।
  • सीमा: मुझे पता है, पृथ्वी प्रदूषण से पीड़ित है और यह प्रदूषण भी दिनोंदिन खतरनाक होता जा रहा है।
  • देवेश: पर्यावरण-प्रदूषण न केवल प्रकृति के लिए खतरनाक है, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों एवं पेड़-पौधों के लिए भी खतरनाक है।
  • सीमा: तुम्हें क्या लगता है कि आगे क्या होने जा रहा है?
  • देवेश: पर्यावरण-प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। यह विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में असंतुलन का कारण बनता है।
  • सीमा: हाँ, हमें हर किसी को इसके हानिकारक प्रभावों से अवगत कराना चाहिए तथा इसके संवर्धन के लिए सबको जागरूक करना चाहिए।
  • देवेश: हमें ‘पर्यावरण-संवर्धन’ के बारे में लोगों को बताना चाहिए।
  • सीमा: लेकिन ये पर्यावरण-संवर्धन कैसे होगा?
  • देवेश: सीमा, प्रदूषण
  • मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा-प्रदूषण और जल प्रदूषण। जल प्रदूषण को रोकने के लिए हमें नदियों के पानी को गंदा नहीं
  • करना चाहिए। साफ पानी में कचरा नहीं फेकना चाहिए।
  • सीमा: वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है?
  • देवेश: कल कारखानों से उठने वाली जहरीली गैसों से वायु में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है इस समस्या को दूर करने के लिए कलकारखानों को शहरों से दूर बनाना चाहिए, तथा मृदा प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में कीटनाशक तथा औद्योगिक कचरा फेंकने के कारण होता है। इसे हमें रोकना चाहिए।
  • सीमा: यह तो बड़ी खतरनाक स्थिति है!
  • देवेश: हाँ बहुत खतरनाक! अगर हम इन प्रदूषणों को शीघ्र दूर नहीं करेगें तो यह पर्यावरण की समस्या और बढ़ती ही जाएगी।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

लेखनीय:

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की जानकारी प्राप्त करके लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश की ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी’ भारतीय सशस्त्र सेना की एक संयुक्त अकादमी है। जहाँ तीनों सेनाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एक साथ प्रशिक्षित किया जाता है। यह महाराष्ट्र के पुणे के करीब खड़कवासला में स्थित है। यहाँ के छात्रों ने अपनी वीरता से पूरे देश के सम्मान में चार चाँद लगाया है। इस अकादमी की शुरूआत 1 जनवरी 1949 को देहरादून में ‘आर्मड फोर्सेस अकादमी’ के नाम से किया गया। 6 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा रक्षा अकादमी की नींव रखी गई। औपचारिक रूप से 7 दिसम्बर 1954 को इसे प्रारंभ किया गया। 16 जनवरी 1955 को वायु सेना अकादमी को भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल किया गया। इस अकादमी में लिखित परीक्षा द्वारा आवेदकों का चयन किया जाता है तथा चिकित्सा परीक्षण के साथ-साथ विस्तृत साक्षात्कार का सामना करना पड़ता है।

वे कैडेट जिन्हें स्वीकार किया जाता है और जो सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम को पूरा करते हैं उन्हें उनके संबंधित सेवा में अधिकारियों के रूप में कमीशन किया जाता है। कैडेट अपने तीन वर्ष के अध्ययन के बाद डिग्री प्राप्त करता है। कैडेटों के पास अध्ययन की दो-धाराओं का विकल्प होता है -विज्ञान संकाय और कला संकाय। इसके अलावा कैडेटों को एक विदेशी भाषा लेनी होती है। यह विशेष बात है कि कैडेटों को विदेशी भाषा के अलावा इन सभी विषयों में बुनियादी शिक्षा लेनी पड़ती हैं। सभी कैडेट जो सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम को पूरा करते हैं उन्हें सशस्त्र बलों में अधिकारी के रूप में कमीशन किया जाता है।

इसलिए सैन्य नेतृत्व और प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके अलावा कैडेटों को बाहरी गतिविधियों का चुनाव करना होता है। जिसमें पैरा-ग्लाइडिंग, नौकायन, तलवारबाजी, घुड़सवारी आदि। इस अकादमी के कई छात्रों ने महत्वपूर्ण संघर्षों में देश का नेतृत्व किया है। इसलिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी हमारे देश की सुरक्षा प्रणाली का आधार स्तंभ है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

कृति क (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. शिक्षक
2. बेटी
उत्तर:
1. शिक्षिका
2. बेटा

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. शिक्षक
2. मैं
उत्तर:
1. शिक्षकगण
2. हम

कृति क (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘सैनिक हमारे देश की रीढ़’ विषय पर अपने विचार 6 से 8 वाक्यों में लिखिए।
उत्तर:
“मातृभूमि का मान बढ़ाए जो, होता सैनिक वह सच्चा है, जिसको स्वदेश से प्यार नहीं, उस नर से पशु ही अच्छा है।” सैनिक एक सच्चा देशभक्त होता है। वह पूरे तन-मन से देश के प्रति समर्पित रहता है। हमें भारतीय सैनिकों का सम्मान करना चाहिए। उनकी भावनाओं का आदर करना चाहिए। सैनिक ही वह शक्ति है, जिसके बल पर हम चैन की नींद सोते हैं। देश की सुरक्षा के लिए हमारे भारतीय सैनिक अपनी जान की बाजी लगा देते हैं और हम उनका सम्मान करना ही भूल जाते हैं। आजकल तो भारतीय सैनिक पर भी राजनेता राजनीति करते हैं, यह शर्म का विषय है। हमें अपने सैनिकों का आदर हृदय से करना चाहिए।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. राजेश काका साब को यह समझा रहा था –
2. सबको घर में यह खटक रहा था –
उत्तर:
1. कार रखने में दिक्कत आएगी, पेड़ तो कटवाना ही पडेगा न!
2. बाउंड्रीवाल में बाधक बन रहा नीम का पेड़।

सही विधान चुनकर पूर्ण वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
काका साब की चुप्पी राजेश को……
(क) अच्छी लग रही थी।
(ख) बुरी लग रही थी।
(ग) खल रही थी।
उत्तर:
काका साब की चुप्पी राजेश को खल रही थी।

प्रश्न 2.
राजेश ने कनखियों से…….
(क) प्रतीक को देखा।
(ख) काका को देखा।
(ग) नीम के पेड़ को देखा।
उत्तर:
राजेश ने कनखियों से काका को देखा।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द युग्मों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर:
1. देखते-देखते
2. कहते-कहते

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

प्रश्न 2.
गद्यांश से विरुद्धार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
1. कभी-कभी x …….
2. अव्यवस्था x …….
उत्तर:
1. हमेशा
2. व्यवस्था

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘वृक्षों को काटकर हम अपनी जीवनडोर काटते हैं।’ इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वृक्ष हमारी प्राकृतिक संपदा है। लेकिन मानव इतना स्वार्थी बन गया है कि उसने खुद के फायदे के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई करनी शुरू कर दी है। उन्हें काटकर हम अपनी जीवनडोर काट रहे हैं। यदि हम वृक्षों को काटेंगे तो नुकसान हमारा ही होने वाला है। वृक्षों की कटाई करने से प्रदूषण बढ़ रहा है। वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण वर्षा अनियमित रूप से हो रही है। प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ गया है। आज कई जीव नष्ट हो गए हैं और कई नष्ट होने की कगार पर हैं। इससे पर्यावरण-संतुलन भी खतरे में पड़ गया है।

लघुकथाएँ Summary in Hindi

लेखिका-परिचय:

जीवन-परिचय: लेखिका ज्योति जैन का जन्म मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर में हुआ था। इन्होंने विशेषतः कथा साहित्य एवं समीक्षा के क्षेत्र में लेखन किया है। इनकी रचनाएँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।

प्रमुख कृतियाँ: लघुकथा संग्रह – ‘जल तरंग’, ‘कहानी संग्रह’, ‘भोरवेला’

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

गद्य-परिचय:

लघुकथा: हिंदी साहित्य में लघुकथा एक नवीनतम विधा है। यह किसी बहुत बड़े परिदृश्य में से एक विशेष क्षण/प्रसंग को प्रस्तुत करने का चातुर्य है। इसका विषय पूरी तरह से विकसित होता है; किंतु किसी उपन्यास से कम विस्तृत होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत लघुकथा ‘दावा’ में लेखिका ने अप्रत्यक्ष रूप से सैनिकों के योगदान को देश के लिए सर्वोपरि बताया है। नीम का
पेड़’ लघुकथा में लेखिका ने यह सीख दी है कि पर्यावरण के साथ-साथ हमें बड़ों की भावनाओं का आदर करना चाहिए।

सारांश:

दावा: देशभक्ति के दावे की बहस में समाज का हर वर्ग (शिक्षक, चिकित्सक, इंजीनियर, बिजनेसमैन, किसान, नेता इत्यादि स्वयं को बड़े त्यागी होने का दावा पेश कर रहा था। जब रिटायर्ड फौजी से पूछा गया तो उसने सिर्फ यही कहा कि ‘किस बिना पर कुछ कहूँ। मेरे पास तो कुछ नहीं, तीनों बेटे पहले ही फौज में शहीद हो गए हैं।’

नीम का पेड़: राजेश के घर में गैरेज बनाने के लिए उसके काका के मना करने के बाद भी नीम का पेड़ काटे जाने की बात की जाती है। उसी समय उसका बेटा प्रतीक अपने पिता को एक पौधा भेंट करते हुए कहता है कि पापा आज मैं ‘फादर्स डे’ के दिन आपके लिए ये गिफ्ट लाया हूँ। इसे ऐसी जगह लगाएँ जहाँ भविष्य में इसे कोई काटे नहीं। राजेश को अपनी गलती का अहसास होता है और वह नीम के पेड़ को कटवाने का विचार छोड़ देता है।

शब्दार्थ:

  1. नौनिहाल – होनहार बच्चे
  2. चिकित्सक – चिकित्सा करने वाला वैद्य
  3. खादीधारी – खादी पहनने वाले
  4. योगदान – किसी काम में साथ देना
  5. शहीद – शहादत देने वाला
  6. बाउंड्रीवाल – चहारदीवारी
  7. खटकना – मन में किसी अनहोनी का डर होना
  8. दिक्कत – तकलीफ, परेशानी
  9. खलना – चुभना, बुरा लगना

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मुहावरे:

  1. धीरे-धीरे खिसकना – चुपके से दूसरे की नजर बचाकर निकल जाना।
  2. पेश करना – प्रस्तुत करना।
  3. दावा जताना – अधिकार जताना।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Sanskrit Solutions Amod Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः

Sanskrit Amod Std 10 Digest Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः Textbook Questions and Answers

भाषाभ्यासः

1. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत ।

प्रश्न अ.
चारणा: किमर्थम् उत्सुका: ?
‌उत्तरम्‌ :
‌चारणा:‌ ‌पृथुनृपस्य‌ ‌स्तुति‌ ‌गातुम्‌ ‌उत्सुकाः‌ ‌।‌

प्रश्न आ.
भ्रमणसमये पृथुराजेन किं दृष्टम् ?
‌उत्तरम्‌ :
भ्रमणसमये‌ ‌पृथुराजेन‌ ‌दृष्टं‌ ‌यत्‌ ‌प्रजा:‌ ‌अतीव‌ ‌कृशाः‌ ‌अशक्ता:‌‌ च।‌ ‌ता:‌ ‌पशुवत्‌ ‌जीवन्ति।‌ ‌निकृष्टान्नं‌ ‌खादन्ति।‌ ‌

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प्रश्न इ.
वसुन्धरायाः उदरे किं वर्तते?
‌उत्तरम्‌ :
वसुन्धरायाः‌ ‌उदरे‌ ‌धनधान्यादि‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌वर्तते।‌

प्रश्न ई.
स्त्रीरूपं धृत्वा पृथुनृपस्य पुरतः का प्रकटिता अभवत् ?
उत्तरम्‌ ‌:
स्त्रीरूपं‌ ‌धृत्वा‌ ‌पृथुनृपस्य‌ ‌पुरतः‌ ‌भूमिः‌ ‌प्रकटिता‌ ‌अभवत्।‌

प्रश्न उ.
पृथुवैन्यः कृषिकार्यार्थं जलस्य व्यवस्थापनं कथम् अकरोत् ?
उत्तरम्‌ ‌:
‌पृथुवैन्यस्य‌ ‌नि:स्पृहताम्‌ ‌अजानन्‌ ‌स्तुतिगायकाः‌ ‌प्रसन्नाः‌‌ अभवन्‌ ‌च।‌

2. माध्यमभाषया उत्तरत।

प्रश्न अ.
भूमाता पृथुवैन्यं किम् उपादिशत् ?
उत्तरम्‌ ‌:
‌आद्यकृषक:‌ ‌पृथुवैन्यः‌ ‌हा‌ ‌पाठ‌ ‌म्हणजे‌ ‌पृथु‌ ‌राजाच्या‌‌ कृषिविषयक‌ ‌कार्याचा‌ ‌प्रारंभ‌ ‌व‌ ‌त्याचा‌ ‌विकास‌ ‌याचा‌ ‌इतिहास‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करणारी‌ ‌आख्यायिका‌ ‌आहे.‌‌

एकदा‌ ‌पृथु‌ ‌राजा‌ ‌त्याच्या‌ ‌राज्यात‌ ‌फिरत‌ ‌असताना‌ ‌त्याने‌ ‌प्रजेला‌ ‌दयनीय‌ ‌अवस्थेत‌ ‌पाहिले.‌ ‌त्याच्या‌ ‌राज्यातील‌ ‌लोक‌ ‌हलक्या‌ ‌प्रतीच्या‌ ‌अन्नामुळे‌ ‌क्षीण,‌ ‌अशक्त‌ ‌झाले‌ ‌होते.‌ ‌हे‌ ‌पाहून‌ ‌राजाचे‌ ‌मन‌ ‌द्रवले‌ ‌व‌ ‌तो‌ ‌चिंताग्रस्त‌ ‌झाला.‌‌

पुरोहितांच्या‌ ‌सांगण्यानुसार‌ ‌त्याने‌ ‌पृथ्वीमधून‌ ‌धन-धान्य‌ ‌बाहेर‌ ‌काढण्याकरिता‌ ‌धनुष्य‌ ‌सज्ज‌ ‌केले.‌ ‌तेव्हा‌ ‌पृथ्वीने‌ ‌स्वी-रूप‌ ‌धारण‌ ‌केले‌ ‌व‌ ‌राजाला‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌करण्याचा‌ ‌आदेश‌ ‌दिला.‌‌ भूमातेने‌ ‌नांगर,‌ ‌कुदळ,‌ ‌फावडे,‌ ‌कोयता‌ ‌या‌ ‌उपकरणांच्या‌ ‌साहाय्याने‌ ‌राजाला‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌करण्यास‌ ‌सांगितले.‌ ‌भूमातेने‌ ‌राजाला‌ ‌त्याच्या‌ ‌अन्यायी‌ ‌वडिलांचा‌ ‌संदर्भ‌ ‌दिला‌ ‌तसेच‌ ‌त्यावेळी‌ ‌राजाच्या‌ ‌सदाचरणाचे‌ ‌कौतुक‌ ‌केले‌ ‌आणि‌ ‌राजाच्या‌ ‌कृषिकार्यावर‌ ‌तिची‌ ‌कृपा‌ ‌होईल,‌ ‌असे‌ ‌आश्वासन‌ ‌दिले.‌

‌आद्यकृषक:‌ ‌पृथुवैन्यः‌ ‌is‌ ‌the‌ ‌legend‌ ‌that‌‌ reveals‌ ‌the‌ ‌history‌ ‌of‌ ‌Pruthu’s‌ ‌initiation‌ ‌of‌ ‌agricultural‌ ‌work‌ ‌and‌ ‌civilization‌‌ Once,‌ ‌king‌ ‌was‌ ‌wandering‌ ‌in‌ ‌his‌ ‌kingdom.‌ ‌He‌ ‌saw‌ ‌the‌ ‌pitiable‌ ‌condition‌ ‌of‌ ‌his‌ ‌subjects.‌ ‌His‌ ‌subjects‌ ‌were‌ ‌thin‌ ‌and‌ ‌weak‌ ‌due‌ ‌to‌ ‌low-quality‌ ‌food.‌ ‌The‌ ‌king’s‌ ‌heart‌ ‌melted‌ ‌with‌ ‌compassion‌ ‌and‌ ‌mind‌ ‌was‌ ‌filled‌ ‌with‌ ‌worry.‌‌

On‌ ‌the‌ ‌advice‌ ‌of‌ ‌a‌ ‌priest,‌ ‌he‌ ‌set‌ ‌the‌ ‌bow.‌ ‌When‌ ‌he‌ ‌was‌ ‌about‌ ‌to‌ ‌take‌ ‌out‌ ‌wealth‌ ‌and‌ ‌grains‌ ‌from‌ ‌the‌ ‌earth,‌ ‌the‌ ‌earth‌ ‌disguised‌ ‌as‌ ‌a‌ ‌woman‌ ‌and‌ ‌advised‌ ‌him‌ ‌to‌ ‌do‌ ‌agricultural‌ ‌work.‌‌

The‌ ‌earth‌ ‌advised‌ ‌the‌ ‌king‌ ‌to‌ ‌work‌ ‌with‌ ‌the‌ ‌help‌ ‌of‌ ‌hoe,‌ ‌plough,‌ ‌spade,‌ ‌sickles‌ ‌along‌ ‌with‌ ‌his‌ ‌subjects.‌ ‌She‌ ‌reminded‌ ‌the‌ ‌king‌ ‌of‌ ‌his‌ ‌father‌ ‌who‌ ‌was‌ ‌the‌ ‌corrupt‌ ‌king.‌ ‌She‌ ‌praised‌ ‌the‌ ‌king’s‌ ‌righteous‌ ‌behaviour‌ ‌and‌ ‌assured‌ ‌him‌ ‌with‌ ‌her‌ ‌favour‌ ‌in‌ ‌agricultural‌ ‌work.‌‌

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प्रश्न आ.
धरित्र्याः उपदेशं मनसि निधाय पृथुवैन्यः किं किम् अकरोत् ?
उत्तरम्‌ ‌:
आद्यकृषकः‌ ‌पृथुवैन्यः‌ ‌हा‌ ‌पाठ‌ ‌म्हणजे‌ ‌पृथु‌ ‌राजाच्या‌ ‌कृषिविषयक‌ ‌कार्याचा‌ ‌प्रारंभ‌ ‌व‌ ‌त्याचा‌ ‌विकास‌ ‌याचा‌ ‌इतिहास‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करणारी‌ ‌आख्यायिका‌ ‌आहे.‌‌

राजाने‌ ‌नदीचा‌ ‌मार्ग‌ ‌अडविला‌ ‌व‌ ‌ते‌ ‌पाणी‌ ‌कृषिकार्यासाठी‌ ‌उपयोगात‌ ‌आणले.‌ ‌पावसाच्या‌ ‌पाण्याचा‌ ‌संचय‌ ‌करून‌ ‌पाण्याचे‌ ‌व्यवस्थापन‌ ‌केले.‌ ‌जमिनीला‌ ‌सुपीक‌ ‌करण्यासाठी‌ ‌राजाने‌ ‌विशेष‌ ‌प्रयत्न‌ ‌केले.‌ ‌नंतर‌ ‌लोकांनी‌ ‌धान्याच्या‌ ‌बिया‌ ‌पेरल्या.‌ ‌राजाने‌ ‌सुद्धा‌ ‌विविध‌ ‌प्रकारची‌ ‌बी-बियाणे‌ ‌गोळा‌ ‌करून,‌ ‌त्याचे‌ ‌संस्करण‌ ‌केले‌ ‌व‌ ‌प्रयत्नपूर्वक‌ ‌त्याची‌ ‌पेरणी‌ ‌केली.‌ ‌पाऊस‌ ‌झाल्यानंतर‌ ‌धान्यांत‌ ‌अंकुर‌ ‌फुटला.‌ ‌राजाच्या‌ ‌परिश्रमामुळे‌ ‌धान्यलाभ‌ ‌झाला‌ ‌व‌ ‌सगळी‌ ‌प्रजा‌ ‌अतिशय‌ ‌आनंदित‌ ‌झाली.‌‌

आद्यकृषक:‌ ‌पृथुवैन्य:‌ ‌is‌ ‌the‌ ‌legend‌ ‌that‌ ‌reveals‌ ‌the‌ ‌history‌ ‌of‌ ‌Pruthu’s‌ ‌initiation‌ ‌of‌ ‌agricultural‌ ‌work‌ ‌and‌ ‌civilization.‌‌
The‌ ‌king‌ ‌obstructed‌ ‌the‌ ‌river’s‌ ‌path‌ ‌for‌ ‌agricultural‌ ‌work.‌ ‌He‌ ‌stored‌ ‌the‌ ‌rain‌ ‌water‌ ‌and‌ ‌did‌ ‌the‌ ‌water-management.‌ ‌He‌ ‌took‌ ‌special‌ ‌efforts‌ ‌to‌ ‌make‌ ‌the‌ ‌land‌ ‌fertile.‌ ‌Afterwards,‌ ‌people‌ ‌sowed‌ ‌the‌ ‌seeds‌ ‌of‌ ‌grains.‌ ‌The‌ ‌king‌ ‌gathered‌ ‌varied‌ ‌seeds,‌ ‌refined‌ ‌it‌ ‌and‌ ‌sowed‌ ‌with‌ ‌efforts.‌ ‌After‌ ‌the‌ ‌rains,‌ ‌the‌ ‌sprouts‌ ‌were‌ ‌germinated‌ ‌and‌ ‌all‌ ‌subjects‌ ‌became‌ ‌happy‌ ‌by‌ ‌the‌ ‌gain‌ ‌of‌ ‌grains.‌‌

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3. जालरेखाचित्रं पूरयत ।

प्रश्न अ.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 1
उत्तरम्‌ ‌:
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 5

प्रश्न आ.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 2
उत्तरम्‌ ‌:
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 6

प्रश्न इ.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 3
उत्तरम्‌ ‌:
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 7

 

4. पाठ्यांशं पठित्वा प्रवाहिजालं पूरयत ।

प्रश्न 1.
पाठ्यांशं पठित्वा प्रवाहिजालं पूरयत ।
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 4
उत्तरम्‌ ‌:
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 8

5. प्रश्ननिर्माणं कुरुत ।

‌प्रश्न अ.
‌प्रयागक्षेत्रे‌ ‌पृथुराजस्य‌ ‌राजधानी‌ ‌आसीत्।‌ ‌
उत्तरम्‌ :
‌कुत्र‌ ‌पृथुराजस्य‌ ‌राजधानी‌ ‌आसीत्?‌

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‌प्रश्न आ.‌ ‌
प्रजा:‌ ‌पशुवत्‌ ‌जीवन्ति।‌
‌उत्तरम्‌ :
‌प्रजाः‌ ‌कथं‌ ‌जीवन्ति?‌

प्रश्न इ. ‌
धनधान्यादि‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌वसुन्धरावा:‌ ‌उदर‌ ‌एव‌ ‌वर्तते।‌
‌उत्तरम्‌ :
‌धनधान्यादि‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌कस्याः‌ ‌उदर‌ ‌एव‌ ‌वर्तते?‌‌

प्रश्न ई.
पर्जन्यानन्तरं बीजेभ्यः अङ्कुराः उद्भूताः।
‌उत्तरम्‌ :
पर्जन्यानन्तरं‌ ‌केभ्यः‌ ‌अङकुराः‌ ‌उद्भूता:?‌‌

6. सूचनानुसारं कृती: कुरुत ।

प्रश्न अ.
पृथुवैन्यस्य नि:स्पृहतां ज्ञात्वा स्तुतिगायकाः प्रसन्नाः अभवन्। (पूर्वकालवाचक-त्वान्त-अव्ययं निष्कासयत ।)
उत्तरम्‌ ‌:
पृथुवैन्यस्य नि:स्पृहताम् भवान अजानन् स्तुतिगयकाः प्रसन्नाः अभवान् च ।

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प्रश्न आ.
त्वं प्रयत्नेन कृषिकार्यं करोषि । (‘त्वं’ स्थाने ‘भवान्’ योजयत ।)
उत्तरम्‌ ‌:
भवान्‌ प्रयत्नेन कृषिकार्यं करोति ।

प्रश्न इ.
‌त्वं‌ ‌धनुः‌ ‌त्यज।‌
‌उत्तरम्‌ :
‌भवान्‌ ‌धनुः‌ ‌त्यजतु।‌

प्रश्न ई.
भूमातुः उपदेशं मनसि निधाय पृथुवैन्यः कृषिकार्यम् अकरोत् । (‘भूमातुः’ स्थाने ‘भूमि’ शब्दस्य योग्य रूपं लिखत ।)
‌उत्तरम्‌ :
‌भूम्या:‌ ‌भूमेः‌ ‌उपदेशं‌ ‌मनसि‌ ‌निधाय‌ ‌पृथुवैन्यः‌ ‌कृषिकार्यम्‌‌ अकरोत्।

प्रश्न उ.
प्रजाजनैः सह कृषिकार्यं कुरु । (लकारं लिखत) ।
‌उत्तरम्‌ :

  1. ‌लङ्लकार:‌
  2. लट्लकार:‌ ‌
  3. ‌लृट्लकार:‌‌
  4. ‌लोट्लकार:‌‌

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7. मेलनं कुरुत ।

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः 9
‌उत्तरम्‌ :

विशेषणम्विशेष्यम्
कृशाःप्रजाः
उर्वराभूमिः
आनन्दिताःप्रजाजना:
दःशासकःवेनः
प्रजाहितदक्षःपृथुः

8. समानार्थकशब्दं लिखत । वृक्षः, भूमिः, राजा, धनुः, नदी ।

प्रश्न 1.
समानार्थकशब्दं लिखत । वृक्षः, भूमिः, राजा, धनुः, नदी ।
उत्तरम्‌ ‌:

  1. वृक्षः – तरुः,‌ ‌महीरुहः,‌ ‌पादपः,‌ ‌द्रुमः‌ ‌।‌ ‌
  2. ‌भूमिः‌ – ‌पृथिवी,‌ ‌पृथ्वी,‌ ‌धरा,‌ ‌वसुन्धरा,‌ ‌अवनी,‌ ‌मही,‌‌ मेदिनी,‌ ‌क्षमा,‌ ‌गोत्रा,‌ ‌कुः।‌
  3. राजा : – भूपालः,‌ ‌महीपतिः,‌ ‌नरेशः,‌ ‌नृपः,‌ ‌भूपः।‌ ‌
  4. ‌धनुः‌ ‌-‌ ‌त्रिणता,‌ ‌चापः,‌ ‌शरासनः,‌ ‌कोदण्डः।‌
  5. नदी -‌ ‌तटिनी,‌ ‌निम्नगा,‌ ‌आपगा,‌ ‌सरित्।‌

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9. विरुद्धार्थकशब्दं लिखत । स्तुतिः, सद्गुणाः, प्रसन्नाः, अशक्ताः, पुरतः, कृशाः ।

प्रश्न 1.
विरुद्धार्थकशब्दं लिखत । स्तुतिः, सद्गुणाः, प्रसन्नाः, अशक्ताः, पुरतः, कृशाः ।
उत्तरम्‌ ‌:

  1. ‌स्तुतिः‌ ‌×‌ ‌निन्दा
  2. ‌सद्गुणाः‌ ×‌ ‌दुर्गुणाः‌ ‌
  3. ‌प्रसन्नाः‌ ‌×‌ ‌खिन्नाः,‌ ‌दुःखिताः,‌ ‌विषण्णाः‌
  4. ‌अशक्ता:‌ ‌×‌ ‌सशक्ताः‌
  5. पुरतः × ‌पश्चात्,‌ ‌पृष्ठतः
  6. कृशाः‌ ‌×‌ ‌पीवराः‌

10. कः कं वदति ?

प्रश्न अ.
तिष्ठन्तु चारणाः ।
उत्तरम्‌ ‌:
पृथुवैन्यः‌ ‌चारणान्‌ ‌वदति।‌

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प्रश्न आ.
तत्प्राप्तुं यतस्व ।
उत्तरम्‌ ‌:
‌पुरोहितः‌ ‌पृथुवैन्यं‌ ‌वदति‌ ‌।‌

प्रश्न इ.
तव पिता दुःशासकः।
उत्तरम्‌ ‌:
(for‌ ‌all‌ ‌sentences)‌ ‌भूमिः‌ ‌पथुवैन्यं‌ ‌वदति।‌ ‌

प्रश्न ई.
अत: धनुः त्यज ।
उत्तरम्‌ ‌:
(for‌ ‌all‌ ‌sentences)‌ ‌भूमिः‌ ‌पथुवैन्यं‌ ‌वदति।‌ ‌

11. सन्धिविग्रहं कुरुत ।

प्रश्न अ.
उदर एव
उत्तरम्‌ ‌:
उदर‌ ‌एव‌ ‌-‌ ‌उदरे‌ ‌+‌ ‌एव।‌

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प्रश्न आ.
पशुवज्जीवन्ति
उत्तरम्‌ ‌:
‌पशुवज्जीवन्ति‌ ‌-‌ ‌पशुवत्‌ ‌+‌ ‌जीवन्ति‌ ‌।‌

प्रश्न इ.
अशक्ताश्च
उत्तरम्‌ ‌:
‌अशक्ताश्च‌ ‌-‌ ‌अशक्ता‌ ‌:‌ ‌+‌ ‌च।‌

प्रश्न ई.
पुरोहितोऽवदत् ।
उत्तरम्‌ ‌:
पुरोहितोऽवदत्‌ ‌-‌ ‌पुरोहितः‌ ‌+‌ ‌अवदत्।‌‌

12. अमरकोषात् शब्दं प्रयुज्य वाक्यं पुनर्लिखत ।

प्रश्न अ.
भूमिः स्त्रीरूपं धृत्वा प्रकटिता ।
उत्तरम्‌ ‌:
‌गोत्रा‌ ‌/‌ ‌कु:‌ ‌।‌ ‌पृथिवी‌ ‌/‌ ‌पृथ्वी‌ ‌/‌ ‌क्ष्मा‌ ‌/‌ ‌अवनिः‌ ‌/‌ ‌मेदिनी‌ ‌/‌ ‌मही‌ ‌स्त्रीरूपं‌ ‌धृत्वा‌ ‌प्रकटिता।‌ ‌

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प्रश्न आ.
भूपालः पृथुवैन्य: नाम धरायाः प्रथम: अभिषिक्तः सम्राट् ।
उत्तरम्‌ ‌:
‌राट्‌ ‌/‌ ‌पार्थिवः‌ ‌/‌ ‌क्षमाभृत्‌ ‌/‌ ‌नृपः‌ ‌/‌ ‌भूपः‌ ‌/‌ ‌महीक्षित्‌ ‌पृथुवैन्य:‌ ‌नाम‌ ‌धरायाः‌ ‌प्रथमः‌ ‌अभिषिक्तः‌ ‌सम्राट्।‌‌

Sanskrit Amod Class 10 Textbook Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः Additional Important Questions and Answers

अवबोधनम्‌ :

(क) उचितं‌ ‌कारणं‌ ‌चित्वा‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखत।‌ ‌

प्रश्न 1.
स्तुतिगायकाः‌ ‌प्रसन्नाः‌ ‌अभवन्‌ ‌यतः‌ ‌
(अ)‌ ‌पाठकाः‌ ‌राज्ञः‌ ‌प्रशंसाम्‌ ‌अकुर्वन्‌ ‌।‌‌
(ब)‌ ‌स्तुतिपाठकाः‌ ‌राज्ञः‌ ‌निःस्पृहताम्‌ ‌अजानन्।‌
‌उत्तरम्‌ ‌
(ब)‌ ‌स्तुतिपाठका:‌ ‌राज्ञः‌ ‌नि:स्पृहताम्‌ ‌अजानन्।‌

प्रश्न 2.‌
‌प्रजाः‌ ‌अतीव‌ ‌कृशाः‌ ‌अशक्ता:‌ ‌च‌ ‌यतः‌‌
(अ)‌ ‌ताः‌ ‌पशुवज्जीवन्ति‌ ‌निकृष्टानं‌ ‌खादन्ति‌ ‌च।‌‌
(ब)‌ ‌ता:‌ ‌मिष्टान्नं‌ ‌खादन्ति।‌
‌उत्तरम्‌
‌(अ)‌ ‌ता:‌ ‌पशुवज्जीवन्ति‌ ‌निकष्टानं‌ ‌खादन्ति‌ ‌च।‌ ‌

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प्रश्न 3.
पृथुवैन्यः‌ ‌स्वप्रजाः‌ ‌दृष्ट्वा‌ ‌चिन्ताकुल:‌ ‌जात:‌ ‌यतः‌‌
(अ)‌ ‌तस्य‌ ‌प्रजाजनाः‌ ‌परस्परं‌ ‌वादविवादं‌ ‌कुर्वन्ति।‌‌
(ब)‌ ‌तस्य‌ ‌प्रजाजना:‌ ‌पशुवत्‌ ‌जीवन्ति।‌ ‌
उत्तरम्‌
‌(ब)‌ ‌तस्य‌ ‌प्रजाजनाः‌ ‌पशुवत्‌ ‌जीवन्ति‌ ‌।‌‌

(ख)‌ ‌उचितं‌ ‌पर्यायं‌ ‌चित्वा‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखत।‌ ‌

1. ‌प्रजा:‌ ‌अतीव‌ ‌……………. आसन्।‌ ‌(कृशाः‌ ‌/‌ ‌सुदृवाः)‌ ‌
2.‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌………….‌ ‌उदरे‌ ‌एव‌ ‌वर्तते।‌ ‌(धरायाः‌ ‌/‌ ‌सूर्यस्य‌)
‌उत्तरम्‌ :
‌1.‌ कशाः‌
‌2.‌ ‌धराया:‌

(ग)‌ ‌कः‌ ‌कं‌ ‌वदति‌ ‌।‌

‌प्रश्न 1.
स्तवनं‌ ‌तु‌ ‌ईश्वरस्यैव‌ ‌भवेत्।‌
उत्तरम्‌ :
पृथुवैन्यः‌ ‌चारणा‌‌ बदति।‌

‌(घ)‌ ‌पूर्णवाक्येन‌ ‌उत्तरत।‌

प्रश्न 1.
‌कः‌ ‌धरायां‌ ‌प्रथम:‌ ‌अभिषिक्तः‌ ‌सम्राट्?‌
‌उत्तरम्‌
‌भूपालः‌ ‌पृथुवैन्य:‌ ‌धरायां‌ ‌प्रथम:‌ ‌अभिषिक्तः‌ ‌सम्राट्।‌‌

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प्रश्न 2.‌
‌पृथुनृपस्य‌ ‌राजधानी‌ ‌कुत्र‌ ‌आसीत्?‌ ‌
उत्तरम्‌ :
पृथुनृपस्य‌ ‌राजधानी‌ ‌प्रयागक्षेत्रे‌ ‌आसीत्।‌

प्रश्न 3.
के‌ ‌पृथुनृपस्य‌ ‌स्तुति‌ ‌गातुमुत्सुकाः?‌ ‌
उत्तरम्‌ ‌:
चारणाः‌ ‌पृथुनृपस्य‌ ‌स्तुतिं‌ ‌गातुमुत्सुकाः।‌

प्रश्न 4. ‌
‌स्तुतिगायकाः‌ ‌किं‌ ‌ज्ञात्वा‌ ‌प्रसन्नाः‌ ‌अभवन्?‌ ‌/‌ ‌स्तुतिगायका:‌‌ किमर्थ‌ ‌प्रसन्नाः‌ ‌अभवन्?‌ ‌
उत्तरम्‌ ‌
स्तुतिगायका:‌ ‌पृथुनृपस्य‌ ‌नि:स्पृहतां‌ ‌ज्ञात्वा‌ ‌प्रसन्नाः‌ ‌अभवन्।‌

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प्रश्न 5.
पृथुः‌ ‌चारणान्‌ ‌किम्‌ ‌आज्ञापयत्?‌
‌उत्तरम्‌ ‌
पृथुः‌ ‌चारणान्‌ ‌स्थातुम्‌ ‌आज्ञापयत्‌ ‌अकथयत्‌ ‌च‌ ‌यावत्‌ ‌पृथो:‌‌ सद्गुणा:‌ ‌न‌ ‌प्रकटीभवन्ति‌ ‌तावत्‌ ‌सः‌ ‌न‌ ‌स्तोतव्यः‌ ।‌ ‌
स्तवनं‌‌ तु‌ ‌ईश्वरस्य‌ ‌एव‌ ‌भवेत्।‌ ‌

प्रश्न 6.
‌राजा‌ ‌किमर्थ‌ ‌चिन्ताकुलः‌ ‌जातः?‌ ‌
उत्तरम्‌ :
‌प्रजावा:‌ ‌दैन्यावस्थां‌ ‌दृष्ट्वा‌ ‌राजा‌ ‌चिन्ताकुलः‌ ‌जातः‌ ‌।‌

प्रश्न 7.
‌चिन्ताकुलं‌ ‌राजानं‌ ‌पुरोहितः‌ ‌किम्‌ ‌अवदत्‌ ‌?‌
‌उत्तरम्‌
‌चिन्ताकुलं‌ ‌राजानं‌ ‌पुरोहितः‌ ‌अवदत,‌ ‌”हे‌ ‌राजन्,‌ ‌धनधान्यादि‌‌ सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌वस्तुत:‌ ‌वसुन्धराया:‌ ‌उदरे‌ ‌एवं‌ ‌वर्तते‌ ‌।‌ ‌तत्प्राप्तुं‌‌

प्रश्न 8.
‌‌एषः‌ ‌गद्यांश:‌ ‌कस्मात्‌ ‌पाठात्‌ ‌उद्धृतः?‌
उत्तरम्‌
‌एषः‌ ‌गद्यांश:‌ ‌आद्यकृषक:‌ ‌पृथुवैन्यः‌ ‌पाठात्‌ ‌उद्धृतः।‌

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‌(च)‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखित्वा‌ ‌सत्यम्‌ ‌/‌ ‌असत्यम्‌ ‌इति‌ ‌लिखत।‌‌

प्रश्न 1.

  1. पृथुवैन्यः‌ ‌नाम‌ ‌धरायाम्‌ ‌आदिम:‌ ‌सम्राट्।‌ ‌
  2. ‌स्तवनं‌ ‌तु‌ ‌मानवस्यैव‌ ‌भवेत्।‌ ‌
  3. स्तुतिगायकाः‌ ‌पृथुनृपस्य‌ ‌नि:स्पृहतां‌ ‌ज्ञात्वा‌ ‌विषण्णा:‌ ‌अभवन्।‌‌
  4. पृथुराजेन‌ ‌दृष्टं‌ ‌यत्‌ ‌प्रजाः‌ ‌अतीव‌ ‌सशक्ताः‌ ‌।‌‌
  5. प्रजा:‌ ‌पशुवत्‌ ‌जीवन्ति।‌
  6. धनधान्यादि‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌वसुन्धराया:‌ ‌जठरे‌ ‌एव‌ ‌वर्तते।‌ ‌

उत्तरम्‌ ‌:

  1. सत्यम्।‌ ‌
  2. ‌असत्यम्।‌
  3. ‌असत्यम्।‌
  4. ‌असत्यम्।‌‌
  5. ‌सत्यम्।‌ ‌
  6. ‌सत्यम्।‌‌

शब्दज्ञानम्‌ ‌

(क)‌ ‌सन्धिविग्रहः।‌

  1. ‌गातुमुत्सुकाः‌ ‌-‌ ‌गातुम्‌ ‌+‌ ‌उत्सुकाः‌ ‌।‌
  2. ‌तावदहम्‌ ‌-‌ ‌तावत्‌ ‌+‌ ‌अहम्।‌
  3. ‌ईश्वरस्यैव‌ ‌.‌ ‌ईश्वरस्य‌ ‌+‌ ‌एव‌ ‌।‌
  4. ‌तत्प्राप्तुम्‌ ‌-‌ ‌तत्‌ ‌+‌ ‌प्राप्तुम्।‌

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‌(ख)‌ ‌विशेषण‌ ‌-‌ ‌विशेष्य‌ ‌-‌ ‌सम्बन्धः।‌‌

विशेषणम्‌विशेष्यम्‌
1.‌ प्रथमः‌‌सम्राट‌
2. ‌अभिषिक्तः‌समाट्‌
3. प्रसन्नाः‌‌स्तुतिगायकाः‌‌
4. प्रजाः‌‌कृशाः‌
5. प्रजाः‌‌अशक्ताः‌‌
6. राजा‌‌चिन्ताकुल:‌

‌(ग)‌ ‌चान्त-ल्यबन्त-तुमन्त-अव्ययानि।‌

‌त्वान्त‌ ‌अव्यय‌‌ धातु‌ ‌+‌ ‌त्वा / ध्या / टवा / ‌ढवा ‌/ इत्वा / अयित्वातुमन्त‌ ‌अव्यय‌ ‌‌ ‌धातु‌ ‌+‌ ‌तुम् / धुम् / टुम् / ढुम् / ‌ ‌ ‌इतुम् / अयितुम्‌‌
दृष्ट्वा,‌ ‌ज्ञात्वागातुम,‌ ‌प्राप्तुम्‌

विभक्त्यन्तरूपाणि।‌

  • ‌प्रथमा‌ ‌-‌ ‌भूपालः,‌ ‌सम्राट्,‌ ‌राजधानी,‌ ‌चारणाः,‌ ‌अहम्,‌‌ ‌गायकाः,‌ ‌प्रजाः,‌ ‌ताः,‌ ‌राजा,‌ ‌पुरोहितः।‌
  • ‌द्वितीया‌ ‌-‌ ‌अन्नम्,‌ ‌सर्वम्।‌ ‌
  • तृतीया‌ ‌-‌ ‌तेन।‌ ‌
  • षष्ठी‌ ‌-‌ ‌नृपस्य,‌ ‌मम,‌ ‌ईश्वरस्य,‌ ‌वसुन्धरायाः।‌ ‌
  • सप्तमी‌ ‌-‌ ‌धरायाम,‌ ‌क्षेत्रे,‌ ‌राज्याभिषेकसमये,‌ ‌स्वराज्ये।‌
  • ‌सम्बोधन‌ ‌-‌ ‌हे‌ ‌राजन्।‌‌

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(च) लकारं‌ ‌लिखत।‌

प्रश्न 1.

  1. पृथुराजः‌ ‌स्वराज्ये‌ ‌भ्रमणम्‌ ‌अकरोत्।‌ ‌
  2. ‌ता:‌ ‌मजा:‌ ‌पशुवत्‌ ‌जीवन्ति‌ ‌।‌
  3. तत्‌ ‌प्राप्तुं‌ ‌यतस्व।‌
  4. ‌तिष्ठन्तु‌ ‌चारणाः।‌ ‌

उत्तरम्‌ ‌:

  1. ‌लङ्लकारः‌
  2. ‌लट्लकारः‌
  3. लोट्लकार:‌‌
  4. लोट्लकारः

पृथक्करणम्‌ ‌:

प्रश्न 1.

  1. ‌भ्रमणसमये‌ ‌तेन‌ ‌दृष्टं‌ ‌यत्‌ ‌प्रजा:‌ ‌अतीव‌ ‌कृशाः‌ ‌अशक्ता:‌ ‌च।‌
  2. ‌पुरोहितेन‌ ‌उपायः‌ ‌कथितः।‌ ‌
  3. ‌तत्‌ ‌दृष्ट्वा‌ ‌राजा‌ ‌चिन्ताकुलः‌ ‌जातः।‌
  4. ‌एकदा‌ ‌पृथुराज:‌ ‌स्वराज्ये‌ ‌भ्रमणम्‌ ‌अकरोत्।‌ ‌

उत्तरम्‌ ‌:

  1. ‌एकदा‌ ‌पृथुराजः‌ ‌स्वराज्ये‌ ‌भ्रमणम्‌ ‌अकरोत्।‌‌
  2. ‌भ्रमणसमये‌ ‌तेन‌ ‌दृष्टं‌ ‌यत्‌ ‌प्रजा:‌ ‌अतीव‌ ‌कृशा:‌ ‌अशक्ता:‌ ‌च।‌‌
  3. ‌तत्‌ ‌दृष्ट्वा‌ ‌राजा‌ ‌चिन्ताकुलः‌ ‌जातः‌ ‌।‌
  4. ‌पुरोहितेन‌ ‌उपाय:‌ ‌कथितः।‌‌

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भाषाभ्यासः

(क)‌ ‌समानार्थकशब्दाः‌‌ :

  1. ‌सम्राट्‌ ‌.‌ ‌अधिराजः,‌ ‌राजेन्द्रः,‌ ‌सार्वभौमः।‌‌
  2. चारणा:‌ ‌-‌ ‌स्तुतिपाठकाः।‌
  3. ‌स्तुतिः‌ ‌-‌ ‌स्तवनम्,‌ ‌प्रशंसा।‌
  4. ‌ईश्वरः‌ ‌-‌ ‌देवः,‌ ‌भगवान्,‌ ‌सुरः।‌ ‌
  5. प्रसन्नाः‌ ‌-‌ ‌सन्तुष्टाः,‌ ‌आनन्दिताः।‌‌
  6. भ्रमणम्‌ ‌-‌ ‌अटनम्।‌ ‌
  7. ‌कृश:‌ ‌-‌ ‌क्षीणः।‌ ‌
  8. ‌अशक्तः‌ ‌-‌ ‌दुर्बलः।‌
  9. ‌दृष्ट्वा‌ ‌-‌ ‌अवलोक्य,‌ ‌विलोक्य,‌ ‌वीक्ष्य।‌
  10. ‌चिन्ताकुलः‌ ‌-‌ ‌चिन्ताग्रस्त:,‌ ‌चिन्तितः,‌ ‌चिन्ताक्रान्तः।‌

(ख)‌ ‌विरुद्धार्थकशब्दाः‌

‌उत्सुकाः‌ ×‌ ‌अनुत्सुकाः।‌

अवबोधनम्।‌‌

(क)‌ ‌उचितं‌ ‌कारणं‌ ‌चित्वा‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखत।‌ ‌

प्रश्न 1.
‌भूम्या‌ ‌धनधान्यपुष्यफलानि‌ ‌स्व-उदरे‌ ‌निहितानि‌ ‌यतः‌‌
(अ)‌ ‌वेनभूपः‌ ‌दुःशासकः‌ ‌आसीत्।‌‌
(ब)‌ ‌भूमि:‌ ‌स्वभावेन‌ ‌कृपणा‌ ‌आसीत्।‌
‌उत्तरम्‌
‌(अ)‌ ‌वेनभूप:‌ ‌दुःशासकः‌ ‌आसीत्।‌ ‌

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प्रश्न 2.
पृथुभूपेन‌ ‌स्वधनुः‌ ‌सज्जीकृतं‌ ‌यतः‌‌
(अ)‌ ‌सः‌ ‌शनुं‌ ‌हन्तुम्‌ ‌इच्छति‌ ‌स्म।‌
(ब)‌ ‌सः‌ ‌धनधान्यादि‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌वसुन्धरायाः‌ ‌प्राप्तुम्‌‌ इच्छति‌ ‌स्म।‌ ‌
उत्तरम्‌
‌(ब)‌ ‌सः‌ ‌धनधान्यादि‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तुजातं‌ ‌वसुन्धरायाः‌ ‌प्राप्तुम्‌‌ इच्छति‌ ‌स्म।‌

‌(ख)‌ ‌उचितं‌ ‌पर्यायं‌ ‌चित्वा‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखत।‌

प्रश्न 1.
1. ‌पथभूपेन‌ ‌…………… ‌सज्जीकृतम्‌ ‌।‌ ‌(धनुः‌ ‌/‌ ‌कुद्दालकम्)‌
‌2.‌ ‌दुःशासक:‌ ‌नृपः‌ ‌………… ‌।‌ ‌(वेनराजः‌ ‌/‌ ‌पृथुवैन्य:)‌
‌उत्तरम्‌
1. ‌धनुः‌ ‌
2.‌ ‌वेनराज:‌

(घ)‌ ‌पूर्णवाक्येन‌ ‌उत्तरत।‌ ‌

प्रश्न 1.‌
केन‌ ‌धनुः‌ ‌सज्जीकृतम्‌ ‌?‌
‌उत्तरम्‌
‌पृथभूपेन‌ ‌धनुः‌ ‌सज्जीकृतम्।‌

प्रश्न 2.‌ ‌
कया‌ ‌धनधान्यपुष्पफलानि‌ ‌उदरे‌ ‌निहितानि?‌
‌उत्तरम्‌
‌भूम्या‌ ‌धनधान्यपुष्पफलानि‌ ‌उदरे‌ ‌निहितानि।‌

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प्रश्न 3.
‌कः‌ ‌दुःशासकः?‌ ‌
उत्तरम्‌
‌पृथुराजस्य‌ ‌पिता‌ ‌बेनराज‌ ‌:‌ ‌दुःशासकः‌ ‌।‌ ‌

प्रश्न 4.
भूमिः‌ ‌राजानं‌ ‌कृषिकार्यस्य‌ ‌कानि‌ ‌साधनानि‌ ‌उक्तवती?‌
‌उत्तरम्‌
‌भूमिः‌ ‌राजानं‌ ‌खनित्राणि,‌ ‌हलाः,‌ ‌कुहालकानि,‌ ‌लवित्राणि‌ ‌च‌‌ एतानि‌ ‌साधनानि‌ ‌उक्तवती।‌

‌(च)‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनलिखित्वा‌ ‌सत्यम्‌ ‌असत्यम्‌ ‌इति‌ ‌लिखत।‌

प्रश्न 1.

  1. ‌भूमिः‌ ‌नररूपम्‌ ‌अधारयत्।‌ ‌
  2. ‌वेनराजः‌ ‌दुःशासकः‌ ‌आसीत्।‌ ‌
  3. ‌वेनराजः‌ ‌राजधर्मस्य‌ ‌उल्लङ्घनम्‌ ‌अकरोत्।‌ ‌
  4. ‌पृथुः‌ ‌प्रजाहितदक्षः‌ ‌नृपः‌ ‌।‌

‌उत्तरम्‌

  1. ‌असत्यम्।‌
  2. ‌सत्यम्।‌
  3. ‌सत्यम्।‌
  4. ‌सत्यम्।‌‌

शब्दज्ञानम्‌ ‌:

(क)‌ ‌सन्धिविग्रहः‌‌

नाकरोत्‌ ‌-‌ ‌न‌ ‌+‌ ‌अकरोत्।‌ ‌

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(ख)‌ ‌विशेषण‌ ‌-‌ ‌विशेष्य‌ ‌-‌ ‌सम्बन्धः।‌‌

विशेषणम्‌विशेष्यम्‌
1. दुःशासकः‌वेनराज:‌
2. प्रजाहितदक्षः‌‌नृपः,‌ ‌पृथुः‌
3. प्रसन्ना‌‌भूमिः‌

‌(ग)‌ ‌त्वान्त-ल्यबन्त-तुमन्त-अव्ययानि।‌‌

त्वान्त‌ ‌अव्यय‌ ‌धातु‌ ‌+‌ ‌त्वा/ध्या/ट्वा/वा/इत्वा/अयित्वा
धृत्वा,‌ ‌गृहीत्वा‌

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(घ)‌ ‌विभक्त्यन्तरूपाणि।‌‌

  • प्रथमा‌ ‌-‌ ‌भूमिः,‌ ‌पिता,‌ ‌नृपः,‌ ‌अहम्।‌
  • द्वितीया‌ ‌-‌ ‌धनुः,‌ ‌फलानि,‌ ‌खनित्राणि,‌ ‌हलान्,‌ ‌कुद्दालकानि,‌‌
  • लवित्राणि।‌ ‌तृतीया‌ ‌-‌ ‌भूपेन,‌ ‌मया,‌ ‌प्रयत्नेन,‌ ‌प्रजाजनैः।‌ ‌
  • पशमी‌ ‌-‌ ‌भयात्।‌
  • ‌षष्ठी‌ ‌-‌ ‌तस्य,‌ ‌राजधर्मस्य।‌
  • ‌सप्तमी‌ ‌-‌ ‌हस्ते।‌

(च) ‌लकारं‌ ‌लिखत।‌‌

  1. भूमि:‌ ‌तस्य‌ ‌पुरत:‌ ‌प्रकटिता‌ ‌अभवत्।‌ ‌
  2. ‌यदि‌ ‌त्वं‌ ‌प्रयत्नेन‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌करोथि।‌ ‌
  3. ‌तर्हि‌ ‌अहं‌ ‌प्रसन्ना‌ ‌भविष्यामि‌ ‌।‌‌
  4. प्रजाजनैः‌ ‌सह‌ ‌कृषिकार्यं‌ ‌कुरु।‌ ‌

‌उत्तरम्‌ :

  1. ‌लङ्लकार:‌
  2. ‌लट्लकार:‌ ‌
  3. ‌लृट्लकार:‌‌
  4. ‌लोट्लकार:‌‌

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‌क्रमेण‌ ‌योजयत।

प्रश्न 1.

  1. ‌पुरोहितस्य‌ ‌उपदेशकथनम्।‌ ‌
  2. ‌पृथुभूपस्य‌ ‌धनुः‌ ‌सज्जीकरणम्।‌‌
  3. भूमेः‌ ‌कृषिकार्यस्य‌ ‌उपदेशनम्।‌‌
  4. भूमेः‌ ‌स्वीरूपं‌ ‌धृत्वा‌ ‌प्रकटनम्।‌

उत्तरम्‌ :

  1. पुरोहितस्य‌ ‌उपदेशकथनम्।‌‌
  2. ‌पृथुभूपस्य‌ ‌धनुः‌ ‌सज्जीकरणम्।‌
  3. ‌भूमेः‌ ‌स्त्रीरूपं‌ ‌धृत्वा‌ ‌प्रकटनम्।‌ ‌
  4. ‌भूमेः‌ ‌कृषिकार्यस्य‌ ‌उपदेशनम्।‌‌

भाषाभ्यास:

‌(क)‌ ‌समानार्थकशब्दाः‌ ‌

  1. मेदिनी,‌ ‌क्षमा,‌ ‌गोत्रा,‌ ‌कुः।‌ ‌स्त्री‌ ‌-‌ ‌नारी,‌ ‌वनिता,‌ ‌महिला,‌ ‌योषित्।‌‌
  2. पिता‌ ‌-‌ ‌जनकः,‌ ‌तातः,‌ ‌जन्मदाता।‌ ‌
  3. ‌चोरः‌ ‌-‌ ‌चौरः,‌ ‌स्तेन:,‌ ‌तस्करः,‌ ‌पाटच्चर:,‌ ‌लुण्ठकः।‌
  4. ‌धनम्‌ ‌-‌ ‌वित्तम्,‌ ‌द्रव्यम्,‌ ‌सम्पत्तिः।‌‌
  5. धान्यम्‌ ‌-‌ ‌सस्यम्।‌‌
  6. पुष्पम्‌ ‌-‌ ‌शिरीषम्,‌ ‌सुमनम्,‌ ‌सुमम्,‌ ‌कुसुमम्।‌ ‌

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‌(ग)‌ ‌त्वं’‌ ‌इति‌ ‌स्थाने‌ ‌’भवान्’‌ ‌योजयत‌ ‌।‌ ‌

प्रश्न 1.
‌त्वं‌ ‌तु‌ ‌प्रजाहितदक्ष:‌ ‌नृपः‌ ‌असि।
‌उत्तरम्‌ :
भवान् तु ‌प्रजाहितदक्ष: नृपः‌ अस्थि

प्रश्न 2.
‌त्वं‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌कुरु।‌
‌उत्तरम्‌ ‌:
भवान्‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌करोतु।‌ ‌

(घ)‌ ‌लृट्‌ ‌स्थाने‌ ‌लिङ्‌ ‌प्रयोगं‌ ‌कुरुत।‌

प्रश्न 1.
‌अहं‌ ‌प्रसन्ना‌ ‌भविष्यामि।‌ ‌
उत्तरम्‌
‌अहं‌ ‌प्रसन्ना‌ ‌भवेयम्।‌‌

‌अवबोधनम्‌ :

(क)‌ ‌उचितं‌ ‌कारणं‌ ‌चित्वा‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखत‌ ‌।‌‌
पृथुभूपस्य‌ ‌प्रजाजना:‌ ‌सन्तुष्टाः‌ ‌अभवन्‌ ‌यतः‌ …………..
‌(अ)‌ ‌ते‌ ‌प्रभूतं‌ ‌धान्यम्‌ ‌अलभन्त।‌‌
(ब)‌ ‌ते‌ ‌प्रभूतं‌ ‌सुवर्णम्‌ ‌अलभन्त।‌
‌उत्तरम्‌ :
‌(अ)‌ ‌ते‌ ‌प्रभूतं‌ ‌धान्यम्‌ ‌अलभन्त।‌

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‌(ख)‌ ‌उचितं‌ ‌पर्यायं‌ ‌चित्वा‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनर्लिखत‌ ‌।‌

प्रश्न 1.
1. ………….‌ ‌बीजेभ्यः‌ ‌अङ्कुराः‌ ‌उद्भूताः।‌‌ (पर्जन्यानन्तरं‌ ‌/‌ ‌शीतकालानन्तरं)‌ ‌
2. ……………‌ ‌प्रजाजनाः‌ ‌सन्तुष्टा‌ ‌:‌ ‌अभवन्।‌‌ (धनलाभेन‌ ‌/‌ ‌धान्यलाभेन)‌ ‌
उत्तरम्‌ ‌
1. ‌पर्जन्यानन्तरं‌ ‌
2.‌ ‌धान्यलाभेन‌

‌(ग)‌ ‌वाक्यं‌ ‌पुनलिखित्वा‌ ‌सत्यम्‌ ‌/‌ ‌असत्यम्‌ ‌इति‌ ‌लिखत।‌‌

प्रश्न 1.

  1. पृथुवैन्यः‌ ‌भूमिम्‌ ‌अनुर्वराम्‌ ‌अकरोत्।‌ ‌
  2. ‌पृथुवैन्यः‌ ‌उद्यमेन‌ ‌बीजाना‌ ‌सङ्कलनम्‌ ‌अकरोत्।‌‌
  3. ‌पर्जन्यानन्तरम्‌ ‌अकुरेभ्य:‌ ‌बीजानि‌ ‌उद्भूतानि।‌
  4. ‌प्रजाजनाः‌ ‌विषण्णाः‌ ‌अभवन्।‌

उत्तरम्‌ :‌

  1. ‌असत्यम्।‌ ‌
  2. ‌सत्यम्।‌ ‌
  3. ‌असत्यम्।‌
  4. असत्यम्।‌

‌(घ)‌ ‌पूर्णवाक्येन‌ उत्तरत।‌

प्रश्न 1.
‌जना:‌ ‌कुत्र‌ ‌धान्यबीजानि‌ ‌अवपन्?‌ ‌
उत्तरम्‌ ‌:
‌जना:‌ ‌क्षेत्रे‌ ‌धान्यबीजानि‌ ‌अवपन्।‌ ‌

प्रश्न 2.
कदा‌ ‌बीजेभ्य:‌ ‌अकुराः‌ ‌उद्भूताः?‌ ‌
उत्तरम्‌
‌पर्जन्यानन्तरं‌ ‌बीजेभ्यः‌ ‌अङ्कुरा:‌ ‌उद्भूताः।‌ ‌

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प्रश्न 3.
पृथुवैन्यः‌ ‌कृषिकार्यार्थ‌ ‌जलस्य‌ ‌व्यवस्थापन‌ ‌कथम्‌ ‌अकरोत्?‌
‌उत्तरम्‌
‌पृथुवैन्यः‌ ‌वृष्टिजलसायं‌ ‌कृत्वा‌ ‌जलव्यवस्थापनम्‌ ‌अकरोत्।‌ ‌

प्रश्न 4.
प्रजाजना:‌ ‌केन/कथं‌ ‌सन्तुष्टाः‌ ‌अभवन्‌ ‌?‌ ‌
उत्तरम्‌ ‌
धान्यलाभेन‌ ‌प्रजाजनाः‌ ‌सन्तुष्टाः‌ ‌अभवन्।‌‌

शब्दज्ञानम्‌ ‌-‌

‌(क)‌ ‌सन्धिविग्रहः‌‌

स‌ ‌नैकेभ्यः‌ ‌-‌ ‌स:‌ ‌+‌ ‌नैकेभ्यः।‌‌

(ख)‌ ‌विशेषण‌ ‌-‌ ‌विशेष्य‌ ‌-‌ ‌सम्बन्धः‌ ‌।‌‌

विशेषणम्‌विशेष्याम
1. उर्वरतमाम्/उर्वरा‌भूमिम्‌‌/भूमि
2. ‌नैकेभ्यः‌‌वृक्षाभ्यां
3. विविधप्रकारकाणाम्‌बीजानाम्‌‌
4. ‌सन्तुष्टा:/आनन्दिताः‌‌प्रजाजना:
5. कल्याणकारी‌नृपः‌
6. ‌अग्रणी:‌‌नृपः‌
7. जनसेवाव्रतीनृपः‌

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(ग)‌‌ त्वान्त-ल्यबन्त-तुमन्त-अव्ययानि।‌‌

त्वान्त‌ ‌अव्यय‌ धातु‌ ‌+‌ ‌त्वा / ध्या / टवा / ढवा / इत्वा अयित्वा‌‌‌ल्यबन्त‌ ‌अव्यय‌ ‌‌ ‌उपसर्ग‌ ‌+‌ ‌धातु +‌ ‌य / त्य‌ ‌तुमन्त‌ ‌अव्यय‌ ‌धातु‌ ‌+‌ ‌तुम् / धुम्‌ ‌टुम् / दुम्‌ ‌इतुम् /‌‌ अयितुम्‌
कृत्वा‌‌निधाय,‌ ‌अवरुध्य‌‌कर्तुम्‌‌

(घ) विभक्त्यन्तरूपाणि।‌ ‌

  1. ‌तृतीया‌ ‌-‌ ‌परिश्रमेण,‌ ‌धान्यलाभेन।‌
  2. ‌पञ्चमी‌ ‌-‌ ‌बीजेभ्य:‌ ‌वृक्षेभ्यः।‌
  3. षष्ठी‌ ‌-‌ ‌भूमातुः,‌ ‌नदीनाम,‌ ‌जलस्य,‌ ‌बीजानाम्।‌
  4. ‌सप्तमी‌ ‌-‌ ‌मनसि,‌ ‌तस्मिन,‌ ‌क्षेत्रे,‌ ‌प्रशासने,‌ ‌पृथिव्याम्।‌

‌(च)‌ ‌लकारं‌ ‌लिखत।‌‌

प्रश्न 1.
1. जना:‌ ‌धान्यबीजानि‌ ‌अवपन्।‌
‌2.‌ ‌पृथुवैन्यः‌ ‌भूमिम्‌ ‌उर्वरतमां‌ ‌कर्तुं‌ ‌प्रायतत।‌ ‌
उत्तरम्‌ ‌:
1. ‌ लङ्लकार:‌
‌2.‌ ‌लङ्लकार:‌ ‌

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भाषाभ्यास:‌‌

(क)‌ ‌समानार्थकशब्दाः‌

  1. मनसि‌ ‌-‌‌ अन्त:करणे,‌ ‌चेतसि,‌ ‌चित्ते,मानसे।‌‌
  2. निधाय‌ ‌-‌ ‌हित्वा।‌‌
  3. ‌मार्गः‌ ‌-‌ ‌पन्थाः,‌ ‌सरणिः‌ ‌।‌‌
  4. जलम्‌ -‌ ‌तोयम्,‌ ‌नीरम्,‌ ‌अम्बु,‌ ‌उदकम्,‌ ‌वारि।‌
  5. ‌सञ्चयम्‌ ‌-‌ ‌सङ्कलनम्।‌ ‌बीजानि‌ ‌-‌ ‌सस्यानि।‌‌
  6. ‌कल्याणकारी‌ ‌-‌ ‌हितकारी।‌

‌(ख)‌ ‌विरुद्धार्थकशब्दाः‌

  1. उपयोग:‌ ×‌ ‌निरुपयोगः‌ ‌।‌ ‌
  2. ‌उर्वरा‌ ×‌ ‌अनुर्वरा/वन्ध्या‌ ‌।‌
  3. ‌लाभ:‌ ×‌ ‌हानिः‌ ‌।‌‌

लेखनकौशलम्‌ ‌

उपपद‌ ‌-‌ ‌विभक्तिः‌ ‌-‌ ‌अव्ययानां‌ ‌धातूनां‌ ‌च‌ ‌उपयोगः‌‌

क्र.‌ धातुः /‌ ‌अव्ययम्‌
1. पुरतः‌ ‌-‌ ‌in‌ ‌front‌ ‌of
2. ‌सह -‌ ‌with‌‌

विभक्तिः‌ ‌उदाहरणम्‌‌

षष्ठी – भूमिः‌ ‌स्त्रीरूपं‌ ‌धृत्वा‌ ‌तस्य‌ ‌पुरत:‌ ‌प्रकटिता‌ ‌अभवत्।‌
‌तृतीया‌ – ‌प्रजाजनैः‌ ‌सह‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌कुरु।‌‌

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समासा:‌‌

समस्तपदम्‌‌अर्थ:‌‌समासविग्रहः‌समासनाम‌‌
प्रयागक्षेत्रम्‌‌place‌ ‌named‌ ‌प्रयाग‌‌प्रयागं‌ ‌नाम‌ ‌/‌ ‌इति‌ ‌क्षेत्रम्।‌‌कर्मधारय‌ ‌समास‌
‌विविधबीजानि‌various‌ ‌seeds‌‌विविधानि‌ ‌बीजानि।‌‌कर्मधारय‌ ‌समास‌
धनधान्यपुष्पफलानि‌wealth,‌ ‌grains,‌ ‌flowers‌ ‌and‌ ‌fruits‌‌धनानि‌ ‌च‌ ‌धान्यानि‌ ‌च‌ ‌पुष्पाणि‌ ‌च‌ ‌फलानि‌ ‌च।‌‌इतरेतर‌ ‌द्वन्द्व‌ ‌समास‌
चिन्ताकुल:‌‌perturbed‌ ‌with‌ ‌worry‌‌चिन्तया‌ ‌आकुलः।‌‌तृतीया‌ ‌तत्पुरुष‌ ‌समास‌
चोरलुण्ठकभयम्‌‌‌fear‌ ‌from‌ ‌thieves‌ ‌and‌ ‌robbers‌‌चोरलुण्ठकाभ्यां/चोरलुण्ठकेभ्यः‌ ‌भयम्।‌‌पञ्चमी‌ ‌तत्पुरुष‌ ‌समास‌‌
जलव्यवस्थापनम्‌management‌ ‌of‌ ‌water‌‌जलस्य‌ ‌व्यवस्थापनम्।‌षष्ठी‌ ‌तत्पुरुष‌ ‌समास‌
प्रजाहितदक्षः‌‌alert‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌subjects’‌ ‌welfare‌‌प्रजाहिते‌ ‌दक्षः।‌‌सप्तमी‌ ‌तत्पुरुष‌ ‌समास‌
‌कल्याणकारी‌‌‌does‌ ‌welfare‌‌‌कल्याणं‌ ‌करोति‌ ‌इति।‌‌‌उपपद‌ ‌तत्पुरुष‌ ‌समास‌‌

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः

आधकृषकः पृयुवैयः Summary in Marathi ‌and English

‌प्रस्तावना :

  1. ‌भारत‌ ‌हा‌ ‌कृषिप्रधान‌ ‌देश‌ ‌आहे.‌ ‌देशाच्या‌ ‌समग्र‌ ‌सामाजिक‌‌ व‌ ‌आर्थिक‌ ‌उभारणीमध्ये‌ ‌कृषी‌ ‌(शेती)‌ ‌महत्त्वाची‌ ‌भूमिका‌ ‌बजावते.‌
  2. ‌वेन‌ ‌राजाचा‌ ‌पुत्र,‌ ‌पृथुवैन्य/पृथु‌ ‌राजाने‌ ‌शेतीविषयक‌ ‌कार्याचे‌ ‌संशोधन‌ ‌केले;‌ ‌त्याचा‌ ‌प्रारंभ‌ ‌करून‌ ‌विकास‌ ‌केला.‌‌
  3. ‌पृथु‌ ‌राजाच्या‌ ‌कार्यस्मरणार्थ‌ ‌वसुंधरेस‌ ‌पृथ्वी‌ ‌असे‌ ‌संबोधले‌ ‌जाते.‌
  4. ‌प्रस्तुत‌ ‌भाग,‌ ‌म्हणजे‌ ‌पृथु‌ ‌राजाने‌ ‌केलेल्या‌ ‌कृषिविषयक‌ ‌कार्याचा‌ ‌प्रारंभ‌ ‌तसेच‌ ‌कृषी‌ ‌संस्कृती‌ ‌याचे‌ ‌विवरण‌ ‌करणारी‌ ‌आख्यायिका‌ ‌आहे.‌‌

Introduction‌‌ ‌:

  1. ‌India‌‌ ‌is‌ ‌an‌ ‌agriculture-based‌ ‌country.‌ ‌Agriculture‌ ‌plays‌ ‌a‌ ‌significant‌ ‌role‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌socio-economic‌ ‌fabric‌ ‌of‌ ‌the‌ ‌country.
  2. Agricultural‌ ‌work‌ ‌was‌ ‌invented,‌ ‌initialised‌ ‌and‌ ‌developed‌ ‌by‌ ‌the‌ ‌king‌ ‌Pruthuminya‌ ‌who‌ ‌was‌ ‌the‌ ‌son‌ ‌of‌ ‌Vena.‌ ‌
  3. Pruthu‌ ‌(T)‌ ‌is‌ ‌considered‌ ‌to‌ ‌be‌ ‌the‌ ‌first‌ ‌consecrated‌ ‌king‌ ‌of‌ ‌the‌ ‌earth.‌ ‌The‌ ‌earth‌ ‌is‌ ‌known‌ ‌as‌ ‌Prithvi,‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌memory‌ ‌of‌ ‌Pruthu’s‌ ‌work.‌‌
  4. The‌ ‌given‌ ‌extract‌ ‌is‌ ‌the‌ ‌legend‌ ‌that‌ ‌reveals‌ ‌the‌ ‌history‌ ‌of‌ ‌Pruthu’s‌ ‌initiation‌ ‌of‌ ‌agricultural‌ ‌work‌ ‌and‌ ‌civilization.‌‌

परिच्छेदः‌‌ 1.

भूपाल:‌‌ ……..‌‌ यतस्त।‌‌

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अनुवादः

‌राजा‌ ‌पृथुवैन्य‌ ‌म्हणजे‌ ‌पृथ्वीवरील‌ ‌सर्वप्रथम‌ ‌अभिषिक्त‌ ‌सम्राट‌ ‌(होय.)‌‌ प्रयागक्षेत्रात‌ ‌पृथु‌ ‌राजाची‌ ‌राजधानी‌ ‌होती.‌ राज्याभिषेकासमयी,‌ ‌भाट‌ ‌(स्तुतिपाठक)‌ ‌पृथु‌ ‌राजाची‌ ‌स्तुती‌ ‌गाण्यास‌ ‌उत्सुक‌ ‌होते.‌ नंतर,‌ ‌पृथु‌ ‌राजाने‌ ‌आदेश‌ ‌दिला,‌ ‌”कृपया‌ ‌भाटांनी‌ ‌थांबावे!‌ ‌जोपर्यंत‌ ‌माझ्यातील‌ ‌सद्गुणांचे‌ ‌दर्शन‌ ‌होत‌ ‌नाही,‌ ‌तोपर्यंत‌ ‌माझी‌ ‌स्तुती‌ ‌केली‌ ‌जाऊ‌ ‌नये.‌ ‌ईश्वराचेच‌ ‌स्तवन‌ ‌व्हावे.”‌ ‌पृथु‌ ‌राजाची‌ ‌अशी‌ ‌नि:स्पृह‌ ‌(नि:स्वार्थी)‌ ‌वृत्ती‌ ‌जाणून‌ ‌स्तुतिपाठक‌ ‌संतुष्ट‌ ‌झाले.‌ ‌एकदा‌ ‌पृथु‌ ‌राजा‌

‌त्याच्या‌ ‌राज्यात‌ ‌भ्रमण‌ ‌करत‌ ‌होता.‌ ‌त्याने‌ ‌फिरताना‌ ‌पाहिले‌ ‌की,‌ ‌त्याची‌ ‌प्रजा‌ ‌क्षीण‌ ‌(बारीक)‌ ‌व‌ ‌अशक्त‌ ‌झाली‌ ‌आहे.‌‌ ते‌ ‌प्रजाजन‌ ‌प्राण्याप्रमाणे‌ ‌आयुष्य‌ ‌जगत‌ ‌होते.‌ ‌(ते)‌ ‌हलक्या‌ ‌दर्जाचे/कमी‌ ‌प्रतीचे‌ ‌अन्न‌ ‌खात‌ ‌होते.‌ ‌ते‌ ‌पाहून‌ ‌राजा‌ ‌चिंताग्रस्त‌ ‌झाला.‌ ‌तेव्हा‌  ‌पुरोहित‌ ‌(उपाध्याय)‌ ‌म्हणाले,‌ ‌”हे‌ ‌राजा,‌ ‌खरेतर‌ ‌धन‌ ‌(समृद्धी),‌ ‌धान्य‌ ‌इत्यादी‌ ‌सर्व‌ ‌वस्तू‌ ‌धरणीच्या‌ ‌पोटातच‌ ‌असतात.‌ ‌(वास‌ ‌करतात.)‌‌ (कृपया)‌ ‌त्या‌ ‌प्राप्त‌ ‌करण्यासाठी‌ ‌तू‌ ‌प्रयत्न‌ ‌कर.”‌‌

The‌ ‌king‌ ‌named‌ ‌पृदुवैन्य‌ ‌was‌ ‌the‌ ‌first‌ ‌coronated‌ ‌(enthroned)‌ ‌emperor‌ ‌on‌ ‌the‌ ‌earth.‌  ‌The‌ ‌King‌ ‌पृथु’s‌ ‌capital‌ ‌was‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌region‌ ‌of‌ ‌प्रयाग.‌ ‌

The‌ ‌bards‌ ‌were‌ ‌eager‌ ‌to‌ ‌praise‌ ‌king‌ पृथु‌ ‌at‌ ‌the‌ ‌time‌ ‌of‌ ‌coronation.‌ ‌ Then‌ ‌पृथु‌ ‌ordered,‌ ‌”May‌ ‌the‌ ‌bards‌ ‌stop‌ ‌(praising‌ ‌me)!‌ ‌As‌ ‌long‌ ‌as‌ ‌my‌ ‌virtues‌ ‌are‌ ‌not‌ ‌manifested‌ ‌(don’t‌ ‌appear)‌ ‌till‌ ‌then‌ ‌I‌ ‌am‌ ‌not‌ ‌worthy‌ ‌of‌ ‌praise‌ ‌(appreciation).‌ ‌The‌ ‌Almighty‌ ‌is‌ ‌praiseworthy‌ ‌alone.”‌

Having‌ ‌realized‌ ‌such‌ ‌desirelessness‌ ‌of‌ ‌king‌ ‌”‌ ‌the‌ ‌bards‌ ‌were‌ ‌pleased. ‌Once,‌ ‌king‌ ‌पृथु‌ ‌was‌ ‌wandering‌ ‌in‌ ‌his‌ ‌kingdom.‌ ‌While‌ ‌wandering,‌ ‌he‌ ‌saw‌ ‌that‌ ‌his‌ ‌subjects‌ ‌are‌ ‌very‌ ‌thin‌ ‌and‌ ‌weak.‌ ‌

Those‌ ‌people‌ ‌were‌ ‌living‌ ‌like‌ ‌animals.‌ ‌They‌ ‌were‌ ‌eating‌ ‌low-quality‌ ‌food.‌ ‌Seeing‌ ‌that‌ ‌the‌ ‌king‌ ‌got‌ ‌perturbed‌ ‌(disturbed).‌ ‌Then‌ ‌the‌ ‌priest‌ ‌said,‌ ‌”O‌ ‌king,‌ ‌in‌ ‌fact‌ ‌all‌ ‌the‌ ‌things‌ ‌like‌ ‌wealth‌ ‌and‌ ‌grains‌ ‌are‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌belly‌ ‌of‌ ‌the‌ ‌earth‌ ‌itself‌ ‌(generated‌ ‌from‌ ‌the‌ ‌earth).‌ ‌ Please‌ ‌strive‌ ‌to‌ ‌obtain‌ ‌it.”‌‌

परिच्छेदः‌‌ 2.

‌तदा‌ ‌पृथुभूपेन‌ ‌………………….‌ ‌कुरु।‌‌

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः

अनुवादः

मराठी‌ ‌त्यानंतर,‌ ‌त्याकरिता‌ ‌पृथुराजाने‌ ‌धनुष्य‌ ‌तयार‌ ‌ठेवले.‌ ‌मग‌ ‌पृथ्वी‌ ‌स्वीचे‌ ‌रूप‌ ‌धारण‌ ‌करून‌ ‌त्याच्यासमोर‌ ‌प्रकट‌ ‌झाली‌ ‌व‌ ‌म्हणाली,‌ ‌”हे‌ ‌राजा!‌ ‌जुलमी‌ ‌असणाऱ्या‌ ‌तुझ्या‌ ‌वडिलांनी,‌ ‌वेनराजाने‌ ‌राजधर्माचे‌ ‌पालन‌ ‌केले‌ ‌नाही.‌ ‌त्यानंतर,‌ ‌चोर-लुटारूंच्या‌ ‌भयामुळे‌ ‌मी,‌ ‌धन-धान्य-फुले-फळे‌ ‌माझ्या‌ ‌पोटात‌ ‌ठेवले.‌ ‌तू‌ ‌निश्चितच‌ ‌प्रजेच्या‌ ‌हिताविषयी‌ ‌सतर्क‌ ‌असणारा‌ ‌राजा‌ ‌आहेस,‌ ‌जर‌ ‌तू‌ ‌प्रयत्नपूर्वक‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌केलेस,‌ ‌तर‌ ‌मी‌ ‌प्रसत्र‌ ‌होईन.‌ ‌म्हणून‌ ‌धनुष्य‌ ‌सोडून‌ ‌दे.‌ ‌तुझ्या‌ ‌प्रजाजनांसमवेत‌ ‌फावडे,‌ ‌नांगर,‌ ‌कुदळ,‌ ‌विळे‌ ‌(हे‌ ‌सर्व)‌ ‌हातात‌ ‌घेऊन‌ ‌कृषिकार्य‌ ‌कर.”‌‌

English‌ ‌Then,‌ ‌king‌ ‌पृथु‌ ‌readied‌ ‌a‌ ‌bow‌ ‌for‌ ‌that.‌ ‌Having‌ ‌taken‌ ‌the‌ ‌form‌ ‌of‌ ‌a‌ ‌woman,‌ ‌the‌ ‌earth‌ ‌appeared‌ ‌in‌ ‌front‌ ‌of‌ ‌him‌ ‌and‌ ‌said,‌ ‌”O‌ ‌king‌ ‌your‌ ‌father,‌ ‌the‌ ‌bad‌ ‌ruler‌ ‌de‌ ‌did‌ ‌not‌ ‌perform‌ ‌duties‌ ‌of‌ ‌the‌ ‌king.‌ ‌Then,‌ ‌I‌ ‌placed‌ ‌wealth,‌ ‌grains,‌ ‌flowers,‌ ‌fruits‌ ‌in‌ ‌my‌ ‌belly‌ ‌due‌ ‌to‌ ‌fear‌ ‌of‌ ‌thieves‌ ‌and‌ ‌robbers.‌‌

But‌ ‌you‌ ‌are‌ ‌engaged‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌welfare‌ ‌of‌ ‌the‌ ‌subjects.‌ ‌If‌ ‌you‌ ‌strive‌ ‌in‌ ‌farming.‌ ‌I‌ ‌will‌ ‌be‌ ‌pleased.‌ ‌Hence,‌ ‌give‌ ‌up‌ ‌the‌ ‌bow.‌ ‌Start‌ ‌farming‌ ‌with‌ ‌the‌ ‌subjects‌ ‌by‌ ‌taking‌ ‌spades,‌ ‌ploughs,‌ ‌hoes,‌ ‌sickles‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌hand.”‌‌

परिच्छेदः‌‌ 3.

भूमातुः‌ ‌……………. अभवत्।‌‌

अनुवादः

मराठी‌ ‌धरणीमातेचा‌ ‌उपदेश‌ ‌लक्षात‌ ‌येऊन,‌ ‌पृथुवैन्य‌ ‌राजाने‌ ‌नद्यांचा‌ ‌मार्ग‌ ‌थांबवून‌ ‌पाण्याचा‌ ‌उपयोग‌ ‌कृषिकामासाठी‌ ‌केला.‌‌
(राजाने)‌ ‌पावसाच्या‌ ‌पाण्याचा‌ ‌साठा‌ ‌करून‌ ‌पाण्याचे‌ ‌व्यवस्थापन‌ ‌केले.‌ ‌(त्याने)‌ ‌जमीन‌ ‌अधिक‌ ‌सुपीक‌ ‌होण्यासाठी‌ ‌प्रयत्न‌ ‌केले.‌ ‌नंतर,‌ ‌लोकांनी‌ ‌त्या‌ ‌ठिकाणी‌ ‌(शेतात)‌ ‌धान्यबीजे‌ ‌पेरली.‌‌

त्याने‌ ‌अनेक‌ ‌वृक्षांपासून‌ ‌विविध‌ ‌प्रकारच्या‌ ‌बीजांचे‌ ‌परिश्रमपूर्वक‌ ‌संचय‌ ‌व‌ ‌निवड‌ ‌केली.‌ ‌(व)‌ ‌नंतर‌ ‌बीजांचे‌ ‌संस्करण‌ ‌करून‌ ‌पेरणी‌ ‌केली.‌ ‌पावसानंतर‌ ‌बीजांतून‌ ‌अंकुर‌ ‌फुटले.‌ ‌धान्याच्या‌ ‌प्राप्तीमुळे‌ ‌सर्व‌ ‌प्रजा‌ ‌आनंदित‌ ‌झाली.‌ ‌हा‌ ‌कल्याणकारी‌ ‌राजा‌ ‌पृथ्वीवर,‌ ‌प्रशासनात‌ ‌अग्रेसर‌ ‌व‌ ‌जनसेवाव्रती‌ ‌ठरला.‌‌

Keeping‌ ‌in‌ ‌mind‌ ‌the‌ ‌adviceof‌ ‌the‌ ‌mother‌ ‌earth,‌ ‌पृथुवैन्य‌ ‌used‌ ‌water‌ ‌for‌ ‌agricultural‌ ‌work‌ ‌by‌ ‌obstructing‌ ‌the‌‌ way‌ ‌of‌ ‌rivers.‌ ‌Having‌ ‌stored‌ ‌the‌ ‌rain-water,‌ ‌he‌ ‌did‌ ‌water-management.‌ ‌He‌ ‌strived‌ ‌to‌ ‌make‌ ‌the‌ ‌land‌ ‌most‌ ‌fertile.‌

‌After‌ ‌that,‌ ‌people‌ ‌sowed‌ ‌the‌ ‌seeds‌ ‌of‌ ‌grains‌ ‌in‌ ‌that‌ ‌field‌ ‌(farm).‌ ‌He‌ ‌collected‌ ‌and‌ ‌selected‌ ‌the‌ ‌various‌ ‌seeds‌ ‌from‌ ‌many‌ ‌trees‌ ‌with‌ ‌so‌ ‌much‌ ‌of‌ ‌effort.‌ ‌After‌ ‌that,‌ ‌having‌ ‌refined‌ ‌(polished)‌ ‌the‌ ‌seeds,‌ ‌he‌ ‌sowed.‌

‌After‌ ‌the‌ ‌rain,‌ ‌sprouts‌ ‌germinated‌ ‌from‌ ‌the‌ ‌seeds.‌ ‌After‌ ‌obtaining‌ ‌grains,‌ ‌all‌ ‌subjects‌ ‌were‌ ‌pleased‌ ‌(satisfied).‌ ‌This‌ ‌welfare-oriented‌ ‌king‌ ‌became‌ ‌the‌ ‌foremost‌ ‌in‌ ‌the‌ ‌administration‌ ‌on‌ ‌the‌ ‌earth‌ ‌and‌ ‌was‌ ‌committed‌ ‌(to‌ ‌the‌ ‌service‌ ‌of‌ ‌public.‌‌

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 1 आधकृषकः पृयुवैयः

शब्दार्थाः‌ 

  1. भूपाल:‌ ‌- king‌‌ – ‌राजा‌ ‌
  2. अभिषिक्तः‌ – coronated‌ – अभिषेक‌ ‌झालेला‌ ‌
  3. ‌स्तोतव्यः‌ – worthy‌ ‌to‌ ‌be‌ ‌praised‌ – स्तुती‌ ‌करण्यायोग्य‌
  4. ‌चिन्ताकुलः‌ – worried‌ – चिंताग्रस्त‌
  5. ‌पुरोहितः‌ – priest -‌ उपाध्याय‌
  6. ‌चारणा:‌ – bards – भाट‌ ‌(स्तुतिपाठक)‌
  7. ‌कृशाः‌ ‌- lean‌ – ‌बारीक‌
  8. अशक्ता:‌ – weak – ‌अशक्त‌
  9. ‌नि:स्पृहता‌ – ‌detachment‌ ‌- ‌निःस्पृहा,‌ निरिच्छा‌
  10. ‌भ्रमणम्‌ ‌- wandering – फिरणे‌
  11. वस्तुजातम्‌ – ‌things – सर्व‌ ‌वस्तू‌
  12. ‌निकृष्टान्नम्‌‌ – low-quality‌ ‌food‌‌ – ‌हलक्या‌ ‌दर्जाचे‌ ‌अन्न‌‌
  13. एतादृशीम्‌ – ‌such‌ – अशी
  14. ‌उदरे‌ – ‌in‌ ‌belly‌ – पोटात‌
  15. ‌धरायाम्‌ – on‌ ‌the‌ ‌earth – पृथ्वीवर‌ ‌
  16. ‌प्रकटीभवन्ति‌ – manifested‌ – प्रकट होतात
  17. ‌यतस्व‌‌ – take‌ ‌effort‌ – ‌‌प्रयत्न‌ ‌कर‌
  18. तिष्ठन्तु‌‌ – please‌ ‌wait‌ – ‌थांबावे‌
  19. आज्ञापयत्‌ – ordered‌ – आज्ञा‌ ‌केली‌
  20. दृष्ट्वा‌ ‌- having‌ ‌seen – पाहून‌
  21. प्राप्तुम्‌ – to‌ ‌obtain‌‌ – ‌मिळविण्यासाठी‌
  22. ‌पशुवत्‌ – like‌ ‌animals‌ – प्राण्याप्रमाणे‌
  23. ‌यावत्-तावत्‌ – ‌as‌ ‌long‌ ‌as-till‌ ‌then – ‌जोपर्यंत-तोपर्यंत‌
  24. ‌वस्तुतः – in‌ ‌fact – ‌मुळात,‌ ‌खरे‌ ‌पाहता‌‌
  25. दु:शासकः‌ – bad‌ ‌ruler – जुलमी‌ ‌राजा‌
  26. ‌प्रजाहितदक्षः‌‌ ‌- prompt‌ ‌towards subject’s‌ ‌welfare – प्रजाहितासाठी‌ ‌तयार‌ ‌/‌ ‌सतर्क‌
  27. हल:‌‌ – a‌ ‌plough‌ – ‌नांगर‌
  28. कुद्दालकम्‌ – hoe‌ – कुदळ‌
  29. धनु:‌ – bow‌ – धनुष्य‌
  30. सज्जीकृतम्‌ – set‌‌ – ‌तयार‌ ‌केले‌
  31. ‌भूमिः‌ – earth‌‌ – ‌पृथ्वी‌
  32. ‌प्रकटिता‌‌ – appeared‌‌ – ‌प्रकट‌ ‌झाली‌‌
  33. खनित्राणि‌ – ‌spades‌ – फावडे
  34. ‌लवित्राणि‌ ‌- sickles – विळे‌
  35. निहितानि‌ ‌-‌ placed/laid – ठेवलेले‌
  36. तदर्थम्‌ – for‌ ‌that – ‌त्यासाठी‌
  37. ‌धृत्वा‌ ‌- ‌taking/bearing‌ – ‌घेऊन/धारण‌ करून‌ ‌
  38. गृहीत्वा‌ – having‌ ‌taken – घेऊन‌‌
  39. ‌पुरत:‌ ‌- ‌in‌ ‌front‌ ‌of‌ – च्या‌ ‌पुढे‌
  40. चोरलुण्ठक – due‌ ‌to‌ ‌fear‌ ‌from – चोर,‌ ‌लुटारुच्या‌
  41. भयात्‌ – thief‌ ‌and‌ ‌robber – भीतीने‌
  42. ‌त्यज‌‌ – ‌leave – सोड
  43. अग्रणी:‌ ‌- foremost‌‌ – अग्रेसर‌
  44. जनसेवाव्रती‌‌ – committed‌ ‌to‌ ‌the service‌ ‌of‌ ‌public‌ – जनसेवेचे‌ ‌व्रत‌ ‌घेतलेला‌
  45. कल्याणकारी‌ – welfare-oriented – कल्याण‌ ‌करणारा‌
  46. ‌सन्तुष्टा:‌ ‌- ‌satisfied‌‌ – समाधानी
  47. धान्यबीजानि‌ – seeds‌ ‌of‌ ‌grains‌ – धान्याच्या‌ ‌बिया
  48. ‌सङ्कलनम्‌ ‌- collection‌‌ – साठा‌
  49. चयनम्‌ – selection‌‌ – निवड‌
  50. संस्करणम्‌‌ – having‌ ‌polished/refined – ‌शुद्धीकरण‌ ‌करून‌
  51. जलव्यवस्थापनम्‌ ‌- management‌ ‌of‌ ‌water‌ – ‌पाण्याचे‌ ‌व्यवस्थापन‌
  52. ‌उर्वरतमाम्‌ – ‌most‌ ‌fertile‌ – ‌अधिक‌ ‌सुपीक‌
  53. ‌जलसडयम्‌ ‌- accumulation‌ ‌of‌ ‌water‌ ‌- पाण्याचा‌ ‌साठा‌ ‌
  54. उपदेशम्‌ ‌- advice‌‌ – सल्ला‌ ‌
  55. अवपन्‌ ‌- sowed‌‌ – पेरली‌ ‌
  56. अवरुध्य‌ – ‌obstructing‌‌ – अडवून‌ ‌
  57. मनसि‌ ‌निधाय‌ – ‌having‌ ‌taken‌ ‌into‌ consideration ‌- लक्षात‌ ‌घेऊन‌‌
  58. अङकुराः‌ ‌‌उद्भूताः‌ ‌‌‌- were‌ ‌sprouted/‌germinated ‌- अंकुर‌ ‌फुटले‌

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 छोटा जादूगर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 छोटा जादूगर Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण लिखिए 

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण लिखिए
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 1

2. छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः

प्रश्न 1.
छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 2.

3. ‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।
उत्तर :
i. अभिनेता
ii. बरतन

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

4. विधान को सही करके लिखिए। 

प्रश्न 1.
विधान को सही करके लिखिए।
i. ताश के सब पत्ते पीले हो गए।
ii. खेल हो जाने पर चीजें बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।
उत्तर :
i. ताश के सब पत्ते लाल हो गए।
ii. खेल हो जाने पर पैसा बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

5. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ।

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति अव्यय शब्दों से कीजिए और नया वाक्य बनाइए।
उत्तर:
i. जहाँ एक लड़का चुपचाप देख रहा था।
वाक्य:
मोहन नदी की लहरों को चुपचाप देख रहा था।

ii. मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ।
वाक्य:
हिंसक शेर मेरी ओर चला आ रहा था।

iii. हाँ! मैं सच कहता हूँ बाबू जी।
वाक्य :
हाँ! मैं छोटा जादूगर हूँ।

iv. अकस्मात किसी ने ऊपर के हिंडोले से पुकारा।
वाक्य :
अकस्मात रमेश छत के ऊपर से कूद गया।

v. मैं बिना बुलाए भी कहीं जा पहुँचता हूँ।
वाक्य:
मैं बिना पढ़े परीक्षा नहीं देता हूँ।

vi. लेखकों और वक्ताओं की न जाने क्या दुर्दशा होती।
वाक्य :
मोहन और गणेश एक अच्छे मित्र हैं।

vii. वाह ! क्या बात।
वाक्य:
वाह ! आप मैच जीत गए।

viii. वह बाजार गया क्योंकि उसे किताब खरीदनी थी।
वाक्य :
मै प्रतिदिन पड़ता हूँ क्योंकि मुझे परीक्षा में अच्छे अंक लाने हैं।

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6. रचनात्मकता की ओर संभाषणीय

प्रश्न 1.
माँ के लिए छोटे जादूगर के किए हुए प्रयास समावण बताइए।
उत्तर:
छोटा जादूगर अपनी माँ की दवा के लिए कार्निवाल के मैदान में जाता है, जहाँ पर उसकी मुलाकात लेखक से होती है। वह उन्हें अपनी माँ और पिता जी के बारे में बताता है। लेखक द्वारा शरबत पिलाने के बाद वह उनसे कहता है कि यदि आप मुझे शरबत न पिलाकर मेरा खेल देखकर कुछ पैसे दे देते तो माँ के लिए मैं पथ्य ले लेता। लेखक जब उसे निशानेबाजी के लिए ले गए तो उसने सभी बारह खिलौने जीत लिए।

लेखक फिर उससे कोलकाता के बोटेनिकल उद्यान में मिले जहाँ पर वह खिलौनों को लेकर तमाशा दिखाकर अपनी माँ के लिए एक सूती कंबल खरीदने की इच्छा लिए था। एक दिन लेखक जब मोटर से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें एक झोंपड़ी के पास खड़ा मिला। उसने लेखक को बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। जब लेखक झोपड़ी के अंदर गए तो उन्होंने देखा कि छोटा जादूगर अपनी माँ के शरीर पर कंबल डाले उससे लिपट कर निरीह भाव से उसे निहार रहा है।

एक दिन छोटा जादूगर निर्मल धूप में सड़क के किनारे अपना तमाशा दिखा रहा था किंतु उसकी वाणी में प्रसन्नता न थी। लेखक द्वारा पूछने पर उसने बताया कि उसकी माँ का समय समीप है और उसने मुझे जल्दी घर बुलाया है। फिर वह पैसा बटोरकर लेखक के साथ अपने घर को चल दिया किंतु घर पहुँचकर पता चला कि उसकी माँ अब नहीं रही।

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7. मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘माँ’ विषय पर स्वरचित कविता प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
है साथ मेरे हरदम, बनकर एक साया,
उसने ही मेरा जीवन महकाया।

तकलीफ में भी मुस्काती है,
हर गम खुशी से सह जाती है।

मेरी राहों पर फूल बिछाती वो,
खुद काँटों पर सो जाती है।

ममता की सूरत है माँ,
भगवान की छवि कहलाती माँ ।

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8. आसपास :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय के किसी समारोह का सूत्र संचालन कीजिए।
उत्तर:
सूत्र-संचालन (गणतंत्र दिवस)
आज के इस आज़ादी के जश्न में, मैं रामकुमार विद्यालय में पधारे हमारे अपने सभी खासो-ओ-आम का बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ-जय हिंद कहता हूँ। मैं अपने सभी विशिष्ट अतिथियों, समाजसेवियों, हमारे गुरुजनों, सभी पधारे हुए आज़ादी के दीवानों और हमारे साथियों को हमारे विद्यालय की तरफ से गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँबधाइयाँ देता हूँ। शुभकामनाएँ इसलिए कि हमने लगभग 200 साल की परतंत्रता सहन करने के बाद यह अनमोल आज़ादी की फ़िज़ा पाई है।

और यह आज़ादी, यह अपनी पसंद से जीने का अधिकार हमें सदा प्राप्त हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ मैं रामकुमार हमारे विद्यालय की तरफ से आप सब देशभक्तों का इस आज़ादी के जश्न में स्वागत करता हूँ-वंदे मातरम कहता हूँ। वतन पर मर-मिटने के ज़माने गुज़र गए, मज़ा तो अब इसके लिए जीने में है। अपनी आज़ादी अपनी संप्रभुता के लिए एक बार जोरदार तालियाँ बजा दीजिए।

धन्यवाद! जी हाँ साथियों, ये जो हमारे अमर शहीदों ने बलिदानों के बीज इस मातृभूमि पर रोपे थे, आज उनकी टहनियों पर महकते फूल खिल आए हैं। इन फूलों की महक इस देश में ही नहीं, सारे संसार में फैले, इस कामना के साथ आइए आज के इस महोत्सव का शुभारंभ करते हैं।

इक चमक ताब इक मदहोशी, हर आलम चंगा होता है, इक हूक चमकती आँखों में, हर कतरा गंगा होता है। दिल में मतवाली मौज पले, मन सात आसमाँ छूता है, जब-जब अपने इन हाथों में, लहराता तिरंगा होता है। तो आइए, मित्रों ! सर्वप्रथम हम अपनी आन-बान-शान के प्रतीक हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का ध्वज वंदन करें।

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9. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
सियारामशरण गुप्त जी द्वारा लिखित ‘काकी’ पाठ के भावपूर्ण प्रसंग को शब्दांकित कीजिए।
उत्तर :
‘काकी’ शीर्षक कहानी में एक बच्चे के मन के भावों का वर्णन किया गया है। एक दिन श्यामू ने देखा कि उसकी माँ सिर से लेकर पैर तक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि पर लेटी हुई है । घर के लोग उसे घेरे हुए रो रहे हैं, पर श्यामू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? लोग जब उसकी माँ के मृत शरीर को उठाकर ले जाने लगे, तब उसने रो-रोकर तमाशा कर दिया। उसे बहुत समझाया गया फिर भी वह रोता रहा। कुछ दिन पश्चात् उसके मित्रों द्वारा पता चला कि उसकी माँ ऊपर राम के घर चली गई।

एक दिन श्यामू ने आकाश में पतंग उड़ते देखा। उसने सोचा,क्यों न वह एक पतंग आकाश में उड़ा दे और उसकी माँ पतंग के सहारे राम के घर से नीचे उतर आएगी। उसने पिता (काका) से पतंग दिलाने के लिए कहा, पर पिता ने पतंग नहीं दिलाई। एक दिन श्यामू ने अपने पिता की जेब से एक चवन्नी चुराई और अपने मित्र भोला से पतंग मँगवा ली। श्यामू ने सोचा पतंग पर ‘काकी’ लिखकर उड़ा देंगे और काकी इसे पकड़कर नीचे आ जाएगी।

भोला, श्यामू से अधिक समझदार था। उसने श्यामू को समझाया कि पतंग की डोर पतली है, काकी का भार सम्भाल नहीं पाएगी और टूट जाएगी। दूसरे दिन श्यामू ने अपने पिता की कोट से एक रूपया चुराया और मोटी रस्सी मँगवाई। जब श्यामू और भोला पतंग में रस्सी बाँध रहे थे, तभी श्यामू के पिता आ धमके और जब उन्हें पता चला कि श्याम ने उनकी जेब से पैसा निकाला है, तो उनको बहुत गुस्सा आया।

उन्होंने श्यामू को मारा और पतंग फाड़ दी। उनके डाँटने पर डर के कारण भोला ने बताया कि वह पतंग के सहारे अपनी काकी (माँ) को नीचे उतारना चाहता था। विश्वेश्वर ने जब भोला की बात सुनी तो उन्हें बहुत दुख हुआ। पतंग पर चिपके कागज पर ‘काकी’ लिखा देखकर वे हैरान रह गए। इस पाठ में बाल मन के निश्छल, निष्कपट प्रेम की मार्मिक अभिव्यक्ति की गई है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कश्चन सत्य है या असत्य लिखिए।

  1. लड़के की जेब में पेड़ के कुछ पत्ते थे।
  2. दोनों शरबत पीकर निशाना लगाने चले।
  3. लड़के के स्वभाव में संपूर्णता थी।

उत्तर :

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. दुख
ii. कारागार
उत्तर :
i. विषाद
ii. जेल

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. गरम × ……….
ii. बीमार × ………..
उत्तर :
i. ठंडा
ii. स्वस्थ

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
अपने नगर में आयोजित किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘जीवन में जिस प्रकार खेलकूद और मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के साधन उपलब्ध हैं, उन्हीं में से एक है जादू का तमाशा। एक दिन हमारे शहर में भी जादू के तमाशे का समाचार अखबार में छपा। अगले ही दिन पिता जी हमें जादू का खेल दिखाने ले गए। हमने टिकटें खरीदी और अंदर गए। थोड़ी देर बाद जादूगर स्टेज पर आया। उसने जैसे ही सबको अभिवादन किया ऊपर से फूल बरसने लगे।

फिर उसने अपनी टोपी उतारकर दिखाई जो एकदम खाली थी लेकिन उसने उसमें हाथ डाला तो खरगोश बाहर निकला और भाग गया। उसने दोबारा हाथ डाला तो तितलियाँ निकलकर उड़ने लगीं। हम सब यह देखकर हैरान हो गए। इसके बाद अगले खेल में उसने अलग-अलग रंगों के कपड़ों की तीन-चार छोटी-छोटी पट्टियाँ मुँह में रख ली और हवा में हाथ घुमाया। फिर मुंह से पट्टियाँ बाहर निकाली तो रंग-बिरंगे रूमाल निकलते चले गए। ऐसा जादू हमने कभी नहीं देखा था और अंत में, हम सब आपस में चर्चा करते हुए खुशी-खुशी घर लौटे।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
i. छोटा जादूगर को तब अधिक प्रसन्नता होती जब –
ii. देखने वाले इसलिए दंग रह गए क्योंकि –
उत्तर :
i. लेखक उसे शरबत न पिलाकर उसका खेल देखकर कुछ पैसे दे दिया होता।
ii. छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज निकला। उसकी कोई गेंद खाली नहीं गई।

कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए।
i. बीमार
ii. तमाशा
उत्तर :
i. बीमार + ई = बीमारी
ii. तमाशा + ई = तमाशाई

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प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. झूठ × ……………
ii. नीचे × …………..
उत्तर :
i. सच
ii. ऊपर

कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
जो व्यक्ति जीवन में अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, वे बचपन से ही सपने देखा करते हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
लक्ष्य को पाने के लिए व्यक्ति को बचपन से ही प्रयास करना पड़ता है। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होते हैं, वे बचपन से ही सपने देखते हैं। कल्पना चावला, न्यूटन, डॉ. अब्दुल कलाम आदि महापुरुषों ने बचपन से ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने का सपना देखा था और उस दिशा में कोशिश एवं अथक परिश्रम करना शुरू कर दिया था। इसी कारण वे अपने लक्ष्य तक पहुँच सके थे।

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(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 5

कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. गुड़िया – ………….
ii. जादूगर – …………
उत्तर :
i. गुड्डा
ii. जादूगरनी

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में माँ का महत्त्व’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में माँ का बहुत महत्त्व होता है। एक बालक का संपूर्ण संसार माँ ही होती है। माँ जीवन की प्रथम गुरु होती है। वह हमें चलना, बोलना और पढ़ना सिखाती है। उसके दिए संस्कारों से ही मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण करता है। वह हमारे लिए पढ़ाई-लिखाई, भोजन, कपड़े आदि का इंतजाम करती है। सचमुच, माँ सेह, ममता, सद्भावना और कर्तव्य-पालन की जीवंत मूर्ति होती है।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुट गई।
ii. लेखक इडेन गार्डेन देखने के लिए चले।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने झोपड़ी में यह देखा –
उत्तर:
एक स्त्री चिथड़ो में लदी हुई काँप रही थी।

कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. श्रीमती
ii. स्त्री
उत्तर :
i. श्रीमान
ii. पुरुष

प्रश्न 2.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँडकर लिखिए।
उत्तर :
i. टुकड़े-टुकड़े
ii. धीरे-धीरे

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने बचपन में नन्हें कलाकारों को अपना तमाशा दिखाते हुए देखा होगा…’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैंने अपने बचपन में अनेक नन्हें कलाकारों को तमाशा दिखाते हुए देखा है। वे बाल कलाकार तमाशा दिखाते और उनके बदले कुछ पैसे या अनाज लेकर अपना पेट पालते हैं। यद्यपि उनके अंदर अनेक गुण होते हैं किंतु विषम परिस्थिति होने के कारण उनका वह गुण संपूर्ण दुनिया के सामने नहीं आ पाता है और वह जीवन पर्यंत सिर्फ अपना पेट ही पालते रह जाते हैं। सरकार और समाज को चाहिए कि वह इस प्रकार के बच्चों के लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था करें तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन और अवसर प्रदान करें; जिससे ये बच्चे भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना सकें।

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ङ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
i. लेखक का मन यहाँ से ऊब गया था –
ii. लेखक ने सड़क के किनारे यह देखा –
उत्तर :
i. कोलकाता से
ii. छोटे जादूगर का रंगमंच सजा हुआ।

प्रश्न 2.
विधानों को सही करके लिखिए।
i. तब भी तुम जादू दिखाने चले आए।
उत्तर :
i. तब भी तुम खेल दिखाने चले आए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

कृति ङ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए।
i. समय
ii. परिचित
उत्तर:
i. अ + समय = असमय
ii. अ+ परिचित – अपरिचित

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. छुट्टी
ii. चेष्टा
उत्तर :
i. अवकाश
ii. प्रयत्न

प्रश्न 3.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. चलते-चलते
ii. सुख-दुख

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

कृति छ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘माँ की ममता’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण इंसान ‘माँ’ होती है। वह हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है। ढेर सारे दुख और पीड़ा सहकर वह हमें अपनी कोख में रखती है। वह अपने वास्तविक जीवन में हमेशा हमारे बारे में सोचकर खुश हो जाती है। एक माँ अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वह हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक नि:स्वार्थ आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है।

छोटा जादूगर Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय :

जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सरायगोवर्धन में हुआ था। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी में क्वींस कालेज में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ संस्कृत, हिंदी, उर्दू तथा फारसी का अध्ययन इन्होंने किया। प्रसाद जी हिंदी साहित्य के छायावादी कवियों के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ये हिंदी साहित्य में कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं।

प्रमुख कृतियाँ :

  • काव्य – ‘झरना’ , ‘आँसू’, ‘लहर’, आदि।
  • महाकाव्य – ‘कामायनी’
  • ऐतिहासिक नाटक – ‘स्कंदगुप्त’,’चंद्रगुप्त’, ‘धुवस्वामिनी।
  • कहानी संग्रह – ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘इंद्रजाल’ आदि।
  • उपन्यास – ‘कंकाल’, ‘तितली,’ ‘इरावती’।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

गद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानी: किसी विशेष घटना की रोचक एवं आकर्षक ढंग से संवाद के रूप में प्रस्तुति ‘संवादात्मक कहानी’ कहलाती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष, बीमार माँ की देखभाल और उसके चातुर्यपूर्ण साहस को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। मानवीय संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना ‘छोटे जादूगर’ के माध्यम से की गई है।

सारांश :

प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष को उजागर किया है। इस कहानी में जयशंकर प्रसाद खुद एक पात्र हैं; जो एक लड़के के मन को पढ़ने का प्रयत्ल कर रहे हैं। उस समय के वातावरण का वर्णन करते हुऐ प्रसाद जी लिखते हैं कि कार्निवाल के मैदान में बिजली के जगमगाहट, हँसी और विनोद के कलनाद के बीच वे उस लड़के की तरफ आकर्षित हुए जिसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी सूत की रस्सी पड़ी थी और उसके जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।

लेखक उसे खेल दिखाने ले गए। रास्ते में बातचीत के दौरान लेखक को पता चला कि लड़के के घर में उसके माँ और पिताजी भी हैं। उसके पिता जी देश के लिए जेल में बंद हैं और माँ बीमार है। लड़के ने लेखक को बताया कि उसकी माँ बीमार है और उसके दवा के लिए वह तमाशा दिखाकर कुछ पैसे इकट्ठा करना चाहता है। माँ के प्रति ममता देखकर लेखक उसे निशाना लगाने की जगह ले गए। जहाँ लड़के ने बारह खिलौने जीते और वहाँ से नौ-दो ग्यारह हो गया।

एक बार फिर लेखक को वह छोटा जादूगर कोलकाता के सुरम्य बोटेनिकल उद्यान में दिखाई दिया जहाँ लेखक अपनी मित्र मंडली के साथ जलपान कर रहे थे। लेखक के मना करने के बावजूद उनकी श्रीमती ने उस लड़के को तमाशा दिखाने के लिए कहा। लड़के ने अपना तमाशा दिखाया जिसे देखकर सब लोग प्रसन्न हुए और लेखक सोचता रहा कि ‘बालक को आवश्यकता ने कितना शीघ्र चतुर बना दिया है। यही तो संसार है।

एक दिन शाम के समय लेखक अपनी गाड़ी से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें झोपड़ी के पास मिला और उनको बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। लेखक ने अंदर जाकर देखा तो उसकी माँ झोंपड़ी में चिथड़ों से लिपटी हुई पड़ी थी।

लेखक की जेहन में वह छोटा जादूगर घर कर गया। वह सोचता है कि छोटा जादूगर कितना निश्छल, कितना परिश्रमी, बाल-सुलभ चेष्टाएँ और बीमार माँ की जिम्मेदारी किस तरह वहन करता है।

एक दिन लेखक जब जा रहे थे तो उन्होंने छोटे जादूगर को तमाशा दिखाते हुए देखा किंतु उस जादूगर की वाणी में वह प्रसन्नता न देखकर उन्होंने कारण पूछा तो लड़के ने बताया कि उसकी माँ बहुत बीमार है और घर जल्दी आने को बोली है। लेखक उसे लेकर उसके घर पहुँचे तो उसकी बीमार माँ के मुख से सिर्फ ‘बे …’ शब्द निकलकर ही रह गया। जादूगर अपनी माँ से लिपटकर रोने लगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

शब्दार्थ :

  1. विषाद – दुख
  2. हिंडोले – झूला
  3. जलपान – नाश्ता
  4. घुड़कना – डॉटना
  5. वाचालता – अधिक बोलना
  6. जीविका – रोजी-रोटी
  7. ईर्ष्या – जलना, दवेष
  8. चिथड़ा – फटा पुराना कपड़ा
  9. बेष्टा – प्रयत्न
  10. समीप – पास, निकट, नजदीक
  11. अनुपात – प्रमाण, तुलनात्मक
  12. समग्न – संपूर्ण
  13. जगमगाना – चमकना
  14. कलनाद – मधुर ध्वनि
  15. गंभीर – गहरा, भारी
  16. सहमत – एकमत, राजी
  17. पथ्य – रोगी को दिया जाने वाला भोजन
  18. सुरम्य – बहुत सुंदर, रमणीय
  19. कमलिनी – छोटा कमल
  20. सयाना – बुद्धिमान
  21. बटोरना – समेटना, इकट्ठा करना
  22. अस्ताचलगामी सूर्य – पश्चिम दिशा में भागता हुआ सूरज
  23. स्मरण – स्मृति, याद
  24. स्फूर्तिमान – सक्रिय
  25. अविचल – स्थिर
  26. स्तब्ध – संज्ञाहीन, स्थिर
  27. विनोद – प्रसन्नता, खेल-कूद
  28. फुहारा – फव्वारा
  29. धैर्य – शांति
  30. निकम्मा – जो कोई काम न करता हो
  31. तिरस्कार – अपमान
  32. व्यग्र – व्याकुल
  33. उद्यान – बगीचा, फुलवारी
  34. अभिनय – भावाभिव्यक्ति

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मुहावरे :

  • दंग रहना – चकित होना
  • मन ऊब जाना – उकता जाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 सागर और मेघ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers

1. स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(क) सागर
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(ख) मेघ भरने वाला।
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(ग) मनुष्य
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(क) सागर

3. समानार्थी शब्द बताइए।

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन

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भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 1

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।

हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 2

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।

इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।

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आसपास:

प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।

आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।

वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।

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प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1.  दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला(क) वाड़व
2. सागर को नित्य जलाने वाला(ख) मेघ
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(ख) मेघ
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(ग) मनुष्य

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 3

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)

प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।

सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 4

प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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कृति ग (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
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सागर और मेघ Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।

प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।

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गद्य-परिचय:

संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।

सारांश:

सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।

फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।

सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।

मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।

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शब्दार्थ:

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. वारि – जल
  3. धरोहर – विरासत
  4. निरंतरता – अविरामता
  5. कायम रहना – बने रहना
  6. विकार – गंदगी
  7. तृप्त – संतुष्ट
  8. करतूत – कार्य
  9. हठात – हठपूर्वक
  10. वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
  11. मर्यादा. – सीमा
  12. आयास – विस्तार (आयाम)
  13. उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
  14. रसा – पृथ्वी
  15. वंध्या – बंजर
  16. निपात – गिरना
  17. आततायियों – अत्याचारियों
  18. चेत जाना – सावधान होना
  19. शास्ता – राजा, शासक
  20. आतुरता – उत्सुकता

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Marathi Solutions Aksharbharati Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई

Marathi Aksharbharati Std 9 Digest Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

1. चौकटी पूर्ण करा.

प्रश्न 1.
चौकटी पूर्ण करा.
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 1.1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 2

2. कंसातील उत्तरांच्या आधाराने संकल्पना स्पष्ट करा.

‘प्रश्न 1.
कंसातील उत्तरांच्या आधाराने संकल्पना स्पष्ट करा.
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 3
(परिसर प्रचाराने व्यापक केला, वैभवापर्यंत पोहोचवला, वारकरी संप्रदायाची स्थापना, संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले.)
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 4

3. भावार्थाधारित. 

प्रश्न 1.
‘तुका झालासे कळस । भजन करा सावकाश।।’ या ओळीचा भावार्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
भक्तीची अंतिम अवस्था म्हणजेच संत तुकाराम. ज्ञानेश्वरांनी ज्ञानाच्या साहाय्याने निर्मिती केलेल्या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने तुकारामांनी परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत पोहोचवली. तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग सर्वांना सांगितला.

प्रश्न 2.
‘ज्ञानदेवे रचिला पाया। उभारिलें देवालया ।।’ या ओळीचा भावार्थ स्पष्ट करा.
उत्तरः
वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचिला. आपल्या ज्ञान व भक्ती यांच्या जोरावर ‘ज्ञानेश्वरी’ या इमारतीचा पाया निर्माण केला. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे.

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उपक्रम :

‘भक्तिगंगेच्या वाटेवर’ या हे. वि. इनामदार यांच्या पुस्तकाचे वर्गात सामूहिक वाचन करा.

भाषाभ्यास :

अलंकाराच्या संदर्भातील महत्त्वाचे शब्द पुढीलप्रमाणे असतात.

  1. उपमेय – ज्याची तुलना करायची ते उपमेय.
    उदा., आंबा साखरेसारखा गोड आहे. या उदाहरणात आंबा हे उपमेय आहे.
  2. उपमान – ज्याच्याबरोबर तुलना करावयाची ते उपमान.
    उदा., इथे साखर हे उपमान.
  3. समान धर्म – दोन वस्तूंत असलेला सारखेपणा किंवा दोन वस्तूतील समान गुणधर्म.
    उदा., गोडपणा.
  4. साम्यवाचक शब्द – वरील सारखेपणा दाखवण्यासाठी वापरलेला शब्द. उदा., सारखा.

खालील उदाहरणातील उपमेय, उपमान, साधर्म्यदर्शक शब्द व समान गुण ओळखा.
(अ) आईचे प्रेम सागरासारखे असते.
(आ) आमच्या गावचे सरपंच कर्णासारखे दानशूर आहेत.
(इ) राधाचा आवाज कोकिळेसारखा मधुर आहे.

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Marathi Akshar Bharati Class 9 Textbook Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Additional Important Questions and Answers

पुढील पक्ष्याच्या आधारे दिलेल्या सूचनेनुसार कृती करा:

कृती 1 : आकलन कृती

प्रश्न 1.
आकृतिबंध पूर्ण करा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 5

प्रश्न 2.
उत्तर लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 6

प्रश्न 3.
खालील प्रश्नांची उत्तरे एका वाक्यात लिहा.
i. वारकरी संप्रदायावर कोणाची कृपा झाली असे अभंगात म्हटले आहे?
उत्तर:
वारकरी संप्रदायावर संतांची कृपा झाली असे अभंगात म्हटले आहे.

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ii. वारकरी संप्रदायाचा किंकर कोणास म्हटले आहे?
उत्तर:
वारकरी संप्रदायाचा किंकर संत नामदेव यांना म्हटले आहे.

iii. संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी वारकरी संप्रदायाला काय दिले?
उत्तर:
संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी वारकरी संप्रदायाला भागवत संप्रदायरूपी खांब दिला.

iv. संत बहिणाबाईंनी स्वीकारलेले कार्य कोणते?
उत्तर:
वारकरी संप्रदायाचा ध्वज सतत फडकत ठेवणे, हे संत बहिणाबाईंनी स्वीकारलेले कार्य आहे.

v. संत बहिणाबाईंनी भजन कसे करण्यास सांगितले आहे?
उत्तर:
संत बहिणाबाईनी भजन सावकाश करण्यास सांगितले आहे.

vi. संत बहिणाबाईंनी वारकरी संप्रदायाच्या प्रचारासाठी स्वीकारलेला मार्ग कोणता?
उत्तर:
संत बहिणाबाईंनी वारकरी संप्रदायाच्या प्रचारासाठी स्वीकारलेला मार्ग निरूपणाचा आहे.

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प्रश्न 4.
कंसातील योग्य शब्द वापरून रिकाम्या जागा भरा,

  1. संतकृपा झाली । इमारत …………….. आली ।। (मुळा, कळा, फळा, माळा)
  2. रचिला पाया । उभारिलें देवालया ।। (जनार्दनें, नामा, ज्ञानदेवें, एकनाथ)
  3. नामा तयाचा ………….”। तेणें रचिलें तें आवार ।। (दास, किंकर, सेवक, खांब)
  4. तुका झालासे ………… भजन करा सावकाश ।। (शिखर, माथा, कळस, गाभा)
  5. बहिणी म्हणे फडकती …………. निरूपणा केलें बोजा। (पताका, ध्वजा, झेंडा, निशाण)

उत्तर:

  1. फळा
  2. ज्ञानदेवेंवें
  3. किंकर
  4. कळस
  5. ध्वजा

कृती 2 : आकलन कृती

प्रश्न 1.
समान अर्थाच्या काव्यपंक्ती शोधून लिहा.
i. (अ) संत नामदेवांनी वारकरी संप्रदायाचा दास बनून संप्रदायाचा विस्तार केला.
(ब) संतांची कृपा झाल्यामुळे वारकरी संप्रदायाची निर्मिती झाली.
उत्तर:
(अ) नामा तयाचा किंकर । तेणें रचिलें तें आवार ।।
(ब) संतकृपा झाली । इमारत फळा आली ।।

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ii. (अ) संत तुकाराम भक्तीच्या जोरावर वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा कळस झाले.
(ब) संतांनी वारकरी संप्रदायाला भागवत धर्माची जोड दिली.
उत्तर:
(अ) तुका झालासे कळस ।
(ब) जनार्दन एकनाथ । खांब दिधला भागवत।।

प्रश्न 2.
जोड्या जुळवा.

i.

‘अ’ गट‘ब’ गट
1. संतकृपा(अ) आवार
2. ज्ञानदेवें(ब) किंकर
3. नामा(क) पाया
4. रचिलें(ड) इमारत फळा

उत्तर:

‘अ’ गट‘ब’ गट
1. संतकृपा(ड) इमारत फळा
2. ज्ञानदेवें(क) पाया
3. नामा(ब) किंकर
4. रचिलें(अ) आवार

ii.

‘अ’ गट‘ब’ गट
1. संत जनार्दन, संत एकनाथ(अ) फडकती ध्वजा
2. तुका झालासे(ब) खांब
(क) कळस

उत्तर:

‘अ’ गट‘ब’ गट
1. संत जनार्दन, संत एकनाथ(ब) खांब
2. तुका झालासे(क) कळस

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प्रश्न 3.
काव्यपंक्तींचा योग्य क्रम लावा.
i. (अ) तेणें रचिलें तें आवार।।
(ब) इमारत फळा आली।।
(क) उभारिलें देवालया।।
(ड) नामा तयाचा किंकर।।
उत्तर:
(अ) इमारत फळा आली।।
(ब) उभारिलें देवालया।।
(क) नामा तयाचा किंकर।।
(ड) तेणें रचिलें तें आवार।।

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ii. (अ) तुका झालासे कळस।
(ब) निरूपणा केलें बोजा।
(क) खांब दिधला भागवत।
(ड) भजन करा सावकाश।
उत्तर:
(अ) खांब दिधला भागवत।
(ब) तुका झालासे कळस ।
(क)भजन करा सावकाश।
(ड) निरूपणा केलें बोजा।

प्रश्न 4.
काव्यपंक्तींवरून शब्दांचा योग्य क्रम लावा.
i. (अ) पाया, इमारत, फळा, आवार
(ब) नामा, संतकृपा, ज्ञानदेवें, देवालया
उत्तर:
(अ) इमारत, फळा, पाया, आवार
(ब) संतकृपा, ज्ञानदेवें, देवालया, नामा

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ii. (अ) बोजा, खांब, भजन, सावकाश
(ब) तुकाराम, एकनाथ, बहिणी, जनार्दन
उत्तर:
(अ) खांब, भजन, सावकाश, बोजा
(ब) जनार्दन, एकनाथ, तुकाराम, बहिणी

प्रश्न 5.
कोण ते लिहा.
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई 7

प्रश्न 6.
सहसंबंध लिहा.
i. सावकाश : भजन :: फडकती :
ii. एकनाथ : खांब :: तुकाराम :
उत्तर:
i. ध्वजा
ii. कळस

कृती 3 : काव्यसौंदर्य

प्रश्न 1.
पुढील ओळींचा अर्थ स्पष्ट करा.
i. जनार्दन एकनाथ। खांब दिधला भागवत ।।
उत्तरः
संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी भागवत संप्रदायाची निर्मिती करून वारकरी संप्रदायाला त्याची जोड दिली. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप देण्याचा आटोकाट प्रयत्न या दोन्ही
संतांनी केला. संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले.

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ii. तुका झालासे कळस । भजन करा सावकाश ।।
उत्तरः
भक्तीची अंतिम अवस्था म्हणजेच संत तुकाराम महाराज होय. ज्ञानेश्वरांनी ज्ञानाच्या साहाय्याने निर्मिती केलेल्या या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीवर आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने तुकारामांनी वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत पोहोचवली. तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग त्यांनी सर्वांना सांगितला.

iii. बहिणी म्हणे फडकती ध्वजा। निरूपणा केलें बोजा ।।
उत्तरः
संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीची
ध्वजा सतत फडकत ठेवण्याचे कार्य, त्याची धुरा सांभाळण्याचे काम मी माझ्या खांद्यावर घेतले आहे. ती एक प्रकारची जबाबदारी माझ्यावर आहे. निरूपणाच्या माध्यमातून मी वारकरी धर्माचा प्रचार व प्रसार करत आहे. निरूपणातून मी ही जबाबदारी पार पाडत आहे.

प्रश्न 2.
खालील काव्यपंक्तीतील आशयसौंदर्य स्पष्ट करा,
i. संतकृपा झाली । इमारत फळा आली ।।1।।
उत्तरः
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी म्हणून प्रसिद्ध आहे. या संतांनी आपल्या अलौकिक विचारांनी महाराष्ट्रात विठ्ठल भक्तीच्या वारकरी संप्रदायाची निर्मिती केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला संतांनी आपल्या विचारांनी, भक्तीच्या जोरावर मूर्तिमंत रूप दिले. जणूकाही संतांनी त्यावर कृपाच केली,

ii. ज्ञानदेवे रचिला पाया । उभारिलें देवालया ।।2।।
उत्तरः
या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचला. आपल्या ज्ञान व भक्ती यांच्या जोरावर ‘ज्ञानेश्वरांनी’ या इमारतीचा पाया उभा केला. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे.

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ii. नामा तयाचा किंकर । तेणें रचिलें तें आवार ।।3।।
उत्तरः
संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायाचा दास बनण्याचे महान कार्य संत नामदेव यांनी केले. त्यांनी वारकरी संप्रदायाचा प्रसार संपूर्ण भारतभर केला. वारकरी संप्रदायाचा दास बनून जीवनाच्या अंतिम क्षणापर्यंत वारकरी संप्रदायाचे संवर्धन व संगोपन केले, वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप प्राप्त करून दिले.

प्रश्न 3.
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी आहे, यावर तुमचे मत स्पष्ट करा.
उत्तरः
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी आहे. संत ज्ञानेश्वरांपासून ते संत तुकारामांपर्यंत अशा अनेक संतांचा जन्म महाराष्ट्रात झालेला आहे. सर्व संतांनी जरी पंढरीच्या विठ्ठलाची भक्ती केलेली असली, तरीही समाजसेवेचे अनमोल कार्य करून त्यांनी लोकांना दया, क्षमा, प्रेम, भक्ती, शांती इत्यादी मूल्यांची ओळख करून दिलेली आहे. महाराष्ट्रातील संतांचे अजून एक वैशिष्ट्य म्हणजे त्यांनी अभंग रचना करून मराठी भाषेचा गोडवा वाढविलेला आहे. वारीला जाताना आजही लोक ज्ञानबा तुकाराम’ यांच्या नावाचा जयघोष करतात.

प्रश्न 4.
संतांचे कार्य नेहमी मार्गदर्शकच ठरते, याविषयी तुमचे मत सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तरः
संत प्रकाशस्तंभाप्रमाणे असतात. ते भक्ताला अंधारातून बाहेर काढून ज्ञानज्योतीच्या दिव्य प्रकाशात नेत असतात. संत आपल्या आचरणातून इतरांना शिकवण देतात, म्हटलेच आहे की ‘आधी केले मग सांगितले’. संत ज्ञानेश्वरांनी स्वत:च्या आचरणातून लोकांना दया, क्षमा, शांती, परोपकार, अहिंसा अशा अनेक मूल्यांचे महत्त्व पटवून दिलेले आहे. नम्रपणा हा व्यक्तीचा सर्वात मोठा अलंकार आहे. हे पटवून देताना त्यांनी चांगदेवाचे केलेले गर्वहरण आपण कसे विसरू बरे.

समाजाचे भले करताना कितीही यातना झाल्या तरी त्या सोसाव्यात असे तुकोबा सांगतात, म्हणूनच संत जनाबाई म्हणतात, ‘संत जेणे व्हावे तेणे जगबोलणे सोसावे.’ अशाप्रकारे संतांचे कार्य हे आपणास नेहमी प्रेरणा देणारे असते. जीवनात येत असलेल्या संकटांना सामोरे जाण्याची शक्ती संतांच्या कार्यातूनच आपल्याला मिळते. म्हणून संतांचे कार्य नेहमी मार्गदर्शकच ठरते.

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दिलेल्या मुद्द्यांच्या आधारे कवितेसंबंधी पुढील कृती सोडवा.

1. कवी/कवयित्रीचे नाव – संत बहिणाबाई
2. संदर्भ- ‘संतकृपा झाली’ हा अभंग संत बहिणाबाई यांनी लिहिला आहे. हा अभंग ‘सकलसंतगाथा खंड दुसरा: संत बहिणाबाईचे अभंग’ या पुस्तकातून घेतला आहे.
3. प्रस्तावना – ‘संतकृपा झाली’ हा अभंग ‘संत बहिणाबाई’ यांनी लिहिला आहे. महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे सुंदर वर्णन या अभंगामध्ये ‘संत बहिणाबाई यांनी केले आहे.
4. वाङ्मयप्रकार – ‘संतकृपा झाली’ ही कविता एक अभंग आहे.
5. कवितेचा विषय – महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायाच्या उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा आहे हे, दर्शविणारा संत बहिणाबाईंचा ‘संतकृपा झाली’ हा अभंग एक उत्कृष्ट भक्तिगीत आहे.

6. कवितेतील आवडलेली ओळ –
ज्ञानदेवे रचिला पाया।
उभारिलें देवालया।।

7. मध्यवर्ती कल्पना – महाराष्ट्र ही संतांची भूमी मानली आहे. या भूमीत अनेक संत जन्माला आले. या सगळ्या संतांनी तन, मन, धन अर्पण करून पंढरीच्या विठ्ठलाची भक्ती केली. त्याच्या भक्तीत सदैव दंग असलेल्या वारकरी संप्रदायाची उभारणी या संतांनी केली. त्यामध्ये संतांनी केलेल्या सहकार्याचे वर्णन ‘संतकृपा झाली’ या अभंगामध्ये केलेले आढळते.

8. कवितेतून मिळणारा संदेश –
महाराष्ट्राच्या पवित्र भूमीत अनेक संतांनी जन्म घेतला आहे. या साऱ्या संतांनी सर्वस्व अर्पण करून पंढरपूरच्या विठ्ठलाची भक्ती केली. त्याचे नामस्मरण केले. शिवाय सर्वसामान्य लोकांना भक्तिमार्गाकडे वळवले. त्यासाठी वारकरी संप्रदायाची उभारणी या महाराष्ट्रात केली. त्या संतांच्या कार्याचे महत्त्व अभ्यासून, आपणसुद्धा भक्तिमार्गाचा स्वीकार करावा, हाच संदेश ‘संतकृपा झाली’ या अभंगातून आपणास मिळतो.

9. कविता आवडण्याची वा न आवडण्याची कारणे –
‘संतकृपा झाली’ ह्य संत बहिणाबाई यांचा अभंग मला खूप आवडला आहे. त्याचे मुख्य कारण म्हणजे आपल्या महाराष्ट्रामध्ये वारकरी संप्रदायाची उभारणी संतांनी केली आहे. त्यांचे मोलाचे सहकार्य त्यासाठी लाभले आहे. या सर्वांचे भक्तिपूर्ण वर्णन करताना संत बहिणाबाईंनी या वारकरी संप्रदायाला देवालयाच्या इमारतीचे प्रतीक मानले आहे. इमारतीचा पाया, त्याचा किंकर, खांब, कळस, फडकणारी ध्वजा या प्रतिमांचा अगदी योग्य वापर संत बहिणाबाईंनी केलेला दिसतो.

10. भाषिक वैशिष्ट्ये –
संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. शिवाय त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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खालील काव्यपंक्तीचे रसग्रहण करा.

प्रश्न 1.
संतकृपा झाली। इमारत फळा आली।।
ज्ञानदेवे रचिला पाया। उभारिलें देवालया।।
उत्तर:
संत बहिणाबाई यांच्या ‘संतकृपा झाली’ या कवितेतून वरील काव्यपंक्ती घेतली आहे. संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केले आहे.

माराष्ट्र ही संतांची भूमी म्हणून प्रसिद्ध आहे. या संतांनी आपल्या अलौकिक विचारांनी महाराष्ट्रात विठ्ठलभक्तीच्या वारकरी संप्रदायाची निर्मिती केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला संतांनी आपल्या विचारांनी, भक्तीच्या जोरावर मूर्तिमंत रूप दिले. जणूकाही संतांनी त्यावर कृपाच केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचला.

‘ज्ञान’ व ‘भक्ती’ यांच्या जोरावर ज्ञानेश्वरांनी या इमारतीची पायाभरणी केली. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे. संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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प्रश्न 2.
नामा तयाचा किंकर । तेणे रचिलें तें आवार।।
जनार्दन एकनाथ। खांब दिधला भागवत।।
उत्तर:
संत बहिणाबाई यांच्या ‘संतकृपा झाली’ या कवितेतून वरील काव्यपंक्ती घेतली आहे. संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केले आहे. संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायाचा दास बनण्याचे महान कार्य संत नामदेव यांनी केले. त्यांनी वारकरी संप्रदायाचा प्रसार संपूर्ण भारतभर केला.

वारकरी संप्रदायाचा दास बनून जीवनाच्या अंतिम क्षणापर्यंत वारकरी संप्रदायाचे संवर्धन व संगोपन केले. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप प्राप्त करून दिले. संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी भागवत संप्रदायाची निर्मिती करून वारकरी संप्रदायाला त्याची जोड दिली. त्याला व्यापक स्वरूप देण्याचा आटोकाट प्रयत्न या दोन्ही संतांनी केला.

त्यांनी आपल्या या वारकरी संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले. संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

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प्रश्न 3.
तुका झालासे कळस। भजन करा सावकाश।।
बहिणी म्हणे फडकती ध्वजा। निरूपणा केलें बोजा।।
उत्तर:
संत बहिणाबाई यांच्या ‘संतकृपा झाली’ या कवितेतून वरील काव्यपंक्ती घेतली आहे. संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केले आहे.

ज्ञानेश्वरांनी निर्मिती केलेल्या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीवर तुकारामांनी आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत ही इमारत त्यांनी पोहोचवली, तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग त्यांनी सर्वाना सांगितला.

संत बहिणाबाई सांगतात, अशा या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीची ध्वजा सतत फडकत ठेवण्याचे कार्य, त्याची धुरा सांभाळण्याचे काम मी माझ्या खांद्यावर घेतले आहे. ती एक प्रकारची जबाबदारी माझ्यावर आहे. निरूपणाच्या माध्यमातून मी वारकरी धर्माचा प्रचार व प्रसार करत आहे. निरूपणातून ती जबाबदारी मी पार पाडत आहे.

संत बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर संत तुकारामांच्या काव्यरचनेचा प्रभाव दिसतो. तसेच त्यांच्या अभंगातून भक्तिभावना उत्कटपणे जाणवते. त्यांच्या अभंगाची भाषा अतिशय साधी, सोपी, रसाळ आहे.

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई

अभिव्यक्ती.

प्रश्न 1.
संतांचे कार्य नेहमीच मार्गदर्शक ठरते, याविषयी तुमचे मत सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तरः
संतांनी नेहमीच दया, क्षमा, शांती यांची शिकवण समाजाला दिली. आपल्या ज्ञानाच्या व भक्तीच्या जोरावरच त्यांनी समाजातील अज्ञान, अत्याचार, जातिभेद दूर करण्याचा प्रयत्न केला. मुक्या प्राणिमात्रांवर प्रेम करा, भूतदया हा सर्वात मोलाचा संदेश संतांनी समाजाला दिला. म्हणूनच की काय संत एकनाथांनी चंद्रभागेच्या त्या कडक उन्हाच्या वाळवंटात तहानेने तडफडत असलेल्या गाढवाला पाणी पाजले. त्याच वाळवंटात उन्हाने चटके बसल्यामुळे धाय मोकलून रडणाऱ्या मुलाला उचलून घेतले. म्हणजे नुसता उपदेश न देता आपल्या कृतीतून देखील पटवून दिले.

संतवाणी (आ) संतकृपा झाली – संत बहिणाबाई Summary in Marathi

कवयित्रीचा :

परिचय नाव : संत बहिणाबाई
कालावधी : 1668 – 1700
वारकरी संप्रदायातील संतकवयित्री. संत तुकाराम यांच्या शिष्या. ओव्या, श्लोक, आरत्या इत्यादी रचना प्रसिद्ध. संत तुकाराम यांच्या काव्यरचनेचा आणि व्यक्तिमत्त्वाचा बहिणाबाई यांच्या काव्यरचनेवर प्रभाव जाणवतो. भक्तिभावनेचा उत्कट आविष्कार हा त्यांच्या अभंगरचनेचा विशेष.

प्रस्तावना :

‘संतकृपा झाली’ हा अभंग संत बहिणाबाई यांनी लिहिला आहे. या अभंगात संत बहिणाबाई यांनी महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायरूपी इमारत उभारणीमध्ये संतांचा मोलाचा वाटा कसा आहे, याचे वर्णन केलेले आहे.

Poetess Saint Bahinabai has written the Abhanga called “Santkrupa zali’. Maharashtra’s creed of Varkari’ and their establishment of religious doctrine has been taken care by saints who play important role in this establishment.

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई

भावार्थ :

संतकृपा झाली । इमारत फळा आली ।।1।।
महाराष्ट्र ही संतांची भूमी म्हणून प्रसिद्ध आहे. या संतांनी आपल्या अलौकिक विचारांनी महाराष्ट्रात विठ्ठल भक्तीच्या वारकरी संप्रदायाची निर्मिती केली. या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला संतांनी आपल्या विचारांनी, भक्तीच्या जोरावर मूर्तिमंत रूप दिले. जणूकाही संतांनी त्यावर कृपाच केली.

ज्ञानदेवे रचिला पाया । उभारिलें देवालया ।।2।।
या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीचा पाया ज्ञानेश्वरांनी रचिला. आपले ज्ञान व भक्ती यांच्या जोरावर ‘ज्ञानेश्वरांनी या इमारतीचा पाया उभा केला. वारकरी संप्रदायाची स्थापना केली. त्यामुळेच आज शेकडो वर्षे झाली तरी हा वारकरी संप्रदाय दिवसेंदिवस वाढतच आहे.

नामा तयाचा किंकर । तेणें रचिलें तें आवार ।।3।।
संत बहिणाबाई सांगतात, या वारकरी संप्रदायाचा दास बनण्याचे महान कार्य संत नामदेव यांनी केले. त्यांनी वारकरी संप्रदायाचा प्रसार संपूर्ण भारतभर केला. वारकरी संप्रदायाचा दास बनून जीवनाच्या अंतिम क्षणापर्यंत वारकरी संप्रदायाचे संवर्धन व संगोपन केले. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप प्राप्त करून दिले.

जनार्दन एकनाथ । खांब दिधला भागवत ।।4।।
संत जनार्दन व संत एकनाथ यांनी भागवत संप्रदायाची निर्मिती करून वारकरी संप्रदायाला त्याची जोड दिली. वारकरी संप्रदायाला व्यापक स्वरूप देण्याचा आटोकाट प्रयत्न या दोन्ही संतांनी केला. संप्रदायाला गुरुकृपेने बळकट केले.

तुका झालासे कळस । भजन करा सावकाश ।।5।।
भक्तीची अंतिम अवस्था म्हणजेच संत तुकाराम महराज होत. ज्ञानेश्वरांनी ज्ञानाच्या साहाय्याने निर्मिती केलेल्या या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीवर तुकारामांनी आपल्या अलौकिक भक्तीचा कळस चढवून खऱ्या अर्थाने वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीला परिपूर्णता प्राप्त करून दिली. भक्तीच्या परिपूर्ण वैभवापर्यंत ही इमारत त्यांनी पोहोचवली. तसेच पूजाअर्चा, कर्मकांड यांमध्ये न पडता नामस्मरण (भजन) हा भक्तीचा सोपा मार्ग तुकाराम महाराजांनी सर्वांना सांगितला.

बहिणी म्हणे फडकती ध्वजा । निरूपणा केलें बोजा ।।6।।
संत बहिणबाई सांगतात, अशा या वारकरी संप्रदायरूपी इमारतीची ध्वजा सतत फडकत ठेवण्याचे कार्य, त्याची धुरा सांभाळण्याचे काम मी माझ्या खांद्यावर घेतले आहे. ती एकप्रकारची जबाबदारी माझ्यावर आहे. निरूपणाच्या माध्यमातून मी वारकरी धर्माचा प्रचार व प्रसार करत आहे. निरूपणातून ती जबाबदारी मी पार पाडत आहे.

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई

शब्दार्थ :

  1. संत – सत्पुरुष, सज्जन (a saint)
  2. कृपा – दया, करुणा (mercy, kindness)
  3. वारकरी – यात्रेकरू (विशेषत: पंढरीला जाणारा) (a pilgrim)
  4. संप्रदाय – मार्ग, पंथ (a system of religious doctrine, religious community)
  5. शिष्या – विक्ष्यार्थिनी (adisciple, a pupil)
  6. मोलाचा : महत्वाचा (valuable, precious)
  7. वाटा – भाग, हिस्सा (a share, a portion)
  8. इमारत – (येथे अर्थ) वारकरी संप्रदायातील विचार, तत्त्व ज्ञान (religious doctrine)
  9. ज्ञानदेवें – संत ज्ञानेश्वर रचिला – रचला (arranged, constructed)
  10. पाया – तळ बांधताना केलेले भक्कम काम (foundation, base)
  11. उभारिले – उभारले (raised)
  12. देवालय – मंदिर, देऊळ (a temple)
  13. नामा – संत नामदेव तयाचा – त्याचा (his)
  14. किंकर – सेवक (a servant)
  15. आवार – अंगण, प्रांगण (a courtyard)
  16. एकनाथ – संत एकनाथ खांब – स्तंभ (a pillar, a column)
  17. दिधला – दिला (gave)
  18. भागवत – विष्णभक्तांचा पंथ (a sect of worshipers of Lord Vishnu)
  19. तुका – संत तुकाराम कळस – शिखर, घुमट (the apex, top)
  20. भजन – देवाचे स्तुति गीत (devotional song)
  21. सावकाश – संथपणे, हळूहळू (slowly, gently)
  22. बहिणी – (येथे अर्थ) बहिणाबाई
  23. फडकती – वाऱ्यावर फडफड असा आवाज येतो (flutters)
  24. ध्वज – झेंडा, निशाण (a flag)
  25. निरूपण – विवेचन, व्याख्यान (explanation)
  26. बोजा – जबाबदारी (a burden, a load)

Maharashtra Board Class 9 Marathi Aksharbharati Solutions Chapter 2.2 संतवाणी (आ) संतकृपा झाली - संत बहिणाबाई

टिपा :

  1. संत ज्ञानेश्वर – (जन्म : इ.स. 1275 – समाधी : इ.स.1296) 13 व्या शतकातील प्रसिद्ध मराठी संत आणि कवी, भावार्थदीपिका (ज्ञानेश्वरी), अमृतानुभव, चांगदेवपासष्टी व हरिपाठाचे अभंग ही त्यांची काव्यरचना.
  2. संत नामदेव – (इ.स. 1270 – इ.स. 1350). हे महाराष्ट्रातील वारकरी संतकवी होते. शिखांच्या गुरुग्रंथसाहिबात त्यांच्या बासष्ट काव्यरचना समाविष्ट आहेत. भागवत धर्म पंजाबपर्यंत नेणारे हे आक्ष्य प्रचारक होते.
  3. संत जनार्दन – हे संत एकनाथ यांचे गुरु होते. ते दौलताबादच्या किल्ल्यावर वास्तव्यास होते. हे दौलताबाद (देवगिरी) येथे यवन दरबारी अधिपती होते व महान दत्तोपासक होते.
  4. संत एकनाथ – वारकरी संप्रदायातील एक सुप्रसिद्ध संत. यांनी भारूड, जोगवा, गवळणी यांच्या साहाय्याने जनजागृती केली. ‘एकनाथी भागवत’ ह्य लोकप्रिय ग्रंथ रचला.
  5. संत तुकाराम – (इ.स. 1608 – इ.स. 1650), यांचा जन्मपुण्यानजीक असलेल्यादेहूगावात झाला. अभंग हे तुकाराम महाराजांचे वैशिष्ट्य होते.

वाक्प्रचार :

  1. फळा येणे – बहरणे, वाढ होणे
  2. पाया रचणे – आरंभ करणे, बैठक तयार करणे
  3. कळस होणे – उच्चस्थान प्राप्त करणे, परिपूर्णता आणणे
  4. निरूपण करणे – भाष्य करणे, वर्णन करणे, विवेचन करणे

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Sanskrit Solutions Amod Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

Sanskrit Amod Std 10 Digest Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा Textbook Questions and Answers

अवबोधनम्‌ :

1. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत ।

प्रश्न अ.
अरण्ये कौ निवसतः स्म ?
उत्तरम्‌ :‌
अरण्ये मृग: काक:च निवसतः स्म।

प्रश्न आ.
काकः किम् उपादिशत् ?
‌उत्तरम्‌ :‌
काक: उपादिशत्, “अकस्मादागन्तुना सह मित्रता न युक्ता।”

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

प्रश्न इ.
मृगः प्रत्यहं क्षेत्रं गत्वा किम् अकरोत् ?
‌उत्तरम्‌ :‌
मृगः प्रत्यहं क्षेत्रं गत्वा सस्यम् अखादत् ।

प्रश्न ई.
क्षुद्रबुद्धिः कुत्र निभृतं स्थितः ?
‌उत्तरम्‌ :‌
क्षुद्रबुद्धिः समीपमेव वक्षस्य पृष्ठतः निभृतं स्थितः।

प्रश्न उ.
शृगालः केन हतः ?
‌उत्तरम्‌ :‌
क्षेत्रपतिना क्षिप्तेन लगुडेन शृगालः हतः।

2. कः कं वदति ?

प्रश्न अ.
‘वनेऽस्मिन् एकं सस्यपूर्ण क्षेत्रमस्ति ।’
‌उत्तरम्‌ :‌
जम्बूक; मृगं वदति।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

प्रश्न आ.
‘मित्र, छिन्धि तावन्मम बन्धनम् ।’
‌उत्तरम्‌ :‌
मृग: जम्बूकं वदति।

प्रश्न इ.
‘स वञ्चक: क्वास्ते ?’
‌उत्तरम्‌ :‌
काकः मृगं वदति।

3. प्रश्ननिर्माणं कुरुत ।

प्रश्न अ.
शृगालः मृगेण सह मित्रताम् ऐच्छत् ।
‌उत्तरम्‌ :‌
शृगाल: केन सह मित्रताम् ऐच्छत् ?

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

प्रश्न आ.
प्रदोषकाले मृगमन्विष्यन् काकः क्षेत्रे उपस्थितः।
‌उत्तरम्‌ :‌
कदा मृगमन्विष्यन् काकः क्षेत्रे उपस्थितः?

प्रश्न इ.
स: वृक्षस्य पृष्ठतः निभृतं स्थितः।
‌उत्तरम्‌ :‌
स: वृक्षस्य पृष्ठतः कथं स्थितः?

4. उत्तरपदं लिखत ।

प्रश्न 1.
अ. काकोऽवदत् = काकः + …………… ।
आ. मृगेणोक्तम् = मृगेण + …………… ।
इ. जम्बूकोऽयम् = जम्बूकः + ………….. ।
‌उत्तरम्‌ :‌
अ. काकोऽवदत् – काकः + अवदत्।
आ. मृगेणोक्तम् – मृगेण + उक्तम्।
इ. जम्बूकोऽयम् – जम्बूकः + अयम्।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

5. पूर्वपदं लिखत ।

प्रश्न 1.
अ. मृगोऽब्रवीत् = …………….. + अब्रवीत्
आ. वातेनोदरम् = …………… + उदरम्
इ. मृतोऽसि = ………………. + असि
‌उत्तरम्‌ :‌
अ. मृगोऽब्रवीत् – मृगः + अब्रवीत्।
आ. वातेनोदरम् – वातेन + उदरम्।
इ. मृतोऽसि – मृत: + असि।

6. सूचनानुसारं कृती: कुरुत ।

ऊ. त्वं सत्वरं पलायिष्यसे । (‘त्वं’ स्थाने ‘भवान्’ योजयत ।)

प्रश्न अ.
मृगः प्रत्यहं तत्र गत्वा सस्यम् अखादत्। (त्वान्त-अव्ययं निष्कासयत ।)
उत्तरम् :
मृगः प्रत्यहं तत्र अगच्छत् सस्यम् अखादत् च।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

प्रश्न आ.
मित्र छिन्धि तावन्मम बन्धनम् । (लकारं लिखत ।)
उत्तरम् :
लोट्लकार:

प्रश्न इ.
वयम् आनन्देन एकत्र निवसामः । (लट्लकारस्थाने लङ्लकारं योजयत ।)
उत्तरम् :
वयम् आनन्देन एकत्र न्यवसाम।

प्रश्न ई.
त्वं पादान्स्तब्धीकृत्य तिष्ठ । (‘त्वं’ स्थाने ‘भवान्’ योजयत ।)
उत्तरम् :
भवान् पादान्स्तब्धीकृत्य तिष्ठतु ।

प्रश्न उ.
भवानपि अपरिचितः एव आसीत् । (‘भवान्’ स्थाने ‘त्वं’ योजयत ।)
उत्तरम् :
भवान् पादास्तब्धीकृत्य पलायिष्यते।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

7. स्तम्भमेलनं कुरुत।

प्रश्न 1.
स्तम्भमेलनं कुरुत।
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा 1
‌उत्तरम्‌ :‌

विशेषणम्विशेष्यम्
1. दृढःबन्धः
2. क्षिप्तेनलगुडेन
3. एकस्मिन्दिने
4. लगुडहस्तःक्षेत्रपतिः

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

8. जालरेखाचित्रं पूरयत ।

प्रश्न 1.
जालरेखाचित्रं पूरयत ।
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा 2
‌उत्तरम्‌ :‌
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा 5

9. तालिकां पूरयत ।

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा 3
(मञ्जूषा – त्रायस्व माम्, दर्शयामि त्वाम्, दृढोऽयं बन्धः, छिन्धि मम बन्धनम्)
‌उत्तरम्‌ :‌

जम्बूकःमृगः
दर्शयामि त्वाम्।त्रायस्व माम्।
दृढोऽयं बन्धःछिन्धि मम बन्धनम्

प्रश्न 2.
Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा 4
(मञ्जूषा – अलं विवादेन, कोऽयं द्वितीयः?, एवमस्तु, अस्मत्सख्यम् इच्छति ।)
‌उत्तरम्‌ :‌

मृगःकाकः
अलं विवादेन।कोऽयं द्वितीयः?
अस्मत्सख्यम् इच्छति।एवमस्तु।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

10. माध्यमभाषया उत्तरत ।

प्रश्न अ.
‘स नरः शत्रुनन्दनः’ इति वचनं कथायाः आधारेण स्पष्टीकुरुत ।
‌उत्तरम्‌ :‌
व्यसने मित्रपरीक्षा या कथेच्या संदर्भात ‘स: नरः शत्रुनन्दनः’ ही उक्ती आलेली दिसून येते. हितोपदेश या पुस्तकात मित्रलाभ 1.3. या प्रकरणात ही कथा आवळते. धूर्त कोल्हा हरिणाला त्याच्या शब्दांमध्ये फसवितो व त्याच्याशी मैत्री करतो. कोल्हा हरिणाला धान्यांनी भरलेले एक शेत दाखवितो.

साहजिकच हरिणाच्या मनात धान्याबद्दल हाव निर्माण होते. पण नंतर, शेताच्या मालकाने टाकलेल्या जाळ्यात हरिण अडकते. हरिणाने कोल्ह्याकडे मदत मागताच धूर्त कोल्हा जाळे घट्ट असल्याचे सांगतो. त्यामुळे तो तोडण्यास समर्थ नाही असे दर्शवितो.

हरिणाला कोल्ह्याचा धूर्तपणा हळूहळू लक्षात येतो. कावळ्याचे न ऐकल्याचा त्याला पश्चात्ताप होतो. जेव्हा कावळा हरिणाला शोधत शोधत हरिणाजवळ पोहोचतो, तेव्हा तो ‘स: नर: शत्रुनन्दनः’ हा श्लोक उद्धृत करतो. या श्लोकाचा अर्थ असा, की, “जो आपल्या मित्रांचा, हितचिंतकांचा सल्ला ऐकत नाही, तो संकटात सापडतो व त्याच्या शāना आनंदित करतो, त्यांचे शत्रुत्व ओढून घेतो.

हरिणाने अनोळखी प्राण्यांशी (कोल्ह्याशी) मैत्री न करण्याचा कावळ्याचा सल्ला ऐकला नाही व कोल्ह्याशी मैत्री केल्याने अखेर त्याला जाळ्यात अडकावे लागले. म्हणजे तो संकटात सापडला व हरिणाला शत्रुनन्दन हे विशेषण लागू पडले. ‘स: नरः शत्रुनन्दनः’ इति वचनं कथायाः आधारेण स्पष्टीकुरुत।

‘सः नरः शत्रुनन्दनः’ occurs in the context of the story व्यसने मित्रपरीक्षा. It is found in the chapter 1.3 of मित्रलाभ, in हितोपदेश. The crooked jackal trapped the deer in its words. It intentionally showed the deer a field full of grains. Due to greed for the grains, the deer got caught in the net set by the owner of the field. When the deer asked the jackal for his help, it cleverly answered, the net is tendon, so it can’t break it.

The deer understood the jackal’s plan. It repented for not listening to the crow’s advice. When crow came searching for him, It uttered the verse सुडदा …..स: नर:शत्रुनन्दन: which means, “The one who does not listen to the words of well-wishing friends, calamity becomes his neighbour and he pleases enemies.” The deer disregarded crow’s advice of not making friendship with strangers. It had friendship with a deceitful jackal and was finally trapped in the net. Seeing him caught in the net, the jackal became happy.

In this way, the deer proved himself as शत्रुनन्दन, the one whopleases enemies as the deer also pleased the mind of the crooked jackal.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

प्रश्न आ.
काकेन क: उपायः उक्त : ?
‌उत्तरम्‌ :‌

व्यसने मित्रपरीक्षा या कथेच्या संदर्भात ‘स: नरः शत्रुनन्दनः’ ही उक्ती आलेली दिसून येते. हितोपदेश या पुस्तकात मित्रलाभ 1.3. या प्रकरणात ही कथा आढळते. शेताच्या मालकाने हरिणाला जाळ्यात अडकविले. कावळा हरिणाला शोधत तेथे आला. कावळ्याने विचारले असता हरिणाने सर्व हकीकत त्याला सांगितली. कोल्ह्याच्या धूर्तपणामुळे हरिण जाळ्यात अडकले होते.

कावळ्याने हरिणाला मेल्यासारखे दर्शविण्यास सांगितले, तसेच कावळ्याने हरिणाला पोट फुगवायला व पायही स्तब्ध ठेवण्यास सांगितले. कावळ्याच्या म्हणण्यानुसार वागल्यामुळे शेताच्या मालकाला हरिण मृत असल्याचा भास झाला. शेताचा मालक हरिणाजवळ आला व जाळे काढले. ठरल्याप्रमाणे कावळ्याने काव-काव असा आवाज केला. आवाज ऐकताच हरिण उठले व पटकन पळून गेले. कावळ्याने शोधलेल्या या उपायामुळे व त्याच्या चातुर्यामुळे हरिणाचे प्राण वाचले.

‘स: नरः शत्रुनन्दनः’ occurs in the context of the story व्यसने मित्रपरीक्षा. It is found in the chapter 1.3 of मित्रलाभ, in हितोपदेश. The deer was trapped in the net set by the owner of the field. The crow came in search of the deer. The crow saw the trapped deer. The deer narrated the account of a deceitful jackal.

The crow told the deer to pretend to be dead by blowing up its belly with air and told to keep legs stiff. The crow gave the deer an idea of running away. The deer followed likewise. The owner of the field thought the deer is certainly dead. So, he released the deer. At the same time, the crow made alarming sound and the deer ran away quickly. The crow’s wisdom and true friendship with the deer saved the deer’s life.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

11. अमरकोषात् समानार्थकं शब्द योजयित्वा वाक्यं पुनर्लिखत ।

प्रश्न अ.
अरण्ये मृगः काकः च स्नेहेन निवसतः ।
‌उत्तरम्‌ :‌
अरण्ये कुरङ्गः / वातायुः / हरिणः / अजिनयोनिः काकः च सेहेन निवसतः।

प्रश्न आ.
जम्बूकः तेन सह मृगस्य निवासस्थानं गतः ।
‌उत्तरम्‌ :‌
शृगालः / वञ्चकः / क्रोष्टा / फेरुः / फेरव: तेन सह मृगस्य निवासस्थानं गतः ।

प्रश्न इ.
मृगमन्विष्यन् काक: तत्र उपस्थितः ।
‌उत्तरम्‌ :‌
मृगमन्विष्यन् करटः / अरिष्टः / बलिपुष्टः / सकृत्प्रज: तत्र उपस्थितः।

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12. विरुद्धार्थकशब्द लिखत ।
दृढः, मैत्री, बद्धः, प्रभूतम् ।

प्रश्न 1.
विरुद्धार्थकशब्द लिखत ।
दृढः, मैत्री, बद्धः, प्रभूतम् ।
‌उत्तरम्‌ :‌

  1. दृढः × शिथिलः।
  2. मैत्री × शत्रुत्वम्, वैरम्।
  3. बद्धः × मुक्तः ।
  4. प्रभूतम् × अल्पम, स्तोकम, स्वल्पम्, न्यूनम्।

उपक्रम :
1. पाठात् उपपदविभक्तियुक्तानि वाक्यानि चित्वा लिखत ।
2. पाठात् शतृरूपाणि चित्वा लिखत ।

Sanskrit Amod Class 10 Textbook Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा Additional Important Questions and Answers

अवबोधनम्।

(क) उचितं कारणं चित्वा वाक्यं पुनर्लिखत।

प्रश्न 1.
शृगालः मृगेण सह सख्यम् इच्छति यतः
(अ) शृगाल: मृगमांसं खादितुम् इच्छति।
(ब) शृगालः मृगे स्निह्यति।
उत्तरम् :
(अ) शृगाल: मृगमांसं खादितुम् इच्छति।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

(ख) उचितं पर्यायं चित्वा वाक्यं लिखत।

प्रश्न 1.
शृगालः स्वार्थहतुना ………… सह मैत्रम् ऐच्छत्। (मृगेण / काकेन)
उत्तरम् :
शृगालः स्वार्थहतुना मगेण सह मैत्रम् ऐच्छत्।

(ग) पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न 1.
क: चित्राङ्गम् अपश्यत्?
उत्तरम् :
गाल: चित्राङ्गम् अपश्यत्।

प्रश्न 2.
शृगालस्य नाम किम् आसीत्?
उत्तरम् :
शृगालस्य नाम क्षुद्रबुद्धिः आसीत्।

प्रश्न 3.
शृगालः किमर्थं मृगेण सह मित्रताम् ऐच्छत्?
उत्तरम् :
शृगालः स्वार्थहेतुं पूरयितुं मृगेण सह मित्रताम् ऐच्छत्।

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

प्रश्न 4.
कदा क्षुद्रबुद्धिः निवासस्थानं गतः?
उत्तरम् :
अस्तङ्गते सवितरि क्षुद्रबुद्धिः निवासस्थानं गतः।

प्रश्न 5.
जम्बूकः किम् इच्छति?
उत्तरम् :
जम्बूक: मृगशृगालयोः सख्यम् इच्छति।

(घ) वाक्यं पुनर्लिखित्वा सत्यम्/असत्यम् इति लिखत।

प्रश्न 1.

  1. अरण्ये एकाक्ष: नाम मृगः चित्राङ्ग नाम काक: निवसतः स्म।
  2. शुदबुद्धिः उदिते सवितरि (सूर्योदये) निवासस्थानं गतः।
  3. अकस्मात् आगन्तुना सह मैत्री युक्ता।

उत्तरम् :

  1. असत्यम्।
  2. असत्यम्।
  3. असत्यम्।

(च) कः कं वदति।

प्रश्न 1.
“सखे चित्राङ्ग, कोऽयं द्वितीयः?”
उत्तरम् :
काक: मृगं वदति।

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प्रश्न 2.
“जम्बूकोऽयम्। अस्मत्सख्यम् इच्छति।”
उत्तरम् :
मृगः काकं वदति।

प्रश्न 3.
“अकस्मादागन्तुना सह मित्रता न युक्ता।”
उत्तरम् :
काक: मृगं वदति।

प्रश्न 4.
मृगस्य प्रथमदर्शने भवानपि अपरिचितः एव आसीत्।
उत्तरम् :
शृगालः काकं वदति।

प्रश्न 5.
यथायं मृगः मम बन्धुः तथा भवानपि।
उत्तरम् :
शृगालः काकं वदति।

प्रश्न 6.
अलं विवादेन।
उत्तरम् :
मृग: काकशृगालौ वदति।

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प्रश्न 7.
वयं सर्वे आनन्देन एकत्र निवसामः ।
उत्तरम् :
मृगः काकशृगाली वदति।

प्रश्न 8.
एवमस्तु।
उत्तरम् :
काकः मृगशृगाली वदति।

शब्दज्ञानम्।

(क) सन्धिविग्रहं कुरूत।

  1. चित्राङ्गो नाम – चित्राङ्गः + नाम ।
  2. एकाक्षो नाम – एकाक्ष: + नाम।
  3. काकश्च – काकः + च।
  4. केनापि – केन+अपि।
  5. कोऽयम् – क + अयम्।
  6. अकस्मादागन्तुना – अकस्मात् + आगन्तुना।
  7. तदाकर्ण्य – तत् + आकर्य।
  8. भवानपि – भवान् + अपि।
  9. यथायम् – यथा + अयम्।
  10. काकेनोक्तम् – काकेन + उक्तम्।
  11. एवमस्तु – एवम् + अस्तु।

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(ख) विशेषण – विशेष्य – सम्बन्धः।

विशेषणम्विशेष्यम्
1. भ्रमन्चित्राङ्गः
2. अस्त गतेसवितर

(ग) त्वान्त-ल्यबन्त-तुमन्त-अव्ययानि।

त्वान्त अव्यय धातु + त्वा / ध्वा / ट्वा / ढ्वा / इत्वा / अयित्वाल्यबन्त अव्यय – उपसर्ग + धातु + य / त्य
आकर्यदृष्ट्वा

(घ) विभक्त्यन्तरूपाणि।

  • प्रथमा – मृगः, काकः, भ्रमन्, सः, अयम्, जम्बूकः, भवान्, बन्धुः, वयम्, सर्वे।
  • द्वितीया – सख्यम्, मित्रताम्।
  • तृतीया – स्नेहेन, केन, शृगालेन, हेतुना, मृगेण, आगन्तुना, विवादेन, आनन्देन, काकेन।
  • पञ्चमी – अस्मत्।
  • सप्तमी – वने, सवितरि, दर्शन।

(च) लकारं लिखत।

प्रश्न 1.
1. शृगालः मृगेण सह मित्रताम् ऐच्छत्।
2. जम्बूक: सकोपम् आह।
उत्तरम् :
1. लङ्लकारः
2. लङ्लकार:

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क्रमेण योजयत।

प्रश्न 1.

  1. मृगकाकयोः नेहेन निवासः।
  2. काकस्य उपदेशः।
  3. मृगकाकशृगालानाम् एकत्र निवासः।
  4. शुगालस्य मृगेण सह मित्रता।

उत्तरम् :

  1. मृगकाकयोः स्नेहेन निवासः।
  2. शृगालस्य मृगेण सह मित्रता।
  3. काकस्य उपदेशः।
  4. मृगकाकशृगालानाम् एका निवासः।

भाषाभ्यासः

(क) समानार्थकशब्दाः

  1. अरण्यम् – काननम्, वनम्, विपिनम्, अटवी।
  2. मृगः – हरिणः, कुरङ्गः, वातायुः, अजिनयोनिः ।
  3. काकः – वायसः, करटः, ध्वाक्षः, अरिष्टः, बलिपुष्टः, सकृत्प्रजः।
  4. शृगालः – जम्बूकः, वाकः, क्रोष्टा, फेरुः, फेरवः।

(क) उचितं कारणं चित्त्वा वाक्यं पुनर्लिखत।

प्रश्न 1.
जम्बूक: मनसि आनन्दितः यतः
(अ) मृगः पाशे बद्धः।
(ब) जम्बूकस्य अन्येन सह मित्रता अभवत्।
उत्तरम् :
(अ) मृग: पाशे बद्धः।

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(ख) उचितं पर्यायं चित्त्वा वाक्यं लिखत।

प्रश्न 1.

  1. फलितं मे ……………..। (प्रयोजनम् / मनोरथम्)
  2. ………………. मम शरणम्। (शत्रवः / सुहद:)
  3. बने …………. क्षेत्रम् अस्ति। (सस्यविहीनं / सस्ययुक्त)

उत्तरम् :

  1. मनोरथम्
  2. सुहृदः
  3. सस्ययुक्तं

(ग) पूर्णवाक्येन लिखत।

प्रश्न 1.
केन मृगस्य कृते पाशः योजितः?
उत्तरम् :
क्षेत्रपतिना मृगस्य कृते पाश: योजितः।

प्रश्न 2.
मृगं पाशैर्बद्धं दृष्ट्वा क: मनसि आनन्दितः?
उत्तरम् :
मृगं पाशैर्वद्धं दृष्ट्वा जम्बूक: मनसि आनन्दितः।

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प्रश्न 3.
जम्बूक: मनसि किम् अचिन्तयत्?
उत्तरम् :
जम्बूक: मनसि अचिन्तयत्, ‘यत् फलितं मे मनोरथम्। इदानीं प्रभूतं भोजनं प्राप्स्यामि ।’

प्रश्न 4.
मृग: जम्बूकं दृष्ट्वा किम् अब्रवीत्?
उत्तरम् :
मृगः जम्बूकं दृष्ट्वा अब्रवीत्, “मित्र, छिन्धि तावन्मम बन्धनम्। त्रायस्व माम्।” इति ।

(घ) कः कं वदति।

प्रश्न 1.
दर्शयामि त्वाम्।
उत्तरम् :
जम्बूक: मृगं वदति।

प्रश्न 2.
दृढोऽयं बन्धः।
उत्तरम् :
जम्बूक: मृगं वदति।

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प्रश्न 3.
स्नायुनिर्मितान् पाशानेतान् कथं वा व्रतदिवसे स्मृशामि।
उत्तरम् :
जम्बूकः मृगं वदति।

(च) वाक्यं पुनलिखित्वा सत्यम् / असत्यम् इति लिखत।

प्रश्न 1.

  1. मृगः शृगालं सस्यपूर्ण क्षेत्रम् अदर्शयत्।
  2. मृगः प्रतिदिन क्षेत्रे सस्यम् अखादत्।
  3. जम्बूकः पाशैर्बद्धः।
  4. जम्बूक: मनसि खिन्नः जातः।
  5. जम्बूक: मृगं साहाय्यम् अकरोत्।
  6. जम्बूक: निभृतं स्थितः।

उत्तरम् :

  1. असत्यम्।
  2. सत्यम्।
  3. असत्यम्।
  4. असत्यम्।
  5. असत्यम्।
  6. सत्यम्।

शब्दज्ञानम् ।

(क) सन्धिविग्रहः।

  1. किञ्चित्कालानन्तरम् – किञ्चित् + कालानन्तरम् ।
  2. वनेऽस्मिन् – बने + अस्मिन्।
  3. क्षेत्रमस्ति – क्षेत्रम् + अस्ति ।
  4. तत्रागतः – तत्र + आगतः।
  5. पाशैर्बद्धः – पाशैः + बद्धः।
  6. मित्राण्येव – मित्राणि + एव।
  7. सोऽचिन्तयत् – स: + अचिन्तयत्।
  8. मृगस्तम् – मृगः + तम्।
  9. तावन्मम – तावत् + मम।
  10. जम्बूको दूरादेवावदत् – जम्बूक: + दुरात् + एव + अवदत्।
  11. दृढोऽयम् – दृढ : + अयम्।
  12. पाशानेतान् – पाशान् + एतान्।
  13. इत्युक्त्वा . इति + उक्त्वा ।
  14. समीपमेव – समीपम् + एव।

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(ख) विशेषाण – विशेष्य – सम्बन्धः।

विशेषणम्विशेष्यम्
1. सस्यपूर्णम्क्षेत्रम्
2. मगःबद्धः
3. प्रभूतमभोजनम्
4. स्नायुनिर्मितान्पाशान्

(ग) त्वान्त-ल्यबन्त-तुमन्त-अव्ययानि।

त्वान्त अव्यय धातु + त्वा/ध्वा/ट्वा/वा/इत्वा/अयित्वा
दृष्ट्वा, उक्त्वा

(घ) विभक्त्यन्तरूपाणि।

  • प्रथमा – शृगालः, पाशः, सः, जम्बूकः, अयम्, बन्धः, मिवाणि।
  • द्वितीया – मृगम्, क्षेत्रम्, एकम, त्वाम्, भोजनम्, तम्, माम, पाशान, एतान्।
  • तृतीया – क्षेत्रपतिना, पाशैः।
  • पशमी – दूरात्। षष्ठी – वृक्षस्य, मम।
  • सप्तमी – एकस्मिन्, दिने, मनसि, व्रतदिवसे।
  • सम्बोधन – मित्र।

(च) लकारं लिखत।

प्रश्न 1.
1. प्रभूतं भोजनं प्राप्स्यामि।
2. त्रायस्व माम्।
उत्तरम् :
1. लृट्लकार:
2. लोट्लकार:

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क्रमेण योजयत।

(क)

प्रश्न 1.

  1. क्षेत्रपतिना पाशयोजनम्।
  2. शृगालेन मृगाय सस्यपूर्णक्षेत्रस्य दर्शनम्।
  3. मृगस्य पाशबन्धनम्।
  4. मृगस्य प्रत्यहं क्षेत्रं गमनम्।

उत्तरम् :

  1. शृगालेन मृगाय सस्यपूर्णक्षेत्रस्य दर्शनम्।
  2. मृगस्य प्रत्यहं क्षेत्रं गमनम्।
  3. क्षेत्रपतिना पाशयोजनम्।
  4. मृगस्य पाशबन्धनम्।

(ख)

प्रश्न 1.

  1. मृगः पाशैर्बद्धः।
  2. मृगः सस्यम् अखादत्।
  3. जम्बूक; मनसि आनन्दितः।
  4. क्षेत्रपतिना पाश: योजितः।

उत्तरम् :

  1. मृगः सस्यम् अखादत्।
  2. क्षेत्रपतिना पाश: योजितः।
  3. मृगः पाशैर्बद्धः।
  4. जम्बूक: मनसि आनन्दितः ।

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भाषाभ्यासः

(क) समानार्थकशब्दाः

  1. कालः – समयम, वेला।
  2. प्रत्यहम् – प्रतिदिनम्।
  3. सस्यम् – धान्यम्।
  4. गत्वा उपगम्य।
  5. क्षेत्रपतिः – सस्यपालः।
  6. इदानीम् – सम्पति, साम्प्रतम्।
  7. मनसि – चित्ते, चेतसि, अन्त:करणे।
  8. आनन्दितः – प्रमुदितः, हर्षितः, प्रहृष्टः।
  9. मनोरथम् – मनोकामना, मनीषा, ईहा।
  10. प्रभूतम् – भूरि, विपुलम्, पुष्कलम्, प्रचुरम्।

(ख) विरुद्धार्थकशब्दाः

1. अनन्तरम् × पूर्वम्, प्राक्।

अवबोधनम् ।

(क) उचितं कारणं चित्वा वाक्यं पुनर्लिखत।

प्रश्न 1.
मृगः क्षेत्रपतिना बद्धः यतः ……….
(अ) मृगः क्षेत्रपतेः शत्रुः आसीत्।
(ब) मृगः सुहद्वाक्यस्य अनादरम् अकरोत्।
उत्तरम् :
(ब) मृगः सुहृद्वाक्यस्य अनादरम् अकरोत्।

प्रश्न 2.
शृगालः हत: यत:
(अ) क्षेत्रपतिना लगुडं क्षिप्तम्।
(ब) काकः शृगालम् अमारयत्।
उत्तरम् :
(अ) क्षेत्रपतिना लगुडं क्षिप्तम्।

प्रश्न 3.
क्षेत्रपतिः मृगं बन्धनात् व्यमुशत् यतः
(अ) सः ‘मृगः मृतः’ इति चिन्तितवान् ।
(ब) पाशबद्धं मृगं दृष्ट्वा तस्य हृदयं करुणया अद्रवत्।
उत्तरम् :
(अ) सः ‘मृगः मृतः’ इति चिन्तितवान्।

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(ख) पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न 1.
क्षेत्रपतिः कदा हस्ते लगुडं धृत्वा आगच्छत् ?
उत्तरम् :
क्षेत्रपतिः प्रभाते हस्ते लगुडं धृत्वा आगच्छत्।

प्रश्न 2.
केन क्षेत्रपति: अवलोकित:?
उत्तरम् :
काकेन क्षेत्रपति: अवलोकितः।

प्रश्न 3.
क्षेत्रपतिना मृगं विलोक्य किम् उक्तम्?
उत्तरम् :
क्षेत्रपतिना मृगं विलोक्य उक्तं, “आ ! स्वयं मृतोऽसि।”

प्रश्न 4.
मृगः कदा पलायित:?
उत्तरम् :
काकशब्द श्रुत्वा मृग: पलायितः।

(ग) वाक्यं पुनलिखित्वा सत्यम् / असत्यम् इति लिखत।

प्रश्न 1.

  1. काकः सायङ्काले मृगमन्विष्यन् आगतः।
  2. मृगः मृतः आसीत्।
  3. मृगः मृतवत् संदर्शयत्।
  4. मृगः शनैः शनै: पलायितः।
  5. क्षेत्रपतिना क्षिप्तेन लगुडेन जम्बूक: हतः।
  6. क्षेत्रपति: मृगं बन्धनात् व्यमुञ्चत्।

उत्तरम् :

  1. सत्यम्।
  2. असत्यम्।
  3. सत्यम्।
  4. असत्यम्।
  5. सत्यम्।
  6. सत्यम्।

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(घ) कः कं वदति?

प्रश्न 1.
“सखे ! किमेतत् ?”
उत्तरम् :
काक: मृगं वदति।

प्रश्न 2.
सुहद्वाक्यस्य अनादरात् बद्धोऽहम्।
उत्तरम् :
मृग: काकं वदति।

प्रश्न 3.
मन्मांसार्थी तिष्ठति अत्रैव ।
उत्तरम् :
मृग: काकं वदति।

प्रश्न 4.
उपायस्तावत् चिन्तनीयः।
उत्तरम् :
काकः मृगं वदति।

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प्रश्न 5.
त्वमात्मानं मृतवत्संदर्शय।
उत्तरम् :
काकः मृगं वदति।

शब्दज्ञानम्

(क) सन्धिविग्रहः।

  1. मृगमन्विष्यन् – मृगम् + अन्विष्यन् ।
  2. काकस्तत्रोपस्थितः – काक: + तत्र + उपस्थितः।
  3. किमेतत् – किम् + एतत्।
  4. बद्धोऽहम् – बद्धः + अहम्।
  5. स्वास्ते – क्व + आस्ते।
  6. तिष्ठत्यत्रैव – तिष्ठति + अत्र + एव।
  7. उपायस्तावत् उपाय: + तावत्।
  8. क्षेत्रपतिलगुडहस्तः – क्षेत्रपतिः + लगुडहस्तः।
  9. काकेनावलोकितः – काकेन + अवलोकितः।
  10. तमालोक्य – तम् + आलोक्य।
  11. काकेनोक्तम् – काकेन + उक्तम्।
  12. त्वमात्मानम् – त्वम् + आत्मानम्।
  13. मृतवत्संदर्शय – मृतवत् + संदर्शय।
  14. पादास्तब्धीकृत्य – पादान् + स्तब्धीकृत्य ।
  15. यदाहम् – यदा + अहम्।
  16. त्वमुत्थाय – त्वम् + उत्थाय।
  17. मृगस्तथैव – मृग: + तथा + एव।
  18. उक्तञ्च – उक्त म् + च।
  19. तमुद्दिश्य – तम् + उहिश्य।
  20. शृगालस्तावद् हतः – शृगालः + तावत् + हतः।

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(ग) त्वान्त-ल्यबन्त-तुमन्त-अव्ययानि ।

त्वान्त अव्यय धातु + त्वा / ध्वा / ट्वा / ढ्वा / इत्वा / अयित्वाल्यबन्त अव्यय उपसर्ग + धातु + या / त्य
दृष्ट्वा, पूरयित्वा, श्रुत्वाआलोक्य, स्तब्धीकृत्य, उद्दिश्य, उत्थाय

(घ) विभक्त्यन्तरूपाणि ।

  • प्रथमा – काकः, सः,अहम, यः, नरः, वञ्चकः, क्षेत्रपतिः, आगच्छन्, त्वम्, मृगः, शृगालः।
  • द्वितीया – मृगम्, किम्, एतत्, तम्, आत्मानम्, उदरम्, पादान्, शब्दम्।
  • तृतीया – मृगेण, काकेन, वातेन, क्षेत्रपतिना, लगुडेन।
  • पञ्चमी – अनादरात्, बन्धनात्।
  • षष्ठी – वाक्यस्य, सुहृदाम, हितकामानाम, तस्य।
  • सप्तमी – प्रदोषकाले, प्रभाते।
  • सम्बोधन – सखे, मृग।

(च) लकारं लिखत।

प्रश्न 1.

  1. मृगं तथाविधं दृष्ट्वा स उवाच।
  2. स वशक: क्व आस्ते?
  3. त्वमात्मानं मृतवत्संदर्शय।
  4. सत्वरं पलायिष्यसे।
  5. सः मृगं बन्धनात् व्यमुञ्चत्।

उत्तरम् :

  1. लिट्लकारः
  2. लट्लकारः
  3. लोट्लकार:
  4. लट्लकारः
  5. लङ्लकार:

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क्रमेण योजयत।

(क)

प्रश्न 1.

  1. मृगः मृतवत् स्थितः ।
  2. शृगाल: लगुडेन हतः।
  3. काकेन क्षेत्रपति: अवलोकितः।
  4. काकेन शब्दः कृतः।

उत्तरम् :

  1. काकेन क्षेत्रपति: अवलोकितः।
  2. मृगः मृतवत् स्थितः।
  3. काकेन शब्दः कृतः।
  4. शृगाल: लगुडेन हतः।

भाषाभ्यासः

(क) समानार्थकशब्दाः

  1. प्रदोषकालः – सन्ध्याकालः।
  2. सुहृद् – सखा, मित्रम्।
  3. विपत् – आपत्तिः, सङ्कटम्।
  4. आलोक्य – अवलोक्य, विलोक्य, वीक्ष्य।
  5. वातेन – पवनेन, वायुना।
  6. सत्वरम् – शीघ्रम्, तूर्णम्, झटिति, आशु।

(ख) विरुद्धार्थकशब्दाः

  1. सुहद् × शत्रुः, अरिः, वैरी।
  2. अनादरात् × आदरात्।
  3. मृतः × जीवितः।
  4. सत्वरम् × शनैः शनैः।

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लेखनकौशलम्

समासाः

समस्तपदम्अर्थसमासविग्रहःसमासनाम
मृगशृगालोdeer and jackalमृगः च शृगाल: च।इतरेतर द्वन्द्व समास
प्रत्यहम्every dayअहनि अहनि।अव्ययीभाव समास
सकोपम्with angerकोपेन सह।अव्ययीभाव समास
अपरिचितःnot knownन परिचितः।नञ्तत्पुरुष समास
क्षेत्रपतिःowner of the field(s)क्षेत्रस्य / क्षेत्राणां पतिः।षष्ठी तत्पुरुष समास
क्षुदबुद्धिःhe who has mean intellectक्षुद्रा बुद्धिः यस्य सः।बहुव्रीहि समास
लगुडहस्तःhe who hasastick in the handलगुडं हस्ते यस्य सः।बहुव्रीहि समास

व्यसने मित्रपरीक्षा Summary in Marathi and English

Introduction:

हितोपदेश is an ancient Indian text in Sanskrit language consisting of fables of animals and human Characters. It incorporates maxims, wordly wisdoms and morals on political affairs in a simple and entertaining manner.

नारायण पंडित is considered to be the author of this book. His purpose behind composing हीतोपदेश is to give knowledge to be wise. This is done through moral stories in which birds, beasts and humans interact. हितोपदेश has four sections – मित्रलाभ, सुहृद्भेद, विग्रह, सन्धि.

The story of the lesson व्यसने मित्रपरीक्षा is found in the chapter 1.3 of “मित्रलाभ’. The repercussion of trusting strangers is well brought out through the story of deer, jackal and crow.

प्रस्तावना :

हितोपदेश हे प्राणी व मानवी पात्रांनी युक्त कथांचे भारतीय पुस्तक आहे. यात नीतिसूत्रे, उपदेशात्मक वचने, तसेच राजकीय संबंधावर आधारित मूल्ये यांचे सहज व रोचक पद्धतीने स्पष्टीकरण केलेले आहे. नारायण पंडित हा या ग्रंथाचा कर्ता मानला जातो. योग्य आचरण शिकवणे हा त्याचा यामागील हेतू आहे. पक्षी, प्राणी व मानव यांच्या परस्पर संभाषणातून हे त्याने व्यक्त केले आहे.

हितोपदेशाचे चार भाग आहेत.

  1. मित्रलाभ
  2. सुहृद्भेद
  3. विग्रह
  4. सन्धि

‘व्यसने मित्रपरीक्षा’ या पाठाचा कथाभाग ‘मित्रलाभ’ या भागातील 1.3 या प्रकरणात सापडतो. अनोळखी व्यक्तीवर विश्वास ठेवल्याचे दुष्परिणाम हरिण, कोल्हा व कावळ्याच्या गोष्टीद्वारे उत्तमरीत्या कथन केले आहेत.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

परिच्छेदः, शब्दार्थाः, अनुवादः

परिच्छेदः 1

अस्ति कश्चित् ……………. एवमस्तु।.

अनुवादः

चंपक नावाचे एक जंगल होते. जंगलात चित्रांग नावाचे हरिण व एकाक्ष नावाचा कावळा प्रेमाने (एकत्र) राहत होते. एकदा चित्रांग वनात भटकत असताना कोण्या एका कोल्ह्याने त्याला पाहिले. क्षुद्रबुद्धी नावाच्या त्या कोल्ह्याची स्वार्थापोटी हरिणाबरोबर मैत्री करण्याची इच्छा होती. सूर्यास्त झाल्यावर, क्षुद्रबुद्धी हरिणाबरोबर हरिणाच्या घरी गेला.

हरिण व कोल्ह्याला पाहून कावळा म्हणाला, “अरे मित्रा चित्रांग! ह्य दुसरा कोण आहे ?” हरिण म्हणाले, “हा कोल्हा आहे. त्याला आपल्याबरोबर मैत्री करण्याची इच्छा आहे.” (त्यावर) कावळा म्हणाला “अचानक आलेल्या अपरिचितासोबत मैत्री योग्य नव्हे.” ते ऐकून कोल्हा रागाने म्हणाला, “हरिणाच्या प्रथमदर्शनी तू सुद्धा अनोळखी होतास. ज्याप्रमाणे हे हरिण माझ्या मित्रासमान आहे, त्याप्रमाणे तू आहेस.” हरिण म्हणाले, “(हा) वाद पुरे! आपण सर्व आनंदाने एकत्र राहूया.” कावळा म्हणाला, “असेच होवो.”

There was a certain forest named चंपक. A deer named चित्रांग and acrow named एकाक्ष used to live in the forest affectionately. Once, a certain jackal saw fait who was wandering in the forest. That jackal named yoga wished to befriend the deer with a selfish purpose.

At the time of sunset ya went to deer’s place with the deer. The crow said having seen the dear and the jackal, “Ofriend चित्रांग ! Who is this second (another) one?” The deer said, “This is a jackal. He wishes our friendship.”

(He wishes to befriend us.) The crow advised, “Friendship with a stranger, suddenly, is not appropriate.” Having heard it, the jackal angrily said, “At first sight you were stranger as well. Just as this deer is my friend so too are you.” The deer said, “Enough of this arguement. All of us will live together happily.” The crow said, “May it be so.”

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परिच्छेदः 2.

किश्चित्कालानन्तरं ……………… स्थितः।

अनुवादः

मराठी थोड्या वेळानंतर, कोल्हा हरिणाला म्हणाला, ‘या अरण्यात धान्याने भरलेले एक शेत आहे. मी तुला दाखवतो.’ तसे केल्यावर, दररोज हरिण तेथे जाऊन धान्य खात असे. ते पाहून, एके दिवशी शेतमालकाने जाळे टाकले. तेथे आलेले हरिण जाळ्यामध्ये अडकले. त्याने विचार केला, “आता फक्त मित्रच माझा आसरा आहेत.” दूरवरून ते पाहणारा कोल्हा मनातून खूष झाला.

त्याने विचार केला, “माझे ईप्सित फळास आले. आता मला पुष्कळ खाद्य मिळेल.” ते पाहून हरिण म्हणाले, “अरे मित्रा, माझे हे बंध तोडून टाक. मला वाचव.” कोल्हा लांबूनच म्हणाला, “अरे मित्रा, हे बंध (फार) घट्ट आहेत, मी स्नायूंनी बनविलेल्या जाळ्याला उपवासाच्या दिवशी कसे तोंड लावू?” असे म्हणून तो जवळ असलेल्या झाडाच्या मागे स्थिर उभा राहिला.

After some time, the jackal said to the deer, “There is a field, full of grains in this forest. I(will) show (it) to you.’ Having done so, the deer ate the grain, going there everyday. Having seen this, one day a trap was set by the owner of the field. The dear, who had come (arrived) there, was trapped in the net.

He thought, “Now, my friends only are my resort.” The jackal, who was seeing it from a far was delighted in the mind. He thought, “My desire is fulfilled. Now I shall get plenty of food.” Having seen it, the deer said, “O friend, cut through my bonds. Please save me.” The jackal replied from a far “Ofriend, this bond is strong. How can I touch the net made of sinews on my fasting day?” Having said this, he stood steady behind the tree that was nearby.

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परिच्छेदः 3.

प्रदोषकाले …………………हतः।

अनुवादः

तिन्हीसांजेच्या वेळी (सायंकाळी), हरिणाला शोधत कावळा तेथे हजर झाला. हरिणाला तशा प्रकारे पाहून तो म्हणाला, “अरे मित्रा ! हे काय?” हरिण म्हणाले, “मित्राच्या शब्दांची अवहेलना केल्यामुळे (शब्दांकडे दुर्लक्ष केल्यामुळे) मी अडकलो.

मराठी आणि म्हटलेले आहे – जो हितचिंतक मित्रांचे शब्द (सल्ला) ऐकत नाही, त्याच्याजवळ विपत्ती (निवास करते), अशी व्यक्ती शजूंना आनंदित करते.” (शत्रुत्व ओढवून घेते) कावळा म्हणाला, “तो (कपटी) फसविणारा कोठे आहे?” हरिण म्हणाले, “माझ्या मांसाच्या हावेने इथेच थांबला आहे.”

कावळा म्हणाला, ‘तर मग (यावर) उपाय शोधला पाहिजे.’ नंतर सकाळी, हातामध्ये काठी घेऊन येणाऱ्या शेतमालकाला कावळ्याने पाहिले. त्याला पाहून कावळा म्हणाला, “मित्रा हरिणा, तू स्वत:ला मेल्यासारखा दाखव.” (तुझे) पोट हवेने फुगवून पाय स्थिर ठेव.

जेव्हा मी आवाज करेन / ओरडेन, तेव्हा तू उठून पटकन पळ.” हरिण तसेच थांबले. शेतमालकाने हरिणाला पाहिले व म्हणाला, “बापरे ! तू तर मेलेला आहेस.” त्याने हरिणाला जाळ्यातून मुक्त केले. नंतर, कावळ्याचे ओरडणे ऐकल्यावर हरिण पटकन पळून गेले. शेताच्या मालकाने त्याला (हरिणाला) रोखून फेकलेल्या काठीने कोल्हा मारला गेला.

English At nightfall, the crow arrived there looking for the deer. Seeing the deer so (trapped) he said, “O friend! What is this?” The deer said, “I was caught (trapped) due to disregarding a friend’s words (advice).

and it is said The one who does not listen to words/advice of friends well-wishing, the calamity is placed close to him. That person is the delight of enemies. The crow said, “where is the deceiver ?” The deer said, “(He) is waiting here itself longing for my flesh.” The crow said, ‘We must think of a solution.’ Then in the morning, the crow saw the owner of the field coming with a stick in the hand.

Seeing him, the crow said, “O friend deer, pretend as if you are dead. Blow your belly with air, stiffen your legs and lie still. When I shall make a sound then, having stood up, you run away quickly The deer stayed accordingly. The owner of the field saw the deer and said, “Oh ! You are dead on your own.” He released the deer from the bonds.

Then, listening to the sound of the crow, the deer ran away quickly. Meanwhile, the stick which was thrown towards the deer by the owner of the field, killed the jackal.

Maharashtra Board Class 10 Sanskrit Amod Solutions Chapter 2 व्यसने मित्रपरीक्षा

शब्दार्थाः

  1. मृग – deer – हरिण
  2. काकः – crow – कावळा
  3. जम्बूकः – jackal – कोल्हा
  4. अवलोकितः – was seen – पाहिले
  5. अपरिचितः – stranger – अनोळखी
  6. कक्षित् – certain – कोणी एक
  7. भ्रमन् – roaming, wandering – भटकत असताना
  8. सख्यम् – friendship – मैत्री
  9. युक्ता – proper – योग्य
  10. शृगालेन – by jackal – कोल्ह्याने
  11. स्नेहेन – affectionately प्रेमाने
  12. स्वाहतुना – with selfish purpose – स्वार्थापोटी
  13. प्रथमदर्शने – at the first sight – प्रथमदर्शनी
  14. अस्तङ्गते – at the time of sunset – सूर्यास्त
  15. सवितरि – झाल्यावर
  16. निवसतः स्म – both used to live – दोघे राहत होते
  17. अबूत – said – म्हणाला
  18. अब्रवीत् – said – म्हणाला
  19. उक्तम् – said – म्हणाला
  20. आह – said – म्हणाला
  21. आकर्ण्य – having heard – ऐकून
  22. अकस्मात् – at once – अचानक
  23. सकोपम् – angrily – रागाने
  24. आगन्तुना सह – with a stranger – अनोळखी माणसासह
  25. दृढः – strong – घट्ट
  26. बन्धः – bond – बंध
  27. पाश: – noose – जाळे
  28. योजितः – arranged – व्यवस्था केली
  29. बद्धः – got stuck/caught – अडकले
  30. सस्यपूर्णम् – full of grains – धान्ययुक्त
  31. क्षेत्रम् – field – शेत
  32. शरणम् – resort – आश्रयस्थान, आसरा
  33. फलितम् – fulfilled – फळास आले
  34. मनोरथम् – desire – ईप्सित/इच्छा
  35. स्नायुनिर्मितान् – made of sinews – स्नायूंनी बनलेले
  36. क्षेत्रपतिना – by the field-owner – शेतमालकाने
  37. व्रतदिवसे – on the day of fast – उपवासादिवशी
  38. दर्शयामि – I show – मी दाखवतो
  39. प्रापयामि – I shall get – मला मिळेल
  40. छिन्धि – you break – तू तोड
  41. जायस्व – you save – तू वाचव
  42. प्रत्यहम् – every day – दररोज
  43. इदानीम् – now – आता
  44. प्रभूतम् – plenty of – भरपूर
  45. निभृतम् – still – निश्चल
  46. तथा कृते – having done so – तसे केल्यावर
  47. उपस्थितः – arrived – हजर झाला
  48. वञ्चक: – crooked / deceitful – फसविणारा
  49. लगुडहस्त: – stick in the hand – काठी हातात घेतलेला
  50. हतः – killed – मेलेला
  51. अन्विष्यन् – searching – शोधत
  52. विपत् – calamity – संकट
  53. सन्निहिता – placed close by – जवळ
  54. मृतवत् – like dead – मेल्यासारखा
  55. सुङद्वाक्यम् – friend’s speech – मित्राचे बोलणे
  56. वातेन – with air – हवेने
  57. क्षिप्तेन – thrown – फेकलेल्या
  58. अनादरात् – due to disrespecting – अवहेलना केल्यामुळे
  59. हितकामानाम् – of well-wishers – हितचिंतकांचे
  60. प्रदोषकाले – at the nightfall – तिन्हीसांजेला
  61. शृणोति – listens – ऐकतो
  62. पलायिष्यसे – you will run – पळशील
  63. व्यमुञ्चत् – released – मुक्त केले
  64. अब्रूत – said – म्हणाला
  65. संदर्शय – appear – दाखव
  66. उद्दिश्य – pointing – रोखून
  67. उत्थाय – having got up – उठून
  68. आलोक्य – seeing – पाहून
  69. स्तब्धीकृत्य – keeping still – स्थिर / स्तब्ध राहून
  70. क्व – where – कोठे
  71. उदरं पूरयित्वा – blowing the belly – पोट भरून
  72. मन्मांसार्थी – longing for my flesh – माझ्या मांसाच्या हावेने

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Lokbharti Chapter 8 उड़ान Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 8 उड़ान Textbook Questions and Answers

पठनीय:

प्रश्न 1.
‘दहेज’ जैसी सामाजिक समस्याओं को समझते हुए इसके संदर्भ में जनजागृति करने हेतु घोषवाक्यों का वाचन कीजिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान

श्रवणीय:

प्रश्न 1.
हिंदी-मराठी भाषा के प्रमुख गजलकारों की गजल रचना सुनिए और सुनाइए।

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘मैं चिड़िया बोल रही हूँ इस विषय पर स्वयंप्रेरणा से लेखन कीजिए।

आसपास:

प्रश्न 1.
अंतरजाल की सहायता लेकर कोई कविता पढ़िए और निम्न मुद्दों के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 1

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न 1.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
परों में शक्ति हो तो ………..
उत्तर:
(क) उपलब्ध नभ को नापना है।
(ख) उपलब्ध जल को नापना है।
(ग) भू को नापना है।

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प्रश्न 2.
सुलगते आप, बाहर से …………
(क) तपन नहीं माँगा करते।
(ख) अगन नहीं माँगा करते।
(ग) बुझन नहीं माँगा करते।
उत्तर:
1. परों में शक्ति हो तो उपलब्ध नभ को नापना है।
2. सुलगते आप, बाहर से अगन नहीं माँगा करते।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का सरल भावार्थ लिखिए। अँधेरे के इलाके में ………….. नमन माँगा नहीं करते।
भावार्थ:
प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाएँ; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं मांगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का बन होता है; वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।”

“जो व्यक्ति सचमुच आदर का अधिकारी है उसके सामने दुसरे लोगों के मस्तक अपने आप झुक जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को किसी से नमन या आदर मांगने की जरूरत नहीं होती बल्कि उसे तो अपने आप आदर मिल जाता है। व्यक्ति के पास विनम्रता होनी चाहिए।”

प्रश्न 4.
कविता द्वारा दिया गया संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने व्यक्ति को मानवीय गुणों को स्वीकार करने के लिए कहा है। स्वाभिमान, विनम्रता, दूरदृष्टि, बुलंद हौसले आदि गुणों को स्वीकार करने से व्यक्ति प्रगति की ऊंची उड़ान भर सकता है। फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा। जिस व्यक्ति के पास मानवीय गुण होते हैं उन्हें किसी के भी पास हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे लोगों को समाज में मान-सम्मान कीर्ति व यश अपने आप मिल जाता है। अत: व्यक्ति के पास मानवीय गुणों का होना जरूरी होता है।

प्रश्न 5.
कविता में प्रयुक्त विरामचिह्नों के नाम लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः
(,) – अल्पविराम
बाक्य: राम ने दुकान से शक्कर, मिठाई व खजूर लाए।
(|) – पूर्णविराम
वाक्य: अजय शहर गया है।

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प्रश्न 6.
संजाल
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 2
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 3

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
“”मैं चिड़िया बोल रही हूँ।” इस विषय पर स्वयंप्रेरणा से लेखन कीजिए।
उत्तरः
“पंछी बनू उड़ती फिरूं मस्त गगन में
आज मैं आजाद हूँ दुनिया के चमन में।”

मुझे आज भी याद है पुरानी फिल्म का यह गीत । सचमुच पंछी बनकर खुले आसमान में विचरण करना सभी को अच्छा लगेगा। किसी की कुछ भी रोक-टोक नहीं और नहीं किसी-का कुछ झंझट । बस सिर्फ आसमान में स्वच्छंद होकर उड़ना। बताओ किसे अच्छा नहीं लगेगा? संध्या समय पीपल के नीचे बैठकर मेरे मन में ये विचार आ ही रहे थे तभी अचानक पीपल के पेड़ पर बैठी एक चिड़िया ने ची-चीं करते हुए मुझे आवाज दी और वह मेरे समक्ष आकर बैठ गई। फिर अपने बारे में कहने लगी।

“मैं हूँ नन्ही-सी, प्यारी-सी चिड़िया। इस पेड़ पर ही मेरा निवास है। देख रही हो वह घोंसला? कितने प्यार से मैंने बनाया है! उसका निर्माण करने के लिए मुझे तकरीबन एक महीना लगा है। न जाने मैंने कहाँ-कहाँ से उसे तैयार करने के लिए सामग्री इकट्ठा की है? बस ईश्वर ही इस बात का साक्षी है। मैंने अपनी चोंच में तिनका-तिनका लाकर स्वयं के लिए सुंदर भवन का निर्माण किया है। उस घोंसले में मेरे दो अंडे हैं। अब जल्द ही दो नन्हे-मुन्ने बच्चे मेरे घर आएँगे। अब मैं उन्हीं का इंतजार कर रही हूँ।

पीपल के इस पेड़ पर पहले मेरे कई भाई-बहन रहा करते थे। तोता, मैना आदि मेरे भाई बहन मनुष्य द्वारा निर्मित प्रदूषण के शिकार हो गए। अब न इस पेड़ पर कोई तोता आकर बैठता है और न कोई मैना। कौओं की भी काँव-काँव अब पहले जैसे सुनाई नहीं दे रही है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की। इसका परिणाम यह हुआ कि पक्षियों की संख्या कम होती गई। अब तो शहरों से पक्षी नदारद हो गए हैं।

मैंने सुना है कि कुछ संस्थाएँ पक्षी-दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं और कर्नाला पक्षी अभयारण्य जैसे स्थलों पर जाती रहती है। लेकिन मेरी प्यारी बहना, सच कहूँ तो वहाँ पर भी अब पहले जैसे पंछी नहीं रहें। पहले जैसे पंछियों का कलरव अब सुनाई नहीं देता है। इसके लिए इंसान ही जिम्मेदार है। यह सब उसी के कार्य का परिणाम है। यदि इंसान अपने किए कराए से बाज नहीं आएगा; तो भविष्य में अपने लिए गड्ढा स्वयं ही खोद लेगा।

हम ही इस सुंदर धरती का अंश हैं। हमें भी जीवन जीने का अधिकार है। आखिर हम भी एक जीव हैं। इंसान को कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे अधिकार को छीन लें। उसे प्राकृतिक संतुलन के बारे में सोचना चाहिए। जब इंसान “जिओ और जीने दो” इस सूत्र को अपनाएगा तब उसका जीवन भी खुशहाल हो जाएगा और यह प्यारी धरती फिर से ‘सुजलाम् सुफलाम्’ बन जाएगी।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 8 उड़ान Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 4

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 5

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। परों में शक्ति …………….. गगन माँगा नहीं करते।
भावार्थः
प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “जिनके पंखों में शक्ति होती है वे संपूर्ण आसमान को नाप लेते हैं। यानी जिनके पास साहस व वीरता होती है या जिनके हौसले बुलंद होते हैं; वे असंभव कार्य को संभव करते हैं। जैसे कि आसमान में विचरण करना या उड़ना तो पंछियों का काम होता है और वे तो गगन में नित्य संचार करते रहते हैं। उन्हें उड़ने के लिए किसी से गगन माँगने की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात जहाँ चाह, वहाँ राह अपने आप निर्माण हो जाती है।’

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(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
व्यक्ति को इसके सपने अपने आप आते हैं ……………
उत्तर:
(क) जिससे वह मन व प्राण से प्यार करता है।
(ख) जिससे वह नफरत करता है।
(ग) जिससे वह सहायता की अपेक्षा करता है।

प्रश्न 2.
ये अग्नि की माँग नहीं करते हैं …….
(क) जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना स्वीकार किया है।
(ख) जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना अस्वीकार किया है।
(ग) जन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में दूसरों को जलाना तय किया
उत्तर:
1. व्यक्ति को इसके सपने अपने आप आते हैं जिससे वह मन व प्राण से प्यार करता है।
2. ये अग्नि की माँग नहीं करते हैं जिन्होंने पश्चात्ताप की अग्नि में जलना स्वीकार किया है।

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
पद्यांश पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर
निम्न शब्द हों।
1. निमंत्रण
2. पश्चात्ताप
उत्तर:
1. किसके बिना सपने अपने आप आते हैं?
2. पद्यांश में किस अग्नि में जलने की बात हो रही है?

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कृति (4) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। जिसे मन प्राण …………….. माँगा नहीं करते।
भावार्थ:
जिन लोगों ने अपने आप को पश्चात्ताप की आग में जलना स्वीकार कर लिया है, उन्हें कैसे कोई रोक सकता है? ऐसे लोग पश्चात्ताप की अग्नि में अंदर से सुलगते रहते हैं; लेकिन वे बाहर से अग्नि की माँग नहीं करते हैं। पश्चात्ताप की अग्नि से बढ़कर कोई दूसरी अग्नि नहीं हो सकती।

(ग) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 6

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 8 उड़ान 7

कृति (3): भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। खुशबू देती है …………….. धूपदान होती है।
भावार्थ:
प्रस्तुत पंक्ति ‘उड़ान’ इस गजल से ली गई है और इसके कवि चंद्रसेन विराट जी हैं। धूप जब जलता है; तब वह सभी को खुशबू देता है। शायर की जिंदगी भी धूपदान की तरह होती है। वह अपनी शायरी से लोगों के जीवन में खुशबू भर देता है।”

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पद्य-विश्लेषण:

  • कविता का नाम – उड़ान
  • कविता की विधा – गजल
  • पसंदीदा पंक्ति – एक बहरे को एक गूंगा दे, जिंदगी वो बयान होती है।
  • पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें एकदूसरे की सहायता करने से जिंदगी बड़े आराम से कटती है।
  • कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति को स्वाभिमानी व विनम्र होना चाहिए। उसके हौसले बुलंद होने चाहिए। उसे मानवीय गुणों को अपनाकर स्वयं का जीवन सुंदर बनाना चाहिए।

उड़ान Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि चंद्रसेन विराट जी हिंदी साहित्य के आधुनिक रचनाकारों में से एक हैं। इनका जन्म ३ दिसंबर १९३६ को इंदौर मध्य
प्रदेश में हुआ। ये हिंदी साहित्य जगत में गजलकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने अपनी गजलों में आम आदमी के जीवन
को अभिव्यक्त करने का सफल प्रयास किया है। इन्होंने गजल के साथ-साथ गीतों का भी लेखन किया है।

प्रमुख कृतियाँ: गीत संग्रह – ‘मेंहदी रची हथेली’, ‘स्वर के सोपान’, ‘मिट्टी मेरे देश की’, ‘धार के विपरीत’ आदि; गजल संग्रह – ‘आस्था
के अमलतास’, ‘कचनार की टहनी’, ‘न्याय कर मेरे समय’ आदि; मुक्तक संग्रह – कुछ पलाश कुछ पाटल, ‘कुछ सपने’, ‘कुछ सच’ आदि।

पदय-परिचय:

गजल: गजल काव्य विधा का एक प्रकार है। एक ही बहर और वजन के अनुसार लिखे गए शेरों के समूह को ‘गजल’ कहते हैं। गजल
के पहले शेर को ‘मतला’ और अंतिम शेर को ‘मकता’ कहते हैं।

प्रस्तावना: ‘उड़ान’ इस गजल में गजलकार चंद्रसेन विराट जी ने मानवीय मूल्यों के दर्शन करवाए हैं। व्यक्ति के पास स्वाभिमान, विनम्रता, दूरदृष्टि व बुलंद हौसले होने चाहिए। इन गुणों से ही जीवन में व्यक्ति ऊँचा उठता है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता गजल विधा में लिखी गई है। व्यक्ति के पास मानवीय गुणों का होना बहुत जरूरी होता है। मानवीय गुणों के कारण व्यक्ति का व्यक्तित्व विकसित होता है। व्यक्ति के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। स्वाभिमान के कारण व्यक्ति ऊँचा उठता है। जिसके पास विनम्रता होती है; उसे समाज में आदर अपने आप मिलता है। जिनके हौसले बुलंद होते हैं; उनके लिए असंभव कुछ भी नहीं होता। जीवन में व्यक्ति को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए। जीवन में सभी को खुशी देने का प्रयास करना चाहिए। आखिर चार दिन की जिंदगी होती है। उसी में स्वयं खुश रहकर दूसरों के भी जीवन में खुशियाँ भर देनी चाहिए।

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शब्दार्थ:

  1. अगन – अग्नि, आग
  2. सायबान – छाया देने वाला
  3. बयान – वक्तव्य
  4. तीर – बाण
  5. कमान – धनुष
  6. इलाका – क्षेत्र
  7. कंटक – काँटा
  8. आदर – सम्मान
  9. पर – पंख
  10. थकान – थकावट
  11. शायर – शायरी लिखने वाला

भावार्थ:

अँधेरे के इलाके में ………………. सुमन माँगा नहीं करते।

प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाए; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं माँगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का वन होता है वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

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Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

Hindi Lokbharti 9th Std Digest Chapter 3 इनाम Textbook Questions and Answers

मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
“प्राकृतिक संसाधन मानव के लिए वरदान।’ इस विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तरः
सच ही कहा गया है कि प्राकृतिक संसाधन मानव के लिए वरदान होता है। सूर्य की रोशनी, हवा, मिट्टी, पानी, लकड़ी, तेल, कोयला, जीवश्म, ईधन, खनिज, वनस्पति और अन्य पदार्थ प्राकृतिक संसाधन होते हैं क्योंकि ये सन्न प्रकृति द्वारा इसान को उपहार के रूप में मिले हैं। ये प्रकृति में प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं। इन्हें मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं किया जा सकता। मानव सभ्यता, शहरीकरण, तकनीकीकरण, औद्योगिकीकरण के लिए इन संसाधनों का इस्तेमाल करता है।

इंसान की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का कार्य प्राकृतिक संसाधन करते हैं। इनके कारण ही आज मनुष्य प्रगति कर सका है। इंसान के जीवन को खुशहाल एवं समृद्ध करने में प्राकृतिक संसाधन सहायता करते हैं। इनके कारण ही इस धरती पर जीवन संभव हुआ है। अत: प्राकृतिक संसाधन मानव के लिए वरदान हैं।

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आसपास :

प्रश्न 1.
आपके गाँव-शहर को जहाँ से बिजली आपूर्ति होती है, उस केंद्र के बारे में जानकारी प्राप्त करके टिप्पणी तैयार कीजिए।

संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘ईधन की बचत, समय की माँग है।’ इस विषय पर अपना मत व्यक्त कीजिए।

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उत्तरः
सचमुच आज के इस तकनीकी युग में ईधन की बचत समय की माँग हो गई है। यदि हमने आने वाले समय में ईंधन की बचत नहीं की तो हमें बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा। हमारे देश में ईंधन की सौमित मात्रा ही उपलब्ध है। अत: मानव का दायित्व है कि वह उसकी बचत करे। ईंधन की बचत करने के लिए हमें पब्लिक बस या रेल से सफर करना चाहिए। अपनी गाड़ियों को व्यर्थ में चालू करके नहीं छोड़ना चाहिए। हमें छोटी दूरी के लिए साइकिल का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम ईंधन की बचत करेंगे; तो वह आगे आने वाले पीढ़ी को उपलब्ध हो सकेगा। ईधन की बचत करने से हम पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा सकते हैं।

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लेखनीय :

प्रश्न 1.
समुद्री लहरों से विद्युत निर्मिति के बारे में टिप्पणी तैयार कीजिए। संदर्भ यू ट्यूब से लीजिए।
उत्तरः
समुद्री लहरों से विद्युत की निर्मिति की जाती है। इसे ‘जलविद्युत ऊर्जा’ कहते हैं। समुद्र की लहरें ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। इसी कारण सतह के पानी व गहरे समुद्र के बीच तापमान में लगातार भिन्नता रहती है। इसका फायदा ऊर्जा निर्माण करने के लिए किया जाता है। समुद्री धाराओं में बड़े पैमाने पर फ्लोटिंग विलवणीकरण संयंत्र का कार्यान्वयन किया जा रहा है जिस कारण जलविद्युत ऊर्जा की निर्मिती हो रही है।

पठनीय :

प्रश्न 1.
दैनंदिन जीवन में उपयोग में लाए जाने वाले विविध उपकरणों के आविष्कारकों और उनके कार्यो की जानकारी प्राप्त करके पढ़िए ।

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पाठ के आँगन में :

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न क.
पाठ में आए और हिंदी में प्रयुक्त होने वाले पाँच-पाँच विदेशी एवं संकर शब्दों की सूची।
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उत्तर:

विदेशी शब्दसंकर शब्द
1. रेफ्रीजरेटरमोहल्लेदार
2. टेलीफोनछायादार
3. एक्सपर्टलाठीचार्ज
4. क्यूबवर्षगाँठ
5. आइसक्रीमरेलगाडी

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

प्रश्न ख.
वाक्य में कि, की के स्थान को स्पष्ट कीजिए।
‘माँ ने कहा कि बच्चों ने आम की आईसक्रीम तैयार की।’
उत्तर:
कि – समुच्चयबोधक अव्यय
की – संबंधकारक
की – क्रिया

प्रश्न ग.
रेफ्रीजरेटर आने के पूर्व घरवालों के विचार।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 3

प्रश्न घ.
रेफ्रीजरेटर आने के बाद घर की स्थिति।
उत्तरः
कृति ग (1) का आकलन देखिए।

पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
प्रशंसापत्र/पुरस्कार/इनाम के प्रसंग का कक्षा में वर्णन कीजिए।

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भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
दिए गए आकृति के अनुसार रचना की दृष्टि से सरल, संयुक्त, मिश्र अन्य वाक्य पाठ से खोजकर तालिका पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 4
उत्तरः
छात्र स्वयं पाठ में से सरल, संयुक्त एवं मिश्र वाक्य ढूँढ़कर लिखेंगे।

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Hindi Lokbharti 9th Answers Chapter 3 इनाम Additional Important Questions and Answers

(क) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 5

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 6

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 7

प्रश्न 2.
किसने, किससे कहा?
i. “तुम तो खयाली पुलाव पका रहे हो।”
उत्तर:
लेखक ने अपनी पत्नी से कहा।

ii. “हमारे टेलीफोन तो तुम ही हो।”
उत्तरः
लेखक की पत्नी ने लेखक से कहा।

प्रश्न 3.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. लेखक की पत्नी के अनुसार जिसका उत्तर सबसे अच्छा होगा, उसे इनाम मिलेगा।
ii. रेफ्रीजरेटर के लिए घरेलू पावर की जरूरत होती है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए।
i. प्रतियोगिता
ii. जुगाड़
iii. पत्नी
iv. रात
उत्तर :
i. स्पर्धा
ii. व्यवस्था
iii. भार्या
iv. निशा

प्रश्न 2.
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए।
i. दिन × …
ii. देसी × …..
उत्तरः
i. रात
ii. विदेशी

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प्रश्न 3.
वचन बदलिए।
i. लॉटरी
ii. दाम
उत्तर:
i. लॉटरियाँ
ii. दाम

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय पहचानिए।
i. प्रतियोगिता
ii. विदेशी
उत्तर:
i. ‘ता’ प्रत्यय
ii. ‘ई’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. अच्छा
ii. भारत
उत्तर:
i. अच्छा + आई – अच्छाई
ii. भारत + ईय – भारतीय

प्रश्न 6.
‘कल्पना में खोए रहना।’ इस अर्थ का गद्यांश में प्रयुक्तं मुहावरा है।
उत्तरः
खयाली पुलाव पकाना।

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या खयाली पुलाव पकाना अच्छी बात होती है ? इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
‘खयाली पुलाव पकाना’ यानी कल्पना में खोए रहना। कल्पना में खोए रहना उचित बात नहीं होती है। कल्पना के सहारे जीने से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं होता है। इंसान को कल्पना जरूर करनी चाहिए पर उस कल्पना को यथार्थ में लाने का निश्चय भी करना चाहिए। सिर्फ कल्पना करके खयाली पुलाव पकाना यानी कि जीवन की सच्चाई से दूर भागना होता है। अत: स्पष्ट है कि खयाली पुलाव पकाना अच्छी बात नहीं होती है।

(ख) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 8

प्रश्न 2.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
अमिता खिलखिलाई क्योंकि ……………………।
(क) वह रेफ्रीजरेटर में बर्फ जमाएगी।
(ख) वह रेफ्रीजरेटर में रोजाना आइसक्रीम जमाएगी।
(ग) वह रेफ्रीजरेटर से रोजाना ठंडा पानी पीएगी।
उत्तर:
अमिता खिलखिलाई क्योंकि वह रेफ्रीजरेटर में रोजाना आइसक्रीम जमाएगी।

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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 9

प्रश्न 2.
सहसंबंध लिखिए।
पहले आने वालों के लिए : शिंकजी :: शौकीनों के लिए :
उत्तरः
चाय

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 10

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।

  1. ताली
  2. बोतलें
  3. पत्नी
  4. बहू

उतर:

  1. तालियाँ
  2. बोतल
  3. पत्नियाँ
  4. बहुएँ

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प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. पड़ोसी
ii. बहू
उत्तर:
i. पड़ोसन
ii. बेटा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. शक
ii. नम
उत्तर:
i. बे + शक – बेशक
ii. वि + नम् = विनम्

प्रश्न 4.
प्रत्यय पहचानिए।
i. खिलखिलाई
ii. रोजाना
iii. भाग्यवान
उत्तर:
i. आई
ii. आना
iii. वान

प्रश्न 5.
समानार्थी शब्द लिखिए।
i. किस्मत
ii. शक
उत्तर:
i. भाग्य
ii. संशय

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प्रश्न 6.
मानक वर्तनी के अनुसार शब्द लिखिए।
i. परबंध
ii. ठण्डा
उत्तर:
i. प्रबंध
ii. ठंडा

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘यदि रेफ्रीजरेटर न होते …..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
रेफ्रीजरेटर खाद्य पदार्थों को ठंडा बनाए रखता है एवं उन्हें खराब होने से बचाता है। यदि रेफ्रीजरेटर नहीं होते, तो खाद्य पदार्थों को ठंडा बनाए रखने में समस्या निर्माण हो जाती और फिर वे खराब हो जाते। रेफ्रीजरेटर के न होने से इंसान को ठंडा पानी भी पीने के लिए उपलब्ध नहीं होता। आज बाजार में आइसक्रीम के जो फैमिली पैक मिल रहे हैं। वे उपलब्ध नहीं होते। रेफ्रीजरेटर के न होने से आइसक्रीम भी तैयार नहीं हो सकती थी। गर्मियों के दिनों में इंसान की हालत बिगड़ जाती। शरबत व फलों के जूस बहुत दिनों तक नहीं रहते। इस प्रकार रेफ्रीजरेटर नहीं होते, तो इंसानों को बहुत तकलीफ होती थी।

(ग) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 11

प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. हेमंत के अनुसार देवी की मानता का आशीर्वाद था रेफ्रीजरेटर।
ii. अरुण का रिश्तेदार रेफ्रीजरेटर कंपनी में नौकरी करता है।
उत्तर:
i. असत्य
ii. सत्य

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कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
किसने, किससे कहा?
i. “मैंने फिर दुबारा दिमाग पर जोर नहीं डाला।”
उत्तरः
कुढ़मगज ने लेखक से कहा।

ii. “हमें भी बता दें।”
उत्तर:
पड़ोस की एक महिला ने लेखक से कहा।

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 12

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. अरुण
ii. तिरछा
उत्तर:
i. लाल, सूर्य
ii. टेढा, वक्र, बाँका

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प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. बिजली
  2. बेटा
  3. हाथी

उत्तर:

  1. विदयुत
  2. पुत्र
  3. गज, हस्ती

प्रश्न 3.
प्रत्यय पहचानिए।
i. रिश्तेदार
ii. पूलकर
उत्तर:
i. ‘दार’ प्रत्यय
ii. ‘कर’ प्रत्यय

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प्रश्न 4.
‘अनु’ उपसर्ग से निर्मित दो शब्द लिखिए।
उत्तर:
i. अनुबंध
ii. अनुचित

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ लिखकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
i. जली-कटी सुनाना
उत्तर:
अर्थ : खरी-खोटी सुनाना।
वाक्यः रामू से गलती क्या हो गई, सभी उसे जली-कटी सुनाने लगे।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्द मानक वर्तनी के अनुसार लिखिए।

  1. शककी
  2. इन्क
  3. मुफ्त
  4. काण्टा

उत्तर:

  1. शक्की
  2. इंक
  3. मुफ्त
  4. काँटा

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कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘पड़ोसियों की आदत होती है, निंदा करने की!’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
संकट की घड़ी में पड़ोसी अपने रिश्तेदारों की अपेक्षा तुरंत सहायता के लिए उपस्थित हो जाते हैं। भले ही यह बात सच हो लेकिन अपने पास में रहने वालों की निंदा करने से भी वे कभी बाज नहीं आते। आप कितनी भी अच्छी तरह से उनके साथ रहें या उनके साथ अच्छा व्यवहार करें; फिर भी वे आपकी निंदा करना नहीं छोड़ेंगे। निंदा करना उनकी आदत होती है।

अपने पड़ोस में रहने वाले किसी व्यक्ति ने नई गाड़ी खरीदी हो या कुछ अन्य नई वस्तु घर पर लाई हो; तो वे जल-भूनकर राख हो जाते हैं और उस व्यक्ति के बारे में भला-बुरा कहने लगते हैं। इसलिए उपर्युक्त वाक्य से मैं सहमत हूँ। (विद्यार्थी अपने व्यक्तिगत विचार स्वतंत्र रूप से भी लिख सकते हैं।)

(घ) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 13
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प्रश्न 2.
सहसंबंध लिखिए।
i. शांति बुआ : आटा :: लाला दीनदयाल : ……………
उत्तर:
मिठाई का बोइया

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कृति घ (2): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
सही पर्याय चुनकर लिखिए।
i. लाला जी ने आइस्क्रीम नहीं खाई क्योंकि ………….।
(क) उन्हें सर्दी हो जाती है।
(ख) उन्हें बुखार चढ़ जाता है।
(ग) उनके दाँत चीसने लगते हैं।
उत्तर:
(ग) उनके दाँत चीसने लगते हैं।

ii. पत्नी का दिल बाग-बाग हो गया क्योंकि ………….।
(क) शांति बुआ आटे का कटोरा रेफ्रीजरेटर में रखना चाहती थी।
(ख) शांति बुआ बिना बुलाए लेखक के घर आई थी।
(ग) शांति बुआ रेफ्रीजरेटर का ठंडा पानी पीना चाहती थी।
उत्तर:
(क) शांति बुआ आटे का कटोरा रेफ्रीजरेटर में रखना चाहती थी।

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँढकर लिखिए।

  1. प्रसन्नता
  2. संध्या
  3. दया

उत्तर:

  1. खुशी
  2. शाम
  3. कृपा

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प्रश्न 2.
लिंग बदलिए।
i. भगवान
ii. लाला
उत्तर:
i. भगवती
ii. ललाइन

प्रश्न 3.
बचन बदलिए।
i. चिंता
ii. तश्तरी
उत्तर:
i. चिंताएँ
ii. तश्तरियाँ

प्रश्न 4.
प्रत्यय पहचानिए।
i. जल्दबाज
उत्तर:
‘बाज’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
उपसर्ग लगाकर नए शब्द लिखिए।
i. कृपा
ii. दुआ
उत्तर:
i. अवकृपा
ii. बदुआ

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प्रश्न 6.
मुहावरे का अर्थ लिखकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
i. मिसरी घोलकर बोलना
उत्तरः
अर्थः मीठी-मीठी बातें करना।
वाक्यः रामलाल अपने स्वार्थ हेतु सभी से मिसरी घोलकर बोलते हैं।

(छ) परिच्छेद पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम 16

प्रश्न 2.
सहसंबंध लिखिए।
i. लखनऊ : चमनलाल :: कोलकाता : ….
उत्तर:
बनर्जी

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश के आधार पर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हो।
i. सिंधी आलू
ii. स्कूल
उत्तर:
i. कैलाश को क्या अच्छे लगते हैं?
ii. हेमंत-अमिता कहाँ गए थे?

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प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. सिल्वर क्रीम बनर्जी बाबू ने खाई।
ii. सिंधी आलू लेखक की पत्नी ने बनवाए थे।
उत्तर:
i. असत्य
ii. असत्य

कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग बदलिए।
i. भाभी
ii. पत्ति
उत्तर:
i. भैया
ii. पत्नी

प्रश्न 2.
प्रत्यय पहचानिए।
i. मूर्खता
ii. बिगड़कर
उत्तर:
i. ‘ता’ प्रत्यय
ii. ‘कर’ प्रत्यय

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए।
i. वास्तव × ……….
ii. फायदा × …………
उत्तरः
i. काल्पनिक
ii. नुकसान

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प्रश्न 4.
समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. स्कूल
  2. निराश
  3.  आँख
  4. लाचारी

उत्तर:

  1. विद्यालय
  2. उदास
  3. नयन
  4. बेबसी

प्रश्न 5.
गोश में ‘महत्त्वहीन’ इस अर्थ से संबंधित कहावत है।
उत्तरः
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘आधुनिक युग में समाचार उड़ती बीमारी से भी तेज फैलते हैं।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आधुनिक युग विज्ञान व तकनीकी का युग है। आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है। इस युग में संचार माध्यमों का अत्यधिक प्रचार-प्रसार हुआ है। संचार माध्यमों ने विश्व की दूरियों को समेटकर बहुत छोटा कर दिया है। जितनी जल्दी से कोई भी संक्रामक बीमारी नहीं फैल सकती है; उतनी जल्दी से समाचार देश के कोने-कोने में फैलते हैं। दूरदर्शन के विविध चैनल, समाचार पत्र, मोबाइल फोन, एस. एम. एस., ट्विटर, ई-मेल आदि के जरिए समाचार तुरंत पलभर में संपूर्ण देश में फैल जाते हैं। आज हम अपने देश में बैठे हुए भी दूसरे देशों में होने वाली घटनाओं से तुरंत अवगत हो जाते हैं।

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(च) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
जोड़ियाँ मिलाइए।

(अ)(ब)
1. रमा(क) मिठाई
2. रामानुज(ख) पराठे
3. शांति बुआ(ग) साग
4. चक्रवर्ती(घ) पनीर

उत्तरः

(अ)(ब)
1. रमा(ख) पराठे
2. रामानुज(क) मिठाई
3. शांति बुआ(घ) पनीर
4. चक्रवर्ती(ग) साग

कृति (2) आकलन कृति

प्रश्न 1.
घटनाक्रमानुसार वाक्य लिखिए।

  1. अब लेखक के घर के पास भी कोई नहीं फटकता है।
  2. लेखक ने पनीर फेंक दिया था।
  3. लेखक की पत्नी ने पराठे साधु को दिए थे।
  4. लेखक ने मिठाई घर पर पधारे अपने मित्रों को दे दी।

उत्तर:

  1. लेखक ने पनीर फेंक दिया था।
  2. लेखक ने मिठाई घर पर पधारे अपने मित्रों को दे दी।
  3. लेखक की पत्नी ने पराठे साधु को दिए थे।
  4. अब लेखक के घर के पास भी कोई नहीं फटकता है।

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
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कृति (3) शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश से ढूँड़कर लिखिए।

  1. आशीर्वाद
  2. वर्षा
  3. परेशान
  4. वस्तु

उत्तर:

  1. आशीष
  2. बारिश
  3. तंग
  4. चीज

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प्रश्न 2.
बिलोम लिखिए।
i. कल x ………….
ii. विश्वास x …………
उत्तर:
i. आज
ii. अविश्वास

प्रश्न 3.
वचन बदलिए।
i. बीमारी
i. शंका
उत्तर:
i. बीमारियाँ
ii. शंकाएँ

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प्रश्न 4.
प्रत्यय पहचानिए।
i. बीमारी
ii. लाचारी
उत्तर:
i. ‘ई’ प्रत्यय
ii. ‘ई’ प्रत्यय

प्रश्न 5.
लिंग बदलिए।

  1. साधु
  2. चाचा
  3. बुआ

उत्तर:

  1. साध्वी
  2. चाची
  3. फूफा

कृति (4) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जैसे के साथ तैसा व्यवहार करना चाहिए।’ इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘जैसे के साथ तैसा’ यह एक कहावत है। इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति आपके साथ जिस प्रकार का व्यवहार करता हो, ठीक उसी प्रकार आपको भी उसके साथ व्यवहार करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति आपसे आत्मीयता एवं सादगी से पेश आता है, तो आपको भी उसके साथ आत्मीयता एवं सादगी से पेश आना चाहिए। यदि कोई आपको सभी के सामने भला बुरा कहे और आपका अपमान करें, तो आपको भी उसके साथ उसी प्रकार का व्यवहार करना चाहिए और सभी के समक्ष उसे खरी-खोटी सुनानी चाहिए। जब आप ऐसा करेंगे; तब वह व्यक्ति दुबारा आपके साथ दुर्व्यवहार करने की नहीं सोचेगा। कभी-कभी हमें दूसरों की अक्ल ठिकाने लाने के लिए उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना पड़ता है।

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

प्रश्न 1.
अव्ययों का अपने बाक्यों में प्रयोग कीजिए।
i. कि
ii. अब
उत्तर:
i. मैंने कहा कि तुम अपना काम करो।
ii. अब तो मुझे चलना चाहिए।

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प्रश्न 2.
काल परिवर्तन कीजिए।

  1. भारत में धूम मच गई है। (अपूर्ण भूतकाल)
  2. तुम तो खयाली पुलाव पका रहे हो। (सामान्य भूतकाल)
  3. तुम्हारे पराठे दे दिए। (सामान्य भविष्यकाल)
  4. अब मेरे घर के पास भी कोई नहीं फटक रहा था। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
  5. चिंता ने चेतन की चिता सजा दी। (पूर्ण वर्तमानकाल)
  6. मैं जगह कर लूँगा। (पूर्ण भूतकाल)
  7. साधु आशीष देकर चला गया। (संयुक्त वाक्य)
  8. सबेरे एक साधु आ गए। (मिश्र वाक्य)

उत्तर:

  1. भारत में धूम मच रही थी।
  2. तुमने तो खयाली पुलाव पकाया।
  3. तुम्हारे पराठे दे दूंगा।
  4. अब मेरे घर के पास भी कोई नहीं फटक रहा है।
  5. चिंता ने चेतन की चिता सजा दी है।
  6. मैंने जगह कर ली थी।
  7. साधु ने आशीष दिया और चला गया।
  8. जैसे ही सबेरा हुआ वैसे ही एक साधु आ गए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों के रचना की दृष्टि से भेद लिखिए।

  1. जैसे ही एक जाता था; वैसे ही दो आते थे।
  2. यह सब लॉटरी का प्रताप था।
  3. “सुना है तुम्हारा रेफ्रीजरेटर आ गया है?”
  4. मुझसे नहीं खाई जाएगी।

उत्तर :

  1. मिश्र वाक्य
  2. साधारण वाक्य
  3. प्रश्नार्थक वाक्य
  4. निषेधार्थक वाक्य

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के भेद पहचानिए।
i. मैं बर्फ के क्यूब चूसूंगा।
ii. कुछ शौकीनों के लिए चाय बनी।
उत्तर:
i. मैं – सर्वनाम; बर्फ – द्रव्यवाचक संज्ञा
ii. कुछ – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण;
बनी – सकर्मक क्रिया

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प्रश्न 5.
अव्यय पहचानिए।
i. जरा इधर तो सुन।
ii. कटोरा ले लिया गया और रेफ्रीजरेटर में रख दिया गया।
उत्तर:
i. इधर – क्रियाविशेषण अव्यय
ii. और – समुच्चयबोधक अव्यय

इनाम Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : अरुण जी का जन्म 3 जनवरी 1928 को मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। आधुनिक हिंदी लेखकों में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिंदी साहित्य में आधुनिक कहानीकार एवं उपन्यासकार के रूप में श्रीमान अरुण जी का नाम उल्लेखनीय है। कहानियाँ एवं उपन्यास लिखना आपका शौक है। आपके समग्र साहित्य की 14 पुस्तकों का संकलन प्रकाशित हो चुका है। आपकी कलम ने साहित्य के विविध विधाओं को अनुग्रहित किया है।
प्रमुख कृतियाँ : एकांकी संकलन – ‘मेरे नवरस’; कहानी संग्रह – ‘बृहद हास्य संकलन’।

गद्य-परिचय :

हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध : ‘हास्य-व्यंग्य’ का अर्थ ही है उपहास करना। अत: इस प्रकार के निबंध में उपहास को प्रधानता दी जाती है। इसमें किसी विषय का तार्किक एवं बौद्धिक विवेचनापूर्ण लेखन किया जाता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी ‘इनाम’ के माध्यम से लेखक अरुण जी ने रेफ्रीजरेटर को माध्यम बनाकर लोगों के आचरण एवं व्यवहार पर करारा व्यंग्य किया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokbharti Solutions Chapter 3 इनाम

सारांश :

प्रस्तुत पाठ एक हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध है। भारतीय समाज में तरह-तरह की विसंगतियाँ पाई जाती हैं। इस पाठ के द्वारा लेखक ने रेफ्रीजरेटर का आधार लेकर समाज में पाई जाने वाली विसंगतियों पर हास्य के माध्यम से करारा व्यंग्य किया है। एक भारतीय कंपनी रेफ्रीजरेटर की प्रसिद्धि के लिए विदेशी विज्ञापन पद्धति का सहारा लेती है। इसके लिए प्रतियोगिता का आयोजन करती है। लेखक भी इसमें सम्मिलित होते हैं और वे जीत जाते हैं। इसी कारण उन्हें एक रेफ्रीजरेटर मुफ़्त में मिल जाता है।

मुफ़्त में मिले रेफ्रीजरेटर को देखने के लिए उनके घर में पास-पड़ोस एवं सगे-संबंधियों का तांता लग जाता है। घर आए लोगों की आव-भगत एवं उन्हें रेफ्रीजरेटर का ठंडा पानी पिलाते-पिलाते लेखक का परिवार तंग आ जाता है। इतना ही नहीं, आस-पास रहने वाले लोग उनके फ्रीज में ढेर सारी चीजें रखते हैं। अंत में लेखक को एक तरकीब सूझती है और वे लोगों द्वारा रखी गई चीज़ों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। इस कारण अब लोग उनकी फ्रीज में अपनी चीजें रखना बंद कर देते हैं।

शब्दार्थ :

  1. जुगाड़ – व्यवस्था, प्रबंध
  2. दरख्वास्त – अर्ज, अरजी
  3. भंभड़ – शोरशराबा
  4. अमानत – धरोहर
  5. प्रतियोगिता – स्पर्धा
  6. प्रतियोगी – प्रतिस्पर्धी
  7. बिजली – विद्युत
  8. लाचारी – बेबसी

मुहावरे :

  • जली-कटी सुनाना – खरी-खोटी सुनाना।
  • मिसरी घोलकर बोलना – मीठी-मीठी बातें करना।
  • खयाली पुलाव पकाना – कल्पना में खोए रहना, स्वप्नरंजन करना।

कहावत :

ऐरे गैरे नत्थू खैरे – महत्त्वहीन

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Balbharti Maharashtra State Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Class 8 Geography Chapter 9 Map Scale Textbook Questions and Answers

1. 

Map Scale Std 8 Question a.
Classify maps showing the following areas into small scale or large scale:
(1) Building (2) School (3) Country of India (4) Church (5) Mall (6) World map (7) Garden (8) Dispensary (9) Maharashtra state (10) The north sky at night.
Answer:
The classification of maps showing the given areas is as follows:
(A) Small scale maps:

  1. Country of India
  2. World map
  3. Maharashtra state
  4. The north sky at night.

(B) Large scale maps :

  1. Building
  2. School
  3. Church
  4. Mall
  5. Garden!
  6. Dispensary.

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Map Scale Class 8 Geography Question b.
There are two maps with respective scales of 1cm = 100 m and 1cm = 100 km. Give well reasoned answer as to which of them would be a large scale map and which a small scale map. Recognize the types of maps.
Answer:
A. Out of the two maps with respective scales of 1 cm = 100 m and 1 cm = 100 km, a map with respective scale of 1 cm = 100 m would be a large scale map.
B. Reasons :

  1. 1 metre is equal to 100 centimetres and 100 metre is equal to 10000 centimetres.
  2. Thus, the value of the given verbal scale (1cm = 100 m) is 1 : 10000 in numerical terms (scale).
  3. A map having a numerical scale of 1 : 10,000 or less than it is called large scale map. Therefore, 1cm = 100 m would be a large scale map.

C. Types of maps :

  1. Maps of villages, church, agricultural fields, etc. are the large scale maps.
  2. Maps of state, country, continent, world, etc. are the small scale maps.

2. Using a map of India from the atlas measure straight Line distance between the following cities and complete the table below.

Question a.
Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale 1
Answer:

CitiesDistance on a mapActual distance
1. Mumbai to Bangaluru0.98 cm980 km
2. Vijaypura to Jaipur2 cm2000 km
3. Hyderabad to Surat0.9 cm900 km
4. Ujjain to Shimla1.14 cm1140 km
5. Patna to Raipur0.75 cm750 km
6. Delhi to Kolkata1 cm1000 km

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

3. 

Map Scale Std 8 Questions And Answers Question a.
The distance between two points A and B on the ground is 500 m. Show this distance on paper by a line of 2 cm. Express the map scale by any one method and mention it.
Answer:
Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale 2

Question b.
Convert verbal scale of 1cm = 53 km to a numerical scale.
Answer:

  1. 1 kilometre is equal to 100000 centimetres. Therefore, 53 kilometres is equal to 5300000 centimetres.
  2. Therefore, the verbal scale of 1 cm = 53 km can be converted to a numerical scale as – 1 : 5300000.

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Class 8 Geography Chapter 9 Map Scale Question c.
Convert numerical scale of 1 : 10000000 to a verbal scale in the metric system.
Answer:

  1. 100000 centimetres is equal to 1 kilometre. Thus, 10000000 centimetres is equal to 100 kilometres.
  2. Therefore, numerical scale of 1 : 10000000 to a verbal scale in the metric system can be converted as 1 cm = 100 km.

4. Help them, using road and railway maps of the state of Maharashtra. Use the scale given in the maps.

Std 8 Geography Chapter 9 Map Scale Question a.
Ajay wants to arrange a family trip. Beed-Aurangabad-Dhule-Nasik Mumbal-Pune-Solapur-Beed. He wants to visit tourist places along this route. The cost of the vehicle is Rs 12/- per km. What would be the approximate cost of travel?

Map Scale Questions And Answers Question b.
Saloni has been asked to organize a trip by her teacher. She has selected Nagpur Chandrapur-Nanded-Washim-Akola Malkapur. What would be the total coverage in kilometers?

Geography Class 8 Chapter 9 Question c.
Vishawasrao is transporting goods in a vehicle from Alibag (district Raigad) to Naldurg (district – Osmanabad). How many km. will he be covering aproximately for a to and fro travel?

Projects:

Map Scale Questions Question a.
Measure the length and breadth of your school. Prepare a sketch according to scale. Show different parts of your school on the sketch.

Maharashtra State Board Class 8 Geography Solutions Question b.
With the help of google maps find the distance between your village and your neighbouring village. Represent all the three methods of map scale on paper.

Class 8 Geography Chapter 9 Map Scale Additional Important Questions and Answers

Mark ✓ the box next to the right alternative:
(Note: The answers are given directly.)

Question a.
Which of the following factor’s map will be a large scale map?
(a) Temple [ ]
(b) State [ ]
(c) Nation [ ]
(d) Continent [ ]
Answer:
(a) Temple [✓]

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Question b.
Which of the following scale indicates small scale map?
(a) 1 : 100 [ ]
(b) 1 : 1000 [ ]
(c) 1 : 10000 [ ]
(d) 1 : 100000 [ ]
Answer:
(d) 1 : 100000 [✓]

Answer the following questions in one sentence each:

Question a.
What is verbal scale?
Answer:
A scale in which distances are expressed with the use of words indicating measurement is called verbal scale.

Question b.
What is numerical scale?
Answer:
A scale in which distances are expressed as ratio is called numerical scale.

Question c.
What is linear scale?
Answer:
A scale in which distances are expressed by drawing graphical scale is called linear scale.

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Question d.
What is large scale map?
Answer:
A map in which a particular part of ground covers comparatively more area is called large scale map.

Question e.
What is small scale map?
Answer:
A map in which a particular part of ground covers comparatively less area is called small scale map.

Write short notes on:

Question a.
Verbal scale.
Answer:
1. A scale in which distances are expressed with the use of words indicating measurement is called verbal scale.
2. For example, 1cm = 100 km.

3. In verbal scale, the word indicating measurement on the left hand side indicates the distance between any two points on a s map. On the other hand, the word indicating 1 measurement on the right hand side! indicates the ground distance between those two points.

4. When the map is reduced or enlarged by taking its photo copy, the verbal scale on the original map does not change.

Question b.
Numerical scale.
Answer:

  1. Numerical scale: A scale in which distances are expressed as ratio is called numerical scale.
  2. For example, 1:10000. It is also known as representative fraction.
  3. In numerical scale, the same measuring unit is used for the figures on the left hand side and right hand side. However, no words are used to indicate this measuring unit.
  4. In numerical scale, number 1 on the left hand side indicates the distance between any two points on a map. On the other hand, the number 10000 on the right hand side indicates the ground distance between those two points.
  5. When the map is reduced or enlarged by taking its photo copy, the numerical scale on the original map does not change.

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Question c.
Linear scale.
Answer:

  1. A scale in which distances are expressed by drawing graphical scale is called linear scale.
  2. For example,
    Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale 3
  3. Compass or blade of grass is used if the ruler is not available for the measurement.
  4. A thread is used for measuring the curved distances between two points shown in a map.
  5. When the map is reduced or enlarged by taking its photo copy, the linear scale drawn on the original map changes as per the changing size of the map.

Highlight differences /Distinguish between the following:

Question a.
Large scale map and Small scale map.
Answer:
Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale 4

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Question b.
Numerical scale and Linear scale.
Answer:
Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale 5

Study the following map /figure/graph and answer the following questions:

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale 6

Study the Figure and answer the following questions:

Question a.
How much is the ground distance between Mumbai and Gondia?
Answer:
The ground distance between Mumbai and Gondia is approximately 810 kilometres.

Maharashtra Board Class 8 Geography Solutions Chapter 9 Map Scale

Question b.
How much is the distance between Satara and Sangli on a map?
Answer:
The distance between Satara and Sangli on a map is approximately 1.5 centimetres.

Thought-Provoking Question:

Think about it. 

Question a.
What is the need to use map scale? Think about it and write a paragraph.
Answer:

  1. If the map scale is not mentioned in a map, it will become difficult to know the ground (actual) distance between any two points shown in a map.
  2. Map scale is important element of a map. It facilitates map reading.
  3. If the map scale is mentioned in a map, it will become very easy to understand the ground (actual) distance between any two points shown in a map.

Open-Ended Question:

Question a.
Which of the following scale will you prefer to use: (a) Verbal scale (b) Numerical scale (c) Linear scale?
Answer:

  1. Different measuring units are used in different countries of the world. Due to linguistic differences, particular verbal scale or linear scale may not be used with ease in all the countries.
  2. Numerical scale is a global scale. It can be used universally. Therefore, we will prefer numerical scale.