Class 11 Hindi Chapter 8 Tatsat Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 8 Tatsat Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 8 तत्सत Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 8 तत्सत Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 8 तत्सत Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
बड़ दादा के अनुसार आदमी ऐसे होते हैं –
(a) ……………………………………
(b) ……………………………………
(c) ……………………………………
उत्तर:
(a) इन्हे पत्ते नहीं होते।
(b) इनमें जड़ें नहीं होती।
(c) अपने तने की दो शाखाओं पर ही वे चलते चले जाते हैं।

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प्रश्न आ.
वन के बारे में इसने यह कहा –
(a) बड़ दादा ने –
(b) घास ने
(c) शेर ने
उत्तर :
(a) बड़ दादा ने – वन नामक जानवर को मैंने अब तक नहीं देखा।
(b) घास ने – वन को मैंने अलग करके कभी नहीं पहचाना।
(c) शेर ने – वन कोई नहीं है कहीं नहीं है।

प्रश्न इ.
घास की विशेषताएँ –
………………………………………………..
………………………………………………..
………………………………………………..
उत्तर :
(a) घास बुद्धिमती है।
(b) घास से किसी को शिकायत नहीं होती।
(c) उसे सबका परिचय पद तल के स्पर्श से मिलता है।

शब्द संपदा

2.
प्रश्न अ.
पर्यायवाची शब्दों की संख्या लिखिए :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट
उत्तर :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज ( 3 )
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर ( 3 )
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा ( 2 )
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन ( 4 )
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट ( 3 )

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प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द तैयार कर उपसर्ग के अनुसार उनका वर्गीकरण कीजिए –
कामयाब – न्याय – मान
सत्य – मंजूर
मेल – यश – संग
उत्तर :

उपसर्गमूल शब्दशब्द
उदा. –गैर
ना

अप

अव
ना
बे
अप
कु
जिम्मेदार
कामयाब
न्याय
मान
सत्य
गुण
मंजूर
मेल
यश
संग
गैर जिम्मेदार
नाकामयाब
अन्याय
अपमान
असत्य
अवगुण
नामंजूर
बेमेल
अपयश
कुसंग

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अभयारण्यों की आवश्यकता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
कुछ दिन पहले अखबार में एक खबर आई थी कि मुंबई के ठाणे विभाग की मानवी बस्ती में एक बाघ आया था। इस खबर से लोगों में काफी सनसनी फैली थी। जंगली जानवरों का मानवी बस्ती में आगमन बढ़ रहा है, जिससे मनुष्यों का खतरा बढ़ रहा है। इस बात पर चर्चा होने लगी।

वास्तव में देखा जाए तो जंगली जानवरों के लिए हम खतरा बन रहे हैं। भौतिक विकास के नाम पर जंगलों को खत्म करने से बेचारे जानवरों का जीना हराम हुआ है। जंगलों में रहने वाले अनेक छोटे-छोटे जीव-जंतु अस्तित्वहीन हो रहे हैं। उनका निवास हमने छीन लिया है। इसलिए बेचारों को मानवी बस्ती में घुसना पड़ रहा है। इस कारण अभयारण्यों की आवश्यकता तीव्रता से महसूस हो रही है।

प्रश्न आ.
‘पर्यावरण और हम’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

4.
प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए –
(1) बड़ दादा
(2) सिंह
(3) बाँस
उत्तर :
(1) वड़ दादा : ‘तत्सत’ इस कहानी में एक घना जंगल है। इस जंगल में एक बड़ा पुराना बड़ का पेड़ है। उसे सब ‘बड़ दादा’ कहकर पुकारते हैं। बड़ दादा अंत्यंत शांत और संयमी है। वह सबसे स्नेह करता है। एक दिन बड़ दादा की छाँव में बैठे दो आदमियों ने कहा कि यह वन अत्यंत भयानक और घना है।

आदमी किस वन के बारे में बात कर रहे थे, यह जंगल वासी समझ नहीं पाए। वन किसे कहते है? वह कहाँ है? इसे जानने के लिए सब बेचैन थे। अनेक पेड़, प्राणियों के साथ बड़ दादा की चर्चा हुई। किसी को भी ‘वन’ के बारे में जानकारी नहीं थी। कुछ दिन बाद वही आदमी फिर दिखाई दिए।

बड़ ने उन्हें ‘वन’ के बारे में पूछा। आदमी ने बड़ के पेड़ पर चढ़कर ऊपरी हिस्से में खिले हुए नए पत्तों को आस-पास की दुनिया दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ दादा को उस वक्त पता चला कि ‘वन’ माने कोई जानवर या पेड़-पौधे नहीं बल्कि उन सबसे वन बना है। वन हम में है और हम वन में हैं इस परम सत्य का उसे पता चला। आखिर वही ‘तत्सत’ था।

(2) सिंह : इस कहानी का सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। सिंह पराक्रमी है। वन का राजा है। उसे अपनी शक्ति पर गर्व है। जब बड़ दादा तथा अन्य उसे ‘वन’ के बारे में पूछते हैं तब उसे पता चलता है कि ‘वन’ नामक कोई है? उस ‘वन’ को उसने कभी नहीं देखा था। सिंह उस वन को चुनौती देना चाहता है।

अगर उसका ‘वन’ से मुकाबला हो जाए तो उसे फाड़कर नष्ट करना चाहता है। ‘वन’ को नष्ट करने की भाषा के पीछे उसका अज्ञान है। वन के अस्तित्व पर उसे भरोसा नहीं है। खुद की शक्ति पर अहंकार करने वाले सिंह के शब्द और कृति से उसका बल दिखाई देता है। शक्ति, वीरता, बल और अहंकार का प्रतीक ‘सिंह’ है।

(3) वाँस : ‘तत्सत’ कहानी में गहन वन है जहाँ के पेड़-पौधों को तथा पशुओं को ‘वन’ नामक जानवर के बारे में पता नहीं है। परंतु सबको उसका डर था क्योंकि शिकारियों ने ‘भयानक वन’ की बात आपस में की थी। वन के सभी ‘वन’ नामक भयानक जानवर के बारे में चर्चा कर रहे थे।

तब बाँस भी उस चर्चा में सम्मिलित हुआ। वह थोड़ी सी हवा आते ही खड़खड़ करने लगता था। वह पोला था परंतु बहुत कुछ जानता था। वह घना नहीं था, सीधा ही सीधा था। इसीलिए झुकना नहीं जानता था। उसे लगता था कि हवा उसके भीतर के रिक्त में वन-वन-वन-वन कहती हुई घूमती रहती है।

वाग्मी वंश बाबू अर्थात् बाँस ‘वन’ नामक भयानक प्राणी के बारे में अधिक बता न सके।

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प्रश्न आ.
‘तत्सत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘तत्सत’ यह कहानी प्रतीकात्मक है। यहाँ वन ईश्वर का प्रतीक है और वन में रहने वाले सभी प्राणी, पशु-पक्षी, पेड़ पौधे उसके अंश है। ‘वन’ के अस्तित्व को लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, इनसान में चर्चा छिड़ जाती है। आदमी का कहना है कि, ‘हम सब जहाँ है वहीं वन है। लेकिन पेड़-पौधे और पशु-पक्षी उसकी बात मानने को तैयार नहीं है। बड़ दादा की आदमी के साथ देर तक चर्चा होती है।

आखिर बड़ दादा को साक्षात्कार होता है और वह वन रूपी ईश्वर के अस्तित्व को मानने के लिए तैयार हो जाता है। बड़ दादा से मनुष्य ने जो कुछ कहा, मंत्र रूपी संदेश दिया तब मानो उसमें चैतन्य भर आया। उन्होंने खंड को कुल में देख लिया। उन्हें अपने चरमशीर्ष से कोई अनुभूति प्राप्त हुई।

सृष्टि के अंतिम सत्य को उन्होंने जान लिया। हम आज हैं कल नहीं परंतु ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। ईश्वर के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल को जंगल वासी और आदमियों के संवाद द्वारा लेखक ने साकार किया है।

हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है परंतु अंत में उस परम शक्तिशाली का अस्तित्व हमें स्वीकार करना ही पड़ता है। यही सत्य है। इसीलिए कहानी का शीर्षक सार्थक है। ‘तत्सत’ का शब्दश: अर्थ है वही सत्य है अर्थात ईश्वर सत्य है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियों की विशेषताएँ –
उत्तर :
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियाँ किसी ना किसी मूल विचार तत्व को जगाती है। रोजमर्रा के जीवन की समस्याएँ आपकी कहानियों में उजागर होती हैं। मनोविश्लेषण (psychoanalysis) और मानवीय संवेदना यह आपकी कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न आ.
अन्य कहानीकारों के नाम –
उत्तर :
हिंदी साहित्य में जैनेंद्र कुमार जी के अलावा प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, यशपाल, मन्नू भंडारी, शेखर जोशी, भीष्म साहनी, फणीश्वरनाथ रेणु, मार्कण्डेय आदि अनेक कहानीकारों को श्रेष्ठ कहानीकार माना जाता है।

6. निम्नलिखित रसों के उदाहरण लिखिए :

(a) हास्य
……………………………………………………..
(b) वात्सल्य
……………………………………………………..
उत्तर :
(a) हास्य रस :
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय?
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।

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(b) वात्सल्य रस :
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मोसौ कहत मोल को लीन्हौं,
तू जसुमति कब जायौ?

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 8 तत्सत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : शीशम ने कहा, “ये लोग इतने ही ……………………………………………. वह चीतों से बढ़कर होगा।” (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 39-40)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 2

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते …………………………………………….
उत्तर :
आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते क्योंकि इनमें पेड़ों की तरह जड़ें नहीं होती।

(ii) वन चीतों से बढ़कर होगा …………………………………………….
उत्तर :
वन चीतों से बढ़कर होगा क्योंकि आदमी वन को भयानवा बताते थे।

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों में अलग अर्थ वाला शब्द छाँटकर लिखिए :
उत्तर :

  • समीर, अनिल, मारुति, हवा – मारुति
  • दिन, तिथि, वार, वेद – वेद
  • प्रीति, स्नेह, प्यार, चाह – चाह
  • नारी, मनुष्य, आदमी, मानव – नारी

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प्रश्न 4.
प्रकृति द्वारा निर्मित पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का महत्त्व लिखिए।
उत्तर :
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का पर्यावरण संतुलन में अपना अलग महत्त्व है। पेड़-पौधे हो या पशु-पक्षी सभी को जीवित रहने के लिए आक्सीजन आवश्यक है और आक्सीजन बनाने में पेड़-पौधे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुद्ध हवा के साथ-साथ फल-फूल, पानी, छाया, आसरा आदि के लिए पेड़ आवश्यक हैं।

पेड़ अपनी हजारों मशीनों (पत्तियों) द्वारा हवा शुद्ध करने के काम में। लगा है। पशु-पक्षी पेड़ के फल खाते हैं और फलों के बीज इधर-उधर डालकर नए वृक्ष उगाने में सहायक सिद्ध होते हैं। उनके मल-मूत्र से पेड़-पौधों को खाद मिल जाती है और वे भी फलते-फूलते हैं।

मनुष्य द्वारा फैलाए गए प्रदूषण को कम करने में इस तरह पेड़-पौधे और पशु-पक्षी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। ये इस धरती का शृंगार है जो हमें जीवन प्रदान करने में मददगार सिद्ध हुए हैं। अत: इनकी अहमियत समझकर इन्हें संरक्षण देना हम सबका कर्तव्य है।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : तब सबने घास से पूछा ……………………………………………………………………………………………………………. कैसे जाना जाए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 41)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
उत्तर :

  • घास की विशेषता → बुद्धिमती
  • वंश बाबू की विशेषता = वाग्मी
  • भयानक जंतु का नाम → वन
  • घास की इससे बनती है → दुख

प्रश्न 2.
लिखिए : घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) ……………………………………..
(ii) ……………………………………..
उत्तर :
घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) पद तल की चोट अधिक मात्रा में देने वाला ताकतवर
(ii) धीमे कदम से चलने वाला दुखियारा

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) कठिनाई x ……………………………….
(2) धीमा x ……………………………….
उत्तर :
(1) कठिनाई x आसानी
(2) धीमा x तेज

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) जानने की इच्छा रखने वाला – जिज्ञासु
(2) दुःख में फँसा हुआ – दुखियारा

प्रश्न 4.
‘जंगल बचाओ’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दो साल पहले हम लोग कोंकण में गए थे। समुद्र के साथ-साथ वहाँ हम एक घने जंगल को भी देखने गए थे। उस घने जंगल को देखकर हम लोग सचमुच हैरान हो गए। बड़े-बड़े, विशाल वृक्ष, हजारों तरह के पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के छोटे-छोटे जीव-जंतु देखने का मौका हमें मिला।

पेड़ की शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थी। पेड़ के नीचे फल-फूल बिखरे हुए थे। अलगअलग पछियों की चहचहाट से मन पुलकित हो रहा था। एक अनोखा सुकून, महसूस हो रहा था। तब से मुझे हमेशा लगता है कि ‘जंगल’ बचाना बहुत जरूरी है।

सिर्फ हमारी अंदरूनी सुकून के लिए नहीं बल्कि उन सारे जीव-जंतुओं के लिए भी जिनकी जिंदगी जंगल पर निर्भर है। आज हम अपने स्वार्थ के लिए जंगल बरबाद कर रहे हैं। हमारी भौतिक जिंदगी आबाद हो रही है। जंगल की लकड़ियाँ तोड़कर हम तो एक से एक बड़ी इमारतें खड़ी कर रहे हैं किंतु जानवरों का निवास नष्ट हो रहा है। आजकल शेर, हाथी, बंदरों का मानवी बस्ती में घुसना आम बात हो गई है। इन सबको बचाना हमारा कर्तव्य है।

अत: ‘जंगल बचाओ’ यह अभियान चलाने की जरूरत है।

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(ई) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : उन दोनों आदमियों में से प्रमुख ने विस्मय से …………………………………………………………………………. ‘तो क्या मरोगे?’ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 43)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत 4

प्रश्न 2.
निम्न उद्गार कहने वालों का नाम लिखिए :
उत्तर :

  • “बको मत – बबूल
  • “यह सब कुछ ही वन है।” – प्रमुख पुरुष
  • “ठीक बताओ, नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं है।” – कई जानवर
  • “तो क्या मरोगे?’ – आदमी

प्रश्न 3.
विशेषण-विशेष्य की उचित जोड़ियाँ गद्यांश के आधार पर मिलाइए : (आदमी, बोली, पुरुष, सिंह, प्रमुख, वनराज, बेचारे, मानवी)
उत्तर :

  • आदमी बेचारे
  • वोली मानवी
  • पुरुष – प्रमुख
  • सिंह – वनराज

प्रश्न 4.
‘पर्यावरण और हम’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न :

प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए।
उत्तर :
(1) साँप : इस कहानी का सर्पराज अर्थात साँप वन का वासी है। वह हमेशा धरती से चिपककर रहता है। चमकीला देह और टेढ़ामेढ़ापन यह उसकी शारीरिक विशेषता है। जहाँ भी छिद्र हो वहाँ उसका प्रवेश हो सकता है। धरती के सारे गर्त को वह जानता है। धरती से पाताल तक उसका वास रहता है।

लेकिन इतना होने पर भी उसे ‘वन’ के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है। साँप के मतानुसार ‘वन’ फर्जी है। धरती के गर्त में ज्ञान की खान है। जहाँ सिर्फ साँप पहुँचता है इसलिए साँप इस कहानी में ‘ज्ञान’ का प्रतीक माना गया है। उसे धरती के अनेक रहस्यों का ज्ञान है। परंतु ‘वन’ के बारे में उसे कुछ पता नहीं है।

(2) घास : ‘तत्सत’ कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के अनेक पात्र किसी विशेष गुणों का प्रतीक है। कहानी की ‘घास’ एक सर्वव्यापी वनस्पति है। वह हर जगह व्याप्त है। वह ऐसी बिछी रहती है कि किसी को उससे शिकायत नहीं होती। लोगों की जड़ों को वह जानती है।

पद-तल के स्पर्श से घास सबको पहचानती है। जब उसके सिर पर किसी का स्पर्श इतना जोरदार होता है कि उसे चोट पहुंचे तो वह पहचानती है कि वह ताकतवर है। धीमे कदमों से अगर कोई घास पर से चलता है तो वह जान लेती है कि कोई दुखियारा जा रहा है। दुख से घास का अपनेपन का रिश्ता है।

इस कहानी में ‘घास’ ‘बुद्धिमती’ है, अर्थात बुद्धि का प्रतीक है।

तत्सत Summary in Hindi

तत्सत लेखक परिचय :

प्रेमचंदोत्तर उपन्यास (novel) में लेखक जैनेंद्र कुमार जी का एक विशिष्ट स्थान है। आपका जन्म 2 जनवरी 1905 को अलीगढ़ में हुआ। मनोविज्ञान और दर्शन आपके साहित्य का आधार है। हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक (promoter) के रूप में आप प्रसिद्ध है। पद्मभूषण से आप सम्मानित हैं। आपका देहांत 24 दिसंबर 1988 को हुआ।

तत्सत रचनाएँ :

परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी (उपन्यास) फाँसी, नीलम, एक रात, दो चिड़ियाँ, जैनेंद्र की कहानियाँ (सात भाग), (कहानी संग्रह) सोच-विचार, जड़ की बात, पूर्वोदय, काम, प्रेम और परिवार (निबंध) प्रेम में भगवान, पाप और प्रकाश (नाटक)

तत्सत विधा-परिचय :

गद्य साहित्य की सबसे प्रिय तथा रोचक विधा ‘कहानी’ को माना जाता है। जीवन का यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी में होता है। मनोरंजन के साथ-साथ, जीवन में व्याप्त कुप्रथा, गलत रूढ़ियाँ तथा आडंबरों (ostentatious) का पर्दाफाश करते हुए एक नए समाज की स्थापना करना यह उसका हेतु है।

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तत्सत विषय प्रवेश :

‘तत्सत’ यह कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के घने जंगल में रहने वाले पेड़-पशु-पंछी, जीव-जंतु विशिष्ट प्रवृत्तियों के प्रतीक है। ‘बुद्धि’, ‘शक्ति’, ‘ज्ञान’ के अहंकार में चूर मनुष्य स्वयं को सबसे श्रेष्ठ समझता है।

प्रस्तुत कहानी में लेखक कहना चाहते हैं कि सभी का अस्तित्व, अपनी-अपनी जगह महत्त्वपूर्ण है। हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है।

परंतु अंत में उस परम शक्तिमान का अस्तित्व भी स्वीकार करना पड़ता है। जंगल में होने वाली उथल-पुथल भरी घटना का आधार लेकर लेखक यह अंतिम सत्य अर्थात ‘तत्सत’ हम तक पहुँचाना चाहते हैं।

तत्सत सारांश :

एक घना जंगल था। एक दिन उस जंगल में दो शिकारी, शिकार की टोह में आए थे। शिकारी आपस में बोलने लगे कि इतना घना और भयानक जंगल इसके पहले उन्होंने कभी नहीं देखा था। एक बड़े बड़ के पेड़ के नीचे कुछ देर आराम करके वे आगे निकले।

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शिकारी लोगों के जाने के बाद बड़ के पेड़ के नीचे बैठे उन प्राणियों के बारे में सब पेड़-पौधों में चर्चा होने लगी। बड़ दादा से अन्य पेड़ों को पता चला कि बिना जड़ वाला सिर्फ दो शाखाओं पर चलने वाला यह प्राणी मतलब आदमी। उन आदमियों ने जिस ‘वन’ का जिक्र किया था वह ‘वन’ मतलब क्या है, कैसा है? उसे किसने देखा है? इस विषय पर चर्चा होने लगी।

जंगल में अनेक पेड़, प्राणी, जीव-जंतु थे। उन सब में उथल-पुथल मच गई थी कि आखिर ‘यह वन कौन है?’ जिसे किसी ने भी देखा नहीं था।

जंगल का राजा सिंह को जब वन के बारे में पूछा गया तो वह जोर से दहाड़ते हुए वन को चुनौती देने की भाषा करने लगा। वनराज सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। हर जगह फैलने वाली घास भी ‘वन’ के बारे में नहीं जानती थी। पद-तल के स्पर्श से व्यक्ति की भावनाओं को पहचानने वाली घास ‘बुद्धिमत्ता’ का प्रतीक है।

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धरती के सारे गर्त को जानने वाला साँप ‘ज्ञान’ का प्रतीक है। वह भी वन से बेखबर था। ऊँचा बातूनी बाँस अंदर से पोला था, जो ‘पोले’ आदमियों का प्रतिनिधित्व करता है। कहानी का ‘बड़’ संयमी, सहनशील, सबसे प्रेम करने वाला है। वह ज्ञान की लालसा रखता है। सारे वन्यजन ‘वन’ में रहकर भी ‘वन’ के अस्तित्व के बारे में अज्ञानी थे।

‘तत्सत’ का ज्ञान : जंगल के जीव-जंतु परेशान थे। इतने में वहाँ वे आदमी फिर आए। सब उन आदमियों से पूछने लगे कि ‘वन कहाँ है? वन मतलब कौन है? कैसा है?’ आदमी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे कि आप से ही वन है। वन्य जीव आदमी की बातें समझ नहीं पा रहे थे।

पशु चिढ़कर आदमी पर हमला करने की सोच रहे थे, आदमी भी सुरक्षा के लिए उनपर बंदूक चलाना चाहता था। परंतु बड़ दादा ने सभी को शांत किया।

अंत में आदमी बड़ के पेड़ पर चढ़ा। पेड़ के ऊपरी हिस्से पर खिलते नए पत्तों की जोड़ी को उसने आस-पास का दृश्य दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ को मानो समाधि लग गई। एक नई अनुभूति (sensation) उसे मिली और ‘तत्सत’ का ज्ञान हुआ कि वन में ही हम हैं और हम से ही वन है।

इस कहानी से लेखक कहना चाहते हैं कि सृष्टि की परम शक्ति जिसके अस्तित्व का अज्ञान हम में है। अंतिम सत्य यही है कि ईश्वर या परम शक्ति का अस्तित्व हम में ही है। हम से ही ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। इस कहानी की यही प्रतीकात्मकता है। जंगलवासी और आदमियों के संवाद मानो ‘परम शक्तिमान’ के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल है। यह कहानी रोचक तथा प्रभावकारी है।

तत्सत शब्दार्थ :

  • तत्सत = वही सत्य है
  • सेमर = शाल्मली
  • सिरस = शिरीष वृक्ष
  • वाग्मी = बातूनी, बहुत बोलने वाला
  • तुमुल = घमासान
  • मंथर = धीरे-धीरे
  • झक्की = सनकी
  • गर्त = गड्ढा, खड्ड
  • उद्ग्रीव = जिसकी गरदन ऊँची उठी हुई हो
  • चरमशीर्ष = उच्चतम
  • तत्सत = वही सत्य है (similarly),
  • छाँह = छाया (shadow),
  • वन = जंगल (forest),
  • घना = गर्द (dense), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 8 तत्सत
  • रोह = खोज (search),
  • गर्त = गड्ढा, उदग्रीव = जिसकी गर्दन उँची उठी हुई हो (raised neck),
  • अधीर = उतावली (impatient),
  • निर्धम = भ्रम रहित, आशंका रहित (non-fiction),
  • वाग्मी = बातूनी (talkative),
  • तुमुल = घमासान (boisterous),

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Text Book Solutions

Class 11 Hindi Chapter 7 Swagat Hai Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 7 Swagat Hai Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 7 स्वागत है! Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 7 स्वागत है! Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 7 स्वागत है! Textbook Questions and Answers

आकलन

1. उत्तर लिखिए:

प्रश्न अ.
‘स्वागत हैं’ काव्य में दी गई सलाह।
उत्तर :
युग-युगांतरों के बाद आज हम मिले हैं – हमारा इतिहास, कष्ट सब भूलकर हमें इकट्ठा होना है – नैहर आकर अपनों को मिलना है, शेष जिंदगी सुखपूर्वक बितानी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

प्रश्न आ.
प्रथम स्वागत करते हुए दिलाया विश्वास
उत्तर :
सब बिखरे थे आज मिलन होगा। इस धरती को स्वर्ग बना देंगे।

प्रश्न इ.
मारीच’ से बना शब्द
उत्तर :
‘मारीच’ से मॉरिशस यह शब्द बना।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
“यह तो तब था, घास ही पत्थर
पत्थर में प्राण हमने डाले।”
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अंग्रेजों ने सभी बांधवों को गिरमिटिया बनाकर गुलामी की जंजिरों में जकड़कर भिन्न-भिन्न देशों में बिखेर दिया। मॉरिशस की भूमि पर ये सभी बांधव अब इकट्ठा हुए। उस समय कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। इस देश को घूमकर देखने पर पता चलेगा कि आज हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। सभी बांधवों को इकट्ठा किया है।

प्रश्न आ.
‘स्वागत है’ कविता में ‘डर’ का भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर अर्थ लिखिए।
उत्तर :
कविता में डर का भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं पनिया-जहाज पर कौन चढ़ेगा अब भैया, बडा डर लग रहा है उससे तो अर्थ : हमारे सब बांधवों के मन में पानी में चलने वाले जहाज को लेकर डर-सा समा गया है। भय लग रहा है कि कहीं वह काला, भयंकर इतिहास फिर से दोहराया न जाए। फिर एक बार अंग्रेज सभी बांधवों को गुलाम बनाकर अलग-अलग देशों में भेज न दें।

3.
प्रश्न अ.
‘विश्वबंधुत्व आज के समय की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
विश्वबंधुत्व आज के समय की माँग है क्योंकि आज वैश्वीकरण का युग है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या ने उत्पादों की त्वरित प्राप्ति हेतु परस्पर एक दूसरे के साथ सह अस्तित्व को बढ़ावा दिया है। किसी भी देश की छोटी-बड़ी गतिविधि का प्रभाव आज संसार के सभी देशों पर किसी न किसी रूप में अवश्य पड़ रहा है।

फलत: समस्त देश अब यह अनुभव करने लगे हैं कि पारस्परिक सहयोग, स्नेह, सद्भाव, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाईचारे के बिना उनका काम नहीं चलेगा। विश्वबंधुत्व की अवधारणा (concept) भारतीय मनीषियों (wise) के सूत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ पर आधारित है जो शाश्वत (eternal) तो है ही, व्यापक एवं उदार नैतिक-मानवीय मूल्यों पर आधारित भी है। संसाधनों की बढ़ती माँग और उसकी पूर्ति के मनुष्य-मात्र के अथक प्रयत्नों ने दूरियों को कम किया है। फलस्वरूप विश्वबंधुत्व का विशाल दृष्टिकोण वर्तमान स्थितियों का महत्त्वपूर्ण परिचायक बना है।

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प्रश्न आ.
मातृभूमि की महत्ता को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
जिस व्यक्ति का जन्म जहाँ पर होता है उसे वह भूमि बहुत प्यारी होती है। वह उस भूमि की गोद में बड़ा होता है और वह उसकी माँ के समान होती है और उसे उसकी मातृभूमि कहा जाता है। मेरी मातृभूमि भारत है और मुझे इसे बहुत ही ज्यादा प्यार है। यह कला, संस्कृति और साहित्य से भरपूर है। इसे ऋषि-मुनियों की भूमि भी कहा जाता है और यहाँ पर बहुत से महापुरुषों का भी जन्म हुआ है। मेरी मातृभूमि चारों तरफ से प्रकृति से घिरी हुई है।

इसमें कहीं पर घने जंगल हैं तो कहीं पर पहाड़ और कहीं पर नदियाँ हैं। इसकी राष्ट्रभाषा हिंदी है। यहाँ पर सभी त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।

मेरी मातृभूमि विविधता में एकता का प्रतीक है। यहाँ पर सभी धर्मों के लोग रहते हैं और प्रत्येक राज्य की अपनी विशेषता है। इसके कण-कण में माँ की ममता छिपी है और कृषिप्रधान देश होने के कारण यहाँ पर हर समय खेतों में फसलें लहलहाती नजर आती है। मेरी मातृभूमि बहुत ही सुंदर है और इसकी सुंदरता को देखने हर साल बहुत से पर्यटक विदेशों से भी आते हैं।

रसास्वादन

4. गिरमिटियों की भावना तथा कवि की संवेदना को समझते हुए कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : स्वागत है
(ii) रचनाकार : शाम दानीश्वर
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में कवि ने अंग्रेजों के गुलाम बनकर झेले गए अपार कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया है। इतिहास की उस लंबी कहानी को जीना मतलब कीचड़ की दलदल में फँस जाना था। उस समय कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। इस देश को घूमकर देखने पर पता चलेगा कि आज तक बिछड़े सारे लहूलुहान बंधु अब मॉरिशस में इकट्ठे हो रहे हैं। अब उस कीचड़ में कमल के फूल उगने लगे हैं। हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। इन सब बंधु-बाँधवो का मॉरिशस में हृदय से स्वागत करते हैं।

(iv) रस-अलंकार : यह कविता प्रवासी साहित्य है। विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा रचा साहित्य इस श्रेणी में आता है।

शाम दानीश्वर जी मॉरिशस में बसे हिंदी कवि हैं। स्वागत है कविता में कहीं पर भयानक रस “कहीं पुन: दोहरा न दे इतिहास हमारा, इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ” तो कहीं पर वीर रस – ‘तो स्वर्ग इसे तुम बना जाओ, स्वागत – स्वागत – स्वागत है!’ की निष्पत्ति हुई है। प्रतीक विधान : प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृतियाँ भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

(vi) कल्पना : मॉरिशस की भूमि के लिए नैहर की कल्पना की है क्योंकि इस भूमि पर बिखरे परिजनों का मिलाप होगा। विविध देशों में विखरे हुए बंधुओं का मॉरिशस की भूमि पर स्वागत है।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव :
‘पर दासता पंक में जा गिरे थे
कितने युग लगे पंकज बनने में,
‘मारीच’ से मॉरिशस बनने में,
देखो इस पावन भूमि पर
बन बांधवों का सफल प्रणयन।’

इन पंक्तियों में कवि कह रहे हैं हम अग्रेजों के गुलाम बनकर कीचड़ की दल-दल में जा गिरे थे। कई युग लग गए कीचड़ में कमल खिलने के लिए। कई दिशाओं से इकट्ठा कर हमारे बांधवों को मॉरिशस की इस पवित्र भूमि पर सफलतापूर्वक ले जाया गया है। गिरमिटियों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर करने वाली ये पंक्तियाँ मुझे पसंद हैं।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : मॉरिशस हिंद महासागर का स्वर्ग है, यह कल्पना गिरमिटियों को सत्य में तबदील करनी है। कवि का गिरमिटियों की सृजनात्मक प्रतिभा पर विश्वास इस कविता में व्यक्त हुआ है।

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इसीलिए मुझे यह कविता पसंद है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
प्रवासी साहित्य की विशेषता – ………………………………………….
उत्तर :

  • स्थानिक संस्कृति-संस्कारों की झलक
  • स्थानिक रीति-रिवाजों की झलक
  • स्थानिय भाषा-मुहावरों एवं प्रतीकों का प्रयोग
  • स्थानिय परिवेश एवं वातावरण का चित्रण
  • देश-विदेश के जीवन मूल्यों का चित्रण

प्रश्न आ.
अन्य प्रवासी साहित्यकारों के नाम – ………………………………………….
उत्तर :

  • डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी (लंदन)
  • उषा वर्मा (यॉर्क, लंदन)
  • कृष्ण बिहारी (अबुधाबी)

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 7 स्वागत है! Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : स्वागत है! ……………………………………………………………………………………………….. फिर उस जहाज पर तो चढ़े थे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 35)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :

(i) सब अलग-अलग जहाज पर चढ़े थे क्योंकि ……………………………………………..
उत्तर :
सब अलग-अलग जहाज पर चढ़े थे क्योंकि वे अलग-अलग देशों से आ रहे थे।

(ii) सब हक्का-बक्का ताकने लगे क्योंकि ……………………………………………..
उत्तर :
सब हक्का-बक्का ताकने लगे क्योंकि उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वे कहाँ आ गए हैं?

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
कवि प्रवासी भारतीयों को बिछड़ने का गम भुलाकर, इतिहास के दुःस्वप्न को पीछे धकेलकर मॉरिशस की भूमि पर लौट आने का आमंत्रण (न्यौता) देते हैं। कवि कहते हैं कि एक ही भारत माँ के हम सभी बालक हैं लेकिन अंग्रेजों ने हमें गुलामगिरी में जकड़कर विविध देशों में बिखेर दिया। कई युगों के बाद हमारा मिलन मॉरिशस में होने जा रहा है इसलिए इस भूमि पर आपका स्वागत है।

हम सब जहाज से प्रवास करने वाले जहाजिया बांधव ठहरे। अलग-अलग देशों से कोई इस जहाज पर, कोई उस जहाज से हमारे बांधव यहाँ आ रहे हैं। समुद्र तट पर जहाज का लंगर पड़ा तब सब चकित होकर यहाँ-वहाँ ताकने लगे। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि हम कहाँ आ गए हैं?

मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं? इस जहाज पर उन्हें जगह नहीं मिली थी लेकिन दूसरे जहाज पर तो चढ़े ही थे फिर वे कहाँ हैं? आने वाले सभी बांधवों का, दोस्तों का कवि सहर्ष स्वागत कर रहे हैं।

(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : भूल जाओ …………………………………………………………………………………………………………………….. आँसू थामे वहीं मिलेंगे (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 35)

प्रश्न 1.
प्रवाहतालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
मॉरिशस की भूमि पर उतरने के कारण
(i) ……………………………
(ii) ……………………………
उत्तर :
मॉरिशस की भूमि पर उतरने के कारण –
(i) वह हमारा नैहर है जहाँ बाबुल के लोग मिलेंगे।
(ii) वहाँ निज बंधुओं को खोज पाएँगे और देश-परदेश का नाम मिट सकेगा।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
कवि अपने बांधवों से उस पुरानी लंबी कहानी को, गुलामी के दंश, और पीड़ा को भूलने की बिनती करते हैं। जो भी हमारे नसीब में था वह सब अब हो चुका। अब उसे याद कर हम क्यों रोए? वह हमारा भूतकाल था। युग-युगांतरों के बाद ही सही लेकिन आज तो हम मिल ही रहे हैं, यह वास्तव है।

कवि इन सारे बांधवों का, दोस्तों का मॉरिशस में स्वागत करतें हैं। हमारे सब बांधवों के मन में पानी में चलने वाले जहाज को लेकर डर-सा समा गया है। भय लग रहा है कि कहीं वह काला भयंकर इतिहास फिर से दोहराया न जाए। उनके सामने सवाल है कि जहाज पर अब कौन चढ़ेगा? यहाँ पर फिर से हम बिखर न जाएँ ना ही फिर एक बार अपने बंधुओं को ढूँढ़ते रह जाना पड़ें। अब तो हम सब आसमान में उड़कर मॉरिशस की धरती पर उतर जाएँगे।

वहीं पर हमारा मायका होगा और वहीं पर हमें हमारे परिवार के लोग मिलेंगे। अब देश-परदेश से छुटकारा मिलेगा। दुःखाश्रुओं को थामकर वहीं पर हम सब मिलेंगे।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : हे मेरे गिरमिटिया ……………………………………………………………………………………………………….. स्वर्ग इसे तुम बना जाओ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 36)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दजाल से सार्थक शब्द ढूँढकर लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है! 8

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर :
हे मेरे गिरमिटिया भाइयो, (अंग्रेजो के गुलाम बनकर झेले गए अपार कष्टों को सहने में आपने जो हिम्मत दिखाई है वह प्रशंसनीय है।) इतिहास की उस लंबी कहानी को जीना मतलब कीचड़ की दलदल में फँस जाना है। जिस प्रकार मारीच (राक्षस) से मॉरिशस (स्वर्ग) बनने में युग बीते।

मॉरिशस की इस पवित्र भूमि पर कई देशों के लोग इकट्ठा हुए। कीचड़ से कमल उगने में भी कई युग बीते। उस समय कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। आज तक बिछड़े बंधुओं का मॉरिशस में हृदय से स्वागत करते है।

मेरे भारत – नेपाल – श्रीलंका, फीजी सूरीनाम – पाक – गयाना के चहेते भाइयो साऊथ अफ्रिका – युके – युएसए – कनाडा – फ्रांस – रेनियन के प्यारे भाइयो मॉरिशस की इस भूमि में तुम्हारी सारी यादें गहराई-तक खुदी हुई हैं।

इस भूमि को हिंद महासागर का स्वर्ग कहते हैं। यह कल्पना है या वास्तव पता नहीं परंतु मेरे प्यारे भाइयों मुझे विश्वास है कि आप सब यहाँ आकर इस धरती को स्वर्ग में तब्दील कर देंगे इसलिए कवि सभी प्रियजनों का मॉरिशस में हार्दिक स्वागत करते हैं।

अलकार

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले कारक, गुण, धन अथवा तत्त्व को अलंकार कहा जाता है। जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार जिन साधनों से काव्य की सुंदरता में अभिवृद्धि होती है, वहाँ अलंकार की उत्पत्ति होती है।

मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद हैं – शब्दालंकार, अर्थालंकार , उभयालंकार हम शब्दालंकार का अध्ययन करेंगे।

अनुप्रास – जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

उदा. –
(१) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
(२) चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में। – मैथिलीशरण गुप्त

वक्रोक्ति – वक्ता के कथन का श्रोता द्वारा वक्ता के अभिप्रेत आशय से चमत्कारपूर्ण भिन्न अर्थ लगाया जाए, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदा. –
(१) को तुम इत आये कहाँ ? घनश्याम हौं, तौ कितहू बरसो।
चितचोर कहावत है हम तो ! तँह जाहू जहाँ धन है सरसो।
रसिकेश नये रंगलाल भले ! कहूँ जाय लगो तिय के गर सो।
बलि पे जो लखो मनमोहन हैं ! पुनि पौरि लला पग क्यों परसो।
– रसकेश

(२) मैं सुकुमारी नाथ बन जोगू।
तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।
– संत तुलसीदास

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले कारक, गुण, धन अथवा तत्त्व को अलंकार कहा जाता है। जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार जिन साधनों से काव्य की सुंदरता में अभिवृद्धि होती है, वहाँ अलंकार की उत्पत्ति होती है।

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मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद हैं – शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार हम शब्दालंकार का अध्ययन करेंगे।
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अनुप्रास : जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदा. :
(1) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
(2) चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में। – मैथिलीशरण गुप्त

वक्रोक्ति : वक्ता के कथन को श्रोता द्वारा वक्ता के अभिप्रेत आशय से चमत्कारपूर्ण भिन्न अर्थ लगाया जाए, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदा. :
(1) को तुम इत आये कहाँ? घनश्याम हौं, तो कितहू बरसो।
चितचोर कहावत है हम तो ! तँह जाहु जहाँ धन है सरसो।
रसिकेश नये रंगलाल भले ! कहुँ जाय लगो तिय के गर सो।
बलि पे जो लखो मनमोहन हैं ! पुनि पौरि लला पग क्यों परसो।
– रसकेश

(2) मैं सुकुमारी नाथ बन जोगू।
तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।
– संत तुलसीदास

यमक : जहाँ शब्दों, शब्दांशों या वाक्यांशों की आवृत्ति होती है किंतु अर्थ भिन्न होता है वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदा. :
(1) कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय (कनक – सोना, कनक = धतूरा) – बिहारी
(2) सजना है मुझे सजना के लिए (सजना – सँवरना, सजना = पति) – रवींद्र जैन

श्लेष : जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ मिलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। यहाँ शब्द का प्रयोग एक ही बार किया जाता है परंतु अर्थ कई निकलते हैं।
उदा. :
(1) जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो करें, बढ़े अँधेरा होय।
– रहीम
बढ़े शब्द के दो अर्थ – बढ़ना = बुझ जाना, बढ़ना = बड़ा होना।

(2) सुवरन को खोजत फिरत
कवि, व्यभिचारी, चोर।
– केशव दास
सुवरन – अच्छे शब्द (कवि के संदर्भ में), सुवरन – अच्छा रुप (व्यभिचारी के संदर्भ में)
सुवरन – स्वर्ण (चोर के संदर्भ में)

स्वागत है! Summary in Hindi

स्वागत है! कवि परिचय :

शाम दानीश्वर जी का जन्म 1943 में हुआ। आपने प्राथमिक शिक्षा poudre d’or Hamlet, Mauritius सरकारी पाठशाला में माध्यमिक शिक्षा Goodlands, Mauritius स्कूल में प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप हिंदी अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। हिंदी के प्रति लगाव होने के कारण साहित्य रचना में रुचि जागृत हुई। प्रवासी साहित्य में मॉरिशस के कवि के रूप में आपकी पहचान बनी।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

अपने परिजनों से बिछोह का दुख, गुलामी का दंश और पीड़ा आपके काव्य में पूरी संवेदना के साथ उभरी है। यथार्थ अंकन के साथ भविष्य के प्रति आशावादिता आपके काव्य की विशेषता है। साहित्य सृजन समाज संस्थान के प्रधान 1994 जुलाई से सह मुख्य अध्यापक, 1964 से 1994 तक अध्यापन कार्य आदि पद प्राप्त किए। शाम दानीश्वर जी की मृत्यु 2006 में हुई।

स्वागत है! प्रमुख कृतियाँ :

पागल, कमल कांड (उपन्यास) प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य-संग्रह

स्वागत है! काव्य परिचय :

प्रस्तुत कविता में कवि ने गिरमिटियों (indentured labour) के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया है। गिरमिटियों की पीढ़ियों के मन में स्थित भारतीयों की संवेदनाओं और सृजनात्मक प्रतिभाओं के दर्शन कराए हैं। साथ ही गिरमिटियों को अपनी विगत दुखद स्मृतियों को भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब मॉरिशस की भूमि नैहर के समान है, जहाँ परिजनों से मिलाप होगा।

अब यहाँ पर कीचड़ में कमल उगने लगे हैं। कवि विविध देशों में बिखरे हुए बंधुओं को बुलाकर उनका स्वागत करते हैं।

स्वागत है! सारांश :

कवि शाम दानीश्वर प्रवासी साहित्य में मॉरिशस के कवि के रूप में जाने जाते हैं। प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को बिछुड़ने का गम भुलाकर, इतिहास के दुःस्वप्न को पीछे धकेलकर लघु भारत अर्थात मॉरिशस की भूमि पर लौट आने का न्यौता) आमंत्रण देते हैं।

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कवि अपने समस्त भाइयों का और अंग्रेजों के गुलाम बनकर बिखरे हुए सभी परम दोस्तों का मॉरिशस में स्वागत करते हैं। कवि आगे कहते हैं कि एक ही भारत माँ के हम सभी बालक हैं लेकिन अंग्रेजों ने हमें गुलामी की जंजीरों में जकड़कर भिन्न-भिन्न देशों में बिखेर दिया। आज कई युगों के बाद हमारा मिलन होने जा रहा है। कवि कहते हैं कि तुम सब लघु भारत अर्थात मॉरिशस की भूमि पर पधार रहे हो, आप सब का इस भूमि पर स्वागत है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

हम सब जहाज से प्रवास करने वाले जहाजिया बांधव (brother) ठहरे। मॉरिशस जाने के लिए कोई इस जहाज पर सवार हो गया तो कोई उस जहाज पर क्योंकि हम सब भिन्न-भिन्न देशों से आ रहे थे। अलग-अलग देशों से हमें लेकर आने वाले जहाज पानी में आगे सरकने लगे (बहने लगे)।

बहुत दूर आने पर जब एक समुद्र तट पर जहाज का लंगर पड़ा तब हम आश्चर्यचकित होकर यहाँ-वहाँ ताकने लगे। समझ में ही नहीं आ रहा था कि हम कहाँ आ गए हैं? मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं? इस जहाज पर उन्हें जगह नहीं मिली थी लेकिन दूसरे जहाज पर तो चढ़े ही थे, फिर वे कहाँ हैं?

इस जहाज से हो या उस जहाज से हो, आने वाले सभी जहाजों से मॉरिशस लौटने वाले अपने सभी बांधवों का, दोस्तों का कवि सहर्ष स्वागत कर रहे हैं।

कवि अपने बांधवों से उस पुरानी लंबी कहानी को, गुलामी के दंश और पीड़ा को, अपने सगे-संबंधियों से बिछुड़ने के गम को भुला देने की बिनती करते हैं। कवि अपने जिगर के टुकड़ों से कहते हैं कि परतंत्रता (dependence) के कारण अंग्रेजों ने हमें गुलाम बना-बना कर जहाजों में बिठाकर भिन्न-भिन्न देशों में भेज दिया, यह इतिहास था, अब उसे भूल जाओ। जो भी हमारे नसीब में था वह सब अब हो चुका।

अब उसे याद कर हम क्यों रोए ? जहाज आकर हमें जबरदस्ती ले गए थे, वह हमारा भूतकाल था। युग-युगांतरो के बाद ही सही लेकिन आज तो हम मिल ही रहे हैं, यह वास्तव है। यह नजारा कितना सुंदर है कि आज हम सब लघु भारत के विशाल आँगन में तृप्त होकर एक-दूसरे से मिल रहे हैं।

लंबे अरसे के बाद गले मिलने का यह सौभाग्य आज हमें प्राप्त हुआ है। कवि इन सारे सुरागवार (clue) बांधवों का, दोस्तों का मॉरिशस में स्वागत करते हैं।

हमारे सब बांधवों के मन में पानी में चलने वाले जहाज को लेकर डर-सा समा गया है। भय लग रहा है, कहीं वह काला, भयंकर, इतिहास फिर से दोहराया न जाए। उनके सामने सवाल है कि पानी में चलने वाले इस जहाज पर अब कौन चढ़ेगा? यह जहाज दोबारा इतिहास को वापिस न लाए।

इस धरती पर फिर से हम बिखर न जाए और ना ही फिर एक बार अपने ही बंधुओं कों ढूँढ़ते रह जाना पड़े। अब तो हम सब आसमान में उड़कर मॉरिशस की धरती पर उतर जाएँगे। वहीं हमारा नैहर होगा और वहीं हमें हमारे (पिता) और परिवार के लोग मिलेंगे।

अब देश-परदेश से छुटकारा मिलेगा और दुःखाश्रुओं को थामकर वहीं हम सब मिलेंगे। आसमान में उड़कर मॉरिशस की धरती पर उतरने वाले सभी बांधवों का और दोस्तों का कवि तहे दिल से स्वागत करते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!

हे मेरे गिरमिटिया भाइयो, अंग्रेजों के गुलाम बनकर झेले गए अपार कष्टों को सहने में आपने जो हिम्मत दिखाई है वह सब हृदयद्रावक थी। अंग्रेजों के गुलाम (चाकर) बनकर कीचड़ की दलदल में फँस गए थे, कितने युग बाद उस कीचड़ में कमल खिलने लगा हैं।

(कितने युगों के बाद हम गुलामी से बाहर आ रहे हैं)। जिस प्रकार मारीच (राक्षस) से मॉरिशस (स्वर्ग) बनने में युग बीते वैसे ही कीचड़ से कमल उगने में भी कई युग बीते। मॉरिशस की इस पवित्र भूमि पर कई देशों से इकट्ठा कर हमारे बांधवों को सफलतापूर्वक ले जाया गया है।

उस सयम कोमलता भी पत्थर के समान कठोर बन गई थी। हमने पत्थर में प्राण फूंके हैं। इस देश को घूमकर देखने पर पता चलेगा कि आज तक बिछड़े सारे लहु-लुहान बंधु अब मॉरिशस में इकट्ठे हो रहे हैं। कवि दानीश्वर जी इन सब बंधु-बांधवो का मॉरिशस में हृदय से स्वागत करते हैं।

मेरे भारत-नेपाल-श्रीलंका, फीजी-सूरीनाम-पाक-गयाना के चहेते भाईयो साऊथ आफ्रिका-युके-यू.एस.ए., कनाडा, फ्रांस, रेनियन के प्यारे भाइयों मॉरिशस की इस भूमि में तुम्हारी सारी यादें गहराई तक खुदी हुई हैं। इस भूमि को हिंद महासागर का स्वर्ग कहते हैं।

यह कल्पना है या वास्तव पता नहीं परंतु मेरे प्यारे भाइयो अगर यह कोई कल्पना भी हो तो भी मुझे विश्वास है कि आप सब यहाँ आकर इस धरती को स्वर्ग में तबदील कर देंगे। इसलिए कवि कहते हैं कि आप सभी मेरे प्रियजनों का मॉरिशस में हार्दिक स्वागत है।

स्वागत है! शब्दार्थ :

  • लंगर = लोहे का वह काँटा जिसे जहाज खड़ा करने के लिए जंजीर से बाँधकर समुद्र में गिरा देते हैं।
  • पनिया जहाज = पानी पर चलने वाला जहाज
  • नैहर = मायका
  • प्रणयन = ले जाना, रचना
  • बाबुल = पिता
  • परम दोस्त = जिगरी मित्र (best friend),
  • बिखरना = बिछुड़ना (to scatter),
  • पधारना = आना (to come),
  • लंगर = लोहे का वह काँटा जिसे जहाज खड़ा करने के लिए जंजीर से बाँधकर समुद्र में गिरा देते हैं। (anchor),
  • हक्का -बक्का होना = चकित होना (surprise),
  • प्रणयन = ले जाना (to take away),
  • लघु = छोटा (small), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 7 स्वागत है!
  • पनिया जहाज = पानी पर चलने वाला जहाज (the ship),
  • नैहर = मायका (parent’s home),
  • बावुल = पिता (father),
  • परमीट = अनुमति (the permission),
  • दासता = गुलामी (slavery),
  • पंक = कीचड (mud),
  • पंकज = कमल का फूल (Lotus flower),
  • पावन = पवित्र (holy),
  • सहोदर = अपना और सगा (siblings).

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Class 11 Hindi Chapter 6 Kalam Ka Sipahi Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 6 Kalam Ka Sipahi Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 6 कलम का सिपाही Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 6 कलम का सिपाही Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 6 कलम का सिपाही Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
प्रेमचंद का व्यक्तित्व अधिक विकसित होता है, जब
(a) …………………………………………………………….
(b) …………………………………………………………….
उत्तर :
(a) वह निम्न मध्यवर्ग और कृषक वर्ग का चित्रण करते हुए अपने युग की प्रतिगामी शक्तियों का विरोध करते हैं।
(b) एक श्रेष्ठ विचारक और समाज सुधारक के रूप में प्रकट होते हैं।

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प्रश्न आ.
प्रेमचंद लिखित निम्नलिखित रचनाओं का वर्गीकरण कीजिए – (कफन, प्रतिज्ञा, बूढ़ी काकी, निर्मला, नमक का दरोगा, गोदान, रंगभूमि, सेवासदन)

कहानीउपन्यास
……………………..……………………..
……………………..……………………..
……………………..……………………..
……………………..……………………..

उत्तर :

कहानी उपन्यास
कफन निर्मला
प्रतिज्ञा गोदान
बूढ़ी काकी रंगभूमि
नमक का दरोगा सेवासदन

प्रश्न इ.
निम्नलिखित पात्रों की विशेषताएँ –
(a) होरी
(b) अलोपीदीन
(c) वंशीधर
उत्तर :
(a) होरी – भूख, बीमारी, उपेक्षा और मौत से लड़नेवाला।
(b) अलोपीदीन – कालाबाजारी, समाज का ठेकेदार।
(c) वंशीधर – शोषक को गिरफ्तार करने वाला, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ।

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शब्द संपदा

2. निम्नलिखित भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए :

(1) अपत्य –
अपथ्य –

(2) कृपण –
कृपाण –

(3) श्वेत –
स्वेद –

(4) पवन –
पावन –

(5) वस्तु –
वास्तु –

(6) व्रण –
वर्ण –

(7) शोक –
शौक –

(8) दमन –
दामन –
दामन
उत्तर :
(1) अपत्य – संतान
अपथ्य – प्रतिकूल

(2) कृपण – कंजूस
कृपाण – तलवार

(3) श्वेत – सफेद
स्वेद – पसीना

(4) पवन – हवा
पावन – पवित्र

(5) वस्तु – किसी भी चीज का आधार, सत्य
वास्तु – मकान बनाने योग्य स्थान, गृह

(6) व्रण – निशान
वर्ण – रंग

(7) शोक – दुःख
शौक – अभिरूचि

(8) दमन – दबाने या बलपूर्वक शांत करने का काम
दामन – पहाड़ के नीचे की जमीन, आँचल, पल्ला

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अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘वर्तमान कृषक जीवन की व्यथा’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
सदियों पहले किसानों की जो दुरावस्था और परेशानियाँ थीं उनमें और आज की परिस्थितियों में कुछ भी परिवर्तन नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले बीज से लेकर मजदूर तक सब कुछ आसानी से और कम व्यय में मिलता था; जबकि आज इन सब के दाम बढ गए हैं।

जितना दाम लगता है उतने बड़े पैमाने पर अनाज़ उगता भी नहीं और उसके दाम भी उतने नहीं मिलते। बारिश के कारण पहले की तरह आज भी परेशानी उसके सामने है।

बाजार में अन्य वस्तुओं के दाम दुगुने हो नहीं बल्कि चौगुने बढ़े हैं; जबकि अनाज़ के दामों में उतने बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। परिणामत: अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करते समय किसान परेशान हो रहा है।

प्रश्न आ.
‘ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सफलता के सोपान हैं’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हीं के बलबूते पर मनुष्य अपने जीवन में यश एवं सफलता प्राप्त कर सकता है। कोई भी काम श्रेष्ठ या कनिष्ठ नहीं होता। काम करने से ही व्यक्ति की प्रतिष्ठा होती है।

व्यक्ति ईमानदार तो है किंतु कर्तव्य के प्रति आनाकानी करता है या कर्तव्य सही समय पर करता है परंतु ईमानदार नहीं है, तो वह अपने जीवन में कभी कामयाब नहीं हो सकता।।

4. पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न :

प्रश्न अ.
रूपक के आधार पर प्रेमचंद जी की साहित्यिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
प्रेमचंद जी के साहित्य में सामाजिक जीवन की विशालता, अभिव्यक्ति का खरापन, पात्रों की विविधता, सामाजिक अन्याय का घोर विरोध, मानवीय मूल्यों से मित्रता तथा संवेदना पाई जाती है। युग की चुनौतियों को सामाजिक धरातल पर उन्होंने स्वीकारा और नकारा भी।

प्रेमचंद जी का साहित्य लोगों को अन्याय से जूझने की शक्ति प्रदान करता है। उनका साहित्य समय की धडकनों से जुड़ा सजग, आदर्शवादी है। ऐसा लगता है, आज भी वे जीवन से जुड़े हुए युगजीवी हैं और युगांतर तक मानवसंगी दिखाई पड़ते हैं। उनके कहानी और नाटकों में व्याप्त माननीय संवेदना उनके साहित्य की विशेषता मानी जाती है।

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प्रश्न आ.
पाठ के आधार पर ग्रामीण और शहरी जीवन की समस्याओं को रेखांकित कीजिए।
उत्तर :
प्रेमचंद जी स्वयं ग्रामीण माहौल में पैदा हुए, पले, गरीबी में जीवनयापन किया। उनके अधिकांश उपन्यास और कहानियों में देहाती जीवन का ही चित्रण मिलता है। ‘गोदान’ उपन्यास, ‘कफन’, ‘ईदगाह’, बूढ़ी काकी’ आदि कहानियों में ग्रामीण जीवन का चित्रण मिलता है।

‘प्रतिज्ञा’, ‘निर्मला’, ‘सेवासदन’ में शहरी जीवन से जुड़ी समस्याओं का चित्रण मिलता है। इन उपन्यासों में हमें भारतीय नारी की समस्या का चित्रण मिलता है। ‘निर्मला एक ऐसी स्त्री है जो परंपराओं, रुढ़ियों, धर्म और कर्मकांडों से जुड़ी हुई है। इस प्रकार ग्रामीण और शहरी जीवन की समस्याओं को रेखांकित किया है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
डॉ. सुनील केशव देवधर जी लिखित रचनाएँ –
उत्तर :
मत खींचो अंतर रेखाएँ (काव्य संग्रह), मोहन से महात्मा, आकाश में घूमते शब्द (रूपक संग्रह) संवाद अभी शेष है, संवादों के आईने में (साक्षात्कार) (आ) रेडिओ रूपक की विशेषताएँ – उत्तर : इसके प्रस्तुतीकरण का ढंग सहज, प्रवाही, संवादात्मक होता है।

प्रश्न आ.
रेडियो रूपक की विशेषताएँ –

6. कोष्ठक की सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए –

(1) मछुवा नदी के तट पर पहुँचा। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
मछुवा नदी के तट पर पहुँचता है।

(2) एक बड़े पेड़ की छाँह में उन्होंने वास किया। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
एक बड़े पेड़ की छाँह में वे वास कर रहे हैं।

(3) आदमी यह देखकर डर गया। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
आदमी यह देखकर डर गया है।

(4) वे वास्तविकता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
वे वास्तविकता की ओर अग्रसर हए।

(5) उन लोगों को अपनी ही मेहनत से धन कमाना पड़ता है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
उन लोगों को अपनी ही मेहनत से धन कमाना पड़ रहा था।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

(6) बबन उसे सलाम करता है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
बबन ने उसे सलाम किया था।

(7) हम स्वयं ही आपके पास आ रहे थे। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
हम स्वयं ही आपके पास आएँगे।

(8) साहित्यकार अपने सामयिक वातावरण से प्रभावित हो रहा है। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
साहित्यकार अपने सामयिक वातावरण से प्रभावित हुआ।

(9) आकाश का प्यार मेघों के रूप में धरती पर बरसने लगता है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
आकाश का प्यार मेघों के रूप में धरती पर बरसा है।

(10) आप सबको जीत सकते हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
आप सबको जीत सकेंगे।

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश- “आज जब हम ………………………………………………………………………………………………………. में प्रासंगिक हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 28-29)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 2

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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 4

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 6

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए :
(1) विश्वास x ……………………………..
(2) उत्साह x ……………………………..
(3) गतिशील x ……………………………..
(4) जिए x ……………………………..
उत्तर:
(1) विश्वास x अविश्वास
(2) उत्साह x निरूत्साह
(3) गतिशील x गतिहीन
(4) जिए x मरे

प्रश्न 4.
‘वर्तमान कृषक जीवन की व्यथा’ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
सदियों पहले किसानों की जो दुरावस्था और परेशानियाँ थीं उनमें और आज की परिस्थितियों में कुछ भी परिवर्तन नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले बीज से लेकर मजदूर तक सब कुछ आसानी से और कम व्यय में मिलता था; जबकि आज इन सब के दाम बढ गए हैं।

जितना दाम लगता है उतने बड़े पैमाने पर अनाज़ उगता भी नहीं और उसके दाम भी उतने नहीं मिलते। बारिश के कारण पहले की तरह आज भी परेशानी उसके सामने है। बाजार में अन्य वस्तुओं के दाम दुगुने ही नहीं बल्कि चौगुने बढ़े हैं; जबकि अनाज़ के दामों में उतने बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। परिणामत: अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करते समय किसान परेशान हो रहा है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश- जहाँ तक मैंने प्रेमचंद को …………………………………………………………………………………………. हाँ यह तो ठीक ही है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 30-31)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 7
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 8

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 10

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों का वर्गीकरण कीजिए : (निरुद्देश्य, प्रभावित, भारतीय, प्रत्येक)
उपसर्गयुक्त शब्द – प्रत्यययुक्त शब्द
(1) ……………. – …………………
(2) ……………. – …………………
उत्तर :
उपसर्गयुक्त शब्द – प्रत्यययुक्त शब्द
(1) निरुद्देश्य – (2) प्रत्येक
(2) प्रभावित – (2) भारतीय

प्रश्न 4.
‘आज की भारतीय नारी’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आज भी भारतीय नारी का सफर चुनौतियों से भरपूर है परंतु आज उसमें चुनौतियों से लड़ने का साहस अवश्य है। आज की शिक्षित नारी ने आत्मविश्वास के बल पर दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली है। परिवार और करियर दोनों में तालमेल बिठाते हुए आगे बढ़ना निश्चय ही प्रशंसनीय है।

विभिन्न परीक्षाओं के नतीजे जब सामने आते हैं तब लड़कियाँ बाजी मार जाती है। मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर वे आगे बढ़ रही हैं। हर क्षेत्र में वह पुरुषों की तरह ही सफलता पा रही है फिर वह क्षेत्र सामाजिक हो, राजनीतिक हो, आर्थिक हो या ज्ञान-विज्ञान का। वास्तव में नारी देश की शक्ति है।

भारतीय संस्कृति में नारी को दुर्गा और लक्ष्मी का रूप मानकर सम्मान दिया है। किसी कवि ने खूब कहा हैं, जिसके हाथ में झूले की डोर, वह सारी दुनिया का उद्धार करने का सामर्थ्य रखती है।’ यह कथन अतिशयोक्ति पूर्ण निश्चित ही नहीं है।

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(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश – आलोपीदीन : बाबू जी कहिए …………………………………………………………………………………….. यह समझता क्या है मुझे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 29)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 11
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही 12

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) आलोपीदीन रिश्वत दे रहे थे ………………………………..
उत्तर :
आलोपीदीन रिश्वत दे रहे थे ताकि इज्जत माटी में न मिले।

(ii) वंशीधर रिश्वत नहीं ले रहे थे ………………………………..
उत्तर :
वंशीधर रिश्वत नहीं ले रहे थे क्योंकि वे उन सरकारी अफसरों में से नहीं थे जो कौड़ियों पर अपना ईमान बेच दें।

प्रश्न 3.
(क) कृदंत रूप लिखिए :
उत्तर :
(i) चढ़ना – ………………………………..
(i) चढ़ना – चढ़ावा / चढ़ाई
(ii) चाहना – चाह / चाहत

(ख) वचन बदलिए :
(i) गाड़ियाँ – ………………………………..
(ii) बात – ………………………………..
उत्तर :
(i) गाड़ियाँ – गाड़ी
(ii) बात – बातें

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प्रश्न 4.
‘ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सफलता के सोपान हैं’, इस विषय पर अपना मत लिखिए
उत्तरः
ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हीं के बलबूते पर मनुष्य अपने जीवन में यश एवं सफलता प्राप्त कर सकता है। कोई भी काम श्रेष्ठ या कनिष्ठ नहीं होता। काम करने से ही व्यक्ति की प्रतिष्ठा होती है। व्यक्ति ईमानदार तो है किंतु कर्तव्य के प्रति आनाकानी करता है या कर्तव्य सही समय पर करता है परंतु ईमानदार नहीं हैं, तो वह अपने जीवन में कभी कामयाब नहीं हो सकता।

कलम का सिपाही Summary in Hindi

कलम का सिपाही लेखक परिचय :

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बहुमुखी (multifaceted) प्रतिभा के धनी डॉ. सुनील देवधर जी ने साहित्य की विविध (various) विधाओं (genres) के साथ-साथ राजभाषा एवं कार्यालयीन हिंदी भाषा की विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य किया है। आपकी निवेदन शैली किसी भी समारोह को सजीव बनाती है। आपकी ‘मोहन से महात्मा’ रचना महाराष्ट्र राज्य, हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत रचना है।

कलम का सिपाही प्रमुख कृतियाँ :

‘मत खींचो अंतर रेखाएँ’ (कविता संग्रह) ‘मोहन से महात्मा’, ‘आकाश में घूमते शब्द’ (रूपक संग्रह) ‘संवाद अभी शेष हैं,’ ‘संवादों के आईने में’ (साक्षात्कार) आदि।

कलम का सिपाही विधा का परिचय :

‘रेडियो रूपक’ एक विशेष विधा है, जिसका विकास नाटक से हुआ है। दृश्य-अदृश्य जगत के किसी भी विषय, वस्तु या घटना पर रूपक लिखा जा सकता है। इसके प्रस्तुतीकरण का ढंग सहज, प्रवाही तथा संवादात्मक (interactive) होता है। विकास की वास्तविकताओं को उजागर करते हुए जनमानस को इन गतिविधियों में सहयोगी बनने की प्रेरणा देना रेडियो रूपक का उद्देश्य होता है।

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कलम का सिपाही विषय प्रवेश :

किसान और मजदूर वर्ग के मसीहा प्रेमचंद जी के जीवन के मूल तत्वों और सत्य को सामंजस्यपूर्ण (harmonious) दृष्टि से प्रस्तुत करना यह उद्देश्य है। लेखक ने यहाँ साहित्यकार प्रेमचंद जी के व्यक्तित्व और कृतित्व (creativity) को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।

कलम का सिपाही सारांश :

प्रेमचंद जी के उपन्यास तथा कहानियों में सामयिक (modern) जीवन की विशालता, अभिव्यक्ति (expression) का खरापन, पात्रों की विविधता (variation), सामाजिक अन्याय का विरोध, मानवीय मूल्यों से मित्रता और संवेदना हैं। ‘धन के शत्रु और किसान वर्ग के मसीहा’ – ऐसे ही मुंशी प्रेमचंद जी का परिचय दिया जाता है।

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प्रेमचंद जी ने सामाजिक समस्याओं के और मान्यताओं के जीते-जागते चित्र उपस्थित किए, जो मध्यम वर्ग, किसान, मजदूर, पूँजीपति समाज के दलित और शोषित व्यक्तियों के जीवन को संचलित करते हैं। इनके साहित्य का मूल स्वर है – ‘डरो मत’। उन्होंने युग को जूझना और लड़ना सिखाया है।

मानव जीवन से जुड़े हुए लेखक युगजीवी और युगांतर तक मानवसंगी दिखाई पड़ते हैं। चाहे शिक्षा संबंधी आयोजन हो या विचार गोष्टी (forum) अथवा संभाषण, प्रेमचंद जी की विचारधारा, उनके साहित्य तथा प्रासंगिकता पर चर्चा होती है। यही उनके साहित्य की विशेषता है।

प्रेमचंद जी के साहित्य रचना लिखने के कई सालों बाद आज भी हम किसान, पिछड़े वर्ग और शोषित वर्ग के कल्याण की जिम्मेदारी अनुभव कर रहे हैं। अपने युग की प्रतिगामी (retrogressive) शक्तियों का विरोध करने वाले प्रेमचंद जी एक श्रेष्ठ विचारक और समाज सुधारक नजर आते हैं।

जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण ‘कफन’ और ‘पूस की रात’ कहानियों में नया मोड़ लाता है; तो ‘गोदान’ उपन्यास में नए साँचे में ढलने लगता है। इनके साहित्य से कभी वे मानवतावादी, सुधारवादी, प्रगतिवादी तो कभी गांधीवादी लगे किंतु वे हमेशा वादातीत रहे।

उनके पात्र चाहे वह होरी हो, अलोपीदीन हो, या वंशीधर समाज के अलग-अलग क्षेत्र के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करते नजर आते हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही

युग चेतना के लिए उन्होने ‘जागरण’ निकाला, विभिन्न भाषाओं के साहित्य को एक-दूसरे से परिचित कराने के लिए ‘हंस’ का प्रकाशन किया। उनका प्रगतिशील आंदोलन, विचारोत्तेजक निबंध, व्याख्यान आदि ने साहित्य भाषा और साहित्यकार के दायित्व की ओर जनसाधारण का ध्यान आकर्षित किया और साथ ही संदर्भ और समाधान भी दिए और इशारा भी किया है।

उनके द्वारा लिखे गए गोदान, कफन, ईदगाह, बूढ़ी बाकी में देहाती जीवन का चित्रण है; तो ‘प्रतिज्ञा’, ‘निर्मला’ और ‘सेवासदन’ उपन्यास में शहरी जीवन का चित्रण मिलता है। उनके साहित्य का मूल उद्देश्य उस समाज के क्रमिक विकास के दर्शन कराना है जो सामाजिक रुढ़ियों पर आधारित है।

लोगों की जरूरतें पूरी करने और विकास की सुविधाएँ निर्माण करने का अवसर निर्माण करने वाले समाज व्यवस्था की चाह उन्हें थी। न कि सिर्फ प्रेमचंद जी का साहित्य ही कालजयी नहीं हैं, बल्कि वे स्वयं भी कालजयी हैं।

कलम का सिपाही शब्दार्थ :

  • चालान = दंड
  • हिरासत = कैद
  • वस्तुवादी = भौतिकवादी
  • अनुप्राणित = प्रेरित, समर्थित
  • मसीहा = दूत (angel),
  • चालान = दंड (penalty),
  • सृजन = निर्माण (creation),
  • प्रलोभन = लालच (greed),
  • युगांतर = अन्य युग, दायित्त्व = जिम्मेदारी (responsibility),
  • वस्तुवादी = भौतिकवादी (materialist),
  • अनुप्राणित = प्रेरित, समर्पित (animated),
  • महकमा = कचहरी (department),
  • प्रस्फुटित = विकसित (erupted),
  • हिरासत = कैद (custody), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 6 कलम का सिपाही
  • परिणत = प्रौढ़, पुष्ट (resulted)

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Class 11 Hindi Chapter 5.2 Madhyayugin Kavya Bal Lila Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 5.2 Madhyayugin Kavya Bal Lila Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
यशोदा अपने पुत्र को शांत करती हुई कहती हैं –
………………………………………………………….
………………………………………………………….
उत्तर :
हे चंदा जल्दी से आ जाओ। तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। मेरा लाल मधु मेवा स्वयं भी खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला

प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों से संबंधित पद में समाहित एक-एक पंक्ति लिखिए –
(१) फल : ………………………………………………………….
(२) व्यंजन : ………………………………………………………….
(३) पान : ………………………………………………………….
उत्तर :
(a) फल : खारिक दाख खोपरा खीरा।
केरा आम ऊख रस सीरा।।

(b) व्यंजन : रचि पिराक लड्डू दधि आनौं।
तुमकौं भावत पुरी संधानौ।।

(c) पान : तब तमोल रचि तुमहिं खवावौं।
सूरदास पनवारौ पावौं।।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
“जलपुट आनि धरनि पर राख्यौ।
गहि आन्यौ वह चंद दिखावै॥”
उत्तर :
बालक कृष्ण को माता यशोदा कह तो देती है कि, “तुम जल्दी से चुप हो जाओ। मैं चंद्रमा को तुम्हारे साथ खेलने के लिए बुला रही हूँ।” पर अब यह चंद्रमा बालक कृष्ण की पकड़ में आए कैसे..? गहि आन्यौ… पंक्ति में माँ का बड़ा ही सुंदर भाव प्रकट हुआ है।

माँ अपनी युक्ति लगाती है – बड़े बर्तन में पानी रखकर चंद्रमा को अपने आँगन में उतार लेती है। यशोदा कहती है यह लो लल्ला, पकड़ लाई चंद्रमा को.. यहाँ चंद्रमा का मानवीकरण किया गया है। वात्सल्य रस की निष्पत्ति हुई है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए –
“रचि पिराक, लड्डू, दधि आनौं।
तुमको भावत पुरी संधानौं।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ सूरदास जी द्वारा रचित बाल लीला पद से ली गई हैं। इस पद में माता यशोदा कृष्ण को जलपान करने की मनुहार करती है। कहती है – “देखो तुम्हारे लिए क्या-क्या बना लाई हूँ। मैं एक नहीं तुम्हारी पसंद के सभी व्यंजन एक साथ बना लाई हूँ। गुझिया, लड्डू, पूरी, अचार और दही भी लाई हूँ।

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अभिव्यक्ति

3. ‘माँ ममता का सागर होती है’, इस उक्ति में निहित विचार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
ईश्वर सभी जगह नहीं पहुँच सकता, इसलिए उसने माँ का निर्माण किया है। माँ की ममता ही व्यक्ति को जीवन में सबल और सार्थक बनाती है। माँ की ममता व्यक्ति के जीवन की वह नींव है जिसके आधार पर ही वह जीवन की इमारत खड़ी करता है। माँ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वह अमूल्य हीरा है, निच्छल, निष्कपट, पवित्र। उसका प्यार व्यक्ति को धनवान बना देता है। माँ की ममता के बारे में जितना भी कुछ कहा जाए सब कम है। जैसे सागर की गहराई को नहीं नापा जा सकता वैसे ही माँ की ममता को भी कुछ शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।

रसास्वादन

4. बाल हठ और वात्सल्य के आधार पर सूर के पदों का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : बाल लीला
(ii) रचनाकार : संत सूरदास

(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में कविवर्य संत सूरदास जी ने कृष्ण के बाल हठ एवं यशोदा मैया की वात्सल्य मूर्ति को अंकित किया है। प्रथम पद में यशोदा मैया कृष्ण का चाँद पाने का हठ भी पूरा करती है तो द्वितीय पद में यशोदा कृष्ण को कलेवा कराने हेतु दुलारती दिखाई देती है। कृष्ण की पसंद के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन सामने रखकर वह कृष्ण की मनुहार कर रही है।

(iv) रस-अलंकार : प्रस्तुत पद गेय शैली में लिखे गए हैं। इनमें वात्सल्य रस की निष्पत्ति हुई है।

(v) प्रतीक विधान : सूरदास स्वयं को माता यशोदा मानते हैं और अपने आराध्य को बालक कृष्ण समझकर कृष्ण के बाल हठ को पूरा कर रहे हैं तथा उन्हें भोजन कराने का प्रयत्न कर रहे हैं।

(vi) कल्पना : प्रथम पद में चाँद को शरीर धारण कर कृष्ण के साथ खेलने की कल्पना की है।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव :
‘जलपुट आनि धरनी पर राख्यौ, गहि आन्यौ वह चंद दिखावै।
सूरदास प्रभु हँसि मुसक्याने, बार-बार दोऊ कर नावै।।

सूरदास जी इस पद में कह रहे हैं कि यशोदा हाथ में पानी का बरतन उठाकर लाई है। वे चंद्रमा से कहती हैं कि, ‘तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और कृष्ण से कहा, “देखो मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ। तब सूरदास के प्रभु कृष्ण हँस पड़े और मुस्कराते हुए उस पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालने लगे। कितनी सुंदर कल्पना की है यहाँ सूरदास जी ने।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : मुझे यह कविता पसंद है, क्योंकि यहाँ वात्सल्य रस के साथ-साथ सूरदास जी का अपने आराध्य के प्रति भक्ति भाव भी स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होंने अपने आराध्य को बालक के रूप में देखा और माता के समान स्नेह देते हुए भक्ति की है। माँ के जैसे ही वे कृष्ण को कहते हैं, “उठिए स्याम कलेऊ की जै।” यही भक्ति की चरम सीमा है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
संत सूरदास के प्रमुख ग्रंथ –
उत्तर :
‘सूरसागर’, ‘सूर सारावली’

प्रश्न आ.
संत सूरदास की रचनाओं के प्रमुख विषय –
उत्तर :
कृष्ण की बाललीलाएँ (वात्सल्य रस)
सगुण और निर्गुण भक्ति (भक्ति रस)
वियोग श्रृंगार (श्रृंगार रस)

रस

हास्य – जब काव्य में किसी की विचित्र वेशभूषा, अटपटी आकृति, क्रियाकलाप, रूप-रंग, वाणी एवं व्यवहार को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में हास का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ हास्य रस की निर्मिति होती है।
उदा. –
(१) तंबुरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।।
– काका हाथरसी

(२) मैं ऐसा शूर वीर हूँ, पापड़ तोड़ सकता हूँ।
अगर गुस्सा आ जाए तो कागज मरोड़ सकता हूँ।।
– अजमेरी लाल महावीर

वात्सल्य – जब काव्य में अपनों से छोटों के प्रति स्नेह या ममत्व भाव अभिव्यक्त होता है, वहाँ वात्सल्य रस की निर्मिति होती है।
उदा. –
(१) जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावे दुलराइ मल्हावै, जोइ सोइ कछु गावै।।
– सूरदास

(२) ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ।
किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियाँ।।
– तुलसीदास

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कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : बार-बार ……………………………………………………………………………………………………………. दोऊ कर नावें (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 24)

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प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 2

प्रश्न 2.
आशय स्पष्ट कीजिए :
(i) “गहि आन्यो वह चंद दिखावै”
उत्तर :
माँ यशोदा कृष्ण को समझा रही है पहले तो वह कहती है कि, “देखो मेरे लाल, तुम कभी रोना मत। तुम्हें खेलने के लिए मैं चंद्रमा को धरती पर बुलाऊँगी।” चंद्रमा का और बाल मन का कुछ प्राकृतिक आकर्षण है। प्रत्येक छोटा बालक चंद्रमा को प्राप्त करने (हाथ से छूने की) की अभिलाषा रखता है।

माँ यशोदा एक बड़े बर्तन में पानी भरकर आँगन में रख देती है और कृष्ण से कहती है, “मेरे लाल ये देखो मैं चंद्रमा को पकड़ लाई, अब जितनी देर तक मन करे उतनी देर तक तुम चंद्रमा के साथ खेल सकते हो।’ इस पंक्ति में चंद्रमा को धरती पर ले आने का भाव व्यक्त हुआ है।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को चुप करा रही है। स्वभावत: जब बच्चे रोने लगते हैं तो माताएँ कुछ कहकर या लोरी सुनाकर उन्हें चुप कराने का प्रयास करती हैं। वैसे ही माता यशोदा कहती है कि, “तुम जल्दी से, चुप हो जाओ, मैं चंदा को बुला रही हूँ। अगर तुम रोते रहे तो चंद्रमा नीचे नहीं आएगा।

आ जाओ, चंदा जल्दी से आ जाओ। मेरा लाल तुम्हें बुला रहा है। स्वयं भी छप्पन भोग खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।” यशोदा कृष्ण की पसंदीदा मक्खन, मिसरी, मेवा का नाम इसलिए लेती है कि यह सुनते ही कृष्ण चुप हो जाएँगे। “मेरे लल्ला को तुम्हारे साथ खेलना बहुत अच्छा लगेगा, हाँ, तुम चिंता ना करो, मेरा लाल तुम्हे अपने हाथ (हथेली) पर ही रखकर खेलेगा, नीचे तो कभी नहीं उतारेगा।”

यशोदा आँगन में पानी से भरा पात्र रखकर कृष्ण को चंद्रमा दिखाती है। कहती है, “लाल यह देखो, मैं चंद्रमा को पकड़कर ले आई।” सूरदास जी कहते हैं – ऐसा सुनकर मेरे प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कराते हुए उस पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालने लगे।

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(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : उठिए स्याम ……………………………………………………………………………………………………………. पनवारौ पावौं (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 24)

प्रश्न 1.
जाल पूर्ण क्रीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला 4

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए :
(i) खोवा ………….. खाहु बलिहारी।
(ii) तुमकौं ……………. पुरी संधानौं।।
उत्तर :
सहित
भावत

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश “बाल-लीला” कविता से लिया गया है। इसके रचयिता सूरदास जी हैं। इस पद में माता यशोदा कृष्ण का लाड़ प्यार कैसे करती है, कैसे उनको जलपान कराती है आदि का विस्तार पूर्वक संवेदनाओं एवं भावनाओं के साथ वर्णन किया है।

माता यशोदा कहती है – “हे स्याम, मेरे मनमोहन उठो, जल्दी उठकर कलेवा (जलपान) कर लो। मेरे जीवन का आधार तो तुम ही हो। अर्थात् तुम्हें देखकर ही तो मैं जीवित हूँ। देखो, तुम्हारे जलपान के लिए नाना प्रकार के व्यंजन लाई हूँ।

छुहारा, दाख, खोपरा, आम, केला, ईख का रस, पूड़ी, अचार जो तुम्हें बहुत ही प्रिय है वह सब कुछ। जब पूरे व्यंजन खत्म कर दोगे तो मैं तुम्हें पान भी खिलाऊँगी।” यह माता-पुत्र के संवाद को सुनकर सूरदास जी अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। मन-ही-मन आनंदित होते हैं कि अब उनको पान खिलाई मिलें।

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मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Summary in Hindi

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला कवि परिचय :

संत सूरदास जी का जन्म 1478 को दिल्ली के पास सीही नामक गाँव में हुआ। आरंभ में आप आगरा और मथुरा के बीच यमुना के किनारे गऊ घाट पर रहे। वहीं आप की भेंट वल्लभाचार्य से हुई। अष्टछाप कवियों की सगुण भक्ति काव्य-धारा के आप अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी भक्ति में साख्य, वात्सल्य और माधुर्य भाव निहित हैं। कृष्ण की बाल-लीला तथा वात्सल्य भाव का सजीव चित्रण आपकी रचना का मुख्य विषय है।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला प्रमुख रचनाएँ :

‘सूर सागर’, ‘सूरसारावली’ तथा साहित्य लहरी आदि।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला काव्य विधा :

‘पद’ काव्य की एक गेय शैली है। हिंदी साहित्य में ‘पद शैली’ की दो निश्चित परंपराएँ मिलती हैं, एक संतो के ‘सबद’ की और दूसरी परंपरा कृष्णभक्तों की ‘पद शैली’ है। इसका आधार लोकगीतों की शैली है। भक्ति-भावना की अभिव्यक्ति के लिए पद शैली का प्रयोग किया जाता है।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला विषय प्रवेश :

प्रस्तुत पदों में कृष्ण के बाल हठ और माँ यशोदा की ममतामयी छबि को प्रस्तुत किया है। प्रथम पद में चाँद की छबि दिखाकर यशोदा कृष्ण को बहला लेती है। चाँद को देखकर कृष्ण मुस्करा उठते हैं जिसे देख माँ यशोदा बलिहारी जाती है। द्वितीय पद में माँ यशोदा कृष्ण को कलेवा करने के लिए मनुहार कर रही है उनकी पसंद के विभिन्न स्वदिष्ट व्यंजन उनके सामने रखकर वह खाने के लिए मनहार कर रही है।

मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला सारांश :

(कविता की व्याख्या) : यशोदा अपने पुत्र को प्यार करते हुए चुप करा रही हैं। वे बार-बार कृष्ण को समझाती है और कहती हैं कि – “अरे चंदा हमारे घर आ जा। तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। यह मधु, मेवा, ढेर सारे पकवान स्वयं भी खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।

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मेरा लाल (कृष्ण) तुम्हें हाथ पर ही रखकर खेलेगा, तुम्हें जमीन पर बिल्कुल नहीं बिठाएगा।” माँ यशोदा बर्तन में पानी भरकर उठाती है और कहती है, “हे चंद्रमा, तुम इस पात्र में आकर बैठ जाओ। मेरा लाल तुम्हारे साथ खेलकर अत्यंत प्रसन्न हो जाएगा।”

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यशोदा उस जल पात्र को नीचे रख देती है और कृष्ण से कहती है – “देख बेटा ! मैं चंद्रमा को पकड़ लाई हूँ।” सूरदास जी कहते हैं, मेरे प्रभु श्रीकृष्ण चंद्रमा को जल पात्र में देखकर हँस पड़ते हैं। मुस्कराते हुए उस जल पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालकर चंद्रमा को हाथ में लेने का (उठाकर खेलने के लिए) प्रयास करने लगते हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों में बाल-हठ और माता के ममत्व का भावपूर्ण वर्णन मिलता है।

हे मेरे मनमोहन, मेरे लाल, उठो, कलेवा (नाश्ता) कर लो। माँ यशोदा अपने हृदय की बात कहती है, अपने मनोभाव को व्यक्त करती हुई कहती है – “मैं मनमोहन को देखकर ही तो जीती हूँ” अर्थात् कृष्ण के बिना मेरा जीवन अधूरा है। मेरे जीवन का लक्ष्य ही कृष्ण है।

हे लाल, देखो तो सही; मैं तुम्हारे पसंद के बहुत से व्यंजन लाई हूँ। गुझिया, लड्डू, पूरी, अचार वह सब कुछ जो तुम्हें पसंद हैं। पहले तुम कलेवा कर लो, फिर मैं तुम्हें पान बनाकर खिलाऊँगी।

कवि का यहाँ यही अभिप्राय है कि माँ किस तरह अपनी संतान से स्नेह करती है। उसके जीवन का उद्देश्य ही अपनी संतान को सदा प्रसन्न रखना रहता है। पान खिलाने की बात सुनकर महाकवि सूरदास अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। सूरदास पान खिलाई के अवसर पर विशेष उपहार की कल्पना करते हैं और वह उपहार है “कृष्ण भक्ति”।

विशेष शुभ अवसर पर विशेष व्यक्ति को पान खिलाया जाता है। यह एक भारतीय परंपरा है। बदले में उपहार के तौर पर कुछ ना कुछ भेंट दी जाती है। उसे नेग भी कहते हैं। सूरदास जी को भला प्रभु भक्ति के अलावा अन्य (नेग) उपहार से क्या लेना देना? यही भक्ति की चरम सीमा है।

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मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला शब्दार्थ:

  • बोधति = समझाती है
  • खैहे = खाएगा
  • तोहि = तुम्हें
  • बासन = पात्र, बर्तन
  • गहि = पकड़
  • नावै = डालते हैं
  • कलेऊ = जलपान, कलेवा
  • संधानौं = अचार
  • जी जै = जी रही हूँ
  • खारिक = छुहारा
  • दाख = किशमिश
  • सफरी = अमरूद
  • खुबानी = जरदालू
  • सुहारी = पूड़ी
  • पिराक = गुझिया जैसा एक पकवान
  • पनवारौ = पान खिलाई
  • सुत = पुत्र (son),
  • बोधति = समझाती है (to make one understand),
  • खैहै = भोजन करना, खाना (to eat),
  • हाथहि = हाथ पर ही (on the palm),
  • तोहिं = तुम्हें (for you),
  • नैंकु = बिल्कुल नहीं (कभी नहीं) (never),
  • धरनी = जमीन (पृथ्वी) (earth),
  • वासन = पात्र, बर्तन (vessel),
  • गहि = पकड़ (caught),
  • कर = हाथ (hand),
  • ना₹ = डालते हैं (to put),
  • कलेऊ = जलपान, कलेवा (breakfast),
  • ऊख = गन्ना (sugarcane),
  • संधानौ = अचार (pickle),
  • जी जै = जी रही हूँ (to be alive),
  • खारिक = छुहारा (dates),
  • दाख = किशमिश (raisin),
  • सफरी = अमरूद (guava), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला
  • खुबानी = जरदालू, एक गुठलीदार फल या मेवा (apricoat),
  • सुहारी = पूड़ी (a deep fried chapatti),
  • पिराक = गुझिया जैसा एक मीठा पकवान (sweet dish),
  • पनवारौ = पान खिलाई (auspiciously giving betel leaf for eating)

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Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Textbook Questions and Answers

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न अ.
(a) अंतर स्पष्ट कीजिए –
माया रस – रामरस
……………………… – ………………………
उत्तर :
माया रस – राम रस
पत्थर जैसा हृदय – मक्खन जैसा हृदय

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प्रश्न 2.
लिखिए –

‘मैं ही मुझको मारता’ से तात्पर्य ………………………
उत्तर :
मनुष्य स्वयं ही स्वयं का शत्रु है। अगर वह इस मैं (अहंकार) रूपी शत्रु को मार देता है तो वह इस संसार में विजेता हो जाता है।

प्रश्न आ.
सहसंबंध जोड़कर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए –
(1) पाती प्रेम की (2) साईं
(1) काहै को दुख दीजिए (2) बिरला
उत्तर :
(1) प्रेम की पाती कोई बिरला ही पढ़ पाता है।
(2) मूर्ख ! तू क्यों किसी को दुःख देता है, प्रभु तो सभी प्राणियों में निवास करता है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
“जिनकी रख्या तूं करै ते उबरे करतार”, इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हे परमात्मा जिस पर आपकी कृपा होती है वही इस भवसागर से पार हो पाता है। अन्य तो इस संसार के मायाजाल में फँसकर रह जाते हैं। अर्थात् मनुष्य जन्म दुर्लभ है और परमात्मा प्राप्ति मंजिल। सदैव मनुष्य को इस सत्य का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न आ.
‘संत दादू के मतानुसार ईश्वर सबमें है’, इस आशय को व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर उनका भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
“काहै कौं दुख दीजिए, साईं है सब माहिं।
दादू एकै आत्मा, दूजा कोई नाहिं।।”

किसी भी प्राणी को किसी भी तरह का कष्ट, दुख, पीड़ा नहीं पहुँचानी चाहिए क्योंकि सभी प्राणी में वही परमात्मा निवास करता है जो हमारे मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। हे जीव ! उस परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं है। सबकी आत्मा एक है। कबीर दास जी भी यही कहते हैं –

“घट – घट में वही साईं रमता
कटुक वचन मत बोल रे”

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं, इस उक्ति पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अहंकार मनुष्य के लिए एक घातक बीमारी के समान है। यह ऐसा रोग है कि व्यक्ति को मेले में भी अकेला कर देता है। जिसके पास रहता है उसी का विनाश करता है। यह अहंकार मनुष्य के जीवन का लक्ष्य भटका देता है। इस लिए मनुष्य को सदा इससे सतर्क रहना चाहिए।

प्रश्न आ.
‘प्रेम और स्नेह मनुष्य जीवन का आधार हैं’, इस संदर्भ में अपना मत लिखिए।
उत्तर :
प्रेम ही जीव-जगत का सार है। अध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही क्षेत्र में प्रेम और स्नेह दो ऐसे स्तंभ हैं जिनके सहारे मनुष्य अपना जीवन सार्थक कर सकता है। वेद-पुराण, इतिहास, श्रेष्ठ समाज यही कहता है कि जिसने प्रेम और स्नेह प्राप्त कर लिया उसने इस धरती पर ही अमृत का पान कर लिया।

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रसास्वादन

प्रश्न 4.
ईश्वर भक्ति तथा प्रेम के आधार पर साखी के प्रथम छह पदों का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : भक्ति महिमा
(ii) रचनाकार : संत दादू दयाल

(iii) केंद्रीय कल्पना : इन साखियों में कवि संत दादू दयाल जी ने ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया है। ईश्वर को पूजने के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर मन के भीतर ही है। नामस्मरण करने से हमें मोक्ष प्राप्त होगा। वेद-पुराण पढ़ने से जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिलता बल्कि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम होना चाहिए यही कल्पना यहाँ कवि ने हमारे सामने रखी है।

(iv) रस-अलंकार : प्रस्तुत कविता नीति और ज्ञानोपदेश देने वाली साखियाँ हैं जो दोहा छंद में लिखी गई हैं।
(v) प्रतीक विधान : ईश्वर भक्ति, नामस्मरण, जीवन और जगत से प्रेम, अहंकार का त्याग करने से मोक्ष मिलेगा यही विधान कवि ने अपने दोहों में किया है।

(vi) कल्पना : संत दादू दयाल जी ने हृदय एक सँकरा महल है, ऐसी कल्पना की है और प्रभु और अहंकार दोनों उसमें एक साथ नहीं रह सकते ऐसा बताया है। अहंकार को त्यागने का संदेश देने के लिए कवि ने यह कल्पना की है।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : इन साखियों में मेरी पसंदीदा साखी है –
‘जहाँ राम तहँ मैं नहीं, मैं तहँ नाहीं राम।
दादू महल बारीक है, वै कूँ नाही ठाम।।’

साखी का भाव दिल को छू लेता है और अहंकार को त्यागने का संदेश देता है। क्योंकि राम अर्थात ईश्वर और ‘मैं’ अर्थात अहंकार दोनों एक साथ नहीं रह सकते। मनुष्य का हृदय एक सँकरा महल है जहाँ अहंकार और ईश्वर एक साथ नहीं रह सकते। अहंकारी व्यक्ति ईश्वर से दूर हो जाता है। अत: अहंकार का त्याग कर के ही मनुष्य प्रभुमय हो सकता है। मनुष्य का बैरी उसका अहंकार है। है जो उसे प्रभु से मिलने नहीं देता। इसीलिए अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : नीति ज्ञानोपदेश और संसार का व्यावहारिक ज्ञान देने वाली ये साखियाँ हैं जो हमें अहंकार को त्यागकर सभी को एक समान मानने की प्रेरणा देती हैं। इसीलिए मुझे यह कविता पसंद है। इनकी गेयता भी मुझे अच्छी लगती है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
निर्गुण शाखा के संत कवि –
उत्तर :
संत कबीर, कमाल, रैदास, धर्मदास, गुरुनानक, दादू दयाल, सुंदरदास, रज्जब, मलूकदास।

प्रश्न आ.
संत दादू के साहित्यिक जीवन का मुख्य लक्ष्य
उत्तर :
संत परंपरा के अनुसार दादू दयाल की रचनाओं में जात-पाँत का निराकरण, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, हिंदु-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर विचार मिलते हैं। संत दादू के साहित्यिक पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।

6. निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए –

प्रश्न 1.
बाबु साहब ईश्वर के लिए मुझ पे दया कीजिए।
उत्तर :
बाबू साहब ईश्वर के लिए मुझपर दया कीजिए।

प्रश्न 2.
उसे तो मछुवे पर दया करना चाहिए था।
उत्तर :
उसे तो मछुवे पर दया करनी चाहिए थी।

प्रश्न 3.
उसे तुम्हारे शक्ती पर विश्वास हो गया।
उत्तर :
उसे तुम्हारी शक्ति पर विश्वास हो गया।

प्रश्न 4.
वह निर्भीक व्यक्ती देश में सुधार करता घूमता था।
उत्तर :
वह निर्भीक व्यक्ति देश में सुधार करते घूमता था।

प्रश्न 5.
मल्लिका ने देखी तो आँखें फटी रह गया।
उत्तर :
मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह गई।

प्रश्न 6.
यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मार्च पर भारा अप्रैल लग जायेगी।
उत्तर :
यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मार्च तो क्या बारह अप्रैल लग जाएगा।

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प्रश्न 7.
हमारा तो सबसे प्रीती है।
उत्तर :
हमारी तो सबसे प्रीति है।

प्रश्न 8.
तुम जूठे साबित होगा।
उत्तर :
तुम झूठे साबित होंगे।

प्रश्न 9.
तूम ने दीपक जेब में क्यों रख लिया?
उत्तर :
तुमने दीपक जेब में क्यों रख लिए?

प्रश्न 10.
इसकी काम आएगा।
उत्तर :
इसके काम आएगा।

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कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : माखण मन ……………………………………………….. प्रेम बिना क्या होइ। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 20)

प्रश्न 1.
(i) चौखट में उत्तर लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 2

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 4

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :

(i) अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है –
उत्तर :
अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है क्योंकि हृदय रूपी सँकरे (narrow) महल में प्रभु और अहंकार का एक साथ वास नहीं हो सकता।

(ii) प्रभु स्मरण के सिवा अन्य मार्ग दुगर्म हैं –
उत्तर :
प्रभु स्मरण के सिवा अन्य मार्ग दुर्गम हैं क्योंकि भक्ति का संबल (support) लेकर ही भवसागर आसानी से पार किया जा सकता है और अन्य मार्ग डूबो देते हैं।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
मनुष्य जीवन में एक रामरस ही सार्थक होता है।

अन्य तो भवसागर में डुबोने वाला ही होता है। राम की प्राप्ति केवल प्रेम की नाव पर ही बैठकर प्राप्त हो सकती है। अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। भक्ति के सहारे ही भवसागर पार किया जा सकता है। जीवन के उद्धार के लिए अन्य सभी मार्ग दुर्गम हैं।

प्रेम की पत्री वही पढ़ सकता है जिसके हृदय में प्रेम है। यदि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम नहीं तो वेद-पुराण आदि पुस्तकें पढ़ने से क्या लाभ?

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : कागद काले करि मुए, ……………………………………………….. इनका मोल न तोल।। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 20)

प्रश्न 1.
परिणाम लिखिए :

(i) प्रभु का एक अक्षर पढ़ने का परिणाम –
उत्तर :
प्रभु का एक अक्षर पढ़ने का परिणाम – वह सुजान हो गया।

(ii) वेद-पुराण का गहन अध्ययन करने का परिणाम –
उत्तर :
वेद-पुराण का गहन अध्ययन करने का परिणाम – कागज़ काले हुए लेकिन जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला।

प्रश्न 2.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 6

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

(आ) उत्तर लिखिए :
(i) मेरा बैरी – …………………………………
(ii) सब में बसा है – …………………………………
उत्तर :
(i) अहंकार
(ii) साईं / ईश्वर / परमात्मा

प्रश्न 3.
पद्यांश की प्रथम दो साखियों का भावार्थ लिखिए :
उत्तर :
संत दादू दयाल जी अपनी साखियों में प्रभु के नामस्मरण का महत्त्व समझा रहे हैं। वे कहते हैं कि कितने ही लोगों ने वेद-पुरानों का गहन अध्ययन किया और उनकी व्याख्या करते हुए कागज काले किए, ग्रंथ लिख दिए। परंतु उन्हें जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला। वे भवसागर में भटकते रहे।

जिसने प्रिय प्रभु का एक अक्षर ही पढ़ लिया, वह सुजान पंडित हो गया। मनुष्य को उसका अहंकार ही मारता है, दूसरा कोई नहीं। अहंकार का त्याग करने पर ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। अपने अहंकार को मारकर ही मनुष्य मरजीवा हो सकता है अर्थात वैरागी बन सकता है।

अपने लौकिक बंधन तोड़कर स्वयं पर जीत पा सकता है। अहंकार के आवरण से बाहर निकलकर ही जीवन की सार्थकता मनुष्य समझ पाएगा।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Summary in Hindi

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा कवि परिचय :

संत दादू दयाल का जन्म 1544 को अहमदाबाद (गुजरात) में हुआ। आपके गुरु का नाम बुड्ढन था। आपने जिस संप्रदाय की स्थापना की वह ‘दादू पंथ’ के नाम से विख्यात हुआ संत परंपरा के अनुसार आपका दृष्टिकोण भी – “सर्वे भवंतु सुखिन:’ का रहा है।

समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियाँ, अंधविश्वास और जातिगत ऊँच-नीच के विरोध में आपकी साखियाँ (एक काव्य प्रकार) एवं पद प्रस्तुत हैं।

आपके पद समाज, समता एवं एकता के पक्ष में हैं। आपने कबीर की भाँति अपने उपास्य को निर्गुण और निराकार (formless) माना है। संत दादू दयाल की मृत्यु-1603 में हुई।

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प्रमुख रचनाएँ :

‘अनभैवाणी’, ‘कायाबेलि’ आदि।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा काव्य विधा :

‘साखी’ साक्षी का अपभ्रंश है जो वस्तुतः दोहा छंद में ही लिखी जाती है। साखी का अर्थ है – साक्ष्य, प्रत्यक्ष ज्ञान। निर्गुण संत संप्रदाय का अधिकांश साहित्य साखी में ही लिखा गया है। जिसमें गुरुभक्ति और ज्ञान उपदेशों का समावेश है।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा विषय प्रवेश :

प्रस्तुत साखी में संत कवि ने गुरु महिमा का वर्णन किया है। ईश्वर पूजन के लिए बाह्य संसाधन (exterior resources) की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर के अलावा सांसारिक अंधकार को दूर करने वाला अन्य कोई नहीं है। नाम स्मरण से पत्थर हृदय भी मक्खन सा मुलायम हो जाता है।

अंहकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। बिना इसका त्याग किए ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। जिसकी रक्षा ईश्वर करता है, वही इस भवसागर से पार हो सकता है। ईश्वर एक ही है और वही एक ईश्वर सभी प्राणियों में समान रूप से निवास करता है अर्थात् सभी को एक समान मानना चाहिए।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा सारांश (कविता का भावार्थ) :

मायामोह में रहने वाले व्यक्ति का हृदय पत्थर के समान हो जाता है। ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले मनुष्य का हृदय ईश्वर प्रेम से भरा रहता है। मनुष्य को सदा अहंकार से दूर रहना चाहिए। प्रभु प्राप्ति में अहंकार बहुत बड़ी बाधा है। ईश्वर कीर्तन में दादू मग्न हो जाते हैं। उनको ऐसा लगता है कि उनके मुँह से ताल (rhythm) बजने की आवाज आ रही है, उनके प्रभु उनके समक्ष प्रस्तुत है।

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भक्ति के सहारे ही संसार को पार किया जा सकता है। प्रभु स्मरण के अतिरिक्त संसार पार के अन्य मार्ग केवल भ्रम है। प्रेम ही जीवन और संसार का सार है। प्रेम नहीं तो संपूर्ण वेद वेदांत का अध्ययन निर्रथक है। वेद पुराण की व्याख्या करने वाले जाने कितने लोगों ने कितने कागज़ भर डाले पर प्रभु का सानिध्य (nearness) नहीं मिल पाया। जिसने प्रभु प्रेम का अक्षर आत्मसात कर लिया वह पंडित हो गया। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।

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जिसने अहंकार पर विजय प्राप्त कर लिया वह विजेता हो जाता है। परमात्मा जिसका हाथ पकड़ लेता है वही इस संसार रूपी सागर से पार हो सकता है। शेष तो भवसागर में डूब ही मरते हैं। सज्जन व्यक्ति ही प्रभु कृपा का पात्र होता है।

आत्मा में ही परमात्मा का निवास होता है इसलिए किसी को भी किसी तरह का कष्ट, दुःख मत पहुँचाना।

इस संसार में दो ही ऐसे रत्न हैं जिनकी किसी से भी कोई तुलना नहीं है। पहला रत्न है – सबका मालिक, स्वामी, प्रभु, परमात्मा और दूसरा रत्न है – संकीर्तन करने वाला संतजन। इन्हीं दो रत्नों के बल पर, सामर्थ्य पर जीवन और जगत सुंदर बन जाता है। ये दोनों ही रत्न ऐसे हैं जिनका मोल-तोल नहीं हो सकता।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा शब्दार्थ :

  • माखण = मक्खन (butter),
  • पाहण = पत्थर (stone),
  • मैं = अहंकार (ego),
  • बारीक = सँकरा (narrow),
  • द्वै = दोनों (माया और राम) (both),
  • ठाम = स्थान, जगह (place),
  • सुरति = याद, स्मरण (memory),
  • दीनदयाल = परमात्मा (god),
  • बाँचे = पढ़ना (to read),
  • केते = कितने, बहुत (many),
  • एकै = एक ही (only one),
  • आखर = अक्षर (letter),
  • सुजान = चतुर, विद्वान (clever),
  • बैरी = शत्रु (enemy), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा
  • मरजीवा = जीवित होते हुए भी मरा हुआ, वैरागी (hermit),
  • रढया = रक्षा करना (protect, save),
  • करतार = सृष्टिकर्ता (god),
  • संसार = माया, मोह (world),
  • अमोल = जिसका कोई मोल न हो, अनमोल, अमूल्य। (priceless)
  • पाहण = पत्थर
  • सुरति = याद, स्मरण
  • बाँचे = पढ़ना
  • मरजीवा = जीवित होते हुए भी मरा हुआ, वैरागी
  • करतार = सृष्टिकर्ता
  • रख्या = रक्षा करना

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Text Book Solutions

Class 11 Hindi Chapter 4 Mera Bhala Karne Walo Se Bachaye Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 4 Mera Bhala Karne Walo Se Bachaye Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ Textbook Questions and Answers

आकलन

1.
प्रश्न अ.
लिखिए :
(a) लेखक की चिंता करने वाले –
उत्तर :
मुस्कुराती चहचहाती लड़कियों के झुंड, सभी तरह के इलाज करने वाले, क्रेडिट कार्ड वाले, हलवाई, वॉटर फिल्टर वाले लोग।

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(b) लेखक का योग के प्रति मोह भंग हो गया है –
उत्तर :
क्योंकि उनके ठहाकों का राज लेखक की समझ में आ गया।

प्रश्न आ.
कारण लिखिए –
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उत्तर :
(i) पार्क में घूमने जाते हैं तब योग संस्थान वाले घेर लेते हैं।
(ii) फिल्म देखने जाते हैं तो टिकट के साथ खाने का सामान शामिल कर लिया जाता है।
(iii) मनोरंजन के लिए टी.वी. ऑन करते हैं तो समाचार चैनल खबरों के नाम पर डराते हैं।

शब्द संपदा

प्रश्न अ.
उपसर्गयुक्त शब्द लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ 2
उत्तर:
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प्रश्न आ.
प्रत्यययुक्त शब्द लिखिए
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ 3
उत्तर:
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अभिव्यक्ति
३. मुफ्त में मिलने वाली चीजों के प्रति लोगों की मानसिकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं। बाजार में वस्तु बेचने वालों के बीच होड़ मची है। हर कोई अपनी वस्तु बेचने के लिए उतावला हो रहा है। हर कोई चाहता है कि, वह लोगों को यह समझा दें कि, औरों से उसकी वस्तु कितनी अच्छी है। अपनी वस्तुओं का बखान वह बढ़ा-चढ़ाकर कर रहा है।

आज एक ही प्रकार की वस्तुओं के अलग-अलग उत्पादक है। उत्पादन करने वाली हर कंपनी अपनी वस्तु को दूसरे से हटकर अधिक अच्छे तरीके से दूसरों के गले में बाँध देना चाहते हैं। ग्राहक आकर्षित हो इसलिए वे ‘फ्री’ का फंडा अपनाते हैं, चाहे उसका दर्जा कैसा भी क्यों न हो।

वस्तु का दर्जा पहचाने बगैर मुफ्त में मिलने वाली वस्तुओं के प्रति लोगों का आकर्षण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, इसका फायदा उत्पादन करने वाली कंपनियाँ ले रही हैं। लोग हैं कि, फ्री की वस्तु पाने के लिए वस्तुओं की खरीदारी कर अपने को चतुर एवं सयाने समझने लगे हैं। इस फ्री के चक्कर में लोग न जाने कितनी अनावश्यक वस्तुएँ खरीदते हैं।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न

4.
प्रश्न अ.
पाठ के आधार पर ग्राहकों की वर्तमान स्थिति का चित्रण कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान युग में भला करने वाले लोगों से लेखक बेहद परेशान हैं। हर कोई यह दावा कर रहा है कि, वे लोगों के फायदे के बारे में सोचते हैं। मुफ्त में वस्तु दे रहे हैं। इन सब के लिए विज्ञापनों की भरमार हो रही है। अस्पताल वाले भी हर तरह का इलाज करने के लिए तैयार हैं।

आपका मोटापा कम करने की चिंता जितनी आपको नहीं है, उतनी स्लिमिंग सेंटरवालों को है। आप बेझिझक कोई भी और कितनी भी महँगी वस्तु खरीद सकते हैं। बैंक की ओर से क्रेडिट कार्ड वाला आपको डेबिट कार्ड दे रहा है। आपके स्वास्थ्य की चिंता वॉटर फिल्टर वालों को अधिक है।

योग संस्थान वाले आपको हँसाकर आपके स्वास्थ्य में सुधार लाना चाहते हैं। भारत माँ का सपूत लोगों के हित के लिए सस्ते में मॉल में कपड़े बेच रहा है। ‘सेल’ फोन वाला मुफ्त में सिम कार्ड बेच रहा है। आज ‘मुफ्त के चक्कर’ में लोग फँसते हैं।

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प्रश्न आ.
अखबार के दफ्तर से आए दो युवाओं से मिले लेखक के अनुभवों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
अखबार के दफ्तर से लेखक से मिलने दो युवा आए थे। उन्होंने लेखक से कहा कि, वे फिल्में दिखाते हैं, राय पाने के लिए आमंत्रित करेंगे। लेखक को खुश होते देखकर उन्होंने फौरन अपना काम शुरू कर दिया। जैसे ही लेखक को किसी काम में व्यस्त पाया फौरन उन्होंने लेखक के सामने हस्ताक्षर करने के लिए कागज आगे किए।

कागजातों में क्या लिखा है ये पढ़े बगैर ही हस्ताक्षर वाली जगह दिखाकर हस्ताक्षर करवाए। कुछ ही दिनों में लेखक को एक क्रेडिट कार्ड मिला। पूछताछ करने पर पता चला कि, उनका किसी विदेशी बँक से काँट्रेक्ट था। अपना लक्ष्य पूरा करवाने के लिए उन्होंने यह क्रेडिट कार्ड बनवाया था।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5.
जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
राजेंद्र सहगल जी की साहित्यिक कृतियाँ –
(a) ……………………………
(b) ……………………………
उत्तर :
(a) असत्य की तलाश
(b) धर्म बिका बाजार में

प्रश्न आ.
अन्य व्यंग्य रचनाकारों के नाम –
…………………………… ……………………………
…………………………… ……………………………
उत्तर :

  • श्रीलाल शुक्ल,
  • हरिशंकर परसाई,
  • के. पी. सक्सेना,
  • रविंद्रनाथ त्यागी।

6. निम्नलिखित रसों के उदाहरण लिखिए :

(a) वीर
…………………………………………………………
…………………………………………………………

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(b) करुण
…………………………………………………………
…………………………………………………………

(c) भयानक
…………………………………………………………
…………………………………………………………
उत्तर :
(a) वीर :
उदा. : लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
– सुभद्राकुमारी चौहान

(b) करुण :
उदा. : पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को, भूख मिटाने को,
मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता,
दो टुक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
– सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

(c) भयानक :
उदा. : बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है,
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है?
मँझधार है, भँवर है या पास है किनारा?
यह नाश आ रहा या सौभाग्य का सितारा?
– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

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Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : इधर मैं कई दिनों से ………………………………………….. वक्त नहीं बचेगा। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 13)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ 5

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :
(i) क्रेडिट कार्ड के साथ डेविट कार्ड मिलने का परिणाम ……………………………….
उत्तर :
क्रेडिट कार्ड के साथ डेबिट कार्ड मिलने से पैसे खर्च करने या नकद खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती।

(ii) अखबार के साथ आए पैंफलेट पढ़ने का परिणाम ……………………………….
उत्तर :
अखबार के साथ आए पैंफलेट पढ़ने बैठे तो अखबार पढ़ने के लिए वक्त नहीं बचता।

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(क) गद्यांश में इन शब्दों के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द :
(i) मुफ्त ……………………………….
(ii) पतला होना ……………………………….
(iii) लघु पुस्तक ……………………………….
(iv) स्वहस्त लेख ……………………………….
उत्तर :
(i) मुफ्त = फ्री
(ii) पतला होना = स्लिमिंग
(iii) लघु पुस्तक = पैंफलेट
(iv) स्वहस्त लेख = आटोग्राफ उदा.

(ख) विलोम शब्द लिखिए :
(i) भला
(ii) मोटा
उत्तर :
(i) भला x वुरा
(ii) मोटा x पतला

प्रश्न 3.
‘विज्ञापन हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अखबार, पैंफलेट, दूरदर्शन, बड़े-बड़े पोस्टर इन सब के माध्यम से विज्ञापन मनुष्य पर हावी हो रहे हैं। हर एक विज्ञापन हमें बताता है कि, वह हमारे लिए कैसे उपयोगी है। पहले कोई चीज खरीदने के लिए हमें यहाँ-वहाँ पूछताछ करनी पड़ती थी।

जानकार लोगों से राय लेनी पड़ती थी कि हमारे लिए कौन सी लाभदायक है? किंतु आज वस्तुओं को खरीदने से पहले उसमें क्या है, यह हमें मालूम पड़ जाता है। उस वस्तु में जिन पदार्थों का उपयोग किया गया है – वह है क्या यह जान लेने की जरूरत पड़ती है।

पहले लोगों को उधार सामान खरीदना अच्छा नहीं लगता या किंतु आज यह फैशन बन गया है। बैंकों आदि से लोन लेने के लिए बैंकों के कई चक्कर काटने पड़ते थे किंतु आज बैंक के सदस्य हमारे घर आकर लोन की पूछताछ करते हैं। बड़े-बड़े विज्ञापन हमारे जीवन में जरूरतें निर्माण करते भी हैं और उसे पूरा करने के लिए उपाय भी सुझाते हैं।

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(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : बाजार की चिल्लपों से …………………………………………… प्रहार से मरना लाजिमी है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 15)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
लिखिए : समाचार चैनल पर वर्णित गर्मी के मौसम का हाल –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
उत्तर :
समाचार चैनल पर वर्णित गर्मी के मौसम का हाल –
(i) गर्मी की तपिश से जनता बेहाल।
(ii) आकाश से आग बरसती है।

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों को उचित तालिका में लिखिए : (बेहाल, जीवित, खौफनाक, प्रकोप)
उपसर्गयुक्त शब्द – प्रत्यययुक्त शब्द
…………………….. – ……………………..
…………………….. – ……………………..
…………………….. – ……………………..
उत्तर:
उपसर्गयुक्त शब्द – प्रत्यययुक्त शब्द
बेहाल – जीवित
प्रकोप – खौफनाक

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प्रश्न 4.
‘समाचार चैनल भी दर्शकों का मनोरंजन करना चाहते हैं इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
समाचार चैनल एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा देश-विदेश की जानकारी एक साथ लाखों लोगों तक पहुँचाई जा सकती हैं।

दूरदर्शन पर किसी भी समाचार को सुनने के साथ-साथ हम देख भी सकते हैं। इसीलिए लोगों का रुझान भी बढ़ा। आज दूरदर्शन पर ऐसे चैनल आए हैं जो 24 घंटे समाचार प्रसारित करते हैं। यह उनकी सफलता ही बयाँ करती है कि वे कई भाषाओं में उपलब्ध हैं।

हमारे सामने इतने विकल्प होते हैं कि अपनी मर्जी से हम किसी भी चैनल को चुन सकते हैं। इसी वजह से इन चैनलों में स्पर्धा शुरू हो गई। और सच्चाई को भी तोड़-मरोड़कर परोसा जाने लगा है। छोटी सी बात को मिर्च-मसाला लगाकर दिखाते हैं।

किसी अपदा, दुर्घटना के समय घायल या मृतकों की संख्या इसी लिए अलग-अलग होती है और चैनल अपनी विश्वसनीयता खोने लगे हैं।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : ‘सेल’ फोन से ……………………………………. वो ले लो, ये फ्री।” (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 16)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों का उचित क्रम लगाइए :
(i) कुछ अपनी सुरक्षा की तैयारी कर सकते हैं पर इन फायदा करने वालों से बचने की ज्यादा जरूरत है।
(ii) एक-दूसरे से मिलकर बात कम करें, फोन पर ज्यादा करें।
(iii) मुझे अपना भला नहीं करवाना है।
(iv) उसमें करेंट दौड़ जाता है।
उत्तर :
(i) एक-दूसरे से मिलकर बात कम करें, फोन पर ज्यादा करें।
(ii) उसमें करेंट दौड़ जाता है।
(iii) कुछ अपनी सुरक्षा की तैयारी कर सकते हैं पर इन फायदा करने वालों से बचने की ज्यादा जरूरत है।
(iv) मुझे अपना भला नहीं करवाना है।

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प्रश्न 3.
लिखिए : (i) गद्यांश में प्रयुक्त दो शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए :
(1) ………………………. – ……………………….
(2) ………………………. – ……………………….
उत्तर :
(1) एक – दूसरे
(2) ठीक – ठीक

(ii) गद्यांश से विलोम शब्द की जोड़ियाँ ढूँढकर लिखिए :
(1) ………………………. – ……………………….
(2) ………………………. – ……………………….
उत्तर :
(1) आम – खास
(2) नुकसान x फायदा

प्रश्न 4.
‘सेल’ फोन के दुष्परिणाम बताइए।
उत्तर :
‘सेल’ फोन आने के पश्चात हमारी यह धारणा बनी थी कि, हम ज्यादा से ज्यादा लोगों से कहीं भी, कभी भी जुड़ जाएँगे। हम अधिकाधिक लोगों से जुड़ तो गए किंतु अपने करीबी लोगों से हम दूर हो गए। हम एक दूसरे से कम, दूर के लोगों से फोन पर अधिक बातें करने लगे।

‘सेल’ फोन से ऊँचा सुनना, आँख की बीमारी जैसी कई प्रकार की समस्याएँ निर्माण हुईं। अपने मिलने वालों से कम और जो कहीं दूरी पर है, उससे ही बतियाते रहे। परिणामत: एक ही घर में रहने वाले सदस्य एक-दूसरे के लिए अजनबी हो गए। हमारा कीमती वक्त मोबाइल में उलझे रहने के कारण बर्बाद होने लगा।

मेरा भला करने वालों से बचाएँ Summary in Hindi

मेरा भला करने वालों से बचाएँ लेखक परिचय :

सहगल जी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम्.ए.,पीएच्.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप बैंक में उपप्रबंधक के रूप में कार्यरत रहे। आप आकाशवाणी से विभिन्न विषयों पर वार्ताओं का प्रसारण करते हैं तथा सामयिक महत्त्व के विषयों पर फीचर लेखन भी करते हैं।

मेरा भला करने वालों से बचाएँ प्रमख कतियाँ :

‘हिंदी उपन्यास’, ‘तीन दशक’ (शोध प्रबंध), ‘असत्य की तलाश’, ‘धर्म बिका बाजार में (व्यंग्य संग्रह)

मेरा भला करने वालों से बचाएँ विधा परिचय :

‘व्यंग्य’ का मतलब शब्दों का तीखा प्रहार। लेखक अपनी संवेदना के धरातल पर समाज में व्याप्त विसंगतियों (discrepancy) पर कड़ा प्रहार करता है। वह भाषा की व्यंजना शक्ति का प्रयोग इतना बखूबी करता है, कि विसंगति में संगति, कुरूपता (ugliness) के पीछे सुंदरता, विरोधाभास (parodax) में समानता की सृष्टि होकर हास्य रस की निष्पत्ति होती है।

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मेरा भला करने वालों से बचाएँ विषय प्रवेश :

लेखक का मानना है कि, झूठ को सच बताने में जो ताकत लगती है उसका सौंवा हिस्सा भी सच को सच साबित करने में नहीं लगता। ‘मुफ्त के चक्कर’ में अपना भला करने वाले हमारे आस-पास कई सारे लोग दिखाई देते हैं, उनसे ‘मुझे बचना है’ कहकर इस प्रवृत्ति पर व्यंग्य कसा है।

मेरा भला करने वालों से बचाएँ मुहावरें :

  1. दर-दर भटकना – मारा-मारा फिरना।
  2. सोने पे सुहागा होना – किसी वस्तु या व्यक्ति का उच्चतर/बेहतर होना।
  3. राह देखना – इतंजार करना।

मेरा भला करने वालों से बचाएँ टिप्पणी :

तुरुप – ताश का एक खेल जिसमें प्रधान माने हुए रंग का छोटे-से-छोटा पत्ता अन्य रंगों के बड़े-से-बड़े पत्ते को काट सकता है।

मेरा भला करने वालों से बचाएँ सारांश :

समाज का हर एक आदमी लेखक का भला करना चाहता है। अखबार में विज्ञापन के ढेर सारे कागज पाए जाते हैं, जिसमें हर तरह के इलाज के लिए क्लिनिक है, स्लिमिंग सेंटरवाला आप के आने का इंतजार कर रहा है, हलवाई लाजबाब मिठाई बेच रहा है।

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कहीं क्रेडिट कार्ड वाला फ्री डेबिट कार्ड दे रहा है। कोई घर तक सामान पहुँचाने के लिए तैयार है। गाड़ी वाला नई गाड़ी के लिए लोन के लिए बैंक के कागज दे रहा है। कहीं पर मुस्कुराती चहचहाती लड़कियों के झुंड आपका आटोग्राफ लेने के लिए आती हैं। कोई साफ पानी के लिए वॉटर फिल्टर लगाना चाह रहा है। सब कुछ किस्तों में और क्रेडिट कार्ड पर मिल रहा है। साबुन की टिकियाँ कम-से-कम चार लेनी पड़ती है।

हर जगह भाईचारा इतना बढ़ गया है कि, ‘लार्जर टॅन लाइफ’ हो गया है। पार्क में जाते हैं तो योग संस्थान वाले ‘योगा’ के फायदे समझाते हैं। फिल्म देखने जाते हैं तो टिकट के साथ खाने का सामान शामिल कर लिया जाता है। ‘मॉल’ में कपड़ों की सेल लगी है।

देशवासियों के प्रति होने वाले प्यार के कारण वह सस्ता माल बेच रहा है। दरअसल वह सेकेंड का सस्ता माल बेचने के लिए अपने को धरती का लाल कहता है। कोई दुकानवाला त्योहारों पर दुकान की छुट्टियों की अग्रिम सूचना देता है।

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घर जाकर टीवी शुरू करते हैं, तो समाचार चैनल खबरों के नाम पर डरा रहे हैं। मौसम का हाल जानना चाहते हैं, तो कहते हैं, अगर आप जीवित रहना चाहते हैं, तो घर से बाहर न निकलें। दरअसल ये सारे लोग हमारा भला चाहने वाले हैं लेकिन हम इन्हें ठीक तरह से समझ नहीं पा रहे हैं।

लेखक के मोहल्ले में ‘पुरुष ब्यूटी पार्लर’ खुल गया है। लेखक नाखून कटवाने के लिए जाता है, तो उसे सलाह मिलती है कि लेखक अपना ‘फेशियल’ करवाकर अपना ‘फेस वेल्यू’ बढ़ाए। लेखक के नाखून इस तरह तराशे मानो कोई संगमरमर की मूर्ति तराश रहा हो। आखिरकार नाखून काटने के 1000/- रु. लेकर मुक्त कर दिया।

रास्ते में मोबाइल खरीदारों की लाइन लगी थी पूछने पर पता चला कि, मोबाइल के साथ सिम कार्ड मुफ्त मिलता है। लेखक ने भी मोबाइल खरीदा। कोई भी फोन नहीं आ रहा है। लेखक सोचता है, शायद उसने कोई गलत बटन तो नहीं दबाया। कार्यव्यस्तता के कारण लोग सड़क पर चलते-चलते फोन कर रहे हैं। ‘सेल’ फोन से हम हीनता की ग्रंथि से मुक्त हुए हैं। हम एक-दूसरे से कम, फोन पर ज्यादा बातें कर रहे हैं।

अपना नुकसान करने वालों से तो हम बच सकते हैं किंतु हमारा फायदा करने वालों से बचने की ज्यादा जरूरत है। ना कहने पर भी वे, ‘यह ले लो, वो फ्री, वो ले लो, ये फ्री’, कहकर हर हालत में हमारा फायदा करके ही मानेंगे।

इस तरह लेखक फायदा करने वालों से बचना चाहता है।

मेरा भला करने वालों से बचाएँ शब्दार्थ :

  • क्लीनिक = अस्पताल (clinic),
  • झुंड = बहुत से मनुष्यों का समूह (group),
  • विवरण = वर्णन, ब्यौरा (discription),
  • चुटकुला = मनोरंजक बात (joke),
  • दायरा = गोल घेरा (radius),
  • चिल्लप = चीख, पुकार (shouting),
  • तपिश = गरमी (heat),
  • प्रकोप = क्षोभ (outbreak),
  • मोहभंग = भ्रांति निवारण (disillusion),
  • आलम = दुनिया (world),
  • स्लिमिंग = पतला होना (slimming),
  • फ्री = मुफ्त (free),
  • निर्देश = सूचना (instruction)
  • विवरण = वर्णन, ब्योरा
  • मोहभंग = भ्रांति निवारण
  • दायरा = गोलघेरा Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 मेरा भला करने वालों से बचाएँ
  • चुटकुला = मनोरंजक बात

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Class 11 Hindi Chapter 3 Pandrah August Question Answer Maharashtra Board

Std 11 Hindi Chapter 3 Pandrah August Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 3 पंद्रह अगस्त Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 3 पंद्रह अगस्त Questions And Answers

11th Hindi Digest Chapter 3 पंद्रह अगस्त Textbook Questions and Answers

आकलन
1.

प्रश्न अ.
संकल्पना स्पष्ट कीजिए –
(a) नये स्वर्ग का प्रथम चरण
उत्तर :
स्वतंत्रता प्राप्त करना हमारा स्वर्ग प्राप्त करने जैसे लक्ष्य था हमें अभी अनेक कार्य करने शेष हैं। कवि यह संकेत करते हैं कि स्वतंत्रता प्राप्त हो गई “अब सब काम खत्म हो गया” ऐसा सोचकर विश्राम नहीं करना है। वास्तव में अभी-अभी तो हमारा कार्य आरंभ हुआ है। हमारे देश को स्वर्ग बनाना है यही हमारा लक्ष्य है और आजादी उसका प्रथम चरण है।

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(b) विषम शृंखलाएँ
उत्तर :
बड़ी कठिनाई से हमने आज़ादी प्राप्त की है। गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ पाएँ हैं। हमारे देश की सीमा हर ओर से आज़ाद है।

(c) युग बंदिनी हवाएँ
उत्तर :
हे देशवासियो, यह ध्यान रहे कि इस विश्व में तूफान की तरह तेजी से बंदी बनाने वाली हवाएँ चल रही हैं। अर्थात कई देशों से आक्रमण का खतरा हमारे देश पर बढ़ गया है। ऐसी दुर्घटना को रोकने का उत्तरदायित्व हमारा है।

प्रश्न आ.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 7
उत्तर :
(1) शोषण से मृत है समाज
(2) कमजोर हमारा घर है।

काव्य सौंदर्य

2. आशय लिखिए :

प्रश्न अ.
“ऊँची हुई मशाल हमारी ………………………………………………… हमारा घर है।”
उत्तर :
आज़ादी प्राप्त करने के बाद हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। हमारा रास्ता और कठिन हो गया है। माना कि शत्रु चला गया है पर वह अपनी पराजय से अत्यंत विकल (restless) हुआ है। कोई न कोई कूटनीति उसके मन मस्तिष्क में चल रही होगी। हमारा जनसमुदाय इतने सालों की गुलामी से सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक रूप से कमजोर हो गया है इसलिए अपनी मशाल अर्थात अपनी सतर्कता और अधिक बढ़ा दो।

प्रश्न आ.
“युग बंदिनी हवाएँ ………………………………………………… टूट रहीं प्रतिमाएँ।”
उत्तर :
जहाँ हमने आज़ादी प्राप्त करके देश की सभी सीमाओं को स्वतंत्र कर लिया है। वही ब्रिटिश सरकार अपनी पराजय से विकल है। वह हमारे देश की उन्नति के विरूद्ध कूटनीति भी कर रही होगी। देश को जाति, धर्म, भाषा और प्रांत के नाम पर कमजोर, अलग-थलग करना जैसी समस्या देश में उत्पन्न हो सकती है।

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अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘देश की रक्षा-मेरा कर्तव्य’, इसपर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
“जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं,
वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.” (गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’)

देश की रक्षा किसी व्यक्ति का केवल कर्तव्य ही नहीं बल्कि उसका धर्म भी होता है। व्यक्ति द्वारा कोई भी ऐसा कार्य नहीं होना चाहिए जिससे देश धर्म में बाधा पहुँचे। हमारा देश सबसे सर्वोपरि (above all) है। कोई भी लाभ और हानि हमारे देश को सीमित नहीं कर सकती।

देश के प्रति पूरी निष्ठा होनी चाहिए। देश केवल भूभाग नहीं है। देश का आर्थिक विकास व वृद्धि, साफ-सफाई, सुशासन, भेदभाव न करना, कानून का पालन करना आदि जिम्मेदारियाँ निभाना हमारा कर्तव्य है। एक जिम्मेदार नागरिक बनकर हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे देश की आन, बान और शान में वृद्धि हो। हमारी राष्ट्रीय धरोहर (heritage) और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान और रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है।

देश के कानून का पालन और सम्मान करना चाहिए। हमें अपने करों का समय पर सही तरीके से भुगतान करना चाहिए। देश को प्रदूषण मुक्त करने में सहयोग देना, पर्यावरण संतुलन हेतु वृक्षारोपण (plantation) करना जैसे कार्यों में रुचि दिखाना भी देश की रक्षा करना ही है; इस तथ्य को स्वयं समझना और औरों को समझाना भी हमारा कर्तव्य है।

प्रश्न आ.
‘देश के विकास में युवकों का योगदान’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
किसी भी देश की तीन प्रकार की संपत्ति से देश की उन्नति का आकलन लगाया जाता है। वह संपत्ति है – धन संपत्ति, युवा संपत्ति और संस्कृति संपत्ति। जिस देश के पास ये तीनों संपत्तियाँ विद्यमान हैं उस देश को तीनों लोकों का सुख प्राप्त है।

युवा देश की ऐसी संपत्ति है, जो देश को उन्नति के उच्चतम शिखर तक पहुँचा सकती है। इतिहास और शास्त्र दोनों ही इस बात के गवाह हैं, चाहे वे सतयुग, त्रेता, द्वापर के युवा हो चाहे वर्तमान काल के युवा। जो भी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सकारात्मक परिवर्तन होता है उसमें युवाओं का हिस्सा अधिकाधिक होता है।

युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। वे देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। उनमें गहन (intensive) ऊर्जा और महत्त्वाकांक्षाएँ (ambitions) होती हैं। उनकी आँखों में इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। उनके योगदान से देश उन्नति के पथ पर अग्रसर (proceed) होगा।

क्योंकि युवा ही वर्तमान का निर्माता और भविष्य का नियामक (regulator) होता है। अत: समस्त भारतीय युवाओं को यह संकल्प लेना चाहिए कि राष्ट्र के सम्मुख जितनी भी चुनौतियाँ हैं हम उनका डटकर सामना करेंगे।

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रसास्वादन

4. स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझते हुए प्रस्तुत गीत का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : पंद्रह अगस्त
(ii) रचनाकार : गिरीजाकुमार माथुर ‘पंद्रह अगस्त’ कविता कवि गिरिजाकुमार माथुर द्वारा लिखा एक गीत है।
(iii) केंद्रीय कल्पना : स्वतंत्रता के पश्चात देश में चारों ओर उल्लास छाया है और साथ ही इस स्वतंत्रता को बरकरार रखने हेतु सावधान एवं सतर्क रहना जरूरी है यह आह्वान भी है।
(iv) रस-अलंकार : कविता में वीर रस की निष्पत्ति के साथ साथ लयात्मकता का सुंदर प्रयोग हर अंतरे में स्पष्ट झलकता है। जैसे – छोर, हिलोर (wave), डोर (string), कोर (edge) जैसे शब्दों का प्रयोग हो या दिशाएँ, हवाएँ, सीमाएँ, प्रतिमाएँ या फिर डगर, डर, घर, अमर जैसे शब्दों के प्रयोग से गेयता (singable) साध्य हुई है। ‘पहरुए सावधान रहना’ मुखड़ा हर अंतरे के बाद आया है।

(v) प्रतीक विधान : देशवासियों को देश के पहरेदार बनकर सावधान रहने की बात कवि कह रहे हैं।

(vi) कल्पना : कवि ने स्वतंत्रता को स्वर्ग का प्रथम चरण माना है और अनेकों लक्ष्य पाने की कल्पना की है।
(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : ‘किंतु आ रही नई जिंदगी
यह विश्वास अमर है,
जनगंगा में ज्वार
लहर तुम प्रवाहमान रहना’

इन पंक्तियों में स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझाने का प्रयास कवि ने किया है। देश में चारों ओर उल्लास है, जनगंगा में ज्वार है। परंतु जब शोषित पीड़ित और मृतप्राय समाज का पुनरुत्थान होगा तभी सही मायने में देश आजाद होगा। किंतु हमारा यह विश्वास कि हमारे जीवन में एक नई शुरुआत हो गई है हमारा मनोबल बढ़ाता है और इस बल को कभी टूटने नहीं देना है। जनशक्ति की लहर बनकर प्रगति की ओर आगे बढ़ना है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता के ये भाव मन में उल्लास भर देते हैं और कविता की गेयता कविता गुनगुनाने पर बाध्य करती हुई आनंद की प्राप्ति कराने में सक्षम है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान
जानकारी दीजिए:

5.
प्रश्न अ.
गिरिजाकुमार माथुर जी के काव्यसंग्रह –
उत्तर :
धूप के धान
मैं वक्त के हूँ सामने

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प्रश्न आ.
‘तार सप्तक’ के दो कवियों के नाम –
उत्तर :
प्रभाकर माचवे
भारतभूषण अग्रवाल

रस
वीर रस – किसी पद में वर्णित प्रसंग हमारे हृदय में ओज, उमंग, उत्साह का भाव उत्पन्न करते हैं, तब वीर रस का निर्माण होता है। ये भाव शत्रुओं के प्रति विद्रोह, अधर्म, अत्याचार का विनाश, असहायों को कष्ट से मुक्ति दिलाने में व्यंजित होते हैं।
उदा. –
(१) साजि चतुरंग सैन, अंग में उमंग धरि।
सरजा सिवाजी, जंग जीतन चलत है।
भूषण भनत नाद, बिहद नगारन के
नदी-नद मद, गैबरन के रलत है।
– भूषण

(२) दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसीवाली रानी थी।
– सुभद्राकुमारी चौहान

भयानक रस – जब काव्य में भयानक वस्तुओं या दृश्यों के प्रत्यक्षीकरण के फलस्वरूप हृदय में भय का भाव उत्पन्न होता है, तब भयानक रस की अभिव्यंजना होती है।
उदा. –
(१) प्रथम टंकारि झुकि झारि संसार-मद चंडको दंड रह्यो मंडि नवखंड को।
चालि अचला अचल घालि दिगपालबल पालि रिषिराज के वचन परचंड कों।
बांधि बर स्वर्ग को साधि अपवर्ग धनु भंग को सब्ध गयो भेदि ब्रह्मांड कों।
– केशवदास

(२) उधर गरजती सिंधु लहरिया, कुटिल काल के जालों-सी।
चली आ रही है, फेन उगलती, फन फैलाए व्यालों-सी।।
– जयशंकर प्रसाद

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) पन्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पदयांश : आज जीत की ……………………………………………………….. बने अंबुधि महान रहना। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 9-10)

प्रश्न 1.
जाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 2

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त

प्रश्न 2.
विधान सत्य है या असत्य लिखिए :
उत्तर :
(i) इस जनमंथन से उठ आई है पहली रतन हिलोर। – सत्य
(ii) नए स्वर्ग का अंतिम चरण। – असत्य

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश ‘तारसप्तक’ (सात कवियों का एक मंडल) के प्रमुख कवि गिरिजा कुमार माथुर जी की कविता ‘पंद्रह अगस्त’ से लिया गया है। कवि आज़ादी के बाद देशवासियों को संबोधित करते हुए कहते हैं – हे देशवासियो !….. हमारा देश अभीअभी आज़ाद हुआ है। अब इसकी सुरक्षा की सभी तरह की जिम्मेदारी हमारी है। इसलिए हमें और अधिक सावधान रहना पड़ेगा। स्वतंत्रता हमारे जीवन का पहला लक्ष्य था, जो अभी पूरा हुआ है। शेष उद्देश्य तो अभी भी बाकी है। कवि कहते हैं कि हमें समुद्र की तरह मन में गहराई एवं हृदय में विशालता रखनी होगी।

(आ) एद्याश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : विषम श्रृंखलाएँ टूटी ……………………………………………………….. तुम दीप्तिमान रहना। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 10)

प्रश्न 1.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 4

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के लिए पद्यांश में आए शब्द लिखिए :
(i) आँधी – ……………………………………….
(iii) मूर्ति – ……………………………………….
(iii) चंद्र – ……………………………………….
(iv) पहेरदार – ……………………………………….
उत्तर :
(i) प्रभंजन
(ii) प्रतिमा
(iii) इंदु
(iv) पहरुए

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश कवि गिरिजाकुमार माथुर जी की कविता ‘पंद्रह अगस्त’ से लिया गया है। प्रस्तुत पद्यांश में कवि कह रहे हैं कि परतंत्रता (dependance) की बेड़ियाँ टूट गई हैं और आजादी की खुली हवा देश में बहने लगी है। युगों से गुलामी सहने वाले स्वतंत्र होते ही दिशाहीन, लक्ष्यहीन हो गए हैं।

विभाजन के कारण वे सीमाओं में सीमटकर अपना होश खो बैठे हैं। दुर्बल हो गए हैं। ऐसे में अधिक सतर्कता की आवश्यकता है। कहीं आपस में लड़कर हम एक-दूसरे को ही नुकसान न पहुँचा दें इस बात का ख्याल रखना होगा। चंद्र के समान शीतल रोशनी फैलाकर देशवासियों को रास्ता दिखाने का काम कवि हमें करने को कह रहे हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : ऊँची हुई मशाल’……………………………………….. तुम प्रवाहमान रहना। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 10)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त 6

प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हो :
(i) ज्वार : ………………………………….
(ii) लहर : ………………………………….
उत्तर :
(i) जनगंगा में क्या है?
(ii) किसे प्रवाहमान रहना है?

प्रश्न 3.
पद्यांश द्वारा मिलने वाला संदेश लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश गिरिजाकुमार माथुर जी की कविता ‘पंद्रह अगस्त’ से लिया गया है। प्रस्तुत पद्यांश में तत्काल मिली हुई स्वतंत्रता की कवि चिंता करता है इसलिए देशवासियों को सतर्क रहने का आह्वान किया है। देश में एकता, अखंडता और भाई-चारे को बनाए रखने के लिए सजग किया है।

कवि देशवासियों को सावधान रहने के लिए कहते हैं। उनका कहना हैं कि शत्रु भले ही हमारे देश को छोड़कर चला गया है, पर पलटकर वार करें तो उसके प्रत्युत्तर के लिए सतर्क रहना चाहिए। धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर हमें आपसी विवाद से बचना चाहिए।

रस:

वीर रस – किसी पद में वर्णित हमारे प्रसंग हृदय में ओज, उमंग, उत्साह का भाव उत्पन्न करते हैं, तब वीर रस का निर्माण होता है। ये भाव शत्रुओं के प्रति विद्रोह, अधर्म, अत्याचार का विनाश, असहायों को कष्ट से मुक्ति दिलाने में व्यंजित (express) होते हैं।
उदा. :
(1) साजि चतुरंग सैन, अंग में उमंग धरि।
सरजा सिवाजी, जंग जीतन चलत है।
भूषण भनत नाद, बिहद नगारन के
नदी-नद मद, गैबरन के रलत है।
– भूषण

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(2) दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसीवाली रानी थी।
– सुभद्राकुमारी चौहान

भयानक रस – जब काव्य में भयानक वस्तुओं या दृश्यों के प्रत्यक्षीकरण के फलस्वरूप हृदय में भय का भाव उत्पन्न होता है, तब भयानक रस की अभिव्यंजना होती है।
उदा. :
(1) प्रथम टंकारि झुकि झारि संसार-मद चंडको दंड रह्यो मंडि नवखंड कों।
चालि अचला अचल घालि दिगपालबल पालि रिषिराज के वचन परचंड को।
बांधि बर स्वर्ग को साधि अपवर्ग धनु भंग को सब्ध गयो भेदि ब्रह्मांड कों। – केशवदास

(2) उधर गरजती सिंधु लहरिया, कुटिल काल के जालों-सी।
चली आ रही है, फेन उगलती, फन फैलाए व्यालों-सी।।
– जयशंकर प्रसाद

पंद्रह अगस्त Summary in Hindi

पंद्रह अगस्त कवि परिचय :

गिरिजाकुमार माथुर जी का जन्म 22 अगस्त 1919 को अशोक नगर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। आपकी आरंभिक शिक्षा झाँसी में हुई थी। आपने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम. ए. (अंग्रेजी) एवं एल. एल. बी. की शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय तक आपने वकालत की तत्पश्चात दिल्ली में आकाशवाणी में काम किया। कुछ समय तक दूरदर्शन में भी काम किया और वहीं से सेवा निवृत (retired) हुए। माथुर जी की मृत्यु 10 जनवरी 1994 में हुई।

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स्वतंत्रता प्राप्ति के दिनों में हिंदी साहित्यकारों में जो प्रमुख कवि थे, उनमें गिरिजाकुमार माथुर जी का नाम अग्रणी (leading) है।

पंद्रह अगस्त प्रमुख रचनाएँ :

‘मंजीर’, ‘नाश और निर्माण’, ‘धूप के धान’, ‘शिलापंख चमकीले’, ‘जो बँध नहीं सका’, ‘साक्षी रहे वर्तमान’, ‘भीतरी नदी की यात्रा’, ‘मैं वक्त के हूँ सामने’ (काव्य संग्रह), ‘जन्म कैद’ (नाटक) आदि।

पंद्रह अगस्त काव्य विधा :

यह ‘गीत’ विधा है। इसमें एक मुखड़ा (first line) होता है और दो या तीन अंतरे (stanza) होते हैं। इसमें परंपरागत भावबोध तथा शिल्प प्रस्तुत किया जाता है। कवि इस प्रकार की अभिव्यक्ति में प्रतीक, बिंब तथा उपमान का प्रयोग करता है।

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पंद्रह अगस्त विषय प्रवेश :

प्रस्तुत गीत में कवि ने स्वतंत्रता के हर्ष और उल्लास को उत्साह पूर्वक अभिव्यक्त (expressed) किया है। कवि देशवासियों एवं सैनिकों को अत्यंत जागरूक रहने का आवाहन कर रहा है।

पंद्रह अगस्त सारांश :

(कविता का भावार्थ) : प्रस्तुत कविता आज़ादी के बाद देश के प्रत्येक नागरिक को संबोधित करती है। कवि देशवासियों को पहरेदार के समान सावधान रहने के लिए कहता है। कवि का कहना है कि हे देशवासियो, यह हमारी विजय की पहली रात है। आज से देश की सभी तरह की सुरक्षा का उत्तरदायित्व हमारा है। हमें उस निश्चल दीपक की भाँति (जो विपरीत समय में भी अपनी रोशनी से अंधकार को ललकारता रहता है।) अपने देश पर आने वाली सभी समस्याओं को दूर भगा देना है।

कविता में प्रथम स्वर्ग का तात्पर्य – पहला लक्ष्य पहली प्राप्ति है, जिसे हमने सामूहिक प्रयास से प्राप्त किया है। कवि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शेष कार्यों की ओर संकेत करते हैं। हमारे सामने अनेक लक्ष्य शेष हैं। देशवासियों ने शारीरिक, मानसिक और आर्थिक पीड़ा को बहुत लंबे समय तक सहन किया है।

देश अपने अपमान को अभी भुला नहीं पाया है। इसलिए आज़ादी के बाद हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। हमें समुद्र की भाँति मन में गहराई और विशालता रखनी होगी। हमें पहले से भी और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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बड़े संघर्ष के बाद मिली आज़ादी के बाद भी अभी बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ अपना ताल ठोक (challenging) रही हैं। हमारे देश पर अनेक देश की ओर से खतरे मँडरा रहे हैं। ब्रिटिश सरकार ने हमें कमजोर करने के लिए कई प्रकार के जाल बिछाए हैं। हमें जाति, धर्म और प्रांत के नाम पर अलग-अलग बाँटने का प्रयास किया है। यह हमारी प्रगति के लिए रुकावट है।

आज ब्रिटिश सरकार का सिंहासन ध्वस्त हो गया है। लोगों में आक्रोश है। अगर हम सावधान न रहे तो हम आपस में ही लड़कर एक दूसरे को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए इस-हर्ष-विषाद (griet) की घड़ी में हमें अत्यंत सावधान रहने की आवश्यकता है। जिस प्रकार चाँद की रोशनी अँधेरे में भी पथिक (passenger) को रास्ता दिखाती है ठीक उसी प्रकार हे पहरुए तुम्हें भी सबको रास्ता दिखाना है।

कवि का कहना है कि यह सही है कि हमें स्वतंत्रता मिल गई है। शत्रु सामने से चला गया है पर पीछे से वह कौन सा खेल खेलेगा हमें पता नहीं है। इससे बचने के लिए हमें पहले से भी और अधिक सतर्क रहना होगा। सालों-साल की गुलामी ने हमारे जन समुदाय को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सभी ओर से अत्यंत दुर्बल बना दिया है।

किंतु हमारा यह एक विश्वास, है कि हमारे जीवन की एक नई शुरुआत हो गई है, यह सोचकर हमारा मनोबल बढ़ जाता है। जैसे समुद्र की लहरें एकजुट होकर समुद्र में ज्वार ला देती हैं हमें भी उन समुद्री लहरों की तरह ही एक-साथ होकर आगे बढ़ते रहना है। हे पहरुए ! उपरोक्त कार्य के लिए तुम्हें अत्यंत सावधान रहना होगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 3 पंद्रह अगस्त

पंद्रह अगस्त शब्दार्थ:

  • पहरुए = पहरेदार, प्रहरी
  • पतवार = नाव खेने का साधन
  • अंबुधि = सागर, समुद्र
  • प्रभंजन = आँधी, तूफान
  • इंदु = चंद्रमा
  • दीप्तिमान = प्रकाशमान, कांतिमान, प्रभायुक्त
  • पहरूए = पहरेदार, प्रहरी (security person),
  • अचल = स्थिर (stable),
  • प्रथम = पहला (first),
  • छोर = किनारा (end),
  • विगत = बीता हुआ कल (past),
  • पतवार = नाव खेने का साधन (paddle),
  • अंबुधि = समुद्र, सागर (ocean),
  • प्रभंजन = आँधी, तूफान (storm),
  • इंदु = चंद्रमा (moon),
  • दीप्तिमान = प्रभायुक्त, प्रकाशमान (radiant)

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आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
दावत में होने वाली अन्न की बरबादी पर उषा की प्रतिक्रिया –
उत्तर :
उषा की आँखों में आँसू आ गए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ

प्रश्न आ.
संवादों का उचित घटनाक्रम –
(i) “रुपये खर्च हो गए मालिक।”
(ii) “स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है….!”
(iii) “अरे क्या हुआ ! जाता क्यों नहीं?”
(iv) “माँ, बाल-मजदूरी अपराध है न?’
उत्तर :
(i) “स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है….!”
(ii) “माँ, बाल-मजदूरी अपराध है न?’
(iii) “अरे क्या हुआ ! जाता क्यों नहीं?”
(iv) “रुपये खर्च हो गए मालिक।”

शब्द संपदा

2.

प्रश्न अ.
समूह में से विसंगति दर्शानेवाला कृदंत/तद्धित शब्द चुनकर लिखिए –
(i) मानवता, हिंदुस्तानी, ईमानदारी, पढ़ाई
(ii) थकान, लिखावट, सरकारी, मुस्कुराहट
(iii) बुढ़ापा, पितृत्व, हँसी, आतिथ्य
(iv) कमाई, अच्छाई, सिलाई, चढ़ाई
उत्तर :
(i) पढ़ाई, (कृदंत शब्द)
(ii) सरकारी – (तद्धित शब्द)
(iii) हँसी – (कृदंत शब्द)
(iv) अच्छाई – (तद्धित शब्द)

प्रश्न आ.
निम्नलिखित वाक्यों में आए हुए शब्दों के वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए –

(i) पेड़ पर सुंदर फूल खिला है।
उत्तर :
पेड़ों पर सुंदर फूल खिले हैं।

(ii) कला के बारे में उनकी भावना उदात्त थी।
उत्तर :
कलाओं के बारे में उनकी भावनाएँ उदात्त थीं।

(iii) दीवारों पर टँगे हुए विशाल चित्र देखे।
उत्तर :
दीवार पर टँगा हुआ विशाल चित्र देखा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ

(iv) वे बहुत प्रसन्न हो जाते थे।
उत्तर :
वह बहुत प्रसन्न हो जाता था।

(v) हमारी-तुम्हारी तरह इनमें जड़ें नहीं होती।
उत्तर :
हमारी-तुम्हारी तरह इसमें जड़ नहीं होती।

उत्तर :
(vi) ये आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहे थे।
उत्तर :
यह आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहा था।

(vii) वह कोई बनावटी सतह की चीज है।
उत्तर :
वे कोई बनावटी सतह की चीजें हैं।

(इ) निम्नलिखित शब्दों का लिंग परिवर्तन करके प्रत्येक का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
अध्यापक, रानी, नायिका, देवर, पंडित, यक्ष, बुद्धिमान, श्रीमती, दुखियारा, विद्वान

परिवर्तित शब्दवाक्य में प्रयोग
(1) ……………………………………….(1) ……………………………………….
(2) ……………………………………….(2) ……………………………………….
(3) ……………………………………….(3) ……………………………………….
(4) ……………………………………….(4) ……………………………………….
(5) ……………………………………….(5) ……………………………………….
(6) ……………………………………….(6) ……………………………………….
(7) ……………………………………….(7) ……………………………………….
(8) ……………………………………….(8) ……………………………………….
(9)  ……………………………………….(9) ……………………………………….
(10) ……………………………………….(10) ……………………………………….

उत्तर :

परिवर्तित शब्द वाक्य में प्रयोग
अध्यापिका मेरा सपना था कि एक दिन अध्यापिका बन जाऊँ।
राजा राजा प्रजाहित दक्ष था।
नायक वह उस चित्रपट का नायक था।
देवरानी देवरानी ने चूड़ियाँ पहनी।
पंडिताइन पंडिताइन मौसी ने मुझे पुकारा।
यक्षिनी यक्षिणी और अप्सराएँ विहार कर रही थीं।
बुद्धिमती वह एक बुद्धिमती नारी है।
श्रीमान आइए, श्रीमान जी थोड़ा आराम कीजिए।
दुखियारी बुढ़िया बेचारी दुखियारी लग रही है।
विदुषी उस विदुषी नारी ने सभा में तात्विक चर्चा की।

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अभिव्यक्ति
3.
प्रश्न अ.
‘अन्न बैंक की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘वित्त बैंक’, ‘ब्लड बैंक’ यह शब्द हम सुनते हैं किंतु ‘अन्न बैंक’ शब्द कभी सुना नहीं है। सचमुच ऐसा बैंक अगर खुल जाए तो गरीबों के जीवन में भूखा सोने की नौबत नहीं आएगी। आज अमीरों के घरों का बहुत सारा खाना कूड़े-कचरे के हवाले हो जाता है।

होटलों का, शादी-ब्याह में लोगों के प्लेटों का बचा-खुचा खाना अगर जरूरतमंदों को मिल जाए तो बेचारों की जिंदगी खुशी से भर जाएगी। अत: ‘अन्न बैंक’ खुलवाकर वहाँ अगर ऐसा अन्न दिया जाए तो इस अन्न को सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो जाएगी और आवश्यकता के अनुसार यह अन्न गरीबों को दे दिया जाए तो देश की भूख की समस्या हल हो पाएगी।

प्रश्न आ.
‘शिक्षा से वंचित बालकों की समस्याएँ’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत 06 से 14 साल तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का कानून बनाया है। फिर भी आज तक अनेक बालक हशिये पर हैं। निरक्षरता सभी समस्याओं की नींव है। इसी कारण सरकार ने शिक्षा अभियान का प्रारंभ किया है।

बंजारे, आदिवासी, गड़रिया, भटकते मजदूरों की टोलियाँ इन लोगों के बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवाले गरीबों के बच्चे भी पेट के पीछे दौड़ते स्कूल से वंचित रहते हैं। इन समस्याओं पर सरकार के साथ हम सबका योगदान भी आवश्यक है।

आज सरकार मुक्त विद्यालय की स्थापना कर चुकी है। जिसके माध्यम से नियमित स्कूल न जानेवाले बच्चे भी शिक्षा से जुड़े रह सकते हैं। हर पढ़े-लिखे व्यक्ति ने स्कूल से वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए दिल से प्रयास किया तो संभव है कि समस्या कुछ हद तक मिट पाएगी।

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पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न

4.
प्रश्न अ.
‘उषा की दीपावली लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।
उत्तर :
‘उषा की दीपावली’ यह श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित एक सुंदर मर्मस्पर्शी (heart touching) लघुकथा है।

इस पाठ की छोटी उषा एक संवेदनशील (sensitive) लड़की है। दीपावली के अवसर पर वह देखती है कि सफाई का काम करने वाला बबन ‘नरक चौदस’ पर जलाए हुए आटे के दीपक कूड़े-कचरे के डिब्बे में न फेंकते हुए अपनी जेब में रख रहा है। बबन इतना गरीब था कि ये दीपक सेंककर खाना चाहता था। ये आटे के दीप जिसे लोग कचरे में फेंकते हैं वे किसी का पेट भरने के भी काम आते हैं। यह सुनकर उषा को तकलीफ होती है।

शादी-ब्याह में लोग प्लेटों में जरूरत से ज्यादा खाना लेकर बाद में बचा हुआ खाना फेंकते हैं। यह दृश्य उषा को याद आया और उषा दीपावली के पकवान बबन को देकर सच्ची खुशी महसूस करती है। इस कहानी से अन्न की बरबादी टालकर बचा-खुचा अन्न गरीबों तक पहुँचाने का संदेश मिलता है। ‘देने की खुशी महसूस करने का अनोखा संदेश इस कहानी से मिलता है।

प्रश्न आ.
‘मुस्कुराती चोट’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘मुस्कुराती चोट’ एक प्रेरणादायी लघुकथा है। इस कथा का बबलू अभाव में जीता है। ‘पिता की बीमारी’ माँ का संघर्ष देखकर खुद भी घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठा करता है। किताबें न मिलने से उसकी पढ़ाई रुक गई है। बबूल एक दिन एक घर में रद्दी लेने के लिए जाता है तो उसकी बाल-मजदूरी पर बिना वजह उसके माँ-बाप को दोष देकर मालकिन ताने मारती है।

मालकिन की लड़की जब रद्दी की किताबें उसकी पढ़ाई के लिए मुफ्त में देना चाहती है, तब मालकिन विरोध करती है। किताबें लेकर वह पढ़ाई करेगा इस पर अविश्वास प्रकट करती है। ये बातें बबलू के मन को चोट पहुँचाती हैं। परंतु बाद में जब मालकिन को पता चलता है कि उन किताबों को रद्दी में बेचने के बजाय उसने खुद की पढ़ाई के लिए किताबें अलग रखी हैं तो उसे अपने अपशब्दों पर पछतावा होता है और वह बबलू की आगे की पढ़ाई का सारा खर्चा स्वयं उठाने का निश्चय करती है। इससे बबलू की चोट मुस्कुराहट में परिवर्तित होती है।

दिल की चोट अब खुशी में बदलती है। अत: सुखांत वाली इस लघुकथा को ‘मुस्कुराती चोट’ यह शीर्षक अत्यंत सार्थक लगता है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
संतोष श्रीवास्तव जी लिखित साहित्यिक विधाएँ –
……………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………….
उत्तर :
कहानी, उपन्यास, लघुकथा, ललित निबंध तथा यात्रा संस्मरण इन अनेक गद्य विधाओं में संतोष जी का संचार हुआ

प्रश्न आ.
अन्य लघुकथाकारों के नाम –
……………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………….
उत्तर :
डॉ. कमल किशोर गोयनका, डॉ. सतीश दुबे, संतोष सुपेकर, कमल चोपड़ा आदि।

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : आटे के दीपक कंपाउंड की मुंडेर पर जलकर ……………………………………….. आँसू छलक आए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 5)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ 2

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उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
उषा की आँखों के सामने दावतों में दिखाई देनेवाला यह दृश्य आया …………………………………………..
उत्तर :
जरा-सा ट्रॅगने वाले मेहमान भरी प्लेटें कचरे के हवाले करते हैं।

प्रश्न 2.
उषा ने बबन को यह दे दी …………………………………………..
उत्तर :
दीपावली के लिए बने पकवानों की थैली।

प्रश्न 4.
कोष्ठक में दिए गए शब्द उचित स्थान पर लिखिए : (दीपक, जेब, आँखें, पटाखा)
उत्तर :
पुल्लिंग शब्द – स्त्रीलिंग शब्द
दीपक – आँखें
पटाखा – जेब

प्रश्न 5.
‘शादी में अन्न की बरबादी’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आज समाज में अमीर और गरीब के बीच एक बड़ी खाई है। आज-कल शादी मतलब बड़प्पन दिखाने का एक जरिया बन गया है। शादी में होने वाला खर्चा एक अलग चिंता का विषय है। बड़े लोग शादी में जो भोजन खिलाते हैं, उनमें इतनी विविधता होती है कि खाने वाला परेशान होता है कि क्या खाया जाए और क्या न खाया जाए। खड़खाना (बुफे पद्धति) आज काफी लोकप्रिय है।

इसमें लोग कतार में खड़े होने से बचने के लिए प्लेटों में एक ही बार ढेर सारा खाना ले लेते हैं। इतना ज्यादा खाना खा नहीं पाने से आखिर जूठा फेंका जाता है। यह सारा अन्न कूड़े-कचरे में जाकर बरबाद होता है। दूसरी ओर दिन-रात परिश्रम करके भी गरीबों को पेटभर खाना नसीब नहीं होता। एक वक्त की रोटी पाने के लिए वे तरसते हैं। यह बरबाद होने वाला अन्न गरीबों तक पहुँचाने की सुविधा हो तो शादी में दुल्हा-दुल्हन को सच्ची दुआएँ मिलेंगी।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : घर में बाबा बीमार थे ……………………………………….. इसलिए पढ़ाई रुक गई। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 6)

प्रश्न 1.
तालिका पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
बबलू की जानकारी –
पिता – बीमार
माता – चौका-बर्तन का काम करना
पढ़ाई – वीच में ही छूटना
कार्य – बाल मजदूरी / रद्दी इकट्ठा करना

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :

(i) बबलू की पढ़ाई रुक गई थी क्योंकि
उत्तर :
किताबों के लिए पैसे नहीं थे।

(ii) रद्दी तौलते समय बबलू की नजर स्कूल की किताबों पर थीं क्योंकि ….
उत्तर :
वह चाह रहा था कि वे किताबें उसे मिल जाएँ।

प्रश्न 3.
(क) गद्यांश से शव्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए :
(i) ……………………………
उत्तर :
(i) चौका-बर्तन

(ii) ……………………………
उत्तर :
(ii) घर-घर

उदा. –
माँ-बाप

(ख) निम्न शब्दों के लिए हिंदी मानक शब्द लिखिए :
(i) स्कूल –
उत्तर :
(i) स्कूल – पाठशाला (विद्यालय)

(ii) कॉलेज – …………………………………………
उत्तर :
(ii) कॉलेज – महाविद्यालय

प्रश्न 4.
‘वाल-मजदूरी : कारण और उपाय’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भारत में ‘बाल-मजदूरी’ करवाना एक गुनाह मान लिया जाता है, किंतु दुकान हो या खेती, होटल हो या ठेला अनेक जगहों पर छोटी उम्र के बच्चे काम करते हुए दिखाई देते हैं। बाल-मजदूरी कानूनन अपराध होने पर भी इसपर रोक नहीं लगा पा रहे हैं।

इसके पीछे अनेक कारण हैं। गरीबी, व्यसनी पिता, बीमार माता-पिता, माँ-बाप का अभाव। विपन्नावस्था (poverty) के कारण जिस उम्र में बच्चे को स्कूल जाना जरूरी है उस उम्र में उन्हें परिवार के लिए काम करना पड़ता है। इसमें न माँबाप को खुशी मिलती है न बच्चों को, परंतु दोनों ओर मजबूरी होती है।

इस समस्या को मिटाने के लिए देश में बढ़ रही अमीरी और गरीबी की खाई का मिटना बहुत जरूरी है। यह संभव नहीं तो हर अमीर परिवार द्वारा कुछ बच्चों का खर्चा चलाकर उनकी पढ़ाई का बोझ उठाने पर उनका भविष्य सुधर जाएगा।

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(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : बबलू ने रद्दी के पैसे ……………………………………………… बबलू की खुशी का ठिकाना न था। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 6)

प्रश्न 1.
घटनाक्रम के अनुसार वाक्यों का उचित क्रम लगाइए :
(i) डाँट खाने के बावजूद बबलू मुस्कुरा रहा था।
(ii) बबलू ने बोरे में से किताबें निकालकर अलग रख दीं।
(iii) रास्ते में बबलू को मालकिन और उनकी लड़की मिल गई।
(iv) दुकानदार बबलू पर झल्ला उठा।
उत्तर :
(i) बबलू ने बोरे में से किताबें निकालकर अलग रख दीं।
(ii) दुकानदार बबलू पर झल्ला उठा।
(iii) डाँट खाने के बावजूद बबलू मुस्कुरा रहा था।
(iv) रास्ते में बबलू को मालकिन और उनकी लड़की मिल गई।

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) मालकिन ने बबलू की आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाने का निश्चय किया ……………………………………
उत्तर :
मालकिन ने बबलू की आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाने का निश्चय किया क्योंकि उसने बबलू की पढ़ाई के प्रति लालसा को देखा।

(ii) बबलू अब स्कूल जा सकेगा ……………………………………
उत्तर :
बबलू अब स्कूल जा सकेगा क्योंकि उसके पास किताबें थीं।

प्रश्न 3.
(क) कृदंत रूप लिखिए :

(i) मुस्कुराना – ……………………………………
उत्तर :
मुस्कुराहट

(ii) झुकना – ……………………………………
उत्तर :
(ii) झुकाव

(ख) अपशब्द शब्द में ‘अप’ उपसर्ग लगा है, ‘अप’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाकर लिखिए :
(i) …………………………………..
(ii) …………………………………..
उत्तर :
(i) अपहरण
(iii) अपयश

उदा. – अपमान

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प्रश्न 4.
शिक्षा से वंचित वालकों की सहायता हेतु उपाय मुझाइए।
उत्तर :
यह बात सत्य है कि आज शिक्षा प्राप्ति के प्रति समाज के सभी वर्गों में जागरुकता आई है लेकिन आज भी कुछ बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चों तक सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।

अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए छात्रावास तथा छात्रवृत्ति का प्रावधान सरकारी तथा निजी संस्थाओं द्वारा, एन्.जी.ओ. द्वारा होना चाहिए। विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों के लिए जो शारीरिक रूप से अक्षम है उनके लिए विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए और उनके लिए विशेष अध्यापकों की नियुक्ति सरकार द्वारा होनी चाहिए। सर्वशिक्षा अभियान के साथ-साथ ‘समावेशन’ भी आवश्यक है ताकि शिक्षा से कोई भी बालक वंचित न रहें।

लघु कथाएँ Summary in Hindi

लघु कथाएँ लेखक परिचय :

श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी का जन्म मध्यप्रदेश के मंडला नामक गाँव में 23 नवंबर 1952 को हुआ। आधुनिक नारी जीवन के विविध आयाम तथा सामाजिक जीवन की विसंगतियाँ (discrepancy) आपके साहित्य द्वारा चित्रित है।

लघु कथाएँ रचनाएँ :

आपकी बहुविध रचनाएँ प्रकाशित हैं : जैसे ‘दबे पाँव प्यार’ ‘टेम्स की सरगम’ ‘ख्वाबों के पैरहन (उपन्यास)’ ‘बहके बसंत तुम’, ‘बहते ग्लेशियर’ (कहानी संग्रह), ‘फागुन का मन’ (ललित निबंध संग्रह) ‘नीली पत्तियों का शायराना हरारत’ (यात्रा संस्मरण)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ 3

लघु कथाएँ विधा परिचय :

‘लघुकथा’ यह एक गद्य विधा है। कथा तत्त्वों से परिपूर्ण किंतु आकार से लघुता यह उसकी विशेषता है। अत्यंत कम शब्दों में जीवन की पीड़ा, संवेदना, आनंद की गहराई को प्रकट करने की क्षमता लघुकथा में होती है। कोई भी छोटी घटना, प्रसंग, परिस्थिति का आधार लेकर लघुकथा लिखी जाती है। हिंदी साहित्य में डॉ. कमल किशोर गोयनका, डॉ. सतीश दुबे, संतोष सुपेकर, कमल चोपड़ा आदि को प्रमुख लघुकथाकार के रूप में पहचाना जाता है।

लघु कथाएँ विषय प्रवेश :
(अ) उषा की दीपावली : ‘उषा की दीपावली’ यह एक मर्मस्पर्शी (touching) लघुकथा है। अनाज की बरबादी पर बालमन की संवेदनशील प्रतिक्रिया का सुंदर चित्रण है। एक ओर शादी-ब्याह में थालियों में जरूरत से ज्यादा खाना लेकर उसे जूठा छोड़ने वाले श्रीमान लोग तो दूसरी ओर एक वक्त की रूखी-सूखी रोटी के लिए भी तरसने वाले लोग, इस सामाजिक विरोधाभास (paradox) का चित्रण इस लघुकथा में है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ

(आ) ‘मुस्कुराती चोट’ : ‘मुस्कुराती चोट’ इस दूसरी लघुकथा में गरीबी के कारण इच्छा होकर भी पढ़ाई जारी न रख पानेवाला एक छोटा लड़का ‘बबलू’ की उथल-पुथल भरी जिंदगी है। बबलू की पढ़ाई की अदम्य (indomitable) इच्छा, उसकी बाधाएँ, छोटी-छोटी चोटें और अंत में मुस्कुराहट फैलानेवाली सुखद बात पाठकों को लुभाती है। दोनों लघुकथाएँ ‘आशावाद’ को जगाती है।

लघु कथाएँ महावरा :

टस से मस न होना – बिल्कुल प्रभाव न पड़ना, कुछ परिणाम न होना।

लघु कथाएँ सारांश :

(अ) उषा की दीपावली : दीपावली का त्योहार : दीपावली का त्योहार था। नरक-चौदस के दिन लोगों ने कंपाउंड के मुंडेर पर आटे के दीप जलाए थे। सुबह तक वे दीप बुझ गए थे।

बबन की गरीबी : सुबह बबन सफाई के लिए आया था, जो एक गरीब इन्सान था। बुझे दीप उठाकर कूड़े में फेंकने के बजाय वह जेब में रख रहा था। दस साल की उषा ने यह दृश्य देखा। उसे पूछने पर पता चला कि बबन वे आटे के दीपक सेंककर खाना चाहता है।

उषा की संवेदना : उषा की आँखों के सामने वह दृश्य घूमने लगा, जो उसने अनेक बार देखा था। अमीर लोग शादी-ब्याह में ढेर सारा खाना प्लेटों में लेकर बचा-खुचा फेंक देते हैं। उषा की आँखें भर आईं। घर में जाकर उसने दीपावली के मौके पर बनाए हुए पकवान लाकर बबन को दे दिए जिसकी वजह से बबन की आँखों में खुशी के हजारों दीप जगमगा उठे। उषा की दीपावली भी इससे खुशहाल हो गई।

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(आ) मुस्कुराती चोट : ‘बबलू की गरीबी’ – इस लघुकथा का बबलू, गरीब परिवार का लड़का है। माँ चौका-बर्तन करके कुछ पैसे कमाती है। पिता जी बीमार है। माँ का हाथ बँटाने के लिए बबलू घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठा करके रद्दी वाले को बेचता है। बबलू के पास किताबें खरीदने के लिए पैसे न होने से उसका स्कूल छूट गया था।

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अविश्वास की चोट : एक दिन वह एक घर में रद्दी लेने गया था। उस रददी में किताबें थीं। घर मालकिन की बेटी वे किताबें बबलू को पढ़ने के लिए मुफ्त में देना चाहती थी। परंतु घर मालकिन का बबलू पर भरोसा नहीं था। वह किताबें बेचकर चैन करेगा ऐसा उसे शक था। बबलू ने रद्दी में से किताबें अलग रखवा दीं। रद्दी वाले को किताबों के पैसे खर्च करने की झूठ बात बताकर उससे डाँट सुनकर भी चुप रहा।

पछतावा : बबलू किताबें लेकर वापस आ रहा था। मालकिन ने उसे देखा तो अपने अपशब्दों पर उसे पछतावा हुआ। उसे पता चला कि बबलू पढ़ने की अदम्य इच्छा रखता है। बबलू की आगे की सारी पढ़ाई का खर्चा उठाने का उसने निश्चय किया। सुखद अंत वाली यह कहानी आशावादी है।

लघु कथाएँ शब्दार्थ :

  • सैलाब = बाढ़ (Flood),
  • देहरी = दहलीज (threshold),
  • तरबतर = भीगा हुआ, गीला (wet),
  • लालसा = इच्छा (desire),
  • मुंडेर = दीवार का ऊपरी भाग जो छत के चारों ओर कुछ उठा होता है। (parapet),
  • झल्लाना = परेशान होना (irritated)
  • देहरी = दहलीज
  • तरबतर = गीला, भीगा
  • कृशकाय = दुबला-पतला शरीर
  • बेरहमी = निर्दयता, दयाहीनता

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11th Hindi Digest Chapter 1 प्रेरणा Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न अ.
कारण लिखिए –

(a) माँ, मेरी आवाज सुनकर रोती है –
उत्तर :
माँ, मेरी आवाज सुनकर रोती है क्योंकि उसकी ममता आँसुओं के रूप में फूट पड़ती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा

(b) बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है –
उत्तर :
बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है क्योंकि माता-पिता पर काम पर जाने की मजबूरी है।

(c) कवि की उम्र बढ़ती ही नहीं है –
उत्तर :
कवि की उम्र बढ़ती ही नहीं है क्योंकि उसने अपनी आँखों में स्वयं को एक बालक के रूप में पाया।

प्रश्न आ.
लिखिए –

(a)
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा 2

काव्य सौंदर्य

2.

प्रश्न अ.
ममत्व का भाव प्रकट करने वाली कोई भी एक त्रिवेणी ढूँढ़कर उसका अर्थ लिखिए।
उत्तर :
‘माँ मेरी बे-वजह ही रोती है
फोन पर जब भी बात होती है
फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ।’

प्रस्तुत त्रिवेणी में ममत्व का भाव प्रकट हुआ है। जब कभी कवि अपनी माँ को फोन करता है तब पुत्र की आवाज सुनकर माँ की ममता रो पड़ती है। कवि भले ही इसे बे-वजह रोना कहता है, परंतु सच्चाई तो यही है कि कवि भी फोन रखने के बाद रोता है क्योंकि माता और पुत्र दोनों एक-दूसरे के स्नेह के लिए तरसते हैं और उनका एक-दूसरे के प्रति स्नेह आँसुओं के रूप में आँखों से बहने लगता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा

प्रश्न आ.
निम्न पंक्तियों में से प्रतीकात्मक पंक्ति छाँटकर उसे स्पष्ट कीजिए –
(a) चलते-चलते जो कभी गिर जाओ
(b) रात की कोख ही से सुबह जनम लेती है
(c) अपनी आँखों में जब भी देखा है
उत्तर :
‘रात की कोख से सुबह जनम लेती है’ यह पंक्ति प्रतीकात्मक (symbolic) पंक्ति है। यहाँ रात दुख एवं अँधेरे का प्रतीक है और सुबह सुख एवं उजाले का प्रतीक है। सुख और दुख का आना-जाना दिन और रात के समान है। दोनों स्थायी रूप से जीवन में कभी नहीं रहते। जैसे रात के बाद दिन का आना निश्चित है वैसे ही दुख के बाद सुख का आना भी निश्चित है। अत: दुखसुख दोनों का सहर्ष (readily) स्वागत करते हुए जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए।

अभिव्यक्ति

3.

प्रश्न अ.
पालनाघर की आवश्यकता पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आज कामकाजी महिलाओं को घर से बाहर जाना पड़ता है और यह समय की माँग भी है कि पति-पत्नी दोनों अपने परिवार नैया की पतवार सँभालें। ऐसी स्थिति में इनके छोटे बच्चों को परेशानी होती है। कभी-कभी इसका परिणाम इनके कार्य पर भी पड़ता है। ऐसे में कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए पालनाघर की सुविधा आवश्यक है। पालनाघर में बच्चों को घर जैसी देखरेख और सुरक्षा मिलती है।

अगर पालनाघर में बच्चे को घर जैसा माहौल मिलता हो तो महिलाएँ निश्चित होकर आत्मनिर्भर बनने के लिए कदम उठा पाती हैं। भारत की आधी आबादी महिलाओं की है। अत: महिलाएँ अगर श्रम में योगदान दें तो भारत का विकास तेजी से होगा। पालनाघर की सुविधा मुहैया कराने से महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी और देश के विकास पर इसका असर अवश्य दिखाई देगा। उन्हें बच्चों की देखभाल करने के लिए काम छोड़ने की नौबत नहीं आएगी।

घरेलु आमदनी में भी इजाफा (increase) होगा। परिणामत: बच्चों की सेहत और शिक्षा में भी सुधार होगा। संक्षेप में महिलाओं का काम करना महत्त्वपूर्ण है ताकि उन्हें अलग पहचान मिले और इसके लिए पालनाघर की सुविधा अगर उनके कार्य-स्थल के आस-पास हो तो सोने पे सुहागा हो सकता है।

प्रश्न आ.
नौकरीपेशा अभिभावकों के बच्चों के पालन की समस्या पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
आजकल माता-पिता दोनों का नौकरी करना बहुत ही आम बात है। ऐसे में उनके बच्चों के पालन की समस्या उभर आती है। बच्चों की तरफ पूरा-पूरा ध्यान दे पाना उनके लिए मुश्किल होता है। नौकरी और बच्चों का लालन-पालन दोनों में संतुलन बनाना कठिन हो जाता है।

बच्चों की परवरिश उनके लिए एक समस्या बन जाती है। वास्तव में कामकाजी माता-पिता के पास अक्सर समय की कमी होती है। समय का उचित नियोजन करके इस समस्या से निजात (escape) पाया जा सकता है। अपने छोटे-छोटे कार्यों में बच्चों को सम्मिलित कर लेने से बच्चों को भी अहमियत मिल जाती है और बच्चे जिम्मेदार भी बन जाते हैं। घर का समय बच्चों को देकर उन्हें खुश रखा जा सकता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा

उन्हें अच्छी आदतें सिखाने का समय मिल जाता है। माता-पिता के जीवन में बच्चे महत्त्वपूर्ण हैं इस बात का एहसास दिलाया जा सकता है। अक्सर कामकाजी माता-पिता के बच्चों के मन में यह भावना पनपती (flourish) रहती है कि माता-पिता के लिए काम ही महत्त्वपूर्ण है और वे बच्चों से प्यार नहीं करते। कई बार दफ्तर की परेशानियाँ घर तक ले आते हैं और अपना क्रोध वे बच्चों पर निकाल देते हैं।

ऐसे में डर के कारण बच्चे अभिभावकों से दूर हो जाते हैं। इस स्थिति से बचने की कोशिश अभिभावक अवश्य करें। बच्चों की बातें चाव से सुनना, दफ्तर की बातें उन्हें बताना, साथ में भोजन करना, छुट्टी के दिन घूमने ले जाना जैसी छोटी-छोटी बातें भी कामकाजी अभिभावक और बच्चों का रिश्ता मजबूत करती हैं। इस प्रकार समस्या हैं तो उसके उपाय भी है जिन पर अवश्य अमल करना चाहिए।

रसास्वादन

4. आधुनिक जीवन शैली के कारण निर्मित समस्याओं से जूझने की प्रेरणा इन त्रिवेणियों से मिलती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : प्रेरणा
(ii) रचनाकार : त्रिपुरारि
(iii) केंद्रीय कल्पना : अर्थ प्रधान एवं अतिव्यस्त आधुनिक जीवन शैली अपनाने के कारण आज मनुष्य न चाहते हुए भी अकेला पड़ गया है। तनाव में जी रहा है। मानसिक असंतुलन, चिंता, उदासी, सूनापन आदि से चारों ओर से घिरा है। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में आगे निकलने की होड़ लगी हैं और उसके रिश्ते पीछे छूट रहे हैं। जिंदगी की आपाधापी में जुटे माता-पिता के बच्चों को स्नेह भी टुकड़ों में मिलता है।

जीवन की इन समस्याओं को उजागर करते हुए त्रिपुरारि जी ने अपनी त्रिवेणियों में माँ के ममत्व और पिता की गरिमा को भी व्यक्त किया है। जीवन में आगे निकलने की होड़ में चोट खाकर गिरने पर भी सँभलकर फिर से चलने की, आगे बढ़ने की सलाह दी है।

(iv) रस-अलंकार : तीन पंक्तियों के मुक्त छंद में इस कविता की त्रिवेणियाँ लिखी हुई हैं।

(v) प्रतीक विधान : जीवन के प्रति सकारात्मकता का विधान है – पेड़ में बीज और बीज में पेड़ छुपा है। यहाँ बीज हमारी भावनाओं का प्रतीक है और उसे आँसुओं के जल से सींचकर खुशियों का वृक्ष फलता फूलता है।

(vi) कल्पना : खुद के भीतर छिपे बालक को जीवित रखने की कल्पना हमें तनाव, कुंठा से मुक्ति देगी।

(vii) पंसद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव :
‘चाहे कितनी ही मुश्किलें आएँ
छोड़ना मत उम्मीद का दामन
नाउम्मीदी तो मौत है प्यारे।’
यह त्रिवेणी मुझे पसंद है क्योंकि सचमुच कठिनाइयों से घबराकर निराश व्यक्ति जीते जी मर जाता है। हर अंधेरी काली रात के बाद सुबह उजाला लेकर अवश्य आता है। ठीक इसी तरह दुख के बाद सुख का आना निश्चित है इस उम्मीद के साथ जीना चाहिए। यही जीवन के प्रति सकारात्मकता है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : सामयिक स्थितियाँ, रिश्ते और जीवन के प्रति सकारात्मकता कविता का मुख्य विषय है जो प्रेरणादायी है। त्रिपुरारि जी की ये त्रिवेणियाँ हमें जीने की कला सिखाती है, इसीलिए मुझे कविता पसंद है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा

प्रश्न अ.
त्रिवेणी’ काव्य प्रकार की विशेषताएँ –
(a) ……………………………………………..
(b) ……………………………………………..
उत्तर :
(a) तीन पंक्तियों का मुक्त छंद है।
(b) मात्र तीन पंक्तियों में कल्पना और यथार्थ (reality) की अभिव्यक्ति (expression) होती है।

प्रश्न आ.
त्रिपुरारि जी की अन्य रचनाएँ –
(a) ……………………………………………..
(b) ……………………………………………..
उत्तर :
(a) नींद की नदी (कविता संग्रह)
(b) नॉर्थ कैंपस (कहानी संग्रह)

रस

काव्यशास्त्र में आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा माना है। विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी (संचारी) भाव और स्थायी भाव रस के अंग हैं और इन अंगों अर्थात तत्त्वों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।

साहित्यशास्त्र में नौ प्रकार के रस माने गए हैं। कालांतर में अन्य दो रसों को सम्मिलित किया गया है।

रस स्थायी भाव
(१) शृंगार प्रेम
(७) भयानक भय
(२) शांत शांति
(८) बीभत्स घृणा
(३) करुण शोक
(९) अद्भुत आश्चर्य
(४) हास्य हास
(१०) वात्सल्य ममत्व
(५) वीर उत्साह
(११) भक्ति भक्ति
(६) रौद्र क्रोध

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करुण रस :
किसी प्रियजन या इष्ट के कष्ट, शोक, दुख, मृत्युजनित प्रसंग के कारण अथवा किसी प्रकार की अनिष्ट आशंका के फलस्वरूप हृदय में पीड़ा या क्षोभ का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ करुण रस की अभिव्यंजना होती है।
उदा. –
(१) वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट – पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
– मैथिलीशरण गुप्त

(२) अबला जीवन हाय ! तुम्हारी यही कहानी,
आँचल में है दूध और आँखों में पानी।
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को,
मुँह फटी झोली फैलाता।
– सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 1 प्रेरणा Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : माँ मेरी बे-वजह ………………………………………… टुकड़ों में मिले हैं माँ-बाप (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 1)

प्रश्न 1.
कारण लिखिए :

(i) माँ, मेरी आवाज सुनकर रोती है –
उत्तर :
माँ, मेरी आवाज सुनकर रोती है क्योंकि उसकी ममता आँसुओं के रूप में फूट पड़ती है।

(ii) बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है –
उत्तर :
बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है क्योंकि माता-पिता पर काम पर जाने की मजबूरी है।

प्रश्न 2.
पर्यायवाची शब्द लिखिए :
उत्तर :
(i) माँ = …………………………. , ………………………….
उत्तर :
जननी, माता, धात्री

(ii) रात = …………………………. , ………………………….
उत्तर :
रजनी, निशा, यामिनी

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प्रश्न 3.
पद्यांश की द्वितीय त्रिवेणी का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश कवि त्रिपुरारि जी लिखित त्रिवेणी संग्रह ‘साँस के सिक्के’ से लिया गया है। इस त्रिवेणी में पिता की गरिमा व्यक्त करते हुए कवि कह रहे हैं कि पिता को कठोर हृदय का समझने की भूल हम सब करते हैं। परंतु सच्चाई यही है कि वह ऊपर से जितने सख्त नजर आते हैं भीतर से उतने ही कोमल होते हैं।

जब संतान को चोट लगती है तो पिता का कोमल हृदय भी तड़प उठता है। हर पिता में इस तरह कोई माँ भी छुपी होती है अर्थात पिता भी अपनी संतान से उतना ही प्यार करता है, जितना कि एक माँ। दोनों के स्नेह में कोई तुलना नहीं होनी चाहिए।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : चाहे कितना भी हो घनघोर अंधेरा ……………………………………………… जहाँ पर भी कदम रखोगे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 2)

प्रश्न 1.
परिणाम लिखिए :

(i) अँधेरा होने पर भी आस रखने का परिणाम
उत्तर :
अँधेरा होने पर भी आस रखने से किसी दिन उजाला अवश्य होता है।

(i) एक ही दीप से आगाज-ए-सफर कर लेने का परिणाम –
उत्तर :
एक ही दीप से आगाज-ए-सफर कर लेने से जहाँ भी कदम रखते हैं वहाँ रोशनी हो जाती है।

प्रश्न 2.
पद्यांश से विलोम शब्द की जोड़ियाँ ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर :
(i) …………………………… x ……………………………
अंधेरा x उजाला x …….

(ii) …………………………… x ……………………………
पास x दूर

प्रश्न 3.
पद्यांश की किसी एक त्रिवेणी का काव्य सौंदर्य लिखिए :
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश ‘प्रेरणा’ कविता से लिया गया है। कवि त्रिपुरारि जी लिखित साँस के सिक्के ‘त्रिवेणी संग्रह’ में ये त्रिवेणियाँ संकलित (consalidated) हैं। दिए गए पद्यांश की द्वितीय त्रिवेणी में वीर रस की निर्मिति (build up) हुई है। प्राप्त परिस्थितियों में भी उत्साह के साथ आगे बढ़ने की कोशिश यहाँ दिखाई देती है। अपनी आयु के कुछ पल उधार लेकर ही सही हसरत के बीज बोने का साहस करके सपनों को साकार करने की बात वीरतापूर्ण है। निराशा के बादलों के बीच आशा का संचार इस त्रिवेणी की विशेषता है।

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(इ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : अपनी आँखों में जब भी …………………………………………….. नाउम्मीदी तो मौत है प्यारे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 2)

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा 1

‘अ’‘आ’
(1) …………………………………………………………
(2) …………………………………………………………
(3) …………………………………………………………
(4) …………………………………………………………

उत्तर :

‘अ’ ‘आ’
(1) सच्चा ज्ञानी
(2) पेड़ बीज
(3) ना उम्मीदी मौत
(4) एक शय आँसू-खुशियाँ

प्रश्न 2.
पद्यांश की प्रथम त्रिवेणी का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश त्रिवेणी विधा में लिखी कविता ‘प्रेरणा’ से लिया गया है। कवि त्रिपुरारि जी ने पद्यांश की प्रथम त्रिवेणी में हमारे अंदर छिपे बालक को जीवित रखने की सलाह दी है। उन्होंने जब भी स्वयं की आँखों में देखा स्वयं को एक बच्चे की तरह ही पाया और उन्हें लगा कि दुनिया उन्हें बड़ा बनाकर दुनियादारी निभाने पर मजबूर करती है।

इसकी वजह से जीवन की अबोधता (innocence), मासूमियत नष्ट हो जाती है और मन अशांत हो जाता है। इससे छुटकारा पाना है तो कभी अपने भीतर छिपे बालक को मरने नहीं देना चाहिए।

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स्वाध्याय
आकलन : 1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(अ) कारण लिखिए –

प्रश्न 1.
घनघोर अँधेरे में भी उजाले की आस रखनी चाहिए –
उत्तर :
घनघोर अँधेरे में भी उजाले की आस रखनी चाहिए क्योंकि रात की कोख से ही सुबह का जन्म होता है।

प्रश्न 2.
उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए –
उत्तर :
उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि नाउम्मीदी मौत के समान है।

(आ) लिखिए –
उत्तर:
काव्य सौंदर्य :

व्याकरण

रस :

काव्यशास्त्र (poetics) में आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा माना है। विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी (संचारी) भाव और स्थायी भाव रस के अंग हैं और इन अंगों अर्थात तत्त्वों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। साहित्यशास्त्र में नौ प्रकार के रस माने गए हैं। कालांतर (afterward) में अन्य दो रसों को सम्मिलित किया गया है।

रस स्थायी भाव
(1) शृंगार प्रेम
(2) शांत शांति
(3) करुण शोक
(4) हास्य हास
(5) वीर उत्साह
(6) रौद्र क्रोध
(7) भयानक भय
(8) बीभत्स घृणा
(9) अद्भुत आश्चर्य
(10) वात्सल्य ममत्व
(11) भक्ति भक्ति

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1. शृंगार रस :
इसे रसराज कहा गया है। यह संयोग और वियोग इन दो भागों में विभाजित है। जब किसी काव्य में नायक नायिका के प्रेम, मिलने-बिछड़ने आदि का वर्णन होता है तो वह शृंगार रस कहलाता है।

उदा.
(i) रे मन आज परीक्षा मेरी।
सब अपना सौभाग्य मनावें।
दरस परस नि:श्रेयस पावें।
उद्धारक (redeemer) चाहें तो आवें।
यही रहे यह चेरी। – मैथिलीशरण गुप्त

(ii) बतरस लालच लाल की मुरली धरि लुकाय।
सौंह करै, भौहनि हँस, दैन कहै, नटि जाय।
– बिहारी

2. शांत रस :
जब कभी काव्य को पढ़कर मन में असीम शांति का एवं दुनिया से मोह खत्म होने का भाव उत्पन्न हो तो शांत रस की अनुभूति होती है। ज्ञान की प्राप्ति और संसार से वैराग्य होने पर शांत रस की उत्पत्ति होती है।

उदा.
(i) जब मैं था हरि नाहिं अब हरि है मैं नाहिं
सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं
– कबीर

(ii) देखी मैंने आज जरा!
हो जावेगी क्या ऐसी मेरी यशोधरा?
हाय! मिलेगा मिट्टी में वह वर्ण सुवर्ण खरा?
सूख जावेगा मेरा उपवन जो है आज हरा?
– मैथिलीशरण गुप्त

3. करुण रस :
किसी प्रियजन या इष्ट के कष्ट, शोक, दुख, मृत्युजनित प्रसंग के कारण अथवा किसी प्रकार की अनिष्ट (undesired) आशंका के फलस्वरूप हृदय में पीड़ा या क्षोभ का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ करुण रस की अभिव्यंजना (expression) होती है।

उदा.
(i) वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को, भूख मिटाने को, मुँह फटी झोली फैलाता।
– सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

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(ii) अबला जीवन हाय ! तुम्हारी यही कहानी,
आँचल में है दूध और आँखों में पानी।
– मैथिलीशरण गुप्त

4. हास्य रस :
जब किसी काव्य को पढ़कर हँसी आ जाती है तब हास्य रस की उत्पत्ति होती है। सभी रसों में यह रस सबसे अधिक सुखात्मक रस है।
उदा.
(i) हाथी जैसा देह, गेंडे जैसी चाल।
तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे से गाल।।

(ii) बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।

5. वीर रस :
शत्रु को मिटाने, दीन-दुखियों का उद्धार करने, धर्म की स्थापना, उद्धार करने आदि में जो मन में उत्साह उमड़ता है वही वीर रस की उत्पत्ति होती है।

उदा.
(i) सच है, विपत्ति जब आती है।
कायर को ही दहलाती (horror) है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
कर शपथ विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
– रामधारी सिंह दिनकर

(ii) तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
– हरिवंशराय बच्चन

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6. रौद्र रस :
अपमान, निंदा आदि से मन में क्रोध उत्पन्न होता है तब रौद्र रस की उत्पत्ति होती है।

उदा.
(i) अस कहि रघुपति चाप बढ़ावा,
यह मत लछिमन के मन भावा।
संधानेहु प्रभु बिसिख कराला,
उठि ऊदधि उर अंतर ज्वाला।।
– तुलसीदास

(ii) उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
मैथिलीशरण गुप्त

7. भयानक रस :
भयोत्पादक वस्तुओं को देखने या सुनने से अथवा शत्रु आदि के अनिष्ठ आचरण से भयानक रस की
निष्पत्ति होती है। इसका स्थायी भाव भय है। अंतर्गत कंपन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिंता आदि भाव भय के कारण उत्पन्न होते हैं।

उदा.
(i) अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलते कंकाल
कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार।
– सुमित्रानंदन पंत

(ii) एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय
विकल बटोही बीच ही, पर्यो मूरछा खाय।

8. बीभत्स रस :
वीभत्स यानि घृणा इसका स्थायी भाव है। घृणित वस्तुओं घृणित चीजों या घृणित व्यक्तियों को देखकर, उनके संबंध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानी बीभत्स रस को पुष्टि करती है।

उदा.
(i) आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौए, चुभला-चभलाकर खाते
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे
– श्यामनारायण पांडेय

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(ii) विष्टा पूय रुधिर कच हाडा
बरबई कबहु उपल बहु छाडा।
– तुलसीदास

9. अद्भुत रस :
इसका स्थायी भाव आश्चर्य है। जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर विस्मय उत्पन्न होता है तो अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है।

उदा.
(i) देख यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया
क्षणभर को वह बनी अचेतन (unconscious), हिल न सकी कोमल काया।
– सूरदास

(ii) पड़ी अचानक नदी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।।
– श्यामनारायण पांडेय

10. वात्सल्य रस :
माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति से वात्सल्य रस की निष्पत्ति होती है। ममत्व, अनुराग, स्नेह इस रस का स्थायी भाव है।
उदा.
(i) वह मेरी गोदी की शोभा, सुख सुहाग की है लाली,
शाही शान भिखारिन की है मनोकामना मतवाली।
– सुभद्राकुमारी चौहान

(ii) सुत मुख देखि जसोदा फूली।
हरषति देख दूध की द॑तिया,
प्रेम मगन तन की सुधि भूली।
– सूरदास

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11. भक्ति रस :
इस रस में ईश्वर के प्रति अनुराग का, प्रेम का वर्णन होता है। श्रद्धा, स्मृति, मति, धृति, उत्साह आदि भाव इसमें समाविष्ट होते हैं। भक्ति भाव के मूल में दास्य, साख्य, वात्सल्य, माधुर्य भक्ति भाव समाविष्ट हैं।

उदा.
(i) अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई
– मीरा

(ii) कहत कबीर सुनहु रे लाई
हरि बिन राखनहार न कोई।
– कबीर

प्रेरणा Summary in Hindi

प्रेरणा कवि परिचय :

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा 4

एरौत (बिहार) (5 दिसंबर, 1988) में जन्मे त्रिपुरारि कुमार शर्मा जी एक कवि, लेखक, संपादक (editor) और अनुवादक (translater) हैं। शिक्षा, रचनात्मक लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में सफलतापूर्वक कार्य करते हुए ‘त्रिवेणी’ काव्य (poetry) रचना में अपनी विशेष पहचान बना चुके हैं। नींद की नदी’, ‘नॉर्थ कैंपस, साँस के सिक्के आदि आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कविताएँ, कहानियाँ, लेख आदि प्रकाशित हुए हैं।

प्रेरणा कविता का परिचय :

प्रस्तुत रचना ‘त्रिवेणी’ विधा में लिखी कविता है। ‘त्रिवेणी’ एक तीन पंक्तियों वाली कविता है जिसे प्रसिद्ध गीतकार और कवि गुलजार साहब ने विकसित (develop) किया है। शब्दों की किफायत और एहसासों की अमीरी इस विधा की विशेषता है। एक चलचित्र की तरह इसकी पहली दो पंक्तियाँ कहानी को गढ़ती है और तीसरी पंक्ति कहानी की परिपूर्णता को अभिव्यक्त करते हुए क्लाइमेक्स व्यक्त कराती है। प्रस्तुत त्रिवेणियों में त्रिपुरारि जी ने कहीं माँ की ममता, पिता का गौरव तो कहीं जीवन की कठोर सच्चाई को व्यक्त करते हुए मुश्किलों का डटकर सामना करने की सलाह दी है और उम्मीद का दामन पकड़कर आगे बढ़ने का मशवरा दिया है।

प्रेरणा कविता का भावार्थ (purport) :

जीवन की आपाधापी में माता-पुत्र बिछड़ जाते हैं। दोनों ही एक-दूसरे के स्नेह के लिए तरसते हैं। पुत्र माँ से फोन पर बात करता है तब पुत्र की आवाज सुनकर ही माँ की ममता आँसुओं के रूप में फूट पड़ती है। माँ को रोते देखकर पुत्र को लगता है माँ बे-वजह ही रोती है। परंतु जब फोन पर बातचीत पूरी हो जाती है और पुत्र फोन रखता है तो वह भी अपनी भावनाएँ रोक नहीं पाता और रोता है।

पिता माँ की अपेक्षा कठोर हृदय के होते हैं ऐसा लोग कहते हैं, परंतु उनका हृदय भी कोमल ही होता है। जब संतान को चोट लगती है तो वह तड़प उठते हैं। यह इस बात का सबूत है कि पिता में भी कोई माँ छुपी होती है अर्थात स्नेह की बात आती है तो माँ के ममत्व (mother’s love) को अधिक अहमियत दी जाती है परंतु पिता भी अपनी संतान से उतना ही स्नेह करते हैं जितना कि एक माँ।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा

जीवन की जरूरतें पूरी करने हेतु माता-पिता दोनों काम पर जाते हैं। कभी-कभी शिफ्ट में ड्युटी करने वाले अभिभावक (guardian) अपनी ड्युटी इस तरह से लेने की कोशिश करते कि दोनों में से एक बच्चे के साथ रहे। ऐसे में पिता महीनों तक दिन की शिफ्ट जाता है और माता महीनों तक रात की शिफ्ट जाती है। बच्चे को दोनों का स्नेह ऐसी स्थिति में टुकड़ों में ही मिलता है। नन्हा बच्चा जब माँ का स्नेह पाता है तब पिता नहीं होते और पिता का स्नेह पाता है तब माँ काम पर गई होती है।

उगते सूरज का स्वागत सभी करते हैं, परंतु डूबते सूरज के प्रति उदासीनता दिखलाते हैं। कवि का मशवरा है कि डूबते सूरज को भी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि, डूबना-उगना तो केवल नजरों का धोखा है। सूरज तो आसमान में ही है। हमारी धरती ही सूरज की परिक्रमा करते हुए हमें सूरज के डूबने-उगने का आभास कराती है अर्थात सच्चाई से मुख न मोड़कर हमें हर स्थिति में तटस्थ रहना चाहिए।

जीवन पथ पर चलते-चलते कभी-कभी गिर भी गए तो खुद को सँभालकर आगे बढ़ना चाहिए। गिरने पर जो चोट लगती है वह हमें जीवन का नया पाठ सिखाती है क्योंकि ठोकर खाकर ही हमें जीने की कला का सबक मिलता है। अनुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं। बस, जीवन चलने का नाम है, आगे बढ़ने का नाम है इसे याद रखना होगा।

जीवन पथ पर आगे बढ़ते समय कभी मार्ग में घनघोर अँधकार छाया हुआ मिले लेकिन तब भी हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। किसी दिन उजाला अवश्य होगा यही आशा रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि रात की कोख से ही सुबह जन्म लेती है। इस त्रिवेणी में कवि हमें निराशा के अंधकार से आशा के उजाले की ओर ले जाना चाहते हैं और इस सत्य से अवगत (aware) कराते हैं कि जीवन में दुःख के बाद सुख अवश्य आता है। सुख-दुख, दिन-रात की तरह आते-जाते रहते हैं इसीलिए दुख की स्थिति में निराश नहीं होना चाहिए।

अपनी आयु के कुछ पल उधार लेकर मैंने हसरत के बीज बोए क्योंकि विचारों की जमीन मेरे पास पहले से थी अर्थात (means) हमारे सपनों को पूरा करने के लिए आयु कम ही पड़ती है। परंतु सपने अवश्य देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने की कोशिश भी करनी चाहिए।

मंजिल बहुत दूर है यह सोचकर हमें यात्रा रोकनी नहीं चाहिए बल्कि छोटे से दीपक की धुंधली सी रोशनी में भी यात्रा आरंभ कर लेनी चाहिए क्योंकि हिम्मत से आगे बढ़ने वाले यात्री के कदम जहाँ भी पड़ेंगे वहाँ रोशनी होगी और मंजिल का मार्ग प्रशस्त (wide) होगा। कवि हमें सकारात्मक सोच से जीवन में आगे बढ़ने का मशवरा दे रहे हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा

मैंने जब कभी अपनी आँखों में देखा स्वयं को एक बालक की तरह अबोध, (innocent) निष्पाप पाया। इससे तो यही सिद्ध होता है कि उम्र बढ़ती ही नहीं। वास्तव में उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे हम मासुमियत खो देते हैं और दुनियादारी निभाते-निभाते हमारे भीतर छिपे बालक को बड़ा बुजुर्ग, अनुभवी बनाकर जीवन की सुंदरता का गला घोट देते हैं। मन को अशांत, तनाव पूर्ण, कुंठा (frustration) ग्रस्त बना देते हैं। इससे मुक्ति पाना है तो खुद के भीतर छिपे बालक को जीवित रखना चाहिए।

आँसू और खुशियाँ एक ही वस्तु के दो नाम हैं। जैसे पेड़ में बीज छुपा है और बीज में पेड़ वैसे ही आँसू में खुशी और खुशी में आँसू छिपे होते हैं। जो इस बात को समझ गया वही सच्चा ज्ञानी है क्योंकि आँसू और खुशियाँ जीवन के दो अंग हैं और ये जीवन में आते-जाते रहते हैं। हर खुशी में आँसू छिपे हैं जो हमारी भावनाओं के प्रतीक (symbol) हैं और आँसुओं के जल से सींचकर खुशियों का वृक्ष फलता-फूलता है।

जीवन में कितनी ही कठिनाइयाँ क्यों न आए हमें उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि नाउम्मीदी तो मृत्यु के समान है अर्थात् कठिनाइयों से घबराकर निराशा का दामन थामने वाला जीते जी मर जाता है। जैसे हर अँधेरी रात के बाद सुबह अवश्य आती है वैसे ही दुख के बाद सुख का आना निश्चित है। इस सकारात्मकता (positivity) के साथ जीना ही जिंदगी है। सुख-दुख की स्थिति में स्थिर रहना ही मनुष्य की सच्ची पहचान है इस तथ्य को कभी नहीं भूलना चाहिए।

प्रेरणा शब्दार्थ:

  • घनघोर = घना
  • हसरत = चाह, इच्छा
  • आगाज-ए-सफर = यात्रा का आरंभ
  • शय = वस्तु, चीज
  • सख्त = कठोर (strict),
  • नाजुक = कोमल (sensitive),
  • महज = केवल, मात्र (just),
  • चोट = आघात, प्रहार, घाव (hurt),
  • घनघोर = घना, डरावना (dense),
  • आस = आशा, भरोसा (hope),
  • कोख = पेट, गर्भाशय (womb),
  • लम्हा = पल, क्षण (moment),
  • हसरत = चाह, इच्छा (desire),
  • खयाल = स्मृति, विचार (idea),
  • आगाज-ए-सफर = यात्रा का आरंभ (set off),
  • शय = वस्तु, चीज (thing), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 प्रेरणा
  • दामन = आँचल, पल्लु (fringe),
  • जरा = थोड़ा सा (little bit)

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Parimal Class 11 Marathi Chapter 5 Question Answer Maharashtra Board

11th Marathi Chapter 5 Exercise Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5 परिमळ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

परिमळ 11 वी मराठी स्वाध्याय प्रश्नांची उत्तरे

11th Marathi Digest Chapter 5 परिमळ Textbook Questions and Answers

कृती

1. अ. कृती करा.

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 4

प्रश्न 2.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 5

प्रश्न 3.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 6

आ. खलील घटनांचे पाठाच्या आधारे परिणाम लिहा.

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 7
उत्तर :

घटनापरिणाम
1. कोकिळ पक्ष्याने तोंड उघडणेसंगीत वाहू लागणे
2. प्राजक्ताची कळी उमलणेसुगंध दरवळणे
3. जातीच्या कवीचे हृदय ताल धरून बसलेले असणे.शब्द जीभेवर लीलया येणे

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इ. तुलना करा.

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 8
उत्तर :

मुद्देमाणूसप्राणी
1. वर्तणूककृतघ्नकृतज्ञ
2. इमानिपणास्वार्थीनिःस्वार्थी

ई. खालील आशयाची कवितेची उदाहरणे पाठातून शोधून लिहा.

प्रश्न 1.
शब्दांची मौज वाटेल, अशी बहिणाबाईंनी दिलेली उदाहरणे
उत्तर :
1. ‘पर्गटले दोन पानं,
जसे हात जोडीसन’

2. ‘आधी हाताला चटके,
तव्हा मियते भाकर’ ‘नही ऊन, वारा थंडी,
आली पंढरीची दिंडी’

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प्रश्न 2.
बहिणाबाईंची प्राणिमात्रांविषयीची कृतज्ञता
उत्तर :

  • गाय न् म्हैस चारा खाऊन दूध देतात – दूध देणे
  • कुत्रा आपले शेपूट इमानीपणाच्या भावनेने हालवतो – इमानी

2. व्याकरण.

प्रश्न अ.
प्रस्तुत पाठात दिलेल्या कवितेच्या उदाहरणांतून यमक जुळणाऱ्या शब्दांच्या पाच जोड्या शोधून लिहा…
उत्तर :
यमक जुळणाऱ्या शब्दांच्या पाच जोड्या :

  • पीठी – व्होटी
  • जीव – हीव
  • थंडी – दिंडी
  • घाई – पुन्याई
  • नक्कल – अक्कल

प्रश्न आ.
शब्दसमूहांचा अर्थ स्पष्ट करा.

  1. बावनकशी सोने
  2. करमाची रेखा
  3. सोन्याची खाण
  4. चतकोर चोपडी

उत्तर :

  1. बावनकशी सोने – अस्सल, खरे
  2. करमाची रेखा – नशीबाचा फेरा, नियतीचा खेळ
  3. सोन्याची खाण – भरभराट, विपुल प्रमाणात
  4. चतकोर चोपड़ी – पुस्तक किंवा वहीचा काही भाग

प्रश्न इ.
खालील वाक्प्रचारांचा अर्थ लिहून वाक्यांत उपयोग करा.
1. तोंडात बोटे घालणे.
2. तोंडात मूग धरून बसणे.
उत्तर :
1. तोंडात बोटे घालणे – अर्थ : आश्चर्यचकित होणे, विस्मय वाटणे.
वाक्य : अपंग मुलाने धावण्याची शर्यत जिंकल्याने सर्वांनी तोंडात बोटे घातली.

2. तोंडात मूग धरून बसणे – अर्थ : काहीही न बोलणे, गप्प बसणे.
वाक्य : सरांनी अवघड प्रश्न विचारताच सर्व मुले तोंडात मूग धरून बसली.

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प्रश्न ई
खालील शब्दांना उपसर्ग व प्रत्यय लावून शब्द तयार करा.
उदा., वाद-विवाद, संवाद, निर्विवाद, वादक, वादी
(अ) अर्थ – ……………
(आ) कृपा – ……………
(इ) धर्म – …………….
(ई) बोध – …………….
(उ) गुण – ……………..
उत्तर :
(अ) अनर्थ, अर्थहीन, अर्थपूर्ण
(आ) अवकृपा, कृपाळू
(इ) अधर्म, स्वधर्म, धार्मिक, धर्मवीर
(ई) अबोध, बोधामृत
(उ) अवगुण, सगुण, निर्गुण, गुणी, गुणवान

3. स्वमत.

प्रश्न अ
‘बहिणाबाईंचे साहित्य जुन्यात चमकणारे व नव्यात झळकणारे आहे’, हे लेखकाचे विचार तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर :
बहिणाबाई या एक अशिक्षित शेतकरी स्त्री असूनही त्यांची रचना तोंडात बोट घालायला लावणारी आहे. बहिणाबाईंचा जिव्हाळा जबर आहे. त्यांच्या शब्दाशब्दांतून प्रतिभा झिरपते. त्यांचे काव्य सरस व सोज्वळ आहे. बहिणाबाई यांची कविता इंग्रजी वळणाच्या सौंदर्यवादी भावकवितेच्या परंपरेला छेद देणारी अस्सल मराठी वळणाची ग्रामीण कविता आहे.

जुन्यात चमकणारी ही कविता आहे, बहिणाबाई यांनी आपली कविता थेट संत कवितेच्या आणि तत्त्वकवितेच्या परंपरेला जोडली आहे, त्यांच्या कवितेत या परंपरेतला भक्तिभाव, तत्त्वचिंतन आणि हितोपदेश आपल्याला दिसतो. ही लोकगीताच्या अंगाने जाणारी कविता आहे. नवकवितेच्या जवळ जाणारी त्यांची कविता आहे. त्यांच्या कवितेत निसर्ग, ग्रामीण जीवन व कृषिसंस्कृतीचे अस्सल दर्शन घडते. शेतकरी हा कर्मयोगी आहे आणि त्याच्या कामात उदात्तता आहे असे सांगणाऱ्या या कविता आहेत.

क्तिकविता आहे. त्यात पारंपरिक तत्वकवितेच्या खुणा सर्वत्र विखुरलेल्या दिसतात. ‘उदा. देव अजब गारोडी’ तसेच ‘मानसा मानसा कधी व्हशीन मानूस!’ यांसारख्या आधुनिक कवितेतून मानवतेचा संदेश देणारी त्यांची कविता आहे.

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प्रश्न आ.
‘बहिणाबाई शेताला निघाल्या, की काव्य आपले निघालेच त्यांच्याबरोबर.’, या विधानाचा तुम्हांला समजलेला अर्थ सविस्तर लिहा.
उत्तर :
बहिणाबाईंची कविता ही अर्वाचीन मराठीतील पहिली ग्रामीण कविता होय. ती या अर्थाने की, ती ग्रामीण जीवनातूनच मोहोरून आली आहे. त्यांच्या कवितेतून ग्रामीण जीवन अंतर्बाहय रसरसलेले आहे. ‘देव अजब गारोडी’ या कवितेत पेरणीनंतर धरित्रीच्या कुशीतून जे चैतन्य ओसंडते त्याचे अतिशय प्रभावी दर्शन घडते. ‘येहेरीत दोन मोटा’ यातून कृषिजीवनाचे दर्शन तर घडतेच पण त्यातील दोन्हीमध्ये पाणी एक यातून कणा आणि चाक वेगळे असले तरी त्याची गती एकच आहे हे दिसून येते.

त्यांची कविता निसर्गाशी समरस होणारी, ग्रामीण जीवनाचे दर्शन घडवणारी आहे. तान्या सोपानाला झोपवून बहिणाबाई शेतात निघाल्या की त्यांच्या काव्यप्रतिभेला धुमारे फुटू लागत आणि त्यातून ग्रामीण, कृषिजीवनाचे दर्शन घडविणारी कविता जन्माला येई. वाटेत दिसलेल्या वडाच्या झाडावर ‘हिरवे हिरवे पानं’ सारखी रचना सहज आकाराला येते. शेतातील कापणी, मळणी या शेतातील कामांबरोबरच मोठ्या, भाविक व कष्टाळू शेतकऱ्याचे जीवन त्यांच्या कवितेतून प्रतिबिंबीत होताना दिसते. थोडक्यात बहिणाबाईंची कविता ही अस्सल ग्रामीण जीवनाचे दर्शन घडविणारी कविता आहे. शेतात राबणारा शेतकरी आणि कृषिसंस्कृती यांचं अनोखं असणार नातं त्यांच्या कवितेत दिसून येते.

प्रश्न इ.
“मानसा मानसा, कधी व्हशीन मानूस!’ या उद्गारातून व्यक्त झालेला बहिणाबाईंचा विचार तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर :
बहिणाबाईनी कवितेतून माणसाचा मतलबीपणा आणि त्याच्या स्वार्थी वृत्तीचे वास्तव दर्शन घडविले आहे. बहिणाबाई आणि स्वार्थी वृत्तीची सर्वाधिक चीड आहे. त्या माणसाला संतापून म्हणतात ‘मानसा मानसा, कधी व्हशीन मानूस!’ ‘माणसा तुला नियत नाही रे’, माणसापेक्षा गोठ्यातील जनावर बरे, गाय न म्हैस चारा खाऊन दूध देतात. पण माणसाचे एकदा पोट भरले की माणस उपकार विसरून जातो. कुत्र्यामध्ये इमानीपणा आहे पण माणूस फक्त मतलबासाठी मान डोलावतो.

माणूस केवळ लोभामुळे माणूस असूनही काणूस म्हणजे पशू झाला आहे. त्याची स्वार्थी प्रवृत्ती सर्वत्र दिसून येते. माणस स्वतःच्या फायद्यासाठी एकमेकांशी भांडत आहे. मानवता आज संपुष्टात आली आहे. अखिल मानवजातीच्या कल्याणासाठी बहिणाबाई ‘मानसा मानसा, कधी व्हशीन मानूस’? अशी आर्त हाक देतात, संत महात्म्यांनीही मानवतेच्या कल्याणासाठी तळमळ व्यक्त केली आहे. आज माणूस पशूसारखे वागतोय. माणसातला माणूस कधी जागा होतोय? हीच खरी आजची समस्या आहे. स्वार्थासाठी माणूस माणूसपण विसरत आहे. या समस्येचा साक्षात्कार बहिणाबाईसारख्या खानदेशातील एका अशिक्षित शेतकरी महिलेला व्हावा हे त्यांच्यातील नैसर्गिक प्रतिभेचं लेणं आहे.

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4. अभिव्यक्ती.

प्रश्न अ.
प्र. के. अत्रे यांच्या प्रस्तावना लेखनाची तुम्हाला जाणवलेली वैशिष्ट्ये लिहा.
उत्तर :
एखादया शेतात मोहरांचा हंडा अचानक सापडावा तसा बहिणाबाईच्या काव्याचा शोध महाराष्ट्राला लागला. बहिणाबाईचा जिव्हाळा जबर आहे. त्यांच्या शब्दाशब्दांतून प्रतिभा नुसती झिरपते आहे असे सरस आणि सोज्वळ काव्य आहे. जुन्यात चमकेल व नव्यात झळकेल असे त्याचे तेज आहे. प्र. के. अत्रे यांच्यासारख्या मर्मज्ञ, प्रतिभावंताची बहिणाबाई चौधरी यांच्या गीतकाव्यासंबंधीची ही प्रतिक्रिया होय. बहिणाबाई चौधरी यांच्या कवितेचे प्र. के. अत्रे केवळ प्रस्तावनाकारच नव्हते तर ते प्रकाशकही होते.

प्र. के. अत्रे यांची लिहिलेली प्रस्तावना ही बहिणाबाईंच्या असामान्य काव्यप्रतिभेची ओळख करून देणारी आहे. त्यांनी बहिणाबाईंच्या ओघवत्या व भावपूर्ण शब्दांची काव्यप्रतिभा आपल्या प्रस्तावनेतून उलगडून दाखवली आहे. बहिणाबाईंची ग्रामीण जीवनाशी जोडलेली नाळ, निसर्गाशी असलेली समरसता, कृषिजीवनाचे संदर्भ हा त्यांच्या काव्याचा विषय. प्र. के. अत्रे यांनी बहिणाबाईंचे हे सूक्ष्म व अचूक निरीक्षण यांतील आत्मियता लीलया वर्णिली आहे. माणसातील लोप पावत चाललेल्या माणुसकीचे वर्णन करणाऱ्या कवितेवर अत्रे यांनी प्रकाश टाकला आहे. अत्रे यांनी आपल्या प्रस्तावनेतून बहिणाबाईच्या अनेक कवितांचा अर्थ उलगडून दाखविला आहे.

बहिणाबाईंची कविता हे बावनकशी सोने आहे. ते महाराष्ट्रासमोर आणण्यासाठी अत्रे यांनी स्वतः त्या कवितांचे प्रकाशन केले. अत्रे यांनी बहिणाबाईची काव्यप्रतिभा जाणून आपल्या प्रस्तावनेत बहिणाबाईंचे निसर्गप्रेम, कृषी, शेतकरी त्यांचे अपार कष्ट यांचे वर्णन केले आहे. बहिणाबाईच्या ‘संसार’, ‘स्त्रियांची दुःखे’, ‘माणसातला स्वार्थ’ या कवितांवर अतिशय मार्मिक असे भाष्य केले आहे. प्राणिमात्रांचा प्रामाणिकपणा आणि माणसांचा कृतघ्नपणा या बहिणाबाईंच्या कवितेतून अत्रे यांनी नेमकेपणाने त्यांतील भाव उलगडून दाखविला आहे.

अत्रे यांची प्रस्तावना ही अतिशय प्रतिभावंत साहित्यिकाची प्रस्तावना आहे. बहिणाबाईंच्या काव्यातील तळमळ, माणसाच्या कल्याणाची आस शेतकरी व त्याचे अपार कष्ट या काव्य आशयाचा सुरेल परामर्श अत्रे यांनी घेतला आहे. थोडक्यात अत्रे यांच्या प्रस्तावनेने ‘बहिणाबाईंची गाणी’ या पुस्तकाला एक आगळी वेगळी झळाळी लाभली आहे.

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प्रश्न आ.
बहिणाबाईंच्या काव्यातील भाषेची वैशिष्ट्ये लिहा.
उत्तर :
बहिणाबाई चौधरी यांनी लिहिलेल्या कविता ह्या निसर्ग, कृषिसंस्कृती, ग्रामीण जीवन, शेतकरी, शेती, मानवता, प्राणिमात्रांची कृतज्ञता या विषयांशी संबंधित आहेत, बहिणाबाई या अशिक्षित खेड्यातील स्त्री असूनही त्यांच्या काव्यातला जिव्हाळा जबर आहे. त्यांच्या शब्दाशब्दांतून प्रतिभा नुसती झिरपते आहे. त्यांचे काव्य सरळ आणि सोज्वळ आहे.

बहिणाबाईंनी वहाडी, खानदेशी ग्रामीण, बोली भाषेत लिहिलेल्या कवितांना वेगळाच गोडवा आहे. बहिणाबाई कधीही शाळेत गेल्या नव्हत्या. गावातील मंदिरे याच त्यांच्या शाळा असे असतानाही त्यांनी केलेल्या रचना त्यांच्या प्रतिभेचे दर्शन घडवितात. बोली भाषेच्या जिव्हाळ्याने त्यांची कविता आपलीशी वाटते, वहाडी खानदेशी भाषेचे काव्याभिव्यक्तीचे सामर्थ्य फार उंचीचे आहे.

बहिणाबाईंच्या भाषेत जिव्हाळा आहे, तळमळ आहे. माणसाच्या उत्कर्षाची आस त्यांना लागली आहे. ग्रामीण भाषेमुळे, बोलीमुळे शेतकरी, निसर्ग, मानवता या आशयाशी एकरूप होणारी त्यांची कविता वाचकांचे लक्ष वेधून घेते. बहिणाबाई काव्य करताना कुठेही अडखळत असलेल्या, शब्दांसाठी थांबलेल्या अशा दिसत नाहीत. ओघवते असे त्यांचे काव्य आहे. याचे कारण म्हणजे त्यांचे म्हणून जे एक अनुभवविश्व होते. त्या अनुभवाची म्हणून जी भाषा होती ती त्यांना पूर्णत: परिचित होती, नव्हे त्यावर त्यांचे प्रभुत्व होते. म्हणूनच त्यांच्या कवितेच्या हातात भाषा हवी तशी वाकते, आकार घेते व अर्थाभिव्यक्ती साधते. या अर्थाने बहिणाबाई या भाषाप्रभूत्व ठरतात.

प्रश्न इ.
माणसातील माणुसकीचा तुम्ही घेतलेला अनुभव शब्दबद्ध करा.
उत्तर :
अलिकडच्या काळात माणसातील माणुसकी लोप पावत चालली आहे. प्रत्येक माणूस आत्मकेंद्री बनत चालला आहे. माणूस आज पशू होऊन एकमेकांशी झगडत आहे. पण पशू मात्र आपला इमानीपणा दाखवत आहे. माणूस हा स्वार्थी, आत्मकेंद्री बनत चालला असताना आजही समाजात माणुसकी शिल्लक आहे अशी अनेक उदाहरणे देता येतील. पैसा म्हटला की प्रत्येकाला त्याची हाव असते.

कोणत्याही मार्गाने का होईना पण पैसा मिळाला पाहिजे ही प्रवृत्ती सर्वत्र आढळते. पण मी अनुभवलेल्या एका प्रसंगातून आजही माणुसकीचा झरा वाहतो आहे याचे दर्शन घडते. आमच्या कॉलेजमध्ये घडलेला प्रसंग, एका गरीब विद्यायनि शैक्षणिक फी, वहया, पुस्तकांसाठी आणलेले पैसे त्याच्याकडून हरवले. तो विदयार्थी ढसाढसा रडत होता. कारण ते पैसे त्याच्या आई वडिलांनी मजुरी करून मिळवलेले होते. हे पैसे मिळाले नाहीत तर आपले शिक्षण थांबणार या चिंतेने त्याला ग्रासले होते. आमच्या कॉलेजमध्ये अतिशय कमी पगारावर काम करणाऱ्या एका सेवकाला हे पैसे सापडले व त्याने ते त्या गरीब मलाला परत केले.

त्या गरीब मुलाला पैसे परत मिळण्याचा खूप आनंद झाला. खरं तर त्या सेवकाला सापडलेल्या पैशाच्या पाकीटाचा मोह झाला नाही. तीन महिन्यांच्या पगाराइतकी ती रक्कम असूनही तो मोह टाळून त्याने ते पैशाचे पाकीट परत केले. ही घटना माणुसकीचा झरा अजूनही आटलेला नाही याचे दयोतक आहे.

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प्रकल्प.

प्रश्न 1.
‘बहिणाबाईंची गाणी’ मिळवून निवेदनासह काव्यवाचनाचा कार्यक्रम सादर करा.

प्रश्न 2.
तुमच्या परिसरातील ओव्या/लोकगीते मिळवून संग्रह करा.

11th Marathi Book Answers Chapter 5 परिमळ Additional Important Questions and Answers

खालील उताऱ्याच्या आधारे सूचनेनुसार कृती करा.

प्रश्न 1.
बहिणाईच्या काव्याचा आविष्कार – [ ]
उत्तर :
बहिणाबाईंच्या काव्याचा आविष्कार – सुभाषितांचा

प्रश्न 2.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 11
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 12

खालील कृती सोडवा.

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 9
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ 10

प्रश्न 2.
बहिणाबाईंना प्राप्त झालेली प्रतिभा
……………………….
उत्तर :
बहिणाबाईंना प्राप्त झालेली प्रतिभा एखादया बुद्धिमान तत्त्वज्ञानी किंवा महाकवीची

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कोष्टक पूर्ण करा.

प्रश्न 1.

  1. शेतकरी जीवन ……….
  2. …………. तिला रात म्हणू नये
  3. इमानाला जो विसरला …………
  4. ……………. शेवटी रिकामेच होणार

उत्तर:

  1. शेतकरी जीवन → कष्टाचे
  2. भुकेल्या पोटी जी → तिला रात म्हणू नये माणसाला निजवते
  3. इमानाला जो विसरला → त्याला नेक म्हणू नये
  4. पोट कितीही भरले तरी → शेवटी रिकामेच होणार

स्वमत :

प्रश्न 1.
शेतकऱ्यांचे जीवन म्हणजे कष्टाचे हा विचार तुमच्या शब्दात स्पष्ट करा.
उत्तर :
‘बहिणाबाईंची गाणी’ या पुस्तकात बहिणाबाई चौधरी यांनी कृषी, ग्रामीण जीवन, शेती आणि शेतकरी यांचे चित्रण केले आहे. बहिणाबाईंची कविता अस्सल शेती आणि शेतकऱ्यांचे भावविश्व उलगडून दाखवणारी आहे. शेतकऱ्यांचे जीवन म्हणजे कष्टाचे. ऊन, वारा व पाऊस यांची तमा न बागळता शेतकरी रात्रंदिवस राबत असतो. सर्वसामान्य माणसे शेतकऱ्याच्या जीवावर दोन वेळा पोटभर जेवतात. शेतकरी शेतातच राबतो आणि त्याची माती शेतातच होते. शेतात पेरणी, कापणी व उफणणी या काळात शेतकरी राबराब राबतो.

त्याने पिकवलेल्या मालाला योग्य भाव मिळेल याची शाश्वती नसते. पण जगाचा पोशिंदा असणारा हा भोळा, भाविक व कष्टाळू शेतकरी आयुष्यभर काळ्या आईची सेवा करतो. शेतकऱ्यांच्या संसाराची करुण कहाणी अनेक काव्यात दिसून येते. शेतकरी खळं करत असताना त्याला एक आस लागलेली असते ती म्हणजे यातून मिळणाऱ्या उत्पन्नातून आपला मोडलेला संसार पुन्हा उभा राहील पण तसे घडतेच असे नाही. निसर्गाचा लहरीपणा, कर्ज, हमीभाव पिकांवर पडणारी कीड या दुष्टचक्रात शेतकरी अडकला आहे आणि त्यातून ज्यांना बाहेर पडता येत नाही ते आत्महत्या करतात. असे कष्टाळू शेतकऱ्याचे जीवन संघर्षाने भरलेले आहे.

अभिव्यक्ती:

प्रश्न 1.
‘कशाला काय म्हणू नाही’ या काव्यातील सुभाषितांचा अर्थ लिहा.
उत्तर :
बहिणाबाई चौधरी यांच्या ‘बहिणाबाईची गाणी’ या पुस्तकात अनेक विषयांवरील काव्य आहे. मराठी वाड़मयात अमर होतील अशी अनेकात अनेक सुभाषिते आली आहेत. सुभाषितांचे एक शेतच पिकलेले आहे असे वाटते. ज्यातून कापूस येत नाही त्याला बॉड म्हणू नये, बोंडाची मुख्य अशी ओळख म्हणजे त्यातील कापूस नसेल तर त्या बोंडाला काय अर्थ उरणार? भुकेच्या पोटी माणसाला निजवते तिला रात कशी म्हणणार ? माणसाच्या पोटात अन्न नसेल तर त्याला झोप येणारच नाही, माणसाचा हात हा दानधर्मासाठी असतो असे म्हटले जाते.

इतरांना मदत, दान करताना तुमचा हात आखडत असेल, तुमचा स्वार्थ आडवा येत असेल तर त्या हाताचा काय उपयोग? इमानीपणा जर एखादा विसरत असेल तर त्याला नेक, प्रामाणिक कसे म्हणणार? तुम्ही नेक प्रामाणिक असाल तर तुमच्यात इमान असणारच, जन्मदात्या आई वडिलांची सेवा करणे हे मलाचे कर्तव्य आहे.

जर एखादा लेक जन्मदात्या आई वडिलांची सेवा न करता त्यांना त्रास देत असेल तर त्याला लेक म्हणता येणार नाही. भाव असेल तर भक्ती येईल. (मनी नाही भाव देवा मला पाव) या उक्तीप्रमाणे भावहीन भक्ती फळाला येत नाही. तुमच्यात उत्साह नसेल तर तुमची शक्ती निरर्थक आहे. कारण जिच्यामध्ये चेव नाही तिला शक्ती म्हणू नये. अशाप्रकारे वेगवेगळ्या सुभाषितांमधून बहिणाबाईंनी जीवनविषयक तत्त्वज्ञान उलगडून दाखविले आहे. जे आजच्या काळातही लागू आहे.

स्वाध्यायासाठी कृती ‘चालू दे रे रगडनं तुझ्या पायाची पुन्याई’ या बहिणाबाईंच्या काव्याचा तुम्हाला समजलेला अर्थ लिहा. वृक्षांची कृतज्ञता तुमच्या शब्दात स्पष्ट करा. बहिणाबाईचा जीवनाकडे पाहण्याचा दृष्टिकोन तुमच्या शब्दात लिहा. बहिणाबाईनी सांगितलेले मानवी जीवनाचे रहस्य शब्दबद्ध करा. शेतातील खळ्याचे बहिणाबाईंनी केलेले वर्णन स्पष्ट करा. ‘मन पाखरू पाखरू’ या ओळीतील भावसौंदर्य उलगडून दाखवा.

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परिमळ Summary in Marathi

प्रस्तावनाः

नामवंत लेखक, कवी, नाटककार, चित्रपट कथालेखक, शिक्षणतज्ज्ञ म्हणून महाराष्ट्राला ज्ञात असणारे प्र.के.अत्रे यांनी ‘बहिणाबाईची गाणी’ या काव्यसंग्रहाला प्रस्तावना लिहिली. या प्रस्तावनेतून प्र.के.अत्रे यांनी बहिणाबाई चौधरी यांच्या काव्यप्रतिभेची ओळख करून देताना त्यांच्या कवितेतील ग्रामीण जीवन, कृषिजीवन यांचे संदर्भ उलगडून दाखविले आहेत. बहिणाबाईच्या कवितेतून माणुसकी, निसर्गाशी समरसता, श्रद्धा आणि खेड्यातील समूह जीवनाचे दर्शन घडते. त्यांच्या कवितेत खानदेशी बोलीचा गोडवा विशेषत्वाने जाणवतो.

पाठाचा परिचय :

शास्त्राप्रमाणे वाङ्मयात शोध क्वचितच लागतात. एखादया शेतात मोहरांचा हंडा सापडावा तसा बहिणाबाईंच्या काव्याचा शोध लागला. लक्ष्मीबाई टिळकांच्या ‘स्मृतीचित्रा’सारखाच बहिणाबाईचा जिव्हाळा जबर आहे. बहिणाबाईंचे काव्य सरस आणि सोज्वळ आहे. असे काव्य मराठी भाषेत फार थोडे आहे आणि त्यातील मौज म्हणजे एका निरक्षर स्त्रीने रचलेले हे काव्य तोंडात बोट घालायला लावणारे, ‘जुन्यात चमकणारे आणि नव्यात झळकणारे’ असे आहे.

सुप्रसिद्ध मराठी कवी सोपानदेव चौधरी यांच्या या मातोश्री. माजघरात सोन्याची खाण दडावी तसे यहिणाबाईंचे काव्य, खानदेशी वहाडी भाषेमधील अडाणी आईच्या ओव्यांचे महाराष्ट्र कौतुक करील की नाही म्हणून सोपानदेव चौधरी गप्प होते.

सोपानदेव चौधरी यांनी चतकोर चोपडीतून एक कविता प्र.के.अत्रे यांना वाचून दाखविली. या कवितेतून शेतकऱ्याच्या कष्टाचे वर्णन केले आहे, त्या कविता म्हणजे बावनकशी सोने असून ते महाराष्ट्रासमोर यायला हवे या उद्देशाने प्र. के. अत्रे यांनी हे काव्य प्रसिद्ध करण्याचे ठरविले.

प्रतिभा हे कवीला लाभलेले निसर्गाचे देणे, ते उपजतच असते. कोकिळ पक्ष्याच्या तोंडून संगीत वाहू लागते. प्राजक्ताची कळी सुगंध घेऊन येते तसे जातिवंत कवीचे आहे. सृष्टीतील सौंदर्य आणि जीवनातील संगीताशी ती कविता एकरूप होते. डोंगराच्या कपारीतून जसा झरा उचंबळतो तसे काव्य एकसारखे हदयातून उसळ्या घेते. यातूनच जगातील अमरकाव्ये जन्मास येतात.

बहिणाबाईची प्रतिभा वेगळीच, त्यात धरित्रीच्या कुशीत झोपलेले बियाणे कसे प्रकट होते याचे वर्णन येते. तारुण्यात सौभाग्य गमावलेल्या स्त्रीचे हृदयभेदक करुण काव्य हे असामान्य काव्याचे वैशिष्ट्य होय. सकाळी उठून बहिणाबाई जात्यावर बसल्या की ओठातून काव्य सांडू लागते. घरोट्यातून पाठ जसे बाहर पडत तसे बहिणाबाईच गाण पोटातून आठावर यत. स्वयपाकघरात चूल प म्हणत माझा जीव घेवू नकोस. संसाराची रहस्य उलगडताना त्यातील कष्टमय जीवनाचे चित्रण त्यांच्या काव्यात दिसून येते. तान्हुल्या सोपानाला शेतावर घेऊन जाताना वडाच्या झाडाचे आणि त्याच्या लाल फळाचे सुंदर चित्रण काव्यातून येते. वारा आणि थंडीची पर्वा न करणाऱ्या वारकऱ्याचे दर्शन त्यांच्या काव्यात घडते.

ठणी व सुगीच्या दिवसातील शेतकऱ्याची लगबग, कष्टमय जीवन हा त्यांच्या काव्याचा विषय. पण एवढाच त्यांच्या काव्याचा विषय नसून जीवनाकडे बघण्याचे स्पष्ट तत्त्वज्ञान हे त्यांच्यातील बुद्धिमान, तत्त्वज्ञानी, महाकवीची प्रतिभा असण्याची जाणीव होते.

त्यांच्या काव्यांचा आविष्कार सुभाषितांचा आणि आत्मा उपरोधी विनोदाचा आहे. ‘कशाला काय म्हणू नाही’ या सुभाषितातून ‘ज्यातून कापूस येत नाही त्याला बोंडू म्हणू नये’, ‘भुकेल्या पोटास निजवणारी रात्र नसते’. ‘दानासाठी आखडणारे ते हात नाहीत’, ‘इमानाला विसरणारा नेक नसतो’. ‘जन्मदात्यास भोवणारा लेक कसा’ ? ‘जिच्यात भाव नाही तिला भक्ती म्हणू नये’. यातून त्यांची भाषा आणि विचारांची श्रीमंती दिसते.

मन पाखरू पाखरू त्याची काय सांगू मात ? मन हे पाखरासारखे आहे. एका क्षणात जमिनीवरून आभाळात जाणार असा भाषा आणि विचारांचा सुरेख मेळ त्यांच्या काव्यात दिसून येतो.

जीवनाचे खरे रहस्य शुद्ध प्रेमात आहे. स्वार्थात नाही. माणसाने मतलबी होऊ नये. भुकेल्या पोटाला अन्न मिळावे म्हणून पिके ऊन, वारा, पाऊस सहन करत शेतात उभी असतात. माणूस स्वार्थी असून खोटेनाटे व्यवहार करतो. बोरीबाभळी उपकाराच्या भावनेतून शेताला काटेरी कुंपण करतात. पोट कितीही खाल्ले तरी शेवटी रिकामे राहणार आणि शरीरसुद्धा एक दिवस निघून जाणार, जे शिल्लक राहते ते हदयाचं नातं, शुद्ध आणि निःस्वार्थी प्रेम यापेक्षा वेगळं काय असणार?
बहिणाबाईंना सर्वाधिक चीड कशाची असेल तर ती माणसाच्या कृतघ्नपणाची, माणसांना संतापून त्या म्हणतात, माणसाला नियत नाही.

माणसापेक्षा गोठ्यातील जनावरे बरी, ती चारा खाऊन दूध देतात. माणसे उपकार विसरून जातात. कुत्रा इमानीपणाने वागतो, लोभामुळे माणूस काणूस म्हणजे पशू झाला आहे. स्वार्थाचा वणवा आज सर्वत्र पसरला आहे. माणूसे पशू होऊन एकमेकांशी भांडत आहेत. मानवता नष्ट होत चालली आहे. ‘मानसा, मानसा कधी व्हशीन मानस!’ मानवतेच्या कल्याणासाठी झटणाऱ्या संतमहात्म्याच्या अंत:करणातन हीच सल बाहेर पडत आहे. माणसाने माणूस कसे व्हायचे हा प्रश्न मानवजातीपुढे आहे. या समस्येचा साक्षात्कार बहिणाबाईना होतो ही त्यांच्या प्रतिभा सामर्थ्याची खरी ओळख आहे.

बहिणाबाईची चुलत सासू ‘भिवराई’ या विनोदी व नकलाकार होत्या. नाव ठेवून नक्कल करता करता सर्वांना हसविण्याची त्यांची पद्धत म्हणजे हसवून शहाणे करणे हा हेतू. यातून बहिणाबाईंच्या विनोदात उपरोध, सहानुभूती आणि मायेचा ओलावा दिसतो, बहिणाबाईंचे काव्य रचना व भाषेच्या दृष्टीने अत्यंत आधुनिक असून प्रत्येक काव्यात एक संपूर्ण घटना किंवा विचार आहे. थोडक्यात एखादी भावना जास्त प्रभावाने कशी व्यक्त करता येईल याकडे त्यांनी लक्ष दिलेले आहे. बहिणाबाईचे मराठी भाषेवरचे प्रभुत्व केवळ अद्भुतच आहे.

बहिणाबाईंनी आपल्या काव्यात रस आणि ध्वनीच्या दृष्टीने कुठेही ओढाताण किंवा विरस होणार नाही अशा कौशल्याने सोपे व सुंदर शब्द वापरले आहेत. त्यांच्या खानदेशी वहाडी भाषेने काव्याची लज्जत वाढविली आहे. ‘अशी कशी वेडी ग माये’, अशी कशी येळी माये, किंवा ‘पानी लौकीचं नित्तय त्याले अनीताची गोडी’. या भाषेत लडिवाळपणा भासतो.

मराठी मनास भुरळ घालील आणि स्तब्ध करून टाकील असे भाषेचे, विचारांचे आणि कल्पनेचे विलक्षण माधुर्य त्यांच्या काव्यात शिगोशीग भरलेले आहे. मानवतेला त्यांनी दिलेल्या ‘मानसा मानसा, कधी व्हशीन मानूस’ ! हया अमर संदेशाने तर मराठी साहित्यामध्ये त्यांचे स्थान अढळ करून ठेवलेले आहे.

Maharashtra Board Class 11 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 5 परिमळ

समानार्थी शब्द / पर्यायी शब्द :

  1. परिमळ – सुगंध – (fragrance).
  2. प्रतिभा – काव्य निर्माण करण्याची असलेली उपजत क्षमता – (intelligence, imaginative power).
  3. सोन्याची खाण – भरभराट, विपुल प्रमाणात, येहेर – विहिर – (well).
  4. चतकोर चोपड़ी – वही किंवा पुस्तकाचा काही भाग – (notebook).
  5. मोट – जुन्या काळी विहिरीतून पाणी काढण्याचे चामड्याचे एक साधन.
  6. अधाशी – हावरटपणा, एखादी गोष्ट आपल्यालाच मिळावी हा हेतू – (greedy).
  7. बावनकशी सोने – अत्युत्तम खरे सोने.
  8. कृतघ्न – उपकाराची जाणीव नसलेला – (ungrateful).
  9. काणूस – पशू – (animal)
  10. लपे – लपणे – (hide).
  11. अहिराणी भाषेत ‘ळ’ ऐवजी ‘य’ वापरतात.
  12. खेयता – खेळता.
  13. घरोटा – जातं.
  14. व्होट – ओठ – (lip).
  15. चुल्हया – चूल.
  16. फयं – फळ – (fruits).
  17. आभाय – आभाळ – (sky).

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